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नमस्कार दोस्तों, ये मेरी पहली कहानी है. अभी तक मैं यहां सिर्फ पढ़ता रहा हूं. मेरी कहानी किसी न किसी के जीवन में आ सकती है या आई होगी. तो देर किस बात की आइए शुरू करते हैं.
कहानी के पात्र
सुधा चाची
अंकित भतीजा
अंकित एक 28 साल का जवान लड़का है जो प्राइवेट नौकरी करता है. अंकित की शादी अभी नहीं हुई है. अंकित के माता-पिता गांव में रहते हैं. अंकित अपने चाचा-चाची के साथ दिल्ली में रहता है. अंकित की चाची 40 साल की महिला हैं. उनके 2 बच्चे हैं, एक 22 साल का दूसरा 20 साल का. चाची की शादी बचपन में हो गयी थी वो बताती हैं कि जब वो 18 साल की थीं तभी शादी हो गयी थी.
सुधा चाची वैसे तो भतीजे अंकित के साथ बहुत घुलीमिली हैं लेकिन एक घटना ने उनको कई दिनों तक परेशान किया. तो कहानी उस दिन शुरू होती है जब घर के बाथरूम में पानी नहीं आ रहा होता है. लेकिन आंगन में जो नल था उसमें पानी आ रहा था. सुधा चाची सुबह-सुबह आंगन में ही नहा रहीं थी. दिल्ली में ज्यादातर लोग सुबह नहीं उठते हैं, लेकिन चाची हमेशा 5 बजे नहा लेती हैं.
चाची आंगन में नहां रहीं होती हैं और अपनी शरीर को मल-मल के मसाज करते हुए बेफीक्र होकर नहां रहीं थी. हां तो चाची के फिगर की भी बात कर लेते हैं. चाची भले ही 2 बच्चों की मां हैं लेकिन उनके शरीर की बनावट एकदम कसी हुई है. बुब्स बहुत बड़े नहीं हैं तो एकदम तने हुए रहते हैं. उनके दुध के निप्पल आज भी एक दम नुकीले टाइट रहते हैं. उनकी कमर भी 36 इंच की है.
अब हुआ यह की अंकित भी उस दिन सुबह जल्दी उठ गया और जैसे ही आंगन में आया चाची अपनी बॉडी को रगड़ रहीं थीं. अंकित को देखकर चाची हंसते हुए पुंछा कि आज बहुत जल्दी उठ गया. देख बाथरूम में पानी नहीं आ रहा है. मुझे बाहर नहाना पड़ रहा है.
अंकित बात सुनते हुए बाथरूम में पेशाब करने के लिए घुस गया, बाहर आया तो बाल्टी से पानी बाथरूम में डालते हुए चाची से कहने लगा रात में तो आ रहा था. क्या हो गया. चलिए कोई बात नहीं दिन में ठीक करवा लेंगे.
चाची अंकित को रोकते हुए बोलीं की अब आ ही गया है तो मेरे पीठ की मैल निकाल दें, मेरा हाथ नहीं पहुंचता है. अंकित थोड़ा सकुचाया लेकिन साबुन लेकर पीठ में लगाने लगा. साबुन लगाने के बाद अंकित पीठ को रगड़ने लगा. जैसे ही साबुन लगाकर रगड़ना चालू किया अंकित का लंड खड़ा होने लगा.
अंकित पहले तो संकोच कर रहा था लेकिन लंड जब खड़ा होने लगा तो अंकित चाची की गदराई पीठ पर दोनों हाथों से मसाज स्टाइल में रगड़ चालू कर दिया. कभी हांथ को सरकाते हुए चाची के बुब्स को छूता तो कभी हाथ को नीचे तक चुतड़ों तक ले जाता. ऐसा करते-करते लगभग 5 मिनट हो गये. तब चाची की आवाज उसके कानों में गुंजी हो गया अब रहने दे.
इतना सब कुछ होने के बाद अंकित का लंड तनकर मीनार बन गया था. अंकित वहां से जाने लगा तो चाची की नजर उसके लोवर की तरफ गयी. लेकिन चाची कुछ बोली नहीं. दिन में पलंबर आया और बाथरूम ठीक कर गया. लेकिन अगले दिन सुबहु फिर यही हुआ चाची बाथरूम में नहीं आंगन में नहां रहीं थी.
