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BabuLove

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नमस्कार दोस्तों, ये मेरी पहली कहानी है. अभी तक मैं यहां सिर्फ पढ़ता रहा हूं. मेरी कहानी किसी न किसी के जीवन में आ सकती है या आई होगी. तो देर किस बात की आइए शुरू करते हैं.

कहानी के पात्र

सुधा चाची
अंकित भतीजा


अंकित एक 28 साल का जवान लड़का है जो प्राइवेट नौकरी करता है. अंकित की शादी अभी नहीं हुई है. अंकित के माता-पिता गांव में रहते हैं. अंकित अपने चाचा-चाची के साथ दिल्ली में रहता है. अंकित की चाची 40 साल की महिला हैं. उनके 2 बच्चे हैं, एक 22 साल का दूसरा 20 साल का. चाची की शादी बचपन में हो गयी थी वो बताती हैं कि जब वो 18 साल की थीं तभी शादी हो गयी थी.

सुधा चाची वैसे तो भतीजे अंकित के साथ बहुत घुलीमिली हैं लेकिन एक घटना ने उनको कई दिनों तक परेशान किया. तो कहानी उस दिन शुरू होती है जब घर के बाथरूम में पानी नहीं आ रहा होता है. लेकिन आंगन में जो नल था उसमें पानी आ रहा था. सुधा चाची सुबह-सुबह आंगन में ही नहा रहीं थी. दिल्ली में ज्यादातर लोग सुबह नहीं उठते हैं, लेकिन चाची हमेशा 5 बजे नहा लेती हैं.

चाची आंगन में नहां रहीं होती हैं और अपनी शरीर को मल-मल के मसाज करते हुए बेफीक्र होकर नहां रहीं थी. हां तो चाची के फिगर की भी बात कर लेते हैं. चाची भले ही 2 बच्चों की मां हैं लेकिन उनके शरीर की बनावट एकदम कसी हुई है. बुब्स बहुत बड़े नहीं हैं तो एकदम तने हुए रहते हैं. उनके दुध के निप्पल आज भी एक दम नुकीले टाइट रहते हैं. उनकी कमर भी 36 इंच की है.

अब हुआ यह की अंकित भी उस दिन सुबह जल्दी उठ गया और जैसे ही आंगन में आया चाची अपनी बॉडी को रगड़ रहीं थीं. अंकित को देखकर चाची हंसते हुए पुंछा कि आज बहुत जल्दी उठ गया. देख बाथरूम में पानी नहीं आ रहा है. मुझे बाहर नहाना पड़ रहा है.

अंकित बात सुनते हुए बाथरूम में पेशाब करने के लिए घुस गया, बाहर आया तो बाल्टी से पानी बाथरूम में डालते हुए चाची से कहने लगा रात में तो आ रहा था. क्या हो गया. चलिए कोई बात नहीं दिन में ठीक करवा लेंगे.

चाची अंकित को रोकते हुए बोलीं की अब आ ही गया है तो मेरे पीठ की मैल निकाल दें, मेरा हाथ नहीं पहुंचता है. अंकित थोड़ा सकुचाया लेकिन साबुन लेकर पीठ में लगाने लगा. साबुन लगाने के बाद अंकित पीठ को रगड़ने लगा. जैसे ही साबुन लगाकर रगड़ना चालू किया अंकित का लंड खड़ा होने लगा.

अंकित पहले तो संकोच कर रहा था लेकिन लंड जब खड़ा होने लगा तो अंकित चाची की गदराई पीठ पर दोनों हाथों से मसाज स्टाइल में रगड़ चालू कर दिया. कभी हांथ को सरकाते हुए चाची के बुब्स को छूता तो कभी हाथ को नीचे तक चुतड़ों तक ले जाता. ऐसा करते-करते लगभग 5 मिनट हो गये. तब चाची की आवाज उसके कानों में गुंजी हो गया अब रहने दे.

