Birju Bhaiya toh kitne bahut ache hai...apni behno sa bahut pyaar....dekho kaisd chudte dekh maze le raha....
Nice,1Update 26
गौतम जब नीचे आया दूल्हे औऱ दुल्हन का खाना लग चूका था.. आरती ने गौतम का हाथ पकड़ कर उसे भी अपने साथ खाने की मेज पर बैठा लिया औऱ बोली..
आरती - क्यों देवर ज़ी.. आज तो अपनी भाभी से मिलने की फुर्सत ही नहीं मिली आपको.. कितना ढूंढा पर आप कभी यहां तो कभी वहा.. आज तो हवा की तरह बह रहे थे.. अब पकड़ में आये हो..
कोमल - अरे आरती क्यों तंग रही है ग़ुगु को..
सुमन भी खाने की टेबल पर बैठी थी उसने कोमल से कहा - अरे भाभी.. आप देवर भाभी के बीच क्यों बोलती हो.. अब आरती अपने देवर से हंसी मज़ाक़ नहीं करेंगी तो किस्से करेंगी.. आपसे?
आरती - सही कहा बुआ.. औऱ देवर जब इतना प्यारा हो तो मज़ाक़ के साथ साथ औऱ भी बहुत कुछ करना पड़ता है..
आरती की बात पर सब हँसने लगते है..
गौतम - भाभी छोडो मुझे.. मुझे दीदी के साथ बैठके खाना है आज.. बहुत सताया है मैंने दीदी को..
(गौतम उठकर ऋतू के साथ वाली कुर्सी पर बैठकर) दीदी जीजा ज़ी के हाथ से बाद में खाना पहले मेरे हाथ से खाओ..
ऋतू मुस्कुराते हुए गौतम का गाल चूमकर - ग़ुगु.. सच में बहुत सताया तूने मुझे..
गौतम - मैंने जितना सताया उसका बदला आप ससुराल जाकर जीजाजी को सताकर पूरा कर लेना..
ऋतू हसते हुए गौतम को गले लगा कर - मेरा प्यारा भाई..
कोमल - अब खाना भी खालो.. दोनों भाई बहन क्या बात ही करते रहोगे..
गौतम - हाँ मामी.. मुझे तो बहुत भूख लगी है..
आरती - ऋतू जरा राहुल ज़ी को भी तो खिला अपने हाथो से..
सुमन - अब तो इसे सारी उम्र यही करना है आरती..
आरती - ये सच कहा बुआ आपने.. अब तो देवर ज़ी बचे है.. उनके लिए भी लड़की देखनी पड़ेगी..
गौतम - आप हो ना भाभी.. कोई औऱ लड़की देखने की क्या जरुरत है..
आरती - देख रही हो बुआ.. पहले तो बोलने से भी बात नहीं करता था.. अब केसे कैंची की तरह जुबान चलाने लगा है आपका ग़ुगु..
सुमन खाना खाते हुए - तुम अपनी देवर भाभी की बातों में मुझे मत खींचो..
गौतम - दीदी ये स्वाद है.. इसे लो ना..
आरती - देवर ज़ी हमें भी दे दो क्या स्वाद बना है.. आप तो अपनी दीदी से ही चिपके हुए हो..
गौतम अपनी जगह से उठकर आरती के पास जाता है औऱ एक निवाला उसे खिलाकर कहता है- लो कहा लो.. बस?
कोमल - अब तो खुश हो आरती? देवर ने अपने हाथों से भी खिला दिया..
आरती - मैं कल ही खुश हो गई थी देवर ज़ी से मम्मी ज़ी..
गौतम आरती को देखता हुआ - मतलब?
आरती - कल देवर ज़ी आपने गन्ने का जूस पिलाया था ना.. उसके बारे में बात कर रही हूँ..
गायत्री - जूस तो ग़ुगु ने आज मुझे भी पिलाया था..
कोमल - आप दोनों से पहले ग़ुगु मेरे पास आया था.. जूस लेकर.. मुझे तो दो दो बार पिलाया था.. जूस पीते पीते ही तो मेरे पैर में मोच आई थी..
संजय - ग़ुगु.. ये क्या बात हुई सिर्फ अपनी नानी मामी औऱ भाभी को ही तुमने जूस पिलाया.. हमसे क्या दुश्मनी है तुम्हारी?
गौतम - मामाजी.. वो एक ही गन्ना था.. बेचारे से कितना जूस निकालता.. मैंने तो अभी तक माँ औऱ ऋतू दीदी को भी नहीं पिलाया..
सुमन - छोडो ना भईया.. क्या गन्ने के पीछे पड़ गए सब लोग.. आज हमारी ऋतू कितनी प्यारी लग रही है..
गौतम - माँ सही कह रही हो.. दीदी तो बिलकुल चाँद जैसी लग रही है..
ऋतू - चाँद तो तू है.. मेरा प्यारा सा ग़ुगु..
सुमन - अब ये प्यार अपने पति को करना ऋतू.. भाई को नहीं.
ऋतू - बुआ.. बड़ी मुश्किल से ग़ुगु मुझसे बात करने लगा है औऱ आप कह रही हो प्यार ना करू.. ग़ुगु को तो मैं बहुत प्यार करुँगी.. शादी होने से बदल थोड़ी जाउंगी..
गौतम खड़ा होता हुआ - मेरा तो खाना हो गया..
कोमल - इतनी जल्दी?
गौतम - औऱ भूख नहीं है मामी.. ये कहते हुए गौतम हॉल से बाहर निकल कर बाथरूम की तरफ चला जाता है..
गौतम बाथरूम करके बाथरूम के बाहर खड़ा हो जाता है औऱ सिगरेट सुलगा कर पहला कश लेता ही है की पीछे से आरती आकर उसे अपनी बाहों में भर लेती है..
आरती - आज तो बहुत तड़पाया आपने देवर ज़ी..
गौतम मुड़कर आरती की बाहों से अपने आप को छुड़वाता है औऱ आरती का हाथ पकड़कर कहता है..
गौतम - भाभी यहां कोई देख लेगा.. इस तरफ आओ..
गौतम आरती को बाथरूम के दाई तरफ हलवाई के लिए बने कमरे के पीछे खाली जगह ले आता है.. जहा हलकी सी रौशनी के अलावा कुछ नहीं था..
आरती गौतम से सिगरेट लेकर कश मारती हुई - बताओ देवर ज़ी.. अपना लंहगा मैं उठाउ या इतनी मेहनत आप खुद कर लोगे?
गौतम लुहंगा उठाते हुए - देवर के होते हुए भाभी मेहनत करें.. ये तो गलत बात है..
गौतम अपनी पेंट चड्डी सहित नीचे करके अपने लंड को आरती की चुत में डाल देता है औऱ दिवार से लगा कर धीरे धीरे आरती को चोदने लगता है..
आरती सिगरेट के कश लगाती हुई चुदते चुदते कहती है - देवर ज़ी आप तो जोनी सिंन्स के भी बाप हो.. आप चले जाओगे तो कैसे ज़ी पाउंगी मैं आपके बिना..
गौतम चोदते हुए - अब तो आना जाना लगा ही रहेगा भाभी.. क्यों चिंता करती हो..
आरती सिगरेट का कश लेकर अँधेरे में किसीको खड़ा देखकर - कौन? कौन है तू?
एक 25-30 साल का दुबला पतला सीधा साधा आदमी - ज़ी.. मैं बिरजू..
आरती गुस्से में - क्या कर रहा है चुतिया यहां खड़ा खड़ा.. निकल यहां से..
गौतम - अरे रुक रुक.. इधर आ..
बिरजू - ज़ी..
गौतम आरती का बोबा पकड़कर चूसते हुए - लड़की मस्त है ना..
share images free
बिरजू आरती को देखकर हाँ में सर हिलता है ..
गौतम - ये पीछे कमरे में कौन है?
बिरजू धीरे से - कोई नहीं है.. मैं अकेला रहता हूँ.. लोन की देखरेख करता हूँ..
गौतम - देख बिरजू ये मेरी भाभी है.. औऱ मैं इसे तसल्ली से चोदना चाहता हूँ.. कोई जगह है तो बता.. तेरी तनख्वाह बढ़वा दूंगा..
आरती बिरजू का लंड उसके पज़ामे के बाहर से पकड़ कर सिगरेट का कश लेती हुई - देखो बिरजू भईया.. मुझे अपनी बहन समझो.. औऱ इनको अपने जीजाजी.. आपकी बहन आपके जीजाजी से चुदना चाहती है.. अंदर कमरे में कोई गद्दा वद्दा पड़ा है जिसपर आपकी ये बहन आराम से चुदवा सके तो बता दो..
बिरजू - गद्दा तो नहीं है.. एक खाट पड़ी है बस..
गौतम आरती से सिगरेट लेकर एक कश मारता है औऱ सिगरेट फेंककर बिरजू से कहता है - चल दिखा..
बिरजू गौतम औऱ आरती को पीछे कमरे में ले आता है जहा धीमी रौशनी वाला बल्ब जल रहा था औऱ एक पुरानी खाट पर चटाई बिछी हुई थी..
गौतम ने आरती को खाट पर बिठा दिया औऱ अपनी शर्ट निकालता हुआ बिरजू को एक 500 का नोट देकर बोला - बाहर जाकर खड़ा रह.. मैं तेरी ये बहन चोद ना दू तब तक कोई अन्दर नहीं आना नहीं चाहिए.. समझा..
बिरजू बाहर चला जाता है औऱ खिड़की से अंदर झांकने लगता है वही गौतम आरती को खाट पर लेटा कर लहंगा उठाते हुए अपना लोडा आरती की चुत में फिट करके आरती को चोदने लगता है...
गौतम के झटको पर आरती जोर जोर से खुलकर आहे भरने लगती है औऱ बाहर बिरजू आरती की कामुक सिस्कारिया सुनकर अपना लंड हिला कर मुठ मारने लगता है...
आरती - आह्ह..देवर ज़ी यही रह जाओ ना.. मेरे पास.. बहुत प्यार दूंगी आपको.. अपनी इस चुत में घुसा के रखूंगी..
गौतम - आपके पास रह जाऊँगा भाभी तो आपकी उन बहनो का क्या होगा जो अपनी टाँगे चौड़ी करके मेरे इंतजार में लेटी है..
आरती - अब तक कितनी लड़कियों को दीवाना बना चुके हो देवर ज़ी?
गौतम चोदते हुए - लड़किया नहीं भाभी ऑन्टीया.. औऱ उनकी तो गिनती करनी पड़ेगी..
आरती चुदवाते हुए - देवर ज़ी सिगरेट..
गौतम चोदते हुए - पेंट में है भाभी..
आरती आवाज लगाते हुए - बिरजू भईया.. ओ बिरजू भईया..
बिरजू एक बार झड़ चूका था औऱ अब दूसरी बार लंड हिला रहा था.. आरती की आवाज सुनकर वो लंड पजामे में डालाकर अंदर आ गया.
बिरजू चुदवाती हुई आरती को देखकर - ज़ी दीदी..
आरती चुदवाते हुए प्यार से- बिरजू भईया.. आपके जीजाजी की पेंट वहा पड़ी है उसमे से सिगरेट का पैकेट औऱ लाइटर दो अपनी इस बहन को..
बिरजू गौतम की पेंट से दोनों चीज निकालकर आरती को दे देता है औऱ जाने लगता है तभी गौतम चोदते हुए कहता है..
गौतम - बिरजू यही बैठा जा.. किसी औऱ चीज की भी जरुरत पड़ सकती है..