मैं उठा तो देखकर चौंक गया आज चाची सिर्फ साया में नहा रहीं थीं. मेरा माथा ठनका कि क्या आज भी नल खराब हो गया है, लेकिन जब बाथरूम में घुसा तो नल में पानी आ रहा था. पेशाब करके मैं बाहर आया तो चाची से बोला आज क्यों बाहर नहां रहे हैं तो बोलीं की यहां ठीक लग रहा था वैसे भी कोई सुबह उठता नहीं है.
मैं रूम की तरफ जाने लगा तो चाची ने रोका कि रूको कल की तरह की थोड़ी पीठ रगड़ दो जब आ ही गये हो तो. मैं कल की याद में खो गया. अब मेरा भी मन बहकने लगा था. चाची की पीठ आज पूरी तरह से साफ थी लेकिन रगड़ने का मौका मैं नहीं छोड़ना चाहता था.
साबुन उठाया और पीठ पर लगाने लगा. बहुत देर तक साबुन लगाने से बहुत छाग निकल आया था. मैं बोला चाची स्क्रबर से रगड़ दूं ठीक से मैल निकल जाएगा. चाची बोली हां रगड़ दे ना, जल्दी से तेरे चाचा न उठ जाएं....
मैं भी सोचा हां सही में चाचा उठकर देखेंगे तो क्या सोचेंगे. मैं जल्दी से स्क्रबर लाया और पीठ रगड़ने लगा. अब मैं चाची की पीठ गर्दन में स्क्रबर घूमा रहा हूं और मेरा लंड फनफना रहा है.
चाची ने चुप्पी तोड़ते हुए एक हाथ उपर उठाया और कहा मेरी कांख में भी बहुत मैल निकलता है. वहां भी स्क्रबर से रगड़ दे अंकित.....मेरे तो होश ही उठ रहे थे. चाची ने जैसे ही हाथ उठाया था साया जो हाथ के निचे दबा था वो और भी निचे की तरफ चला गया था. चाची के बुब्स अब आधे दिख रहे थे. चुची टाइट होने की वजह से साया चुची में अटका हुआ था.
अब मैं चाची के कांख में स्क्रबर घुमाते हुए चाची के बुब्स तक ले जा रहा था. चाची आंख बंदकरके रगड़वा रहीं थीं. मेरा लंड इस समय सातवें आसमान में था. तभी चाची बोली अब दूसरी तरफ कर दे. में दूसरी तरफ की कांख को रगड़ने लगा. चाची मेरे लंड को फनफनाता देख रहीं थीं या नहीं मैं नहीं देख पा रहा था क्योंकि वो आंख बंद की हुई थीं. कुछ देर रगड़ने के बाद चाची बोली अब रहने दे. चल तु अंदर मैं आती हूं तो चाय बनाती हूं.
इतना सब करने के बाद मेरा लंड अब बर्दास्त से बाहर हो रहा था. मैं बोला चाची में फ्रेस हो लेता हूं. इतना कहकर बाथरूम में घुसा और फटाफट लंड को हाथ से ही छटका देने लगा. लगभग 10 छटके में लंड का पानी बाहर निकल गया तब आराम मिला. ये करके मैं बाहर आया तो चाची नहां कर ब्रा पहन रहीं थी. मुझे देखकर वो न तो शर्मा रहीं थी न ही कुछ बोलीं मैं अंदर चला गया.
अब मैं सोच रहा था कि चल क्या रहा है चाची के मन में मुझे आगे बढ़ना चाहिए या और कुछ दिन इंतजार करना चाहिए.
अगले दिन कुछ ऐसा हुआ जो मेरी जिंदगी में बहुत बड़ा दिन था. क्योंकि आज तक मैं चाची को चाची ही समझता था लेकिन वो तो 40 साला माल निकल गईं. चाचा जी अगले दिन गांव जाने वाले थे, उनके साथ चाची और उनके बच्चे भी जाते थे. मैं सोच रहा था कि ये लोग गांव जाएंगे तो मैं अपने दोस्तों के साथ कुछ दिन मस्ती करूंगा. मस्ती वैसे नहीं लड़को वाली घर पर ही हम दोस्त कभी-कभी पार्टी कर लेते थे जब चाचा-चाची गांव जाते थे.
