UPDATE-1
ये मेरी आत्मकथा है -मेरी जिंदगी का सच है
सच तो यह है कि मेरा नाम अनीता शर्मा है.
सब सच ही लिखूंगी /बात तब कि है जब अब मेरी उम्र 24 साल थी , मैं दिल्ली कि रहने वाली हूँ /
पापा मम्मी भाई भाभी एक छोटी बहिन और मैं , यही है मेरा परिवार /
डैड अक्सर दिल्ली से बहार रहते है और माँ भी अक्सर UP के पुश्तैनी गावं में जाकर रहती है , अभी मेरे दादा जी जीवित है , और उनकी देख भाल के लिए माँ को जाना पड़ता है ,
भाई कि उम्र 27 साल है , झाँसी में JDA में नौकरी करता है , भाभी उनके साथ ही रहती है मगर हर २ महीने में वो घर आते रहते है / छोटी बहन उत्तम नगर के पास द्वारका के एक स्कूल में १2 क्लास में पढ रही है / उसका नाम राधिका है / काल्पनिक नाम / उम्र 18 साल hai
अब आती हूँ अपनी बात पर कि किस तरह मैंने जाना उस दर्द का अहसास, अंदर तक चटकने का अहसास और एक के बाद एक कुछ दोस्तों, दुश्मनो या अजनबियों के नीचे पिसने और पिघलने का अहसास / उनमे दो लोग ऐसे भी थे जिनसे कोई रिश्ता नहीं कि नाम दे सकू और इतने दूर भी नहीं कि अजनबी कह सकू /
अब आज बात करना चाहूंगी एक अलग अपनी जिंदगी मे हुए किस्से की, एक ऐसे रिश्ते कि जो शायद मेरी जिंदगी में होना नहीं चाहिए था / मगर हुआ / और न भुला पाने वाला अहसास जिसमे थोड़ा बहुत अपनापन तो था मगर उससे ज्यादा शर्मिंदगी है आज /
उनका नाम समर गुप्ता था , उम्र 36 साल / शरीर से हष्टपुष्ट , लम्बे है /
मैं अपने बारे में फिर बता दूँ कि मेरी उम्र 24 साल थी उस वक़्त , और अब २५ है / मेरी लम्बाई पांच फ़ीट छह इंच है / रंग गोरा / फिगर 34 - 27 - 36 है / बालों का स्टाइल मैं बदलती रहती हूँ, कभी कर्ली हलके, कभी सिंपल, तो कभी straight प्रेसिंग /
बात यूं शुरू हुए कि एक दिन QUICKER app में एक advertisement देखा जिसमे २ घंटे पार्ट टाइम जॉब का ऑफर था , साफ़ साफ़ लिखा था कि फ्रेशर कैंडिडेट भी अप्लाई कर सकते है / मुझे लगा हफ्ते में तीन दिन वो भी 2 घंटे बस , यानी १२ दिन सिर्फ २ घंटे कि जॉब से १०००० कि सैलेरी एक अच्छा मौका है कुछ पॉकेट मनी कमाने का , जिसको मैं बिना पेरेंट्स को बताये खर्च कर सकती हूँ / फिर क्या था , मैंने बायोडाटा बनाया और भेज दिया उस कंपनी के ईमेल पर /
सबसे पहले तो मैं ये लिखना चाहूंगी कि मुझे हिंदी टाइपिंग नहीं आती, एक वेबसाइट है जिसमे इंग्लिश में टाइप करने से वो साइट शब्दों को पहचान कर उसे हिंदी में टाइप क्र देती है , उसी कि मदत से मैं हिंदी टाइपिंग क्र रही हूँ / इसीलिए अगर शब्दों में कोई गलती हो या व्याकरण गलत आ रहा हो तो प्लीज माफ़ क्र देना ,इसमें मेरी कोई गलती नहीं है /
अब मेरी दास्तान पर आते है /
अगले दिन एक कॉल आया , नंबर अनजाना था सो मैंने उठाया तो उस तरफ से आवाज आई हेलो , मैं बोली हाँ जी आप कौन?
तो फिर गंभीर सी आवाज़ आई - आपने ape कंपनी में पार्ट टाइम जॉब के लिए अप्लाई किया था /
मैं तुरंत ही सतर्क हो गई और खुद ब खुद मुँह से निकला जी जी हाँ , मैंने अप्लाई किया था /
'' आप कल सुबह १० बजे ऑफिस आ जाये , इंटरव्यू है आपका कल /
एक दम इंटरव्यू ।।।कल ही तो अप्लाई किया था , मेरे मन में खुद ही ये सवाल आ गया ।
हेलो कि आवाज़ से मेरा ध्यान भंग हुआ और अपने आप मेरे मुँह से निकल पड़ा जी हाँ जी हाँ सर आ जाउंगी /
ओके कहकर कॉल डिस्कोणक्ट हो गई और मैं सोच रही थी वाह लगता है जॉब मिल जायगी / कुछ हलकी सी ख़ुशी तो कहीं एक हलकी सी डर भी अचानक मन कि गहराई में पैदा हो गया कि अगर न मिली ये जॉब तो ?