इतना सब कुछ होने के बाद अंकित का लंड तनकर मीनार बन गया था. अंकित वहां से जाने लगा तो चाची की नजर उसके लोवर की तरफ गयी. लेकिन चाची कुछ बोली नहीं. दिन में पलंबर आया और बाथरूम ठीक कर गया. लेकिन अगले दिन सुबहु फिर यही हुआ चाची बाथरूम में नहीं आंगन में नहां रहीं थी.

मैं उठा तो देखकर चौंक गया आज चाची सिर्फ साया में नहा रहीं थीं. मेरा माथा ठनका कि क्या आज भी नल खराब हो गया है, लेकिन जब बाथरूम में घुसा तो नल में पानी आ रहा था. पेशाब करके मैं बाहर आया तो चाची से बोला आज क्यों बाहर नहां रहे हैं तो बोलीं की यहां ठीक लग रहा था वैसे भी कोई सुबह उठता नहीं है.

मैं रूम की तरफ जाने लगा तो चाची ने रोका कि रूको कल की तरह की थोड़ी पीठ रगड़ दो जब आ ही गये हो तो. मैं कल की याद में खो गया. अब मेरा भी मन बहकने लगा था. चाची की पीठ आज पूरी तरह से साफ थी लेकिन रगड़ने का मौका मैं नहीं छोड़ना चाहता था.

साबुन उठाया और पीठ पर लगाने लगा. बहुत देर तक साबुन लगाने से बहुत छाग निकल आया था. मैं बोला चाची स्क्रबर से रगड़ दूं ठीक से मैल निकल जाएगा. चाची बोली हां रगड़ दे ना, जल्दी से तेरे चाचा न उठ जाएं....

मैं भी सोचा हां सही में चाचा उठकर देखेंगे तो क्या सोचेंगे. मैं जल्दी से स्क्रबर लाया और पीठ रगड़ने लगा. अब मैं चाची की पीठ गर्दन में स्क्रबर घूमा रहा हूं और मेरा लंड फनफना रहा है.

चाची ने चुप्पी तोड़ते हुए एक हाथ उपर उठाया और कहा मेरी कांख में भी बहुत मैल निकलता है. वहां भी स्क्रबर से रगड़ दे अंकित.....मेरे तो होश ही उठ रहे थे. चाची ने जैसे ही हाथ उठाया था साया जो हाथ के निचे दबा था वो और भी निचे की तरफ चला गया था. चाची के बुब्स अब आधे दिख रहे थे. चुची टाइट होने की वजह से साया चुची में अटका हुआ था.

अब मैं चाची के कांख में स्क्रबर घुमाते हुए चाची के बुब्स तक ले जा रहा था. चाची आंख बंदकरके रगड़वा रहीं थीं. मेरा लंड इस समय सातवें आसमान में था. तभी चाची बोली अब दूसरी तरफ कर दे. में दूसरी तरफ की कांख को रगड़ने लगा. चाची मेरे लंड को फनफनाता देख रहीं थीं या नहीं मैं नहीं देख पा रहा था क्योंकि वो आंख बंद की हुई थीं. कुछ देर रगड़ने के बाद चाची बोली अब रहने दे. चल तु अंदर मैं आती हूं तो चाय बनाती हूं.

इतना सब करने के बाद मेरा लंड अब बर्दास्त से बाहर हो रहा था. मैं बोला चाची में फ्रेस हो लेता हूं. इतना कहकर बाथरूम में घुसा और फटाफट लंड को हाथ से ही छटका देने लगा. लगभग 10 छटके में लंड का पानी बाहर निकल गया तब आराम मिला. ये करके मैं बाहर आया तो चाची नहां कर ब्रा पहन रहीं थी. मुझे देखकर वो न तो शर्मा रहीं थी न ही कुछ बोलीं मैं अंदर चला गया.

