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Ek number

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Update 48

जंगल के खंडर के जिस कमरे में गौतम औऱ सुमन ने हरिया औऱ मंजू को चुदाई करते हुए देखा था वहां अब हलकी सी सफाई कि जा चुकी थी.. एक खाट किसी ने लाकर रख दी थी जिसपर एक रुई का गद्दा भी पड़ा था औऱ साथ में एक फोल्डबल टेबल भी साइड में थी जिस पर शराब की एक बोतल सिगरेट के पैकेट लाइटर औऱ पानी की बोतल रखी हुई थी..

ये सब आज सुबह गौतम ने ही इस कमरे में रखे थे औऱ अब वो अपनी माँ को भी अपने साथ लेकर खंडर के बाहर आ चूका था औऱ गौतम सुमन का हाथ पकड़ कर उसे खंडर के अंदर ले आया.. सुमन को डर लग रहा था मगर गौतम के साथ में होने से उसका डर काफूर भी हो रहा था.. गौतम ने सुमन को अपनी गोद में उठा लिया औऱ सीढ़ियों से खंडर के ऊपरी मंज़िल पर आ पंहुचा..

सुमन के मन में इस वक्त अजीब अजीब ख्याल चल रहे थे और उसके बदन में सुरसुरी कौंध रही थी.. सुमन का दिल जोरो से धड़क रहा था और आने वाले पलों की कल्पना करके काम वासना के भाव से भरी जा रही थी.. सुमन की आंखों के सामने गौतम का चेहरा था जिसे वह बड़ी प्यार से देख रही थी और अपने हाथ से उसके प्यारे मुख को सहला भी रही थी..

सुमन को पता नहीं था कि गौतम के मन में क्या चल रहा है.. गौतम आज किसी भी कीमत पर सुमन को पा लेना चाहता था और इस नियत से वह सुमन को अपनी गोद में उठा खंडर के इस कमरे पर आ रहा था जहाँ उसने सारी तैयारी कर रही थी.. गौतम ने अपने सुहाग दिन को मनाने के लिए पूरा प्रबंध किया हुआ था..

गौतम ने सुमन को लाकर कमरे में बिछी उसी खत पर पटक दिया औऱ शराब कि बोतल खोलकर सुमन औऱ खुद के लिए एक एक पेग बना दिया..
गौतम पेग देते हुए - लो माँ..
सुमन पेग लेकर - यहां इस खंडर में करोगे अपनी ख्वाहिश पूरी?
गौतम पेग पीकर अपने लिए दूसरा पेग बनाते हुए - यहां तु खुलकर चीख-चिल्ला सकती है सुमन.. तेरी आवाजे सुनकर यहां कोई नहीं आएगा.. औऱ तु मुझसे बचकर कहीं भाग भी नहीं पाओगी..
सुमन पेग पीते हुए - मैं क्यों भागने लगी भला.. मैं भी अब तेरे साथ हर हद पार करना चाहती हूँ..
गौतम दूसरा पेग ख़त्म करके एक सिगरेट सुलगा लेता है औऱ सुमन अपना पहला पेग ख़त्म कर देती है.. गौतम सुमन के करीब खाट पर बैठ कर अपना एक हाथ सुमन के गले में डालकर उसका चुचा पकड़कर मसलते हुए सिगरेट के कश लेता हुआ कहता है..
गौतम - एक बात सच सच बतायेगी सुमन?
सुमन गौतम से सिगरेट लेकर कश मारती हुई - पूछ ना मेरी जान.. जो तुझे पूछना है.. आज तेरी माँ नहीं शर्माने वाली.. मेरे चुचे 34 कमर 28 गांड 36 है..
गौतम सुमन के निप्पल्स मरोड़ता हुआ - मेरा असली बाप कौन है?
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सुमन सिसकती हुई - आह्ह.. गौतम.. ये तू केसा सवाल कर रहा है.. जगमोहन तेरा बाप है..
गौतम सुमन से सिगरेट लेकर कश मारता हुआ वापस सुमन के चुचे पर उभरा हुआ चुचक मसल देता है औऱ बोलता है - सुमन मै मज़ाक़ नहीं कर रहा.. सच सच बता.. मेरा असली बाप कौन है?
सुमन दर्द से - अह्ह्ह्ह.. ग़ुगु मरोड़ मत मेरी निप्पल्स.. औऱ तू अचानक कैसी बात कर रहा है.. औऱ क्या बेतुका सवाल पूछ रहा है...
गौतम सिगरेट का कश लेकर सिगरेट फर्श पर फेंककर अपने जूते से बुझा देता है औऱ सुमन को धक्का देकर खाट पर पीठ के बल लिटाता हुआ उसके ऊपर चढ़कर उसके बालो को अपनी मुट्ठी में भींचकर पकड़ते हुए कहता है - मुझे चुतिया समझा है माँ तूने? चुपचाप मुझे मेरे असली बाप का नाम बता दे.. वरना आज चोदने के बाद तुझे हमेशा के लिए अकेला छोड़ जाऊँगा..

सुमन हैरानी परेशानी औऱ फ़िक्र से भरी हुई - ग़ुगु तू क्या बोले जा रहा है बेटा.. तू जो बोले रहा है मेरी तो कुछ समझ में नहीं आ रहा..
गौतम गुस्से में एक जोरदार तमाचा सुमन के गाल पर मार देता है औऱ कहता है - अब समझ आया तुझे रंडी? बंद कर अपना ये संस्कारी बनने का ढोंग.. मुझे पता चल गया तू कितनी बड़ी रांड रह चुकी है..
सुमन अपने गाल पर हाथ लगा कर - बेटा.. मैं सच कह रही हूँ तेरा बाप जगमोहन ही है..
गौतम हलके नशे में थोड़ा पीछे होता है औऱ सुमन की साडी का पल्लू हटाकर सुमने के चुचो पर अपने दोनों हाथ रखकर ब्लाउज को कस के पकड़ता है औऱ इतना जोर से खींचता है कि सुमन कि छाती पर से उसका ब्लाउज एक बार में फटकार अलग हो जाता है औऱ साथ में ब्रा भी उतर जाती है..

गौतम सुमन के दोनों चुचो को अपने दोनों हाथों के पंजो में पकड़कर दबा दबा के मसलते हुए - अब तो सच बोल दे रंडी.. मैं जान गया हूँ जगमोहन मेरा बाप नहीं है औऱ ना ही वो किसी औऱ का बाप बन सकता है.. ना ही कभी बन सकता था.. वो शुरु से बाप बनने के काबिल नहीं था.
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सुमन गोतम को हैरानी से देखती हुई सिसक कर - गौतम तुझे कैसे..
गौतम सुमन के तनकर खड़े हुई चुचक को मुंह में लेकर चूसता हुआ - मुझे कैसे पता? तू यही सोच रही है ना सुमन.. आज मुझे बहुत कुछ पता चला है तेरे बारे में.. अब मुझे सच सच बता कौन है मेरा असली बाप?
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सुमन गोतम के चेहरे को पकड़कर उसके होंठ पर अपने होंठ रखते हुए चूमती हुई - छोड़ ना गौतम.. अब क्या फर्क पड़ता है.. सालों पहले की बात है..
गौतम सुमन में बाल पकड़कर उसके होंठों को अपने होंठों से अलग करता हुआ उसकी आँखों में देखकर कहता है - फर्क पड़ता है माँ.. तू शादी से पहले जिस जिस के नीचे लेटी है मुझे उनसे कोई मतलब नहीं है.. बस तू इतना बता दे उनमे से मेरा बाप कौन था?
सुमन गौतम के हाथों से अपने बाल छुड़ाकर वापस उसके होंठों पर टूट पडती है औऱ गौतम को चूमती हुई कहती है - उन सब बातों का अब क्या फ़ायदा मेरे शहजादे.. देख तेरी माँ आज तुझे पूरी तरफ से अपनाने को तैयार है.. कर ले अपने मन कि हर ख्वाहिश पूरी बेटा.. होजा मेरे साथ एक जिस्म दो जान..
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गौतम फिर से सुमन के होंठों से अपने होंठ हटाते हुए - मुझे जानना है माँ.. कि कौन था वो जिसने तेरी टाँगे चौड़ी करके तेरी चुत में लंड घुसाकार अपना माल तेरी चुत में झाड़ा जिसके करण तूने मुझे अपनी चुत से निकला..
सुमन अपनी साडी निकालकर पटीकोट का नाड़ा खोलती हुई - गौतम तू कैसी बातें लेकर बैठ गया.. आज तेरा औऱ मेरा पहला मिलन है.. देख तेरी माँ ने तेरे लिए आज अपनी चुत के सारे बाल शेव करके चुत को कितना चिकना कर दिया है...
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गौतम सुमन के मुंह पर थूक देता है औऱ कहता है - हट माँ.. अगर तू मुझे उस आदमी का नाम नहीं बतायेगी तो तुझे चोदने से अच्छा है मैं कोठे पर कोई रंडी चोद लु..
सुमन गौतम का थूक चेहरे से साफ करके मुंह में भर लेटी है औऱ गटकते हुए गौतम का शर्ट खोलती हुई कहती है - मुझे कोठे की रांड समझकर ही चोद ले ग़ुगु.. मैं कोनसी कुछ कह रही हूँ.. तू तो फालतू की ज़िद पकड़ कर बैठ गया.. अब इतने साल बाद क्या मतलब इन बातों का..
गौतम शर्टलेस होकर उठकर कमरे की खिड़की से बाहर जंगल की तरफ देखने लगता है औऱ सुमन से कहता - मुझे मेरे असली बाप का नाम तक नहीं पता औऱ तू कहती है मैं फालतू की ज़िद पकड़ कर बैठा हूँ..
सुमन टेबल पर रखी शराब की बोतल से एक पेग बनती है औऱ पेग के साथ सिगरेट लाइटर हाथ में लेकर गौतम के पास आती है.. - नाम जानने से क्या हो जाएगा गौतम.. हम अब तक जैसे जी रहे थे वैसे ही जी सकते है ना.. तू कब से मेरे पीछे पडा था.. अब जब मैं तैयार हूँ तो तू ऐसे कर रहा है.. ये कहते हुए सुमन ने पेग गौतम के हाथ में दे दिया औऱ उसके होंठों पर एक सिगरेट लगाकर जलाते हुए अपने घुटने पर आ बैठी.. सुमन गौतम की जीन्स का हुक खोलकर उसके लंड को चूमने लगी..
गौतम सिगरेट का कश लेकर पेग पिने लगा औऱ फिर अपने आगे घुटनो पर बैठकर अपने लंड ओर चुम्मिया बरसाती हुई होनी माँ सुमन को देखता हुआ बोला - मैं तुझे औऱ कुछ नहीं कहूंगा सुमन.. तू बस मुझे इतना बता दे की मैं किसके लंड की पैदाईश हूँ?
सुमन लंड पर चुम्मियो की बरसात करने के बाद लंड को मुंह में भरती हुई - आज क्या हुआ है तेरे लंड को गौतम? इतनी चुम्मिया करने औऱ हिलाने के बाद भी खड़ा नहीं हो रहा..
गौतम पेग ख़त्म करके गिलास एक तरफ रख देता है औऱ सिगरेट का लम्बा कश खींचकर सुमन के बाल पकड़कर उसे खड़ा करके उसके मुंह पर सिगरेट का धुआँ छोड़ते हुए कहता है - जब तक इसे अपने बाप का नाम नहीं पता चलता ये खड़ा नहीं होने वाला.. समझी सुमन.. अब बता कौन है मेरा बाप? क्या वो बाबा मेरा असली बाप है जिसके पास जाकर तू कुछ ना कुछ मांगती रहती है..
सुमन हिचकती हुई - गौतम.. बाबाजी के साथ मेरा कोई रिश्ता नहीं रहा..
गौतम सिगरेट का कश लेकर सिगरेट खिड़की से बाहर फेंक देता है औऱ सुमन की चुत को अपनी मुट्ठी में पकड़कर मसलते हुए कहता है - रिश्ता कैसे नहीं रहा? उसने तुझे नंगा नहीं किया था रातों में? तेरी इस चुत में लंड तो उसका भी जा चूका है.. मैं जान चूका हूँ की बच्चे की मन्नत लेकर आई हर औरत को बाबाजी औऱ उसका साथी किशोर रात रात भर होने बिस्तर में चोदते है.. तुझे भी चोदा होगा ना वहा किसीने जब तू बच्चे की मन्नत लेकर वहा गई थी..

सुमन सिसकियाँ लेती हुई गौतम को बाहों में भरकर उसे चूमती हुई - नहीं मेरे शहजादे.. अह्ह्ह्ह... मैं तेरी कसम खाती हूँ.. मैं उस पहाड़ी पर बाबाजी के बिस्तर में नंगी जरुर हुई थी मगर वक़्त रहते मैंने अपना इरादा बदल लिया था औऱ मैं बीना चुदे ही वहा से वापस आ गई थी..

गौतम सुमन को चूमता हुआ खाट में आ जाता है औऱ उसके चुचो का मर्दन करता हुआ कहता है - वहा नहीं चुदी तो कय हुआ माँ? संजय मामा ने तो तुझे शादी के बाद भी बहुत बार चोदा था.. क्या मैं उसकी चुदाई से पैदा हुआ हूँ?
सुमन गौतम का लंड पकड़कर अपनी चुत पर रगडती हुई - नहीं बेटा.. तेरे मामा ने मेरी शादी के बाद कभी मेरी चुत में अपना माल नहीं झाड़ा.. तू तेरे मामा का बेटा नहीं है ग़ुगु..
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गौतम सुमन के चुचो को दांतो से खींचता हुआ चूसता है औऱ सुमन की आँखों में देखकर कहता है - तो क्या मैं तेरे उस पुराने आशिक विजय का बेटा हूँ, जो तुझे सिनेमा दिखाने के बाद अपने दोस्त कमल की पंचर की दूकान में लेजाकर चोदता था.. जिससे तू अब इतने सालों बाद फिर से इंस्टा पर बात करने लगी है..
सुमन गौतम का लंड चुत पर रगढ़ते हुए चौंककर - गौतम तुझे कैसे पता मैं इंस्टा चलाती हूँ औऱ विजय से बात करने लगी हूँ?

गौतम सुमन की गर्दन चाटता हुआ - पूराना अकाउंट डिलीट करके नया बना लेने से तुझे क्या लगा.. मुझे आता नहीं चलेगा.. शर्मीली सुमन नाम से अकाउंट बनाया है ना तूने नया.. उसपर अपनी चिकनी कमर की फोटो डालने से तुझे क्या लगा मुझे पता नहीं चलेगा? माँ.. तेरी कमर के तिल ने मुझे बता दिया कि ये तेरा अकाउंट है.. मैंने तेरे फ़ोन में इंस्टा के पास देखकर अपने फ़ोन में तेरा अकाउंट खोला था सुबह.. औऱ जिस जिस से तूने जो जो बात कि है सब पढ़ ली..
सुमन शर्माते हुए - गौतम तूने ऐसा क्यों किया.. मुझे शर्मिंदा करने से तुझे क्या मिल जाएगा.. मैं तेरी सगी माँ हूँ क्या ये तेरे लिए काफी नहीं?
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गौतम सुमन की टाँगे चौड़ी करके उसके चुत के दाने को चूमकर होंठों से खींचता हुआ - मुझे बस अपने बाप का नाम जानना है सुमन.. अगर तू मुझे उसका असली नाम बता देगी तो मैं वादा करता हूँ.. मैं अपने ईस लंड की छत्रछाया मैं तुझे हमेशा सुखी रखूँगा.. बता सुमन कौन है मेरा असली बाप? क्या वो विजय का दोस्त कमल है? जो विजय के चोदने के बाद तेरी चुदाई करता था..
सुमन गौतम का सर पकड़कर अपनी चुत में घुसाती हुई - नहीं.. गौतम.. वो ना विजय है ना कमल..
गौतम जोर जोर से सुमन की चुत चाटता हुआ - तो बता ना रंडी.. वो कौन है? कौन है मेरा असली बाप?
सुमन का बदन अकड़ने लगता है औऱ वो गौतम के मुंह में झड़ते हुए एक नाम लेती है - वो तेरे चाचा है गौतम.. बृजमोहन..
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गौतम के मुंह पर सुमन की चुत से जबरदस्त पिचकारी की धार निकलकर पडती है औऱ गौतम का सारा मुंह सुमन के पानी से भीग जाता है..
सुमन झड़ने के बाद तेज़ तेज़ सांस लेती हुई सिसकियाँ लेकर - वो तेरा चाचा है गौतम.. तेरा चाचा ही तेरा असली बाप है..
गौतम सुमन की चड्डी से अपना चेहरा साथ करता हुआ - बृजमोहन..
सुमन शरमाते हुए पछतावे से - हाँ गौतम हां.. बृजमोहन.. वही है तेरा असली बाप..
गौतम खाट से खड़ा होकर पानी की बोतल से पानी पीते हुए सुमन को देखकर - मुझे सारी बात बता माँ.. उसने कब औऱ कैसे क्या क्या किया तेरे साथ...
सुमन - वो सब जानकर तू क्या करेगा बेटा.. रहने दे उन बातों को..
गौतम वापस खाट पाकर सुमन की टाँगे चौड़ी करके चुत के छेद लड़ लंड टिका कर दबाव बनाते हुए - मुझे सब जानना है माँ.. तेरे साथ उसने कब कब औऱ क्या क्या किया है..
सुमन गौतम के लंड को चुत के अंदर लेने के लिए पकड़ लेती है चुत में घुसाने लगती है जिसमे उसे बहुत दर्द भी होने लगा था
सुमन सिसकियाँ लेती हुई - बता दूंगी बेटा.. सबकुछ बता दूंगी.. अब तुझसे छीपा कर करुँगी भी क्या?

फूलों का लेप लगाने से सुमन की चुत सिकुड़ चुकी थी और उसे गौतम का मोटा लंड लेने में बहुत तकलीफ होने लगी थी सुमन अभी तक केवल लंड का टोपा ही अपनी चुत में घुसा पाई थी कि उसकी आहे निकलने लगी वो तेज़ सिसकियाँ लेने लगी और किसी कुंवारी की तरह मचलने लगी..
सुमन को समझ नहीं आ रहा था कि अचानक उसे यह क्या हुआ है और वह कैसे इतनी सिकुड़ी हुई चुत की मालकिन बन गई है.. गौतम ने अपनी पूरी कोशिश और दबाव डालते हुए सुमन की सिकुड़ चुकी चुत में अपने लंड को टोपे से थोड़ा आगे औऱ प्रवेश करवा दिया औऱ सुमन के चेहरे पर आते कामुकता औऱ दर्द से भरपुर भावो को देखने लगा.. जिसमे उसे अद्भुत आनंद आ रहा था.. गौतम सोच रहा था ईसी योनि से सालों पहले दो बच्चे निकल चुके हैं लेकिन अभी यह योनि कितनी टाइट है और लेप लगाने के बाद कितनी सिकुड़ चुकी है..

सुमन सिसकियाँ भरती हुई - आराम से गौतम बहुत दर्द हो रहा है.. पता नहीं कैसे इतनी सिकुड़ गई..पता नहीं कैसे तेरे इतने बड़े लंड को अंदर ले पाऊँगी..
गौतम सुमन को देखता हुआ - माँ मुझे माफ़ कर दो..
सुमन - क्यों बेटा.. तूने कोनसी गलती कर दी जो तू माफी मांग रहा है.. सारी गलती तो मेरी है..
गौतम - गलती की नहीं माँ.. करने वाला हूँ..
सुमन - कैसी गलती गौतम..
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गौतम ने एक हाथ सुमन की गर्दन के नीचे लेजाकर उसका कन्धा पकड़ लिया औऱ दूसरे हाथ से सुमन की गांड औऱ पूरी ताकत से एक धमाकेदार झटके के साथ अपने लंड को सुमन की चुत के अंदर पूरा जड़ तक घुसेड़ दिया जिससे सुमन की चुत में गौतम का पूरा लंड घुस गया औऱ खून की कुछ बुँदे चुत से निकल कर बह गई.. इसीके साथ सुमन के गले से इतनी जोर से चीखे निकली की खंडर से दूर दूर तक हवा में उसकी आवाज सुनाई दे जा रही थी.. गौतम के चेहरे पर विजयी मुस्कान थी औऱ सुमन के चेहरे पर दर्द शिकायत औऱ रहम की उम्मीद करती आँखों के साथ दया के भाव.

सुमन गुस्से औऱ दर्द से चिल्लाते हुए गौतम के गाल पर थप्पड़ मारती हुई - गौतम मादरचोद..
गौतम सुमन के दोनों हाथ पकड़कर सुमन के होंठों पर अपने होंठ रखकर उसका मुंह बंद करता हुआ - सुमन बेटाचोद..

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सुमन की चुत में गौतम का लंड बच्चेदानी तक घुसा हुआ था औऱ उसके दोनों हाथ गौतम ने अपने हाथों से पकड़कर सर के ऊपर कर दिए थे.. उसके होंठों पर भी गौतम ने अपने होंठ चिपका दिए थे.. सुमन की आँखों से आंसू की बुँदे निकल कर बह रही थी.. गौतम सुमन की आँखों में रहम औऱ शिकवे के उठते भाव देख सकता था..

गौतम अब प्यार से सुमन के होंठ चूमने लगा था औऱ मगर फिर भी सुमन गौतम का साथ नहीं दे रही थी औऱ गौतम के होंठो की क़ैद से बार बार अपना मुंह इधर उधर घुमाकर अपने होंठों को रिहा करवा रही थी.
गोतम अपनी माँ की इस हरकत पर मुस्कुराते हुए उसे देख कर बार बार उसके होंठों को अपने होंठों में भरकर चुमने की कोशिश कर रहा था औऱ बार बार सुमन गौतम के होंठों से अपने होंठ छुड़वा रही थी.. सुमन जब मुंह घूमती तो गौतम उसके गाल औऱ गर्दन पर चुम लेटा औऱ प्यार से जीभ निकालकर चाट लेटा..

सुमन को अब इस छेदखानी में हल्का मीठा सा मज़ा आने लगा था औऱ उसकी चुत में घुसा हुआ गौतम का शैतानी लड उसे पहले की तुलना में कम दर्द दे रहा था.. 10-15 मिनट तक ऐसा ही चलता रहा औऱ गौतम सुमन के होंठों के बीच की जंग जारी रही जिसमे बार बार गौतम को सुमन से हार का सामना करना पड़ रहा था.
अब गौतम मुस्कुराते हुए सुमन को देखकर उसे छेड़े जारहा था जिससे सुमन को भी अच्छा लगने लगा था..
गौतमप्यार से - इतने नखरे? लगता है मेरी माँ को बहुत गुस्सा आ रहा है मेरी ऊपर..
सुमन गौतम की बात पर अपने हाथ गौतम के हाथों से छुड़वा कर गौतम के चेहरे को पकड़ लेती है औऱ गौतम के होंठों को अपने होंठों में भरके चूमती हुई दांतो से इतना जोर से काटती है की गौतम की आह्ह निकल जाती है औऱ वो दर्द से चीख उठता है औऱ कहता है..
गौतम - तेरी माँ को चोदू.. खा जायेगी क्या? दर्द होता है ना..

सुमन वापस गौतम के होंठ चूमते हुए - सिर्फ तुझे ही दर्द होता है क्या.. रंडी की औलाद.. एक झटके में इतना बड़ा लंड घुसाया है मेरे दर्द नहीं होता क्या? मेरी चुत से खून निकाल दिया तूने..
गौतम चुत से निकला हुआ खून जो गौतम औऱ सुमन की कटी हुई साफ झांटो पर लंड औऱ चुत के मिलन के आसपास चिपचिप कर रहा था, उसे ऊँगली में लगाकर सुमन के मांग में भर देता है औऱ कहता है - इसी खून से मैं तेरी मांग भर रहा हूँ माँ.. आज से तू मेरी हुई.. मुझे ख़ुशी है मेरी दुल्हन कुंवारी निकली.. आज से तेरी चुत पर सिर्फ मेरा हक़ है सुमन..

सुमन का दर्द अब बहुत कम हो चूका था औऱ मीठा मीठा अहसास हुए होने लगा था.. पिछले 20 मिनट से गौतम का लंड उसकी चुत में पूरा घुसा हुआ था औऱ गौतम उसके ऊपर लेटा हुआ था..
सुमन गौतम होंठ दांतो से खींचकर चूमती हुई अपना मगलसूत्र उतारकर उसे देती हुई - मांग तो भर दी तूने मेरी शहजादे.. मगलसूत्र भी पहना दे..
गौतम मगलसूत्र पहनाता हुआ - शादी मुबारक हो माँ..
सुमन - अब बेटा.. इस हालत में मैं तेरे पैर छूकर तेरा आशीर्वाद कैसे लूँ?
गौतम - चुदाई के बाद पैर छू लेना माँ.. मैं नहीं रोकूंगा.. अब बताओ मुझे वो सब कुछ.. जो तेरे औऱ चाचा के बीच हुआ था.. एक भी बात मुझसे मत छुपाना..
सुमन - मेरी चुत में लंड घुसा के तू मुझसे मेरी चुदाई की कहानी सुनेगा? मुझे शर्म आएगी बेटा..
गौतम सुमन के निप्पल्स से छेड़खानी करता हुआ - पति पत्नी में शर्म अच्छी बात नहीं है माँ.. जो हुआ था वो साफ साफ औऱ खुलके कहो.. मैं सुनने को बेताब हूँ..
सुमन - एक पेग पीके बताती हूँ.. एक बार निकाल ले..
गौतम खाट से थोड़ा दूर रखी टेबल को हाथ बढाकर अपने करीब खींचता है औऱ सुमन से कहता है - लंड नहीं निकलेगा माँ.. पेग मैं यही से बना देता हूँ..
गौतम पेग बनाकर सुमन को पीला देता है.. सुमन पेग पीके एक सिगरेट अपने होंठों पर लगा लेती है औऱ लाइटर से सुलगाते हुए पहला लम्बा कश लेकर धुआँ छोड़ते हुए कहती है..
सुमन - तो सुन मेरे शहजादे.. मैं आज तुझे वो बात बता देती हूँ जो अबतक किसी को नहीं पता.. तेरे चाचा बृजमोहन को भी नहीं..
गौतम - क्या? चाचा को भी नहीं पता मतलब?
सुमन - हाँ गौतम.. तेरे चाचा भी नहीं जामते कि तू उनका बेटा है..
गौतम - ये कैसे मुमकिन है माँ.. चाचा को भी नहीं पता कि मैं उनका बेटा हूँ..
सुमन - हुआ ही कुछ ऐसा था गौतम.. पता नहीं इसमें किसका दोष था..
गौतम - मुझे साफ साफ पूरी कहानी शुरुआत से बताओ माँ.. क्या हुआ था?

सुमन सिगरेट का अगला कश लेकर - बात तेरे पैदा होने से 9 महीने पहले की है जब मेरी शादी को 3 साल हो चुके थे औऱ मुझे कोई बच्चा नहीं हुआ था.. सब मुझे बाँझ समझने लगे थे मगर मैं जानती थी कि कमी मुझमे नहीं है क्युकी ऋतू भी मेरी ही कोख से जन्मी थी.. लेकिन फिर भी मैं सबकी बातें सुनकर बाबाजी के पास एक औलाद की मन्नत लेकर आने लगी.. औऱ हर तरह एक बच्चा पैदा करने के जतन करने लगी.. फिर एक दिन वो हुआ जिसकी मुझे उम्मीद नहीं थी..

सवान के बाद भादो ने गाँव की उस धरती को बारिश की तेज़ तर्रार बूंदो से सराबोर कर रखा था शाम के वक़्त की बात थी जब जगमोहन तेरे दादा के साथ खेत की जुताई के लिए खाद लेने गया था औऱ बारिश का पानी भर जाने से आने जाने वाला रास्ता पानी के भराव से बंद हो चूका था औऱ जगमोहन तेरे दादाजी के साथ वही फंस गया था.. तेरी दादी पड़ोस के गाँव में तेरी दादी हेमा की मुंह बोली बहन माला के यहां उसके बेटे के लगन में गयी थी औऱ वो भी बारिश के करण वही फंस गई थी.. मानसी की तबियत खराब थी और वो गलती से मेरे कमरे में आकर सो गई थी..
मौसम की बरसात, ठंडी बहती हवा औऱ जोबन का बाईसवा साल.. मेरा अंग अंग नई तरंग से भरकर मुझे कामोतेजना में खींच रहा थ.. मैं उस वक़्त मेरे शरीर की आग बुझाना चाहती थी.. शाम से रात का समय हो चला था अमावस की रात में घर के कई कोनो में मैंने दिए जला के रख दिए थे.. लाइट का कोई नामो निशान नहीं था. मैं तेरे चाचा बृजमोहन के कमरे में दिया रखने गई थी कि तभी बाहर से मुझे किसी के आने की आहट सुनाई दी औऱ मैं इससे पहले की पीछे देख पाती किसीने मुझे पीछे से अपनी बाहों में भर लिया. मेरी हाथ से दिया नीचे गिरकर बुझ गया था औऱ अब कमरे में अंधेरा ही अंधेरा था.. अमावस की उस काली रात में अन्धकार इस तरह फैला हुआ था जैसे दिल्ली की हवाओ में ज़हर...

मैं शराब की आती बू से समझ गई थी की ये ब्रिजमोहन ही है.. उसने मुझे सीधा बिस्तर पर लिटा दिया औऱ मेरी साडी ऊपर करके पीछे से उसने सीधा लंड मेरी चुत में डाल दिया औऱ कुछ देर चोदा.. वो नशे में धुत मुझे मानसी समझकर मुझे चोदे जा रहा था औऱ मैं काम भावना से भरी हुई चुपचाप उससे चुदे जारही थी.. मैं झड़ गई थी औऱ कुछ पलों में वो भी झड़ गया था.. नशे की हालत में बृजमोहन पूरी तरह उतर हुआ था औऱ मुझे चोदने के बाद वो बिस्तर पर ही उल्टा मुंह करके सो गया था.. उसे अँधेरे में ये भी नहीं दिखा कि जिसे वो मानसी समझ रहा था वो मानसी नहीं थी..
चुदने के बाद मैं वहा से बाहर आ गयी जब मौसम ठीक हुआ औऱ तेरे दादा दादी औऱ जगमोहन घर आये तो सब कुछ पहले की तरह ही था.. दिन बीतने लगे औऱ कुछ समय बाद मुझे एक दिन पता चला कि मैं पेट से हूँ.. फिर तू पैदा हुआ औऱ उसके 2 साल बाद कुसुम.. कुसुम के पैदा होने के छः महीने बाद ही हमने मीलकर तेरी औऱ कुसुम कि शादी करवा दी.. मगर फिर बटवारे का विवाद खड़ा हो गया औऱ हमें यहां आना पड़ा..
सुमन आखिरी कश लेकर मुंह से धुआँ छोड़ती हुई - बस गौतम.. यही सब हुआ था..

