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ellysperry

Humko jante ho ya hum bhi de apna introduction
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Update 15

गौतम - माँ.. माँ..
सुमन - क्या हुआ ग़ुगु?
गौतम - मेरा फ़ोन देखा आपने? मिल नहीं रहा..
सुमन - हाँ.. पर अगर मैंने बता दिया तो मुझे क्या मिलेगा?
गौतम - मैं क्या दे सकता हूँ आपको? मेरे पास तो कुछ भी नहीं है आपको देने के लिए..
सुमन - मुझे कुछ चाहिए भी नहीं.. बस तू मेरे साथ तुम नानी के चल.. मैं तुझे अकेला छोड़कर नहीं जा सकती..
गौतम - यार माँ.. मैं नहीं जाऊ वहा.. आप जानती हो ना मामी केसा बर्ताव करती है हमारे साथ?
सुमन - पर नानी तो तुझे बहुत प्यार करती है.. अभी फ़ोन आया तब भी कह रही थी ऋतू की शादी में ग़ुगु को लेके ही आना..
गौतम - मैं नहीं जाऊ.. आप मत बताओ फ़ोन कहा है..
सुमन - अपनी माँ की बात नहीं मानेगा? मेरे लिए भी नहीं जाएगा?
गौतम - आप ना ये इमोशनल ब्लैकमेल करना बंद कर दो मुझपे कोई असर नहीं होने वाला इसका.. समझें?
सुमन - ठीक है.. वैसे भी इस घर में मेरा है ही कोन जो मेरी बात सुने और मुझसे प्यार करें? सबको अपने मन की करनी है तो करो सब.. मुझे क्या?
गौतम सुमन की बात सुनकर उसके पास आता है और उसे अपने बाहों में भरके गाल पर चूमता हुआ कहता है - अब ये ड्रामा बंद करो मेरी ड्रामा क्वीन माँ.. मैं नहीं जाने वाला मतलब नहीं जाने वाला..
सुमन मुस्कुराते हुए - बिना ड्रामा के तू मानता कहा है?
गौतम - अच्छा फ़ोन पता है कहाँ है मेरा?
सुमन - बाथरूम में तो नहीं भूल गया?
गौतम - अरे यार माँ.. आप ना सच में जीनियस हो.. वही रखकर भूल गया शायद..
सुमन - पर तू बाथरूम में फ़ोन क्यू लेके जाता है?
गौतम हस्ते हुए - ये राज़ की बातें है बताई नहीं जाती.. नज़र लग जाती है..
सुमन - सब पता है मुझे तेरी राज़ की बातें.. क्यू इतनी देर बाथरूम में लगती है तुझे? थोड़ा कण्ट्रोल.. समझा
गौतम - शर्म नहीं आती बच्चे से ऐसी बात करते हुए..
सुमन - तुझसे और शर्म? बिलकुल भी नहीं.. अच्छा चाय बना दूँ?
गौतम - गर्मी देख रही हो आप? चाय पिलाओगी..
सुमन - ठीक है फिर जूस बना देती हूँ मेरे ग़ुगु के लिए..

गौतम फ़ोन लेने बाथरूम की तरफ चल देता है और जब वो फ़ोन देखता है तो उसमे रजनी के 6 मिस्ड कॉल आये हुए थे.. गौतम कॉल बैक करता है..
गौतम - हेलो.. दीदी..
रजनी - काहे की दीदी? तुम दीदी का फ़ोन उठाते नहीं हो..
गौतम - वो फ़ोन कहीं रखा हुआ था दी और साइलेंट पर था तो पता नहीं चला.. वैसे आपने उस क्रिमिनल को पकड़ लिया?
रजनी - हम्म.. पकड़ भी लिया और जेल में भी डाल दिया.. तुमने जो बताया था सब सही था.. सब बहुत खुश है उसके पकडे जाने से..
गौतम - और मेरा इनाम?
रजनी - तुम्हारा इनाम?
गौतम - हाँ.. क्या तय हुआ था भूल गई आप?
रजनी - सब याद है छोटे भाई.. व्हाट्सप्प चेक करो औऱ समय पर आ जाना..
गौतम - बाए दी..
रजनी - बाए छोटे भाई..

सुमन - लो जूस..
गौतम - आपका ग्लास कहाँ है?
सुमन - मैं बाद में बना के पी लुंगी.. तु पिले..
गौतम - बाद वाद कुछ नहीं.. इसीमे से आधा ख़त्म करो.. चलो..
सुमन - कितनी ज़िद करता है ग़ुगु तू?
गौतम - ज़िद है तो ज़िद है.. लो पीओ..
सुमन - बस बस.. अब तुम पिलो..
गौतम - माँ..
सुमन - बोलो..
गौतम - वो आज एक फ़्रेंड के घर फंक्शन है इसने बुलाया है..
सुमन - ठीक है तो जाओ.. मगर रात को जल्दी आ जाना..
गौतम - माँ थोड़ा दूर है उसका घर.. रात को देर हो सकती है..
सुमन - ये वही फ़्रेंड तो नहीं है जिसने तेरे होंठ लाल किये थे अपनी लिपस्टिक से? और जिसके कारण तू बाथरूम में इतना वक़्त लगता है?
गौतम - माँ.. क्या कुछ भी बोल रही हो? नार्मल फ़्रेंड है बस सब दोस्त आ रहे तो बस मुझे भी जाना है..
सुमन - ठीक है पर याद रखना.. वापस वैसा कुछ हो तो कंडोम जरूर पहन लेना.. और अपने दोस्त से कहाना कभी घर भी आये..
गौतम - आप भी ना, कुछ भी बोल रही हो.. चलो.. मैं चलता हूँ..

गौतम रजनी के दिए एड्रेस पर जाता है औऱ बहुत देर तक उसका वेट करके रजनी से मिलने पुलिस स्टेशन पहुंच जाता है..

मैडम आपसे कोई मिलने आया है..
रजनी - बैठने को कहो..
ज़ी मैडम..
रजनी किसी मुक़दमे की फ़ाइल में आँखे गड़ाये बैठी थी औऱ बड़ी बारीकी से फ़ाइल को पढ़ रही थी मानो बहुत बड़ा औऱ जरुरी केस हो.. रजनी को बैठे बैठे डेढ़ घंटा हो गया था औऱ उसने फ़ाइल से जुडी हुई सारी डिटेल औऱ कहानी जान ली थी.. वो इस काम को करने में इतनी डूब गई थी की उसके दिमाग से ये भी निकल गया था कि कोई उसका इंतजार कर रहा है.. रजनी का फ़ोन साइलेंट पर था.. फाइलों से जब रजनी का ध्यान हटा तो उसने बेल बजाकर किसी को बुलाया और उससे चाय के लिए.. कुछ देर बाद एक हवलदार चाय का कप लेकर रजनी के चेंबर में टेबल पर रख देता है और रजनी से कहता है..
मैडम काफी देर हो गई उस लड़के को आपका इंतजार करते हुए..
रजनी झट से बोली - कौन लड़का?
हवलदार - मैडम वो बताया था ना आपको कोई आपका वेट कर रहा है.. डेढ़ घंटा हो गया अभी तक आपके बुलाने का वेट कर रहा है..
रजनी चाय का कप लेते हुए - अंदर भेजो.. देखु कौन है..
गौतम चम्बर के गेट पर नॉक करता हुआ - अंदर आ सकता हूँ मैडम?
रजनी चाय का कप रखकर खड़ी होती हुई - छोटू.. आई ऍम सो सॉरी... प्लीज मुझे माफ़ कर दे.
रजनी कि बातों से ऐसा लग रहा जैसे उसे कोई बात याद आ गई हो जिसमे उसकी गलती थी औऱ वो उस गलती कि माफ़ी मांग रही थी..
गौतम - कोई बात नहीं मैडम.. आप लोगों की हिफाज़त का काम करती हो. छोटी मोटी बात आपको कहा याद रहेगी?
रजनी गौतम को गले लगाकर - मुझे ताने मार रहे हो? हम्म? औऱ इतने नाराज़ हो कि अपनी दीदी को वापस मैडम बोलने लगे.. प्लीज माफ़ कर दो..
गौतम एक छोटा सा पेपरबॉक्स देकर - कोई बात नहीं.. लो.. हैप्पी बर्थडे दीदी.. केक लाया था..
रजनी मुस्कुराते हुए बॉक्स लेकर टेबल पर रख देती है औऱ गौतम के होंठों पर अपने होंठ रखकर बड़े प्यार से एक चुम्मा अंकित कर देती है मानो अब तक गौतम के किये इंतज़ार का इनाम उसे दे रही हो.

गौतम रजनी के चुम्बन से स्तब्ध था उसे एकदम से अपने साथ हुई इस प्यार भरी औऱ मज़ेदार घटना का अंदाजा भी नहीं था.. गौतम ने भी प्यार से रजनी के चुम्बन को स्वीकार कर लिया औऱ अपने होंठों को लेकर रजनी के होंठों से लड़ाई करने लगा.. कुछ सेकंड के बाद ही रजनी ने चुम्मा तोड़ लिया औऱ मुस्कुराते हुए गौतम से बोली - किस्सी का वादा था मैंने पूरा किया..
गौतम - बस इतनी सी देर?
रजनी - इससे ज्यादा देर में तुम बहक जाओगे.. मैं अच्छे से जानती हूँ..
गौतम - आपकी मर्ज़ी..
रजनी - चलो आज पार्टी करते है..
रजनी गौतम को लेकर पुलिस स्टेशन बाहर आ जाती है और गौतम को पुलिस की कार में आगे बैठाकर खुद कार को कर ड्राइव करने लगती है दोनों कार में अकेले कहीं जाने के लिए निकल जाते है..

रजनी गौतम को लेकर लॉन्ग ड्राइव पर निकल चुकी थी और पुलिस की गाड़ी को उसने हाईवे पर चढ़ा दिया था हाईवे पर रजनी गाड़ी चलती हुई गौतम से इधर-उधर की बातें करने लगी और गौतम से मजाक मस्ती करने लगी मजाक मजाक में गौतम भी पूरी तरह खुलकर रजनी से अपने मन की बात करने लगा था..

रजनी - मेरे आशिक तू बहुत छोटा है.. मैं तेरे साथ प्यार नहीं कर सकती.. तू समझता क्यों नहीं..
गौतम - दीदी बहाने बनाना बंद करो.. मैं जानता हूँ आप भी मुझे पसंद करती हो..
रजनी - तू है ही इतना प्यारा, पसंद तो करूंगी ही.. तुझे मिलकर मुझे राहत भी मिलती है औऱ सुकून भी.. पर तेरे इस प्यारे से मासूम चेहरे के पीछे जो बुरा दिमाग है ना, जिसमे तू हमेशा मेरी लेने के बहाने ढूंढता है उससे डर लगता है..
गौतम - पुलिसवाली होकर मुझ जैसे कमजोर लड़के से डरती हो दीदी..
रजनी गाडी सडक के किनारे लगाकर - अरे अरे कमजोर औऱ तुम.. शकल दिखाओ जरा अपनी.. कितने भोला बनता है तू..
गौतम - बनने की क्या जरुरत है. मैं कोई आपको चालक लगता हूँ दीदी?
रजनी जेब से सिगरेट निकालकर सुलगाते हुए - लगता नहीं है पर तू है चालक.. कुत्ते की जैसे मेरे पीछे पड़ा हुआ है लेने के लिए..
गौतम - तो दे क्यों नहीं देती आप.. छोटा भाई बोलती हो ना मुझे? अपने छोटे भाई के लिए इतनी सी कुर्बानी नहीं दे सकती..
रजनी गौतम का हाथ पकड़कर अपने चुचो पर रख देती है औऱ उससे कहती है - मेरे चुचो के साथ खेलना है तो खेल सकता है पर मेरी चुत का ख्याल अपने दिमाग से निकाल दे समझा.
गौतम - ऊपर से क्या खेलु दीदी.. थोड़ा खोल के दिखाओ ना..
रजनी सिगरेट का कश लेकर - बहुत बड़ा वाला कमीना है तू.. औऱ सिगरेट गौतम को पकड़ने के लिए दे देती औऱ अपनी वर्दी के बटन खोलकर गौतम से कहती है - ले.. खेले जितना खेलना है तुझे..
गौतम सिगरेट का कश लेकर - ब्रा तो हटाओ दीदी.
रजनी ब्रा खोलकर पीछे रख देती है औऱ गौतम को सिगरेट पिता देखकर कहती है - सिगरेट मत पी मेरी तरह आदत लग जायेगी तुझे?
गौतम रजनी के निप्पल्स पकड़कर मसलते हुए - आदत तो आपके दूदू पिने की भी लग जायेगी दीदी..
गौतम इतना कहकर रजनी के बूब्स पर झुक जाता है औऱ रजनी के निप्पल्स किसी प्यासे की तरह चूसने लगता है.

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रजनी सिगरेट के कश लेती हुई गौतम के बालों में हाथ फेरकर अपने चुचे औऱ चुचक चूसाईं का सुख महसूस करने लगी.. उसे गौतम के इस तरह बूब्स चूसने से अतुलनीय आनंद की अनुभूति हो रही थी औऱ वो गौतम के बाल पकड़ कर सिगरेट पीते हुए बारी बारी से उसे अपने चुचे चुसवा रही थी..

रजनी - इतना तेज़ मत काट छोटू, दर्द होता है..
गौतम अपने मुंह से निप्पल्स निकालकर - दीदी यहां कोई देख लेगा आपको.. कहीं औऱ चले..
रजनी गाडी स्टार्ट करके आगे हाईवे से नीचे ले लेती है औऱ सुनसान पड़ी जगह पर लगा देती है औऱ फिर पुलिस की वर्दी उतारते हुए गौतम से कहती - ले मेरे छोटू से भाई पिले दीदी के दूदू..
गौतम बूब्स मसलते हुए - दीदी साइज क्या है आपका?
रजनी - 34 है क्यों?
गौतम - नीचे का पूछा था दीदी..
रजनी हसते हुए - साइज जानकार क्या करेगा? 38 है.. वैसे भी मैं देने वाली तो हूँ नहीं तुझे..
गौतम प्यार से - देनी तो पड़ेगी दीदी.. औऱ आप खुद दोगी.
रजनी - इतना कॉन्फिडेंस?
गौतम आँख मारके - हाँ.. मैं बाथरूम करके आता हूँ.. ये कहते हुए गोतम कार से नीचे उतर जाता है औऱ रजनी भी बिना वर्दी पहने कार से नीचे उतर आती है. कमर से ऊपर पूरी तरह नंगी हो चुकी रजनी एक औऱ सिगरेट सुलगा लेती है कश लेती हुई गौतम को मूतते देखती है..
गौतम - दीदी..
रजनी - क्या हुआ छोटू..
गौतम लंड की तरफ इशारा करके - हथियार देखोगी मेरा..
रजनी मुस्कुराते हुए सिगरेट का कश लेकर - नहीं देखनी तेरी छोटी सी पिस्तौल मुझे..
गौतम मूतता हुआ रजनी की तरफ मुड़ जाता है औऱ रजनी से कहता है - पिस्तौल नहीं दीदी AK47 है मेरे पास.. अब कहो? दोगी या नहीं.

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रजनी गौतम का लंड देखकर खड़ी की खड़ी रह जाती है औऱ हैरानी के साथ नज़र फाड़ कर गौतम के लंड को देखती रह जाती है.. जैसे ही कुछ देर रजनी गौतम के लंड को घूरती उसकी चुत में खुजली चलने लगती है औऱ रजनी के दिल में प्यार की सुगबुगाहत उठने लगती है..
गौतम मूतने के बाद बिना लंड को पेंट में वापस किये रजनी के पास आ जाता है औऱ लंड को हाथ में लेकर हिलाता हुआ पूछता है - बोलो ना दीदी.. लोगी अपने छोटू का लंड अपने अंदर?
गौतम की बात सुनकर रजनी का ध्यान उसके लंड से टूट जाता है औऱ गौतम की कलाई के धागे के साथ शर्म से रजनी का चेहरा भी लाल हो जाता है.

गौतम अपने कलाई पर बंधे धागे को लाल देखकर रजनी का मन समझ जाता है औऱ रजनी के हाथ से सिगरेट लेकर उसके बाल पकड़ कर जबरदस्ती नीचे बैठाते हुए रजनी के मुंह पर अपना लंड रगड़ने लगता है..
रजनी - छोटू बाल मत खींच ना..
गौतम - मुंह खोलो दीदी..
रजनी गोतम को देखकर - शकल से लगता है साँप भी नहीं होगा तेरे पास, पर तू कमीना चड्डी में अजगर लिए बैठा है.
गौतम सिगरेट का कश लेकर - अब इसे मुंह में भी गुसा लो दीदी..
रजनी मुस्कुराते हुए - पहले स्वाद तो लेलु..
रजनी गौतम के लंड को चूसने लगती है औऱ गौतम के लंड पर भूखी शेरनी की तरह टूट पडती है.. रजनी के मुंह की गर्माहट औऱ लार से गोतम स्वर्ग के सुख भोगने लगा था.

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गौतम कश लेकर - दीदी बिलकुल रांड लगती हो..
रजनी मुंह से लंड निकाल कर - आज तो तुझे कच्चा खा जाउंगी छोटू.. औऱ फिर से लोडा चूसने लगती है..
गौतम फ़ोन निकाल कर रजनी के लंड चूसने की वीडियो बनाने लगता है औऱ रजनी से कहता है - दीदी कहो तो फेमस कर दू आपको.. FHD में वीडियो बन रही है आपकी..
रजनी मुंह से लंड निकाल कर अपने बूब्स के बीच लंड लेकर बूब्स से लंड रगड़ने लगती है औऱ गौतम से कहती है - लग रही है ना तेरी दीदी पोर्नस्टार छोटू? अच्छे से वीडियो बना अपनी दीदी की..


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गौतम - क़यामत हो दीदी आप तो..
रजनी - कब से हिला रही हूँ कब निकलेगा तेरा?
गौतम - मेरा तो आपकी चुत में ही निकलेगा दी.. आओ.. गौतम रजनी की पेंट खोलकर गाडी के अंदर पटक देता है औऱ अपने भी कपडे उतार देता है. उसके बाद रजनी को कार के बोनट पर बैठाकर टांग खोलते हुए रजनी की चुत में उंगलियां करने लगता है..
रजनी - छोटू अब तू डाल दे मेरे अंदर भाई.. मुझसे रहा नहीं जा रहा..
गौतम - अभी तो आपकी चुत चुसनी बाकी है दीदी..
इतना कहकर गौतम रजनी की चुत चूसाईं के लिए अपना सर उसकी चुत पर लगाने के लिए आगे बढ़ता है औऱ रजनी खुद अपनी गांड उठाकर गौतम के मुंह के आगे अपनी चुत कर देती है.. गौतम के होंठ जैसे ही रजनी की गीली चुत पर लगते है वो काम के आसमान में उड़ने लगती है औऱ सिस्कारी भरने लगती है

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गौतम बड़ी ही ईमानदार औऱ चाव से रजनी की चुत के चटकारे ले रहा था औऱ रजनी तो गौतम के चूसने पर उसके मुंह में दो मिनट के अंदर ही झड़ गई.. गौतम बड़ी बेशर्मी से रजनी की चुत का बहता पानी पिने लगा औऱ रजनी गौतम के सर पर हाथ रखकर अपने साथ घट रही इस अनोखी औऱ काममयी घटना का मज़ा लेने लगी औऱ कुछ पलो में झड़ गई..

गौतम चुत चाट कर मुंह पोछता हुआ रजनी की चुत अपनी मुट्ठी में पकड़कर मसलता हुआ बोला - बोलो थानेदारनी ज़ी.. चोद दिया जाए या छोड़ दिया जाए आपको..
रजनी सिस्कारी लेती हुई - चोद दिया जाए छोटे भाई.. छोड़ दोगे तो उठाके जेल में बंद कर दूंगी..
गौतम - जैसा आपका आदेश थानेदारनी ज़ी..
गौतम रजनी को गाडी के बोनट से नीचे उतार लेता औऱ गाडी के बोनट पर झुका कर पीछे से रजनी की चुत पर अपना लंड सेट करके कहता है..
गौतम - घुसा दू दीदी?
रजनी - घुसा दे छोटू..
गौतम - दर्द होगा..
रजनी - होने दे दर्द..
गौतम - चुत फट जायेगी..
रजनी - फट जाने दे..
गौतम - हफ्ते तक ठीक से चल नहीं पाओगी..
रजनी - कोई बात नहीं..
गौतम - कंडोम लगाऊ?
रजनी - तू कंडोम लाया है?
गौतम - हाँ दीदी..
रजनी - लगा ले पर कुत्ते तू कैसे जानता था मैं मान जाउंगी?
गौतम - क्युकी आप भी मुझसे प्यार करती हो दीदी.. आपके चेहरे पर दीखता है आप मेरे लिए कुछ भी कर सकती हो.
रजनी - इतना सब जानता है तो अब क्यों सता रहा है अपनी दीदी को? घुसा दे ना..
गौतम - कंडोम तो पहन लू दीदी..
रजनी - रहने दे छोटू बस अंदर मत छोड़ना..
गौतम - जैसा आप कहो.. लो सम्भालो अपने छोटू का पहला धक्का..

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गौतम के पहले धक्के से साथ ही रजनी की चुत से चररर की आवाज के साथ रजनी के मुंह से जोर की चिंख बाहर निकल पडती है औऱ पहले धक्के में ही गौतम रजनी के चुत का दरवाजा तोड़कर चुत के अंदर घुस जाता है औऱ अपने लंड से उसकी चुत के साथ जंग छेड़ देता है जिसमे हल्का सा खूनखराबा भी हो जाता है मगर ना रजनी को इसकी परवाह थी ना गौतम को. गौतम रजनी की चुत में ऐसे झटके मार मार के चोद रहा था जैसे अमीर घर की बिगड़ी हुई औलादे सडक से सस्ती रांड उठा कर चोद देते है..

गौतम रजनी को गाड़ी के बोनट पर झुकाकर उसके बाल पकड़ के पीछे से धक्के पर धक्का मार रहा था और उसके झटके खाते हुए रजनी ऐसे हिल रही थी जैसे गाँव में सुहागरात को चुदाई के दौरान खटिया हीलती है.

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गौतम चोदते हुए - उफ्फ्फ यार दीदी कितनी टाइट है आपकी.. ऐसा लग रहा है कोई कच्ची कली चोद रहा हूँ..
रजनी - थोड़ा धीरे भाई.. बहुत दर्द हो रहा है..
गौतम - दो इंच के छेद में दस इंच का लंड घुसेगा तो दर्द होगा ही ना दीदी.. चिंता मत करो इस चुदाई के बाद बड़े से बड़े लंड आसानी से झेल जाओगी.
रजनी - अंदर मत निकालना भाई..
गौतम रजनी को लगातार चोदते हुए उसके बाल खींचकर ऐसे धक्के मार रहा था जैसे वो घुड़सावारी कर रहा हो.

गौतम ने रजनी को अपनी तरफ घुमा लिया औऱ गाड के बोनट पर लेटा के उसकी चुत में वापस लंड डाल दिया औऱ चोदने लगा.. रजनी की कोठे की सस्ती रांड सी आह्ह अह्ह्ह्ह.. कर रही थी औऱ सिस्कारी भरते हुए गौतम की चुदाई का सुख अनुभव मर रही थी. आज रजनी के मन में पुरुषो के लिए मज़ूद नफरत का अंत हो चूका था औऱ उसके मन में छुपी सादगी औऱ नारी ममता का पुनर्उदय हो चूका था..

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गाडी के बोनट पर कुछ देर रजनी को रंडी बनाके चोदने के बाद गौतम ने रजनी को अपनी गोद में उठा लिया औऱ उछाल उछाल के चोदते हुए उसकी चुत का चुबारा बनाना शुरू कर दिया.. रजनी इतनी जोर जोर से चिल्लाते हुए चुद रही थी की उसकी आवाज बहुत दूर से सुनी जा सकती थी मगर वो दोनों ऐसी जगह चुदाई कर रहे थे जहा दूर दूर तक आदमी का नमोनिशान तक ना था.

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गौतम ने थोड़ी देर के बाद रजनी को नीचे उतार दिया औऱ बोनट का सहारा लेकर उसकी एक टांग उठाके रजनी की चुत वापस चोदने लगा..

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रजनी तो जैसे पिछले एक घंटे से अपनी चुदती हुई चुत से पानी पर पानी बहा रही थी औऱ कई बार झड़ चुकी थी एक बार बीच में उसने चुदाई के दौरान मूत भी दिया था..

गौतम ने टांग उठाके चोदने के बाद रजनी को गाडी में बैठा दिया औऱ उसकी चुत जो चुदाई के कारण अब खिलकर फ़ैल चुकी थी में वापस अपना लंड घुसा कर वापस चोदना चालु कर दिया रजनी तो जैसे तृप्त होकर चुदवा रही थी औऱ गौतम के झड़ने का इंतजार कर रही थी उसे मालूम ही नहीं हुआ कब गौतम के साथ चुदाई में पिछला एक घटा बीत चूका था..

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आखिर में रजनी को अपनी गोद में अपनी तरह मुंह करके बैठा लिया औऱ सीट पर बैठे बैठे रजनी को चोदने लगा.. औऱ अपना सारा माल रजनी की चुत में भर दिया.. रजनी निढाल हो कर गौतम पर गिर चुकी थी.. दोनों पसीने से तर बतर थे..

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गौतम - मज़ा आया दीदी?
रजनी लम्बी लम्बी सांस लेते हुए - मैं तो पागल हो गई.. तू बस नाम का छोटू है भाई, मैंने तो सोचा भी नहीं था चुदाई में इतना मज़ाक़ मिलता है..
गौतम - दीदी अब तो ये मज़ाक़ आप कभी भी ले सकती हो.. मैं आपको मना नहीं करूँगा..
रजनी - तूने तो मेरी फाड़ के रख दी गौतम.. लगता है ठीक से चल भी नहीं पाउंगी..
गौतम - मैंने तो पहले ही कहा.. आप ही मुझे बच्चा समझ रही थी..
रजनी गौतम को चूमते हुए - तू बच्चा नहीं जोनी सीन्स का बाप है छोटे भाई..

गौतम औऱ रजनी आपस में ये बातें कर रही रहे थे की किसी ने चोरी छिपे आकर उनके मुंह पर रुमाल रख दिया जिसमे बेहोश करने की दवा मिली हुई थी..
गौतम औऱ रजनी दोनों तुरंत बेहोश हो गया औऱ उनकी जब आँख खुली तो वो दोनों किसी सुनसान जगह पुराने कारखाने में एक कमरेनुमा जगह में थे औऱ एक बड़े से बिस्तर पर अगल बगल दोनों नंगे लेटे हुए थे..

दोनों के हाथ पैर ऊपर नीचे रस्सी से बांधे जा चुके थे औऱ एक लड़की गौतम के पास बैठकर उसका लोडा मुंह में लिए चूस रही थी..

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रजनी लड़की को देखकर - कामिनी कौन है तू? छोड़ दे मेरे भाई के लंड को वरना तुझे जान से मार दूंगी..
लड़की रजनी की बात पर ध्यान नहीं देती औऱ गौतम का लोडा चुस्ती रहती है...
रजनी गुस्से से - बहन की लोड़ी रांड.. छोड़ दे मेरे भाई के लंड को..
लड़की रजनी को अनदेखा करते हुए अपनी चड्डी नीचे सरका कर गौतम के लंड को अपनी चुत में लेटे हुए गौतम के लंड पर बैठ जाती है औऱ चरर की आवाज के साथ गौतम का लंड अपनी चुत में घुसा लेती है औऱ गीतम के लंड पर उछलने हुए जोर से आहे बरने लगती है जिसे देखकर रजनी गुस्से से तिलमिला जाती औऱ उस लड़की को गौतम से दूर करने की नियत से उसकी औऱ उठने की कोशिश करती है मगर रस्सी से बंधे होने के कारण कुछ नहीं कर पाती औऱ पीठ के बल ही लेटे हुए लड़की को गालिया देने लगती है जबकि गौतम लड़की के दिए blowjob औऱ अपने लंड पर उछलने से कामुक हो चूका था औऱ चुपचाप ये सब होता देख रहा था..

रजनी - साली छिनाल रंडी है कौन तू.. औऱ हमें यहां क्यों लेकर आई है? बहन की लोड़ी मेरे हाथ खोल मैं अभी तेरी जान ले लुंगी.. कुतिया साली छोड़ मेरे भाई को.. बता ना रंडी.. कौन है तू..
बिल्लू अंदर आते हुए - ये मेरी बहन है बबली भोसड़ीवाली..
रजनी - कमीने तू.. तू जेल से कब छूटा?
बिल्लू - जेल की संलाखे बिल्लू सांडा को नहीं रोक सकती पुलिसवाली रांडी.. मुझे पकड़ के खुदको बहुत बड़ी तोप समझ रही थी तू.. मैंने बोला था ना मैं तुझे नहीं छोडूंगा.. (पिस्तौल निकालकर) आज तुझे बताऊंगा कि मैं क्या चीज हूँ..
रजनी - भड़वे तेरी बहन तेरे सामने किसी औऱ के लंड पर उछलकर चुद रही है तुझे शर्म नहीं आ रही..
बिल्लू हस्ते हुए - चुदने शर्म कैसी रंडी.. मेरी बहन मेरी रखैल है.. मेरी बहन तो रात में मेरे औऱ मेरे इन दोनों साथियों के लंड पर भी उछलती है.. वैसे साली तू भी कम नहीं, अपने भाई के साथ गाडी में चुदवा रही थी.. अब हम भी तेरी इस चुद का मज़ा लेंगे..

ये कहते हुए बिल्लू ने कंडोम पहन लिया औऱ रजनी पर चढ़ गया औऱ अपना लंड उसकी चुत पर सेट करते हुए अंदर धकेलने लगा..
गौतम - बिल्लू छोड़ दे मेरी बहन को वरना तुझे बहुत बुरी मौत दूंगा..
बिल्लू ने अपनी पिस्तौल बेड पर रख दी औऱ गौतम को एक के बाद एक दो तीन जोरदार थप्पड़ मारके - चुप बहन के लोडे.. वरना एक गोली में यही ढेर कर दूंगा.. तेरी बहन तो आज मुझसे औऱ मेरे साथियो से चुदकर रहेगी..
रजनी - मादरचोद हाथ काट दूंगी अगर मेरे भाई को हाथ लगाया तो..
बिल्लू अपना लंड रजनी कि चुत में ड़ालते हुए - उफ्फ्फ जानेमन.. बोलती है तो कितनी मस्त लगती है तू.. पुलिस वाली को चोदने का मज़ा ही अलग है.. बिल्लू रजनी को चोदने लगा मगर रजनी गौतम के लंड से चुद चुकी थी तो उसे बिल्लू के लंड के अंदर आने वाले पर कोई दर्द तकलीफ महसूस नहीं हुई औऱ वो बिल्लू को गालिया देते हुए चुदवाती रही..

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बबली - बिल्लू भईया देखो ना ये साला चूजा मुझे kiss नहीं कर रहा..
बिल्लू रजनी को चोदते हुए रजनी को एक थप्पड़ मार देता है - साली अपने भाई को बोल चुपचाप मेरी बहन की हर बात माने वरना अच्छा नहीं होगा..
गौतम - साले मेरी बहन पर हाथ उठाया तो हाथ उखाड़ दूंगा तेरा..
बिल्लू रजनी को दूसरा थप्पड़ मारकर - ले साले क्या कर लेगा तू..
रजनी - एक बार मेरे हाथ खोल दे फिर बताती हूँ तुझे मैं क्या चीज हूँ..
बबली गौतम के होंठों को चूमते हुए उसके लंड पर आगे पीछे होने लगती है एक ही बिस्तर पर बिल्लू औऱ उसकी बहन गौतम औऱ रजनी के साथ चुदाई कर रहे थे..

बिल्लू थोड़ी देर में ही झड़कर रजनी के ऊपर से हट जाता है.. बिल्लू के बाद बारी बारी उसके साथी कंडोम लगा कर रजनी की चुदाई करते है औऱ आधा घंटा बीत जाता है जबकि गौतम रजनी की चुदाई होते हुए देखकर गाली देने औऱ चिल्लाने के अलावा कुछ नहीं कर पाता.. गौतम का मन बबली को अच्छे से चोदने का भी था मगर वो सिर्फ लेटे हुए अपने लंड के ऊपर बैठी बबली को धीरे धीरे आगे पीछे होता देखकर चुप ही पड़ा था..

रजनी को बिल्लू औऱ उसके साथियो के सामान्य लंड से चुदकर कोई फर्क ही नहीं पड़ा वो वैसे ही लेती रही जैसे पहले थी.. बबली को आज परम सुख मिल रहा था एक तो इतना बड़ा लंड ऊपर से इनता स्टेमिना की आधे घंटे से ज्यादा का समय बीत जाने पर भी गौतम का नहीं झड़ना..
बबली - भईया ये लड़का तो कमाल है.. कब से उछल रही हूँ मगर इसका निकलता ही नहीं..
बिल्लू - जल्दी कर बबली अब इन दोनों को निपटा के यहां से जाना भी है..
रजनी - तू हमारी जान लेगा कमीने.. तुझे पुलिस नहीं छोड़ेगी..
बिल्लू हस्ते हुए - छोड़ेगी तब जब पकड़ेगी.. औऱ तुम दोनों की तो लाश भी किसीको नहीं मिलेगी..

गौतम बबली से चुम्बन तोड़कर धीरे से कान में - मुझे औऱ मेरी बहन को बचा ले बबली.. तुझे ऐसा मज़ा दूंगा तू खुश हो जायेगी..
बबली भी धीरे से - वादा करता है?
गौतम - कसम खाता हूँ..
बबली नज़र बचा कर गौतम के दोनों हाथ खोल देती है औऱ बेड पर पड़ी बिल्लू की पिस्तौल उठाकर बिल्लू औऱ उसके पास बैठकर शराब पीते दोनों साथियों को एक के बाद एक गोली मार देती औऱ मौत के घात उतार देती है..

गौतम बबली को अपने लंड पर से हटा कर रजनी की औऱ अपने पैरों की रस्सी खोल दोनों को पूरी तरह आजाद कर देता है.. रजनी गौतम से लिपट जाती है औऱ दोनों एक दूसरे से नंगे बदन चिपक जाते है..


बबली पिस्तौल फेंककर गौतम से - बहन का मिलन ख़तम हो गया हो तो अब मेरी चुत की खुजली मिटा दे..
रजनी गुस्से से बबली की तरफ बढ़ती हुई - साली कामिनी मैं बताती हूँ तुझे तो.. ये कहते हुए रजनी बबली के गाल ओर एक थप्पड़ जड़ देती है औऱ फिर बबली भी गुस्सा होकर रजनी को थप्पड़ जड़ देती है औऱ दोनों एक दूसरे से लड़ने लग जाते है..

रजनी औऱ बबली दोनों गौतम के लिए नंगी बिस्तर पर लड़ाई करते हुए एक दूसरे को नाखुनो से नोच रही थी जबकि गौतम बिस्तर से खड़ा होकर थोड़ी दूर टेबल रखी पानी की बोतल से पानी पिता हुआ दोनों को लड़ते हुए देख रहा था..

रजनी बबली दोनों थक्कर चूर हो चुकी थी औऱ जोर जोर से हांफ रही थी दोनों की हालात ख़राब थी.. दोनों जैसे लड़ाई के बीच में दो मिनट का बीच में गेप लिया हो ऐसा लग रहा था दोनों थोड़ी शांत होकर एक दूसरे को देख रही थी फिर गौतम की आवाज सुनकर उसे देखने लगी..
गौतम दूर खड़ा हुआ - लड़ना क्यों बंद कर दिया?
बबली औऱ रजनी ने एक नज़र गौतम को फिर एकदूसरे को देखा.. फिर जैसे इशारे से कुछ फैसला करके दोनों बिस्तर उतर कर गौतम के करीब आ गई औऱ गौतम को बिस्तर पर गिरा कर एक साथ उसके लंड पर टूट पड़ी..

गौतम - अह्ह्ह्ह.. आराम से यार...
रजनी औऱ बबली दोनों गौतम के लंड औऱ गोटे मुंह में लेकर चूस रही थी औऱ गौतम को खुश करने की पूरी कोशिश कर रही थी..


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गौतम ने रजनी औऱ बबली दोनों के बाल पकड कर दोनों के मुंह आपस में भिड़ा दिए औऱ दोनों के होंठों में से अपने लंड को गुज़ारने लगा..

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गौतम थोड़ी देर बाद दोनों को घोड़ी बना लेता औऱ कभी रजनी तो कभी बबली की चुत मारता है...

रजनी औऱ बबली गौतम के साथ थ्रीसम कर रही थी औऱ उसका मज़ा ले रही थी.. गौतम ने बबली औऱ रजनी दोनों को ही रगड़ के चोदा औऱ दोनों के मुंह पर अपना वीर्य छोड़कर उनका फेसियल कर दिया..

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रजनी की तो चाल में लंगड़ा पन आ चूका था मगर बबली तो बहूत चुदी हुई थी उसे ज्यादा तकलीफ नहीं हुई औऱ वो अपनी चुत को शांत करवा कर हलकी सी लचक औऱ दर्द के साथ उठ गयी..

गौतम - तूमने तो अपने भाई को गोली मार दी?
बबली - साले ने रखैल बनाके रखा था.. जब देखो किसी से भी चुदवा देता था.. मैं कब से उसे मारना चाहती थी..
रजनी - अच्छा किया बबली.. कपडे कहा है हमारे?
बबली - बाहर रस्सी पर..
रजनी - इन लाशों का क्या करें?
बबली - करना क्या है. केरोसिन डालके आग लगा देती हूँ कमीनो की लाश के..
रजनी - इस बारे में किसी से कोई बात नहीं करेगा.. वैसे अब तक तू अपने भाई की रखैल बनकर रह रही थी अब कहा जायेगी?
बबली - पता नहीं.. जहा किस्मत ले जाए.. वही चली जाउंगी..
रजनी - ऐसा कर मेरे साथ चल.. मेरे घर में काम कर लेना..
बबली - मैं वहा क्या करुँगी?
रजनी बबली के बूब्स पकड़के मसलते हुए - देख ये मेरा मुंह बोला भाई है मेरे साथ नहीं रहता.. तू साथ रहेगी तो इसकी कमी मुझे कम खलेगी.. औऱ तुझे भी भी रहने को छत मिल जायेगी..
बबली रजनी की चुत पर हाथ लगा कर सहलाते हुए - ठीक है रजनी..
गौतम - क्या बात है दीदी.. आपको तो एक औऱ मिल गई..
रजनी हसते हुए - कपडे पहन अब चलते है यहां से..

रजनी बबली औऱ गौतम तीनो वहा से गाडी लेकर निकल गए और रजनी से गौतम को उसके घर छोड़कर बबली को अपने साथ अपने घर ले गई..

गौतम घर आ कर सुमन से बिना बात किये ही खाना खा कर उसजे साथ सो गया जो सुमन को अजीब लगा.. लेकिन सुमन ने गौतम से कुछ नहीं पूछा औऱ सोने दिया मगर उसके फ़ोन को अपने हाथ में लेकर उसका फ़ोन खोलते हुए चेक करने लगी.. गीतम ने व्हाट्सप्प से लेकर इंस्टा तक सब अप्प पर लॉक लगाया हुआ था मगर गैलरी में उसने लॉक नहीं लगाया था औऱ सुमन ने गैलरी में आज का बनाया हुआ उसकी औऱ रजनी की चुदाई का वीडियो देख लिया औऱ सुमन गौतम को गुस्से औऱ काम की निगाहो से देखने लगी...


सुमन सोच रही थी की गौतम कितना बिगड़ चूका है की अपने इतनी बड़ी बड़ी औरतों के साथ ये सब बिना शर्म के ही करने लगता है...
Awesome update bhai
Ab tou Gautam ko Ranji aur babali ek sath 2 kantaas maal mil gayi hai tou wahin suman ko ab jalan hone gayi hai
 
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ellysperry

Humko jante ho ya hum bhi de apna introduction
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Update 16


बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - कौन? कौन है बाहर?

किशोर - बड़े बाबाजी.. मैं किशोर..

बड़े बाबाजी - किशोर.. तुम.. आज दोपहर मैं ही आ गए.. कहो कैसे आना हुआ?

किशोर - बड़े बाबाजी वो बाबाजी पूछ रहे थे कि क्या वो आपसे मिल सकते है?

बड़े बाबाजी - अचानक विरम को मुझसे क्या काम पड़ गया?

किशोर - बड़े बाबाजी सेठ धनीराम भी है बाबाजी के साथ.. आपसे मिलने कि आज्ञा चाहते है.. पूछ रहे थे जब आप उचित समझें तब वो आ जाए..

बड़े बाबाजी - किशोर विरम से बोल कि वो अभी मुझसे मिलने आ सकता है.. मैं मिलने को सज्य हूँ..

किशोर - जैसे आप कहे बड़े बाबाजी..


किशोर - बाबाजी बड़े बाबाजी ने अभी मिलने के लिए कहा है..

बाबाजी उर्फ़ विरम - किशोर तू सच कह रहा है? आज मिल सकते है हम..

किशोर - ज़ी बाबाजी.. बड़े बाबाजी ने अभी ही आपको सेठ धनीराम के साथ उपस्थित होने को कहा है..

बाबाजी उर्फ़ विरम - अच्छा तो फिर हमें बिना देरी किये यहां से गुरुदेव के पास पहुंचना चाहिए..

धनीराम - आज तो नसीब पुरे उफान पर लगता है बाबाजी.. वरना दिन हफ्ते या महीने ना जाने कितना टाइम लगता बड़े बाबाजी के दर्शन करने के लिए..

बाबाजी उर्फ़ विरम, धनिराम औऱ धनिराम के पीछे एक नौकर अपने हाथ में कई डब्बे लिए हुए चल देते है..


बाबाजी - इन डब्बो में क्या ले आये हो धनिराम...

धनिराम - इनमे शहर के सबसे नामी हलवाई के दूकान की ताज़ा बनी मिठाईया है बाबाजी.. आपके लिए जो लाया तो वो नोकर से कहकर आपकी धर्मपत्नी के पास भिजवा दी औऱ ये बड़े बाबा ज़ी के लिए है..

किशोर - मगर बड़े बाबाजी तो ताज़ा मिठाई छोडो ताज़ा दाल रोती तक नहीं खाते.. सन्यासी इतने बड़े है कि क्या बताया जाए? कल जो बना था आज खाते है औऱ आज जो बना है वो कल खाते है.. हमेशा बासी खाना ही खाते है बड़े बाबाजी..


बाबाजी उर्फ़ विरम, धनीराम औऱ किशोर बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह की कुटिया के बाहर आ जाते है..


बाबाजी उर्फ़ वीरम आवाज लगाते हुए - गुरुदेव...

अंदर से बड़े बाबाजी - आजा वीरम.. ले आ धनिराम को..

बाबाजी औऱ धनीराम कुटिया में आते हुए - प्रणाम बाबाजी.. प्रणाम गुरुदेव..

बड़े बाबाजी - कहो धनिराम.. इस बार क्या चाहते हो..

धनीराम नोकर को इशारे से मिठाई के डब्बे बड़े बाबाजी के सामने रखने के लिए कहता है औऱ नौकर धनीराम के कहे अनुसार बड़े बाबाजी के सामने मिठाई के डब्बे रख देता है जिसमे से उठती महक उस मिठाई की गुणवत्ता औऱ किस्म को उजागर कर रही होती है..



बड़े बाबाजी - मैं तो रूखी सुखी खाने का आदि हूँ धनिराम मुझे ये सब लालच क्यों दे रहा है.. तू बता तुझे क्या चाहिए?

धनिराम - बाबाजी.. आप तो जानते ही है सब.. फिर मेरा सवाल भी जानते ही होंगे तो आप ही बता दीजिये.. क्या मैं जो नया काम शुरू करने जारहा हूँ वो मेरे हित में रहेगा या मुझे नुकसान पहुचायेगा?

बड़े बाबाजी - हित तेरे धैर्य पर निर्भर है औऱ नुक्सान तेरी अधीरता पर.. अभी उचित समय की प्रतीक्षा कर धनिराम.. तेरी पुत्रवधु के गर्भ से अगले माह कन्या जन्म लेगी जिसके हाथ से तू जो भी कार्य शुरू करेगा सब फुले फलेगा.. कुछ चाहता है तो बता नहीं तो अब जा यहां से..


बड़े बाबाजी के कहने पर बाबाज़ी औऱ धनीराम कुटिया से बाहर आकर वापस पहाड़ी ओर जाने लगते है औऱ इधर बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह सामने रखी मिठाईया देखकर मुंह से लार टपकाने लगता है औऱ बाबाजी औऱ धनिराम के जाने के बाद डब्बे में से मिठाई निकालकर जल्दी से अपने मुंह में भर लेता है मगर जैसे ही बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह मिठाई अपने ने मुंह में डालता है मिठाई राख़ में बदल जाती है औऱ बड़े बाबाजी जोर जोर से थूकते हुए घड़े से पानी निकाल कर पिने लगता है औऱ अपने बगल में लेटे वैरागी के साये से कहता है..

बड़े बाबाजी - एक टुकड़ा तो खाने दे बैरागी.. कितना समय बीत गया बस बासी खाना ही खा रहा हूँ.. बहुत मन करता है कुछ स्वादिस्ट खाने का..

बैरागी - पर मैंने तो आपको कभी कुछ खाने से रोका ही नहीं हुकुम..

बड़े बाबा उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - याद है बैरागी जब हमने एक साथ भोजन किया था.. तब तूने मुझसे क्या कहा था..

बैरागी - मुझे तो आज भी एक एक पल याद है हुकुम.. मुझे जब आपके पहरेदार उस बैठक से एक आलीशान कश में ले गए थे औऱ मैं वहा टहल रहा रहा.....


फलेशबैक शुरू


पहरेदार बैरागी को वीरेंद्र सिंह की बैठक से अपने पीछे पीछे महल के एक अलीशान कमरे में ले आता है जो काफ़ी बड़ा औऱ सुन्दर था साथ में ही पहरेदार बैरागी के लिए साफ कपडे औऱ नहाने की व्यवस्था भी कर देता औऱ बढ़ेबाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह का संदेसा सुनाते हुए बैरागी से कहता है की जागीरदार ने उसे शाम के भोजन पर आमंत्रित किया है. बैरागी को नहाने औऱ हज़ाम से अपनी हज़ामत करवाने का कहकर पहरेदार उसके कमरे के बाहर आकर दो लोगों को पहरेदारी करने के लिए लगाता है औऱ खुद वापस वीरेंद्र सिंह के बैठक की तरफ चला जाता है..


बैरागी कई हफ्तों से नहीं नहाया था औऱ आज उसके नहाने औऱ अपने बड़े बड़े बाल औऱ दाढ़ी मुछ कटवाने औऱ वीरेंद्र सिंह के भिजवाए वस्त्र पहनकर उसका रूप पहले की तरह खिल उठा था.. उसके चेहरे से उसके दर्द का अंदाजा लगा पाना मुश्किल था औऱ उसकी पीड़ा को भाँपना मुश्किल था..


बैरागी ने दिन में उसके सामने लाया गया भोजन करने से इंकार कर दिया था औऱ स्वच्छन्द भाव से अपने कमरे से बाहर आ गया औऱ महल के बाग़ की तरफ टहलने लगा..