अब मैं सोच रहा था कि चल क्या रहा है चाची के मन में मुझे आगे बढ़ना चाहिए या और कुछ दिन इंतजार करना चाहिए.

अगले दिन कुछ ऐसा हुआ जो मेरी जिंदगी में बहुत बड़ा दिन था. क्योंकि आज तक मैं चाची को चाची ही समझता था लेकिन वो तो 40 साला माल निकल गईं. चाचा जी अगले दिन गांव जाने वाले थे, उनके साथ चाची और उनके बच्चे भी जाते थे. मैं सोच रहा था कि ये लोग गांव जाएंगे तो मैं अपने दोस्तों के साथ कुछ दिन मस्ती करूंगा. मस्ती वैसे नहीं लड़को वाली घर पर ही हम दोस्त कभी-कभी पार्टी कर लेते थे जब चाचा-चाची गांव जाते थे.

लेकिन अगली सुबह चाचा उठे तो बच्चों को बोला चलो तैयार हो जाओ. चाची को देखा तो वो किचन में चाय बना रही हैं, मैं चाची के पास गया बोला आप नहीं जा रहे हो क्या. वो बोली नहीं इस बार मैं नहीं जा रही हूं मेरी तबीयत ठीक नहीं लग रही है, गांव जाकर कहीं बीमार न हो जाउं. चाचा और बच्चे जा रहे हैं. मैं समझ गया चाची के दिमाग में कुछ न कुछ जरूर है.

चाचा बच्चों के साथ गांव के लिए निकल गये मैं भी 9 बजे तैयार होकर घर से निकल गया. शाम को 4 बजे आया तो चाची ने कहा खाना खाओगे या चाय पीना है. मैं बोला चाय पी लेता हूं. फिर रात में खाना खाएंगे. चाची चाय लेकर आईं तो बोली कि अंकित चाय पी लो फिर मार्केट चलकर कुछ सामन ले आते हैं.

हम चाय पीकर तैयार हो गये और मार्केट गये. घर के कुछ सामान खरिदने के बाद चाची कपड़े के दुकान पर गईं तो अपने लिए ब्रा-पैंटी लेने लगी. मैं बाहर ही रूकने लगा तो बोली अंदर चलो तुमको भी आगे चलकर खरीदना ही है.

मैं चाची के साथ अंदर गया तो चाची ने रेड और सफेद कलर की ब्रा और पैंटी ली और बोली चलो देर हो रही है. रात के 8 बज गये थे. हम घर आए तो चाची बोली तुम फ्रेश हो लो हम खाना बना लेते हैं. क्या खाओगे मैं बोला कुछ हल्का खा लेते हैं बहुत भूख नहीं लगी है. चाची भी बोली मेरा भी मन कम ही खाने का है तो खिचड़ी बना लेते हैं.

खिचड़ी बनी हम दोनों लोगों ने हाल में ही खाना खाया और टीवी देखने लगे. कुछ देर तक टीवी देखने के बाद चाची बोलीं मुझे नींद आ रही है अंकित तुम जब तक देखना हो देखो नहीं तो सोना होगा तो मेरे कमरे में ही आ जाना मुझे अकेले डर लगता है.

अब इतना सुनते ही मेरा लंड फिर से फनफना उठा. मैं सोचा आज तो मैं पक्का चाची को चोदने वाला हूं.

क्रमशः



NUDE-DESI-3-12
 
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Ek number

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नमस्कार दोस्तों, ये मेरी पहली कहानी है. अभी तक मैं यहां सिर्फ पढ़ता रहा हूं. मेरी कहानी किसी न किसी के जीवन में आ सकती है या आई होगी. तो देर किस बात की आइए शुरू करते हैं.