गौतम सुमन की गांड पकड़कर बिना लंड चुत से निकाले सुमन को खाट के बीच में लाते हुए - टाँगे चौड़ी कर ले माँ.. मैं शुरु कर रहा हूँ..
सुमन टाँगे फैलाती हुई - धीरे धीरे करना बेटा.. अभी भी दर्द बाकी है..
गौतम लंड को आधा बाहर निकालकर वापस अंदर डाल देता है औऱ अब ऐसे ही सुमन को चोदने लगता है..
गौतम चोदते हुए - आज किसी रहम की उम्मीद मत कर मुझसे सुमन..
सुमन खुलकर मादक सिसकियाँ भरती हुई - अह्ह्ह्ह... अह्ह्ह्ह.... अह्ह्ह्ह... गौतम.. आह्ह.. अह्ह्ह्ह... बेटा धीरे... अह्ह्ह्ह... गौतम... अह्ह्ह्ह अह्ह्ह.. आराम से बेटा.. अह्ह्ह्ह.. दर्द हो रहा है.. अह्ह्ह्ह... गौतम... अह्ह्ह्ह... bbc-porn-gif-46
दिन के तीन बजे का समय था जब गौतम ने सुमन को खंडर के उस कमरे में चोदना शुरु किया औऱ खाट पर लेटाकर मिशनरी में सुमन की चुत की खुदाई शुरु कर दी.. गौतम पुरे जोश में धक्के पर धक्के मारता हूँ सुमन को चोद रहा था औऱ सुमन गौतम का लंड झेलती हुई किसी कुत्तिया की तरह उसके सीने में अपने नाख़ून गड़ाकर दहाड़े मार मार चिल्ला रही थी औऱ गौतम से आराम से चोदने की गुहार लगा रही थी मगर गौतम अपनी माँ को ऐसे चोद रहा जैसे वो कोई बाज़ारू रांड हो.. गौतम के मन कोई पछतावा औऱ दुख नहीं था वो आज सुमन की चुत पर अपने लंड की सील लगा देना चाहता था औऱ उसके लिए पूरी जोशओखरोश से सुमन को चोद रहा था..
मिशनरी पोज़ में गौतम के मारे हर एक झटके पर सुमन ऊपर से नीचे तक पत्ते की तरफ फड़फड़ाती हुई हिल रही थी औऱ चीखते हुए आह्ह कर रही थी....
गौतम चोदते हुए - औऱ जोर से चिल्ला माँ.. यहां तेरी कोई नहीं सुनने वाला..
सुमन चिल्लाते हुए - आराम से गौतम.. अह्ह्ह्ह.. अह्ह्ह्ह... माँ हूँ तेरी.. अह्ह्ह्ह... धीरे... आराम से..
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गौतम सुमकी दोनों टांग अपने कंधे पर रखकर चुत में ताबड़तोड़ झटके मारते हुए - माँ के साथ दुल्हन भी तो है तू मेरी सुमन.. झटके तो ऐसे ही पड़ेगे तेरी चुत में मेरी जान.. जितना जोर से चिल्लाना है चिल्ला..
सुमन सिसकती हुई हाथ जोड़कर - अह्ह्ह्ह... गौतम.. भगवान के लिए.. आराम से बेटा.. मेरे वापस दर्द होने लगा है.. चुत में.. धीरे चोद मुझे.. धीरे चोद बेटा..
गौतम जब सुमन को हाथ जोड़ता देखता है तो वो सुमन के दोनों हाथ अपने हाथ में पकड़ लेता है औऱ जोर से पूरी रफ़्तार से झटके मारने लगता है जिससे सुमन कुतिया की तरह अह्ह्ह... अह्ह्ह.. करती हुई गला फाड़ फाड़ कर चिल्ला है.. औऱ गौतम को देखकर रोने जैसा मुंह बनाकर चुदती है..
सुमन - अब नहीं गौतम.. अब नहीं.. बहुत दर्द हो रहा है. अह्ह्ह्ह... छोड़ मुझे.. आराम से.. गौतम...
गौतम हाथ छोड़कर सुमन की चुत से लंड निकाल लेता है औऱ सुमन की गांड पकड़ कर उसे पलटकर खाट पर अपने आगे घोड़ी बना लेता है औऱ मजबूती से उसकी कमर थाम कर लंड वापस चुत में घुसा देता है जिससे वापस सुमन की आह्ह निकल जाती है.. इस बार चुत औऱ लंड के मिलन की मधुर आवाज से कमरा औऱ खंडर का कुछ हिस्सा गूंजने लगता है..
सुमन - अह्ह्ह.. गौतम.. अह्ह्ह्ह...
गौतम सुमन की कमर पकड़कर चुदाई के मीठे झटके मारता हुआ - अब मज़ा आ रहा है ना माँ? अब तो दर्द नहीं हो रहा ना तेरी चुत में?
सुमन घोड़ी बनी हुई - अह्ह्ह.. बेटा.. आह्ह... अह्ह्ह्ह.. गौतम आराम से... अह्ह्ह.. आराम से.. ऐसे ही.. धीरे धीरे... अह्ह्ह्ह...
गौतम - अब तो नहीं रोकेगी ना माँ मुझे अपनी इस चुत की सवारी करने से
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सुमन - नहीं ग़ुगु... तू ऐसे ही प्यार से करता रह बेटा.. बहुत मज़ा आ रहा है.. सालों बाद आ जाकर मुझे ठंडक मिल रही है.. अह्ह्ह्ह...
गौतम सुमन के बाल अपनी मुट्ठी में भींचकर पीछे से झटके मारते हुए - बहुतो को चोदा माँ.. पर तेरे जैसी कोई नहीं.. परफेक्ट अरेबियन घोड़ी है तू.. तेरी सवारी करने में लंड को मज़ा आ रहा है..
सुमन - ऐसे ही चोद अपनी माँ को घोड़ी बनाके गौतम.. आह्ह.. चोद मुझे..
गौतम सुमन की बात सुनकर चोदने की स्पीड बढ़ा देता है औऱ रफ़्तार से सुमन की चुत मारने लगरा है..
सुमन - अह्ह्ह.. गौतम.. आराम से दर्द हो रहा है आह्ह.. बेटा.. धीरे...
गौतम सुमन की बात नहीं सुनता औऱ झटके मारता हुआ सुमन के बाल खींचकर मज़े से उसकी चुदाई करता है औऱ सुमन अह्ह्ह करती हुई जोर से चिल्लाने लगती है..
सुमन - गौतम दर्द हो रहा है... आह्ह... धीरे कर.. अह्ह्ह.. आराम से कर गौतम...
गौतम सुमन के बाल छोड़कर उसकी कमर में हाथ डालकर आगे से उसका पेट पकड़ लेता है औऱ उसे अपने ऊपर लेते हुए खुद खाट पर पीठ के बल लेट जाता है औऱ सुमन की चुत में नीचे से धक्के पर धक्के मारते हुए उसकी चुत के दाने को रगडकर मसलने लगता है..
सुमन पूरी कामुकता की नदी में बहती हुई - अह्ह्ह्ह.. बेटा.. उम्म्म्म... अह्ह्ह्ह.... ऐसे ही... अह्ह्ह्ह... चोद गौतम.. उम्म्म्म... अह्ह्ह्ह... उह्ह....
गौतम - मज़ा आ रहा है ना माँ?
सुमन - बहुत मज़ा आ रहा है बेटा.. ऐसे ही चोद अपनी माँ..
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गौतम सुमन के चुचे पर हाथ रखते हुए - माँ तेरे चुचे कितने तेज़ हिल रहे है..
सुमन - मेरे कहा है बेटा. अब सब तेरा है.. मेरा चुचा मेरी चुत औऱ मैं.. सब.. तेरी है...
गौतम रफ़्तार से झटके मारते हुए चुत के दाने को ऊँगली से तेज़ रगढ़ता है औऱ सुमन को चोदता है..
सुमन मादकता भरी सिस्कारी लेती हुई झड़ जाती है औऱ साथ में तेज़ तेज़ धार निकाल कर चुत से मूत भी देती है जिसमे गौतम का हाथ मूत से गिला हो जाता है औऱ उसका लंड बाहर निकल जाता है..

गौतम का लंड अब भी तनकर योद्धा की तरह खड़ा था औऱ सुमन झड़कर गोतम के सीने के ऊपर से हटकर खाट से उतरती हुई खड़ी होने की कोशिश में लड़खड़ा कर फर्श पर गिर जाती है औऱ खाट पकड़कर वापस खड़ी होने की कोशिश करने लगती है मगर बहुत जोर लगाने पर भी हिलती हुई टांगो से खड़ी होकर काँपती हुई खाट पर वापस बैठ जाती है.. चुदाई में लगी मेहनत औऱ बहे पसीने से शराब का नशा उतरकर पूरा हल्का हो चूका था..
सुमन गौतम को देखती हुई शिकायत भरी आवाज में - प्यार से भी तो कर सकता है तू..
गौतम शराब के दो लार्ज़ पेग बनाकर एक पेग सुमन को देदेता है औऱ दूसरा खुद पिने लगता है.. शराब का पेग ख़त्म होने के बाद गौतम फिर से सुमन को पकड़ लेटा है औऱ खड़ा होते हुए खाट से उतरकर सुमन को अपने आगे झुका लेता औऱ चुत में लंड घुसाकर हलके झटके मारता हुआ उसे चोदता हुआ खिड़की के पास ले आता है जहा से बाहर जंगल का नज़ारा दिख रहा था.. सुमन होने दोनों हाथ खींडकी की दिवार पर रख देती है औऱ पीछे से गौतम सुमन को वापस चोदने लगता है..
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सुमन - एक घंटा हो गया गौतम.. तूने मुझे चोद चोद कर थका दिया.. तेरा कब निकलेगा? अब तक मैं 2 बार झड़ चुकी हूँ.. तू कब झडेगा बेटा..
गौतम पीछे से झटके मारते हुए - इतनी भी क्या जल्दी है माँ.. कितना इंतजार किया है तेरी चुत का.. बहुत सब्र किया है मैंने.. चोदने दे आराम से मुझे...
सुमन - एक ही बार में चोद चोद कर मेरी चुत को ढीली कर देगा क्या?
गौतम सुमन को दोनों हाथ पकड़ कर लंड के झटके मारते हुए - ढीली हो गई तो टाइट करनी मुझे आती माँ.. तू चिंता मत कर.. मेरे लंड को तेरी चुत का नशा हो गया है.. अब ये किसी की बात नहीं सुनने वाला..
सुमन - अह्ह्ह्ह गौतम.. आराम से... अह्ह्ह्ह... उफ्फ्फ.. देख सामने पेड़ पर बन्दर हमें कैसे देख रहा है.. अह्ह्ह्ह...
गौतम सुमन को चोदते हुए बन्दर से चिल्लाकर कहता है - क्या देख रहा है साले.. माँ है मेरी... है ना सेक्सी? बिलकुल सनी लियॉन जैसी... देख साले मेरी माँ के चुचे पर ये टैटू.. है ना मस्त..
सुमन चुदते हुए हलकी सी हस्ती हुई - गौतम.. पागल हो गया क्या तू? बन्दर से क्या बात कर रहा है..
गौतम रफ़्तार में आता हुआ - जो तू सुन रही है माँ..
सुमन - अह्ह्ह्ह... आराम से गौतम.. दर्द होता है जब तू रफ़्तार से चोदता है.
गौतम सुमन के बाल खींचकर - आदत डाल ले माँ...
सुमन - अह्ह्ह.. रंडी की औलाद... धीरे.. आराम से..
गौतम सुमन को अपनी तरफ पलटकर गोद में उठाकर चोदता हुआ - तुझे रोज़ सपनो में इसी तरह गोद में उठा उठाके चोदता था माँ.. अब जाकर हुई है मेरी ख्वाहिश पूरी..
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सुमन अपने दोनों हाथ गौतम के गले में डालकर नीचे से गौतम के झटके खाती हुई - पहली बार ऐसा मज़ा आ रहा है बेटा... अह्ह्ह.. मैं तो फिर से झड़ने वाली लगती हूँ.. अह्ह्ह्ह... अह्ह्ह्ह.. उफ्फ्फ.. अह्ह्ह...
गौतम - पसंद आया ना माँ तुझे मेरा लंड?
सुमन - मैं तो दिवानी हो गई बेटा.. तेरे लंड की.. अब तो तुझे हरदम खुश रखूंगी.. अह्ह्ह्ह... गौतम.. आई love you.. मेरे शहजादे...
गौतम - आई love you too मेरी शहजादी...
सुमन - अह्ह्ह.. गौतम मेरा होने वाला है वापस...
गौतम सुमन को खाट पर पटककर चोदता हुआ - बस माँ.. मैं भी झड़ने वाला हूँ.. आज तेरी चुत को मैं अपने वीर्य से इतना भर दूंगा कि नो महीने बाड़ तू मेरा बच्चा पैदा करेगी..
सुमन - भर दे मेरे शहजादे.. डाल दे होना माल होनी माँ की चुत में.. झड़ जा..
गौतम गाना गाता हुआ - माँ तेरी जांघो का पसीना बन गया तेल चमेली का.. ओ माँ तेरी जांघो का पसीना बन गया तेल चमेली का..
सुमन चुदवाते हुये हस्ती हुई गाती है - बेटा चोद दे अपनी माँ को खाके गुड़ बरेली का.. ओ बेटा चोद दे अपनी माँ को खाके गुड़ बरेली का..
गौतम - माँ तेरी मोटी मोटी गांड तू रांड बन जा कोठा पे.. ओ माँ तेरी मोटी मोटी गांड तू रांड बन जा कोठा पे..
सुमन - बेटा रांड भी बन जाउंगी तू आजा चोदने कोठे पे.. ओ बेटा रांड भी बन जाउंगी तू आजा चोदने कोठे पे..
गौतम चुत में लंड धीरे धीरे हिलता हुआ - माँ तू मत दबवाये बोबा ब्लाउज हो जाएगा टाइट रे.. ओ माँ तू मत दबवाये बोबा ब्लाउज हो जाएगा टाइट रे..
सुमन झड़ते हुए - बेटा तू मुंह लगा के चूस दे बोबा कर दे ढीला रे.. ओ बेटा तू मुंह लगा के चूस दे बोबा कर दे ढीला रे..
गौतम झड़ते हुए - माँ तेरी चुत में लंड घुसाते ही निकली पिचकारी की धार.. ओ माँ तेरी चुत में लंड घुसाते ही निकली पिचकारी की धार..
सुमन गौतम के होंठ पकड़कर चूमती हुई - चोद के अपनी माँ को तू खुश है ना मेरी यार..
गौतम सुमन की चुत में लंड डाल के लेटा हुआ - बहुत खुश माँ..


दिन के पांच बज चुके थे.. गौतम औऱ सुमन अब खाट पर एक साथ ऊपर नीचे लेटे हुए एकदूसरे को देख रहे थे..
सुमन - शाम होने वाली है गौतम.. अब घर ले चल मुझे..
गौतम - इतनी जल्दी क्या है माँ.. अभी वक़्त है..
सुमन - खंडर है बेटा.. कोई आ गया तो अनर्थ हो जाएगा..
गौतम - कुछ नहीं होगा माँ.. कोई नहीं आने वाला.. औऱ ये बार बार अपनी चुत को कपडे से ढकना बंद कर.. खुला छोड़ दे इसे..
सुमन चुत सहलाती हुई - कितनी बेरहमी से चोदा है तूने मेरी चुत को.. फूलकर लाल हो गई है बेचारी.. मैं तेरी कितनी परवाह करती हूँ मगर तुझे जरा भी तरस नहीं आता मुझपर...
गौतम शराब डालकर पेग बनाते हुए - आता है पर क्या करू माँ.. तेरे बदन का नशा ऐसा है कि बहक जाता हूँ..
सुमन सिगरेट उठाकर सुलगाती हुई कश लेकर - अभी तो तूने मुझे डेढ़ घंटा चोदा है औऱ वापस तेरा लंड खड़ा हो गया..
गौतम पेग पीकर सुमन के होंठों पर लगी सिगरेट का एक कश लेकर सिगरेट फेंक देता है औऱ सुमन की टांग फिर से चौड़ी करके लंड घुसाने लगता है...-
सुमन अजीब ओ गरीब हाव भाव चेहरे पर लाकर - गौतम अब नहीं.. बहुत दर्द होगा.. अब नहीं.. दुखेगा.. बेटा... अह्ह्ह्ह... गौतम.. अह्ह्ह्ह..
गौतम लंड घुसाके चोदना शुरु करते हुए - उफ्फ्फ माँ तेरा ये नखरा.. कहीं मेरी जान ही ना लेले..
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सुमन - जान तो तू मेरी लेने पर तुला हुआ है.. मैंने हां क्या की तूने तो रंडी ही समझ लिया.. कैसे नॉनस्टॉप चोदे जा रहा है...
गौतम सुमन की कमर में एक हाथ डालकर उसे गोद में उठा लेता है औऱ खाट से खड़ा होता हुआ शराब की आधी खाली बोतल को दुसरे हाथ में उठाकर सुमन को लंड पर उछालकर चोदता हुआ शराब के घूंट लगाते हुए खंडर के उस कमरे से बाहर आ जाता है औऱ सीढ़ियों से ऊपर छत की ओर चला जाता है.. जहा खुले आसमान के नीचे गौतम नंगा अपनी नंगी माँ को अपने लंड पर उछाल उछाल कर चोदता हुआ शराब की बोतल से शराब के घूंट लगाता है..

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सुमन गौतम लंड पर उछलते हुए - अह्ह्ह्ह.. हे भगवान.. अह्ह्ह... उफ्फ्फ.. केसा बेटा पैदा किया है मैने.. मुझे रंडियो की तरह खुले में लंड पर उछालते हुए चोदकर शराब पी रहा है..
गौतम सुमन के सर पर बोतल से शराब ढ़ोलता हुआ बोतल खाली कर देता है ओर कहता है - माँ तूने मर्द पैदा किया है.. मर्द...
सुमन लंड पर उछलती हुई - हाँ हां.. अह्ह्ह.. मान गई तू मर्द है.. अह्ह्ह्ह.. अब चल यहां से..
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गौतम खाली बोतल फेंक कर सुमन को लंड पर से नीचे उतार देता है मगर सुमन खड़ी भी नहीं हो पाती ओर गौतम का सहारा लेकर नीचे बैठने लगती है मगर गौतम सुमन को पलट कर अपने आगे झुका लेटा है ओर सुमन की गांड के चुत पर थूक लगा कर अपने लंड सेट करते हुए कहता है..
गौतम नशे में - आखिरी बार गांड कब मरवाई थी तूने?
सुमन अपनी गांड पर लंड महसूस करके गौतम को गांड चोदने से रोकने ही वाली होती है की गौतम उसकी कमर पकड़कर गांड के छेद में थूक लगाकर लंड का इतना जोरदार झटका देता है की लंड आधा गांड में घुस जाता है ओर सुमन पूरी ताकत से चिल्लाती है - गौतम मादरचोद...
सुमन की चीख सुनकर गौतम हसते हुए गांड में धक्के पर धक्का देकर चोदते हुए चिल्लाता है - सुमन बेटाचोद...

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सुमन गांड मरवाते हुए - गौतम मेरी गांड के साथ खिलवाड़ मत कर...
गौतम नशे में - खिलवाड़ कहा कररहा हूँ माँ.. मैं चोद रहा हूँ.. गांड भी एक नम्बर है तेरी तो.. अह्ह्ह..
सुमन पूरी आवाज के साथ चिल्लाती हुई सिसकियाँ लेकर - अह्ह्ह्ह.. अह्ह्ह्ह.. गौतम.. नहीं.. अह्ह्ह.. गौतम.. छोड़ दे मेरी गांड..
गौतम - चोद के छोड़ दूंगा माँ.. क्यों परेशान हो रही हो..
सुमन - बहुत दर्द हो रहा है बेटा..
गौतम गांड में झेटके पे झेटके मारता हुआ - माँ तू मेरी लिए नहीं सह सकती थोड़ा दर्द..
सुमन गांड मरवाती हुई - तू बहुत बड़ा मादरचोद है गौतम..
गौतम गांड मारता हुआ - तूने ही तो मादरचोद बनाया है माँ.. अब तुझे तेरा ये मादरचोद मुबारक हो..
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शाम के छः बजने वाले थे ओर खंडर की छत ओपर गौतम सुमन की अच्छे से गांड मारके उसे लंड चूसा रहा था..
सुमन लंड चुस्ती हुई - कब निकलेगा तेरा.. चुत ओर गांड के बाद अब मुंह भी दुखने लगा है.... मुझे अब डर भी लगने लगा है यहां..
गौतम - डरने की क्या बात है सुमन? तेरा बेटा है ना तेरे साथ.. तू बस मेरी लंड की सेवा कर बाकी सब भूल जा...
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सुमन लंड को गले तक लेकर जोर जोर से चुस्ती हुई गौतम को देखती है ओर उसके आंड भी हाथ से सहलाती है जिससे गौतम झड़ने के मूंड में आ जाता है ओर सुमन के मुंह से अपना लंड निकलकर हिलाते हुए सुमन के मुंह पर अपने वीर्य की धार मार कर झड़ जाता है..

अपनी माँ के मुंह पर लंड से वीर्य के गाढ़ी पिचकारी की धार मारने के बाद गौतम थोड़ा ठंडा हुआ ओर उसने सुमन की एक चूची पकड़कर उसे खड़ा करते हुए अपने कंधे पर उठा लिया और खंडर की छत से नशे में झूलते हुए कदमो की साथ वापस उसी कक्ष में आ गया जहा चुदाई का शुभारम्भ हुआ था..
गौतम ने सुमन को खाट पर पटक दिया और सुमन खाट पर आते ही आस पास बिखरे अपने कपड़ो को समेटकर बिना खाट से उतरे एक तरफ करने लगी..
गौतम नशे में चूर था उसने अपना लंड अपने हाथ में थाम लिया और खाट पर बैठकर कपडे समेटती हुई अपनी माँ की मुंह पर लंड से निशाना लगाकर मूतना शुरु कर दिया..
गौतम की मूत की धार सीधी सुमन की माथे की बिंदिया पर पड़ी फिर उसके चेहरे की बाकी हिस्सों पर.. सुमन ने जब देखा की उसका बेटा एक हाथ से अपना लंड पकड़ कर उसके ऊपर मूत रहा है वो कपड़ो को एक गिला होने की डर से एक तरफ रख देती है और अपने चेहरे से होकर अपने बदन पर पडती मूत की धार को अनदेखा करके आगे बढ़ते हुए अपने हाथ से गौतम का लंड पकड़ कर झट से अपने मुंह में भर लेती है और उसका मूत पिने लगती है...

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गौतम अपनी माँ की मुंह में मूत देता है और सुमन उसका मूत आसानी पी जाती है और पिने की बाद उसके लंड को साफ करके उसे कपडे देते हुए पहनने को कहती है और खुद भी पहनने लगती है..

सुमन फ़िक्र से - तूने ब्लाउज फाड़ दिया अब क्या पहनू मैं?
गौतम नशे में - आजकल ब्लाउज के साथ साड़ी नहीं पहनते माँ.. ब्रा के साथ पहनते है.

गौतम जीन्स शर्ट पहनकर सुमन की पास खाट पर बैठ जाता है और सुमन खाट पर घुटने की बल खड़ी हुई साडी बाँधने लगती है खड़े होने पर उसके पैर काँप रहे थे और चलने में उसे दर्द महसूस हो रहा था सुमन बार बार गौतम को शिकायत भरी नज़रो से देख रही थी और गौतम नशे की सुरूर में अपनी ही दुनिया में खोया था उसे जो सुकून और संतुष्ट सुमन ने आज दे दी थी उसका परिणाम था की गौतम को अब और किसी की याद नहीं आ रही थी..

सुमन खाट से उतरकर चलने को हुई तो लड़खड़ा गई और गौतम की तरफ गिरते हुए उसे पकड़ लिया गौतम समझ चूका था कि सुमन अब कुछ दिनों तक ठीक से चल नहीं पाएगी उसने सुमन को अपनी गोद में उठा लिया और खंडर से बाहर कार में लाकर बैठा दिया.. एक पल की लिए उसे लगा कि कोई उसे देख रहा है मगर जब उसने पीछे देखा तो वहा कोई नहीं था.. गौतम भी सुमन के साथ कार में बैठ गया और अंधेरा होते होते दोनों खंडर से निकल कर घर की लिए चल दिये..

सुमन की चुत और गांड में भले ही दर्द अब तक हो रहा था मगर उसके दिल में एक सुकून और संतुस्टी से घुला हुआ मीठा मीठा अहसास भी था वो गौतम को देखकर मुस्कुराते जा रही थी अब उसे गौतम में बेटे के साथ साथ अपने हवस मिटाकर प्यार देने वाला मर्द भी नज़र आ रहा था..
गौतम ने कार चलाते हुए बार बार रोककर रास्ते में कई बार उल्टिया की हाईवे पर पहुंचते पहुंचते उसका नशा कम हो चूका था गौतम ने सुमन की साथ एक शिकंजी वाले की पास गाडी रोककर 2-3 गलास निम्बू पानी भी पिया जिससे उसका नशा शहर में पहुंचते पहुंचते बिलकुल हल्का हो चूका था...
सुमन ने चुत देकर गौतम का दिल चुरा लिया था वो रास्ते में जहा भी चाट पकोड़ी की दूकान देखती गौतम से कहकर गाडी रुकवाती और बिना गाडी से उतरे मज़े ले लेकर चाट खाती.. सुमन ने साड़ी से बदन इस तरह ढक लिया था कि किसीको उसके ब्लाउज न पहने का पता नहीं चल सकता था.. Cरास्ते में दोनों ने सुमन की पसंद की अलग अलग चाट खाई और एक दूसरे की साथ प्यार भरी बातें करते हुए खाना एन्जॉय किया..


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Behtreen update
 

Iron Man

Try and fail. But never give up trying
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Update 35

मैंने बुलाया तब नहीं आई.. अब किसकी शादी में आई हो?
मेरे बस में थोड़ी है आना जाना.. इस बार असलम लेके आया है मुझे..
अच्छा बताओ कोनसी जगह हो जयपुर में?
गौतम यहां खतरा है आने की सोचना भी मत..
तुझसे मिलने हर खतरा उठा सकता है तेरा आशिक रेशमा.. तू जगह बता..
बाबा समझो वहां सब लोग है जगह भी नहीं है मिलने की..
वो सब मैं देख लूंगा कुतिया तू अड्रेस सेंड कर.
अच्छा ठीक है पर दूर ही रहना यहां लोग बहुत खराब औऱ पुरानी सोच के है.. तेरे साथ मुझे भी सजा देंगे..
तू अड्रेस सेंड कर ना कुतिया.. औऱ किसीकी शादी में आ रहे हो तुम दोनों.. वो भी बताना..
ठीक है कुत्ते.. करती हूँ.. मुझे भी बहुत तलब है तुझे देखने की.. कल शाम को मिलती हूँ...

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सुमन कमरे में आती हुई - ग़ुगु? ग़ुगु?
गौतम बाथरूम से - हां माँ?
सुमन - सुबह तो नहाया था बेटा अब क्यों नहा रहा है फिर से..
गौतम - कहीं जाना है..
सुमन - अब कहा जाना है तुझे? कल पूरा दिन बाहर था घर से... आज वापस जाना है?
गौतम - अरे माँ कल तो सारा टाइम चिंटू भईया के साथ दूकान पर था.. आप उनसे पूछ लो..
सुमन - अच्छा ठीक है.. वैसे जाना कहा है.
गौतम - एक स्कूल फ्रेंड के यहां.. कल अचनाक मिल गया था.. उसने बुलाया है उसकी बहन की शादी है आज..
सुमन - अच्छा.. लड़की की शादी है.. कहा है शादी.. कोनसी जगह है?
गौतम - उनके घर पर है.. हबीबगंज में.. बेचारा गरीब दोस्त है माँ..
सुमन - अपने से भी ज्यादा गरीब है?
गौतम - बहुत ज्यादा..
सुमन - तो फिर लड़की को कुछ अच्छा तोहफा देकर आना.. कंजूसी मत करना..
गौतम बाथरूम का दरवाजा खोलकर सुमन का हाथ पकड़ते हुए उसे अंदर खींचकर - आप भी चलो..
सुमन - मुझे नहीं जाना.. तू ही जा.. औऱ बेशर्म कम से कम चड्डी तो पहन ले..
गौतम सुमन को बाहों में भरके - चड्डी पहन कर कौन नहाता है माँ..
सुमन - अरे छोड़ ग़ुगु.. गिला करेगा क्या मुझे भी?
गौतम - मैं तो कब से कहना चाहता हूँ माँ आप ही मना कर रही हो..
सुमन अपने आप को छुड़ाकर - चाय लेले.. बाहर टेबल पर रखी है.
गौतम - माँ हर बार चाय दोगी क्या? कभी अपनी चुत भी दे दो..
सुमन गौतम के गाल पर हलकी सी चपत लगाकर बाथरूम से बाहर जाते हुए - घर में सबकी चुत मिल तो रही है तुझे.. मेरी मारके क्या करेगा..
गौतम - सबमे औऱ आपमें फर्क है माँ..
सुमन अलमीरा से कपडे निकाल कर - क्या फर्क है? जैसे उन सबकी है वैसी मेरी है..
गौतम तौलिये से सर के गीले बाल पोंछता हुआ - तो फिर दे क्यों नहीं देती? कब से तड़पा रही हो.. औऱ क्या निकाला है? मैं सूट पहन कर नहीं जाऊँगा..
सुमन - अच्छा लगेगा तुझपर ग़ुगु..
गौतम तौलिये से बदन पोंछकर बेड पर ड़ालते हुए - अरे मुझे अजीब लगेगा यार माँ..
सुमन - ठीक ये कोट रहने दे.. अब खुश?
गौतम चड्डी पहनते हुए - ठीक है.. ये बेस्ट है..
सुमन जूते निकाल कर - ग़ुगु.. माधुरी से बात की तूने?
गौतम कपडे पहनते हुए - हाँ कल बात की थी.. हमें अपने घर बुला रही थी छोटी माँ..
सुमन मुंह बनाते हुए - उसका घर कैसे हुआ?
गौतम बेड पर बैठकर - अरे छोडो ना माँ.. घर उनके नाम पर हो या आपके.. क्या फर्क पड़ता है.. छोटी माँ कह रही थी कि वही आकर रहना पड़ेगा आपको औऱ मुझे.. आपसे बात भी करना चाहती थी..
सुमन अलमीरा से परफ्यूम निकालकर गौतम को लगाते हुए - तो क्यों नहीं बात करवाई तूने? औऱ उस कमीनी की तो नज़र है ही तुझपर.. तभी तो मान गई.. उस कमीनी को तो छूने तक नहीं दूंगी तुझे..
गौतम - जलन हो रही है आपको?
सुमन परफ्यूम लगाकर - मुझे क्यों उस चुड़ैल से जलन होगी भला? ऐसा है ही क्या उसके पास?
गौतम - छोटा ग़ुगु है ना..
सुमन गुस्से में - असली कमीना तो तू है.. कितना प्यारा सा है मगर सबको पागल करके रखा हुआ है.. रूपा भी फ़ोन पर सिर्फ तेरी बातें करती रहती है..
गौतम अपनी माँ का हाथ पकड़ कर सुमन को अपनी गोद में लंड पर अच्छे से टिका कर बैठाते हुए - अच्छा क्या क्या बातें करती है रूपा मेरे बारे में..
सुमन - यही कि तू कब सोया कब उठा? क्या पहना? क्या खाया? ठीक है या नहीं.. तुझे पैसे की जरुरत है क्या? फलाना डिमखाना.. मैंने तो कल कह दिया.. अरे मैं माँ हूँ ग़ुगु की.. उसका ख्याल रखना आता है मुझे..
गौतम मुस्कुराते हुए - पापा के बारे तो बात नहीं की ना आप दोनों ने..
सुमन - तेरे पापा में ऐसा है ही क्या जो कोई उसके बारे में बात करेगा? अब जाने दे..
गौतम - इतनी भी क्या जल्दी है माँ बैठी रहो ना कुछ देर..
सुमन - तू मुझे सारी रात भी अपने लंड पर बैठा के रखेगा तो भी चुदने के लिए हाँ नहीं करुँगी.. समझा? (होंठ चूमकर) तू मेरा बेटा है औऱ बेटा ही बनकर रहना पड़ेगा तुझे..
गौतम खड़ा होते हुए - माँ आप ना.. अपनी चुत पर ताला लगवा लो.. किसीको देनी तो है नहीं आपको..
सुमन हसते हुए गौतम को बाहो में भरके चूमती हुई - तू ही ले आ बाजार से एक ताला खरीद कर औऱ लगा दे अपनी माँ की चुत पर..
गौतम सुमन को पीछे करते हुए - छोडो यार माँ.. जाने दो..
सुमन मुस्कुराते हुए अपनी साडी उठाकर चूत दिखाती हुई - गुगु.. सुसु आ रहा है..
गौतम मुस्कुराते हुए सुमन को बेड पर धकेल कर उसकी चुत पर अपने होंठ लगाते हुए चूसने लगता है.. औऱ सुमन गौतम के बाल पकड़ कर उसके मुंह में मूत देती है मगर मूत पीने के बाद भी गौतम सुमन की चुत से अपना मुंह नहीं हटाता औऱ सुमन की चुत चाटने लगता है जिससे सुमन कामुक होती हुई अपनी चुत अपने बेटे को चुसवाने लगती है औऱ कुछ देर की चूसाईं के बाद अपना माल भी गौतम के मुंह में छोड़ देती है..
गौतम माल पीकर मुंह साफ करते हुए - सुबह क्या मूली खाई थी आपने.. कितना अजीब टेस्ट था आज आपकी चुत का..
सुमन गौतम की बात पे हसकर कमरे से जाते हुए - खाई नहीं थी ग़ुगु घुसाईं थी मैंने तो..
गौतम हैरानी से - अच्छा ज़ी.. अब ये सब करने लगी हो आप..
सुमन दरवाजे पर जाकर - क्यों.. नहीं कर सकती मैं?
गौतम पानी पीते हुए - कर सकती हो आपके नसीब में खीरे मूली ही है.. छोटी माँ के नसीब में है छोटा ग़ुगु तो..
सुमन गुस्से में - तेरी छोटी माँ की चिटनी बना दूंगी अगर अब मेरे छोटे ग़ुगु को हाथ भी लगाया तो..
गौतम सुमन की चुची पकड़कर उसको दरवाजे से हटाते हुए - वो तो आप जानो औऱ छोटी माँ जाने.. अभी मुझे जाने दो.. वरना आप इतनी सेक्सी लग रही हो मैं कोई काण्ड ना कर दू आज.. फिर उस न्यूज़ पेपर में हमारी न्यूज़ आ जाएगी..
सुमन प्यार से हसते हुए - ठीक है जा.. अपना ख्याल रखना..
गौतम जाते हुए - ठीक है..