बाग़ में खिले हुए फूल औऱ उन फूलों से उठती हुई महक बाग़ के आस पास का वातावरण को अपनी खुशबु से सराबोर कर रही थी..

बैरागी महल से बाग़ में उतरती सीढ़ियों पर बैठ गया औऱ सामने खिलते हुए फूलों का जोड़ा देखकर अपने औऱ मृदुला के साथ बिताये उन हसीन तरीन पलो को याद करने लगा जिसमे दोनों ने साथ में जीवन के उस सुख को अनुभव किया था जिसे परमात्मा ने मनुष्य को वरदान के रूप में दिया है..


बैरागी बैठा हुआ अपने अतीत के पन्ने बदल रहा था की उसके कानो में मिठास घोल देने वाली मधुर आवाज सुनाई देने लगी औऱ वो अपने अतीत से वर्तमान में आ गया.. किसी औरत के गाने की इस आवाज ने बैरागी को अपनी जगह से उठने पर मजबूर कर दिया औऱ बैरागी आवाज का पीछा करते हुए बाग़ को पार करके एक मंदिर के पास आ गया मगर मंदिर के अंदर जाने की हिम्मत उसकी नहीं हुई औऱ वो मंदिर के बाहर ही खड़ा होकर उस गाने को सुनने लगा..


औरत ने बैरागी के मंदिर तक आने के कुछ देर बाद गाना बंद कर दिया. औरत के हाथ में थाली थी जिसमे पूजा का सामान रखा हुआ था औऱ साथ में प्रसाद.. औरत ने मंदिर में खड़े लोगों को प्रसाद बाँटा औऱ अपनी सेविकाओं को साथ लेकर मंदिर से बाहर आ गई..


औरत का नाम सुजाता था जो जागीरदार वीरेंद्र सिंह

की पत्नी थी.. सुजाता ने मंदिर से बाहर आने के बाद बैरागी को बाहर खड़े देखा तो सुजाता की सेविका ने सुजाता को बैरागी के बारे मे बताते हुए कहा कि बैरागी वीरेंद्र सिंह के मेहमान है औऱ आज ही महल में अतिथि बनकर आये है..

सुजाता अपनी सेविका से ये जानकार बैरागी की औऱ बढ़ी औऱ अपने साथ से प्रसाद देने लगी औऱ बोली..

सुजाता - मंदिर के बाहर खड़े होकर क्या कर रहे हो? मंदिर के अंदर क्यों नहीं आये? सब लोगों ने भगवान के दर्शन किये एक तुम ही उनके दर्शन से वंचित रह गए..

बैरागी ने सुजाता के पहनावे औऱ भाषा की शालीनता औऱ मुख पर तेज़ देखते हुए पहचान लिया कि ये इस जागीर के मालिक वीरेंद्र सिंह की पत्नी है..

बैरागी प्रसाद लेने से मना करते हुए - माफ़ करना रानी माँ.. मैं ईश्वर की परिकल्पना में विश्वास नहीं करता इसलिए ये प्रसाद मेरे लिए केवल मिठाई मात्र ही है.. मैं इसे प्रसाद के रूप में स्वीकार नहीं कर सकता.. औऱ रही बात मेरे मंदिर के अंदर आने की है तो मैं पहले ही आपको अपने कुल गौत्र से अवगत करवा देता हूँ.. मैं एक नीच जाती मैं पैदा हुआ हूँ जिसका छुआ आप खाना भी पसंद नहीं करते..

सुजाता मुस्कुराते हुए अपने हाथों से बैरागी को प्रसाद खिला देती है औऱ कहती है - जात पात औऱ उच नीच तो समाज में रहने वाले लोगों के बनाये जाल है बेटा.. ईश्वर के सामने तो क्या राजा क्या रंक सभी सामान है.. मैंने प्रसाद समझकर दिया है तू मिठाई समझकर खा ले..

बैरागी हाथ फैलाते हुए - अगर ऐसी बात है तो एक औऱ लड्डू खिला दो रानी माँ.. कई दिन हो गए पेट में अन्न डाले.. अब तो जैसे बदन में खून सूखने लगा है..

सुजाता बैरागी के हाथ में लड्डू देते हुए - इतनी सी उम्र में ये मायूसी? कोई बात है जो दिल में चुबती है? बता दे.. बताने से मन हल्का हो जाएगा..

बैरागी लड्डू खाते हुए - अपनी पीड़ा औऱ दुख मनुष्य अगर अकेला भोग ले तो अच्छा है.. बताने से व्यथा बन जाती है जिसे सुन पाना सबके बस में नहीं होता..

सुजाता - तेरी आँखों में विराह का दुख नज़र आता है.. कोई ऐसा छोड़कर चला गया है जिसका वापस पाना संभव है.. सही कहा ना मैंने?

बैरागी - छोड़कर जाने वाले की विराह में जलना तो बहुत साधारण बात है रानी माँ.. मेरी प्रीत तो गंगा के पानी की तरह पवित्र है जो मेरे प्रियतम को हमेशा मेरे साथ रखती है.. मैं जब चाहु उससे बात करता हूँ.. उससे रूठता हूँ उसे मनाता हूँ..

सुजाता की सेविका - आपको अब महल में वापस चलना चाहिए.. हुकुम ने आपसे शीघ्र आने का आग्रह किया था..

सुजाता बैरागी से - प्रेम अंधे की आँख है बेटा.. प्रेम तो वासना को जानता भी नहीं.. प्रेम से वासना लाखों कोस दूर ही रहती है.. मैं तेरे अंदर झांककर देख सकती हूँ कि तू अपने प्रेमी से अब भी कितना प्रेम करता है..

बैरागी - प्रेम तो अविरल चलने वाली हवा का नाम है रानी माँ.. वक़्त के साथ कम ज्यादा होना प्रेम नहीं.. मेरा प्रेम मेरी मृदुला के लिए मेरे अंत तक ऐसे ही बना रहेगा.. इसे कोई भी मेरे ह्रदय से नहीं निकाल सकता..

सुजाता मुस्कुराते हुए - मृदुला.. जिसके स्वभाव में शालीनता हो.. हम्म्म.. मैं तेरी पीड़ा तो नहीं मिटा सकती.. ना ही तेरी मृदुला को ये बता सकती हूँ कि तू उससे कितना प्रेम करता है.. पर इतना जरूर कर सकती हूँ कि आज रात रात्रिभोज पर अपने हाथ से खाना पका कर खिलाऊ.. रात्रिभोज पर प्रतीक्षा रहेगी..

बैरागी - रानी माँ..

बैरागी सुजाता के रास्ते से परे हट जाता है औऱ सुजाता महल की औऱ चली जाती है उसके पीछे पीछे सुजाता की सेविकाऐ भी चली जाती है औऱ बैरागी मंदिर से वापस बाग़ की तरफ आकर बाग़ पार करते हुए महल में घूमने लगता है जहा गलती से वह कोषागार की तरफ आ जाता है औऱ उसमे प्रवेश करने वाला होता है की तभी पीछे से एक लड़का उसके कंधे पर हाथ रखकर बैरागी को पीछे खींच केता है औऱ दिवार से सटा के अपनी तलवार बैरागी के गले पर रख देता है..


लड़का - कौन है तू? और यहा क्या कर है?

बैरागी लड़के की सूरत देखकर हैरान हो गया था उसे जैसे अपनी आँखों पर यक़ीन ही नहीं हो रहा था कि वो क्या देख रहा है.. औऱ जो वो देख रहा है, वो सच है भी कि नहीं..

लड़का- बता.. वरना अभी तेरे कांधे से सर उतार लूंगा..

बैरागी मुस्कुराते हुए - साधारण सा आदमी हूँ.. दिखाई नहीं देता?

लड़का - मसखरी बंद कर नहीं तो तेरी जीवन लीला यही समाप्त हो जायेगी..

एक पहरेदार आते हुए - समर छोड़ उसे.. समर.. ये तो हमारे हुकुम के मेहमान है आज ही पधारे है.. छोड़ समर...


पहरेदार समर के हाथों की तलवार से बैरागी को बचा लेता है मगर पहरेदार के समर को पीछे धकेलने पर समर की तलवार की हलकी सी खरोच बैरागी के गले पर लग जाती है जिससे बैरागी के गले से खून की एक बून्द निकल पडती है.. पहरेदार बैरागी को वहा से बाहर ले जाता है मगर समर जैसे वही जम जाता है.. समर चाहकर भी अपनी जगह से नहीं हिल पाता औऱ अचरज से इधर उधर देखने लगता है, उसके आस पास कोई नहीं था मगर उसे महसूस हो रहा था जैसे कोई उसके सर पर मंडरा रहा है.. समर ने फिर से अपनी तलवार मजबूत पकड़ ली औऱ अपनी पूरी ताकत से अपनी जगह से हिलते हुए पीछे घूम गया जहा उसे एक परछाई दिखी.. समर ने आगे बढ़कर परछाई के पास जाने की कोशिश की मगर समर ने जैसे ही उस परछाई के पास जाने के लिए पहला कदम बढ़ाया एक हवा का झोंखा समर को पीछे उड़ा के ले गया औऱ समर दिवार से टकरा गया जिससे उसके सर से हल्का सा खून निकलने लगा..

परछाई समर के करीब आने लगी औऱ समर भी अपने आप को सँभालते हुए फिर से खड़ा होने लगा मगर इस बार परछाई में समर को एक लड़की की छवि दिखी औऱ उसके हाथों की तलवार उठने की जगह अपनेआप नीचे झुक गई.. समर ने गौर से उस छवि को देखा तो उसे उस छवि में अपना ही अक्स दिखाई दिया.. बिलकुल उसीके जैसे नयन नक्श औऱ चेहरा परछाई की छवि में समर को दिखा.. परछाई ने आगे बढ़कर जैसे समर को जान से मारने की नियत से प्रहार करना चाहा बैरागी वापस आते हुए समर का हाथ पकड़ कर समर को उसकी जगह से खींच लेता है औऱ परछाई का वार बेकार हो जाता है..

इससे पहले की परछाई अपना दूसरा वार करती बैरागी परछाई के पास जाता है औऱ उसे अपने गले से लगाकर अपने आप में समाहित कर लेता है औऱ वो परछाई लुप्त हो जाती है..


समर अभी तक उस परछाई की सूरत में ही अटका हुआ था उसे अपने सामने हो रही किसी भी चीज का कोई होश नहीं था.. उसने अभी अभी कुछ ऐसा देखा था जो देखना किसी भी आम इंसान के लिए संभव नहीं था उसके सामने एक परछाई थी जिसने लगभग उसके प्राण ले ही लिए थे. मगर एन मोके पर बैरागी ने आकर उसके प्राण बचा लिए..


बैरागी परछाई को अपने आप में समाकर वापस समर के करीब आ जाता है औऱ उसे सहारा देते हुए उठा कर वहा से बाहर ले आता है जहा दूसरे पहरेदार समर को देखते ही उसे एक जगह बैठा देते है.. बैरागी समर के सर पर गली चोट को देखते हुए उसका उपचार करने लगता है तभी उसे समर की गर्दन पर वैसा ही तिल नज़र आता है जैसा उसने प्रेम प्रसंग के समय मृदुला की गर्दन पर देखा था.. बैरागी कै मन में उसी तरह कई प्रश्न घूम रहे थे जैसे समर के मन में घूम रहे थे दोनों को ही अपने सवाल के जवाब नहीं मिले.. बैरागी सोच रहा था क्यों समर की शकल सूरत मृदुला से इतनी मेल खाती है औऱ उसके गर्दन पर वो तिल के निशान जो मृदुला के भी थे कैसे बने हुए है? बैरागी ने समर का उपचार कर दिया औऱ वहां से चला गया समर भी अपनी जगह बैठा रहा औऱ बैरागी कब वहा से गया उसे पता ही नहीं चला..


बैरागी अपने कमरे में था की एक पहरेदार ने उसके कमरे के दरवाजे पर दस्तक देते हुए रात्रिभोज के लिए साथ आने का कहा.. जिसपर बैरागी उस पहरेदार के साथ साथ होकर चल दिया.. पहरेदार उसे लेकर जागीरदार के निवास स्थान पर ले आया जहा एक बड़े से कमरे में जागीरदार वीरेंद्र सिंह सामने की तरफ एक बड़े से आसान पर बैठा हुआ था..

वीरेंद्र सिंह - आओ बैरागी बैठो..

वीरेंद्र सिंह ने वैरागी को अपने सामने कुछ दूर नीचे जमीन पर बिछी चटाई पर बैठने को कहा जहा चौकी पर खाली खाने की थाली रखी हुई थी..

बैरागी उस थाली के सामने बैठ जाता है तभी वीरेंद्र सिंह पहरेदार को कुछ इशारा करता है औऱ पहरेदार समर को उस बड़े से कमरे में ले आता है.. समर के हाथ में बेड़िया थी औऱ उससे उसकी तलवार भी छीन ली गई थी..

वीरेंद्र सिंह - कोषागार में इस पहरेदार ने तुम्हारे साथ जो किया उसकी सुचना हमे मिल चुकी है.. तुम्हारा दोषी तुम्हारे सामने है बैरागी जो सजा इसे देना चाहो दे सकते हो.. चाहो तो इसकी तलवार से इसका सर अलग कर दो..

बैरागी अपनी जगह से खड़ा हो कर समर के करीब जाता है औऱ वीरेंद्र सिंह से कहता है..

बैरागी - मेरे साथ जो हुआ वो मेरी भूल का परिणाम था हुकुम.. मगर ये तो अपना कर्तव्य का निर्वाहन कर रहा था.. इसे इस तरह बाँध कर लाना तो आपका न्याय नहीं हो सकता..

सुजाता कमरे में प्रवेश करते हुए - बिलकुल सही कहा तुमने.. जिसका सम्मान होना चाहिए उसका अपमान करना उचित नहीं..

समर औऱ बैरागी झुककर प्रणाम करते हुए - रानी माँ..

वीरेंद्र सिंह - मगर इसने हमारे अतिथि के गले पर अपनी तलवार रखी है.. सजा तो इसे मिलनी ही चाहिए..

सुजाता समर के हाथों की बेड़िया खोलती हुई - अतिथि अगर वर्जित जगह पर प्रवेश करें तो पहरेदार का कर्तव्य है उस अतिथि को सही रास्ता दिखाए.. इससे जो कुछ हुआ वो भूलवश हुआ अगर इसे पता होता की ये आपका अतिथि है तो कभी ऐसी भूल नहीं करता..

बैरागी - रानी माँ.. सत्य कहती है हुकुम.. समर से जो कुछ हुआ वो उसके अज्ञान औऱ मेरी भूल के कारण हुआ.. जिसका फल हम दोनों को मिल चूका है.. इस तरह इसे सजा देना न्यायसंगत कैसे हो सकता है?

वीरेंद्र सिंह - अज्ञान में ही सही मगर इस लड़के ने हमारे अतिथि पर तलवार उठाई है कुछ तो सजा इसे मिलनी ही चाहिए..

सुजाता - आपके अतिथि के अपमान की सजा, हम इस लड़के को देते है.. आज ये लड़का कोषागार की पहरेदारी से हटाकर महल के उस हिस्से की पहरेदारी करेगा जहा हम निवास करते है.. अब से ये हमारी रक्षा करेगा..

वीरेंद्र सिंह - ये तो कोई सजा नहीं हुई..

सुजाता अपने साथ आई सेविकाओ को खाना परोसने का इशारा करते हुए - एक योद्धा से उसकी जगह छीन लेना उसकी जान लेने से ज्यादा कहीं बड़ी सजा है.. आप तो अच्छे से जानते है.. अब भोजन करिये..

वीरेंद्र सिंह आगे कोई औऱ बात नहीं करता औऱ सेविकाओं के द्वारा परोसा गया भोजन बैरागी को खाने के लिए बोलकर स्वम भी खाने लगता है..


सुजाता समर को उसकी तलवार लोटा देती है औऱ समर सुजाता के पीछे पीछे उस कमरे से बाहर आ जाता है औऱ थोड़ा दूर सुजाता के पीछे चल कर सुजाता से कहता है..

समर - मेरी जान बचाने के लिए धन्यवाद रानी माँ...

सुजाता मुस्कुराते हुए - इसमें धन्यवाद केसा? तू अपना कर्तव्य का पालन कर रहा था.. तेरी जान लेना जागीरदार का पाप होता औऱ मैं कैसे ये पाप होने दे सकती थी..


वीरेंद्र सिंह - तुम्हारे सामने खाने की कितनी ही स्वादिस्ट वस्तुए पड़ी है बैरागी.. मगर तुम हो की बस ये साधारण सी चीज खाये जा रहे हो..

बैरागी - मेरा भोजन तो मेरे प्रियतम के बिना अधूरा है हुकुम.. मेरे भोजन करने का उद्देश्य मात्र इतना की मैं अपने शारीर को तब तक जिन्दा रख सकूँ जब तक मुझे वो नहीं मिल जाता जिसे में खोज रहा हूँ.. मेरे लिए इन सब व्यंजनो का कोई महत्त्व नहीं..

वीरेंद्र सिंह - जैसा तुम चाहो बैरागी.. कल मैं तुम्हे कुछ ऐसा दिखाऊंगा जिसकी तुम्हे तलाश है.. मगर अभी मुझे भोजन का स्वाद लेने की इच्छा है.. इस तरह का स्वादिस्ट भोजन सबके भाग्य में नहीं...

बैरागी - सही कहा आपने हुकुम ऐसा भोजन सबके भाग्य में कहा.. आप आराम से भोजन करिये.. आगे भविष्य के घर्भ में क्या छीपा है किसको पता?


फ़्लैशबैक ख़त्म


भविष्य के गर्भ में क्या छीपा है किसीको क्या पता...

बड़े बाबाजी उफ़ वीरेंद्र सिंह - सही कहा था तूने बैरागी.. मुझे कहा पता था कि भविष्य ने मेरे लिए अपने गर्भ में क्या छीपा रखा था.. रोज़ पचासो तरह के व्यंजन खाने का अभ्यास मैं साधारण खाने के एक निवाले को भी तरस जाऊँगा.. रोज़ बासी खाना खाते हुए सैकड़ो साल बीत गए मगर मेरी ये सजा है की ख़त्म होने का नाम ही नहीं लेती.. मृत्यु मोक्ष लगने लगी है वैरागी..

बैरागी - अगर आपने वो जदिबूती नहीं खाई होती तो मैं ही आपको मुक्ति दे देता हुकुम.. मुझसे भी आपकी ये दशा नहीं देखी जाती.. आपके साथ ही मेरी मुक्ति भी जुडी हुई है.. मैं भी कब से आपके साथ आपकी परछाई बनकर रहता आया हूँ..

बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - एक बात सच बताऊ बैरागी.. उस दिन जब तू मेरे सामने चटाई पर बैठकर सारा भोजन छोड़कर सिर्फ सादा खाना खाने लगा था तब मैंने सोचा था कि तू बस कुछ दिन ही अपनी पत्नी का शोक मनायेगा औऱ आनंद से जीवन बिताएगा.. मगर तु तो आज साढ़े तीन सो साल बीत जाने के बाद भी अपनी पत्नी को ऐसे याद करता है जैसे तेरी विराह अभी शुरू हुई हो.. तेरे गीत सुनकर तो मुझे भी सुजाता की याद आने लगती है.. कितना उज्वल प्रकाश से भरा हुआ चेहरा था उसका..

बैरागी - सही कहा आपने हुकुम.. रानी माँ की करुणा सब पर बनी हुई थी.. आपके लिए उन्होंने अपने प्राण तक दे दिए..

बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - उसी बात का तो मुझे अब भी दुख है बैरागी.. काश उसदिन मेरे ही प्राण चले गए होते..


बैरागी - बार बार उस पाल को याद करके क्यों उदास हो रहे हो हुकुम.. चलिए जंगल में चलते है.. खुली हवा में सांस लोगे तो अच्छा लगेगा..
Jabardast update 🔥 👍🏻
 

ellysperry

Humko jante ho ya hum bhi de apna introduction
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Update 17

गौतम की सुबह जब आँख खुली तो उसके सामने सुमन का चेहरा था, सुमन बिस्तर के किनारे बैठी हुई प्यार से गौतम को जगा रही थी. सुमन के जागने से ही गौतम की आंख खुली और उसने सामने अपनी मां के खूबसूरत चेहरे को दिखा. सुमन अपने साथ चाय का कप लाई थी जो उसने बेड के ऊपर की तरफ किनारे पर रख दिया था गौतम ने सुमन को देखते ही अपनी तरफ खींच लिया और बाहों में भर के सुमन को चूमने लगा.. सुमन प्यार से गौतम को अपने होठों का जाम पिलाकर बोली..

सुमन - उठ जा मेरे शहजादे.. संडे है तो क्या पूरा दिन सोता ही रहेगा? चल जा कर नहा ले..
गौतम - माँ आज चले टेटू बनवाने? छूटी का दिन है..
सुमन - ठीक है जैसा तू कहे मेरे शहजादे..

गौतम बिस्तर से उठ खड़ा होता है और चाय का कप हाथ में लेते हुए चाय की चुस्कियां लेते हुए सुमन को देखने लगता है जो वापस रसोई की तरफ जाकर अपने काम में लग जाती है. गौतम सुमन को ऊपर से नीचे तक कई बार देखता है और उसके बदन को निहारने लगता है गौतम को सुमन के ऊपर पूरी तरह से काम भाव पैदा हो रहा था जिसे वह खुद बखूबी की जानता था..

सुमन के बदन के उतार चढ़ाव बहुत ऊंचे नीचे थे जिससे उसकी सुंदरता में चार चांद लगते थे
गौतम उसीके जाल में फसता चला जा रहा था औऱ अब गौतम सुमन पर पूरी तरह से लड्डू था.. चाय पीने के बाद गौतम बाथरूम चला गया और नहाने लगा, नहाने के बाद गौतम ने कपड़े पहन लिए जो सुमन अभी-अभी निकल कर बिस्तर पर रख गई थी.

गौतम - माँ चले?
सुमन - पहले कुछ खा तो ले ग़ुगु..
गौतम - क्या बनाया है?
सुमन - तेरी मन पसंद बिरयानी..
गौतम - शकल दिखाओ जरा अपनी.. आप तो नॉनवेज छूना भी पसंद नहीं करती थी.. औऱ अब खाने के साथ बनने भी लगी हो..
सुमन - मेरे ग़ुगु के लिए तो मैं कुछ भी कर सकती हूँ..
गौतम - तो फिर खिला भी दो अपने हाथो से..

गौतम और सुमन ने खाना खाया और फिर दोनों ही घर को ताला मार कर घर से बाहर आ गए.. गौतम ने बाइक स्टार्ट की और सुमन उसके पीछे बैठ गई. सुमन बार-बार गौतम से कह रही थी कि टैटू में फालतू ज्यादा पैसे लग जाएंगे लेकिन गौतम बार-बार सुमन को समझा रहा था कि वह चिंता ना करें गौतम सब संभाल लेगा..

शहर की पुरानी गलियों से गुजरते हुए गौतम सुमन को एक वीराने से मकान के सामने ले आया जहां आसपास छोटी-छोटी गलियां गुजर रही थी और निकलने की कम ही जगह बची थी जगह को देखने से ऐसा लगता था जैसे यह जगह शहर से बिल्कुल इतर एक अलग ही दुनिया है पुराना शहर है जिसका अस्तित्व आप धीरे-धीरे खत्म होता जा रहा है.

सुमन - ग़ुगु कहा ले आया.. यहां कोनसी टेटू की दूकान है..
गौतम - माँ यार आप कितने सवाल करती हो.. चलो ना मेरे साथ.. सब पता चल जाएगा.. मैंने एक पुराने दोस्त से बात की थी उसने यहाँ का पता दिया है.. आप आओ मेरे साथ..

गौतम सुमन को लेकर उस मकान के अंदर दाखिल हो जाता है और सीढ़ियां चढ़ता हुआ ऊपर एक दरवाज के बाहर आकर, दरवाजे पर नॉक करता है..
गौतम के दरवाजा बजाने पर अंदर से एक आदमी निकाल कर दरवाजा खोलता है और सामने सुमन और गौतम को देखकर पूछता है कि उनको क्या काम है? आदमी के सवाल के जवाब में गौतम अपनी बात कहता हुआ बोलता है कि उसे टैटू बनवाना है और उसे किसी ने यहां का एड्रेस दिया था.. क्या उसका नाम अनवर है? आदमी हाँ में सर हिलता हुआ दोनों को कमरे के अंदर आने के लिए कहता है. कमरे में दाखिल होते ही गौतम और सुमन दोनों कमरे को देखकर हैरान हो जाते है.

साधारण से दिखने वाली इस जगह पर अनवर कमरे में टैटू बनाने का पूरा कारखाना खोले हुए था. अनवर की उम्र करीब 32 साल की लगभग थी और वह टैटू बनाने में एक्सपर्ट आदमी था.

अनवर - ज़ी किसे बनवाना है टेटू?
गौतम - मेरी माँ को बनवाना है..
अनवर हैरानी से सुमन को देखकर - केसा टैटू बनाना है भाभी ज़ी?
गौतम फ़ोन से एक पिक दिखाते हुए - ये वाला..

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अनवर - ठीक है भाभी ज़ी आप यहां लेट जाइये मैं तैयारी करता हूँ.. हाथ पर ही बनवाना है ना..
गौतम - हाथ पर नहीं.. बूब्स पर बनवाना है..
अनवर एक पल के लिए शॉक हुआ मगर फिर बोला -
ठीक है... भाभी ज़ी आप यहां लेट जाओ आकर..

सुमन अनवर के कहे अनुसार उसकी बताई हुई जगह लेट जाती है और अनवर टैटू बनाने की तैयारी करने लगता है.. फिर सुमन के दाई औऱ आकर एक राउंड चेयर ओर बैठ जाता है वही गौतम बाई औऱ खड़ा रहता है..
अनवर - भाभी ज़ी ये साड़ी हटा दो..
गौतम सुमन का पल्लू हटाकर - ब्लाउज उतार दो माँ..
टेटू बनाने में आसानी रहेगी.
सुमन अनवर के सामने थोड़ा झिझकते हुए - बटन खोलके काम नहीं चलेगा?
अनवर - चल जाएगा भाभी पर बूब्स पर टेटू के लिए ब्लाउज को पूरा ओपन करना पड़ेगा.
गौतम सुमन के ब्लाउज के बटन खोलते हुए - मैं खोल देता हूँ माँ.. आप लेटी रहो.. गोतम सुमन का ब्लाउज उतार देता है औऱ सुमन कमर से ऊपर सिर्फ ब्रा में आ जाती है. सुमन को अनवर के सामने शर्म आ रही थी मगर गौतम पूरा बेशर्म बना हुआ था.

अनवर बूब्स को हल्का सा छूकर - यहां बनाना है?
गौतम - नहीं अनवर भाई.
अनवर - तो कहा?
गौतम सुमन की ब्रा को ऊपर खिसका कर उसके दोनों बूब्स आजाद कर देता है औऱ एक बूब्स के चुचक पकड़कर अनवर से कहता है - निप्पल्स के बगल में इस तरफ. सुमन गौतम की हरकत पर शर्म से आधी हो जाती है मगर उसे कुछ बोलने की हिम्मत नहीं जुटा पाती.
अनवर भी खुलने लगता है औऱ सुमन के बूब्स को बेझिझक पकड़ कर गौतम की बताई जगह पर टेटू बनाने लगता है.

गौतम सिगरेट पिने कमरे से बाहर आ जाता है वही अनवर सुमन के बूब्स के पुरे मज़े लेकर उसपर टैटू बनाने लगता है. सुमन अनवर की हरकत पहचान रही थी औऱ शर्म के कारण अनवर से कुछ भी नहीं बोल रही थी.. अनवर टैटू बनाने के बहाने सुमन के निप्पल्स को बार बार पकड़कर मसालार मरोड़ रहा था जिससे सुमन हलकी सी सिसक पडती थी.. अनवर का लंड औऱ सुमन के निप्पल्स दोनों कड़क होकर खड़े हो चुके थे.. गौतम बाहर खड़ा होकर सिगरेट के कश लगा रहा था औऱ अंदर अनवर बिना शर्म किया सुमन के बूब्स दबा रहा था औऱ टेटू बनाते हुए सुमन के मज़े ले रहा था.. अनवर ने सुमन से अब बात करना शुरू कर दिया था..
अनवर - भाभी ज़ी बूब्स तो बहुत टाइट है आपके. जिम जाती होंगी..
सुमन - नहीं.. बस घर का काम ही करती हूँ..
अनवर - भाभी ज़ी एक टेटू नीचे भी बनवा लो..
सुमन - नीचे फिर कभी बनवा लुंगी आप अभी यही बना दो..
अनवर ऐसे ही सुमन के मज़े लेटे हुए टेटू बनाता है औऱ सुमन के बूब्स पर टेटू बन जाता है, गौतम जब अनवर को टेटू के पैसे देता है तो अनवर टेटू के पैसे लेने से मना कर देता है फिर गौतम सुमन के साथ वहा से वापस आने के लिए निकल पड़ता है.

वापस आते हुए रास्ते में गौतम गाड़ी को एक ठेके के सामने रोकता है और सुमन ठेके के सामने गाड़ी रूकती देखकर सुमन गौतम से पूछता है कि उसने गाड़ी क्यों रोक है तो गौतम सुमन को ठेके की तरफ इशारा करते हुए कहता है कि एक बॉटल लेते हुए घर चलते हैं, इस पर सुमन गौतम को गुस्से की नजरों से देखती है मगर गौतम सुमन को प्यार से कहता है कि उसने कई बार सुमन और रूपा को एकसाथ शराब पीते हुए देखा है और सुमन उसके सामने भी शराब पी सकती है उसे कोई परेशानी है. सुमन गौतम की बातों से लरज जाती है औऱ कुछ नहीं बोलती वही गौतम ठेके से ब्लैक डॉग शराब की एक बोतल ले आता है औऱ फिर सुमन के हाथों पकड़ा कर बाइक स्टार्ट करते हुए घर आ जाता है.

गौतम - माँ यार चाय बना दो.
सुमन शराब की बोतल को रसोई में ऊपर छिपा कर रख देती है औऱ चाय बनाने लगती है तभी उसके फ़ोन ओर फ़ोन आता है..
सुमन फ़ोन उठाकर - हेलो
गौतम - माँ किसका फ़ोन है?
सुमन - संजू मामा (45) का.. सुमन बात करती हुई.. हाँ भईया..
संजू मामा उर्फ़ संजय - सुमन तू कल सुबह तक आ जायेगी ना?
सुमन - कल सुबह तक? भईया कल सुबह तक तो नहीं आ पाऊँगी..
संजय - सुमन तू तो जानती है शादी का घर है कितना काम होता है अगर लड़की (ऋतू 25) की बुआ भी एक हफ्ता पहले नहीं आएगी तो फिर काम कैसे होगा? औऱ कौन जिम्मेदारियां संभालेगा? तेरी भाभी का तुझे पता ही है..
सुमन - भईया मैं कोशिश करूंगी जल्दी आने की..
संजय - कोशिश नहीं सुमन आना है. ले माँ से बात कर..
गायत्री (62) - हेलो सुमन..
सुमन - कैसी हो माँ?
गायत्री - मैं ठीक हूँ बेटी तू कैसी है औऱ ग़ुगु केसा है?
सुमन - हम दोनों ही अच्छे माँ..
गायत्री - बेटी तू जल्दी आजा.. कितना टाइम हो गया तुझे देखे..
सुमन - माँ मैं तो आ जाऊ पर ग़ुगु का यहां कौन ख्याल रखेगा?
गायत्री - अरे तो ग़ुगु वहा क्यों छोड़ना है उसे लेके आ ना..
सुमन - माँ आप जानती तो हो उसे.. कितना ज़िद्दी है.. 6 साल हो गए तब तक पुरानी बात नहीं भुला.. अभी भी अपनी दीदी औऱ मामी से नाराज़ है..
गायत्री - बेटी तू समझा ना उसे. देख तू नहीं आएगी तो कितना सुना लगेगा घर..
सुमन - मैं तो कब से समझा रही हूँ माँ पर ग़ुगु समझता ही नहीं.. बस पहले की बात को दिल से लगाके बैठा है.. कहता है वापस चेहरा तक नहीं देखा किसीका..
गायत्री - सुमन बेटी तू कैसे भी करके ग़ुगु को ले आ बस.. शादी बार बार नहीं होती औऱ वो कब तक अपनी मामी औऱ दीदी से नाराज़ रहेगा? चेतन (26) औऱ आरती (24) की शादी मैं भी नहीं आया था ग़ुगु..
सुमन - मैं देखती हूँ माँ..
गायत्री - सुमन मैं कुछ नहीं जानती कल सुबह अगर तू नहीं आई तो मैं फिर तुझसे बात नहीं करुँगी..
सुमन - ठीक है माँ.. मैं मनाती हूँ ग़ुगु को.. फ़ोन कट जाता है..

गौतम - माँ आप चली जाओ मैं रह लूंगा अकेला.. मेरी चिंता मत करो..
सुमन - तू जब तक मेरे साथ नहीं चलेगा मैं कहीं नहीं जाने वाली समझा..
गौतम - माँ आप जानती हो मुझे उन लोगों की शकल तक नहीं देखनी..
सुमन - बेटा कितनी पुरानी बात है तू भूल क्यों नहीं जाता? आखिर तेरी मामी औऱ दीदी ने ही तो तुझे डांटा था.. कोई पराया तो नहीं था..
गौतम - चोरी का नाम लगाकर, क्या कुछ नहीं बोला था उन दोनों ने मुझे.. आप वहा होती तो क्या सहती ये सब? बहुत घमंड है उन लोगों को अपनी रइसी पर, उनको उनके घमंड में रहने दो.. मैं तो नहीं जाने वाला..
सुमन - मगर बेटा पर उस दिन मामी औऱ दीदी ने तुझसे माफ़ी भी तो मांगी थी..
गौतम - हाँ जब उनको पर्स औऱ सामान उनके पास ही मिल गया था तब मांगी थी.. वो भी कितनी आसानी सॉरी बोलकर खिसक गई थी.. कितना रोब झड़ती है मामी अपनी रइसी का.. जाते ही वापस अपने गहने औऱ कपडे की कीमत बताकर निचा दिखाने लगेगी.. मैं नहीं जाने वाला माँ..
सुमन - छः साल हो गए उस बात को ग़ुगु.. अगर तू सुबह मेरे साथ नहीं चला तो मैं तुझसे रूठ जाउंगी..
गौतम मुस्कुराते हुए - आप औऱ मुझसे रूठ जाओगी? ठीक है रूठ जाओ..
सुमन - ग़ुगु चल ना.. मुझे भी 2 साल हो गए भईया और माँ से मिले.. आखिरी बार चेतन औऱ आरती की शादी में मिली थी.. मेरे लिए इतना नहीं कर सकता.. अब क्या मैं हाथ जोड़कर तुझसे कहु?
गौतम - माँ क्यों मुझे वहां ले जाना चाहती हो.. मेरा मन नहीं है.. आप चली जाओ ना..
सुमन मुंह बनाकर - ठीक है मैं भी नहीं जाती.. तुझे नहीं माननी ना मेरी बात तो ठीक है.. मैं वैसे भी कोनसी तेरे लिए जरुरी हूँ जो तू मेरी बात मानेगा..
गौतम सुमन की बात सुनकर उसे बाहों में भरते हुए - अच्छा ठीक है मेरी माँ.. आप ना बहुत नाटक करने लगी हो..
सुमन गौतम का चेहरा चूमकर - सब तुझ से ही सीखा है मेरे दिल के टुकड़े.. चल पैकिंग कर ले सुबह जल्दी जाना है..
गौतम - आराम से कर लेना माँ.. छोटा सा ही तो रास्ता है.. अजमेर से जयपुर कोनसा दूर है?
सुमन - तेरे कपडे मैं पैक करुँगी.. वरना तू कुछ भी, जो मिलेगा वो पैक कर लेगा..
गौतम - कर लो.. पर पहले चाय तो पीला दो.. कब से उबाल मार रही है..
सुमन चाय कप में डाल कर गौतम को दे देती है..
सुमन - लो मेरे गौतम ज़ी आपकी चाय..
गौतम - थैंक्यू सुमन..
सुमन - बेशर्म नाम से बुलाता है अपनी माँ को..
गौतम चाय पीते हुए - आपने भी तो नाम से बुलाया..
सुमन - बहुत बातें बनाना सिख गया है.. चल मैं पैकिंग करती हूँ फिर खाना भी बनाना है..

सुमन पैकिंग पूरी कर लेती है और उसके बाद खाना बनाकर गौतम के साथ खाना खा लेती है और रात को गौतम के साथ इस तरह जिस तरह वह पहले कुछ राते सो रही थी सोने लगती है.. गौतम सुमन आज भी कमर से ऊपर पूरी तरह निर्वास्त्र होकर एकदूसरे के साथ लिपटे हुए लेटे थे.. सुमन बच्चों की तरह गौतम के सीने पर लेटी हुई थी उसे नींद आ चुकी थी औऱ नींद की गहरी खाई में उतर चुकी थी मगर गौतम की आँखों में नींद का कोई अक्स नहीं था वो सुमन की जुल्फ संवारता हुआ सुमन का चेहरा देखे जा रहा जैसे जोहरी हिरे को देखता है..

सुमन का फ़ोन बजा तो गौतम ने सुमन को जगाने की कोशिश की मगर सुमन गहरी नींद में थी गौतम ने उसे जगाने की ज्यादा कोशिश नहीं की औऱ सुमन का फ़ोन उठा के देखा जिसमे रूपा का फ़ोन आ रहा था..

गौतम फ़ोन उठाकर - हेलो..
रूपा - कैसे हो मेरे नन्हे शैतान..
गौतम - वैसा ही जैसा आपने कल देखा था..
रूपा - आज क्यों नहीं आये मिलने.. औऱ दीदी कहा बिजी है?
गौतम - माँ तो सो गई.. औऱ आज थोड़ा बिजी था..
रूपा - अभी तो सिर्फ 10 ही बजे है.. दीदी को अभी नींद आ गई..
गौतम - हाँ वो कल मामा के यहां जाना है शादी में.. आपको तो बताया होगा माँ ने..
रूपा - पर तू तो नहीं जाने वाला था ना ग़ुगु..
सुमन - मैं तो अब भी नहीं जाना चाहता मम्मी.. पर माँ ने अपनी कसम दे रखी है.. कैसे मना करू?
रूपा - शादी एक हफ्ते बाद है ना..
सुमन - हाँ.. आप भी चलो ना.. साथ में मज़ा आएगा..
रूपा - नहीं ग़ुगु.. मैं नहीं आ सकती.. तुम जाओ औऱ खूब मज़े करना, औऱ दीदी से कहना तुम्हारा ख्याल रखे..
गौतम - माँ को ये कहने की जरुरत है? वो तो हमेशा मेरा ख्याल रखती है.. पापा के जाने के बाद तो औऱ भी ज्यादा..
रूपा - हम्म.. बताया था दीदी ने.. ग़ुगु तुम दीदी से कहो ना यहां आकर मेरे साथ रहने के लिए.. मैं कल से समझा रही हूँ पर वो है की मानने को त्यार नहीं..
गौतम - पर..
रूपा - क्या पर.. हम्म? मैंने कहा था तुम्हे मुझे अपना मानो.. पर लगता है तुम भी मुझे पराया समझते हो..
गौतम - ठीक है मम्मी.. मैं बात करूंगा माँ से इस बारे में.. औऱ उन्हें राजी करूंगा आपके साथ रहने के लिए..
रूपा - ग़ुगु..
गौतम - हाँ..
रूपा - याद आ रही है तुम्हारी..
गौतम - आपने ही मना किया था..
रूपा - हाँ वो बाबाजी ने कहा है दूर रहने के लिए..
गौतम - अब इसमें मेरी क्या गलती? मैं आपके लिए हमेशा तैयार हूँ..
रूपा - अच्छा.. सुबह कितनी बजे निकलोगे?
गौतम - 8 बजे वाली बस से..
रूपा - बस से क्यों?
गौतम - इतनी दूर बाइक चलाने में मुझे नींद आती है..
रूपा - तो मुझे कहना था ना ग़ुगु.. मैं कल सुबह घर पर कार भिजवा दूंगी.. उसे लेकर चले जाना..
गौतम - पर आपके पास कार कहा है?
रूपा - तू अभी अपनी मम्मी को ठीक से जानता नहीं है मेरे नन्हे शैतान..
गौतम - अच्छा ज़ी.. ऐसी बात है? फिर तो कोशिश करूँगा जल्दी जान जाऊ..
रूपा - मन कर रहा है तुझे फ़ोन में घुस कर अपने गले से लगा लू.. बहुत याद आ रही है तेरी..
गौतम - मुझे भी..
रूपा - चल अब रखती हूँ.. तू भी सोजा..
गौतम - गुडनाइट मम्मी...
रूपा - गुडनाईट मेरे नन्हे शैतान..

सुबह हो चुकी थी औऱ सुमन नहाने के बाद काले पेटीकोट औऱ ब्लाउज को पहनकर रसोई में चाय बना रही थी उसके बाल गीले थे जिसे उसने तौलिये से बाँधा हुआ था उसे देखने से लगता था वो अभी अभी नहा के आई है औऱ चाय बनाने लगी है.. गौतम भी अभी अभी बाथरूम से नहाके निकलकर अपने कपडे पहन चूका था.. गौतम रसोई में आकर पीछे से सुमन को अपनी बाहों में भरते हुए सुमन की गर्दन चुम लेता है कहता है..

गौतम - गुडमॉर्निंग माँ..
सुमन - गुडमॉर्निंग मेरे बच्चा.. क्या बात है आज तो जगाने बिना ही उठ गया तू.. औऱ नहा भी लिया..
गौतम - आप कहो तो वापस सो जाता हूँ..
सुमन - कोई जरुरत नहीं है.. मैंने तेरा बैग पैक दिया है कुछ औऱ चीज लेनी हो तो तू अभी रख ले.. बाद में तू मत बोलना.. आपने ये तो पैक ही नहीं किया.
गौतम - नहीं बोलूंगा.. अच्छा रात को आपकी रूपा रानी का massage फ़ोन आया था..
सुमन - ग़ुगु वो भी तेरी माँ जैसी है.. रेस्पेक्ट से नाम लिया कर उनका बेटू..
गौतम - इतना प्यार से नाम ले रहा हूँ.. रूपा.. रानी.. औऱ कितनी रेस्पेक्ट करू उनकी.. वैसे एक बात बोलू.. मुझे बहुत सेक्सी लगती है आपकी रूपा रानी.. कहो तो बहु बनाके ले आउ आपकी रूपा को..
सुमन गौतम के कान पकड़ते हुए - देख रही हूँ बहुत बदमाश हो रहा है तू.. तुझे बस बड़ी औरत ही पसंद आती है, है ना? वैसे क्या कह रही थी रूपा?
गौतम अपना कान छुड़वाते हुए - आई लव यू बोल रही थी मुझे.. कह रही थी मेरी याद आती है उनको.. नींद भी नहीं आती मेरे बिना..
सुमन - तूने आज मार खाने का इरादा कर लिया है क्या?
गौतम - मज़ाक़ कर रहा था माँ.. रूपा आंटी गाडी भिजवा रही है.. बोल रही थी बस से मत जाना..
सुमन - तूने मना नहीं किया रूपा को? औऱ तुझे कार चलाना आता है?
गौतम - मना किया था पर वो मानी नहीं, बोली.. अगर मुझे अपना समझते हो तो मना मत करना.. औऱ आप तो जानती हो मैं रूपा आंटी को कितना अपना समझता हूँ.. औऱ माँ कार क्या आपका ग़ुगु ट्रक भी चला सकता है..
सुमन - हम्म.. सब पता है मुझे.. तू किसको क्या समझता है.. ले चाय पिले मैं साडी पहन लेती हूँ..
गौतम - माँ कोई अच्छी साडी पहना..
सुमन - चल ही बता दे क्या पहनू..
गौतम - मैरून अच्छा लगेगा आप पर..
सुमन - मैरून कलर की साडी पहन लेती हूँ.. बस..

गौतम चाय की चुस्कीया लेने लगता है और कुछ औऱ चीज़े अपने बेग में डाल लेता है.. सुमन अंदर जाकर साड़ी पहन लेती है, इतने में कोई आदमी बाहर दरवाजे पर बेल बजाता है और गौतम बाहर जाकर देखता है तो एक आदमी उसे कार की चाबी दे देता है औऱ चला जाता है.. गौतम देखता है की रूपा ने वाइट कलर स्विफ्ट कार भिजवाई है.. वो चाबी लेकर अंदर आ जाता है औऱ सुमन ने जो बेग पैक किये थे उन्हें कार में रख देता है..

गौतम - माँ कितना टाइम लगेगा? साडी पहन रही हो या बना रही हो..
सुमन - बस ग़ुगु 5 मिनट..
गौतम - आधा घंटा हो गया आपकी 5 मिनट ख़त्म नहीं हो रही..
सुमन - बेटू बस आ गई..
गौतम - 5 मिनट में आप बाहर नहीं आई तो मैं अंदर आ जाऊंगा साडी पहनाने..
सुमन हस्ते हुए - तुझे रोका किसने है अंदर आने से बेटू..

गौतम 5 मिनट बाद कमरे में घुस जाता है देखता है की सुमन आईने के सामने बैठकर अपने होंठों पर लिपस्टिक लगा रही है.. उसने आज अद्भुत श्रृंगार किया था उसका चेहरा चाँद की लालिमा के सामान प्रजव्वल था माथे पर बिंदिया आँखों में काजल औऱ होंठों पर लाली के साथ साथ.. सुमन ने पहनी मेरून साडी भी उसके रूप को औऱ बढ़ा रही थी..
सुमन - बस ग़ुगु.. हो गया चलते है..
गौतम सुमन को बस देखे जा रहा था..
सुमन - चल ना ग़ुगु अब खड़ा क्यों है..
गौतम - कमाल लग रही हो माँ आज.. लगता है आफत आने वाली है.. मन कर रहा है आपको अपनी दुल्हन बना लू..
सुमन मुस्कराते गौतम का मुंह पकड़कर हुए - माँ को दुल्हन बनाएगा बेशर्म.. चल.. अब लेट नहीं हो रहा?
गौतम सुमन को बाहों में भरते हुए - लिपस्टिक ख़त्म तो नहीं हुई ना माँ आपकी?
सुमन - क्यों?
गौतम - क्योंकि जो लिपस्टिक आपने अपने होंठों पर लगाईं है उसे तो मैं खाने वाला हूँ..

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इतना कहकर गौतम सुमन के होंठों पर टूट पड़ता है औऱ सुमन को बेतहाशा चूमने लगता है जिससे सुमन हक्कीबक्की रह जाती है औऱ गौतम को चूमने से नहीं रोक पाती औऱ चुपचाप खड़ी रहकर गौतम के चुम्बन का मोन समर्थन कर देती है.. गौतम सुमन को बाहों में जकड कर चूमे जा रहा था औऱ लम्बे समय बाद सुमन के मना करने पर चुम्बन तोड़ देता है..
सुमन - ग़ुगु.. तू भी ना..
गौतम - सॉरी माँ.. आप इतनी प्यारी लग रही है कण्ट्रोल नहीं कर पाया आपको चूमने से..
सुमन रुमाल से गौतम के होंठों पर लगी अपने होंठों कि लिपस्टिक साफ करती है औऱ अपने होंठों कि लिपस्टिक ठीक कर गौतम से चलने के लिए कहती है.
गौतम औऱ सुमन कार मैं बैठ जाते है औऱ जयपुर के लिए निकल जाते है..