आरती एक सिगरेट सुलगाकर बिरजू से - बिरजू भईया आप पिओगे सिगरेट?
बिरजू नीचे सर करके - मैं नहीं पिता दीदी..
आरती सिगरेट का कश लेकर गौतम से चुदवाते हुए - देखो ना बिरजू भईया आपके जीजाजी अपकी बहन को कैसे चोद रहे है.. आप बच्चाओगे नहीं अपनी बहन को चुदने से..
गौतम धीरे धीरे चोदते हुए - बिरजू तो तिरछी नज़रो से आपके बूब्स देख रहा है.. लगता आपके दोनों कबूतर देखने की इच्छा है बिरजू की..
आरती सिगरेट पीते हुआ - सच में बिरजू भईया? अब देखो मैं चोली तो उतार नहीं सकती आप चोली के ऊपर से ही मेरे बूब्स दबाना चाहो तो दबा लो..
गौतम - ले भाई बिरजू.. दे दीं परमिशन तुझे.. दबा ले अपनी बहन के बोबे..
बिरजू खाट के पास ही बैठा था उसने डरते हुए अपना रखा हाथ आरती के चुचे पर रख दिया औऱ धीरे से दबा दिया..
आरती सिगरेट के कश लेकर मुस्कुराती हुई - डर क्यों रहे हो बिरजू भईया.. खुलके दबाओ अपनी बहन के बोबे..
गौतम - दबा ना बिरजू.. क्यों शर्मा रहा है..
बिरजू पूरी ताक़त से आरती का बोबा अपने पंजे में लेकर मसल देता है जिससे आरती की आह निकल जाती है..
गौतम बिरजू से - मज़ा आया?
बिरजू - ज़ी..
आरती सिगरेट पीती हुई - इतना भी जोर से मत दबाओ बिरज्जू भईया थोड़ा धीरे..
गौतम - बोल बिरजू है ना मस्त मोटा बोबा तेरी बहन का..
बिरजू मुस्कुराते हुए - ज़ी भईया..
गौतम चोदते हुए - बिरजू ये बड़े घर की बेटी है इनके बोबे औऱ भोसड़े दोनों बड़े होते है..
आरती झड़ चुकी थी औऱ अब गौतम भी कुछ ही झटको में आरती की चुत में झड़ गया..
आरती गौतम के सर को पकड़कर चूमने लगती है..
दोनों का चुम्बम ख़त्म होने पर गौतम खाट से खड़ा हो जाता है मगर आरती गौतम के रुमाल से अपनी चुत साफ करने लगती है..
गौतम चुपचाप बैठे हुए बिरजू को धीरे धीरे पज़ामे के ऊपर से अपना लंड मसलता देखकर - चोदेगा क्या बिरजू अपनी बहन को?
बिरजू शर्माते हुए कोई जवाब नहीं देता औऱ आरती उसे देखकर हँसने लगती है औऱ खाट से खड़ी होती हुई कहती है - बेचारा.. चलो देवरजी.. लगता है फेरे शुरू होने वाले है..
गौतम - हाँ भाभी.. आप जाओ.. मैं थोड़ी देर में आता हूँ..
आरती जाते हुए - ठीक है.. बाय बिरजू भईया..
आरती वहा से चली जाती है...
बिरजू - भईया ज़ी भाभी बहुत खूबसूरत है..
गौतम - तू अकेला ही रहता है यहां..
बिरजू - ज़ी भईया ज़ी..
गौतम - सुन.. रात में हो सकता है मैं औऱ भी किसी लड़की को यहां लेके आउ.. तू जागता रहना आज रात..
बिरजू - भईया ज़ी आप चिता मत करिये मैं पूरी रात जागता रहूँगा.. आप चाहे जितनी लड़की यहां ले आइये..
गौतम - साले लड़की के सामने जुबान नहीं खुली तेरी अब कैसे पक पक बोल रहे है.
बिरजू - वो भईया ज़ी.. मैं लड़की के सामने थोड़ा शरमाता हूँ.
गौतम - अबे शर्माना लड़कियों का काम है.. अच्छा याद रखना रात को आ सकता हूँ..
बिरजू - चिंता मत करिये भईया ज़ी.. आप कभी भी आइये.. हम जागते रहेंगे..
Shaandar jabardast super hot updateUpdate 26
गौतम जब नीचे आया दूल्हे औऱ दुल्हन का खाना लग चूका था.. आरती ने गौतम का हाथ पकड़ कर उसे भी अपने साथ खाने की मेज पर बैठा लिया औऱ बोली..
आरती - क्यों देवर ज़ी.. आज तो अपनी भाभी से मिलने की फुर्सत ही नहीं मिली आपको.. कितना ढूंढा पर आप कभी यहां तो कभी वहा.. आज तो हवा की तरह बह रहे थे.. अब पकड़ में आये हो..
कोमल - अरे आरती क्यों तंग रही है ग़ुगु को..
सुमन भी खाने की टेबल पर बैठी थी उसने कोमल से कहा - अरे भाभी.. आप देवर भाभी के बीच क्यों बोलती हो.. अब आरती अपने देवर से हंसी मज़ाक़ नहीं करेंगी तो किस्से करेंगी.. आपसे?
आरती - सही कहा बुआ.. औऱ देवर जब इतना प्यारा हो तो मज़ाक़ के साथ साथ औऱ भी बहुत कुछ करना पड़ता है..
आरती की बात पर सब हँसने लगते है..
गौतम - भाभी छोडो मुझे.. मुझे दीदी के साथ बैठके खाना है आज.. बहुत सताया है मैंने दीदी को..
(गौतम उठकर ऋतू के साथ वाली कुर्सी पर बैठकर) दीदी जीजा ज़ी के हाथ से बाद में खाना पहले मेरे हाथ से खाओ..
ऋतू मुस्कुराते हुए गौतम का गाल चूमकर - ग़ुगु.. सच में बहुत सताया तूने मुझे..
गौतम - मैंने जितना सताया उसका बदला आप ससुराल जाकर जीजाजी को सताकर पूरा कर लेना..
ऋतू हसते हुए गौतम को गले लगा कर - मेरा प्यारा भाई..
कोमल - अब खाना भी खालो.. दोनों भाई बहन क्या बात ही करते रहोगे..
गौतम - हाँ मामी.. मुझे तो बहुत भूख लगी है..
आरती - ऋतू जरा राहुल ज़ी को भी तो खिला अपने हाथो से..
सुमन - अब तो इसे सारी उम्र यही करना है आरती..
आरती - ये सच कहा बुआ आपने.. अब तो देवर ज़ी बचे है.. उनके लिए भी लड़की देखनी पड़ेगी..
गौतम - आप हो ना भाभी.. कोई औऱ लड़की देखने की क्या जरुरत है..
आरती - देख रही हो बुआ.. पहले तो बोलने से भी बात नहीं करता था.. अब केसे कैंची की तरह जुबान चलाने लगा है आपका ग़ुगु..
सुमन खाना खाते हुए - तुम अपनी देवर भाभी की बातों में मुझे मत खींचो..
गौतम - दीदी ये स्वाद है.. इसे लो ना..
आरती - देवर ज़ी हमें भी दे दो क्या स्वाद बना है.. आप तो अपनी दीदी से ही चिपके हुए हो..
गौतम अपनी जगह से उठकर आरती के पास जाता है औऱ एक निवाला उसे खिलाकर कहता है- लो कहा लो.. बस?
कोमल - अब तो खुश हो आरती? देवर ने अपने हाथों से भी खिला दिया..
आरती - मैं कल ही खुश हो गई थी देवर ज़ी से मम्मी ज़ी..
गौतम आरती को देखता हुआ - मतलब?
आरती - कल देवर ज़ी आपने गन्ने का जूस पिलाया था ना.. उसके बारे में बात कर रही हूँ..
गायत्री - जूस तो ग़ुगु ने आज मुझे भी पिलाया था..
कोमल - आप दोनों से पहले ग़ुगु मेरे पास आया था.. जूस लेकर.. मुझे तो दो दो बार पिलाया था.. जूस पीते पीते ही तो मेरे पैर में मोच आई थी..
संजय - ग़ुगु.. ये क्या बात हुई सिर्फ अपनी नानी मामी औऱ भाभी को ही तुमने जूस पिलाया.. हमसे क्या दुश्मनी है तुम्हारी?
गौतम - मामाजी.. वो एक ही गन्ना था.. बेचारे से कितना जूस निकालता.. मैंने तो अभी तक माँ औऱ ऋतू दीदी को भी नहीं पिलाया..
सुमन - छोडो ना भईया.. क्या गन्ने के पीछे पड़ गए सब लोग.. आज हमारी ऋतू कितनी प्यारी लग रही है..
गौतम - माँ सही कह रही हो.. दीदी तो बिलकुल चाँद जैसी लग रही है..
ऋतू - चाँद तो तू है.. मेरा प्यारा सा ग़ुगु..
सुमन - अब ये प्यार अपने पति को करना ऋतू.. भाई को नहीं.
ऋतू - बुआ.. बड़ी मुश्किल से ग़ुगु मुझसे बात करने लगा है औऱ आप कह रही हो प्यार ना करू.. ग़ुगु को तो मैं बहुत प्यार करुँगी.. शादी होने से बदल थोड़ी जाउंगी..
गौतम खड़ा होता हुआ - मेरा तो खाना हो गया..
कोमल - इतनी जल्दी?
गौतम - औऱ भूख नहीं है मामी.. ये कहते हुए गौतम हॉल से बाहर निकल कर बाथरूम की तरफ चला जाता है..
गौतम बाथरूम करके बाथरूम के बाहर खड़ा हो जाता है औऱ सिगरेट सुलगा कर पहला कश लेता ही है की पीछे से आरती आकर उसे अपनी बाहों में भर लेती है..
आरती - आज तो बहुत तड़पाया आपने देवर ज़ी..
गौतम मुड़कर आरती की बाहों से अपने आप को छुड़वाता है औऱ आरती का हाथ पकड़कर कहता है..
गौतम - भाभी यहां कोई देख लेगा.. इस तरफ आओ..
गौतम आरती को बाथरूम के दाई तरफ हलवाई के लिए बने कमरे के पीछे खाली जगह ले आता है.. जहा हलकी सी रौशनी के अलावा कुछ नहीं था..
आरती गौतम से सिगरेट लेकर कश मारती हुई - बताओ देवर ज़ी.. अपना लंहगा मैं उठाउ या इतनी मेहनत आप खुद कर लोगे?
गौतम लुहंगा उठाते हुए - देवर के होते हुए भाभी मेहनत करें.. ये तो गलत बात है..
गौतम अपनी पेंट चड्डी सहित नीचे करके अपने लंड को आरती की चुत में डाल देता है औऱ दिवार से लगा कर धीरे धीरे आरती को चोदने लगता है..
आरती सिगरेट के कश लगाती हुई चुदते चुदते कहती है - देवर ज़ी आप तो जोनी सिंन्स के भी बाप हो.. आप चले जाओगे तो कैसे ज़ी पाउंगी मैं आपके बिना..
गौतम चोदते हुए - अब तो आना जाना लगा ही रहेगा भाभी.. क्यों चिंता करती हो..
आरती सिगरेट का कश लेकर अँधेरे में किसीको खड़ा देखकर - कौन? कौन है तू?
एक 25-30 साल का दुबला पतला सीधा साधा आदमी - ज़ी.. मैं बिरजू..
आरती गुस्से में - क्या कर रहा है चुतिया यहां खड़ा खड़ा.. निकल यहां से..
