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Ajju Landwalia

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Update 22

शाम के पांच बज चुके थे होटल की छत पर गौतम सुमन का बेसब्री से इंतजार कर रहा था. सुमन भी छत पर आने के लिए निकल चुकी थी गौतम यह सोच रहा था कि वह आज अपनी मां से अपने प्यार का इजहार कर देगा और उसे अपनी दुल्हन बनाने का प्रस्ताव रखेगा. गौतम यह जानता था कि जो वह करने जा रहा है इसमें उसे सफलता नहीं मिलने वाली है लेकिन वह फिर भी एक बार सुमन को अपने प्यार का इजहार करके मानना चाहता था और चाहता था कि सुमन उसे अपने प्रेमी के रूप में अपना ले.. अब तक जो सुमन और गौतम के बीच में हो रहा था वह केवल सुमन के मातृत्व प्रेम के कारण हो रहा था जिसमें वह गौतम को अपना बेटा मानकर सब कुछ कर रही थी भले इसमें उसे आनंद और काम संतुस्टी की प्रति हो रही थी लेकिन वह अब तक गौतम को अपने प्रेमी के रूप में स्वीकृत नहीं कर पाई थी ना ही उसे यह अधिकार दिया था कि गौतम उसके पूरे शरीर पर अधिकार जताये..


सुमन का नारीत्व और काम इच्छा उफान पर थी जिसे वो गौतम के साथ शांत कर लेती थी मगर इस अधूरी शांति से गौतम और सुमन दोनों ही काम के शिखर पर पहुंच कर उस अद्भुत और अतुल्य सुख से वंचित ही रहे जिसे पाना दोनों के मन में लंबित था. सुमन अपने मन की आखिरी दीवार को नहीं गिराना चाहती थी. सुमन चाहती थी कि गौतम की हर इच्छा और हर मनोकामना पूरी हो लेकिन वह खुद इसके लिए अपनी चुत की कुर्बानी देने को तैयार नहीं थी. सुमन अब यही चाहती थी कि जैसे गौतम और सुमन के बीच एक रिश्ता कायम हो चुका है वह इस तरह कायम रहे और अब सुमन ना तो इससे आगे बढ़ना चाहती थी और ना ही इससे पीछे हटाना चाहती थी.


गौतम ने भी अपने मन में ये तय कर लिया था कि वह सुमन को किसी भी शर्त पर अपना बना कर रहेगा और उसके लिए वह आज पहली-पहल कर देगा. भले इसमें उसे सफलता मिले या वह असफल रहे. गौतम अब मन ही मन सुमन को पाने की चाहत में जलने लगा था और उसे आप सुमन को भोगने की इच्छा पूरी उफान ले चुकी थी. मगर वह इस बात से भली-भांति परिचित था की सुमन को भोगना और उसे पाना इतना आसान नहीं होगा और जो दीवार सुमन ने अपने मन में उसके और खुद के बीच में बना रखी है उसे गिराना भी आसान नहीं होगा. दोनों के बदनों के मिलन के बीच सुमन ने अपने मन में उसके औऱ गौतम के रिस्ते को रोड़ा बना लिया था जिसे दूर करना आसान नहीं था. मगर गौतम ने ये तय कर लिया था जो किसी भी तरह से उसके मन से इस दीवार को गिरा कर रहेगा और उसे अपना बना कर रहेगा इसके लिए भले ही उसे कुछ भी करना पड़े. गौतम और सुमन के बीच सब कुछ हो रहा था मगर बाकी था वही सबसे जरूरी था और वहीं गौतम करना चाहता था मन ही मन सुमन भी ऐसा ही चाहती थी मगर उसने अपने मन में रिश्ते की दीवार को बीच में खड़ा कर दिया था जिसे वह नहीं गिराना चाहती थी.


सुमन अकेली चुपके चुपके सीडीओ से होती हुई छत के दरवाजे तक आ पहुंची.. सुमन के मन में अजीब अजीब ख्याल आ रहे थे और अजीब सवाल वह अपने आप से पूछ रही थी जिसके जवाब खुद ही अपने आप को देती हुई वह छत के दरवाजे पर खड़ी हुई थी गौतम भी सुमन के इंतजार में छत के कोने में खाली पड़ी की जगह पर खड़ा हुआ सुमन का इंतजार कर रहा था उसके मन में भी कई बातें चल रही थी जिसे वह सोचकर सही और गलत तय करने में लगा हुआ था. गौतम ने सुमन को छत के दरवाजे पर खड़ा हुआ देख लिया और सुमन की नजर भी गौतम से मिल गई. गौतम ने सुमन को इशारे से अपने पास आने के लिए कहा औऱ सुमन गौतम के पास धीरे धीरे कदमो से चली आई..


गौतम ने उसी नज़र से अपनी माँ के बदन को ऊपर से नीचे तक देखा जिस तरह वो बाकी लड़कियों औऱ औरतों को ताड़ता था. सुमन इस नज़र को अच्छे से समझ गई थी मगर काम के भाव से भारी हुई सुमन को इस नज़र का बुरा कतई नहीं लगा.. गौतम ने सुमन की कमर में हाथ डालकर उसे अपने सीने से लगाकर बाहों में भर लिया औऱ फिर अपने होंठों से सुमन के होंठ मिलाकर जंग शुरू कर दी.. इस जंग में दोनों ही एक दूसरे को हराने के लिए भर्षक प्रयास कर रहे थे और एक दूसरे के लबों को चूमते हुए खींच कर काटते हुए ऐसे चुम रहे थे जैसे उनके बीच ये प्यार का पहला चुम्बन हो..

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गौतम ने चुम्बन के दौरान एक जोरदार थप्पड़ सुमन की गांड पर मारा औऱ फिर उसकी गांड को जोर से मसलते हुए इतना तेज़ दबाया की सुमन चुम्बन तोड़कर सिसक उठी औऱ गौतम को शिकायत की नज़र से देखते हुए बोली..

सुमन - आराम से ग़ुगु.. माँ को दर्द होता है ना.

गौतम - ग़ुगु नहीं सुमन.. गौतम.. मुझे गौतम कहकर पुकारो.. मैं अब आपके इन गुलाबी होंठों से अपना नाम सुनना चाहता हूँ..

सुमन हैरानी से - तू क्या कह रहा है ग़ुगु औऱ मुझे नाम से क्यों बुला रहा है.. मैं तेरी माँ हूँ.. तू भूल गया है क्या?

गौतम - मुझे सब याद है सुमन.. (अपना हाथ सुमन की चुत पर रखते हुए) आपने 20 साल पहले मुझे अपनी इसी चुत से निकाला था.. आपने इन 20 सालों में जितना मुझे प्यार किया है उतना शायद कोई औऱ कभी ना कर पाए.. मेरी ख़ुशी के लिए आप मेरे सामने नंगी तक हो गई.. मेरी हर ज़िद पूरी की मगर अब सुमन.. मैं आपको खुश रखना चाहता हूँ.. प्यार करना चाहता हूँ.. मैं चाहता हूँ आप मुझे नाम से बुलाओ.. हर शाम घर पर मेरा इंतज़ार करो औऱ जब मैं काम से वापस आउ तो आप मुझसे लिपटकर अपने होंठ मेरे होंठ पर रख दो.. मुझे गौतम ज़ी कहकर बुलाओ.. बिलकुल जैसे आप पापा को बुलाती थी..

सुमन - तू पागल हो गया है क्या गौतम? ये सब क्या बकवास कर रहा है.. तू अच्छी तरह जानता है मैं तेरे साथ ये सब नहीं कर सकती.. माँ हूँ मैं तेरी औऱ तू मेरा ग़ुगु.. समझा?

गौतम - आप सब करोगी सुमन.. मुझे यक़ीन है मेरी मोहब्बत आपको ये सब करने पर मजबूर कर देगी.. आप मुझे अपने दिल में वही जगह दोगी जो जगह तुमने पापा की दी थी..

सुमन गौतम के सामने घुटनो पर बैठकर उसकी पेंट खोलते हुए - तू ये मुझे चिढ़ाने के लिए बोल रहा है ना? पर मैं नहीं चिढ़ने वाली समझा? मैं अभी तुझे चूसकर ठंडा कर देती हूँ फिर तेरा सारा भुत उतर जाएगा औऱ तू फिर से मुझे सुमन नहीं माँ कहकर बुलायेगा..

गौतम कंडोम देते हुए - लो सुमन.. बिना कंडोम तुम्हे उल्टी हो जायेगी..

सुमन कंडोम लेकर फेंक देती है औऱ गौतम का लंड हाथ में पकड़कर उससे कहती है - उल्टी होती है तो हो जाए.. तुझे बिना कंडोम के अच्छा लगता है मैं उसी तरह तुझे खुश कर देती हूँ..

ये कहकर सुमन गौतम के लंड को मुंह में भरकर चूसने लगी औऱ गौतम सुमन को प्यार से देखता हुआ उसके सर पर हाथ फेरने लगा..

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गौतम - जानती हो सुमन जब आप सुबह नाच रही तब मेरा दिल आपको देखकर क्या कह रहा था मुझसे? मेरा दिल कह रहा था कि मैं आपको अपनी दुल्हन बना लू.. औऱ जो सुख पापा आपको सालों से नहीं दे पाये वो सुख मैं आपको हर रात दू.. सुबह तो मैंने अपनी खुली आँखों से हमारे बच्चों तक के नाम सोच लिए थे.. लड़का हुआ तो निखिल लड़की हुई तो निकिता..

सुमन लंड को पूरी मेहनत औऱ काम कला के साथ चूस रही थी मगर गौतम कि बात सुनकर वो बोली..

सुमन मुंह से लोडा निकालकर - गौतम तूने अब एक औऱ शब्द अपने मुंह से निकाला तो अच्छा नहीं होगा.. मैं तेरी माँ हूँ और माँ ही रहूंगी.. मुझे अपनी दुल्हन बनाने का ख्याल अपने दिल औऱ दिमाग से निकाल दे..

गौतम - मैं आप से प्यार करता हूँ सुमन..

सुमन - जितना तू मुझसे करता है उससे कहीं ज्यादा प्यार मैं तुझसे करती हूँ बेटू..

गौतम - सुमन मैं आपको अपनी माँ नहीं अपनी दुल्हन की तरह प्यार करता हूँ..

सुमन - ये ज़िद छोड़ दे ग़ुगु.. ये मुमकिन नहीं है.. मैं तुझे कभी भी वो सब नहीं दे सकती..

ये कहकर सुमन गौतम के लंड को वापस मुंह में भर लेती है औऱ चूसने लगती है

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मगर अब गौतम सुमन के मुंह से अपना लंड निकाल लेता है औऱ अपनी पेंट पहनने लगता है लेकिन सुमन गौतम के हाथ पकड़ कर उसे पेंट पहनने से रोक देती है औऱ कहती है.

सुमन - गौतम ये ज़िद छोड़ दे.. मैंने तेरी हर बात मानी है मगर ये बात मैं नहीं मान सकती.. तू चाहता है मैं अपनी ही नज़रो में गिर जाऊ? कभी खुदसे आँख भी ना मिला पाउ? कैसी जिद पर तू अड़ गया है गौतम.. तू चाहता है तो मैं आज से तुझे तेरे नाम से बुलाऊंगी.. तेरे मुंह से माँ की जगह सुमन भी सुन लुंगी.. मगर ये ज़िद छोड़ दे मेरे शहजादे..

गौतम सुमन से अपने हाथ छुड़वाकर अपनी पेंट पहन लेता है औऱ छत की रेलिंग के पास जाकर सुमन से कहता है..

गौतम - आप नीचे जाओ माँ.. मुझे अब आपसे कुछ नहीं चाहिए.. शादी एन्जॉय करो..

सुमन अपने घुटनो पर से पैरो पर खड़ी हो जाती है औऱ गौतम के पास आकर अपने ब्लाउज में सिगरेट का पैकेट निकालकर एक सिगरेट गौतम के होंठों पर लगा देती है औऱ लाइटर से जलाते हुए कहती है..

सुमन - मुझे माफ़ कर दे गौतम मैं तेरी ये इच्छा पूरी नहीं कर सकती.. तू चाहे तो मुझे अभी नंगा कर दे मैं उफ़ तक नहीं करुगी मगर मेरे शहजादे अपनी माँ को इस तरह जलील मत कर..

गौतम सिगरेट का एक लम्बा कश लेकर अपनी माँ के मुंह पर धुआँ छोड़ते हुए - माफ़ तो आप मुझे कर दो माँ.. मैं हमारे रिस्ते को भूल गया था.. पर अब आप भरोसा रखो मैं आपसे इस बारे में कुछ नहीं कहने वाला...

सुमन मुस्कुराते हुए गौतम के लंड पर पेंट के ऊपर से हाथ रखते हुए - चल गौतम.. मैं अपने छोटे ग़ुगु को थोड़ा प्यार कर लेती हूँ.. नीचे ना सही ऊपर से तो मैं तेरी हर ख्वाहिश पूरी कर सकती हूँ..

गौतम सिगरेट का कश लेकर सुमन का हाथ लंड पर से हटाते हुए - रहने दो माँ.. छोटा ग़ुगु सो चूका है.. आप जाओ नीचे..

सुमन गौतम के हाथ से सिगरेट लेकर कश लेती है औऱ गौतम के लंड को इस बार जोर से हाथों में पकड़कर मसलते हुए गौतम से कहती है..

सुमन - छोटे ग़ुगु को नींद से जगाना औऱ खड़ा करना मुझे अच्छे से आता है.. तू फ़िक्र मतकर मैं छोटे ग़ुगु को खुश करने में ज्यादा वक़्त नहीं लगाउंगी..

सुमन कहते हुए अपने घुटनों पर बैठ जाती है गौतम की पेंट उतारने लगती है लेकिन गौतम सुमन के हाथों से अपनी पेंट छुड़वाते हुए उसे कहते हैं..

गौतम - मन नहीं माँ.. रहने दो..

सुमन गुस्से से - मैं अच्छी तरह जानती हूँ तेरा मन क्यों नहीं है? तू मुझसे नाराज़ है ना.. मैंने तेरी ज़िद पूरी नहीं की इसलिए? तूने अगर अपनी ज़िद नहीं छोडी तो मैं यही से नीचे कूद कर अपनी जान दे दूंगी..


ये कहते हुए सुमन छत की रेलिंग की तरफ बढ़ती है और उससे पार करने की कोशिश करने लगती है मगर पीछे से गौतम उसका हाथ पकड़ कर सुमन को अपनी तरफ खींच लेता है और एक जोरदार थप्पड़ सुमन के गाल पर मरता हुआ उसे अपनी बाहों में भर लेता है औऱ सुमन से कहता है..

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गौतम - अगली बार मरने की बात भी की, तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा समझी आप?

सुमन थप्पड़ खाकर भी मुस्कुरा पडती है औऱ गौतम के होंठों को चुमकर कहती है - अपनी माँ के गाल पर इतना जोर से थप्पड़ मारना जरुरी था?

गौतम अपनी माँ सुमन को बाहों में भरके छत पर बने फालतू सामान से भरे कमरे की तरफ उठाकर ले जाते हुए - अभी तो सिर्फ एक ही पड़ा है अगली बार ऐसा कुछ किया ना आपने तो बहुत पिटोगी आप..

इतना कहते हुए गौतम सुमन को कमरे में एक चारपाई पर बैठा देता है औऱ सुमन का पल्लू हटाकर उसकी ब्लाउज के सारे बटन खोलकर ब्रा ऊपर सरकातें हुए सुमन के कबूतर आजाद कर देता है औऱ फिर अपनी पेंट खोलकर लंड को लहराते हुए सुमन के मुंह में घुसा देता है औऱ सुमन भी मुस्कुराते हुए गौतम के लंड को बिना कंडोम लगाए चूसने लगती है औऱ लंड चूसते हुए गौतम को देखने लगती है..

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गौतम अपनी माँ के इस रूप से उत्तेजित औऱ कामुकता के शिखर पर जा चूका था उसे झड़ने में ज्यादा समय नहीं लगा औऱ उसने सारा वीर्य सुमन के मुंह में भरके उसे अपना वीर्यपान करवा दिया औऱ सुमन न चाहते हुए भी गौतम को खुश करने के लिए उसका वीर्य पी गई...

गौतम झड़ने के बाद सुमन के बगल में बैठ जाता औऱ औऱ गले में हाथ डाल कर सुमन की एक चूची पकड़कर मसलते हुए कहता है..

गौतम - काश आप मेरी माँ नहीं बीवी होती सुमन.. मैं आपको बिस्तर से उठने ही नहीं देता..

सुमन हसते हुए गौतम का लंड साफ करती हुई - ये नहीं होने वाला बच्चू.. तेरे नसीब मेरे ऊपर का छेद है नीचे का नहीं.. चल अब जाती हूँ..

वरना तू फिर से शुरू हो जाएगा..

सुमन जैसे ही उठने लगती है गौतम सुमन को अपनी गोद में बैठा लेता है औऱ कहता है - थोड़ी देर बैठो ना माँ मेरे साथ.. नीचे जाकर क्या करोगी.. कितनी भीड़ औऱ शोर है नीचे..

सुमन - शादी में भीड़ औऱ शोरगुल तो होता ही है.. जब तेरी शादी होगी तब भी इतना ही ऐसे ही भीड़ औऱ शोर होगा..

गौतम - नहीं होगा माँ.. मेरी शादी में सिर्फ दो लोग ही रहेंगे.. एक मैं औऱ दूसरी आप.. हमारी शादी ख़ास होगी..

सुमन - गौतम देख तू वापस वही बात मत शुरू कर देना.. मैं तुझे अपना फैसला बता चुकी हूँ..

गौतम - मैं तो मज़ाक़ कर रहा था मेरी प्यारी सी सेक्सी सुमन..

सुमन सिगरेट सुलगाते हुए - रूपा का फोन आया था कह रही थी तेरा फ़ोन बंद है..

गौतम - हाँ अब इतने चाहने वाले है मेरे.. किस किस से बात करता तो सोच कुछ बंद ही कर देता हूँ..

सुमन सिगरेट का कश लेकर सिगरेट गौतम को देती हुई - एक बार बात कर ले बेचारी बहुत परवाह करती है तेरी..

गौतम कश लेकर - पता है माँ.. वापस जाकर रूपा मम्मी के साथ ही रहेंगे हम दोनों..

सुमन - मम्मी? माँ सिर्फ मैं हूँ तेरी औऱ कोई नहीं.. समझा?

गौतम - आप माँ हो रूपा मम्मी औऱ माधुरी छोटी माँ.. मैंन छोटी माँ को सब बता दिया..

सुमन - फिर क्या कहा उसने?

गौतम - पहले तो कुछ नहीं बोली मगर फिर थोड़ा डांटने लगी औऱ बोली आपसे बात करनी है उसे..

सुमन - बात करवा ना फिर..

गौतम - वापस चलकर बात कर लेना माँ सीधा घर चले जाएंगे उनके..

सुमन - उनका घर कैसे हुआ? तेरे पापा ने लिया है घर.. हमारा भी हक़ है उसपर.. मैं तो जाकर उससे यही बात करुँगी औऱ तेरे पापा से भी यही बात कहूँगी..

गौतम - पर हम खुश है ना वहा भी..

सुमन - खुश? उस शुरू होते ही ख़त्म होने वाली जगह में रहकर खुश है तू? मैं खुश नहीं हूँ.. मेरा हक़ कोई औऱ चुड़ैल नहीं खा सकती..

गौतम सिगरेट सुमन को देते हुए - गुस्से में कितनी प्यारी लगती हो माँ..

सुमन कश लेकर - तेरा भी हक़ है उस घर पर.. हम वापस जाकर रूपा नहीं माधुरी के साथ रहेंगे.. देखती हूँ वो कैसे रोकती है हमें..

गौतम - वो क्यों रोकने लगी माँ.. वो तो शायद यही चाहती है औऱ इसीलिए आपसे बात भी करना चाहती है.. वैसे मेरे लिए भी अच्छा है.. आप तो अपनी चुत को छुपा के रखो.. छोटी माँ तो मुझे अच्छे से प्यार करेंगी उस घर में..

सुमन गुस्से में - चुत के चककर में अपनी माँ की सौतन से प्यार करेगा तू..

गौतम मुस्कुराते हुए - सौतन होगी आपकी मेरी तो छोटी माँ है.. कैसे भी चोदू बुरा नहीं मानती उल्टा बराबर का साथ देती है..

सुमन उदासी से - देख रही हूँ उस डायन ने मेरा पति तो छीन ही लिया है मेरा बेटा भी मुझसे छीन रही है..

गौतम सुमन की उंगलियों में सुलगती सिगरेट को अपनी उंगलियों में लेकर सुमन के होंठों पर सिगरेट लगाते हुए - ऐसा नहीं है मेरी सेक्सी सुमन.. आपसे मुझे कोई नहीं छीन सकता..

सुमन सिगरेट का कश लेकर गौतम को देखते हुए - भाभी का बहुत बुरा हाल किया है तूने.. बेटी की शादी में चलने ठीक से लायक नहीं छोड़ा..

गौतम - कुछ सीखो अपनी भाभी से माँ.. आप आगे के लिए मना कर रही हो मामी तो आगे पीछे दोनों तरफ ले गई थी मेरा..

सुमन चौंकते हुए - तूने भाभी की गांड..

गौतम हस्ते हुए - हाँ.. मारी है मैंने आपकी प्यारी भाभी की गांड..

सुमन - भाभी ने मना नहीं किया? बहुत दर्द हुआ होगा उनको तो..

गौतम - मना तो किया पर.. बदले में गांड मारना तो जायज था.. सुबह यहां आने के बाद भी एक बार औऱ मरवाई थी मामी ने..

सुमन - तभी ये हाल है भाभी का.. तुझे शर्म नहीं आई.. इतना सब करते हुए...

गौतम मुस्कुराते हुए - भाभी तो फिर भी चल पा रही है माँ..एक बार आप हाँ कर दो फिर देखना आपको तो चलने लायक भी नहीं छोडूंगा.. वैसे माँ मुझे तो इस शादी में कई चुत मिल जायेगी.. आप कहो तो आपकी इस चुत के लिए लोड़ो का बंदोबस्त करू?

सुमन हसते हुए - अपनी माँ का दल्ला बनेगा तू.. बेशर्म..

गौतम - जब आप मेरी ख़ुशी के लिए ये सब कर सकती हो तो में क्यों नहीं कर सकता.. मुझसे नहीं चुदना तो किसी औऱ से चुदलो.. मैं बुरा नहीं मानुगा..

सुमन जोर से हँस्ती हुई - अब नीचे जाने दे वरना तू मुझे सच में किसीसे चुदवा देगा..

गौतम सुमन के दोनों चुचे अपने हाथों में पकड़कर मसलते हुए - आपके जैसी खूबसूरत औरत बिना चुदे अपने दिन बिताये ये तो बहुत गलत बात है माँ..

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सुमन - कितना जोर से दबाता है तू गौतम मेरे बोबो को.. अब तो सारे ब्लाउज औऱ ब्रा भी टाइट हो गई है.. लगता है तूने दबा दबा के मेरे बोबो का साइज बढ़ा दिया है.. अब नए ब्रा औऱ ब्लाउज बनवाने पड़ेगे.. बाबाजी से तेरी शिकायत करनी पड़ेगी.. छोड़ अब..

ये कहकर सुमन नीचे चली जाती है औऱ गौतम छत पर ही ठहलने लगता है फिर कुछ देर बाद वो भी नीचे आ जाता है..

************

फ़ोन क्यों नहीं उठा रहे थे?
सो रहा था..
इतनी देर तक सो रहे थे? ऐसा क्या कर रहे थे रातभर?
अरे यार.. बताया था ना कल फंक्शन था यहां.. इतना शोर गुल था नींद ही नहीं आई.. सुबह 4 बजे सोया था..
तो बताना चाहिए था ना मुझे.. मैं अपनी बाहों में भरके सुला लेती तुम्हे..
ओह हो.. फिर अगर मैंने तेरे बदन को इधर उधर से पकड़कर छू लिया होता औऱ तेरे साथ जोर जबरदस्ती करने की कोशिश की होती, तब तू क्या करती?
तब मैं तुम्हे चुम लेती औऱ कहती कि अगर तुमने मेरे साथ जबरदस्ती नहीं की तो मैं तुम्हारे साथ जबरदस्ती कर लुंगी.. औऱ फिर तुम्हारी इज़्ज़त लुटकर अपनी हवस मिटा लेती..
अच्छा ज़ी.. 4 दिनों में ही इतनी मोहब्बत हो गई मुझसे?
एक बार मिलने तो आओ मुझसे तुम.. फिर बताउंगी ये कबाड़ी वाले की बेटी कितनी मोहब्बत करती है तुमसे..
2-3 दिन की औऱ बात है रेशमा.. फिर देखना तेरा ये आशिक कैसे तेरी चुत की खुजली मिटाता है..
मुझसे तो रहा ही नहीं जा रहा तेरे बिना मेरे कुत्ते.. मन कर रहा है इस फ़ोन में घुसके तेरे पास आ जाऊ औऱ तुझे अपने गले से लगा लू..
अच्छा ये चैटिंग छोड़ वीडियो कॉल कर ना रेशमा.. देखना है तुझे..
एक मिनट.. हाँ.. कॉल कर रही हूँ..
गौतम वीडियो कॉल उठाके - आज तो बहुत प्यारी लग रही हो..
रेशमा हस्ते हुए - कुछ पहन तो लो.. कैसे नंगे होके बैठे हो..
गौतम केमेरा में अपना रेशमा को लंड दिखाकर - देखो ना ये बेचारा तुमसे मिलने की आस में कैसे खड़ा है.. बोलता है जब तक तुझसे नहीं मिलेगा तब तक नहीं बैठेगा..
रेशमा अपनी कुर्ती उतारकर अपने चूचियाँ मसलते हुए - गौतम इससे कहो कि ये खड़ा हुआ ही अच्छा लगता है.. जब हमारी मुलाक़ात होगी तब अगर ये बैठ गया तो बहुत मार खायेगा मुझसे..
गौतम - रेशमा तुम तो कह रही थी असलम बात तक नहीं करता तुमसे फिर तुम्हारे चुचे इतने कैसे बड़े होते जा रहे है? कोई औऱ तो इनपर मेहनत नहीं कर रहा ना?
रेशमा - कमीने फ़ोन पर बड़े लग रहे होंगे तुझे.. तीन साल से ब्रा का साइज वही है..
गौतम - फ़िक्र मत कर मेरी फुलझड़ी.. बहुत जल्दी तेरी चूची औऱ चुत्तड़ का साइज बढ़ने वाला है..
रेशमा अपनी चुत में ऊँगली करती हुई - गौतम देखो ना.. कैसे ये कमीनी तुम्हे देखकर गीली हो गई है.. लगता है तुमसे दुरी इसे भी बर्दाश्त नहीं है..
गौतम - तो तुम ही क्यों नहीं आ जाती मुझसे मिलने यहां? परसो की शादी है.. औऱ कोनसा तू दूर रहती है.. दो घंटे का ही तो सफर है..
रेशमा - पर आउ किसके साथ? क्या कहूँगी असलम से?
गौतम - बोल देना तेरी सहेली की शादी है.. कार्ड मैं तुझे व्हाट्सप्प कर देता हूँ..
रेशमा - ठीक है मैं बात करके देखती हूँ असलम से.. वैसे उम्मीद तो बहुत कम वो मेरी बात मानेगा..
गौतम - वैसे रेशमा.. एक बात बताऊ.. मैंने आदिल के फ़ोन से तेरे नंबर नहीं लिए थे.. आदिल ने खुद मुझे तेरे नम्बर दिए थे..
रेशमा चुत में ऊँगली करती हुई - क्यों दिए थे उसने तुझे मेरे नंबर?
गौतम - ताकि मैं तेरी चुत की खुजली को मिटा सकूँ..
रेशमा झड़ने लगती है फिर संभलकर कहती है - तूने अब तक हमारे बीच जो हुआ वो आदिल को तो नहीं बताया ना..
गौतम - अभी तक हुआ ही क्या है हमारे बीच.. जो मैं किसी को बताऊंगा.. पहले कुछ हो तो जाए..
रेशमा मुस्कुराते हुए - होने के बाद भी अगर तुमने किसी से कुछ कहा तो बहुत मार खाओगे देखना..
गौतम - अच्छा अब रखता हूँ.. नहाना है मुझे..
रेशमा - आई लव यू मेरे कुत्ते..
गौतम - आई लव यू मेरी कुत्तिया.. फ़ोन कट हो जाता है..

गौतम नहाने लगता है और नहा कर जब बाहर आता है तो उसे अपने सामने खड़ी हुई आरती कप मैं चाय लिए दिखती है जो गौतम को सिर्फ टावल में देखकर अपनी आँखे सेकती हुई बार-बार गौतम को ऊपर से नीचे तक देख कर अपने होंठों पर जीभ फिराते हुए उसे आंखों से अश्लील इशारे कर रही थी जिसे गौतम अच्छे से समझ रहा था और आरती के मन की दशा भी उसे अब अच्छे से समझ आ रही थी...

गौतम में नाराज होने का नाटक करते हुए आरती से चाय का कप नहीं लिया और अपने गीले बाल सुखाने लगा.. आरती ने चाय का कप टेबल पर रखते हुए गौतम के हाथ से तोलिया ले लिया और उसे बेड पर बिठाते हुए अपने हाथ से उसके बाल सुखाने लगी.. गौतम को आरती से इस तरह की कोई उम्मीद नहीं थी मगर जिस तरह से आरती उसके सर के बाल जो गीले थे उन को तौलिये से सुखा रही थी.. गौतम जान रहा था कि आरती पूरी तरह से गौतम के ऊपर लट्टू है और गौतम से आकर्षित है.. आरती बहाने बहाने से गौतम के बदन को छू रही थी और गौतम आरती से बचते हुए ऐसा दिखा रहा था जैसे वह आरती से दूर जाना चाहता हो मगर आरती उसे अपने से दूर नहीं करना चाहती थी..

