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Incest चाहत

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kamdev99008

FoX - Federation of Xossipians
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सस्पेन्स तो नही पर एंटरटेनमेंट जरूर मिलेगा आपके मतलब का।
Mujhe to real chudai karne ke alawa sab chudai....Chahe sex chat ho ya chudai kahani....Sab bakchodi hi lagte hain

Isiliye thrill, suspense aur romance ki kahaniyan padhta hu
 

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Bhai aab female character bhi to Lao kahani mein. Mast kahani Ko aur mast banao.
 

gOlDy

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UPDATE - 7

मैंने फरहान को ऐसे ही अपने सीने पर सिर रखने को बोला और 5-6 मिनट बाद मेरा लण्ड फिर से अपने पूरे जोबन पर आ चुका था। इसके बाद मैंने एक बार फिर उसकी चुदाई की और ये हमारी चुदाई में से अब तक की सबसे बेहतरीन चुदाई थी।

फरहान बिल्कुल लड़की लग रहा था और अब मैं जान चुका था कि मुझे चुदाई के लिए लड़की मिल गई है.. क्योंकि अब मैं लड़के को चोदने से बेजार हो चुका था और कुछ नया चाहता था।

अब यहाँ कहानी के इस मोड़ पर आकर इस बात की जरूरत है कि मैं अपनी आपी के बारे में चंद बातें खुलासा कर दूँ।

मेरी आपी जिनका नाम रूही है.. वो मुझसे 4 साल बड़ी हैं। वो बहुत ही पाकीज़ा सी हस्ती हैं।
आपी पर्दे की बहुत सख़्त पाबंद हैं.. घर से बाहर निकलती हों.. तो मुक्कमल तौर नक़ाब लगा के.. हाथों पर ब्लैक दस्ताने.. पाँवों में ब्लैक मोज़े.. और आँखों पर काला चश्मा लगाती हैं.. यानि कि उनके जिस्म का कोई हिस्सा तो बहुत दूर की बात एक बाल भी नहीं नज़र आता है।

घर में भी उनके सिर पर हर वक़्त स्कार्फ बँधा होता है.. जैसे नमाज़ पढ़ते वक़्त.. औरतें बाँधा करती हैं। उनका सिर्फ़ चेहरा ही नज़र आता है.. बाल.. माथा और कान भी स्कार्फ में छुपे होते हैं।

मेरी यह बहन हर किसी का ख़याल रखने वाली.. सबके लिए दिल में दर्द रखने वाली.. नरम मिज़ाज की हैं। उनकी शख्सियत में नफ़ासत बहुत ज्यादा है.. उनसे कहीं हल्की सी गंदगी भी बर्दाश्त नहीं होती।
बेहद साफ़ चेहरा और उनका गुलाबी रंग उनको बहुत पुरनूर और उनका लिबास उनकी शख्सियत को मज़ीद नफीस बना देता है।

हमारी छोटी बहन का नाम नूर-उल-आई है.. जो फरहान की हम उम्र और जुड़वां है।
हम सब प्यार से उसे हनी कहते हैं..
बाक़ी तफ़सील उस वक़्त बताऊँगा.. जब हमारी कहानी में हनी की एंट्री होगी।

मुझे और फरहान को चुदाई का खेल खेलते लगभग 3 महीने हो गए थे। हम लण्ड चूसते थे.. गाण्ड चाटा करते थे.. चुदाई की तकरीबन सभी पोज़िशन्स को हम लोग आज़मा चुके थे।

एक रात मैं बहुत ज्यादा गरम हो रहा था.. तो मैंने फरहान से कहा- तू आज फिर से लड़की बन जा।
उसने कहा- भाई ये नहीं हो सकता.. सबके सब घर में हैं.. हम बहनों के कमरे में से उनके ड्रेस नहीं ला सकते..
मैंने उससे कहा- जब सब खाना खा रहे हों.. तो तुम उस वक़्त बहनों के कमरे में चले जाना और कपड़े छुपा लाना..

उसने ऐसा ही किया और खाना खाने के बाद जब हम अपने कमरे में दाखिल हुए तो बहुत एग्ज़ाइटेड हो रहे थे।

मैं अपने कपड़े उतारने लगा और फरहान चेंज करने के लिए बाथरूम में चला गया। फरहान बाथरूम से बाहर आया.. तो उसने सिर्फ़ एक क़मीज़ पहन रखी थी, यह पिंक क़मीज़ पर्पल लाइनिंग के साथ थी.. और वो क़मीज़ हनी की थी।

मैंने उसे किस करना शुरू किया और कुछ ही लम्हों बाद वो मेरी टाँगों के दरमियान बैठा था और मेरा लण्ड जड़ तक उसके मुँह में था।
वो पागलों की तरह मेरे लण्ड को चूसे जा रहा था।

आज बहुत दिन बाद मुझे इतना मज़ा आ रहा था। मैं उठा और अपने हाथों को पीछे की तरफ बिस्तर पर टिका कर बैठ गया, मेरी आँखें बंद हो चुकी थीं।
फरहान बहुत स्पीड से मेरे लण्ड को अपने मुँह में अन्दर-बाहर कर रहा था और मैं मज़े की आखिरी हदों को छू रहा था। मेरा सिर पीछे की तरफ ढुलक चुका था, मुझे महसूस हो रहा था कि कुछ ही सेकेंड्स में मेरा लण्ड पानी छोड़ देगा।

मेरे लण्ड का जूस निकलने ही वाला था कि एक आवाज़ बम बन कर मेरी शामत से टकराई ‘या मेरे खुदा.. ये तुम दोनों क्या कर रहे हो..!?!’