गौतम - अरे रुक रुक.. इधर आ..
बिरजू - ज़ी..
गौतम आरती का बोबा पकड़कर चूसते हुए - लड़की मस्त है ना..
share images free
बिरजू आरती को देखकर हाँ में सर हिलता है ..
गौतम - ये पीछे कमरे में कौन है?
बिरजू धीरे से - कोई नहीं है.. मैं अकेला रहता हूँ.. लोन की देखरेख करता हूँ..
गौतम - देख बिरजू ये मेरी भाभी है.. औऱ मैं इसे तसल्ली से चोदना चाहता हूँ.. कोई जगह है तो बता.. तेरी तनख्वाह बढ़वा दूंगा..
आरती बिरजू का लंड उसके पज़ामे के बाहर से पकड़ कर सिगरेट का कश लेती हुई - देखो बिरजू भईया.. मुझे अपनी बहन समझो.. औऱ इनको अपने जीजाजी.. आपकी बहन आपके जीजाजी से चुदना चाहती है.. अंदर कमरे में कोई गद्दा वद्दा पड़ा है जिसपर आपकी ये बहन आराम से चुदवा सके तो बता दो..
बिरजू - गद्दा तो नहीं है.. एक खाट पड़ी है बस..
गौतम आरती से सिगरेट लेकर एक कश मारता है औऱ सिगरेट फेंककर बिरजू से कहता है - चल दिखा..
बिरजू गौतम औऱ आरती को पीछे कमरे में ले आता है जहा धीमी रौशनी वाला बल्ब जल रहा था औऱ एक पुरानी खाट पर चटाई बिछी हुई थी..
गौतम ने आरती को खाट पर बिठा दिया औऱ अपनी शर्ट निकालता हुआ बिरजू को एक 500 का नोट देकर बोला - बाहर जाकर खड़ा रह.. मैं तेरी ये बहन चोद ना दू तब तक कोई अन्दर नहीं आना नहीं चाहिए.. समझा..
बिरजू बाहर चला जाता है औऱ खिड़की से अंदर झांकने लगता है वही गौतम आरती को खाट पर लेटा कर लहंगा उठाते हुए अपना लोडा आरती की चुत में फिट करके आरती को चोदने लगता है...
गौतम के झटको पर आरती जोर जोर से खुलकर आहे भरने लगती है औऱ बाहर बिरजू आरती की कामुक सिस्कारिया सुनकर अपना लंड हिला कर मुठ मारने लगता है...
आरती - आह्ह..देवर ज़ी यही रह जाओ ना.. मेरे पास.. बहुत प्यार दूंगी आपको.. अपनी इस चुत में घुसा के रखूंगी..
गौतम - आपके पास रह जाऊँगा भाभी तो आपकी उन बहनो का क्या होगा जो अपनी टाँगे चौड़ी करके मेरे इंतजार में लेटी है..
आरती - अब तक कितनी लड़कियों को दीवाना बना चुके हो देवर ज़ी?
गौतम चोदते हुए - लड़किया नहीं भाभी ऑन्टीया.. औऱ उनकी तो गिनती करनी पड़ेगी..
आरती चुदवाते हुए - देवर ज़ी सिगरेट..
गौतम चोदते हुए - पेंट में है भाभी..
आरती आवाज लगाते हुए - बिरजू भईया.. ओ बिरजू भईया..
बिरजू एक बार झड़ चूका था औऱ अब दूसरी बार लंड हिला रहा था.. आरती की आवाज सुनकर वो लंड पजामे में डालाकर अंदर आ गया.
बिरजू चुदवाती हुई आरती को देखकर - ज़ी दीदी..
आरती चुदवाते हुए प्यार से- बिरजू भईया.. आपके जीजाजी की पेंट वहा पड़ी है उसमे से सिगरेट का पैकेट औऱ लाइटर दो अपनी इस बहन को..
बिरजू गौतम की पेंट से दोनों चीज निकालकर आरती को दे देता है औऱ जाने लगता है तभी गौतम चोदते हुए कहता है..
गौतम - बिरजू यही बैठा जा.. किसी औऱ चीज की भी जरुरत पड़ सकती है..
आरती एक सिगरेट सुलगाकर बिरजू से - बिरजू भईया आप पिओगे सिगरेट?
बिरजू नीचे सर करके - मैं नहीं पिता दीदी..
आरती सिगरेट का कश लेकर गौतम से चुदवाते हुए - देखो ना बिरजू भईया आपके जीजाजी अपकी बहन को कैसे चोद रहे है.. आप बच्चाओगे नहीं अपनी बहन को चुदने से..
गौतम धीरे धीरे चोदते हुए - बिरजू तो तिरछी नज़रो से आपके बूब्स देख रहा है.. लगता आपके दोनों कबूतर देखने की इच्छा है बिरजू की..
आरती सिगरेट पीते हुआ - सच में बिरजू भईया? अब देखो मैं चोली तो उतार नहीं सकती आप चोली के ऊपर से ही मेरे बूब्स दबाना चाहो तो दबा लो..
गौतम - ले भाई बिरजू.. दे दीं परमिशन तुझे.. दबा ले अपनी बहन के बोबे..
बिरजू खाट के पास ही बैठा था उसने डरते हुए अपना रखा हाथ आरती के चुचे पर रख दिया औऱ धीरे से दबा दिया..
आरती सिगरेट के कश लेकर मुस्कुराती हुई - डर क्यों रहे हो बिरजू भईया.. खुलके दबाओ अपनी बहन के बोबे..
गौतम - दबा ना बिरजू.. क्यों शर्मा रहा है..
बिरजू पूरी ताक़त से आरती का बोबा अपने पंजे में लेकर मसल देता है जिससे आरती की आह निकल जाती है..
गौतम बिरजू से - मज़ा आया?
बिरजू - ज़ी..
आरती सिगरेट पीती हुई - इतना भी जोर से मत दबाओ बिरज्जू भईया थोड़ा धीरे..
गौतम - बोल बिरजू है ना मस्त मोटा बोबा तेरी बहन का..
बिरजू मुस्कुराते हुए - ज़ी भईया..
गौतम चोदते हुए - बिरजू ये बड़े घर की बेटी है इनके बोबे औऱ भोसड़े दोनों बड़े होते है..
आरती झड़ चुकी थी औऱ अब गौतम भी कुछ ही झटको में आरती की चुत में झड़ गया..
आरती गौतम के सर को पकड़कर चूमने लगती है..
दोनों का चुम्बम ख़त्म होने पर गौतम खाट से खड़ा हो जाता है मगर आरती गौतम के रुमाल से अपनी चुत साफ करने लगती है..
गौतम चुपचाप बैठे हुए बिरजू को धीरे धीरे पज़ामे के ऊपर से अपना लंड मसलता देखकर - चोदेगा क्या बिरजू अपनी बहन को?
बिरजू शर्माते हुए कोई जवाब नहीं देता औऱ आरती उसे देखकर हँसने लगती है औऱ खाट से खड़ी होती हुई कहती है - बेचारा.. चलो देवरजी.. लगता है फेरे शुरू होने वाले है..
गौतम - हाँ भाभी.. आप जाओ.. मैं थोड़ी देर में आता हूँ..
आरती जाते हुए - ठीक है.. बाय बिरजू भईया..
आरती वहा से चली जाती है...
बिरजू - भईया ज़ी भाभी बहुत खूबसूरत है..
गौतम - तू अकेला ही रहता है यहां..
बिरजू - ज़ी भईया ज़ी..
गौतम - सुन.. रात में हो सकता है मैं औऱ भी किसी लड़की को यहां लेके आउ.. तू जागता रहना आज रात..
बिरजू - भईया ज़ी आप चिता मत करिये मैं पूरी रात जागता रहूँगा.. आप चाहे जितनी लड़की यहां ले आइये..
गौतम - साले लड़की के सामने जुबान नहीं खुली तेरी अब कैसे पक पक बोल रहे है.
बिरजू - वो भईया ज़ी.. मैं लड़की के सामने थोड़ा शरमाता हूँ.
गौतम - अबे शर्माना लड़कियों का काम है.. अच्छा याद रखना रात को आ सकता हूँ..
बिरजू - चिंता मत करिये भईया ज़ी.. आप कभी भी आइये.. हम जागते रहेंगे..
Bahut Bahut sukriya Bhai sahab....वीरेंद्र सिंह उर्फ़ बड़े बाबाजी - 46
बैरागी - 24
समर - 20
सुजाता - 44
रुक्मा - 18
Jabardas Gand Fard Update.....Update 17
गौतम की सुबह जब आँख खुली तो उसके सामने सुमन का चेहरा था, सुमन बिस्तर के किनारे बैठी हुई प्यार से गौतम को जगा रही थी. सुमन के जागने से ही गौतम की आंख खुली और उसने सामने अपनी मां के खूबसूरत चेहरे को दिखा. सुमन अपने साथ चाय का कप लाई थी जो उसने बेड के ऊपर की तरफ किनारे पर रख दिया था गौतम ने सुमन को देखते ही अपनी तरफ खींच लिया और बाहों में भर के सुमन को चूमने लगा.. सुमन प्यार से गौतम को अपने होठों का जाम पिलाकर बोली..
सुमन - उठ जा मेरे शहजादे.. संडे है तो क्या पूरा दिन सोता ही रहेगा? चल जा कर नहा ले..
गौतम - माँ आज चले टेटू बनवाने? छूटी का दिन है..
सुमन - ठीक है जैसा तू कहे मेरे शहजादे..
गौतम बिस्तर से उठ खड़ा होता है और चाय का कप हाथ में लेते हुए चाय की चुस्कियां लेते हुए सुमन को देखने लगता है जो वापस रसोई की तरफ जाकर अपने काम में लग जाती है. गौतम सुमन को ऊपर से नीचे तक कई बार देखता है और उसके बदन को निहारने लगता है गौतम को सुमन के ऊपर पूरी तरह से काम भाव पैदा हो रहा था जिसे वह खुद बखूबी की जानता था..
सुमन के बदन के उतार चढ़ाव बहुत ऊंचे नीचे थे जिससे उसकी सुंदरता में चार चांद लगते थे
गौतम उसीके जाल में फसता चला जा रहा था औऱ अब गौतम सुमन पर पूरी तरह से लड्डू था.. चाय पीने के बाद गौतम बाथरूम चला गया और नहाने लगा, नहाने के बाद गौतम ने कपड़े पहन लिए जो सुमन अभी-अभी निकल कर बिस्तर पर रख गई थी.
गौतम - माँ चले?
सुमन - पहले कुछ खा तो ले ग़ुगु..
गौतम - क्या बनाया है?
सुमन - तेरी मन पसंद बिरयानी..
गौतम - शकल दिखाओ जरा अपनी.. आप तो नॉनवेज छूना भी पसंद नहीं करती थी.. औऱ अब खाने के साथ बनने भी लगी हो..
सुमन - मेरे ग़ुगु के लिए तो मैं कुछ भी कर सकती हूँ..
गौतम - तो फिर खिला भी दो अपने हाथो से..
गौतम और सुमन ने खाना खाया और फिर दोनों ही घर को ताला मार कर घर से बाहर आ गए.. गौतम ने बाइक स्टार्ट की और सुमन उसके पीछे बैठ गई. सुमन बार-बार गौतम से कह रही थी कि टैटू में फालतू ज्यादा पैसे लग जाएंगे लेकिन गौतम बार-बार सुमन को समझा रहा था कि वह चिंता ना करें गौतम सब संभाल लेगा..