आरती - क्या बात है देवर ज़ी? गले औऱ सीने पर इतने निशान.. लगता है कई बिल्लीओ ने आपका ये हाल किया है..
गौतम आरती से तौलिया लेकर - रहने दो भाभी मैं सूखा लूंगा अपने बाल..
आरती - अरे अरे.. नहीं बताना तो मत बताओ.. देवर ज़ी.. पर ऐसे क्या करते हो.. अपनी भाभी को कम से कम इतना तो करने दो..
यह कहते हुए आरती गौतम के बेहद करीब आ जाती है और उसके होठों से अपने होंठ लगभग लगाते हुए उसके बाल साफ करने लगती है मगर गौतम अपना चेहरा मोड़ते हुए आरती से मुंह फेर लेता है औऱ आरती से कहता है.
गौतम - भईया याद कर रहे होंगे आपको भाभी.. अब रहने दो.. मैं कर लूंगा..
आरती उदासी से - तुम्हारे भईया ही तो याद नहीं करते मुझे.. देवर ज़ी.. वो तो बस दूकान ही सँभालते है मुझे सँभालने के लिए उनके पास ना तो वक़्त है ना उनमे इतनी ताकत..
गौतम बाल बनाते हुए - तभी मेरे पीछे पड़ी हो आप.. पर ये ख्याल छोड़ दो भाभी.. मैं नहीं पटने वाला..
आरती अपना पल्लू गिराकर गौतम के करीब आते हुए - अरे देवर ज़ी.. पटाना अभी शुरू ही कहा किया है मैंने आपको.. शादी का माहौल है.. सबकी इच्छा पूरी हो रही है.. मेरी मुराद भी पूरी हो जाए तो आपका क्या बिगड़ जाएगा.. इतनी बुरी भी नहीं है आपकी भाभी.. आपके गले औऱ सीने पर कुछ निशान छोड़ने का हक़ तो आपकी इस भाभी का भी है..

ये कहते हुए आरती ने गौतम की कमर पर बंधे हुए तोलिया को अपनी उंगली के दबाव से एकदम से झटके से खोल दिया और गौतम को इसका अंदाजा भी नहीं था. गौतम ने अभी तौलिये के नीचे अंडरवियर नहीं पहना था जिससे तोलिया हटाने पर वह पूरी तरह अपनी प्राकृतिक अवस्था में आ गया और आरती के सामने उसका विशालकाय हथियार लहराते हुए झूलने लगा.. गौतम का हथियार देखकर आरती के जैसे रोंगटे खड़े हो गए और वह कामुकता से भर्ती हुई सन रह गई उसने आज से पहले इस तरह की कोई चीज नहीं देखी थी आरती अश्लील फिल्में देखने की शौकीन थी और अक्सर वह फिल्मों में इस तरह के लंड देखती थी मगर आज उसने हकीकत में ऐसा कुछ देख लिया था और उसे देखकर उसकी आंखें खुली की खुली रह गई थी और वह हैरत से गौतम को देख रही थी.

गौतम का आरती से ऐसा कुछ करने की उम्मीद नहीं थी मगर आरती ने जब ऐसा कुछ कर दिया तो उसे समझ नहीं आया कि वह क्या करें वह पहले तो एक दो पल के लिए भूत बना हुआ खड़ा रहा मगर फिर अपने तोड़ने को फर्ष से उठाकर वापस अपनी कमर पर बांध लिया और आरती पर गुस्सा होते हुए चिल्लाते हुए कहा..
गौतम - भाभी पागल हो क्या? ये क्या हरकत है?
आरती तो जैसे अभी तक गौतम के हथियार में ही खोई हुई थी उसे तौलिये के ऊपर से भी गौतम के हथियार की हल्की झलक मिल रही थी जो अभी तक सोया हुआ था.. आरती के कानों में गौतम की आवाज पड़ी ही नहीं और वह बस गौतम के लंड पर अपनी नजर डालें खड़ी हुई सिर्फ गौतम के लंड की ओर देख रही थी, गौतम ने आरती को ऐसा करते हुए देखा तो फिर से चिल्लाकर उसका कंधा पकड़कर झकझोरते हुए कहा..
गौतम - भाभी... भाभी...
आरती - देवर ज़ी.. आपका इतना बड़ा..
गौतम शरमाते हुए - भाभी आप जाओ यहां से..
आरती वापस अपने हाथ से गोतम का तौलिया खींचने लगती है मगर इस बार गौतम आरती का हाथ पकड़ लेता है..
गोतम - भाभी पागल हो गई हो क्या आप.. क्या कर रही हो..
आरती उत्सुकता से - देवर ज़ी बस एक बार वापस देख लेने दीजिये.. मैं चली जाउंगी..
गौतम - दरवाजा खुला हुआ है भाभी, कोई देख लेगा आप जाओ यहाँ से..
आरती - कोई नहीं देखेगा ग़ुगु.. मैं दरवाजा बंद करके आती हूँ..

आरती दरवाजा बंद करने के लिए मुड़ जाती है और दरवाजा बंद करने लगती है आरती के दरवाजा बंद करते ही बाहर हाल में डीजे की आवाज बजनी शुरू हो जाती है जिसमें आज शादी का महिला संगीत था.. डीजे पर पहला गाना बजते ही होटल में चारों तरफ शोर गुल मच जाता है जिसमें हर किसी को एक दूसरे की आवाज सुनाई नहीं दे रही थी हर कोई एक दूसरे से जोर से कहकर बात कर रहा था और एक दूसरे को इशारों से अपनी बात समझ रहा था इसका फायदा उठाकर आरती ने दरवाजा बंद कर वापस गौतम के पास आ गई और उसका तोलिया खींचने की नीयत से अपना हाथ बढ़ा दिया..
गौतम हाथ पकड़ते हुए - भाभी क्या मज़ाक है.. जाओ आप यहां से..
आरती अपना हाथ छुड़ाकर अपनी साडी उतारते हुए - देवर ज़ी आज तो चाहे कयामत आ जाए.. मैं यहां से नहीं जाने वाली..
आरती जब अपनी साड़ी उतार रही होती है गौतम की नजर आरती के ब्लाउज में चली जाती है जहां दो मस्त-मस्त मौसम कड़क होकर सामने की तरफ तनी हुई थी और उनको देखने से लगता था कि उन पर अब तक किसी के हाथ नहीं पड़े हैं और ना ही आरती ने इन पर किसी और को हुकूमत करने का आदेश ही दिया था..
गौतम का सोया हुआ लैंड धीरे-धीरे उठने लगता है और वह आरती को अपने कपड़े उतारते हुए देखने लगता है आरती साड़ी के बाद अपना ब्लाउज और फिर पेटिकोट उतार कर ब्रा औऱ पेंटी में आ जाती है और फिर गौतम की ओर बढ़ने लगती है.. इस बार गौतम ने आरती से बिना किसी शर्म और लिहाज़ के मिलने का निश्चय कर लिया था और वह अपनी और आती हुई आरती को कामुक नजरों से देखने लगा था..

गौतम ने अपनी और आती हुई आरती को देखते हुए अपना तोलिया अपने हाथों से ही हटाकर साइड में रखे सोफे पर फेंक दिया और आरती की कमर में हाथ डालकर उसे अपने करीब खींचते हुए उठाकर एक साथ बिस्तर पर पटक दिया... वहां से गौतम आरती के ऊपर चढ़ा और उसे छूने लगा.. आरती भी गौतम के इस व्यवहार से हक्की बक्की रह गई और चौंकते हुए वह गौतम को चूमने लगी और उसकी आंखों में देखी हुई अपनी आंखों के इशारों से उसे पूछने लगी कि एकदम से उसे यह क्या हुआ है मगर गौतम ने उसकी आंखों के इशारे का कोई प्रति उत्तर नहीं दिया और चुपचाप आरती के होठों का स्वाद लेने लगा दोनों के होंठ आपस में इस तरह मिल रहे थे जैसे दो बिछड़े हुए दोस्त लिपटकर एक साथ मिल जाते हैं दोनों के बीच होठों की जंग जुबानी हो चुकी थी गौतम और आरती ने एक दूसरे की जीभ को अपने-अपने मुंह से निकाल कर एक दूसरे की जीभ से लड़ाना और मिलना चालू कर दिया था..

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आरती को जो सुख अपने पति चेतन से नहीं मिल पाया था वह गौतम से पा लेना चाहती थी और किसी नियत से गौतम को चूम रही थी..

चुंबन के दौरान गौतम ने आरती की ब्रा निकाल कर फेंक दी जिससे उसके नुकीले सूचक गौतम के सीने पर चुभने लगे और इसमें गौतम को एक अजीब और मीठा अहसास होने लगा, उसकी कामुकता और ऊपर उठने लगी और हवाओं में तैरने लगी..

गौतम चुम्बन तोड़कर आरती से कहा - भाभी एक बार फिर सोच लो.. कल दीदी की शादी है औऱ एक बार मेरे साथ ये सब करने के बाद आप कुछ दिन ठीक से चल भी नहीं पाओगी.
आरती - मुझे फर्क नहीं पड़ता देवर ज़ी.. आप बस मुझे ऐसा रगड़ के रख दो कि मैं तृप्त हो जाऊ..
गौतम - जैसा आप चाहो भाभी..
गौतम इतना कह कर आरती कि छाती की तरफ आ जाता है और उसकी छतिया पर खड़े हुए चूचक अपने मुंह में लेकर चूसने लगता है और अपने हाथों से उन्हें मसलने और दबाने लगता है जिससे आरती के मनोभावों में कामुकता कि हवा में घूमती महक की तरह उठकर फैलने लगती है और तैरने लगती है जिससे आसपास का वातावरण काममई हो जाता है..

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आरती गौतम का चेहरा पकडे हुए उसे अपनी छाती के उभार का मज़ा देने लगती है.. आरती के कड़क उठे हुए और तीर की तरह चुभने वाले चुचक गौतम अपने मुंह में लेकर इस तरह चूस रहा था जैसे वह बच्चे बचपन में अपनी माँ की चूची पकड़ के उनमे से दूध चूसते हैं...

आरती सीस्कारियां लेते हुए गौतम के चेहरे को पकड़े हुए उसके बालों में हाथ फिराती हुई उसे अपनी छाती का पूरा मजा दे रही थी और वह चाहती थी कि गौतम उसकी छाती से भरपूर मजे लेकर उसपर लट्टू हो जाए, उससे खेले जिससे उसकी ब्रा का साइज औऱ उसकी मादकता दोनों बढ़ जाए..

गौतम आरती के चुचे से खेलते हुए एक हाथ से उसकी पेंटिंग नीचे सरकार कर उतार देता है और फिर उसकी टांगों के बीच में आ जाता है और उसकी टांगें खोलकर उसकी जांघों की जोड़ पर अपना हाथ रखकर आरती की चुत को मसलने लगता है जिससे आरती अब खुलकर सिसकने औऱ आहे भरने लगती है..

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आरती की चुत से गौतम के हाथ लगाते ही पानी निकलने लगा था औऱ वो झड़ गई थी मगर फिर गौतम ने अपने लंड पर थूककर अपने लंड को आरती की चुत में घुसने के लिए सेट कर दिया औऱ धक्का देने लगा..

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आरती को चेतन ने सुहागरात से लेकर अब तक एक बार भी तृप्त नहीं किया था ना ही उसके साथ अच्छे से संभोग किया था जिससे आरती काम की अग्नि में जल रही थी और उसने शादी के इतने सालों तक अपनी चुत को घर में रखें गाजर मूली बैंगन यहां तक की बेलन से भी ठंडा किया था इसलिए उसकी चुत खुल तो चुकी थी मगर चुदी नहीं थी..

गौतम का लोहे की तरह मजबूत औऱ ठोस लंड अपनी पूरी औकात में खड़ा होकर आरती की चुत में घुसने लगा था औऱ आरती की सिस्कारिया अब उसकी चिंखो में बदलने लगी थी मगर यहां उसकी आवाज सुनने वाला कोई नहीं था.. ऊपर से उसकी आवाज नीचे बज रहे dj के शोर में इस तरह खो गई थी जैसे भुंसे के ढेर में सुई खो जाती है.

गौतम ने आरती पर रहम करते हुए अपना हथियार धीरे-धीरे उसकी गुफा में गुस्सा आया था मगर अब आधा हथियार अंदर जाने के बाद गौतम को आरती की शक्ल देखने में मजा आने लगा..
आरती की सूरत इस तरह की थी जैसे कोई बिन पानी मछली की होती है आरती की शक्ल देखते हुए गौतम को उसकी कही हुई हर बात याद आने लगी कि किस तरह से आरती कुछ दिनों से गौतम का दिल दुखाने की पूरी पूरी कोशिश कर रही थी हालांकि आरती उन बातों को मीन नहीं करती थी ना ही उसने वह बात जानबूझकर कही थी..

उसका मकसद सिर्फ गौतम का दिल दुखाना था जिसमें वह कामयाब भी नहीं हो पाई थी मगर गौतम को आप सब याद आ रहा था और वह आरती के चेहरे पर उभरते इस भाव को देखकर सुकून महसूस कर रहा था कि अब आरती का सारा घमंड और सारी अकड़ चकनाचूर हो चुकी है..
गौतम - क्या हुआ भाभी अभी तो आधा ही अंदर गया है औऱ आप तड़पने लगी..
आरती सिसकते हुए - देवर ज़ी मैं कोई रांड थोड़ी हूँ जो इतना बड़ा लोडा एक बार में ले जाउंगी..
गौतम - चिंता क्यों करती हो भाभी.. मैं हूँ ना आपका देवर.. आपको अपने लंड से चोदकर पक्का रांड बना दूंगा..
आरती - ग़ुगु धीरे धीरे करना.. अब दर्द भी होने लगा है..
गौतम - ऐसा लगता है तीन साल में चेतन भईया ने आपको हाथ तक नहीं लगाया.. बिलकुल नाजुक हो आप तो.. देखो सील टूट गई आपकी...
आरती - उसे तो सिर्फ खाना औऱ सोना है.. साला सो किलो का ढ़ोल है.. दूकान पर बैठने के अलावा कुछ नहीं आता..
गौतम - ये बात तो है भाभी.. चेतन आप जैसी हसीन नाजुक औऱ प्यारी लड़की के लायक़ नहीं है..
आरती धीरे धीरे अपनी गांड उठाकर चुदवाते हुए - तो देवर ज़ी.. आप क्यों नहीं बना लेटे मुझे अपना.. ले चलो अपनी भाभी को भगा के.. मैं मना थोड़ी करुँगी..
गौतम धीरे धीरे आधे लंड से चोदते हुए - रहने दो भाभी.. ये ऐश औऱ आराम छोड़कर जाना आपके बस की बात नहीं है..
आरती - ऐसा नहीं है देवर ज़ी.. मैं तो आपके साथ फुटपाथ पर भी रह लुंगी. बस आप अपने इस लंड से मेरी चुत की सर्विस टाइम से करते रहना..
गौतम एक जोरदार धक्का मारके आरती की चुत में अब पूरा लंड घुसा देता है औऱ आरती चिल्लाते हुए गौतम से लिपटकर सिसकियाँ लेने लगती है..

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गौतम - भाभी दर्द तो नहीं हुआ ना..
आरती - देवर ज़ी आपने तो आज असली में सील तोड़ दी..
गौतम मिशनरी पोज़ में आरती की चुदाई करता है और फिर आरती को अपने आगे घोड़ी बनाकर उसकी सवारी करने लगता है..

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आरती खुलकर गौतम के साथ अपनी हवस बुझा रही थी उसे अब किसी की फिक्र नहीं थी आरती खुल के गौतम को अपना चुकी थी और उसके साथ मजाक मस्तियां करते हुए कामसुख भोग रही थी..

गौतम ने घोड़ी के बाद आरती को अपनी गोद में उठा लिया औऱ उठा उठा के चोदने लगा..

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आरती ने गौतम का बराबर साथ दिया औऱ चुदाई लीला में गौतम को भी पूरा मज़ा मिलरहा था.. आरती बार बार गौतम के होंठों को चूमकर उससे अपने प्यार का इज़हार कर रही थी औऱ चुदाई के चरम पर पहुंचकर झड़ चुकी थी.. इस चुदाई में कई बार चुत से झड़ने के बाद आरती ने गौतम को अपनी चुत में घुसा कर लंड पर दबाब बनाते हुए गौतम को भी अपने अंदर अपना पानी निकालने पर मजबूर कर दिया औऱ दोनोंअपनी इस चुदाई के महासंगम के महामिलन से तृप्त होकर एक दूसरे की बाहों में लेट गए थे..
आरती - देवर ज़ी.. आप तो बहुत बुरे हो..
गौतम - क्यों भाभी.. मज़ा नहीं आया आपको?
आरती - प्यार से प्यार करने को कहा था मैंने औऱ आपने.. एक झटके में अपना ये अजगर मेरी बिल में घुसा दिया.. देखो कितनी फ़ैल गई है मेरी चुत..
गौतम - भाभी ऐसी फैली हुई चुत तो हमारे प्यार की निशानी है..
आरती मुस्कुराते हुए - बड़े आये प्यार की निशानी देने वाले.. मैं जानती हूँ तुमने मेरी बातों का बदला लिया है मुझसे..
गौतम - भाभी आपसे बदला? आप किस बात का बदला लूंगा मैं? मैं जानता था कि आप बस मेरा दिल दुखाने के लिए ही बोल रही थी जो आपने बोला.. मैं तो आपसे कभी नाराज़ था ही नहीं..
आरती मुस्कुराते हुए - अच्छा देवर ज़ी.. अब जाने दीजिये.. मौका मिलते ही वापस प्यार झरने आउंगी आपसे.
गौतम - जैसा आप चाहो भाभी.. आपका देवर हमेशा आपकी सेवा के लिए तरयार रहेगा...
आरती बेड से खड़े होते ही लड़खड़ा जाती है हसते हुए गौतम को देखती है..
गौतम सिगरेट सुलगाते हुए - मैंने तो पहले ही कहा था भाभी.. चुदने के बाद ठीक से चल भी नहीं पाओगी..
आरती लड़खड़ाकर दो कदम चलती है उसके मन में वापस चुदने की तलब थी मगर जुबान से इस बात को कहना आरती के बस में अब नहीं था वो कमरे के दरवाजे पर रूकते हुए मुस्कुराते हुए गौतम से कहती है - देवर ज़ी मुझे मेरे रूम तक छोड़ दोगे?
गौतम सिगरेट का एक कश लेकर आरती से कहता है - ये भी तो आपका रूम है भाभी यही आराम कर लो.. शाम तक तो वैसे भी कोई नहीं है पूछने वाला..
आरती लड़खड़ाती हुई वापस बेड के करीब आ जाती है जहाँ गौतम आरती का हाथ पकड़कर उसे अपने ऊपर खींच लेता है औऱ आरती गौतम के ऊँगली में सुलगती सिगरेट लेकर एक लम्बा सा कश भरती है औऱ फिर सिगरेट बुझाकार गौतम को फिर से चूमने लगता है..

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Gazab ki update he moms_bachha Bro,

Uttejna aur kamukta se bharpur...........

Aarti ka number laga hi diya gugu ne.........

Keep rocking Bro
 

Sushil@10

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Update 22

शाम के पांच बज चुके थे होटल की छत पर गौतम सुमन का बेसब्री से इंतजार कर रहा था. सुमन भी छत पर आने के लिए निकल चुकी थी गौतम यह सोच रहा था कि वह आज अपनी मां से अपने प्यार का इजहार कर देगा और उसे अपनी दुल्हन बनाने का प्रस्ताव रखेगा. गौतम यह जानता था कि जो वह करने जा रहा है इसमें उसे सफलता नहीं मिलने वाली है लेकिन वह फिर भी एक बार सुमन को अपने प्यार का इजहार करके मानना चाहता था और चाहता था कि सुमन उसे अपने प्रेमी के रूप में अपना ले.. अब तक जो सुमन और गौतम के बीच में हो रहा था वह केवल सुमन के मातृत्व प्रेम के कारण हो रहा था जिसमें वह गौतम को अपना बेटा मानकर सब कुछ कर रही थी भले इसमें उसे आनंद और काम संतुस्टी की प्रति हो रही थी लेकिन वह अब तक गौतम को अपने प्रेमी के रूप में स्वीकृत नहीं कर पाई थी ना ही उसे यह अधिकार दिया था कि गौतम उसके पूरे शरीर पर अधिकार जताये..


सुमन का नारीत्व और काम इच्छा उफान पर थी जिसे वो गौतम के साथ शांत कर लेती थी मगर इस अधूरी शांति से गौतम और सुमन दोनों ही काम के शिखर पर पहुंच कर उस अद्भुत और अतुल्य सुख से वंचित ही रहे जिसे पाना दोनों के मन में लंबित था. सुमन अपने मन की आखिरी दीवार को नहीं गिराना चाहती थी. सुमन चाहती थी कि गौतम की हर इच्छा और हर मनोकामना पूरी हो लेकिन वह खुद इसके लिए अपनी चुत की कुर्बानी देने को तैयार नहीं थी. सुमन अब यही चाहती थी कि जैसे गौतम और सुमन के बीच एक रिश्ता कायम हो चुका है वह इस तरह कायम रहे और अब सुमन ना तो इससे आगे बढ़ना चाहती थी और ना ही इससे पीछे हटाना चाहती थी.


गौतम ने भी अपने मन में ये तय कर लिया था कि वह सुमन को किसी भी शर्त पर अपना बना कर रहेगा और उसके लिए वह आज पहली-पहल कर देगा. भले इसमें उसे सफलता मिले या वह असफल रहे. गौतम अब मन ही मन सुमन को पाने की चाहत में जलने लगा था और उसे आप सुमन को भोगने की इच्छा पूरी उफान ले चुकी थी. मगर वह इस बात से भली-भांति परिचित था की सुमन को भोगना और उसे पाना इतना आसान नहीं होगा और जो दीवार सुमन ने अपने मन में उसके और खुद के बीच में बना रखी है उसे गिराना भी आसान नहीं होगा. दोनों के बदनों के मिलन के बीच सुमन ने अपने मन में उसके औऱ गौतम के रिस्ते को रोड़ा बना लिया था जिसे दूर करना आसान नहीं था. मगर गौतम ने ये तय कर लिया था जो किसी भी तरह से उसके मन से इस दीवार को गिरा कर रहेगा और उसे अपना बना कर रहेगा इसके लिए भले ही उसे कुछ भी करना पड़े. गौतम और सुमन के बीच सब कुछ हो रहा था मगर बाकी था वही सबसे जरूरी था और वहीं गौतम करना चाहता था मन ही मन सुमन भी ऐसा ही चाहती थी मगर उसने अपने मन में रिश्ते की दीवार को बीच में खड़ा कर दिया था जिसे वह नहीं गिराना चाहती थी.


सुमन अकेली चुपके चुपके सीडीओ से होती हुई छत के दरवाजे तक आ पहुंची.. सुमन के मन में अजीब अजीब ख्याल आ रहे थे और अजीब सवाल वह अपने आप से पूछ रही थी जिसके जवाब खुद ही अपने आप को देती हुई वह छत के दरवाजे पर खड़ी हुई थी गौतम भी सुमन के इंतजार में छत के कोने में खाली पड़ी की जगह पर खड़ा हुआ सुमन का इंतजार कर रहा था उसके मन में भी कई बातें चल रही थी जिसे वह सोचकर सही और गलत तय करने में लगा हुआ था. गौतम ने सुमन को छत के दरवाजे पर खड़ा हुआ देख लिया और सुमन की नजर भी गौतम से मिल गई. गौतम ने सुमन को इशारे से अपने पास आने के लिए कहा औऱ सुमन गौतम के पास धीरे धीरे कदमो से चली आई..


गौतम ने उसी नज़र से अपनी माँ के बदन को ऊपर से नीचे तक देखा जिस तरह वो बाकी लड़कियों औऱ औरतों को ताड़ता था. सुमन इस नज़र को अच्छे से समझ गई थी मगर काम के भाव से भारी हुई सुमन को इस नज़र का बुरा कतई नहीं लगा.. गौतम ने सुमन की कमर में हाथ डालकर उसे अपने सीने से लगाकर बाहों में भर लिया औऱ फिर अपने होंठों से सुमन के होंठ मिलाकर जंग शुरू कर दी.. इस जंग में दोनों ही एक दूसरे को हराने के लिए भर्षक प्रयास कर रहे थे और एक दूसरे के लबों को चूमते हुए खींच कर काटते हुए ऐसे चुम रहे थे जैसे उनके बीच ये प्यार का पहला चुम्बन हो..

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गौतम ने चुम्बन के दौरान एक जोरदार थप्पड़ सुमन की गांड पर मारा औऱ फिर उसकी गांड को जोर से मसलते हुए इतना तेज़ दबाया की सुमन चुम्बन तोड़कर सिसक उठी औऱ गौतम को शिकायत की नज़र से देखते हुए बोली..

सुमन - आराम से ग़ुगु.. माँ को दर्द होता है ना.

गौतम - ग़ुगु नहीं सुमन.. गौतम.. मुझे गौतम कहकर पुकारो.. मैं अब आपके इन गुलाबी होंठों से अपना नाम सुनना चाहता हूँ..

सुमन हैरानी से - तू क्या कह रहा है ग़ुगु औऱ मुझे नाम से क्यों बुला रहा है.. मैं तेरी माँ हूँ.. तू भूल गया है क्या?

गौतम - मुझे सब याद है सुमन.. (अपना हाथ सुमन की चुत पर रखते हुए) आपने 20 साल पहले मुझे अपनी इसी चुत से निकाला था.. आपने इन 20 सालों में जितना मुझे प्यार किया है उतना शायद कोई औऱ कभी ना कर पाए.. मेरी ख़ुशी के लिए आप मेरे सामने नंगी तक हो गई.. मेरी हर ज़िद पूरी की मगर अब सुमन.. मैं आपको खुश रखना चाहता हूँ.. प्यार करना चाहता हूँ.. मैं चाहता हूँ आप मुझे नाम से बुलाओ.. हर शाम घर पर मेरा इंतज़ार करो औऱ जब मैं काम से वापस आउ तो आप मुझसे लिपटकर अपने होंठ मेरे होंठ पर रख दो.. मुझे गौतम ज़ी कहकर बुलाओ.. बिलकुल जैसे आप पापा को बुलाती थी..

सुमन - तू पागल हो गया है क्या गौतम? ये सब क्या बकवास कर रहा है.. तू अच्छी तरह जानता है मैं तेरे साथ ये सब नहीं कर सकती.. माँ हूँ मैं तेरी औऱ तू मेरा ग़ुगु.. समझा?

गौतम - आप सब करोगी सुमन.. मुझे यक़ीन है मेरी मोहब्बत आपको ये सब करने पर मजबूर कर देगी.. आप मुझे अपने दिल में वही जगह दोगी जो जगह तुमने पापा की दी थी..

सुमन गौतम के सामने घुटनो पर बैठकर उसकी पेंट खोलते हुए - तू ये मुझे चिढ़ाने के लिए बोल रहा है ना? पर मैं नहीं चिढ़ने वाली समझा? मैं अभी तुझे चूसकर ठंडा कर देती हूँ फिर तेरा सारा भुत उतर जाएगा औऱ तू फिर से मुझे सुमन नहीं माँ कहकर बुलायेगा..

गौतम कंडोम देते हुए - लो सुमन.. बिना कंडोम तुम्हे उल्टी हो जायेगी..

सुमन कंडोम लेकर फेंक देती है औऱ गौतम का लंड हाथ में पकड़कर उससे कहती है - उल्टी होती है तो हो जाए.. तुझे बिना कंडोम के अच्छा लगता है मैं उसी तरह तुझे खुश कर देती हूँ..

ये कहकर सुमन गौतम के लंड को मुंह में भरकर चूसने लगी औऱ गौतम सुमन को प्यार से देखता हुआ उसके सर पर हाथ फेरने लगा..

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गौतम - जानती हो सुमन जब आप सुबह नाच रही तब मेरा दिल आपको देखकर क्या कह रहा था मुझसे? मेरा दिल कह रहा था कि मैं आपको अपनी दुल्हन बना लू.. औऱ जो सुख पापा आपको सालों से नहीं दे पाये वो सुख मैं आपको हर रात दू.. सुबह तो मैंने अपनी खुली आँखों से हमारे बच्चों तक के नाम सोच लिए थे.. लड़का हुआ तो निखिल लड़की हुई तो निकिता..

सुमन लंड को पूरी मेहनत औऱ काम कला के साथ चूस रही थी मगर गौतम कि बात सुनकर वो बोली..

सुमन मुंह से लोडा निकालकर - गौतम तूने अब एक औऱ शब्द अपने मुंह से निकाला तो अच्छा नहीं होगा.. मैं तेरी माँ हूँ और माँ ही रहूंगी.. मुझे अपनी दुल्हन बनाने का ख्याल अपने दिल औऱ दिमाग से निकाल दे..

गौतम - मैं आप से प्यार करता हूँ सुमन..

सुमन - जितना तू मुझसे करता है उससे कहीं ज्यादा प्यार मैं तुझसे करती हूँ बेटू..

गौतम - सुमन मैं आपको अपनी माँ नहीं अपनी दुल्हन की तरह प्यार करता हूँ..

सुमन - ये ज़िद छोड़ दे ग़ुगु.. ये मुमकिन नहीं है.. मैं तुझे कभी भी वो सब नहीं दे सकती..

ये कहकर सुमन गौतम के लंड को वापस मुंह में भर लेती है औऱ चूसने लगती है

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मगर अब गौतम सुमन के मुंह से अपना लंड निकाल लेता है औऱ अपनी पेंट पहनने लगता है लेकिन सुमन गौतम के हाथ पकड़ कर उसे पेंट पहनने से रोक देती है औऱ कहती है.

सुमन - गौतम ये ज़िद छोड़ दे.. मैंने तेरी हर बात मानी है मगर ये बात मैं नहीं मान सकती.. तू चाहता है मैं अपनी ही नज़रो में गिर जाऊ? कभी खुदसे आँख भी ना मिला पाउ? कैसी जिद पर तू अड़ गया है गौतम.. तू चाहता है तो मैं आज से तुझे तेरे नाम से बुलाऊंगी.. तेरे मुंह से माँ की जगह सुमन भी सुन लुंगी.. मगर ये ज़िद छोड़ दे मेरे शहजादे..

गौतम सुमन से अपने हाथ छुड़वाकर अपनी पेंट पहन लेता है औऱ छत की रेलिंग के पास जाकर सुमन से कहता है..

गौतम - आप नीचे जाओ माँ.. मुझे अब आपसे कुछ नहीं चाहिए.. शादी एन्जॉय करो..

सुमन अपने घुटनो पर से पैरो पर खड़ी हो जाती है औऱ गौतम के पास आकर अपने ब्लाउज में सिगरेट का पैकेट निकालकर एक सिगरेट गौतम के होंठों पर लगा देती है औऱ लाइटर से जलाते हुए कहती है..

सुमन - मुझे माफ़ कर दे गौतम मैं तेरी ये इच्छा पूरी नहीं कर सकती.. तू चाहे तो मुझे अभी नंगा कर दे मैं उफ़ तक नहीं करुगी मगर मेरे शहजादे अपनी माँ को इस तरह जलील मत कर..

