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Update 27
विवाह समपन्न हुआ आज से आप पति पत्नी..
संजय - आओ बेटी.. चलो.. चेतन.. ये सामान कमरे में पंहुचा दे..
चेतन - ठीक है पापाज़ी...
गायत्री - संजय बेटा.. दामाद ज़ी औऱ ऋतू को एक साथ ही ले जा.. कोमल तू भी साथ में जा...
आरती - मम्मी ज़ी अब तो अकेले छोड़ दो दामाद ज़ी औऱ ऋतू को.. सब हँसने लगते है..
गायत्री - रात के डेढ़ बज चुके है औऱ तू अभी भी मज़ाक़ मस्ती में लगी हुई है.. चल अब तू भी चेतन के साथ चली जा.. अब थोड़ा आराम कर लेते है.. कल विदाई में बहुत काम है..
संजय - सही कहा माँ.. आज का दिन बहुत थका देने वाला था..
कोमल - तुम तो रोज़ ही थके हुए लगते हो.. कोनसी नई बात है..
बात करते हुए सब अपने अपने रूम में चले गए थे..
राहुल औऱ उसके दो दोस्त अब साथ थे औऱ दोस्त राहुल को इशारे से बुला रहे थे..
एक दोस्त - क्या बात है साले.. शादी होते ही हमारी बात नहीं सुन रहा..
राहुल अलग जाकर - अबे तुम भी जाकर सो जाओ क्यों भूत की तरह सर पर घूम रहे हो..
दूसरा दोस्त - भाई तेरी नींद का जुगाड़ तो हो गया हम अकेले कैसे सोये?
राहुल - एकदूसरे की गांड मार लो.. अब चल.. जाने दे मुझे..
दोस्त - अभी से डरने लगा तू तो अपनी बीवी से..
राहुल - अबे टाइम देख अब तुम भी सो जाओ जाकर..
दोस्त हसते हुए - अरे यार थोड़ी सी दारु तो पिले.. बिल्ली कैसे मारेगा.. वरना..
राहुल - ठीक है मैं बोलके आता हूँ तुम रूम में जाओ..
दोस्त - हाँ हाँ बोलके आ.. अब तो परमिशन लेनी ही पड़ेगी तुझे..
राहुल ऋतू से थोड़ी देर दोस्तों के साथ बैठने की बात बोलके दोस्तों के साथ रूम में बैठकर शराबखोरी करने लगता है औऱ ऋतू अकेली अपने कमरे में सोफे पर बैठी हुई दिनभर की थकान से चूर होकर एक सिगरेट जलाकर कश लेने लगती है.. ऋतू ने अपने भारी भरकम दुल्हन वाले कपडे बदल लिए थे औऱ सादा सूट पहन लिया था.. ऋतू बैठी ही थी कि उसके फ़ोन पर अनजान नम्बरो से व्हाट्सप्प पर एक वीडियो आया औऱ नीचे टेक्स्ट आया - छत पर मिलो...
ऋतू वीडियो देखकर समझ गई कि ये विकर्म ने भेजा है क्युकी वीडियो में ऋतू औऱ विक्रम कि चुदाईलीला थी.. ऋतू समझ गई की विक्रम वापस उसे चोदने के लिए बुला रहा है इसलिए ऋतू सिगरेट का पैकेट लाइटर औऱ कंडोम का पैकेट लेकर छत पर चली गई.. छत पर अँधेरा था औऱ लोन की भी लगभग सभी लाइट बंद हो गई थी लोन की एक्का दुक्का लाइट से छनकर आती मामूली रोशनी छत के अँधेरे को दूर नहीं कर रही थी.. पूर्णिमा का चाँद निकला हुआ था मगर बदलो ने उसे ढक लिया था.. छत पर अंधेरा था औऱ किसीका चेहरा देख पाना मुश्किल था..
ऋतू को छत पर बने एक कमरे के बाहर परछाई दिखी जिसे उसने विकर्म समझ लिया औऱ ऋतू बोली - बोला था ना.. अब मत मिलना मुझसे.. तुम ब्लैकमेल करना बंद क्यों नहीं कर देते मुझे.. मेरी शादी हो चुकी है विक्रम..
परछाई में विकर्म नहीं गौतम था जिसने मुंह पर मास्क लगाया हुआ था औऱ गौतम ने कुछ नहीं कहा तो ऋतू फिर से बोली - मेरी लेने आये हो ना वापस? लो ये कंडोम औऱ जल्दी से मुझे चोदकर निकल जाओ यहां से.. मेरी गलती थी जो तुमको वीडियो बनाने दिया उस रात..
गौतम कंडोम लेकर ऋतू को पलट देता है औऱ उसे झुकाते हुए उसकी पज़ामी का नाड़ा खोलकर पज़ामी नीचे कर देता है, पेंटी भी नीचे सरकाते हुए कुर्ती ऊपर करके अपने लंड पर कंडोम पहन लेता है औऱ पीछे से ऋतू की चुत पर लोडा लगाते हुए एक जोरदार झटके के साथ अपनी बहन ऋतू की चुत चिरते हुए अपना लंड ऋतू की चुत में घुसा देता है...
ऋतू चिल्लाते हुए - अह्ह्ह्ह... ये क्या है.. विक्रम..?? आहहह... इतना बड़ा..
गौतम लंड घुसते ही एक हाथ से ऋतू के बाल पकड़कर झटके पर झटके मारना शुरू कर देता है जिससे ऋतू सिसकती हुई चिल्लाने लगती है औऱ छत पर ऋतू की चुदाई का संग्राम शुरू हो जाता है..
गौतम पीछे से ऋतू की चुत चोदे जा रहा था जिसमे ऋतू भी अब पूरी तरह शामिल हो चुकी थी उसे चोद रहे आदमी पर शक हो रहा था मगर उसे मज़ा आने लगा था औऱ अब वो काम सुख की हवा में बहकर गौतम को विकर्म समझती हुई उससे बात भी करने लगती है जो सिर्फ एक तरफा थी..
गौतम ऋतू की बात का कोई रिप्ली नहीं दे रहा था..
ऋतू - विकर्म क्या हो गया है आज तुम्हे... आहहह... औऱ ये तुम्हारा लंड.. ये आज इतना बड़ा कैसे लग रहा है... आहहह... तुम बदले बदले कैसे लग रहे हो.. विक्रम.. अह्ह्ह्ह.. मज़ा आ रहा है.. चोदो मुझे ऐसे ही चोदो.. अह्ह्ह्ह... फाड़ दो मेरी चुत..