शहर की पुरानी गलियों से गुजरते हुए गौतम सुमन को एक वीराने से मकान के सामने ले आया जहां आसपास छोटी-छोटी गलियां गुजर रही थी और निकलने की कम ही जगह बची थी जगह को देखने से ऐसा लगता था जैसे यह जगह शहर से बिल्कुल इतर एक अलग ही दुनिया है पुराना शहर है जिसका अस्तित्व आप धीरे-धीरे खत्म होता जा रहा है.
सुमन - ग़ुगु कहा ले आया.. यहां कोनसी टेटू की दूकान है..
गौतम - माँ यार आप कितने सवाल करती हो.. चलो ना मेरे साथ.. सब पता चल जाएगा.. मैंने एक पुराने दोस्त से बात की थी उसने यहाँ का पता दिया है.. आप आओ मेरे साथ..
गौतम सुमन को लेकर उस मकान के अंदर दाखिल हो जाता है और सीढ़ियां चढ़ता हुआ ऊपर एक दरवाज के बाहर आकर, दरवाजे पर नॉक करता है..
गौतम के दरवाजा बजाने पर अंदर से एक आदमी निकाल कर दरवाजा खोलता है और सामने सुमन और गौतम को देखकर पूछता है कि उनको क्या काम है? आदमी के सवाल के जवाब में गौतम अपनी बात कहता हुआ बोलता है कि उसे टैटू बनवाना है और उसे किसी ने यहां का एड्रेस दिया था.. क्या उसका नाम अनवर है? आदमी हाँ में सर हिलता हुआ दोनों को कमरे के अंदर आने के लिए कहता है. कमरे में दाखिल होते ही गौतम और सुमन दोनों कमरे को देखकर हैरान हो जाते है.
साधारण से दिखने वाली इस जगह पर अनवर कमरे में टैटू बनाने का पूरा कारखाना खोले हुए था. अनवर की उम्र करीब 32 साल की लगभग थी और वह टैटू बनाने में एक्सपर्ट आदमी था.
अनवर - ज़ी किसे बनवाना है टेटू?
गौतम - मेरी माँ को बनवाना है..
अनवर हैरानी से सुमन को देखकर - केसा टैटू बनाना है भाभी ज़ी?
गौतम फ़ोन से एक पिक दिखाते हुए - ये वाला..
अनवर - ठीक है भाभी ज़ी आप यहां लेट जाइये मैं तैयारी करता हूँ.. हाथ पर ही बनवाना है ना..
गौतम - हाथ पर नहीं.. बूब्स पर बनवाना है..
अनवर एक पल के लिए शॉक हुआ मगर फिर बोला -
ठीक है... भाभी ज़ी आप यहां लेट जाओ आकर..
सुमन अनवर के कहे अनुसार उसकी बताई हुई जगह लेट जाती है और अनवर टैटू बनाने की तैयारी करने लगता है.. फिर सुमन के दाई औऱ आकर एक राउंड चेयर ओर बैठ जाता है वही गौतम बाई औऱ खड़ा रहता है..
अनवर - भाभी ज़ी ये साड़ी हटा दो..
गौतम सुमन का पल्लू हटाकर - ब्लाउज उतार दो माँ..
टेटू बनाने में आसानी रहेगी.
सुमन अनवर के सामने थोड़ा झिझकते हुए - बटन खोलके काम नहीं चलेगा?
अनवर - चल जाएगा भाभी पर बूब्स पर टेटू के लिए ब्लाउज को पूरा ओपन करना पड़ेगा.
गौतम सुमन के ब्लाउज के बटन खोलते हुए - मैं खोल देता हूँ माँ.. आप लेटी रहो.. गोतम सुमन का ब्लाउज उतार देता है औऱ सुमन कमर से ऊपर सिर्फ ब्रा में आ जाती है. सुमन को अनवर के सामने शर्म आ रही थी मगर गौतम पूरा बेशर्म बना हुआ था.
अनवर बूब्स को हल्का सा छूकर - यहां बनाना है?
गौतम - नहीं अनवर भाई.
अनवर - तो कहा?
गौतम सुमन की ब्रा को ऊपर खिसका कर उसके दोनों बूब्स आजाद कर देता है औऱ एक बूब्स के चुचक पकड़कर अनवर से कहता है - निप्पल्स के बगल में इस तरफ. सुमन गौतम की हरकत पर शर्म से आधी हो जाती है मगर उसे कुछ बोलने की हिम्मत नहीं जुटा पाती.
अनवर भी खुलने लगता है औऱ सुमन के बूब्स को बेझिझक पकड़ कर गौतम की बताई जगह पर टेटू बनाने लगता है.
गौतम सिगरेट पिने कमरे से बाहर आ जाता है वही अनवर सुमन के बूब्स के पुरे मज़े लेकर उसपर टैटू बनाने लगता है. सुमन अनवर की हरकत पहचान रही थी औऱ शर्म के कारण अनवर से कुछ भी नहीं बोल रही थी.. अनवर टैटू बनाने के बहाने सुमन के निप्पल्स को बार बार पकड़कर मसालार मरोड़ रहा था जिससे सुमन हलकी सी सिसक पडती थी.. अनवर का लंड औऱ सुमन के निप्पल्स दोनों कड़क होकर खड़े हो चुके थे.. गौतम बाहर खड़ा होकर सिगरेट के कश लगा रहा था औऱ अंदर अनवर बिना शर्म किया सुमन के बूब्स दबा रहा था औऱ टेटू बनाते हुए सुमन के मज़े ले रहा था.. अनवर ने सुमन से अब बात करना शुरू कर दिया था..
अनवर - भाभी ज़ी बूब्स तो बहुत टाइट है आपके. जिम जाती होंगी..
सुमन - नहीं.. बस घर का काम ही करती हूँ..
अनवर - भाभी ज़ी एक टेटू नीचे भी बनवा लो..
सुमन - नीचे फिर कभी बनवा लुंगी आप अभी यही बना दो..
अनवर ऐसे ही सुमन के मज़े लेटे हुए टेटू बनाता है औऱ सुमन के बूब्स पर टेटू बन जाता है, गौतम जब अनवर को टेटू के पैसे देता है तो अनवर टेटू के पैसे लेने से मना कर देता है फिर गौतम सुमन के साथ वहा से वापस आने के लिए निकल पड़ता है.
वापस आते हुए रास्ते में गौतम गाड़ी को एक ठेके के सामने रोकता है और सुमन ठेके के सामने गाड़ी रूकती देखकर सुमन गौतम से पूछता है कि उसने गाड़ी क्यों रोक है तो गौतम सुमन को ठेके की तरफ इशारा करते हुए कहता है कि एक बॉटल लेते हुए घर चलते हैं, इस पर सुमन गौतम को गुस्से की नजरों से देखती है मगर गौतम सुमन को प्यार से कहता है कि उसने कई बार सुमन और रूपा को एकसाथ शराब पीते हुए देखा है और सुमन उसके सामने भी शराब पी सकती है उसे कोई परेशानी है. सुमन गौतम की बातों से लरज जाती है औऱ कुछ नहीं बोलती वही गौतम ठेके से ब्लैक डॉग शराब की एक बोतल ले आता है औऱ फिर सुमन के हाथों पकड़ा कर बाइक स्टार्ट करते हुए घर आ जाता है.
गौतम - माँ यार चाय बना दो.
सुमन शराब की बोतल को रसोई में ऊपर छिपा कर रख देती है औऱ चाय बनाने लगती है तभी उसके फ़ोन ओर फ़ोन आता है..
सुमन फ़ोन उठाकर - हेलो
गौतम - माँ किसका फ़ोन है?
सुमन - संजू मामा (45) का.. सुमन बात करती हुई.. हाँ भईया..
संजू मामा उर्फ़ संजय - सुमन तू कल सुबह तक आ जायेगी ना?
सुमन - कल सुबह तक? भईया कल सुबह तक तो नहीं आ पाऊँगी..
संजय - सुमन तू तो जानती है शादी का घर है कितना काम होता है अगर लड़की (ऋतू 25) की बुआ भी एक हफ्ता पहले नहीं आएगी तो फिर काम कैसे होगा? औऱ कौन जिम्मेदारियां संभालेगा? तेरी भाभी का तुझे पता ही है..
सुमन - भईया मैं कोशिश करूंगी जल्दी आने की..
संजय - कोशिश नहीं सुमन आना है. ले माँ से बात कर..
गायत्री (62) - हेलो सुमन..
सुमन - कैसी हो माँ?
गायत्री - मैं ठीक हूँ बेटी तू कैसी है औऱ ग़ुगु केसा है?
सुमन - हम दोनों ही अच्छे माँ..
गायत्री - बेटी तू जल्दी आजा.. कितना टाइम हो गया तुझे देखे..
सुमन - माँ मैं तो आ जाऊ पर ग़ुगु का यहां कौन ख्याल रखेगा?
गायत्री - अरे तो ग़ुगु वहा क्यों छोड़ना है उसे लेके आ ना..
सुमन - माँ आप जानती तो हो उसे.. कितना ज़िद्दी है.. 6 साल हो गए तब तक पुरानी बात नहीं भुला.. अभी भी अपनी दीदी औऱ मामी से नाराज़ है..
गायत्री - बेटी तू समझा ना उसे. देख तू नहीं आएगी तो कितना सुना लगेगा घर..
सुमन - मैं तो कब से समझा रही हूँ माँ पर ग़ुगु समझता ही नहीं.. बस पहले की बात को दिल से लगाके बैठा है.. कहता है वापस चेहरा तक नहीं देखा किसीका..
गायत्री - सुमन बेटी तू कैसे भी करके ग़ुगु को ले आ बस.. शादी बार बार नहीं होती औऱ वो कब तक अपनी मामी औऱ दीदी से नाराज़ रहेगा? चेतन (26) औऱ आरती (24) की शादी मैं भी नहीं आया था ग़ुगु..
सुमन - मैं देखती हूँ माँ..
गायत्री - सुमन मैं कुछ नहीं जानती कल सुबह अगर तू नहीं आई तो मैं फिर तुझसे बात नहीं करुँगी..
सुमन - ठीक है माँ.. मैं मनाती हूँ ग़ुगु को.. फ़ोन कट जाता है..
गौतम - माँ आप चली जाओ मैं रह लूंगा अकेला.. मेरी चिंता मत करो..
सुमन - तू जब तक मेरे साथ नहीं चलेगा मैं कहीं नहीं जाने वाली समझा..
गौतम - माँ आप जानती हो मुझे उन लोगों की शकल तक नहीं देखनी..
सुमन - बेटा कितनी पुरानी बात है तू भूल क्यों नहीं जाता? आखिर तेरी मामी औऱ दीदी ने ही तो तुझे डांटा था.. कोई पराया तो नहीं था..
गौतम - चोरी का नाम लगाकर, क्या कुछ नहीं बोला था उन दोनों ने मुझे.. आप वहा होती तो क्या सहती ये सब? बहुत घमंड है उन लोगों को अपनी रइसी पर, उनको उनके घमंड में रहने दो.. मैं तो नहीं जाने वाला..
सुमन - मगर बेटा पर उस दिन मामी औऱ दीदी ने तुझसे माफ़ी भी तो मांगी थी..
गौतम - हाँ जब उनको पर्स औऱ सामान उनके पास ही मिल गया था तब मांगी थी.. वो भी कितनी आसानी सॉरी बोलकर खिसक गई थी.. कितना रोब झड़ती है मामी अपनी रइसी का.. जाते ही वापस अपने गहने औऱ कपडे की कीमत बताकर निचा दिखाने लगेगी.. मैं नहीं जाने वाला माँ..