रास्ते में पड़ने वाली कच्ची सडक पर हिलती गाडी में सुमन के हिलते चुचे देखकर गौतम का मन काम कि भावना से भरने लगता है औऱ वो अपना एक हाथ सुमन के चुचे पर रखकर दबाता हुआ सुमन से पूछता है..
गौतम - माँ ब्रा नहीं पहनी क्या आपने?

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सुमन - ग़ुगु ये ब्लाउज बहुत टाइट था तो नहीं पहन पाई..
गौतम - दूसरा ब्लाउज पहन लेती ना माँ.. ब्रा नहीं पहनोगी तो आपके बूब्स ढीले होकर लटक जाएंगे.. औऱ मैं नहीं चाहता आप अभी से ढीली पड़ो..
सुमन - ग़ुगु इस साड़ी पर यही ब्लाउज मैचिंग था तो पहन लिया.. मामा के घर बदल लुंगी..
गौतम - मामा के घर क्यों माँ.. रास्ते में कहीं बदल लेना..
सुमन - रास्ते में कहा जगह मिलेगी बेटा?
गौतम - उसकी चिंता आप मत करो.. आगे हाईवे से गाडी नीचे उतार लूंगा.. वहा दूर दूर तक कोई भी नहीं है..
सुमन - बेटा पर खुले में?
गौतम - मैंने कहा ना माँ वहा कोई नहीं आता जाता आप चिंता मत करो..

गौतम गाडी को कुछ देर हाईवे पर चला कर एक कट से नीचे उतार लेता है जहा जंगल जैसी जगाह थी.. थोड़ा आगे गाडी चला कर एक पेड़ के नीचे रोक देता है..
गौतम - आप ब्लाउज बदल लो माँ मैं बाथरूम कर लेता हूँ..

इतना कहकर गौतम गाडी से नीचे उतर जाता है औऱ गाडी के पास ही पेड़ के नीचे मूतने लगता है सुमन बेग से दूसरा ब्लाउज निकालकर पहनने लगती है मगर सुमन का ध्यान गौतम के लंड पर था जिसे गौतम जानभूझ गाडी के बिलकुल पास सुमन को दिखाते हुए मूत रहा था.. सुमन औऱ गौतम दोनों के मन में चुदाई कि काम इच्छा फलने फूलने लगी थी..
गौतम मूतने के बाद अपने लंड को दो चार बार ऐसे हिलता है जैसे वो मुठ मार रहा हो फिर लंड को पेंट में कर लेता है औऱ गांड़ी में आकर बैठ जाता है.. सुमन ये देखकर औऱ भी कामुक हो उठी थी..
गौतम सुमन के पर्स में से सिगरेट निकालकर सुलगा लेता औऱ एक कश मारके सुमन का ब्लाउज देखकर कहता है - ध्यान कहा है माँ आपका?
सुमन - क्यों.. क्या हुआ ग़ुगु?
गौतम सिगरेट का अगला कश लेकर - ब्लाउज उल्टा पहना है आपने..
सुमन हसते हुए अपना ब्लाउज खोल देती है औऱ उसे सीधा करने लगती है गौतम सुमन के हाथो से ब्लाउज ले लेता है औऱ सुमन को सिगरेट देते हुए कहता है - बाद में पहन लेना माँ.. क्या जल्दी है..
सुमन सिगरेट लेकर कश मारती हुई गौतम से कहती है - तेरा बस चले तो तू मुझे नंगा ही कर दे.. बहुत बिगड़ गया है तू.. तेरा कॉलेज ख़त्म होते ही तेरी शादी करवा दूंगी अच्छी सी लड़की देखकर..
गौतम सुमन के सामने अपना लंड मसलते हुए - पर मुझे तो आपके अलावा कोई औऱ पसंद ही नहीं आता माँ.. आप ही कर लो ना मुझसे शादी.. बहुत खुश रखूँगा में आपको.. कभी छोडके नहीं जाऊंगा.. हमेशा प्यार करूंगा आपसे..
सुमन सिगरेट का कश लेकर धुआँ छोडते हुए मुस्कुराकर - माँ हूँ मैं तेरी.. मुझसे ऐसी बातें करेगा तो एक थप्पड़ खायेगा तू.. देख रही हूँ बहुत आग लगी हुई है तेरे अंदर..
गौतम सुमन से सिगरेट लेकर कश मारता हुआ - आप तो हमेशा दिल तोड़ने कि बातें करती हो माँ.. अब आग लगी हुई तो इसमें क्या दोष? मैं अपने मन से थोड़ी जवान हुआ हूँ.. आपको देखकर मेरे दिल में कुछ कुछ होता है तो इसमें मेरी क्या गलती?
सुमन मुस्कुराते हुए - मैं समझती हूँ मेरे शहजादे.. पर मैं माँ हूँ तेरी.. तेरे साथ कुछ भी वैसा नहीं कर सकती..
गौतम सुमन को सिगरेट देते हुए - मैं कब कह रहा हूँ कि आप मेरे साथ सेक्स करो माँ.. पर आप अपने हाथो से तो कभी कभी मुझे प्यार कर सकती हो..

सुमन गौतम का इशारा समझ गई थी औऱ उसके चेहरे पर हलकी शर्म लिहाज़ औऱ गौतम के लंड को साफ साफ देखने कि बेसब्री साफ दिखाई दे रही थी..
सुमन सिगरेट का आखिरी कश लेकर सिगरेट बाहर फेंक देती है औऱ दो घूंट पानी पीकर गौतम से कहती है - ठीक है ग़ुगु.. अगर तू चाहता है तो मैं अपने हाथों से तुझे ठंडा कर देती हूँ, लेकिन तू भी मुझसे वादा कर कि ये बात किसी को नहीं बताएगा औऱ मेरी हर बात चुपचाप मानेगा..
गौतम सुमन का हाथ पकड़ कर अपने लंड पर रख देता है औऱ दबाते हुए कहता है - आप जैसा बोलोगी मैं वैसा ही करूगा माँ.. बस आप उसे ठंडा कर दो.. बहुत परेशान करता है ये मुझे...
सुमन मुस्कुराते हुए - नीचे कर अपनी जीन्स..

गौतम एक झटके मैं जीन्स औऱ चड्डी नीचे सरका देता है औऱ सुमन के सामने साफ साफ अपने खड़े लंड को नंगा कर देता है.. सुमन पहले भी गौतम का लंड देख चुकी थी मगर अब उसके सामने मात्र कुछ इंच दूर ही गौतम का लंड पूरा खड़ा हुआ था जिसे देखकर सुमन के मन में सावन कि बारिश होने लगी औऱ मोर नाचने लगे..
सुमन - हाय दइया ग़ुगु..
गौतम - पसंद आया माँ?
सुमन शर्मा जाती है औऱ अपने हाथ में गौतम का लंड पकड़ कर उसे नापते हुएधीरे धीरे ऊपर नीचे करने लगती है गौतम भी सुमन कि ब्रा निकाल देता है औऱ उसके चुचे दबाते हुए सुमन को अपनी तरफ खींचकर चूमने लगता है..

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सुमन गौतम के ऊपर झुकी हुई उसे अपने होंठों का स्वाद चखा रही थी वही गौतम सुमन के चुचे औऱ खड़े चुचक मसलते हुए सुमन से हस्तमैथुन का मज़ा ले रहा था बहुत देर तक ये कार्यक्रम ऐसे ही चलता रहा..

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सुमन - कब निकलेगा ग़ुगु? कब से हिला रही हूँ..
गौतम - माँ मुंह में लेके ट्राय करो ना जल्दी निकल जाएगा..
सुमन इतराते हुए - मैं मुंह नहीं लुंगी.. मुझे अजीब लगता है
गौतम - ले लो ना माँ.. कुछ नहीं होता.. आगे आपको जूस पीला दूंगा.. सब ठीक हो जाएगा..
सुमन - नहीं ग़ुगु.. हाथों से ही हिला दूंगी.. मैंने कभी मुंह में नहीं लिया.. मुझे उल्टी आती है..
गौतम - माँ हाथों से तो बहुत टाइम लग जाएगा.. कब तक हिलाती रहोगी? एक करो मैं कंडोम पहन लेता हूँ फिर मुंह में लेके निकाल दो..
सुमन शरमाते हुए - ग़ुगु नहीं ना..
गौतम - प्लीज ना माँ.. कंडोम से मान जाओ..
सुमन - कंडोम है तुम्हारे पास?
गौतम अपने बटुए से कंडोम निकालते हुए - बहुत सारे है माँ.. आपको कोनसा फ्लैवर पसंद है?
सुमन शरमाते हुए - कोई सा भी देदे..
गौतम - स्ट्रॉबेरी लेलो माँ.. ज्यादातर औरतो को वही पसंद आता है.. लो पहना दो..
सुमन कंडोम लेकर गौतम के लंड पर पहना देती है..
गौतम सुमन के सर पर हाथ रख देता है औऱ उसे लंड पर झुकाते हुए कहता है - बच्चों जैसे क्या शर्मा रही हो माँ आप भी.. चलो अब ले भी ली मुंह में.. कुछ नहीं होता..
सुमन गौतम के लंड को मुंह में भरने लगती है औऱ गौतम अपनी माँ के मुंह में लंड जाने से औऱ भी ज्यादा उत्तेजित होने लगता है..

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गौतम सुमन के पर्स से एक औऱ सिगरेट निकाल कर लाइटर से सुलगा लेता है औऱ सिगरेट के कश लेटे हुए लंड चुस्ती अपनी माँ सुमन को देखने लगता है..
गौतम सुमन के सर पर दबाव डालकर - माँ थोड़ा अंदर लेकर चुसो ना.. आप तो बस मेरे लंड के टोपे को ही चूस रही हो..
सुमन गौतम के लंड को मुंह में औऱ भरकर चूसे जा रही थी औऱ अपने हाथ से गौतम के दोनों टट्टे सहला रही थी..

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गौतम को तो जैसे सुमन ने अफीम खिला दी थी गौतम उतना नशे में मदहोश होने लगा था औऱ सिगरेट के कश लेता हुआ सुमन के blowjob से तृप्त होने लगा था.
सुमन ने मुंह लेकर बस 5 मिनट के अंदर ही गौतम का माल निकाल दिया.. औऱ उसके लंड से कंडोम उतार कर कंडोम के गाँठ लगाकर गाडी से बाहर फेंक दिया..
सुमन - बस हो गई तेरी इच्छा पूरी? हो गया ठंडा?
गौतम - आई लव यू सुमन..
सुमन हसते हुए - मुझे नाम से मत बुला बेशर्म..
गौतम - माँ छोटे ग़ुगु को साफ तो कर दो..
सुमन गौतम का लंड पकड़ कर अपनी साडी के पल्लू से लंड का चिपचिपापन साफ कर देती है औऱ अपनी ब्रा औऱ ब्लाउज पहनने लगती है औऱ गौतम से कहती है - अब मेरे इस छोटे ग़ुगु को अंदर तो डाल ले..
गौतम लंड अंदर करता हुआ - छोटा ग़ुगु तो नाराज़ है आपसे..
सुमन - क्यों मज़ा नहीं आया मेरे छोटे ग़ुगु को?
गौतम - मज़ा कैसे आता? अपने छोटे ग़ुगु को छाता जो पहना दिया..
सुमन गौतम कि बात पर जोर से हँसने लगी औऱ फिर गौतम से बोली - अगली बार मेरे छोटे ग़ुगु को बिना छाते के मुंह में ले लुंगी बस..
गौतम सुमन कि जांघ पर हाथ रखकर सुमन कि जांघ सहलाते हुए - माँ अपने तो मेरी आग बुझा दी.. अब मेरी बारी..

इतना कहते हुए गौतम सुमन कि साडी को ऊपर करता हुआ उसकी चुत पर हाथ लगा देता है जिससे सुमन सिसक उठती है औऱ गौतम को मना करने लगती है मगर गौतम सुमन कि बात नहीं सुनता औऱ सुमन की चड्डी के अंदर हाथ डाल कर उसकी चुत को मुठी में भर लेता औऱ मसलने लगता है..
सुमन - ग़ुगु नहीं.. छोड़ दे.. ग़ुगु.. बेटा छोड़ दे ना..
गौतम - छोड़ दूंगा माँ.. बस थोड़ी देर चुप रहो औऱ मज़े लो..
इतना कहकर गौतम सुमन की चड्डी नीचे सरका देता है औऱ उसकी चुत पर अपना मुंह लगा देता है जिससे सुमन की सिसक सिसकारियों में बदल जाती है औऱ वो गौतम के सर को पकड़ कर अब खुदसे अपनी चुत पर दबाने लगती है..

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गौतम कुत्ते की तरह सुमन की चुत चाट रहा था औऱ बिना शर्म किये सुमन की चुत फैला कर अपनी जीभ अंदर तक डाल रहा था..
सुमन भी कुछ ही मिनटों में अपनी नदी बहा देती है जिसे गौतम बिना शर्म किये अपने मुंह में भरकर पी लेता है औऱ चाट चाट कर सुमन की झांटो से भारी हुई गुलाबी चुत साफ करके अपनी सीट पर आराम से बैठ जाता है..

सुमन को तो जैसे विश्वास ही नहीं हो रहा था की उसके साथ अभी अभी गौतम ने क्या किया है सुमन झड़ने के बाद इतना हल्का महसूस कर रही थी जैसे हवा मैं परिंदे महसूस करते है.. सुमन शर्म से पानी पानी हो रही थी औऱ गौतम से नज़र तक मिलाने में शर्मा रही थी उसने अपनी चड्डी वापस पहनी औऱ एक नज़र प्यार से गौतम की तरह देखा.. गौतम भी प्यार की नज़र से सुमन को ही देख रहा था..
सुमन ने अब शर्म का पर्दा हटाकर गौतम के होंठों पर चिपका अपनी झांट का एक बाल अपने हाथ से हटाकर साफ कर दिया औऱ अपनी सीट से उठकर गौतम के ऊपर चढ़ गई औऱ बिना कुछ कहे उसके मुंह से लग गई..

दोनों की जापानी चुम्मा चाटी वापस शुरू हो चुकी थी जिसे गायत्री के फ़ोन ने तोड़ा..
सुमन फ़ोन उठाकर - हाँ माँ..
गायत्री - सुमन कहा है अभी तक आई नहीं..
सुमन - बस माँ रास्ते में है..
गायत्री - कहा तक पहुंची औऱ ग़ुगु भी आ रहा है ना?
गौतम फ़ोन लेकर - आधे रास्ते आ गए नानी.. मैं भी माँ के साथ आ रहा हूँ..
गायत्री - ग़ुगु.. केसा है मेरा बच्चा? नानी से भी नाराज़ है तू? कभी बात भी नहीं करता..
गौतम - नहीं नानी.. आपसे कैसी नाराज़गी.. मैं आ रहा हूँ ज़ी भरके आपसे बात करूंगा.. ठीक है?
गायत्री - आजा मेरा बच्चा.. नानी बहुत इंतजार कर रही है तेरा..
गौतम - ठीक है नानी रखता हूँ.. फ़ोन कट हो जाता है..
सुमन - अब चल यहां से ग़ुगु..
गोतम - पहले मुझे आई लव यू बोलो..
सुमन गौतम को चूमकर - आई लव यू बेटू.. अब चल ना..

गौतम गाडी को वापस हाईवे पर चढ़ा देता है औऱ दोनों दो घंटे बाद जयपुर पहुंच जाते है जहा एक रिहायशी कॉलोनी में आ जाते है..
गौतम - क्या एड्रेस था माँ..
सुमन फ़ोन दिखा कर - ये वाला..
गौतम बाहर देखकर - जगह तो बहुत महँगी लगती है..
सुमन - हाँ.. माँ बता रही थी तेरे मामा ने बहुत महँगी जमीन ख़रीदी थी औऱ घर भी बड़ा बनवाया है..
गौतम - सही है.. देखना अब मामी कैसे हर चीज की रेट बता कर हमें जलाने की कोशिश करेंगी..
सुमन - ग़ुगु तुझे मेरी कसम जो तूने किसीको यहां उल्टा सीधा कुछ भी बोला था तो..
गौतम सुमन की जांघ पर हाथ रखकर - बेफिक्र रहो माँ.. मैं किसीसे कुछ नहीं कहने वाला..
सुमन - शायद वो वाला घर लगता है ग़ुगु..
गौतम फ़ोन में एड्रेस देखकर - वही है माँ.. चलो..



Awesome update
Raste me dono maa bete ne ek dusre ko santusht kiya aur ab pahuch gaye Nani ke Ghar ......
 

Motaland2468

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Update 22

शाम के पांच बज चुके थे होटल की छत पर गौतम सुमन का बेसब्री से इंतजार कर रहा था. सुमन भी छत पर आने के लिए निकल चुकी थी गौतम यह सोच रहा था कि वह आज अपनी मां से अपने प्यार का इजहार कर देगा और उसे अपनी दुल्हन बनाने का प्रस्ताव रखेगा. गौतम यह जानता था कि जो वह करने जा रहा है इसमें उसे सफलता नहीं मिलने वाली है लेकिन वह फिर भी एक बार सुमन को अपने प्यार का इजहार करके मानना चाहता था और चाहता था कि सुमन उसे अपने प्रेमी के रूप में अपना ले.. अब तक जो सुमन और गौतम के बीच में हो रहा था वह केवल सुमन के मातृत्व प्रेम के कारण हो रहा था जिसमें वह गौतम को अपना बेटा मानकर सब कुछ कर रही थी भले इसमें उसे आनंद और काम संतुस्टी की प्रति हो रही थी लेकिन वह अब तक गौतम को अपने प्रेमी के रूप में स्वीकृत नहीं कर पाई थी ना ही उसे यह अधिकार दिया था कि गौतम उसके पूरे शरीर पर अधिकार जताये..


सुमन का नारीत्व और काम इच्छा उफान पर थी जिसे वो गौतम के साथ शांत कर लेती थी मगर इस अधूरी शांति से गौतम और सुमन दोनों ही काम के शिखर पर पहुंच कर उस अद्भुत और अतुल्य सुख से वंचित ही रहे जिसे पाना दोनों के मन में लंबित था. सुमन अपने मन की आखिरी दीवार को नहीं गिराना चाहती थी. सुमन चाहती थी कि गौतम की हर इच्छा और हर मनोकामना पूरी हो लेकिन वह खुद इसके लिए अपनी चुत की कुर्बानी देने को तैयार नहीं थी. सुमन अब यही चाहती थी कि जैसे गौतम और सुमन के बीच एक रिश्ता कायम हो चुका है वह इस तरह कायम रहे और अब सुमन ना तो इससे आगे बढ़ना चाहती थी और ना ही इससे पीछे हटाना चाहती थी.


गौतम ने भी अपने मन में ये तय कर लिया था कि वह सुमन को किसी भी शर्त पर अपना बना कर रहेगा और उसके लिए वह आज पहली-पहल कर देगा. भले इसमें उसे सफलता मिले या वह असफल रहे. गौतम अब मन ही मन सुमन को पाने की चाहत में जलने लगा था और उसे आप सुमन को भोगने की इच्छा पूरी उफान ले चुकी थी. मगर वह इस बात से भली-भांति परिचित था की सुमन को भोगना और उसे पाना इतना आसान नहीं होगा और जो दीवार सुमन ने अपने मन में उसके और खुद के बीच में बना रखी है उसे गिराना भी आसान नहीं होगा. दोनों के बदनों के मिलन के बीच सुमन ने अपने मन में उसके औऱ गौतम के रिस्ते को रोड़ा बना लिया था जिसे दूर करना आसान नहीं था. मगर गौतम ने ये तय कर लिया था जो किसी भी तरह से उसके मन से इस दीवार को गिरा कर रहेगा और उसे अपना बना कर रहेगा इसके लिए भले ही उसे कुछ भी करना पड़े. गौतम और सुमन के बीच सब कुछ हो रहा था मगर बाकी था वही सबसे जरूरी था और वहीं गौतम करना चाहता था मन ही मन सुमन भी ऐसा ही चाहती थी मगर उसने अपने मन में रिश्ते की दीवार को बीच में खड़ा कर दिया था जिसे वह नहीं गिराना चाहती थी.


सुमन अकेली चुपके चुपके सीडीओ से होती हुई छत के दरवाजे तक आ पहुंची.. सुमन के मन में अजीब अजीब ख्याल आ रहे थे और अजीब सवाल वह अपने आप से पूछ रही थी जिसके जवाब खुद ही अपने आप को देती हुई वह छत के दरवाजे पर खड़ी हुई थी गौतम भी सुमन के इंतजार में छत के कोने में खाली पड़ी की जगह पर खड़ा हुआ सुमन का इंतजार कर रहा था उसके मन में भी कई बातें चल रही थी जिसे वह सोचकर सही और गलत तय करने में लगा हुआ था. गौतम ने सुमन को छत के दरवाजे पर खड़ा हुआ देख लिया और सुमन की नजर भी गौतम से मिल गई. गौतम ने सुमन को इशारे से अपने पास आने के लिए कहा औऱ सुमन गौतम के पास धीरे धीरे कदमो से चली आई..


गौतम ने उसी नज़र से अपनी माँ के बदन को ऊपर से नीचे तक देखा जिस तरह वो बाकी लड़कियों औऱ औरतों को ताड़ता था. सुमन इस नज़र को अच्छे से समझ गई थी मगर काम के भाव से भारी हुई सुमन को इस नज़र का बुरा कतई नहीं लगा.. गौतम ने सुमन की कमर में हाथ डालकर उसे अपने सीने से लगाकर बाहों में भर लिया औऱ फिर अपने होंठों से सुमन के होंठ मिलाकर जंग शुरू कर दी.. इस जंग में दोनों ही एक दूसरे को हराने के लिए भर्षक प्रयास कर रहे थे और एक दूसरे के लबों को चूमते हुए खींच कर काटते हुए ऐसे चुम रहे थे जैसे उनके बीच ये प्यार का पहला चुम्बन हो..

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गौतम ने चुम्बन के दौरान एक जोरदार थप्पड़ सुमन की गांड पर मारा औऱ फिर उसकी गांड को जोर से मसलते हुए इतना तेज़ दबाया की सुमन चुम्बन तोड़कर सिसक उठी औऱ गौतम को शिकायत की नज़र से देखते हुए बोली..

सुमन - आराम से ग़ुगु.. माँ को दर्द होता है ना.

गौतम - ग़ुगु नहीं सुमन.. गौतम.. मुझे गौतम कहकर पुकारो.. मैं अब आपके इन गुलाबी होंठों से अपना नाम सुनना चाहता हूँ..

सुमन हैरानी से - तू क्या कह रहा है ग़ुगु औऱ मुझे नाम से क्यों बुला रहा है.. मैं तेरी माँ हूँ.. तू भूल गया है क्या?

गौतम - मुझे सब याद है सुमन.. (अपना हाथ सुमन की चुत पर रखते हुए) आपने 20 साल पहले मुझे अपनी इसी चुत से निकाला था.. आपने इन 20 सालों में जितना मुझे प्यार किया है उतना शायद कोई औऱ कभी ना कर पाए.. मेरी ख़ुशी के लिए आप मेरे सामने नंगी तक हो गई.. मेरी हर ज़िद पूरी की मगर अब सुमन.. मैं आपको खुश रखना चाहता हूँ.. प्यार करना चाहता हूँ.. मैं चाहता हूँ आप मुझे नाम से बुलाओ.. हर शाम घर पर मेरा इंतज़ार करो औऱ जब मैं काम से वापस आउ तो आप मुझसे लिपटकर अपने होंठ मेरे होंठ पर रख दो.. मुझे गौतम ज़ी कहकर बुलाओ.. बिलकुल जैसे आप पापा को बुलाती थी..

सुमन - तू पागल हो गया है क्या गौतम? ये सब क्या बकवास कर रहा है.. तू अच्छी तरह जानता है मैं तेरे साथ ये सब नहीं कर सकती.. माँ हूँ मैं तेरी औऱ तू मेरा ग़ुगु.. समझा?

गौतम - आप सब करोगी सुमन.. मुझे यक़ीन है मेरी मोहब्बत आपको ये सब करने पर मजबूर कर देगी.. आप मुझे अपने दिल में वही जगह दोगी जो जगह तुमने पापा की दी थी..

सुमन गौतम के सामने घुटनो पर बैठकर उसकी पेंट खोलते हुए - तू ये मुझे चिढ़ाने के लिए बोल रहा है ना? पर मैं नहीं चिढ़ने वाली समझा? मैं अभी तुझे चूसकर ठंडा कर देती हूँ फिर तेरा सारा भुत उतर जाएगा औऱ तू फिर से मुझे सुमन नहीं माँ कहकर बुलायेगा..

गौतम कंडोम देते हुए - लो सुमन.. बिना कंडोम तुम्हे उल्टी हो जायेगी..

सुमन कंडोम लेकर फेंक देती है औऱ गौतम का लंड हाथ में पकड़कर उससे कहती है - उल्टी होती है तो हो जाए.. तुझे बिना कंडोम के अच्छा लगता है मैं उसी तरह तुझे खुश कर देती हूँ..

ये कहकर सुमन गौतम के लंड को मुंह में भरकर चूसने लगी औऱ गौतम सुमन को प्यार से देखता हुआ उसके सर पर हाथ फेरने लगा..

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गौतम - जानती हो सुमन जब आप सुबह नाच रही तब मेरा दिल आपको देखकर क्या कह रहा था मुझसे? मेरा दिल कह रहा था कि मैं आपको अपनी दुल्हन बना लू.. औऱ जो सुख पापा आपको सालों से नहीं दे पाये वो सुख मैं आपको हर रात दू.. सुबह तो मैंने अपनी खुली आँखों से हमारे बच्चों तक के नाम सोच लिए थे.. लड़का हुआ तो निखिल लड़की हुई तो निकिता..

सुमन लंड को पूरी मेहनत औऱ काम कला के साथ चूस रही थी मगर गौतम कि बात सुनकर वो बोली..

सुमन मुंह से लोडा निकालकर - गौतम तूने अब एक औऱ शब्द अपने मुंह से निकाला तो अच्छा नहीं होगा.. मैं तेरी माँ हूँ और माँ ही रहूंगी.. मुझे अपनी दुल्हन बनाने का ख्याल अपने दिल औऱ दिमाग से निकाल दे..

गौतम - मैं आप से प्यार करता हूँ सुमन..

सुमन - जितना तू मुझसे करता है उससे कहीं ज्यादा प्यार मैं तुझसे करती हूँ बेटू..

गौतम - सुमन मैं आपको अपनी माँ नहीं अपनी दुल्हन की तरह प्यार करता हूँ..

सुमन - ये ज़िद छोड़ दे ग़ुगु.. ये मुमकिन नहीं है.. मैं तुझे कभी भी वो सब नहीं दे सकती..

ये कहकर सुमन गौतम के लंड को वापस मुंह में भर लेती है औऱ चूसने लगती है

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मगर अब गौतम सुमन के मुंह से अपना लंड निकाल लेता है औऱ अपनी पेंट पहनने लगता है लेकिन सुमन गौतम के हाथ पकड़ कर उसे पेंट पहनने से रोक देती है औऱ कहती है.

सुमन - गौतम ये ज़िद छोड़ दे.. मैंने तेरी हर बात मानी है मगर ये बात मैं नहीं मान सकती.. तू चाहता है मैं अपनी ही नज़रो में गिर जाऊ? कभी खुदसे आँख भी ना मिला पाउ? कैसी जिद पर तू अड़ गया है गौतम.. तू चाहता है तो मैं आज से तुझे तेरे नाम से बुलाऊंगी.. तेरे मुंह से माँ की जगह सुमन भी सुन लुंगी.. मगर ये ज़िद छोड़ दे मेरे शहजादे..

गौतम सुमन से अपने हाथ छुड़वाकर अपनी पेंट पहन लेता है औऱ छत की रेलिंग के पास जाकर सुमन से कहता है..

गौतम - आप नीचे जाओ माँ.. मुझे अब आपसे कुछ नहीं चाहिए.. शादी एन्जॉय करो..

सुमन अपने घुटनो पर से पैरो पर खड़ी हो जाती है औऱ गौतम के पास आकर अपने ब्लाउज में सिगरेट का पैकेट निकालकर एक सिगरेट गौतम के होंठों पर लगा देती है औऱ लाइटर से जलाते हुए कहती है..

सुमन - मुझे माफ़ कर दे गौतम मैं तेरी ये इच्छा पूरी नहीं कर सकती.. तू चाहे तो मुझे अभी नंगा कर दे मैं उफ़ तक नहीं करुगी मगर मेरे शहजादे अपनी माँ को इस तरह जलील मत कर..

गौतम सिगरेट का एक लम्बा कश लेकर अपनी माँ के मुंह पर धुआँ छोड़ते हुए - माफ़ तो आप मुझे कर दो माँ.. मैं हमारे रिस्ते को भूल गया था.. पर अब आप भरोसा रखो मैं आपसे इस बारे में कुछ नहीं कहने वाला...

सुमन मुस्कुराते हुए गौतम के लंड पर पेंट के ऊपर से हाथ रखते हुए - चल गौतम.. मैं अपने छोटे ग़ुगु को थोड़ा प्यार कर लेती हूँ.. नीचे ना सही ऊपर से तो मैं तेरी हर ख्वाहिश पूरी कर सकती हूँ..

गौतम सिगरेट का कश लेकर सुमन का हाथ लंड पर से हटाते हुए - रहने दो माँ.. छोटा ग़ुगु सो चूका है.. आप जाओ नीचे..

सुमन गौतम के हाथ से सिगरेट लेकर कश लेती है औऱ गौतम के लंड को इस बार जोर से हाथों में पकड़कर मसलते हुए गौतम से कहती है..

सुमन - छोटे ग़ुगु को नींद से जगाना औऱ खड़ा करना मुझे अच्छे से आता है.. तू फ़िक्र मतकर मैं छोटे ग़ुगु को खुश करने में ज्यादा वक़्त नहीं लगाउंगी..

सुमन कहते हुए अपने घुटनों पर बैठ जाती है गौतम की पेंट उतारने लगती है लेकिन गौतम सुमन के हाथों से अपनी पेंट छुड़वाते हुए उसे कहते हैं..

गौतम - मन नहीं माँ.. रहने दो..

सुमन गुस्से से - मैं अच्छी तरह जानती हूँ तेरा मन क्यों नहीं है? तू मुझसे नाराज़ है ना.. मैंने तेरी ज़िद पूरी नहीं की इसलिए? तूने अगर अपनी ज़िद नहीं छोडी तो मैं यही से नीचे कूद कर अपनी जान दे दूंगी..


ये कहते हुए सुमन छत की रेलिंग की तरफ बढ़ती है और उससे पार करने की कोशिश करने लगती है मगर पीछे से गौतम उसका हाथ पकड़ कर सुमन को अपनी तरफ खींच लेता है और एक जोरदार थप्पड़ सुमन के गाल पर मरता हुआ उसे अपनी बाहों में भर लेता है औऱ सुमन से कहता है..

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गौतम - अगली बार मरने की बात भी की, तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा समझी आप?

सुमन थप्पड़ खाकर भी मुस्कुरा पडती है औऱ गौतम के होंठों को चुमकर कहती है - अपनी माँ के गाल पर इतना जोर से थप्पड़ मारना जरुरी था?

गौतम अपनी माँ सुमन को बाहों में भरके छत पर बने फालतू सामान से भरे कमरे की तरफ उठाकर ले जाते हुए - अभी तो सिर्फ एक ही पड़ा है अगली बार ऐसा कुछ किया ना आपने तो बहुत पिटोगी आप..

इतना कहते हुए गौतम सुमन को कमरे में एक चारपाई पर बैठा देता है औऱ सुमन का पल्लू हटाकर उसकी ब्लाउज के सारे बटन खोलकर ब्रा ऊपर सरकातें हुए सुमन के कबूतर आजाद कर देता है औऱ फिर अपनी पेंट खोलकर लंड को लहराते हुए सुमन के मुंह में घुसा देता है औऱ सुमन भी मुस्कुराते हुए गौतम के लंड को बिना कंडोम लगाए चूसने लगती है औऱ लंड चूसते हुए गौतम को देखने लगती है..

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गौतम अपनी माँ के इस रूप से उत्तेजित औऱ कामुकता के शिखर पर जा चूका था उसे झड़ने में ज्यादा समय नहीं लगा औऱ उसने सारा वीर्य सुमन के मुंह में भरके उसे अपना वीर्यपान करवा दिया औऱ सुमन न चाहते हुए भी गौतम को खुश करने के लिए उसका वीर्य पी गई...

गौतम झड़ने के बाद सुमन के बगल में बैठ जाता औऱ औऱ गले में हाथ डाल कर सुमन की एक चूची पकड़कर मसलते हुए कहता है..

गौतम - काश आप मेरी माँ नहीं बीवी होती सुमन.. मैं आपको बिस्तर से उठने ही नहीं देता..

सुमन हसते हुए गौतम का लंड साफ करती हुई - ये नहीं होने वाला बच्चू.. तेरे नसीब मेरे ऊपर का छेद है नीचे का नहीं.. चल अब जाती हूँ..

वरना तू फिर से शुरू हो जाएगा..

सुमन जैसे ही उठने लगती है गौतम सुमन को अपनी गोद में बैठा लेता है औऱ कहता है - थोड़ी देर बैठो ना माँ मेरे साथ.. नीचे जाकर क्या करोगी.. कितनी भीड़ औऱ शोर है नीचे..

सुमन - शादी में भीड़ औऱ शोरगुल तो होता ही है.. जब तेरी शादी होगी तब भी इतना ही ऐसे ही भीड़ औऱ शोर होगा..

गौतम - नहीं होगा माँ.. मेरी शादी में सिर्फ दो लोग ही रहेंगे.. एक मैं औऱ दूसरी आप.. हमारी शादी ख़ास होगी..

सुमन - गौतम देख तू वापस वही बात मत शुरू कर देना.. मैं तुझे अपना फैसला बता चुकी हूँ..

गौतम - मैं तो मज़ाक़ कर रहा था मेरी प्यारी सी सेक्सी सुमन..

सुमन सिगरेट सुलगाते हुए - रूपा का फोन आया था कह रही थी तेरा फ़ोन बंद है..

गौतम - हाँ अब इतने चाहने वाले है मेरे.. किस किस से बात करता तो सोच कुछ बंद ही कर देता हूँ..

सुमन सिगरेट का कश लेकर सिगरेट गौतम को देती हुई - एक बार बात कर ले बेचारी बहुत परवाह करती है तेरी..

गौतम कश लेकर - पता है माँ.. वापस जाकर रूपा मम्मी के साथ ही रहेंगे हम दोनों..

सुमन - मम्मी? माँ सिर्फ मैं हूँ तेरी औऱ कोई नहीं.. समझा?

गौतम - आप माँ हो रूपा मम्मी औऱ माधुरी छोटी माँ.. मैंन छोटी माँ को सब बता दिया..

सुमन - फिर क्या कहा उसने?

गौतम - पहले तो कुछ नहीं बोली मगर फिर थोड़ा डांटने लगी औऱ बोली आपसे बात करनी है उसे..

सुमन - बात करवा ना फिर..

गौतम - वापस चलकर बात कर लेना माँ सीधा घर चले जाएंगे उनके..

सुमन - उनका घर कैसे हुआ? तेरे पापा ने लिया है घर.. हमारा भी हक़ है उसपर.. मैं तो जाकर उससे यही बात करुँगी औऱ तेरे पापा से भी यही बात कहूँगी..

गौतम - पर हम खुश है ना वहा भी..

सुमन - खुश? उस शुरू होते ही ख़त्म होने वाली जगह में रहकर खुश है तू? मैं खुश नहीं हूँ.. मेरा हक़ कोई औऱ चुड़ैल नहीं खा सकती..

गौतम सिगरेट सुमन को देते हुए - गुस्से में कितनी प्यारी लगती हो माँ..

सुमन कश लेकर - तेरा भी हक़ है उस घर पर.. हम वापस जाकर रूपा नहीं माधुरी के साथ रहेंगे.. देखती हूँ वो कैसे रोकती है हमें..

गौतम - वो क्यों रोकने लगी माँ.. वो तो शायद यही चाहती है औऱ इसीलिए आपसे बात भी करना चाहती है.. वैसे मेरे लिए भी अच्छा है.. आप तो अपनी चुत को छुपा के रखो.. छोटी माँ तो मुझे अच्छे से प्यार करेंगी उस घर में..

सुमन गुस्से में - चुत के चककर में अपनी माँ की सौतन से प्यार करेगा तू..

गौतम मुस्कुराते हुए - सौतन होगी आपकी मेरी तो छोटी माँ है.. कैसे भी चोदू बुरा नहीं मानती उल्टा बराबर का साथ देती है..

सुमन उदासी से - देख रही हूँ उस डायन ने मेरा पति तो छीन ही लिया है मेरा बेटा भी मुझसे छीन रही है..

गौतम सुमन की उंगलियों में सुलगती सिगरेट को अपनी उंगलियों में लेकर सुमन के होंठों पर सिगरेट लगाते हुए - ऐसा नहीं है मेरी सेक्सी सुमन.. आपसे मुझे कोई नहीं छीन सकता..

सुमन सिगरेट का कश लेकर गौतम को देखते हुए - भाभी का बहुत बुरा हाल किया है तूने.. बेटी की शादी में चलने ठीक से लायक नहीं छोड़ा..

गौतम - कुछ सीखो अपनी भाभी से माँ.. आप आगे के लिए मना कर रही हो मामी तो आगे पीछे दोनों तरफ ले गई थी मेरा..

सुमन चौंकते हुए - तूने भाभी की गांड..

गौतम हस्ते हुए - हाँ.. मारी है मैंने आपकी प्यारी भाभी की गांड..

सुमन - भाभी ने मना नहीं किया? बहुत दर्द हुआ होगा उनको तो..

गौतम - मना तो किया पर.. बदले में गांड मारना तो जायज था.. सुबह यहां आने के बाद भी एक बार औऱ मरवाई थी मामी ने..

सुमन - तभी ये हाल है भाभी का.. तुझे शर्म नहीं आई.. इतना सब करते हुए...

गौतम मुस्कुराते हुए - भाभी तो फिर भी चल पा रही है माँ..एक बार आप हाँ कर दो फिर देखना आपको तो चलने लायक भी नहीं छोडूंगा.. वैसे माँ मुझे तो इस शादी में कई चुत मिल जायेगी.. आप कहो तो आपकी इस चुत के लिए लोड़ो का बंदोबस्त करू?

सुमन हसते हुए - अपनी माँ का दल्ला बनेगा तू.. बेशर्म..

गौतम - जब आप मेरी ख़ुशी के लिए ये सब कर सकती हो तो में क्यों नहीं कर सकता.. मुझसे नहीं चुदना तो किसी औऱ से चुदलो.. मैं बुरा नहीं मानुगा..

सुमन जोर से हँस्ती हुई - अब नीचे जाने दे वरना तू मुझे सच में किसीसे चुदवा देगा..

गौतम सुमन के दोनों चुचे अपने हाथों में पकड़कर मसलते हुए - आपके जैसी खूबसूरत औरत बिना चुदे अपने दिन बिताये ये तो बहुत गलत बात है माँ..

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सुमन - कितना जोर से दबाता है तू गौतम मेरे बोबो को.. अब तो सारे ब्लाउज औऱ ब्रा भी टाइट हो गई है.. लगता है तूने दबा दबा के मेरे बोबो का साइज बढ़ा दिया है.. अब नए ब्रा औऱ ब्लाउज बनवाने पड़ेगे.. बाबाजी से तेरी शिकायत करनी पड़ेगी.. छोड़ अब..

ये कहकर सुमन नीचे चली जाती है औऱ गौतम छत पर ही ठहलने लगता है फिर कुछ देर बाद वो भी नीचे आ जाता है..

************

फ़ोन क्यों नहीं उठा रहे थे?
सो रहा था..
इतनी देर तक सो रहे थे? ऐसा क्या कर रहे थे रातभर?
अरे यार.. बताया था ना कल फंक्शन था यहां.. इतना शोर गुल था नींद ही नहीं आई.. सुबह 4 बजे सोया था..
तो बताना चाहिए था ना मुझे.. मैं अपनी बाहों में भरके सुला लेती तुम्हे..
ओह हो.. फिर अगर मैंने तेरे बदन को इधर उधर से पकड़कर छू लिया होता औऱ तेरे साथ जोर जबरदस्ती करने की कोशिश की होती, तब तू क्या करती?
तब मैं तुम्हे चुम लेती औऱ कहती कि अगर तुमने मेरे साथ जबरदस्ती नहीं की तो मैं तुम्हारे साथ जबरदस्ती कर लुंगी.. औऱ फिर तुम्हारी इज़्ज़त लुटकर अपनी हवस मिटा लेती..
अच्छा ज़ी.. 4 दिनों में ही इतनी मोहब्बत हो गई मुझसे?
एक बार मिलने तो आओ मुझसे तुम.. फिर बताउंगी ये कबाड़ी वाले की बेटी कितनी मोहब्बत करती है तुमसे..
2-3 दिन की औऱ बात है रेशमा.. फिर देखना तेरा ये आशिक कैसे तेरी चुत की खुजली मिटाता है..
मुझसे तो रहा ही नहीं जा रहा तेरे बिना मेरे कुत्ते.. मन कर रहा है इस फ़ोन में घुसके तेरे पास आ जाऊ औऱ तुझे अपने गले से लगा लू..
अच्छा ये चैटिंग छोड़ वीडियो कॉल कर ना रेशमा.. देखना है तुझे..
एक मिनट.. हाँ.. कॉल कर रही हूँ..
गौतम वीडियो कॉल उठाके - आज तो बहुत प्यारी लग रही हो..
रेशमा हस्ते हुए - कुछ पहन तो लो.. कैसे नंगे होके बैठे हो..
गौतम केमेरा में अपना रेशमा को लंड दिखाकर - देखो ना ये बेचारा तुमसे मिलने की आस में कैसे खड़ा है.. बोलता है जब तक तुझसे नहीं मिलेगा तब तक नहीं बैठेगा..
रेशमा अपनी कुर्ती उतारकर अपने चूचियाँ मसलते हुए - गौतम इससे कहो कि ये खड़ा हुआ ही अच्छा लगता है.. जब हमारी मुलाक़ात होगी तब अगर ये बैठ गया तो बहुत मार खायेगा मुझसे..
गौतम - रेशमा तुम तो कह रही थी असलम बात तक नहीं करता तुमसे फिर तुम्हारे चुचे इतने कैसे बड़े होते जा रहे है? कोई औऱ तो इनपर मेहनत नहीं कर रहा ना?
रेशमा - कमीने फ़ोन पर बड़े लग रहे होंगे तुझे.. तीन साल से ब्रा का साइज वही है..
गौतम - फ़िक्र मत कर मेरी फुलझड़ी.. बहुत जल्दी तेरी चूची औऱ चुत्तड़ का साइज बढ़ने वाला है..
रेशमा अपनी चुत में ऊँगली करती हुई - गौतम देखो ना.. कैसे ये कमीनी तुम्हे देखकर गीली हो गई है.. लगता है तुमसे दुरी इसे भी बर्दाश्त नहीं है..
गौतम - तो तुम ही क्यों नहीं आ जाती मुझसे मिलने यहां? परसो की शादी है.. औऱ कोनसा तू दूर रहती है.. दो घंटे का ही तो सफर है..
रेशमा - पर आउ किसके साथ? क्या कहूँगी असलम से?
गौतम - बोल देना तेरी सहेली की शादी है.. कार्ड मैं तुझे व्हाट्सप्प कर देता हूँ..
रेशमा - ठीक है मैं बात करके देखती हूँ असलम से.. वैसे उम्मीद तो बहुत कम वो मेरी बात मानेगा..
गौतम - वैसे रेशमा.. एक बात बताऊ.. मैंने आदिल के फ़ोन से तेरे नंबर नहीं लिए थे.. आदिल ने खुद मुझे तेरे नम्बर दिए थे..
रेशमा चुत में ऊँगली करती हुई - क्यों दिए थे उसने तुझे मेरे नंबर?
गौतम - ताकि मैं तेरी चुत की खुजली को मिटा सकूँ..
रेशमा झड़ने लगती है फिर संभलकर कहती है - तूने अब तक हमारे बीच जो हुआ वो आदिल को तो नहीं बताया ना..
गौतम - अभी तक हुआ ही क्या है हमारे बीच.. जो मैं किसी को बताऊंगा.. पहले कुछ हो तो जाए..
रेशमा मुस्कुराते हुए - होने के बाद भी अगर तुमने किसी से कुछ कहा तो बहुत मार खाओगे देखना..
गौतम - अच्छा अब रखता हूँ.. नहाना है मुझे..
रेशमा - आई लव यू मेरे कुत्ते..
गौतम - आई लव यू मेरी कुत्तिया.. फ़ोन कट हो जाता है..

गौतम नहाने लगता है और नहा कर जब बाहर आता है तो उसे अपने सामने खड़ी हुई आरती कप मैं चाय लिए दिखती है जो गौतम को सिर्फ टावल में देखकर अपनी आँखे सेकती हुई बार-बार गौतम को ऊपर से नीचे तक देख कर अपने होंठों पर जीभ फिराते हुए उसे आंखों से अश्लील इशारे कर रही थी जिसे गौतम अच्छे से समझ रहा था और आरती के मन की दशा भी उसे अब अच्छे से समझ आ रही थी...

गौतम में नाराज होने का नाटक करते हुए आरती से चाय का कप नहीं लिया और अपने गीले बाल सुखाने लगा.. आरती ने चाय का कप टेबल पर रखते हुए गौतम के हाथ से तोलिया ले लिया और उसे बेड पर बिठाते हुए अपने हाथ से उसके बाल सुखाने लगी.. गौतम को आरती से इस तरह की कोई उम्मीद नहीं थी मगर जिस तरह से आरती उसके सर के बाल जो गीले थे उन को तौलिये से सुखा रही थी.. गौतम जान रहा था कि आरती पूरी तरह से गौतम के ऊपर लट्टू है और गौतम से आकर्षित है.. आरती बहाने बहाने से गौतम के बदन को छू रही थी और गौतम आरती से बचते हुए ऐसा दिखा रहा था जैसे वह आरती से दूर जाना चाहता हो मगर आरती उसे अपने से दूर नहीं करना चाहती थी..

आरती - क्या बात है देवर ज़ी? गले औऱ सीने पर इतने निशान.. लगता है कई बिल्लीओ ने आपका ये हाल किया है..
गौतम आरती से तौलिया लेकर - रहने दो भाभी मैं सूखा लूंगा अपने बाल..
आरती - अरे अरे.. नहीं बताना तो मत बताओ.. देवर ज़ी.. पर ऐसे क्या करते हो.. अपनी भाभी को कम से कम इतना तो करने दो..
यह कहते हुए आरती गौतम के बेहद करीब आ जाती है और उसके होठों से अपने होंठ लगभग लगाते हुए उसके बाल साफ करने लगती है मगर गौतम अपना चेहरा मोड़ते हुए आरती से मुंह फेर लेता है औऱ आरती से कहता है.
गौतम - भईया याद कर रहे होंगे आपको भाभी.. अब रहने दो.. मैं कर लूंगा..
आरती उदासी से - तुम्हारे भईया ही तो याद नहीं करते मुझे.. देवर ज़ी.. वो तो बस दूकान ही सँभालते है मुझे सँभालने के लिए उनके पास ना तो वक़्त है ना उनमे इतनी ताकत..
गौतम बाल बनाते हुए - तभी मेरे पीछे पड़ी हो आप.. पर ये ख्याल छोड़ दो भाभी.. मैं नहीं पटने वाला..
आरती अपना पल्लू गिराकर गौतम के करीब आते हुए - अरे देवर ज़ी.. पटाना अभी शुरू ही कहा किया है मैंने आपको.. शादी का माहौल है.. सबकी इच्छा पूरी हो रही है.. मेरी मुराद भी पूरी हो जाए तो आपका क्या बिगड़ जाएगा.. इतनी बुरी भी नहीं है आपकी भाभी.. आपके गले औऱ सीने पर कुछ निशान छोड़ने का हक़ तो आपकी इस भाभी का भी है..