कहानी के पात्र

सुधा चाची
अंकित भतीजा


अंकित एक 28 साल का जवान लड़का है जो प्राइवेट नौकरी करता है. अंकित की शादी अभी नहीं हुई है. अंकित के माता-पिता गांव में रहते हैं. अंकित अपने चाचा-चाची के साथ दिल्ली में रहता है. अंकित की चाची 40 साल की महिला हैं. उनके 2 बच्चे हैं, एक 24 साल का दूसरा 20 साल का. चाची की शादी बचपन में हो गयी थी वो बताती हैं कि जब वो 16 साल की थीं तभी शादी हो गयी थी.

सुधा चाची वैसे तो भतीजे अंकित के साथ बहुत घुलीमिली हैं लेकिन एक घटना ने उनको कई दिनों तक परेशान किया. तो कहानी उस दिन शुरू होती है जब घर के बाथरूम में पानी नहीं आ रहा होता है. लेकिन आंगन में जो नल था उसमें पानी आ रहा था. सुधा चाची सुबह-सुबह आंगन में ही नहा रहीं थी. दिल्ली में ज्यादातर लोग सुबह नहीं उठते हैं, लेकिन चाची हमेशा 5 बजे नहा लेती हैं.

चाची आंगन में नहां रहीं होती हैं और अपनी शरीर को मल-मल के मसाज करते हुए बेफीक्र होकर नहां रहीं थी. हां तो चाची के फिगर की भी बात कर लेते हैं. चाची भले ही 2 बच्चों की मां हैं लेकिन उनके शरीर की बनावट एकदम कसी हुई है. बुब्स बहुत बड़े नहीं हैं तो एकदम तने हुए रहते हैं. उनके दुध के निप्पल आज भी एक दम नुकीले टाइट रहते हैं. उनकी कमर भी 36 इंच की है.

अब हुआ यह की अंकित भी उस दिन सुबह जल्दी उठ गया और जैसे ही आंगन में आया चाची अपनी बॉडी को रगड़ रहीं थीं. अंकित को देखकर चाची हंसते हुए पुंछा कि आज बहुत जल्दी उठ गया. देख बाथरूम में पानी नहीं आ रहा है. मुझे बाहर नहाना पड़ रहा है.

अंकित बात सुनते हुए बाथरूम में पेशाब करने के लिए घुस गया, बाहर आया तो बाल्टी से पानी बाथरूम में डालते हुए चाची से कहने लगा रात में तो आ रहा था. क्या हो गया. चलिए कोई बात नहीं दिन में ठीक करवा लेंगे.

चाची अंकित को रोकते हुए बोलीं की अब आ ही गया है तो मेरे पीठ की मैल निकाल दें, मेरा हाथ नहीं पहुंचता है. अंकित थोड़ा सकुचाया लेकिन साबुन लेकर पीठ में लगाने लगा. साबुन लगाने के बाद अंकित पीठ को रगड़ने लगा. जैसे ही साबुन लगाकर रगड़ना चालू किया अंकित का लंड खड़ा होने लगा.

अंकित पहले तो संकोच कर रहा था लेकिन लंड जब खड़ा होने लगा तो अंकित चाची की गदराई पीठ पर दोनों हाथों से मसाज स्टाइल में रगड़ चालू कर दिया. कभी हांथ को सरकाते हुए चाची के बुब्स को छूता तो कभी हाथ को नीचे तक चुतड़ों तक ले जाता. ऐसा करते-करते लगभग 5 मिनट हो गये. तब चाची की आवाज उसके कानों में गुंजी हो गया अब रहने दे.

इतना सब कुछ होने के बाद अंकित का लंड तनकर मीनार बन गया था. अंकित वहां से जाने लगा तो चाची की नजर उसके लोवर की तरफ गयी. लेकिन चाची कुछ बोली नहीं. दिन में पलंबर आया और बाथरूम ठीक कर गया. लेकिन अगले दिन सुबहु फिर यही हुआ चाची बाथरूम में नहीं आंगन में नहां रहीं थी. ....... क्रमशंः
Nice start
 

BabuLove

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चाची 40 साला - अपडेट -2

चाची अपने कमरे में चली गयी मैं अभी भी टीवी देखते हुए सपना देखने लगा. आज रात में क्या-क्या होगा, तभी चाची की कमरे से आवाज आई अंकित टीवी बंद कर दे आवाज से मुझे नींद नहीं आएगी तु भी आकर लेट जा सुबह उठना होगा.