सुमन - छः साल हो गए उस बात को ग़ुगु.. अगर तू सुबह मेरे साथ नहीं चला तो मैं तुझसे रूठ जाउंगी..
गौतम मुस्कुराते हुए - आप औऱ मुझसे रूठ जाओगी? ठीक है रूठ जाओ..
सुमन - ग़ुगु चल ना.. मुझे भी 2 साल हो गए भईया और माँ से मिले.. आखिरी बार चेतन औऱ आरती की शादी में मिली थी.. मेरे लिए इतना नहीं कर सकता.. अब क्या मैं हाथ जोड़कर तुझसे कहु?
गौतम - माँ क्यों मुझे वहां ले जाना चाहती हो.. मेरा मन नहीं है.. आप चली जाओ ना..
सुमन मुंह बनाकर - ठीक है मैं भी नहीं जाती.. तुझे नहीं माननी ना मेरी बात तो ठीक है.. मैं वैसे भी कोनसी तेरे लिए जरुरी हूँ जो तू मेरी बात मानेगा..
गौतम सुमन की बात सुनकर उसे बाहों में भरते हुए - अच्छा ठीक है मेरी माँ.. आप ना बहुत नाटक करने लगी हो..
सुमन गौतम का चेहरा चूमकर - सब तुझ से ही सीखा है मेरे दिल के टुकड़े.. चल पैकिंग कर ले सुबह जल्दी जाना है..
गौतम - आराम से कर लेना माँ.. छोटा सा ही तो रास्ता है.. अजमेर से जयपुर कोनसा दूर है?
सुमन - तेरे कपडे मैं पैक करुँगी.. वरना तू कुछ भी, जो मिलेगा वो पैक कर लेगा..
गौतम - कर लो.. पर पहले चाय तो पीला दो.. कब से उबाल मार रही है..
सुमन चाय कप में डाल कर गौतम को दे देती है..
सुमन - लो मेरे गौतम ज़ी आपकी चाय..
गौतम - थैंक्यू सुमन..
सुमन - बेशर्म नाम से बुलाता है अपनी माँ को..
गौतम चाय पीते हुए - आपने भी तो नाम से बुलाया..
सुमन - बहुत बातें बनाना सिख गया है.. चल मैं पैकिंग करती हूँ फिर खाना भी बनाना है..
सुमन पैकिंग पूरी कर लेती है और उसके बाद खाना बनाकर गौतम के साथ खाना खा लेती है और रात को गौतम के साथ इस तरह जिस तरह वह पहले कुछ राते सो रही थी सोने लगती है.. गौतम सुमन आज भी कमर से ऊपर पूरी तरह निर्वास्त्र होकर एकदूसरे के साथ लिपटे हुए लेटे थे.. सुमन बच्चों की तरह गौतम के सीने पर लेटी हुई थी उसे नींद आ चुकी थी औऱ नींद की गहरी खाई में उतर चुकी थी मगर गौतम की आँखों में नींद का कोई अक्स नहीं था वो सुमन की जुल्फ संवारता हुआ सुमन का चेहरा देखे जा रहा जैसे जोहरी हिरे को देखता है..
सुमन का फ़ोन बजा तो गौतम ने सुमन को जगाने की कोशिश की मगर सुमन गहरी नींद में थी गौतम ने उसे जगाने की ज्यादा कोशिश नहीं की औऱ सुमन का फ़ोन उठा के देखा जिसमे रूपा का फ़ोन आ रहा था..
गौतम फ़ोन उठाकर - हेलो..
रूपा - कैसे हो मेरे नन्हे शैतान..
गौतम - वैसा ही जैसा आपने कल देखा था..
रूपा - आज क्यों नहीं आये मिलने.. औऱ दीदी कहा बिजी है?
गौतम - माँ तो सो गई.. औऱ आज थोड़ा बिजी था..
रूपा - अभी तो सिर्फ 10 ही बजे है.. दीदी को अभी नींद आ गई..
गौतम - हाँ वो कल मामा के यहां जाना है शादी में.. आपको तो बताया होगा माँ ने..
रूपा - पर तू तो नहीं जाने वाला था ना ग़ुगु..
सुमन - मैं तो अब भी नहीं जाना चाहता मम्मी.. पर माँ ने अपनी कसम दे रखी है.. कैसे मना करू?
रूपा - शादी एक हफ्ते बाद है ना..
सुमन - हाँ.. आप भी चलो ना.. साथ में मज़ा आएगा..
रूपा - नहीं ग़ुगु.. मैं नहीं आ सकती.. तुम जाओ औऱ खूब मज़े करना, औऱ दीदी से कहना तुम्हारा ख्याल रखे..
गौतम - माँ को ये कहने की जरुरत है? वो तो हमेशा मेरा ख्याल रखती है.. पापा के जाने के बाद तो औऱ भी ज्यादा..
रूपा - हम्म.. बताया था दीदी ने.. ग़ुगु तुम दीदी से कहो ना यहां आकर मेरे साथ रहने के लिए.. मैं कल से समझा रही हूँ पर वो है की मानने को त्यार नहीं..
गौतम - पर..
रूपा - क्या पर.. हम्म? मैंने कहा था तुम्हे मुझे अपना मानो.. पर लगता है तुम भी मुझे पराया समझते हो..
गौतम - ठीक है मम्मी.. मैं बात करूंगा माँ से इस बारे में.. औऱ उन्हें राजी करूंगा आपके साथ रहने के लिए..
रूपा - ग़ुगु..
गौतम - हाँ..
रूपा - याद आ रही है तुम्हारी..
गौतम - आपने ही मना किया था..
रूपा - हाँ वो बाबाजी ने कहा है दूर रहने के लिए..
गौतम - अब इसमें मेरी क्या गलती? मैं आपके लिए हमेशा तैयार हूँ..
रूपा - अच्छा.. सुबह कितनी बजे निकलोगे?
गौतम - 8 बजे वाली बस से..
रूपा - बस से क्यों?
गौतम - इतनी दूर बाइक चलाने में मुझे नींद आती है..
रूपा - तो मुझे कहना था ना ग़ुगु.. मैं कल सुबह घर पर कार भिजवा दूंगी.. उसे लेकर चले जाना..
गौतम - पर आपके पास कार कहा है?
रूपा - तू अभी अपनी मम्मी को ठीक से जानता नहीं है मेरे नन्हे शैतान..
गौतम - अच्छा ज़ी.. ऐसी बात है? फिर तो कोशिश करूँगा जल्दी जान जाऊ..
रूपा - मन कर रहा है तुझे फ़ोन में घुस कर अपने गले से लगा लू.. बहुत याद आ रही है तेरी..
गौतम - मुझे भी..
रूपा - चल अब रखती हूँ.. तू भी सोजा..
गौतम - गुडनाइट मम्मी...
रूपा - गुडनाईट मेरे नन्हे शैतान..
सुबह हो चुकी थी औऱ सुमन नहाने के बाद काले पेटीकोट औऱ ब्लाउज को पहनकर रसोई में चाय बना रही थी उसके बाल गीले थे जिसे उसने तौलिये से बाँधा हुआ था उसे देखने से लगता था वो अभी अभी नहा के आई है औऱ चाय बनाने लगी है.. गौतम भी अभी अभी बाथरूम से नहाके निकलकर अपने कपडे पहन चूका था.. गौतम रसोई में आकर पीछे से सुमन को अपनी बाहों में भरते हुए सुमन की गर्दन चुम लेता है कहता है..
गौतम - गुडमॉर्निंग माँ..
सुमन - गुडमॉर्निंग मेरे बच्चा.. क्या बात है आज तो जगाने बिना ही उठ गया तू.. औऱ नहा भी लिया..
गौतम - आप कहो तो वापस सो जाता हूँ..
सुमन - कोई जरुरत नहीं है.. मैंने तेरा बैग पैक दिया है कुछ औऱ चीज लेनी हो तो तू अभी रख ले.. बाद में तू मत बोलना.. आपने ये तो पैक ही नहीं किया.
गौतम - नहीं बोलूंगा.. अच्छा रात को आपकी रूपा रानी का massage फ़ोन आया था..
सुमन - ग़ुगु वो भी तेरी माँ जैसी है.. रेस्पेक्ट से नाम लिया कर उनका बेटू..
गौतम - इतना प्यार से नाम ले रहा हूँ.. रूपा.. रानी.. औऱ कितनी रेस्पेक्ट करू उनकी.. वैसे एक बात बोलू.. मुझे बहुत सेक्सी लगती है आपकी रूपा रानी.. कहो तो बहु बनाके ले आउ आपकी रूपा को..
सुमन गौतम के कान पकड़ते हुए - देख रही हूँ बहुत बदमाश हो रहा है तू.. तुझे बस बड़ी औरत ही पसंद आती है, है ना? वैसे क्या कह रही थी रूपा?
गौतम अपना कान छुड़वाते हुए - आई लव यू बोल रही थी मुझे.. कह रही थी मेरी याद आती है उनको.. नींद भी नहीं आती मेरे बिना..
सुमन - तूने आज मार खाने का इरादा कर लिया है क्या?
गौतम - मज़ाक़ कर रहा था माँ.. रूपा आंटी गाडी भिजवा रही है.. बोल रही थी बस से मत जाना..
सुमन - तूने मना नहीं किया रूपा को? औऱ तुझे कार चलाना आता है?
गौतम - मना किया था पर वो मानी नहीं, बोली.. अगर मुझे अपना समझते हो तो मना मत करना.. औऱ आप तो जानती हो मैं रूपा आंटी को कितना अपना समझता हूँ.. औऱ माँ कार क्या आपका ग़ुगु ट्रक भी चला सकता है..
सुमन - हम्म.. सब पता है मुझे.. तू किसको क्या समझता है.. ले चाय पिले मैं साडी पहन लेती हूँ..
गौतम - माँ कोई अच्छी साडी पहना..
सुमन - चल ही बता दे क्या पहनू..
गौतम - मैरून अच्छा लगेगा आप पर..
सुमन - मैरून कलर की साडी पहन लेती हूँ.. बस..
गौतम चाय की चुस्कीया लेने लगता है और कुछ औऱ चीज़े अपने बेग में डाल लेता है.. सुमन अंदर जाकर साड़ी पहन लेती है, इतने में कोई आदमी बाहर दरवाजे पर बेल बजाता है और गौतम बाहर जाकर देखता है तो एक आदमी उसे कार की चाबी दे देता है औऱ चला जाता है.. गौतम देखता है की रूपा ने वाइट कलर स्विफ्ट कार भिजवाई है.. वो चाबी लेकर अंदर आ जाता है औऱ सुमन ने जो बेग पैक किये थे उन्हें कार में रख देता है..
गौतम - माँ कितना टाइम लगेगा? साडी पहन रही हो या बना रही हो..
सुमन - बस ग़ुगु 5 मिनट..
गौतम - आधा घंटा हो गया आपकी 5 मिनट ख़त्म नहीं हो रही..
सुमन - बेटू बस आ गई..
गौतम - 5 मिनट में आप बाहर नहीं आई तो मैं अंदर आ जाऊंगा साडी पहनाने..
सुमन हस्ते हुए - तुझे रोका किसने है अंदर आने से बेटू..