गौतम बिना रुके धक्के पर धक्के लगाता हुआ ऋतू को पीछे से चोद रहा था औऱ चोदते चोदते गौतम ऋतू को छत पर उसी सामान से भरे हुए कमरे में ले आता है जहा उसने सुमन के साथ बातें की थी..
कमरे में घनघोर अँधेरे था औऱ बस लोन में लगे एक बल्ब से हलकी सी रौशनी आ रही थी.. ऋतू औऱ गौतम वहां चुदाई कर रहे थे औऱ चुदाई की आवाज यहां घूंज रही थी..
गौतम ने ऋतू को पलट कर अपनी तरफ मोड़ लिया औऱ दिवार से ऋतू की पीठ लगाते हुए उसकी एक टांग उठा कर उसकी चुत में अपना लंड घुसा कर फिर से तेज़ तेज़ झटको से चोदने लगा जिसमे ऋतू भी काम के वाशीभूत होकर आनंद उठा रही थी.. उसे परवाह नहीं रह गई थी कि उसे चोदने वाला विक्रम है या कोई औऱ..
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ऋतू को चुदाई के दौरान मिले रहे आंनद के बीच शक था कि उसे चोदने वाला विकर्म नहीं है.. औऱ अब वो अपने शक को यकीन में भी बदल लेना चाहती थी मगर उसे मिल रहे सुख ने उसे काफ़ी देर तक रोके रखा औऱ फिर चुदाई के बीच ऋतू ने अपने हाथ से गौतम का मास्क उतार दिया औऱ अँधेरे में बड़ी गौर से उसका गौतम का चेहरा देखा तो वो चौंक पड़ी..
ऋतू का कामसुख गुस्से में बदल गया औऱ वो बोली - ग़ुगु तू... शर्म नहीं आई तुझे अपनी बहन के साथ..
गौतम नीचे से किसी के आने कि आहट सुनकर चुदाई रोकते हुए - दीदी कोई आ रहा है.. चुप रहना वरना हम पकडे जाएंगे..
कमरे के अंदर खिड़की के पास ऋतू औऱ गौतम थे जो एकदूसरे से लिपटे हुए थे गौतम का लंड ऋतू की चुत में अभी भी तनकर खड़ा था वही छत पर एक औरत आकर उसी कमरे की खिड़की के करीब बाहर की तरफ खड़ी हो गई.. गौतम औऱ ऋतू दोनों ही औरत को नहीं देख पाए.. लेकिन फिर एक आदमी आता दिखा औऱ ऋतू औऱ गौतम को आदमी की चाल से औऱ उसकी आवाज से पता चल गया था की ये ऋतू का बाप संजय है..
संजय उस औरत के करीब आकर - क्यों नाराज़ होती हो.. जानबूझकर नहीं कहा कोमल ने वो सब.. तुम तो जानती हो कोमल की जबान कैसी है? वो कभी भी कुछ भी बोल देती है..
औरत रोते हुए - मैं अच्छी तरह जानती हूँ भईया भाभी की जबान कैसी है? एक तो अपनी ही बेटी की शादी में मेहमान बनकर आई हूँ ऊपर से भाभी मुझे अपने अहसान गिनाते हुए ताने मार रही है.. मेरे ग़ुगु को छीनना चाहती है.. ग़ुगु सही कह रहा था.. हम यहां नहीं आते तो ही अच्छा था..
गौतम औऱ ऋतू को आवाज से पता चल चूका था की ये औरत औऱ कोई नहीं गौतम की माँ सुमन है..
संजय - अरे तुम भी कैसी बातें लेकर बैठ गई सुमन.. आज भी बात बात पर नाराज़ होती हो.. कोमल ने हमारी ऋतू को कभी पराया नहीं समझा.. अपनी सगी बेटी समझकर पाला है.. हमारी कितनी मदद की है कोमल ने.. तुम तो सब जानती हो..
सुमन - भईया.. मदद की है तो फ़ायदा भी उठाया है भाभी ने.. ऋतू मेरी बेटी थी जिसे भाभी ने मुझसे छीन लिया..
संजय - छिना नहीं था मदद की थी हमारी.. शादी से पहले जो लड़की माँ बने उसे समाज क्या कहता है जानती हो ना?
ऋतू - ये बात तब याद नहीं थी आपको.. जब आप भाभी को अकेला छोड़कर रात रातभर मेरे साथ सोते थे? मैंने कितना समझा आपको ये सब गलत है पर आप नहीं माने..
संजय - पुरानी बातों पर मिट्टी डाल सुमन.. तू जानती है मैं जितना कोमल से प्यार करता हूँ उससे कहीं ज्यादा तुझसे करता हूँ.. मैं कब से तेरी मदद करने की कोशिश कररहा हूँ पर तू मानती ही नहीं..
सुमन - नहीं चाहिए भईया आपका अहसान.. मैं मेरे ग़ुगु के साथ उसी हाल में खुश हूँ..
संजय - सुमन.. ग़ुगु मेरा भी कुछ लगता है.. उसके लिए मैं कोई अहसान नहीं कर रहा हूँ.. पर मेरी मदद लेने में तो तेरी नाक नीची हो जायेगी ना..
गौतम औऱ ऋतू संजय औऱ सुमन की बात सुनकर ये जान चुके थे कि वो दोनों सुमन की औलादे है.. गौतम ये बात जानकार औऱ भी उत्तेजित हो चूका था कि ऋतू उसीकी बहन है जिसे सुमन औऱ संजय के व्यभिचार से जन्म मिला है.. औऱ ये बात जानने के बाद गौतम के लंड ने ऋतू की चुत में प्यार की पहली बरसात भी कर दी थी जिसे ऋतू महसूस कर सकती थी..
गौतम ने झड़ने के बाद भी ऋतू की चुत से लंड नहीं निकाला औऱ ना ही ऋतू ने गौतम को ऐसा करने का इशारा किया वो दोनों संजय औऱ सुमन की बात सुनने में लीन थे..
सुमन - भाभी तो चाहती नहीं थी कि मेरे कोई औलाद रहे.. तभी तो उस आदमी से मेरी जबरदस्ती शादी करवा दीं.. पहले भाभी ने मेरी ऋतू को मुझसे छीन लिया औऱ फिर मेरे ग़ुगु को भी मुझसे छीनने कि पूरी कोशिश की थी..
संजय - सुमन क्यों गड़े मुर्दे उखाड़ रही हो.. उन बातों को भूल जाओ.. जो हुआ सो हुआ.. अब उन बातों का क्या फ़ायदा..