लेकिन अगली सुबह चाचा उठे तो बच्चों को बोला चलो तैयार हो जाओ. चाची को देखा तो वो किचन में चाय बना रही हैं, मैं चाची के पास गया बोला आप नहीं जा रहे हो क्या. वो बोली नहीं इस बार मैं नहीं जा रही हूं मेरी तबीयत ठीक नहीं लग रही है, गांव जाकर कहीं बीमार न हो जाउं. चाचा और बच्चे जा रहे हैं. मैं समझ गया चाची के दिमाग में कुछ न कुछ जरूर है.
चाचा बच्चों के साथ गांव के लिए निकल गये मैं भी 9 बजे तैयार होकर घर से निकल गया. शाम को 4 बजे आया तो चाची ने कहा खाना खाओगे या चाय पीना है. मैं बोला चाय पी लेता हूं. फिर रात में खाना खाएंगे. चाची चाय लेकर आईं तो बोली कि अंकित चाय पी लो फिर मार्केट चलकर कुछ सामन ले आते हैं.
हम चाय पीकर तैयार हो गये और मार्केट गये. घर के कुछ सामान खरिदने के बाद चाची कपड़े के दुकान पर गईं तो अपने लिए ब्रा-पैंटी लेने लगी. मैं बाहर ही रूकने लगा तो बोली अंदर चलो तुमको भी आगे चलकर खरीदना ही है.
मैं चाची के साथ अंदर गया तो चाची ने रेड और सफेद कलर की ब्रा और पैंटी ली और बोली चलो देर हो रही है. रात के 8 बज गये थे. हम घर आए तो चाची बोली तुम फ्रेश हो लो हम खाना बना लेते हैं. क्या खाओगे मैं बोला कुछ हल्का खा लेते हैं बहुत भूख नहीं लगी है. चाची भी बोली मेरा भी मन कम ही खाने का है तो खिचड़ी बना लेते हैं.
खिचड़ी बनी हम दोनों लोगों ने हाल में ही खाना खाया और टीवी देखने लगे. कुछ देर तक टीवी देखने के बाद चाची बोलीं मुझे नींद आ रही है अंकित तुम जब तक देखना हो देखो नहीं तो सोना होगा तो मेरे कमरे में ही आ जाना मुझे अकेले डर लगता है.
अब इतना सुनते ही मेरा लंड फिर से फनफना उठा. मैं सोचा आज तो मैं पक्का चाची को चोदने वाला हूं.
क्रमशः
कहानी के पात्र
सुधा चाची
अंकित भतीजा
अंकित एक 28 साल का जवान लड़का है जो प्राइवेट नौकरी करता है. अंकित की शादी अभी नहीं हुई है. अंकित के माता-पिता गांव में रहते हैं. अंकित अपने चाचा-चाची के साथ दिल्ली में रहता है. अंकित की चाची 40 साल की महिला हैं. उनके 2 बच्चे हैं, एक 22 साल का दूसरा 20 साल का. चाची की शादी बचपन में हो गयी थी वो बताती हैं कि जब वो 18 साल की थीं तभी शादी हो गयी थी.
सुधा चाची वैसे तो भतीजे अंकित के साथ बहुत घुलीमिली हैं लेकिन एक घटना ने उनको कई दिनों तक परेशान किया. तो कहानी उस दिन शुरू होती है जब घर के बाथरूम में पानी नहीं आ रहा होता है. लेकिन आंगन में जो नल था उसमें पानी आ रहा था. सुधा चाची सुबह-सुबह आंगन में ही नहा रहीं थी. दिल्ली में ज्यादातर लोग सुबह नहीं उठते हैं, लेकिन चाची हमेशा 5 बजे नहा लेती हैं.
चाची आंगन में नहां रहीं होती हैं और अपनी शरीर को मल-मल के मसाज करते हुए बेफीक्र होकर नहां रहीं थी. हां तो चाची के फिगर की भी बात कर लेते हैं. चाची भले ही 2 बच्चों की मां हैं लेकिन उनके शरीर की बनावट एकदम कसी हुई है. बुब्स बहुत बड़े नहीं हैं तो एकदम तने हुए रहते हैं. उनके दुध के निप्पल आज भी एक दम नुकीले टाइट रहते हैं. उनकी कमर भी 36 इंच की है.
अब हुआ यह की अंकित भी उस दिन सुबह जल्दी उठ गया और जैसे ही आंगन में आया चाची अपनी बॉडी को रगड़ रहीं थीं. अंकित को देखकर चाची हंसते हुए पुंछा कि आज बहुत जल्दी उठ गया. देख बाथरूम में पानी नहीं आ रहा है. मुझे बाहर नहाना पड़ रहा है.