गौतम 5 मिनट बाद कमरे में घुस जाता है देखता है की सुमन आईने के सामने बैठकर अपने होंठों पर लिपस्टिक लगा रही है.. उसने आज अद्भुत श्रृंगार किया था उसका चेहरा चाँद की लालिमा के सामान प्रजव्वल था माथे पर बिंदिया आँखों में काजल औऱ होंठों पर लाली के साथ साथ.. सुमन ने पहनी मेरून साडी भी उसके रूप को औऱ बढ़ा रही थी..
सुमन - बस ग़ुगु.. हो गया चलते है..
गौतम सुमन को बस देखे जा रहा था..
सुमन - चल ना ग़ुगु अब खड़ा क्यों है..
गौतम - कमाल लग रही हो माँ आज.. लगता है आफत आने वाली है.. मन कर रहा है आपको अपनी दुल्हन बना लू..
सुमन मुस्कराते गौतम का मुंह पकड़कर हुए - माँ को दुल्हन बनाएगा बेशर्म.. चल.. अब लेट नहीं हो रहा?
गौतम सुमन को बाहों में भरते हुए - लिपस्टिक ख़त्म तो नहीं हुई ना माँ आपकी?
सुमन - क्यों?
गौतम - क्योंकि जो लिपस्टिक आपने अपने होंठों पर लगाईं है उसे तो मैं खाने वाला हूँ..
इतना कहकर गौतम सुमन के होंठों पर टूट पड़ता है औऱ सुमन को बेतहाशा चूमने लगता है जिससे सुमन हक्कीबक्की रह जाती है औऱ गौतम को चूमने से नहीं रोक पाती औऱ चुपचाप खड़ी रहकर गौतम के चुम्बन का मोन समर्थन कर देती है.. गौतम सुमन को बाहों में जकड कर चूमे जा रहा था औऱ लम्बे समय बाद सुमन के मना करने पर चुम्बन तोड़ देता है..
सुमन - ग़ुगु.. तू भी ना..
गौतम - सॉरी माँ.. आप इतनी प्यारी लग रही है कण्ट्रोल नहीं कर पाया आपको चूमने से..
सुमन रुमाल से गौतम के होंठों पर लगी अपने होंठों कि लिपस्टिक साफ करती है औऱ अपने होंठों कि लिपस्टिक ठीक कर गौतम से चलने के लिए कहती है.
गौतम औऱ सुमन कार मैं बैठ जाते है औऱ जयपुर के लिए निकल जाते है..
रास्ते में पड़ने वाली कच्ची सडक पर हिलती गाडी में सुमन के हिलते चुचे देखकर गौतम का मन काम कि भावना से भरने लगता है औऱ वो अपना एक हाथ सुमन के चुचे पर रखकर दबाता हुआ सुमन से पूछता है..
गौतम - माँ ब्रा नहीं पहनी क्या आपने?
सुमन - ग़ुगु ये ब्लाउज बहुत टाइट था तो नहीं पहन पाई..
गौतम - दूसरा ब्लाउज पहन लेती ना माँ.. ब्रा नहीं पहनोगी तो आपके बूब्स ढीले होकर लटक जाएंगे.. औऱ मैं नहीं चाहता आप अभी से ढीली पड़ो..
सुमन - ग़ुगु इस साड़ी पर यही ब्लाउज मैचिंग था तो पहन लिया.. मामा के घर बदल लुंगी..
गौतम - मामा के घर क्यों माँ.. रास्ते में कहीं बदल लेना..
सुमन - रास्ते में कहा जगह मिलेगी बेटा?
गौतम - उसकी चिंता आप मत करो.. आगे हाईवे से गाडी नीचे उतार लूंगा.. वहा दूर दूर तक कोई भी नहीं है..
सुमन - बेटा पर खुले में?
गौतम - मैंने कहा ना माँ वहा कोई नहीं आता जाता आप चिंता मत करो..
गौतम गाडी को कुछ देर हाईवे पर चला कर एक कट से नीचे उतार लेता है जहा जंगल जैसी जगाह थी.. थोड़ा आगे गाडी चला कर एक पेड़ के नीचे रोक देता है..
गौतम - आप ब्लाउज बदल लो माँ मैं बाथरूम कर लेता हूँ..
इतना कहकर गौतम गाडी से नीचे उतर जाता है औऱ गाडी के पास ही पेड़ के नीचे मूतने लगता है सुमन बेग से दूसरा ब्लाउज निकालकर पहनने लगती है मगर सुमन का ध्यान गौतम के लंड पर था जिसे गौतम जानभूझ गाडी के बिलकुल पास सुमन को दिखाते हुए मूत रहा था.. सुमन औऱ गौतम दोनों के मन में चुदाई कि काम इच्छा फलने फूलने लगी थी..
गौतम मूतने के बाद अपने लंड को दो चार बार ऐसे हिलता है जैसे वो मुठ मार रहा हो फिर लंड को पेंट में कर लेता है औऱ गांड़ी में आकर बैठ जाता है.. सुमन ये देखकर औऱ भी कामुक हो उठी थी..
गौतम सुमन के पर्स में से सिगरेट निकालकर सुलगा लेता औऱ एक कश मारके सुमन का ब्लाउज देखकर कहता है - ध्यान कहा है माँ आपका?
सुमन - क्यों.. क्या हुआ ग़ुगु?
गौतम सिगरेट का अगला कश लेकर - ब्लाउज उल्टा पहना है आपने..
सुमन हसते हुए अपना ब्लाउज खोल देती है औऱ उसे सीधा करने लगती है गौतम सुमन के हाथो से ब्लाउज ले लेता है औऱ सुमन को सिगरेट देते हुए कहता है - बाद में पहन लेना माँ.. क्या जल्दी है..
सुमन सिगरेट लेकर कश मारती हुई गौतम से कहती है - तेरा बस चले तो तू मुझे नंगा ही कर दे.. बहुत बिगड़ गया है तू.. तेरा कॉलेज ख़त्म होते ही तेरी शादी करवा दूंगी अच्छी सी लड़की देखकर..
गौतम सुमन के सामने अपना लंड मसलते हुए - पर मुझे तो आपके अलावा कोई औऱ पसंद ही नहीं आता माँ.. आप ही कर लो ना मुझसे शादी.. बहुत खुश रखूँगा में आपको.. कभी छोडके नहीं जाऊंगा.. हमेशा प्यार करूंगा आपसे..
सुमन सिगरेट का कश लेकर धुआँ छोडते हुए मुस्कुराकर - माँ हूँ मैं तेरी.. मुझसे ऐसी बातें करेगा तो एक थप्पड़ खायेगा तू.. देख रही हूँ बहुत आग लगी हुई है तेरे अंदर..
गौतम सुमन से सिगरेट लेकर कश मारता हुआ - आप तो हमेशा दिल तोड़ने कि बातें करती हो माँ.. अब आग लगी हुई तो इसमें क्या दोष? मैं अपने मन से थोड़ी जवान हुआ हूँ.. आपको देखकर मेरे दिल में कुछ कुछ होता है तो इसमें मेरी क्या गलती?
सुमन मुस्कुराते हुए - मैं समझती हूँ मेरे शहजादे.. पर मैं माँ हूँ तेरी.. तेरे साथ कुछ भी वैसा नहीं कर सकती..
गौतम सुमन को सिगरेट देते हुए - मैं कब कह रहा हूँ कि आप मेरे साथ सेक्स करो माँ.. पर आप अपने हाथो से तो कभी कभी मुझे प्यार कर सकती हो..
सुमन गौतम का इशारा समझ गई थी औऱ उसके चेहरे पर हलकी शर्म लिहाज़ औऱ गौतम के लंड को साफ साफ देखने कि बेसब्री साफ दिखाई दे रही थी..
सुमन सिगरेट का आखिरी कश लेकर सिगरेट बाहर फेंक देती है औऱ दो घूंट पानी पीकर गौतम से कहती है - ठीक है ग़ुगु.. अगर तू चाहता है तो मैं अपने हाथों से तुझे ठंडा कर देती हूँ, लेकिन तू भी मुझसे वादा कर कि ये बात किसी को नहीं बताएगा औऱ मेरी हर बात चुपचाप मानेगा..
गौतम सुमन का हाथ पकड़ कर अपने लंड पर रख देता है औऱ दबाते हुए कहता है - आप जैसा बोलोगी मैं वैसा ही करूगा माँ.. बस आप उसे ठंडा कर दो.. बहुत परेशान करता है ये मुझे...
सुमन मुस्कुराते हुए - नीचे कर अपनी जीन्स..
गौतम एक झटके मैं जीन्स औऱ चड्डी नीचे सरका देता है औऱ सुमन के सामने साफ साफ अपने खड़े लंड को नंगा कर देता है.. सुमन पहले भी गौतम का लंड देख चुकी थी मगर अब उसके सामने मात्र कुछ इंच दूर ही गौतम का लंड पूरा खड़ा हुआ था जिसे देखकर सुमन के मन में सावन कि बारिश होने लगी औऱ मोर नाचने लगे..
सुमन - हाय दइया ग़ुगु..
गौतम - पसंद आया माँ?
सुमन शर्मा जाती है औऱ अपने हाथ में गौतम का लंड पकड़ कर उसे नापते हुएधीरे धीरे ऊपर नीचे करने लगती है गौतम भी सुमन कि ब्रा निकाल देता है औऱ उसके चुचे दबाते हुए सुमन को अपनी तरफ खींचकर चूमने लगता है..
सुमन गौतम के ऊपर झुकी हुई उसे अपने होंठों का स्वाद चखा रही थी वही गौतम सुमन के चुचे औऱ खड़े चुचक मसलते हुए सुमन से हस्तमैथुन का मज़ा ले रहा था बहुत देर तक ये कार्यक्रम ऐसे ही चलता रहा..
सुमन - कब निकलेगा ग़ुगु? कब से हिला रही हूँ..
गौतम - माँ मुंह में लेके ट्राय करो ना जल्दी निकल जाएगा..
सुमन इतराते हुए - मैं मुंह नहीं लुंगी.. मुझे अजीब लगता है
गौतम - ले लो ना माँ.. कुछ नहीं होता.. आगे आपको जूस पीला दूंगा.. सब ठीक हो जाएगा..
सुमन - नहीं ग़ुगु.. हाथों से ही हिला दूंगी.. मैंने कभी मुंह में नहीं लिया.. मुझे उल्टी आती है..
गौतम - माँ हाथों से तो बहुत टाइम लग जाएगा.. कब तक हिलाती रहोगी? एक करो मैं कंडोम पहन लेता हूँ फिर मुंह में लेके निकाल दो..
सुमन शरमाते हुए - ग़ुगु नहीं ना..
गौतम - प्लीज ना माँ.. कंडोम से मान जाओ..
सुमन - कंडोम है तुम्हारे पास?
गौतम अपने बटुए से कंडोम निकालते हुए - बहुत सारे है माँ.. आपको कोनसा फ्लैवर पसंद है?
सुमन शरमाते हुए - कोई सा भी देदे..
गौतम - स्ट्रॉबेरी लेलो माँ.. ज्यादातर औरतो को वही पसंद आता है.. लो पहना दो..
सुमन कंडोम लेकर गौतम के लंड पर पहना देती है..
गौतम सुमन के सर पर हाथ रख देता है औऱ उसे लंड पर झुकाते हुए कहता है - बच्चों जैसे क्या शर्मा रही हो माँ आप भी.. चलो अब ले भी ली मुंह में.. कुछ नहीं होता..
सुमन गौतम के लंड को मुंह में भरने लगती है औऱ गौतम अपनी माँ के मुंह में लंड जाने से औऱ भी ज्यादा उत्तेजित होने लगता है..