सुमन - ये बात आप भाभी को क्यों नहीं समझाते.. वो खुद बच्चा पैदा नहीं कर सकती इसमें मेरी गलती थोड़ी है.. पहले माँ से चेतन को छिना.. फिर मुझसे ऋतू को.. फिर ग़ुगु को छीनने की कोशिश की औऱ अब मुझे ही हर दम ताने मारती रहती है.. बता दूँ चेतन को कि वो आपका बेटा नहीं छोटा भाई है? माँ ने कभी कोई शिकायत नहीं कि पर मैं अब बर्दास्त नहीं करुँगी भईया.. अब अगर भाभी ने कुछ औऱ कहा तो मैं भी चुप नहीं रहूंगी.. वो बाँझ है इसमें हमारा क्या दोष?
संजय - सुमन.. पागलपन छोड़.. मैं कोमल से बात करुँगा.. उसने जो कहा गलत था पर तू भी समझती है वो कैसी है फिर उसकी बात को दिल पर क्यों लगाती है..
सुमन गुस्से में चिल्लाकर - क्यों ना लगाऊ दिल से.. ग़ुगु मेरा बच्चा है.. मेरे जीने मरने का सहारा.. भाभी उसे अब मुझसे छीनना चाहती है.. बचपन में उसका मंसूबा कामयाद नहीं हुआ तो अब वापस से उन्होंने कोशिश शुरू कर दीं.. मुझे पैसो का लालच देती है.. मेरे ग़ुगु के लिए मैं सारे जहान कि दौलत छोड़ सकती हूँ..
संजय - क्या फर्क पड़ता है सुमन.. ग़ुगु यहां रहे या वहा.. तू तो जानती है मैंने जो कुछ कमाया है उसे चेतन अकेले नहीं संभाल पायेगा..
सुमन - भईया ग़ुगु को मैंने जन्म दिया है मैंने पाला है.. मैं उसे यहां नहीं छोड़ने वाली. आप भाभी को समझा दीजिये कि वो मेरे ग़ुगु से दूर रहे औऱ उसका ख्याल छोड़ दे..
ये कहकर सुमन नीचे चली जाती है औऱ उसके पीछे पीछे संजय भी नीचे चला जाता है..
सुमन औऱ संजय के नीचे जाने के बाद ऋतू अपने फ़ोन की फलेशलाइट ऑन करके गौतम का चेहरा देखती है औऱ उससे गुस्से में कहती है..
ऋतू - वो वीडियो कहा से आया तेरे पास?
गौतम फ्लशलाइट अपने चेहरे की तरफ से हटाकर - आपके उस आशिक विक्रम ने फ़ोन में दिखाया था..
ऋतू - तू उसे कैसे जानता है?
गौतम - शादी में मिला था आपके बारे में अनाप शनाप बक रहा था.. उसने आपका वीडियो दिखाया औऱ बाथरूम के पीछे जो आपके साथ किया वो बताया..
ऋतू - तो अब तू भी मुझे ब्लैकमेल करने लगा उसके साथ मिलकर? शर्म नहीं आई तुझे ये सब करते हुए?
गौतम ऋतू की चुत से लंड निकालकर - नहीं दीदी.. मैंने तो उसके फ़ोन से आपके सारे वीडियो डिलीट कर दिए.. औऱ नशे में उसका वीडियो बना लिया.. ये देखो.. मैं आपको सेंड करता हूँ.. अगली बार वो आपको ब्लैकमेल नहीं कर पायेगा.. आप चाहो तो उसे कर सकती हो.. उसका वीडियो भी वायरल कर सकती हो.. मैं तो बस आपको ये बताने के लिए छत पर बुलाया था..
ऋतू फ़ोन साइड में रख कर - बताने के छत पर बुलाया था तो मेरी लेने क्यों लगा?
गौतम सर झुकाकर - आपने ही कंडोम देकर कहा था मैं क्या करता? आप सेक्सी भी लग रही थी..
ऋतू मुस्कुराते हुए - सर ऊपर कर बुद्धू.. तूने विक्रम के साथ ये सब मेरे लिए किया?
गौतम - आप बड़ी बहन हो मेरी.. कोई आपको तंग करें मैं कैसे सहन कर सकता हूँ..
ऋतू हसते हुए - अच्छा तो फिर तुमने क्यों तंग किया अभी मुझे?
गौतम - मैंने कहा किया दीं.. अपने ही बोला था चोदने के लिए.. देखो मेरा तो आपकी चुदाई में कंडोम भी फट गया..
ऋतू हसते हुए घुटनो पर बैठकर गौतम के लंड से कंडोम उतारते हुए - भला कोई कंडोम पहन के भी अपनी बहन चोदता है? ग़ुगु तेरा ये लंड.. कितना बड़ा औऱ मजबूत है.. मुझे तो दर्द हो रहा था इससे चुदवाते हुए..
गौतम - दीदी यार आपकी चुत तो भाभी से भी ज्यादा चौड़ी है.. मेरा लंड तो आसानी से अंदर चला गया.. विक्रम सही कह रहा था पक्की रांड हो आप तो..
ऋतू धीरे धीरे गौतम का लंड हिलाती हुई - सगी बहन को रांड बोलता है.. तुझे तो सबक सीखना पड़ेगा ग़ुगु..
गौतम - अब रांड को रांड ही बोला जाता है दीदी.. यहां बिस्तर नहीं है मुझे सबक सिखाने के चक्कर में आपके गोड़े छील जाएंगे..
ऋतू सिगरेट सुलगाते हुए - छील जाए तो छील जाने दे ग़ुगु.. सुहागरात तो आज तेरी बहन तेरे साथ ही मनाएगी.. पहली बार कोई टक्कर का मर्द मिला है..
गौतम - फिर जीजाजी क्या करेंगे? वो क्या सारी रात हिलाएंगे अपना?
ऋतू - उसकी चिंता तू मत कर ग़ुगु.. वो साला ढीला है.. 2-4 मिनट में थक्के झड़ जाता है.. मैं 5-10 मिनट में उसको निपटा के तेरे पास आ जाउंगी..
गौतम हसते हुए - औऱ वो?
ऋतू - उसे नींद की गोली दे दूंगी.. पक्की खिलाड़ी हूँ मैं भी.. आज तो मेरी रात औऱ मेरी जवानी अपने भाई के नाम है..