प्लीज दोस्तों इसे आप कहानी न बोले , ये मेरी सच्ची आत्मकथा है , हर बात का प्रमाण में आगे दूंगी /
मेरी बात का अगर आप लोगो को किसी भी तरह बुरी लगे तोह में माफ़ी मांगती हूँ,
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अगले दिन सुबह में काफी उत्साहित थी कि आज मेरी जिंदगी का पहला इंटरव्यू है ,
ब्लू शार्ट कुर्ती ,उसके नीचे पलाज़ो पहना , और बालो को कर्ली लुक दिया , हल्का मेकअप और आँखों में लम्बा लाइनर थोड़े शेप के साथ , आपको बता दू कि मुझे आई शेड लगाना बहुत पसंद है /
हाई हील ब्लैक सैंडल और शीशे में लुक देखा अपना तो खुद पर नाज़ आया ,मन से निकला हम्म्म नाइस /
अपने btech 2nd सेमिस्टर के डाक्यूमेंट्स फाइल में रखकर में त्यार थी /
कुछ सवाल के जवाब और अच्छी तरह मन में दोहरा रही थी जो पिछली रात Youtube में देखे थे जॉब इंटरव्यू को लेकर /
बरहाल 9am में घर से निकल गई / मेट्रो पकड़ी और सुबाष पार्क मेट्रो स्टेशन जा पहुंची /
गूगल मैप में उनके ऑफिस का एड्रेस देखा तोह ५ मिनट वाकिंग डिस्टेंट पर हे था , पैदल उस तरफ चलते हुए में साफ अपने दिल कि धड़कन महसूस कर रही थी , और सच कहु तो कुछ खुद पर गुस्सा भी आ रहा था कि क्यों इतना सोच रही हूँ , अगर जॉब न भी मिली तो मुझे क्या ? माँ डैड इतनी पॉकेट मनी तो दे ही देते है कि मुझे कोई कमी नहीं होती /
इतना सोचते सोचते मुझे सामने ऑफिस कि बिल्डिंग नज़र आ गई / अब दिल फिर धड़कने लगा / रिसेप्शन पर मैंने अपने बारे में बताया तोह वहां बैठे एक लड़के ने इंटर कॉम से अंदर सुचना दी फिर हम्म्म हम्म्म जी ओके सर बोलकर रिसीवर नीचे वापस रख मुझसे बोला / मैडम आप सीधे अंदर गैलरी में जाकर राइट मुड़ जाना वहां सर आपका इंतज़ार कर रहे होंगे / आप जाकर मिल ले /
जी थैंक्यू वैरी मच बोलकर में गैलरी कि तरफ मुद गई , अंदर जाने पर सीधे हाथ पर मुड़ते ही मैंने पाया एक हॉल में कुछ gym इक्विपमेंट रखे थे उन्ही में एक शख्स उलझा सा खड़ा था , सिंपल लुक , कद लम्बा तक़रीबन 5 .11 , शरीर तगड़ा मगर मोटा नहीं, देखने में बिलकुल सिंपल लुक, सब मिला देखने में तंदरुस्त और समानय चेहरे वाले इंसान प्रतीत हुए / शायद वो इंसान इन मशीनों में कुछ ख़ास देख रहा था, उसके हाथ में कुछ पेपर्स थे , उन पेपर्स को वो देखता फिर मशीनों के ऊपर छपे कुछ अक्षरों को ध्यान से पड़ता ।
उन्होंने मेरी ओर देखकर खा चलिए वहां ऑफिस केबिन है वहां बात करते है /
अजीब है ये इंसान मुझे इंटरव्यू को बुला कर खुद हॉल में खड़ा मचिनो से माथा मार रहा है ।।।। सोचती हुए में ऑफिस की तरफ चल दी , ऑफिस केबिन का दरवाजा शीशे का था जिसपर गोल्डन कलर की ब्लाइंड मिरर चढ़ा था , उस दरवाजे पर निगाह पड़ते हे मैंने साफ़ देखा पीछे आ रहे इंसान की आँखें मेरी हिप्स पर गड़ी थी । मेरे पीछे पीछे आता हुआ वो मेरी हिप्स को घूर रहा था,
उसकी निगाह को भांपते हे अचानक एक सिरहन सी अंदर दौड़ गई , यु लगा जैसे कोई हलके से मेरे हिप्स के बिच की लाइन से ऊपर की और उठती हुई दो गोलाइयों को छू रहा हो। वहां. ठीक हिप्स की बिच वाली लाइन के आस पास का हिस्से में जैसे खून का प्रेशर अचानक तेज हो गया हो , और में साफ़ वहां हलकी सिरहन महसूस कर रही थी,
अजीब बात थी । बिना उनके छूए मुझे अजीब सा छूने जैसा एकसास हो रहा था, जैसे कोई बहुत हलके से नंग त्वचा पर अपने नाख़ून की टिप से नाज़ुकता से धीरे धीरे सहला रहा हो, इतना धीरे की त्वचा पर बिना दबाब दिए , हमारी त्वचा को छुए जाने जैसा अहसास हो /