गौतम सुमन के पर्स से एक औऱ सिगरेट निकाल कर लाइटर से सुलगा लेता है औऱ सिगरेट के कश लेटे हुए लंड चुस्ती अपनी माँ सुमन को देखने लगता है..
गौतम सुमन के सर पर दबाव डालकर - माँ थोड़ा अंदर लेकर चुसो ना.. आप तो बस मेरे लंड के टोपे को ही चूस रही हो..
सुमन गौतम के लंड को मुंह में औऱ भरकर चूसे जा रही थी औऱ अपने हाथ से गौतम के दोनों टट्टे सहला रही थी..
गौतम को तो जैसे सुमन ने अफीम खिला दी थी गौतम उतना नशे में मदहोश होने लगा था औऱ सिगरेट के कश लेता हुआ सुमन के blowjob से तृप्त होने लगा था.
सुमन ने मुंह लेकर बस 5 मिनट के अंदर ही गौतम का माल निकाल दिया.. औऱ उसके लंड से कंडोम उतार कर कंडोम के गाँठ लगाकर गाडी से बाहर फेंक दिया..
सुमन - बस हो गई तेरी इच्छा पूरी? हो गया ठंडा?
गौतम - आई लव यू सुमन..
सुमन हसते हुए - मुझे नाम से मत बुला बेशर्म..
गौतम - माँ छोटे ग़ुगु को साफ तो कर दो..
सुमन गौतम का लंड पकड़ कर अपनी साडी के पल्लू से लंड का चिपचिपापन साफ कर देती है औऱ अपनी ब्रा औऱ ब्लाउज पहनने लगती है औऱ गौतम से कहती है - अब मेरे इस छोटे ग़ुगु को अंदर तो डाल ले..
गौतम लंड अंदर करता हुआ - छोटा ग़ुगु तो नाराज़ है आपसे..
सुमन - क्यों मज़ा नहीं आया मेरे छोटे ग़ुगु को?
गौतम - मज़ा कैसे आता? अपने छोटे ग़ुगु को छाता जो पहना दिया..
सुमन गौतम कि बात पर जोर से हँसने लगी औऱ फिर गौतम से बोली - अगली बार मेरे छोटे ग़ुगु को बिना छाते के मुंह में ले लुंगी बस..
गौतम सुमन कि जांघ पर हाथ रखकर सुमन कि जांघ सहलाते हुए - माँ अपने तो मेरी आग बुझा दी.. अब मेरी बारी..
इतना कहते हुए गौतम सुमन कि साडी को ऊपर करता हुआ उसकी चुत पर हाथ लगा देता है जिससे सुमन सिसक उठती है औऱ गौतम को मना करने लगती है मगर गौतम सुमन कि बात नहीं सुनता औऱ सुमन की चड्डी के अंदर हाथ डाल कर उसकी चुत को मुठी में भर लेता औऱ मसलने लगता है..
सुमन - ग़ुगु नहीं.. छोड़ दे.. ग़ुगु.. बेटा छोड़ दे ना..
गौतम - छोड़ दूंगा माँ.. बस थोड़ी देर चुप रहो औऱ मज़े लो..
इतना कहकर गौतम सुमन की चड्डी नीचे सरका देता है औऱ उसकी चुत पर अपना मुंह लगा देता है जिससे सुमन की सिसक सिसकारियों में बदल जाती है औऱ वो गौतम के सर को पकड़ कर अब खुदसे अपनी चुत पर दबाने लगती है..
गौतम कुत्ते की तरह सुमन की चुत चाट रहा था औऱ बिना शर्म किये सुमन की चुत फैला कर अपनी जीभ अंदर तक डाल रहा था..
सुमन भी कुछ ही मिनटों में अपनी नदी बहा देती है जिसे गौतम बिना शर्म किये अपने मुंह में भरकर पी लेता है औऱ चाट चाट कर सुमन की झांटो से भारी हुई गुलाबी चुत साफ करके अपनी सीट पर आराम से बैठ जाता है..
सुमन को तो जैसे विश्वास ही नहीं हो रहा था की उसके साथ अभी अभी गौतम ने क्या किया है सुमन झड़ने के बाद इतना हल्का महसूस कर रही थी जैसे हवा मैं परिंदे महसूस करते है.. सुमन शर्म से पानी पानी हो रही थी औऱ गौतम से नज़र तक मिलाने में शर्मा रही थी उसने अपनी चड्डी वापस पहनी औऱ एक नज़र प्यार से गौतम की तरह देखा.. गौतम भी प्यार की नज़र से सुमन को ही देख रहा था..
सुमन ने अब शर्म का पर्दा हटाकर गौतम के होंठों पर चिपका अपनी झांट का एक बाल अपने हाथ से हटाकर साफ कर दिया औऱ अपनी सीट से उठकर गौतम के ऊपर चढ़ गई औऱ बिना कुछ कहे उसके मुंह से लग गई..
दोनों की जापानी चुम्मा चाटी वापस शुरू हो चुकी थी जिसे गायत्री के फ़ोन ने तोड़ा..
सुमन फ़ोन उठाकर - हाँ माँ..
गायत्री - सुमन कहा है अभी तक आई नहीं..
सुमन - बस माँ रास्ते में है..
गायत्री - कहा तक पहुंची औऱ ग़ुगु भी आ रहा है ना?
गौतम फ़ोन लेकर - आधे रास्ते आ गए नानी.. मैं भी माँ के साथ आ रहा हूँ..
गायत्री - ग़ुगु.. केसा है मेरा बच्चा? नानी से भी नाराज़ है तू? कभी बात भी नहीं करता..
गौतम - नहीं नानी.. आपसे कैसी नाराज़गी.. मैं आ रहा हूँ ज़ी भरके आपसे बात करूंगा.. ठीक है?
गायत्री - आजा मेरा बच्चा.. नानी बहुत इंतजार कर रही है तेरा..
गौतम - ठीक है नानी रखता हूँ.. फ़ोन कट हो जाता है..
सुमन - अब चल यहां से ग़ुगु..
गोतम - पहले मुझे आई लव यू बोलो..
सुमन गौतम को चूमकर - आई लव यू बेटू.. अब चल ना..
गौतम गाडी को वापस हाईवे पर चढ़ा देता है औऱ दोनों दो घंटे बाद जयपुर पहुंच जाते है जहा एक रिहायशी कॉलोनी में आ जाते है..
गौतम - क्या एड्रेस था माँ..
सुमन फ़ोन दिखा कर - ये वाला..
गौतम बाहर देखकर - जगह तो बहुत महँगी लगती है..
सुमन - हाँ.. माँ बता रही थी तेरे मामा ने बहुत महँगी जमीन ख़रीदी थी औऱ घर भी बड़ा बनवाया है..
गौतम - सही है.. देखना अब मामी कैसे हर चीज की रेट बता कर हमें जलाने की कोशिश करेंगी..
सुमन - ग़ुगु तुझे मेरी कसम जो तूने किसीको यहां उल्टा सीधा कुछ भी बोला था तो..
गौतम सुमन की जांघ पर हाथ रखकर - बेफिक्र रहो माँ.. मैं किसीसे कुछ नहीं कहने वाला..
सुमन - शायद वो वाला घर लगता है ग़ुगु..
गौतम फ़ोन में एड्रेस देखकर - वही है माँ.. चलो..
Are birju bhaiyya to gajab hai.... chudte huye apni bahan ko सिगरेट भी पिलाते है और आगे के लिए गौतम का बंदोबस्त भी कर दिया....Update 26
गौतम जब नीचे आया दूल्हे औऱ दुल्हन का खाना लग चूका था.. आरती ने गौतम का हाथ पकड़ कर उसे भी अपने साथ खाने की मेज पर बैठा लिया औऱ बोली..
आरती - क्यों देवर ज़ी.. आज तो अपनी भाभी से मिलने की फुर्सत ही नहीं मिली आपको.. कितना ढूंढा पर आप कभी यहां तो कभी वहा.. आज तो हवा की तरह बह रहे थे.. अब पकड़ में आये हो..
कोमल - अरे आरती क्यों तंग रही है ग़ुगु को..
सुमन भी खाने की टेबल पर बैठी थी उसने कोमल से कहा - अरे भाभी.. आप देवर भाभी के बीच क्यों बोलती हो.. अब आरती अपने देवर से हंसी मज़ाक़ नहीं करेंगी तो किस्से करेंगी.. आपसे?
आरती - सही कहा बुआ.. औऱ देवर जब इतना प्यारा हो तो मज़ाक़ के साथ साथ औऱ भी बहुत कुछ करना पड़ता है..
आरती की बात पर सब हँसने लगते है..
गौतम - भाभी छोडो मुझे.. मुझे दीदी के साथ बैठके खाना है आज.. बहुत सताया है मैंने दीदी को..
(गौतम उठकर ऋतू के साथ वाली कुर्सी पर बैठकर) दीदी जीजा ज़ी के हाथ से बाद में खाना पहले मेरे हाथ से खाओ..
ऋतू मुस्कुराते हुए गौतम का गाल चूमकर - ग़ुगु.. सच में बहुत सताया तूने मुझे..
गौतम - मैंने जितना सताया उसका बदला आप ससुराल जाकर जीजाजी को सताकर पूरा कर लेना..
ऋतू हसते हुए गौतम को गले लगा कर - मेरा प्यारा भाई..
कोमल - अब खाना भी खालो.. दोनों भाई बहन क्या बात ही करते रहोगे..
गौतम - हाँ मामी.. मुझे तो बहुत भूख लगी है..
आरती - ऋतू जरा राहुल ज़ी को भी तो खिला अपने हाथो से..
सुमन - अब तो इसे सारी उम्र यही करना है आरती..
आरती - ये सच कहा बुआ आपने.. अब तो देवर ज़ी बचे है.. उनके लिए भी लड़की देखनी पड़ेगी..
गौतम - आप हो ना भाभी.. कोई औऱ लड़की देखने की क्या जरुरत है..
आरती - देख रही हो बुआ.. पहले तो बोलने से भी बात नहीं करता था.. अब केसे कैंची की तरह जुबान चलाने लगा है आपका ग़ुगु..
सुमन खाना खाते हुए - तुम अपनी देवर भाभी की बातों में मुझे मत खींचो..
गौतम - दीदी ये स्वाद है.. इसे लो ना..
आरती - देवर ज़ी हमें भी दे दो क्या स्वाद बना है.. आप तो अपनी दीदी से ही चिपके हुए हो..
गौतम अपनी जगह से उठकर आरती के पास जाता है औऱ एक निवाला उसे खिलाकर कहता है- लो कहा लो.. बस?
कोमल - अब तो खुश हो आरती? देवर ने अपने हाथों से भी खिला दिया..
आरती - मैं कल ही खुश हो गई थी देवर ज़ी से मम्मी ज़ी..
गौतम आरती को देखता हुआ - मतलब?
आरती - कल देवर ज़ी आपने गन्ने का जूस पिलाया था ना.. उसके बारे में बात कर रही हूँ..
गायत्री - जूस तो ग़ुगु ने आज मुझे भी पिलाया था..
कोमल - आप दोनों से पहले ग़ुगु मेरे पास आया था.. जूस लेकर.. मुझे तो दो दो बार पिलाया था.. जूस पीते पीते ही तो मेरे पैर में मोच आई थी..
संजय - ग़ुगु.. ये क्या बात हुई सिर्फ अपनी नानी मामी औऱ भाभी को ही तुमने जूस पिलाया.. हमसे क्या दुश्मनी है तुम्हारी?