गौतम - मत हिलाओ दीदी अब इसे खड़े होने में थोड़ा वक़्त लगेगा.. आज बहुत सारी चुते चोदी है इसने..
ऋतू सिगरेट के कश लेती हुई खड़ी होकर - इसे तो आज पूरी रात खड़ा रहना है..
गौतम - अब नीचे चलते है दीदी.. वरना कोई फिर से ऊपर आ जाएगा.. यहां किसी को चैन नहीं है..
ऋतू कश लेती हुई - सिगरेट तो ख़त्म हो जाए ग़ुगु.. फिर चलते है.. वैसे एक बात बता तुझे कैसे पता आरती भाभी की चुत का.. मुझसे ज्यादा टाइट है उनकी? सच सच बताना तूने कब चोदा भाभी को?
गौतम - कल दोपहर में दीदी.. औऱ आज भी भाभी लहंगा उठा के पीछे ही पड़ गई इसलिए अभी आपके फेरे होने से जस्ट पहले भी चोदना पड़ा..
ऋतू - भाभी तो बहुत चालु निकली.. देवर के साथ ही रासलीला शुरू कर दी..
गौतम - दीदी अब भाभी है.. देवर पर हक़ तो उनका भी है..
ऋतू सिगरेट का कश लेकर - दीदी नहीं ग़ुगु.. नाम से बुलाया कर.. 3-4 साल ही तो बड़ी हूँ तुझसे..
गौतम - जैसा आप कहो ऋतू ज़ी..
ऋतू - आप नहीं तूम.. अब से कोई फॉर्मेलिटी नहीं समझा.. औऱ अब नाराज़ हुआ तो बहुत मारूंगी..
गौतम ऋतू से सिगरेट लेकर फेंकता हुआ - ठीक है ऋतू.. अब चल नीचे..
ऋतू मुस्कुराते हुए - तू अपने कमरे में जा मैं राहुल को सेट करके आती हूँ..
गौतम - मेरे कमरे में तो तेरा पुराना यार लेता हुआ है नशे में धुत होकर.. सारे रूम्स भी फूल है.. अब क्या करें?
ऋतू - एक काम करते है गौतम.. मैं राहुल को सुलाने के बाद तुझे बुलाऊंगी तू मेरे रूम में आ जाना..
गौतम - ठीक है पर मुझे मेरी बहन दुल्हन की तरह सजी हुई चाहिए.. ऐसे सादा सलवार सूट में नहीं..
ऋतू - जैसा तू चाहे ग़ुगु..
ऋतू गौतम से ये कहकर अपने रूम में आ जाती है जहा कुछ देर बाद राहुल भी आ जाता है जो अपने दोस्तों के साथ शराब पिने के करण नशे में था.. राहुल को ऋतू पानी में नींद की दवा देकर जल्दी ही सुला देती है.. इधर गौतम जब अपने कमरे में पहूचता है तो देखता है कि विक्रम उसी तरह नधे में सो रहा है गौतम नहाने चला जाता है औऱ नहाने के बाद जैसे बाथरूम से बाहर आता है उसके कुछ देर बाद ऋतू का फ़ोन आ जाता है औऱ ऋतू गौतम को अपने रूम में आने के लिए कहती है..
गौतम ऋतू के कमरे में आकर - बहुत खूबसूरत लग रही हो ऋतू.. (राहुल को देखकर) बेड पर क्यों सुलाया है इसे?
ऋतू - खुद सो गया..
गौतम राहुल को बेड से उठाकर सोफे पर पटक देता है औऱ ऋतू को बाहों में भरके फूलो से सजी सेज पर आ ऋतू के साथ गिरता है..
ऋतू एक गोली गौतम के मुंह में डाल कर - इसे खा लो गौतम..
गौतम - मुझे इसकी जरुरत नहीं है ऋतू..
ऋतू - खा लो ना ग़ुगु मेरे लिए.. अपनी बहन कि बात नहीं मानोगे?
गौतम - थोड़ी देर बाद तुम ही पछताओगी...
ऋतू - अब बातें ही करते रहोगे क्या कुछ करोगे भी? मेरी चुत में बहुत जोरो से खुजली मचने लगी है ऊपर से तुम्हारा लंड भी ऐसा है कि चुत में लेने कि तलब हो रही है..
गौतम - ऋतू अगर मुझे पहले पता होता कि मेरी बहन इतनी चुदक्कड़ है तो कब का तुझे चोद चूका होता..
ऋतू - गौतम अगर मुझे भी मुझे पहले पता होता कि मेरे भाई के पास इतना बड़ा लंड है तुझे पहले ही अपनी चुत में घुसा लेती.. कितने प्यारे होंठ है तेरे.. बच्चों जैसे..
गौतम - चूमो ना ऋतू.. मेरे ये होंठ कब से तुम्हारे होंठों से मुलाक़ात करना चाहते थे..
ऋतू गौतम को चूमती हुई - आई लव यू गौतम..
गौतम और रितु एक दूसरे के साथ बिस्तर पर लिपटे हुए थे और एक दूसरे को चूम रहे थे जिससे दोनों के मुंह की लार एक दूसरे में घुल रही थी और दोनों को इसमें बहुत ही स्वाद और मजा आ रहा था रितु आज किसी भी कीमत पर गौतम को पा लेना चाहती थी और यही हाल गौतम का था गौतम भी किसी भी कीमत पर आज अपनी बहन ऋतु के साथ वह सब कर लेना चाहता था जो वह सोच चुका था..
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कुछ देर इसी तरह एक दूसरे को चूमने के बाद गौतम और रितु एक दूसरे के गले पर और चेहरे पर अपने अपने प्यार की अपनी-अपनी चुम्मिया बरसने लगे और एक दूसरे को इस बात का एहसास दिलाने लगी कि वह एक दूसरे से कितना आकर्षित है और कितना वह एक दूसरे को पढ़ने की ख्वाहिश रखते हैं..
गौतम और रितु ने एक दूसरे के बदन से एक-एक करके सारे कपड़े उतार कर बिस्तर के एक तरफ फेंक दिए और फिर दोनों लगभग एक सी अवस्था में नंगे होकर एक दूसरे के बदन को चूमने और चाटने लगे..