गौतम सिगरेट का एक लम्बा कश लेकर अपनी माँ के मुंह पर धुआँ छोड़ते हुए - माफ़ तो आप मुझे कर दो माँ.. मैं हमारे रिस्ते को भूल गया था.. पर अब आप भरोसा रखो मैं आपसे इस बारे में कुछ नहीं कहने वाला...

सुमन मुस्कुराते हुए गौतम के लंड पर पेंट के ऊपर से हाथ रखते हुए - चल गौतम.. मैं अपने छोटे ग़ुगु को थोड़ा प्यार कर लेती हूँ.. नीचे ना सही ऊपर से तो मैं तेरी हर ख्वाहिश पूरी कर सकती हूँ..

गौतम सिगरेट का कश लेकर सुमन का हाथ लंड पर से हटाते हुए - रहने दो माँ.. छोटा ग़ुगु सो चूका है.. आप जाओ नीचे..

सुमन गौतम के हाथ से सिगरेट लेकर कश लेती है औऱ गौतम के लंड को इस बार जोर से हाथों में पकड़कर मसलते हुए गौतम से कहती है..

सुमन - छोटे ग़ुगु को नींद से जगाना औऱ खड़ा करना मुझे अच्छे से आता है.. तू फ़िक्र मतकर मैं छोटे ग़ुगु को खुश करने में ज्यादा वक़्त नहीं लगाउंगी..

सुमन कहते हुए अपने घुटनों पर बैठ जाती है गौतम की पेंट उतारने लगती है लेकिन गौतम सुमन के हाथों से अपनी पेंट छुड़वाते हुए उसे कहते हैं..

गौतम - मन नहीं माँ.. रहने दो..

सुमन गुस्से से - मैं अच्छी तरह जानती हूँ तेरा मन क्यों नहीं है? तू मुझसे नाराज़ है ना.. मैंने तेरी ज़िद पूरी नहीं की इसलिए? तूने अगर अपनी ज़िद नहीं छोडी तो मैं यही से नीचे कूद कर अपनी जान दे दूंगी..


ये कहते हुए सुमन छत की रेलिंग की तरफ बढ़ती है और उससे पार करने की कोशिश करने लगती है मगर पीछे से गौतम उसका हाथ पकड़ कर सुमन को अपनी तरफ खींच लेता है और एक जोरदार थप्पड़ सुमन के गाल पर मरता हुआ उसे अपनी बाहों में भर लेता है औऱ सुमन से कहता है..

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गौतम - अगली बार मरने की बात भी की, तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा समझी आप?

सुमन थप्पड़ खाकर भी मुस्कुरा पडती है औऱ गौतम के होंठों को चुमकर कहती है - अपनी माँ के गाल पर इतना जोर से थप्पड़ मारना जरुरी था?

गौतम अपनी माँ सुमन को बाहों में भरके छत पर बने फालतू सामान से भरे कमरे की तरफ उठाकर ले जाते हुए - अभी तो सिर्फ एक ही पड़ा है अगली बार ऐसा कुछ किया ना आपने तो बहुत पिटोगी आप..

इतना कहते हुए गौतम सुमन को कमरे में एक चारपाई पर बैठा देता है औऱ सुमन का पल्लू हटाकर उसकी ब्लाउज के सारे बटन खोलकर ब्रा ऊपर सरकातें हुए सुमन के कबूतर आजाद कर देता है औऱ फिर अपनी पेंट खोलकर लंड को लहराते हुए सुमन के मुंह में घुसा देता है औऱ सुमन भी मुस्कुराते हुए गौतम के लंड को बिना कंडोम लगाए चूसने लगती है औऱ लंड चूसते हुए गौतम को देखने लगती है..

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गौतम अपनी माँ के इस रूप से उत्तेजित औऱ कामुकता के शिखर पर जा चूका था उसे झड़ने में ज्यादा समय नहीं लगा औऱ उसने सारा वीर्य सुमन के मुंह में भरके उसे अपना वीर्यपान करवा दिया औऱ सुमन न चाहते हुए भी गौतम को खुश करने के लिए उसका वीर्य पी गई...

गौतम झड़ने के बाद सुमन के बगल में बैठ जाता औऱ औऱ गले में हाथ डाल कर सुमन की एक चूची पकड़कर मसलते हुए कहता है..

गौतम - काश आप मेरी माँ नहीं बीवी होती सुमन.. मैं आपको बिस्तर से उठने ही नहीं देता..

सुमन हसते हुए गौतम का लंड साफ करती हुई - ये नहीं होने वाला बच्चू.. तेरे नसीब मेरे ऊपर का छेद है नीचे का नहीं.. चल अब जाती हूँ..

वरना तू फिर से शुरू हो जाएगा..

सुमन जैसे ही उठने लगती है गौतम सुमन को अपनी गोद में बैठा लेता है औऱ कहता है - थोड़ी देर बैठो ना माँ मेरे साथ.. नीचे जाकर क्या करोगी.. कितनी भीड़ औऱ शोर है नीचे..

सुमन - शादी में भीड़ औऱ शोरगुल तो होता ही है.. जब तेरी शादी होगी तब भी इतना ही ऐसे ही भीड़ औऱ शोर होगा..

गौतम - नहीं होगा माँ.. मेरी शादी में सिर्फ दो लोग ही रहेंगे.. एक मैं औऱ दूसरी आप.. हमारी शादी ख़ास होगी..

सुमन - गौतम देख तू वापस वही बात मत शुरू कर देना.. मैं तुझे अपना फैसला बता चुकी हूँ..

गौतम - मैं तो मज़ाक़ कर रहा था मेरी प्यारी सी सेक्सी सुमन..

सुमन सिगरेट सुलगाते हुए - रूपा का फोन आया था कह रही थी तेरा फ़ोन बंद है..

गौतम - हाँ अब इतने चाहने वाले है मेरे.. किस किस से बात करता तो सोच कुछ बंद ही कर देता हूँ..

सुमन सिगरेट का कश लेकर सिगरेट गौतम को देती हुई - एक बार बात कर ले बेचारी बहुत परवाह करती है तेरी..

गौतम कश लेकर - पता है माँ.. वापस जाकर रूपा मम्मी के साथ ही रहेंगे हम दोनों..

सुमन - मम्मी? माँ सिर्फ मैं हूँ तेरी औऱ कोई नहीं.. समझा?

गौतम - आप माँ हो रूपा मम्मी औऱ माधुरी छोटी माँ.. मैंन छोटी माँ को सब बता दिया..

सुमन - फिर क्या कहा उसने?

गौतम - पहले तो कुछ नहीं बोली मगर फिर थोड़ा डांटने लगी औऱ बोली आपसे बात करनी है उसे..

सुमन - बात करवा ना फिर..

गौतम - वापस चलकर बात कर लेना माँ सीधा घर चले जाएंगे उनके..

सुमन - उनका घर कैसे हुआ? तेरे पापा ने लिया है घर.. हमारा भी हक़ है उसपर.. मैं तो जाकर उससे यही बात करुँगी औऱ तेरे पापा से भी यही बात कहूँगी..

गौतम - पर हम खुश है ना वहा भी..

सुमन - खुश? उस शुरू होते ही ख़त्म होने वाली जगह में रहकर खुश है तू? मैं खुश नहीं हूँ.. मेरा हक़ कोई औऱ चुड़ैल नहीं खा सकती..

गौतम सिगरेट सुमन को देते हुए - गुस्से में कितनी प्यारी लगती हो माँ..

सुमन कश लेकर - तेरा भी हक़ है उस घर पर.. हम वापस जाकर रूपा नहीं माधुरी के साथ रहेंगे.. देखती हूँ वो कैसे रोकती है हमें..

गौतम - वो क्यों रोकने लगी माँ.. वो तो शायद यही चाहती है औऱ इसीलिए आपसे बात भी करना चाहती है.. वैसे मेरे लिए भी अच्छा है.. आप तो अपनी चुत को छुपा के रखो.. छोटी माँ तो मुझे अच्छे से प्यार करेंगी उस घर में..

सुमन गुस्से में - चुत के चककर में अपनी माँ की सौतन से प्यार करेगा तू..

गौतम मुस्कुराते हुए - सौतन होगी आपकी मेरी तो छोटी माँ है.. कैसे भी चोदू बुरा नहीं मानती उल्टा बराबर का साथ देती है..

सुमन उदासी से - देख रही हूँ उस डायन ने मेरा पति तो छीन ही लिया है मेरा बेटा भी मुझसे छीन रही है..

गौतम सुमन की उंगलियों में सुलगती सिगरेट को अपनी उंगलियों में लेकर सुमन के होंठों पर सिगरेट लगाते हुए - ऐसा नहीं है मेरी सेक्सी सुमन.. आपसे मुझे कोई नहीं छीन सकता..

सुमन सिगरेट का कश लेकर गौतम को देखते हुए - भाभी का बहुत बुरा हाल किया है तूने.. बेटी की शादी में चलने ठीक से लायक नहीं छोड़ा..

गौतम - कुछ सीखो अपनी भाभी से माँ.. आप आगे के लिए मना कर रही हो मामी तो आगे पीछे दोनों तरफ ले गई थी मेरा..

सुमन चौंकते हुए - तूने भाभी की गांड..

गौतम हस्ते हुए - हाँ.. मारी है मैंने आपकी प्यारी भाभी की गांड..

सुमन - भाभी ने मना नहीं किया? बहुत दर्द हुआ होगा उनको तो..

गौतम - मना तो किया पर.. बदले में गांड मारना तो जायज था.. सुबह यहां आने के बाद भी एक बार औऱ मरवाई थी मामी ने..

सुमन - तभी ये हाल है भाभी का.. तुझे शर्म नहीं आई.. इतना सब करते हुए...

गौतम मुस्कुराते हुए - भाभी तो फिर भी चल पा रही है माँ..एक बार आप हाँ कर दो फिर देखना आपको तो चलने लायक भी नहीं छोडूंगा.. वैसे माँ मुझे तो इस शादी में कई चुत मिल जायेगी.. आप कहो तो आपकी इस चुत के लिए लोड़ो का बंदोबस्त करू?

सुमन हसते हुए - अपनी माँ का दल्ला बनेगा तू.. बेशर्म..

गौतम - जब आप मेरी ख़ुशी के लिए ये सब कर सकती हो तो में क्यों नहीं कर सकता.. मुझसे नहीं चुदना तो किसी औऱ से चुदलो.. मैं बुरा नहीं मानुगा..

सुमन जोर से हँस्ती हुई - अब नीचे जाने दे वरना तू मुझे सच में किसीसे चुदवा देगा..

गौतम सुमन के दोनों चुचे अपने हाथों में पकड़कर मसलते हुए - आपके जैसी खूबसूरत औरत बिना चुदे अपने दिन बिताये ये तो बहुत गलत बात है माँ..

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सुमन - कितना जोर से दबाता है तू गौतम मेरे बोबो को.. अब तो सारे ब्लाउज औऱ ब्रा भी टाइट हो गई है.. लगता है तूने दबा दबा के मेरे बोबो का साइज बढ़ा दिया है.. अब नए ब्रा औऱ ब्लाउज बनवाने पड़ेगे.. बाबाजी से तेरी शिकायत करनी पड़ेगी.. छोड़ अब..

ये कहकर सुमन नीचे चली जाती है औऱ गौतम छत पर ही ठहलने लगता है फिर कुछ देर बाद वो भी नीचे आ जाता है..

************

फ़ोन क्यों नहीं उठा रहे थे?
सो रहा था..
इतनी देर तक सो रहे थे? ऐसा क्या कर रहे थे रातभर?
अरे यार.. बताया था ना कल फंक्शन था यहां.. इतना शोर गुल था नींद ही नहीं आई.. सुबह 4 बजे सोया था..
तो बताना चाहिए था ना मुझे.. मैं अपनी बाहों में भरके सुला लेती तुम्हे..
ओह हो.. फिर अगर मैंने तेरे बदन को इधर उधर से पकड़कर छू लिया होता औऱ तेरे साथ जोर जबरदस्ती करने की कोशिश की होती, तब तू क्या करती?
तब मैं तुम्हे चुम लेती औऱ कहती कि अगर तुमने मेरे साथ जबरदस्ती नहीं की तो मैं तुम्हारे साथ जबरदस्ती कर लुंगी.. औऱ फिर तुम्हारी इज़्ज़त लुटकर अपनी हवस मिटा लेती..
अच्छा ज़ी.. 4 दिनों में ही इतनी मोहब्बत हो गई मुझसे?
एक बार मिलने तो आओ मुझसे तुम.. फिर बताउंगी ये कबाड़ी वाले की बेटी कितनी मोहब्बत करती है तुमसे..
2-3 दिन की औऱ बात है रेशमा.. फिर देखना तेरा ये आशिक कैसे तेरी चुत की खुजली मिटाता है..
मुझसे तो रहा ही नहीं जा रहा तेरे बिना मेरे कुत्ते.. मन कर रहा है इस फ़ोन में घुसके तेरे पास आ जाऊ औऱ तुझे अपने गले से लगा लू..
अच्छा ये चैटिंग छोड़ वीडियो कॉल कर ना रेशमा.. देखना है तुझे..
एक मिनट.. हाँ.. कॉल कर रही हूँ..
गौतम वीडियो कॉल उठाके - आज तो बहुत प्यारी लग रही हो..
रेशमा हस्ते हुए - कुछ पहन तो लो.. कैसे नंगे होके बैठे हो..
गौतम केमेरा में अपना रेशमा को लंड दिखाकर - देखो ना ये बेचारा तुमसे मिलने की आस में कैसे खड़ा है.. बोलता है जब तक तुझसे नहीं मिलेगा तब तक नहीं बैठेगा..
रेशमा अपनी कुर्ती उतारकर अपने चूचियाँ मसलते हुए - गौतम इससे कहो कि ये खड़ा हुआ ही अच्छा लगता है.. जब हमारी मुलाक़ात होगी तब अगर ये बैठ गया तो बहुत मार खायेगा मुझसे..
गौतम - रेशमा तुम तो कह रही थी असलम बात तक नहीं करता तुमसे फिर तुम्हारे चुचे इतने कैसे बड़े होते जा रहे है? कोई औऱ तो इनपर मेहनत नहीं कर रहा ना?
रेशमा - कमीने फ़ोन पर बड़े लग रहे होंगे तुझे.. तीन साल से ब्रा का साइज वही है..
गौतम - फ़िक्र मत कर मेरी फुलझड़ी.. बहुत जल्दी तेरी चूची औऱ चुत्तड़ का साइज बढ़ने वाला है..
रेशमा अपनी चुत में ऊँगली करती हुई - गौतम देखो ना.. कैसे ये कमीनी तुम्हे देखकर गीली हो गई है.. लगता है तुमसे दुरी इसे भी बर्दाश्त नहीं है..
गौतम - तो तुम ही क्यों नहीं आ जाती मुझसे मिलने यहां? परसो की शादी है.. औऱ कोनसा तू दूर रहती है.. दो घंटे का ही तो सफर है..
रेशमा - पर आउ किसके साथ? क्या कहूँगी असलम से?
गौतम - बोल देना तेरी सहेली की शादी है.. कार्ड मैं तुझे व्हाट्सप्प कर देता हूँ..
रेशमा - ठीक है मैं बात करके देखती हूँ असलम से.. वैसे उम्मीद तो बहुत कम वो मेरी बात मानेगा..
गौतम - वैसे रेशमा.. एक बात बताऊ.. मैंने आदिल के फ़ोन से तेरे नंबर नहीं लिए थे.. आदिल ने खुद मुझे तेरे नम्बर दिए थे..
रेशमा चुत में ऊँगली करती हुई - क्यों दिए थे उसने तुझे मेरे नंबर?
गौतम - ताकि मैं तेरी चुत की खुजली को मिटा सकूँ..
रेशमा झड़ने लगती है फिर संभलकर कहती है - तूने अब तक हमारे बीच जो हुआ वो आदिल को तो नहीं बताया ना..
गौतम - अभी तक हुआ ही क्या है हमारे बीच.. जो मैं किसी को बताऊंगा.. पहले कुछ हो तो जाए..
रेशमा मुस्कुराते हुए - होने के बाद भी अगर तुमने किसी से कुछ कहा तो बहुत मार खाओगे देखना..
गौतम - अच्छा अब रखता हूँ.. नहाना है मुझे..
रेशमा - आई लव यू मेरे कुत्ते..
गौतम - आई लव यू मेरी कुत्तिया.. फ़ोन कट हो जाता है..

गौतम नहाने लगता है और नहा कर जब बाहर आता है तो उसे अपने सामने खड़ी हुई आरती कप मैं चाय लिए दिखती है जो गौतम को सिर्फ टावल में देखकर अपनी आँखे सेकती हुई बार-बार गौतम को ऊपर से नीचे तक देख कर अपने होंठों पर जीभ फिराते हुए उसे आंखों से अश्लील इशारे कर रही थी जिसे गौतम अच्छे से समझ रहा था और आरती के मन की दशा भी उसे अब अच्छे से समझ आ रही थी...

गौतम में नाराज होने का नाटक करते हुए आरती से चाय का कप नहीं लिया और अपने गीले बाल सुखाने लगा.. आरती ने चाय का कप टेबल पर रखते हुए गौतम के हाथ से तोलिया ले लिया और उसे बेड पर बिठाते हुए अपने हाथ से उसके बाल सुखाने लगी.. गौतम को आरती से इस तरह की कोई उम्मीद नहीं थी मगर जिस तरह से आरती उसके सर के बाल जो गीले थे उन को तौलिये से सुखा रही थी.. गौतम जान रहा था कि आरती पूरी तरह से गौतम के ऊपर लट्टू है और गौतम से आकर्षित है.. आरती बहाने बहाने से गौतम के बदन को छू रही थी और गौतम आरती से बचते हुए ऐसा दिखा रहा था जैसे वह आरती से दूर जाना चाहता हो मगर आरती उसे अपने से दूर नहीं करना चाहती थी..

आरती - क्या बात है देवर ज़ी? गले औऱ सीने पर इतने निशान.. लगता है कई बिल्लीओ ने आपका ये हाल किया है..
गौतम आरती से तौलिया लेकर - रहने दो भाभी मैं सूखा लूंगा अपने बाल..
आरती - अरे अरे.. नहीं बताना तो मत बताओ.. देवर ज़ी.. पर ऐसे क्या करते हो.. अपनी भाभी को कम से कम इतना तो करने दो..
यह कहते हुए आरती गौतम के बेहद करीब आ जाती है और उसके होठों से अपने होंठ लगभग लगाते हुए उसके बाल साफ करने लगती है मगर गौतम अपना चेहरा मोड़ते हुए आरती से मुंह फेर लेता है औऱ आरती से कहता है.
गौतम - भईया याद कर रहे होंगे आपको भाभी.. अब रहने दो.. मैं कर लूंगा..
आरती उदासी से - तुम्हारे भईया ही तो याद नहीं करते मुझे.. देवर ज़ी.. वो तो बस दूकान ही सँभालते है मुझे सँभालने के लिए उनके पास ना तो वक़्त है ना उनमे इतनी ताकत..
गौतम बाल बनाते हुए - तभी मेरे पीछे पड़ी हो आप.. पर ये ख्याल छोड़ दो भाभी.. मैं नहीं पटने वाला..
आरती अपना पल्लू गिराकर गौतम के करीब आते हुए - अरे देवर ज़ी.. पटाना अभी शुरू ही कहा किया है मैंने आपको.. शादी का माहौल है.. सबकी इच्छा पूरी हो रही है.. मेरी मुराद भी पूरी हो जाए तो आपका क्या बिगड़ जाएगा.. इतनी बुरी भी नहीं है आपकी भाभी.. आपके गले औऱ सीने पर कुछ निशान छोड़ने का हक़ तो आपकी इस भाभी का भी है..

ये कहते हुए आरती ने गौतम की कमर पर बंधे हुए तोलिया को अपनी उंगली के दबाव से एकदम से झटके से खोल दिया और गौतम को इसका अंदाजा भी नहीं था. गौतम ने अभी तौलिये के नीचे अंडरवियर नहीं पहना था जिससे तोलिया हटाने पर वह पूरी तरह अपनी प्राकृतिक अवस्था में आ गया और आरती के सामने उसका विशालकाय हथियार लहराते हुए झूलने लगा.. गौतम का हथियार देखकर आरती के जैसे रोंगटे खड़े हो गए और वह कामुकता से भर्ती हुई सन रह गई उसने आज से पहले इस तरह की कोई चीज नहीं देखी थी आरती अश्लील फिल्में देखने की शौकीन थी और अक्सर वह फिल्मों में इस तरह के लंड देखती थी मगर आज उसने हकीकत में ऐसा कुछ देख लिया था और उसे देखकर उसकी आंखें खुली की खुली रह गई थी और वह हैरत से गौतम को देख रही थी.

गौतम का आरती से ऐसा कुछ करने की उम्मीद नहीं थी मगर आरती ने जब ऐसा कुछ कर दिया तो उसे समझ नहीं आया कि वह क्या करें वह पहले तो एक दो पल के लिए भूत बना हुआ खड़ा रहा मगर फिर अपने तोड़ने को फर्ष से उठाकर वापस अपनी कमर पर बांध लिया और आरती पर गुस्सा होते हुए चिल्लाते हुए कहा..
गौतम - भाभी पागल हो क्या? ये क्या हरकत है?
आरती तो जैसे अभी तक गौतम के हथियार में ही खोई हुई थी उसे तौलिये के ऊपर से भी गौतम के हथियार की हल्की झलक मिल रही थी जो अभी तक सोया हुआ था.. आरती के कानों में गौतम की आवाज पड़ी ही नहीं और वह बस गौतम के लंड पर अपनी नजर डालें खड़ी हुई सिर्फ गौतम के लंड की ओर देख रही थी, गौतम ने आरती को ऐसा करते हुए देखा तो फिर से चिल्लाकर उसका कंधा पकड़कर झकझोरते हुए कहा..
गौतम - भाभी... भाभी...
आरती - देवर ज़ी.. आपका इतना बड़ा..
गौतम शरमाते हुए - भाभी आप जाओ यहां से..
आरती वापस अपने हाथ से गोतम का तौलिया खींचने लगती है मगर इस बार गौतम आरती का हाथ पकड़ लेता है..
गोतम - भाभी पागल हो गई हो क्या आप.. क्या कर रही हो..
आरती उत्सुकता से - देवर ज़ी बस एक बार वापस देख लेने दीजिये.. मैं चली जाउंगी..
गौतम - दरवाजा खुला हुआ है भाभी, कोई देख लेगा आप जाओ यहाँ से..
आरती - कोई नहीं देखेगा ग़ुगु.. मैं दरवाजा बंद करके आती हूँ..

आरती दरवाजा बंद करने के लिए मुड़ जाती है और दरवाजा बंद करने लगती है आरती के दरवाजा बंद करते ही बाहर हाल में डीजे की आवाज बजनी शुरू हो जाती है जिसमें आज शादी का महिला संगीत था.. डीजे पर पहला गाना बजते ही होटल में चारों तरफ शोर गुल मच जाता है जिसमें हर किसी को एक दूसरे की आवाज सुनाई नहीं दे रही थी हर कोई एक दूसरे से जोर से कहकर बात कर रहा था और एक दूसरे को इशारों से अपनी बात समझ रहा था इसका फायदा उठाकर आरती ने दरवाजा बंद कर वापस गौतम के पास आ गई और उसका तोलिया खींचने की नीयत से अपना हाथ बढ़ा दिया..
गौतम हाथ पकड़ते हुए - भाभी क्या मज़ाक है.. जाओ आप यहां से..
आरती अपना हाथ छुड़ाकर अपनी साडी उतारते हुए - देवर ज़ी आज तो चाहे कयामत आ जाए.. मैं यहां से नहीं जाने वाली..
आरती जब अपनी साड़ी उतार रही होती है गौतम की नजर आरती के ब्लाउज में चली जाती है जहां दो मस्त-मस्त मौसम कड़क होकर सामने की तरफ तनी हुई थी और उनको देखने से लगता था कि उन पर अब तक किसी के हाथ नहीं पड़े हैं और ना ही आरती ने इन पर किसी और को हुकूमत करने का आदेश ही दिया था..
गौतम का सोया हुआ लैंड धीरे-धीरे उठने लगता है और वह आरती को अपने कपड़े उतारते हुए देखने लगता है आरती साड़ी के बाद अपना ब्लाउज और फिर पेटिकोट उतार कर ब्रा औऱ पेंटी में आ जाती है और फिर गौतम की ओर बढ़ने लगती है.. इस बार गौतम ने आरती से बिना किसी शर्म और लिहाज़ के मिलने का निश्चय कर लिया था और वह अपनी और आती हुई आरती को कामुक नजरों से देखने लगा था..

गौतम ने अपनी और आती हुई आरती को देखते हुए अपना तोलिया अपने हाथों से ही हटाकर साइड में रखे सोफे पर फेंक दिया और आरती की कमर में हाथ डालकर उसे अपने करीब खींचते हुए उठाकर एक साथ बिस्तर पर पटक दिया... वहां से गौतम आरती के ऊपर चढ़ा और उसे छूने लगा.. आरती भी गौतम के इस व्यवहार से हक्की बक्की रह गई और चौंकते हुए वह गौतम को चूमने लगी और उसकी आंखों में देखी हुई अपनी आंखों के इशारों से उसे पूछने लगी कि एकदम से उसे यह क्या हुआ है मगर गौतम ने उसकी आंखों के इशारे का कोई प्रति उत्तर नहीं दिया और चुपचाप आरती के होठों का स्वाद लेने लगा दोनों के होंठ आपस में इस तरह मिल रहे थे जैसे दो बिछड़े हुए दोस्त लिपटकर एक साथ मिल जाते हैं दोनों के बीच होठों की जंग जुबानी हो चुकी थी गौतम और आरती ने एक दूसरे की जीभ को अपने-अपने मुंह से निकाल कर एक दूसरे की जीभ से लड़ाना और मिलना चालू कर दिया था..

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आरती को जो सुख अपने पति चेतन से नहीं मिल पाया था वह गौतम से पा लेना चाहती थी और किसी नियत से गौतम को चूम रही थी..

चुंबन के दौरान गौतम ने आरती की ब्रा निकाल कर फेंक दी जिससे उसके नुकीले सूचक गौतम के सीने पर चुभने लगे और इसमें गौतम को एक अजीब और मीठा अहसास होने लगा, उसकी कामुकता और ऊपर उठने लगी और हवाओं में तैरने लगी..

गौतम चुम्बन तोड़कर आरती से कहा - भाभी एक बार फिर सोच लो.. कल दीदी की शादी है औऱ एक बार मेरे साथ ये सब करने के बाद आप कुछ दिन ठीक से चल भी नहीं पाओगी.
आरती - मुझे फर्क नहीं पड़ता देवर ज़ी.. आप बस मुझे ऐसा रगड़ के रख दो कि मैं तृप्त हो जाऊ..
गौतम - जैसा आप चाहो भाभी..
गौतम इतना कह कर आरती कि छाती की तरफ आ जाता है और उसकी छतिया पर खड़े हुए चूचक अपने मुंह में लेकर चूसने लगता है और अपने हाथों से उन्हें मसलने और दबाने लगता है जिससे आरती के मनोभावों में कामुकता कि हवा में घूमती महक की तरह उठकर फैलने लगती है और तैरने लगती है जिससे आसपास का वातावरण काममई हो जाता है..

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आरती गौतम का चेहरा पकडे हुए उसे अपनी छाती के उभार का मज़ा देने लगती है.. आरती के कड़क उठे हुए और तीर की तरह चुभने वाले चुचक गौतम अपने मुंह में लेकर इस तरह चूस रहा था जैसे वह बच्चे बचपन में अपनी माँ की चूची पकड़ के उनमे से दूध चूसते हैं...

आरती सीस्कारियां लेते हुए गौतम के चेहरे को पकड़े हुए उसके बालों में हाथ फिराती हुई उसे अपनी छाती का पूरा मजा दे रही थी और वह चाहती थी कि गौतम उसकी छाती से भरपूर मजे लेकर उसपर लट्टू हो जाए, उससे खेले जिससे उसकी ब्रा का साइज औऱ उसकी मादकता दोनों बढ़ जाए..

गौतम आरती के चुचे से खेलते हुए एक हाथ से उसकी पेंटिंग नीचे सरकार कर उतार देता है और फिर उसकी टांगों के बीच में आ जाता है और उसकी टांगें खोलकर उसकी जांघों की जोड़ पर अपना हाथ रखकर आरती की चुत को मसलने लगता है जिससे आरती अब खुलकर सिसकने औऱ आहे भरने लगती है..

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आरती की चुत से गौतम के हाथ लगाते ही पानी निकलने लगा था औऱ वो झड़ गई थी मगर फिर गौतम ने अपने लंड पर थूककर अपने लंड को आरती की चुत में घुसने के लिए सेट कर दिया औऱ धक्का देने लगा..

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आरती को चेतन ने सुहागरात से लेकर अब तक एक बार भी तृप्त नहीं किया था ना ही उसके साथ अच्छे से संभोग किया था जिससे आरती काम की अग्नि में जल रही थी और उसने शादी के इतने सालों तक अपनी चुत को घर में रखें गाजर मूली बैंगन यहां तक की बेलन से भी ठंडा किया था इसलिए उसकी चुत खुल तो चुकी थी मगर चुदी नहीं थी..

गौतम का लोहे की तरह मजबूत औऱ ठोस लंड अपनी पूरी औकात में खड़ा होकर आरती की चुत में घुसने लगा था औऱ आरती की सिस्कारिया अब उसकी चिंखो में बदलने लगी थी मगर यहां उसकी आवाज सुनने वाला कोई नहीं था.. ऊपर से उसकी आवाज नीचे बज रहे dj के शोर में इस तरह खो गई थी जैसे भुंसे के ढेर में सुई खो जाती है.

गौतम ने आरती पर रहम करते हुए अपना हथियार धीरे-धीरे उसकी गुफा में गुस्सा आया था मगर अब आधा हथियार अंदर जाने के बाद गौतम को आरती की शक्ल देखने में मजा आने लगा..
आरती की सूरत इस तरह की थी जैसे कोई बिन पानी मछली की होती है आरती की शक्ल देखते हुए गौतम को उसकी कही हुई हर बात याद आने लगी कि किस तरह से आरती कुछ दिनों से गौतम का दिल दुखाने की पूरी पूरी कोशिश कर रही थी हालांकि आरती उन बातों को मीन नहीं करती थी ना ही उसने वह बात जानबूझकर कही थी..