मेरी तो तकरीबन हवा निकलने वाली हो गई जब मैंने दरवाज़े में रूही आपी को खड़ा देखा।
उनकी आँखें फटी हुई थीं और मुँह खुला हुआ था।

वो शॉक की हालत में खड़ी थीं.. और उनका चेहरा काले स्कार्फ में लाल सुर्ख हो रहा था।
मुझे नहीं पता ये उस माहौल की टेन्शन थी.. या कुछ और..

तभी फरहान ने मेरे लण्ड को अपने मुँह से निकाला ही था और उसका चेहरा मेरे लण्ड के पास ही था.. इसलिए अचानक मेरे लण्ड ने पिचकारी मारनी शुरू कर दी और मेरे लण्ड का वाइट पानी फरहान के पूरे चेहरे पर चिपकता चला गया।

मेरे मुँह से घुटी-घुटी सी सिसकारियाँ भी निकली थीं.. जो तक़लीफ़, मज़े और डर की मिली-जुली कैफियत की नुमायश कर रही थीं।

मेरी सग़ी बहन.. मेरी रूही आपी की नजरें मेरे लण्ड की नोक से निकलते वाइट लावे पर जमी थीं।
इसके बाद मैं फ़ौरन सीधा हो कर बैठा और मैंने बिस्तर की चादर को अपने जिस्म के साथ लपेट लिया।

फरहान भी फ़ौरन बेडशीट में छुपने के कोशिश कर रहा था.. उसकी पोजीशन ज्यादा ऑक्वर्ड थी.. क्योंकि रूही आपी ने जब देखा था.. तो वो मेरी टाँगों के दरमियान बैठा था और मेरा लण्ड उसके मुँह में था और सोने पर सुहागा उसने कपड़े भी लड़कियों वाले पहन रखे थे।

‘ये क्या गन्दगी है.. और तुमने कपड़े… ये हनी की क़मीज़ पहन रखी है ना तुमने..??’
रूही आपी अपनी कमर पर दरवाज़ा बंद करते हुए इन्तेहाई गुस्से से बोलीं।

हमारी हालत ऐसी थी कि काटो तो बदन में लहू नहीं.. हमारा खून खुश्क हो चुका था।

‘सगीर तुम्हें शरम आनी चाहिए.. बड़ा भाई होने के नाते तुम इस तरह रोल मॉडल बन रहे हो… छोटे भाई के साथ ऐसी गंदी हरकतें करके… छी:.. मैं सोच भी नहीं सकती थी कि तुम ऐसा करोगे।’

वो इसी तरह थोड़ी देर हम दोनों पर चिल्लाती रहीं, उनका चेहरा गुस्से की शिद्दत से लाल हो रहा था।

मैंने थोड़ा सा उठ कर अपने कपड़ों के तरफ हाथ बढ़ाया तो रूही आपी ने चिल्ला कर कहा- वहीं बैठे रहो.. मज़ीद कमीनगी मत दिखाओ.. मेरी बातों को इग्नोर करके..
उनके हाथ-पाँव गुस्से की वजह से काँपने लगे।
कुछ देर वो अपनी हालत पर क़ाबू पाने के लिए वहीं खड़ी रहीं।

शायद वो हमें मज़ीद लेक्चर देना चाहती थीं.. इसलिए उन्होंने सोफे की तरफ क़दम बढ़ाए ही थे कि उनकी नज़र कंप्यूटर स्क्रीन पर पड़ी जहाँ पहले से ही ट्रिपल एक्स मूवी चल रही थी और एक ब्लैक लड़का एक अंग्रेज गोरी लड़की को डॉगी स्टाइल में चोद रहा था और उसका स्याह काला लण्ड उस लड़की की पिंक चूत में अन्दर-बाहर होता साफ दिख रहा था।

रूही आपी ने चेहरा हमारी तरफ मोड़ा और कहा- तो ऐसी नीच और घटिया फिल्म देख-देख कर तुम लोगों का दिमाग खराब हुआ है हाँ..!”