अंकित बात सुनते हुए बाथरूम में पेशाब करने के लिए घुस गया, बाहर आया तो बाल्टी से पानी बाथरूम में डालते हुए चाची से कहने लगा रात में तो आ रहा था. क्या हो गया. चलिए कोई बात नहीं दिन में ठीक करवा लेंगे.
चाची अंकित को रोकते हुए बोलीं की अब आ ही गया है तो मेरे पीठ की मैल निकाल दें, मेरा हाथ नहीं पहुंचता है. अंकित थोड़ा सकुचाया लेकिन साबुन लेकर पीठ में लगाने लगा. साबुन लगाने के बाद अंकित पीठ को रगड़ने लगा. जैसे ही साबुन लगाकर रगड़ना चालू किया अंकित का लंड खड़ा होने लगा.
अंकित पहले तो संकोच कर रहा था लेकिन लंड जब खड़ा होने लगा तो अंकित चाची की गदराई पीठ पर दोनों हाथों से मसाज स्टाइल में रगड़ चालू कर दिया. कभी हांथ को सरकाते हुए चाची के बुब्स को छूता तो कभी हाथ को नीचे तक चुतड़ों तक ले जाता. ऐसा करते-करते लगभग 5 मिनट हो गये. तब चाची की आवाज उसके कानों में गुंजी हो गया अब रहने दे.
इतना सब कुछ होने के बाद अंकित का लंड तनकर मीनार बन गया था. अंकित वहां से जाने लगा तो चाची की नजर उसके लोवर की तरफ गयी. लेकिन चाची कुछ बोली नहीं. दिन में पलंबर आया और बाथरूम ठीक कर गया. लेकिन अगले दिन सुबहु फिर यही हुआ चाची बाथरूम में नहीं आंगन में नहां रहीं थी.
मैं उठा तो देखकर चौंक गया आज चाची सिर्फ साया में नहा रहीं थीं. मेरा माथा ठनका कि क्या आज भी नल खराब हो गया है, लेकिन जब बाथरूम में घुसा तो नल में पानी आ रहा था. पेशाब करके मैं बाहर आया तो चाची से बोला आज क्यों बाहर नहां रहे हैं तो बोलीं की यहां ठीक लग रहा था वैसे भी कोई सुबह उठता नहीं है.
मैं रूम की तरफ जाने लगा तो चाची ने रोका कि रूको कल की तरह की थोड़ी पीठ रगड़ दो जब आ ही गये हो तो. मैं कल की याद में खो गया. अब मेरा भी मन बहकने लगा था. चाची की पीठ आज पूरी तरह से साफ थी लेकिन रगड़ने का मौका मैं नहीं छोड़ना चाहता था.
साबुन उठाया और पीठ पर लगाने लगा. बहुत देर तक साबुन लगाने से बहुत छाग निकल आया था. मैं बोला चाची स्क्रबर से रगड़ दूं ठीक से मैल निकल जाएगा. चाची बोली हां रगड़ दे ना, जल्दी से तेरे चाचा न उठ जाएं....
मैं भी सोचा हां सही में चाचा उठकर देखेंगे तो क्या सोचेंगे. मैं जल्दी से स्क्रबर लाया और पीठ रगड़ने लगा. अब मैं चाची की पीठ गर्दन में स्क्रबर घूमा रहा हूं और मेरा लंड फनफना रहा है.
चाची ने चुप्पी तोड़ते हुए एक हाथ उपर उठाया और कहा मेरी कांख में भी बहुत मैल निकलता है. वहां भी स्क्रबर से रगड़ दे अंकित.....मेरे तो होश ही उठ रहे थे. चाची ने जैसे ही हाथ उठाया था साया जो हाथ के निचे दबा था वो और भी निचे की तरफ चला गया था. चाची के बुब्स अब आधे दिख रहे थे. चुची टाइट होने की वजह से साया चुची में अटका हुआ था.