ये कहते हुए आरती ने गौतम की कमर पर बंधे हुए तोलिया को अपनी उंगली के दबाव से एकदम से झटके से खोल दिया और गौतम को इसका अंदाजा भी नहीं था. गौतम ने अभी तौलिये के नीचे अंडरवियर नहीं पहना था जिससे तोलिया हटाने पर वह पूरी तरह अपनी प्राकृतिक अवस्था में आ गया और आरती के सामने उसका विशालकाय हथियार लहराते हुए झूलने लगा.. गौतम का हथियार देखकर आरती के जैसे रोंगटे खड़े हो गए और वह कामुकता से भर्ती हुई सन रह गई उसने आज से पहले इस तरह की कोई चीज नहीं देखी थी आरती अश्लील फिल्में देखने की शौकीन थी और अक्सर वह फिल्मों में इस तरह के लंड देखती थी मगर आज उसने हकीकत में ऐसा कुछ देख लिया था और उसे देखकर उसकी आंखें खुली की खुली रह गई थी और वह हैरत से गौतम को देख रही थी.

गौतम का आरती से ऐसा कुछ करने की उम्मीद नहीं थी मगर आरती ने जब ऐसा कुछ कर दिया तो उसे समझ नहीं आया कि वह क्या करें वह पहले तो एक दो पल के लिए भूत बना हुआ खड़ा रहा मगर फिर अपने तोड़ने को फर्ष से उठाकर वापस अपनी कमर पर बांध लिया और आरती पर गुस्सा होते हुए चिल्लाते हुए कहा..
गौतम - भाभी पागल हो क्या? ये क्या हरकत है?
आरती तो जैसे अभी तक गौतम के हथियार में ही खोई हुई थी उसे तौलिये के ऊपर से भी गौतम के हथियार की हल्की झलक मिल रही थी जो अभी तक सोया हुआ था.. आरती के कानों में गौतम की आवाज पड़ी ही नहीं और वह बस गौतम के लंड पर अपनी नजर डालें खड़ी हुई सिर्फ गौतम के लंड की ओर देख रही थी, गौतम ने आरती को ऐसा करते हुए देखा तो फिर से चिल्लाकर उसका कंधा पकड़कर झकझोरते हुए कहा..
गौतम - भाभी... भाभी...
आरती - देवर ज़ी.. आपका इतना बड़ा..
गौतम शरमाते हुए - भाभी आप जाओ यहां से..
आरती वापस अपने हाथ से गोतम का तौलिया खींचने लगती है मगर इस बार गौतम आरती का हाथ पकड़ लेता है..
गोतम - भाभी पागल हो गई हो क्या आप.. क्या कर रही हो..
आरती उत्सुकता से - देवर ज़ी बस एक बार वापस देख लेने दीजिये.. मैं चली जाउंगी..
गौतम - दरवाजा खुला हुआ है भाभी, कोई देख लेगा आप जाओ यहाँ से..
आरती - कोई नहीं देखेगा ग़ुगु.. मैं दरवाजा बंद करके आती हूँ..

आरती दरवाजा बंद करने के लिए मुड़ जाती है और दरवाजा बंद करने लगती है आरती के दरवाजा बंद करते ही बाहर हाल में डीजे की आवाज बजनी शुरू हो जाती है जिसमें आज शादी का महिला संगीत था.. डीजे पर पहला गाना बजते ही होटल में चारों तरफ शोर गुल मच जाता है जिसमें हर किसी को एक दूसरे की आवाज सुनाई नहीं दे रही थी हर कोई एक दूसरे से जोर से कहकर बात कर रहा था और एक दूसरे को इशारों से अपनी बात समझ रहा था इसका फायदा उठाकर आरती ने दरवाजा बंद कर वापस गौतम के पास आ गई और उसका तोलिया खींचने की नीयत से अपना हाथ बढ़ा दिया..
गौतम हाथ पकड़ते हुए - भाभी क्या मज़ाक है.. जाओ आप यहां से..
आरती अपना हाथ छुड़ाकर अपनी साडी उतारते हुए - देवर ज़ी आज तो चाहे कयामत आ जाए.. मैं यहां से नहीं जाने वाली..
आरती जब अपनी साड़ी उतार रही होती है गौतम की नजर आरती के ब्लाउज में चली जाती है जहां दो मस्त-मस्त मौसम कड़क होकर सामने की तरफ तनी हुई थी और उनको देखने से लगता था कि उन पर अब तक किसी के हाथ नहीं पड़े हैं और ना ही आरती ने इन पर किसी और को हुकूमत करने का आदेश ही दिया था..
गौतम का सोया हुआ लैंड धीरे-धीरे उठने लगता है और वह आरती को अपने कपड़े उतारते हुए देखने लगता है आरती साड़ी के बाद अपना ब्लाउज और फिर पेटिकोट उतार कर ब्रा औऱ पेंटी में आ जाती है और फिर गौतम की ओर बढ़ने लगती है.. इस बार गौतम ने आरती से बिना किसी शर्म और लिहाज़ के मिलने का निश्चय कर लिया था और वह अपनी और आती हुई आरती को कामुक नजरों से देखने लगा था..

गौतम ने अपनी और आती हुई आरती को देखते हुए अपना तोलिया अपने हाथों से ही हटाकर साइड में रखे सोफे पर फेंक दिया और आरती की कमर में हाथ डालकर उसे अपने करीब खींचते हुए उठाकर एक साथ बिस्तर पर पटक दिया... वहां से गौतम आरती के ऊपर चढ़ा और उसे छूने लगा.. आरती भी गौतम के इस व्यवहार से हक्की बक्की रह गई और चौंकते हुए वह गौतम को चूमने लगी और उसकी आंखों में देखी हुई अपनी आंखों के इशारों से उसे पूछने लगी कि एकदम से उसे यह क्या हुआ है मगर गौतम ने उसकी आंखों के इशारे का कोई प्रति उत्तर नहीं दिया और चुपचाप आरती के होठों का स्वाद लेने लगा दोनों के होंठ आपस में इस तरह मिल रहे थे जैसे दो बिछड़े हुए दोस्त लिपटकर एक साथ मिल जाते हैं दोनों के बीच होठों की जंग जुबानी हो चुकी थी गौतम और आरती ने एक दूसरे की जीभ को अपने-अपने मुंह से निकाल कर एक दूसरे की जीभ से लड़ाना और मिलना चालू कर दिया था..

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आरती को जो सुख अपने पति चेतन से नहीं मिल पाया था वह गौतम से पा लेना चाहती थी और किसी नियत से गौतम को चूम रही थी..

चुंबन के दौरान गौतम ने आरती की ब्रा निकाल कर फेंक दी जिससे उसके नुकीले सूचक गौतम के सीने पर चुभने लगे और इसमें गौतम को एक अजीब और मीठा अहसास होने लगा, उसकी कामुकता और ऊपर उठने लगी और हवाओं में तैरने लगी..

गौतम चुम्बन तोड़कर आरती से कहा - भाभी एक बार फिर सोच लो.. कल दीदी की शादी है औऱ एक बार मेरे साथ ये सब करने के बाद आप कुछ दिन ठीक से चल भी नहीं पाओगी.
आरती - मुझे फर्क नहीं पड़ता देवर ज़ी.. आप बस मुझे ऐसा रगड़ के रख दो कि मैं तृप्त हो जाऊ..
गौतम - जैसा आप चाहो भाभी..
गौतम इतना कह कर आरती कि छाती की तरफ आ जाता है और उसकी छतिया पर खड़े हुए चूचक अपने मुंह में लेकर चूसने लगता है और अपने हाथों से उन्हें मसलने और दबाने लगता है जिससे आरती के मनोभावों में कामुकता कि हवा में घूमती महक की तरह उठकर फैलने लगती है और तैरने लगती है जिससे आसपास का वातावरण काममई हो जाता है..

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आरती गौतम का चेहरा पकडे हुए उसे अपनी छाती के उभार का मज़ा देने लगती है.. आरती के कड़क उठे हुए और तीर की तरह चुभने वाले चुचक गौतम अपने मुंह में लेकर इस तरह चूस रहा था जैसे वह बच्चे बचपन में अपनी माँ की चूची पकड़ के उनमे से दूध चूसते हैं...

आरती सीस्कारियां लेते हुए गौतम के चेहरे को पकड़े हुए उसके बालों में हाथ फिराती हुई उसे अपनी छाती का पूरा मजा दे रही थी और वह चाहती थी कि गौतम उसकी छाती से भरपूर मजे लेकर उसपर लट्टू हो जाए, उससे खेले जिससे उसकी ब्रा का साइज औऱ उसकी मादकता दोनों बढ़ जाए..

गौतम आरती के चुचे से खेलते हुए एक हाथ से उसकी पेंटिंग नीचे सरकार कर उतार देता है और फिर उसकी टांगों के बीच में आ जाता है और उसकी टांगें खोलकर उसकी जांघों की जोड़ पर अपना हाथ रखकर आरती की चुत को मसलने लगता है जिससे आरती अब खुलकर सिसकने औऱ आहे भरने लगती है..

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आरती की चुत से गौतम के हाथ लगाते ही पानी निकलने लगा था औऱ वो झड़ गई थी मगर फिर गौतम ने अपने लंड पर थूककर अपने लंड को आरती की चुत में घुसने के लिए सेट कर दिया औऱ धक्का देने लगा..

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आरती को चेतन ने सुहागरात से लेकर अब तक एक बार भी तृप्त नहीं किया था ना ही उसके साथ अच्छे से संभोग किया था जिससे आरती काम की अग्नि में जल रही थी और उसने शादी के इतने सालों तक अपनी चुत को घर में रखें गाजर मूली बैंगन यहां तक की बेलन से भी ठंडा किया था इसलिए उसकी चुत खुल तो चुकी थी मगर चुदी नहीं थी..

गौतम का लोहे की तरह मजबूत औऱ ठोस लंड अपनी पूरी औकात में खड़ा होकर आरती की चुत में घुसने लगा था औऱ आरती की सिस्कारिया अब उसकी चिंखो में बदलने लगी थी मगर यहां उसकी आवाज सुनने वाला कोई नहीं था.. ऊपर से उसकी आवाज नीचे बज रहे dj के शोर में इस तरह खो गई थी जैसे भुंसे के ढेर में सुई खो जाती है.

गौतम ने आरती पर रहम करते हुए अपना हथियार धीरे-धीरे उसकी गुफा में गुस्सा आया था मगर अब आधा हथियार अंदर जाने के बाद गौतम को आरती की शक्ल देखने में मजा आने लगा..
आरती की सूरत इस तरह की थी जैसे कोई बिन पानी मछली की होती है आरती की शक्ल देखते हुए गौतम को उसकी कही हुई हर बात याद आने लगी कि किस तरह से आरती कुछ दिनों से गौतम का दिल दुखाने की पूरी पूरी कोशिश कर रही थी हालांकि आरती उन बातों को मीन नहीं करती थी ना ही उसने वह बात जानबूझकर कही थी..

उसका मकसद सिर्फ गौतम का दिल दुखाना था जिसमें वह कामयाब भी नहीं हो पाई थी मगर गौतम को आप सब याद आ रहा था और वह आरती के चेहरे पर उभरते इस भाव को देखकर सुकून महसूस कर रहा था कि अब आरती का सारा घमंड और सारी अकड़ चकनाचूर हो चुकी है..
गौतम - क्या हुआ भाभी अभी तो आधा ही अंदर गया है औऱ आप तड़पने लगी..
आरती सिसकते हुए - देवर ज़ी मैं कोई रांड थोड़ी हूँ जो इतना बड़ा लोडा एक बार में ले जाउंगी..
गौतम - चिंता क्यों करती हो भाभी.. मैं हूँ ना आपका देवर.. आपको अपने लंड से चोदकर पक्का रांड बना दूंगा..
आरती - ग़ुगु धीरे धीरे करना.. अब दर्द भी होने लगा है..
गौतम - ऐसा लगता है तीन साल में चेतन भईया ने आपको हाथ तक नहीं लगाया.. बिलकुल नाजुक हो आप तो.. देखो सील टूट गई आपकी...
आरती - उसे तो सिर्फ खाना औऱ सोना है.. साला सो किलो का ढ़ोल है.. दूकान पर बैठने के अलावा कुछ नहीं आता..
गौतम - ये बात तो है भाभी.. चेतन आप जैसी हसीन नाजुक औऱ प्यारी लड़की के लायक़ नहीं है..
आरती धीरे धीरे अपनी गांड उठाकर चुदवाते हुए - तो देवर ज़ी.. आप क्यों नहीं बना लेटे मुझे अपना.. ले चलो अपनी भाभी को भगा के.. मैं मना थोड़ी करुँगी..
गौतम धीरे धीरे आधे लंड से चोदते हुए - रहने दो भाभी.. ये ऐश औऱ आराम छोड़कर जाना आपके बस की बात नहीं है..
आरती - ऐसा नहीं है देवर ज़ी.. मैं तो आपके साथ फुटपाथ पर भी रह लुंगी. बस आप अपने इस लंड से मेरी चुत की सर्विस टाइम से करते रहना..
गौतम एक जोरदार धक्का मारके आरती की चुत में अब पूरा लंड घुसा देता है औऱ आरती चिल्लाते हुए गौतम से लिपटकर सिसकियाँ लेने लगती है..

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गौतम - भाभी दर्द तो नहीं हुआ ना..
आरती - देवर ज़ी आपने तो आज असली में सील तोड़ दी..
गौतम मिशनरी पोज़ में आरती की चुदाई करता है और फिर आरती को अपने आगे घोड़ी बनाकर उसकी सवारी करने लगता है..

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आरती खुलकर गौतम के साथ अपनी हवस बुझा रही थी उसे अब किसी की फिक्र नहीं थी आरती खुल के गौतम को अपना चुकी थी और उसके साथ मजाक मस्तियां करते हुए कामसुख भोग रही थी..

गौतम ने घोड़ी के बाद आरती को अपनी गोद में उठा लिया औऱ उठा उठा के चोदने लगा..

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आरती ने गौतम का बराबर साथ दिया औऱ चुदाई लीला में गौतम को भी पूरा मज़ा मिलरहा था.. आरती बार बार गौतम के होंठों को चूमकर उससे अपने प्यार का इज़हार कर रही थी औऱ चुदाई के चरम पर पहुंचकर झड़ चुकी थी.. इस चुदाई में कई बार चुत से झड़ने के बाद आरती ने गौतम को अपनी चुत में घुसा कर लंड पर दबाब बनाते हुए गौतम को भी अपने अंदर अपना पानी निकालने पर मजबूर कर दिया औऱ दोनोंअपनी इस चुदाई के महासंगम के महामिलन से तृप्त होकर एक दूसरे की बाहों में लेट गए थे..
आरती - देवर ज़ी.. आप तो बहुत बुरे हो..
गौतम - क्यों भाभी.. मज़ा नहीं आया आपको?
आरती - प्यार से प्यार करने को कहा था मैंने औऱ आपने.. एक झटके में अपना ये अजगर मेरी बिल में घुसा दिया.. देखो कितनी फ़ैल गई है मेरी चुत..
गौतम - भाभी ऐसी फैली हुई चुत तो हमारे प्यार की निशानी है..
आरती मुस्कुराते हुए - बड़े आये प्यार की निशानी देने वाले.. मैं जानती हूँ तुमने मेरी बातों का बदला लिया है मुझसे..
गौतम - भाभी आपसे बदला? आप किस बात का बदला लूंगा मैं? मैं जानता था कि आप बस मेरा दिल दुखाने के लिए ही बोल रही थी जो आपने बोला.. मैं तो आपसे कभी नाराज़ था ही नहीं..
आरती मुस्कुराते हुए - अच्छा देवर ज़ी.. अब जाने दीजिये.. मौका मिलते ही वापस प्यार झरने आउंगी आपसे.
गौतम - जैसा आप चाहो भाभी.. आपका देवर हमेशा आपकी सेवा के लिए तरयार रहेगा...
आरती बेड से खड़े होते ही लड़खड़ा जाती है हसते हुए गौतम को देखती है..
गौतम सिगरेट सुलगाते हुए - मैंने तो पहले ही कहा था भाभी.. चुदने के बाद ठीक से चल भी नहीं पाओगी..
आरती लड़खड़ाकर दो कदम चलती है उसके मन में वापस चुदने की तलब थी मगर जुबान से इस बात को कहना आरती के बस में अब नहीं था वो कमरे के दरवाजे पर रूकते हुए मुस्कुराते हुए गौतम से कहती है - देवर ज़ी मुझे मेरे रूम तक छोड़ दोगे?
गौतम सिगरेट का एक कश लेकर आरती से कहता है - ये भी तो आपका रूम है भाभी यही आराम कर लो.. शाम तक तो वैसे भी कोई नहीं है पूछने वाला..
आरती लड़खड़ाती हुई वापस बेड के करीब आ जाती है जहाँ गौतम आरती का हाथ पकड़कर उसे अपने ऊपर खींच लेता है औऱ आरती गौतम के ऊँगली में सुलगती सिगरेट लेकर एक लम्बा सा कश भरती है औऱ फिर सिगरेट बुझाकार गौतम को फिर से चूमने लगता है..

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Zabardast update bro jab bhi maa bete ka sex seen ka update do to pura update dena
 

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Humko jante ho ya hum bhi de apna introduction
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Update 18


सुमन दोनों कार पार्क करके नीचे उतर जाते है जहा गेट पर ही उनको संजय की पत्नी कोमल खड़ी दिखाई दे जाती है जो किसी डिलेवरी बॉय से कुछ ले रही होती है सुमन कोमल के पास चली आती है औऱ गौतम गाडी में सामान उतारने लगता है.

कोमल (44) सुमन को देखते ही - अरे सुमन.. तुम अब आ रही हो.. अब भी आने की क्या जरुरत थी? सीधा शादी में ही आ जाती.. कितने फ़ोन करवाए तुम्हारे भईया से, मगर तुम तो जैसे यहां ना आने की कसम खाकर बैठी हो..
सुमन - नहीं भाभी.. घर में काम ही इतना रहता है की कहीं आने जाने की फुर्सत ही नहीं रहती..
कोमल - अरे उस छोटे से पुलिस क्वाटर में कितना काम होता होगा सुमन.. तुम तो बहाने बनाने लगी हो..
सुमन - भाभी ग़ुगु का कॉलेज भी तो था.. औऱ अभी तो एक हफ्ता बच्चा है ना ऋतू की शादी को.. सब काम आराम से हो जाएगा..
कोमल - ग़ुगु आया है तेरे साथ?
सुमन - हाँ वो सामान उतार रहा है..
गौतम हाथ मे अपना औऱ सुमन का बेग लेकर कोमल औऱ सुमन के पास आ जाता है जहा कोमल देखते ही गौतम को अपनी छाती से लगा लेती है औऱ कहती है..
कोमल - ग़ुगु.. कितना बड़ा हो गया है तू.. कब से नहीं देखा तुझे.. बिलकुल चाँद सी शकल हो गई है तेरी.. सुमन क्या खिलाती हो इसे..
गौतम चुपचाप खड़ा रहता है औऱ कुछ देर बाद बोलता है..
गौतम - बॉक्स में क्या है?
कोमल - ये? ये तो मैंने शूज मांगवाए है जॉगिंग के लिए.. वो पुराने वाले एक महीने पुराने हो गए थे ना इसलिए.. (सुमन को देखकर) सिर्फ 15 हज़ार के है..
सुमन - भाभी माँ कहा है..
कोमल - अरे मैं भी ना.. आओ अंदर आओ.. ग़ुगु बेग यही रख दो.. नौकर ले आएगा.. (नौकर को आवाज लगाकर) अब्दुल.. सामान ऊपर पीछे वाले रूम रख दे.. आओ सुमन..
सुमन औऱ गौतम गायत्री से मिलते है औऱ फिर सुमन बाकी लोगों से मिलने लगती है लेकिन गौतम नौकर से कमरा पूछकर कमरे में आ जाता है..
गौतम - दूसरा बेग कहा है?
अब्दुल - भईया वो मैडम के कहने पर बगल वाले रूम में रख दिया है..
गौतम - ठीक है..
अब्दुल - कुछ लाना है?
गौतम - नहीं तुम जाओ..
गौतम रूम देखकर मन में - बहनचोद मामा ने घर नहीं महल बनवाया है.. बिस्तर तो साला ऐसा है दसवी मंज़िल से भी गिरो तो बचा लेगा..

गौतम ये सब सोच ही रहा था कि पीछे से गौतम को गौतम के मामा संजय औऱ मामी कोमल की बेटी ऋतू (24) ने ग़ुगु को आवाज दी..
ऋतू - ग़ुगु..
गौतम ने पीछे मुड़कर ऋतू को देखा औऱ चुपचाप खड़ा रहा.. उसने ऋतू से हेलो हाय करने की कोई कोशिश नहीं की, ऋतू ने कुछ देर ठहर कर आगे बात शुरू की..
ऋतू - अब तक नाराज़ है?
गौतम - मैं क्यों नाराज़ होने लगा?
ऋतू - तो फिर मुझे देखकर इतना रुखा रिएक्शन क्यों दिया? ना हाथ मिलाया ना गले लगा..
गौतम - मेरे जैसे चोर के गले लगने या हाथ मिलाने का शोक आपको कबसे होने लगा?
ऋतू - तू अब भी नाराज़ है ना.. 6 साल हो गए.. अब तक उस बात को नहीं भुला.. मुझसे गलती हो गई थी ग़ुगु.. मुझे तेरा झूठा चोरी ना नाम नहीं लगाना चाहिए था.. माफ़ नहीं करेगा..
गौतम - मैं कौन होता हूँ माफ़ करने वाला आपको.. वैसे बहुत बड़ा घर बनवाया है आप लोगों ने.. इसके एक कमरे की जगह में तो हमारा आधे से ज्यादा घर आ जाएगा..
ऋतू - मैं भाभी के साथ बाहर जा रही हूँ तू चल मेरे साथ.. तूझे शहर घूमाती हूँ..
गौतम - मुझे कहीं नहीं जाना..
ऋतू के पीछे उसकी भाभी औऱ संजय कोमल के बेटे चेतन की बीवी आरती (26) कमरे के अंदर आती हुई - ऋतू चल ना आने में देर हो जायेगी.. तुझे वैसे भी शॉपिंग में बहुत समय लगता है.. (गौतम को देखते हुए) ये सुमन बुआ का बेटा गौतम है ना..
ऋतू उदासी से - हम्म..
आरती गौतम के नजदीक आते हुए - हाय.. कितना सुन्दर चेहरा है.. पहली बार देख रही हूँ.. मेरी औऱ चेतन की शादी में क्यों नहीं आये तुम?
गौतम - मन नहीं था आने का..
आरती - इतने रूखेपन से क्यों बात कर रहे हो.. मैं कोई पराइ तो नहीं हूँ..
ऋतू - भाभी छोडो ना.. ग़ुगु सफर से आया है, थक गया होगा..
आरती - ठीक है.. ग़ुगु तू भी चल.. शादी की शॉपिंग करनी है.. तुझे जो खरीदना हो मैं दिलवा दूंगी..
गौतम - मेरे पास मेरी जरुरत का हर सामान है.. मुझपर अहसान करने की जरुरत नहीं..
आरती को गौतम का बर्ताव समझ नहीं आता कि क्यों गौतम उससे इस तरह रूखेपन औऱ परायेपन से बात कर रहा है मगर ऋतू को सब पता औऱ वो चाहती थी कि आरती गौतम से ज्यादा बात ना करें औऱ वहा से चली जाए..
ऋतू - भाभी चलो ना.. फिर आप ही बोलोगी कितनी देर लगा दी...
आरती का खिला हुआ चेहरा गौतम से बात करके थोड़ा उतर चूका था.. उसे लगा था वो गौतम के साथ हंसी मज़ाक़ औऱ हंसी ठिठोली कर सकती है औऱ देवर भाभी वाला एक मजबूत रिश्ता कायम कर सकती है मगर गौतम ने उसे अपनी दो चार बातों से ही इतनी दूर कर दिया था कि आरती वापस गौतम से बात करने में हिचक महसूस हो रही थी.. आरती ऋतू के कहने पर गौतम को अकेला छोड़कर ऋतू के साथ कमरे से बाहर आ गई औऱ अपनी सास कोमल औऱ सुमन के साथ ऋतू को शॉपिंग करवाने कार लेकर निकल पड़ी..

गौतम थोड़ी देर आराम करने के बाद अपने कमरे से निकल कर नीचे आ गया औऱ अपनी नानी गायत्री के कमरे में आ गया जहा गायत्री टीवी पर किसी सीरियल को देखते हुए उसमें ध्यान लगाए बैठी थी..
गौतम अपनी नानी के करीब आकर उसकी गोद में अपना सर रखकर लेट गया जिससे गायत्री का ध्यान टीवी से टूट गया औऱ वो गौतम के सर को सहलाती हुई गौतम को लाड प्यार करने लगी..
गायत्री - कम से कम अपनी नानी से तो मिलने आ सकता था ना ग़ुगु..
गौतम - आ गया ना नानी...
गायत्री - हाँ पुरे छः साल बाद.. एक दो साल औऱ देर करता तो नानी भगवान को प्यारी हो जाती..
गौतम - कैसी बातें कर रही हो नानी.. आप तो अभी भी जवान हो.. अभी से कहा भगवान् को याद कर रही हो..
गायत्री हसते हुए - 62 बरस की हो गई बेटा..
गौतम प्यार से गायत्री के गाल चूमकर - नानी दिखने में तो आज भी आप 22 साल से एक साल ज्यादा की नहीं लगती.. ऐसे लगता है मामी आपकी बहु नहीं सास है औऱ आप मामी की सास नहीं बहु हो..
गायत्री हस्ते हुए - तू इतनी बातें करना कब से सिख गया ग़ुगु? पहले तो बहुत चुपचाप औऱ अपने आप में रहता था अब देखो.. लग ही नहीं रहा तू मेरा पहले वाला ग़ुगु है..
गौतम - समय के साथ तो सबको बदलना पड़ता है ना नानी.. वैसे आप चाहो तो मैं फिर से वही आपका ग़ुगु बन सकता हूँ..
गायत्री - कोई जरुरत नहीं है बेटा.. सच कहु तो तू ऐसे ही हँसता खेलता ज्यादा अच्छा लगता है..
गौतम - नानी आप नहीं गई शॉपिंग पर?
गायत्री - तू तो जानता है तेरी मामी को, उसके साथ शॉपिंग पर जाने का मेरा बिलकुल मन नहीं था..
गौतम - क्यों?
गायत्री - तू तो जानता है उसका स्वाभाव केसा है.. अपनी अमीरी झाड़ने का कोई मौका नहीं छोड़ती.. ऐसा लगता है हर चीज की कीमत बताने की नौकरी करती हो..
गौतम - तो क्या हुआ? उनके पास पैसे है तो वो अपने पैसो का रोब झाड़ती है.. आप भी ये सब कर सकती हो..
गायत्री - मुझे तो इन सब दिखावे औऱ ढकोसले से दूर रहने दे बेटा.. मैं तो जैसी हूँ ठीक हूँ.. मुझे तो सुमन के लिए बुरा लगता है कोमल कहीं अपनी अमीरी दिखाने के चक्कर उसका दिल ना दुखा दे.. चल छोड़ इन बातों को ये बता.. इतना खूबसूरत औऱ जवाँ हो गया है तू.. कितनी गर्लफ्रेंड बनाई तूने?
गौतम - क्या फ़ायदा नानी इस शकल.. एक भी नहीं बनी..
गायत्री - हट झूठा... सच सच बता किसी को नहीं बताऊंगी..
गौतम - सच में नानी.. मुझे कोई लड़की पटती ही नहीं है.. पता नहीं क्या कमी है मुझमे..
गायत्री - कमी.. कमी तो है ही नहीं मेरे ग़ुगु में.. सब खूबी ही खूबी है.. तू बोल मैं बनवा देती हूँ तेरी गर्लफ्रेंड..
गौतम गायत्री के गले में हाथ डालकर - नानी आप ही बन जाओ ना मेरी गर्लफ्रेंड..
गायत्री प्यार से गौतम के गाल चूमकर - तू तो बहुत चालक हो गया है.. मुझे ही फंसाने के चक्कर में है..
गौतम गायत्री के गले में हाथ डालकर - नानी अब आप हो ही इतनी ब्यूटीफुल.. मैं क्या करू?
गायत्री हसते हुए गौतम का हाथ पकड़ कर चूमते हुए - लगता है अभी से लड़की ढूंढ़नी पड़ेगी तेरे लिए..
गौतम गायत्री को अपनी तरफ खींचकर गले लगाते हुए - ढूंढने की क्या जरुरत है नानी.. आप हो ना..
औऱ फिर से गायत्री के गाल पर चुम्बन कर देता है..

गायत्री को विधवा हुए 15 साल से ऊपर का समय बीत चूका था औऱ उसके बाद से उसे कभी किसी पुरुष का स्पर्श नहीं मिला था आज गौतम ने जैसे गायत्री से बात की थी औऱ उसे छुआ था उससे गायत्री
के मन में हलचल होने लगी थी औऱ उसके अंदर सालों से छुपी हुई औरत का वापस उदय होने लगा था गायत्री के साथ जिस तरह से मीठी बातें गौतम कर रहा था उससे गायत्री को अजीब सुख मिलने लगा था औऱ वो चाहने लगी थी गौतम उससे इसी तरह औऱ बातें करें..
गायत्री प्यार से - चल पीछे हट.. बदमाश कहीं का.. कुछ भी बोलता है.. बहुत बेशर्म हो गया है तू..
गौतम गायत्री को अपनी बाहों में औऱ कस लेता है - मैं तो आगे बढ़ना चाहता हूँ नानी, आप तो पीछे हटाने लगी..
गायत्री हसते हुए - न जाने तुझे मुझ बुढ़िया मैं क्या नज़र आ गया.. चल अब छोड़ मुझे कोई देख लेगा तो बात बनायेगा..
गौतम गायत्री को बिस्तर पर धकेल देता है औऱ उसके साथ खुद भी गिर जाता है औऱ कहता है - सब तो शॉपिंग गए है नानी.. हम कुछ भी करें.. हमें देखने वाला यहाँ बचा ही कौन है?
गायत्री - छी.. कैसी गन्दी बात कर रहा है तू.. छोड़ मुझे..
गौतम ने आगे कुछ भी ना बोलकर गायत्री के होंठों को अपने होंठों में भर लिया औऱ चूमने लगा.. गायत्री हैरान होकर बेसुध लेटी रही औऱ गौतम गायत्री को चूमता रहा साथ ही उसने अपना रखा हाथ गायत्री के साडी के अंदर डाल कर उसकी चुत को अपने हाथों के पंजे से पकड़ लिया औऱ मसलते हुए गायत्री की चुत में उंगलियां करने लगा जिससे गायत्री की काम इच्छा सुलग उठी.. औऱ वो भी धीरे धीरे गौतम के चुम्बन का प्रतिउतर चूमकर देने लगी..

गौतम ने पहले ही अपनी कलाई का धागा लाल होते देखकर गायत्री को अपने जाल में ले लिया था औऱ उसे भोगने की नियत से अपने आप को गायत्री के अनुरूप ढालते हुए उसके बदन को छेड़ने औऱ उससे खेलने लगा..
गायत्री की 62 साल पुरानी चुत गौतम के हाथ लगने पर 62 सेकंड में ही सुलगने लगी औऱ उसमे भारी गर्मी गौतम को अपने हाथ पर महसूस होने लगी.. गौतम ने कुछ मिनट में ही गायत्री चुत से नदी बहा दी जिससे गायत्री गौतम से लिपटकर गौतम को चूमने औऱ चाटने लगी उसे मालूम नहीं रहा की वो अपनी बेटी के बेटे के साथ ऐसा कर रही थी..
गौतम ने गायत्री के हाथ में अपना लंड रख दिया औऱ अपने हाथ से गायत्री का हाथ पकड़कर गायत्री के हाथ से अपना लंड हिलवाने लगा.. गायत्री के हाथ में जैसे ही गौतम का लंड आया वो चूमना छोड़कर एक नज़र गौतम के लंड पर डालकर उसे देखने लगी लेकिन अगले ही पल गौतम ने गायत्री के बाल पकड़ कर वापस अपने होंठों से उसे लगा लिया.. गायत्री को चूमकर उसने गायत्री को बेड पर बैठा दिया औऱ खुद फर्श पर खड़ा हो गया..
गायत्री कुछ समझ पाती इससे पहले ही गौतम ने उसके पककर सफ़ेद हो चुके बाल पकड़ कर उसके मुंह में अपने लंड का प्रवेश करवा दिया औऱ अपनी नानी गायत्री को अपना लोडा चूसाने लगा..

गायत्री के मन में उथल पुथल मची हुई थी औऱ उसके चेहरे पर रोमांच, डर, कामुकता, बेबसी, बेसब्री औऱ रिश्तो के मेले होने का दुख एक साथ झलक रहा था..
गायत्री ने गौतम के लंड को मुंह से नहीं निकाला औऱ धीरे धोरे चूसने लगी. गौतम ने भी कोई जल्दी नहीं की औऱ गायत्री को आराम आराम से लोडा चूसाने का सुख भोगने लगा..
गायत्री औऱ गौतम के बीच ये सब चल ही रहा था की उन दोनों को ऊपर से किसी के नीचे आने की आहट सुनाई दी.. औऱ गायत्री ने फ़ौरन गौतम का लंड अपने मुंह से बाहर निकाल दिया औऱ अपनेआप को ठीक करने लगी गौतम ने भी परिस्थिति समझते हुए अपना लंड पेंट में डाल लिया औऱ कमरे से बाहर आ गया जहा उसे घर का नोकर अब्दुल दिखाई दिया जो सीधा गायत्री के कमरे की तरफ चला गया औऱ उससे बोला..
अब्दुल - चाय बना दू बड़ी मालकिन...
गायत्री - नहीं.. तू रहने.. आज मैं खुद चाय बना लुंगी..
गायत्री ये कहते हुए बेड से उठ जाती है औऱ रसोई की तरफ चली जाती है..

गायत्री की मनोदशा को बयाँ करना मुश्किल था उसे अभी अभी जो सुख गौतम ने दिया था गायत्री उसे वो भूल ही चुकी थी.. सालों से बंजर होकर पड़ी जमीन पर अकाल के बाद जैसे बारिश के पानी से पौधे खिल उठते है उसी तरह सालों से गायत्री की वीरान औऱ अकेली जिंदगी में भी आज गौतम के कारण मादकता औऱ कामुकता ने अपने बीज को बोकर पौधे में बदल दिया था..
गायत्री का एक मन उसे कोस रहा था औऱ ये समझा रहा था की वो अपने नाती के साथ कैसे इस तरह की जलील हरकत कर सकती है औऱ उसके साथ जिस्मानी सम्भन्ध बनाने का प्रयास कर सकती है.. गायत्री चाय बनाते हुए अपनेआप को बुरा भला कहे जा रही थी.. मगर गायत्री का दूसरा मन चोरी छिपे गायत्री को बहका रहा था औऱ अब्दुल को गालिया देते हुए कोस रहा था कि क्यों वो बीच में आ गया.. क्या उसे आने में देर नहीं हो सकती थी? गायत्री की काम इच्छा ने तो उसके मन में दूसरा जन्म ले लिया था औऱ उसके दिमाग में चल रही बातों ने पहले मन को हरा दिया था.. गायत्री अब गौतम के करीब जाना चाहती थी औऱ सालों से सुखी पड़ी जिंदगी को थोड़ा काम के रस से गिला कर लेना चाहती थी..

गायत्री की चाय उसकी बची हुई जवानी के साथ उबाल मार चुकी थी औऱ उसने फैसला कर लिया था.. गायत्री ने चाई एक कप में छन्नी की औऱ कप लेकर गौतम के कमरे की तरह आने लगी..
दरवाजे पर पहुंचकर एक बार गायत्री रुकी जैसे कुछ सोच रही हो फिर गायत्री आगे बढकर दरवाजे के अंदर आ गई जहा गौतम बेड पर ऐसे बैठा हुए था जैसे गायत्री का ही इंतजार कर रहा हो.. आगे कुछ पहल करने की हिम्मत गायत्री में नहीं थी इसलिए उसने चाय को बेड की साइड टेबल पर रख दिया औऱ एक नज़र गौतम से मिलाकर वापस नज़र चुराते हुए उसे चाय पिने का बोलकर वापस जाने लगी..
गायत्री ने मुश्किल से दो कदम बढ़ाये होंगे की गौतम ने बेड से उठकर गायत्री की तरफ बढ़ते हुए अपना सीधा हाथ गायत्री की कमर में डालकर उसे अपने गले से लगा लिया औऱ दूसरे हाथ से दरवाजे को कुंदी मारकर गायत्री के साथ बिस्तर में कूद गया औऱ फिर से गायत्री औऱ गौतम का चुम्बन शुरू हो गया..

इस बार गायत्री अपने पुरे मन के साथ गौतम को ऐसे चुम रही थी जैसे गौतम उसका नाती नहीं पति हो..
गौतम ने थोड़ी देर चूमने के बाद वापस गायत्री की ड्यूटी अपने लंड पर लगा दी औऱ उसे बिस्तर पर झुकाते हुए अपना लंड चूसाने लगा..
गौतम - आहहह... नानी.. दाँत मत लगाओ यार.. आहहह... बहनचोद क्या मस्त मज़े देती हो नानी अभी भी.. (गायत्री के चुचे दबाते हुए) उफ्फ्फ नानी कितनी बड़ी औऱ मस्त है आपकी चूचियाँ.. ढीली पड़ने के बाद भी कहर ढा रही है..
गायत्री गौतम की बातें सुनती हुई उसके लोडा चूसे जा रही थी औऱ गौतम की वासना अपने चरम पर आने लगी थी वो लोडा चुस्ती गायत्री को देखकर बहकने लग गया था औऱ जल्दी ही झड़ने की कगार पर भी आ पंहुचा था..
गौतम - नानी.. आने वाला है चुसो जोर से थोड़ा.. आहहह... ऐसे ही नानी... हाय... आहहह...
गौतम गायत्री के मुंह में झड़ जाता है औऱ गायत्री बिना संकोच किये उसका वीर्यपान कर लेती है फिर गौतम का लंड साफ करके जाने लगती है मगर गौतम गायत्री को वापस बिस्तर पर गिरा देता है औऱ गायत्री की चुत के दर्शन करने के इरादे से उसकी साडी पकड़ के ऊपर कमर तक उठा देता है.. वो देखता है की गायत्री ने चड्डी नहीं पहनी थी.. औऱ उसके बालों से भरी चुत साफ सामने थी जो अब हलकी काली पड़ गई थी.. गौतम ने बिना किसी झिझक के गायत्री की चुत को अपने मुंह में भर लिया औऱ चूसने औऱ चाटने लगा.. जिस तरह से गौतम गायत्री की चाट रह था गायत्री को परम सुख की प्राप्ति होने लगी थी..
गायत्री गौतम के बाल पकड़ के जोर जोर उसे अपनी चुत चटवा रही थी औऱ अब उसने भी शर्म की चादर हटाते हुए बात करना शुरू कर दिया था..
गायत्री - चाट ग़ुगु.. जोर से चाट अपनी नानी की चुत को.. 16 साल हो गए किसी ने मेरी इस चुत की चिंता नहीं की.. तू ही पहला है ग़ुगु.. चाट बेटा.. आहहह... उम्म्म्म.. अह्ह्ह्ह..
गौतम गायत्री की बात सुनकर मन ही मन मुस्काता हुआ उसकी चुत को अपने मुंह से ठंडी करने लगा.. गायत्री तो जैसे हक़ीक़त औऱ ख़्वाब के बीच कहीं आँख बंद किये प्रकृति से मिले इस अदभुद सुख को भोग रही थी..
गौतम ने गायत्री की गांड में उंगलि करते हुए चुत को चाटना जारी रखा औऱ अपनी जीभ उसकी चुत में डाल उसे चाटने लगा.. गौतम चाहता था की वो गायत्री को शर्म लिहाज़ औऱ रिश्तो के बंधन से बाहर ले आये जिसमे वो सफल भी हो चूका था..

गायत्री अब वापस झड़ने वाली थी औऱ इस बार उसने बिना किसी झिझक के गौतम के मुंह में अपना पानी निकाल दिया औऱ उसके बालों को जोर से खींच कर गौतम को अपने ऊपर लेटा लिया औऱ फिर से गौतम औऱ गायत्री चुम्बन के मीठे अहसास को महसूस करने लगे..
कुछ देर बाद गौतम चुम्बन तोड़कर गायत्री से - मज़ा आया नानी..
गायत्री - तू तो जादूगर है ग़ुगु.. मैंने आज तक ऐसा कुछ महसूस नहीं किया..
गौतम अपना लंड गायत्री की चुत पर रगढ़ते हुए - असली मज़ाक़ तो आपको चुदाई में आएगा नानी.. आप बोलो तो डाल दू अंदर..
गायत्री - नहीं नहीं ग़ुगु.. तेरा बहुत बड़ा है औऱ मेरी चुत बहुत छोटी.. मैं झेल नहीं पाउंगी बेटा..
गौतम - मैं धीरे धीरे डालूंगा नानी.. सब आपकी मर्ज़ी से होगा.. आपको पसंद नहीं आये तो मैं कुछ नहीं करूँगा..
गायत्री - ठीक है बेटा.. पर बहुत ध्यान से मेरी चुत बिलकुल सिकुड़ चुकी है..
गौतम - ठीक है नानी..

गौतम अपने लंड पर थोड़ा सा थूक लगाकर गायत्री की चुत में उठेल देता है औऱ हल्का सा दबाब बनाता जिससे उसके लंड का टोपा गायत्री की चुत में घुस जाता है औऱ गायत्री की चिंख निकल जाती है औऱ वो जल बिन मछली जैसे तड़पने लगती है.. गौतम लंड का टोपा वापस बाहर निकाल लेता है औऱ गायत्री से कहता है..
गौतम - नानी सॉरी.. आप ठीक हो ना..
गायत्री - हाय मेरी माँ.. ग़ुगु मैं नहीं झेल पाउंगी बेटा.. माफ़ कर मुझे..
गौतम - कोई बात नहीं नानी.. मेरी गलती है आपके साथ ज़िद कर बैठा..
गायत्री उठकर अपने कपडे सही करते हुए - चाय ठंडी हो गई ग़ुगु.. मैं अभी दूसरी बना लाती हूँ..
गौतम पूरी बेशर्मी से गायत्री को देखकर अपना नंगा लोडा मसलते हुए - रहने दो नानी.. वैसे भी मेरा चाय पिने का नहीं सुट्टा फुकने का है..
गायत्री मुस्कुराते हुए गौतम को देखकर - तेरा मन नहीं भरा ना बेशर्म..
गौतम बेड से उठकर अपने सामान से भरे बेग की तरफ जाता है औऱ उसमे से सिगरेट का पैकेट औऱ लाइटर निकालकर एक सिगरेट जलाते हुए गायत्री से कहता है..
गौतम - मेरा मन तो तभी भरेगा नानी जब मेरे इस लंड से आपकी चुत पिटेगी..
गायत्री मुस्कुराते हुए गौतम के नज़दीक आकर - ग़ुगु मैं अगर तेरी ये इच्छा पूरी कर पाती तो मुझे बहुत ख़ुशी होती.. पर तू समझ ना..
गौतम सिगरेट का कश लेकर धुआँ गायत्री के मुंह पर छोड़ते हुए - आज नहीं तो कल मेरी इच्छा पूरी जरूर हो जायगी नानी.. आप उदास मत हो.. बस अब आप चुत में गाजर मूली डालना शुरू कर दो.. थोड़ा बड़ा हो जाएगा आपका छेद तो मेरे लंड को घुसने में आसानी होगी..
ये कहते हुए गौतम गायत्री के कंधे पर हाथ रखकर उसे नीचे बैठा लेता है औऱ उसके मुंह में अपना लंड वापस डाल देता है औऱ गायत्री के बाल पकड़ कर सिगरेट के कश लेटे हुए उसे लोडा फिर से चूसाने लगता है..
गौतम अपनी नानी गायत्री को अपने सामने घुटनो पर बैठाकर सिगरेट के कश मारते हुए अपना लंड चुसवा ही रहा था की उसका फ़ोन बजने लगा..
गौतम फ़ोन उठाकर - हेलो माँ...
सुमन - क्या कर रहा है ग़ुगु..
गौतम - कुछ नहीं माँ नानी के साथ थोड़ी सी मस्ती कर रहा था..
सुमन - अपनी नानी को परेशान तो नहीं कर रहा ना ग़ुगु तू?
गौतम - परेशान क्यों करूँगा माँ.. नानी तो अपने आप से ही मेरी हर बात मान लेती है..
सुमन - क्या कर रही है नानी..
गौतम - कुल्फी चूस रही है माँ...
सुमन - कुल्फी?
गौतम - हाँ माँ.. बाहर कुल्फी वाला आया था तो मैंने लेकर नानी को दे दी वो मेरे सामने चूस रही है बैठके...
सुमन - बेटा नानी को ज्यादा कुल्फी मत चूसाना वरना उनको ठंड लग जायेगी..
गौतम - उसकी चिंता आप मत करो ना.. मैं हूँ ना..
सुमन - अच्छा तुझे पिंक ज्यादा पसंद है या येल्लो?
गौतम - पहले बताओ क्यों पूछ रही हो? कुछ खरीद रही हो ना मेरे लिए?
सुमन - क्यों शादी में मेरा ग़ुगु जीन्स शर्ट ही पहनेगा क्या? एक सूट पसंद आया है.. जल्दी से कलर बता कोनसा लूँ?
गौतम सिगरेट का कश लेकर गायत्री के मुंह में लोडा आगे पीछे करते हुए - रहने दो माँ क्यों किसी औऱ का अहसान ले रही हो..
सुमन - अरे अहसान की क्या बात है इसमें? मैं अपने पैसो से ले रही हूँ.. तू बस कलर बता औऱ ज्यादा बात मत कर..
गौतम - ब्लैक.. पर साइज कैसे पता चलेगा आपको, सही है या नहीं?
सुमन - रोज़ अपनी छाती से लगा के सोती हूँ तुझे.. तेरी ऊपर से नीचे तक की नाप मुझे मुंह जबानी याद है..
गौतम सिगरेट का आखिरी कश लेकर - अपने लिए क्या ले रही हो?
सुमन - मेरे लिए क्या? मेरे पास तो पहले से इतना कुछ है..
गौतम - अगर अपने लिए कुछ नहीं ले रही हो तो मेरे लिए भी मत लेना.. मैं नहीं पहनूंगा समझी?
सुमन - अच्छा ठीक है मेरे शहजादे.. ले लुंगी अपने लिए भी कुछ..
गौतम - कुछ नहीं.. कुछ अच्छा लेना.. वरना मुझे जानती हो आप..
सुमन हस्ते हुए - अच्छा मेरे छोटे से ग़ुगु ज़ी.. ले लुंगी कुछ अच्छा सा.. तेरे लिए भी औऱ मेरे लिए भी..
गौतम - ठीक है आई लव यू माँ..
सुमन - लव यू मेरा बच्चा..