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(रेशमा 23)
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कहाँ तक पहुंची कुतिया?
क्या बताऊ यार रास्ते में बाइक खराब हो गई असलम की.. कब से यहां खड़े है..
असलम क्या कर रहा है?
क्या करेगा साला.. बाइक को देख रहा है औऱ सही करने में लगा हुआ है..
अड्रेस बता कुतिया.. कहा खड़ी है.. मैं निकल चूका हूँ घर से..
अरे ये vip रोड पर मदन स्वीट्स के पास.. पर तू यहाँ आके क्या करेगा?
तेरी चुत में उंगली करूंगा कुतिया..
असलम - फोन में क्या लगी हुई है बहनचोद.. इस वायर को पकड़ एक बार.. लगता है वायर में कुछ प्रॉब्लम है..
रेशमा आगे आकर वायर पकड़ती हुई - मैंने कहा था बस से चलते है पर आप नहीं माने..
असलम झाल्लाते हुए - तेरी माँ को चोदू रंडी.. मुंह बंद रखा कर अपना..
रेशमा बड़बड़ाते हुए - चोदने के लिए खड़ा भी होना चाहिए.. हिजरे..
असलम - क्या बोली?
रेशमा - कुछ नहीं.. ज्यादा बिगड़ गई है बाइक? अब क्या करें?
असलम - क्या करें क्या.. तू यही खड़ी रह.. मैं मैकनीक लेके आता हूँ..
रेशमा - मुझे अकेला छोड़ के जाओगे?
असलम - साली कोनसी सुनसान जगह है जो तू इतना डर ही है? खड़ी रह.. चुपचाप..
असलम इधर उधर घूमके वापस आ जाता है उसे कोई मकेनिक की शॉप नहीं मिलती..
रेशमा - क्या हुआ?
असलम गुस्से - होना क्या है.. आज साली तेरी शकल देख ली सुबह सुबह.. दिन तो खराब जाना ही था.. अब इसे हाथों से ले जाना पड़ेगा जब तक कोई मकेनिक नहीं मिल जाता..
असलम बाइक खींचकर ले जाते हुए औऱ रेशमा बैग हाथ में पकड़कर साथ चलते हुए..
रेशमा - अब्बू से बोलके इतनी अच्छी औऱ महंगी बाइक दिलवाई थी दहेज़ में मगर आपने 3-4 साल में ही बाइक की हालात ऐसी कर दी जैसे 20 साल पुरानी हो.. अपनी दारु औऱ ऐयाशी का पूरा ख्याल रहता है मगर कब बाइक की सर्विस करवानी है कब तेल बदलवाना है वो याद नहीं रहता...
असलम - बहन की लोड़ी.. मुंह बंद रख अपना.. वरना सडक पर ही पिटेगी तू..
रेशमा - औऱ कर भी क्या सकते हो आप.. औऱ कुछ तो होता नहीं है..
असलम गुस्से में बाइक गिराते हुए - साली रंडी जब से तू मिली तब से जिंदगी दोज़ख हो गई है.. एक लफ्ज़ औऱ बोला तो यही तलाक़ दे दूंगा..
रेशमा इस बार कुछ नहीं बोलती औऱ असलम वापस बाइक उठाने लगता है की साइड में एक कार आकर उनके पास रूकती है..
गौतम कार का शीशा नीचे करके असलम से - भाईजान ये हबीबगंज कहा पड़ेगा..
असलम गौतम को देखकर - यहां से एक घंटा दूर है.. आगे टूटी पुलिया से लेफ्ट हो जाना..
गौतम मुस्कुराते हुए - बाइक बिगड़ गई है?
असलम - हाँ.. लगता है वायर टूट गया है.. स्टार्ट नहीं हो रही..
गौतम कार से उतरकर - तो कोई मकेनिक क्यों नहीं बुला लेते..
असलम - आस पास कोई मकेनिक नहीं है.. मैं देख चूका हूँ..
गौतम - अरे यार कहा तुम बाबा आदम के जमाने में ज़ी रहे हो.. ये अप्प है ना.. इसमें आप अपनी लोकेशन डाल कर मकेनिक को यही बुला लो.. इस तरह कहा तक इस बाइक को खींच कर ले जाओगे..
असलम - भाईजान मेरा पुराना फ़ोन है आप ही मकेनिक को बुला दीजिये..
गौतम - पर भाईजान मुझे शादी में जाना है..
असलम - भाईजान.. हमें भी हबीबगंज ही जाना है.. मकेनिक आते ही आप चले जाना..
रेशमा मुस्कुराते हुए - कर दीजिये ना मदद.. आपको सबाब मिलेगा..
गौतम असलम से - अब भाभी ज़ी कह रही तो मैं बुला देता हूँ मकेनिक को..
असलम - वैसे आप हबीबगंज में किसके यहां जा रहे है..
गौतम - वो रहमत मिया है ना..
असलम - हाँ अलीगढ वाले..
गौतम - हां वही.. उनकी लड़की से मेरे दूर के भाई का निकाह है आज.. वैसे तो बाराती हूँ पर बारात से अलग ही जा रहा हूँ..
असलम हसते हुए - अरे भाईजान.. क्या इत्तेफाक है.. हम भी वही जा रहे है.. रहमत मिया मेरे खालू के भाई है.. उनकी लड़की के निकाह में शरीक होने के लिए ही हम जा रहे थे.. वो भी क्या इत्तेफाक करता है..
गौतम - सच में भाईजान.. अच्छा आओ.. कब तक यहां खड़े रहोगे.. गाडी में बैठ जाओ.. लाओ भाभी ज़ी बेग मैं रख देता हूँ..
रेशमा - सुक्रिया..
असलम गौतम के साथ कार में आगे बैठ जाता है औऱ रेशमा पीछे..
गौतम गाडी का ac बढ़ा देता है..
गौतम गाडी में गाने चलाते हुए..
असलम - आप ये अंग्रेजी गाने समने के शौकीन है?
गौतम - नहीं ये तो fm चल गया.. मैं गज़ले सुनने का शौकीन हूँ.. आप अपनी तरफ से उस रेक को ओपन कीजिये उनमे पेन ड्राइव पड़ी होगी..
असलम रेक ओपन करते हुए पेन ड्राइव निकालकर गौतम को दे देता है औऱ रेक में रखी हुई एक शराब की खाली बोतल देखकर कहता है - कमाल है भाईजान सब भरी हुई शराब की बोतल गाडी में रखते है आप खाली रखते है..
गौतम कोई ग़ज़ल लगाकर - अरे ये तो पहले की है फेंकना भूल गया शायद.. फेंक दीजिये..
असलम बोतल फेंककर - वैसे आपने नाम तो बताया ही नहीं अपना?
गौतम एक दम से सोचकर - ग़ालिब..
असलम हसते हुए - तालिब सुना है भाईजान पर ग़ालिब?
गौतम मुस्कुराते हुए बैक मीरर में रेशमा का चेहरा देखकर - अब क्या करे साहेब.. अपनों मेरा नाम मिर्ज़ा रखा औऱ दुनिया वालों ने ग़ालिब.. तो बन गया मैं मिर्ज़ा ग़ालिब..
असलम - शेरो शायरी के भी शौकीन लगते है..
गौतम - बेशक़.. लिखते भी औऱ सुनते भी है.. आपका नाम?
असलम - असलम..
गौतम - अच्छा शायद आपका मकेनिक आ गया..
गौतम औऱ असलम गाडी से उतरकर - हां यही बाइक है..
मकेनिक गाडी चेक करके - इसका तो इंजन बैठा हुआ है भाईजान? पूरा खोलना पड़ेगा..
असलम - अरे ऐसे कैसे इंजन बैठ गया..
मकेनिक - लास्ट बार सर्विस कब करवाई थी?
असलम - यही कुछ 2-3 महीने पहले..
मकेनिक - औऱ ओइल चेंज?
असलम - उसका पता नहीं वो भी शायद 4-5 महीने पहले करवाया था..
मकेनिक - महीने में कितना चलती है बाइक?
असलम - पता नहीं.. चलती होगी 3-4 हज़ार किलोमीटर..
मकेनिक हसते हुए - तो क्या टायर बैठेगा? भाईजान किस्मत अच्छी है आपकी.. बाइक अभी तक चल रही थी.. वरना जैसे आप बता रहे हो ये तो कब का हो जाना चाहिए था. हर चीज का ख्याल भी रखना जरुरी है..

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रेशमा - अपने अलावा किसी औऱ का ख्याल हो तो ना..
असलम रेशमा को घूरते हुए - अच्छा छोड़ दो.. हम देख लेंगे..
गौतम - क्या देखोगे असलम मिया? मकेनिक ठीक कह रहा है.. अब इंजन बैठ गया तो बैठ गया.. ले जाने दो बाइक कल बनाके दे देगा..
असलम - अरे नहीं.. मैं अच्छे से जानता हूँ इन लोगों को.. लम्बा चौड़ा बिल बना के दे देंगे..
गौतम - अरे उसकी चिंता आप क्यों करते है.. आप औऱ हम तो सम्बधी है.. भाई तुम ले जाओ बाइक औऱ पूरी नई करके दो.. जो खर्चा होगा मुझसे लेना..
असलम - पर ग़ालिब भाई..
गौतम - अरे छोडो ना.. बिगड़ी हुई बाइक कहा कहा लिए फिरोगे मिया.. निकाह है.. चलकर एन्जॉय करते है.. देखो आपके चक्कर में बेचारी भाभी कब से ऐसे ही खड़ी है.. चलो साथ में चलते है..
गौतम औऱ असलम वापस गाडी मैं बैठ जाते है औऱ रेशमा भी बैठ जाती है..
असलम - ग़ालिब भाई अब रुखा सफर न कटने पायेगा.. कुछ गला गिला किया जाए..
गौतम असलम को देखकर - पर भाभी..
असलम - अरे रेशमा क्या बोलेगी... औऱ अब नहीं लेंगे तो कब लेंगे..
गौतम आगे ठेके पर गाडी रोककर - बताओ असलम मिया क्या पीना पसंद करोगे?
असलम - तुम ही कुछ पीला दो ग़ालिब भाई.. हम तो देसी से विलायेति सब पी जाते है..
गौतम - ठीक है..
गौतम गाडी से उतर जाता है औऱ ठेके पर जाकर एक ब्लैक डॉग की बोतल औऱ पानी ले आता है औऱ असलम को बोतल देकर कहता है..
गौतम वापस धीरे धीरे गाडी चलता हुआ - लो असलम मिया करो शुरुआत..
असलम दो पेग बनाकर - लो ग़ालिब भाई..
असलम औऱ गौतम पेग को चिर्स करके पिने लगते है..
असलम - भाई आज तो मज़ा आ गया आपसे मिलके..
गौतम रेशमा को मीरर से देखकर - मुझे भी..
असलम - अच्छा आप बता रहे थे कुछ लिखते हो.. हमें भी सुनाओ कुछ..
गौतम पेग ख़त्म करके - अजी बस थोड़ा बहुत कोशिश करके है..
असलम द्वारा पेग बनाकर देते हुए - थोड़ा बहुत ही सुना दो यार..
गौतम गाडी सडक के किनारे लगाकर - हम्म्म... तो लिखा है..
कोई हसीन दिलरुबा आँखों में घर कर गई..
असलम - वाह.. क्या लिखा है ग़ालिब भाई..
गौतम - शुक्रिया मिया..
कोई हसीन दिलरुबा आँखों में घर कर गई..
इश्क़ की मिठास वो दिल में उतरकर भर गई
असलम - वाह्ह.. क्या मिसरा कहा है ग़ालिब भाई..
गौतम - बहुत शुक्रिया भाई..
असलम - आगे सुनाइए..
गौतम - सुनिये..
कोई हसीन दिलरुबा आँखों में घर कर गई..
इश्क़ की मिठास वो दिल में उतरकर भर गई
सोचा कि उसको चुम लूँगा अगली मुलाक़ात में
वो पारियों की शहजादी चूमके होंठ ही कुतर गई
असलम - अरे वाह ग़ालिब भाई.. मान गए आपको..
गौतम रेशमा को देखकर -शुक्रिया.. आपको केसा लगा भाभी..
रेशमा मुस्कुराते हुए - अभी कहा कुतरा है.. कुतरना तो अभी बाकी है..
असलम - लो ग़ालिब भाई..
गौतम - भाई अब रहने दो.. वरना सब कहने लगेंगे.. शराबी आ गए..
असलम हसते हुए - ये आखिरी है ग़ालिब मिया लो..
एक शेर मेरा भी सुनो..
गौतम पेग लेते हुए - इरशाद..
असलम - तो शेर कुछ ऐसा है..
मैं नहीं हूँ वो जिसकी तुम्हे तलाश है
कुछ नहीं है मेरे पास सिर्फ ये गिलास है
इस गिलास में घुले हुए है मेरे दर्द औऱ ग़म
औऱ पीछे बैठी हुई ये गले में चुबती फांस है
गौतम हसते हुए - लगता है भाभी प्यार नहीं करती आपसे..
रेशमा - प्यार करने लायक़ हो भी तो..
असलम नशे में - सिगरेट है आपके आप?
गौतम - रेक में देखो..
असलम सिगरेट जलाते हुए - एक औऱ सुनो..
ऊगा लूंगा मैं भी फसल जमीन को खोद कर
बना दूंगा तस्वीर इस कागज पे कलम गोद कर
(रेशमा को देखकर)
मेरी जान की दुश्मन बस इतनी बात बता मुझे
तेरे बाप को क्या मिला मेरी अम्मी चोद कर..

गौतम हसते हुए - अरे असलम मिया.. ये क्या था..
असलम - किसी से सवाल था ग़ालिब मिया..
रेशमा - मुझे गाना चलाना है..
गौतम - भाभी फ़ोन कनेक्टेड है आप इसमें चला लो.. चल जाएगा..
असलम नशे में - गाना क्यों चलाना है तुझे..
रेशमा - सवाल का जवाब नहीं चाहिए?
रेशमा गाना चला देती है.. मेरा बुढ़ा बलम करें छेड़खानी.. मेरी चढ़ती जवानी मांगे पानी पानी..
गाना सुनकर असलम का मुंह उतर जाता है..
गौतम हसते हुए - अच्छा बहुत हो गया असलम मिया.. चलो अब चलते है..
असलम गाना बंद करके - ठीक है ग़ालिब भाई..
गौतम गाडी चलाकर शादी वाली जगह ले आता है..

गौतम - लगता है बारात आ चुकी है..
असलम नशे में - हाँ.. आ गई है.. चलिए..
गौतम असलम औऱ रेशमा के साथ गाडी से उतारकर बाहर आ जाता है औऱ शादी वाले घर में आ जाता है जहा बहुत भीड़ थी औऱ घर छोटा था.. पीछे खाली प्लाट पर तम्बू खड़ा करके बारात का स्वागत चल रहा था..
असलम गौतम से - अरे ग़ालिब भाई आप कहा जारहे हो.. चलो ऊपर चलते है.. असलम गौतम को छत पर ले आता है..
गौतम - अरे असलम मिया आप तो इसे भी साथ ले आये..
असलम - इसके बिना कैसे काम चलेगा.. अभी तो आधी भी खाली नहीं हुई.. एक एक पेग औऱ पीते है फिर नीचे जाके dj पर तहलका मचाते है..
गौतम - ठीक है मिया बनाओ पर मेरा वाला पेग बिलकुल लाइट रखना..
गौतम पीछे नीचे की तरफ तम्बू में स्टेज के पास किसी को देखकर फ़ोन करता है..
गौतम - गांडु ऊपर देख..
आदिल ऊपर गौतम को देखता हुआ - अबे साली रंडी तू यहां क्या कर रहा है..
गौतम थोड़ा दूर जाकर - असलम के साथ आया हूँ.. मेरा नाम मिर्जा ग़ालिब बताया है असली नाम मत बताइयो उसे.. आजा ऊपर जल्दी..
आदिल - आता हूँ रंडी..
गौतम - पानी की ठंडी बीतल भी ले आइओ..
असलम - क्या हुआ भाई किस्से बात कर रहे थे..
गौतम - अरे एक दोस्त था.. पानी की बोतल मगवाई है ठंडी.. आ रह है.. आप तो नीट ही बनाने लगे..
असलम - अरे क्या फर्क पड़ता है ग़ालिब भाई..
गौतम - पक्के शराबी हो मिया..
आदिल पानी की बोतल रखकर - क्या हाल है जीजा ज़ी..
असलम - तू भी आया है..
आदिल - हाँ अकेला आया था.. सब घर पर ही है.. आपा कहा है..
असलम नशे में - नीचे होगी कहीं, मुझे क्या मालूम..
गौतम - अच्छा आप लोग बैठो आता हूँ.. आदिल के कान में - पीला पीलाके भंड कर दे मादरचोद को..
आदिल इशारे से - ठीक है..
गौतम नीचे चला जाता है औऱ आदिल बड़े बड़े पेग बनाकर असलम को पिलाने लगता है...

गौतम नीचे आ जाता है औऱ रेशमा को ढूंढने लगता है मगर उसे रेशमा कहीं नहीं नज़र आती.. गौतम जब रेशमा को कॉल करता है तो रेशमा कॉल नहीं उठती औऱ व्हाट्सप्प पर massage करती है.. अभी नहीं उठा सकती..
गौतम बदले में कहता है - औऱ कितना तड़पायेगी.. कुतिया..
रेशमा इस बार अपनी लाइव लोकेशन भेज देती है औऱ massage करती है आजा मेरे कुत्ते मेरे पास..
गौतम लाइव लोकेशन देखकर चल पड़ता है..
गौतम शादी के घर से थोड़ा दूर एक सुनसान मकान के पीछे उस लाइव लोकेशन को देखता हुआ आ जाता है औऱ उस खाली मकान में आकर इधर उधर देखने लगता है.. अंदर में उसे कुछ नहीं दीखता मगर कोई उसका हाथ पकड़ कर खाली मकान के एक कोने में ले जाता है औऱ गौतम हाथ की छुअन की कोमलता से समझ जाता है ये औऱ कोई नहीं बल्कि रेशमा ही है..
रेशमा सीधा गौतम के होठो पर टूट पडती है औऱ उसके होंठों से अपने होंठ से मिलाकर उसे बेतहाशा चूमने लगती है..
गौतम भी अँधेरे में रेशमा को होंठों को पूरी शिद्दत औऱ मोहब्बत के साथ चूमने लगता है..

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रेशमा चूमते हुए गौतम के लबों को दांतो से कुतरने लगती है औऱ गौतम को दर्द देती हुई उसके होंठों को खींच खींच कर गौतम को बेबाकी से अपने मुंह की मिठास औऱ लार के स्वाद से रूबरू करवा देती है..
गौतम आँख बंद करके रेशमा को अपनी बाहों में भरे हुए चूमता हुआ उसके पतले औऱ गुलाबी होंठों को अपने होंठों में भर भरके चूमता हुआ अपने हाथों से उसके बदन की उतार चढाव भरी नकाशी टटोलता है..
10-12 मिनट एकदूसरे को जमकर चूमने के बाद दोनों का चुम्बन किसी की आहट सुनकर टूट जाता है..
औऱ उनको ऐसा लगता है जैसे कोई आया है.. दोनों चुपचाप बाहर की तरफ देखते है जहा एक लड़का एक लड़की के साथ अभी अभी अंदर घुसा था.. गौतम औऱ रेशमा बिना किसी शोर के उनकी तरफ देखते है...

लड़का - मैं तुम्हारे बिना मर जाऊँगा शमा..
शमा - तू समझता क्यों नहीं नीरज.. मैं अगर तेरे साथ यहां से चली गई तो बबाल हो जाएगा.. मेरे अब्बू हमें जान से मार देंगे.
नीरज - बिछड़कर जीने से तो मर जाना अच्छा है शमा.. क्या हमने कसमे वादे इसीलिए खाये थे की एक दिन तू मुझे यूँ छोड़कर चली जाए? तू मुझे प्यार करती है ना.. तो क्यों किसी औऱ के साथ शादी कर रही है.. चल शमा में तुझे लेने आया हूँ..
शमा - तू समझता क्यों नहीं निरज.. आज मेरी शादी है कितनी बदनामी होगी हर जगह..
नीरज - तू बदनामी से डरती है.. मगर मुझसे बिछड़ने से नहीं.. क्या वो आदमी तुझे मुझसे ज्यादा खुश रख पायेगा? बोल जवाब दे..
शमा नीरज को चूमती है औऱ कहती है - मैं तुझे दिल औऱ जान से प्यार करती हूँ.. मगर तू ही बता ऐसे सब कुछ छोड़छाड़ कर भागना सही है? अब्बू अम्मी भाई सबकी नज़र शर्म से झुक जायेगी..
नीरज - उनकी नज़र शर्म से तब नहीं झुकी जब उन्होंने तुझसे 18 साल बड़े आदमी के साथ शादी तय कर दी.. बोल शमा? देख मैं तुझे लेने आया हूँ.. अगर तू मेरे साथ नहीं चली तो मैं यही अपनी जान दे दूंगा..
शमा रोते हुए - ज़िद मत कर नीरज.. जा यहां से.. मुझमे भागने की हिम्मत नहीं है.. मैं बहुत कमजोर हूँ..

इसबार रेशमा की चुडी की आवाज आ जाती है औऱ नीरज औऱ शमा को किसी के यहां होने की आहट मिल जाती है..
नीरज - कौन? कौन है वहा?
गौतम फ़ोन की फलेश लाइट सामने on करके - डरो मत.. हम दोनों शादी में आये..
रेशमा - शमा.. तू ये शादी नहीं करना चाहती?
शमा - मेरे चाहने से क्या होता है रेशमा आपा.. आज तक मेरी पसंद नापसंद घर में किसने सुनी है?
गौतम - देखो अगर तुम दोनों प्यार करते हो औऱ शादी करना चाहते हो तो मैं तुम्हारी मदद कर सकता हूँ..
शमा - पर अब्बू?
रेशमा - शमा मैं तेरे अब्बू को अच्छे से जानती हूँ.. वो अपने मतलब के लिए तेरा निकाल उस 38 साल के आदमी से करवाना चाहते है.. अभी भी मौका है..
नीरज - मैं कब से कह रहा हूँ शमा.. तुझे बहुत प्यार से रखूँगा.. चल मेरे साथ.. औऱ नहीं चलना तो ले इस पिस्तौल से मुझे गोली मार दे..
गौतम पिस्तौल छीनते हुए - अबे ये पिस्तौल कहा से खरीद लाया तू..
रेशमा - शमा पागल मत बन तेरी लाइफ का सवाल है..
शमा - ठीक है चलो.. मैं त्यार हूँ.. मगर तुम्हारे घरवाले क्या मुझे अपनाएंगे?
नीरज - नहीं अपनाएंगे तो मैं घर छोड़ दूंगा.. पर तुझे हमेशा अपने साथ रखूँगा.. चल रेशमा..
गौतम - अबे ओ मजनू.. घर छोड़ देगा तो रखेगा कहा लड़की को सडक पर? घरवालों से लड़ झगड़ मर घर में ही रखना.. रहता कहा है तू..
नीरज - अजमेर..
गौतम - अजमेर में कहा?
नीरज - पुराना चौखट.. गली नम्बर 22.. उलटे हाथ पर तीसरा मकान..
गौतम - विधयाक मालिराम है ना वहा का?
निरज - हां मालीराम खत्री है..
गौतम - नम्बर दे तेरे..
नीरज नम्बर देकर - अब चल शमा चलते है..
गौतम - मेरी बात सुन.. लड़की का ख्याल रखना.. पुलिस में है मेरा बाप.. इसपर जरा सी खरोच आई तो खानदान चोद के पटक दूंगा तेरा..
नीरज - प्यार करता हूँ अपनी जान से ज्यादा.. उम्र भर साथ रखूँगा..
गौतम - शमा अपनी सारी id औऱ डॉक्यूमेंट साथ लेकर जाना.. कोर्ट मैरिज में जरुरत पड़ेगी..
रेशमा - हाँ शमा..
शमा - नीरज मैं अभी घर जाती हूँ.. थोड़ी देर बाद तुझे बस स्टेण्ड पर मिलूंगी..
नीरज - मैं तेरा इंतजार करूंगा शमा.. शुक्रिया तुम्हारा..
दोनों चले जाते है..

Shaandar jabardast Romanchak Hot Update 🔥 🔥 🔥
Gautam Reshma Aslam ko chutiya bana maze kar rahe hai 🤣 🤣 🤣
Yaha to ek aur couple mil gaya ab Inka bhi Kalyan ho gaya 😊 😊
 

naughtyishaan

Naughty male..... would love to flirt with you.
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Update 48

जंगल के खंडर के जिस कमरे में गौतम औऱ सुमन ने हरिया औऱ मंजू को चुदाई करते हुए देखा था वहां अब हलकी सी सफाई कि जा चुकी थी.. एक खाट किसी ने लाकर रख दी थी जिसपर एक रुई का गद्दा भी पड़ा था औऱ साथ में एक फोल्डबल टेबल भी साइड में थी जिस पर शराब की एक बोतल सिगरेट के पैकेट लाइटर औऱ पानी की बोतल रखी हुई थी..

ये सब आज सुबह गौतम ने ही इस कमरे में रखे थे औऱ अब वो अपनी माँ को भी अपने साथ लेकर खंडर के बाहर आ चूका था औऱ गौतम सुमन का हाथ पकड़ कर उसे खंडर के अंदर ले आया.. सुमन को डर लग रहा था मगर गौतम के साथ में होने से उसका डर काफूर भी हो रहा था.. गौतम ने सुमन को अपनी गोद में उठा लिया औऱ सीढ़ियों से खंडर के ऊपरी मंज़िल पर आ पंहुचा..

सुमन के मन में इस वक्त अजीब अजीब ख्याल चल रहे थे और उसके बदन में सुरसुरी कौंध रही थी.. सुमन का दिल जोरो से धड़क रहा था और आने वाले पलों की कल्पना करके काम वासना के भाव से भरी जा रही थी.. सुमन की आंखों के सामने गौतम का चेहरा था जिसे वह बड़ी प्यार से देख रही थी और अपने हाथ से उसके प्यारे मुख को सहला भी रही थी..

सुमन को पता नहीं था कि गौतम के मन में क्या चल रहा है.. गौतम आज किसी भी कीमत पर सुमन को पा लेना चाहता था और इस नियत से वह सुमन को अपनी गोद में उठा खंडर के इस कमरे पर आ रहा था जहाँ उसने सारी तैयारी कर रही थी.. गौतम ने अपने सुहाग दिन को मनाने के लिए पूरा प्रबंध किया हुआ था..

गौतम ने सुमन को लाकर कमरे में बिछी उसी खत पर पटक दिया औऱ शराब कि बोतल खोलकर सुमन औऱ खुद के लिए एक एक पेग बना दिया..
गौतम पेग देते हुए - लो माँ..
सुमन पेग लेकर - यहां इस खंडर में करोगे अपनी ख्वाहिश पूरी?
गौतम पेग पीकर अपने लिए दूसरा पेग बनाते हुए - यहां तु खुलकर चीख-चिल्ला सकती है सुमन.. तेरी आवाजे सुनकर यहां कोई नहीं आएगा.. औऱ तु मुझसे बचकर कहीं भाग भी नहीं पाओगी..
सुमन पेग पीते हुए - मैं क्यों भागने लगी भला.. मैं भी अब तेरे साथ हर हद पार करना चाहती हूँ..
गौतम दूसरा पेग ख़त्म करके एक सिगरेट सुलगा लेता है औऱ सुमन अपना पहला पेग ख़त्म कर देती है.. गौतम सुमन के करीब खाट पर बैठ कर अपना एक हाथ सुमन के गले में डालकर उसका चुचा पकड़कर मसलते हुए सिगरेट के कश लेता हुआ कहता है..
गौतम - एक बात सच सच बतायेगी सुमन?
सुमन गौतम से सिगरेट लेकर कश मारती हुई - पूछ ना मेरी जान.. जो तुझे पूछना है.. आज तेरी माँ नहीं शर्माने वाली.. मेरे चुचे 34 कमर 28 गांड 36 है..
गौतम सुमन के निप्पल्स मरोड़ता हुआ - मेरा असली बाप कौन है?
Divyanka-Boob-Sucked
सुमन सिसकती हुई - आह्ह.. गौतम.. ये तू केसा सवाल कर रहा है.. जगमोहन तेरा बाप है..
गौतम सुमन से सिगरेट लेकर कश मारता हुआ वापस सुमन के चुचे पर उभरा हुआ चुचक मसल देता है औऱ बोलता है - सुमन मै मज़ाक़ नहीं कर रहा.. सच सच बता.. मेरा असली बाप कौन है?
सुमन दर्द से - अह्ह्ह्ह.. ग़ुगु मरोड़ मत मेरी निप्पल्स.. औऱ तू अचानक कैसी बात कर रहा है.. औऱ क्या बेतुका सवाल पूछ रहा है...
गौतम सिगरेट का कश लेकर सिगरेट फर्श पर फेंककर अपने जूते से बुझा देता है औऱ सुमन को धक्का देकर खाट पर पीठ के बल लिटाता हुआ उसके ऊपर चढ़कर उसके बालो को अपनी मुट्ठी में भींचकर पकड़ते हुए कहता है - मुझे चुतिया समझा है माँ तूने? चुपचाप मुझे मेरे असली बाप का नाम बता दे.. वरना आज चोदने के बाद तुझे हमेशा के लिए अकेला छोड़ जाऊँगा..

सुमन हैरानी परेशानी औऱ फ़िक्र से भरी हुई - ग़ुगु तू क्या बोले जा रहा है बेटा.. तू जो बोले रहा है मेरी तो कुछ समझ में नहीं आ रहा..
गौतम गुस्से में एक जोरदार तमाचा सुमन के गाल पर मार देता है औऱ कहता है - अब समझ आया तुझे रंडी? बंद कर अपना ये संस्कारी बनने का ढोंग.. मुझे पता चल गया तू कितनी बड़ी रांड रह चुकी है..
सुमन अपने गाल पर हाथ लगा कर - बेटा.. मैं सच कह रही हूँ तेरा बाप जगमोहन ही है..
गौतम हलके नशे में थोड़ा पीछे होता है औऱ सुमन की साडी का पल्लू हटाकर सुमने के चुचो पर अपने दोनों हाथ रखकर ब्लाउज को कस के पकड़ता है औऱ इतना जोर से खींचता है कि सुमन कि छाती पर से उसका ब्लाउज एक बार में फटकार अलग हो जाता है औऱ साथ में ब्रा भी उतर जाती है..