उसका मकसद सिर्फ गौतम का दिल दुखाना था जिसमें वह कामयाब भी नहीं हो पाई थी मगर गौतम को आप सब याद आ रहा था और वह आरती के चेहरे पर उभरते इस भाव को देखकर सुकून महसूस कर रहा था कि अब आरती का सारा घमंड और सारी अकड़ चकनाचूर हो चुकी है..
गौतम - क्या हुआ भाभी अभी तो आधा ही अंदर गया है औऱ आप तड़पने लगी..
आरती सिसकते हुए - देवर ज़ी मैं कोई रांड थोड़ी हूँ जो इतना बड़ा लोडा एक बार में ले जाउंगी..
गौतम - चिंता क्यों करती हो भाभी.. मैं हूँ ना आपका देवर.. आपको अपने लंड से चोदकर पक्का रांड बना दूंगा..
आरती - ग़ुगु धीरे धीरे करना.. अब दर्द भी होने लगा है..
गौतम - ऐसा लगता है तीन साल में चेतन भईया ने आपको हाथ तक नहीं लगाया.. बिलकुल नाजुक हो आप तो.. देखो सील टूट गई आपकी...
आरती - उसे तो सिर्फ खाना औऱ सोना है.. साला सो किलो का ढ़ोल है.. दूकान पर बैठने के अलावा कुछ नहीं आता..
गौतम - ये बात तो है भाभी.. चेतन आप जैसी हसीन नाजुक औऱ प्यारी लड़की के लायक़ नहीं है..
आरती धीरे धीरे अपनी गांड उठाकर चुदवाते हुए - तो देवर ज़ी.. आप क्यों नहीं बना लेटे मुझे अपना.. ले चलो अपनी भाभी को भगा के.. मैं मना थोड़ी करुँगी..
गौतम धीरे धीरे आधे लंड से चोदते हुए - रहने दो भाभी.. ये ऐश औऱ आराम छोड़कर जाना आपके बस की बात नहीं है..
आरती - ऐसा नहीं है देवर ज़ी.. मैं तो आपके साथ फुटपाथ पर भी रह लुंगी. बस आप अपने इस लंड से मेरी चुत की सर्विस टाइम से करते रहना..
गौतम एक जोरदार धक्का मारके आरती की चुत में अब पूरा लंड घुसा देता है औऱ आरती चिल्लाते हुए गौतम से लिपटकर सिसकियाँ लेने लगती है..

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गौतम - भाभी दर्द तो नहीं हुआ ना..
आरती - देवर ज़ी आपने तो आज असली में सील तोड़ दी..
गौतम मिशनरी पोज़ में आरती की चुदाई करता है और फिर आरती को अपने आगे घोड़ी बनाकर उसकी सवारी करने लगता है..

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आरती खुलकर गौतम के साथ अपनी हवस बुझा रही थी उसे अब किसी की फिक्र नहीं थी आरती खुल के गौतम को अपना चुकी थी और उसके साथ मजाक मस्तियां करते हुए कामसुख भोग रही थी..

गौतम ने घोड़ी के बाद आरती को अपनी गोद में उठा लिया औऱ उठा उठा के चोदने लगा..

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आरती ने गौतम का बराबर साथ दिया औऱ चुदाई लीला में गौतम को भी पूरा मज़ा मिलरहा था.. आरती बार बार गौतम के होंठों को चूमकर उससे अपने प्यार का इज़हार कर रही थी औऱ चुदाई के चरम पर पहुंचकर झड़ चुकी थी.. इस चुदाई में कई बार चुत से झड़ने के बाद आरती ने गौतम को अपनी चुत में घुसा कर लंड पर दबाब बनाते हुए गौतम को भी अपने अंदर अपना पानी निकालने पर मजबूर कर दिया औऱ दोनोंअपनी इस चुदाई के महासंगम के महामिलन से तृप्त होकर एक दूसरे की बाहों में लेट गए थे..
आरती - देवर ज़ी.. आप तो बहुत बुरे हो..
गौतम - क्यों भाभी.. मज़ा नहीं आया आपको?
आरती - प्यार से प्यार करने को कहा था मैंने औऱ आपने.. एक झटके में अपना ये अजगर मेरी बिल में घुसा दिया.. देखो कितनी फ़ैल गई है मेरी चुत..
गौतम - भाभी ऐसी फैली हुई चुत तो हमारे प्यार की निशानी है..
आरती मुस्कुराते हुए - बड़े आये प्यार की निशानी देने वाले.. मैं जानती हूँ तुमने मेरी बातों का बदला लिया है मुझसे..
गौतम - भाभी आपसे बदला? आप किस बात का बदला लूंगा मैं? मैं जानता था कि आप बस मेरा दिल दुखाने के लिए ही बोल रही थी जो आपने बोला.. मैं तो आपसे कभी नाराज़ था ही नहीं..
आरती मुस्कुराते हुए - अच्छा देवर ज़ी.. अब जाने दीजिये.. मौका मिलते ही वापस प्यार झरने आउंगी आपसे.
गौतम - जैसा आप चाहो भाभी.. आपका देवर हमेशा आपकी सेवा के लिए तरयार रहेगा...
आरती बेड से खड़े होते ही लड़खड़ा जाती है हसते हुए गौतम को देखती है..
गौतम सिगरेट सुलगाते हुए - मैंने तो पहले ही कहा था भाभी.. चुदने के बाद ठीक से चल भी नहीं पाओगी..
आरती लड़खड़ाकर दो कदम चलती है उसके मन में वापस चुदने की तलब थी मगर जुबान से इस बात को कहना आरती के बस में अब नहीं था वो कमरे के दरवाजे पर रूकते हुए मुस्कुराते हुए गौतम से कहती है - देवर ज़ी मुझे मेरे रूम तक छोड़ दोगे?
गौतम सिगरेट का एक कश लेकर आरती से कहता है - ये भी तो आपका रूम है भाभी यही आराम कर लो.. शाम तक तो वैसे भी कोई नहीं है पूछने वाला..
आरती लड़खड़ाती हुई वापस बेड के करीब आ जाती है जहाँ गौतम आरती का हाथ पकड़कर उसे अपने ऊपर खींच लेता है औऱ आरती गौतम के ऊँगली में सुलगती सिगरेट लेकर एक लम्बा सा कश भरती है औऱ फिर सिगरेट बुझाकार गौतम को फिर से चूमने लगता है..

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Lovely update and lovely story
 
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Dhakad boy

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Ekdum mast update Bhai
Aarti ka number bhi lag gaya
Ab dekte hai agla number kiska hoga
Maa ko manana mushkil lag raha hai
 
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Joy Gupta

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Update 22

शाम के पांच बज चुके थे होटल की छत पर गौतम सुमन का बेसब्री से इंतजार कर रहा था. सुमन भी छत पर आने के लिए निकल चुकी थी गौतम यह सोच रहा था कि वह आज अपनी मां से अपने प्यार का इजहार कर देगा और उसे अपनी दुल्हन बनाने का प्रस्ताव रखेगा. गौतम यह जानता था कि जो वह करने जा रहा है इसमें उसे सफलता नहीं मिलने वाली है लेकिन वह फिर भी एक बार सुमन को अपने प्यार का इजहार करके मानना चाहता था और चाहता था कि सुमन उसे अपने प्रेमी के रूप में अपना ले.. अब तक जो सुमन और गौतम के बीच में हो रहा था वह केवल सुमन के मातृत्व प्रेम के कारण हो रहा था जिसमें वह गौतम को अपना बेटा मानकर सब कुछ कर रही थी भले इसमें उसे आनंद और काम संतुस्टी की प्रति हो रही थी लेकिन वह अब तक गौतम को अपने प्रेमी के रूप में स्वीकृत नहीं कर पाई थी ना ही उसे यह अधिकार दिया था कि गौतम उसके पूरे शरीर पर अधिकार जताये..


सुमन का नारीत्व और काम इच्छा उफान पर थी जिसे वो गौतम के साथ शांत कर लेती थी मगर इस अधूरी शांति से गौतम और सुमन दोनों ही काम के शिखर पर पहुंच कर उस अद्भुत और अतुल्य सुख से वंचित ही रहे जिसे पाना दोनों के मन में लंबित था. सुमन अपने मन की आखिरी दीवार को नहीं गिराना चाहती थी. सुमन चाहती थी कि गौतम की हर इच्छा और हर मनोकामना पूरी हो लेकिन वह खुद इसके लिए अपनी चुत की कुर्बानी देने को तैयार नहीं थी. सुमन अब यही चाहती थी कि जैसे गौतम और सुमन के बीच एक रिश्ता कायम हो चुका है वह इस तरह कायम रहे और अब सुमन ना तो इससे आगे बढ़ना चाहती थी और ना ही इससे पीछे हटाना चाहती थी.


गौतम ने भी अपने मन में ये तय कर लिया था कि वह सुमन को किसी भी शर्त पर अपना बना कर रहेगा और उसके लिए वह आज पहली-पहल कर देगा. भले इसमें उसे सफलता मिले या वह असफल रहे. गौतम अब मन ही मन सुमन को पाने की चाहत में जलने लगा था और उसे आप सुमन को भोगने की इच्छा पूरी उफान ले चुकी थी. मगर वह इस बात से भली-भांति परिचित था की सुमन को भोगना और उसे पाना इतना आसान नहीं होगा और जो दीवार सुमन ने अपने मन में उसके और खुद के बीच में बना रखी है उसे गिराना भी आसान नहीं होगा. दोनों के बदनों के मिलन के बीच सुमन ने अपने मन में उसके औऱ गौतम के रिस्ते को रोड़ा बना लिया था जिसे दूर करना आसान नहीं था. मगर गौतम ने ये तय कर लिया था जो किसी भी तरह से उसके मन से इस दीवार को गिरा कर रहेगा और उसे अपना बना कर रहेगा इसके लिए भले ही उसे कुछ भी करना पड़े. गौतम और सुमन के बीच सब कुछ हो रहा था मगर बाकी था वही सबसे जरूरी था और वहीं गौतम करना चाहता था मन ही मन सुमन भी ऐसा ही चाहती थी मगर उसने अपने मन में रिश्ते की दीवार को बीच में खड़ा कर दिया था जिसे वह नहीं गिराना चाहती थी.


सुमन अकेली चुपके चुपके सीडीओ से होती हुई छत के दरवाजे तक आ पहुंची.. सुमन के मन में अजीब अजीब ख्याल आ रहे थे और अजीब सवाल वह अपने आप से पूछ रही थी जिसके जवाब खुद ही अपने आप को देती हुई वह छत के दरवाजे पर खड़ी हुई थी गौतम भी सुमन के इंतजार में छत के कोने में खाली पड़ी की जगह पर खड़ा हुआ सुमन का इंतजार कर रहा था उसके मन में भी कई बातें चल रही थी जिसे वह सोचकर सही और गलत तय करने में लगा हुआ था. गौतम ने सुमन को छत के दरवाजे पर खड़ा हुआ देख लिया और सुमन की नजर भी गौतम से मिल गई. गौतम ने सुमन को इशारे से अपने पास आने के लिए कहा औऱ सुमन गौतम के पास धीरे धीरे कदमो से चली आई..


गौतम ने उसी नज़र से अपनी माँ के बदन को ऊपर से नीचे तक देखा जिस तरह वो बाकी लड़कियों औऱ औरतों को ताड़ता था. सुमन इस नज़र को अच्छे से समझ गई थी मगर काम के भाव से भारी हुई सुमन को इस नज़र का बुरा कतई नहीं लगा.. गौतम ने सुमन की कमर में हाथ डालकर उसे अपने सीने से लगाकर बाहों में भर लिया औऱ फिर अपने होंठों से सुमन के होंठ मिलाकर जंग शुरू कर दी.. इस जंग में दोनों ही एक दूसरे को हराने के लिए भर्षक प्रयास कर रहे थे और एक दूसरे के लबों को चूमते हुए खींच कर काटते हुए ऐसे चुम रहे थे जैसे उनके बीच ये प्यार का पहला चुम्बन हो..

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गौतम ने चुम्बन के दौरान एक जोरदार थप्पड़ सुमन की गांड पर मारा औऱ फिर उसकी गांड को जोर से मसलते हुए इतना तेज़ दबाया की सुमन चुम्बन तोड़कर सिसक उठी औऱ गौतम को शिकायत की नज़र से देखते हुए बोली..

सुमन - आराम से ग़ुगु.. माँ को दर्द होता है ना.

गौतम - ग़ुगु नहीं सुमन.. गौतम.. मुझे गौतम कहकर पुकारो.. मैं अब आपके इन गुलाबी होंठों से अपना नाम सुनना चाहता हूँ..

सुमन हैरानी से - तू क्या कह रहा है ग़ुगु औऱ मुझे नाम से क्यों बुला रहा है.. मैं तेरी माँ हूँ.. तू भूल गया है क्या?

गौतम - मुझे सब याद है सुमन.. (अपना हाथ सुमन की चुत पर रखते हुए) आपने 20 साल पहले मुझे अपनी इसी चुत से निकाला था.. आपने इन 20 सालों में जितना मुझे प्यार किया है उतना शायद कोई औऱ कभी ना कर पाए.. मेरी ख़ुशी के लिए आप मेरे सामने नंगी तक हो गई.. मेरी हर ज़िद पूरी की मगर अब सुमन.. मैं आपको खुश रखना चाहता हूँ.. प्यार करना चाहता हूँ.. मैं चाहता हूँ आप मुझे नाम से बुलाओ.. हर शाम घर पर मेरा इंतज़ार करो औऱ जब मैं काम से वापस आउ तो आप मुझसे लिपटकर अपने होंठ मेरे होंठ पर रख दो.. मुझे गौतम ज़ी कहकर बुलाओ.. बिलकुल जैसे आप पापा को बुलाती थी..

सुमन - तू पागल हो गया है क्या गौतम? ये सब क्या बकवास कर रहा है.. तू अच्छी तरह जानता है मैं तेरे साथ ये सब नहीं कर सकती.. माँ हूँ मैं तेरी औऱ तू मेरा ग़ुगु.. समझा?

गौतम - आप सब करोगी सुमन.. मुझे यक़ीन है मेरी मोहब्बत आपको ये सब करने पर मजबूर कर देगी.. आप मुझे अपने दिल में वही जगह दोगी जो जगह तुमने पापा की दी थी..

सुमन गौतम के सामने घुटनो पर बैठकर उसकी पेंट खोलते हुए - तू ये मुझे चिढ़ाने के लिए बोल रहा है ना? पर मैं नहीं चिढ़ने वाली समझा? मैं अभी तुझे चूसकर ठंडा कर देती हूँ फिर तेरा सारा भुत उतर जाएगा औऱ तू फिर से मुझे सुमन नहीं माँ कहकर बुलायेगा..

गौतम कंडोम देते हुए - लो सुमन.. बिना कंडोम तुम्हे उल्टी हो जायेगी..

सुमन कंडोम लेकर फेंक देती है औऱ गौतम का लंड हाथ में पकड़कर उससे कहती है - उल्टी होती है तो हो जाए.. तुझे बिना कंडोम के अच्छा लगता है मैं उसी तरह तुझे खुश कर देती हूँ..

ये कहकर सुमन गौतम के लंड को मुंह में भरकर चूसने लगी औऱ गौतम सुमन को प्यार से देखता हुआ उसके सर पर हाथ फेरने लगा..

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गौतम - जानती हो सुमन जब आप सुबह नाच रही तब मेरा दिल आपको देखकर क्या कह रहा था मुझसे? मेरा दिल कह रहा था कि मैं आपको अपनी दुल्हन बना लू.. औऱ जो सुख पापा आपको सालों से नहीं दे पाये वो सुख मैं आपको हर रात दू.. सुबह तो मैंने अपनी खुली आँखों से हमारे बच्चों तक के नाम सोच लिए थे.. लड़का हुआ तो निखिल लड़की हुई तो निकिता..

सुमन लंड को पूरी मेहनत औऱ काम कला के साथ चूस रही थी मगर गौतम कि बात सुनकर वो बोली..

सुमन मुंह से लोडा निकालकर - गौतम तूने अब एक औऱ शब्द अपने मुंह से निकाला तो अच्छा नहीं होगा.. मैं तेरी माँ हूँ और माँ ही रहूंगी.. मुझे अपनी दुल्हन बनाने का ख्याल अपने दिल औऱ दिमाग से निकाल दे..

गौतम - मैं आप से प्यार करता हूँ सुमन..

सुमन - जितना तू मुझसे करता है उससे कहीं ज्यादा प्यार मैं तुझसे करती हूँ बेटू..

गौतम - सुमन मैं आपको अपनी माँ नहीं अपनी दुल्हन की तरह प्यार करता हूँ..

सुमन - ये ज़िद छोड़ दे ग़ुगु.. ये मुमकिन नहीं है.. मैं तुझे कभी भी वो सब नहीं दे सकती..

ये कहकर सुमन गौतम के लंड को वापस मुंह में भर लेती है औऱ चूसने लगती है

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मगर अब गौतम सुमन के मुंह से अपना लंड निकाल लेता है औऱ अपनी पेंट पहनने लगता है लेकिन सुमन गौतम के हाथ पकड़ कर उसे पेंट पहनने से रोक देती है औऱ कहती है.

सुमन - गौतम ये ज़िद छोड़ दे.. मैंने तेरी हर बात मानी है मगर ये बात मैं नहीं मान सकती.. तू चाहता है मैं अपनी ही नज़रो में गिर जाऊ? कभी खुदसे आँख भी ना मिला पाउ? कैसी जिद पर तू अड़ गया है गौतम.. तू चाहता है तो मैं आज से तुझे तेरे नाम से बुलाऊंगी.. तेरे मुंह से माँ की जगह सुमन भी सुन लुंगी.. मगर ये ज़िद छोड़ दे मेरे शहजादे..

गौतम सुमन से अपने हाथ छुड़वाकर अपनी पेंट पहन लेता है औऱ छत की रेलिंग के पास जाकर सुमन से कहता है..

गौतम - आप नीचे जाओ माँ.. मुझे अब आपसे कुछ नहीं चाहिए.. शादी एन्जॉय करो..

सुमन अपने घुटनो पर से पैरो पर खड़ी हो जाती है औऱ गौतम के पास आकर अपने ब्लाउज में सिगरेट का पैकेट निकालकर एक सिगरेट गौतम के होंठों पर लगा देती है औऱ लाइटर से जलाते हुए कहती है..

सुमन - मुझे माफ़ कर दे गौतम मैं तेरी ये इच्छा पूरी नहीं कर सकती.. तू चाहे तो मुझे अभी नंगा कर दे मैं उफ़ तक नहीं करुगी मगर मेरे शहजादे अपनी माँ को इस तरह जलील मत कर..

गौतम सिगरेट का एक लम्बा कश लेकर अपनी माँ के मुंह पर धुआँ छोड़ते हुए - माफ़ तो आप मुझे कर दो माँ.. मैं हमारे रिस्ते को भूल गया था.. पर अब आप भरोसा रखो मैं आपसे इस बारे में कुछ नहीं कहने वाला...

सुमन मुस्कुराते हुए गौतम के लंड पर पेंट के ऊपर से हाथ रखते हुए - चल गौतम.. मैं अपने छोटे ग़ुगु को थोड़ा प्यार कर लेती हूँ.. नीचे ना सही ऊपर से तो मैं तेरी हर ख्वाहिश पूरी कर सकती हूँ..

गौतम सिगरेट का कश लेकर सुमन का हाथ लंड पर से हटाते हुए - रहने दो माँ.. छोटा ग़ुगु सो चूका है.. आप जाओ नीचे..

सुमन गौतम के हाथ से सिगरेट लेकर कश लेती है औऱ गौतम के लंड को इस बार जोर से हाथों में पकड़कर मसलते हुए गौतम से कहती है..

सुमन - छोटे ग़ुगु को नींद से जगाना औऱ खड़ा करना मुझे अच्छे से आता है.. तू फ़िक्र मतकर मैं छोटे ग़ुगु को खुश करने में ज्यादा वक़्त नहीं लगाउंगी..

सुमन कहते हुए अपने घुटनों पर बैठ जाती है गौतम की पेंट उतारने लगती है लेकिन गौतम सुमन के हाथों से अपनी पेंट छुड़वाते हुए उसे कहते हैं..

गौतम - मन नहीं माँ.. रहने दो..

सुमन गुस्से से - मैं अच्छी तरह जानती हूँ तेरा मन क्यों नहीं है? तू मुझसे नाराज़ है ना.. मैंने तेरी ज़िद पूरी नहीं की इसलिए? तूने अगर अपनी ज़िद नहीं छोडी तो मैं यही से नीचे कूद कर अपनी जान दे दूंगी..


ये कहते हुए सुमन छत की रेलिंग की तरफ बढ़ती है और उससे पार करने की कोशिश करने लगती है मगर पीछे से गौतम उसका हाथ पकड़ कर सुमन को अपनी तरफ खींच लेता है और एक जोरदार थप्पड़ सुमन के गाल पर मरता हुआ उसे अपनी बाहों में भर लेता है औऱ सुमन से कहता है..

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गौतम - अगली बार मरने की बात भी की, तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा समझी आप?

सुमन थप्पड़ खाकर भी मुस्कुरा पडती है औऱ गौतम के होंठों को चुमकर कहती है - अपनी माँ के गाल पर इतना जोर से थप्पड़ मारना जरुरी था?

गौतम अपनी माँ सुमन को बाहों में भरके छत पर बने फालतू सामान से भरे कमरे की तरफ उठाकर ले जाते हुए - अभी तो सिर्फ एक ही पड़ा है अगली बार ऐसा कुछ किया ना आपने तो बहुत पिटोगी आप..

इतना कहते हुए गौतम सुमन को कमरे में एक चारपाई पर बैठा देता है औऱ सुमन का पल्लू हटाकर उसकी ब्लाउज के सारे बटन खोलकर ब्रा ऊपर सरकातें हुए सुमन के कबूतर आजाद कर देता है औऱ फिर अपनी पेंट खोलकर लंड को लहराते हुए सुमन के मुंह में घुसा देता है औऱ सुमन भी मुस्कुराते हुए गौतम के लंड को बिना कंडोम लगाए चूसने लगती है औऱ लंड चूसते हुए गौतम को देखने लगती है..

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गौतम अपनी माँ के इस रूप से उत्तेजित औऱ कामुकता के शिखर पर जा चूका था उसे झड़ने में ज्यादा समय नहीं लगा औऱ उसने सारा वीर्य सुमन के मुंह में भरके उसे अपना वीर्यपान करवा दिया औऱ सुमन न चाहते हुए भी गौतम को खुश करने के लिए उसका वीर्य पी गई...

गौतम झड़ने के बाद सुमन के बगल में बैठ जाता औऱ औऱ गले में हाथ डाल कर सुमन की एक चूची पकड़कर मसलते हुए कहता है..

गौतम - काश आप मेरी माँ नहीं बीवी होती सुमन.. मैं आपको बिस्तर से उठने ही नहीं देता..

सुमन हसते हुए गौतम का लंड साफ करती हुई - ये नहीं होने वाला बच्चू.. तेरे नसीब मेरे ऊपर का छेद है नीचे का नहीं.. चल अब जाती हूँ..

वरना तू फिर से शुरू हो जाएगा..

सुमन जैसे ही उठने लगती है गौतम सुमन को अपनी गोद में बैठा लेता है औऱ कहता है - थोड़ी देर बैठो ना माँ मेरे साथ.. नीचे जाकर क्या करोगी.. कितनी भीड़ औऱ शोर है नीचे..

सुमन - शादी में भीड़ औऱ शोरगुल तो होता ही है.. जब तेरी शादी होगी तब भी इतना ही ऐसे ही भीड़ औऱ शोर होगा..

गौतम - नहीं होगा माँ.. मेरी शादी में सिर्फ दो लोग ही रहेंगे.. एक मैं औऱ दूसरी आप.. हमारी शादी ख़ास होगी..

सुमन - गौतम देख तू वापस वही बात मत शुरू कर देना.. मैं तुझे अपना फैसला बता चुकी हूँ..

गौतम - मैं तो मज़ाक़ कर रहा था मेरी प्यारी सी सेक्सी सुमन..

सुमन सिगरेट सुलगाते हुए - रूपा का फोन आया था कह रही थी तेरा फ़ोन बंद है..

गौतम - हाँ अब इतने चाहने वाले है मेरे.. किस किस से बात करता तो सोच कुछ बंद ही कर देता हूँ..

सुमन सिगरेट का कश लेकर सिगरेट गौतम को देती हुई - एक बार बात कर ले बेचारी बहुत परवाह करती है तेरी..

गौतम कश लेकर - पता है माँ.. वापस जाकर रूपा मम्मी के साथ ही रहेंगे हम दोनों..

सुमन - मम्मी? माँ सिर्फ मैं हूँ तेरी औऱ कोई नहीं.. समझा?

गौतम - आप माँ हो रूपा मम्मी औऱ माधुरी छोटी माँ.. मैंन छोटी माँ को सब बता दिया..

सुमन - फिर क्या कहा उसने?

गौतम - पहले तो कुछ नहीं बोली मगर फिर थोड़ा डांटने लगी औऱ बोली आपसे बात करनी है उसे..

सुमन - बात करवा ना फिर..

गौतम - वापस चलकर बात कर लेना माँ सीधा घर चले जाएंगे उनके..

सुमन - उनका घर कैसे हुआ? तेरे पापा ने लिया है घर.. हमारा भी हक़ है उसपर.. मैं तो जाकर उससे यही बात करुँगी औऱ तेरे पापा से भी यही बात कहूँगी..

गौतम - पर हम खुश है ना वहा भी..

सुमन - खुश? उस शुरू होते ही ख़त्म होने वाली जगह में रहकर खुश है तू? मैं खुश नहीं हूँ.. मेरा हक़ कोई औऱ चुड़ैल नहीं खा सकती..

गौतम सिगरेट सुमन को देते हुए - गुस्से में कितनी प्यारी लगती हो माँ..

सुमन कश लेकर - तेरा भी हक़ है उस घर पर.. हम वापस जाकर रूपा नहीं माधुरी के साथ रहेंगे.. देखती हूँ वो कैसे रोकती है हमें..

गौतम - वो क्यों रोकने लगी माँ.. वो तो शायद यही चाहती है औऱ इसीलिए आपसे बात भी करना चाहती है.. वैसे मेरे लिए भी अच्छा है.. आप तो अपनी चुत को छुपा के रखो.. छोटी माँ तो मुझे अच्छे से प्यार करेंगी उस घर में..

सुमन गुस्से में - चुत के चककर में अपनी माँ की सौतन से प्यार करेगा तू..

गौतम मुस्कुराते हुए - सौतन होगी आपकी मेरी तो छोटी माँ है.. कैसे भी चोदू बुरा नहीं मानती उल्टा बराबर का साथ देती है..

सुमन उदासी से - देख रही हूँ उस डायन ने मेरा पति तो छीन ही लिया है मेरा बेटा भी मुझसे छीन रही है..

गौतम सुमन की उंगलियों में सुलगती सिगरेट को अपनी उंगलियों में लेकर सुमन के होंठों पर सिगरेट लगाते हुए - ऐसा नहीं है मेरी सेक्सी सुमन.. आपसे मुझे कोई नहीं छीन सकता..

सुमन सिगरेट का कश लेकर गौतम को देखते हुए - भाभी का बहुत बुरा हाल किया है तूने.. बेटी की शादी में चलने ठीक से लायक नहीं छोड़ा..

गौतम - कुछ सीखो अपनी भाभी से माँ.. आप आगे के लिए मना कर रही हो मामी तो आगे पीछे दोनों तरफ ले गई थी मेरा..

सुमन चौंकते हुए - तूने भाभी की गांड..

गौतम हस्ते हुए - हाँ.. मारी है मैंने आपकी प्यारी भाभी की गांड..

सुमन - भाभी ने मना नहीं किया? बहुत दर्द हुआ होगा उनको तो..

गौतम - मना तो किया पर.. बदले में गांड मारना तो जायज था.. सुबह यहां आने के बाद भी एक बार औऱ मरवाई थी मामी ने..

सुमन - तभी ये हाल है भाभी का.. तुझे शर्म नहीं आई.. इतना सब करते हुए...

गौतम मुस्कुराते हुए - भाभी तो फिर भी चल पा रही है माँ..एक बार आप हाँ कर दो फिर देखना आपको तो चलने लायक भी नहीं छोडूंगा.. वैसे माँ मुझे तो इस शादी में कई चुत मिल जायेगी.. आप कहो तो आपकी इस चुत के लिए लोड़ो का बंदोबस्त करू?

सुमन हसते हुए - अपनी माँ का दल्ला बनेगा तू.. बेशर्म..

गौतम - जब आप मेरी ख़ुशी के लिए ये सब कर सकती हो तो में क्यों नहीं कर सकता.. मुझसे नहीं चुदना तो किसी औऱ से चुदलो.. मैं बुरा नहीं मानुगा..

सुमन जोर से हँस्ती हुई - अब नीचे जाने दे वरना तू मुझे सच में किसीसे चुदवा देगा..

गौतम सुमन के दोनों चुचे अपने हाथों में पकड़कर मसलते हुए - आपके जैसी खूबसूरत औरत बिना चुदे अपने दिन बिताये ये तो बहुत गलत बात है माँ..

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सुमन - कितना जोर से दबाता है तू गौतम मेरे बोबो को.. अब तो सारे ब्लाउज औऱ ब्रा भी टाइट हो गई है.. लगता है तूने दबा दबा के मेरे बोबो का साइज बढ़ा दिया है.. अब नए ब्रा औऱ ब्लाउज बनवाने पड़ेगे.. बाबाजी से तेरी शिकायत करनी पड़ेगी.. छोड़ अब..

ये कहकर सुमन नीचे चली जाती है औऱ गौतम छत पर ही ठहलने लगता है फिर कुछ देर बाद वो भी नीचे आ जाता है..