फ़ोन कट हो जाता है औऱ फिर गौतम दोनों हाथों से गायत्री के सफ़ेद बाल पकड़ कर उसके मुंह में लोडा जोर जोर से आगे पीछे करने लगता है जिससे थोड़ी देर बाद गायत्री के मुंह में गौतम झड़कर हल्का हो जाता है औऱ इस बार भी गायत्री बिना झिझक सारा वीर्य पी कर खड़ी हो जाती है..
गौतम - मज़ा आ गया नानी.. मुंह के साथ अलगी बात चुत भी चाहिए आपकी..




Oooh bhai kya hi jabardast update 🔥 👍🏻
Gautam ne aate hi apni Nani ke 16 saal se banjar pade khet ko jot ker usme jhada gaadi diya
 

ellysperry

Humko jante ho ya hum bhi de apna introduction
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Update 19



तुझमे मज़ा ही नहीं है बहनचोद.. हट.. तेरी शकल देखकर लंड भी खड़ा नहीं होता मेरा.. ये कहते हुए असलम बिस्तर से खड़ा हो जाता है औऱ अपने सामने टांग खोले लेटी रेशमा को दो-चार औऱ गालिया देकर साइड टेबल पर पड़ा शराब का एक पेग एक घूंट में ख़त्म करता है औऱ फिर सिगरेट सुलगा कर कश लेता हुआ कमरे से बाहर चला जाता है औऱ रेशमा चुपचाप बिस्तर पर पड़ी रहती है, असलम के कमरे से बाहर जाने के बाद अपनी सलवार पहनकर बिस्तर पर अपने दोनों पैरों को साथ में जोड़ कर अपना सर अपने घुटनो में रखकर रोने लगती है..

आदिल की बहन रेशमा की शादी कुछ साल पहले असलम से हुई थी असलम औऱ रेशमा की शादीशुदा जिंदगी सही नहीं चल रही थी दोनों में प्यार था ही नहीं.. असलम बहुत शराब औऱ सिगरेट पिने का आदि थी औऱ शादी के वक़्त तक उसका लंड ढीला पड़ चूका था.. शादी के बाद कुछ महीने तो उसने ढीले लंड से ही रेशमा के साथ सम्भोग किया जिसमे हर बार रेशमा मज़बूरी में असलम के साथ ये सब करती मगर फिर असलम का लंड खड़ा होना भी बंद हो गया जिससे वो बस रेशमा से छेड़खानी ही करता उसके अलावा कुछ नहीं.. असलम भी बखूबी अपनी कमजोरी जानता था इसलिए उसने उसने अपने घरवालों के ताने मारने औऱ रेशमा को बाँझ कहने पर भी उसे शादी के चार साल बाद भी तलाक नहीं दिया औऱ रेशमा को बस एक चीज समझने लगा था.. रेशमा को शादी के बाद कभी असलम से जिस्मानी सुख नहीं मिला..

रेशमा अपना सर घुटनो में दिए बैठी थी की उसके व्हाट्सप्प नम्बर कोई massage आया जिसके नोटिफिकेशन से उसका ध्यान अपने दुख से फ़ोन की तरफ चला गया..
रेशमा ने देखा की उसके व्हाट्सप्प पर किसी अनजान नम्बर से कुछ massage आया है जिसकी DP में एक बच्चे की स्माइल इमोजी थी..
हेलो..
रेशमा ने रिप्लाई किया - कौन?
आपका आशिक..
रेशमा ने गुस्से से फ़ोन नम्बर ब्लोक करके वापस नीचे रख दिया औऱ उसी तरह बैठ गई..
कुछ देर बाद वापस रेशमा के फ़ोन पर अलग नम्बर से व्हाट्सप्प नोटिफिकेशन आया औऱ उसने इस बार जब DP देखी तो उसने देखा की उसपर गौतम की एक प्यारी सी तस्वीर लगी थी..
गौतम - हेलो..
रेशमा गौतम की तस्वीर देखकर थोड़ी हैरान हुई लेकिन फिर उसने गौतम के massage का रिप्लाई किया..
रेशमा - बोलो..
गौतम - आई लव यू..
रेशमा ने जब ये मैसेज देखा उसके दिल में अजीब सी हलचल होने लगी, उसे पहले गुस्सा आया मगर फिर उसका गुस्सा मीठी से अहसास में बदल गया.. आज तक किसीने उसे आई लव यू नहीं बोला था औऱ असलम से ये उम्मीद करना बेईमानी थी..
रेशमा कुछ पल ठहर कर रिप्लाई किया - पहले वाला massage भी तूने किया था ना? थप्पड़ खाने का इरादा है क्या? बोलू अब्बू को?
गौतम - बोल दे.. तेरी ख़ुशी के लिए इतना तो कर ही सकता हूँ..
रेशमा - कमीने सुधर जा.. आदिल की बहन हूँ मैं.. औऱ तुझे मेरा नम्बर कहा से मिला?
गौतम - नम्बर तो आदिल के फ़ोन में देख लिया था.. औऱ सुधरने के लिए बिगड़ा ही कहा हूँ मैं.. बस तुमसे प्यार करता हूँ.. पहले बोल नहीं पाया तो अब बोल रहा हूँ..
रेशमा - बड़ा आया प्यार करने वाला.. 4 साल बड़ी हूँ तुझसे.. औऱ घर के सामने आकर .. जोर जोर से कबाड़ी वाले चिल्लाने में शर्म नहीं आती तुझे?
गौतम - शर्म नहीं मज़ा आता है जानू.. औऱ 4 बड़ी हो तो क्या हुआ? इतना दम है कि बिस्तर में रुला दूंगा..
रेशमा को अब गौतम से चैट करने में मज़ा आने लगा था औऱ सोच रही थी उसका दिनभर खाली पड़ा समय गौतम से बात करके आराम से गुजर सकता है..
रेशमा - बड़ा आया रुलाने वाला.. ये आशिक़ी ना कहीं औऱ जाकर झाड़ना.. मेरे पास देने के लिए सिर्फ थप्पड़ है.. खाना हो तो बताना..
गौतम - हाँ खाना है.. बताओ कहाँ आना पड़ेगा खाने के लिए?
रेशमा मुस्कुराने लगी औऱ रिप्लाई किया - लगता है तेरे घर आकर आंटी से शिकायत करनी पड़ेगी तेरी.. बहुत ज्यादा बिगड़ गया है तू.. कमीना अपने दोस्त कि बहन को ही नहीं छोड़ रहा..
गौतम - बहन छोडो मैं तो अम्मी के चक्कर में भी हूँ.. देखता हूँ मेरे दोस्त आदिल की अम्मी ज्यादा मस्त है या बहन..
रेशमा - कुत्ते तू पक्का पीटने वाला है मेरे हाथों से.. 5-6 दिन बाद जब घर आउंगी तब बताऊंगी तुझे..
गौतम - इतना लम्बा इंतजार करना पड़ेगा तुम्हारा?
रेशमा गौतम का रिप्लाई देखकर मन ही मन मुस्कुराते हुए सोचने लगी थी गौतम कैसे इतनी बेशर्मी से उससे बात कर रहा है औऱ उससे इसमें क्यों एक अजीब सुकून मिल रहा है..
रेशमा - गर्लफ्रेंड नहीं है तेरी?
गौतम - ये क्यों पूछ रही हो?
रेशमा - पहले बता है या नहीं..
गौतम - नहीं है..
रेशमा - तभी तू अपने दोस्त की बहन के पीछे पड़ा है कमीने.. चुपचाप सुधर जा वरना अच्छा नहीं होगा.. कुत्ता कमीना..
गौतम - अच्छा वरना क्या कर लोगी तुम? औऱ बार बार कुत्ता मत बोलो समझी? तुम खूबसूरत हो इसका मतलब ये नहीं कि मैं तुमसे कुछ भी सुन लूंगा..
गौतम से अपनेआपको खूबसूरत होने की बात सुनकर रेशमा के मन में गौतम के लिए आकर्षण पैदा होने लगा था औऱ वो इसमें एक ख़ुशी को महसूस कर रही थी.. उसका मन अब गौतम से औऱ बात करने का हो रहा था..
रेशमा - हो तुम कुत्ते, औऱ कुत्ते ही नहीं कमीने भी हो.. बेशर्म भी हो औऱ बेवकूफ भी.. समझें?
गौतम - रेशमा देखो मैं तुम्हे पसंद करता हूँ औऱ तुम हसीन औऱ प्यारी हो इसका मतलब ये नहीं मैं कुछ भी सुनूंगा.. अब अगर मुझे कुछ बोला तो फिर देखना..
रेशमा वापस गौतम की बात सुनकर मीठे अहसास से भरी जा रही थी उसे लगने लगा था की गौतम उसके अकेलेपन को काटने का जरिया हो सकता है..
रेशमा - नहीं तो क्या करोगे? मम्मी से शिकायत करोगे मेरी.. अरे मेरा बाबू.. इतनी बात पर रोने लगा..
गौतम - ज्यादा ना मेरे मज़े मत ले.. वरना बाद में ऐसा रुलाऊंगा ना याद करेगी..
रेशमा - जाके कार्टून देख टीवी में, बड़ा आया रुलाने वाला.. शकल देखने से लगता है तू लड़का नहीं लड़की है.. प्यार करेगा मुझसे.. कुत्ता..
गौतम - अपनी माँ चुदा.. नहीं करूँगा अब massage... बार बार कुत्ता बोल रही है..
रेशमा - गाली देना भी आती है तुझे? मैं समझी अभी भी मम्मा का दूदू पिता होगा..
रेशमा को इस बार अपने massage का रिप्लाई नहीं मिला तो उसने वापस massage किया..
क्या हुआ? नाराज़ हो गया मेरा कुत्ता.. इतनी जल्दी प्यार का भूत उतर गया?
इस massage को भी गौतम ने seen करके छोड़ दिया औऱ रिप्लाई नहीं दिया..
रेशमा वापस - बोल ना कुछ अब.. अभी तो प्यार मोहब्बत की बातें कर रहा था.. अब चुप हो गया..
वापस massage को गौतम ने seen करके छोड़ दिया औऱ रिप्लाई नहीं दिया अब रेशमा हलकी सी बेचैन होने लगी थी..
रेशमा - सच में बुरा लगा? अच्छा सॉरी.. अब तो रिप्लाई कर..
गौतम ने इसे भी seen करके छोड़ दिया औऱ कुछ रिप्लाई नहीं दिया तो रेशमा गुस्से औऱ बेचानी से भर गई उसने सीधा नम्बर डायल करके गौतम को फ़ोन लगा दिया..
गौतम फ़ोन उठाके - हेलो..
रेशमा - हेलो के बच्चे.. रिप्लाई करने में उंगलियां घिस जाती हो तेरी? जवाब क्यों नहीं दे रहा?
गौतम - तूने ही तो कहा.. सुधर जा.. मैं सुधर गया.. औऱ वैसे भी मुझे बार बार खूबसूरत लड़कियों से कुत्ता सुनने का शोक नहीं है..
रेशमा - अच्छा ज़ी.. फ़ोन में घुसके ऐसा थप्पड़ मारूंगी ना होश ठिकाने आ जाएंगे तेरे.. चुपचाप व्हाट्सप्प पर बात कर मुझसे.. समझा? औऱ कुत्ता तो तू है, मैं बोलूंगी तुझे कुत्ता..
गौतम - बाद में बात करूंगा, मुझे नींद आ रही है.. सोना है..
रेशमा - सच में तू लड़की ही है.. कुत्ते.. कितने नखरे कर रहा है..
गौतम - मैं नखरे कर रहा हूँ? औऱ तू क्या कर रही है?
रेशमा - मैं करुँगी ही.. तू आया है मेरे पास, मैं नहीं आई..
गौतम - गलती हो गई मेरी जो मैं आ गया.. वापस नहीं आऊंगा..
रेशमा - वापस आने के लिए मैं तुझे जाने दूंगी तब ना.. बहुत शोक है ना तुझे अपने दोस्त की बहन पटाने का? तुझे तो मैं अपना कुत्ता बनकर रखूंगी अब..
गौतम - मुझे कोई शोक नहीं है कुत्ता बनने का, अपने शोहर को बनाना.. मुझे माफ़ कर.. सुबह बहुत काम है, सोना है मुझे..
रेशमा फ़ोन पर kiss देते हुए - उम्म्महां... सो जा मेरे कुत्ते.. सुबह बात करूंगी तुझसे..
गौतम हसते हुए - मैं नहीं करूँगा...
रेशमा किसी के आने की आहट सुनकर..
रेशमा - कोई आ रहा है.. रखती हूँ.. बाय बेबी...
रेशमा फ़ोन काट देती है औऱ बिस्तर पर उसी उदासी के साथ बैठ जाती है कि सामने दरवाजे से असलम नशे में चूर होकर लड़खड़ाते हुए आकर बिस्तर पर गिर जाता है औऱ थोड़ी देर में खराटे भरने लगता है वही रेशमा के मुंह से बेबी सुनकर गौतम को अजीब अहसास होने लगता है.. औऱ वो मुस्कुराते हुए बिस्तर में उल्टा लेट के रेशमा को याद करता हुआ मुस्कुराने लगता है..
रेशमा गौतम का नम्बर Kutta😘💋 नाम से सेव कर लेती है औऱ उसकी व्हाट्सप्प DP को देखते हुए कुछ सोचकर मुस्कराने लगती है फिर एक के बाद एक कई चुम्मे गौतम की तस्वीर पर कर देती है औऱ उसे अपने सीने से लगाकर मीठे सपनो में खोकर सो जाती है..

रात के साढ़े गयराह का समय हो चूका था औऱ गौतम अभी अभी रेशमा से बात करके सोने के लिए लेटा था
वही सुमन की चुत सुलग रही थी वो बिस्तर पर करवट बदलते हुए सोने की नाकाम कोशिश कर रही थी उसकी चुत ना जाने क्यों अपने आप गीली हुई जा रही थी औऱ उसके सामने आज सुबह की हसीन यादे आने लगी थी जब गौतम ने उसकी चुत को चाट कर उसकी चुत से अमृत वर्षा की थी.. सुमन का दिल वापस उसी वर्षा में भीगने को आतुर हो रहा था औऱ वो चाहती थी की गौतम उसे वापस वही सुख दे जो उसने सुबह उसे दिया था. सुमन की हालत एक ऐसी प्रियतमा की हो चुकी थी जिसे ना तो मिलन चाहिए था ना ही जुदाई.. सुमन से रहा ना गया तो वो बाथरूम में घुसकर अपनी चुत को उंगलि से ठंडा करने की कोशिश में लग गई मगर उसकी चुत में अब गौतम के मुंह का जाइका लग चूका था औऱ वो चाहती थी की गौतम उसकी सुलगती चुत को चूसकर ठंडा कर दे..

सुमन ने बाथरूम में उंगलि करनी बंद कर दी औऱ अपनी साडी को कमर से ऊपर उठाकर अपनी लम्बी लम्बी झांटो को साफ झरने में लग गई.. कुछ पलों में उसकी चुत के आस पास के सारे बाल साफ हो गए औऱ उसकी गुलाबी चुत निखर कर औऱ भी ज्यादा आकर्षक बनकर सामने आ गई.. सुमन अपनी गुलाबी चुत देखकर बड़े प्यार से मुस्कुराते हुए उस पर हाथ फेरकर गौतम को याद करने लगी औऱ अब उसने गौतम से वापस अपनी चुत शांत करवाने का दृढ़ निश्चय कर लिया था मगर जब उसने दिवार पर लटक रही घड़ी देखी तो कुछ असमंजस में पड़ गई.. रात के बारह बज चुके थे औऱ इस वक़्त गौतम के पास जाना उसे अजीब लग रहा था.. उसे लग रहा था की गौतम सो चूका होगा औऱ अब वो अपनी इच्छा को पूरी नहीं कर पाएगी, सुमन उदासी से वापस बिस्तर पर आ गई औऱ अपनी सुलगती हुई चुत को सहलाते हुए गौतम को याद करने लगी..

सुमन इसी तरह कुछ देर लेटी रही औऱ अपने ख्यालों में खोकर गौतम औऱ उसके बीच सुबह हुआ प्यार की पहली उपलब्धि को याद करते हुए काम की आग में सुलगने लगी.. इसी तरह लेटे लेटे आधा घंटा औऱ बीत चूका था मगर सुमन को ना नींद आ रही थी ना सुकून मिल रहा था औऱ ना ही अपनी सुलगती चुत से छुटकारा मिल रहा था.. उसने गौतम के पास जाने का वापस सोचा मगर घड़ी में समय औऱ गौतम को नींद से जगाने का ख्याल उसे रोकने लगा..

सुमन ने अपना फ़ोन उठाकर गौतम को व्हाट्सप्प पर massage करने की सोची जिससे वो पता लगा सके की गौतम जाग रहा है या नहीं.. सुमन ने व्हाट्सप्प पर गौतम को massage किया औऱ उसके रिप्लाई का इंतजार करने लगी..

गोतम अभी भी रेशमा की यादो में खोया हुआ था मगर फ़ोन पर नोटिफिकेशन बीप की आवाज सुनकर उसका ध्यान रेशमा की यादो से उचट गया औऱ उसने अपने फ़ोन को हाथ में लेकर उसमे आये सुमन के massage को देखा..
सुमन - ग़ुगु सो गया क्या?
गौतम अपनी माँ का massage औऱ घड़ी में समय देखकर समझ गया की सुमन के मन में क्या चल रहा है.. गौतम massage देखकर मुस्कुराने लगा औऱ सोचने लगा कि अब उसकी माँ सुमन भी उसके लिए तैयार है.. गौतम ने तुरंत रिप्लाई करने का ख्याल दिमाग से निकाल दिया औऱ थोड़ा इंतेज़ार करने लगा..
इधर सुमन बेसब्री से गौतम के रिप्लाई का इंतजार कर रही थी मगर जब उसे दस मिनट गुजरने के बाद गौतम का रिप्लाई नहीं मिला तो वो निराश होकर फ़ोन बिस्तर पर पटक दिया औऱ एक तकिये को अपनी छाती से लगाकर बिस्तर ओर बैठ गई औऱ नाउम्मीदी से उदास हो गई.. सुमन ऐसी बैठी ही थी कि उसके फ़ोन पर नोटिफिकेशन की आवाज हुई औऱ सुमन ने फ़ोन हाथ में कर उसमे गौतम का massage देखा..
गौतम - नहीं माँ.. आप भी नहीं सोइ अभी तक?
सुमन की सारी उदासी हवा हो गई औऱ वो ख़ुशी से भर गई सुमन ने रिप्लाई किया..
सुमन - बेटू मुझे नींद नहीं आ रही?
गौतम - मुझे भी नींद नहीं आ रही माँ..
सुमन - नई जगह है ना शायद इसलिए.. एक दो दिन में आदत लग जायेगी..
गौतम - वो भी है पर आप जानती हो मुझे आपके साथ सोने की आदत लग चुकी है..
सुमन मुस्कुराते हुए - जानती हूँ बेटू.. पर यहां साथ नहीं सो सकते.. किसीने देख लिया तो बात का बतंगड़ बना देंगे..
गौतम - सही कह रही हो माँ.. किसीने देख लिया तो सोचेंगे हमारे बीच अफेयर चल रहा है..
सुमन - बेटू..
गौतम - हां माँ...
सुमन - तेरे रूम का सामने वाला दरवाजा बंद है क्या?
गौतम - हां क्यों?
सुमन - कुछ नहीं.. मैंने भी अपने रूम का सामने वाला दरवाजा बंद कर रखा है..
गौतम - तो?
सुमन - तो मेरे ग़ुगु ज़ी.. मैं पीछे हम दोनों के रूम की कॉमन बालकनी से तेरे रूम में आ रही हूँ.. पीछे बालकनी वाला दरवाजा खुला रखना..
गौतम - आ जाओ माँ.. खुला ही है..

गौतम ने अपनी टीशर्ट औऱ लोवर निकाल दिया औऱ सुमन का इंतज़ार करने लगा.. दो मिनट बाद सुमन भी अपनी साडी निकालकर सिर्फ ब्लाउज औऱ पेटीकोट में पीछे बालकनी के दरवाजे से गोतम के रूम में आ गई औऱ दरवाजा लगा दिया..
सुमन - बेशर्म कुछ पहन तो ले..
गौतम अपनी वी-शेप चड्डी के ऊपर से लंड को मसलते हुए - चड्डी पहन तो रखी है माँ.. औऱ इतना कहकर गौतम आगे बढ़ गया औऱ सुमन को अपनी बाहों में भर लिया..
सुमन - आराम से ग़ुगु.. कितना कसके पकड़ता है तू..
गौतम - आप ना चुप रहो.. समझी? मैं कब से आपका वेट कर रहा था औऱ आपने massage किया तो रात के पौने एक बजे..
सुमन - माफ़ कर बेटू.. मुझे लगा तू सो गया होगा..
गौतम सुमन का ब्लाउज खोलते हुए - माँ आप जानती तो हो आपका दूध पिए बिना मुझे नींद नहीं आती, आपके बिना कैसे सो सकता हूँ मैं?
सुमन - सॉरी बेटू.. माफ़ कर दे.. कल से इतनी देरी नहीं करुँगी..
गौतम ब्लाउज उतार कर ब्रा खोलते हुए - कोई बात नहीं माँ.. आपके लिए सब माफ़ है..
सुमन अपनी चूचियाँ गौतम को दिखाती हुई - देख तूने इनका क्या हाल किया था सुबह.. पुरे बूब्स पर तेरे काटने से कितने निशान बन गए.. भाभी पूछ रही थी इतनी ढक कर क्यों साडी पहनी है.. अब उनको क्या बताऊ? मेरा ग़ुगु मेरे बदन पर जगह जगह काटने के निशान छोड़ता है..
गौतम सुमन के पेटीकोट के नाड़े को खींचकर खोलता हुआ - किस बेशर्म का नाम ले रही हो माँ इस वक़्त.. सच कहु तो उसकी शकल देखकर मुझे गुस्सा आने लगता है..
पेटीकोट उतरने से सुमन भी गौतम की तरह चड्डी में आ जाती है औऱ कहती है..
सुमन - ऐसा क्यों बोलता है बेटू.. मामी है तेरी, औऱ इस बार तो तुझे बहुत प्यार भी कर रही है.. देखा नहीं कैसे आते ही तुझे अपने गले से लगाया था भाभी ने औऱ तेरे लिए कितना प्यारा औऱ महंगा सूट लिया है उन्होंने.. खाने के समय भी तो अपने हाथ से तुझे खाना खिला रही थी औऱ तुझे चुम रही थी..

गौतम सुमन को बाहों में उठाकर उसके साथ बिस्तर में गिरते हुए - प्यार नहीं कर रही माँ.. मामी लेना चाहती है मेरी.. सुबह जब मेरे गले लगी थी तब उनका हाथ आपके छोटे ग़ुगु पर था.. आप तो बातों में खोई हुई थी आपको पता भी नहीं चला.. मामी ने अच्छे से मेरे लंड को दबा के मसला था औऱ उसके बाद से मेरे पीछे पड़ी हुई है.. खाने के समय भी मामी अपने पैर से मेरे पैर को रगड़ रही थी.. मैं तो बस आपके कहने पर चुप हूँ वरना मामी को ऐसा सबक सिखाऊ की याद रखे वो रंडी..
सुमन गौतम के होंठ अपनी ऊँगली से पकड़कर - ग़ुगु चुपकर.. मामी को गाली देता है.. कितनी बड़ी है तुझसे वो.. औऱ थोड़ा बहुत तुझे इधर उधर छू लिया तो क्या हो गया उसमे..
गौतम - मामी की तरफदारी इसलिए कर रही हो ना क्युकी वो अब तमीज में बात कर रही है? मुझसे बढ़कर हो गई आपके लिए मामी?
सुमन गौतम के सीने के ऊपर आकर उसे चूमते हुए बोली - अच्छा ज़ी.. बाहर जब बड़ी उम्र की औरतों के साथ मुंह काला करता है तब तुझे शर्म नहीं आती.. औऱ घर की किसी औरत ने जरा छू लिया तो गुस्सा आ गया मेरे शहजादे को..
गौतम सुमन के कूल्हे मसलकर - किसके साथ मुंह काला किया मैंने.. जरा बताओगी आप?
सुमन गौतम की चड्डी में हाथ डालकर उसके लंड को मसलते हुए - मेरा मुंह मत खुलवा मेरे शहजादे.. मैं सब जानती तूने किस किसको अपने लंड पर खिलाया है..
गौतम सुमन के होंठों को चूमकर - तो बताओ ना.. ऐसे पहेलियाँ क्या बुझाती हो..
सुमन गौतम के चेहरे को अपने दोनों हाथों से पकड़कर एक लम्बा औऱ गहरा चुम्मा करते हुए - पिंकी के साथ उस रात तूने क्या क्या किया था मैं सब जानती हूँ.. उसके बाद होटल के रूम नम्बर 402 में तेरी वो टीचर क्या नाम बताया था तूने उसका माधुरी.. उसके साथ तूने जो गुल खिलाये थे वो भी मुझे मालुम है.. औऱ उस पुलिसवाली रजनी को खुलेआम जो तूने रगड़ा था ना उसका वीडियो भी मैंने तेरे फ़ोन में देखा पूरा देखा है.. इसके बाद तेरे फ़ोन में जो बुर्केवाली औरत की तस्वीरे है उसे देखकर लगता है तूने उसके साथ भी अपना ये गोरा मुंह काला किया हुआ है.. बेशर्म इतनी बड़ी बड़ी औरत के साथ मुंह काला करने के बाद अपनी सगी मामी के थोड़ा सा छूने पर मुझसे बच्चों की तरह मामी की शिकायत कर रहा है..

गौतम सुमन से ये सब सुनकर हैरान औऱ शर्म से लाल हो चूका था उसे समझ नहीं आ रहा था आगे सुमन से क्या कहे औऱ क्या करें.. सुमन गौतम के मनोदशा समझ रही थी औऱ सुमन ने ही गौतम से आगे बात करना शुरू किया..
सुमन प्यार से गौतम के चेहरे को अपनी तरफ करके - क्या हुआ मेरे शहजादे.. हो गई बोलती बंद? तेरी माँ हूँ मैं.. समझा?
गौतम - आप सब जानती हो फिर मुझसे कुछ नहीं बोली..
सुमन - क्या बोलती? वैसे भी अगर तुझे बड़ी औरत पसंद है तो इसमें क्या बुराई है? तेरी ख़ुशी के आगे तो मैं कुछ भी कर सकती हूँ.. तुझे अगर रूपा आंटी भी पसंद है बता मैं उसे मना लुंगी तेरे लिए..
गौतम मुस्कुराते हुए - अच्छा.. अब मेरे लिए दलाली भी करोगी आप?
सुमन हंसकर - तेरी लिए वो भी कर लुंगी..
गौतम - मुझे रूपा आंटी पसंद है पर आप रहने दो मैं खुद ही उन्हें मना लूंगा..
सुमन के लंड को मसलते हुए - मामी अगर छोटी मोटी छेड़-छाड़ी करें तो बुरा मत मानना ग़ुगु..
गौतम सुमन के निप्पल्स मरोड़ते हुए - आप फ़िक्र मत करो.. मामी को अब मैं बताऊंगा.. औऱ ऐसा बताऊंगा की मामी जिंदगी भर याद रखेगी..
सुमन हंसकर - वैसे एक बात कहूं बेटा..
गौतम सुमन के खड़े हुए चुचक मुंह में लेकर चूसते हुए - बोलो ना माँ..
सुमन - कोमल भाभी को ऐसे पेलना कि वो ऋतू की शादी तक ठीक से चल भी ना पाए..
गौतम हँसते हुए सुमन को देखकर - आप चिंता मत करो माँ.. मामी की ऐसी माँ चोदुँगा साली शादी के बाद भी लगड़ाकर ही चलेगी..
सुमन हस्ते हुए - गाली भी कितनी प्यारी लगती है तेरे इस मुंह से..
गौतम - आप कहो आपके लिए भी दो चार गाली अपने मुंह से निकाल दू..
सुमन - तू मुझे जो गाली देना चाहे दे सकता है ग़ुगु.. पर अब मेरा एक काम कर दे..
गौतम सुमन की चड्डी में हाथ घुसाते हुए - मैं जानता हूँ माँ आप किस काम से आई हो.. मैं अभी आपको खुश कर देता हूँ.. आपने चुत के सारे बाल साफ कर दिए?
सुमन - मेरे ग़ुगु के मुंह में आते थे ना इसलिए साफ कर दिए..
गौतम - उफ्फ्फ माँ.. कितनी चिकनी हो गई आपकी चुत..
सुमन - अब मेरी चुत पर अपना हाथ ही फेरता रहेगा या अपने इन प्यार से नाजुक होंठों का कमाल भी दिखायेगा?
गौतम - माँ.. पहले 1-1 पेग हो जाए?
सुमन - नहीं ग़ुगु..
गौतम - रूपा आंटी के साथ तो मना नहीं करती आप..
सुमन - अच्छा ठीक है पर यहां शराब क्या है?
गौतम - उसकी चिंता आप मत करो मैं साथ लाया था..
सुमन - ग़ुगु तू ना बहुत कमीना हो गया है..
गौतम अलमीरा खोलकर बेग से शराब की बोतल निकालता है औऱ दो प्लास्टिक के ग्लास निकालकर दोनों का एक एक पेग बनाता है औऱ सुमन के साथ चेस करते हुए एक सांस में सुमन के साथ पेग पी जाता है..
गौतम - माँ एक औऱ..
सुमन - नहीं ग़ुगु.. अब नहीं..
गौतम - अच्छा एक शर्त लगाते है..
सुमन - क्या?
गौतम - अगर मैंने 5 मिनट में आपको खुश कर दिया तो आप एक औऱ पेग मेरे साथ पिओगी..
सुमन - ठीक है लगी शर्त..
गौतम बेड के साइड टेबल से सिगरेट का पैकेट निकालकर एक सिगरेट अपनी माँ सुमन के गुलाबी होंठों पर लगा देता है औऱ फिर लाइटर से अपनी माँ के होंठों पर लगी सिगरेट जलाकर, सुमन की चड्डी नीचे सरकाते हुए उसकी चुत पर अपने होंठ लगा देता है जिससे सुमन के मुंह से सिस्कारी निकल जाती है औऱ वो एक हाथ से सिगरेट के कश लेटे हुए दूसरे हाथ से गौतम के बाल पकड़कर गौतम का सर अपनी चुत पर दबा लेती है औऱ चुत चटाई का अतुलनीय अद्भुत अकल्पनीय सुख भोगने लगती है..

गौतम किसी कुत्ते की तरह सुमन की चुत चाटे जा रहा था औऱ सुमन सिगरेट के कश लेते हुए सिसकारिया भरती हुई गौतम को वासना की नज़रो से देखे जा रही थी.. सुमन इतनी काम की आग में जल रही थी की पांच मिनट तो दूर उसके उंगलियों में सुलगती सिगरेट आधी ख़त्म होने से पहले ही उसकी चुत ने अपना पानी गौतम के मुंह में छोड़ दिया औऱ सुमन चरम सुख को अनुभव करती हुई निढाल हो गई.. गौतम ने चुत का पानी पीते हुए अच्छे से सुमन की चुत चाट कर ऊपर आ गया औऱ सुमन के हाथ से सिगरेट लेकर एक लम्बा कश मारके सिगरेट बुझा देता है औऱ सुमन से बोलता है..
गौतम - माँ लगता बहुत देर से रोके हुए थी आप अपनेआपको..
सुमन थोड़ा रूककर बिस्तर से उठकर दोनों के लिए शराब का दूसरा पेग बना लेती है औऱ एक पेग गौतम के हाथ में दे देती है औऱ दूसरा खुद पीकर कहती है..
सुमन - तू ना बहुत गन्दा है ग़ुगु.. ऐसी बुरी आदत लगा दी है एक दिन में कि बस.. अब तो लगता है बिना अपनी चुत चटवाए नींद ही नहीं आएगी..
गौतम पेग पीकर - तो क्या हुआ माँ.. मैं हूँ ना आपके पास.. आपकी इस पगुलाबी चुत को चाट चाटकर ठंडा करने के लिए..
सुमन को नशा होने लगा था..
सुमन - आजा ग़ुगु.. मैं भी तुझे खुश कर देती हूँ..
गौतम सुमन को कंडोम देकर - लो माँ लगा दो.. मैं समझ सकता हूँ आपको blowjob देने में उल्टी आती है.. मैं जबरदस्ती आपसे कुछ नहीं करवाना चाहता..
सुमन मुस्कुराते हुए गौतम से कंडोम लेकर फाड़ते हुए गौतम के लंड पर लगा देती है औऱ कहती है - तेरी इन्ही प्यारी प्यारी औऱ मीठी बातों के कारण कभी कभी मुझे लगता है कि मैं तुझे अपनी चुत भी दे दूँ.. मगर फिर तेरा औऱ मेरा रिश्ता बीच में आकर मेरे मन को पिंजरे में डाल देता है..
गौतम - माँ..
सुमन - हां ग़ुगु?
गौतम - क्या मैं आपको आपके नाम से बुला सकता हूँ अभी के लिए?
सुमन मुस्कुराते हुए - हम्म.. जैसा तु चाहे..
गौतम अपने लंड को सुमन के मुंह में ड़ालते हुए - एक बात बोलू सुमन..
सुमन लोडा मुंह में लेकर चूसते हुए गौतम को देखकर - हम्म.
गौतम - मुझे पापा से जलन होती है.. कश पापा की जगह आप मुझे मिली होती.. मैं आपको कभी वो दुख नहीं देता जो पापा ने आपको दिए है.. हमेशा आपको प्यार करता औऱ खुश रखता..
सुमन मुंह से एक पल के लिए लंड निकालकर नशे में हसते हुए - अच्छा हुआ नहीं मिली वरना मैं अगर तेरे पापा की जगह तुझे मिली होती तो तू सुहागरात में ही मेरी इस छोटी सी चुत को अपने इस लंड से फाड़कर उसका भोसड़ा बना देता..
गौतम सुमन के मुंह में वापस लंड डालकर उसे लोडा चुसवाते हुए - मैं मज़ाक़ नहीं कर रहा सुमन.. मुझे जगमोहन से बहुत जलन होती है औऱ उसपर हंसी भी आती है.. साले के लंड में जरा सा भी दम नहीं है मगर दोदो जन्नत की हूर जैसी बीवी रखी हुई है..
सुमन मुंह से लंड निकालकर - तू जानता है उस दूसरी बीवी को ग़ुगु.. मिला है कभी उस औरत से?
गौतम वापस लोडा मुंह में डालकर चुसवाते हुए - हां जानता हूँ सुमन औऱ मिला भी हूँ.. आप भी मिली है उससे..

सुमन लोडा चूसते चूसते - कौन है वो..
गौतम - पहले वादा करो आप गुस्सा नहीं करोगी.. सुमन लोडा चूसते हुए - नहीं करुँगी.. बता ना..
गौतम - सुमन उस रात होटल के रूम नम्बर 402 में आपने जिस औरत को मेरे साथ देखा था वो मेरी टीचर नहीं बल्कि आपकी सौतन माधुरी थी..
सुमन ये सुनकर गौतम के लंड को चूसना बंद करके उसके लंड को अपने दातो से पकड़ लेती है..
गौतम आह भरके - सुमन दर्द हो रहा है.. आह्ह.. छोडो ना सुमन..
सुमन थोड़ा औऱ अपने दातो की पकड़ गौतम के लंड पर मजबूत कर लेती है औऱ गौतम के चेहरे पर झलकता दर्द देखने लगती है..
गौतम फ़रियाद करता हुआ - माँ दर्द हो रहा है.. छोडो ना..
सुमन अपने मुंह से लंड निकालकर गुस्से से - उस डायन के साथ मुंह काला करते शर्म नहीं आई तुझे? तू जानता है उसके कारण हमें कितना दुख सहना पड़ा है.. फिर भी उसके साथ तूने सब कुछ किया..
गौतम अपने लंड को संभालता हुआ - उसका क्या दोष माँ इसमें.. पापा ने धोके से फसाया था उसे.. औऱ सच कहु तो आपसे ज्यादा गुस्सा मुझे उसपर आया था.. मगर वो भी आपकी तरह ही खूबसूरत औऱ हसीन थी.. मेरी नफरत कब प्यार में बदल गयी पता नहीं चला..
सुमन गुस्से से - मेरी तरह?
गौतम - सॉरी माँ.. आपसे थोड़ी कम..
सुमन - वो हमारे बारे में सच जानती है?
गौतम - नहीं अभी बताया नहीं उसे.. उस दिन आपके पूछने पर आपको बताया था ना शादी में लड़की मिली थी.. जिसके साथ पहली मुलाक़ात में सब हो गया था..
सुमन - वो माधुरी ही थी?
गौतम शरमाते हुए - हाँ.. पापा ने उसे घर भी दिलवाया है शहर के बीच पोश कॉलोनी में.. काफी अच्छा औऱ बड़ा है..
गौतम के लंड पर लगा कंडोम सुमन के दांतो की पकड़ से फट चूका था..
सुमन गौतम के लंड पर लगा कंडोम उतारते हुए - मुझे उससे बात करनी है.. तू कल उसे सारी सच्चाई बता देना..
गौतम - पर माँ सच्चाई जानने के बाद वो मुझे ठरकी समझेगी.. मैं पहले ही 3 दिन से उसका फ़ोन नहीं उठा रहा..
सुमन दूसरा कंडोम फाड़कर गौतम के लंड पर पहनाती हुई - वो तो तू है ही.. मैं भी तुझे कितना मासूम औऱ भोला समझती थी मगर तेरी इस भोली सी शकल के पीछे एक शैतान है..
इतना कहकर सुमन गौतम का लंड वापस चूसने लगती है...
गौतम सुमन के सर पर हाथ रखते हुए - ठीक है मेरी सुमन, जैसा आप कहो..

सुमन अब जोर जोर से औऱ पूरी मेहनत के साथ गौतम का लंड चूस रही थी उसे लोडा चूसते हुए बहुत देर हो चुकी थी मगर गौतम अपनेआप को बहुत कण्ट्रोल किये हुए सुमन को प्यार से देख रहा था औऱ blowjob का सुख ले रहा था.. सुमन पिछले 20 मिनट से गोतम के लंड को चूसकर उसका पानी निकालने की कोशिश कर रही थी मगर उसे सफलता नहीं मिल सकी थी.. गौतम समझ सकता था की सुमन का मुंह अब दर्द करने लग रहा होगा इसलिए उसने सुमन से कहा..
गौतम - माँ एक पेग औऱ बनाउ? लास्ट..
सुमन ने गौतम के लंड को मुंह से निकाल दिया औऱ हाँ में सर हिला दिया..
गौतम दो पेग बनाकर ले आया औऱ एक सुमन को देते हुए दूसरा खुद पिने लगा.. गौतम ने एक सिगरेट भी जला ली थी जिसके कश लगाते हुए वो अपने सामने घुटनो पर बैठी अपनी माँ सुमन को देख रहा था.. सुमन ने एक झटके में पूरा पेग ख़त्म कर दिया औऱ फिर वापस गौतम के लंड को मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दिया.. इस बार सुमन नशे में पूरी तरह उतर चुकी थी औऱ खुलकर गौतम का लोडा चूस रही थी गौतम चाहता तो अब अपने लंड पर से कंडोम हटाकर अपनी माँ से अपना लंड चुसवा सकता था मगर उसने ऐसा नहीं किया औऱ अपना पेग ख़त्म करके एक हाथ से सिगरेट के कश लगाता हुआ दूसरे हाथ से अपनी माँ के बाल पकड़ कर उसके मुंह में अपना लोडा तेज़ी दे अंदर बाहर करने लगा.. कुछ मिनटों बाद ही गौतम झड़ गया. सुमन गौतम के लंड पर से कंडोम उतार कर गाँठ लगाती हुई कंडोम को बेड के किनारे फर्श पर रखकर खड़ी हो गई औऱ गोतम के हाथ सिगरेट लेकर कश मारती हुई गौतम को देखने लगी गौतम भी तृप्त होकर सुमन के सामने खड़ा हुआ उसे ही देखे जा रहा था.. दोनों माँ बेटे एक दूसरे के सामने नंगे खड़े थे औऱ एकदूसरे को देख रहे थे..

गौतम ने कुछ देर इसी तरह खड़े रहकर सुमन के हाथ से सिगरेट लेकर बुझा दी औऱ सुमन की कमर में हाथ डालकर उसे अपने करीब खींचकर गले लगाते हुए चुम लिया औऱ दोनों वापस बिस्तर में गिर गए..
दोनों का ये चुम्बन बहुत देर तक चला औऱ जब टुटा तो दिवार पर लटकी घड़ी रात के दो बजने का फरमान सुना रही थी..
सुमन की आँखे नशे में होने का संकेत दे रही थी औऱ गौतम भी सुरूर में था.. मगर गौतम सुमन को उसके नशे का फ़ायदा उठाकर उसके साथ सम्भोग करना नहीं चाहता था.. इसलिए गौतम ने सुमन को अपने गले से औऱ कसके लगाते हुए प्यार से उसकी जुल्फ संवार कर उसके चेहरे को देखते हुए, सुमन के कंधे पर अपने हाथो से थपकिया देकर सुलाने की कोशिश करने लगा..
नशे में डूबी सुमन की आँख खुली हुई थी वो बस गौतम को देख रही थी.. उसका दिमाग अभी भी सब देख सुन रहा था, सुमन को अहसास हो रहा था कि कैसे गौतम उसे अपनी बाहों में भरके बच्चों की तरह सुलाने की कोशिश कर रहा था.. सुमन मुस्कुराते हुए अपनी आँख बंद कर लेती है औऱ कुछ पल बाद गहरी नींद में चली जाती है..
सुमन के नींद में जाने के बाद गौतम को अहसास होता है की उसका लंड अभी भी पूरी औकात में खड़ा था.. औऱ ऐसा होना स्वाभाविक भी था गौतम की बाहों में एक हसीन औऱ बेहद खूबसूरत औरत नंगी लेटी हुई थी भले वो गौतम की खुदकी माँ थी मगर उसके रूप ने गौतम के मन की सरहद पार कर दी थी..

गौतम सुमन को सुलाकार बिस्तर से उठ गया औऱ एक कंडोम पहनकर अपनी सोती हुई माँ के हुस्न को देखकर उसे चोदने के ख़्वाब देखता हुआ मुठ मारने लगा.. झड़ने के बाद गौतम अपनी माँ को फिर से बाहों में लेकर सो गया..

सुबह साढ़े छः बजे सुमन की आँख जब खुली तो उसने देखा की गौतम उसे बच्चों की तरह अपनी बाहों में लेकर सो रहा था. सुमन को गौतम पर रात की बात याद करके औऱ अभी सोता देखकर बहुत प्यार आ रहा था.. वो धीरे से गौतम की बाहों से निकली औऱ उठकर अपने कपडे पहनते हुए कमरे की हालत ठीक करके वापस बालकोनी से अपने कमरे में आ गई.. गौतम उसी तरह सोता रहा..


Bahut hi shandaar update 🔥 👍🏻
 
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ayush01111

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शाम के पांच बज चुके थे होटल की छत पर गौतम सुमन का बेसब्री से इंतजार कर रहा था. सुमन भी छत पर आने के लिए निकल चुकी थी गौतम यह सोच रहा था कि वह आज अपनी मां से अपने प्यार का इजहार कर देगा और उसे अपनी दुल्हन बनाने का प्रस्ताव रखेगा. गौतम यह जानता था कि जो वह करने जा रहा है इसमें उसे सफलता नहीं मिलने वाली है लेकिन वह फिर भी एक बार सुमन को अपने प्यार का इजहार करके मानना चाहता था और चाहता था कि सुमन उसे अपने प्रेमी के रूप में अपना ले.. अब तक जो सुमन और गौतम के बीच में हो रहा था वह केवल सुमन के मातृत्व प्रेम के कारण हो रहा था जिसमें वह गौतम को अपना बेटा मानकर सब कुछ कर रही थी भले इसमें उसे आनंद और काम संतुस्टी की प्रति हो रही थी लेकिन वह अब तक गौतम को अपने प्रेमी के रूप में स्वीकृत नहीं कर पाई थी ना ही उसे यह अधिकार दिया था कि गौतम उसके पूरे शरीर पर अधिकार जताये..


सुमन का नारीत्व और काम इच्छा उफान पर थी जिसे वो गौतम के साथ शांत कर लेती थी मगर इस अधूरी शांति से गौतम और सुमन दोनों ही काम के शिखर पर पहुंच कर उस अद्भुत और अतुल्य सुख से वंचित ही रहे जिसे पाना दोनों के मन में लंबित था. सुमन अपने मन की आखिरी दीवार को नहीं गिराना चाहती थी. सुमन चाहती थी कि गौतम की हर इच्छा और हर मनोकामना पूरी हो लेकिन वह खुद इसके लिए अपनी चुत की कुर्बानी देने को तैयार नहीं थी. सुमन अब यही चाहती थी कि जैसे गौतम और सुमन के बीच एक रिश्ता कायम हो चुका है वह इस तरह कायम रहे और अब सुमन ना तो इससे आगे बढ़ना चाहती थी और ना ही इससे पीछे हटाना चाहती थी.


गौतम ने भी अपने मन में ये तय कर लिया था कि वह सुमन को किसी भी शर्त पर अपना बना कर रहेगा और उसके लिए वह आज पहली-पहल कर देगा. भले इसमें उसे सफलता मिले या वह असफल रहे. गौतम अब मन ही मन सुमन को पाने की चाहत में जलने लगा था और उसे आप सुमन को भोगने की इच्छा पूरी उफान ले चुकी थी. मगर वह इस बात से भली-भांति परिचित था की सुमन को भोगना और उसे पाना इतना आसान नहीं होगा और जो दीवार सुमन ने अपने मन में उसके और खुद के बीच में बना रखी है उसे गिराना भी आसान नहीं होगा. दोनों के बदनों के मिलन के बीच सुमन ने अपने मन में उसके औऱ गौतम के रिस्ते को रोड़ा बना लिया था जिसे दूर करना आसान नहीं था. मगर गौतम ने ये तय कर लिया था जो किसी भी तरह से उसके मन से इस दीवार को गिरा कर रहेगा और उसे अपना बना कर रहेगा इसके लिए भले ही उसे कुछ भी करना पड़े. गौतम और सुमन के बीच सब कुछ हो रहा था मगर बाकी था वही सबसे जरूरी था और वहीं गौतम करना चाहता था मन ही मन सुमन भी ऐसा ही चाहती थी मगर उसने अपने मन में रिश्ते की दीवार को बीच में खड़ा कर दिया था जिसे वह नहीं गिराना चाहती थी.