गौतम सुमन के दोनों चुचो को अपने दोनों हाथों के पंजो में पकड़कर दबा दबा के मसलते हुए - अब तो सच बोल दे रंडी.. मैं जान गया हूँ जगमोहन मेरा बाप नहीं है औऱ ना ही वो किसी औऱ का बाप बन सकता है.. ना ही कभी बन सकता था.. वो शुरु से बाप बनने के काबिल नहीं था.
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सुमन गोतम को हैरानी से देखती हुई सिसक कर - गौतम तुझे कैसे..
गौतम सुमन के तनकर खड़े हुई चुचक को मुंह में लेकर चूसता हुआ - मुझे कैसे पता? तू यही सोच रही है ना सुमन.. आज मुझे बहुत कुछ पता चला है तेरे बारे में.. अब मुझे सच सच बता कौन है मेरा असली बाप?
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सुमन गोतम के चेहरे को पकड़कर उसके होंठ पर अपने होंठ रखते हुए चूमती हुई - छोड़ ना गौतम.. अब क्या फर्क पड़ता है.. सालों पहले की बात है..
गौतम सुमन में बाल पकड़कर उसके होंठों को अपने होंठों से अलग करता हुआ उसकी आँखों में देखकर कहता है - फर्क पड़ता है माँ.. तू शादी से पहले जिस जिस के नीचे लेटी है मुझे उनसे कोई मतलब नहीं है.. बस तू इतना बता दे उनमे से मेरा बाप कौन था?
सुमन गौतम के हाथों से अपने बाल छुड़ाकर वापस उसके होंठों पर टूट पडती है औऱ गौतम को चूमती हुई कहती है - उन सब बातों का अब क्या फ़ायदा मेरे शहजादे.. देख तेरी माँ आज तुझे पूरी तरफ से अपनाने को तैयार है.. कर ले अपने मन कि हर ख्वाहिश पूरी बेटा.. होजा मेरे साथ एक जिस्म दो जान..
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गौतम फिर से सुमन के होंठों से अपने होंठ हटाते हुए - मुझे जानना है माँ.. कि कौन था वो जिसने तेरी टाँगे चौड़ी करके तेरी चुत में लंड घुसाकार अपना माल तेरी चुत में झाड़ा जिसके करण तूने मुझे अपनी चुत से निकला..
सुमन अपनी साडी निकालकर पटीकोट का नाड़ा खोलती हुई - गौतम तू कैसी बातें लेकर बैठ गया.. आज तेरा औऱ मेरा पहला मिलन है.. देख तेरी माँ ने तेरे लिए आज अपनी चुत के सारे बाल शेव करके चुत को कितना चिकना कर दिया है...
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गौतम सुमन के मुंह पर थूक देता है औऱ कहता है - हट माँ.. अगर तू मुझे उस आदमी का नाम नहीं बतायेगी तो तुझे चोदने से अच्छा है मैं कोठे पर कोई रंडी चोद लु..
सुमन गौतम का थूक चेहरे से साफ करके मुंह में भर लेटी है औऱ गटकते हुए गौतम का शर्ट खोलती हुई कहती है - मुझे कोठे की रांड समझकर ही चोद ले ग़ुगु.. मैं कोनसी कुछ कह रही हूँ.. तू तो फालतू की ज़िद पकड़ कर बैठ गया.. अब इतने साल बाद क्या मतलब इन बातों का..
गौतम शर्टलेस होकर उठकर कमरे की खिड़की से बाहर जंगल की तरफ देखने लगता है औऱ सुमन से कहता - मुझे मेरे असली बाप का नाम तक नहीं पता औऱ तू कहती है मैं फालतू की ज़िद पकड़ कर बैठा हूँ..
सुमन टेबल पर रखी शराब की बोतल से एक पेग बनती है औऱ पेग के साथ सिगरेट लाइटर हाथ में लेकर गौतम के पास आती है.. - नाम जानने से क्या हो जाएगा गौतम.. हम अब तक जैसे जी रहे थे वैसे ही जी सकते है ना.. तू कब से मेरे पीछे पडा था.. अब जब मैं तैयार हूँ तो तू ऐसे कर रहा है.. ये कहते हुए सुमन ने पेग गौतम के हाथ में दे दिया औऱ उसके होंठों पर एक सिगरेट लगाकर जलाते हुए अपने घुटने पर आ बैठी.. सुमन गौतम की जीन्स का हुक खोलकर उसके लंड को चूमने लगी..
गौतम सिगरेट का कश लेकर पेग पिने लगा औऱ फिर अपने आगे घुटनो पर बैठकर अपने लंड ओर चुम्मिया बरसाती हुई होनी माँ सुमन को देखता हुआ बोला - मैं तुझे औऱ कुछ नहीं कहूंगा सुमन.. तू बस मुझे इतना बता दे की मैं किसके लंड की पैदाईश हूँ?
सुमन लंड पर चुम्मियो की बरसात करने के बाद लंड को मुंह में भरती हुई - आज क्या हुआ है तेरे लंड को गौतम? इतनी चुम्मिया करने औऱ हिलाने के बाद भी खड़ा नहीं हो रहा..
गौतम पेग ख़त्म करके गिलास एक तरफ रख देता है औऱ सिगरेट का लम्बा कश खींचकर सुमन के बाल पकड़कर उसे खड़ा करके उसके मुंह पर सिगरेट का धुआँ छोड़ते हुए कहता है - जब तक इसे अपने बाप का नाम नहीं पता चलता ये खड़ा नहीं होने वाला.. समझी सुमन.. अब बता कौन है मेरा बाप? क्या वो बाबा मेरा असली बाप है जिसके पास जाकर तू कुछ ना कुछ मांगती रहती है..
सुमन हिचकती हुई - गौतम.. बाबाजी के साथ मेरा कोई रिश्ता नहीं रहा..
गौतम सिगरेट का कश लेकर सिगरेट खिड़की से बाहर फेंक देता है औऱ सुमन की चुत को अपनी मुट्ठी में पकड़कर मसलते हुए कहता है - रिश्ता कैसे नहीं रहा? उसने तुझे नंगा नहीं किया था रातों में? तेरी इस चुत में लंड तो उसका भी जा चूका है.. मैं जान चूका हूँ की बच्चे की मन्नत लेकर आई हर औरत को बाबाजी औऱ उसका साथी किशोर रात रात भर होने बिस्तर में चोदते है.. तुझे भी चोदा होगा ना वहा किसीने जब तू बच्चे की मन्नत लेकर वहा गई थी..

सुमन सिसकियाँ लेती हुई गौतम को बाहों में भरकर उसे चूमती हुई - नहीं मेरे शहजादे.. अह्ह्ह्ह... मैं तेरी कसम खाती हूँ.. मैं उस पहाड़ी पर बाबाजी के बिस्तर में नंगी जरुर हुई थी मगर वक़्त रहते मैंने अपना इरादा बदल लिया था औऱ मैं बीना चुदे ही वहा से वापस आ गई थी..

गौतम सुमन को चूमता हुआ खाट में आ जाता है औऱ उसके चुचो का मर्दन करता हुआ कहता है - वहा नहीं चुदी तो कय हुआ माँ? संजय मामा ने तो तुझे शादी के बाद भी बहुत बार चोदा था.. क्या मैं उसकी चुदाई से पैदा हुआ हूँ?
सुमन गौतम का लंड पकड़कर अपनी चुत पर रगडती हुई - नहीं बेटा.. तेरे मामा ने मेरी शादी के बाद कभी मेरी चुत में अपना माल नहीं झाड़ा.. तू तेरे मामा का बेटा नहीं है ग़ुगु..
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गौतम सुमन के चुचो को दांतो से खींचता हुआ चूसता है औऱ सुमन की आँखों में देखकर कहता है - तो क्या मैं तेरे उस पुराने आशिक विजय का बेटा हूँ, जो तुझे सिनेमा दिखाने के बाद अपने दोस्त कमल की पंचर की दूकान में लेजाकर चोदता था.. जिससे तू अब इतने सालों बाद फिर से इंस्टा पर बात करने लगी है..
सुमन गौतम का लंड चुत पर रगढ़ते हुए चौंककर - गौतम तुझे कैसे पता मैं इंस्टा चलाती हूँ औऱ विजय से बात करने लगी हूँ?

गौतम सुमन की गर्दन चाटता हुआ - पूराना अकाउंट डिलीट करके नया बना लेने से तुझे क्या लगा.. मुझे आता नहीं चलेगा.. शर्मीली सुमन नाम से अकाउंट बनाया है ना तूने नया.. उसपर अपनी चिकनी कमर की फोटो डालने से तुझे क्या लगा मुझे पता नहीं चलेगा? माँ.. तेरी कमर के तिल ने मुझे बता दिया कि ये तेरा अकाउंट है.. मैंने तेरे फ़ोन में इंस्टा के पास देखकर अपने फ़ोन में तेरा अकाउंट खोला था सुबह.. औऱ जिस जिस से तूने जो जो बात कि है सब पढ़ ली..
सुमन शर्माते हुए - गौतम तूने ऐसा क्यों किया.. मुझे शर्मिंदा करने से तुझे क्या मिल जाएगा.. मैं तेरी सगी माँ हूँ क्या ये तेरे लिए काफी नहीं?
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गौतम सुमन की टाँगे चौड़ी करके उसके चुत के दाने को चूमकर होंठों से खींचता हुआ - मुझे बस अपने बाप का नाम जानना है सुमन.. अगर तू मुझे उसका असली नाम बता देगी तो मैं वादा करता हूँ.. मैं अपने ईस लंड की छत्रछाया मैं तुझे हमेशा सुखी रखूँगा.. बता सुमन कौन है मेरा असली बाप? क्या वो विजय का दोस्त कमल है? जो विजय के चोदने के बाद तेरी चुदाई करता था..
सुमन गौतम का सर पकड़कर अपनी चुत में घुसाती हुई - नहीं.. गौतम.. वो ना विजय है ना कमल..
गौतम जोर जोर से सुमन की चुत चाटता हुआ - तो बता ना रंडी.. वो कौन है? कौन है मेरा असली बाप?
सुमन का बदन अकड़ने लगता है औऱ वो गौतम के मुंह में झड़ते हुए एक नाम लेती है - वो तेरे चाचा है गौतम.. बृजमोहन..
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गौतम के मुंह पर सुमन की चुत से जबरदस्त पिचकारी की धार निकलकर पडती है औऱ गौतम का सारा मुंह सुमन के पानी से भीग जाता है..
सुमन झड़ने के बाद तेज़ तेज़ सांस लेती हुई सिसकियाँ लेकर - वो तेरा चाचा है गौतम.. तेरा चाचा ही तेरा असली बाप है..
गौतम सुमन की चड्डी से अपना चेहरा साथ करता हुआ - बृजमोहन..
सुमन शरमाते हुए पछतावे से - हाँ गौतम हां.. बृजमोहन.. वही है तेरा असली बाप..
गौतम खाट से खड़ा होकर पानी की बोतल से पानी पीते हुए सुमन को देखकर - मुझे सारी बात बता माँ.. उसने कब औऱ कैसे क्या क्या किया तेरे साथ...
सुमन - वो सब जानकर तू क्या करेगा बेटा.. रहने दे उन बातों को..
गौतम वापस खाट पाकर सुमन की टाँगे चौड़ी करके चुत के छेद लड़ लंड टिका कर दबाव बनाते हुए - मुझे सब जानना है माँ.. तेरे साथ उसने कब कब औऱ क्या क्या किया है..
सुमन गौतम के लंड को चुत के अंदर लेने के लिए पकड़ लेती है चुत में घुसाने लगती है जिसमे उसे बहुत दर्द भी होने लगा था
सुमन सिसकियाँ लेती हुई - बता दूंगी बेटा.. सबकुछ बता दूंगी.. अब तुझसे छीपा कर करुँगी भी क्या?

फूलों का लेप लगाने से सुमन की चुत सिकुड़ चुकी थी और उसे गौतम का मोटा लंड लेने में बहुत तकलीफ होने लगी थी सुमन अभी तक केवल लंड का टोपा ही अपनी चुत में घुसा पाई थी कि उसकी आहे निकलने लगी वो तेज़ सिसकियाँ लेने लगी और किसी कुंवारी की तरह मचलने लगी..
सुमन को समझ नहीं आ रहा था कि अचानक उसे यह क्या हुआ है और वह कैसे इतनी सिकुड़ी हुई चुत की मालकिन बन गई है.. गौतम ने अपनी पूरी कोशिश और दबाव डालते हुए सुमन की सिकुड़ चुकी चुत में अपने लंड को टोपे से थोड़ा आगे औऱ प्रवेश करवा दिया औऱ सुमन के चेहरे पर आते कामुकता औऱ दर्द से भरपुर भावो को देखने लगा.. जिसमे उसे अद्भुत आनंद आ रहा था.. गौतम सोच रहा था ईसी योनि से सालों पहले दो बच्चे निकल चुके हैं लेकिन अभी यह योनि कितनी टाइट है और लेप लगाने के बाद कितनी सिकुड़ चुकी है..

सुमन सिसकियाँ भरती हुई - आराम से गौतम बहुत दर्द हो रहा है.. पता नहीं कैसे इतनी सिकुड़ गई..पता नहीं कैसे तेरे इतने बड़े लंड को अंदर ले पाऊँगी..
गौतम सुमन को देखता हुआ - माँ मुझे माफ़ कर दो..
सुमन - क्यों बेटा.. तूने कोनसी गलती कर दी जो तू माफी मांग रहा है.. सारी गलती तो मेरी है..
गौतम - गलती की नहीं माँ.. करने वाला हूँ..
सुमन - कैसी गलती गौतम..
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गौतम ने एक हाथ सुमन की गर्दन के नीचे लेजाकर उसका कन्धा पकड़ लिया औऱ दूसरे हाथ से सुमन की गांड औऱ पूरी ताकत से एक धमाकेदार झटके के साथ अपने लंड को सुमन की चुत के अंदर पूरा जड़ तक घुसेड़ दिया जिससे सुमन की चुत में गौतम का पूरा लंड घुस गया औऱ खून की कुछ बुँदे चुत से निकल कर बह गई.. इसीके साथ सुमन के गले से इतनी जोर से चीखे निकली की खंडर से दूर दूर तक हवा में उसकी आवाज सुनाई दे जा रही थी.. गौतम के चेहरे पर विजयी मुस्कान थी औऱ सुमन के चेहरे पर दर्द शिकायत औऱ रहम की उम्मीद करती आँखों के साथ दया के भाव.

सुमन गुस्से औऱ दर्द से चिल्लाते हुए गौतम के गाल पर थप्पड़ मारती हुई - गौतम मादरचोद..
गौतम सुमन के दोनों हाथ पकड़कर सुमन के होंठों पर अपने होंठ रखकर उसका मुंह बंद करता हुआ - सुमन बेटाचोद..

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सुमन की चुत में गौतम का लंड बच्चेदानी तक घुसा हुआ था औऱ उसके दोनों हाथ गौतम ने अपने हाथों से पकड़कर सर के ऊपर कर दिए थे.. उसके होंठों पर भी गौतम ने अपने होंठ चिपका दिए थे.. सुमन की आँखों से आंसू की बुँदे निकल कर बह रही थी.. गौतम सुमन की आँखों में रहम औऱ शिकवे के उठते भाव देख सकता था..

गौतम अब प्यार से सुमन के होंठ चूमने लगा था औऱ मगर फिर भी सुमन गौतम का साथ नहीं दे रही थी औऱ गौतम के होंठो की क़ैद से बार बार अपना मुंह इधर उधर घुमाकर अपने होंठों को रिहा करवा रही थी.
गोतम अपनी माँ की इस हरकत पर मुस्कुराते हुए उसे देख कर बार बार उसके होंठों को अपने होंठों में भरकर चुमने की कोशिश कर रहा था औऱ बार बार सुमन गौतम के होंठों से अपने होंठ छुड़वा रही थी.. सुमन जब मुंह घूमती तो गौतम उसके गाल औऱ गर्दन पर चुम लेटा औऱ प्यार से जीभ निकालकर चाट लेटा..

सुमन को अब इस छेदखानी में हल्का मीठा सा मज़ा आने लगा था औऱ उसकी चुत में घुसा हुआ गौतम का शैतानी लड उसे पहले की तुलना में कम दर्द दे रहा था.. 10-15 मिनट तक ऐसा ही चलता रहा औऱ गौतम सुमन के होंठों के बीच की जंग जारी रही जिसमे बार बार गौतम को सुमन से हार का सामना करना पड़ रहा था.
अब गौतम मुस्कुराते हुए सुमन को देखकर उसे छेड़े जारहा था जिससे सुमन को भी अच्छा लगने लगा था..
गौतमप्यार से - इतने नखरे? लगता है मेरी माँ को बहुत गुस्सा आ रहा है मेरी ऊपर..
सुमन गौतम की बात पर अपने हाथ गौतम के हाथों से छुड़वा कर गौतम के चेहरे को पकड़ लेती है औऱ गौतम के होंठों को अपने होंठों में भरके चूमती हुई दांतो से इतना जोर से काटती है की गौतम की आह्ह निकल जाती है औऱ वो दर्द से चीख उठता है औऱ कहता है..
गौतम - तेरी माँ को चोदू.. खा जायेगी क्या? दर्द होता है ना..

सुमन वापस गौतम के होंठ चूमते हुए - सिर्फ तुझे ही दर्द होता है क्या.. रंडी की औलाद.. एक झटके में इतना बड़ा लंड घुसाया है मेरे दर्द नहीं होता क्या? मेरी चुत से खून निकाल दिया तूने..
गौतम चुत से निकला हुआ खून जो गौतम औऱ सुमन की कटी हुई साफ झांटो पर लंड औऱ चुत के मिलन के आसपास चिपचिप कर रहा था, उसे ऊँगली में लगाकर सुमन के मांग में भर देता है औऱ कहता है - इसी खून से मैं तेरी मांग भर रहा हूँ माँ.. आज से तू मेरी हुई.. मुझे ख़ुशी है मेरी दुल्हन कुंवारी निकली.. आज से तेरी चुत पर सिर्फ मेरा हक़ है सुमन..

सुमन का दर्द अब बहुत कम हो चूका था औऱ मीठा मीठा अहसास हुए होने लगा था.. पिछले 20 मिनट से गौतम का लंड उसकी चुत में पूरा घुसा हुआ था औऱ गौतम उसके ऊपर लेटा हुआ था..
सुमन गौतम होंठ दांतो से खींचकर चूमती हुई अपना मगलसूत्र उतारकर उसे देती हुई - मांग तो भर दी तूने मेरी शहजादे.. मगलसूत्र भी पहना दे..
गौतम मगलसूत्र पहनाता हुआ - शादी मुबारक हो माँ..
सुमन - अब बेटा.. इस हालत में मैं तेरे पैर छूकर तेरा आशीर्वाद कैसे लूँ?
गौतम - चुदाई के बाद पैर छू लेना माँ.. मैं नहीं रोकूंगा.. अब बताओ मुझे वो सब कुछ.. जो तेरे औऱ चाचा के बीच हुआ था.. एक भी बात मुझसे मत छुपाना..
सुमन - मेरी चुत में लंड घुसा के तू मुझसे मेरी चुदाई की कहानी सुनेगा? मुझे शर्म आएगी बेटा..
गौतम सुमन के निप्पल्स से छेड़खानी करता हुआ - पति पत्नी में शर्म अच्छी बात नहीं है माँ.. जो हुआ था वो साफ साफ औऱ खुलके कहो.. मैं सुनने को बेताब हूँ..
सुमन - एक पेग पीके बताती हूँ.. एक बार निकाल ले..
गौतम खाट से थोड़ा दूर रखी टेबल को हाथ बढाकर अपने करीब खींचता है औऱ सुमन से कहता है - लंड नहीं निकलेगा माँ.. पेग मैं यही से बना देता हूँ..
गौतम पेग बनाकर सुमन को पीला देता है.. सुमन पेग पीके एक सिगरेट अपने होंठों पर लगा लेती है औऱ लाइटर से सुलगाते हुए पहला लम्बा कश लेकर धुआँ छोड़ते हुए कहती है..
सुमन - तो सुन मेरे शहजादे.. मैं आज तुझे वो बात बता देती हूँ जो अबतक किसी को नहीं पता.. तेरे चाचा बृजमोहन को भी नहीं..
गौतम - क्या? चाचा को भी नहीं पता मतलब?
सुमन - हाँ गौतम.. तेरे चाचा भी नहीं जामते कि तू उनका बेटा है..
गौतम - ये कैसे मुमकिन है माँ.. चाचा को भी नहीं पता कि मैं उनका बेटा हूँ..
सुमन - हुआ ही कुछ ऐसा था गौतम.. पता नहीं इसमें किसका दोष था..
गौतम - मुझे साफ साफ पूरी कहानी शुरुआत से बताओ माँ.. क्या हुआ था?

सुमन सिगरेट का अगला कश लेकर - बात तेरे पैदा होने से 9 महीने पहले की है जब मेरी शादी को 3 साल हो चुके थे औऱ मुझे कोई बच्चा नहीं हुआ था.. सब मुझे बाँझ समझने लगे थे मगर मैं जानती थी कि कमी मुझमे नहीं है क्युकी ऋतू भी मेरी ही कोख से जन्मी थी.. लेकिन फिर भी मैं सबकी बातें सुनकर बाबाजी के पास एक औलाद की मन्नत लेकर आने लगी.. औऱ हर तरह एक बच्चा पैदा करने के जतन करने लगी.. फिर एक दिन वो हुआ जिसकी मुझे उम्मीद नहीं थी..

सवान के बाद भादो ने गाँव की उस धरती को बारिश की तेज़ तर्रार बूंदो से सराबोर कर रखा था शाम के वक़्त की बात थी जब जगमोहन तेरे दादा के साथ खेत की जुताई के लिए खाद लेने गया था औऱ बारिश का पानी भर जाने से आने जाने वाला रास्ता पानी के भराव से बंद हो चूका था औऱ जगमोहन तेरे दादाजी के साथ वही फंस गया था.. तेरी दादी पड़ोस के गाँव में तेरी दादी हेमा की मुंह बोली बहन माला के यहां उसके बेटे के लगन में गयी थी औऱ वो भी बारिश के करण वही फंस गई थी.. मानसी की तबियत खराब थी और वो गलती से मेरे कमरे में आकर सो गई थी..
मौसम की बरसात, ठंडी बहती हवा औऱ जोबन का बाईसवा साल.. मेरा अंग अंग नई तरंग से भरकर मुझे कामोतेजना में खींच रहा थ.. मैं उस वक़्त मेरे शरीर की आग बुझाना चाहती थी.. शाम से रात का समय हो चला था अमावस की रात में घर के कई कोनो में मैंने दिए जला के रख दिए थे.. लाइट का कोई नामो निशान नहीं था. मैं तेरे चाचा बृजमोहन के कमरे में दिया रखने गई थी कि तभी बाहर से मुझे किसी के आने की आहट सुनाई दी औऱ मैं इससे पहले की पीछे देख पाती किसीने मुझे पीछे से अपनी बाहों में भर लिया. मेरी हाथ से दिया नीचे गिरकर बुझ गया था औऱ अब कमरे में अंधेरा ही अंधेरा था.. अमावस की उस काली रात में अन्धकार इस तरह फैला हुआ था जैसे दिल्ली की हवाओ में ज़हर...

मैं शराब की आती बू से समझ गई थी की ये ब्रिजमोहन ही है.. उसने मुझे सीधा बिस्तर पर लिटा दिया औऱ मेरी साडी ऊपर करके पीछे से उसने सीधा लंड मेरी चुत में डाल दिया औऱ कुछ देर चोदा.. वो नशे में धुत मुझे मानसी समझकर मुझे चोदे जा रहा था औऱ मैं काम भावना से भरी हुई चुपचाप उससे चुदे जारही थी.. मैं झड़ गई थी औऱ कुछ पलों में वो भी झड़ गया था.. नशे की हालत में बृजमोहन पूरी तरह उतर हुआ था औऱ मुझे चोदने के बाद वो बिस्तर पर ही उल्टा मुंह करके सो गया था.. उसे अँधेरे में ये भी नहीं दिखा कि जिसे वो मानसी समझ रहा था वो मानसी नहीं थी..
चुदने के बाद मैं वहा से बाहर आ गयी जब मौसम ठीक हुआ औऱ तेरे दादा दादी औऱ जगमोहन घर आये तो सब कुछ पहले की तरह ही था.. दिन बीतने लगे औऱ कुछ समय बाद मुझे एक दिन पता चला कि मैं पेट से हूँ.. फिर तू पैदा हुआ औऱ उसके 2 साल बाद कुसुम.. कुसुम के पैदा होने के छः महीने बाद ही हमने मीलकर तेरी औऱ कुसुम कि शादी करवा दी.. मगर फिर बटवारे का विवाद खड़ा हो गया औऱ हमें यहां आना पड़ा..
सुमन आखिरी कश लेकर मुंह से धुआँ छोड़ती हुई - बस गौतम.. यही सब हुआ था..

गौतम सुमन की गांड पकड़कर बिना लंड चुत से निकाले सुमन को खाट के बीच में लाते हुए - टाँगे चौड़ी कर ले माँ.. मैं शुरु कर रहा हूँ..
सुमन टाँगे फैलाती हुई - धीरे धीरे करना बेटा.. अभी भी दर्द बाकी है..
गौतम लंड को आधा बाहर निकालकर वापस अंदर डाल देता है औऱ अब ऐसे ही सुमन को चोदने लगता है..
गौतम चोदते हुए - आज किसी रहम की उम्मीद मत कर मुझसे सुमन..
सुमन खुलकर मादक सिसकियाँ भरती हुई - अह्ह्ह्ह... अह्ह्ह्ह.... अह्ह्ह्ह... गौतम.. आह्ह.. अह्ह्ह्ह... बेटा धीरे... अह्ह्ह्ह... गौतम... अह्ह्ह्ह अह्ह्ह.. आराम से बेटा.. अह्ह्ह्ह.. दर्द हो रहा है.. अह्ह्ह्ह... गौतम... अह्ह्ह्ह... bbc-porn-gif-46
दिन के तीन बजे का समय था जब गौतम ने सुमन को खंडर के उस कमरे में चोदना शुरु किया औऱ खाट पर लेटाकर मिशनरी में सुमन की चुत की खुदाई शुरु कर दी.. गौतम पुरे जोश में धक्के पर धक्के मारता हूँ सुमन को चोद रहा था औऱ सुमन गौतम का लंड झेलती हुई किसी कुत्तिया की तरह उसके सीने में अपने नाख़ून गड़ाकर दहाड़े मार मार चिल्ला रही थी औऱ गौतम से आराम से चोदने की गुहार लगा रही थी मगर गौतम अपनी माँ को ऐसे चोद रहा जैसे वो कोई बाज़ारू रांड हो.. गौतम के मन कोई पछतावा औऱ दुख नहीं था वो आज सुमन की चुत पर अपने लंड की सील लगा देना चाहता था औऱ उसके लिए पूरी जोशओखरोश से सुमन को चोद रहा था..
मिशनरी पोज़ में गौतम के मारे हर एक झटके पर सुमन ऊपर से नीचे तक पत्ते की तरफ फड़फड़ाती हुई हिल रही थी औऱ चीखते हुए आह्ह कर रही थी....
गौतम चोदते हुए - औऱ जोर से चिल्ला माँ.. यहां तेरी कोई नहीं सुनने वाला..
सुमन चिल्लाते हुए - आराम से गौतम.. अह्ह्ह्ह.. अह्ह्ह्ह... माँ हूँ तेरी.. अह्ह्ह्ह... धीरे... आराम से..
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गौतम सुमकी दोनों टांग अपने कंधे पर रखकर चुत में ताबड़तोड़ झटके मारते हुए - माँ के साथ दुल्हन भी तो है तू मेरी सुमन.. झटके तो ऐसे ही पड़ेगे तेरी चुत में मेरी जान.. जितना जोर से चिल्लाना है चिल्ला..
सुमन सिसकती हुई हाथ जोड़कर - अह्ह्ह्ह... गौतम.. भगवान के लिए.. आराम से बेटा.. मेरे वापस दर्द होने लगा है.. चुत में.. धीरे चोद मुझे.. धीरे चोद बेटा..
गौतम जब सुमन को हाथ जोड़ता देखता है तो वो सुमन के दोनों हाथ अपने हाथ में पकड़ लेता है औऱ जोर से पूरी रफ़्तार से झटके मारने लगता है जिससे सुमन कुतिया की तरह अह्ह्ह... अह्ह्ह.. करती हुई गला फाड़ फाड़ कर चिल्ला है.. औऱ गौतम को देखकर रोने जैसा मुंह बनाकर चुदती है..
सुमन - अब नहीं गौतम.. अब नहीं.. बहुत दर्द हो रहा है. अह्ह्ह्ह... छोड़ मुझे.. आराम से.. गौतम...
गौतम हाथ छोड़कर सुमन की चुत से लंड निकाल लेता है औऱ सुमन की गांड पकड़ कर उसे पलटकर खाट पर अपने आगे घोड़ी बना लेता है औऱ मजबूती से उसकी कमर थाम कर लंड वापस चुत में घुसा देता है जिससे वापस सुमन की आह्ह निकल जाती है.. इस बार चुत औऱ लंड के मिलन की मधुर आवाज से कमरा औऱ खंडर का कुछ हिस्सा गूंजने लगता है..
सुमन - अह्ह्ह.. गौतम.. अह्ह्ह्ह...
गौतम सुमन की कमर पकड़कर चुदाई के मीठे झटके मारता हुआ - अब मज़ा आ रहा है ना माँ? अब तो दर्द नहीं हो रहा ना तेरी चुत में?
सुमन घोड़ी बनी हुई - अह्ह्ह.. बेटा.. आह्ह... अह्ह्ह्ह.. गौतम आराम से... अह्ह्ह.. आराम से.. ऐसे ही.. धीरे धीरे... अह्ह्ह्ह...
गौतम - अब तो नहीं रोकेगी ना माँ मुझे अपनी इस चुत की सवारी करने से
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सुमन - नहीं ग़ुगु... तू ऐसे ही प्यार से करता रह बेटा.. बहुत मज़ा आ रहा है.. सालों बाद आ जाकर मुझे ठंडक मिल रही है.. अह्ह्ह्ह...
गौतम सुमन के बाल अपनी मुट्ठी में भींचकर पीछे से झटके मारते हुए - बहुतो को चोदा माँ.. पर तेरे जैसी कोई नहीं.. परफेक्ट अरेबियन घोड़ी है तू.. तेरी सवारी करने में लंड को मज़ा आ रहा है..
सुमन - ऐसे ही चोद अपनी माँ को घोड़ी बनाके गौतम.. आह्ह.. चोद मुझे..
गौतम सुमन की बात सुनकर चोदने की स्पीड बढ़ा देता है औऱ रफ़्तार से सुमन की चुत मारने लगरा है..
सुमन - अह्ह्ह.. गौतम.. आराम से दर्द हो रहा है आह्ह.. बेटा.. धीरे...
गौतम सुमन की बात नहीं सुनता औऱ झटके मारता हुआ सुमन के बाल खींचकर मज़े से उसकी चुदाई करता है औऱ सुमन अह्ह्ह करती हुई जोर से चिल्लाने लगती है..
सुमन - गौतम दर्द हो रहा है... आह्ह... धीरे कर.. अह्ह्ह.. आराम से कर गौतम...
गौतम सुमन के बाल छोड़कर उसकी कमर में हाथ डालकर आगे से उसका पेट पकड़ लेता है औऱ उसे अपने ऊपर लेते हुए खुद खाट पर पीठ के बल लेट जाता है औऱ सुमन की चुत में नीचे से धक्के पर धक्के मारते हुए उसकी चुत के दाने को रगडकर मसलने लगता है..
सुमन पूरी कामुकता की नदी में बहती हुई - अह्ह्ह्ह.. बेटा.. उम्म्म्म... अह्ह्ह्ह.... ऐसे ही... अह्ह्ह्ह... चोद गौतम.. उम्म्म्म... अह्ह्ह्ह... उह्ह....
गौतम - मज़ा आ रहा है ना माँ?
सुमन - बहुत मज़ा आ रहा है बेटा.. ऐसे ही चोद अपनी माँ..
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गौतम सुमन के चुचे पर हाथ रखते हुए - माँ तेरे चुचे कितने तेज़ हिल रहे है..
सुमन - मेरे कहा है बेटा. अब सब तेरा है.. मेरा चुचा मेरी चुत औऱ मैं.. सब.. तेरी है...
गौतम रफ़्तार से झटके मारते हुए चुत के दाने को ऊँगली से तेज़ रगढ़ता है औऱ सुमन को चोदता है..
सुमन मादकता भरी सिस्कारी लेती हुई झड़ जाती है औऱ साथ में तेज़ तेज़ धार निकाल कर चुत से मूत भी देती है जिसमे गौतम का हाथ मूत से गिला हो जाता है औऱ उसका लंड बाहर निकल जाता है..