आपी ने हमें ये बोला और अपना रुख़ मोड़ कर कंप्यूटर के तरफ चल दीं।

रूही आपी अभी कंप्यूटर से चंद क़दम के फ़ासले पर ही थीं कि मूवी में लड़के ने अपना लण्ड लड़की की चूत से निकाला।

उसका लण्ड तकरीबन 10 इंच लंबा होगा और लड़की फ़ौरन मुड़ कर लड़के की टाँगों के दरमियान बैठ गई और खड़े लण्ड को पकड़ के अपने खुले हुए मुँह के पास लाई और फ़ौरन ही उसके डार्क ब्लैक लण्ड से वाइट जूस निकलने लगा.. जो कि लड़की अपने मुँह में भरने लगी।

पता नहीं यह हक़ीक़त थी या मुझे ऐसा लगा जैसे रूही आपी के बढ़ते क़दम इस सीन को देख कर एक लम्हें के लिए रुक से गए थे। उनकी नजरें स्क्रीन पर ही जमी थीं।
जब उन्होंने आगे बढ़ कर कंप्यूटर को ऑफ किया.. तो उस वक़्त तक मूवी वाली लड़की ब्लैक आदमी के लण्ड के जूस को पी चुकी थी और अब अपना खाली मुँह खोल के कैमरा में दिखा रही थी।

आपी कंप्यूटर ऑफ कर के मुड़ी.. तो मैं अपना शॉर्ट पहन रहा था और फरहान भाग कर बाथरूम में घुस चुका था।
मैं 2 क़दम आपी की तरफ बढ़ा और ज़मीन पर बैठ गया और मैंने कहा- सॉरी आपी.. हमारे जेहन हमारे क़ाबू में नहीं रहे थे.. हम बहुत एग्ज़ाइटेड हो गए थे।

‘क्या मतलब है तुम्हारा एग्ज़ाइटेड.. हो गए थे..?? तुम इतने पागल हो गए थे कि अपना सगा और छोटा भाई भी तुम्हें नहीं नज़र आया..। किसी लड़की के साथ मुँह नहीं काला कर सकते थे.. तो कम से कम कहीं बाहर ही कोई अपने जैसी खबीस रूह वाला लड़का देख लेते.. जो तुम्हारा सगा भाई तो ना होता..”

मेरे पास उनकी इस बात का कोई जवाब नहीं था.. लेकिन मैंने यह महसूस किया था कि कंप्यूटर स्क्रीन पर नज़र पड़ने के बाद से आपी के लहजे में बहुत फ़र्क़ आ गया था और उनका गुस्सा तकरीबन गायब ही हो चुका था।

कुछ देर खामोशी रही.. आपी किसी सोच में डूबी हुई सी लग रही थीं।

मैंने झिझकते-झिझकते खौफज़दा सी आवाज़ में उनसे पूछा- क्या आप अम्मी-अब्बू को भी बता दोगी?

वो ऐसे चौंकी.. जैसे यहाँ से बिल्कुल ही गाफिल थीं और फिर वे बोलीं- मैं नहीं जानती कि मैं क्या करूँगी.. लेकिन ये ही कहूँगी कि तुम दोनों को शरम आनी चाहिए.. ये सब करना ही है.. तो घर से बाहर किसी और के साथ जाकर करो।

फिर कुछ देर और खामोशी में ही गुज़र गई, मैंने आपी के चेहरे की तरफ देखा.. तो वो छत की तरफ देख रही थीं और उनका जेहन कहीं और मशरूफ था।

अब उनका गुस्सा मुकम्मल तौर पर खत्म हो चुका था.. चेहरा भी नॉर्मल हो गया था.. लेकिन वो कुछ खोई-खोई सी थीं। मेरी नजरों को अपने चेहरे पर महसूस करके उन्होंने मेरी तरफ देखा और कहा- उठो और जाकर फरहान को देखो।

मैं उठा तो आपी ने भी कुर्सी छोड़ दी और मेरे साथ ही बाथरूम की तरफ चल दीं। दरवाज़ा बन्द था.. आपी ने दरवाज़ा बजाया.. अन्दर से कोई आवाज़ नहीं आई।

तो वो बोलीं- फरहान मुझे तुमसे बिल्कुल भी ये उम्मीद नहीं थी.. तुम दोनों ही गंदगी में धंसे हुए नापाक इंसान हो।
 

gOlDy

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UPDATE - 8

आपी हम दोनों को डांट रही थी वो बोलीं- तुम दोनों ही गन्दगी में धंसे हुए नापाक इंसान हो।
अब आगे..

अन्दर से फरहान की रोती हुई आवाज़ आई- आपी प्लीज़ मुझे माफ़ कर दें.. आपी प्लीज़ अम्मी-अब्बू को नहीं बताना..
कह कर उसने बाकायदा रोना शुरू कर दिया।

रूही आपी ने मेरी तरफ देखा और कहा- इसे चुप करवाओ और शरम करो कुछ..
यह कह कर वो दोबारा कंप्यूटर टेबल के तरफ चली गईं और वहाँ कुछ करने के बाद कमरे से बाहर चली गईं।

मैंने भाग कर दरवाज़ा बन्द किया और बाथरूम के पास आकर फरहान से कहा- आपी चली गई हैं.. दरवाज़ा खोल और बाहर आ जा।
यह कह कर मैं बेड पर जाकर लेट गया और आपी के बदलते रवैये के बारे में सोचने लगा।

कुछ देर बाद फरहान बाहर आया और मेरे पास आकर लेट गया और डरे सहमे लहजे में बोला- भाईजान अगर आपी ने अम्मी-अब्बू को बता दिया तो??
मेरे पास इस बात का कोई जवाब नहीं था.. लेकिन मैंने फरहान से कह दिया- यार तुम परेशान नहीं होओ.. कुछ नहीं होगा.. आपी किसी को नहीं बताएँगी!