सुमन अकेली चुपके चुपके सीडीओ से होती हुई छत के दरवाजे तक आ पहुंची.. सुमन के मन में अजीब अजीब ख्याल आ रहे थे और अजीब सवाल वह अपने आप से पूछ रही थी जिसके जवाब खुद ही अपने आप को देती हुई वह छत के दरवाजे पर खड़ी हुई थी गौतम भी सुमन के इंतजार में छत के कोने में खाली पड़ी की जगह पर खड़ा हुआ सुमन का इंतजार कर रहा था उसके मन में भी कई बातें चल रही थी जिसे वह सोचकर सही और गलत तय करने में लगा हुआ था. गौतम ने सुमन को छत के दरवाजे पर खड़ा हुआ देख लिया और सुमन की नजर भी गौतम से मिल गई. गौतम ने सुमन को इशारे से अपने पास आने के लिए कहा औऱ सुमन गौतम के पास धीरे धीरे कदमो से चली आई..


गौतम ने उसी नज़र से अपनी माँ के बदन को ऊपर से नीचे तक देखा जिस तरह वो बाकी लड़कियों औऱ औरतों को ताड़ता था. सुमन इस नज़र को अच्छे से समझ गई थी मगर काम के भाव से भारी हुई सुमन को इस नज़र का बुरा कतई नहीं लगा.. गौतम ने सुमन की कमर में हाथ डालकर उसे अपने सीने से लगाकर बाहों में भर लिया औऱ फिर अपने होंठों से सुमन के होंठ मिलाकर जंग शुरू कर दी.. इस जंग में दोनों ही एक दूसरे को हराने के लिए भर्षक प्रयास कर रहे थे और एक दूसरे के लबों को चूमते हुए खींच कर काटते हुए ऐसे चुम रहे थे जैसे उनके बीच ये प्यार का पहला चुम्बन हो..

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गौतम ने चुम्बन के दौरान एक जोरदार थप्पड़ सुमन की गांड पर मारा औऱ फिर उसकी गांड को जोर से मसलते हुए इतना तेज़ दबाया की सुमन चुम्बन तोड़कर सिसक उठी औऱ गौतम को शिकायत की नज़र से देखते हुए बोली..

सुमन - आराम से ग़ुगु.. माँ को दर्द होता है ना.

गौतम - ग़ुगु नहीं सुमन.. गौतम.. मुझे गौतम कहकर पुकारो.. मैं अब आपके इन गुलाबी होंठों से अपना नाम सुनना चाहता हूँ..

सुमन हैरानी से - तू क्या कह रहा है ग़ुगु औऱ मुझे नाम से क्यों बुला रहा है.. मैं तेरी माँ हूँ.. तू भूल गया है क्या?

गौतम - मुझे सब याद है सुमन.. (अपना हाथ सुमन की चुत पर रखते हुए) आपने 20 साल पहले मुझे अपनी इसी चुत से निकाला था.. आपने इन 20 सालों में जितना मुझे प्यार किया है उतना शायद कोई औऱ कभी ना कर पाए.. मेरी ख़ुशी के लिए आप मेरे सामने नंगी तक हो गई.. मेरी हर ज़िद पूरी की मगर अब सुमन.. मैं आपको खुश रखना चाहता हूँ.. प्यार करना चाहता हूँ.. मैं चाहता हूँ आप मुझे नाम से बुलाओ.. हर शाम घर पर मेरा इंतज़ार करो औऱ जब मैं काम से वापस आउ तो आप मुझसे लिपटकर अपने होंठ मेरे होंठ पर रख दो.. मुझे गौतम ज़ी कहकर बुलाओ.. बिलकुल जैसे आप पापा को बुलाती थी..

सुमन - तू पागल हो गया है क्या गौतम? ये सब क्या बकवास कर रहा है.. तू अच्छी तरह जानता है मैं तेरे साथ ये सब नहीं कर सकती.. माँ हूँ मैं तेरी औऱ तू मेरा ग़ुगु.. समझा?

गौतम - आप सब करोगी सुमन.. मुझे यक़ीन है मेरी मोहब्बत आपको ये सब करने पर मजबूर कर देगी.. आप मुझे अपने दिल में वही जगह दोगी जो जगह तुमने पापा की दी थी..

सुमन गौतम के सामने घुटनो पर बैठकर उसकी पेंट खोलते हुए - तू ये मुझे चिढ़ाने के लिए बोल रहा है ना? पर मैं नहीं चिढ़ने वाली समझा? मैं अभी तुझे चूसकर ठंडा कर देती हूँ फिर तेरा सारा भुत उतर जाएगा औऱ तू फिर से मुझे सुमन नहीं माँ कहकर बुलायेगा..

गौतम कंडोम देते हुए - लो सुमन.. बिना कंडोम तुम्हे उल्टी हो जायेगी..

सुमन कंडोम लेकर फेंक देती है औऱ गौतम का लंड हाथ में पकड़कर उससे कहती है - उल्टी होती है तो हो जाए.. तुझे बिना कंडोम के अच्छा लगता है मैं उसी तरह तुझे खुश कर देती हूँ..

ये कहकर सुमन गौतम के लंड को मुंह में भरकर चूसने लगी औऱ गौतम सुमन को प्यार से देखता हुआ उसके सर पर हाथ फेरने लगा..

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गौतम - जानती हो सुमन जब आप सुबह नाच रही तब मेरा दिल आपको देखकर क्या कह रहा था मुझसे? मेरा दिल कह रहा था कि मैं आपको अपनी दुल्हन बना लू.. औऱ जो सुख पापा आपको सालों से नहीं दे पाये वो सुख मैं आपको हर रात दू.. सुबह तो मैंने अपनी खुली आँखों से हमारे बच्चों तक के नाम सोच लिए थे.. लड़का हुआ तो निखिल लड़की हुई तो निकिता..

सुमन लंड को पूरी मेहनत औऱ काम कला के साथ चूस रही थी मगर गौतम कि बात सुनकर वो बोली..

सुमन मुंह से लोडा निकालकर - गौतम तूने अब एक औऱ शब्द अपने मुंह से निकाला तो अच्छा नहीं होगा.. मैं तेरी माँ हूँ और माँ ही रहूंगी.. मुझे अपनी दुल्हन बनाने का ख्याल अपने दिल औऱ दिमाग से निकाल दे..

गौतम - मैं आप से प्यार करता हूँ सुमन..

सुमन - जितना तू मुझसे करता है उससे कहीं ज्यादा प्यार मैं तुझसे करती हूँ बेटू..

गौतम - सुमन मैं आपको अपनी माँ नहीं अपनी दुल्हन की तरह प्यार करता हूँ..

सुमन - ये ज़िद छोड़ दे ग़ुगु.. ये मुमकिन नहीं है.. मैं तुझे कभी भी वो सब नहीं दे सकती..

ये कहकर सुमन गौतम के लंड को वापस मुंह में भर लेती है औऱ चूसने लगती है

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मगर अब गौतम सुमन के मुंह से अपना लंड निकाल लेता है औऱ अपनी पेंट पहनने लगता है लेकिन सुमन गौतम के हाथ पकड़ कर उसे पेंट पहनने से रोक देती है औऱ कहती है.

सुमन - गौतम ये ज़िद छोड़ दे.. मैंने तेरी हर बात मानी है मगर ये बात मैं नहीं मान सकती.. तू चाहता है मैं अपनी ही नज़रो में गिर जाऊ? कभी खुदसे आँख भी ना मिला पाउ? कैसी जिद पर तू अड़ गया है गौतम.. तू चाहता है तो मैं आज से तुझे तेरे नाम से बुलाऊंगी.. तेरे मुंह से माँ की जगह सुमन भी सुन लुंगी.. मगर ये ज़िद छोड़ दे मेरे शहजादे..

गौतम सुमन से अपने हाथ छुड़वाकर अपनी पेंट पहन लेता है औऱ छत की रेलिंग के पास जाकर सुमन से कहता है..

गौतम - आप नीचे जाओ माँ.. मुझे अब आपसे कुछ नहीं चाहिए.. शादी एन्जॉय करो..

सुमन अपने घुटनो पर से पैरो पर खड़ी हो जाती है औऱ गौतम के पास आकर अपने ब्लाउज में सिगरेट का पैकेट निकालकर एक सिगरेट गौतम के होंठों पर लगा देती है औऱ लाइटर से जलाते हुए कहती है..

सुमन - मुझे माफ़ कर दे गौतम मैं तेरी ये इच्छा पूरी नहीं कर सकती.. तू चाहे तो मुझे अभी नंगा कर दे मैं उफ़ तक नहीं करुगी मगर मेरे शहजादे अपनी माँ को इस तरह जलील मत कर..

गौतम सिगरेट का एक लम्बा कश लेकर अपनी माँ के मुंह पर धुआँ छोड़ते हुए - माफ़ तो आप मुझे कर दो माँ.. मैं हमारे रिस्ते को भूल गया था.. पर अब आप भरोसा रखो मैं आपसे इस बारे में कुछ नहीं कहने वाला...

सुमन मुस्कुराते हुए गौतम के लंड पर पेंट के ऊपर से हाथ रखते हुए - चल गौतम.. मैं अपने छोटे ग़ुगु को थोड़ा प्यार कर लेती हूँ.. नीचे ना सही ऊपर से तो मैं तेरी हर ख्वाहिश पूरी कर सकती हूँ..

गौतम सिगरेट का कश लेकर सुमन का हाथ लंड पर से हटाते हुए - रहने दो माँ.. छोटा ग़ुगु सो चूका है.. आप जाओ नीचे..

सुमन गौतम के हाथ से सिगरेट लेकर कश लेती है औऱ गौतम के लंड को इस बार जोर से हाथों में पकड़कर मसलते हुए गौतम से कहती है..

सुमन - छोटे ग़ुगु को नींद से जगाना औऱ खड़ा करना मुझे अच्छे से आता है.. तू फ़िक्र मतकर मैं छोटे ग़ुगु को खुश करने में ज्यादा वक़्त नहीं लगाउंगी..

सुमन कहते हुए अपने घुटनों पर बैठ जाती है गौतम की पेंट उतारने लगती है लेकिन गौतम सुमन के हाथों से अपनी पेंट छुड़वाते हुए उसे कहते हैं..

गौतम - मन नहीं माँ.. रहने दो..

सुमन गुस्से से - मैं अच्छी तरह जानती हूँ तेरा मन क्यों नहीं है? तू मुझसे नाराज़ है ना.. मैंने तेरी ज़िद पूरी नहीं की इसलिए? तूने अगर अपनी ज़िद नहीं छोडी तो मैं यही से नीचे कूद कर अपनी जान दे दूंगी..


ये कहते हुए सुमन छत की रेलिंग की तरफ बढ़ती है और उससे पार करने की कोशिश करने लगती है मगर पीछे से गौतम उसका हाथ पकड़ कर सुमन को अपनी तरफ खींच लेता है और एक जोरदार थप्पड़ सुमन के गाल पर मरता हुआ उसे अपनी बाहों में भर लेता है औऱ सुमन से कहता है..

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गौतम - अगली बार मरने की बात भी की, तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा समझी आप?

सुमन थप्पड़ खाकर भी मुस्कुरा पडती है औऱ गौतम के होंठों को चुमकर कहती है - अपनी माँ के गाल पर इतना जोर से थप्पड़ मारना जरुरी था?

गौतम अपनी माँ सुमन को बाहों में भरके छत पर बने फालतू सामान से भरे कमरे की तरफ उठाकर ले जाते हुए - अभी तो सिर्फ एक ही पड़ा है अगली बार ऐसा कुछ किया ना आपने तो बहुत पिटोगी आप..

इतना कहते हुए गौतम सुमन को कमरे में एक चारपाई पर बैठा देता है औऱ सुमन का पल्लू हटाकर उसकी ब्लाउज के सारे बटन खोलकर ब्रा ऊपर सरकातें हुए सुमन के कबूतर आजाद कर देता है औऱ फिर अपनी पेंट खोलकर लंड को लहराते हुए सुमन के मुंह में घुसा देता है औऱ सुमन भी मुस्कुराते हुए गौतम के लंड को बिना कंडोम लगाए चूसने लगती है औऱ लंड चूसते हुए गौतम को देखने लगती है..

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गौतम अपनी माँ के इस रूप से उत्तेजित औऱ कामुकता के शिखर पर जा चूका था उसे झड़ने में ज्यादा समय नहीं लगा औऱ उसने सारा वीर्य सुमन के मुंह में भरके उसे अपना वीर्यपान करवा दिया औऱ सुमन न चाहते हुए भी गौतम को खुश करने के लिए उसका वीर्य पी गई...

गौतम झड़ने के बाद सुमन के बगल में बैठ जाता औऱ औऱ गले में हाथ डाल कर सुमन की एक चूची पकड़कर मसलते हुए कहता है..

गौतम - काश आप मेरी माँ नहीं बीवी होती सुमन.. मैं आपको बिस्तर से उठने ही नहीं देता..

सुमन हसते हुए गौतम का लंड साफ करती हुई - ये नहीं होने वाला बच्चू.. तेरे नसीब मेरे ऊपर का छेद है नीचे का नहीं.. चल अब जाती हूँ..

वरना तू फिर से शुरू हो जाएगा..

सुमन जैसे ही उठने लगती है गौतम सुमन को अपनी गोद में बैठा लेता है औऱ कहता है - थोड़ी देर बैठो ना माँ मेरे साथ.. नीचे जाकर क्या करोगी.. कितनी भीड़ औऱ शोर है नीचे..

सुमन - शादी में भीड़ औऱ शोरगुल तो होता ही है.. जब तेरी शादी होगी तब भी इतना ही ऐसे ही भीड़ औऱ शोर होगा..

गौतम - नहीं होगा माँ.. मेरी शादी में सिर्फ दो लोग ही रहेंगे.. एक मैं औऱ दूसरी आप.. हमारी शादी ख़ास होगी..

सुमन - गौतम देख तू वापस वही बात मत शुरू कर देना.. मैं तुझे अपना फैसला बता चुकी हूँ..

गौतम - मैं तो मज़ाक़ कर रहा था मेरी प्यारी सी सेक्सी सुमन..

सुमन सिगरेट सुलगाते हुए - रूपा का फोन आया था कह रही थी तेरा फ़ोन बंद है..

गौतम - हाँ अब इतने चाहने वाले है मेरे.. किस किस से बात करता तो सोच कुछ बंद ही कर देता हूँ..

सुमन सिगरेट का कश लेकर सिगरेट गौतम को देती हुई - एक बार बात कर ले बेचारी बहुत परवाह करती है तेरी..

गौतम कश लेकर - पता है माँ.. वापस जाकर रूपा मम्मी के साथ ही रहेंगे हम दोनों..

सुमन - मम्मी? माँ सिर्फ मैं हूँ तेरी औऱ कोई नहीं.. समझा?

गौतम - आप माँ हो रूपा मम्मी औऱ माधुरी छोटी माँ.. मैंन छोटी माँ को सब बता दिया..

सुमन - फिर क्या कहा उसने?

गौतम - पहले तो कुछ नहीं बोली मगर फिर थोड़ा डांटने लगी औऱ बोली आपसे बात करनी है उसे..

सुमन - बात करवा ना फिर..

गौतम - वापस चलकर बात कर लेना माँ सीधा घर चले जाएंगे उनके..

सुमन - उनका घर कैसे हुआ? तेरे पापा ने लिया है घर.. हमारा भी हक़ है उसपर.. मैं तो जाकर उससे यही बात करुँगी औऱ तेरे पापा से भी यही बात कहूँगी..

गौतम - पर हम खुश है ना वहा भी..

सुमन - खुश? उस शुरू होते ही ख़त्म होने वाली जगह में रहकर खुश है तू? मैं खुश नहीं हूँ.. मेरा हक़ कोई औऱ चुड़ैल नहीं खा सकती..

गौतम सिगरेट सुमन को देते हुए - गुस्से में कितनी प्यारी लगती हो माँ..

सुमन कश लेकर - तेरा भी हक़ है उस घर पर.. हम वापस जाकर रूपा नहीं माधुरी के साथ रहेंगे.. देखती हूँ वो कैसे रोकती है हमें..

गौतम - वो क्यों रोकने लगी माँ.. वो तो शायद यही चाहती है औऱ इसीलिए आपसे बात भी करना चाहती है.. वैसे मेरे लिए भी अच्छा है.. आप तो अपनी चुत को छुपा के रखो.. छोटी माँ तो मुझे अच्छे से प्यार करेंगी उस घर में..

सुमन गुस्से में - चुत के चककर में अपनी माँ की सौतन से प्यार करेगा तू..

गौतम मुस्कुराते हुए - सौतन होगी आपकी मेरी तो छोटी माँ है.. कैसे भी चोदू बुरा नहीं मानती उल्टा बराबर का साथ देती है..

सुमन उदासी से - देख रही हूँ उस डायन ने मेरा पति तो छीन ही लिया है मेरा बेटा भी मुझसे छीन रही है..

गौतम सुमन की उंगलियों में सुलगती सिगरेट को अपनी उंगलियों में लेकर सुमन के होंठों पर सिगरेट लगाते हुए - ऐसा नहीं है मेरी सेक्सी सुमन.. आपसे मुझे कोई नहीं छीन सकता..

सुमन सिगरेट का कश लेकर गौतम को देखते हुए - भाभी का बहुत बुरा हाल किया है तूने.. बेटी की शादी में चलने ठीक से लायक नहीं छोड़ा..

गौतम - कुछ सीखो अपनी भाभी से माँ.. आप आगे के लिए मना कर रही हो मामी तो आगे पीछे दोनों तरफ ले गई थी मेरा..

सुमन चौंकते हुए - तूने भाभी की गांड..

गौतम हस्ते हुए - हाँ.. मारी है मैंने आपकी प्यारी भाभी की गांड..

सुमन - भाभी ने मना नहीं किया? बहुत दर्द हुआ होगा उनको तो..

गौतम - मना तो किया पर.. बदले में गांड मारना तो जायज था.. सुबह यहां आने के बाद भी एक बार औऱ मरवाई थी मामी ने..

सुमन - तभी ये हाल है भाभी का.. तुझे शर्म नहीं आई.. इतना सब करते हुए...

गौतम मुस्कुराते हुए - भाभी तो फिर भी चल पा रही है माँ..एक बार आप हाँ कर दो फिर देखना आपको तो चलने लायक भी नहीं छोडूंगा.. वैसे माँ मुझे तो इस शादी में कई चुत मिल जायेगी.. आप कहो तो आपकी इस चुत के लिए लोड़ो का बंदोबस्त करू?

सुमन हसते हुए - अपनी माँ का दल्ला बनेगा तू.. बेशर्म..

गौतम - जब आप मेरी ख़ुशी के लिए ये सब कर सकती हो तो में क्यों नहीं कर सकता.. मुझसे नहीं चुदना तो किसी औऱ से चुदलो.. मैं बुरा नहीं मानुगा..

सुमन जोर से हँस्ती हुई - अब नीचे जाने दे वरना तू मुझे सच में किसीसे चुदवा देगा..

गौतम सुमन के दोनों चुचे अपने हाथों में पकड़कर मसलते हुए - आपके जैसी खूबसूरत औरत बिना चुदे अपने दिन बिताये ये तो बहुत गलत बात है माँ..

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सुमन - कितना जोर से दबाता है तू गौतम मेरे बोबो को.. अब तो सारे ब्लाउज औऱ ब्रा भी टाइट हो गई है.. लगता है तूने दबा दबा के मेरे बोबो का साइज बढ़ा दिया है.. अब नए ब्रा औऱ ब्लाउज बनवाने पड़ेगे.. बाबाजी से तेरी शिकायत करनी पड़ेगी.. छोड़ अब..

ये कहकर सुमन नीचे चली जाती है औऱ गौतम छत पर ही ठहलने लगता है फिर कुछ देर बाद वो भी नीचे आ जाता है..

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फ़ोन क्यों नहीं उठा रहे थे?
सो रहा था..
इतनी देर तक सो रहे थे? ऐसा क्या कर रहे थे रातभर?
अरे यार.. बताया था ना कल फंक्शन था यहां.. इतना शोर गुल था नींद ही नहीं आई.. सुबह 4 बजे सोया था..
तो बताना चाहिए था ना मुझे.. मैं अपनी बाहों में भरके सुला लेती तुम्हे..
ओह हो.. फिर अगर मैंने तेरे बदन को इधर उधर से पकड़कर छू लिया होता औऱ तेरे साथ जोर जबरदस्ती करने की कोशिश की होती, तब तू क्या करती?
तब मैं तुम्हे चुम लेती औऱ कहती कि अगर तुमने मेरे साथ जबरदस्ती नहीं की तो मैं तुम्हारे साथ जबरदस्ती कर लुंगी.. औऱ फिर तुम्हारी इज़्ज़त लुटकर अपनी हवस मिटा लेती..
अच्छा ज़ी.. 4 दिनों में ही इतनी मोहब्बत हो गई मुझसे?
एक बार मिलने तो आओ मुझसे तुम.. फिर बताउंगी ये कबाड़ी वाले की बेटी कितनी मोहब्बत करती है तुमसे..
2-3 दिन की औऱ बात है रेशमा.. फिर देखना तेरा ये आशिक कैसे तेरी चुत की खुजली मिटाता है..
मुझसे तो रहा ही नहीं जा रहा तेरे बिना मेरे कुत्ते.. मन कर रहा है इस फ़ोन में घुसके तेरे पास आ जाऊ औऱ तुझे अपने गले से लगा लू..
अच्छा ये चैटिंग छोड़ वीडियो कॉल कर ना रेशमा.. देखना है तुझे..
एक मिनट.. हाँ.. कॉल कर रही हूँ..
गौतम वीडियो कॉल उठाके - आज तो बहुत प्यारी लग रही हो..
रेशमा हस्ते हुए - कुछ पहन तो लो.. कैसे नंगे होके बैठे हो..
गौतम केमेरा में अपना रेशमा को लंड दिखाकर - देखो ना ये बेचारा तुमसे मिलने की आस में कैसे खड़ा है.. बोलता है जब तक तुझसे नहीं मिलेगा तब तक नहीं बैठेगा..
रेशमा अपनी कुर्ती उतारकर अपने चूचियाँ मसलते हुए - गौतम इससे कहो कि ये खड़ा हुआ ही अच्छा लगता है.. जब हमारी मुलाक़ात होगी तब अगर ये बैठ गया तो बहुत मार खायेगा मुझसे..
गौतम - रेशमा तुम तो कह रही थी असलम बात तक नहीं करता तुमसे फिर तुम्हारे चुचे इतने कैसे बड़े होते जा रहे है? कोई औऱ तो इनपर मेहनत नहीं कर रहा ना?
रेशमा - कमीने फ़ोन पर बड़े लग रहे होंगे तुझे.. तीन साल से ब्रा का साइज वही है..
गौतम - फ़िक्र मत कर मेरी फुलझड़ी.. बहुत जल्दी तेरी चूची औऱ चुत्तड़ का साइज बढ़ने वाला है..
रेशमा अपनी चुत में ऊँगली करती हुई - गौतम देखो ना.. कैसे ये कमीनी तुम्हे देखकर गीली हो गई है.. लगता है तुमसे दुरी इसे भी बर्दाश्त नहीं है..
गौतम - तो तुम ही क्यों नहीं आ जाती मुझसे मिलने यहां? परसो की शादी है.. औऱ कोनसा तू दूर रहती है.. दो घंटे का ही तो सफर है..
रेशमा - पर आउ किसके साथ? क्या कहूँगी असलम से?
गौतम - बोल देना तेरी सहेली की शादी है.. कार्ड मैं तुझे व्हाट्सप्प कर देता हूँ..
रेशमा - ठीक है मैं बात करके देखती हूँ असलम से.. वैसे उम्मीद तो बहुत कम वो मेरी बात मानेगा..
गौतम - वैसे रेशमा.. एक बात बताऊ.. मैंने आदिल के फ़ोन से तेरे नंबर नहीं लिए थे.. आदिल ने खुद मुझे तेरे नम्बर दिए थे..
रेशमा चुत में ऊँगली करती हुई - क्यों दिए थे उसने तुझे मेरे नंबर?
गौतम - ताकि मैं तेरी चुत की खुजली को मिटा सकूँ..
रेशमा झड़ने लगती है फिर संभलकर कहती है - तूने अब तक हमारे बीच जो हुआ वो आदिल को तो नहीं बताया ना..
गौतम - अभी तक हुआ ही क्या है हमारे बीच.. जो मैं किसी को बताऊंगा.. पहले कुछ हो तो जाए..
रेशमा मुस्कुराते हुए - होने के बाद भी अगर तुमने किसी से कुछ कहा तो बहुत मार खाओगे देखना..
गौतम - अच्छा अब रखता हूँ.. नहाना है मुझे..
रेशमा - आई लव यू मेरे कुत्ते..
गौतम - आई लव यू मेरी कुत्तिया.. फ़ोन कट हो जाता है..

गौतम नहाने लगता है और नहा कर जब बाहर आता है तो उसे अपने सामने खड़ी हुई आरती कप मैं चाय लिए दिखती है जो गौतम को सिर्फ टावल में देखकर अपनी आँखे सेकती हुई बार-बार गौतम को ऊपर से नीचे तक देख कर अपने होंठों पर जीभ फिराते हुए उसे आंखों से अश्लील इशारे कर रही थी जिसे गौतम अच्छे से समझ रहा था और आरती के मन की दशा भी उसे अब अच्छे से समझ आ रही थी...

गौतम में नाराज होने का नाटक करते हुए आरती से चाय का कप नहीं लिया और अपने गीले बाल सुखाने लगा.. आरती ने चाय का कप टेबल पर रखते हुए गौतम के हाथ से तोलिया ले लिया और उसे बेड पर बिठाते हुए अपने हाथ से उसके बाल सुखाने लगी.. गौतम को आरती से इस तरह की कोई उम्मीद नहीं थी मगर जिस तरह से आरती उसके सर के बाल जो गीले थे उन को तौलिये से सुखा रही थी.. गौतम जान रहा था कि आरती पूरी तरह से गौतम के ऊपर लट्टू है और गौतम से आकर्षित है.. आरती बहाने बहाने से गौतम के बदन को छू रही थी और गौतम आरती से बचते हुए ऐसा दिखा रहा था जैसे वह आरती से दूर जाना चाहता हो मगर आरती उसे अपने से दूर नहीं करना चाहती थी..

आरती - क्या बात है देवर ज़ी? गले औऱ सीने पर इतने निशान.. लगता है कई बिल्लीओ ने आपका ये हाल किया है..
गौतम आरती से तौलिया लेकर - रहने दो भाभी मैं सूखा लूंगा अपने बाल..
आरती - अरे अरे.. नहीं बताना तो मत बताओ.. देवर ज़ी.. पर ऐसे क्या करते हो.. अपनी भाभी को कम से कम इतना तो करने दो..
यह कहते हुए आरती गौतम के बेहद करीब आ जाती है और उसके होठों से अपने होंठ लगभग लगाते हुए उसके बाल साफ करने लगती है मगर गौतम अपना चेहरा मोड़ते हुए आरती से मुंह फेर लेता है औऱ आरती से कहता है.
गौतम - भईया याद कर रहे होंगे आपको भाभी.. अब रहने दो.. मैं कर लूंगा..
आरती उदासी से - तुम्हारे भईया ही तो याद नहीं करते मुझे.. देवर ज़ी.. वो तो बस दूकान ही सँभालते है मुझे सँभालने के लिए उनके पास ना तो वक़्त है ना उनमे इतनी ताकत..
गौतम बाल बनाते हुए - तभी मेरे पीछे पड़ी हो आप.. पर ये ख्याल छोड़ दो भाभी.. मैं नहीं पटने वाला..
आरती अपना पल्लू गिराकर गौतम के करीब आते हुए - अरे देवर ज़ी.. पटाना अभी शुरू ही कहा किया है मैंने आपको.. शादी का माहौल है.. सबकी इच्छा पूरी हो रही है.. मेरी मुराद भी पूरी हो जाए तो आपका क्या बिगड़ जाएगा.. इतनी बुरी भी नहीं है आपकी भाभी.. आपके गले औऱ सीने पर कुछ निशान छोड़ने का हक़ तो आपकी इस भाभी का भी है..

ये कहते हुए आरती ने गौतम की कमर पर बंधे हुए तोलिया को अपनी उंगली के दबाव से एकदम से झटके से खोल दिया और गौतम को इसका अंदाजा भी नहीं था. गौतम ने अभी तौलिये के नीचे अंडरवियर नहीं पहना था जिससे तोलिया हटाने पर वह पूरी तरह अपनी प्राकृतिक अवस्था में आ गया और आरती के सामने उसका विशालकाय हथियार लहराते हुए झूलने लगा.. गौतम का हथियार देखकर आरती के जैसे रोंगटे खड़े हो गए और वह कामुकता से भर्ती हुई सन रह गई उसने आज से पहले इस तरह की कोई चीज नहीं देखी थी आरती अश्लील फिल्में देखने की शौकीन थी और अक्सर वह फिल्मों में इस तरह के लंड देखती थी मगर आज उसने हकीकत में ऐसा कुछ देख लिया था और उसे देखकर उसकी आंखें खुली की खुली रह गई थी और वह हैरत से गौतम को देख रही थी.

गौतम का आरती से ऐसा कुछ करने की उम्मीद नहीं थी मगर आरती ने जब ऐसा कुछ कर दिया तो उसे समझ नहीं आया कि वह क्या करें वह पहले तो एक दो पल के लिए भूत बना हुआ खड़ा रहा मगर फिर अपने तोड़ने को फर्ष से उठाकर वापस अपनी कमर पर बांध लिया और आरती पर गुस्सा होते हुए चिल्लाते हुए कहा..
गौतम - भाभी पागल हो क्या? ये क्या हरकत है?
आरती तो जैसे अभी तक गौतम के हथियार में ही खोई हुई थी उसे तौलिये के ऊपर से भी गौतम के हथियार की हल्की झलक मिल रही थी जो अभी तक सोया हुआ था.. आरती के कानों में गौतम की आवाज पड़ी ही नहीं और वह बस गौतम के लंड पर अपनी नजर डालें खड़ी हुई सिर्फ गौतम के लंड की ओर देख रही थी, गौतम ने आरती को ऐसा करते हुए देखा तो फिर से चिल्लाकर उसका कंधा पकड़कर झकझोरते हुए कहा..
गौतम - भाभी... भाभी...
आरती - देवर ज़ी.. आपका इतना बड़ा..
गौतम शरमाते हुए - भाभी आप जाओ यहां से..
आरती वापस अपने हाथ से गोतम का तौलिया खींचने लगती है मगर इस बार गौतम आरती का हाथ पकड़ लेता है..
गोतम - भाभी पागल हो गई हो क्या आप.. क्या कर रही हो..
आरती उत्सुकता से - देवर ज़ी बस एक बार वापस देख लेने दीजिये.. मैं चली जाउंगी..
गौतम - दरवाजा खुला हुआ है भाभी, कोई देख लेगा आप जाओ यहाँ से..
आरती - कोई नहीं देखेगा ग़ुगु.. मैं दरवाजा बंद करके आती हूँ..

आरती दरवाजा बंद करने के लिए मुड़ जाती है और दरवाजा बंद करने लगती है आरती के दरवाजा बंद करते ही बाहर हाल में डीजे की आवाज बजनी शुरू हो जाती है जिसमें आज शादी का महिला संगीत था.. डीजे पर पहला गाना बजते ही होटल में चारों तरफ शोर गुल मच जाता है जिसमें हर किसी को एक दूसरे की आवाज सुनाई नहीं दे रही थी हर कोई एक दूसरे से जोर से कहकर बात कर रहा था और एक दूसरे को इशारों से अपनी बात समझ रहा था इसका फायदा उठाकर आरती ने दरवाजा बंद कर वापस गौतम के पास आ गई और उसका तोलिया खींचने की नीयत से अपना हाथ बढ़ा दिया..
गौतम हाथ पकड़ते हुए - भाभी क्या मज़ाक है.. जाओ आप यहां से..
आरती अपना हाथ छुड़ाकर अपनी साडी उतारते हुए - देवर ज़ी आज तो चाहे कयामत आ जाए.. मैं यहां से नहीं जाने वाली..
आरती जब अपनी साड़ी उतार रही होती है गौतम की नजर आरती के ब्लाउज में चली जाती है जहां दो मस्त-मस्त मौसम कड़क होकर सामने की तरफ तनी हुई थी और उनको देखने से लगता था कि उन पर अब तक किसी के हाथ नहीं पड़े हैं और ना ही आरती ने इन पर किसी और को हुकूमत करने का आदेश ही दिया था..
गौतम का सोया हुआ लैंड धीरे-धीरे उठने लगता है और वह आरती को अपने कपड़े उतारते हुए देखने लगता है आरती साड़ी के बाद अपना ब्लाउज और फिर पेटिकोट उतार कर ब्रा औऱ पेंटी में आ जाती है और फिर गौतम की ओर बढ़ने लगती है.. इस बार गौतम ने आरती से बिना किसी शर्म और लिहाज़ के मिलने का निश्चय कर लिया था और वह अपनी और आती हुई आरती को कामुक नजरों से देखने लगा था..

गौतम ने अपनी और आती हुई आरती को देखते हुए अपना तोलिया अपने हाथों से ही हटाकर साइड में रखे सोफे पर फेंक दिया और आरती की कमर में हाथ डालकर उसे अपने करीब खींचते हुए उठाकर एक साथ बिस्तर पर पटक दिया... वहां से गौतम आरती के ऊपर चढ़ा और उसे छूने लगा.. आरती भी गौतम के इस व्यवहार से हक्की बक्की रह गई और चौंकते हुए वह गौतम को चूमने लगी और उसकी आंखों में देखी हुई अपनी आंखों के इशारों से उसे पूछने लगी कि एकदम से उसे यह क्या हुआ है मगर गौतम ने उसकी आंखों के इशारे का कोई प्रति उत्तर नहीं दिया और चुपचाप आरती के होठों का स्वाद लेने लगा दोनों के होंठ आपस में इस तरह मिल रहे थे जैसे दो बिछड़े हुए दोस्त लिपटकर एक साथ मिल जाते हैं दोनों के बीच होठों की जंग जुबानी हो चुकी थी गौतम और आरती ने एक दूसरे की जीभ को अपने-अपने मुंह से निकाल कर एक दूसरे की जीभ से लड़ाना और मिलना चालू कर दिया था..

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आरती को जो सुख अपने पति चेतन से नहीं मिल पाया था वह गौतम से पा लेना चाहती थी और किसी नियत से गौतम को चूम रही थी..

चुंबन के दौरान गौतम ने आरती की ब्रा निकाल कर फेंक दी जिससे उसके नुकीले सूचक गौतम के सीने पर चुभने लगे और इसमें गौतम को एक अजीब और मीठा अहसास होने लगा, उसकी कामुकता और ऊपर उठने लगी और हवाओं में तैरने लगी..

गौतम चुम्बन तोड़कर आरती से कहा - भाभी एक बार फिर सोच लो.. कल दीदी की शादी है औऱ एक बार मेरे साथ ये सब करने के बाद आप कुछ दिन ठीक से चल भी नहीं पाओगी.
आरती - मुझे फर्क नहीं पड़ता देवर ज़ी.. आप बस मुझे ऐसा रगड़ के रख दो कि मैं तृप्त हो जाऊ..
गौतम - जैसा आप चाहो भाभी..
गौतम इतना कह कर आरती कि छाती की तरफ आ जाता है और उसकी छतिया पर खड़े हुए चूचक अपने मुंह में लेकर चूसने लगता है और अपने हाथों से उन्हें मसलने और दबाने लगता है जिससे आरती के मनोभावों में कामुकता कि हवा में घूमती महक की तरह उठकर फैलने लगती है और तैरने लगती है जिससे आसपास का वातावरण काममई हो जाता है..

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आरती गौतम का चेहरा पकडे हुए उसे अपनी छाती के उभार का मज़ा देने लगती है.. आरती के कड़क उठे हुए और तीर की तरह चुभने वाले चुचक गौतम अपने मुंह में लेकर इस तरह चूस रहा था जैसे वह बच्चे बचपन में अपनी माँ की चूची पकड़ के उनमे से दूध चूसते हैं...

आरती सीस्कारियां लेते हुए गौतम के चेहरे को पकड़े हुए उसके बालों में हाथ फिराती हुई उसे अपनी छाती का पूरा मजा दे रही थी और वह चाहती थी कि गौतम उसकी छाती से भरपूर मजे लेकर उसपर लट्टू हो जाए, उससे खेले जिससे उसकी ब्रा का साइज औऱ उसकी मादकता दोनों बढ़ जाए..

गौतम आरती के चुचे से खेलते हुए एक हाथ से उसकी पेंटिंग नीचे सरकार कर उतार देता है और फिर उसकी टांगों के बीच में आ जाता है और उसकी टांगें खोलकर उसकी जांघों की जोड़ पर अपना हाथ रखकर आरती की चुत को मसलने लगता है जिससे आरती अब खुलकर सिसकने औऱ आहे भरने लगती है..

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आरती की चुत से गौतम के हाथ लगाते ही पानी निकलने लगा था औऱ वो झड़ गई थी मगर फिर गौतम ने अपने लंड पर थूककर अपने लंड को आरती की चुत में घुसने के लिए सेट कर दिया औऱ धक्का देने लगा..

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आरती को चेतन ने सुहागरात से लेकर अब तक एक बार भी तृप्त नहीं किया था ना ही उसके साथ अच्छे से संभोग किया था जिससे आरती काम की अग्नि में जल रही थी और उसने शादी के इतने सालों तक अपनी चुत को घर में रखें गाजर मूली बैंगन यहां तक की बेलन से भी ठंडा किया था इसलिए उसकी चुत खुल तो चुकी थी मगर चुदी नहीं थी..

गौतम का लोहे की तरह मजबूत औऱ ठोस लंड अपनी पूरी औकात में खड़ा होकर आरती की चुत में घुसने लगा था औऱ आरती की सिस्कारिया अब उसकी चिंखो में बदलने लगी थी मगर यहां उसकी आवाज सुनने वाला कोई नहीं था.. ऊपर से उसकी आवाज नीचे बज रहे dj के शोर में इस तरह खो गई थी जैसे भुंसे के ढेर में सुई खो जाती है.

गौतम ने आरती पर रहम करते हुए अपना हथियार धीरे-धीरे उसकी गुफा में गुस्सा आया था मगर अब आधा हथियार अंदर जाने के बाद गौतम को आरती की शक्ल देखने में मजा आने लगा..
आरती की सूरत इस तरह की थी जैसे कोई बिन पानी मछली की होती है आरती की शक्ल देखते हुए गौतम को उसकी कही हुई हर बात याद आने लगी कि किस तरह से आरती कुछ दिनों से गौतम का दिल दुखाने की पूरी पूरी कोशिश कर रही थी हालांकि आरती उन बातों को मीन नहीं करती थी ना ही उसने वह बात जानबूझकर कही थी..

उसका मकसद सिर्फ गौतम का दिल दुखाना था जिसमें वह कामयाब भी नहीं हो पाई थी मगर गौतम को आप सब याद आ रहा था और वह आरती के चेहरे पर उभरते इस भाव को देखकर सुकून महसूस कर रहा था कि अब आरती का सारा घमंड और सारी अकड़ चकनाचूर हो चुकी है..
गौतम - क्या हुआ भाभी अभी तो आधा ही अंदर गया है औऱ आप तड़पने लगी..
आरती सिसकते हुए - देवर ज़ी मैं कोई रांड थोड़ी हूँ जो इतना बड़ा लोडा एक बार में ले जाउंगी..
गौतम - चिंता क्यों करती हो भाभी.. मैं हूँ ना आपका देवर.. आपको अपने लंड से चोदकर पक्का रांड बना दूंगा..
आरती - ग़ुगु धीरे धीरे करना.. अब दर्द भी होने लगा है..
गौतम - ऐसा लगता है तीन साल में चेतन भईया ने आपको हाथ तक नहीं लगाया.. बिलकुल नाजुक हो आप तो.. देखो सील टूट गई आपकी...
आरती - उसे तो सिर्फ खाना औऱ सोना है.. साला सो किलो का ढ़ोल है.. दूकान पर बैठने के अलावा कुछ नहीं आता..
गौतम - ये बात तो है भाभी.. चेतन आप जैसी हसीन नाजुक औऱ प्यारी लड़की के लायक़ नहीं है..
आरती धीरे धीरे अपनी गांड उठाकर चुदवाते हुए - तो देवर ज़ी.. आप क्यों नहीं बना लेटे मुझे अपना.. ले चलो अपनी भाभी को भगा के.. मैं मना थोड़ी करुँगी..
गौतम धीरे धीरे आधे लंड से चोदते हुए - रहने दो भाभी.. ये ऐश औऱ आराम छोड़कर जाना आपके बस की बात नहीं है..
आरती - ऐसा नहीं है देवर ज़ी.. मैं तो आपके साथ फुटपाथ पर भी रह लुंगी. बस आप अपने इस लंड से मेरी चुत की सर्विस टाइम से करते रहना..
गौतम एक जोरदार धक्का मारके आरती की चुत में अब पूरा लंड घुसा देता है औऱ आरती चिल्लाते हुए गौतम से लिपटकर सिसकियाँ लेने लगती है..

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गौतम - भाभी दर्द तो नहीं हुआ ना..
आरती - देवर ज़ी आपने तो आज असली में सील तोड़ दी..
गौतम मिशनरी पोज़ में आरती की चुदाई करता है और फिर आरती को अपने आगे घोड़ी बनाकर उसकी सवारी करने लगता है..

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आरती खुलकर गौतम के साथ अपनी हवस बुझा रही थी उसे अब किसी की फिक्र नहीं थी आरती खुल के गौतम को अपना चुकी थी और उसके साथ मजाक मस्तियां करते हुए कामसुख भोग रही थी..

गौतम ने घोड़ी के बाद आरती को अपनी गोद में उठा लिया औऱ उठा उठा के चोदने लगा..

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आरती ने गौतम का बराबर साथ दिया औऱ चुदाई लीला में गौतम को भी पूरा मज़ा मिलरहा था.. आरती बार बार गौतम के होंठों को चूमकर उससे अपने प्यार का इज़हार कर रही थी औऱ चुदाई के चरम पर पहुंचकर झड़ चुकी थी.. इस चुदाई में कई बार चुत से झड़ने के बाद आरती ने गौतम को अपनी चुत में घुसा कर लंड पर दबाब बनाते हुए गौतम को भी अपने अंदर अपना पानी निकालने पर मजबूर कर दिया औऱ दोनोंअपनी इस चुदाई के महासंगम के महामिलन से तृप्त होकर एक दूसरे की बाहों में लेट गए थे..
आरती - देवर ज़ी.. आप तो बहुत बुरे हो..
गौतम - क्यों भाभी.. मज़ा नहीं आया आपको?
आरती - प्यार से प्यार करने को कहा था मैंने औऱ आपने.. एक झटके में अपना ये अजगर मेरी बिल में घुसा दिया.. देखो कितनी फ़ैल गई है मेरी चुत..
गौतम - भाभी ऐसी फैली हुई चुत तो हमारे प्यार की निशानी है..
आरती मुस्कुराते हुए - बड़े आये प्यार की निशानी देने वाले.. मैं जानती हूँ तुमने मेरी बातों का बदला लिया है मुझसे..
गौतम - भाभी आपसे बदला? आप किस बात का बदला लूंगा मैं? मैं जानता था कि आप बस मेरा दिल दुखाने के लिए ही बोल रही थी जो आपने बोला.. मैं तो आपसे कभी नाराज़ था ही नहीं..
आरती मुस्कुराते हुए - अच्छा देवर ज़ी.. अब जाने दीजिये.. मौका मिलते ही वापस प्यार झरने आउंगी आपसे.
गौतम - जैसा आप चाहो भाभी.. आपका देवर हमेशा आपकी सेवा के लिए तरयार रहेगा...
आरती बेड से खड़े होते ही लड़खड़ा जाती है हसते हुए गौतम को देखती है..
गौतम सिगरेट सुलगाते हुए - मैंने तो पहले ही कहा था भाभी.. चुदने के बाद ठीक से चल भी नहीं पाओगी..
आरती लड़खड़ाकर दो कदम चलती है उसके मन में वापस चुदने की तलब थी मगर जुबान से इस बात को कहना आरती के बस में अब नहीं था वो कमरे के दरवाजे पर रूकते हुए मुस्कुराते हुए गौतम से कहती है - देवर ज़ी मुझे मेरे रूम तक छोड़ दोगे?
गौतम सिगरेट का एक कश लेकर आरती से कहता है - ये भी तो आपका रूम है भाभी यही आराम कर लो.. शाम तक तो वैसे भी कोई नहीं है पूछने वाला..
आरती लड़खड़ाती हुई वापस बेड के करीब आ जाती है जहाँ गौतम आरती का हाथ पकड़कर उसे अपने ऊपर खींच लेता है औऱ आरती गौतम के ऊँगली में सुलगती सिगरेट लेकर एक लम्बा सा कश भरती है औऱ फिर सिगरेट बुझाकार गौतम को फिर से चूमने लगता है..

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Bhabhi ka number bhi lag gaya ab bachi ritu shadi se pahle use badla baccha hai waise nic update maa ko pyar to hai bass samaj ka dar use aisa nahi karne de raha hai
 

ellysperry

Humko jante ho ya hum bhi de apna introduction
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Update 20


सुबह नहाने के बाद जब सुमन नीचे गायत्री के पास गई तो घर औऱ शादी के काम में ऐसी उलझी की उसे गौतम से मिलने की फुर्सत ही नहीं मिली..

घर के नोकर अब्दुल की बीवी शबनम ने पहले सुमन का कमरा साफ किया औऱ फिर गौतम के कमरे में आ गई.. सफाई के दौरान जब शबनम को वीर्य से भरा हुआ रात में सुमन का गाँठ मारके रखा हुआ कंडोम मिला तो वो हैरानी से सो रहे गौतम को देखने लगी.. शबनम को लगा कि गौतम ने कंडोम में मुठ मारके गाँठ लगा कर यहां रख दिया है.. फिर उस कंडोम को कचरे में डालकर गौतम के कमरे की सफाई करके बाहर आ गई..

चाय बनते बनते सुबह के नो बज चुके थे औऱ सभी लोग नीचे बैठके शादी की तैयारियों को लेकर बातें कर रहे थे.. शबनम ने एक कप चाय का हाथ में लेकर सीढ़ियों से ऊपर जाने लगी तो पीछे से ऋतू ने उससे कहा..
ऋतू - शबनम तू कहा जा रही है..
शबनम पलटकर - ग़ुगु भईया को चाय देने..
ऋतू - मुझे दे, मैं दे आती हूँ ग़ुगु को चाय.. तू सबके लिए नास्ता बना दे..
शबनम - ठीक है दीदी..