गौतम की तुलना में ऋतु का हाल और भी ज्यादा बुरा था मुझे तो बिल्कुल पागलों की तरह गौतम को अपनी बाहों में भरे हुए झूम रही थी और उसे अपने मुंह का सारा रस पिलाना चाहती थी.. गौतम रितु के इस व्यवहार से बहुत उत्तेजित हो चुका था और वह भी भर भर के अपने मुंह से ऋतु के मुंह का रस पी रहा था और अपनी बहन की हर इच्छा पूरी कर रहा था.. गौतम पर धीरे-धीरे गोली का नाश होने लगा था मगर उसे अब लगने लगा था कि कहीं ना कहीं जो ऋतू ने भी एक गोली खा ली है और यह उसी का असर है कि कामोतेजना से भरकर उसे चुम औऱ चाट रही है..
ऋतू ने काम उत्तेजना के वशीभूत होकर गौतम के होंठों को इतना जोर से अपने दांतों से काटा की गौतम की चीख निकल गई और वह ऋतु के दांतों से अपने होठों को छुड़वाकर रितु से बोला..
गौतम - पागल हो गई है क्या तू?
ऋतू वापस चूमती हुई - सॉरी छोटे भाई पर आज रात अपनी बहन को माफ़ कर देना..
गौतम रितु की हालत देखकर समझ गया था कि अब रितु काम के शिखर पर पहुंच चुकी है और जब तक उसकी उत्तेजना शांत नहीं हो जाती और उसकी चुत से बरसात का पानी निकाल कर बह नहीं जाता तब तक वह किसी भी बात को समझने और सोचने की हालत में नहीं आएगी इसीलिए गौतम ने अब रितु की काम उत्तेजना को ठंडा करने के लिए उसे अपने नीचे ले लिया..
गौतम ने रितु की टांग चोडी करते हुए उसकी चुत पर अपना लंड सेट करके की झटके में अंदर घुसा दिया अगर ऋतू पर गोली का असर ना होता तो वो चिल्ला पडती मगर इस वक़्त वो मज़े से चुदवाने लगी थी.. गौतम धीरे-धीरे चोदते हुए ऋतु के भारी भरकम चुचे पड़ककर मसलने लगा..
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ऋतू किसी रंडी की तरह सिसकियाँ लेते हुए चुदवाने लगी और उसकी सिस्कारिया पूरे कमरे में गूंजने लगी..
गौतम चोदते हुए ऋतु के चुचो को चूसने और चाटने लगा, मसलते हुए ऋतु के तनकर खड़े हुए चुचक को चूसने लगा..
गौतम की चोदने की रफ्तार के साथ रितु की सिसकारियां और चीख भी तेज होने लगी थी उसकी आवाज और कमरे से बाहर जाने लगी थी और कोई अगर कमरे के आसपास से गुजरता तो ऋतू की आवाज उसके कान में पढ़ जाती..
ऋतू की चुदी हुई चुत में गौतम इतनी जोर जोर से झटके मार रहा था कि अब रितु को भी चुदवाने में दर्द होने लगा था और रितु दर्द और सुख के मिश्रित अनुभव को अनुभव करते हुए गौतम से लिपट गई थी..
दोनों जवान थे और दोनों में सेक्स की गोली खाई थी जिससे दोनों की चुदाई को चलते हुए अब तक एक घंटा हो गया था जिसमें कई बार रितु की नदी बह चुकी थी मगर गौतम अब तक उसी तरह ऋतु की नदी में बाढ़ पर बाढ़ लाये जा रहा था
गौतम ऋतु को पोजीशन बदल बदल कर चोद रहा था कभी वह रितु को अपनी गोद में उठता
तो कभी बिस्तर पर लेटाता
कभी घोड़ी बनता
तो कभी दीवार से चिपकाकर चोदता..
रितु गौतम की हर बात मानते हुए उसके बताए गए हर पोज़ में चुदवा रही थी और गौतम अपनी बहन ऋतू को पिछले एक घंटे से चोदे जा रहा था..
ऋतू की चुत में दर्द अब ख़त्म हो चूका था औऱ जलन शुरू हो चुकी थी.. गौतम का लंड लेने का सुख उस जलन के मुक़ाबले में अतुलनीय था.. ऋतू बिलकुल रांड की तरह गौतम की हर बात मानकर चुदवा रही थी.. गौतम ने लगभग सवा घंटे चोदकर ऋतू की चुत में अपना माल भर दिया फुल ac ने भी दोनों पसीने से तर होकर पानी पानी थे..
ऋतू पेट बल बिस्तर पर लेटी हुई थी औऱ गौतम ऋतू के ऊपर उसकी चुत में लंड गुसाये हुए झड़ने के बाद भी ऋतू को चोद रहा था..
ऋतू - गौतम..
गौतम - हाँ.. बहना...
ऋतू - शुक्रिया भाई.. मेरी सुहागरात को याद गार बनाने के लिए.. ऐसा मज़ा तो आज तक कभी नहीं मिला.. एक बार में इतनी बार कभी नहीं झड़ी..
गौतम - शुक्रिया केसा बहन? तेरा सगा भाई हूँ.. जो तु बोलोगी वो तो मुझे करना ही पड़ेगा..
ऋतू - छोटे भाई .. ये सच्चाई माँ पापा ने हम दोनों से छिपाई है.. चेतन भईया औऱ भाभी को भी इसका नहीं पाता.. इसे छिपी ही रहने देना.. हम जैसे ज़ी रहे है वैसे ठीक है.. मेरी असली माँ कौन है ये सच्चाई कई घर तोड़ सकती है.
गौतम ऋतू की चुत से लंड निकालकर - मुझे फर्क नहीं पड़ता ऋतू कौन क्या है.. मैं बस इतना जानता हूँ की मैं अपनी माँ का दिल नहीं दुखा सकता.. औऱ अब जब मुझे आता चल चूका है की तू भी मेरी सगी बहन है.. तु भी मेरे दिल में उतर चुकी हो..
ऋतू - किस्मत भी कितनी अजीब है गौतम.. हम दोनों सगे भाई बहन है औऱ फिर भी एकदूसरे को इतना पसंद है कि साथ सो रहे है..
गौतम बिस्तर से उठता हुआ - इसमें किसका कसूर है ऋतू.. किसे दोष दे..
ऋतू उठती हुई - छोडो ना छोटे भाई.. हमें एक दूसरे कि जरुरत है.. अब कोई भी रिश्ता हमें एक दूसरे के साथ मिलने से नहीं कोई रोक सकता.. अब तक जो हुआ उसे भूल जाते है.. तुम्हारी नाराजगी ने तुमको इतने साल मुझसे दूर रखा.. पता है कितना कोसा है मैंने अपने आपको तुम्हारे लिए?