मैंने फरहान को तो समझा-बुझाकर चुप करवा दिया.. लेकिन हक़ीक़त ये ही थी कि मैं खुद भी डरा हुआ था। डर के साथ-साथ ही मुझे तश्वीश थी।
आपी के बदलते रवैए के बारे में ये सब सोचते-सोचते ही मुझे ख़याल आया कि मैं कंप्यूटर में से अपना पॉर्न मूवीज का फोल्डर तो डिलीट कर दूँ ताकि आपी अब्बू को बता भी दें.. तो कोई ऐसा सबूत तो ना हो।

मैंने फरहान की तरफ देखा तो वो सो चुका था। मैं उठा और कंप्यूटर टेबल पर आकर कंप्यूटर ऑन करने लगा.. तो मैंने देखा कि उसकी पावर कॉर्ड गायब थी।
कुछ देर तो मुझे समझ नहीं आया लेकिन फिर याद आया कि आपी कमरे से जाने से पहले कंप्यूटर के पास गई थीं, यक़ीनन वो ही पावर कॉर्ड निकाल कर ले गई होंगी।

लेकिन उन्होंने ऐसा क्यूँ किया?
यह ही सोचते हुए मैं अपने बिस्तर पर आकर लेट गया और मेरे जेहन में यही बात आई कि आपी यक़ीनन अम्मी या अब्बू को बता देंगी और इसी लिए वो पावर कॉर्ड निकाल कर ले गई हैं ताकि हम सबूत ना मिटा सकें।

यह सोच जेहन में आते ही मुझे ख़ौफ़ की एक लहर ने घेर लिया और कुछ देर बाद ही जब नींद भी अपना रंग जमाने लगी.. तो मैंने अपनी फ़ितरत की मुताबिक़ अपने जेहन को समझा दिया कि जो भी होगा.. देखा जाएगा।
ज्यादा से ज्यादा अम्मी-अब्बू घर से निकाल देंगे ना.. तो मैं कुछ भी कर लूँगा.. अब मैं खुद भी कमा सकता हूँ.. ऐसी बागी सोच वैसे भी उस उम्र का ख़ास ख्याल होता है.. जिसे उम्र में मैं उस वक़्त था।

बस ऐसी ही सोच में उलझा-उलझा मैं नींद के आगोश में चला गया।

अगली सुबह जब हमारी आँख खुली.. तो आँख खुलते ही जेहन में पहला सवाल ये ही था कि अब क्या होगा??

मैं कॉलेज के लिए तैयार होकर बाहर निकला तो अम्मी टेबल पर नाश्ता लगा रही थीं.. जबकि डेली हमें नाश्ता रूही आपी बना के देती थीं और हमारे निकलने के बाद वो नाश्ता करके यूनिवर्सिटी जाती थीं।

मैं टेबल पर बैठा ही था कि फरहान भी सीढ़ियाँ उतर कर नीचे आता दिखाई दिया। उसी वक़्त रूही आपी और हनी के कमरे का भी दरवाजा खुला और हनी स्कूल यूनिफॉर्म पहने बाहर आती दिखाई दी।

इसी पल में मैंने दरवाज़े में से अन्दर देख लिया था कि रूही आपी अभी तक बिस्तर पर ही थीं।

फरहान टेबल पर आकर बैठा तो उसका चेहरा ऐसा हो रहा था.. जैसे बिल्ली को सामने देख कर चूहे का हो जाता है।
मैंने उससे कुछ कहने के लिए मुँह खोला ही था कि किचन से अम्मी और हनी नाश्ता लेकर बाहर आती नज़र आ गईं।

अम्मी हनी से कह रही थीं- सच-सच बताओ मुझे.. कल तुम लोगों ने बाहर से कोई उल्टी-सीधी चीज़ मंगा कर खाई थी ना.. इसी लिए रूही का पेट खराब है और वो यूनिवर्सिटी भी नहीं जा रही है।

हनी मुसलसल इनकार कर रही थी.. खैर उनकी इस बहस से मुझे रूही आपी के ना उठने की वजह तो मालूम हो ही गई थी और फरहान के चेहरे पर भी ये सुन कर सकून छा गया था कि आपी अभी अपने कमरे में ही सो रही हैं।