ऋतू चाय का कप लेके ऊपर गौतम के रूम में आ जाती है जहा गौतम अब भी बेसुध सो रहा था.. ऋतू चाय बेड के ऊपर टेबल पर रख कर..
ऋतू गौतम को जगाते हुए - ग़ुगु.. ग़ुगु.. उठ जाओ.. सोते रहोगे क्या? ग़ुगु.. उठो ना..
गौतम आँखे खोल कर ऋतू को देखते हुए बेरुखी से - क्या है?
ऋतू गौतम की बेरुखी नज़रअंदाज़ करके - कब तक सोते रहोगे.. उठो ना.. चाय पिलो..
गौतम आँख बंद किये हुए ही जवाब देता है - मैं पी लूंगा, जाओ आप..
ऋतू - ग़ुगु चाय ठंडी हो जायेगी.. उठो ना..
गौतम उठते हुए बैठ जाता है..
ऋतू - कितनी देर तक सोता है.. पापा औऱ भईया से नहीं मिला ना तू.. वो कल रात औऱ अभी सुबह भी तुझे याद कर रहे थे..
गौतम चाय की एक चुस्की लेकर - मुझसे मिलकर क्या भला हो जाएगा उनका?
ऋतू गंभीर होकर - इतना भी क्या है ग़ुगु.. कल भाभी से इतनी बेरुखी से बात की औऱ अब मुझसे भी.. पता है भाभी को कितना बुरा लगा तेरी बातों का?
गौतम चाय पीते हुए - बुरा लगा तो मैं क्या करू? आप भी बुरा मान जाओ उनकी तरह..
ऋतू - तुझे ना बहुत बिगाड़ के रखा है बुआ ने अपने लाड प्यार से.. मैं कितनी प्यार से बात कर रही हूँ औऱ तू कितनी बदतमीजी से जवाब दे रहा है..
गौतम - मैंने कहा है मुझसे बात करने के लिए? मत करो.. चैन से सोने भी नहीं देते..
ऋतू - तू ना बहुत ज्यादा बोल रहा है ग़ुगु.. छोटा भाई है इसलिए तेरी बातें बर्दाश कर रही हूँ..
गौतम चाय का कप रखकर - मत करो बर्दाश्त.. वो तो माँ की ज़िद के कारण यहां आना पड़ा है वरना आता भी नहीं..
ऋतू गौतम की इस बात से उदास हो गई औऱ गौतम से बोली - मुझे लगा तू रूठा हुआ है पर तू तो नफरत करने लगा है हमसे.. तुझे नहीं पसंद तो ठीक है अब कभी बात नहीं करुँगी तुझसे..
गौतम वापस चादर ओढ़के सोते हुए - मैं किसीसे नफरत नहीं करता.. औऱ बात नहीं करोगी तो मेहरबानी होगी आपकी..

ऋतू चाय का कप जो गौतम के पिने से आधा खाली हो चूका था उठाकर कमरे से बाहर आ गई औऱ उसकी आँख से आंसू निकल पड़े जिसे उसने पोंछ लिया औऱ रसोई में कप रखकर अपने कमरे जाकर बैठ गई..
तीन घंटे बाद ऋतू की भाभी आरती ऋतू के पास आ गई औऱ उससे बोली - क्या हुआ दुल्हन? पार्लर नहीं चलना? उठो..
ऋतू - मन नहीं है भाभी आज कहीं जाने का..
आरती ऋतू की शकल देखकर - तू इतनी उदास क्यों है? किसी ने कुछ कहा है क्या? फ़ोन पर अपने दूल्हे से लड़ाई हो गई?
ऋतू - नहीं भाभी..
आरती - तो ऐसे उदास क्यों है..
ऋतू - कुछ नहीं भाभी, बस मन नहीं है बाहर जाने का..
आरती - मन को मना औऱ उठ जा दुल्हन.. पार्लर तो जाना ही पड़ेगा..
ऋतू झूठी मुस्कान होंठों पर लेकर - रुको भाभी मैं चेंज करके आती हूँ..
आरती - जल्दी मैं बाहर हूँ इंतजार कर रही हूँ..

आरती घर के बाहर आकर कार के पास खड़ी हो जाती है औऱ ऋतू का वेट कर रही होती है की गौतम नहाधो के बाहर आ जाता है गौतम ने पिंकी बुआ के गिफ्ट किये कपडे पहने हुए थे जिसमे वो किसी फ़िल्मी हीरो से कहीं ज्यादा आकर्षक औऱ स्मार्ट लग रहा था उसकी मासूम औऱ भोली सूरत उसके हट्टे कट्टे औऱ लम्बे चौड़े शारीर खिल रहा था.. आरती से गौतम को देखकर बिना उससे बात किये नहीं रहा गया औऱ जब गौतम कार की तरफ जाने लगा है तब आरती गौतम से कहने लगी..
आरती - आज किस पर बिजली गिराने का इरादा है गौतम ज़ी.. बड़े तैयार होके निकले हो.. यहां पहले दिन ही गर्लफ्रेंड बना ली क्या?
गौतम आरती औऱ उसकी बात को अनदेखा औऱ अनसुना करके कार मैं बैठ गया औऱ जैसे ही दरवाजा बंद करने के लिए हाथ बढ़ाया आरती कार के गेट पर आ खड़ी हुई औऱ गौतम को देखकर मुस्कुराते हुए बोली..
आरती - बात भी नहीं करोगे आप अपनी भाभी से? इतनी बुरी तो नहीं हूँ मैं?
गौतम - आपके बुरे या भले होने से मुझे क्या मतलब? दरवाजा छोडो जाना है मुझे..
आरती मुस्कुराते हुए - अरे बड़े बदतमीज हो तुम तो देवर ज़ी.. 24 घंटे गुस्सा नाक पर ही रहता हो क्या?
गौतम - आपको समझ नहीं आती क्या? मैं नहीं करना चाहता आपसे बात.. छोड़िये दरवाजा..
आरती गौतम की बात सुनकर - जाओ नहीं छोड़ती दरवाजा... कुछ बिगाड़ लोगे अपनी भाभी का तुम? बोलो? बात करने का ढंग तो ऐसा जैसे किसी रियासत के राजकुमार हो औऱ मैं तुम्हारी दासी.. सीधे मुंह बात भी नहीं करनी आती..
गौतम - मुझे सीधे मुंह बात करनी भी नहीं आप लोगों से.. आपको नज़र नहीं आता क्या, मैं आप लोगों को पसंद नहीं करता? फिर जबरदस्ती क्यों मेरे पीछे को पड़े रहते हो.. अपने काम से काम क्यों नहीं रखते? या फिर खानदानी आदत ही खराब है आपकी?
आरती इस बार गौतम की बात से घायल हो चुकी थी उसको गौतम की बात का उतना ही बुरा लगा था जितना तीन घंटे पहले ऋतू को लगा था.. आरती गुस्से से भर गई औऱ कार का दरवाजा छोड़ते हुए बोली..
आरती - अरे ओ भिखारी.. ज्यादा ना खुदको हीरो मत समझ.. मांगी हुई गाडी में बैठकर कोई मालिक नहीं बनता.. समझा? प्यार से बात कर रही हूँ तो सर चढ़कर नाच रहा है.. खानदान पर जा रहा है.. चल निकल..
गौतम पलटकर कुछ नहीं बोलता औऱ कार का दरवाजा बंद करके वहाँ से चला जाता है जबकि गौतम के जाने के बाद आरती को महसूस होता है कि उसने गौतम से गुस्से में क्या क्या कह दिया था.. आरती को अजीब लग रहा था औऱ अपनी बातों पर पछतावा भी हो रहा था.. मगर जब ऋतू बाहर आई तो उसने इस बारे में उसे कुछ नहीं बताया औऱ उसके साथ पार्लर चली गई..

गौतम के दिल में आरती की बातें तीर की तरह चुभ चुकी थी उसे अब ऋतू के साथ आरती भी आँखों में चुबने लगी थी.. मगर गौतम ने उस बात को वही छोड़कर आगे बढ़ने का फैसला किया औऱ कार को शहर के एक बड़े मॉल की पार्किंग में पार्क करके माल के अंदर आ गया फिर अपने फ़ोन में कुछ देखकर ग्राउंड फ्लोर पर ही बने एक बड़े से मार्ट में घुस गया जहा बहुत सी खाने से लेकर पहनने तक की अलग अलग चीज़े थी..

गौतम इधर उधर घूमने लगा जैसे किसी को तलाश करहा हो.. बहुत देर तक घूमने के बाद उसे एक कोने में कपडे रखती हुई एक लड़की दिखी जिसे देखकर गौतम उसके पास आ गया औऱ उसके पीछे खड़ा होकर बोला..
गौतम - मेरी साइज का कुछ मिलेगा?
लड़की ने कपडे रखना छोड़कर एक नज़र पीछे देखा औऱ बोली - क्या साइज है आपका? इतना कहकर लड़की एक टक गौतम को देखती ही रह गई..
गौतम - ज़ी एक्स्ट्रा लार्ज़..
लड़की कपडे छोड़कर खड़ी हो गई औऱ गौतम के गले लगकर गौतम से बोली - तू यहां क्या कर रहा है?
गौतम - बस आपको तलाशते हुए चले आये.. पुरे दो साल लगे है ढूंढने में..
लड़की मुस्कुराते हुए - दस मिनट में लंच होने वाला तू बाहर वेट कर मैं ये काम ख़त्म करके आती हूँ..
गौतम - पक्का?
लड़की गौतम के गाल चूमकर - पक्का मेरी जान..
गौतम बाहर चला जाता है औऱ लड़की का वेट करने लगता है साथ ही आदिल को फ़ोन करता है..
आदिल - हां रंडी.. मिल गई सलमा?
गौतम - सही एड्रेस है गांडु.. सलमा आपा यही काम करती है.. अच्छा ये बता तेरी औऱ शबाना की बात कहा तक पहुंची?
आदिल - भाई अम्मी के हॉर्न दबाने तक बढ़ गई..
गौतम - सही है मादरचोद.. साले चुचे तक तो आ गया तू.. पर जबरदस्ती तो नहीं की ना तूने?
आदिल - अरे नहीं रंडी.. अम्मी तो आगे से अपने चुचे हिला हिला कर हिंट दे रही थी..
गौतम - लगा रह गांडु फिर तो.. अच्छा बाद में बात करता हूँ.. सलमा आपा आ रही है.. गौतम फ़ोन काटकर जेब में रख लेटा है..
सलमा आकर मुस्कुराते हुए - अच्छा मुझे क्यों ढूंढ़ रहा था तू दो साल से?
गौतम - कुछ पूछना था आपसे..
सलमा - हाँ पूछो..
गौतम - यहां नहीं बाहर..
सलमा - बाहर क्यों?
गौतम सलमा का हाथ पकड़कर - चलो ना बताता हूँ..
गौतम सलमा का हाथ पकड़ कर मॉल से बाहर ले आता है औऱ पार्किंग में लाकर गाडी में बैठा देता है..
सलमा - गौतम कहा ले जा रहा है? औऱ ये कार किसकी है?
गौतम - है किसी की आपा.. आप बैठो ना.. थोड़ा घूमके आ जाएंगे..
सलमा - गौतम सिर्फ आधे घंटे का लंचटाइम है वापस आने में देर हो गई तो बहुत मारूंगी तुझे..
गौतम हसते हुए - नहीं होगी आपा आप परेशान मत हो..
गौतम गाडी को चला के एक आइसक्रीम वाले के पास रोकता है औऱ आइसक्रीम लेकर वापस गाडी चलाते हुए एक सुनसान जगह गाडी लगा देता है..
सलमा मुस्कुराकर आइसक्रीम खाते हुए - इतनी सुनसान जगह क्यों लाया है मुझे? मेरे साथ कोई ऐसी वैसी हरकत की तो तुझे बहुत मारूंगी..
गौतम मुस्कुराते हुए - ऐसी वैसी हरकत तो आप ही करती हो.. याद दिलाउ आपको?
सलमा आइसक्रीम का खाली डब्बा बाहर फेंककर मुस्कुराते हुए - मुझे सब याद है.. अब बता क्या पूछने वाला था तू? औऱ मेरा एड्रेस कैसे मिला तुझे?
गौतम - अड्रेस तो उसी गड़मरे ने लाकर दिया है जो उस दिन आपके औऱ मेरे बीच में आ गया था..
सलमा हँसते हुए - आदिल ने?
गौतम - हाँ.. पर पहले आप ये बताओ आप अचानक बिना बताये कहा चली गई थी? पता है कितना बुरा लगा मुझे?
सलमा गौतम के गाल खींचकर - अब्बू ने जल्दबाज़ी में निकाह करवा दिया था.. इसलिए जाना पड़ा..
गौतम - तो आप अब शादीशुदा हो?
सलमा - नहीं.. पिछले साल तलाक़ भी हो गया..
गौतम - क्यों?
सलमा - जिससे शादी हुई उसने किसी औऱ के चककर में मुझे छोड़ दिया..
गौतम सलमा का हाथ पकड़कर - तब भी आपने मुझसे बात नहीं की..
सलमा गौतम के करीब आकर गौतम के गाल चूमते हुए - कैसे बताती मेरी जान.. नम्बर नहीं थे ना..
गौतम - फ़ोन दो आपका..
गौतम नम्बर एक्सचेंज करके - अब से आपको कुछ भी प्रॉब्लम हो मुझे बताओगी आप.. समझी? वरना मार मार के सुजा दूंगा आपको..
सलमा हस्ते हुए गौतम के ऊपर आ जाती है औऱ उसके होंठों को अपने दांतो से खींचती हुई एक चुम्बन करके - किसे सुजाएगा मार मारके?
गौतम अपना हाथ से सलमा की चुत को सलवार के ऊपर से सहलाने लगता है औऱ कहता है - इसे सुजा दूंगा आपा..
सलमा गौतम की इस बेशर्म से दंग रह जाती है औऱ उससे कहती है - हाथ हटा कमीने.. कितना बेशर्म हो गया है तू..
गौतम - अच्छा ज़ी आप करो कुछ नहीं.. मैं करू तो हंगामा?
सलमा मुस्कुराते हुए - लंच ख़त्म होने वाला है अभी टाइम नहीं इसका.. कल ऑफ ले लुंगी फिर दिनभर जो भी करना है मेरे साथ कर लेना..
गौतम - सोच लो आपा.. मैं कल कोई रहम नहीं करने वाला आपके ऊपर..
सलमा - मैं चाहती भी नहीं हूँ मेरी जान तू मुझपर रहम करें.. चल अब वापस छोड़ दे वरना मैनेजर काम से निकाल देगा..
गौतम - अभी तो दस मिनट है..
सलमा हंसकर - तो?
गौतम - तो की बच्ची.. चुपचाप किस्सी करो मुझे..
सलमा गंभीर होती हुई - शुक्रिया गौतम..
गौतम - किसलीये?
सलमा - मुझसे मिलने आने के लिए..
गौतम सलमा के होंठों को अपने होंठों से लगा देता है औऱ सलमा भी पूरी शिद्दत के साथ गौतम को चूमने लगती है..
दोनों का चुम्बन 3-4 मिनट चलता है जिसमे दोनों एकदूसरे को ऐसे चुम रहे थे जैसे खा जाना चाहते हो..
फिर सलमा चुम्बम तोड़कर कहती है - गौतम अब चल यहाँ से..
गौतम - ठीक है आपा.. पर कल मैं आपकी नहीं सुनूंगा..
सलमा गौतम के ऊपर से उतरकर अपनी सीट पर आ जाती है औऱ गौतम गाडी चलाकर वापस मॉल की तरफ आने लगता है..
सलमा - शबाना चाची का फ़ोन आया था..
गौतम - आपकी लोगों की अब तक बात होती है? वैसे क्या बोल रही थी वो?
सलमा - सब जो तू उनके साथ करके आया है.. वो भी डिटेल में..
गौतम मॉल के सामने गाडी रोककर हैरानी से सलमा को देखता हुआ - क्या..
सलमा हँसते हुए गौतम के लंड पर हाथ रखकर - क्या नहीं मेरी जान.. शबाना.. सब बताया है उन्होंने एक एक बात.. बहुत तारीफ़ कर रही थी तेरी.. बोल रही थी तेरे जैसा मर्द नहीं देखा..
गौतम - शर्म नहीं आती तुम दोनों को.. मेरे बारे ऐसी बातें करते हुए?
सलमा - तुझे शर्म नहीं आती अपने दोस्त की अम्मी को अपनी हवस का शिकार बनाते हुए?
गौतम - औऱ क्या बोला शबाना ने?
सलमा - औऱ ये बोला कि जब तक तू यहां है मैं तेरा अच्छे से ख्याल रखु?
गौतम - मतलब आपको पता था मैं यहां आपके पास आने वाला हूँ?
सलमा मुस्कुराते हुए गौतम के होंठ चूमकर - चल बाय मेरी जान..
इतना कहकर सलमा गाडी से उतर जाती है...
गौतम - अरे जवाब तो दो आपा.. आपा..
सलमा - जवाब कल मिलेगा मेरी जान..

सलमा वापस मॉल में चली जाती है गौतम गाडी स्टार्ट करके शहर घूमने लगता है.. औऱ उसे शहर घूमते घूमते शाम हो जाती है गौतम सडक के किनारे एक चाय वाले के पास बैठा हुआ था तभी उसके फ़ोन पर माधुरी का फ़ोन आता है जिसे वो कुछ दिनों से अनदेखा कर रहा था.. मगर आज गौतम ने फ़ोन उठा लिया औऱ गाडी में बैठकर बात करने लगा..
गौतम - हेलो...
माधुरी - फ़ोन क्यों नहीं उठा रहा तू चार दिन से मेरा? मुझसे मन भर गया है तो साफ साफ बता दे.. साले ऐसा इंतज़ाम करूंगी कि याद रखेगा.. अब कुछ बोलेगा या मुंह बंद करके सुनता ही रहेगा तू..
गौतम - एक फोटो व्हाट्सप्प की है आपको.. देख लो.. इतना कहकर गौतम फ़ोन काट देता है औऱ माधुरी को जगमोहन औऱ सुमन के साथ अपनी फॅमिली फोटो सेंड करता है..
माधुरी जल्दी से अपना व्हाट्सप्प खोलती है औऱ फोटो देखकर चौंक जाती है बहुत देर तक वो चुपचाप उस तस्वीर को देखती रहती है उसे यकीन ही नहीं होता कि गौतम उसके पति जगमोहन की औलाद है माधुरी बिना पालक झपकाये फोटो देखती रहती है मगर फिर फोटो हटा कर गौतम को वापस फ़ोन करती है..
गौतम फ़ोन उठाकर - हेलो..
माधुरी गुस्से से - हेलो के बच्चे.. कहा है तू अभी?
गौतम - नानी के यहां आया हूँ माँ के साथ.. शादी है किसी की..
माधुरी - वापस कब आएगा?
गौतम - एक हफ्ता लग जाएगा माधुरी..
माधुरी - अब तो मुझे मेरे नाम से मत बुला कमीने.. छोटी माँ लगती हूँ तेरी.. उस रात इसीलिए तू इतने सवाल कर रहा था ना मुझसे?
गौतम मुस्कुराते हुए - सॉरी छोटी माँ..
माधुरी - सॉरी के बच्चे.. वापस आ फिर बताती हूँ तुझे तो.. शादी की पार्किंग में मेरे फ़ोन पर जगमोहन की तस्वीर देखकर सब कुछ जान गया था ना तू.. फिर भी मेरे साथ वो सब किया ना तूने..
गौतम हसते हुए - मज़ा ही इतना दे रही थी आप छोटी माँ.. कैसे रोकता अपनेआप को..
माधुरी प्यार से - जो अपनी माँ के साथ चुदाई करता है उसे पता है ना दुनिया क्या कहती है?
गौतम - पता है मादरचोद हूँ मैं.. बस अब खुश आप?
माधुरी हँसते हुए - अब बाप नामर्द हो जाए तो बेटे को ही मर्द बनकर घर की औरत को बाज़ारू बनने से बचाना पड़ता है.. इसके लिए बेटे को मदरचोद भी बनना पड़े तो कैसी शर्म?
गौतम - कोनसी सेक्स स्टोरी का डायलॉग है ये..
माधुरी - ये हमारी सेक्स स्टोरी का डायलॉग है..
गौतम - बहुत अच्छा... अच्छा छोटी माँ मैं फ़ोन रखता हूँ बाद में बात करूंगा.. माँ का फ़ोन आ रहा है..
माधुरी - अपना ख्याल रखना मेरे मादरचोद बेटे..
गौतम - आप भी अपना ख्याल रखना.. मेरी बेटाचोद छोटी माँ..

फ़ोन कट जाता है औऱ गौतम सुमन का फ़ोन उठाकर बात करने लगता है..
गौतम - हेलो..
सुमन - ग़ुगु कहा है बच्चा?
गौतम - माँ शहर घूम रहा था..
सुमन - बाकी का शहर कल घूम लेना अब घर आ जा.. खाने का समय होने वाला है..
गौतम - ठीक है माँ.. आ रहा हूँ..
गौतम फोन काटकर गाडी नानी के घर की तरफ मोड़ लेता है औऱ एक घंटे में नानी के घर पहुंच जाता है जहा गाडी घर के बाहर पार्क करके सीधा अपने कमरे में चला जाता है औऱ नहा कर एक टीशर्ट औऱ लोवर पहन लेता है.. तभी शबनम गौतम के कमरे में आकर कहती है..
शबनम - ग़ुगु भईया.. आपको मालकिन नीचे खाने के लिए बुला रहा है..
गौतम शबनम को देखकर अपनी कलाई पर बंधा धागा देखता है जो लाल हो चूका था फिर शबनम से कहता है - औऱ कौन है नीचे?
शबनम - सब है.. मालिक औऱ छोटे मालिक भी घर आ चुके है..
गौतम शबनम के बिलकुल करीब आकर - नाम क्या है तेरा?
शबनम शरमाते हुए - शबनम..
गौतम शबनम को बाहों में भरते हुए - भईया मत बोला कर मुझे.. समझी? तेरे मुंह अच्छा नहीं लगता..
शबनम शरमाते हुए - ज़ी भईया..
गौतम - फिर भईया बोल तूने?
शबनम शर्माती हुई गौतम की आँखों में देखकर - गलती से मुंह से निकल गया..
गौतम - तेरे मुंह का इलाज करना पड़ेगा..
इतना बोलकर गौतम शबनम के होंठ पर अपने होंठ लगाकर उसे चूमने लगा.. शबनम भी शर्माते हुए गौतम को चुम रही थी औऱ बेसब्री से गौतम के गले लग चुकी थी..
दोनों के बीच चुम्बन कुछ पल चला ही था की नीचे से किसी के ऊपर आने की आहट सुनकर दोनों अलग हो गए औऱ अपने आप को सँभालते हुए खड़े हो गए..
गौतम कमरे से निकलकर नीचे सीढ़ियों की तरफ आ गया जहा से शबनम का शोहर अब्दुल उसे ऊपर छत की तरफ जाता हुआ दिखा.. शबनम भी गौतम के पीछे पीछे नीचे आ गई.. गौतम ने देखा की सभी लोग डाइनिंग टेबल पर बैठे हुए है..

संजय गौतम को देखकर - ग़ुगु.. यहां आ बेटा.. कितने साल हो गए तुझे देखे हुए.. तू तो बिलकुल बदल गया है.. मेरे पास आके बैठ..
चेतन - हाँ पापा.. पहले जब देखा था तो बिलकुल छोटा सा था अब देखो कितना बड़ा हो गया है.. बिलकुल हीरो लगता है..
कोमल - सच कहा तूने चेतन.. पता नहीं सुमन ऐसा क्या खिलाती है हमारे ग़ुगु को.. आजा ग़ुगु तू मेरे पास आके बैठ..
गायत्री - अरे सब मिलके नज़र लगाओगे क्या मेरे नाती को.. एक तो छः साल बाद आया है..
गौतम सबकी बातें सुनकर अनसुनी कर देता है औऱ सुमन के पास वाली कुर्सी पर आकर बैठ जाता है.. गौतम को सुमन के पास जाकर बैठता देखकर संजय औऱ कोमल दोनों का मुंह उतर जाता है मगर गौतम बिना किसी से कुछ भी बोले सामने रखी उल्टी प्लेट को सीधा करके चपाती औऱ सब्जी लेकर खाना खाने लगता है..
आरती औऱ ऋतू सब कुछ देख औऱ समझ रही थी मगर बोलने की हिम्मत किसी में नहीं थी.. गौतम ने जिस तरह अभी अभी संजय औऱ कोमल के अपने साथ बैठकर खाना खाने के प्रस्ताव को ठोंकर मारते हुए सुमन के पास बैठते हुए संजय औऱ कोमल की बेज्जती की थी उससे माहौल थोड़ा बदल गया था..

संजय गौतम से - क्या हुआ बेटा.. कुछ बोल क्यों नहीं रहे..
गौतम बिना अपने मामा संजय को देखे जवाब देता है - छाले हो रहे है मुंह में.. बोला नहीं जा रहा..

सुमन के साथ साथ ऋतू औऱ आरती गौतम के बनावटी बहाने की वजह अच्छे से जानते थे मगर अब संजय कोमल औऱ चेतन के साथ कोमल को भी गौतम के यहां पर बेमन से आने का पता चलने लगा था..
संजय या किसी औऱ ने वापस गौतम के बारे में कुछ नहीं कहा औऱ बात को किसी औऱ मुद्दे पर घुमाकर बात करने लगे औऱ खाना खाने लगे..
गौतम चुपचाप खाना खाकर बिना किसी को देखे या बात किये वापस अपने कमरे में चला गया औऱ कुछ देर अपने कमरे में रहकर फिर घर की छत पर आ गया औऱ टहलने लगा..
सबका खाना हो चूका था.. कोमल सुमन को अपने साथ लेजाकर शादी के लिए की हुई खरीददारी का सामान दिखाने लगी.. संजय औऱ चेतन बुकिंग होटल का जायजा लेने निकल पड़े था.. ऋतू अपने कमरे में अपने दूल्हे से बात करने में व्यस्त थी औऱ गायत्री टीवी देखने में.

आरती को गौतम पर गुस्सा दिन से ही चढ़ा हुआ था.. हालांकि थोड़ा सा अफ़सोस उसे अपनी बात पर भी था मगर अभी जिस तरह से गौतम ने उसके ससुर संजय औऱ बाकी लोगी के साथ बर्ताव किया था वो गौतम को फिर कुछ कड़वा सुनाना चाहती थी..
आरती गौतम के कमरे में आ गई मगर गौतम उसे वहा नहीं दिखा फिर वो गौतम को घर में इधर उधर देखने लगी.. औऱ जब आरती छत पर पहुंची तो उसे गौतम छत की दिवार पर बैठा हुआ दिख गया.. आरती गौतम की तरफ आ गई औऱ गौतम के पास बैठकर गौतम का दिल दुःखाने की नियत से बोली..
आरती - क्या देख रह है?
गौतम एक नज़र आरती की तरफ देखकर वापस सामने देखने लगता है औऱ आरती की बात का कोई जवाब नहीं देता..
आरती वापस बोलती है - बता ना? सामने इन घरों को देख रहा है क्या?
गौतम बिना आरती को देखे - हाँ..
आरती गौतम का जवाब सुनकर वापस बोलती है - देख ले ज़ी भरके.. क्युकी ऐसे घर खरीदना तो ना तेरे बाप के बस में है ना तेरे..
गौतम समझ गया था की आरती उसका दिल दुखाना चाहती है औऱ उसी के लिए यहां आई है मगर वो उसकी बातों पर ज्यादा ध्यान नहीं देता, ना ही आरती की बातों से अपनेआप को हर्ट होने देता है..
आरती की बात पर जब गौतम कोई जवाब नहीं देता तो आरती फिर गौतम का दिल दुःखाने के लिए बोलती है..
आरती - तेरा बाप पुलिस में चौकीदार है ना..
गौतम सामने देखते हुए - हवलदार..
आरती - जो भी है.. है तो छोटा सा सरकारी नोकर ही.. कितना कमा लेता होगा महीने..
गौतम उसी तरह - 35 हज़ार..
आरती हसते हुए - उससे ज्यादा तो सिर्फ मेरे पार्लर का खर्चा है महीने का.. अच्छा एक बात बता.. तेरे जैसे भिखारी के पास ये लेटेस्ट iphone कैसे आया?
गौतम - बुआ ने गिफ्ट दिया..
आरती इस बार भी हसते हुए - गिफ्ट दिया है या भीख दी है तुझे.. भिखारी?
गौतम - पता नहीं..
आरती गौतम का दिल दुःखाने का भरसक प्रयास कर रही थी मगर गौतम उसकी बात सुनकर अनसुना करते हुए सामने के खूबसूरत नज़ारे को देखे जा रहा था..
आरती को समझ नहीं आ रहा था वो ऐसा क्या बोले जिससे गौतम को बुरा लगे.. आरती ने अपनी तरफ से जो कुछ बोल सकती थी बोल रही थी.. आरती गौतम का दिल दुःखाने का प्रयास कर ही रही थी नीचे से कोमल छत पर आती हुई बोली..
कोमल - क्या बातें चल रही है दोनों देवर भाभी में?
आरती पीछे देखकर - कुछ नहीं मम्मी ज़ी.. मैं तो बस देवर ज़ी से पूछ रही थी कॉलेज में पढ़ाई कैसी चल रही है? है ना देवर ज़ी..
गौतम एक नज़र पीछे कोमल औऱ आरती को देखकर वापस उसी तरह सामने देखने लगता है..
कोमल - अरे इसमें पूछना क्या है.. हर साल अव्वल आता है हमारा ग़ुगु.. सुमन सब बता देती है.. हर चीज में फर्स्ट है..
आरती - वो तो देवर ज़ी को देखने से ही लगता है.. अच्छा मम्मी ज़ी.. कल जो आपने देवर ज़ी के लिए सूट लिया था मुझे पसंद नहीं आया..
कोमल - क्यों? अच्छा तो है पुरे 32 हज़ार का.. सुमन औऱ ऋतू को भी पसंद आया था..
आरती - पर मम्मी ज़ी सिर्फ 32 हज़ार का ही था.. मेरे एकलौते देवर ज़ी के लिए तो लाखों का सूट लेना चाहिए था..
कोमल - तू ही जाके लेले अपने लाडले देवर के लिए जो तुझे लेना है.. किसने रोका है? अच्छा मैं नीचे जाती हूँ.. ये कम्बख्त अब्दुल कहा मर गया..
कोमल के जाने के बाद आरती गोतम से - बता भिखारी कुछ चाहिए तो? कीमत की चिंता मत कर.. तेरे बाप की तरह हवलदार नहीं है यहां कोई.. मैं तो खानदानी अमीर हूँ..
गौतम दिवार से उठकर आरती के बिलकुल सामने खड़ा हो जाता है औऱ मुस्कुराते हुए कहता है..
गौतम - आपके कुछ भी बोलने से मुझे फर्क नहीं पड़ने वाला.. माँ ने अपनी कसम दी थी आने के लिए इसलिए यहां आना पड़ा.. औऱ रही बात उस सूट की तो मैं पहनना तो छोडो.. थूकू भी ना, तुम लोगों की दी हुई किसी चीज पर..
आरती गुस्से से - अबे साले भिखारी.. औकात मत भूल अपनी.. बड़ी बड़ी बातें करने से कोई बड़ा नहीं बन जाता.. हालत भिखारीयों वाली बातें नवाबो की..
गौतम मुस्कुराते हुए - कुछ सालो पहले आपके पति की मुझसे ज्यादा खराब हालत थी पूछना कभी फुर्सत में उनसे.. आपकी प्यारी ननद ने तो मेरा चोरी तक नाम लगा दिया था.. ये तो बताया होगा किसीने आपको..
आरती भी मुस्कुराते हुए - उस बेचारी की क्या गलती.. तू शकल से चोर लगता है ना इसलिए लगाया होगा..
गौतम आगे कुछ नहीं बोलता औऱ नीचे जाने के मुड़ जाता है तभी आरती कहती है..
गौतम - क्या हुआ? बुरा लगा मेरे प्यारे देवर ज़ी को?
गौतम मुड़कर मुस्कुराते हुए एक नज़र आरती को देखता है औऱ फिर नीचे अपने कमरे में आ जाता है..
आरती ने अपनी बातों से हर कोशिश की थी गौतम का दिल दुःखाने की मगर इस वक़्त उसका अपना दिल दुखने लगा था.. उसे लग रहा था जैसे उसके शब्दों से ज्यादा कड़वी औऱ नोकिली गौतम के होंठों की मुस्कान थी.. आरती भी कुछ देर बाद नीचे आ गई..

गायत्री के कमरे में महफिल सजी हुई थी गौतम को छोड़कर सभी लोग वहा मोज़ूद थे औऱ हंसी मज़ाक़ कर रहे थे.. आज सारी रात यही बैठके बिताने का प्लान था कभी फ़िल्मी गानो पर सब झूमते तो कभी क़िस्से कहानियो में खोकर खूब जोर से हँसते..
सुमन भी यहां बैठी हुई ख़ुशी से नाच गा रही थी.. उसने गौतम को आज के इस प्रोग्राम की जानकारी दे दी थी.. औऱ गौतम भी अपने कमरे में रेशमा से बहुत देर तक चैटिंग करके अब सो चूका था..

सुबह 4 बजे तक सबका नाच गाना यूँही चलता रहा औऱ फिर कई लोग थक्कर सो गए जिनकी नींद 9 बजे खुली.. शबनम चाय बना चुकी थी औऱ कुछ लोगों को छोड़कर सब चाय पीते हुए बाते करहे थे.. आने वाले मेहमानो को सीधा वेडिंग होटल के कमरों में पहुंचाया जा रहा था.. आरती एक चाय का कप उठाकर गौतम के रूम में आ गई जहा गौतम नहाकर कपडे पहने के बाद अब अपने जूते पहन रहा था..
आरती रूम में आते हुए गौतम के सामने चाय का कप रखकर - इतना सजधज के कहा जा रहा है?
गौतम - भिखारी के लिए कब से चाय लेकर आने लगी आप.. औऱ रात को पेट नहीं भरा.. सुबह भी आ गई..
आरती - क्या करू? अब तो बिना तुझे बेज्जत किये मेरा मन ही नहीं भरता..
गौतम जूते पहनकर - ठीक है फिर जल्दी मन भर लो.. मुझे जाना है..
इतना कहकर गौतम अपने बाल सही करने लगा औऱ फिर जीन्स पर बेल्ट लगाने लगा..
आरती - तू बताएगा क्या मुझे कब क्या करना है? अपनी मर्ज़ी से तुझे बेज्जत करुँगी तेरे कहने पर नही..
गौतम बेल्ट लगाकर कमरे से बाहर जाने लगता है कि
आरती गेट के सामने आ जाती है..
आरती - तुझे अपने मामा-मामी से, चेतन से ऋतू से मुझसे हम सबसे जलन होती है ना..
गौतम - हां होती है.. देखो मैं तो झलकर काला पड़ गया.. अब सामने से हटो.. मुझे बाहर जाना है..
आरती गौतम के बिलकुल करीब आती हुई - अगर नहीं हटू तो? कुछ बिगाड़ लोगे मेरा?
गौतम - भाभी दूर हटो..
आरती - अरे वाह.. पहली बार भाभी बोला तूने मुझे.. पहले पता होता तो इतनी दिल दुखने वाली बातें तो ना करती तुझसे..
गौतम - आपसे किसने कहा आपकी बातों से मेरा दिल दुखा है..
आरती गौतम के गले लगकर - मतलब तू जानता था मैं सिर्फ तेरा दिल दुखने के लिए वो सब कड़वी बातें बोल रही थी.. पता है कितना बुरा लग रहा था मुझे तुझसे वो बातें बोलकर.. तूने ऋतू को भी कितना उदास किया है.. बेचारी का कल से मुंह उतरा हुआ है..
गौतम आरती को खुदसे अलग करते हुए - हटो कहीं जाना मुझे..
आरती - कहा जाना है? औऱ इतना तैयार हुआ है पक्का किसी लड़की से ही मिलने जा रहा होगा..
गौतम - आपसे मतलब? आपके पास औऱ कोई काम नहीं है क्या?
आरती फिर से गौतम के गले लगते हुए - नहीं है..
गौतम - इतना क्यों चिपक रही हो भाभी.. छोडो ना..
आरती - पहले बता जा कहा रहा है तू?
गौतम - कहीं नहीं बस शहर घूमने जा रहा था..
आरती - चल मैं घुमाती हूँ तुझे शहर..
गौतम - मैं खुद घूम लूंगा, आप हटो..
आरती - मन नहीं कर रहा हटने का.
गौतम - भाभी अपने पति के जाकर लिपटो.. मुझे छोड़ दो..
आरती गौतम को छेड़कर हस्ते हुए - चेतन में कोई मज़ा नहीं है देवर ज़ी.. मुझे आपके जैसा चिकना खूबसूरत औऱ प्यारा मर्द चाहिए.. जैसे साली आधी घरवाली होती है वैसे देवर भी आधा घर वाला होता है.. थोड़ी बहुत मस्ती तो कर ही सकती हूँ तेरे साथ..
गौतम - सुबह सुबह मैं ही मिला हूँ क्या आपको..
गौतम इतना कहकर आरती को अपने से दूर हटाते हुए कमरे से बाहर आ जाता है और आरती पीछे से मुस्कुराते हुए कहती है.. वापस जब आओगे तब बताऊंगी तुम्हे देवर ज़ी.. मैं नहीं छोड़ने वाली तुम्हे.. गौतम अपनी कर लेकर घर से निकल जाता है..

गौतम ने शहर के एक अच्छे होटल में ओयो रूम बुक किया था जहां वह सलमा को रास्ते से पिकअप करके आ जाता है. आज सलमान ने कम से छुट्टी ले ली थी और वह जानती थी क्या आज गौतम और उसके बीच कोई नहीं आने वाला. सलमा गौतम पर पूरी तरह से लट्टू थी और गौतम भी सलमा को भोगने की नीयत से आज उसे अपनी बाहों में लेकर चूम रहा था.

सलमा गौतम इस तरह से एक दूसरे को चूम रहे थे जैसे उनका मिलन अधूरा रह गया हो वो जल्द से जल्द उसे पूरा कर लेना चाहते हो. आज सुबह बहुत आकर्षक और सुंदर लग रही थी उसने जो सिंगार किया था गौतम उसे देखकर पूरी तरह से काम भावना में डूब चुका था और सलमा को अपनी बाहों में भरकर उसके रसीले होठों का स्वाद ले रहा था. सलमा भी पूरे मन से गौतम को अपनी बाहों में कस्टे हुए उसके होठों से अपने होंठ लगाए हुए उसे चूम रही थी और ऐसे चूम रही थी जैसे उस चूमकर अपना बना लेना चाहती हो.

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गौतम चंदन के दौरान सलमा के बाद उनके उतार-चढ़ाव को अपने हाथों से महसूस कर रहा था और उसे अनुभव कर रहा था. सलमा की छाती पर उगे हुए संतरे काफी बड़े आकार के थे जिसे गौतम अपने हाथों से बार-बार दबाते हुए सलमा को काम भावना में डूबा रहा था. सलमा की चुंबन के दौरान गौतम के शरीर को अपने हाथों से तलाश रही थी और तराश रही थी. दोनों का संबंध लगातार चलता जा रहा था और इसमें दोनों कोही काम सुख की प्राप्ति हो रही थी इसी बीच दोनों एक दूसरे के पतन को अपने हाथों से हर जगह छूते हुए एक दूसरे को काम की भावना से ओतप्रोत होकर पाने की इच्छा रखते हुए अपने में समाने की भावना से भरते हुए चूम रहे थे.

गौतम ने चुंबन तोड़ते हुए सलमा की कमर में हाथ डालकर उसे दीवार से चिपका दिया और उसकी छाती पर उगे हुए संतरों को अपने दोनों हाथों से मसलते हुए सलमा से पूछा..
गौतम सलमा की कुर्ती उतारते हुए बूब्स मसलकर - आपा ये तो पहले से दुगुने लग रहे है.. लगता है बहुत मेहनत हुई है इन पर..

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सलमा गौतम की शर्ट निकालती हुई - मेहनत तो बहुत हुई है गौतम सिर्फ ऊपर ही नहीं नीचे भी.. पर मेरी मर्ज़ी से पहली बार होगी..
गौतम सलमा की ब्रा खींचते हुए - फ़िक्र मत करो आपा.. आज कोई मादरचोद बीच में नहीं आने वाला.. उस दिन का अधूरा काम मैं आज पूरा कर दूंगा..
सलमा घुटनो पर बैठकर गौतम की जीन्स खोलते हुए - मैं तो कब से इस मोके का इंतजार कर रही थी गौतम.. कल की रात मैंने कैसे निकाली है क्या कहु..
गौतम सलमा के बाल पकड़कर अपनी चड्डी नीचे सरकाते हुए - सब्र का फल नमकीन होता है सलमा आपा.. लो टेस्ट करो.. ये कहते हुए गौतम ने अपना हथियार सलमा के मुंह में डाल दिया और सलमा आंखें फाड़ कर सिर्फ गौतम के हथियार को देखने लगी जो इस वक्त आधा उसके मुंह में घुसा हुआ था.

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गौतम ने सलमा को रिएक्ट करने का कोई मौका नहीं दिया और सीधा उसके मुंह में अपना हथियार डालकर अपना हथियार सलमा से चूसाने लगा. सलमा भी हैरानी से चकित होकर सोच में पड़ गई कि गौतम का हथियार इतना बड़ा कैसे हुआ और वह यही सोचते हुए गौतम का हथियार चूस रही थी. गौतम तो बस सलमा की सर को अपने दोनों हाथों से पकड़ कर उसके मुंह में अपना हथियार जोर-जोर से आगे पीछे कर रहा था औऱ इस पल का आनंद उठा रहा था.

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गौतम ने कुछ देर बाद अपना सारा वीर्य सलमा के मुंह में छोड़ दिया और सलमा उसे पीती हुई हांफ कर उसी तरह बैठी रही..
गौतम अपने लंड को साफ करता हुआ सलमा से थोड़ा सा दूर हो गया और बेड पर बैठ गया सलमा अपने घुटनो से खड़ी होकर अपने पैरों पर आ गई और मुस्कुराते हुए अपने होंठो को साफ कर गौतम से बोली..
सलमा - तू तो पहले से बड़ा हो गया है गौतम..
गौतम - तेरा भी साइज़ दुगुना हो गया है आपा.. सच बताओ किस किस ने मेरी सलमा पर मेहनत की है.
सलमा गौतम के करीब आकर अपने सलवार का नाड़ा उसके हाथ में देती हुई - छोड़ ना गौतम.. अब किस किस नाम बताऊ तुझे? औऱ ये मुझे आपा मत बोल अब से सिर्फ सलमा..
गौतम नाड़ा खींचकर सलवार नीचे कर देता है औऱ सलमा को अपने ऊपर गिरा लेता है औऱ कहता है - तू मेरी पहली मोहब्बत है सलमा.. औऱ मुझे जानने का पूरा हक़ है कि मेरी पहली मोहब्बत कहा कहा किस किस से चुद चुकी है..

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सलमा गौतम के ऊपर से उठ जाती है एक सिगरेट जलाकर कश मारती हुई गौतम से कहती है - गौतम क्या बताऊ तुझे.. मुझे सबसे पहले घर में अब्बू ने ही गन्दा कर दिया था.. जवानी जब अठरा साल पर पहुंची तो अम्मी का इन्तेकाल हो गया औऱ उसके बाद अब्बू ने मुझे कई बार गन्दा किया.. रोज़ नशे में रात रातभर मेरे ऊपर चढ़कर अब्बू अपनी हवस मिटाते थे.. ऐसा लगता था मैं उनकी बेटी नहीं बीवी हूँ..
गौतम सलमा का हाथ पकड़कर अपनी बाहों में जकड़ लेता है, उसे पीठ के बल बिस्तर में लेटा कर उसकी ब्रा उतार देता है औऱ सलमा के गोरे चुचो पर कड़क होकर खड़े हुए सलमा के काले चुचक अपने में लेकर चूसते हुए पूछता है..
गौतम - अब्बू के बाद?

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सलमा सिगरेट का कश लेकर गौतम को अपने चुचे चुसवाते हुए - जब अब्बू का मुझसे मन भर गया तो उन्होंने दूसरी शादी कर ली औऱ मेरा निकाह जावेद से करवा दिया.. सुहागरात को जब जावेद मेरे ऊपर चढ़ा तो उसे पता चल गया की मैं कुंवारी नहीं हूँ.. उसके बाद से वो हर बार मुझसे लड़ाई झगड़ा करता औऱ अलग अलग लड़कियों से बात करता आखिरी में उसने किसी औऱ जे चक्कर में मुझे तलाक दे दिया..
गौतम सलमा की चड्डी में हाथ डालकर उसकी चुत पकड़कर मसलते हुए - जावेद के बाद?
सलमा सिसकि लेकर सिगरेट का अगला कश लगाते हुए - जावेद से तलाक के बाद तो जैसे झड़ी लग गई लोड़ो की मेरी चुत में.. पहले रहने के लिए कमरा दिलाने वाला दलाल क़ासिम फिर कमरा देने वाला सोहन उसके बाद नौकरी दिलाने वाला राकेश औऱ अखिर में मेरा मैनेजर नीलेश.. एक बाद एक सबने मेरी इस चुत को अपनी मनमर्ज़ी से चोदा.. गांड को भी सलामत नहीं छोडा किसीने..
गौतम अपने मुंह से सलमा का चुचक निकालकर - मतलब मेरी मोहब्बत को कोठे की रांड समझकर मेरे अलावा सबने चोदा है.. तलाक़ के बाद वापस अब्बू के पास भी तो जा सकती थी..
सलमा - वहा जा कर कोनसी बच जाती वहा भी जाकर चुदना ही था..
गौतम हसते हुए - आदिल के साथ जब शराब लेने ठेके गया था तब तेरे अब्बू को देखा था मैंने.. उसने जिससे निकाह किया था वो लड़की अपने आशिक के साथ भाग गई.. तेरा अब्बू तो अब अकेला घर में हिलाता होगा अपना.. सुना है तेरे तलाक़ के बाद तेरा पता भी लगाने की कोशिश की थी उसने..
सलमा सिगरेट बुझाते हुए - मुझे ढूंढ़कर क्या मिलेगा अब्बू को..
गौतम - क्या पता तेरी वापस याद आ रही हो उसे.. एक बार जाकर मिल लो..
सलमा - मुझे किसी से नहीं मिलना..
गौतम सलमा की चुत पर आते हुए - तेरी मर्ज़ी..
ये कहते हुए गौतम सलमा की जांघों के जोड़ पर अपना मुंह लगा देता है और उसकी चुत को चाटने लगता है..
सलमा गौतम के बाल पकड़कर उसे अपनी चुत चटाते हुए - अह्ह्ह्ह... गौतम.. उफ्फ्फ.. मेरी जान..

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गौतम अपने पूरे अनुभव और प्रयास के साथ सलमा की जांघो के जोड़ पर अपना मुंह लगते हुए उसे चूस और चाट रहा था जिसमें सलमा को कामसुख की प्राप्ति हो रही थी और उसके सिसकी आप कमरे में गूंजने लगी थी.. सलमा से रहा ना गया और उसने थोड़ी सी चुसाई के बाद ही अपना पानी गौतम के मुंह पर छोड़ दिया औऱ अपने हाथ से कपड़ा लेकर गौतम का मुंह साफ करने लगी..
गौतम - बता तो देती यार.. पुरे मुंह को नहला दिया तूने..
सलमा हस्ती हुई - सॉरी मेरी जान.. तूने इतनी प्यार से किया की मुझसे रहा ही नहीं गया.. ला मैं साफ कर देती हूँ..
गौतम का मुंह साफ करने के बाद शर्मा गौतम के ऊपर चढ़ गई और उसपर चढ़ते हुए उसका लंड अपनी चुत में सेट करके घुसा ने लगी मगर वह तुमने उससे ऐसा करने से रोक दिया और उससे कहा..
गौतम - इतनी भी क्या जल्दी है सलमा.. पहले मुझे तेरा वही डांस देखना है जिसके कारण मुझे तुझसे मोहब्बत हुई..
सलमा मुस्कुराते हुए - कोनसा डांस गौतम..
गौतम - वही जो तूने आफरीन के निकाह में किया था.. उसी गाने पर.. मैं सोंग प्ले करता हूँ..
गौतम उठकर सामने लगी हुई होटल की टीवी में अपना फोन कनेक्ट करके एक गाना प्ले करता है और सलमा जो की नंगी बिस्तर पर बैठी थी वह सामने आकर नाचने लगती है..