मैं उठा टीवी बंद किया और चाची के कमरे में पहुंच गया. चाची बिस्तर में एक कोने की तरफ लेटी थीं. मैं जैसे अंदर पहुंचा चाची बोलीं लाइट बंद कर दे और लेट जा. देर रात तक जगना ठीक नहीं होता है. मैं बोला चाची मैं नीचे गद्दा डालकर सो जाऊं. चाची तेज से बोली पागल है क्या डबल बेड में क्या मैं तैरूंगी. इसी में लेट जा आराम से कोई परेशानी नहीं है.

ये तो मैं सिर्फ कहने के लिए बोल रहा था मुझे भी तो बिस्तर पर ही लेटना था. मैं लोवर की जगह आज चड्डा पहना हुआ था ऊपर पतली टीशर्ट अंदर की बनियान भी मैने उतार दी थी. मेरे लेटने के साथ चाची बोली ये नाइट बल्ब क्यों जलाया है. तुझे भी रात में डर लगता है क्या.? मैं बोला नहीं तो मुझे लगा आप जलाते होगे. चाची बोली तेरे चाचा जलाते हैं मुझे तो अंधेरे में नींद ठीक से आती है. बंद कर दे. मैं उठा तो नाइट बल्ब भी बंद कर दिया.

मैं अब सिर्फ लेटा ही नहीं था अंधेरे में चाची को देखने की कोशिश कर रहा था. हाल में लाइट जल रही थी तो कमरे में थोड़ी-थोड़ी रोशनी थी. चाची पहले करवट लेटी थीं फिर अचानक पलट कर बेड के बीचो-बीच आकर दोनों टांग फैलकर तेज सांस लेकर सोने लगीं. मुझे लगा चाची अब सो गईं हैं.

मैं भी करवट लेने के बहाने से चाची के थोड़ा पास सरक गया. चाची की खुशबू अब मैं महसुस कर सकता था. क्या मादक महक उनके कांख से आ रही थी. औरतों के कांख का पसीना भी इत्र जैसा महकता है. मैं उसे सुघते हुए कामुकता का आनंद ले रहा था. तभी चाची करवट लेते हुए मेरे पैरों पर अपना पैल लाद लीं. अब तो मुझे काटो तो खून नहीं. पूरा शरीर अचानक से झनझाना गया. कुछ पल तो मैं जैसा था वैसा ही पड़ा रहा.

चाची जब करवट लीं तो उनका सीना मेरे मुंह के पास और मेरा लंड उनके बुर के आस -पास था. अब मैं सोच ही रहा था कि क्या करूं तब से चाची फिर से पलटकर सीधी हो गईं. और अपनी पैर को मोड़कर खड़ा कर लिया ऐसा करते ही उनकी साड़ी घुटनों के नीचे आ गयी थी. उनकी दोनों टांगे दिख रहीं थीं.

अब मैने हिम्मत करके अपना एक हाथ चाची के पेट पर रख दिया. चाची जैसी थीं वैसी ही लेटी रहीं. मैं भी हाथ रखकर कुछ नहीं कर रहा था. मुझे डर भी लग रहा था क्योंकि चाची क्या रिएक्शन देंगी मुझे नहीं पता था. लेकिन मैं हाथ रखकर कुछ देर ऐसे ही पड़ा रहा. कुछ देर बाद चाची ने अपने पैर फैला लिए और घर्राटे जैसी आवाज निकालने लगीं. मैं समझ गया चाची नींद में आ गयी हैं.