मैंने भी शुक्रिया अदा किया कि अच्छा ही हुआ कि आपी से सामना नहीं हुआ। मैं बा ज़ाहिर तो पुरसुकून था.. लेकिन हक़ीक़तन खौफजदा तो मैं भी था ही।

हम घर से स्टॉप तक साथ ही जाते थे और फिर अपनी-अपनी बस में बैठ जाते थे.. आज भी हम तीनों एक साथ निकले।
फरहान और हनी को उनके स्कूलों की बसों में बैठाने के बाद मैं भी अपने कॉलेज की तरफ चल दिया।

लेकिन मेरा जेहन बहुत उलझा हुआ था, अजीब ना समझ आने वाली कैफियत थी, ऐसा लग रहा था जैसे कोई बात है.. जो जेहन में कहीं अटक गई है.. लेकिन क्लियर नहीं हो रही है। इसी उलझन में मैं कॉलेज से भी जल्दी ही निकल आया।

घर में दाखिल होते हुए भी मैंने ये एहतियात रखी कि आपी सामने ना हों क्योंकि मैं रूही आपी का सामना नहीं करना चाहता था।

अन्दर दाखिल होने पर मैंने चारों तरफ नज़र दौड़ाई तो मुझे कोई भी नज़र नहीं आया.. जबकि मेरे हिसाब से अम्मी के साथ-साथ रूही आपी को भी घर में ही मौजूद होना चाहिए था।

जब मुझे कोई नज़र ना आया.. तो मैंने भी सिर को झटका और पैर अपने कमरे में जाने के लिए सीढ़ियों की तरफ बढ़ा दिए।

मैं सीढ़ियों से ज़रा दूर ही था कि मैंने अम्मी को उनके कमरे से निकल कर सीढ़ियों की तरफ जाते देखा।
उसी वक़्त उनकी नज़र भी मुझ पर पड़ी.. तो वो फ़ौरन मेरी तरफ आईं और परेशान हो कर पूछने लगीं- क्या हुआ सगीर खैरियत तो है ना बेटा.. इतनी जल्दी वापस आ गए कॉलेज से?

तो मैंने सिर दर्द या पेट दर्द जैसे बहाने बनाने से ऐतराज़ किया कि उस पर अम्मी का लेक्चर सुनना पड़ जाता, मैंने कह दिया कि आज टीचर्स ने किसी बात पर हड़ताल कर रखी है।

अम्मी ने अपनी बगल में दबाए अपने बुर्क़े को खोला और बुर्क़ा पहनते-पहनते टीचर्स को कोसने लगी, फिर नक़ाब बाँधते हुए उन्होंने मुझे कहा- मैं तुम्हारी सलमा खाला के घर जा रही हूँ.. उसने बुलाया है.. कोई काम है उसे.. मैं ये ही रूही को बताने ऊपर जा रही थी कि दरवाज़ा बंद कर ले। कब से ऊपर जाकर बैठी है.. उसे पता भी है कि मुझसे सीढ़ियाँ नहीं चढ़ी जाती हैं.. लेकिन तुम लोगों को मेरी परवाह कब है.. सब ऐसे ही हो।’

उन्होंने ये कहा और मुझे दरवाज़ा बंद करने का इशारा करते हुए बाहर निकल गईं।
मैंने डोर लॉक किया और सना आपी के बारे में सोचते हुए ऊपर अपने कमरे की तरफ चल पड़ा।
ऊपर या तो हमारा रूम है.. या स्टडीरूम है।

मैं पहले स्टडीरूम की तरफ गया कि सना आपी को देख लूँ.. लेकिन स्टडी में सना आपी को ना पाकर मुझे बहुत हैरत हुई। स्टडी रूम में ना होने का मतलब ये ही था कि वो हमारे कमरे में हैं।

मेरी सिक्स सेंस्थ ने मुझे आगाह कर दिया कि कुछ गड़बड़ है.. मैं दबे पाँव चलता हुआ अपने कमरे के दरवाज़े पर आया और हल्का सा दबाव देकर देखा। लेकिन दरवाज़ा अन्दर से लॉक था। मैं वापस स्टडीरूम में आया और खिड़की के बाहर बने शेड पर उतर गया। शेड पर चलते-चलते मैं अपने कमरे की खिड़की तक पहुँचा और कमरे की तीसरी खिड़की पर हल्का सा दबाव दिया तो वो खुलती चली गई।

हम इस एक खिड़की का लॉक हमेशा खुला रखते थे कि कभी इसकी कोई जरूरत पड़ ही सकती है और आज इस बात ने फ़ायदा पहुँचा ही दिया था।

वैसे भी हमारा ये कमरा ऊपर वाली मंजिल पर था.. तो कोई ऐसा ख़तरा भी नहीं था कि कोई चोर डाकू आ जाएं। हमारे घर के चारों तरफ लॉन था उसके बाद दीवारें बनी हुई थीं.. वो भी 10 फीट ऊँची थीं और उन पर काँच लगे थे।