गौतम ऋतू का बोबा पकड़ कर उसे अपनी तरफ खींचते हुए - ऋतू मैं मर्द हूँ किसी बात को दिल से लगा लू तो आसानी से नहीं मानता..
ऋतू - मर्द के साथ साथ भाई भी तो हो मेरे.. मेरी गलती को माफ़ नहीं कर सकते थे तुम?
गौतम ऋतू को दिवार से चिपका कर उसकी एक टांग उठाते हुए - मुंह से माफ़ी मांगी थी तुमने.. अगर चुत से मांगी होती तो कब का माफ़ कर देती मैं तुम्हे बहना..
ऋतू गौतम का लंड पकड़ कर अपनी चुत में घुसाती हुई - लो अब मांगती हूँ अपने छोटे भाई से चुत खोलकर माफ़ी.. करोगे कबूल अपनी बहन को माफी?
गौतम ऋतू की दोनों टांग उठाकर पहला झटका मारते हुए अपना पूरा लंड घुसाकर - कबूल है ऋतू.. तुम्हारे छोटे भाई को तुम्हारी माफ़ी कबूल है..
ऋतू सिसकियाँ लेती हुई - आराम से ग़ुगु.. ये तुम्हारी बहन की छोटी सी चुत है, चम्बल का मैदान नहीं.. एक बार में पूरा घुसा दिया.. हाय.. वापस से दर्द होने लगा है मुझे तो..
गौतम धीरे धीरे धक्के मारते हुए - छोटी सी कहाँ है बहना? तेरी चुत को तो तेरे आशिक़ो ने चोद चोद के चौडा कर दिया है.. मुझे सच में ऐसा लग रहा है जैसे मैं कोई रांड चोद रहा हूँ.. पता नहीं इस गांडु ने तुझे इस फटी हुई चुत के साथ कैसे पसंद कर लिया औऱ शादी कर ली?
ऋतू चुदवाते हुए - दहेज के लालची चुत की सील नहीं पैसो की डील देखते है छोटे भाई..
गौतम मुस्कुराते - ये तो सही कहा बहना.. चल बचपन की तरह अंतराक्षरी खेले?
ऋतू गीतम को चूमती हुई - चुदाई के बीच अंतराक्षरी खेलनी है तुझे?
गौतम - खेलते है ना ऋतू.. चल पहले तू गा..
ऋतू चुदते हुए - मुन्नी बदनाम हुई डार्लिग तेरे लिए.. मैं झंडुबाम हुई डार्लिंग तेरे लिए.. मुन्नी के गाल गुलाबी होंठ शराबी चाल नवावी रे.. मैं आइटम बम हुई डार्लिंग तेरे लिये..
गौतम ऋतू को बेड ओर लेटा कर धीरे धीरे चोदते हुए - ये शाम मास्तानी मदहोश किये जाए.. मुझे चुत तेरी खींचे मेरा लंड लिए जाये.. ये से गा ऋतू..
ऋतू चुदते हुए - ये गलिया ये चोबारा यहां आना ना दोबारा.. अब हम तो भये परदेसी की तेरा यहां कोई नहीं. कि तेरा यहां कोई नहीं.
गौतम ऋतू को बैठा देता है औऱ अपना लोडा उसके मुंह में देकर गाता है - होंठों से छू लो ऋतू, मेरा लंड अमर कर दो.. बन जाओ रांड मेरी, मुझे गांड भी दे दो..
ऋतू मुंह से लंड निकालकर अपने बूब्स के बीच रखकर गौतम को titjob देती हुई - दिल दीवाना ना जाने कब खो गया.. तूने ऐसे चोदा कि कुछ हो गया.. कुछ हो गया.. कुछ हो गया.. कुछ हो गया मेरी जा..
गौतम ऋतू को पीछे धकेल कर उसकी टांग फैलाते हुए उसकी चुत में लंड सेट करके धक्का मरते हुए - जिसका मुझे था इंतजार, जिसके लिए लंड था बेक़रार.. वो घड़ी आ गई आ गई.. आज चुत में तेरी उतर जाना है.. चोद देना है तुझको या चुद जाना है..
ऋतू सिसकियाँ लेते हुए - हर ग़म उठा लूँ तन्हा अकेली.. तेरे लिये भाई लोडा भी झेली.. इतना तुझे प्यार दू.. कपडे उतार दूँ.. चोद लो भईया.. चुत भी वार दूँ..
गौतम चोदने कि रफ़्तार बढ़ाते हुए - तुझको ना चोदू तो दिल घबराता है.. चोदके तुझको बहना मुझको चैन आता है.
ऋतू - आराम से ग़ुगु जलन हो रही है..
गौतम लगातार मिशनरी में चोदता हुआ. - सॉरी ऋतू..
गौतम औऱ ऋतू की चुदाई इस बार भी चलती रही औऱ तब तक नहीं रुकी जब तक गौतम ने ऋतू की चुत को चोद चोद कर सुज्जा नहीं दिया.. ऋतू की चुत लाल हो चुकी थी जलन औऱ सूजन भी चुत पर आ चुकी थी डबल रोती की तरह फूली हुई चुत हो चुकी थी ऋतू की...ऋतू की चाल में औऱ ज्यादा लचक आ गई थी..
सुबह के साढ़े पांच बज चुके थे औऱ ऋतू गौतम की बाहों ने नंगी लेटी हुई मुस्कुराते हुए गौतम को देख रही थी.. जो एक हाथ में ऋतू का बोबा पकड़कर ऋतू को अपनी बाहों में जकड़े हुए था औऱ दूसरे हाथ से सिगरेट के कश लगा रहा था.. राहुल अब भी बेसुध सोफे पर पड़ा था.
गौतम सिगरेट बुझाकार - बहना अब मुझे चलना चाहिए.. सुबह होने वाली भीड़ बढ़ जायेगी.. कोई भी तेरे कमरे से निकलते हुए देख सकता है.
ऋतू गौतम के होंठ चूमकर - दिल औऱ चुत लेकर जा रहे हो छोटे भाई.. ख्याल रखना मेरे दिल का..
गौतम उठकर कपडे पहनते हुए - तु भी मेरे दिल का ख्याल रखना ऋतू.. बहुत नाजुक है जल्दी टूट जाता है..
ऋतू मुस्कुराते हुए - एक बार तोड़ चुकी हूँ अब वो गलती नहीं करुँगी..
गौतम रूम से चला जाता है औऱ ऋतू नहाने चली जाती है..
विवाह समपन्न हुआ आज से आप पति पत्नी..