अब मैं अपना एक पैर चाची के पैरों पर रखकर पैर से ही साड़ी को और ऊपर करने की कोशिश कर रहा था और हाथ को पेट पर ही रखे हुए था. कुछ देर ऐसा ही करता रहा तभी चाची फिर से मेरी तरफ पलटी और मेरे पैर को अपने दोनों पैरों के बीच में दबा लीं. अब मेरा हाथ चाची के कमर पर और पैर का गुठना चाची के बुर के पास पहुंच गया था. मेरा मुंह चाची के बुब्स के पास था. मैने पैर को थोड़ा और धक्का दिया तो बुर की झांट मेरे पैरों में लग रही थी. चाची अंदर पैंटी नहीं पहनी थीं. अब मैं कमर वाले हाथ को ऊपर की तरफ ले गया ब्लाऊज की तरफ मैं चाची की ब्रा की स्ट्रीप खोज रहा था लेकिन नहीं मिली, लगता है चाची ब्रा नहीं पहनी हैं सोच ही रहा था की चाची लंबी सांस लेते हुए मेरे पैर को और जकड़ लीं.

चाची की ऐसा करते ही मेरे गुठनों में बुर का पानी महसुस हुआ. मैं समझ गया चाची के बुर से पानी निकल रहा है. अब मैं अपने हाथ को और बढ़ाते हुए चाची से एकदम चीपक गया. चाची के बुब्बस में अपना पुरा मुंह दबाने लगा. पैर भी धीरे-धीरे चलाने लगा. चाची कुछ तेर कुछ नहीं की अचानक से फिर चीट लेट गयीं. अब मैं चाची के ब्लाऊज का हुक खोजने लगा. मैं समझ गया था चाची सोने का नाटक कर रही हैं.

ब्लाउज के हुक इतने आसानी से खुल गये जैसे पहले से ही इतना ढ़िला लगाया था कि आसानी से खुल जाएं अब मेरे सामने चाची के दोनों बड़े-बड़े दुध के निप्पल खड़े थे. मैं निप्पल पर अपने हाथ फेरने लगा. निप्पल एक दम टाइट हो गये थे. जैसे चाची कितनी गरम हो गयीं हों. एक हाथ से निप्पल पर दूसरा हाथ मैं अब चाची की बुर की तरफ बढ़ा दिया. मेरा हाथ जैसे ही झांटों के पास पहुंचा पुरा शरीर झनझनाने लगा. मैं कुछ देर झाटों को सहलाने के बाद बुर के छेद पर उंगली लगा दी. चाची ने दोनों टांग सटा दी तो मेरी उगली उसी में फंस गई.

अब मैं कुछ देर उसी अवस्था में पड़ा रहा. कुछ देर बाद चाची ने टांग ढ़ीला करते हुए फैला दिया. अब मैं धीरे से ऊपर उठकर चाची के बुब्स का निपल मुंह में ले लिया. कुछ देर धीरे धीरी जीफ से ही सहलाता रहा. चाची की सांस तेज होने लगी थी. मेरी भी हिम्मत बढ़ती जा रही थी. मैं अब दूसरे निप्पल को भी मुह में लेकर जीभ फेर रहा था. लेकिन चाची जस-की-तस सांस तेज करते हुए सोने का नाटक कर रहीं थी.

अब मैं सोचा क्यों ना चाची की बुर का रस पीया जाए. मैं धीरे से खीसककर चाची के दोनों टांगों के बीच में आकर बुर को पहले सुंघा फिर चाटने लगा. बुर में जैसे ही जीभ रखी चाची सी की आवाज की लेकिन ऐसे की जैसे मुझे पता न चले. मैं जैसे भूखा बछड़ा अपनी मां का दुध पीता है उस तरह से चाची की बुर पीने लगा. इतने में चाची का एक हाथ मेरे सर पर आ गया और धीरे-धीरे सहलाने लगी. मुझे तो जैसे स्वर्ग मिल गया हो मैं ताबड़तोड चाची की बुर में जीभ घुसाने लगा. चाची पहले धीरे-धीरे सर सहला रहीं थी फिर सर पकड़कर बुर में दबाने लगी. मैं ऐसे ही चाची की बुर को लगातार चाटे जा रहा था. चाची के बुर से पानी बहता जा रहा था. अब चाची के बर्दास्त से बाहर हो रहा था. चाची ने मेरा हाथ पकड़ा और अपने ऊपर खींच लिया.