बरहराल.. मैंने आहिस्तगी से सिर उठा कर खिड़की से अन्दर झाँका।
इस खिड़की से कंप्यूटर टेबल इस एंगल पर थी कि यहाँ से कंप्यूटर स्क्रीन भी नज़र आती थी और कुर्सी पर बैठे हो बंदे का लेफ्ट साइड पोज़ भी उसकी कमर के कुछ हिस्से के साथ-साथ देखा जा सकता था, ज़रा तिरछा सा एंगल बनता था।

उम्मीद है कि मैंने इस पोजीशन का आपके जेहन में मुकम्मल खाका बना दिया होगा।

यहाँ जरूरी है कि मैं अपनी आपी के जिस्म के बारे कुछ डीटेल्स बयान कर दूँ ताकि कहानी पढ़ते वक़्त आप लोगों के ज़हन में मेरी सग़ी बहन की तस्वीर बनी हुई हो।

मेरी आपी मुझसे 4 साल बड़ी हैं.. उनका रंग गोरा नहीं.. बल्कि गुलाबी है.. जिल्द बिल्कुल शफ़फ़ है। उनकी लम्बाई तकरीबन 5 फीट 4 इंच है.. उनका जिस्म भरा हुआ था.. पेट बिल्कुल नहीं था।

उनकी टाँगें काफ़ी लंबी-लंबी और भारी-भारी कदली सी जाँघें हैं और उनके सीने के दोनों उभार काफ़ी बड़े और वैलशेप्ड हैं.. जो शायद खानदानी जींस की वजह से हैं।

मेरे पूरे खानदान में ही सब औरतों के मम्मे बड़े-बड़े ही हैं।

जब मेरी नज़र अन्दर पड़ी.. तो मेरा मुँह हैरत से खुला का खुला रह गया और मेरा लण्ड एक ही झटके लेकर तन गया। सामने मेरी आपी कुर्सी पर बैठी थीं।
 

gOlDy

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UPDATE - 9

कंप्यूटर स्क्रीन उनके सामने थी और की बोर्ड उनकी गोद में पड़ा था। उन्होंने स्काइ-ब्लू क़मीज़.. जिस पर ब्लैक फूल प्रिंटेड थे.. पहन रखी थी।

सिर पर डार्क-ब्लू स्कार्फ ऐसे ही बाँध रखा था.. जैसे वो बाँधा करती हैं, इसको मैं पहले बयान कर चुका हूँ।
नीचे आपा ने वाइट कॉटन की ही सलवार पहनी हुई थी.. जिसके पायेंचों ने उनके पैरों को आधे से ज्यादा ढक रखा था।

स्क्रीन पर वो रात वाली ही मूवी चल रही थी.. जिसमें सब ब्लैक आदमी और गोरी लड़कियाँ ही थीं।
यह सीन थ्रीसम का था जिसमें एक गोरी लड़की डॉगी पोजीशन में थी और एक डार्क ब्लैक लण्ड उसकी खूबसूरत पिंक-पिंक चूत में अन्दर-बाहर हो रहा था।

उसी वक़्त में ही एक और काले लण्ड को उसके होंठों ने अपनी गिरफ्त में ले रखा था।

सामने बैठी मेरी सग़ी बहन मेरी बड़ी बहन.. मेरी आपी.. अपने राईट हैण्ड से की बोर्ड को कंट्रोल कर रही थीं और लेफ्ट हैण्ड की 2 उंगलियों से उन्होंने अपने लेफ्ट मम्मे के निप्पल को पकड़ रखा था और उसे चुटकी में मसल रही थीं।
उन्होंने अपनी दाईं टांग पर अपनी बाईं टांग को क्रॉस करके रखा हुआ था.. जिसकी वजह से मुझे अपनी बहन की हसीन रान और बाएँ कूल्हे के निचले हिस्से का भी दीदार हो रहा था।

अपनी सग़ी बहन को इस हालत में देख कर मेरी क्या हालत थी.. इसका अंदाज़ा आप बाखूबी लगा सकते हैं।

मैंने अपनी पैंट की ज़िप खोल के अपने लण्ड को बाहर निकाल लिया था.. लेकिन मैं उसे हाथ भी नहीं लगा रहा था क्योंकि मुझे पता था कि मेरे हाथ टच करते ही मेरा लण्ड अपना पानी बहा देगा.. बगैर हाथ लगाए ही मेरे लण्ड से क़तरा-क़तरा सफ़ेद माल निकल रहा था।

चंद सेकेंड्स के वक्फे से मेरा लण्ड एक झटका ख़ाता था… और एक क़तरा बाहर फेंक देता था। मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मेरे पूरे जिस्म में आग लगी हुई है, मुझे अपने कानों से धुंआ निकलता महसूस हो रहा था।

आपी कुर्सी पर बिना हिले-जुले ऐसे बैठी थीं.. जैसे कि वो बुत हों। उधर मूवी में अब दोनों लड़के अपने-अपने लण्ड चूत और मुँह से निकाल कर साथ-साथ खड़े हो गए थे और वो लड़की उन दोनों के सामने घुटनों के बल बैठ कर बारी-बारी से दोनों का लण्ड चूस रही थी और हाथ में उनके हैवी लौड़े पकड़ कर अपने हाथ को आगे-पीछे हरकत दे रही थी।