संजय - आओ बेटी.. चलो.. चेतन.. ये सामान कमरे में पंहुचा दे..
चेतन - ठीक है पापाज़ी...
गायत्री - संजय बेटा.. दामाद ज़ी औऱ ऋतू को एक साथ ही ले जा.. कोमल तू भी साथ में जा...
आरती - मम्मी ज़ी अब तो अकेले छोड़ दो दामाद ज़ी औऱ ऋतू को.. सब हँसने लगते है..
गायत्री - रात के डेढ़ बज चुके है औऱ तू अभी भी मज़ाक़ मस्ती में लगी हुई है.. चल अब तू भी चेतन के साथ चली जा.. अब थोड़ा आराम कर लेते है.. कल विदाई में बहुत काम है..
संजय - सही कहा माँ.. आज का दिन बहुत थका देने वाला था..
कोमल - तुम तो रोज़ ही थके हुए लगते हो.. कोनसी नई बात है..
बात करते हुए सब अपने अपने रूम में चले गए थे..
राहुल औऱ उसके दो दोस्त अब साथ थे औऱ दोस्त राहुल को इशारे से बुला रहे थे..
एक दोस्त - क्या बात है साले.. शादी होते ही हमारी बात नहीं सुन रहा..
राहुल अलग जाकर - अबे तुम भी जाकर सो जाओ क्यों भूत की तरह सर पर घूम रहे हो..
दूसरा दोस्त - भाई तेरी नींद का जुगाड़ तो हो गया हम अकेले कैसे सोये?
राहुल - एकदूसरे की गांड मार लो.. अब चल.. जाने दे मुझे..
दोस्त - अभी से डरने लगा तू तो अपनी बीवी से..
राहुल - अबे टाइम देख अब तुम भी सो जाओ जाकर..
दोस्त हसते हुए - अरे यार थोड़ी सी दारु तो पिले.. बिल्ली कैसे मारेगा.. वरना..
राहुल - ठीक है मैं बोलके आता हूँ तुम रूम में जाओ..
दोस्त - हाँ हाँ बोलके आ.. अब तो परमिशन लेनी ही पड़ेगी तुझे..
राहुल ऋतू से थोड़ी देर दोस्तों के साथ बैठने की बात बोलके दोस्तों के साथ रूम में बैठकर शराबखोरी करने लगता है औऱ ऋतू अकेली अपने कमरे में सोफे पर बैठी हुई दिनभर की थकान से चूर होकर एक सिगरेट जलाकर कश लेने लगती है.. ऋतू ने अपने भारी भरकम दुल्हन वाले कपडे बदल लिए थे औऱ सादा सूट पहन लिया था.. ऋतू बैठी ही थी कि उसके फ़ोन पर अनजान नम्बरो से व्हाट्सप्प पर एक वीडियो आया औऱ नीचे टेक्स्ट आया - छत पर मिलो...
ऋतू वीडियो देखकर समझ गई कि ये विकर्म ने भेजा है क्युकी वीडियो में ऋतू औऱ विक्रम कि चुदाईलीला थी.. ऋतू समझ गई की विक्रम वापस उसे चोदने के लिए बुला रहा है इसलिए ऋतू सिगरेट का पैकेट लाइटर औऱ कंडोम का पैकेट लेकर छत पर चली गई.. छत पर अँधेरा था औऱ लोन की भी लगभग सभी लाइट बंद हो गई थी लोन की एक्का दुक्का लाइट से छनकर आती मामूली रोशनी छत के अँधेरे को दूर नहीं कर रही थी.. पूर्णिमा का चाँद निकला हुआ था मगर बदलो ने उसे ढक लिया था.. छत पर अंधेरा था औऱ किसीका चेहरा देख पाना मुश्किल था..
ऋतू को छत पर बने एक कमरे के बाहर परछाई दिखी जिसे उसने विकर्म समझ लिया औऱ ऋतू बोली - बोला था ना.. अब मत मिलना मुझसे.. तुम ब्लैकमेल करना बंद क्यों नहीं कर देते मुझे.. मेरी शादी हो चुकी है विक्रम..
परछाई में विकर्म नहीं गौतम था जिसने मुंह पर मास्क लगाया हुआ था औऱ गौतम ने कुछ नहीं कहा तो ऋतू फिर से बोली - मेरी लेने आये हो ना वापस? लो ये कंडोम औऱ जल्दी से मुझे चोदकर निकल जाओ यहां से.. मेरी गलती थी जो तुमको वीडियो बनाने दिया उस रात..
गौतम कंडोम लेकर ऋतू को पलट देता है औऱ उसे झुकाते हुए उसकी पज़ामी का नाड़ा खोलकर पज़ामी नीचे कर देता है, पेंटी भी नीचे सरकाते हुए कुर्ती ऊपर करके अपने लंड पर कंडोम पहन लेता है औऱ पीछे से ऋतू की चुत पर लोडा लगाते हुए एक जोरदार झटके के साथ अपनी बहन ऋतू की चुत चिरते हुए अपना लंड ऋतू की चुत में घुसा देता है...
ऋतू चिल्लाते हुए - अह्ह्ह्ह... ये क्या है.. विक्रम..?? आहहह... इतना बड़ा..
गौतम लंड घुसते ही एक हाथ से ऋतू के बाल पकड़कर झटके पर झटके मारना शुरू कर देता है जिससे ऋतू सिसकती हुई चिल्लाने लगती है औऱ छत पर ऋतू की चुदाई का संग्राम शुरू हो जाता है..
गौतम पीछे से ऋतू की चुत चोदे जा रहा था जिसमे ऋतू भी अब पूरी तरह शामिल हो चुकी थी उसे चोद रहे आदमी पर शक हो रहा था मगर उसे मज़ा आने लगा था औऱ अब वो काम सुख की हवा में बहकर गौतम को विकर्म समझती हुई उससे बात भी करने लगती है जो सिर्फ एक तरफा थी..
गौतम ऋतू की बात का कोई रिप्ली नहीं दे रहा था..
ऋतू - विकर्म क्या हो गया है आज तुम्हे... आहहह... औऱ ये तुम्हारा लंड.. ये आज इतना बड़ा कैसे लग रहा है... आहहह... तुम बदले बदले कैसे लग रहे हो.. विक्रम.. अह्ह्ह्ह.. मज़ा आ रहा है.. चोदो मुझे ऐसे ही चोदो.. अह्ह्ह्ह... फाड़ दो मेरी चुत..