गौतम - मामाजी.. वो एक ही गन्ना था.. बेचारे से कितना जूस निकालता.. मैंने तो अभी तक माँ औऱ ऋतू दीदी को भी नहीं पिलाया..
सुमन - छोडो ना भईया.. क्या गन्ने के पीछे पड़ गए सब लोग.. आज हमारी ऋतू कितनी प्यारी लग रही है..
गौतम - माँ सही कह रही हो.. दीदी तो बिलकुल चाँद जैसी लग रही है..
ऋतू - चाँद तो तू है.. मेरा प्यारा सा ग़ुगु..
सुमन - अब ये प्यार अपने पति को करना ऋतू.. भाई को नहीं.
ऋतू - बुआ.. बड़ी मुश्किल से ग़ुगु मुझसे बात करने लगा है औऱ आप कह रही हो प्यार ना करू.. ग़ुगु को तो मैं बहुत प्यार करुँगी.. शादी होने से बदल थोड़ी जाउंगी..
गौतम खड़ा होता हुआ - मेरा तो खाना हो गया..
कोमल - इतनी जल्दी?
गौतम - औऱ भूख नहीं है मामी.. ये कहते हुए गौतम हॉल से बाहर निकल कर बाथरूम की तरफ चला जाता है..
गौतम बाथरूम करके बाथरूम के बाहर खड़ा हो जाता है औऱ सिगरेट सुलगा कर पहला कश लेता ही है की पीछे से आरती आकर उसे अपनी बाहों में भर लेती है..
आरती - आज तो बहुत तड़पाया आपने देवर ज़ी..
गौतम मुड़कर आरती की बाहों से अपने आप को छुड़वाता है औऱ आरती का हाथ पकड़कर कहता है..
गौतम - भाभी यहां कोई देख लेगा.. इस तरफ आओ..
गौतम आरती को बाथरूम के दाई तरफ हलवाई के लिए बने कमरे के पीछे खाली जगह ले आता है.. जहा हलकी सी रौशनी के अलावा कुछ नहीं था..
आरती गौतम से सिगरेट लेकर कश मारती हुई - बताओ देवर ज़ी.. अपना लंहगा मैं उठाउ या इतनी मेहनत आप खुद कर लोगे?
गौतम लुहंगा उठाते हुए - देवर के होते हुए भाभी मेहनत करें.. ये तो गलत बात है..
गौतम अपनी पेंट चड्डी सहित नीचे करके अपने लंड को आरती की चुत में डाल देता है औऱ दिवार से लगा कर धीरे धीरे आरती को चोदने लगता है..
आरती सिगरेट के कश लगाती हुई चुदते चुदते कहती है - देवर ज़ी आप तो जोनी सिंन्स के भी बाप हो.. आप चले जाओगे तो कैसे ज़ी पाउंगी मैं आपके बिना..
गौतम चोदते हुए - अब तो आना जाना लगा ही रहेगा भाभी.. क्यों चिंता करती हो..
आरती सिगरेट का कश लेकर अँधेरे में किसीको खड़ा देखकर - कौन? कौन है तू?
एक 25-30 साल का दुबला पतला सीधा साधा आदमी - ज़ी.. मैं बिरजू..
आरती गुस्से में - क्या कर रहा है चुतिया यहां खड़ा खड़ा.. निकल यहां से..
गौतम - अरे रुक रुक.. इधर आ..
बिरजू - ज़ी..
गौतम आरती का बोबा पकड़कर चूसते हुए - लड़की मस्त है ना..
share images free
बिरजू आरती को देखकर हाँ में सर हिलता है ..
गौतम - ये पीछे कमरे में कौन है?
बिरजू धीरे से - कोई नहीं है.. मैं अकेला रहता हूँ.. लोन की देखरेख करता हूँ..
गौतम - देख बिरजू ये मेरी भाभी है.. औऱ मैं इसे तसल्ली से चोदना चाहता हूँ.. कोई जगह है तो बता.. तेरी तनख्वाह बढ़वा दूंगा..
आरती बिरजू का लंड उसके पज़ामे के बाहर से पकड़ कर सिगरेट का कश लेती हुई - देखो बिरजू भईया.. मुझे अपनी बहन समझो.. औऱ इनको अपने जीजाजी.. आपकी बहन आपके जीजाजी से चुदना चाहती है.. अंदर कमरे में कोई गद्दा वद्दा पड़ा है जिसपर आपकी ये बहन आराम से चुदवा सके तो बता दो..
बिरजू - गद्दा तो नहीं है.. एक खाट पड़ी है बस..
गौतम आरती से सिगरेट लेकर एक कश मारता है औऱ सिगरेट फेंककर बिरजू से कहता है - चल दिखा..
बिरजू गौतम औऱ आरती को पीछे कमरे में ले आता है जहा धीमी रौशनी वाला बल्ब जल रहा था औऱ एक पुरानी खाट पर चटाई बिछी हुई थी..
गौतम ने आरती को खाट पर बिठा दिया औऱ अपनी शर्ट निकालता हुआ बिरजू को एक 500 का नोट देकर बोला - बाहर जाकर खड़ा रह.. मैं तेरी ये बहन चोद ना दू तब तक कोई अन्दर नहीं आना नहीं चाहिए.. समझा..
बिरजू बाहर चला जाता है औऱ खिड़की से अंदर झांकने लगता है वही गौतम आरती को खाट पर लेटा कर लहंगा उठाते हुए अपना लोडा आरती की चुत में फिट करके आरती को चोदने लगता है...
गौतम के झटको पर आरती जोर जोर से खुलकर आहे भरने लगती है औऱ बाहर बिरजू आरती की कामुक सिस्कारिया सुनकर अपना लंड हिला कर मुठ मारने लगता है...
आरती - आह्ह..देवर ज़ी यही रह जाओ ना.. मेरे पास.. बहुत प्यार दूंगी आपको.. अपनी इस चुत में घुसा के रखूंगी..
गौतम - आपके पास रह जाऊँगा भाभी तो आपकी उन बहनो का क्या होगा जो अपनी टाँगे चौड़ी करके मेरे इंतजार में लेटी है..
आरती - अब तक कितनी लड़कियों को दीवाना बना चुके हो देवर ज़ी?
गौतम चोदते हुए - लड़किया नहीं भाभी ऑन्टीया.. औऱ उनकी तो गिनती करनी पड़ेगी..
आरती चुदवाते हुए - देवर ज़ी सिगरेट..
गौतम चोदते हुए - पेंट में है भाभी..
आरती आवाज लगाते हुए - बिरजू भईया.. ओ बिरजू भईया..
बिरजू एक बार झड़ चूका था औऱ अब दूसरी बार लंड हिला रहा था.. आरती की आवाज सुनकर वो लंड पजामे में डालाकर अंदर आ गया.
बिरजू चुदवाती हुई आरती को देखकर - ज़ी दीदी..
आरती चुदवाते हुए प्यार से- बिरजू भईया.. आपके जीजाजी की पेंट वहा पड़ी है उसमे से सिगरेट का पैकेट औऱ लाइटर दो अपनी इस बहन को..
बिरजू गौतम की पेंट से दोनों चीज निकालकर आरती को दे देता है औऱ जाने लगता है तभी गौतम चोदते हुए कहता है..
गौतम - बिरजू यही बैठा जा.. किसी औऱ चीज की भी जरुरत पड़ सकती है..
आरती एक सिगरेट सुलगाकर बिरजू से - बिरजू भईया आप पिओगे सिगरेट?
बिरजू नीचे सर करके - मैं नहीं पिता दीदी..
आरती सिगरेट का कश लेकर गौतम से चुदवाते हुए - देखो ना बिरजू भईया आपके जीजाजी अपकी बहन को कैसे चोद रहे है.. आप बच्चाओगे नहीं अपनी बहन को चुदने से..
गौतम धीरे धीरे चोदते हुए - बिरजू तो तिरछी नज़रो से आपके बूब्स देख रहा है.. लगता आपके दोनों कबूतर देखने की इच्छा है बिरजू की..
आरती सिगरेट पीते हुआ - सच में बिरजू भईया? अब देखो मैं चोली तो उतार नहीं सकती आप चोली के ऊपर से ही मेरे बूब्स दबाना चाहो तो दबा लो..
गौतम - ले भाई बिरजू.. दे दीं परमिशन तुझे.. दबा ले अपनी बहन के बोबे..
बिरजू खाट के पास ही बैठा था उसने डरते हुए अपना रखा हाथ आरती के चुचे पर रख दिया औऱ धीरे से दबा दिया..
आरती सिगरेट के कश लेकर मुस्कुराती हुई - डर क्यों रहे हो बिरजू भईया.. खुलके दबाओ अपनी बहन के बोबे..
गौतम - दबा ना बिरजू.. क्यों शर्मा रहा है..
बिरजू पूरी ताक़त से आरती का बोबा अपने पंजे में लेकर मसल देता है जिससे आरती की आह निकल जाती है..
गौतम बिरजू से - मज़ा आया?
बिरजू - ज़ी..
आरती सिगरेट पीती हुई - इतना भी जोर से मत दबाओ बिरज्जू भईया थोड़ा धीरे..
गौतम - बोल बिरजू है ना मस्त मोटा बोबा तेरी बहन का..
बिरजू मुस्कुराते हुए - ज़ी भईया..
गौतम चोदते हुए - बिरजू ये बड़े घर की बेटी है इनके बोबे औऱ भोसड़े दोनों बड़े होते है..
आरती झड़ चुकी थी औऱ अब गौतम भी कुछ ही झटको में आरती की चुत में झड़ गया..
आरती गौतम के सर को पकड़कर चूमने लगती है..
दोनों का चुम्बम ख़त्म होने पर गौतम खाट से खड़ा हो जाता है मगर आरती गौतम के रुमाल से अपनी चुत साफ करने लगती है..
गौतम चुपचाप बैठे हुए बिरजू को धीरे धीरे पज़ामे के ऊपर से अपना लंड मसलता देखकर - चोदेगा क्या बिरजू अपनी बहन को?
बिरजू शर्माते हुए कोई जवाब नहीं देता औऱ आरती उसे देखकर हँसने लगती है औऱ खाट से खड़ी होती हुई कहती है - बेचारा.. चलो देवरजी.. लगता है फेरे शुरू होने वाले है..
गौतम - हाँ भाभी.. आप जाओ.. मैं थोड़ी देर में आता हूँ..
आरती जाते हुए - ठीक है.. बाय बिरजू भईया..
आरती वहा से चली जाती है...
बिरजू - भईया ज़ी भाभी बहुत खूबसूरत है..
गौतम - तू अकेला ही रहता है यहां..
बिरजू - ज़ी भईया ज़ी..
गौतम - सुन.. रात में हो सकता है मैं औऱ भी किसी लड़की को यहां लेके आउ.. तू जागता रहना आज रात..
बिरजू - भईया ज़ी आप चिता मत करिये मैं पूरी रात जागता रहूँगा.. आप चाहे जितनी लड़की यहां ले आइये..
गौतम - साले लड़की के सामने जुबान नहीं खुली तेरी अब कैसे पक पक बोल रहे है.
बिरजू - वो भईया ज़ी.. मैं लड़की के सामने थोड़ा शरमाता हूँ.
गौतम - अबे शर्माना लड़कियों का काम है.. अच्छा याद रखना रात को आ सकता हूँ..
बिरजू - चिंता मत करिये भईया ज़ी.. आप कभी भी आइये.. हम जागते रहेंगे..