गौतम का लंड अब भी तनकर योद्धा की तरह खड़ा था औऱ सुमन झड़कर गोतम के सीने के ऊपर से हटकर खाट से उतरती हुई खड़ी होने की कोशिश में लड़खड़ा कर फर्श पर गिर जाती है औऱ खाट पकड़कर वापस खड़ी होने की कोशिश करने लगती है मगर बहुत जोर लगाने पर भी हिलती हुई टांगो से खड़ी होकर काँपती हुई खाट पर वापस बैठ जाती है.. चुदाई में लगी मेहनत औऱ बहे पसीने से शराब का नशा उतरकर पूरा हल्का हो चूका था..
सुमन गौतम को देखती हुई शिकायत भरी आवाज में - प्यार से भी तो कर सकता है तू..
गौतम शराब के दो लार्ज़ पेग बनाकर एक पेग सुमन को देदेता है औऱ दूसरा खुद पिने लगता है.. शराब का पेग ख़त्म होने के बाद गौतम फिर से सुमन को पकड़ लेटा है औऱ खड़ा होते हुए खाट से उतरकर सुमन को अपने आगे झुका लेता औऱ चुत में लंड घुसाकर हलके झटके मारता हुआ उसे चोदता हुआ खिड़की के पास ले आता है जहा से बाहर जंगल का नज़ारा दिख रहा था.. सुमन होने दोनों हाथ खींडकी की दिवार पर रख देती है औऱ पीछे से गौतम सुमन को वापस चोदने लगता है..
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सुमन - एक घंटा हो गया गौतम.. तूने मुझे चोद चोद कर थका दिया.. तेरा कब निकलेगा? अब तक मैं 2 बार झड़ चुकी हूँ.. तू कब झडेगा बेटा..
गौतम पीछे से झटके मारते हुए - इतनी भी क्या जल्दी है माँ.. कितना इंतजार किया है तेरी चुत का.. बहुत सब्र किया है मैंने.. चोदने दे आराम से मुझे...
सुमन - एक ही बार में चोद चोद कर मेरी चुत को ढीली कर देगा क्या?
गौतम सुमन को दोनों हाथ पकड़ कर लंड के झटके मारते हुए - ढीली हो गई तो टाइट करनी मुझे आती माँ.. तू चिंता मत कर.. मेरे लंड को तेरी चुत का नशा हो गया है.. अब ये किसी की बात नहीं सुनने वाला..
सुमन - अह्ह्ह्ह गौतम.. आराम से... अह्ह्ह्ह... उफ्फ्फ.. देख सामने पेड़ पर बन्दर हमें कैसे देख रहा है.. अह्ह्ह्ह...
गौतम सुमन को चोदते हुए बन्दर से चिल्लाकर कहता है - क्या देख रहा है साले.. माँ है मेरी... है ना सेक्सी? बिलकुल सनी लियॉन जैसी... देख साले मेरी माँ के चुचे पर ये टैटू.. है ना मस्त..
सुमन चुदते हुए हलकी सी हस्ती हुई - गौतम.. पागल हो गया क्या तू? बन्दर से क्या बात कर रहा है..
गौतम रफ़्तार में आता हुआ - जो तू सुन रही है माँ..
सुमन - अह्ह्ह्ह... आराम से गौतम.. दर्द होता है जब तू रफ़्तार से चोदता है.
गौतम सुमन के बाल खींचकर - आदत डाल ले माँ...
सुमन - अह्ह्ह.. रंडी की औलाद... धीरे.. आराम से..
गौतम सुमन को अपनी तरफ पलटकर गोद में उठाकर चोदता हुआ - तुझे रोज़ सपनो में इसी तरह गोद में उठा उठाके चोदता था माँ.. अब जाकर हुई है मेरी ख्वाहिश पूरी..
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सुमन अपने दोनों हाथ गौतम के गले में डालकर नीचे से गौतम के झटके खाती हुई - पहली बार ऐसा मज़ा आ रहा है बेटा... अह्ह्ह.. मैं तो फिर से झड़ने वाली लगती हूँ.. अह्ह्ह्ह... अह्ह्ह्ह.. उफ्फ्फ.. अह्ह्ह...
गौतम - पसंद आया ना माँ तुझे मेरा लंड?
सुमन - मैं तो दिवानी हो गई बेटा.. तेरे लंड की.. अब तो तुझे हरदम खुश रखूंगी.. अह्ह्ह्ह... गौतम.. आई love you.. मेरे शहजादे...
गौतम - आई love you too मेरी शहजादी...
सुमन - अह्ह्ह.. गौतम मेरा होने वाला है वापस...
गौतम सुमन को खाट पर पटककर चोदता हुआ - बस माँ.. मैं भी झड़ने वाला हूँ.. आज तेरी चुत को मैं अपने वीर्य से इतना भर दूंगा कि नो महीने बाड़ तू मेरा बच्चा पैदा करेगी..
सुमन - भर दे मेरे शहजादे.. डाल दे होना माल होनी माँ की चुत में.. झड़ जा..
गौतम गाना गाता हुआ - माँ तेरी जांघो का पसीना बन गया तेल चमेली का.. ओ माँ तेरी जांघो का पसीना बन गया तेल चमेली का..
सुमन चुदवाते हुये हस्ती हुई गाती है - बेटा चोद दे अपनी माँ को खाके गुड़ बरेली का.. ओ बेटा चोद दे अपनी माँ को खाके गुड़ बरेली का..
गौतम - माँ तेरी मोटी मोटी गांड तू रांड बन जा कोठा पे.. ओ माँ तेरी मोटी मोटी गांड तू रांड बन जा कोठा पे..
सुमन - बेटा रांड भी बन जाउंगी तू आजा चोदने कोठे पे.. ओ बेटा रांड भी बन जाउंगी तू आजा चोदने कोठे पे..
गौतम चुत में लंड धीरे धीरे हिलता हुआ - माँ तू मत दबवाये बोबा ब्लाउज हो जाएगा टाइट रे.. ओ माँ तू मत दबवाये बोबा ब्लाउज हो जाएगा टाइट रे..
सुमन झड़ते हुए - बेटा तू मुंह लगा के चूस दे बोबा कर दे ढीला रे.. ओ बेटा तू मुंह लगा के चूस दे बोबा कर दे ढीला रे..
गौतम झड़ते हुए - माँ तेरी चुत में लंड घुसाते ही निकली पिचकारी की धार.. ओ माँ तेरी चुत में लंड घुसाते ही निकली पिचकारी की धार..
सुमन गौतम के होंठ पकड़कर चूमती हुई - चोद के अपनी माँ को तू खुश है ना मेरी यार..
गौतम सुमन की चुत में लंड डाल के लेटा हुआ - बहुत खुश माँ..


दिन के पांच बज चुके थे.. गौतम औऱ सुमन अब खाट पर एक साथ ऊपर नीचे लेटे हुए एकदूसरे को देख रहे थे..
सुमन - शाम होने वाली है गौतम.. अब घर ले चल मुझे..
गौतम - इतनी जल्दी क्या है माँ.. अभी वक़्त है..
सुमन - खंडर है बेटा.. कोई आ गया तो अनर्थ हो जाएगा..
गौतम - कुछ नहीं होगा माँ.. कोई नहीं आने वाला.. औऱ ये बार बार अपनी चुत को कपडे से ढकना बंद कर.. खुला छोड़ दे इसे..
सुमन चुत सहलाती हुई - कितनी बेरहमी से चोदा है तूने मेरी चुत को.. फूलकर लाल हो गई है बेचारी.. मैं तेरी कितनी परवाह करती हूँ मगर तुझे जरा भी तरस नहीं आता मुझपर...
गौतम शराब डालकर पेग बनाते हुए - आता है पर क्या करू माँ.. तेरे बदन का नशा ऐसा है कि बहक जाता हूँ..
सुमन सिगरेट उठाकर सुलगाती हुई कश लेकर - अभी तो तूने मुझे डेढ़ घंटा चोदा है औऱ वापस तेरा लंड खड़ा हो गया..
गौतम पेग पीकर सुमन के होंठों पर लगी सिगरेट का एक कश लेकर सिगरेट फेंक देता है औऱ सुमन की टांग फिर से चौड़ी करके लंड घुसाने लगता है...-
सुमन अजीब ओ गरीब हाव भाव चेहरे पर लाकर - गौतम अब नहीं.. बहुत दर्द होगा.. अब नहीं.. दुखेगा.. बेटा... अह्ह्ह्ह... गौतम.. अह्ह्ह्ह..
गौतम लंड घुसाके चोदना शुरु करते हुए - उफ्फ्फ माँ तेरा ये नखरा.. कहीं मेरी जान ही ना लेले..
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सुमन - जान तो तू मेरी लेने पर तुला हुआ है.. मैंने हां क्या की तूने तो रंडी ही समझ लिया.. कैसे नॉनस्टॉप चोदे जा रहा है...
गौतम सुमन की कमर में एक हाथ डालकर उसे गोद में उठा लेता है औऱ खाट से खड़ा होता हुआ शराब की आधी खाली बोतल को दुसरे हाथ में उठाकर सुमन को लंड पर उछालकर चोदता हुआ शराब के घूंट लगाते हुए खंडर के उस कमरे से बाहर आ जाता है औऱ सीढ़ियों से ऊपर छत की ओर चला जाता है.. जहा खुले आसमान के नीचे गौतम नंगा अपनी नंगी माँ को अपने लंड पर उछाल उछाल कर चोदता हुआ शराब की बोतल से शराब के घूंट लगाता है..

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सुमन गौतम लंड पर उछलते हुए - अह्ह्ह्ह.. हे भगवान.. अह्ह्ह... उफ्फ्फ.. केसा बेटा पैदा किया है मैने.. मुझे रंडियो की तरह खुले में लंड पर उछालते हुए चोदकर शराब पी रहा है..
गौतम सुमन के सर पर बोतल से शराब ढ़ोलता हुआ बोतल खाली कर देता है ओर कहता है - माँ तूने मर्द पैदा किया है.. मर्द...
सुमन लंड पर उछलती हुई - हाँ हां.. अह्ह्ह.. मान गई तू मर्द है.. अह्ह्ह्ह.. अब चल यहां से..
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गौतम खाली बोतल फेंक कर सुमन को लंड पर से नीचे उतार देता है मगर सुमन खड़ी भी नहीं हो पाती ओर गौतम का सहारा लेकर नीचे बैठने लगती है मगर गौतम सुमन को पलट कर अपने आगे झुका लेटा है ओर सुमन की गांड के चुत पर थूक लगा कर अपने लंड सेट करते हुए कहता है..
गौतम नशे में - आखिरी बार गांड कब मरवाई थी तूने?
सुमन अपनी गांड पर लंड महसूस करके गौतम को गांड चोदने से रोकने ही वाली होती है की गौतम उसकी कमर पकड़कर गांड के छेद में थूक लगाकर लंड का इतना जोरदार झटका देता है की लंड आधा गांड में घुस जाता है ओर सुमन पूरी ताकत से चिल्लाती है - गौतम मादरचोद...
सुमन की चीख सुनकर गौतम हसते हुए गांड में धक्के पर धक्का देकर चोदते हुए चिल्लाता है - सुमन बेटाचोद...

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सुमन गांड मरवाते हुए - गौतम मेरी गांड के साथ खिलवाड़ मत कर...
गौतम नशे में - खिलवाड़ कहा कररहा हूँ माँ.. मैं चोद रहा हूँ.. गांड भी एक नम्बर है तेरी तो.. अह्ह्ह..
सुमन पूरी आवाज के साथ चिल्लाती हुई सिसकियाँ लेकर - अह्ह्ह्ह.. अह्ह्ह्ह.. गौतम.. नहीं.. अह्ह्ह.. गौतम.. छोड़ दे मेरी गांड..
गौतम - चोद के छोड़ दूंगा माँ.. क्यों परेशान हो रही हो..
सुमन - बहुत दर्द हो रहा है बेटा..
गौतम गांड में झेटके पे झेटके मारता हुआ - माँ तू मेरी लिए नहीं सह सकती थोड़ा दर्द..
सुमन गांड मरवाती हुई - तू बहुत बड़ा मादरचोद है गौतम..
गौतम गांड मारता हुआ - तूने ही तो मादरचोद बनाया है माँ.. अब तुझे तेरा ये मादरचोद मुबारक हो..
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शाम के छः बजने वाले थे ओर खंडर की छत ओपर गौतम सुमन की अच्छे से गांड मारके उसे लंड चूसा रहा था..
सुमन लंड चुस्ती हुई - कब निकलेगा तेरा.. चुत ओर गांड के बाद अब मुंह भी दुखने लगा है.... मुझे अब डर भी लगने लगा है यहां..
गौतम - डरने की क्या बात है सुमन? तेरा बेटा है ना तेरे साथ.. तू बस मेरी लंड की सेवा कर बाकी सब भूल जा...
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सुमन लंड को गले तक लेकर जोर जोर से चुस्ती हुई गौतम को देखती है ओर उसके आंड भी हाथ से सहलाती है जिससे गौतम झड़ने के मूंड में आ जाता है ओर सुमन के मुंह से अपना लंड निकलकर हिलाते हुए सुमन के मुंह पर अपने वीर्य की धार मार कर झड़ जाता है..

अपनी माँ के मुंह पर लंड से वीर्य के गाढ़ी पिचकारी की धार मारने के बाद गौतम थोड़ा ठंडा हुआ ओर उसने सुमन की एक चूची पकड़कर उसे खड़ा करते हुए अपने कंधे पर उठा लिया और खंडर की छत से नशे में झूलते हुए कदमो की साथ वापस उसी कक्ष में आ गया जहा चुदाई का शुभारम्भ हुआ था..
गौतम ने सुमन को खाट पर पटक दिया और सुमन खाट पर आते ही आस पास बिखरे अपने कपड़ो को समेटकर बिना खाट से उतरे एक तरफ करने लगी..
गौतम नशे में चूर था उसने अपना लंड अपने हाथ में थाम लिया और खाट पर बैठकर कपडे समेटती हुई अपनी माँ की मुंह पर लंड से निशाना लगाकर मूतना शुरु कर दिया..
गौतम की मूत की धार सीधी सुमन की माथे की बिंदिया पर पड़ी फिर उसके चेहरे की बाकी हिस्सों पर.. सुमन ने जब देखा की उसका बेटा एक हाथ से अपना लंड पकड़ कर उसके ऊपर मूत रहा है वो कपड़ो को एक गिला होने की डर से एक तरफ रख देती है और अपने चेहरे से होकर अपने बदन पर पडती मूत की धार को अनदेखा करके आगे बढ़ते हुए अपने हाथ से गौतम का लंड पकड़ कर झट से अपने मुंह में भर लेती है और उसका मूत पिने लगती है...

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गौतम अपनी माँ की मुंह में मूत देता है और सुमन उसका मूत आसानी पी जाती है और पिने की बाद उसके लंड को साफ करके उसे कपडे देते हुए पहनने को कहती है और खुद भी पहनने लगती है..

सुमन फ़िक्र से - तूने ब्लाउज फाड़ दिया अब क्या पहनू मैं?
गौतम नशे में - आजकल ब्लाउज के साथ साड़ी नहीं पहनते माँ.. ब्रा के साथ पहनते है.

गौतम जीन्स शर्ट पहनकर सुमन की पास खाट पर बैठ जाता है और सुमन खाट पर घुटने की बल खड़ी हुई साडी बाँधने लगती है खड़े होने पर उसके पैर काँप रहे थे और चलने में उसे दर्द महसूस हो रहा था सुमन बार बार गौतम को शिकायत भरी नज़रो से देख रही थी और गौतम नशे की सुरूर में अपनी ही दुनिया में खोया था उसे जो सुकून और संतुष्ट सुमन ने आज दे दी थी उसका परिणाम था की गौतम को अब और किसी की याद नहीं आ रही थी..

सुमन खाट से उतरकर चलने को हुई तो लड़खड़ा गई और गौतम की तरफ गिरते हुए उसे पकड़ लिया गौतम समझ चूका था कि सुमन अब कुछ दिनों तक ठीक से चल नहीं पाएगी उसने सुमन को अपनी गोद में उठा लिया और खंडर से बाहर कार में लाकर बैठा दिया.. एक पल की लिए उसे लगा कि कोई उसे देख रहा है मगर जब उसने पीछे देखा तो वहा कोई नहीं था.. गौतम भी सुमन के साथ कार में बैठ गया और अंधेरा होते होते दोनों खंडर से निकल कर घर की लिए चल दिये..

सुमन की चुत और गांड में भले ही दर्द अब तक हो रहा था मगर उसके दिल में एक सुकून और संतुस्टी से घुला हुआ मीठा मीठा अहसास भी था वो गौतम को देखकर मुस्कुराते जा रही थी अब उसे गौतम में बेटे के साथ साथ अपने हवस मिटाकर प्यार देने वाला मर्द भी नज़र आ रहा था..
गौतम ने कार चलाते हुए बार बार रोककर रास्ते में कई बार उल्टिया की हाईवे पर पहुंचते पहुंचते उसका नशा कम हो चूका था गौतम ने सुमन की साथ एक शिकंजी वाले की पास गाडी रोककर 2-3 गलास निम्बू पानी भी पिया जिससे उसका नशा शहर में पहुंचते पहुंचते बिलकुल हल्का हो चूका था...
सुमन ने चुत देकर गौतम का दिल चुरा लिया था वो रास्ते में जहा भी चाट पकोड़ी की दूकान देखती गौतम से कहकर गाडी रुकवाती और बिना गाडी से उतरे मज़े ले लेकर चाट खाती.. सुमन ने साड़ी से बदन इस तरह ढक लिया था कि किसीको उसके ब्लाउज न पहने का पता नहीं चल सकता था.. Cरास्ते में दोनों ने सुमन की पसंद की अलग अलग चाट खाई और एक दूसरे की साथ प्यार भरी बातें करते हुए खाना एन्जॉय किया..


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Lund tight update bhai🤩🤩
 

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अगर गौतम बेटा नंबरी तो सुमन मां दस नंबरी! भाई मेरी इच्छा हैं की मादरचोद बन जावू लेकीन मां ऐसी हो की लंड खडा होके तोफ बने! भाई तेरी स्क्रिप्ट पे तो पॉर्न फिल्म बनेगी तो इस किरदार को डायरेक्ट करुंगा! All the best wishes!!!!! कडक माल!
 
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Danny69

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Update 29

सपने में गौतम देखता है....

रानी सा.. आपने बुलाया?
हाँ.. जयसिंह ज़ी.. गढ़ पर जाने की तैयारी कीजिये.. रुक्मा (18) की सखी कुशाला का विवाह सकुशल संपन्न हो चूका है.. तीन दिवस के भीतर ही कुशाला की विदाई भी हो जावेगी.. अब गढ़ से रुक्मा को लिवाने के लिए प्रस्थान करना उचित होगा..
जयसिंह - किन्तु रानी सा.. हुकुम का आदेश है कोई भी सैनिक जागीर छोड़कर कहीं नहीं जाए.. औऱ आप तो भली भाति जानती है आज कल खतरा कितना बढ़ चूका है? कल ही जागीर कि सीमा में पड़ने वाले तीन गाँव में हुकुम के छोटे भाई गजसिंह ने बागियों औऱ डाकुओ के साथ मिलकर लूट की है.. ऐसे में महल छोड़कर गढ़ जाना वो भी हुकुम के आदेश की अवहेलना करते हुए.. माफ़ कीजिये रानी सा.. मैं ऐसा कदापि नहीं कर सकता..
सुजाता उर्फ़ रानी माँ (44)
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सुजाता (44)- जयसिंह ज़ी.. आप हुकुम के आदेश की चिंता मत कीजिये.. मैंने उनसे बात कर ली है औऱ उन्होंने अपनी स्वीकृति दे दी है.. कल प्रातः आप कुम्भसिंह को साथ लेकर गढ़ के लिए निकल जाए..
जयसिंह - रानी सा.. कुम्भसिंह कि यहां ज्यादा आवश्यकता है.. हुकुम की सुरक्षा औऱ महल की रखवाली कुम्भसिंह की ही जिम्मेदारी है.. मैं किसी औऱ सैनिक को अपने साथ ले जाऊँगा..
सुजाता - ठीक है जयसिंह ज़ी.. आप समर को भी अपने साथ ले जाइये.. वैसे भी उस जैसे कुशल योद्धा को महल के जनाना हिस्से की रक्षा मात्र तक सिमित रखना सही नहीं है..
जयसिंह - जैसी आपकी इच्छा रानी सा.. अनुभव में भले ही समर कुम्भसिंह से कमतर हो किन्तु युद्ध कौशल में समर बेजोड़ है.. मैं कल सुबह सूरज की पहली किरण निकलने से साथ गढ़ के लिए प्रस्थान कर दूंगा औऱ कुमारी रुक्मा को गढ़ से वापस महल ले आऊंगा..
सुजाता - सावधान रहिएगा जयसिंह ज़ी.. गजसिंह कपटी औऱ धूर्त है...
जयसिंह - रानी सा.. आप निश्चिन्त रहिये.. मैं राजकुमारी को पहाड़ी की तल्हाटी से गुजरे वाले गुप्त रास्ते से शीघ्र ही वापस ले लाऊंगा..
समर पास ही खड़ा हुआ जयसिंह औऱ सुजाता की बात सुन रहा था..

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लता उर्फ़ लीलावती (40)
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इतनी सुबह कहां निकालना है समर?
माँ.. रानी मां का आदेश है आज जयसिंह ज़ी के साथ गढ़ प्रस्थान करना है राजकुमारी रुकमा को गढ़ से वापस लीवाना है..
लता (40) - पर उसके लिए तो सकुशल योद्धा और अनुभवी योद्धाओं की अलग टुकड़ी जाती है रानी ने तुझे क्यों इस काम के लिए नियुक्त किया है..
समर (20) - वो तो मुझे नहीं पता माँ... आप तो जानती हैं रानी मां ने जागीरदार के हाथों मुझे मरने से बचाया है, उनका कहा तो मानना ही पड़ेगा..
लता - तेरी बात बिल्कुल सही है समर, पर महल से गढ़ और गढ़ से वापस महल आने में बहुत खतरा है.. रामप्यारी बता रही थी कि अभी कुछ दिनों पहले ही उसके गांव में बागी औऱ डाकुओं ने लूट की है.. ऐसे में तेरा गढ़ जाना मुझे तो बहुत चिंता हो रही है..
समर - रामप्यारी जो कह रही थी वह सत्य है मां.. गजसिंह डाकुओं के साथ मिल चुका है और अब वही जागीर के गांव में लूटपाट मचा रहा है..
लता डर से काँपते हुए - गजसिंह?
समर अपनी माँ लता को बाहों में थामकर गले लगाते हुए - आप चिंता मत करो माँ.. मुझे कुछ नहीं होगा.. इस बार अगर गजसिंह सामने आया तो मैं उसका सर अपनी तलवार से काट लूंगा औऱ आपके सामने लाकर रख दूंगा.. वैसे भी जब तक मैं आपके अपमान का बदला और पिताजी की मौत का बदला नहीं ले लेता मुझे चैन नहीं मिलने वाला..
लता - समर तू ऐसा कुछ नहीं करेगा.. तु मुझसे वादा कर कि तू गजसिंह और उसके साथियों से दूर रहेगा और अपना बदला लेने का संकल्प मन से निकाल देगा.. जो कुछ हुआ उसे भूल जायेगा औऱ कभी उस गजसिंह औऱ उसके साथियो के पास नहीं जाएगा..
समर - जो कुछ हुआ उसे आप भूल सकती है माँ.. मगर मैं उसे नहीं भूल सकता.. मुझे आज भी याद है जब उस रात जगसिंह ने मुझे बाहर बाँध कर यहां भीतर आपके साथ गलत काम किया था.. वह सब आज भी मेरी आंखों के सामने घूमता है माँ.. मैं आज भी रातों में उस पापी को याद करके चैन से सो नहीं पाता और हर बार यही सोचता हूं कि कैसे मैं उससे आपके अपमान का और पिताजी की मौत का बदला लूंगा..
लता - मैं तेरे पिताजी को खो चुकी हूं समर.. अब मैं तुझे नहीं खोना चाहती.. गजसिंह बहुत खतरनाक है और अब तो उसके साथ सुना है डाकुओं की टोली भी जुड़ गई है.. उसकी ताकत बढ़ती जा रही है ऐसे में तू अगर उसके पास जाएगा तो निश्चित ही वह तुझे मार डालेगा.. मैं तुझे नहीं खोना चाहती तुम मुझसे वादा कर कि तू ऐसा कुछ नहीं करेगा.. राजकुमारी को लिवाने के बाद तू सीधा वापस आएगा.. गजसिंह से बदला लेने का संकल्प त्याग देगा..
समर - कैसे मैं अपना संकल्प त्याग दूंगा माँ.. उस रात मेरे हाथ पांव रस्सीयो से बांधकर उसने इसी कमरे में आपको निर्वस्त्र किया था औऱ इसी जगह आपके साथ गलत काम किया था.. मैं कितना चीख और चिल्ला रहा था और उस दानव से आपको छोड़ने की कितनी विनती कर रहा था मगर मेरे आंसू औऱ चीख पुकार का उसपर कोई असर नहीं हुआ.. मैं उसे नहीं छोड़ने वाला माँ.. उसके कई लोगों को मैंने मौत के घाट उतारा है उसी तरह उसे भी उतार दूंगा..

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लता समर के चेहरे को अपने हाथो से पकड़कर - उस बात को 4 साल हो चुके हैं बेटा.. वह सब बातें अपने मन से निकाल दे.. आगे दुश्मनी रखने से किसी का भला नहीं होगा.. तेरे पिता ने गजसिंह से दुश्मनी की उसके कारण ही हमें वो सब झेलना पड़ा.. अब तू इसे आगे मत बढ़ा..
समर - धोखे से पिताजी को मारकर और मेरे सामने आपका मान सम्मान सब कुछ उतार कर, आपके साथ जबरन अपनी हवस मिटाकर वो गजसिंह अब तक बेखौफ घूम रहा औऱ आप कह रही है मैं अपना बदला भूल जाऊ? यह नहीं हो सकता माँ.. मैं अपने साथ हुई हर चीज भूल सकता हूं मगर आपके साथ और पिताजी के साथ गजसिंह ने जो किया उसे नहीं भूल सकता..
लता - तेरे सिवा मेरा है ही कौन जिसे मैं यह बात समझाऊं.. कई बार सबकुछ भूल जाने में ही सबकी भलाई होती है बेटा.. छोड़ दे ये हठ.. तू साधारण रास्ते से जाएगा औऱ वहा गजसिंह औऱ उसके साथी डाकुओ के साथ मिलके तुम पर हमला कर देंगे.. मेरा क्या होगा..
समर - मैंने आपका दूध पिया है माँ और आपके दूध का ऋण मैं जरूर चुका के रहूँगा.. मैं सब कुछ भूल जाने का वादा तो नहीं करता.. मगर यह वादा जरूर करता हूँ कि मैं गजसिंह का सर आपके कदमो में लाकर जरूर रख दूंगा.. हम साधारण रास्ते से जाएंगे जरूर पर आना हमारा गुप्त रास्ते से होगा.. जो पहाड़ की तल्हाटी से गुजरता है.. जाने की आज्ञा दीजिये..
समर ये कहते हुए लता के पैरों में झुक गया औऱ अपना सर लेता के पैरों में रखकर आशीर्वाद लेने लगा..
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लता समर को उठाकर अपनी छाती से लगा लेती है औऱ कहती है - जल्द लौटना बेटा.. मैं तेरी प्रतीक्षा करुँगी..
समर अपनी मां से आशीर्वाद लेकर वहां से चला जाता है और जयसिंह के साथ राजकुमारी रुकमा को लीवाने के लिए गढ़ की और प्रस्थान करता है..

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रुक्मा उर्फ़ राजकुमारी (18) सुजाता औऱ वीरेंद्र की बेटी
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how far is heaven lyrics
अरे अरे ऐसे क्यों चेहरा उदास किया है मेरी सखी ने? अब तो सब तुम्हे राजकुमारी नहीं, रानी कहकर पुकारेंगे.. अजमेर से भी बड़ी रियासत में विवाह हुआ है तुम्हारा.. सुना बहुत सुन्दर स्थान है जहा तुम जाने वाली हो..
क्या तुम भी सबकी तरह मुझे छेड़ने लगी.. रुक्मा.. अब क्या विदाई से पहले के कुछ मैं अपने अतीत के उन लुभावने पलों को याद भी नहीं कर सकती जिन्हे मैंने यहां बिताये है? मैं उदास नहीं हूँ रुक्मा बस निराश हूँ कि आगे का जीवन मैं यहां से कहीं दूर बताने वाली हूँ..
रुक्मा (18) - विवाह का नियम तो औरत के त्याग का परिचायक है कुशाला.. हर औरत को इस डगर से निकलना पड़ता है.. माँ कहती है कि औरत का मन औऱ ह्रदय धरती की तरह शांत औऱ सहनशील होता है अहिंसा, स्नेह, बलिदान, सहजता औऱ संवेदना ही औरत को औरत बनाती है.. काम, क्रोध, क्रूरता, कपट, हिंसा औऱ असंवेदना पुरुषो में होती है.. औरत का उससे कोई नाता नहीं.. तुम जल्द ही नए बदलाव में ढल जाओगी औऱ अब की बातें तब तुम्हे हसने वाली प्रतीत होगी.
कुशाला (19) - तुम तो बड़ी सयानी बात करने लगी हो रुक्मा.. पता ही नहीं चला हम कब छोटे से बड़े हो गए..
रुक्मा - कुशाला अब उठो औऱ चलो विदाई का समय हुआ जा रहा है..
कुशाला - विदाई तो आज तुम्हारी भी है रुक्मा..
रुक्मा - मैं समझी नहीं कुशाला..
कुशाला - माँ ने बताया है कि तुम्हे लिवाने के लिए जागीर से जयसिंह काका आये है..
रुक्मा - इसका अर्थ है कि आज आप यहां से अपने ससुराल जायेंगी औऱ मैं वापस अपने माता पिता के पास..
कुशाला - सही कहा सखी..
रुक्मा कुशाला से गले मिलते हुए - जीवन के ये अठरा वर्ष जो हमने हंस खेलकर एकदूसरे से रूठकर औऱ एकदूसरे को मनाकर बिताये है वो हमेशा याद रहेंगे सखी..
कुशाला - सही कह रही हो सखी.. किन्तु मैं खत लिखूँगी.. औऱ अगली बार जब हम मिलेंगे तब मेरे हाथों कि मेहंदी तुम्हारे हाथों में होनी चाहिए.. मैं भी अब तुम्हारे विवाह मैं तुमसे मिलूंगी..
रुक्मा औऱ कुशाला दोनों सखियों की आँखों में आंसू थे औऱ दोनों ने एक दूसरे को अपनी बाहों में कसके पकड़ा हुआ था जो ये बता रहा कि जैसे दोनों को ही अब ये चिंता हो की आगे वो अब कहा औऱ कैसे मिलेंगे.. मिल भी पाएंगे या नहीं.. नियति ने आगे उनके लिए क्या तय किया है.. दोनों की विदाई आज तय थी औऱ दोनों ही इस जगह को नहीं छोड़ना चाहती थी ना ही एकदूसरे को नहीं छोड़ना चाहती थी.. मगर जो होना है सो होकर ही रहता है.. कुशाला बरात के संग अपने ससुराल तो रुक्मा जयसिंह के साथ जागीर की तरफ जाने के लिए मुड़ गई..

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गढ़ से जागीर तक वापसी का दो दिन का ये सफर शुरू हो चूका था औऱ रुक्मा घोड़ागाडी मैं बैठी हुई अपनी सखी कुशाला को याद कर रही थी औऱ उसके साथ बिताये उन पलों को याद कर रही थी जिसमे दोनों बचपन से खेलकर बड़ी हुई थी.. दो दिनो के सफर में आधे दिन का सफर ख़त्म हो चूका था औऱ रास्ते में एक बड़े से बड़ के पेड़ के नीचे जयसिंह ने कुछ देर घोड़ो को सुस्ताने के लिए अपना काफ़िला रोका औऱ रुक्मा को इसकी खबर करके खुद भी पेड़ के नीचे बैठकर साथ लाया हुआ भोजन खाने लगा.

सभी लोग खाना खाने में व्यस्त थे पर समर का ध्यान खाने में नहीं था वो कई दिनों से बस उस परछाई के बारे में ही सोच रहा था जिसे उसने बैरागी से निकलते औऱ उसीमें लीन होते देखा था..
रुक्मा घोड़ा गाडी से नीचे उतर चुकी थी औऱ अपने साथ अपनी दासीयों को लेकर बड़ के पेड़ के पीछे जाकर थोड़ा ठहलने लगी. रुक्मा जयसिंह की आँखों के सामने ही थी इसलिए उसने रुक्मा को वहा टहलने से नहीं रोका औऱ खाना खाते हुए अपने बाकी सैनिको के साथ बात करने लगा.. समर आधा अधूरा खाने के बाद उठ गया था औऱ उसने अपने हाथ पानी से धोकर वापस अपनी तलवार हाथ में पकड़ ली थी औऱ वही पर इधर उधर मंडराने लगा था..
रुक्मा औऱ उसकी दासिया हंस बोल कर इधरउधर टहल रहे थे की उन्हें सामने से खूंखार भेड़िया भागता हुआ उन्ही की तरफ आता हुआ दिखाई दिया औऱ एक साथ रुक्मा औऱ उसकी दासिया चिल्लाते हुए वापस बड़ के पड़ की तरफ भागने लगी. जयसिंह औऱ बाकी सैनिक उठकर अपनी अपनी तलवार संभालते हुए रुक्मा की तरफ दौड़े लेकिन वो लोग बहुत दूर थे.. भेड़िया रुक्मा औऱ उसकी दासियों पर झपटा मारने ही वाला था कि समर ने वहा आकर एन मोके पर अपनी तलवार के एक वार से उस भेड़िये के दो टुकड़े कर दिए औऱ भेड़िये को मार डाला..
जयसिंह ने समर को ऐसा करते देखकर अपनी सांस में सांस ली औऱ रुक्मा को वापस घोड़ा गाडी में बैठाकर आगे का रास्ता शुरू कर दिया..