फिर उस लड़की ने लण्ड को अपने मुँह से निकाला और अपने सीने के उभारों पर रगड़ने लगी। फिर उसने लण्ड की नोक को अपने निप्पल पर दबाया ही था कि लण्ड से गाढ़ा सफ़ेद जूस निकल-निकल कर उसके मम्मों पर गिरने लगा।
वो अपने हाथ से अपने दोनों मम्मों पर लण्ड के पानी की मालिश करने लगी।

उसी वक़्त दूसरे ब्लैक आदमी ने लड़की के सिर को पकड़ कर अपने लण्ड की तरफ घुमाया और उस लड़की ने उसके लण्ड को पकड़ कर एक बार में पूरे लण्ड को जड़ तक अपने मुँह में भरा और फिर लण्ड को मुँह से निकाल कर सिर्फ़ उसकी नोक को अपने निचले होंठ पर टिका दिया और अपना मुँह जितना खोल सकती थी.. खोल लिया और लण्ड को अपनी मुठी में पकड़ कर हाथ को आगे-पीछे करने लगी।
फ़ौरन ही उसके लण्ड से भी गाढ़ा-गाढ़ा सफ़ेद पानी निकलने लगा.. जो लड़की के मुँह में जमा होता रहा।

उसी वक़्त आपी के जिस्म को भी झटका सा लगा.. उन्होंने की बोर्ड अपनी गोद से उठा कर सामने टेबल पर रख दिया। उन्होंने मीडिया प्लेयर के कर्सर को हरकत दी और मूवी वहीं से शुरू हो गई.. जहाँ से लड़की ने जड़ तक लण्ड को चूस कर अपने निचले होंठ पर टिका दिया था।
शायद वो ये सीन फिर से देखना चाहती थीं।

आपी ने भी अपने दोनों हाथों को सामने टेबल पर रखा और टेबल का किनारा बहुत मज़बूती से पकड़ लिया। उन्होंने अपनी टाँगों को आपस में भींच लिया। आपी की गर्दन की अकड़ गई थी.. उनकी गिरफ्त टेबल पर मज़बूत होती जा रही थी और पूरा जिस्म अकड़ गया था। सिर गर्दन की अकड़ की वजह से पीछे को झुक सा गया था।

अचानक उनके जिस्म ने 2-3 झटके लिए और उनको हिचकियाँ भी आने लगीं, शायद अपनी सिसकारियों को रोक रही थीं।
इस वजह से सिसकारियाँ हिचकी में तब्दील हो गई थीं।

उसी वक़्त मेरे लण्ड ने भी झटके लिए और दीवार पर पिचकारी मारने लगा।
मेरी जिन्दगी में पहली बार ऐसा हुआ था कि बगैर हाथ टच हुए मैं डिसचार्ज हुआ था।

झटके खाने के बाद भी आपी का जिस्म तकरीबन 30 सेकेंड तक अकड़ा रहा और फिर उनका बदन ढीला पड़ गया और वो निढाल सी हो गई।
शायद मेरी आपी भी मेरी तरह बगैर टचिंग के ही अपनी मंज़िल पा गई थीं।

मैं नहीं चाहता था कि आपी को मेरी मौजूदगी का पता चले।
मैं जिस रास्ते से यहाँ तक आया था.. उसी रास्ते पर चलता नीचे चला गया।
मुझे उम्मीद थी कि आपी भी अब फ़ौरन ही नीचे आ जाएंगी।

इसलिए मैं बाहर वाले मेन गेट पर आकर खड़ा हो गया कि आपी को सीढ़ियाँ उतारते देख कर घर में ऐसे दाखिल होऊँगा कि उन्हें ऐसा ही ज़ाहिर हो कि मैं अभी-अभी ही घर आया हूँ।

लेकिन 10-15 मिनट वहाँ खड़े होने के बावजूद भी आपी नीचे नहीं उतरीं.. तो मैं बाहरी दरवाजे को बन्द करते हुए घर से बाहर निकल गया।

कुछ देर टाइम पास करने के लिए स्नूकर क्लब की तरफ चल दिया। मेरा जेहन बहुत कन्फ्यूज़ था। मेरा जेहन अपनी सग़ी बहन.. जो बहुत पाकीज़ा.. लायक और शरीफ थी.. का ये रूप क़बूल नहीं कर रहा था। अपनी बहन जिसके मम्मों को मैंने कभी दुपट्टे के बगैर नहीं देखा था.. अभी उन मम्मों पर सजे खूबसूरत निपल्स को चुटकी में मसलता हुआ देख कर आ रहा था। हाँ वो थे तो क़मीज़ में छुपे.. लेकिन शायद ब्रा से बेनियाज़ थे।

मेरी बहन जो कभी हमारे सामने ज्यादा देर बैठती नहीं थी.. उसकी वाइट सलवार में छुपी रान और कूल्हे का निचला हिस्सा मेरी नज़रों में घूम रहा था।

‘भाई साहब चना चाट खाओगे.. बिल्कुल ताज़ा है..’