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फ़ोन क्यों नहीं उठा रहे थे?
सो रहा था..
इतनी देर तक सो रहे थे? ऐसा क्या कर रहे थे रातभर?
अरे यार.. बताया था ना कल फंक्शन था यहां.. इतना शोर गुल था नींद ही नहीं आई.. सुबह 4 बजे सोया था..
तो बताना चाहिए था ना मुझे.. मैं अपनी बाहों में भरके सुला लेती तुम्हे..
ओह हो.. फिर अगर मैंने तेरे बदन को इधर उधर से पकड़कर छू लिया होता औऱ तेरे साथ जोर जबरदस्ती करने की कोशिश की होती, तब तू क्या करती?
तब मैं तुम्हे चुम लेती औऱ कहती कि अगर तुमने मेरे साथ जबरदस्ती नहीं की तो मैं तुम्हारे साथ जबरदस्ती कर लुंगी.. औऱ फिर तुम्हारी इज़्ज़त लुटकर अपनी हवस मिटा लेती..
अच्छा ज़ी.. 4 दिनों में ही इतनी मोहब्बत हो गई मुझसे?
एक बार मिलने तो आओ मुझसे तुम.. फिर बताउंगी ये कबाड़ी वाले की बेटी कितनी मोहब्बत करती है तुमसे..
2-3 दिन की औऱ बात है रेशमा.. फिर देखना तेरा ये आशिक कैसे तेरी चुत की खुजली मिटाता है..
मुझसे तो रहा ही नहीं जा रहा तेरे बिना मेरे कुत्ते.. मन कर रहा है इस फ़ोन में घुसके तेरे पास आ जाऊ औऱ तुझे अपने गले से लगा लू..
अच्छा ये चैटिंग छोड़ वीडियो कॉल कर ना रेशमा.. देखना है तुझे..
एक मिनट.. हाँ.. कॉल कर रही हूँ..
गौतम वीडियो कॉल उठाके - आज तो बहुत प्यारी लग रही हो..
रेशमा हस्ते हुए - कुछ पहन तो लो.. कैसे नंगे होके बैठे हो..
गौतम केमेरा में अपना रेशमा को लंड दिखाकर - देखो ना ये बेचारा तुमसे मिलने की आस में कैसे खड़ा है.. बोलता है जब तक तुझसे नहीं मिलेगा तब तक नहीं बैठेगा..
रेशमा अपनी कुर्ती उतारकर अपने चूचियाँ मसलते हुए - गौतम इससे कहो कि ये खड़ा हुआ ही अच्छा लगता है.. जब हमारी मुलाक़ात होगी तब अगर ये बैठ गया तो बहुत मार खायेगा मुझसे..
गौतम - रेशमा तुम तो कह रही थी असलम बात तक नहीं करता तुमसे फिर तुम्हारे चुचे इतने कैसे बड़े होते जा रहे है? कोई औऱ तो इनपर मेहनत नहीं कर रहा ना?
रेशमा - कमीने फ़ोन पर बड़े लग रहे होंगे तुझे.. तीन साल से ब्रा का साइज वही है..
गौतम - फ़िक्र मत कर मेरी फुलझड़ी.. बहुत जल्दी तेरी चूची औऱ चुत्तड़ का साइज बढ़ने वाला है..
रेशमा अपनी चुत में ऊँगली करती हुई - गौतम देखो ना.. कैसे ये कमीनी तुम्हे देखकर गीली हो गई है.. लगता है तुमसे दुरी इसे भी बर्दाश्त नहीं है..
गौतम - तो तुम ही क्यों नहीं आ जाती मुझसे मिलने यहां? परसो की शादी है.. औऱ कोनसा तू दूर रहती है.. दो घंटे का ही तो सफर है..
रेशमा - पर आउ किसके साथ? क्या कहूँगी असलम से?
गौतम - बोल देना तेरी सहेली की शादी है.. कार्ड मैं तुझे व्हाट्सप्प कर देता हूँ..
रेशमा - ठीक है मैं बात करके देखती हूँ असलम से.. वैसे उम्मीद तो बहुत कम वो मेरी बात मानेगा..
गौतम - वैसे रेशमा.. एक बात बताऊ.. मैंने आदिल के फ़ोन से तेरे नंबर नहीं लिए थे.. आदिल ने खुद मुझे तेरे नम्बर दिए थे..
रेशमा चुत में ऊँगली करती हुई - क्यों दिए थे उसने तुझे मेरे नंबर?
गौतम - ताकि मैं तेरी चुत की खुजली को मिटा सकूँ..
रेशमा झड़ने लगती है फिर संभलकर कहती है - तूने अब तक हमारे बीच जो हुआ वो आदिल को तो नहीं बताया ना..
गौतम - अभी तक हुआ ही क्या है हमारे बीच.. जो मैं किसी को बताऊंगा.. पहले कुछ हो तो जाए..
रेशमा मुस्कुराते हुए - होने के बाद भी अगर तुमने किसी से कुछ कहा तो बहुत मार खाओगे देखना..
गौतम - अच्छा अब रखता हूँ.. नहाना है मुझे..
रेशमा - आई लव यू मेरे कुत्ते..
गौतम - आई लव यू मेरी कुत्तिया.. फ़ोन कट हो जाता है..

गौतम नहाने लगता है और नहा कर जब बाहर आता है तो उसे अपने सामने खड़ी हुई आरती कप मैं चाय लिए दिखती है जो गौतम को सिर्फ टावल में देखकर अपनी आँखे सेकती हुई बार-बार गौतम को ऊपर से नीचे तक देख कर अपने होंठों पर जीभ फिराते हुए उसे आंखों से अश्लील इशारे कर रही थी जिसे गौतम अच्छे से समझ रहा था और आरती के मन की दशा भी उसे अब अच्छे से समझ आ रही थी...

गौतम में नाराज होने का नाटक करते हुए आरती से चाय का कप नहीं लिया और अपने गीले बाल सुखाने लगा.. आरती ने चाय का कप टेबल पर रखते हुए गौतम के हाथ से तोलिया ले लिया और उसे बेड पर बिठाते हुए अपने हाथ से उसके बाल सुखाने लगी.. गौतम को आरती से इस तरह की कोई उम्मीद नहीं थी मगर जिस तरह से आरती उसके सर के बाल जो गीले थे उन को तौलिये से सुखा रही थी.. गौतम जान रहा था कि आरती पूरी तरह से गौतम के ऊपर लट्टू है और गौतम से आकर्षित है.. आरती बहाने बहाने से गौतम के बदन को छू रही थी और गौतम आरती से बचते हुए ऐसा दिखा रहा था जैसे वह आरती से दूर जाना चाहता हो मगर आरती उसे अपने से दूर नहीं करना चाहती थी..

आरती - क्या बात है देवर ज़ी? गले औऱ सीने पर इतने निशान.. लगता है कई बिल्लीओ ने आपका ये हाल किया है..
गौतम आरती से तौलिया लेकर - रहने दो भाभी मैं सूखा लूंगा अपने बाल..
आरती - अरे अरे.. नहीं बताना तो मत बताओ.. देवर ज़ी.. पर ऐसे क्या करते हो.. अपनी भाभी को कम से कम इतना तो करने दो..
यह कहते हुए आरती गौतम के बेहद करीब आ जाती है और उसके होठों से अपने होंठ लगभग लगाते हुए उसके बाल साफ करने लगती है मगर गौतम अपना चेहरा मोड़ते हुए आरती से मुंह फेर लेता है औऱ आरती से कहता है.
गौतम - भईया याद कर रहे होंगे आपको भाभी.. अब रहने दो.. मैं कर लूंगा..
आरती उदासी से - तुम्हारे भईया ही तो याद नहीं करते मुझे.. देवर ज़ी.. वो तो बस दूकान ही सँभालते है मुझे सँभालने के लिए उनके पास ना तो वक़्त है ना उनमे इतनी ताकत..
गौतम बाल बनाते हुए - तभी मेरे पीछे पड़ी हो आप.. पर ये ख्याल छोड़ दो भाभी.. मैं नहीं पटने वाला..
आरती अपना पल्लू गिराकर गौतम के करीब आते हुए - अरे देवर ज़ी.. पटाना अभी शुरू ही कहा किया है मैंने आपको.. शादी का माहौल है.. सबकी इच्छा पूरी हो रही है.. मेरी मुराद भी पूरी हो जाए तो आपका क्या बिगड़ जाएगा.. इतनी बुरी भी नहीं है आपकी भाभी.. आपके गले औऱ सीने पर कुछ निशान छोड़ने का हक़ तो आपकी इस भाभी का भी है..

ये कहते हुए आरती ने गौतम की कमर पर बंधे हुए तोलिया को अपनी उंगली के दबाव से एकदम से झटके से खोल दिया और गौतम को इसका अंदाजा भी नहीं था. गौतम ने अभी तौलिये के नीचे अंडरवियर नहीं पहना था जिससे तोलिया हटाने पर वह पूरी तरह अपनी प्राकृतिक अवस्था में आ गया और आरती के सामने उसका विशालकाय हथियार लहराते हुए झूलने लगा.. गौतम का हथियार देखकर आरती के जैसे रोंगटे खड़े हो गए और वह कामुकता से भर्ती हुई सन रह गई उसने आज से पहले इस तरह की कोई चीज नहीं देखी थी आरती अश्लील फिल्में देखने की शौकीन थी और अक्सर वह फिल्मों में इस तरह के लंड देखती थी मगर आज उसने हकीकत में ऐसा कुछ देख लिया था और उसे देखकर उसकी आंखें खुली की खुली रह गई थी और वह हैरत से गौतम को देख रही थी.

गौतम का आरती से ऐसा कुछ करने की उम्मीद नहीं थी मगर आरती ने जब ऐसा कुछ कर दिया तो उसे समझ नहीं आया कि वह क्या करें वह पहले तो एक दो पल के लिए भूत बना हुआ खड़ा रहा मगर फिर अपने तोड़ने को फर्ष से उठाकर वापस अपनी कमर पर बांध लिया और आरती पर गुस्सा होते हुए चिल्लाते हुए कहा..
गौतम - भाभी पागल हो क्या? ये क्या हरकत है?
आरती तो जैसे अभी तक गौतम के हथियार में ही खोई हुई थी उसे तौलिये के ऊपर से भी गौतम के हथियार की हल्की झलक मिल रही थी जो अभी तक सोया हुआ था.. आरती के कानों में गौतम की आवाज पड़ी ही नहीं और वह बस गौतम के लंड पर अपनी नजर डालें खड़ी हुई सिर्फ गौतम के लंड की ओर देख रही थी, गौतम ने आरती को ऐसा करते हुए देखा तो फिर से चिल्लाकर उसका कंधा पकड़कर झकझोरते हुए कहा..
गौतम - भाभी... भाभी...
आरती - देवर ज़ी.. आपका इतना बड़ा..
गौतम शरमाते हुए - भाभी आप जाओ यहां से..
आरती वापस अपने हाथ से गोतम का तौलिया खींचने लगती है मगर इस बार गौतम आरती का हाथ पकड़ लेता है..
गोतम - भाभी पागल हो गई हो क्या आप.. क्या कर रही हो..
आरती उत्सुकता से - देवर ज़ी बस एक बार वापस देख लेने दीजिये.. मैं चली जाउंगी..
गौतम - दरवाजा खुला हुआ है भाभी, कोई देख लेगा आप जाओ यहाँ से..
आरती - कोई नहीं देखेगा ग़ुगु.. मैं दरवाजा बंद करके आती हूँ..

आरती दरवाजा बंद करने के लिए मुड़ जाती है और दरवाजा बंद करने लगती है आरती के दरवाजा बंद करते ही बाहर हाल में डीजे की आवाज बजनी शुरू हो जाती है जिसमें आज शादी का महिला संगीत था.. डीजे पर पहला गाना बजते ही होटल में चारों तरफ शोर गुल मच जाता है जिसमें हर किसी को एक दूसरे की आवाज सुनाई नहीं दे रही थी हर कोई एक दूसरे से जोर से कहकर बात कर रहा था और एक दूसरे को इशारों से अपनी बात समझ रहा था इसका फायदा उठाकर आरती ने दरवाजा बंद कर वापस गौतम के पास आ गई और उसका तोलिया खींचने की नीयत से अपना हाथ बढ़ा दिया..
गौतम हाथ पकड़ते हुए - भाभी क्या मज़ाक है.. जाओ आप यहां से..
आरती अपना हाथ छुड़ाकर अपनी साडी उतारते हुए - देवर ज़ी आज तो चाहे कयामत आ जाए.. मैं यहां से नहीं जाने वाली..
आरती जब अपनी साड़ी उतार रही होती है गौतम की नजर आरती के ब्लाउज में चली जाती है जहां दो मस्त-मस्त मौसम कड़क होकर सामने की तरफ तनी हुई थी और उनको देखने से लगता था कि उन पर अब तक किसी के हाथ नहीं पड़े हैं और ना ही आरती ने इन पर किसी और को हुकूमत करने का आदेश ही दिया था..
गौतम का सोया हुआ लैंड धीरे-धीरे उठने लगता है और वह आरती को अपने कपड़े उतारते हुए देखने लगता है आरती साड़ी के बाद अपना ब्लाउज और फिर पेटिकोट उतार कर ब्रा औऱ पेंटी में आ जाती है और फिर गौतम की ओर बढ़ने लगती है.. इस बार गौतम ने आरती से बिना किसी शर्म और लिहाज़ के मिलने का निश्चय कर लिया था और वह अपनी और आती हुई आरती को कामुक नजरों से देखने लगा था..

गौतम ने अपनी और आती हुई आरती को देखते हुए अपना तोलिया अपने हाथों से ही हटाकर साइड में रखे सोफे पर फेंक दिया और आरती की कमर में हाथ डालकर उसे अपने करीब खींचते हुए उठाकर एक साथ बिस्तर पर पटक दिया... वहां से गौतम आरती के ऊपर चढ़ा और उसे छूने लगा.. आरती भी गौतम के इस व्यवहार से हक्की बक्की रह गई और चौंकते हुए वह गौतम को चूमने लगी और उसकी आंखों में देखी हुई अपनी आंखों के इशारों से उसे पूछने लगी कि एकदम से उसे यह क्या हुआ है मगर गौतम ने उसकी आंखों के इशारे का कोई प्रति उत्तर नहीं दिया और चुपचाप आरती के होठों का स्वाद लेने लगा दोनों के होंठ आपस में इस तरह मिल रहे थे जैसे दो बिछड़े हुए दोस्त लिपटकर एक साथ मिल जाते हैं दोनों के बीच होठों की जंग जुबानी हो चुकी थी गौतम और आरती ने एक दूसरे की जीभ को अपने-अपने मुंह से निकाल कर एक दूसरे की जीभ से लड़ाना और मिलना चालू कर दिया था..

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आरती को जो सुख अपने पति चेतन से नहीं मिल पाया था वह गौतम से पा लेना चाहती थी और किसी नियत से गौतम को चूम रही थी..

चुंबन के दौरान गौतम ने आरती की ब्रा निकाल कर फेंक दी जिससे उसके नुकीले सूचक गौतम के सीने पर चुभने लगे और इसमें गौतम को एक अजीब और मीठा अहसास होने लगा, उसकी कामुकता और ऊपर उठने लगी और हवाओं में तैरने लगी..

गौतम चुम्बन तोड़कर आरती से कहा - भाभी एक बार फिर सोच लो.. कल दीदी की शादी है औऱ एक बार मेरे साथ ये सब करने के बाद आप कुछ दिन ठीक से चल भी नहीं पाओगी.
आरती - मुझे फर्क नहीं पड़ता देवर ज़ी.. आप बस मुझे ऐसा रगड़ के रख दो कि मैं तृप्त हो जाऊ..
गौतम - जैसा आप चाहो भाभी..
गौतम इतना कह कर आरती कि छाती की तरफ आ जाता है और उसकी छतिया पर खड़े हुए चूचक अपने मुंह में लेकर चूसने लगता है और अपने हाथों से उन्हें मसलने और दबाने लगता है जिससे आरती के मनोभावों में कामुकता कि हवा में घूमती महक की तरह उठकर फैलने लगती है और तैरने लगती है जिससे आसपास का वातावरण काममई हो जाता है..

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आरती गौतम का चेहरा पकडे हुए उसे अपनी छाती के उभार का मज़ा देने लगती है.. आरती के कड़क उठे हुए और तीर की तरह चुभने वाले चुचक गौतम अपने मुंह में लेकर इस तरह चूस रहा था जैसे वह बच्चे बचपन में अपनी माँ की चूची पकड़ के उनमे से दूध चूसते हैं...

आरती सीस्कारियां लेते हुए गौतम के चेहरे को पकड़े हुए उसके बालों में हाथ फिराती हुई उसे अपनी छाती का पूरा मजा दे रही थी और वह चाहती थी कि गौतम उसकी छाती से भरपूर मजे लेकर उसपर लट्टू हो जाए, उससे खेले जिससे उसकी ब्रा का साइज औऱ उसकी मादकता दोनों बढ़ जाए..

गौतम आरती के चुचे से खेलते हुए एक हाथ से उसकी पेंटिंग नीचे सरकार कर उतार देता है और फिर उसकी टांगों के बीच में आ जाता है और उसकी टांगें खोलकर उसकी जांघों की जोड़ पर अपना हाथ रखकर आरती की चुत को मसलने लगता है जिससे आरती अब खुलकर सिसकने औऱ आहे भरने लगती है..

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आरती की चुत से गौतम के हाथ लगाते ही पानी निकलने लगा था औऱ वो झड़ गई थी मगर फिर गौतम ने अपने लंड पर थूककर अपने लंड को आरती की चुत में घुसने के लिए सेट कर दिया औऱ धक्का देने लगा..

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आरती को चेतन ने सुहागरात से लेकर अब तक एक बार भी तृप्त नहीं किया था ना ही उसके साथ अच्छे से संभोग किया था जिससे आरती काम की अग्नि में जल रही थी और उसने शादी के इतने सालों तक अपनी चुत को घर में रखें गाजर मूली बैंगन यहां तक की बेलन से भी ठंडा किया था इसलिए उसकी चुत खुल तो चुकी थी मगर चुदी नहीं थी..

गौतम का लोहे की तरह मजबूत औऱ ठोस लंड अपनी पूरी औकात में खड़ा होकर आरती की चुत में घुसने लगा था औऱ आरती की सिस्कारिया अब उसकी चिंखो में बदलने लगी थी मगर यहां उसकी आवाज सुनने वाला कोई नहीं था.. ऊपर से उसकी आवाज नीचे बज रहे dj के शोर में इस तरह खो गई थी जैसे भुंसे के ढेर में सुई खो जाती है.

गौतम ने आरती पर रहम करते हुए अपना हथियार धीरे-धीरे उसकी गुफा में गुस्सा आया था मगर अब आधा हथियार अंदर जाने के बाद गौतम को आरती की शक्ल देखने में मजा आने लगा..
आरती की सूरत इस तरह की थी जैसे कोई बिन पानी मछली की होती है आरती की शक्ल देखते हुए गौतम को उसकी कही हुई हर बात याद आने लगी कि किस तरह से आरती कुछ दिनों से गौतम का दिल दुखाने की पूरी पूरी कोशिश कर रही थी हालांकि आरती उन बातों को मीन नहीं करती थी ना ही उसने वह बात जानबूझकर कही थी..

उसका मकसद सिर्फ गौतम का दिल दुखाना था जिसमें वह कामयाब भी नहीं हो पाई थी मगर गौतम को आप सब याद आ रहा था और वह आरती के चेहरे पर उभरते इस भाव को देखकर सुकून महसूस कर रहा था कि अब आरती का सारा घमंड और सारी अकड़ चकनाचूर हो चुकी है..
गौतम - क्या हुआ भाभी अभी तो आधा ही अंदर गया है औऱ आप तड़पने लगी..
आरती सिसकते हुए - देवर ज़ी मैं कोई रांड थोड़ी हूँ जो इतना बड़ा लोडा एक बार में ले जाउंगी..
गौतम - चिंता क्यों करती हो भाभी.. मैं हूँ ना आपका देवर.. आपको अपने लंड से चोदकर पक्का रांड बना दूंगा..
आरती - ग़ुगु धीरे धीरे करना.. अब दर्द भी होने लगा है..
गौतम - ऐसा लगता है तीन साल में चेतन भईया ने आपको हाथ तक नहीं लगाया.. बिलकुल नाजुक हो आप तो.. देखो सील टूट गई आपकी...
आरती - उसे तो सिर्फ खाना औऱ सोना है.. साला सो किलो का ढ़ोल है.. दूकान पर बैठने के अलावा कुछ नहीं आता..
गौतम - ये बात तो है भाभी.. चेतन आप जैसी हसीन नाजुक औऱ प्यारी लड़की के लायक़ नहीं है..
आरती धीरे धीरे अपनी गांड उठाकर चुदवाते हुए - तो देवर ज़ी.. आप क्यों नहीं बना लेटे मुझे अपना.. ले चलो अपनी भाभी को भगा के.. मैं मना थोड़ी करुँगी..
गौतम धीरे धीरे आधे लंड से चोदते हुए - रहने दो भाभी.. ये ऐश औऱ आराम छोड़कर जाना आपके बस की बात नहीं है..
आरती - ऐसा नहीं है देवर ज़ी.. मैं तो आपके साथ फुटपाथ पर भी रह लुंगी. बस आप अपने इस लंड से मेरी चुत की सर्विस टाइम से करते रहना..
गौतम एक जोरदार धक्का मारके आरती की चुत में अब पूरा लंड घुसा देता है औऱ आरती चिल्लाते हुए गौतम से लिपटकर सिसकियाँ लेने लगती है..

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गौतम - भाभी दर्द तो नहीं हुआ ना..
आरती - देवर ज़ी आपने तो आज असली में सील तोड़ दी..
गौतम मिशनरी पोज़ में आरती की चुदाई करता है और फिर आरती को अपने आगे घोड़ी बनाकर उसकी सवारी करने लगता है..

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आरती खुलकर गौतम के साथ अपनी हवस बुझा रही थी उसे अब किसी की फिक्र नहीं थी आरती खुल के गौतम को अपना चुकी थी और उसके साथ मजाक मस्तियां करते हुए कामसुख भोग रही थी..

गौतम ने घोड़ी के बाद आरती को अपनी गोद में उठा लिया औऱ उठा उठा के चोदने लगा..

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आरती ने गौतम का बराबर साथ दिया औऱ चुदाई लीला में गौतम को भी पूरा मज़ा मिलरहा था.. आरती बार बार गौतम के होंठों को चूमकर उससे अपने प्यार का इज़हार कर रही थी औऱ चुदाई के चरम पर पहुंचकर झड़ चुकी थी.. इस चुदाई में कई बार चुत से झड़ने के बाद आरती ने गौतम को अपनी चुत में घुसा कर लंड पर दबाब बनाते हुए गौतम को भी अपने अंदर अपना पानी निकालने पर मजबूर कर दिया औऱ दोनोंअपनी इस चुदाई के महासंगम के महामिलन से तृप्त होकर एक दूसरे की बाहों में लेट गए थे..
आरती - देवर ज़ी.. आप तो बहुत बुरे हो..
गौतम - क्यों भाभी.. मज़ा नहीं आया आपको?
आरती - प्यार से प्यार करने को कहा था मैंने औऱ आपने.. एक झटके में अपना ये अजगर मेरी बिल में घुसा दिया.. देखो कितनी फ़ैल गई है मेरी चुत..
गौतम - भाभी ऐसी फैली हुई चुत तो हमारे प्यार की निशानी है..
आरती मुस्कुराते हुए - बड़े आये प्यार की निशानी देने वाले.. मैं जानती हूँ तुमने मेरी बातों का बदला लिया है मुझसे..
गौतम - भाभी आपसे बदला? आप किस बात का बदला लूंगा मैं? मैं जानता था कि आप बस मेरा दिल दुखाने के लिए ही बोल रही थी जो आपने बोला.. मैं तो आपसे कभी नाराज़ था ही नहीं..
आरती मुस्कुराते हुए - अच्छा देवर ज़ी.. अब जाने दीजिये.. मौका मिलते ही वापस प्यार झरने आउंगी आपसे.
गौतम - जैसा आप चाहो भाभी.. आपका देवर हमेशा आपकी सेवा के लिए तरयार रहेगा...
आरती बेड से खड़े होते ही लड़खड़ा जाती है हसते हुए गौतम को देखती है..
गौतम सिगरेट सुलगाते हुए - मैंने तो पहले ही कहा था भाभी.. चुदने के बाद ठीक से चल भी नहीं पाओगी..
आरती लड़खड़ाकर दो कदम चलती है उसके मन में वापस चुदने की तलब थी मगर जुबान से इस बात को कहना आरती के बस में अब नहीं था वो कमरे के दरवाजे पर रूकते हुए मुस्कुराते हुए गौतम से कहती है - देवर ज़ी मुझे मेरे रूम तक छोड़ दोगे?
गौतम सिगरेट का एक कश लेकर आरती से कहता है - ये भी तो आपका रूम है भाभी यही आराम कर लो.. शाम तक तो वैसे भी कोई नहीं है पूछने वाला..
आरती लड़खड़ाती हुई वापस बेड के करीब आ जाती है जहाँ गौतम आरती का हाथ पकड़कर उसे अपने ऊपर खींच लेता है औऱ आरती गौतम के ऊँगली में सुलगती सिगरेट लेकर एक लम्बा सा कश भरती है औऱ फिर सिगरेट बुझाकार गौतम को फिर से चूमने लगता है..

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hot..........................
 

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Update 22

शाम के पांच बज चुके थे होटल की छत पर गौतम सुमन का बेसब्री से इंतजार कर रहा था. सुमन भी छत पर आने के लिए निकल चुकी थी गौतम यह सोच रहा था कि वह आज अपनी मां से अपने प्यार का इजहार कर देगा और उसे अपनी दुल्हन बनाने का प्रस्ताव रखेगा. गौतम यह जानता था कि जो वह करने जा रहा है इसमें उसे सफलता नहीं मिलने वाली है लेकिन वह फिर भी एक बार सुमन को अपने प्यार का इजहार करके मानना चाहता था और चाहता था कि सुमन उसे अपने प्रेमी के रूप में अपना ले.. अब तक जो सुमन और गौतम के बीच में हो रहा था वह केवल सुमन के मातृत्व प्रेम के कारण हो रहा था जिसमें वह गौतम को अपना बेटा मानकर सब कुछ कर रही थी भले इसमें उसे आनंद और काम संतुस्टी की प्रति हो रही थी लेकिन वह अब तक गौतम को अपने प्रेमी के रूप में स्वीकृत नहीं कर पाई थी ना ही उसे यह अधिकार दिया था कि गौतम उसके पूरे शरीर पर अधिकार जताये..


सुमन का नारीत्व और काम इच्छा उफान पर थी जिसे वो गौतम के साथ शांत कर लेती थी मगर इस अधूरी शांति से गौतम और सुमन दोनों ही काम के शिखर पर पहुंच कर उस अद्भुत और अतुल्य सुख से वंचित ही रहे जिसे पाना दोनों के मन में लंबित था. सुमन अपने मन की आखिरी दीवार को नहीं गिराना चाहती थी. सुमन चाहती थी कि गौतम की हर इच्छा और हर मनोकामना पूरी हो लेकिन वह खुद इसके लिए अपनी चुत की कुर्बानी देने को तैयार नहीं थी. सुमन अब यही चाहती थी कि जैसे गौतम और सुमन के बीच एक रिश्ता कायम हो चुका है वह इस तरह कायम रहे और अब सुमन ना तो इससे आगे बढ़ना चाहती थी और ना ही इससे पीछे हटाना चाहती थी.


गौतम ने भी अपने मन में ये तय कर लिया था कि वह सुमन को किसी भी शर्त पर अपना बना कर रहेगा और उसके लिए वह आज पहली-पहल कर देगा. भले इसमें उसे सफलता मिले या वह असफल रहे. गौतम अब मन ही मन सुमन को पाने की चाहत में जलने लगा था और उसे आप सुमन को भोगने की इच्छा पूरी उफान ले चुकी थी. मगर वह इस बात से भली-भांति परिचित था की सुमन को भोगना और उसे पाना इतना आसान नहीं होगा और जो दीवार सुमन ने अपने मन में उसके और खुद के बीच में बना रखी है उसे गिराना भी आसान नहीं होगा. दोनों के बदनों के मिलन के बीच सुमन ने अपने मन में उसके औऱ गौतम के रिस्ते को रोड़ा बना लिया था जिसे दूर करना आसान नहीं था. मगर गौतम ने ये तय कर लिया था जो किसी भी तरह से उसके मन से इस दीवार को गिरा कर रहेगा और उसे अपना बना कर रहेगा इसके लिए भले ही उसे कुछ भी करना पड़े. गौतम और सुमन के बीच सब कुछ हो रहा था मगर बाकी था वही सबसे जरूरी था और वहीं गौतम करना चाहता था मन ही मन सुमन भी ऐसा ही चाहती थी मगर उसने अपने मन में रिश्ते की दीवार को बीच में खड़ा कर दिया था जिसे वह नहीं गिराना चाहती थी.


सुमन अकेली चुपके चुपके सीडीओ से होती हुई छत के दरवाजे तक आ पहुंची.. सुमन के मन में अजीब अजीब ख्याल आ रहे थे और अजीब सवाल वह अपने आप से पूछ रही थी जिसके जवाब खुद ही अपने आप को देती हुई वह छत के दरवाजे पर खड़ी हुई थी गौतम भी सुमन के इंतजार में छत के कोने में खाली पड़ी की जगह पर खड़ा हुआ सुमन का इंतजार कर रहा था उसके मन में भी कई बातें चल रही थी जिसे वह सोचकर सही और गलत तय करने में लगा हुआ था. गौतम ने सुमन को छत के दरवाजे पर खड़ा हुआ देख लिया और सुमन की नजर भी गौतम से मिल गई. गौतम ने सुमन को इशारे से अपने पास आने के लिए कहा औऱ सुमन गौतम के पास धीरे धीरे कदमो से चली आई..


गौतम ने उसी नज़र से अपनी माँ के बदन को ऊपर से नीचे तक देखा जिस तरह वो बाकी लड़कियों औऱ औरतों को ताड़ता था. सुमन इस नज़र को अच्छे से समझ गई थी मगर काम के भाव से भारी हुई सुमन को इस नज़र का बुरा कतई नहीं लगा.. गौतम ने सुमन की कमर में हाथ डालकर उसे अपने सीने से लगाकर बाहों में भर लिया औऱ फिर अपने होंठों से सुमन के होंठ मिलाकर जंग शुरू कर दी.. इस जंग में दोनों ही एक दूसरे को हराने के लिए भर्षक प्रयास कर रहे थे और एक दूसरे के लबों को चूमते हुए खींच कर काटते हुए ऐसे चुम रहे थे जैसे उनके बीच ये प्यार का पहला चुम्बन हो..

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गौतम ने चुम्बन के दौरान एक जोरदार थप्पड़ सुमन की गांड पर मारा औऱ फिर उसकी गांड को जोर से मसलते हुए इतना तेज़ दबाया की सुमन चुम्बन तोड़कर सिसक उठी औऱ गौतम को शिकायत की नज़र से देखते हुए बोली..

सुमन - आराम से ग़ुगु.. माँ को दर्द होता है ना.

गौतम - ग़ुगु नहीं सुमन.. गौतम.. मुझे गौतम कहकर पुकारो.. मैं अब आपके इन गुलाबी होंठों से अपना नाम सुनना चाहता हूँ..

सुमन हैरानी से - तू क्या कह रहा है ग़ुगु औऱ मुझे नाम से क्यों बुला रहा है.. मैं तेरी माँ हूँ.. तू भूल गया है क्या?