रुक्मा औऱ उसकी दासिया इस हादसे से कुछ देर के लिए सहम गई थी मगर समर की बहादुरी औऱ उसके रूप पर मोहित होकर रुक्मा ने समर को उसी वक़्त अपने ह्रदय में प्रेमी का स्थान दे दिया था.. घोड़ागाडी मैं बैठी रुक्मा दासीयों से बात करने लगी थी औऱ उससे समर के बारे में पूछने लगी थी..
रुक्मा - ये क्या कह रही हो सुधा? मैं तो बस यूँही पूछ रही थी..
सुधा(दासी 21) - मैंने कई साल आपके साथ बिताये है राजकुमारी.. मैं आपका मन अच्छे से पढ़ सकती हूँ.. जिस पल उस योद्धा ने आपकी औऱ हम दोनों बहिनों की जान बच्चाई उसी वक़्त आपने उस योद्धा को अपने मन में उतार लिया था.. क्यों लीला..
लीला (दासी 22) - सही कहा सुधा.. राजकुमारी को जब से उस योद्धा ने भेड़िये के वार से बचाया है राजकुमारी की आँखे बस उसी योद्धा पर टिकी है.. मगर याद रहे राजकुमारी.. आप जागीरदार की पुत्री हो एक साधारण योद्धा से प्रेम करना आपके लिए उचित नहीं.. आपके प्रेम को जागीरदार कभी स्वीकृति नहीं देंगे..
रुक्मा - तुम दोनों क्या बेतुकी बातें कर रही हो.. ऐसा कुछ नहीं है.. मैंने बस ऐसे ही उसका नाम पूछा था.. नहीं बताना तो मत बताओ..
सुधा - राजकुमारी हमें भी उतना ही पता है उस योद्धा के बारे में जितना आप जानती हो.. मगर आप निश्चिन्त रहिये आगे जैसे ही गढ़ की सीमा पर कुए से पानी लेने के लिए कुछ देर हम रुकेंगे मैं उस योद्धा के बारे में सब सुचना जुटा कर ले आउंगी..
रुक्मा मुस्कुराती हुई परदे से बाहर समर को देखने लगती है जो आगे घोड़े पर सवार था..

गढ़ की सीमा पर से काफिला औऱ घोड़ा गाडी रुकी और पानी लेने के लिए कुछ लोग कुए की बढे.. सुधा घोड़ागाडी से उतर गई औऱ एक सैनिक के पास जाकर कुछ देर बात करके वापस आ गई सभी लोग वापस आगे के लिए बढ़ने लगे..
रुक्मा - कुछ पता चला सुधा?
लीला - देखा सुधा.. कुछ समय पहले तक तो राजकुमारी कह रही थी कि ऐसा कुछ नहीं है मगर अब कितनी उत्सुकता से उस योद्धा के बारे में जानने के लिए लालायित है.. इसे अब प्रेम ना कहा जाए तो क्या कह कर पुकारा जाए?
सुधा मुस्कुराते हुए - अब जान बचाने वाले के बारे में जानना प्रेम थोड़े हुआ लीला.. राजकुमारी ज़ी तो बस यूँही उस योद्धा के बारे में जानना चाहती है.. उस योद्धा से प्रेम थोड़ी हुआ है राजकुमारी ज़ी को.. सही कहा ना राजकुमारी ज़ी.
रुक्मा - मैं अच्छे से समझ रही हूँ जो खेल तुम दोनों बहिने मिलकर मेरे साथ खेल रही हो.. लौटने दो वापस पिताज़ी से कहकर खूब खबर लुंगी तुम्हारी..
सुधा औऱ लीला - अरे नहीं नहीं.. राजकुमारी..
लीला - राजकुमारी हम तो बस यूँही हंसी ठिठोली कर रहे थे आपके साथ..
सुधा - ज़ी राजकुमारी.. आप पूछिए जो आपको पूछना है.. मैंने सबकुछ पता लगा लिया है उस योद्धा के बारे में..
रुक्मा जिज्ञासा से - तो बताओ जो पूछा था मैंने.. नाम?
सुधा - समर सिंह.
रुक्मा - समर... रुक्मा सुधा को अधीरता से देखती हुई.. औऱ?
सुधा - कुछ दिनों पहले तक कोषागृह का पहरेदार था.. हुकुम के मेहमान का अपमान किया था.. हुकुम ने मौत का फरमान सुनाया था औऱ उस मेहमान से समर को मारकर अपने अपमान का प्रतिशोध लेने को कहा मगर मेहमान की दया औऱ रानी की कृपा से बच गया.. रानी ने जनाना महल का पहरेदार बनाया था मगर इस बार जयसिंह के साथ आपको लिवाने भेज दिया..
रुक्मा - घर-परिवार के बारे में?
सुधा - राजकुमारी ज़ी.. पिता भी राजाजी की सेना में थे मगर उस गजसिंह औऱ उसके साथियो ने धुपसिंह को मार डाला.. घर में बस उसकी माँ है.. एकलौता है.. औऱ कोई नहीं.. मगर एक भ्रान्ति है, पता नहीं इसमें कितना सच है औऱ कितना झूठ.
रुक्मा - कैसी भ्रान्ति?
सुधा - भ्रान्ति ये है राजकुमारी ज़ी कि समर के जन्म के वक़्त लल्ली ताई औऱ शान्ति धुपसिंह के घर पहुंची थी मगर उसके कुछ देर बाद शान्ति अकेले किसी बच्चे को लेकर जंगल की औऱ जाती हुई गाँव के एक बुजुर्ग को दिखाई दी थी.. लोग कहते थे वो बुढ़ा मंदबुद्धि था.. मगर वो बुढ़ा कहता था की उसने सच में शांति को बच्चा लेकर जंगल में जाते हुए देखा था औऱ उस दिन लता ने एक नहीं बल्कि दो बच्चों को जन्म दिया था.. कुछ सालों बाद वो मर गया, उसके कुछ सालों बाद लल्ली ताई भी चल बसी.. अब सिर्फ शान्ति बच्ची है जो बूढ़े को मंदिबुद्धि कहकर ही इस भ्रान्ति को खारिज कर देती है..
रुक्मा - समर इस बारे में क्या कहता है..
सुधा - उसे तो फर्क ही नहीं पड़ता राजकुमारी ज़ी.. वो शान्ति की बात को सही मानकर उस बूढ़े को गलत समझता है...
लीला - रात होने वाली है राजकुमार ज़ी.. लगता है जयसिंह ज़ी ने चाल धीरे करने को कहा है.. आसपास ही अब रात के विश्राम हेतु रुका जाएगा..
रुक्मा - तुमने सही कहा लीला..


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समर से राजकुमारी रुकमा को वापस लीवाने की सूचना पाकर लता घर से निकल पड़ती है और जंगल के छोटे-मोटे रास्तों से होती हुई एक सुनसान जगह पहुंचती है जहां कई लोगों ने डेरा डाला हुआ था..
लता उसके पास पहुंचकर पहरेदारी कर रहे एक आदमी से कहती है..
लेता - सरदार से मिलना है.. औऱ इतना कहकर लता अपने घाघरे को ऊंचा करके अपनी गांड पर एक निशान पहरेदार को दिखाती है..
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पहरेदार लता की गांड पर निशान देखकर उसे अपने पीछे पीछे एक गुफा की तरफ ले आता है औऱ बाहर खड़ा होकर कहता है..
पहरेदार - सरदार.. आपकी एक रखैल आपसे मिलने आई है..
गुफा के अंदर गजसिंह किसी वैश्या से अपना लोडा चुसवा रहा था.. औऱ लोडा चुसवाते चुसवाते ही गजसिंह ने पहरेदार से रखैल को अंदर भेजने को कहा..
लेता पर्दा हटाकर गुफा में आगई औऱ वापस पर्दा लगाकर गजसिंह के सामने खड़ी होकर अपने हाथ जोड़कर गजसिंह से बोली..
लता - छोटे हुकुम..
गजसिंह ने अपना लंड चूस रही लड़की को वहा से जाने का इशारा किया औऱ लता से करीब आने का इशारा किया.. लता गजसिंह का इशारा समझ कर उसके करीब आ गयी औऱ उसी जगह बैठ गई जहा लड़की बैठी थी..
गजसिंह अपने करीब रखे मदिरा के प्याले को उठाकर मदिरा पीते हुए - क्या बात है लीलावती.. तू अपने छोटे हुकुम को भूल ही गई.. कितने समय बाद आई है..
लता उर्फ़ लीलावती - आपको कैसे भूल सकती हूँ छोटे हुकुम.. आपने ही तो इस वैश्या को वैश्यालय से निकालकर अपने साथ रखा है.. मेरा नाम लीलावती से लता करके मेरा विवाह धुपसिंह से करवाया ताकि मैं आपको जागीर से जुडी हुई गुप्त सुचना दे सकूँ औऱ आप अपने भाई वीरेंद्र सिंह को हराकर जागीरदार बन सके.. मेरी जैसी कितनी वैश्या को आपने नई जिंदगी दी है छोटे हुकुम.. ये कहकर लता गजसिंह का लोडा मुंह में भरके चूसने लगती है..

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गजसिंह बाल पकड़ कर लंड चुसवाते हुए - समर का क्रोध शांत किया तूने या नहीं.. पिछली बार भी मेरे 4 साथियो को उसने मौत के घाट उतार दिया.. सिर्फ तेरे कहने पर मैंने उसे अब तक जीवित छोड़ा है..
लता मुंह से लंड निकालकर - उसकी रगो में आपका ही खून है छोटे हुकुम.. इतनी आसानी से कैसे ठंडा हो जाएगा.. अब तक उस रात जो हुआ उसे याद करके क्रोध से भर जाता है.. मैंने आपसे कहा था छोटे हुकुम मैं आपके पास जंगल में आ जाउंगी आप यहां कुछमत कीजिये.. मगर आप धुपसिंह से इतने क्रोधित थे कि आपने तो समर के सामने मेरे ही ऊपर चढ़ाई करके मेरे साथ अपनी हवस मिटाइ.. बेचारा अपनी माँ के साथ जो कुछ हुआ उसे नहीं भूल पाया है..
गजसिंह - धुपसिंह ने आखिरी मोके पर मुझे वीरेंद्र को मारकर जागीरदार बनने से रोक दिया था लीलावती.. मैं उस आग में जल रहा था.. मुझे औऱ कुछ नहीं सूझ रहा था.. मैं अपने हाथों से धुपसिंह को मारना चाहता था.. मगर तूने मुझसे वो मौका भी छीन लिया..
लता - मैं क्या करती छोटे हुकुम.. धुप सिंह को मेरे बारे में सब सच पता चल गया था औऱ वो मुझे मारने के लिए हाथों में तलवार उठाने ही वाला था.. मैं अगर उस कटार से धुपसिंह को नहीं मारती तो वो मुझे मार देता.. फिर मैं आपके किसी काम की नहीं रहती.. ना ही आपको कोई औऱ सुचना दे पाती..
गजसिंह लता के बाल पकड़कर - तो बता लीलावती.. इस बार क्या गुप्त सुचना लेकर आई है तू? या फिर इस बार भी मेरे साथ बस रात बिताकर मुझे खुश करने के लिए आई है?
लता मुस्कुराते हुए - सुचना तो बहुत गुप्त है छोटे हुकुम.. मगर पहले आपको मुझसे एक वादा करना होगा..
गजसिंह - केसा वादा लीलावती..
लता (लीलावती) - आप समर को कुछ नहीं करेंगे.. औऱ उसके प्राण बक्श देंगे..
गजसिंह - ये वादा मैंने पहले भी तुझसे किया है औऱ वापस करता हूँ लीलावती.. तू जानती है गजसिंह अपने वादे का कितना पक्का है.. अब बता क्या गुप्त सुचना है..
लता (लीलावती) - जागीरदार ने राजकुमारी रुक्मा को गढ़ से लिवाने के लिए एक 40 सैनिको की टुकड़ी भेजी है..
जागीरदार - इतना तो मुझे मेरा पहरेदार भी बता सकता है लीलावती.. कुछ औऱ बताना हो तो कहो..
लता (लीलावती) - मगर हर बार आप नाकाम रहे है छोटे हुकुम.. इस बार मुझे उनके वापसी के रास्ते का भी पता है..
गजसिंह - इतनी गोपनीय सुचना तुझे कैसे मिली लीलावती..
लता (लीलावती) - छोटे हुकुम.. समर ने जाने से पहले मुझसे बात कर रहा था.. मैंने बातों बातों में उससे ये सुचना उगलवा ली.. वो लोग वापसी में पहाड़ी की तल्हाटी वाले रास्ते से आएंगे.. छोटे हुकुम आप राजकुमारी को वहा से अगुवा कर वीरेंद्र सिंह से जागीरदारी छीन सकते है.. राजकुमारी को अगुवा कर आप सभी सैनिको को ख़त्म कर सकते है किन्तु समर को जीवित जाने देंगे..
गजसिंह लता के चुचे पकड़कर अपनी तरफ खींचते हुए - वाह.. लीलावती आज तूने सिद्ध कर दिया कि तू मेरी असली रखैल है.. जब मैं जागीरदार बन जाऊँगा तब तुझे महल में साथ रखूँगा..
लता - आराम से छोटे हुकुम.. चोली फट जायेगी..
गजसिंह चोली फाड़कर उसका घाघरा खोल देता है औऱ लता को नंगा करके अपने नीचे लेटा कर उसकी चुत में अपना लोडा डालकर लता को चोदने लगता है..

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गजसिंह - लीलावती तेरी योनि तो आज बहुत मज़ा दे रही है मुझे..
लता (लीलावती) - छोटे हुकुम.. आठ माह हो गया.. पिछली बार भी आपने ही मुझे अपने नीचे लेटाया था.. तब से अब तक किसीने मेरे साथ कुछ नहीं किया..
गजसिंह लता को पीठ के बल लेटाते हुए - लीलावती तू अब वैश्या नहीं लगती.. ऐसा लगता है सच में किसी घर कि घरेलु औरत है..
लता (लीलावती) - ये आपका बड़प्पन है छोटे हुकुम.. मुझे वैश्या को इतना सम्मान देने के लिए..
गजसिंह पैर फैलाकर लता को चोदते हुए - समर को समझा लीलावती.. अपनी हठ छोड़ दे.. मैं बार बार उसके प्राण नहीं बक्शऊँगा.. उसने अब तक मेरे 26 आदमी मार दिए औऱ मैं बस तेरे कारण हर बार उसे माफ़ कर देता हूँ..

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लता (लीलावती) - छोटे हुकुम.. समर मुझ वैश्या की कोख से पैदा हुआ है तो क्या हुआ.. है तो आपका अपना खून.. आपने एक बेटे के सामने उसकी माँ का चीरहरण किया था.. वो कैसे ये सब भूल जाएगा.. पर छोटे हुकुम मैं आपसे वादा करती हूँ.. मैं जल्द ही समर को लेके यहां से दूर चली जाउंगी.. औऱ जब आप जागीरदार बन जाएंगे तब समर को किसी भी तरह समझाकर मना लुंगी..
गजसिंह लता को घोड़ी बनाकर चोदता हुआ - ठीक है लीलावती.. इस बार मैं नहीं चुकने वाला.. वीरेंद्र से जागीरदारी छीनकर ही रहूँगा..

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गजसिंह लता को चोदकर उसकी चुत से लोडा निकालकर उसके बदन पर अपना माल झाड़ते हुए गुफा से बाहर आ गया औऱ लता अपनी फ़टी हुई चोली औऱ घाघरा पहन कर रात के अँधेरे में छुपते छुपाते अपने घर वापस आ गई..

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वीरेंद्र सिंह - आओ बैरागी.. इतनी सुबह बुलवा लिया तुम्हे.. तुम्हारी नींद में विघ्न पड़ा होगा..
बैरागी - मुझे रातों में नींद नहीं आती हुकुम.. मैं तो बस अपने प्रियतम से ही बात करके अपनी राते गुज़ारता हूँ.. कहिये आपने जिस उद्देश्य से मुझे बुलवाया है उसका क्या प्रयोजन है? मैं आपके क्या काम आ सकता हूँ?
वीरेंद्र सिंह - तुम अच्छे से जानते हो बैरागी मैं तुमसे क्या चाहता हूँ.. फिर भी तुम मुझसे पूछ रहे हो तो मैं वापस तुम्हे बता दू.. मेरे डर औऱ चिंता को दूर करो बैरागी..
बैरागी - मैंने आपसे पहले भी कहा था हुकुम.. आपका डर केवल आपके मन की उपज मात्र है जिसे आप स्वम ही ठीक जर सकते है..
वीरेंद्र सिंह - अगर मेरे बस में होता तो मैं कई सालों से इस तरह बावरा बनकर अपना उपचार नहीं कर रहा होता बैरागी.. तुम कोई ना कोई उपाय तो जरूर जानते होंगे.. मुझे तुम्हारी क़ाबिलियत का अनुमान है.. तुम बस मुझे मेरा उपचार बताना नहीं चाहते..
बैरागी - ऐसा नहीं है हुकुम.. प्रकृति ने सब बहुत सोच समझ कर बनाया है.. उसके नियम हमारे नियमो से बहुत ऊपर है.. उसके साथ हेरफेर करना प्रकृति की संरचना को ललकारने जैसा है.. इसमें किसी का हित नहीं है हुकुम..
वीरेंद्र सिंह - बैरागी मुझे उपदेश नहीं उपचार चाहिए.. मैं तुम्हे जो भी चाहिए दे सकता हूँ.. हर वो पौधा जो इस जमीन पर वरदान बनकर उगा है, भले ही किसी किस्म का हो मेरे पास उपलब्ध है..
बैरागी - इस जमीन पर उगने वाली औषधि का समस्त भण्डार आपके पास होना.. ये तो बहुत विचित्र बात है हुकुम..
वीरेंद्र सिंह -चलो बैरागी मैं तुम्हे महल का वो हिस्सा दिखाता हूँ जो सिर्फ मेरे लिए ही सिमित है.. औऱ तुम्हारा संशय अभी दूर किये देता है..
बैरागी - अगर ऐसा है तो मैं भी आपके साथ उस हिस्से को देखने के लिए उत्सुक हूँ हुकुम..
वीरेंद्र सिंह बैरागी को अपने साथ महल के बीच एक हिस्से में ले आते है जहा किसी को आने की अनुमति नहीं थी औऱ एक बड़े से जमीनी हिस्से पर उगे हुए पौधे औऱ जड़ो को दिखाता हुआ बैरागी से कहता है..
वीरेंद्र सिंह - लो बैरागी.. देख लो अपनी आँखों से.. यहां 5 सो से ज्यादा अलग अलग किस्म के पौधे है जो किसी ना उपचार में काम आते है.. सबकी अपनी पहचान है.. मैं तो कुछ पौधों के बारे में ही जान पाया हूँ अभी तक..
बैरागी - राजा महाराजा जागीरदार ठिकानेदार सब धन दौलत सम्पति अर्जित करते है औऱ उन्हें पहरे में रखते है.. पर आपने तो इन पौधों को पहरे में रखा हुआ है..
वीरेंद्र सिंह - धन से ज्यादा जरुरी देह होती है बैरागी.. तुझे जिस किसी औषधि औऱ पौधे की जरुरत है तू यहां से ले जा सकता है मगर मेरा भय ख़त्म होने के पश्चात..
बैरागी - आपका भय मृत्यु से जन्मा है हुकुम...
वीरेंद्र सिंह - तो कुछ ऐसा प्रबंध कर कि मेरी मृत्यु कभी हो ही ना बैरागी..
बैरागी - धरती पर अमर तो ईश्वर भी नहीं रहे हुकुम.. उन्होंने भी प्रकृति के नियम नहीं बदले..
वीरेंद्र सिंह - जो ईश्वर नहीं कर पाए उसे मैं करना चाहता हूँ बैरागी.. मैं मरना नहीं चाहता.. हमेशा अमर रहना चाहता हूँ.. अगर तू मेरी मदद कर दे तो.. मैं इस जगह को तुझे सौंप दूंगा.. फिर तू इन पौधों औऱ औषधियौ से किसी भी उपचार की दवा बनाकर अपने उद्देश्य में सफलता पास सकता है..
बैरागी उस जगह उगे हुए पौधे औऱ औषधियों को देखकर - ठीक है हुकुम.. अगर आपकी यही शर्त है तो मुझे मंज़ूर है.. मैंने जो कुछ भी सीखा औऱ पाया है उससे मैं आपका ये भय दूर कर दूंगा..
वीरेंद्र सिंह मुस्कुराते हुए - अब तुमने मेरे ह्रदय को जितने वाले मधुर शब्द बोले है बैरागी.. आज से ये जगह तुम्हारी.. तुम्हे जो कुछ चाहिए पहरेदार लाकर देगा.. बस जल्दी से मुझे अमर कर दो..
बैरागी उस जगह पर घूमते हुए - सवान की पहली बारिश जब दूर पश्चिम की रेतीली जमीन पर गिरती है तो उस रेतीली जमीन से एक अलग किस्म की पिली खरपतवार निकलती है. जिसकी जड़ में सफ़ेद दानेदार बेल भी लगती है.. अगर वो बेल उगने के 3 दिवस में मुझे मिल जाए तो मैं आपको अपके जीवन से 11 गुनाह लम्बे समय तक जीवित रख सकता हूँ..
वीरेंद्र सिंह - सावन की पहली बारिश तो कभी भी बरस सकती है बैरागी.
बैरागी - फिर तो आपको देर नहीं करनी चाहिए हुकुम.. इस वक़्त पश्चिम के लिए किसी सैनिक को भेजना चाहिए..
वीरेंद्र सिंह उस जगह से बाहर जाते हुए - मैं अभी कुछ सैनिकों को इस काम के लिए भेजता हूँ वैरागी..

***********

कुछ देर बाद जागीर की सीमा पर पहुंचकर जयसिंह के इशारे पर सभी लोग पहाड़ी की तल्हाटी में एक समतल जगह देखकर घोड़ा गाडी औऱ बाकी की बैलगाड़ी रोक देते है औऱ घुड़सवार सैनिक भी घोड़े से नीचे उतर कर अपना घोड़ा खुटा गाड के बाँध देते है समर भी यही करता है.. सभी साथ लाये भोजन को ही खाने लगते है.. रुक्मा भी भोजन करने लगती है औऱ उसकी दोनों दासिया भी रुक्मा के कहने पर उसीके साथ बैठकर भोजन करती है..
खाना खाने के बाद लगभग आधे लोग पहरेदारी के लिए तैनात हो जाते है बाकी के आधे आराम करते है..
रात आधी बीत चुकी थी औऱ अब पहरेदार बदल चुके थे जो लोग अब तक आराम कर रहे थे वो लोग अब पहरेदारी करने लगे थे औऱ जो अब तक पहरेदारी कर रहे थे वो लोग आराम के लिए लेट गए थे..

समर खाना खाने के बाद लगातार एक पत्थर पर जलती हुई आग के सामने बैठकर किसी ख्याल में घूम था.. उसकी आँखों में नींद नहीं थी औऱ नींद तो रुक्मा की आँखों में भी नहीं थी.. रुक्मा अपना दिल समर पर हार चुकी थी.. रुक्मा ने दिन के हादसे के बाद से समर से अपनी नज़र नहीं हटाइ थी औऱ अब वो समर को ही देखे जा रही थी..
लाली औऱ सुधा दोनों को नींद आ चुकी थी.. आधी रात से ज्यादा का समय हो चूका था..

पहाड़ी के पीछे से गजसिंह डाकुओ के मुखिया कर्मा के साथ जयसिंह के इस काफ़िले को देख रहा था जो इस वक़्त रुका हुआ था..
कर्मा - अब किस बात की प्रतीक्षा सरदार.. मुट्ठी भर सैनिक ही तो है.. चलिए रोंध देते है इन सबको औऱ राजकुमारी का अपहरण कर लेते है.. उसके बाद तो वीरेंद्र सिंह अपने हथियार त्याग ही देगा..
गजसिंह - अभी नहीं कर्मा.. हमला सूरज की पहली किरण निकलने के साथ होगा.. इस अँधेरे में अगर कहीं रुक्मा को हानि होती है तो इस हमले का कोई मतलब नहीं रह जाएगा..
कर्मा - मगर सरदार सुबह की पहली किरण पर तो सभी सैनिक फिर से पहरे पर होंगे.. अभी आधे सैनिक नींद में है..
गजसिंह - तुझे कितने सैनिक दिखाई देते है कर्मा?
कर्मा - आग की रौशनी में देखने से लगता है लगभग 20 होंगे सरदार.. औऱ इतने ही सैनिक सोये हुए लगते है..
गजसिंह - तो क्या तुझे लगता है की हमारे 200 लोगो का मुकाबला ये 40 लोग कर सकते है?
कर्मा - वो बात नहीं है सरदार मुझे इस जयसिंह का डर है.. पिछली बार जब भिड़ंत हुई थी इसने अकेले ही मेरे बारह आदमियों को मार गिराया था.. बहुत सख्त जान है..
गजसिंह - इस जयसिंह का मुक़ाबला मुझसे होगा कर्मा.. मैं खुद जयसिंह को हराकर उसके अभिमान को परों से कुचल दूंगा.. तू अपने सभी आदमियों को समझा दे.. राजकुमारी रुक्मा औऱ उस आग के पास बैठे योद्धा समर को एक भी खरोच नही आनी चाहिए..
कर्मा - उस योद्धा को क्यों सरदार..
गजसिंह - कर्मा अभी ये तेरे जानने का समय नहीं है.. तू बस तेरे हर आदमी को ये समझा दे.. उन दोनों में से किसी को भी कुछ नहीं होना चाहिए.. औऱ सब सूरज की पहली किरण पर मेरे इशारे पर एक साथ हमला करेंगे..
कर्मा - जैसा आप कहे सरदार..
गजसिंह ने अपने बागियो औऱ कर्मा ने अपनी डाकुओ से राजकुमारी रुक्मा औऱ समर को छोड़कर सभी को जान से मार डालने का आदेश सुना दिया औऱ हमले के लिए त्यार रहने को कहा..

भोर होने में बहुत थोड़ा समय था गजसिंह का हमला होने वाला था.. समर आँख कुछ पल के लिए लगी थी जो अपने आसपास किसी के होने की आहट पाकर खुल गई थी.. समर ने देखा की राजकुमारी रुक्मा उसके समीप खड़ी हुई उसे देख रही थी..
समर झट से उठकर सर झुकाते हुए - राजकुमारी..
रुक्मा - बहुत कच्ची नींद है तुम्हारी.. राजकुमार.. रातभर इस पत्थर पर बैठकर पहरेदारी करते रहे औऱ कुछ पल आँख लगी तो मेरी आहट पर तुरंत ही नींद भी टूट गई..
समर - मैं कोई राजकुमार नहीं हूँ राजकुमारी.. बस एक साधारण सैनिक हूँ..
रुक्मा समर के थोड़ा नजदीक आकर - मुझे पता है तुम कौन हो.. मैंने तुम्हे उस नाम से बुलाया है जो मैं तुम्हे बनाना चाहती हूँ.. अब से तुम मेरे पहरेदार हो.. अब से मेरी अंतिम सांस तक मेरी रक्षा तुम्हारी जिम्मेदारी है.. मेरे प्राण बचाने के लिए आभार.. तुम्हारी बहादुरी औऱ सुंदरता मेरे मन को भा गई है..

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समर - राजकुमारी.. ये आप क्या कह रही है.. जीवनभर आपकी रक्षा मेरे जिम्मेदारी? मैं एक साधारण योद्धा हूँ.. सूर्यउदय होने वाला है.. आपको वापस जाकर अपनी दासियों के साथ बैठना चाहिए..
रुक्मा - मुझे तुमसे प्रेम हो गया है राजकुमार.. अपनी राजकुमारी की रक्षा तो अब तुम्हे ही करनी पड़ेगी..
जयसिंह - क्या हुआ राजकुमारी.. कोई गलती हो गई इस योद्धा से?
रुक्मा - नहीं.. काका.. मैं तो बस कल मेरे प्राण बचाने के लिए आभार कहने आई थी.. औऱ अपनी रक्षा के लिए प्रतिबद्ध करने..
जयसिंह - आपकी रक्षा के लिए तो सभी प्रतिबद्ध है राजकुमारी.. महल तक आपको सकुशल पंहुचा कर ही हम चैन से बैठेंगे.. भोर होने वाली सूरज की पहली किरण के साथ महल की औऱ आगे बढ़ेंगे.. आप जाकर घोड़ागाड़ी मैं बैठ जाइये..
रुक्मा - जैसा आप कहे.. काका..