अब मैं चाची के कांख में स्क्रबर घुमाते हुए चाची के बुब्स तक ले जा रहा था. चाची आंख बंदकरके रगड़वा रहीं थीं. मेरा लंड इस समय सातवें आसमान में था. तभी चाची बोली अब दूसरी तरफ कर दे. में दूसरी तरफ की कांख को रगड़ने लगा. चाची मेरे लंड को फनफनाता देख रहीं थीं या नहीं मैं नहीं देख पा रहा था क्योंकि वो आंख बंद की हुई थीं. कुछ देर रगड़ने के बाद चाची बोली अब रहने दे. चल तु अंदर मैं आती हूं तो चाय बनाती हूं.
इतना सब करने के बाद मेरा लंड अब बर्दास्त से बाहर हो रहा था. मैं बोला चाची में फ्रेस हो लेता हूं. इतना कहकर बाथरूम में घुसा और फटाफट लंड को हाथ से ही छटका देने लगा. लगभग 10 छटके में लंड का पानी बाहर निकल गया तब आराम मिला. ये करके मैं बाहर आया तो चाची नहां कर ब्रा पहन रहीं थी. मुझे देखकर वो न तो शर्मा रहीं थी न ही कुछ बोलीं मैं अंदर चला गया.
अब मैं सोच रहा था कि चल क्या रहा है चाची के मन में मुझे आगे बढ़ना चाहिए या और कुछ दिन इंतजार करना चाहिए.
अगले दिन कुछ ऐसा हुआ जो मेरी जिंदगी में बहुत बड़ा दिन था. क्योंकि आज तक मैं चाची को चाची ही समझता था लेकिन वो तो 40 साला माल निकल गईं. चाचा जी अगले दिन गांव जाने वाले थे, उनके साथ चाची और उनके बच्चे भी जाते थे. मैं सोच रहा था कि ये लोग गांव जाएंगे तो मैं अपने दोस्तों के साथ कुछ दिन मस्ती करूंगा. मस्ती वैसे नहीं लड़को वाली घर पर ही हम दोस्त कभी-कभी पार्टी कर लेते थे जब चाचा-चाची गांव जाते थे.
लेकिन अगली सुबह चाचा उठे तो बच्चों को बोला चलो तैयार हो जाओ. चाची को देखा तो वो किचन में चाय बना रही हैं, मैं चाची के पास गया बोला आप नहीं जा रहे हो क्या. वो बोली नहीं इस बार मैं नहीं जा रही हूं मेरी तबीयत ठीक नहीं लग रही है, गांव जाकर कहीं बीमार न हो जाउं. चाचा और बच्चे जा रहे हैं. मैं समझ गया चाची के दिमाग में कुछ न कुछ जरूर है.
चाचा बच्चों के साथ गांव के लिए निकल गये मैं भी 9 बजे तैयार होकर घर से निकल गया. शाम को 4 बजे आया तो चाची ने कहा खाना खाओगे या चाय पीना है. मैं बोला चाय पी लेता हूं. फिर रात में खाना खाएंगे. चाची चाय लेकर आईं तो बोली कि अंकित चाय पी लो फिर मार्केट चलकर कुछ सामन ले आते हैं.
हम चाय पीकर तैयार हो गये और मार्केट गये. घर के कुछ सामान खरिदने के बाद चाची कपड़े के दुकान पर गईं तो अपने लिए ब्रा-पैंटी लेने लगी. मैं बाहर ही रूकने लगा तो बोली अंदर चलो तुमको भी आगे चलकर खरीदना ही है.
मैं चाची के साथ अंदर गया तो चाची ने रेड और सफेद कलर की ब्रा और पैंटी ली और बोली चलो देर हो रही है. रात के 8 बज गये थे. हम घर आए तो चाची बोली तुम फ्रेश हो लो हम खाना बना लेते हैं. क्या खाओगे मैं बोला कुछ हल्का खा लेते हैं बहुत भूख नहीं लगी है. चाची भी बोली मेरा भी मन कम ही खाने का है तो खिचड़ी बना लेते हैं.
खिचड़ी बनी हम दोनों लोगों ने हाल में ही खाना खाया और टीवी देखने लगे. कुछ देर तक टीवी देखने के बाद चाची बोलीं मुझे नींद आ रही है अंकित तुम जब तक देखना हो देखो नहीं तो सोना होगा तो मेरे कमरे में ही आ जाना मुझे अकेले डर लगता है.
अब इतना सुनते ही मेरा लंड फिर से फनफना उठा. मैं सोचा आज तो मैं पक्का चाची को चोदने वाला हूं.
क्रमशः
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