इस आवाज़ पर मेरी सोचों का सिलसिला टूटा.. तो मुझे पता चला कि मैं जा तो स्नूकर क्लब रहा था.. लेकिन पहुँच गया था अपने एरिया में बने एक पार्क में.. शायद मैं सोचने के लिए तन्हाई चाहता था और मेरा जेहन मुझे यहाँ ले आया था।

सारा दिन घर से बाहर गुजारने के बाद जब मैं घर पहुँचा.. तो रात के 9 बज रहे थे।
घर में घुसते ही अब्बू की आवाज़ ने मेरा इस्तक़बाल किया- अमां यार कहाँ थे बेटा.. सारा दिन तुम्हारा सेल फोन भी ऑफ मिल रहा है।

मैंने उनके सामने वाली कुर्सी पर डाइनिंग टेबल पर बैठते हुए यूँ ही कुछ बहाना बनाया और बात को टाल दिया।

अम्मी ने कहा- खाना खा कर जल्दी सो जाना.. सुबह 5 बजे तुम्हें सलमा खाला के साथ गाँव जाना है। फरहान शाम 4 बजे ही इजाज़ (सलमा खाला के शौहर) के साथ गाँव चला गया है।

मैंने अब्बू की तरफ सवालिया नजरों से देखा.. तो उन्होंने तफ़सील से बताया कि वहां हमारी कुछ ज़मीने हैं.. जो तुम्हारे और फरहान के नाम पर हैं। उनके साथ ही हमारी खाला की भी ज़मीन है। बस उन्ही का कुछ मसला था.. जिसकी तफ़सील बयान करके मैं आप लोगों को बोर नहीं करना चाहता।
तभी अम्मी ने कहा- तुम्हारा बैग रूही ने तैयार कर दिया होगा। अपना जरूरी सामान जो साथ ले जाना चाहो.. वो भी रूही को दे देना.. वो रख देगी..।

रूही आपी का नाम सुनते ही मुझे आज सुबह का देखा हुआ सीन याद आ गया और फ़ौरन ही मेरे लण्ड ने रिस्पोन्स में मुझे सैल्यूट दे दिया।

मैं खाना खा चुका था.. मैंने अम्मी-अब्बू को खुदा हाफ़िज़ कहा और उन्हें कह दिया कि मैं सुबह सलमा खाला को उनके घर से ले लूँगा और सीढ़ियों की तरफ चल दिया।

मैंने पहली सीढ़ी पर क़दम रखा ही था कि ऊपर से रूही आपी आती दिखाई दीं।
उन्हें देख कर मेरा दिल ज़ोर से धड़का और फिर जैसे मेरी धड़कन रुक सी गई। उन्होंने सुबह वाला ही सूट पहन रखा था और वो ही स्कार्फ बाँधा हुआ था.. डार्क ब्लू कलर का और एक बड़ी सी ग्रे रंग की चादर उन्होंने अपने पूरे जिस्म के गिर्द लपेट रखी थी।

लेकिन वो बड़ी सी चादर भी आपी के सीने के बड़े-बड़े उभारों को मुकम्मल तौर पर छुपा लेने में नाकाम थी। जब वो मेरे सामने पहुँचीं और मेरी नजरों से उनकी नज़र मिलीं तो मेरी नज़रें फ़ौरन झुक गईं..

लेकिन इस एक नज़र ने मुझे ये बता दिया था कि आपी की नजरों में भी अब वो दम नहीं था कि वो मुझसे आँख मिला सकतीं।
उनकी नज़र भी फ़ौरन ही झुकी थी।
आख़िर उनके दिल में भी चोर बस ही गया था।

मैं गाँव में 5 दिन गुजार कर आज ही वापस पहुँचा था और सलमा खाला को उनके घर छोड़ कर बस अपने घर में दाखिल हुआ ही था कि सामने डाइनिंग हॉल में ही अम्मी बैठी हुई मिल गईं। उन्होंने सलाम का जवाब दिया और मेरा माथा चूमने के बाद पहला सवाल फरहान के बारे में किया कि वो कहाँ है?

तो मैंने बताया कि वो भी कल आ जाएगा।

मेरा जवाब खत्म होते ही अम्मी ने दूसरा सवाल दाग दिया- गाँव के जिस काम के लिए हम गए थे.. उसमें क्या हुआ?
मैंने सिर्फ़ इतना ही जवाब दिया- सब काम खैरियत से निपट गया है। तफ़सील आप सलमा खाला से ही पूछ लेना।
 

gOlDy

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Sorry friends , jaruri kaam se out of station aana pda , ab next 3 update shayad tuesday ya wednesday ko hi de paunga.
 

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