पहली किरण के साथ ही चारो तरफ से गजसिंह कर्मा के साथ मिलकर काफ़िले पर हमला कर देता है औऱ जयसिंह अपने सैनिको के साथ गजसिंह औऱ कर्मा के साथ उनके लोगों से मुक़ाबला करने लगता है.. समर अपनी जगह छोड़कर रुक्मा के करीब आ जाता है औऱ रुक्मा के करीब आने वाले हर सैनिक को अपनी तलवार के एक ही वार से काट कर मार डालता है..
जयसिंह के साथ 40 लोग थे औऱ गजसिंह के साथ दो सो.. मगर फिर भी मुक़ाबला कड़ा हो रहा था.. जयसिंह के 22 आदमी मर चुके थे मगर अब तक गजसिंह भी अपने 90 से ज्यादा आदमी खो चूका था.. जयसिंह ने अकेलेपन ही 30 से ज्यादा आदमियों को मार गिराया था औऱ समर भी अब तक 22 से ज्यादा लोगों को मौत के घाट उतार चूका था.. गजसिंह औऱ कर्मा का जो भी साथी रुक्मा की तरफ बढ़ता समर अपनी तलवार से उसके प्राण हरण कर लेता.. गजसिंह के कहे अनुसार उसके औऱ कर्मा के किसी भी साथी ने समर पर हमला नहीं किया जिसकी कीमत उन सबको अपनी जान देकर चुकानी पड़ी..
देखते ही देखते.. लाशों का जमघट लग गया औऱ औऱ उस स्थान पर रक्त ही रक्त बिखरा हुआ नज़र आने लगा.. आखिर में घोड़ागाड़ी में बैठी रुक्मा औऱ उसकी दासिया के अलावा जयसिंह औऱ समर ही जिन्दा बचे रह गए.. वही गजसिंह की तरफ से गजसिंह औऱ कर्मा के साथ उनके 3 औऱ साथी ज़िंदा बचे रह गए थे.. बाकी सब जमीन पर अपनी जान गवा कर पड़े हुए थे..
समर के सामने जैसे ही गजसिंह का चेहरा आया वो क्रोध से भर गया औऱ गजसिंह की तरफ भागते हुए उस पर हमला कर दिया.. गजसिंह इस हमले से बच गया लेकिन उसके दो साथी जो इस हमले को रोकने के लिए बीच में आये थे उनको जान गवाना पड़ा..
गजसिंह औऱ कर्मा अब पीछे हट गये थे औऱ मुड़कर घोड़े पर बैठकर भागने लगे..
समर का सर गजसिंह का चेहरा देखकर क्रोध औऱ बदले की अग्नि से फटा जा रहा था.. समर ने भी अपने घोड़े की लगाम खींची औऱ उस पर बैठकर गजसिंह का पीछा करने लगा..
जयसिंह भयानक रूप से घायल हो चूका था मगरफ़िर भी उसने आखिर में बचे गजसिंह के एक आखिरी साथी को मार गिराया और खुद भी उसके वार से जमीन पर गिरकर लहूलुहान हो गया..
समर गजसिंह का पीछा करते हुए पहाड़ी के दूसरी तरफ आ गया जहा से खाई शुरू होती थी. समर ने कर्मा डाकू को अपनी तलवार के एक ही वार से मार डाला.. पहाड़ी पर आगे रास्ता ख़त्म हो चूका था भागने की जगह नहीं थी.. औऱ समर अब गजसिंह के सामने खड़ा था..
गजसिंह घोड़े से उतर कर - बहुत बड़ी गलती की मैंने तुझे ज़िंदा छोड़कर.. मुझे अगर पता होता की तू आज मेरा जागीरदार बनने का सपना चकनाचूर कर देगा तो मैं पहले ही तुझे मार डालता..
समर - गलती तो तूने की गजसिंह.. मगर मुझे ज़िंदा छोड़कर नहीं बल्कि मेरे पिता को मारके औऱ मेरी माँ का अपमान करके..
गजसिंह जोर से हसते हुए - तेरा पिता? कौन तेरा पिता समर? वो धुपसिंह? अरे वो तेरा पिता नहीं था.. तेरा पिता तेरे सामने खडा है.. औऱ कोनसे अपमान की बात कर रहा है तू? तेरी माँ का अपमान? अरे उसको मैं तब से जानता हूँ जब तू इस धरती पर आया भी नहीं था.. दिल्ली के एक वैश्यालय में वैश्यवर्ती करती थी तेरी माँ.. औऱ सिर्फ तेरी माँ ही नहीं औऱ भी कई औरतों को मैंने उस वैश्यालय से खरीद कर उनका विवाह वीरेंद्र सिंह की रक्षा में तैनात सैनिको से करवाया था ताकि मुझे उन वैश्याओं से वीरेंद्र के बारे में गुप्त सुचना मिलती रहे..
समर - अपनी मौत को सामने देखकर कहानी बना रहा है गजसिंह.. मगर आज मैं अपनी तलवार से तेरा सर काटकर अपने पिता की मौत का बदला जरूर लूंगा..
गजसिंह हसते हुए - कितनी बार कहु तुझे.. तेरा बाप धुपसिंह मैं हूँ.. यकीन ना हो तो जाकर पूछ ले अपनी माँ से.. जिसे वैश्यालय की लीलावती से साधारण घरेलु लता बनाकर मैंने धुपसिंह से विवाह करवाया था. औऱ धुपसिंह की हत्या मैंने नहीं बल्कि तेरी माँ लीलावती ने अपने हाथों से की थी.. क्युकी धुपसिंह लीलावती के वैश्या होने रहस्य औऱ उसके कूल्हे पर मेरी निशानी का अर्थ वो जान गया था..
समर क्रोध से - चुपकर गजसिंह.. तुझे क्या लगता है मैं तेरी इन बातों पर विश्वास कर लूंगा? औऱ तू मुझे मुर्ख बनाकर यहां से निकल जाएगा? आज तेरा बचना संभव नहीं है गजसिंह..
गजसिंह अपने बाजू पर बनी निशानी दिखाते हुए - अगर मेरी बात पर विश्वास नहीं है तो जा औऱ जाकर अपनी माँ के दाए कूल्हे को देख.. ऐसी ही एक निशानी तुझे तेरी माँ के दाए कूल्हे पर भी दिखाई देगी जो मेरी हर बात सही सिद्ध कर देगी कि तेरी माँ मेरी रखैल है.. तुझे औऱ एक बात बताऊ? राजकुमारी को जयसिंह किस रास्ते से वापस जागीर ला रहा है ये गुप्त सुचना भी तेरी माँ ही मुझे देने आई थी.. औऱ जब आई थी तो सुचना के साथ अपना रूप औऱ जोबन भी देकर गई थी मुझे.. जिसके निशान उसकी छाती औऱ गले पर अब तक होंगे जा जाकर देख.. बदले में तुझे ज़िंदा छोड़ने वादा लिया था उसने मुझसे, इसिलए आज मेरे किसी आदमी ने तेरे ऊपर प्रहार नहीं किया.. राजकुमारी को किस गुप्त रास्ते से लाया जा रहा है.. तूने ही लीलावती को बताया था ना इस बारे में? लाल घाघरा चोली पहनी थी ना तेरी माँ ने उस दिन? अब भी कहेगा की मैं मनगढंत बात बना रहा हूँ? अरे तुझे तो उस रात से लेकर अब तक कई बार लीलावती मेरे हाथों मरने से बचा चुकी है.. कभी सोचा तूने कि मेरे इतने साथी मारे पर मैं कभी तुझे मारने क्यों नहीं आया? क्युकी तेरे अंदर मेरा भी खून है औऱ मैंने लीलावती से वादा किया तुझे ना मारने का..
समर का मन उथल पुथल था - गजसिंह.. अगर तेरी बातें सच हुई तो भी क्या मैं तुझे यहाँ से जीवित जाने दूंगा?
गजसिंह - मुझे मारकर तुझे कुछ हांसिल नहीं होने वाला समर.. वीरेंद्र सिंह पूछेगा भी नहीं तुझे.. उसके लिए तू बस एक प्यादा है जिसके होने या ना होने से उसे कोई फर्क नहीं पड़ता.. मेरी बात मान जा समर.. मुझे रुक्मा का हरण करने दे.. मैं वीरेंद्र सिंह को जागीरदारी से हटाकर खुद जागीरदारी संभाल लूंगा औऱ फिर तुझे अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दूंगा.. तू जानता मेरा कोई उत्तराधिकारी नहीं है..
समर आगे बढ़ते हुए - बात अगर वीरेंद्र सिंह की होती तो शायद में अपना मन बदलने के बारे में सोचता.. मगर गजसिंह तूने ये कैसे सोच लिया कि मैं तुझे राजकुमारी रुक्मा का हरण करने दूंगा..
इतना कहकर समर ने गजसिंह का सर अपनी तलवार से काट दिया औऱ गजसिंह का सर लेकर वापस उसी जगह आ गया जहा गजसिंह औऱ जयसिंह के बीच लड़ाई हुई थी..
समर जब वापस आया तो उसने देखा कि जयसिंह पत्थर का सहारा लेकर बैठा हुआ है औऱ रुक्मा औऱ उसकी दासिया जयसिंह के जख्मो पर कपड़ा बाँध रही है..
समर ने गजसिंह का सर एक कपडे में लपेटकर घोड़ागाड़ी पर लटका लिया औऱ जयसिंह को घोड़ागाड़ी पर लादकर राजकुमारी रुक्मा औऱ उसकी दासियों से वापस घोड़ागाड़ी में बैठने को कहा.. फिर खुद उस घोड़ागाडी को चलाकर जागीर की सीमा पर तैनात सिपाहीयों तक ले आया.. जहा समर ने तैनात सैनिको को सुबह हुई लड़ाई के बारे में बताया औऱ जयसिंह के प्राथमिक उपचार का कार्य किया.. औऱ कुछ सैनिको को वहा जाकर पड़ी हुई लाशों को लाने का कहा औऱ स्वम राजकुमारी रुक्मा औऱ उसकी दासियो को लेकर सीमा पर तैनात कुछ सैनिको को साथ लेकर सांझ होने तक महल आ पंहुचा..
महल पहुंचने पर वहा के सैनिको ने जयसिंह को घोड़ागाड़ी से उतरा औऱ वैध के पास ले गए.. रुक्मा समर को मुस्कुराते हुए एक नज़र देखकर महल में चली गई औऱ बाकी सैनिक वापस सीमा की तरफ चले गए..
समर घोड़ागाड़ी महल में छोड़कर गजसिंह का सर लेकर महल से चला गया.. उसने किसी से भी कर्मा औऱ गजसिंह की मौत की बात नहीं की थी..

वीरेंद्र सिंह को जब इसका पता चला तो वो क्रोध में आग बबूला हो गया औऱ अपने सैनिको से हर जगह गजसिंह औऱ डाकुओ के मुखिया कर्मा को ढूंढने औऱ उसके ठिकानो का पता लगाने का आदेश सुना दिया वही खुद भी इस काम को करने के लिए महल से निकलने लगा पर सुजाता के समझाने पर रुक गया..
Gand fad Update...
Isa kahata ha Honey Trap....
Maja aa gaya...
Puri tarha filmi ha....
Is pa to Movie ban sakti ha...
Sirf is Update sa ek acchi masala Movie...
Game of Thrones Type ki...


Jabardas Update.....

❤❤❤❤❤👍👍👍👍👍👍🤤🤤🤤🤤🤤
 

Rajpoot MS

I love my family and friends ....
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Update 48

जंगल के खंडर के जिस कमरे में गौतम औऱ सुमन ने हरिया औऱ मंजू को चुदाई करते हुए देखा था वहां अब हलकी सी सफाई कि जा चुकी थी.. एक खाट किसी ने लाकर रख दी थी जिसपर एक रुई का गद्दा भी पड़ा था औऱ साथ में एक फोल्डबल टेबल भी साइड में थी जिस पर शराब की एक बोतल सिगरेट के पैकेट लाइटर औऱ पानी की बोतल रखी हुई थी..

ये सब आज सुबह गौतम ने ही इस कमरे में रखे थे औऱ अब वो अपनी माँ को भी अपने साथ लेकर खंडर के बाहर आ चूका था औऱ गौतम सुमन का हाथ पकड़ कर उसे खंडर के अंदर ले आया.. सुमन को डर लग रहा था मगर गौतम के साथ में होने से उसका डर काफूर भी हो रहा था.. गौतम ने सुमन को अपनी गोद में उठा लिया औऱ सीढ़ियों से खंडर के ऊपरी मंज़िल पर आ पंहुचा..

सुमन के मन में इस वक्त अजीब अजीब ख्याल चल रहे थे और उसके बदन में सुरसुरी कौंध रही थी.. सुमन का दिल जोरो से धड़क रहा था और आने वाले पलों की कल्पना करके काम वासना के भाव से भरी जा रही थी.. सुमन की आंखों के सामने गौतम का चेहरा था जिसे वह बड़ी प्यार से देख रही थी और अपने हाथ से उसके प्यारे मुख को सहला भी रही थी..

सुमन को पता नहीं था कि गौतम के मन में क्या चल रहा है.. गौतम आज किसी भी कीमत पर सुमन को पा लेना चाहता था और इस नियत से वह सुमन को अपनी गोद में उठा खंडर के इस कमरे पर आ रहा था जहाँ उसने सारी तैयारी कर रही थी.. गौतम ने अपने सुहाग दिन को मनाने के लिए पूरा प्रबंध किया हुआ था..

गौतम ने सुमन को लाकर कमरे में बिछी उसी खत पर पटक दिया औऱ शराब कि बोतल खोलकर सुमन औऱ खुद के लिए एक एक पेग बना दिया..
गौतम पेग देते हुए - लो माँ..
सुमन पेग लेकर - यहां इस खंडर में करोगे अपनी ख्वाहिश पूरी?
गौतम पेग पीकर अपने लिए दूसरा पेग बनाते हुए - यहां तु खुलकर चीख-चिल्ला सकती है सुमन.. तेरी आवाजे सुनकर यहां कोई नहीं आएगा.. औऱ तु मुझसे बचकर कहीं भाग भी नहीं पाओगी..
सुमन पेग पीते हुए - मैं क्यों भागने लगी भला.. मैं भी अब तेरे साथ हर हद पार करना चाहती हूँ..
गौतम दूसरा पेग ख़त्म करके एक सिगरेट सुलगा लेता है औऱ सुमन अपना पहला पेग ख़त्म कर देती है.. गौतम सुमन के करीब खाट पर बैठ कर अपना एक हाथ सुमन के गले में डालकर उसका चुचा पकड़कर मसलते हुए सिगरेट के कश लेता हुआ कहता है..
गौतम - एक बात सच सच बतायेगी सुमन?
सुमन गौतम से सिगरेट लेकर कश मारती हुई - पूछ ना मेरी जान.. जो तुझे पूछना है.. आज तेरी माँ नहीं शर्माने वाली.. मेरे चुचे 34 कमर 28 गांड 36 है..
गौतम सुमन के निप्पल्स मरोड़ता हुआ - मेरा असली बाप कौन है?
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सुमन सिसकती हुई - आह्ह.. गौतम.. ये तू केसा सवाल कर रहा है.. जगमोहन तेरा बाप है..
गौतम सुमन से सिगरेट लेकर कश मारता हुआ वापस सुमन के चुचे पर उभरा हुआ चुचक मसल देता है औऱ बोलता है - सुमन मै मज़ाक़ नहीं कर रहा.. सच सच बता.. मेरा असली बाप कौन है?
सुमन दर्द से - अह्ह्ह्ह.. ग़ुगु मरोड़ मत मेरी निप्पल्स.. औऱ तू अचानक कैसी बात कर रहा है.. औऱ क्या बेतुका सवाल पूछ रहा है...
गौतम सिगरेट का कश लेकर सिगरेट फर्श पर फेंककर अपने जूते से बुझा देता है औऱ सुमन को धक्का देकर खाट पर पीठ के बल लिटाता हुआ उसके ऊपर चढ़कर उसके बालो को अपनी मुट्ठी में भींचकर पकड़ते हुए कहता है - मुझे चुतिया समझा है माँ तूने? चुपचाप मुझे मेरे असली बाप का नाम बता दे.. वरना आज चोदने के बाद तुझे हमेशा के लिए अकेला छोड़ जाऊँगा..

सुमन हैरानी परेशानी औऱ फ़िक्र से भरी हुई - ग़ुगु तू क्या बोले जा रहा है बेटा.. तू जो बोले रहा है मेरी तो कुछ समझ में नहीं आ रहा..
गौतम गुस्से में एक जोरदार तमाचा सुमन के गाल पर मार देता है औऱ कहता है - अब समझ आया तुझे रंडी? बंद कर अपना ये संस्कारी बनने का ढोंग.. मुझे पता चल गया तू कितनी बड़ी रांड रह चुकी है..
सुमन अपने गाल पर हाथ लगा कर - बेटा.. मैं सच कह रही हूँ तेरा बाप जगमोहन ही है..
गौतम हलके नशे में थोड़ा पीछे होता है औऱ सुमन की साडी का पल्लू हटाकर सुमने के चुचो पर अपने दोनों हाथ रखकर ब्लाउज को कस के पकड़ता है औऱ इतना जोर से खींचता है कि सुमन कि छाती पर से उसका ब्लाउज एक बार में फटकार अलग हो जाता है औऱ साथ में ब्रा भी उतर जाती है..

गौतम सुमन के दोनों चुचो को अपने दोनों हाथों के पंजो में पकड़कर दबा दबा के मसलते हुए - अब तो सच बोल दे रंडी.. मैं जान गया हूँ जगमोहन मेरा बाप नहीं है औऱ ना ही वो किसी औऱ का बाप बन सकता है.. ना ही कभी बन सकता था.. वो शुरु से बाप बनने के काबिल नहीं था.
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सुमन गोतम को हैरानी से देखती हुई सिसक कर - गौतम तुझे कैसे..
गौतम सुमन के तनकर खड़े हुई चुचक को मुंह में लेकर चूसता हुआ - मुझे कैसे पता? तू यही सोच रही है ना सुमन.. आज मुझे बहुत कुछ पता चला है तेरे बारे में.. अब मुझे सच सच बता कौन है मेरा असली बाप?
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सुमन गोतम के चेहरे को पकड़कर उसके होंठ पर अपने होंठ रखते हुए चूमती हुई - छोड़ ना गौतम.. अब क्या फर्क पड़ता है.. सालों पहले की बात है..
गौतम सुमन में बाल पकड़कर उसके होंठों को अपने होंठों से अलग करता हुआ उसकी आँखों में देखकर कहता है - फर्क पड़ता है माँ.. तू शादी से पहले जिस जिस के नीचे लेटी है मुझे उनसे कोई मतलब नहीं है.. बस तू इतना बता दे उनमे से मेरा बाप कौन था?
सुमन गौतम के हाथों से अपने बाल छुड़ाकर वापस उसके होंठों पर टूट पडती है औऱ गौतम को चूमती हुई कहती है - उन सब बातों का अब क्या फ़ायदा मेरे शहजादे.. देख तेरी माँ आज तुझे पूरी तरफ से अपनाने को तैयार है.. कर ले अपने मन कि हर ख्वाहिश पूरी बेटा.. होजा मेरे साथ एक जिस्म दो जान..
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गौतम फिर से सुमन के होंठों से अपने होंठ हटाते हुए - मुझे जानना है माँ.. कि कौन था वो जिसने तेरी टाँगे चौड़ी करके तेरी चुत में लंड घुसाकार अपना माल तेरी चुत में झाड़ा जिसके करण तूने मुझे अपनी चुत से निकला..
सुमन अपनी साडी निकालकर पटीकोट का नाड़ा खोलती हुई - गौतम तू कैसी बातें लेकर बैठ गया.. आज तेरा औऱ मेरा पहला मिलन है.. देख तेरी माँ ने तेरे लिए आज अपनी चुत के सारे बाल शेव करके चुत को कितना चिकना कर दिया है...
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गौतम सुमन के मुंह पर थूक देता है औऱ कहता है - हट माँ.. अगर तू मुझे उस आदमी का नाम नहीं बतायेगी तो तुझे चोदने से अच्छा है मैं कोठे पर कोई रंडी चोद लु..
सुमन गौतम का थूक चेहरे से साफ करके मुंह में भर लेटी है औऱ गटकते हुए गौतम का शर्ट खोलती हुई कहती है - मुझे कोठे की रांड समझकर ही चोद ले ग़ुगु.. मैं कोनसी कुछ कह रही हूँ.. तू तो फालतू की ज़िद पकड़ कर बैठ गया.. अब इतने साल बाद क्या मतलब इन बातों का..
गौतम शर्टलेस होकर उठकर कमरे की खिड़की से बाहर जंगल की तरफ देखने लगता है औऱ सुमन से कहता - मुझे मेरे असली बाप का नाम तक नहीं पता औऱ तू कहती है मैं फालतू की ज़िद पकड़ कर बैठा हूँ..
सुमन टेबल पर रखी शराब की बोतल से एक पेग बनती है औऱ पेग के साथ सिगरेट लाइटर हाथ में लेकर गौतम के पास आती है.. - नाम जानने से क्या हो जाएगा गौतम.. हम अब तक जैसे जी रहे थे वैसे ही जी सकते है ना.. तू कब से मेरे पीछे पडा था.. अब जब मैं तैयार हूँ तो तू ऐसे कर रहा है.. ये कहते हुए सुमन ने पेग गौतम के हाथ में दे दिया औऱ उसके होंठों पर एक सिगरेट लगाकर जलाते हुए अपने घुटने पर आ बैठी.. सुमन गौतम की जीन्स का हुक खोलकर उसके लंड को चूमने लगी..
गौतम सिगरेट का कश लेकर पेग पिने लगा औऱ फिर अपने आगे घुटनो पर बैठकर अपने लंड ओर चुम्मिया बरसाती हुई होनी माँ सुमन को देखता हुआ बोला - मैं तुझे औऱ कुछ नहीं कहूंगा सुमन.. तू बस मुझे इतना बता दे की मैं किसके लंड की पैदाईश हूँ?
सुमन लंड पर चुम्मियो की बरसात करने के बाद लंड को मुंह में भरती हुई - आज क्या हुआ है तेरे लंड को गौतम? इतनी चुम्मिया करने औऱ हिलाने के बाद भी खड़ा नहीं हो रहा..
गौतम पेग ख़त्म करके गिलास एक तरफ रख देता है औऱ सिगरेट का लम्बा कश खींचकर सुमन के बाल पकड़कर उसे खड़ा करके उसके मुंह पर सिगरेट का धुआँ छोड़ते हुए कहता है - जब तक इसे अपने बाप का नाम नहीं पता चलता ये खड़ा नहीं होने वाला.. समझी सुमन.. अब बता कौन है मेरा बाप? क्या वो बाबा मेरा असली बाप है जिसके पास जाकर तू कुछ ना कुछ मांगती रहती है..
सुमन हिचकती हुई - गौतम.. बाबाजी के साथ मेरा कोई रिश्ता नहीं रहा..
गौतम सिगरेट का कश लेकर सिगरेट खिड़की से बाहर फेंक देता है औऱ सुमन की चुत को अपनी मुट्ठी में पकड़कर मसलते हुए कहता है - रिश्ता कैसे नहीं रहा? उसने तुझे नंगा नहीं किया था रातों में? तेरी इस चुत में लंड तो उसका भी जा चूका है.. मैं जान चूका हूँ की बच्चे की मन्नत लेकर आई हर औरत को बाबाजी औऱ उसका साथी किशोर रात रात भर होने बिस्तर में चोदते है.. तुझे भी चोदा होगा ना वहा किसीने जब तू बच्चे की मन्नत लेकर वहा गई थी..

सुमन सिसकियाँ लेती हुई गौतम को बाहों में भरकर उसे चूमती हुई - नहीं मेरे शहजादे.. अह्ह्ह्ह... मैं तेरी कसम खाती हूँ.. मैं उस पहाड़ी पर बाबाजी के बिस्तर में नंगी जरुर हुई थी मगर वक़्त रहते मैंने अपना इरादा बदल लिया था औऱ मैं बीना चुदे ही वहा से वापस आ गई थी..

गौतम सुमन को चूमता हुआ खाट में आ जाता है औऱ उसके चुचो का मर्दन करता हुआ कहता है - वहा नहीं चुदी तो कय हुआ माँ? संजय मामा ने तो तुझे शादी के बाद भी बहुत बार चोदा था.. क्या मैं उसकी चुदाई से पैदा हुआ हूँ?
सुमन गौतम का लंड पकड़कर अपनी चुत पर रगडती हुई - नहीं बेटा.. तेरे मामा ने मेरी शादी के बाद कभी मेरी चुत में अपना माल नहीं झाड़ा.. तू तेरे मामा का बेटा नहीं है ग़ुगु..
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गौतम सुमन के चुचो को दांतो से खींचता हुआ चूसता है औऱ सुमन की आँखों में देखकर कहता है - तो क्या मैं तेरे उस पुराने आशिक विजय का बेटा हूँ, जो तुझे सिनेमा दिखाने के बाद अपने दोस्त कमल की पंचर की दूकान में लेजाकर चोदता था.. जिससे तू अब इतने सालों बाद फिर से इंस्टा पर बात करने लगी है..
सुमन गौतम का लंड चुत पर रगढ़ते हुए चौंककर - गौतम तुझे कैसे पता मैं इंस्टा चलाती हूँ औऱ विजय से बात करने लगी हूँ?

गौतम सुमन की गर्दन चाटता हुआ - पूराना अकाउंट डिलीट करके नया बना लेने से तुझे क्या लगा.. मुझे आता नहीं चलेगा.. शर्मीली सुमन नाम से अकाउंट बनाया है ना तूने नया.. उसपर अपनी चिकनी कमर की फोटो डालने से तुझे क्या लगा मुझे पता नहीं चलेगा? माँ.. तेरी कमर के तिल ने मुझे बता दिया कि ये तेरा अकाउंट है.. मैंने तेरे फ़ोन में इंस्टा के पास देखकर अपने फ़ोन में तेरा अकाउंट खोला था सुबह.. औऱ जिस जिस से तूने जो जो बात कि है सब पढ़ ली..
सुमन शर्माते हुए - गौतम तूने ऐसा क्यों किया.. मुझे शर्मिंदा करने से तुझे क्या मिल जाएगा.. मैं तेरी सगी माँ हूँ क्या ये तेरे लिए काफी नहीं?
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गौतम सुमन की टाँगे चौड़ी करके उसके चुत के दाने को चूमकर होंठों से खींचता हुआ - मुझे बस अपने बाप का नाम जानना है सुमन.. अगर तू मुझे उसका असली नाम बता देगी तो मैं वादा करता हूँ.. मैं अपने ईस लंड की छत्रछाया मैं तुझे हमेशा सुखी रखूँगा.. बता सुमन कौन है मेरा असली बाप? क्या वो विजय का दोस्त कमल है? जो विजय के चोदने के बाद तेरी चुदाई करता था..
सुमन गौतम का सर पकड़कर अपनी चुत में घुसाती हुई - नहीं.. गौतम.. वो ना विजय है ना कमल..
गौतम जोर जोर से सुमन की चुत चाटता हुआ - तो बता ना रंडी.. वो कौन है? कौन है मेरा असली बाप?
सुमन का बदन अकड़ने लगता है औऱ वो गौतम के मुंह में झड़ते हुए एक नाम लेती है - वो तेरे चाचा है गौतम.. बृजमोहन..
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गौतम के मुंह पर सुमन की चुत से जबरदस्त पिचकारी की धार निकलकर पडती है औऱ गौतम का सारा मुंह सुमन के पानी से भीग जाता है..
सुमन झड़ने के बाद तेज़ तेज़ सांस लेती हुई सिसकियाँ लेकर - वो तेरा चाचा है गौतम.. तेरा चाचा ही तेरा असली बाप है..
गौतम सुमन की चड्डी से अपना चेहरा साथ करता हुआ - बृजमोहन..
सुमन शरमाते हुए पछतावे से - हाँ गौतम हां.. बृजमोहन.. वही है तेरा असली बाप..
गौतम खाट से खड़ा होकर पानी की बोतल से पानी पीते हुए सुमन को देखकर - मुझे सारी बात बता माँ.. उसने कब औऱ कैसे क्या क्या किया तेरे साथ...
सुमन - वो सब जानकर तू क्या करेगा बेटा.. रहने दे उन बातों को..
गौतम वापस खाट पाकर सुमन की टाँगे चौड़ी करके चुत के छेद लड़ लंड टिका कर दबाव बनाते हुए - मुझे सब जानना है माँ.. तेरे साथ उसने कब कब औऱ क्या क्या किया है..
सुमन गौतम के लंड को चुत के अंदर लेने के लिए पकड़ लेती है चुत में घुसाने लगती है जिसमे उसे बहुत दर्द भी होने लगा था
सुमन सिसकियाँ लेती हुई - बता दूंगी बेटा.. सबकुछ बता दूंगी.. अब तुझसे छीपा कर करुँगी भी क्या?

फूलों का लेप लगाने से सुमन की चुत सिकुड़ चुकी थी और उसे गौतम का मोटा लंड लेने में बहुत तकलीफ होने लगी थी सुमन अभी तक केवल लंड का टोपा ही अपनी चुत में घुसा पाई थी कि उसकी आहे निकलने लगी वो तेज़ सिसकियाँ लेने लगी और किसी कुंवारी की तरह मचलने लगी..
सुमन को समझ नहीं आ रहा था कि अचानक उसे यह क्या हुआ है और वह कैसे इतनी सिकुड़ी हुई चुत की मालकिन बन गई है.. गौतम ने अपनी पूरी कोशिश और दबाव डालते हुए सुमन की सिकुड़ चुकी चुत में अपने लंड को टोपे से थोड़ा आगे औऱ प्रवेश करवा दिया औऱ सुमन के चेहरे पर आते कामुकता औऱ दर्द से भरपुर भावो को देखने लगा.. जिसमे उसे अद्भुत आनंद आ रहा था.. गौतम सोच रहा था ईसी योनि से सालों पहले दो बच्चे निकल चुके हैं लेकिन अभी यह योनि कितनी टाइट है और लेप लगाने के बाद कितनी सिकुड़ चुकी है..

सुमन सिसकियाँ भरती हुई - आराम से गौतम बहुत दर्द हो रहा है.. पता नहीं कैसे इतनी सिकुड़ गई..पता नहीं कैसे तेरे इतने बड़े लंड को अंदर ले पाऊँगी..
गौतम सुमन को देखता हुआ - माँ मुझे माफ़ कर दो..
सुमन - क्यों बेटा.. तूने कोनसी गलती कर दी जो तू माफी मांग रहा है.. सारी गलती तो मेरी है..
गौतम - गलती की नहीं माँ.. करने वाला हूँ..
सुमन - कैसी गलती गौतम..
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गौतम ने एक हाथ सुमन की गर्दन के नीचे लेजाकर उसका कन्धा पकड़ लिया औऱ दूसरे हाथ से सुमन की गांड औऱ पूरी ताकत से एक धमाकेदार झटके के साथ अपने लंड को सुमन की चुत के अंदर पूरा जड़ तक घुसेड़ दिया जिससे सुमन की चुत में गौतम का पूरा लंड घुस गया औऱ खून की कुछ बुँदे चुत से निकल कर बह गई.. इसीके साथ सुमन के गले से इतनी जोर से चीखे निकली की खंडर से दूर दूर तक हवा में उसकी आवाज सुनाई दे जा रही थी.. गौतम के चेहरे पर विजयी मुस्कान थी औऱ सुमन के चेहरे पर दर्द शिकायत औऱ रहम की उम्मीद करती आँखों के साथ दया के भाव.

सुमन गुस्से औऱ दर्द से चिल्लाते हुए गौतम के गाल पर थप्पड़ मारती हुई - गौतम मादरचोद..
गौतम सुमन के दोनों हाथ पकड़कर सुमन के होंठों पर अपने होंठ रखकर उसका मुंह बंद करता हुआ - सुमन बेटाचोद..

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सुमन की चुत में गौतम का लंड बच्चेदानी तक घुसा हुआ था औऱ उसके दोनों हाथ गौतम ने अपने हाथों से पकड़कर सर के ऊपर कर दिए थे.. उसके होंठों पर भी गौतम ने अपने होंठ चिपका दिए थे.. सुमन की आँखों से आंसू की बुँदे निकल कर बह रही थी.. गौतम सुमन की आँखों में रहम औऱ शिकवे के उठते भाव देख सकता था..

गौतम अब प्यार से सुमन के होंठ चूमने लगा था औऱ मगर फिर भी सुमन गौतम का साथ नहीं दे रही थी औऱ गौतम के होंठो की क़ैद से बार बार अपना मुंह इधर उधर घुमाकर अपने होंठों को रिहा करवा रही थी.
गोतम अपनी माँ की इस हरकत पर मुस्कुराते हुए उसे देख कर बार बार उसके होंठों को अपने होंठों में भरकर चुमने की कोशिश कर रहा था औऱ बार बार सुमन गौतम के होंठों से अपने होंठ छुड़वा रही थी.. सुमन जब मुंह घूमती तो गौतम उसके गाल औऱ गर्दन पर चुम लेटा औऱ प्यार से जीभ निकालकर चाट लेटा..

सुमन को अब इस छेदखानी में हल्का मीठा सा मज़ा आने लगा था औऱ उसकी चुत में घुसा हुआ गौतम का शैतानी लड उसे पहले की तुलना में कम दर्द दे रहा था.. 10-15 मिनट तक ऐसा ही चलता रहा औऱ गौतम सुमन के होंठों के बीच की जंग जारी रही जिसमे बार बार गौतम को सुमन से हार का सामना करना पड़ रहा था.
अब गौतम मुस्कुराते हुए सुमन को देखकर उसे छेड़े जारहा था जिससे सुमन को भी अच्छा लगने लगा था..
गौतमप्यार से - इतने नखरे? लगता है मेरी माँ को बहुत गुस्सा आ रहा है मेरी ऊपर..
सुमन गौतम की बात पर अपने हाथ गौतम के हाथों से छुड़वा कर गौतम के चेहरे को पकड़ लेती है औऱ गौतम के होंठों को अपने होंठों में भरके चूमती हुई दांतो से इतना जोर से काटती है की गौतम की आह्ह निकल जाती है औऱ वो दर्द से चीख उठता है औऱ कहता है..
गौतम - तेरी माँ को चोदू.. खा जायेगी क्या? दर्द होता है ना..

सुमन वापस गौतम के होंठ चूमते हुए - सिर्फ तुझे ही दर्द होता है क्या.. रंडी की औलाद.. एक झटके में इतना बड़ा लंड घुसाया है मेरे दर्द नहीं होता क्या? मेरी चुत से खून निकाल दिया तूने..
गौतम चुत से निकला हुआ खून जो गौतम औऱ सुमन की कटी हुई साफ झांटो पर लंड औऱ चुत के मिलन के आसपास चिपचिप कर रहा था, उसे ऊँगली में लगाकर सुमन के मांग में भर देता है औऱ कहता है - इसी खून से मैं तेरी मांग भर रहा हूँ माँ.. आज से तू मेरी हुई.. मुझे ख़ुशी है मेरी दुल्हन कुंवारी निकली.. आज से तेरी चुत पर सिर्फ मेरा हक़ है सुमन..