गौतम - मुझे सब याद है सुमन.. (अपना हाथ सुमन की चुत पर रखते हुए) आपने 20 साल पहले मुझे अपनी इसी चुत से निकाला था.. आपने इन 20 सालों में जितना मुझे प्यार किया है उतना शायद कोई औऱ कभी ना कर पाए.. मेरी ख़ुशी के लिए आप मेरे सामने नंगी तक हो गई.. मेरी हर ज़िद पूरी की मगर अब सुमन.. मैं आपको खुश रखना चाहता हूँ.. प्यार करना चाहता हूँ.. मैं चाहता हूँ आप मुझे नाम से बुलाओ.. हर शाम घर पर मेरा इंतज़ार करो औऱ जब मैं काम से वापस आउ तो आप मुझसे लिपटकर अपने होंठ मेरे होंठ पर रख दो.. मुझे गौतम ज़ी कहकर बुलाओ.. बिलकुल जैसे आप पापा को बुलाती थी..

सुमन - तू पागल हो गया है क्या गौतम? ये सब क्या बकवास कर रहा है.. तू अच्छी तरह जानता है मैं तेरे साथ ये सब नहीं कर सकती.. माँ हूँ मैं तेरी औऱ तू मेरा ग़ुगु.. समझा?

गौतम - आप सब करोगी सुमन.. मुझे यक़ीन है मेरी मोहब्बत आपको ये सब करने पर मजबूर कर देगी.. आप मुझे अपने दिल में वही जगह दोगी जो जगह तुमने पापा की दी थी..

सुमन गौतम के सामने घुटनो पर बैठकर उसकी पेंट खोलते हुए - तू ये मुझे चिढ़ाने के लिए बोल रहा है ना? पर मैं नहीं चिढ़ने वाली समझा? मैं अभी तुझे चूसकर ठंडा कर देती हूँ फिर तेरा सारा भुत उतर जाएगा औऱ तू फिर से मुझे सुमन नहीं माँ कहकर बुलायेगा..

गौतम कंडोम देते हुए - लो सुमन.. बिना कंडोम तुम्हे उल्टी हो जायेगी..

सुमन कंडोम लेकर फेंक देती है औऱ गौतम का लंड हाथ में पकड़कर उससे कहती है - उल्टी होती है तो हो जाए.. तुझे बिना कंडोम के अच्छा लगता है मैं उसी तरह तुझे खुश कर देती हूँ..

ये कहकर सुमन गौतम के लंड को मुंह में भरकर चूसने लगी औऱ गौतम सुमन को प्यार से देखता हुआ उसके सर पर हाथ फेरने लगा..

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गौतम - जानती हो सुमन जब आप सुबह नाच रही तब मेरा दिल आपको देखकर क्या कह रहा था मुझसे? मेरा दिल कह रहा था कि मैं आपको अपनी दुल्हन बना लू.. औऱ जो सुख पापा आपको सालों से नहीं दे पाये वो सुख मैं आपको हर रात दू.. सुबह तो मैंने अपनी खुली आँखों से हमारे बच्चों तक के नाम सोच लिए थे.. लड़का हुआ तो निखिल लड़की हुई तो निकिता..

सुमन लंड को पूरी मेहनत औऱ काम कला के साथ चूस रही थी मगर गौतम कि बात सुनकर वो बोली..

सुमन मुंह से लोडा निकालकर - गौतम तूने अब एक औऱ शब्द अपने मुंह से निकाला तो अच्छा नहीं होगा.. मैं तेरी माँ हूँ और माँ ही रहूंगी.. मुझे अपनी दुल्हन बनाने का ख्याल अपने दिल औऱ दिमाग से निकाल दे..

गौतम - मैं आप से प्यार करता हूँ सुमन..

सुमन - जितना तू मुझसे करता है उससे कहीं ज्यादा प्यार मैं तुझसे करती हूँ बेटू..

गौतम - सुमन मैं आपको अपनी माँ नहीं अपनी दुल्हन की तरह प्यार करता हूँ..

सुमन - ये ज़िद छोड़ दे ग़ुगु.. ये मुमकिन नहीं है.. मैं तुझे कभी भी वो सब नहीं दे सकती..

ये कहकर सुमन गौतम के लंड को वापस मुंह में भर लेती है औऱ चूसने लगती है

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मगर अब गौतम सुमन के मुंह से अपना लंड निकाल लेता है औऱ अपनी पेंट पहनने लगता है लेकिन सुमन गौतम के हाथ पकड़ कर उसे पेंट पहनने से रोक देती है औऱ कहती है.

सुमन - गौतम ये ज़िद छोड़ दे.. मैंने तेरी हर बात मानी है मगर ये बात मैं नहीं मान सकती.. तू चाहता है मैं अपनी ही नज़रो में गिर जाऊ? कभी खुदसे आँख भी ना मिला पाउ? कैसी जिद पर तू अड़ गया है गौतम.. तू चाहता है तो मैं आज से तुझे तेरे नाम से बुलाऊंगी.. तेरे मुंह से माँ की जगह सुमन भी सुन लुंगी.. मगर ये ज़िद छोड़ दे मेरे शहजादे..

गौतम सुमन से अपने हाथ छुड़वाकर अपनी पेंट पहन लेता है औऱ छत की रेलिंग के पास जाकर सुमन से कहता है..

गौतम - आप नीचे जाओ माँ.. मुझे अब आपसे कुछ नहीं चाहिए.. शादी एन्जॉय करो..

सुमन अपने घुटनो पर से पैरो पर खड़ी हो जाती है औऱ गौतम के पास आकर अपने ब्लाउज में सिगरेट का पैकेट निकालकर एक सिगरेट गौतम के होंठों पर लगा देती है औऱ लाइटर से जलाते हुए कहती है..

सुमन - मुझे माफ़ कर दे गौतम मैं तेरी ये इच्छा पूरी नहीं कर सकती.. तू चाहे तो मुझे अभी नंगा कर दे मैं उफ़ तक नहीं करुगी मगर मेरे शहजादे अपनी माँ को इस तरह जलील मत कर..

गौतम सिगरेट का एक लम्बा कश लेकर अपनी माँ के मुंह पर धुआँ छोड़ते हुए - माफ़ तो आप मुझे कर दो माँ.. मैं हमारे रिस्ते को भूल गया था.. पर अब आप भरोसा रखो मैं आपसे इस बारे में कुछ नहीं कहने वाला...

सुमन मुस्कुराते हुए गौतम के लंड पर पेंट के ऊपर से हाथ रखते हुए - चल गौतम.. मैं अपने छोटे ग़ुगु को थोड़ा प्यार कर लेती हूँ.. नीचे ना सही ऊपर से तो मैं तेरी हर ख्वाहिश पूरी कर सकती हूँ..

गौतम सिगरेट का कश लेकर सुमन का हाथ लंड पर से हटाते हुए - रहने दो माँ.. छोटा ग़ुगु सो चूका है.. आप जाओ नीचे..

सुमन गौतम के हाथ से सिगरेट लेकर कश लेती है औऱ गौतम के लंड को इस बार जोर से हाथों में पकड़कर मसलते हुए गौतम से कहती है..

सुमन - छोटे ग़ुगु को नींद से जगाना औऱ खड़ा करना मुझे अच्छे से आता है.. तू फ़िक्र मतकर मैं छोटे ग़ुगु को खुश करने में ज्यादा वक़्त नहीं लगाउंगी..

सुमन कहते हुए अपने घुटनों पर बैठ जाती है गौतम की पेंट उतारने लगती है लेकिन गौतम सुमन के हाथों से अपनी पेंट छुड़वाते हुए उसे कहते हैं..

गौतम - मन नहीं माँ.. रहने दो..

सुमन गुस्से से - मैं अच्छी तरह जानती हूँ तेरा मन क्यों नहीं है? तू मुझसे नाराज़ है ना.. मैंने तेरी ज़िद पूरी नहीं की इसलिए? तूने अगर अपनी ज़िद नहीं छोडी तो मैं यही से नीचे कूद कर अपनी जान दे दूंगी..


ये कहते हुए सुमन छत की रेलिंग की तरफ बढ़ती है और उससे पार करने की कोशिश करने लगती है मगर पीछे से गौतम उसका हाथ पकड़ कर सुमन को अपनी तरफ खींच लेता है और एक जोरदार थप्पड़ सुमन के गाल पर मरता हुआ उसे अपनी बाहों में भर लेता है औऱ सुमन से कहता है..

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गौतम - अगली बार मरने की बात भी की, तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा समझी आप?

सुमन थप्पड़ खाकर भी मुस्कुरा पडती है औऱ गौतम के होंठों को चुमकर कहती है - अपनी माँ के गाल पर इतना जोर से थप्पड़ मारना जरुरी था?

गौतम अपनी माँ सुमन को बाहों में भरके छत पर बने फालतू सामान से भरे कमरे की तरफ उठाकर ले जाते हुए - अभी तो सिर्फ एक ही पड़ा है अगली बार ऐसा कुछ किया ना आपने तो बहुत पिटोगी आप..

इतना कहते हुए गौतम सुमन को कमरे में एक चारपाई पर बैठा देता है औऱ सुमन का पल्लू हटाकर उसकी ब्लाउज के सारे बटन खोलकर ब्रा ऊपर सरकातें हुए सुमन के कबूतर आजाद कर देता है औऱ फिर अपनी पेंट खोलकर लंड को लहराते हुए सुमन के मुंह में घुसा देता है औऱ सुमन भी मुस्कुराते हुए गौतम के लंड को बिना कंडोम लगाए चूसने लगती है औऱ लंड चूसते हुए गौतम को देखने लगती है..

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गौतम अपनी माँ के इस रूप से उत्तेजित औऱ कामुकता के शिखर पर जा चूका था उसे झड़ने में ज्यादा समय नहीं लगा औऱ उसने सारा वीर्य सुमन के मुंह में भरके उसे अपना वीर्यपान करवा दिया औऱ सुमन न चाहते हुए भी गौतम को खुश करने के लिए उसका वीर्य पी गई...

गौतम झड़ने के बाद सुमन के बगल में बैठ जाता औऱ औऱ गले में हाथ डाल कर सुमन की एक चूची पकड़कर मसलते हुए कहता है..

गौतम - काश आप मेरी माँ नहीं बीवी होती सुमन.. मैं आपको बिस्तर से उठने ही नहीं देता..

सुमन हसते हुए गौतम का लंड साफ करती हुई - ये नहीं होने वाला बच्चू.. तेरे नसीब मेरे ऊपर का छेद है नीचे का नहीं.. चल अब जाती हूँ..

वरना तू फिर से शुरू हो जाएगा..

सुमन जैसे ही उठने लगती है गौतम सुमन को अपनी गोद में बैठा लेता है औऱ कहता है - थोड़ी देर बैठो ना माँ मेरे साथ.. नीचे जाकर क्या करोगी.. कितनी भीड़ औऱ शोर है नीचे..

सुमन - शादी में भीड़ औऱ शोरगुल तो होता ही है.. जब तेरी शादी होगी तब भी इतना ही ऐसे ही भीड़ औऱ शोर होगा..

गौतम - नहीं होगा माँ.. मेरी शादी में सिर्फ दो लोग ही रहेंगे.. एक मैं औऱ दूसरी आप.. हमारी शादी ख़ास होगी..

सुमन - गौतम देख तू वापस वही बात मत शुरू कर देना.. मैं तुझे अपना फैसला बता चुकी हूँ..

गौतम - मैं तो मज़ाक़ कर रहा था मेरी प्यारी सी सेक्सी सुमन..

सुमन सिगरेट सुलगाते हुए - रूपा का फोन आया था कह रही थी तेरा फ़ोन बंद है..

गौतम - हाँ अब इतने चाहने वाले है मेरे.. किस किस से बात करता तो सोच कुछ बंद ही कर देता हूँ..

सुमन सिगरेट का कश लेकर सिगरेट गौतम को देती हुई - एक बार बात कर ले बेचारी बहुत परवाह करती है तेरी..

गौतम कश लेकर - पता है माँ.. वापस जाकर रूपा मम्मी के साथ ही रहेंगे हम दोनों..

सुमन - मम्मी? माँ सिर्फ मैं हूँ तेरी औऱ कोई नहीं.. समझा?

गौतम - आप माँ हो रूपा मम्मी औऱ माधुरी छोटी माँ.. मैंन छोटी माँ को सब बता दिया..

सुमन - फिर क्या कहा उसने?

गौतम - पहले तो कुछ नहीं बोली मगर फिर थोड़ा डांटने लगी औऱ बोली आपसे बात करनी है उसे..

सुमन - बात करवा ना फिर..

गौतम - वापस चलकर बात कर लेना माँ सीधा घर चले जाएंगे उनके..

सुमन - उनका घर कैसे हुआ? तेरे पापा ने लिया है घर.. हमारा भी हक़ है उसपर.. मैं तो जाकर उससे यही बात करुँगी औऱ तेरे पापा से भी यही बात कहूँगी..

गौतम - पर हम खुश है ना वहा भी..

सुमन - खुश? उस शुरू होते ही ख़त्म होने वाली जगह में रहकर खुश है तू? मैं खुश नहीं हूँ.. मेरा हक़ कोई औऱ चुड़ैल नहीं खा सकती..

गौतम सिगरेट सुमन को देते हुए - गुस्से में कितनी प्यारी लगती हो माँ..

सुमन कश लेकर - तेरा भी हक़ है उस घर पर.. हम वापस जाकर रूपा नहीं माधुरी के साथ रहेंगे.. देखती हूँ वो कैसे रोकती है हमें..

गौतम - वो क्यों रोकने लगी माँ.. वो तो शायद यही चाहती है औऱ इसीलिए आपसे बात भी करना चाहती है.. वैसे मेरे लिए भी अच्छा है.. आप तो अपनी चुत को छुपा के रखो.. छोटी माँ तो मुझे अच्छे से प्यार करेंगी उस घर में..

सुमन गुस्से में - चुत के चककर में अपनी माँ की सौतन से प्यार करेगा तू..

गौतम मुस्कुराते हुए - सौतन होगी आपकी मेरी तो छोटी माँ है.. कैसे भी चोदू बुरा नहीं मानती उल्टा बराबर का साथ देती है..

सुमन उदासी से - देख रही हूँ उस डायन ने मेरा पति तो छीन ही लिया है मेरा बेटा भी मुझसे छीन रही है..

गौतम सुमन की उंगलियों में सुलगती सिगरेट को अपनी उंगलियों में लेकर सुमन के होंठों पर सिगरेट लगाते हुए - ऐसा नहीं है मेरी सेक्सी सुमन.. आपसे मुझे कोई नहीं छीन सकता..

सुमन सिगरेट का कश लेकर गौतम को देखते हुए - भाभी का बहुत बुरा हाल किया है तूने.. बेटी की शादी में चलने ठीक से लायक नहीं छोड़ा..

गौतम - कुछ सीखो अपनी भाभी से माँ.. आप आगे के लिए मना कर रही हो मामी तो आगे पीछे दोनों तरफ ले गई थी मेरा..

सुमन चौंकते हुए - तूने भाभी की गांड..

गौतम हस्ते हुए - हाँ.. मारी है मैंने आपकी प्यारी भाभी की गांड..

सुमन - भाभी ने मना नहीं किया? बहुत दर्द हुआ होगा उनको तो..

गौतम - मना तो किया पर.. बदले में गांड मारना तो जायज था.. सुबह यहां आने के बाद भी एक बार औऱ मरवाई थी मामी ने..

सुमन - तभी ये हाल है भाभी का.. तुझे शर्म नहीं आई.. इतना सब करते हुए...

गौतम मुस्कुराते हुए - भाभी तो फिर भी चल पा रही है माँ..एक बार आप हाँ कर दो फिर देखना आपको तो चलने लायक भी नहीं छोडूंगा.. वैसे माँ मुझे तो इस शादी में कई चुत मिल जायेगी.. आप कहो तो आपकी इस चुत के लिए लोड़ो का बंदोबस्त करू?

सुमन हसते हुए - अपनी माँ का दल्ला बनेगा तू.. बेशर्म..

गौतम - जब आप मेरी ख़ुशी के लिए ये सब कर सकती हो तो में क्यों नहीं कर सकता.. मुझसे नहीं चुदना तो किसी औऱ से चुदलो.. मैं बुरा नहीं मानुगा..

सुमन जोर से हँस्ती हुई - अब नीचे जाने दे वरना तू मुझे सच में किसीसे चुदवा देगा..

गौतम सुमन के दोनों चुचे अपने हाथों में पकड़कर मसलते हुए - आपके जैसी खूबसूरत औरत बिना चुदे अपने दिन बिताये ये तो बहुत गलत बात है माँ..

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सुमन - कितना जोर से दबाता है तू गौतम मेरे बोबो को.. अब तो सारे ब्लाउज औऱ ब्रा भी टाइट हो गई है.. लगता है तूने दबा दबा के मेरे बोबो का साइज बढ़ा दिया है.. अब नए ब्रा औऱ ब्लाउज बनवाने पड़ेगे.. बाबाजी से तेरी शिकायत करनी पड़ेगी.. छोड़ अब..

ये कहकर सुमन नीचे चली जाती है औऱ गौतम छत पर ही ठहलने लगता है फिर कुछ देर बाद वो भी नीचे आ जाता है..

************

फ़ोन क्यों नहीं उठा रहे थे?
सो रहा था..
इतनी देर तक सो रहे थे? ऐसा क्या कर रहे थे रातभर?
अरे यार.. बताया था ना कल फंक्शन था यहां.. इतना शोर गुल था नींद ही नहीं आई.. सुबह 4 बजे सोया था..
तो बताना चाहिए था ना मुझे.. मैं अपनी बाहों में भरके सुला लेती तुम्हे..
ओह हो.. फिर अगर मैंने तेरे बदन को इधर उधर से पकड़कर छू लिया होता औऱ तेरे साथ जोर जबरदस्ती करने की कोशिश की होती, तब तू क्या करती?
तब मैं तुम्हे चुम लेती औऱ कहती कि अगर तुमने मेरे साथ जबरदस्ती नहीं की तो मैं तुम्हारे साथ जबरदस्ती कर लुंगी.. औऱ फिर तुम्हारी इज़्ज़त लुटकर अपनी हवस मिटा लेती..
अच्छा ज़ी.. 4 दिनों में ही इतनी मोहब्बत हो गई मुझसे?
एक बार मिलने तो आओ मुझसे तुम.. फिर बताउंगी ये कबाड़ी वाले की बेटी कितनी मोहब्बत करती है तुमसे..
2-3 दिन की औऱ बात है रेशमा.. फिर देखना तेरा ये आशिक कैसे तेरी चुत की खुजली मिटाता है..
मुझसे तो रहा ही नहीं जा रहा तेरे बिना मेरे कुत्ते.. मन कर रहा है इस फ़ोन में घुसके तेरे पास आ जाऊ औऱ तुझे अपने गले से लगा लू..
अच्छा ये चैटिंग छोड़ वीडियो कॉल कर ना रेशमा.. देखना है तुझे..
एक मिनट.. हाँ.. कॉल कर रही हूँ..
गौतम वीडियो कॉल उठाके - आज तो बहुत प्यारी लग रही हो..
रेशमा हस्ते हुए - कुछ पहन तो लो.. कैसे नंगे होके बैठे हो..
गौतम केमेरा में अपना रेशमा को लंड दिखाकर - देखो ना ये बेचारा तुमसे मिलने की आस में कैसे खड़ा है.. बोलता है जब तक तुझसे नहीं मिलेगा तब तक नहीं बैठेगा..
रेशमा अपनी कुर्ती उतारकर अपने चूचियाँ मसलते हुए - गौतम इससे कहो कि ये खड़ा हुआ ही अच्छा लगता है.. जब हमारी मुलाक़ात होगी तब अगर ये बैठ गया तो बहुत मार खायेगा मुझसे..
गौतम - रेशमा तुम तो कह रही थी असलम बात तक नहीं करता तुमसे फिर तुम्हारे चुचे इतने कैसे बड़े होते जा रहे है? कोई औऱ तो इनपर मेहनत नहीं कर रहा ना?
रेशमा - कमीने फ़ोन पर बड़े लग रहे होंगे तुझे.. तीन साल से ब्रा का साइज वही है..
गौतम - फ़िक्र मत कर मेरी फुलझड़ी.. बहुत जल्दी तेरी चूची औऱ चुत्तड़ का साइज बढ़ने वाला है..
रेशमा अपनी चुत में ऊँगली करती हुई - गौतम देखो ना.. कैसे ये कमीनी तुम्हे देखकर गीली हो गई है.. लगता है तुमसे दुरी इसे भी बर्दाश्त नहीं है..
गौतम - तो तुम ही क्यों नहीं आ जाती मुझसे मिलने यहां? परसो की शादी है.. औऱ कोनसा तू दूर रहती है.. दो घंटे का ही तो सफर है..
रेशमा - पर आउ किसके साथ? क्या कहूँगी असलम से?
गौतम - बोल देना तेरी सहेली की शादी है.. कार्ड मैं तुझे व्हाट्सप्प कर देता हूँ..
रेशमा - ठीक है मैं बात करके देखती हूँ असलम से.. वैसे उम्मीद तो बहुत कम वो मेरी बात मानेगा..
गौतम - वैसे रेशमा.. एक बात बताऊ.. मैंने आदिल के फ़ोन से तेरे नंबर नहीं लिए थे.. आदिल ने खुद मुझे तेरे नम्बर दिए थे..
रेशमा चुत में ऊँगली करती हुई - क्यों दिए थे उसने तुझे मेरे नंबर?
गौतम - ताकि मैं तेरी चुत की खुजली को मिटा सकूँ..
रेशमा झड़ने लगती है फिर संभलकर कहती है - तूने अब तक हमारे बीच जो हुआ वो आदिल को तो नहीं बताया ना..
गौतम - अभी तक हुआ ही क्या है हमारे बीच.. जो मैं किसी को बताऊंगा.. पहले कुछ हो तो जाए..
रेशमा मुस्कुराते हुए - होने के बाद भी अगर तुमने किसी से कुछ कहा तो बहुत मार खाओगे देखना..
गौतम - अच्छा अब रखता हूँ.. नहाना है मुझे..
रेशमा - आई लव यू मेरे कुत्ते..
गौतम - आई लव यू मेरी कुत्तिया.. फ़ोन कट हो जाता है..

गौतम नहाने लगता है और नहा कर जब बाहर आता है तो उसे अपने सामने खड़ी हुई आरती कप मैं चाय लिए दिखती है जो गौतम को सिर्फ टावल में देखकर अपनी आँखे सेकती हुई बार-बार गौतम को ऊपर से नीचे तक देख कर अपने होंठों पर जीभ फिराते हुए उसे आंखों से अश्लील इशारे कर रही थी जिसे गौतम अच्छे से समझ रहा था और आरती के मन की दशा भी उसे अब अच्छे से समझ आ रही थी...

गौतम में नाराज होने का नाटक करते हुए आरती से चाय का कप नहीं लिया और अपने गीले बाल सुखाने लगा.. आरती ने चाय का कप टेबल पर रखते हुए गौतम के हाथ से तोलिया ले लिया और उसे बेड पर बिठाते हुए अपने हाथ से उसके बाल सुखाने लगी.. गौतम को आरती से इस तरह की कोई उम्मीद नहीं थी मगर जिस तरह से आरती उसके सर के बाल जो गीले थे उन को तौलिये से सुखा रही थी.. गौतम जान रहा था कि आरती पूरी तरह से गौतम के ऊपर लट्टू है और गौतम से आकर्षित है.. आरती बहाने बहाने से गौतम के बदन को छू रही थी और गौतम आरती से बचते हुए ऐसा दिखा रहा था जैसे वह आरती से दूर जाना चाहता हो मगर आरती उसे अपने से दूर नहीं करना चाहती थी..

आरती - क्या बात है देवर ज़ी? गले औऱ सीने पर इतने निशान.. लगता है कई बिल्लीओ ने आपका ये हाल किया है..
गौतम आरती से तौलिया लेकर - रहने दो भाभी मैं सूखा लूंगा अपने बाल..
आरती - अरे अरे.. नहीं बताना तो मत बताओ.. देवर ज़ी.. पर ऐसे क्या करते हो.. अपनी भाभी को कम से कम इतना तो करने दो..
यह कहते हुए आरती गौतम के बेहद करीब आ जाती है और उसके होठों से अपने होंठ लगभग लगाते हुए उसके बाल साफ करने लगती है मगर गौतम अपना चेहरा मोड़ते हुए आरती से मुंह फेर लेता है औऱ आरती से कहता है.
गौतम - भईया याद कर रहे होंगे आपको भाभी.. अब रहने दो.. मैं कर लूंगा..
आरती उदासी से - तुम्हारे भईया ही तो याद नहीं करते मुझे.. देवर ज़ी.. वो तो बस दूकान ही सँभालते है मुझे सँभालने के लिए उनके पास ना तो वक़्त है ना उनमे इतनी ताकत..
गौतम बाल बनाते हुए - तभी मेरे पीछे पड़ी हो आप.. पर ये ख्याल छोड़ दो भाभी.. मैं नहीं पटने वाला..
आरती अपना पल्लू गिराकर गौतम के करीब आते हुए - अरे देवर ज़ी.. पटाना अभी शुरू ही कहा किया है मैंने आपको.. शादी का माहौल है.. सबकी इच्छा पूरी हो रही है.. मेरी मुराद भी पूरी हो जाए तो आपका क्या बिगड़ जाएगा.. इतनी बुरी भी नहीं है आपकी भाभी.. आपके गले औऱ सीने पर कुछ निशान छोड़ने का हक़ तो आपकी इस भाभी का भी है..

ये कहते हुए आरती ने गौतम की कमर पर बंधे हुए तोलिया को अपनी उंगली के दबाव से एकदम से झटके से खोल दिया और गौतम को इसका अंदाजा भी नहीं था. गौतम ने अभी तौलिये के नीचे अंडरवियर नहीं पहना था जिससे तोलिया हटाने पर वह पूरी तरह अपनी प्राकृतिक अवस्था में आ गया और आरती के सामने उसका विशालकाय हथियार लहराते हुए झूलने लगा.. गौतम का हथियार देखकर आरती के जैसे रोंगटे खड़े हो गए और वह कामुकता से भर्ती हुई सन रह गई उसने आज से पहले इस तरह की कोई चीज नहीं देखी थी आरती अश्लील फिल्में देखने की शौकीन थी और अक्सर वह फिल्मों में इस तरह के लंड देखती थी मगर आज उसने हकीकत में ऐसा कुछ देख लिया था और उसे देखकर उसकी आंखें खुली की खुली रह गई थी और वह हैरत से गौतम को देख रही थी.

गौतम का आरती से ऐसा कुछ करने की उम्मीद नहीं थी मगर आरती ने जब ऐसा कुछ कर दिया तो उसे समझ नहीं आया कि वह क्या करें वह पहले तो एक दो पल के लिए भूत बना हुआ खड़ा रहा मगर फिर अपने तोड़ने को फर्ष से उठाकर वापस अपनी कमर पर बांध लिया और आरती पर गुस्सा होते हुए चिल्लाते हुए कहा..
गौतम - भाभी पागल हो क्या? ये क्या हरकत है?
आरती तो जैसे अभी तक गौतम के हथियार में ही खोई हुई थी उसे तौलिये के ऊपर से भी गौतम के हथियार की हल्की झलक मिल रही थी जो अभी तक सोया हुआ था.. आरती के कानों में गौतम की आवाज पड़ी ही नहीं और वह बस गौतम के लंड पर अपनी नजर डालें खड़ी हुई सिर्फ गौतम के लंड की ओर देख रही थी, गौतम ने आरती को ऐसा करते हुए देखा तो फिर से चिल्लाकर उसका कंधा पकड़कर झकझोरते हुए कहा..
गौतम - भाभी... भाभी...
आरती - देवर ज़ी.. आपका इतना बड़ा..
गौतम शरमाते हुए - भाभी आप जाओ यहां से..
आरती वापस अपने हाथ से गोतम का तौलिया खींचने लगती है मगर इस बार गौतम आरती का हाथ पकड़ लेता है..
गोतम - भाभी पागल हो गई हो क्या आप.. क्या कर रही हो..
आरती उत्सुकता से - देवर ज़ी बस एक बार वापस देख लेने दीजिये.. मैं चली जाउंगी..
गौतम - दरवाजा खुला हुआ है भाभी, कोई देख लेगा आप जाओ यहाँ से..
आरती - कोई नहीं देखेगा ग़ुगु.. मैं दरवाजा बंद करके आती हूँ..

आरती दरवाजा बंद करने के लिए मुड़ जाती है और दरवाजा बंद करने लगती है आरती के दरवाजा बंद करते ही बाहर हाल में डीजे की आवाज बजनी शुरू हो जाती है जिसमें आज शादी का महिला संगीत था.. डीजे पर पहला गाना बजते ही होटल में चारों तरफ शोर गुल मच जाता है जिसमें हर किसी को एक दूसरे की आवाज सुनाई नहीं दे रही थी हर कोई एक दूसरे से जोर से कहकर बात कर रहा था और एक दूसरे को इशारों से अपनी बात समझ रहा था इसका फायदा उठाकर आरती ने दरवाजा बंद कर वापस गौतम के पास आ गई और उसका तोलिया खींचने की नीयत से अपना हाथ बढ़ा दिया..
गौतम हाथ पकड़ते हुए - भाभी क्या मज़ाक है.. जाओ आप यहां से..
आरती अपना हाथ छुड़ाकर अपनी साडी उतारते हुए - देवर ज़ी आज तो चाहे कयामत आ जाए.. मैं यहां से नहीं जाने वाली..
आरती जब अपनी साड़ी उतार रही होती है गौतम की नजर आरती के ब्लाउज में चली जाती है जहां दो मस्त-मस्त मौसम कड़क होकर सामने की तरफ तनी हुई थी और उनको देखने से लगता था कि उन पर अब तक किसी के हाथ नहीं पड़े हैं और ना ही आरती ने इन पर किसी और को हुकूमत करने का आदेश ही दिया था..
गौतम का सोया हुआ लैंड धीरे-धीरे उठने लगता है और वह आरती को अपने कपड़े उतारते हुए देखने लगता है आरती साड़ी के बाद अपना ब्लाउज और फिर पेटिकोट उतार कर ब्रा औऱ पेंटी में आ जाती है और फिर गौतम की ओर बढ़ने लगती है.. इस बार गौतम ने आरती से बिना किसी शर्म और लिहाज़ के मिलने का निश्चय कर लिया था और वह अपनी और आती हुई आरती को कामुक नजरों से देखने लगा था..