मैं भी आसानी से चाची के ऊपर चढ़ गया. चाची ऊपर खींचकर मेरे होंठों को अपने होंठो में दबाकर चुसने लगीं. मैं भी चाची की बुब्स मसलने लगा. चाची मेरे होंठ ऐसे चुस रहीं थी जैसे कब से प्यासी थीं. चाची ने जब मेरा होंठ छोड़ा तो मैं उनके गर्दन पर जो से दांत गडंाते हुए उनके दांत से काटा चाची ने मुझे कसकर पकड़ा और धीरे से कान में बोला अब बर्दास्त नहीं हो रहा है अंकित. इतना सुनते ही मैं अपना चड्डा सरकाते हुए अपना लंड चाची के बुर के पास ले जाने लगा.

इतने में चाची ने हाथ से पकड़कर लंड को बुर के छेद में टीका दिया. मैं भी बहुत देर से तड़प रहा था. छट से धक्का मारा लंड बुर में गहरे उतर गया. चाची ने जोरे मुझे अपने बांहों में खींच लिया. बोली रूको मत मैं ताबड़तोड चाची को चोदने लगा. चाची भी गांड को ऊपर की तरफ झटका दे रहीं थी. मैं चाची को चोदे जा रहा था चाची बोले जा रहीं थी आह... आह... आह

चोदते हुए लगभग 7 मिनट हुएं होंगे की चाची अकड़ने लगी और मुझे अपने दोनों पैरों में जकड़न लगी. मैं समझ गया चाची अब झडने वाली हैं मैं और जोर जोर से धक्के मारने लगा. चाची की बुर से फच्च-फच्च की आवाज आने लगी थी. चाची का पानी मेरे लंड को और गर्मी दे रहा था में लगातार पेले जा रहा था. चाची आह.... आह मैं मर गयी कहके निडाल हो गयीं मैं लगातार चोदे जा रहा था. कुछ देर में चाची ने जोरे से मुझे पैरों से कसा और बुर भी टाइट लगने लगी. मैं और जोर से पेलने लगा. चाची बोली रूकना मत मेरे बच्चे. आह आह और जोर आह और जोर आह और जोर अब मैं पुरे सबाब से चोद रहा था मेरा लंड अब अकड़ने लगा था. चाची भी दोबारा झड़ने वाली थीं. बोली अंकित और तेज और तेज आह आह मेरे बच्चे और जोर इतने में चाची बोली मैं मर गयीं इतने में दो घक्के बाद मेरे लंड से भी पानी की बौझार होने लगी. बुर के अंदर एकदम रसधार बह रही थी मैं चाची के ऊपर लेट गया चाची ने मुझे कसकर पकड़ लिया. बोलीं मेरा बेटा. और गाल में चुम्मा लेकर निड़ाल हो गयीं.
 

pylode

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Bohut hee achhe likhe ho, mere dost! Kya majedaar tarike se har ragdai, chusai, chudai ka varnan kiya hai!
Abhi aage bohut kuch story ko badhana hai. Aakhir chachi ke thagde bache bhi tho apna hissa mangenge!

pylode
 

BabuLove

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Bohut hee achhe likhe ho, mere dost! Kya majedaar tarike se har ragdai, chusai, chudai ka varnan kiya hai!
Abhi aage bohut kuch story ko badhana hai. Aakhir chachi ke thagde bache bhi tho apna hissa mangenge!

pylode
thanks dost
 
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