सुमन का दर्द अब बहुत कम हो चूका था औऱ मीठा मीठा अहसास हुए होने लगा था.. पिछले 20 मिनट से गौतम का लंड उसकी चुत में पूरा घुसा हुआ था औऱ गौतम उसके ऊपर लेटा हुआ था..
सुमन गौतम होंठ दांतो से खींचकर चूमती हुई अपना मगलसूत्र उतारकर उसे देती हुई - मांग तो भर दी तूने मेरी शहजादे.. मगलसूत्र भी पहना दे..
गौतम मगलसूत्र पहनाता हुआ - शादी मुबारक हो माँ..
सुमन - अब बेटा.. इस हालत में मैं तेरे पैर छूकर तेरा आशीर्वाद कैसे लूँ?
गौतम - चुदाई के बाद पैर छू लेना माँ.. मैं नहीं रोकूंगा.. अब बताओ मुझे वो सब कुछ.. जो तेरे औऱ चाचा के बीच हुआ था.. एक भी बात मुझसे मत छुपाना..
सुमन - मेरी चुत में लंड घुसा के तू मुझसे मेरी चुदाई की कहानी सुनेगा? मुझे शर्म आएगी बेटा..
गौतम सुमन के निप्पल्स से छेड़खानी करता हुआ - पति पत्नी में शर्म अच्छी बात नहीं है माँ.. जो हुआ था वो साफ साफ औऱ खुलके कहो.. मैं सुनने को बेताब हूँ..
सुमन - एक पेग पीके बताती हूँ.. एक बार निकाल ले..
गौतम खाट से थोड़ा दूर रखी टेबल को हाथ बढाकर अपने करीब खींचता है औऱ सुमन से कहता है - लंड नहीं निकलेगा माँ.. पेग मैं यही से बना देता हूँ..
गौतम पेग बनाकर सुमन को पीला देता है.. सुमन पेग पीके एक सिगरेट अपने होंठों पर लगा लेती है औऱ लाइटर से सुलगाते हुए पहला लम्बा कश लेकर धुआँ छोड़ते हुए कहती है..
सुमन - तो सुन मेरे शहजादे.. मैं आज तुझे वो बात बता देती हूँ जो अबतक किसी को नहीं पता.. तेरे चाचा बृजमोहन को भी नहीं..
गौतम - क्या? चाचा को भी नहीं पता मतलब?
सुमन - हाँ गौतम.. तेरे चाचा भी नहीं जामते कि तू उनका बेटा है..
गौतम - ये कैसे मुमकिन है माँ.. चाचा को भी नहीं पता कि मैं उनका बेटा हूँ..
सुमन - हुआ ही कुछ ऐसा था गौतम.. पता नहीं इसमें किसका दोष था..
गौतम - मुझे साफ साफ पूरी कहानी शुरुआत से बताओ माँ.. क्या हुआ था?

सुमन सिगरेट का अगला कश लेकर - बात तेरे पैदा होने से 9 महीने पहले की है जब मेरी शादी को 3 साल हो चुके थे औऱ मुझे कोई बच्चा नहीं हुआ था.. सब मुझे बाँझ समझने लगे थे मगर मैं जानती थी कि कमी मुझमे नहीं है क्युकी ऋतू भी मेरी ही कोख से जन्मी थी.. लेकिन फिर भी मैं सबकी बातें सुनकर बाबाजी के पास एक औलाद की मन्नत लेकर आने लगी.. औऱ हर तरह एक बच्चा पैदा करने के जतन करने लगी.. फिर एक दिन वो हुआ जिसकी मुझे उम्मीद नहीं थी..

सवान के बाद भादो ने गाँव की उस धरती को बारिश की तेज़ तर्रार बूंदो से सराबोर कर रखा था शाम के वक़्त की बात थी जब जगमोहन तेरे दादा के साथ खेत की जुताई के लिए खाद लेने गया था औऱ बारिश का पानी भर जाने से आने जाने वाला रास्ता पानी के भराव से बंद हो चूका था औऱ जगमोहन तेरे दादाजी के साथ वही फंस गया था.. तेरी दादी पड़ोस के गाँव में तेरी दादी हेमा की मुंह बोली बहन माला के यहां उसके बेटे के लगन में गयी थी औऱ वो भी बारिश के करण वही फंस गई थी.. मानसी की तबियत खराब थी और वो गलती से मेरे कमरे में आकर सो गई थी..
मौसम की बरसात, ठंडी बहती हवा औऱ जोबन का बाईसवा साल.. मेरा अंग अंग नई तरंग से भरकर मुझे कामोतेजना में खींच रहा थ.. मैं उस वक़्त मेरे शरीर की आग बुझाना चाहती थी.. शाम से रात का समय हो चला था अमावस की रात में घर के कई कोनो में मैंने दिए जला के रख दिए थे.. लाइट का कोई नामो निशान नहीं था. मैं तेरे चाचा बृजमोहन के कमरे में दिया रखने गई थी कि तभी बाहर से मुझे किसी के आने की आहट सुनाई दी औऱ मैं इससे पहले की पीछे देख पाती किसीने मुझे पीछे से अपनी बाहों में भर लिया. मेरी हाथ से दिया नीचे गिरकर बुझ गया था औऱ अब कमरे में अंधेरा ही अंधेरा था.. अमावस की उस काली रात में अन्धकार इस तरह फैला हुआ था जैसे दिल्ली की हवाओ में ज़हर...

मैं शराब की आती बू से समझ गई थी की ये ब्रिजमोहन ही है.. उसने मुझे सीधा बिस्तर पर लिटा दिया औऱ मेरी साडी ऊपर करके पीछे से उसने सीधा लंड मेरी चुत में डाल दिया औऱ कुछ देर चोदा.. वो नशे में धुत मुझे मानसी समझकर मुझे चोदे जा रहा था औऱ मैं काम भावना से भरी हुई चुपचाप उससे चुदे जारही थी.. मैं झड़ गई थी औऱ कुछ पलों में वो भी झड़ गया था.. नशे की हालत में बृजमोहन पूरी तरह उतर हुआ था औऱ मुझे चोदने के बाद वो बिस्तर पर ही उल्टा मुंह करके सो गया था.. उसे अँधेरे में ये भी नहीं दिखा कि जिसे वो मानसी समझ रहा था वो मानसी नहीं थी..
चुदने के बाद मैं वहा से बाहर आ गयी जब मौसम ठीक हुआ औऱ तेरे दादा दादी औऱ जगमोहन घर आये तो सब कुछ पहले की तरह ही था.. दिन बीतने लगे औऱ कुछ समय बाद मुझे एक दिन पता चला कि मैं पेट से हूँ.. फिर तू पैदा हुआ औऱ उसके 2 साल बाद कुसुम.. कुसुम के पैदा होने के छः महीने बाद ही हमने मीलकर तेरी औऱ कुसुम कि शादी करवा दी.. मगर फिर बटवारे का विवाद खड़ा हो गया औऱ हमें यहां आना पड़ा..
सुमन आखिरी कश लेकर मुंह से धुआँ छोड़ती हुई - बस गौतम.. यही सब हुआ था..

गौतम सुमन की गांड पकड़कर बिना लंड चुत से निकाले सुमन को खाट के बीच में लाते हुए - टाँगे चौड़ी कर ले माँ.. मैं शुरु कर रहा हूँ..
सुमन टाँगे फैलाती हुई - धीरे धीरे करना बेटा.. अभी भी दर्द बाकी है..
गौतम लंड को आधा बाहर निकालकर वापस अंदर डाल देता है औऱ अब ऐसे ही सुमन को चोदने लगता है..
गौतम चोदते हुए - आज किसी रहम की उम्मीद मत कर मुझसे सुमन..
सुमन खुलकर मादक सिसकियाँ भरती हुई - अह्ह्ह्ह... अह्ह्ह्ह.... अह्ह्ह्ह... गौतम.. आह्ह.. अह्ह्ह्ह... बेटा धीरे... अह्ह्ह्ह... गौतम... अह्ह्ह्ह अह्ह्ह.. आराम से बेटा.. अह्ह्ह्ह.. दर्द हो रहा है.. अह्ह्ह्ह... गौतम... अह्ह्ह्ह... bbc-porn-gif-46
दिन के तीन बजे का समय था जब गौतम ने सुमन को खंडर के उस कमरे में चोदना शुरु किया औऱ खाट पर लेटाकर मिशनरी में सुमन की चुत की खुदाई शुरु कर दी.. गौतम पुरे जोश में धक्के पर धक्के मारता हूँ सुमन को चोद रहा था औऱ सुमन गौतम का लंड झेलती हुई किसी कुत्तिया की तरह उसके सीने में अपने नाख़ून गड़ाकर दहाड़े मार मार चिल्ला रही थी औऱ गौतम से आराम से चोदने की गुहार लगा रही थी मगर गौतम अपनी माँ को ऐसे चोद रहा जैसे वो कोई बाज़ारू रांड हो.. गौतम के मन कोई पछतावा औऱ दुख नहीं था वो आज सुमन की चुत पर अपने लंड की सील लगा देना चाहता था औऱ उसके लिए पूरी जोशओखरोश से सुमन को चोद रहा था..
मिशनरी पोज़ में गौतम के मारे हर एक झटके पर सुमन ऊपर से नीचे तक पत्ते की तरफ फड़फड़ाती हुई हिल रही थी औऱ चीखते हुए आह्ह कर रही थी....
गौतम चोदते हुए - औऱ जोर से चिल्ला माँ.. यहां तेरी कोई नहीं सुनने वाला..
सुमन चिल्लाते हुए - आराम से गौतम.. अह्ह्ह्ह.. अह्ह्ह्ह... माँ हूँ तेरी.. अह्ह्ह्ह... धीरे... आराम से..
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गौतम सुमकी दोनों टांग अपने कंधे पर रखकर चुत में ताबड़तोड़ झटके मारते हुए - माँ के साथ दुल्हन भी तो है तू मेरी सुमन.. झटके तो ऐसे ही पड़ेगे तेरी चुत में मेरी जान.. जितना जोर से चिल्लाना है चिल्ला..
सुमन सिसकती हुई हाथ जोड़कर - अह्ह्ह्ह... गौतम.. भगवान के लिए.. आराम से बेटा.. मेरे वापस दर्द होने लगा है.. चुत में.. धीरे चोद मुझे.. धीरे चोद बेटा..
गौतम जब सुमन को हाथ जोड़ता देखता है तो वो सुमन के दोनों हाथ अपने हाथ में पकड़ लेता है औऱ जोर से पूरी रफ़्तार से झटके मारने लगता है जिससे सुमन कुतिया की तरह अह्ह्ह... अह्ह्ह.. करती हुई गला फाड़ फाड़ कर चिल्ला है.. औऱ गौतम को देखकर रोने जैसा मुंह बनाकर चुदती है..
सुमन - अब नहीं गौतम.. अब नहीं.. बहुत दर्द हो रहा है. अह्ह्ह्ह... छोड़ मुझे.. आराम से.. गौतम...
गौतम हाथ छोड़कर सुमन की चुत से लंड निकाल लेता है औऱ सुमन की गांड पकड़ कर उसे पलटकर खाट पर अपने आगे घोड़ी बना लेता है औऱ मजबूती से उसकी कमर थाम कर लंड वापस चुत में घुसा देता है जिससे वापस सुमन की आह्ह निकल जाती है.. इस बार चुत औऱ लंड के मिलन की मधुर आवाज से कमरा औऱ खंडर का कुछ हिस्सा गूंजने लगता है..
सुमन - अह्ह्ह.. गौतम.. अह्ह्ह्ह...
गौतम सुमन की कमर पकड़कर चुदाई के मीठे झटके मारता हुआ - अब मज़ा आ रहा है ना माँ? अब तो दर्द नहीं हो रहा ना तेरी चुत में?
सुमन घोड़ी बनी हुई - अह्ह्ह.. बेटा.. आह्ह... अह्ह्ह्ह.. गौतम आराम से... अह्ह्ह.. आराम से.. ऐसे ही.. धीरे धीरे... अह्ह्ह्ह...
गौतम - अब तो नहीं रोकेगी ना माँ मुझे अपनी इस चुत की सवारी करने से
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सुमन - नहीं ग़ुगु... तू ऐसे ही प्यार से करता रह बेटा.. बहुत मज़ा आ रहा है.. सालों बाद आ जाकर मुझे ठंडक मिल रही है.. अह्ह्ह्ह...
गौतम सुमन के बाल अपनी मुट्ठी में भींचकर पीछे से झटके मारते हुए - बहुतो को चोदा माँ.. पर तेरे जैसी कोई नहीं.. परफेक्ट अरेबियन घोड़ी है तू.. तेरी सवारी करने में लंड को मज़ा आ रहा है..
सुमन - ऐसे ही चोद अपनी माँ को घोड़ी बनाके गौतम.. आह्ह.. चोद मुझे..
गौतम सुमन की बात सुनकर चोदने की स्पीड बढ़ा देता है औऱ रफ़्तार से सुमन की चुत मारने लगरा है..
सुमन - अह्ह्ह.. गौतम.. आराम से दर्द हो रहा है आह्ह.. बेटा.. धीरे...
गौतम सुमन की बात नहीं सुनता औऱ झटके मारता हुआ सुमन के बाल खींचकर मज़े से उसकी चुदाई करता है औऱ सुमन अह्ह्ह करती हुई जोर से चिल्लाने लगती है..
सुमन - गौतम दर्द हो रहा है... आह्ह... धीरे कर.. अह्ह्ह.. आराम से कर गौतम...
गौतम सुमन के बाल छोड़कर उसकी कमर में हाथ डालकर आगे से उसका पेट पकड़ लेता है औऱ उसे अपने ऊपर लेते हुए खुद खाट पर पीठ के बल लेट जाता है औऱ सुमन की चुत में नीचे से धक्के पर धक्के मारते हुए उसकी चुत के दाने को रगडकर मसलने लगता है..
सुमन पूरी कामुकता की नदी में बहती हुई - अह्ह्ह्ह.. बेटा.. उम्म्म्म... अह्ह्ह्ह.... ऐसे ही... अह्ह्ह्ह... चोद गौतम.. उम्म्म्म... अह्ह्ह्ह... उह्ह....
गौतम - मज़ा आ रहा है ना माँ?
सुमन - बहुत मज़ा आ रहा है बेटा.. ऐसे ही चोद अपनी माँ..
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गौतम सुमन के चुचे पर हाथ रखते हुए - माँ तेरे चुचे कितने तेज़ हिल रहे है..
सुमन - मेरे कहा है बेटा. अब सब तेरा है.. मेरा चुचा मेरी चुत औऱ मैं.. सब.. तेरी है...
गौतम रफ़्तार से झटके मारते हुए चुत के दाने को ऊँगली से तेज़ रगढ़ता है औऱ सुमन को चोदता है..
सुमन मादकता भरी सिस्कारी लेती हुई झड़ जाती है औऱ साथ में तेज़ तेज़ धार निकाल कर चुत से मूत भी देती है जिसमे गौतम का हाथ मूत से गिला हो जाता है औऱ उसका लंड बाहर निकल जाता है..

गौतम का लंड अब भी तनकर योद्धा की तरह खड़ा था औऱ सुमन झड़कर गोतम के सीने के ऊपर से हटकर खाट से उतरती हुई खड़ी होने की कोशिश में लड़खड़ा कर फर्श पर गिर जाती है औऱ खाट पकड़कर वापस खड़ी होने की कोशिश करने लगती है मगर बहुत जोर लगाने पर भी हिलती हुई टांगो से खड़ी होकर काँपती हुई खाट पर वापस बैठ जाती है.. चुदाई में लगी मेहनत औऱ बहे पसीने से शराब का नशा उतरकर पूरा हल्का हो चूका था..
सुमन गौतम को देखती हुई शिकायत भरी आवाज में - प्यार से भी तो कर सकता है तू..
गौतम शराब के दो लार्ज़ पेग बनाकर एक पेग सुमन को देदेता है औऱ दूसरा खुद पिने लगता है.. शराब का पेग ख़त्म होने के बाद गौतम फिर से सुमन को पकड़ लेटा है औऱ खड़ा होते हुए खाट से उतरकर सुमन को अपने आगे झुका लेता औऱ चुत में लंड घुसाकर हलके झटके मारता हुआ उसे चोदता हुआ खिड़की के पास ले आता है जहा से बाहर जंगल का नज़ारा दिख रहा था.. सुमन होने दोनों हाथ खींडकी की दिवार पर रख देती है औऱ पीछे से गौतम सुमन को वापस चोदने लगता है..
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सुमन - एक घंटा हो गया गौतम.. तूने मुझे चोद चोद कर थका दिया.. तेरा कब निकलेगा? अब तक मैं 2 बार झड़ चुकी हूँ.. तू कब झडेगा बेटा..
गौतम पीछे से झटके मारते हुए - इतनी भी क्या जल्दी है माँ.. कितना इंतजार किया है तेरी चुत का.. बहुत सब्र किया है मैंने.. चोदने दे आराम से मुझे...
सुमन - एक ही बार में चोद चोद कर मेरी चुत को ढीली कर देगा क्या?
गौतम सुमन को दोनों हाथ पकड़ कर लंड के झटके मारते हुए - ढीली हो गई तो टाइट करनी मुझे आती माँ.. तू चिंता मत कर.. मेरे लंड को तेरी चुत का नशा हो गया है.. अब ये किसी की बात नहीं सुनने वाला..
सुमन - अह्ह्ह्ह गौतम.. आराम से... अह्ह्ह्ह... उफ्फ्फ.. देख सामने पेड़ पर बन्दर हमें कैसे देख रहा है.. अह्ह्ह्ह...
गौतम सुमन को चोदते हुए बन्दर से चिल्लाकर कहता है - क्या देख रहा है साले.. माँ है मेरी... है ना सेक्सी? बिलकुल सनी लियॉन जैसी... देख साले मेरी माँ के चुचे पर ये टैटू.. है ना मस्त..
सुमन चुदते हुए हलकी सी हस्ती हुई - गौतम.. पागल हो गया क्या तू? बन्दर से क्या बात कर रहा है..
गौतम रफ़्तार में आता हुआ - जो तू सुन रही है माँ..
सुमन - अह्ह्ह्ह... आराम से गौतम.. दर्द होता है जब तू रफ़्तार से चोदता है.
गौतम सुमन के बाल खींचकर - आदत डाल ले माँ...
सुमन - अह्ह्ह.. रंडी की औलाद... धीरे.. आराम से..
गौतम सुमन को अपनी तरफ पलटकर गोद में उठाकर चोदता हुआ - तुझे रोज़ सपनो में इसी तरह गोद में उठा उठाके चोदता था माँ.. अब जाकर हुई है मेरी ख्वाहिश पूरी..
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सुमन अपने दोनों हाथ गौतम के गले में डालकर नीचे से गौतम के झटके खाती हुई - पहली बार ऐसा मज़ा आ रहा है बेटा... अह्ह्ह.. मैं तो फिर से झड़ने वाली लगती हूँ.. अह्ह्ह्ह... अह्ह्ह्ह.. उफ्फ्फ.. अह्ह्ह...
गौतम - पसंद आया ना माँ तुझे मेरा लंड?
सुमन - मैं तो दिवानी हो गई बेटा.. तेरे लंड की.. अब तो तुझे हरदम खुश रखूंगी.. अह्ह्ह्ह... गौतम.. आई love you.. मेरे शहजादे...
गौतम - आई love you too मेरी शहजादी...
सुमन - अह्ह्ह.. गौतम मेरा होने वाला है वापस...
गौतम सुमन को खाट पर पटककर चोदता हुआ - बस माँ.. मैं भी झड़ने वाला हूँ.. आज तेरी चुत को मैं अपने वीर्य से इतना भर दूंगा कि नो महीने बाड़ तू मेरा बच्चा पैदा करेगी..
सुमन - भर दे मेरे शहजादे.. डाल दे होना माल होनी माँ की चुत में.. झड़ जा..
गौतम गाना गाता हुआ - माँ तेरी जांघो का पसीना बन गया तेल चमेली का.. ओ माँ तेरी जांघो का पसीना बन गया तेल चमेली का..
सुमन चुदवाते हुये हस्ती हुई गाती है - बेटा चोद दे अपनी माँ को खाके गुड़ बरेली का.. ओ बेटा चोद दे अपनी माँ को खाके गुड़ बरेली का..
गौतम - माँ तेरी मोटी मोटी गांड तू रांड बन जा कोठा पे.. ओ माँ तेरी मोटी मोटी गांड तू रांड बन जा कोठा पे..
सुमन - बेटा रांड भी बन जाउंगी तू आजा चोदने कोठे पे.. ओ बेटा रांड भी बन जाउंगी तू आजा चोदने कोठे पे..
गौतम चुत में लंड धीरे धीरे हिलता हुआ - माँ तू मत दबवाये बोबा ब्लाउज हो जाएगा टाइट रे.. ओ माँ तू मत दबवाये बोबा ब्लाउज हो जाएगा टाइट रे..
सुमन झड़ते हुए - बेटा तू मुंह लगा के चूस दे बोबा कर दे ढीला रे.. ओ बेटा तू मुंह लगा के चूस दे बोबा कर दे ढीला रे..
गौतम झड़ते हुए - माँ तेरी चुत में लंड घुसाते ही निकली पिचकारी की धार.. ओ माँ तेरी चुत में लंड घुसाते ही निकली पिचकारी की धार..
सुमन गौतम के होंठ पकड़कर चूमती हुई - चोद के अपनी माँ को तू खुश है ना मेरी यार..
गौतम सुमन की चुत में लंड डाल के लेटा हुआ - बहुत खुश माँ..


दिन के पांच बज चुके थे.. गौतम औऱ सुमन अब खाट पर एक साथ ऊपर नीचे लेटे हुए एकदूसरे को देख रहे थे..
सुमन - शाम होने वाली है गौतम.. अब घर ले चल मुझे..
गौतम - इतनी जल्दी क्या है माँ.. अभी वक़्त है..
सुमन - खंडर है बेटा.. कोई आ गया तो अनर्थ हो जाएगा..
गौतम - कुछ नहीं होगा माँ.. कोई नहीं आने वाला.. औऱ ये बार बार अपनी चुत को कपडे से ढकना बंद कर.. खुला छोड़ दे इसे..
सुमन चुत सहलाती हुई - कितनी बेरहमी से चोदा है तूने मेरी चुत को.. फूलकर लाल हो गई है बेचारी.. मैं तेरी कितनी परवाह करती हूँ मगर तुझे जरा भी तरस नहीं आता मुझपर...
गौतम शराब डालकर पेग बनाते हुए - आता है पर क्या करू माँ.. तेरे बदन का नशा ऐसा है कि बहक जाता हूँ..
सुमन सिगरेट उठाकर सुलगाती हुई कश लेकर - अभी तो तूने मुझे डेढ़ घंटा चोदा है औऱ वापस तेरा लंड खड़ा हो गया..
गौतम पेग पीकर सुमन के होंठों पर लगी सिगरेट का एक कश लेकर सिगरेट फेंक देता है औऱ सुमन की टांग फिर से चौड़ी करके लंड घुसाने लगता है...-
सुमन अजीब ओ गरीब हाव भाव चेहरे पर लाकर - गौतम अब नहीं.. बहुत दर्द होगा.. अब नहीं.. दुखेगा.. बेटा... अह्ह्ह्ह... गौतम.. अह्ह्ह्ह..
गौतम लंड घुसाके चोदना शुरु करते हुए - उफ्फ्फ माँ तेरा ये नखरा.. कहीं मेरी जान ही ना लेले..
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सुमन - जान तो तू मेरी लेने पर तुला हुआ है.. मैंने हां क्या की तूने तो रंडी ही समझ लिया.. कैसे नॉनस्टॉप चोदे जा रहा है...
गौतम सुमन की कमर में एक हाथ डालकर उसे गोद में उठा लेता है औऱ खाट से खड़ा होता हुआ शराब की आधी खाली बोतल को दुसरे हाथ में उठाकर सुमन को लंड पर उछालकर चोदता हुआ शराब के घूंट लगाते हुए खंडर के उस कमरे से बाहर आ जाता है औऱ सीढ़ियों से ऊपर छत की ओर चला जाता है.. जहा खुले आसमान के नीचे गौतम नंगा अपनी नंगी माँ को अपने लंड पर उछाल उछाल कर चोदता हुआ शराब की बोतल से शराब के घूंट लगाता है..

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सुमन गौतम लंड पर उछलते हुए - अह्ह्ह्ह.. हे भगवान.. अह्ह्ह... उफ्फ्फ.. केसा बेटा पैदा किया है मैने.. मुझे रंडियो की तरह खुले में लंड पर उछालते हुए चोदकर शराब पी रहा है..
गौतम सुमन के सर पर बोतल से शराब ढ़ोलता हुआ बोतल खाली कर देता है ओर कहता है - माँ तूने मर्द पैदा किया है.. मर्द...
सुमन लंड पर उछलती हुई - हाँ हां.. अह्ह्ह.. मान गई तू मर्द है.. अह्ह्ह्ह.. अब चल यहां से..
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गौतम खाली बोतल फेंक कर सुमन को लंड पर से नीचे उतार देता है मगर सुमन खड़ी भी नहीं हो पाती ओर गौतम का सहारा लेकर नीचे बैठने लगती है मगर गौतम सुमन को पलट कर अपने आगे झुका लेटा है ओर सुमन की गांड के चुत पर थूक लगा कर अपने लंड सेट करते हुए कहता है..
गौतम नशे में - आखिरी बार गांड कब मरवाई थी तूने?
सुमन अपनी गांड पर लंड महसूस करके गौतम को गांड चोदने से रोकने ही वाली होती है की गौतम उसकी कमर पकड़कर गांड के छेद में थूक लगाकर लंड का इतना जोरदार झटका देता है की लंड आधा गांड में घुस जाता है ओर सुमन पूरी ताकत से चिल्लाती है - गौतम मादरचोद...
सुमन की चीख सुनकर गौतम हसते हुए गांड में धक्के पर धक्का देकर चोदते हुए चिल्लाता है - सुमन बेटाचोद...

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सुमन गांड मरवाते हुए - गौतम मेरी गांड के साथ खिलवाड़ मत कर...
गौतम नशे में - खिलवाड़ कहा कररहा हूँ माँ.. मैं चोद रहा हूँ.. गांड भी एक नम्बर है तेरी तो.. अह्ह्ह..
सुमन पूरी आवाज के साथ चिल्लाती हुई सिसकियाँ लेकर - अह्ह्ह्ह.. अह्ह्ह्ह.. गौतम.. नहीं.. अह्ह्ह.. गौतम.. छोड़ दे मेरी गांड..
गौतम - चोद के छोड़ दूंगा माँ.. क्यों परेशान हो रही हो..
सुमन - बहुत दर्द हो रहा है बेटा..
गौतम गांड में झेटके पे झेटके मारता हुआ - माँ तू मेरी लिए नहीं सह सकती थोड़ा दर्द..
सुमन गांड मरवाती हुई - तू बहुत बड़ा मादरचोद है गौतम..
गौतम गांड मारता हुआ - तूने ही तो मादरचोद बनाया है माँ.. अब तुझे तेरा ये मादरचोद मुबारक हो..
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शाम के छः बजने वाले थे ओर खंडर की छत ओपर गौतम सुमन की अच्छे से गांड मारके उसे लंड चूसा रहा था..
सुमन लंड चुस्ती हुई - कब निकलेगा तेरा.. चुत ओर गांड के बाद अब मुंह भी दुखने लगा है.... मुझे अब डर भी लगने लगा है यहां..
गौतम - डरने की क्या बात है सुमन? तेरा बेटा है ना तेरे साथ.. तू बस मेरी लंड की सेवा कर बाकी सब भूल जा...
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सुमन लंड को गले तक लेकर जोर जोर से चुस्ती हुई गौतम को देखती है ओर उसके आंड भी हाथ से सहलाती है जिससे गौतम झड़ने के मूंड में आ जाता है ओर सुमन के मुंह से अपना लंड निकलकर हिलाते हुए सुमन के मुंह पर अपने वीर्य की धार मार कर झड़ जाता है..

अपनी माँ के मुंह पर लंड से वीर्य के गाढ़ी पिचकारी की धार मारने के बाद गौतम थोड़ा ठंडा हुआ ओर उसने सुमन की एक चूची पकड़कर उसे खड़ा करते हुए अपने कंधे पर उठा लिया और खंडर की छत से नशे में झूलते हुए कदमो की साथ वापस उसी कक्ष में आ गया जहा चुदाई का शुभारम्भ हुआ था..
गौतम ने सुमन को खाट पर पटक दिया और सुमन खाट पर आते ही आस पास बिखरे अपने कपड़ो को समेटकर बिना खाट से उतरे एक तरफ करने लगी..
गौतम नशे में चूर था उसने अपना लंड अपने हाथ में थाम लिया और खाट पर बैठकर कपडे समेटती हुई अपनी माँ की मुंह पर लंड से निशाना लगाकर मूतना शुरु कर दिया..
गौतम की मूत की धार सीधी सुमन की माथे की बिंदिया पर पड़ी फिर उसके चेहरे की बाकी हिस्सों पर.. सुमन ने जब देखा की उसका बेटा एक हाथ से अपना लंड पकड़ कर उसके ऊपर मूत रहा है वो कपड़ो को एक गिला होने की डर से एक तरफ रख देती है और अपने चेहरे से होकर अपने बदन पर पडती मूत की धार को अनदेखा करके आगे बढ़ते हुए अपने हाथ से गौतम का लंड पकड़ कर झट से अपने मुंह में भर लेती है और उसका मूत पिने लगती है...

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गौतम अपनी माँ की मुंह में मूत देता है और सुमन उसका मूत आसानी पी जाती है और पिने की बाद उसके लंड को साफ करके उसे कपडे देते हुए पहनने को कहती है और खुद भी पहनने लगती है..

सुमन फ़िक्र से - तूने ब्लाउज फाड़ दिया अब क्या पहनू मैं?
गौतम नशे में - आजकल ब्लाउज के साथ साड़ी नहीं पहनते माँ.. ब्रा के साथ पहनते है.

गौतम जीन्स शर्ट पहनकर सुमन की पास खाट पर बैठ जाता है और सुमन खाट पर घुटने की बल खड़ी हुई साडी बाँधने लगती है खड़े होने पर उसके पैर काँप रहे थे और चलने में उसे दर्द महसूस हो रहा था सुमन बार बार गौतम को शिकायत भरी नज़रो से देख रही थी और गौतम नशे की सुरूर में अपनी ही दुनिया में खोया था उसे जो सुकून और संतुष्ट सुमन ने आज दे दी थी उसका परिणाम था की गौतम को अब और किसी की याद नहीं आ रही थी..

सुमन खाट से उतरकर चलने को हुई तो लड़खड़ा गई और गौतम की तरफ गिरते हुए उसे पकड़ लिया गौतम समझ चूका था कि सुमन अब कुछ दिनों तक ठीक से चल नहीं पाएगी उसने सुमन को अपनी गोद में उठा लिया और खंडर से बाहर कार में लाकर बैठा दिया.. एक पल की लिए उसे लगा कि कोई उसे देख रहा है मगर जब उसने पीछे देखा तो वहा कोई नहीं था.. गौतम भी सुमन के साथ कार में बैठ गया और अंधेरा होते होते दोनों खंडर से निकल कर घर की लिए चल दिये..

सुमन की चुत और गांड में भले ही दर्द अब तक हो रहा था मगर उसके दिल में एक सुकून और संतुस्टी से घुला हुआ मीठा मीठा अहसास भी था वो गौतम को देखकर मुस्कुराते जा रही थी अब उसे गौतम में बेटे के साथ साथ अपने हवस मिटाकर प्यार देने वाला मर्द भी नज़र आ रहा था..
गौतम ने कार चलाते हुए बार बार रोककर रास्ते में कई बार उल्टिया की हाईवे पर पहुंचते पहुंचते उसका नशा कम हो चूका था गौतम ने सुमन की साथ एक शिकंजी वाले की पास गाडी रोककर 2-3 गलास निम्बू पानी भी पिया जिससे उसका नशा शहर में पहुंचते पहुंचते बिलकुल हल्का हो चूका था...
सुमन ने चुत देकर गौतम का दिल चुरा लिया था वो रास्ते में जहा भी चाट पकोड़ी की दूकान देखती गौतम से कहकर गाडी रुकवाती और बिना गाडी से उतरे मज़े ले लेकर चाट खाती.. सुमन ने साड़ी से बदन इस तरह ढक लिया था कि किसीको उसके ब्लाउज न पहने का पता नहीं चल सकता था.. Cरास्ते में दोनों ने सुमन की पसंद की अलग अलग चाट खाई और एक दूसरे की साथ प्यार भरी बातें करते हुए खाना एन्जॉय किया..


Next on 60 liks ❤️
Good मॉर्निंग नेस्ट अपडेट bhai
 

Dhakad boy

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Ekdum mast aur shandar update
To Gautam ne apni ma ko ek randi ki tarah chod diya or sath me gand bhi paad dhi
Dekte hai ab aage ganv me kya hota hai
 
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