मेरे हाथों में नौ नौ चूड़ियां हैं
थोडा ठहरो सजन मजबुरियां है
मेरे हाथों में नौ नौ चूड़ियां हैं
थोडा ठहरो सजन मजबुरियां है
मिलन होगा अभी एक रात की दूरियां है
मेरे हाथों में नौ नौ चूड़ियां हैं
थोडा ठहरो सजन मजबुरियां है

गौतम नंगा बिस्तर पर बैठा हुआ अपने लंड को अपने हाथ में लेकर हिलाता हुआ अपने सामने नाच रही नंगी सलमा के हिलते चुत्तड़ औऱ चुचे देखकर कामुक हो रहा था.. सलमा बिना किसी शर्म लिहाज़ के गौतम के सामने नंगी अपने चुचे और अपने चूतड़ हिलाकर गाने की धुन पर ऐसे नाच रही थी जैसे वो कोई हीरोइन हो बॉलीवुड की..

लम्बी लम्बी ते काली काली रातों में
काहे चूड़ियां खनकती है हाथों में
लम्बी लम्बी हो लम्बी ते काली काली रातों में
काहे चूड़ियां खनकती है हाथों में
ना आना तू निगोड़ी चूड़ियों की बातों में
लम्बी लम्बी ते काली काली रातों में

सलमा का नाच देखकर गौतम खड़ा हो जाता है औऱ अपना खड़ा लंड लेकर सलमा के साथ हल्का सा ठुमका लगाते हुए नाचने लगता है..

ले जा वापस तू अपनी बारात मुंडेया
मैं नइ जाना नइ जाना तेरे साथ मुंडेया
ले जा वापस हो ले जा वापस तू अपनी बारात मुंडेया मैं नइ जाना नइ जाना तेरे साथ मुंडेया
सतायेगा जगायेगा तू सारी रात मुंडेया

गौतम सलमा को अपनी बाहों में भरके बिस्तर पर पटक देता है औऱ उसके ऊपर चढ़ता हुआ सलमा के गर्दन औऱ चुचे चूमने लगता है.. मगर सलमा गौतम को पलट देती है, उसके ऊपर चढ़ जाती है औऱ काऊगर्ल पोजीशन में बैठके गाने के हूबहू भाव अपने चेहरे पर लाकर गौतम को देखते हुए गाने की धुन के साथ हल्का नाच दिखाते हुए अपने चुचे पकड़कर गाती है..

मेरे दर्जी से आज मेरी जंग हो गई
कल चोली सिलाई आज तंग हो गई
करे वो क्या तू लड़की थी अब पतंग हो गई
तेरे दर्जी से आज तेरी जंग हो गई

सलमा इसके आगे गौतम के दोनों हाथ पकड़कर अपने बूब्स पर रख लेती औऱ आगे गाने के साथ गाती हुई गौतम के साथ पलटने लगती है..

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मेरे सैयां किया ये बुरा काम तूने
कोरे कागज पर लिख दिया नाम तूने
कहीं का भी नहीं छोड़ा मुझे है राम तूने
मेरे सैयां किया ये बुरा काम तूने
मेरे हाथों में नौ नौ चूड़ियां हैं थोडा ठहरो सजन मजबुरियां है मिलन होगा अभी एक रात की दूरियां है मेरे हाथों में नौ नौ चूड़ियां हैं
थोडा ठहरो सजन मजबुरियां है

गौतम गाना ख़त्म होने के साथ ही सलमा को पलट देता है औऱ मिशनरी में आते हुए एक झटके में अपना लहंद सलमा की चुत में घुसाकर उसके होंठो को अपने होंठों में गिरफ्तार करते हुए सलमा की चुदाई शुरू कर देता है.. सलमा की खुली हुई चुत में गौतम का लंड खलबली मचाता हुआ चला गया था औऱ पहले झटको में ही सलमा इसे समझ गई थी आज उसकी चुत भोसड़ी में बदल जायेगी..

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सलमा हर झटके पर आहे भरते हुए गौतम को अपने अंदर खींचने लगी थी औऱ उसके होंठों से होंठ लगाकर मुंह का रसपान करते हुए अपनी चुदाई का वो सुख भोग रही थी जो उसे पहली बार अपनी मर्ज़ी से मिल रहा था.. सलमा को अच्छे से पता था की अब उसकी चुत चुत नहीं भोसड़ा बनने वाली है..

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मिशनरी के बाद घोड़ी बनकर सलमा गौतम के आगे झुकी हुई थी औऱ गौतम अपने चुदाई कला से सलमा को जीतने में लगा हुआ था औऱ इसमें उसने सफलता भी पा ली थी..
गौतम सलमा के बाल पकड़ कर उसे ऐसे चोद रहा था जैसे वो कोई दो टके की रंडी हो.. सलमा चुपचाप चुदाई का मज़ा लेटे हुए गौतम की हर बात माने जा रही थी..
गौतम ने सलमा का एक पैर हवा में उठा कर अपने कंधे पर ले लिया औऱ फिर उसका एक हाथ पकड़ के बिस्तर पर आड़ा पटक के चोदने लगा..

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सलमा बस आहे भरने औऱ सिसकियाँ लेने के अलावा कुछ नहीं कर रही थी ऐसी चुदाई उसकी आज तक नहीं हुई थी औऱ अब उसे गौतम से इश्क़ हो चूका था.. सलमा गौतम को देखते हुए उससे चुदवा रही थी औऱ उसकी आँखों में गौतम के लिए अब प्यार औऱ परवाह झलकने लगी थी..

गौतम ने थोड़ी देर इसीलिए तरह सलमा को चोदकर उसे अपने ऊपर ले लिया औऱ नीचे से झटके मारते हुए चोदने लगा

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सलमा दो बार झड़ चुकी थी मगर अब भी चुदाई चालू थी सलमा की कामुकता उफान पर..
सलमा - गौतम तू तो कमाल है.. उफ्फ्फ... आज तो हलात ही ख़राब कर दी तूने..
गौतम - पहली मोहब्बत है तू सलमा.. मेरा लंड तो बैठने का नाम ही नहीं ले रहा..
सलमा - चोद गौतम.. आहहह..
गौतम ने सलमा को गोद में उठाकर अच्छे से चोदते हुए अपना माल सलमा की चुत में भर दिया औऱ उसे kiss करता हुआ बोला..
गौतम - लोग कहते है किसीको अपनी पहली मोहब्बत नहीं मिलती.. गलत कहते है साले.. मुझे आज मिल गई..
सलमा - अपनी चुदी हुई मोहब्बत पाकर तू इतना खुश है.. काश मैं अपनी पहली चुदाई तेरे साथ कर पाती..
गौतम - पुरानी बातों को भूल जा सलमा औऱ अब से अपना ये खज़ाना किसी औऱ को मत देना..
सलमा - तू जैसा कहेगा वैसा ही करुंगी मेरी जान..
गौतम - मेरी माने तो सलमा तू वापस अपने अब्बू के पास चली जा.. वहा तेरा अपना घर है.. इस तरह रहने की क्या जरुरत?
सलमा - पर गौतम.. अब्बू..
गौतम - अपने अब्बू से बोल घर बेचकर शहर के किसी दूसरे हिस्से में घर ले ले औऱ वहा तुझसे निकाह करके रहे..
सलमा - अब्बू औऱ मेरा निकाह? ये कैसे मुमकिन है?
गौतम - सलमा किसी को कुछ नहीं पता चलेगा.. तू चाहे तो तेरे अब्बू से मैं बात करता हूँ.. मैं तुझे उस तरह हर किसी के आगे रंडी जैसे झुकते हुए नहीं देख सकता..
सलमा - ठीक है लेकिन मैं बच्चे सिर्फ तेरे ही पैदा करुँगी..
गौतम - उसकी चिंता तू मत कर सलमा.. ये कहते हुए गौतम फिर से सलमा को बिस्तर पर पटक देता है औऱ वापस फिर से उसकी चुदाई शुरू कर देता है औऱ वापस अपना सारा माल उसकी चुत में भरके होटल से वापस आ जाता है..

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Awesome update
Ye Aarti kuch jyada hi uchal rahi hai ,wo Gautam ko chidha rahi hai but phir bhi kuch jyada hi bol de rahi hai ,uska bhi jaldi se ilaaj karo
 

ellysperry

Humko jante ho ya hum bhi de apna introduction
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Update 21


भोस्डिके क्या लंड है तेरा दो मिनट में हो ढह गया.. इससे अच्छा तो मैं गाजर मूली डाल लू अपनी चुत में.. किसी काम का नहीं है तू..

मालकिन माफ़ कर दो फिर से खड़ा कर लेता हूँ..

साले जब तक तेरा खड़ा होगा सुबह की दोपहर हो जायेगी.. मेरी गलती है तेरे जैसे ढीले को काम पर रख लिया.. खड़ा नहीं हो रहा तो छोड़, मेरी चुत को चाटकर ही शांत के दे..

जैसा आप कहो मालकिन..

कोमल घर के नौकर अब्दुल के सामने अपनी साडी कमर से ऊपर करके बैठी थी औऱ अब अब्दुल कोमल की चुत को चाटने लगा था..

कोमल - भोस्डिके ठीक से चाट ना.. वो भी नहीं आता क्या तुझे?

अब्दुल - माफ़ करना मालकिन.. चाटता हूँ..


घर के लगभग सभी लोग वेडिंग होटल जा चुके थे औऱ घर में कुछ ही लोग बचे थे.. गौतम को सुबह जब सिगरेट पिने की तलब लगी औऱ वो छत पर आ गया जहा घर का एक्स्ट्रा सामान रखने के लिए दो कमरे बने हुए थे उसीके पीछे खाली जगह पर बाथरूम भी था.. गौतम छत पर आ गया औऱ उस कोने की तरफ जाके सिगरेट पिने की सोची मगर वहा जाते ही उसे अपनी मामी कोमल की सिस्कारी साफ साफ सुनाई देने लगी.. गौतम ने हलके से कदम बढ़ा कर कमरे में झाँक कर देखा तो उसे सामने अब्दुल औऱ कोमल दोनों साथ ही दिखाई दिए जो ऊपर लिखी हुई अवस्था में थे..


गौतम ये देखकर मुस्कुरा बैठा औऱ अपना फ़ोन निकालकर दोनों का वीडियो बनाने लगा.. वीडियो बनाते बनाते गौतम ने कमरे का दरवाजे को धक्का देकर खोल दिया औऱ कमरे में आ गया.. अब्दुल औऱ कोमल गौतम को देखकर हड़बड़ा गए औऱ अपने आपको ठीक करते हुए खड़े हो गए..

गौतम - अरे रुक क्यों गए? प्लीज कंटिन्यू.. बहुत अच्छी वीडियो बन रही है मामी..

अब्दुल औऱ कोमल एक दूसरे की तरफ देखकर चिंता औऱ फ़िक्र के भाव से भर गए फिर अब्दुल कमरे से बाहर जाने लगा तो गौतम ने उसे जाने से रोक दिया औऱ बोला..

गौतम - कहा जा रहे हो अब्दुल मिया.. रुक जाओ.. क्यों मामी? घर के नौकर के साथ ही.. मामा में दम नहीं है क्या? वैसे दम तो इसमें नहीं लगता..

कोमल गौतम के करीब आकर - ग़ुगु.. बेटा वीडियो डिलीट कर दे..

गौतम - ये तो पुरे घर को दिखाऊंगा मामी.. बहुत गर्मी है ना आपके अंदर..

कोमल गौतम को पकड़कर - ग़ुगु.. मेरी बात सुन.. मेरी बात मान बेटा.. मैं तेरी मामी हूँ ना? देख मैं कहीं की नहीं रहूंगी.. तू चाहता है मैं बर्बाद हो जाऊ?

गौतम कोमल से - ठीक है मामी.. पर पहले बताओ इस नौकर के साथ कब से चल रहा है ये सब?

कोमल - कुछ महीने हो गए बेटा.. तू तो जवाँ है समझता है औरत की जरुरत.. पर ये निकम्मा भी किसी काम का नहीं..

गोतम अब्दुल से - इधर आ..

अब्दुल करीब आता है तो गौतम खींच के एक जोरदार थप्पड़ उसके गाल ओर रसीद कर देता है औऱ कहता है..

गौतम - चल निकल यहां से भड़वे..

अब्दुल अपना सा मुंह लेके नीचे चला जाता है औऱ गौतम कोमल से कहता है..

गौतम - मामी वीडियो में डिलीट नहीं करने वाला..

कोमल प्यार से - ग़ुगु मेरा अच्छा बच्चा है.. देख अपनी मामी को तू ऐसे परेशान करेगा तो तुझे पाप लगेगा..

गौतम - रहने दो मामी.. घर के नौकर के साथ ये सब कर रही हो औऱ मुझे पाप पुण्य का ज्ञान दे रही हो.. मैं ये वीडियो मामा औऱ चेतन को दिखा के ही रहूँगा..

कोमल - ग़ुगु.. देख तुझे जो चाहिए में सब दिला दूंगी पर तू इस बात को यही भूल जा बेटा..

गौतम - मामी आप भी भाभी की तरह मुझे भिखारी समझती हो ना?

कोमल - पागल हो गया है क्या तू ग़ुगु.. तू मेरे लिए चेतन जैसा है.. मैं अपने ही बच्चे के लिए ऐसा क्यों सोचूंगी भला.. देख बेटा.. मेरी बात सुन.. तू अगर बात मानेगा ना तो मैं तेरे लिए एक फूल सी लड़की देखूंगी शादी के लिए..

गौतम - माफ़ करना मामी.. पर मैं आपकी बात नहीं मानुगा.. मैं जा रहा हूँ मामा के पास..

कोमल गौतम के पैर पकड़कर - ग़ुगु देख ऐसा मत कर.. मैं कहीं की नहीं रहूंगी.. मैं तेरे आगे हाथ पैर जोड़ती हूँ बेटा..

गौतम - छोडो मामी.. अभी तो मौका मिला आपसे बदला लेने का..

कोमल - किस बात का बदला ग़ुगु? मैं जानती हूँ तू मुझसे नाराज़ है पर ये सब करके तुझे केसा बदला मिलेगा? मैं तुझे अपना बच्चा मानती हूँ ग़ुगु मेरे साथ ऐसा मत कर.. कोमल की आँखों में आंसू थे..

गौतम - मुझसे कोई उम्मीद मत करो मामी..

ये कहते हुए गौतम नीचे आने लगता है औऱ उसीके पीछे कोमल भी गौतम को पुकारती हुई आ जाती है..

गौतम नीचे हॉल में खड़े अपने मामा संजय की गरफ बढ़ता है औऱ कोमल की जैसे सांसे अटक जाती है..

गौतम संजय के करीब जाकर फ़ोन दिखाते हुएबिलकुल धीरे से कहता है - मामा ज़ी वो मामी कह रही थी की दीदी की शादी में ये वाली डेकोरेशन हो तो बहुत अच्छा रहेगा..

संजय कुछ देर गौर से गौतम के फ़ोन को देखकर कोमल की औऱ चला जाता है औऱ कोमल तो जैसे अब अपनी बर्बादी का इंतजार करते हुए नम आँखों के साथ मोन खड़ी थी..

संजय - इतनी बात के लिए आंसू को बहा रही हो..

कोमल जो कुछ सोच के खड़ी थी संजय की बात सुनकर उससे बाहर निकलती हुई - क्या..

संजय - अरे तुम जो डेकोरेशन चाहती हो वही होगा शादी में.. ग़ुगु तू वो पिक मुझे व्हाट्सप्प कर दे मैं डेकोरेशन वाले को भेज देता हूँ.. तेरी मामी की पसंद की डेकोरेशन ही होगी..

ये कहकर संजय चेतन के साथ अब्दुल को लेकर वेडिंग होटल चला जाता है औऱ कोमल से जल्दी ही तैयार होकर गौतम के साथ वेडिंग होटल आने को बोल जाता है..

कोमल गौतम को गुस्से की नज़र से देखने लगती वही गौतम मुस्कुराते हुए अपनी मामी कोमल को देखकर मुंह बनाते हुए कोमल को चिढ़ाता है..

कोमल गौतम की औऱ बढ़ती है लेकिन गौतम सीढ़ियों से ऊपर की तरफ बढ़ जाता है.. कोमल भागती हुई गौतम के पीछे पीछे उसके कमरे में चली जाती है जहा गौतम हसते हुए कोमल से कहता है..

गौतम - डर गई थी ना आप?

कोमल गौतम को पकड़कर धीरे से उसके गाल पर थप्पड़ मारकर - तूने तो जान ही निकाल दी थी मेरी.. मैं समझी तू सब बता देगा संजय को..

गौतम कोमल को बाहों में भरते हुए - वो तो मैं अब भी बता सजता हूँ.. पूरा वीडियो है आपका मेरे पास..

कोमल प्यार से - ग़ुगु डिलीट कर दे ना उसे..

गौतम - इतनी आसानी नहीं करूंगा मामी..

कोमल - तुझे क्या चाहिए बता ना.. मैं सब दिला दूंगी तुझे..

गौतम - सबसे पहले तो आपके होंठों से एक छोटा सा चुम्मा चाहिए..

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कोमल मुस्कुराते हुए - बस इतनी बात.. कोमल अपने होंठ गौतम के होंठो से मिलकर गौतम को चूमने लगती है औऱ गौतम भी इस चुम्बन का मज़ा लेने लगता है.. कुछ देर बाद गौतम चुम्बन तोड़कर मामी एक सेकंड फ़ोन आ रहा है..

गौतम फ़ोन उठाकर - हेलो..

सुमन - ग़ुगु कहाँ है तू?

गौतम - माँ मैं घर पर हूँ..

सुमन - बेटा वेडिंग होटल आने के लिए कहा था ना तुझे? अब तक घर पर है..

गौतम - वो माँ जरुरी काम आ गया था.. मैं आता हूँ..

सुमन - ठीक है तेरे मामा से बात हुई है अभी अब सिर्फ तू औऱ तेरी मामी घर पर है तू अपनी मामी को भी साथ ले आना..

गौतम- ठीक है मा.. फ़ोन कट जाता है..

कोमल वापस गौतम को चूमने के लिए बढ़ती है तो गौतम उसे रोक देता है - एक मिनट मामी.. वीडियो डिलीट कर देता हूँ..

कोमल गौतम के लंड पर उसकी जीन्स के ऊपर से हाथ फेरती हुई नीचे बैठ जाती है औऱ गौतम की जीन्स खोलने लगती है..

गौतम - मामी माँ का फ़ोन आया था सब वेडिंग होटल जा चुके है घर अब कोई नहीं है.. चलो सब बुला रहे है..

कोमल जीन्स नीचे सरकाकर - बुलाने दे ग़ुगु.. अब तो मैं तुझे खुश करके ही यहां से कहीं जाउंगी..

गौतम - सोच लो मामी.. मैं बहुत बड़ा जानवर हूँ..

कोमल चड्डी नीचे करके हस्ते हुए - कितना बड़ा जानवर है तू..

इतना कहते ही कोमल के सामने गौतम का लंड आ जाता है औऱ उसका मुंह बंद हो जाता है.. गौतम कोमल के मुंह पर लंड के थप्पड़ मारते हुए बोलता है..

गौतम - क्या हुआ मामी?

कोमल - ग़ुगु.. तो तू तो बहुत बड़ा..

गौतम कोमल के इतना कहते ही उसके मुंह में लंड डाल देता है..

गौतम - अब कुछ मत बोलो मामी..

कोमल गौतम के लंड को मुंह में लेकर चूसने लगती है..

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गौतम कोमल को देखते हुए अपना हथियारों उसे चुसवा रहा था और कोमल भी बड़े चाव से गौतम का हथियार मुंह में लेकर चूस रही थी. दोनों एक दूसरे की तरफ देखे जा रहे थे और दोनों में काम इच्छा जागने लगी थी जो दोनों की आंखों में दिखाई देने लगी थी. गौतम कोमल के बाल पड़कर उसे ऐसे अपना हथियार चुसवा रहा था जैसे कोमल उसकी मामी नहीं कोई पेशेवर रंडी हो..


कुछ देर यूँही गौतम ने कोमल को अपना लॉलीपॉप चुसवा कर उसे नंगा कर दिया औऱ कखुद भी अपनी जन्मजात अवस्था में आ गया.. गौतम ने कोमल को बिस्तर पर पटक दिया और उसकी टांगे चोडी करते हुए उसकी चुत अपना हथियार सेट करने लगा..

गौतम को अपनी मामी कोमल की हालत खराब करनी थी इसलिए उसने चुत के छेद पर अपने लोडे को सेट करते हुए थूक लगाकर एक ही झटके में अपना लोडा और उसके अंदर घुसा दिया जिससे कोमल बिन पानी मछली जैसे तड़पने लगी और झटपटाने लगी..

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कोमल की चुत से रक्त की धार भी बह निकली थी जो उसके कई सालों से ना चुदने औऱ चुत के सिकुड़ जाने का प्रमाण थी.. कमल जोर जोर से चिल्ला रही थी और चिंख रही थी अगर घर में उसकी चिंख पुकार सुनने वाला कोई नहीं था.. गौतम ने अपने रूम में टीवी को फुल वॉल्यूम पर करके सोंग प्ले कर दिए थे जिससे भी कोमल की आवाजे दब रही थी.. गौतम ने कोमल के मुंह पर हाथ रखकर उसकी आवाज दबाने की कोशिश नहीं की औऱ कोमल की उस हालात को देखकर मज़े लेने लगा..

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गौतम ने एक दो झटके और जोर-जोर से मारे और अपना पूरा हथियार कमल की गुफा के अंदर फिट कर दिया.. कोमल गौतम को जोर जोर से थप्पड़ मर रही थी औऱ अपने ऊपर से हटने औऱ अपना लंड बाहर निकालने के लिए कह रही थी मगर गौतम सब कुछ सहकारी भी कोमल के ऊपर ही पड़ा रहा औऱ कोमल से बोला..

गौतम - क्या हुआ मामी? पसंद नहीं आया जानवर?

कोमल - मदरचोद रंडी की औलाद ऐसे कौन चुत में लंड घुसाता है? भड़वे जान निकाल देगा क्या मेरी?

गौतम हँसते हुए धीरे धीरे चोदना शुरू करते हुए - मामी क्या करू? कच्ची कलियों की चिंख तो सब निकलवा देते है मुझे तो आपके जैसी पुरानी मदमस्त औरतों की चिंखे सुनने में मज़ा आता है..

कोमल - आहहह... साले कमीने.. तूने तो पूरा खोल के रख दिया मुझे.. आअह्ह्ह... केसा मासूम दीखता है पर है पूरा हरामजादा..

गौतम धक्के की स्पीड बढ़ाते हुए - आपने ही कहा था आप मुझे खुश कर दोगी.. आप बोलो चोदना छोड़ देता हूँ मामी..

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कोमल - आहहह... अह्ह्ह्ह.... अब मेरी सुलगती चुत को आराम औऱ मज़ा मिलने लगा है तो छोड़ने की बात कर रहा है तू.. अह्ह्ह्ह... चुपचाप चोद मुझे वरना तुझे मार डालूंगी..

गौतम कोमल के बूब्स मसलकर उसकी चुत में जोर जोर से झटके मारते हुए - अगर पहले पता होता कि आपकी चुत इतनी टाइट है मामी, तो मैं आते ही आपको चोद के सुखी कर देता..

कोमल - तू तो वो मर्द निकला ग़ुगु जिसे जवाँ बूढ़ी सब औरत पाना चाहती है.. मैं तो पागल हो रही हूँ ग़ुगु.. ये कहते हुए कोमल झड़ जाती है..

गौतम - इतनी जल्दी झड़ गई मामी..

कोमल - जल्दी कहा है ग़ुगु आज तक सबसे लम्बा सेक्स है ये मेरा..

गौतम - अभी शुरू हुआ है..

गौतम कोमल को कुतिया बनाके उसकी चुत औऱ गांड पर थूक देता है औऱ अपना लंड वापस उसकी चुत में डाल के चोदने लगता है..
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कोमल - अह्ह्ह्ह... ग़ुगु तू तो घोड़ा है बेटा.. रुकने का नाम ही नहीं ले रहा..

गौतम - आपके ऊपर गुस्सा ही इतना है मामी कि आपको चोद चोद कर ढीला करने का मन हो रहा है..

कोमल - छोड़ ना पुरानी बातों को ग़ुगु.. भूल जा..

गौतम - कैसे भूल जाऊ मामी.. आपने भी दीदी की साइड ली थी उस दिन..

कोमल - ग़ुगु चुदाई के बीच तू क्या वो बातें लेकर आ गया बेटा..

गौतम जानभूझकर अपना लंड चुत से निकालकर कोमल की गांड के छेद पर रखकर झटके से घुसा देता है जिससे उसके लंड का टोपा कोमल की गांड के छेद में घुस जाता है औऱ कोमल वापस चीख पुकार मचाते हुए गौतम से छोड़ने की अपील करती मगर गौतम कसके कोमल को पकड़के उसकी अपील खारिज कर देता है औऱ चिल्लाती हुई अपनी मामी कोमल की गांड में औऱ जोर से झटका मारते हुए अपना आधा लंड अंदर घुसा देता है..

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कोमल की हालात ख़राब थी औऱ वो गौतम को गालिया बकते हुए उससे छुड़ने की कोशिश कर रही थी मगर गौतम की पकड़ से कोमल नहीं छूट पाती औऱ अब गौतम कोमल की गांड अपने आधे से ही चोदने लगता है..

गौतम पीछे से कोमल के गले में हाथ डालकर उसकी एक चूची पकड़ लेता है औऱ दूसरे हाथ से कोमल की जांघ पकड़के उसकी टांग उठा लेता है औऱ कोमल की गांड मारने लगता है..

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कोमल इतनी तेज़ तेज़ गौतम को गाली दे रही थी की उसकी आवाज पुरे घर में गूंज रही थी..

गौतम गांड मारते हुए - मानना पड़ेगा मामी.. आपकी जवान भले ही कड़वी हो मगर आपका बदन रसीला है.. बिलकुल चाशनी जैसा..

कोमल - साले बाज़ारू समझ रखा है क्या मुझे तूने? हरामजादे छोड़ मेरी गांड को.. मादरचोद गांड मत मार..

गौतम - आराम से चोद लेने दो मामी आपकी गांड.. कोनसा मेरे चोदने से आपकी गांड घिसकार छोटी हो जायेगी..

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कोमल - बहुत बड़ी गलती कर दी मैंने तुझे बच्चा समझके.. तू तो सांड है सांड.. पहली बार गांड मरवा रही हूँ वो भी तेरे इस गधे के लंड से.. मेरे आगे पीछे दोनों छेदो को तूने चोद चोद के कुआ बना दिया मादरचोद... आधे घंटे से चोद रहा है कुत्ते औऱ कितना चोदेगा मुझे? तेरा निकलता क्यों नहीं.. मेरी हालत खराब हो रही है..

गौतम कोमल को अपने ऊपर ले लेता है उसकी गांड फिर से चोदते हुए उसकी चुत में ऊँगली करने लगता है..

गौतम - मामी सच बताओ मज़ा आ रहा है या नहीं..

कोमल - इस मज़े के साथ कितना दर्द हो रहा है वो भी बताऊ तुझे साले भड़वे.. इतना कहते ही कोमल का मूत निकल जाता है.. मगर गौतम को फर्क नहीं पड़ता औऱ वो कोमल की गांड चोदता रहता है..

कोमल की गांड के छेद में धीरे धीरे अब गौतम का पूरा लंड जा चूका था औऱ उसे अब पहले से कम दर्द हो रहा था..गौतम जब निकलने वाला हुआ तो उसने कोमल की गांड में से लंड निकालकर चुत में घुसा दिया औऱ मिशनरी में कोमल को चोदने लगा जिससे कोमल का सारा दर्द अब एक नशे औऱ मज़े में बदल गया...

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कोमल - चोद बेटा, ऐसे ही चोद अपनी मामी को.. अह्ह्ह्ह..

गौतम - मज़ा आ रहा है ना मामी..

कोमल - बहुत मज़ा आ रहा है बेटा.. पहली बार मिल रहा है ऐसा मज़ा.. चोद अपनी मामी को..

गौतम - मामी चुत में ही निकाल दूँ ना..

कोमल - नहीं ग़ुगु.. चुत में नहीं..

गौतम कोमल की नहीं सुनता औऱ कोमल की चुत में पूरा माल भर देता है औऱ कोमल के ऊपर उसी तरह लेट जाता है दोनों कुछ देर उसी तरह पड़े रहते है..

कोमल मुस्कुराते हुए गौतम के गाल खिंचकर - अब तो सारी नाराज़गी दूर हो गई ना तेरी? कैसे रंडी बनाके चोदा है मुझे.. शर्म भी नहीं आई तुझे बिलकुल.. अब अपना लंड मेरी चुत से निकल ग़ुगु.. उठ जा मेरे ऊपर से.. वेडिंग हॉल भी चलना है..

गौतम अपना लंड चुत से नहीं निकालता औऱ बोलता है - थोड़ी देर साँप को बिल में ही रहने दो ना मामी..

कोमल - गांड में दर्द हो रहा है अभी भी ग़ुगु.. तुझे मेरी गांड नहीं मारनी चाहिए थी बेटा..

गौतम प्यार से - पहली बार तो दर्द ही होगा मामी.. आप फ़िक्र मत करो अगली बार प्यार से करूँगा..

कोमल - बेटा मैं करने दूंगी तब ना.. अब सिर्फ आगे से एंट्री मिलेगी तुझे पीछे से एंट्री नहीं मिलेगी, पीछे से नो एंट्री है.

गौतम - नो एंट्री में पार्किंग करना मुझे अच्छे से आता है मामी.. अब जाओ तैयार हो जाओ वेडिंग होटल चलते है..

गौतम कोमल के ऊपर से हट जाता है..

कोमल जैसे बेड से खड़ी होती है लड़खड़ाकर फर्श पर गिर जाती है जिसपर गौतम हँसने लगता है..

गौतम - क्या हुआ मामी सहारा चाहिए?

कोमल गुस्से से - कमीने हस क्या रहा है.. इतना बुरा चोदा है ठीक से चल भी नहीं पा रही..

कोमल दिवार का सहारा लेकर खड़ी होती है औऱ लंगड़ाकर धीरे धीरे अपने कमरे में चली जाती है..

गौतम भी नहाने बाथरूम में घुस जाता है..

गौतम नहाकर बाहर आ जाता है औऱ तैयार होकर कोमल के कमरे में घुस जाता है जहा कोमल भी तैयार हो चुकी थी औऱ अपने माथे पर बिंदिया लगा रही थी..

गौतम पीछे से आकर कोमल को बाहों में पकड़ते हुए आईने के सामने - सेक्सबोम्ब लग रही हो मामी.. मन कर रहा है वापस बिस्तर में ले जाऊ औऱ आपके यौवन की बारिश में वापस भीग जाऊ..

कोमल मुस्कुराते हुए गौतम के गाल पर चुम्मा देकर - अपनी इस घोड़ी को अब थोड़ा आराम दे ग़ुगु.. पहले ही तेरे कारण मेरी चाल ढाल सब बिगड़ चुकी है.. चलने में भी दर्द हो रहा है..

गौतम - मैंने पहले ही कहा था आपसे.. पर आप ही नहीं मानी.. अब भुगतो..

कोमल - आराम से ग़ुगु.. मुझसे चला नहीं जा रहा.. कोमल लंगड़ा कर चल रही थी तो गौतम ने कोमल को अपनी बाहों में उठा लिया औऱ घर बंद करके बाहर आ गया औऱ कोमल को कार में बैठा दिया फिर कार चलाकर वेडिंग होटल की औऱ कार चलाने लगा..

चेतन फ़ोन पर - मम्मी आप कहा रह गई.. यहां सब बुला रहे है आपको..

कोमल - बेटा ये ट्रैफिक भी ना.. इस शहर में कहीं आना जाना मतलब ट्रैफिक में फंसना..

चेतन - ठीक है मम्मी कितना समय लग जाएगा आपको आने में..

कोमल - नहीं पता बेटा.. अभी तो किसी मंत्री का काफ़िला आने वाला है उसके ट्रैफिक में रुके हुए है हम दोनों.. आधा घंटा भी लग सकता है..

चेतन - ठीक है मम्मी.. मैं पापा को बता देता हूँ..

कोमल - ठीक है बेटा.. फ़ोन कट हो जाता है..

गौतम - झूठ बोलने में तो उस्ताद हो मामी.. मंत्री का काफ़िला.. हम्म??

कोमल मुस्कुराते हुए - वो सब छोड़ बेटा अब चोद अपनी मामी को.. फिर से मेरी चुत में खुजली हो रही है..

गौतम कार की पिछली सीट पर साडी औऱ पाटीकोट कमर तक उठाकर अपनी टांग चौड़ी करके पीठ के बल लेटी अपनी मामी कोमल के सामने बैठा था.. गाडी रास्ते में सुनसान जगह पर खड़ी थी..

गौतम अपने लोडे पर थूक लगा कर वापस कोमल के अंदर घुस गया औऱ उसे चोदने लगा..

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कोमल - आह्ह.. ग़ुगु आराम से बेटा.. आराम से..

गौतम - क्या हुआ मामी.. अभी तो कह रही थी वापस चुदना है अब सिसकने लगी..

कोमल - बेटा ऐसे चोदेगा तो तेरी माँ भी सिसक सिसक कर रोयेगी.. आह्ह.. तू तो ज़ालिम है..

गौतम कोमल के बाल पकड़कर चुत मारता हुआ - आप तो मस्त हो मामी.. मेरी सारी नाराजगी को अपनी चुत देकर दूर कर दिया आपने..

गौतम ये कहकर वापस मामी की चुत में झड़ जाता है औऱ दोनों अब वेडिंग होटल की तरफ आ जाते है..

कोमल की हालत देखकर सभी लोग कोमल से उसके लंगड़आने की वजह पूछते हैं मगर कोमल बस इसे मोच का नाम देकर सबसे अपना पल्ला छुड़ा लेती है और लंगड़ाती हुई अपने होटल रूम में चली जाती है.. सुमन कोमल की हालत देखकर गौतम की तरफ देखती है और गौतम से इशारों में पूछता है की क्या हुआ?

गौतम जीन्स के ऊपर से अपने हथियार पर हाथ लगाते हुए सुमन को देखकर इशारे से कहता है.. चुद गई मामी..

सुमन गौतम का जवाब सुनकर हंसने लगती है और फिर कोमल का हाथ पकड़ते हुए उसे उसके होटल के कमरे की तरफ ले जाती है..

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वेडिंग होटल मैं सभी मेहमान आ चुके थे और शादी की रस्में पूरे जोर शोर और खुशी उल्लास के साथ निभाई जा रही थी सभी लोग अपनी मस्ती में मस्त शादी के माहौल में मगन थे. संजय और उसका बेटा चेतन और बाकी मेहमान जिन्हे ख़ास तौर पर आमंत्रित किया गया था वह सभी दी गई हुई जिम्मेदारियां को उठाते हुए व्यवस्थाओं का जायजा लेकर इधर से उधर घूम रहे थे और होटल में खाने से लेकर रहने तक अलग-अलग व्यवस्थाओं को देख रहे थे और सभी से ठीक से कार्य करने का आदेश भी सुना रहे थे.

महिलाएं अपने एक अलग माहौल में थी वह एक बड़े से हाल में एक साथ बैठी हुई नाच गाने का प्रोग्राम कर रही थी जहां कुछ महिलाये ढोलक की ताल पर अलग-अलग गीत गा रही थी और हाथ से तालियां बजाते हुए बीच में नाच रही महिलाओं को देखकर उनका हौसला बढ़ाते हुए नाचने को उत्साहित कर रही थी. हाल में चारों ओर कई महिलाएं बैठी हुई थी और बीच में कुछ महिलाएं नाच रही थी नाचते हुए महिलाओं में एक समान भी थी जो ढोलक की ताल पर नाचते हुए अपनी नृत्य कला का प्रदर्शन कर रही थी.

गौतम अभी-अभी उस हाल की तरफ बढ़ा था कि उसे खिड़की से नाचती हुई अपनी मां सुमन दिखाई दी और उसके कदम अपने आप उसी जगह रुक गए जहां से गौतम सुमन को नाचते हुए देखने लगा. गौतम अपनी नज़रें भर कर अपनी मां सुमन को नाचते हुए देख रहा था और उसकी आंखों में सुमन का यह मनमोहक और मनभावन रूप सुमन के प्रति उसकी काम भावनाओं को और भी प्रबल कर रहा था. गौतम एक प्रेमी की नजरों से आज पहली बार अपनी मां सुमन को देख रहा था सुमन के हिलते हुए उरोज और बाहर निकले हुए नितंब के साथ साथ साड़ी से साफ-साफ दिखाई देती है उसकी चिकनी कमर और उसके चेहरे की हंसी मुस्कुराहट के साथ लहराते उसकी जुल्फे गौतम के दिल पर छुरिया चल रही थी.

गौतम का मन अभी सुमन को अपना बना लेने का हो रहा था मगर इस माहौल में सुमन से अपने प्यार का इजहार करना और उसे अपने दिल की बात बताना गौतम के लिए असंभव था. गौतम अब तक सुमन को अपनी मां के रूप में ही देखता आया था मगर अब वह सुमन को अपनी बीवी या अपनी होने वाली दुल्हन के रूप में देख रहा था. वह खिड़की के बाहर खड़ा-खड़ा अंदर झाँककर सुमन को देखते हुए सोच रहा था कि वह सुमन को अपना बना कर रहेगा और इसके लिए उसे जो भी करना पड़े वह करेगा.

गौतम तब तक सुमन को खिड़की के बाहर खड़ा होकर देखता रहा जब तक कि वह अंदर ढोलक की ताल पर अपनी गांड और चूची हिलाते हुए नाचती रही. नाचने के बाद जब सुमन थक्कर चूर हो गई हो तो नीचे गद्दे पर बैठ गई और पानी पीते हुए अपनी मां गायत्री और भाभी कोमल के साथ ढोलक की ताल पर गीत गाने लगी और बीच में नाचती हुई महिलाओं का उत्साह बढ़ाने लगी.

गौतम अब भी अपनी मां को ही देखे जा रहा था जैसे उसकी नजरों को कुछ और देखने की चाह ही नहीं बची थी. कुछ देर बाद जब सुमन उठकर बाथरूम के लिए जाने लगी तब गौतम भी उसके पीछे-पीछे बाथरुम की ओर चल दिया और सुमन के साथ होटल के कोने में बने लेडिस बाथरूम में घुसते हुए गौतम ने सुमन को पकड़ कर बाथरूम का दरवाजा बंद कर लिया.

सुमन अचानक हुए इस हमले को देखकर चौंक गई थी मगर जैसे ही उसकी आंखों के सामने गौतम का चेहरा आया उसकी आंखों ने राहत की सांस ली और वह गौतम के गाल सहलाकर उसे डांटते हुए बोली..
सुमन - कोई देख लेगा ग़ुगु.. पागल हो गया है क्या तू..
गौतम - पागल तो आपने कर दिया है माँ.. इस तरह अपने चुचे औऱ चुत्तड़ हिला के नाचोगी तो कैसे खुदको कंट्रोल कर पाऊंगा..
सुमन हसते हुए - चल अब तंग मत कर.. बहुत जोर की सुसु आई है.. करने दे..
गौतम साडी के ऊपर सुमन की चुत सहलाते हुए - सुसु क्या होती है माँ? खुलकर बोलो ना मूतना है आपको..
सुमन गोतम का हाथ पकड़ते हुए - ग़ुगु छोड़.. क्या कर रहा है.. कोई भी आ सकता है यहां.. जा यहां से जल्दी.. मुझे जोर की आई है..
गौतम - मेरे साथ ट्रुथ एंड डेयर खेलना पड़ेगा एक बार..
सुमन - रात को जितना खेलना हो खेलना ग़ुगु अभी जा तू यहां से..
गौतम - सिर्फ एक बार माँ..
सुमन आँख मिलाते हुए - ठीक जल्दी खेल..
गौतम और सुमन अपनी नज़रे मिलाकर खेलने लगते हैं जिसमें गौतम जीत जाता है और सुमन फिर से हार जाती है..
सुमन - अच्छा अब बोलो जल्दी.. क्या करना है..
गौतम सुमन की साडी उठाते हुए - कुछ नहीं माँ.. प्यास लगी है बस आपका मूत पीला दो..

इतना कहकर गौतम अपने घुटनों पर बैठ जाता है और सुमन की साड़ी के अंदर घुस जाता है गौतम सुमन की चड्डी नीचे सरकाकर उसकी जांघों के जोड़ पर अपना मुंह लगा देता है और अपनी जीभ से सुमन के नारीत्व को चूसने चाटने लगता है..

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गौतम ने सब इतना जल्दी किया था कि सुमन को उसे रोकने का समय ही नहीं मिल पाया और सुमन गौतम के इशारों पर नाचने के लिए तैयार हो चुकी थी सुमन में इतनी हिम्मत नहीं थी कि वह गौतम को हटा सके या उसे मना कर सके..
गौतम लगातार सुमन की चुत को चाट रहा था जिससे सुमन के सब्र का बांध टूट गया औऱ और वह अपनी चुत से मूतने लगी.. गौतम ने सुमन की चुत से मूत की पहली बूंद आते ही सुमन के जांघो के जोड़ पर अपना मुंह चिपका दिया और अपनी माँ मूत पिने लगा..

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सुमन भी अपने काम भावनाओं को दबाने में सफल नहीं रही और उसकी काम इच्छा गौतम के सामने उजागर हो गई. सुमन गौतम के बाल पड़कर उसके मुंह में ऐसे मूतने लगी जैसे वो बाथरूम में मूत रही हो.
गौतम अपनी मां सुमन की चुत से निकलता हुआ उसका मूत ऐसे पी रहा था जैसे उसे अमृत मिल गया और वह उसकी एक बूंद भी जाया नहीं करना चाहता हूं.. सुमन का सारा मूत पीने के बाद भी गौतम ने उसकी चुत से अपना मुंह नहीं हटाया और वैसे ही उसकी चुत चाटने और चूसने लगा.
सुमन ने भी गौतम को अपनी चुत से तब तक नहीं हटाया जब तक सुमन अपने बेटे गौतम के मुंह में झड़ नहीं गई..

गौतम अपनी मां का मूत पीने के बाद अब सुमन के झड़ने पर उसका नारीत्वपान भी कर चूका था..
गौतम यह सब पीकर अपने घुटनों पर से खड़ा हो गया और अपने सामने शर्म से लाल होकर खड़ी अपनी माँ सुमन को देखकर बोला..
गौतम - आई लव यू सुमन..
सुमन अपनेआप को सही करते हुए - अब जा गौतम.. कोई देख लेगा तो हंगामा हो जाएगा..
गौतम बाहर जाते हुए - जा रहा हूँ माँ.. पर शाम पांच बजे आप होटल की छत पर आकर मिलना.. मुझे कुछ बात करनी है आपसे..
सुमन - आ जाउंगी.. तू जा अब.. बाहर देखकर निकलना.. कोई देख ना ले..
गौतम - कोई नहीं है बाहर आप चिंता मत करो..

गौतम बाथरूम से बाहर निकाल कर वेडिंग लॉन की तरफ आ जाता है और उसके पीछे सुमन कुछ देर बाद बाथरूम से निकालकर उस हाल वापस बैठ जाती है जहां लेडिस का नाच गाना चल रहा था.. सुमन का मन न जाने किस मीठी खुशी का शिकार हो गया था उसे बार-बार गौतम का चेहरा नजर आने लगा था और जो आज गौतम ने उसके साथ किया था वह एक अनोखी घटना थी जिसे याद करके सुमन गौतम की यादों में खोई हुई सोचने लगी थी कि गौतम ने आखिर ऐसी गंदी हरकत उसके साथ क्यों की.. हालांकि उसकी इस गंदी हरकत में सुमन को भरपूर मजा मिला था औऱ वो चाहती थी कि ऐसा मज़ा उसे वापस मिले..

गौतम ने अपनी मां की काम इच्छा तो जगा कर ठंडी पूरी कर दी थी मगर उसके मन में जो काम की आग जगी थी उसे अभी तक पानी नहीं मिल पाया था.. गौतम अपने खड़े हुए लंड को लेकर वेडिंग होटल से लेकर वेडिंग लोन तक इधर से उधर घूम रहा था और किसी ऐसे शिकार की तलाश कर रहा था जिसके साथ वह अपनीहवस औऱ काम इच्छा शांत कर सके..
गौतम ने वेडिंग होटल की दूसरी मज़िल पर कोमल को अपने रूम जाते देखा था वो भी उसके पीछे उसके रूम में चला गया औऱ दरवाजा बंद करते हुए कोमल को बाहों में भरके बिस्तर पर गिर गया..
गौतम ने कोमल साड़ी उठाते हुए उसकी चुत में अपना लंड डाल दिया औऱ चोदने लगा.. कोमल इस हाल में थी कि उससे ना कुछ बोला जा रहा था ना ही गौतम को रोका जा रहा था वह बस किसी खिलौने की तरह गौतम की बाहों में खेल रही थी. गौतम ने सुबह कोमल कसके चोदा था और ऐसा रगड़ा था कि उसे चला नहीं जा रहा था और अब भी उसे किसी रंडी जैसे अपने नीचे लेटा कर वो रगड़ रहा था. कोमल तीसरी बार चुद रही थी उसे जैसे मज़ा और सजा एक साथ मिल रही थी..
कोमल - कमीने क्यों मेरे पीछे पड़ा है.. मुझसे क्या दुश्मनी है?
गौतम - तुझसे नहीं मामी मुझे तो तेरी चुत से दुश्मनी है.. जब इसे चोद चोद कर भोसड़ा नहीं बना दूंगा मुझे चैन नहीं मिलने वाला..
कोमल - मैंने कब मना किया है तुझे चोदने के लिए ग़ुगु.. पर प्यार से बेटा ऐसे मत रगड़ मुझे.. सुबह से चला भी नहीं जा रहा अब तो लगता है ठीक से उठ भी नहीं पाउंगी..
गौतम - मामी दोदो बच्चे निकलने के बाद भी ऐसी चुत है आपकी जैसे अभी तक बच्चा नहीं हुआ हो.. लगता है मामा दूकान के चक्कर में आपको भूल गए है..
कोमल - तेरे मामा में दम नहीं है बेटा.. तभी तो तेरे आगे घोड़ी बनके झुकी हुई हूँ..

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गौतम कमल को जमके रगड़ता है और आधे घंटे बाद उसके कमरे से निकल जाता है इस बार भी कोमल ने अपने आगे के साथ पिछवाड़ा भी गौतम को सौंप दिया था जिसके साथ गौतम ने अभी-अभी बहुत मजे किए थे. कोमल की हालत इस तरह थी जिस तरह सुहागरात के बाद कुंवारी दुल्हन की होती है.. उसकी बिगड़ी हुई चाल औऱ बिगड़ चुकी थी अब उसके लंगड़ेपन में औऱ लचक आ गई थी.. उसने सबको ये ही बताया था की उसे मोच आई थी..
Jabardast update 🔥 👍🏻
Komal ko chod ker Gautam ne apna gussa thoda kam kiya ab dekhte hai kiska number aata hai
 
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