गौतम ने अपनी और आती हुई आरती को देखते हुए अपना तोलिया अपने हाथों से ही हटाकर साइड में रखे सोफे पर फेंक दिया और आरती की कमर में हाथ डालकर उसे अपने करीब खींचते हुए उठाकर एक साथ बिस्तर पर पटक दिया... वहां से गौतम आरती के ऊपर चढ़ा और उसे छूने लगा.. आरती भी गौतम के इस व्यवहार से हक्की बक्की रह गई और चौंकते हुए वह गौतम को चूमने लगी और उसकी आंखों में देखी हुई अपनी आंखों के इशारों से उसे पूछने लगी कि एकदम से उसे यह क्या हुआ है मगर गौतम ने उसकी आंखों के इशारे का कोई प्रति उत्तर नहीं दिया और चुपचाप आरती के होठों का स्वाद लेने लगा दोनों के होंठ आपस में इस तरह मिल रहे थे जैसे दो बिछड़े हुए दोस्त लिपटकर एक साथ मिल जाते हैं दोनों के बीच होठों की जंग जुबानी हो चुकी थी गौतम और आरती ने एक दूसरे की जीभ को अपने-अपने मुंह से निकाल कर एक दूसरे की जीभ से लड़ाना और मिलना चालू कर दिया था..

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आरती को जो सुख अपने पति चेतन से नहीं मिल पाया था वह गौतम से पा लेना चाहती थी और किसी नियत से गौतम को चूम रही थी..

चुंबन के दौरान गौतम ने आरती की ब्रा निकाल कर फेंक दी जिससे उसके नुकीले सूचक गौतम के सीने पर चुभने लगे और इसमें गौतम को एक अजीब और मीठा अहसास होने लगा, उसकी कामुकता और ऊपर उठने लगी और हवाओं में तैरने लगी..

गौतम चुम्बन तोड़कर आरती से कहा - भाभी एक बार फिर सोच लो.. कल दीदी की शादी है औऱ एक बार मेरे साथ ये सब करने के बाद आप कुछ दिन ठीक से चल भी नहीं पाओगी.
आरती - मुझे फर्क नहीं पड़ता देवर ज़ी.. आप बस मुझे ऐसा रगड़ के रख दो कि मैं तृप्त हो जाऊ..
गौतम - जैसा आप चाहो भाभी..
गौतम इतना कह कर आरती कि छाती की तरफ आ जाता है और उसकी छतिया पर खड़े हुए चूचक अपने मुंह में लेकर चूसने लगता है और अपने हाथों से उन्हें मसलने और दबाने लगता है जिससे आरती के मनोभावों में कामुकता कि हवा में घूमती महक की तरह उठकर फैलने लगती है और तैरने लगती है जिससे आसपास का वातावरण काममई हो जाता है..

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आरती गौतम का चेहरा पकडे हुए उसे अपनी छाती के उभार का मज़ा देने लगती है.. आरती के कड़क उठे हुए और तीर की तरह चुभने वाले चुचक गौतम अपने मुंह में लेकर इस तरह चूस रहा था जैसे वह बच्चे बचपन में अपनी माँ की चूची पकड़ के उनमे से दूध चूसते हैं...

आरती सीस्कारियां लेते हुए गौतम के चेहरे को पकड़े हुए उसके बालों में हाथ फिराती हुई उसे अपनी छाती का पूरा मजा दे रही थी और वह चाहती थी कि गौतम उसकी छाती से भरपूर मजे लेकर उसपर लट्टू हो जाए, उससे खेले जिससे उसकी ब्रा का साइज औऱ उसकी मादकता दोनों बढ़ जाए..

गौतम आरती के चुचे से खेलते हुए एक हाथ से उसकी पेंटिंग नीचे सरकार कर उतार देता है और फिर उसकी टांगों के बीच में आ जाता है और उसकी टांगें खोलकर उसकी जांघों की जोड़ पर अपना हाथ रखकर आरती की चुत को मसलने लगता है जिससे आरती अब खुलकर सिसकने औऱ आहे भरने लगती है..

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आरती की चुत से गौतम के हाथ लगाते ही पानी निकलने लगा था औऱ वो झड़ गई थी मगर फिर गौतम ने अपने लंड पर थूककर अपने लंड को आरती की चुत में घुसने के लिए सेट कर दिया औऱ धक्का देने लगा..

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आरती को चेतन ने सुहागरात से लेकर अब तक एक बार भी तृप्त नहीं किया था ना ही उसके साथ अच्छे से संभोग किया था जिससे आरती काम की अग्नि में जल रही थी और उसने शादी के इतने सालों तक अपनी चुत को घर में रखें गाजर मूली बैंगन यहां तक की बेलन से भी ठंडा किया था इसलिए उसकी चुत खुल तो चुकी थी मगर चुदी नहीं थी..

गौतम का लोहे की तरह मजबूत औऱ ठोस लंड अपनी पूरी औकात में खड़ा होकर आरती की चुत में घुसने लगा था औऱ आरती की सिस्कारिया अब उसकी चिंखो में बदलने लगी थी मगर यहां उसकी आवाज सुनने वाला कोई नहीं था.. ऊपर से उसकी आवाज नीचे बज रहे dj के शोर में इस तरह खो गई थी जैसे भुंसे के ढेर में सुई खो जाती है.

गौतम ने आरती पर रहम करते हुए अपना हथियार धीरे-धीरे उसकी गुफा में गुस्सा आया था मगर अब आधा हथियार अंदर जाने के बाद गौतम को आरती की शक्ल देखने में मजा आने लगा..
आरती की सूरत इस तरह की थी जैसे कोई बिन पानी मछली की होती है आरती की शक्ल देखते हुए गौतम को उसकी कही हुई हर बात याद आने लगी कि किस तरह से आरती कुछ दिनों से गौतम का दिल दुखाने की पूरी पूरी कोशिश कर रही थी हालांकि आरती उन बातों को मीन नहीं करती थी ना ही उसने वह बात जानबूझकर कही थी..

उसका मकसद सिर्फ गौतम का दिल दुखाना था जिसमें वह कामयाब भी नहीं हो पाई थी मगर गौतम को आप सब याद आ रहा था और वह आरती के चेहरे पर उभरते इस भाव को देखकर सुकून महसूस कर रहा था कि अब आरती का सारा घमंड और सारी अकड़ चकनाचूर हो चुकी है..
गौतम - क्या हुआ भाभी अभी तो आधा ही अंदर गया है औऱ आप तड़पने लगी..
आरती सिसकते हुए - देवर ज़ी मैं कोई रांड थोड़ी हूँ जो इतना बड़ा लोडा एक बार में ले जाउंगी..
गौतम - चिंता क्यों करती हो भाभी.. मैं हूँ ना आपका देवर.. आपको अपने लंड से चोदकर पक्का रांड बना दूंगा..
आरती - ग़ुगु धीरे धीरे करना.. अब दर्द भी होने लगा है..
गौतम - ऐसा लगता है तीन साल में चेतन भईया ने आपको हाथ तक नहीं लगाया.. बिलकुल नाजुक हो आप तो.. देखो सील टूट गई आपकी...
आरती - उसे तो सिर्फ खाना औऱ सोना है.. साला सो किलो का ढ़ोल है.. दूकान पर बैठने के अलावा कुछ नहीं आता..
गौतम - ये बात तो है भाभी.. चेतन आप जैसी हसीन नाजुक औऱ प्यारी लड़की के लायक़ नहीं है..
आरती धीरे धीरे अपनी गांड उठाकर चुदवाते हुए - तो देवर ज़ी.. आप क्यों नहीं बना लेटे मुझे अपना.. ले चलो अपनी भाभी को भगा के.. मैं मना थोड़ी करुँगी..
गौतम धीरे धीरे आधे लंड से चोदते हुए - रहने दो भाभी.. ये ऐश औऱ आराम छोड़कर जाना आपके बस की बात नहीं है..
आरती - ऐसा नहीं है देवर ज़ी.. मैं तो आपके साथ फुटपाथ पर भी रह लुंगी. बस आप अपने इस लंड से मेरी चुत की सर्विस टाइम से करते रहना..
गौतम एक जोरदार धक्का मारके आरती की चुत में अब पूरा लंड घुसा देता है औऱ आरती चिल्लाते हुए गौतम से लिपटकर सिसकियाँ लेने लगती है..

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गौतम - भाभी दर्द तो नहीं हुआ ना..
आरती - देवर ज़ी आपने तो आज असली में सील तोड़ दी..
गौतम मिशनरी पोज़ में आरती की चुदाई करता है और फिर आरती को अपने आगे घोड़ी बनाकर उसकी सवारी करने लगता है..

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आरती खुलकर गौतम के साथ अपनी हवस बुझा रही थी उसे अब किसी की फिक्र नहीं थी आरती खुल के गौतम को अपना चुकी थी और उसके साथ मजाक मस्तियां करते हुए कामसुख भोग रही थी..

गौतम ने घोड़ी के बाद आरती को अपनी गोद में उठा लिया औऱ उठा उठा के चोदने लगा..

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आरती ने गौतम का बराबर साथ दिया औऱ चुदाई लीला में गौतम को भी पूरा मज़ा मिलरहा था.. आरती बार बार गौतम के होंठों को चूमकर उससे अपने प्यार का इज़हार कर रही थी औऱ चुदाई के चरम पर पहुंचकर झड़ चुकी थी.. इस चुदाई में कई बार चुत से झड़ने के बाद आरती ने गौतम को अपनी चुत में घुसा कर लंड पर दबाब बनाते हुए गौतम को भी अपने अंदर अपना पानी निकालने पर मजबूर कर दिया औऱ दोनोंअपनी इस चुदाई के महासंगम के महामिलन से तृप्त होकर एक दूसरे की बाहों में लेट गए थे..
आरती - देवर ज़ी.. आप तो बहुत बुरे हो..
गौतम - क्यों भाभी.. मज़ा नहीं आया आपको?
आरती - प्यार से प्यार करने को कहा था मैंने औऱ आपने.. एक झटके में अपना ये अजगर मेरी बिल में घुसा दिया.. देखो कितनी फ़ैल गई है मेरी चुत..
गौतम - भाभी ऐसी फैली हुई चुत तो हमारे प्यार की निशानी है..
आरती मुस्कुराते हुए - बड़े आये प्यार की निशानी देने वाले.. मैं जानती हूँ तुमने मेरी बातों का बदला लिया है मुझसे..
गौतम - भाभी आपसे बदला? आप किस बात का बदला लूंगा मैं? मैं जानता था कि आप बस मेरा दिल दुखाने के लिए ही बोल रही थी जो आपने बोला.. मैं तो आपसे कभी नाराज़ था ही नहीं..
आरती मुस्कुराते हुए - अच्छा देवर ज़ी.. अब जाने दीजिये.. मौका मिलते ही वापस प्यार झरने आउंगी आपसे.
गौतम - जैसा आप चाहो भाभी.. आपका देवर हमेशा आपकी सेवा के लिए तरयार रहेगा...
आरती बेड से खड़े होते ही लड़खड़ा जाती है हसते हुए गौतम को देखती है..
गौतम सिगरेट सुलगाते हुए - मैंने तो पहले ही कहा था भाभी.. चुदने के बाद ठीक से चल भी नहीं पाओगी..
आरती लड़खड़ाकर दो कदम चलती है उसके मन में वापस चुदने की तलब थी मगर जुबान से इस बात को कहना आरती के बस में अब नहीं था वो कमरे के दरवाजे पर रूकते हुए मुस्कुराते हुए गौतम से कहती है - देवर ज़ी मुझे मेरे रूम तक छोड़ दोगे?
गौतम सिगरेट का एक कश लेकर आरती से कहता है - ये भी तो आपका रूम है भाभी यही आराम कर लो.. शाम तक तो वैसे भी कोई नहीं है पूछने वाला..
आरती लड़खड़ाती हुई वापस बेड के करीब आ जाती है जहाँ गौतम आरती का हाथ पकड़कर उसे अपने ऊपर खींच लेता है औऱ आरती गौतम के ऊँगली में सुलगती सिगरेट लेकर एक लम्बा सा कश भरती है औऱ फिर सिगरेट बुझाकार गौतम को फिर से चूमने लगता है..

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Awesome update
 

Rajpoot MS

I love my family and friends ....
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Awesome update gjb 🌹🌹🌹
 
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Iron Man

Try and fail. But never give up trying
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Update 22

शाम के पांच बज चुके थे होटल की छत पर गौतम सुमन का बेसब्री से इंतजार कर रहा था. सुमन भी छत पर आने के लिए निकल चुकी थी गौतम यह सोच रहा था कि वह आज अपनी मां से अपने प्यार का इजहार कर देगा और उसे अपनी दुल्हन बनाने का प्रस्ताव रखेगा. गौतम यह जानता था कि जो वह करने जा रहा है इसमें उसे सफलता नहीं मिलने वाली है लेकिन वह फिर भी एक बार सुमन को अपने प्यार का इजहार करके मानना चाहता था और चाहता था कि सुमन उसे अपने प्रेमी के रूप में अपना ले.. अब तक जो सुमन और गौतम के बीच में हो रहा था वह केवल सुमन के मातृत्व प्रेम के कारण हो रहा था जिसमें वह गौतम को अपना बेटा मानकर सब कुछ कर रही थी भले इसमें उसे आनंद और काम संतुस्टी की प्रति हो रही थी लेकिन वह अब तक गौतम को अपने प्रेमी के रूप में स्वीकृत नहीं कर पाई थी ना ही उसे यह अधिकार दिया था कि गौतम उसके पूरे शरीर पर अधिकार जताये..


सुमन का नारीत्व और काम इच्छा उफान पर थी जिसे वो गौतम के साथ शांत कर लेती थी मगर इस अधूरी शांति से गौतम और सुमन दोनों ही काम के शिखर पर पहुंच कर उस अद्भुत और अतुल्य सुख से वंचित ही रहे जिसे पाना दोनों के मन में लंबित था. सुमन अपने मन की आखिरी दीवार को नहीं गिराना चाहती थी. सुमन चाहती थी कि गौतम की हर इच्छा और हर मनोकामना पूरी हो लेकिन वह खुद इसके लिए अपनी चुत की कुर्बानी देने को तैयार नहीं थी. सुमन अब यही चाहती थी कि जैसे गौतम और सुमन के बीच एक रिश्ता कायम हो चुका है वह इस तरह कायम रहे और अब सुमन ना तो इससे आगे बढ़ना चाहती थी और ना ही इससे पीछे हटाना चाहती थी.


गौतम ने भी अपने मन में ये तय कर लिया था कि वह सुमन को किसी भी शर्त पर अपना बना कर रहेगा और उसके लिए वह आज पहली-पहल कर देगा. भले इसमें उसे सफलता मिले या वह असफल रहे. गौतम अब मन ही मन सुमन को पाने की चाहत में जलने लगा था और उसे आप सुमन को भोगने की इच्छा पूरी उफान ले चुकी थी. मगर वह इस बात से भली-भांति परिचित था की सुमन को भोगना और उसे पाना इतना आसान नहीं होगा और जो दीवार सुमन ने अपने मन में उसके और खुद के बीच में बना रखी है उसे गिराना भी आसान नहीं होगा. दोनों के बदनों के मिलन के बीच सुमन ने अपने मन में उसके औऱ गौतम के रिस्ते को रोड़ा बना लिया था जिसे दूर करना आसान नहीं था. मगर गौतम ने ये तय कर लिया था जो किसी भी तरह से उसके मन से इस दीवार को गिरा कर रहेगा और उसे अपना बना कर रहेगा इसके लिए भले ही उसे कुछ भी करना पड़े. गौतम और सुमन के बीच सब कुछ हो रहा था मगर बाकी था वही सबसे जरूरी था और वहीं गौतम करना चाहता था मन ही मन सुमन भी ऐसा ही चाहती थी मगर उसने अपने मन में रिश्ते की दीवार को बीच में खड़ा कर दिया था जिसे वह नहीं गिराना चाहती थी.


सुमन अकेली चुपके चुपके सीडीओ से होती हुई छत के दरवाजे तक आ पहुंची.. सुमन के मन में अजीब अजीब ख्याल आ रहे थे और अजीब सवाल वह अपने आप से पूछ रही थी जिसके जवाब खुद ही अपने आप को देती हुई वह छत के दरवाजे पर खड़ी हुई थी गौतम भी सुमन के इंतजार में छत के कोने में खाली पड़ी की जगह पर खड़ा हुआ सुमन का इंतजार कर रहा था उसके मन में भी कई बातें चल रही थी जिसे वह सोचकर सही और गलत तय करने में लगा हुआ था. गौतम ने सुमन को छत के दरवाजे पर खड़ा हुआ देख लिया और सुमन की नजर भी गौतम से मिल गई. गौतम ने सुमन को इशारे से अपने पास आने के लिए कहा औऱ सुमन गौतम के पास धीरे धीरे कदमो से चली आई..


गौतम ने उसी नज़र से अपनी माँ के बदन को ऊपर से नीचे तक देखा जिस तरह वो बाकी लड़कियों औऱ औरतों को ताड़ता था. सुमन इस नज़र को अच्छे से समझ गई थी मगर काम के भाव से भारी हुई सुमन को इस नज़र का बुरा कतई नहीं लगा.. गौतम ने सुमन की कमर में हाथ डालकर उसे अपने सीने से लगाकर बाहों में भर लिया औऱ फिर अपने होंठों से सुमन के होंठ मिलाकर जंग शुरू कर दी.. इस जंग में दोनों ही एक दूसरे को हराने के लिए भर्षक प्रयास कर रहे थे और एक दूसरे के लबों को चूमते हुए खींच कर काटते हुए ऐसे चुम रहे थे जैसे उनके बीच ये प्यार का पहला चुम्बन हो..

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गौतम ने चुम्बन के दौरान एक जोरदार थप्पड़ सुमन की गांड पर मारा औऱ फिर उसकी गांड को जोर से मसलते हुए इतना तेज़ दबाया की सुमन चुम्बन तोड़कर सिसक उठी औऱ गौतम को शिकायत की नज़र से देखते हुए बोली..

सुमन - आराम से ग़ुगु.. माँ को दर्द होता है ना.

गौतम - ग़ुगु नहीं सुमन.. गौतम.. मुझे गौतम कहकर पुकारो.. मैं अब आपके इन गुलाबी होंठों से अपना नाम सुनना चाहता हूँ..

सुमन हैरानी से - तू क्या कह रहा है ग़ुगु औऱ मुझे नाम से क्यों बुला रहा है.. मैं तेरी माँ हूँ.. तू भूल गया है क्या?

गौतम - मुझे सब याद है सुमन.. (अपना हाथ सुमन की चुत पर रखते हुए) आपने 20 साल पहले मुझे अपनी इसी चुत से निकाला था.. आपने इन 20 सालों में जितना मुझे प्यार किया है उतना शायद कोई औऱ कभी ना कर पाए.. मेरी ख़ुशी के लिए आप मेरे सामने नंगी तक हो गई.. मेरी हर ज़िद पूरी की मगर अब सुमन.. मैं आपको खुश रखना चाहता हूँ.. प्यार करना चाहता हूँ.. मैं चाहता हूँ आप मुझे नाम से बुलाओ.. हर शाम घर पर मेरा इंतज़ार करो औऱ जब मैं काम से वापस आउ तो आप मुझसे लिपटकर अपने होंठ मेरे होंठ पर रख दो.. मुझे गौतम ज़ी कहकर बुलाओ.. बिलकुल जैसे आप पापा को बुलाती थी..

सुमन - तू पागल हो गया है क्या गौतम? ये सब क्या बकवास कर रहा है.. तू अच्छी तरह जानता है मैं तेरे साथ ये सब नहीं कर सकती.. माँ हूँ मैं तेरी औऱ तू मेरा ग़ुगु.. समझा?

गौतम - आप सब करोगी सुमन.. मुझे यक़ीन है मेरी मोहब्बत आपको ये सब करने पर मजबूर कर देगी.. आप मुझे अपने दिल में वही जगह दोगी जो जगह तुमने पापा की दी थी..

सुमन गौतम के सामने घुटनो पर बैठकर उसकी पेंट खोलते हुए - तू ये मुझे चिढ़ाने के लिए बोल रहा है ना? पर मैं नहीं चिढ़ने वाली समझा? मैं अभी तुझे चूसकर ठंडा कर देती हूँ फिर तेरा सारा भुत उतर जाएगा औऱ तू फिर से मुझे सुमन नहीं माँ कहकर बुलायेगा..

गौतम कंडोम देते हुए - लो सुमन.. बिना कंडोम तुम्हे उल्टी हो जायेगी..

सुमन कंडोम लेकर फेंक देती है औऱ गौतम का लंड हाथ में पकड़कर उससे कहती है - उल्टी होती है तो हो जाए.. तुझे बिना कंडोम के अच्छा लगता है मैं उसी तरह तुझे खुश कर देती हूँ..

ये कहकर सुमन गौतम के लंड को मुंह में भरकर चूसने लगी औऱ गौतम सुमन को प्यार से देखता हुआ उसके सर पर हाथ फेरने लगा..

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गौतम - जानती हो सुमन जब आप सुबह नाच रही तब मेरा दिल आपको देखकर क्या कह रहा था मुझसे? मेरा दिल कह रहा था कि मैं आपको अपनी दुल्हन बना लू.. औऱ जो सुख पापा आपको सालों से नहीं दे पाये वो सुख मैं आपको हर रात दू.. सुबह तो मैंने अपनी खुली आँखों से हमारे बच्चों तक के नाम सोच लिए थे.. लड़का हुआ तो निखिल लड़की हुई तो निकिता..

सुमन लंड को पूरी मेहनत औऱ काम कला के साथ चूस रही थी मगर गौतम कि बात सुनकर वो बोली..

सुमन मुंह से लोडा निकालकर - गौतम तूने अब एक औऱ शब्द अपने मुंह से निकाला तो अच्छा नहीं होगा.. मैं तेरी माँ हूँ और माँ ही रहूंगी.. मुझे अपनी दुल्हन बनाने का ख्याल अपने दिल औऱ दिमाग से निकाल दे..

गौतम - मैं आप से प्यार करता हूँ सुमन..

सुमन - जितना तू मुझसे करता है उससे कहीं ज्यादा प्यार मैं तुझसे करती हूँ बेटू..

गौतम - सुमन मैं आपको अपनी माँ नहीं अपनी दुल्हन की तरह प्यार करता हूँ..

सुमन - ये ज़िद छोड़ दे ग़ुगु.. ये मुमकिन नहीं है.. मैं तुझे कभी भी वो सब नहीं दे सकती..

ये कहकर सुमन गौतम के लंड को वापस मुंह में भर लेती है औऱ चूसने लगती है

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मगर अब गौतम सुमन के मुंह से अपना लंड निकाल लेता है औऱ अपनी पेंट पहनने लगता है लेकिन सुमन गौतम के हाथ पकड़ कर उसे पेंट पहनने से रोक देती है औऱ कहती है.

सुमन - गौतम ये ज़िद छोड़ दे.. मैंने तेरी हर बात मानी है मगर ये बात मैं नहीं मान सकती.. तू चाहता है मैं अपनी ही नज़रो में गिर जाऊ? कभी खुदसे आँख भी ना मिला पाउ? कैसी जिद पर तू अड़ गया है गौतम.. तू चाहता है तो मैं आज से तुझे तेरे नाम से बुलाऊंगी.. तेरे मुंह से माँ की जगह सुमन भी सुन लुंगी.. मगर ये ज़िद छोड़ दे मेरे शहजादे..

गौतम सुमन से अपने हाथ छुड़वाकर अपनी पेंट पहन लेता है औऱ छत की रेलिंग के पास जाकर सुमन से कहता है..

गौतम - आप नीचे जाओ माँ.. मुझे अब आपसे कुछ नहीं चाहिए.. शादी एन्जॉय करो..

सुमन अपने घुटनो पर से पैरो पर खड़ी हो जाती है औऱ गौतम के पास आकर अपने ब्लाउज में सिगरेट का पैकेट निकालकर एक सिगरेट गौतम के होंठों पर लगा देती है औऱ लाइटर से जलाते हुए कहती है..

सुमन - मुझे माफ़ कर दे गौतम मैं तेरी ये इच्छा पूरी नहीं कर सकती.. तू चाहे तो मुझे अभी नंगा कर दे मैं उफ़ तक नहीं करुगी मगर मेरे शहजादे अपनी माँ को इस तरह जलील मत कर..

गौतम सिगरेट का एक लम्बा कश लेकर अपनी माँ के मुंह पर धुआँ छोड़ते हुए - माफ़ तो आप मुझे कर दो माँ.. मैं हमारे रिस्ते को भूल गया था.. पर अब आप भरोसा रखो मैं आपसे इस बारे में कुछ नहीं कहने वाला...

सुमन मुस्कुराते हुए गौतम के लंड पर पेंट के ऊपर से हाथ रखते हुए - चल गौतम.. मैं अपने छोटे ग़ुगु को थोड़ा प्यार कर लेती हूँ.. नीचे ना सही ऊपर से तो मैं तेरी हर ख्वाहिश पूरी कर सकती हूँ..

गौतम सिगरेट का कश लेकर सुमन का हाथ लंड पर से हटाते हुए - रहने दो माँ.. छोटा ग़ुगु सो चूका है.. आप जाओ नीचे..

सुमन गौतम के हाथ से सिगरेट लेकर कश लेती है औऱ गौतम के लंड को इस बार जोर से हाथों में पकड़कर मसलते हुए गौतम से कहती है..

सुमन - छोटे ग़ुगु को नींद से जगाना औऱ खड़ा करना मुझे अच्छे से आता है.. तू फ़िक्र मतकर मैं छोटे ग़ुगु को खुश करने में ज्यादा वक़्त नहीं लगाउंगी..

सुमन कहते हुए अपने घुटनों पर बैठ जाती है गौतम की पेंट उतारने लगती है लेकिन गौतम सुमन के हाथों से अपनी पेंट छुड़वाते हुए उसे कहते हैं..

गौतम - मन नहीं माँ.. रहने दो..

सुमन गुस्से से - मैं अच्छी तरह जानती हूँ तेरा मन क्यों नहीं है? तू मुझसे नाराज़ है ना.. मैंने तेरी ज़िद पूरी नहीं की इसलिए? तूने अगर अपनी ज़िद नहीं छोडी तो मैं यही से नीचे कूद कर अपनी जान दे दूंगी..


ये कहते हुए सुमन छत की रेलिंग की तरफ बढ़ती है और उससे पार करने की कोशिश करने लगती है मगर पीछे से गौतम उसका हाथ पकड़ कर सुमन को अपनी तरफ खींच लेता है और एक जोरदार थप्पड़ सुमन के गाल पर मरता हुआ उसे अपनी बाहों में भर लेता है औऱ सुमन से कहता है..

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गौतम - अगली बार मरने की बात भी की, तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा समझी आप?

सुमन थप्पड़ खाकर भी मुस्कुरा पडती है औऱ गौतम के होंठों को चुमकर कहती है - अपनी माँ के गाल पर इतना जोर से थप्पड़ मारना जरुरी था?

गौतम अपनी माँ सुमन को बाहों में भरके छत पर बने फालतू सामान से भरे कमरे की तरफ उठाकर ले जाते हुए - अभी तो सिर्फ एक ही पड़ा है अगली बार ऐसा कुछ किया ना आपने तो बहुत पिटोगी आप..

इतना कहते हुए गौतम सुमन को कमरे में एक चारपाई पर बैठा देता है औऱ सुमन का पल्लू हटाकर उसकी ब्लाउज के सारे बटन खोलकर ब्रा ऊपर सरकातें हुए सुमन के कबूतर आजाद कर देता है औऱ फिर अपनी पेंट खोलकर लंड को लहराते हुए सुमन के मुंह में घुसा देता है औऱ सुमन भी मुस्कुराते हुए गौतम के लंड को बिना कंडोम लगाए चूसने लगती है औऱ लंड चूसते हुए गौतम को देखने लगती है..

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गौतम अपनी माँ के इस रूप से उत्तेजित औऱ कामुकता के शिखर पर जा चूका था उसे झड़ने में ज्यादा समय नहीं लगा औऱ उसने सारा वीर्य सुमन के मुंह में भरके उसे अपना वीर्यपान करवा दिया औऱ सुमन न चाहते हुए भी गौतम को खुश करने के लिए उसका वीर्य पी गई...

गौतम झड़ने के बाद सुमन के बगल में बैठ जाता औऱ औऱ गले में हाथ डाल कर सुमन की एक चूची पकड़कर मसलते हुए कहता है..

गौतम - काश आप मेरी माँ नहीं बीवी होती सुमन.. मैं आपको बिस्तर से उठने ही नहीं देता..

सुमन हसते हुए गौतम का लंड साफ करती हुई - ये नहीं होने वाला बच्चू.. तेरे नसीब मेरे ऊपर का छेद है नीचे का नहीं.. चल अब जाती हूँ..

वरना तू फिर से शुरू हो जाएगा..

सुमन जैसे ही उठने लगती है गौतम सुमन को अपनी गोद में बैठा लेता है औऱ कहता है - थोड़ी देर बैठो ना माँ मेरे साथ.. नीचे जाकर क्या करोगी.. कितनी भीड़ औऱ शोर है नीचे..

सुमन - शादी में भीड़ औऱ शोरगुल तो होता ही है.. जब तेरी शादी होगी तब भी इतना ही ऐसे ही भीड़ औऱ शोर होगा..

गौतम - नहीं होगा माँ.. मेरी शादी में सिर्फ दो लोग ही रहेंगे.. एक मैं औऱ दूसरी आप.. हमारी शादी ख़ास होगी..

सुमन - गौतम देख तू वापस वही बात मत शुरू कर देना.. मैं तुझे अपना फैसला बता चुकी हूँ..

गौतम - मैं तो मज़ाक़ कर रहा था मेरी प्यारी सी सेक्सी सुमन..

सुमन सिगरेट सुलगाते हुए - रूपा का फोन आया था कह रही थी तेरा फ़ोन बंद है..

गौतम - हाँ अब इतने चाहने वाले है मेरे.. किस किस से बात करता तो सोच कुछ बंद ही कर देता हूँ..

सुमन सिगरेट का कश लेकर सिगरेट गौतम को देती हुई - एक बार बात कर ले बेचारी बहुत परवाह करती है तेरी..

गौतम कश लेकर - पता है माँ.. वापस जाकर रूपा मम्मी के साथ ही रहेंगे हम दोनों..

सुमन - मम्मी? माँ सिर्फ मैं हूँ तेरी औऱ कोई नहीं.. समझा?

गौतम - आप माँ हो रूपा मम्मी औऱ माधुरी छोटी माँ.. मैंन छोटी माँ को सब बता दिया..

सुमन - फिर क्या कहा उसने?

गौतम - पहले तो कुछ नहीं बोली मगर फिर थोड़ा डांटने लगी औऱ बोली आपसे बात करनी है उसे..