पता नहीं कभी आपको भी ऐसा महसूस हुआ है की नहीं मगर मुझे उस दिन हुआ ।
न जाने न चाहते हुए भी मेरी चाल जो अब तक इंटरव्यू फॉर्म में तनी हुई थी वो थोड़ी आखिरी कुछ कदमो में लचीली हो गई और हलकी बलखाई / शायद उन्होंने मेरी चाल में आये बदलाव को जरूर महसूस किया होगा तभी उन्होंने शीशे की तरफ मेरे चेहरे को देखा / उनकी निगाह मेरी निगाह से टकराई और में हड़बड़ा गई, और हड़बड़ाते हुए मैंने मुँह फेरा की निगाह से निगाह का मिलना टूटे /
उनकी निगाह से से अलग होते होते मैंने साफ़ देखा की वो भी हड़बड़ा गए थे / और निगाह फेर रहे थे /
मुझे खुद पर एक दम खीज आई ।
ओह शिट।।। ओह अनीता ये क्या बेवकूफी कर बैठी , केबिन में उनको पहले जाना चाहिए तो में क्यों आगे चल रही हूँ, क्या कर रही हूँ , मन ही मन सोचते हुए में बड़बड़ा दी ,''' क्या है ::''
और एक दम से में दरवाजे से हट गई / वो नीचे मुंह किये केबिन के अंदर मेरी बगल से होते हुए दाखिल हो गए /
पीछे पीछे मैंने भी कदम बड़ा दिए /
बैठिये मिस अनीता ,, उनके कहने पर में उनकी ऑफिस टेबल के शामे रखी ४ चेयर्स में से एक पे ठीक उनके सामने बैठ गई /
मैंने अपने डाक्यूमेंट्स की फाइल उनकी तरफ बढ़ाते हुए कहा
सर आई ऍम अनीता शर्मा ,ये मेरे डाक्यूमेंट्स है .
हेलो अनीता , आई ऍम समर गुप्ता , कहते हुए उनहोंने मेरी फाइल ले ली,
कुछ सवालों के साथ मेरा इंटरव्यू ख़तम हुआ ,
बात ही बात मे ये जान गई कि समर गुप्ता जिम कि मशीनो मे मार्किट डील करता है
मेरा काम स्पेयर पार्ट और मशीनो कि एंट्री डाटा त्यार करना था l
मुझे काम पसंद आया और अगले दिन से मुझे जॉब ज्वाइन करने कि डेट मिल गई /
समय गुजरता गया लगभग 2माह बीत गए /सब कुछ ठीक ही चल रहा था, सोमवार, बुधवार और शुक्रवार यर 3 दिन सुबह 10 से 12 के दिन और समय के चक्र मे जिंदगी के 2 माह कब गुज़र गए पता ही ना चला l इन दिनों ऐसी कोई बात नहीं हुई जिसपर आज मे कह सकूँ कि मैं समर गुप्ता कि तरफ जरा भी आकर्षित हुई थी l
अक्सर काम करते और डाटा एंट्री करते हुई डाक्यूमेंट्स मे मुझे थोड़ा बहुत इंग्लिश कि ग्रामर या स्पेलिंग मे कभी कभी मिस्टेक मिल जाती थी जो यक़ीनन समर गुप्ता ने लिखी या त्यार कि थी l
एक रोज बस युं ही बातो बातो मैंने समर को बोल दिया कि सर आप डाक्यूमेंट्स फेयर मत करा करो ,आप रफ़ वर्क ही मुझे दिया करो, मै उसको फेयर करके फिर एंट्री कर लिया करूंगी l
समर ने मुझे यूँ देखा जैसे मै एक एलियन हूँ
और गम्भीरता से पुछा.... क्यों ?
मै पहले थोड़ा झिझकी फिर मैंने बोल ही दिया
सर वो डाक्यूमेंट्स मे इंग्लिश स्पेलकिंग एरर आ जाते है कभी कभी l मै उसको ठीक कर दिया करूंगी
...
वो एक कहावत है ना कि किसी पागल को पागल मत बोलो वरना वो आपकी ले लेगा l
बस मेरा बोलना था कि समर के हावभाव एक एक बदल गए l
थोड़े सख्त शब्दो के साथ समर ने मुझे नवाज़ा “ऐसा है मिस अनिता मुझे मालूम है अपनी इंग्लिश ज्ञान के बारे मे, वर्क लोड मे अगर कोई एक आदः शब्द मे एरर आ जाता हो तो कुछ नहीं होता,
तुमसे अच्छी ही होंगी मेरी इंग्लिश l कुछ ऐसा ही कहा था समर ने मुझे, उसके सख्त रवैया मुझे बिलकुल पसंद नहीं आया l
खुद को कोसती मैं “जी सर “ बोलकर केबिन से बहार आ गई
बेवकूफ आदमी इंग्लिश खुद को नहीं आती और मुझे डांट रहा है