सुमन - बात करवा ना फिर..

गौतम - वापस चलकर बात कर लेना माँ सीधा घर चले जाएंगे उनके..

सुमन - उनका घर कैसे हुआ? तेरे पापा ने लिया है घर.. हमारा भी हक़ है उसपर.. मैं तो जाकर उससे यही बात करुँगी औऱ तेरे पापा से भी यही बात कहूँगी..

गौतम - पर हम खुश है ना वहा भी..

सुमन - खुश? उस शुरू होते ही ख़त्म होने वाली जगह में रहकर खुश है तू? मैं खुश नहीं हूँ.. मेरा हक़ कोई औऱ चुड़ैल नहीं खा सकती..

गौतम सिगरेट सुमन को देते हुए - गुस्से में कितनी प्यारी लगती हो माँ..

सुमन कश लेकर - तेरा भी हक़ है उस घर पर.. हम वापस जाकर रूपा नहीं माधुरी के साथ रहेंगे.. देखती हूँ वो कैसे रोकती है हमें..

गौतम - वो क्यों रोकने लगी माँ.. वो तो शायद यही चाहती है औऱ इसीलिए आपसे बात भी करना चाहती है.. वैसे मेरे लिए भी अच्छा है.. आप तो अपनी चुत को छुपा के रखो.. छोटी माँ तो मुझे अच्छे से प्यार करेंगी उस घर में..

सुमन गुस्से में - चुत के चककर में अपनी माँ की सौतन से प्यार करेगा तू..

गौतम मुस्कुराते हुए - सौतन होगी आपकी मेरी तो छोटी माँ है.. कैसे भी चोदू बुरा नहीं मानती उल्टा बराबर का साथ देती है..

सुमन उदासी से - देख रही हूँ उस डायन ने मेरा पति तो छीन ही लिया है मेरा बेटा भी मुझसे छीन रही है..

गौतम सुमन की उंगलियों में सुलगती सिगरेट को अपनी उंगलियों में लेकर सुमन के होंठों पर सिगरेट लगाते हुए - ऐसा नहीं है मेरी सेक्सी सुमन.. आपसे मुझे कोई नहीं छीन सकता..

सुमन सिगरेट का कश लेकर गौतम को देखते हुए - भाभी का बहुत बुरा हाल किया है तूने.. बेटी की शादी में चलने ठीक से लायक नहीं छोड़ा..

गौतम - कुछ सीखो अपनी भाभी से माँ.. आप आगे के लिए मना कर रही हो मामी तो आगे पीछे दोनों तरफ ले गई थी मेरा..

सुमन चौंकते हुए - तूने भाभी की गांड..

गौतम हस्ते हुए - हाँ.. मारी है मैंने आपकी प्यारी भाभी की गांड..

सुमन - भाभी ने मना नहीं किया? बहुत दर्द हुआ होगा उनको तो..

गौतम - मना तो किया पर.. बदले में गांड मारना तो जायज था.. सुबह यहां आने के बाद भी एक बार औऱ मरवाई थी मामी ने..

सुमन - तभी ये हाल है भाभी का.. तुझे शर्म नहीं आई.. इतना सब करते हुए...

गौतम मुस्कुराते हुए - भाभी तो फिर भी चल पा रही है माँ..एक बार आप हाँ कर दो फिर देखना आपको तो चलने लायक भी नहीं छोडूंगा.. वैसे माँ मुझे तो इस शादी में कई चुत मिल जायेगी.. आप कहो तो आपकी इस चुत के लिए लोड़ो का बंदोबस्त करू?

सुमन हसते हुए - अपनी माँ का दल्ला बनेगा तू.. बेशर्म..

गौतम - जब आप मेरी ख़ुशी के लिए ये सब कर सकती हो तो में क्यों नहीं कर सकता.. मुझसे नहीं चुदना तो किसी औऱ से चुदलो.. मैं बुरा नहीं मानुगा..

सुमन जोर से हँस्ती हुई - अब नीचे जाने दे वरना तू मुझे सच में किसीसे चुदवा देगा..

गौतम सुमन के दोनों चुचे अपने हाथों में पकड़कर मसलते हुए - आपके जैसी खूबसूरत औरत बिना चुदे अपने दिन बिताये ये तो बहुत गलत बात है माँ..

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सुमन - कितना जोर से दबाता है तू गौतम मेरे बोबो को.. अब तो सारे ब्लाउज औऱ ब्रा भी टाइट हो गई है.. लगता है तूने दबा दबा के मेरे बोबो का साइज बढ़ा दिया है.. अब नए ब्रा औऱ ब्लाउज बनवाने पड़ेगे.. बाबाजी से तेरी शिकायत करनी पड़ेगी.. छोड़ अब..

ये कहकर सुमन नीचे चली जाती है औऱ गौतम छत पर ही ठहलने लगता है फिर कुछ देर बाद वो भी नीचे आ जाता है..

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फ़ोन क्यों नहीं उठा रहे थे?
सो रहा था..
इतनी देर तक सो रहे थे? ऐसा क्या कर रहे थे रातभर?
अरे यार.. बताया था ना कल फंक्शन था यहां.. इतना शोर गुल था नींद ही नहीं आई.. सुबह 4 बजे सोया था..
तो बताना चाहिए था ना मुझे.. मैं अपनी बाहों में भरके सुला लेती तुम्हे..
ओह हो.. फिर अगर मैंने तेरे बदन को इधर उधर से पकड़कर छू लिया होता औऱ तेरे साथ जोर जबरदस्ती करने की कोशिश की होती, तब तू क्या करती?
तब मैं तुम्हे चुम लेती औऱ कहती कि अगर तुमने मेरे साथ जबरदस्ती नहीं की तो मैं तुम्हारे साथ जबरदस्ती कर लुंगी.. औऱ फिर तुम्हारी इज़्ज़त लुटकर अपनी हवस मिटा लेती..
अच्छा ज़ी.. 4 दिनों में ही इतनी मोहब्बत हो गई मुझसे?
एक बार मिलने तो आओ मुझसे तुम.. फिर बताउंगी ये कबाड़ी वाले की बेटी कितनी मोहब्बत करती है तुमसे..
2-3 दिन की औऱ बात है रेशमा.. फिर देखना तेरा ये आशिक कैसे तेरी चुत की खुजली मिटाता है..
मुझसे तो रहा ही नहीं जा रहा तेरे बिना मेरे कुत्ते.. मन कर रहा है इस फ़ोन में घुसके तेरे पास आ जाऊ औऱ तुझे अपने गले से लगा लू..
अच्छा ये चैटिंग छोड़ वीडियो कॉल कर ना रेशमा.. देखना है तुझे..
एक मिनट.. हाँ.. कॉल कर रही हूँ..
गौतम वीडियो कॉल उठाके - आज तो बहुत प्यारी लग रही हो..
रेशमा हस्ते हुए - कुछ पहन तो लो.. कैसे नंगे होके बैठे हो..
गौतम केमेरा में अपना रेशमा को लंड दिखाकर - देखो ना ये बेचारा तुमसे मिलने की आस में कैसे खड़ा है.. बोलता है जब तक तुझसे नहीं मिलेगा तब तक नहीं बैठेगा..
रेशमा अपनी कुर्ती उतारकर अपने चूचियाँ मसलते हुए - गौतम इससे कहो कि ये खड़ा हुआ ही अच्छा लगता है.. जब हमारी मुलाक़ात होगी तब अगर ये बैठ गया तो बहुत मार खायेगा मुझसे..
गौतम - रेशमा तुम तो कह रही थी असलम बात तक नहीं करता तुमसे फिर तुम्हारे चुचे इतने कैसे बड़े होते जा रहे है? कोई औऱ तो इनपर मेहनत नहीं कर रहा ना?
रेशमा - कमीने फ़ोन पर बड़े लग रहे होंगे तुझे.. तीन साल से ब्रा का साइज वही है..
गौतम - फ़िक्र मत कर मेरी फुलझड़ी.. बहुत जल्दी तेरी चूची औऱ चुत्तड़ का साइज बढ़ने वाला है..
रेशमा अपनी चुत में ऊँगली करती हुई - गौतम देखो ना.. कैसे ये कमीनी तुम्हे देखकर गीली हो गई है.. लगता है तुमसे दुरी इसे भी बर्दाश्त नहीं है..
गौतम - तो तुम ही क्यों नहीं आ जाती मुझसे मिलने यहां? परसो की शादी है.. औऱ कोनसा तू दूर रहती है.. दो घंटे का ही तो सफर है..
रेशमा - पर आउ किसके साथ? क्या कहूँगी असलम से?
गौतम - बोल देना तेरी सहेली की शादी है.. कार्ड मैं तुझे व्हाट्सप्प कर देता हूँ..
रेशमा - ठीक है मैं बात करके देखती हूँ असलम से.. वैसे उम्मीद तो बहुत कम वो मेरी बात मानेगा..
गौतम - वैसे रेशमा.. एक बात बताऊ.. मैंने आदिल के फ़ोन से तेरे नंबर नहीं लिए थे.. आदिल ने खुद मुझे तेरे नम्बर दिए थे..
रेशमा चुत में ऊँगली करती हुई - क्यों दिए थे उसने तुझे मेरे नंबर?
गौतम - ताकि मैं तेरी चुत की खुजली को मिटा सकूँ..
रेशमा झड़ने लगती है फिर संभलकर कहती है - तूने अब तक हमारे बीच जो हुआ वो आदिल को तो नहीं बताया ना..
गौतम - अभी तक हुआ ही क्या है हमारे बीच.. जो मैं किसी को बताऊंगा.. पहले कुछ हो तो जाए..
रेशमा मुस्कुराते हुए - होने के बाद भी अगर तुमने किसी से कुछ कहा तो बहुत मार खाओगे देखना..
गौतम - अच्छा अब रखता हूँ.. नहाना है मुझे..
रेशमा - आई लव यू मेरे कुत्ते..
गौतम - आई लव यू मेरी कुत्तिया.. फ़ोन कट हो जाता है..

गौतम नहाने लगता है और नहा कर जब बाहर आता है तो उसे अपने सामने खड़ी हुई आरती कप मैं चाय लिए दिखती है जो गौतम को सिर्फ टावल में देखकर अपनी आँखे सेकती हुई बार-बार गौतम को ऊपर से नीचे तक देख कर अपने होंठों पर जीभ फिराते हुए उसे आंखों से अश्लील इशारे कर रही थी जिसे गौतम अच्छे से समझ रहा था और आरती के मन की दशा भी उसे अब अच्छे से समझ आ रही थी...

गौतम में नाराज होने का नाटक करते हुए आरती से चाय का कप नहीं लिया और अपने गीले बाल सुखाने लगा.. आरती ने चाय का कप टेबल पर रखते हुए गौतम के हाथ से तोलिया ले लिया और उसे बेड पर बिठाते हुए अपने हाथ से उसके बाल सुखाने लगी.. गौतम को आरती से इस तरह की कोई उम्मीद नहीं थी मगर जिस तरह से आरती उसके सर के बाल जो गीले थे उन को तौलिये से सुखा रही थी.. गौतम जान रहा था कि आरती पूरी तरह से गौतम के ऊपर लट्टू है और गौतम से आकर्षित है.. आरती बहाने बहाने से गौतम के बदन को छू रही थी और गौतम आरती से बचते हुए ऐसा दिखा रहा था जैसे वह आरती से दूर जाना चाहता हो मगर आरती उसे अपने से दूर नहीं करना चाहती थी..

आरती - क्या बात है देवर ज़ी? गले औऱ सीने पर इतने निशान.. लगता है कई बिल्लीओ ने आपका ये हाल किया है..
गौतम आरती से तौलिया लेकर - रहने दो भाभी मैं सूखा लूंगा अपने बाल..
आरती - अरे अरे.. नहीं बताना तो मत बताओ.. देवर ज़ी.. पर ऐसे क्या करते हो.. अपनी भाभी को कम से कम इतना तो करने दो..
यह कहते हुए आरती गौतम के बेहद करीब आ जाती है और उसके होठों से अपने होंठ लगभग लगाते हुए उसके बाल साफ करने लगती है मगर गौतम अपना चेहरा मोड़ते हुए आरती से मुंह फेर लेता है औऱ आरती से कहता है.
गौतम - भईया याद कर रहे होंगे आपको भाभी.. अब रहने दो.. मैं कर लूंगा..
आरती उदासी से - तुम्हारे भईया ही तो याद नहीं करते मुझे.. देवर ज़ी.. वो तो बस दूकान ही सँभालते है मुझे सँभालने के लिए उनके पास ना तो वक़्त है ना उनमे इतनी ताकत..
गौतम बाल बनाते हुए - तभी मेरे पीछे पड़ी हो आप.. पर ये ख्याल छोड़ दो भाभी.. मैं नहीं पटने वाला..
आरती अपना पल्लू गिराकर गौतम के करीब आते हुए - अरे देवर ज़ी.. पटाना अभी शुरू ही कहा किया है मैंने आपको.. शादी का माहौल है.. सबकी इच्छा पूरी हो रही है.. मेरी मुराद भी पूरी हो जाए तो आपका क्या बिगड़ जाएगा.. इतनी बुरी भी नहीं है आपकी भाभी.. आपके गले औऱ सीने पर कुछ निशान छोड़ने का हक़ तो आपकी इस भाभी का भी है..

ये कहते हुए आरती ने गौतम की कमर पर बंधे हुए तोलिया को अपनी उंगली के दबाव से एकदम से झटके से खोल दिया और गौतम को इसका अंदाजा भी नहीं था. गौतम ने अभी तौलिये के नीचे अंडरवियर नहीं पहना था जिससे तोलिया हटाने पर वह पूरी तरह अपनी प्राकृतिक अवस्था में आ गया और आरती के सामने उसका विशालकाय हथियार लहराते हुए झूलने लगा.. गौतम का हथियार देखकर आरती के जैसे रोंगटे खड़े हो गए और वह कामुकता से भर्ती हुई सन रह गई उसने आज से पहले इस तरह की कोई चीज नहीं देखी थी आरती अश्लील फिल्में देखने की शौकीन थी और अक्सर वह फिल्मों में इस तरह के लंड देखती थी मगर आज उसने हकीकत में ऐसा कुछ देख लिया था और उसे देखकर उसकी आंखें खुली की खुली रह गई थी और वह हैरत से गौतम को देख रही थी.

गौतम का आरती से ऐसा कुछ करने की उम्मीद नहीं थी मगर आरती ने जब ऐसा कुछ कर दिया तो उसे समझ नहीं आया कि वह क्या करें वह पहले तो एक दो पल के लिए भूत बना हुआ खड़ा रहा मगर फिर अपने तोड़ने को फर्ष से उठाकर वापस अपनी कमर पर बांध लिया और आरती पर गुस्सा होते हुए चिल्लाते हुए कहा..
गौतम - भाभी पागल हो क्या? ये क्या हरकत है?
आरती तो जैसे अभी तक गौतम के हथियार में ही खोई हुई थी उसे तौलिये के ऊपर से भी गौतम के हथियार की हल्की झलक मिल रही थी जो अभी तक सोया हुआ था.. आरती के कानों में गौतम की आवाज पड़ी ही नहीं और वह बस गौतम के लंड पर अपनी नजर डालें खड़ी हुई सिर्फ गौतम के लंड की ओर देख रही थी, गौतम ने आरती को ऐसा करते हुए देखा तो फिर से चिल्लाकर उसका कंधा पकड़कर झकझोरते हुए कहा..
गौतम - भाभी... भाभी...
आरती - देवर ज़ी.. आपका इतना बड़ा..
गौतम शरमाते हुए - भाभी आप जाओ यहां से..
आरती वापस अपने हाथ से गोतम का तौलिया खींचने लगती है मगर इस बार गौतम आरती का हाथ पकड़ लेता है..
गोतम - भाभी पागल हो गई हो क्या आप.. क्या कर रही हो..
आरती उत्सुकता से - देवर ज़ी बस एक बार वापस देख लेने दीजिये.. मैं चली जाउंगी..
गौतम - दरवाजा खुला हुआ है भाभी, कोई देख लेगा आप जाओ यहाँ से..
आरती - कोई नहीं देखेगा ग़ुगु.. मैं दरवाजा बंद करके आती हूँ..

आरती दरवाजा बंद करने के लिए मुड़ जाती है और दरवाजा बंद करने लगती है आरती के दरवाजा बंद करते ही बाहर हाल में डीजे की आवाज बजनी शुरू हो जाती है जिसमें आज शादी का महिला संगीत था.. डीजे पर पहला गाना बजते ही होटल में चारों तरफ शोर गुल मच जाता है जिसमें हर किसी को एक दूसरे की आवाज सुनाई नहीं दे रही थी हर कोई एक दूसरे से जोर से कहकर बात कर रहा था और एक दूसरे को इशारों से अपनी बात समझ रहा था इसका फायदा उठाकर आरती ने दरवाजा बंद कर वापस गौतम के पास आ गई और उसका तोलिया खींचने की नीयत से अपना हाथ बढ़ा दिया..
गौतम हाथ पकड़ते हुए - भाभी क्या मज़ाक है.. जाओ आप यहां से..
आरती अपना हाथ छुड़ाकर अपनी साडी उतारते हुए - देवर ज़ी आज तो चाहे कयामत आ जाए.. मैं यहां से नहीं जाने वाली..
आरती जब अपनी साड़ी उतार रही होती है गौतम की नजर आरती के ब्लाउज में चली जाती है जहां दो मस्त-मस्त मौसम कड़क होकर सामने की तरफ तनी हुई थी और उनको देखने से लगता था कि उन पर अब तक किसी के हाथ नहीं पड़े हैं और ना ही आरती ने इन पर किसी और को हुकूमत करने का आदेश ही दिया था..
गौतम का सोया हुआ लैंड धीरे-धीरे उठने लगता है और वह आरती को अपने कपड़े उतारते हुए देखने लगता है आरती साड़ी के बाद अपना ब्लाउज और फिर पेटिकोट उतार कर ब्रा औऱ पेंटी में आ जाती है और फिर गौतम की ओर बढ़ने लगती है.. इस बार गौतम ने आरती से बिना किसी शर्म और लिहाज़ के मिलने का निश्चय कर लिया था और वह अपनी और आती हुई आरती को कामुक नजरों से देखने लगा था..

गौतम ने अपनी और आती हुई आरती को देखते हुए अपना तोलिया अपने हाथों से ही हटाकर साइड में रखे सोफे पर फेंक दिया और आरती की कमर में हाथ डालकर उसे अपने करीब खींचते हुए उठाकर एक साथ बिस्तर पर पटक दिया... वहां से गौतम आरती के ऊपर चढ़ा और उसे छूने लगा.. आरती भी गौतम के इस व्यवहार से हक्की बक्की रह गई और चौंकते हुए वह गौतम को चूमने लगी और उसकी आंखों में देखी हुई अपनी आंखों के इशारों से उसे पूछने लगी कि एकदम से उसे यह क्या हुआ है मगर गौतम ने उसकी आंखों के इशारे का कोई प्रति उत्तर नहीं दिया और चुपचाप आरती के होठों का स्वाद लेने लगा दोनों के होंठ आपस में इस तरह मिल रहे थे जैसे दो बिछड़े हुए दोस्त लिपटकर एक साथ मिल जाते हैं दोनों के बीच होठों की जंग जुबानी हो चुकी थी गौतम और आरती ने एक दूसरे की जीभ को अपने-अपने मुंह से निकाल कर एक दूसरे की जीभ से लड़ाना और मिलना चालू कर दिया था..

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आरती को जो सुख अपने पति चेतन से नहीं मिल पाया था वह गौतम से पा लेना चाहती थी और किसी नियत से गौतम को चूम रही थी..

चुंबन के दौरान गौतम ने आरती की ब्रा निकाल कर फेंक दी जिससे उसके नुकीले सूचक गौतम के सीने पर चुभने लगे और इसमें गौतम को एक अजीब और मीठा अहसास होने लगा, उसकी कामुकता और ऊपर उठने लगी और हवाओं में तैरने लगी..

गौतम चुम्बन तोड़कर आरती से कहा - भाभी एक बार फिर सोच लो.. कल दीदी की शादी है औऱ एक बार मेरे साथ ये सब करने के बाद आप कुछ दिन ठीक से चल भी नहीं पाओगी.
आरती - मुझे फर्क नहीं पड़ता देवर ज़ी.. आप बस मुझे ऐसा रगड़ के रख दो कि मैं तृप्त हो जाऊ..
गौतम - जैसा आप चाहो भाभी..
गौतम इतना कह कर आरती कि छाती की तरफ आ जाता है और उसकी छतिया पर खड़े हुए चूचक अपने मुंह में लेकर चूसने लगता है और अपने हाथों से उन्हें मसलने और दबाने लगता है जिससे आरती के मनोभावों में कामुकता कि हवा में घूमती महक की तरह उठकर फैलने लगती है और तैरने लगती है जिससे आसपास का वातावरण काममई हो जाता है..

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आरती गौतम का चेहरा पकडे हुए उसे अपनी छाती के उभार का मज़ा देने लगती है.. आरती के कड़क उठे हुए और तीर की तरह चुभने वाले चुचक गौतम अपने मुंह में लेकर इस तरह चूस रहा था जैसे वह बच्चे बचपन में अपनी माँ की चूची पकड़ के उनमे से दूध चूसते हैं...

आरती सीस्कारियां लेते हुए गौतम के चेहरे को पकड़े हुए उसके बालों में हाथ फिराती हुई उसे अपनी छाती का पूरा मजा दे रही थी और वह चाहती थी कि गौतम उसकी छाती से भरपूर मजे लेकर उसपर लट्टू हो जाए, उससे खेले जिससे उसकी ब्रा का साइज औऱ उसकी मादकता दोनों बढ़ जाए..

गौतम आरती के चुचे से खेलते हुए एक हाथ से उसकी पेंटिंग नीचे सरकार कर उतार देता है और फिर उसकी टांगों के बीच में आ जाता है और उसकी टांगें खोलकर उसकी जांघों की जोड़ पर अपना हाथ रखकर आरती की चुत को मसलने लगता है जिससे आरती अब खुलकर सिसकने औऱ आहे भरने लगती है..

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आरती की चुत से गौतम के हाथ लगाते ही पानी निकलने लगा था औऱ वो झड़ गई थी मगर फिर गौतम ने अपने लंड पर थूककर अपने लंड को आरती की चुत में घुसने के लिए सेट कर दिया औऱ धक्का देने लगा..

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आरती को चेतन ने सुहागरात से लेकर अब तक एक बार भी तृप्त नहीं किया था ना ही उसके साथ अच्छे से संभोग किया था जिससे आरती काम की अग्नि में जल रही थी और उसने शादी के इतने सालों तक अपनी चुत को घर में रखें गाजर मूली बैंगन यहां तक की बेलन से भी ठंडा किया था इसलिए उसकी चुत खुल तो चुकी थी मगर चुदी नहीं थी..

गौतम का लोहे की तरह मजबूत औऱ ठोस लंड अपनी पूरी औकात में खड़ा होकर आरती की चुत में घुसने लगा था औऱ आरती की सिस्कारिया अब उसकी चिंखो में बदलने लगी थी मगर यहां उसकी आवाज सुनने वाला कोई नहीं था.. ऊपर से उसकी आवाज नीचे बज रहे dj के शोर में इस तरह खो गई थी जैसे भुंसे के ढेर में सुई खो जाती है.

गौतम ने आरती पर रहम करते हुए अपना हथियार धीरे-धीरे उसकी गुफा में गुस्सा आया था मगर अब आधा हथियार अंदर जाने के बाद गौतम को आरती की शक्ल देखने में मजा आने लगा..
आरती की सूरत इस तरह की थी जैसे कोई बिन पानी मछली की होती है आरती की शक्ल देखते हुए गौतम को उसकी कही हुई हर बात याद आने लगी कि किस तरह से आरती कुछ दिनों से गौतम का दिल दुखाने की पूरी पूरी कोशिश कर रही थी हालांकि आरती उन बातों को मीन नहीं करती थी ना ही उसने वह बात जानबूझकर कही थी..

उसका मकसद सिर्फ गौतम का दिल दुखाना था जिसमें वह कामयाब भी नहीं हो पाई थी मगर गौतम को आप सब याद आ रहा था और वह आरती के चेहरे पर उभरते इस भाव को देखकर सुकून महसूस कर रहा था कि अब आरती का सारा घमंड और सारी अकड़ चकनाचूर हो चुकी है..
गौतम - क्या हुआ भाभी अभी तो आधा ही अंदर गया है औऱ आप तड़पने लगी..
आरती सिसकते हुए - देवर ज़ी मैं कोई रांड थोड़ी हूँ जो इतना बड़ा लोडा एक बार में ले जाउंगी..
गौतम - चिंता क्यों करती हो भाभी.. मैं हूँ ना आपका देवर.. आपको अपने लंड से चोदकर पक्का रांड बना दूंगा..
आरती - ग़ुगु धीरे धीरे करना.. अब दर्द भी होने लगा है..
गौतम - ऐसा लगता है तीन साल में चेतन भईया ने आपको हाथ तक नहीं लगाया.. बिलकुल नाजुक हो आप तो.. देखो सील टूट गई आपकी...
आरती - उसे तो सिर्फ खाना औऱ सोना है.. साला सो किलो का ढ़ोल है.. दूकान पर बैठने के अलावा कुछ नहीं आता..
गौतम - ये बात तो है भाभी.. चेतन आप जैसी हसीन नाजुक औऱ प्यारी लड़की के लायक़ नहीं है..
आरती धीरे धीरे अपनी गांड उठाकर चुदवाते हुए - तो देवर ज़ी.. आप क्यों नहीं बना लेटे मुझे अपना.. ले चलो अपनी भाभी को भगा के.. मैं मना थोड़ी करुँगी..
गौतम धीरे धीरे आधे लंड से चोदते हुए - रहने दो भाभी.. ये ऐश औऱ आराम छोड़कर जाना आपके बस की बात नहीं है..
आरती - ऐसा नहीं है देवर ज़ी.. मैं तो आपके साथ फुटपाथ पर भी रह लुंगी. बस आप अपने इस लंड से मेरी चुत की सर्विस टाइम से करते रहना..
गौतम एक जोरदार धक्का मारके आरती की चुत में अब पूरा लंड घुसा देता है औऱ आरती चिल्लाते हुए गौतम से लिपटकर सिसकियाँ लेने लगती है..

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गौतम - भाभी दर्द तो नहीं हुआ ना..
आरती - देवर ज़ी आपने तो आज असली में सील तोड़ दी..
गौतम मिशनरी पोज़ में आरती की चुदाई करता है और फिर आरती को अपने आगे घोड़ी बनाकर उसकी सवारी करने लगता है..

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आरती खुलकर गौतम के साथ अपनी हवस बुझा रही थी उसे अब किसी की फिक्र नहीं थी आरती खुल के गौतम को अपना चुकी थी और उसके साथ मजाक मस्तियां करते हुए कामसुख भोग रही थी..

गौतम ने घोड़ी के बाद आरती को अपनी गोद में उठा लिया औऱ उठा उठा के चोदने लगा..

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आरती ने गौतम का बराबर साथ दिया औऱ चुदाई लीला में गौतम को भी पूरा मज़ा मिलरहा था.. आरती बार बार गौतम के होंठों को चूमकर उससे अपने प्यार का इज़हार कर रही थी औऱ चुदाई के चरम पर पहुंचकर झड़ चुकी थी.. इस चुदाई में कई बार चुत से झड़ने के बाद आरती ने गौतम को अपनी चुत में घुसा कर लंड पर दबाब बनाते हुए गौतम को भी अपने अंदर अपना पानी निकालने पर मजबूर कर दिया औऱ दोनोंअपनी इस चुदाई के महासंगम के महामिलन से तृप्त होकर एक दूसरे की बाहों में लेट गए थे..
आरती - देवर ज़ी.. आप तो बहुत बुरे हो..
गौतम - क्यों भाभी.. मज़ा नहीं आया आपको?
आरती - प्यार से प्यार करने को कहा था मैंने औऱ आपने.. एक झटके में अपना ये अजगर मेरी बिल में घुसा दिया.. देखो कितनी फ़ैल गई है मेरी चुत..
गौतम - भाभी ऐसी फैली हुई चुत तो हमारे प्यार की निशानी है..
आरती मुस्कुराते हुए - बड़े आये प्यार की निशानी देने वाले.. मैं जानती हूँ तुमने मेरी बातों का बदला लिया है मुझसे..
गौतम - भाभी आपसे बदला? आप किस बात का बदला लूंगा मैं? मैं जानता था कि आप बस मेरा दिल दुखाने के लिए ही बोल रही थी जो आपने बोला.. मैं तो आपसे कभी नाराज़ था ही नहीं..
आरती मुस्कुराते हुए - अच्छा देवर ज़ी.. अब जाने दीजिये.. मौका मिलते ही वापस प्यार झरने आउंगी आपसे.
गौतम - जैसा आप चाहो भाभी.. आपका देवर हमेशा आपकी सेवा के लिए तरयार रहेगा...
आरती बेड से खड़े होते ही लड़खड़ा जाती है हसते हुए गौतम को देखती है..
गौतम सिगरेट सुलगाते हुए - मैंने तो पहले ही कहा था भाभी.. चुदने के बाद ठीक से चल भी नहीं पाओगी..
आरती लड़खड़ाकर दो कदम चलती है उसके मन में वापस चुदने की तलब थी मगर जुबान से इस बात को कहना आरती के बस में अब नहीं था वो कमरे के दरवाजे पर रूकते हुए मुस्कुराते हुए गौतम से कहती है - देवर ज़ी मुझे मेरे रूम तक छोड़ दोगे?
गौतम सिगरेट का एक कश लेकर आरती से कहता है - ये भी तो आपका रूम है भाभी यही आराम कर लो.. शाम तक तो वैसे भी कोई नहीं है पूछने वाला..
आरती लड़खड़ाती हुई वापस बेड के करीब आ जाती है जहाँ गौतम आरती का हाथ पकड़कर उसे अपने ऊपर खींच लेता है औऱ आरती गौतम के ऊँगली में सुलगती सिगरेट लेकर एक लम्बा सा कश भरती है औऱ फिर सिगरेट बुझाकार गौतम को फिर से चूमने लगता है..

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Shaandar super hot erotic update 🔥 🔥 🔥 🔥
Gautam ne Suman se apne riste mazil par pahuchaneto taiyar hai shayad yaha shadi ke dono ka milan hoga
Ab Gautam ne Bhabhi ko bhi pel diya 😃 ab Reshma bhi yahi aa rahi hai 😊 😊 Ritu ko shadi Wale din to pelne ka plan hai kya 🤣🤣🤣
 
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