गौतम बिना रुके धक्के पर धक्के लगाता हुआ ऋतू को पीछे से चोद रहा था औऱ चोदते चोदते गौतम ऋतू को छत पर उसी सामान से भरे हुए कमरे में ले आता है जहा उसने सुमन के साथ बातें की थी..
कमरे में घनघोर अँधेरे था औऱ बस लोन में लगे एक बल्ब से हलकी सी रौशनी आ रही थी.. ऋतू औऱ गौतम वहां चुदाई कर रहे थे औऱ चुदाई की आवाज यहां घूंज रही थी..
गौतम ने ऋतू को पलट कर अपनी तरफ मोड़ लिया औऱ दिवार से ऋतू की पीठ लगाते हुए उसकी एक टांग उठा कर उसकी चुत में अपना लंड घुसा कर फिर से तेज़ तेज़ झटको से चोदने लगा जिसमे ऋतू भी काम के वाशीभूत होकर आनंद उठा रही थी.. उसे परवाह नहीं रह गई थी कि उसे चोदने वाला विक्रम है या कोई औऱ..
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ऋतू को चुदाई के दौरान मिले रहे आंनद के बीच शक था कि उसे चोदने वाला विकर्म नहीं है.. औऱ अब वो अपने शक को यकीन में भी बदल लेना चाहती थी मगर उसे मिल रहे सुख ने उसे काफ़ी देर तक रोके रखा औऱ फिर चुदाई के बीच ऋतू ने अपने हाथ से गौतम का मास्क उतार दिया औऱ अँधेरे में बड़ी गौर से उसका गौतम का चेहरा देखा तो वो चौंक पड़ी..
ऋतू का कामसुख गुस्से में बदल गया औऱ वो बोली - ग़ुगु तू... शर्म नहीं आई तुझे अपनी बहन के साथ..
गौतम नीचे से किसी के आने कि आहट सुनकर चुदाई रोकते हुए - दीदी कोई आ रहा है.. चुप रहना वरना हम पकडे जाएंगे..
कमरे के अंदर खिड़की के पास ऋतू औऱ गौतम थे जो एकदूसरे से लिपटे हुए थे गौतम का लंड ऋतू की चुत में अभी भी तनकर खड़ा था वही छत पर एक औरत आकर उसी कमरे की खिड़की के करीब बाहर की तरफ खड़ी हो गई.. गौतम औऱ ऋतू दोनों ही औरत को नहीं देख पाए.. लेकिन फिर एक आदमी आता दिखा औऱ ऋतू औऱ गौतम को आदमी की चाल से औऱ उसकी आवाज से पता चल गया था की ये ऋतू का बाप संजय है..
संजय उस औरत के करीब आकर - क्यों नाराज़ होती हो.. जानबूझकर नहीं कहा कोमल ने वो सब.. तुम तो जानती हो कोमल की जबान कैसी है? वो कभी भी कुछ भी बोल देती है..
औरत रोते हुए - मैं अच्छी तरह जानती हूँ भईया भाभी की जबान कैसी है? एक तो अपनी ही बेटी की शादी में मेहमान बनकर आई हूँ ऊपर से भाभी मुझे अपने अहसान गिनाते हुए ताने मार रही है.. मेरे ग़ुगु को छीनना चाहती है.. ग़ुगु सही कह रहा था.. हम यहां नहीं आते तो ही अच्छा था..
गौतम औऱ ऋतू को आवाज से पता चल चूका था की ये औरत औऱ कोई नहीं गौतम की माँ सुमन है..
संजय - अरे तुम भी कैसी बातें लेकर बैठ गई सुमन.. आज भी बात बात पर नाराज़ होती हो.. कोमल ने हमारी ऋतू को कभी पराया नहीं समझा.. अपनी सगी बेटी समझकर पाला है.. हमारी कितनी मदद की है कोमल ने.. तुम तो सब जानती हो..
सुमन - भईया.. मदद की है तो फ़ायदा भी उठाया है भाभी ने.. ऋतू मेरी बेटी थी जिसे भाभी ने मुझसे छीन लिया..
संजय - छिना नहीं था मदद की थी हमारी.. शादी से पहले जो लड़की माँ बने उसे समाज क्या कहता है जानती हो ना?
ऋतू - ये बात तब याद नहीं थी आपको.. जब आप भाभी को अकेला छोड़कर रात रातभर मेरे साथ सोते थे? मैंने कितना समझा आपको ये सब गलत है पर आप नहीं माने..
संजय - पुरानी बातों पर मिट्टी डाल सुमन.. तू जानती है मैं जितना कोमल से प्यार करता हूँ उससे कहीं ज्यादा तुझसे करता हूँ.. मैं कब से तेरी मदद करने की कोशिश कररहा हूँ पर तू मानती ही नहीं..
सुमन - नहीं चाहिए भईया आपका अहसान.. मैं मेरे ग़ुगु के साथ उसी हाल में खुश हूँ..
संजय - सुमन.. ग़ुगु मेरा भी कुछ लगता है.. उसके लिए मैं कोई अहसान नहीं कर रहा हूँ.. पर मेरी मदद लेने में तो तेरी नाक नीची हो जायेगी ना..
गौतम औऱ ऋतू संजय औऱ सुमन की बात सुनकर ये जान चुके थे कि वो दोनों सुमन की औलादे है.. गौतम ये बात जानकार औऱ भी उत्तेजित हो चूका था कि ऋतू उसीकी बहन है जिसे सुमन औऱ संजय के व्यभिचार से जन्म मिला है.. औऱ ये बात जानने के बाद गौतम के लंड ने ऋतू की चुत में प्यार की पहली बरसात भी कर दी थी जिसे ऋतू महसूस कर सकती थी..
गौतम ने झड़ने के बाद भी ऋतू की चुत से लंड नहीं निकाला औऱ ना ही ऋतू ने गौतम को ऐसा करने का इशारा किया वो दोनों संजय औऱ सुमन की बात सुनने में लीन थे..
सुमन - भाभी तो चाहती नहीं थी कि मेरे कोई औलाद रहे.. तभी तो उस आदमी से मेरी जबरदस्ती शादी करवा दीं.. पहले भाभी ने मेरी ऋतू को मुझसे छीन लिया औऱ फिर मेरे ग़ुगु को भी मुझसे छीनने कि पूरी कोशिश की थी..
संजय - सुमन क्यों गड़े मुर्दे उखाड़ रही हो.. उन बातों को भूल जाओ.. जो हुआ सो हुआ.. अब उन बातों का क्या फ़ायदा..
सुमन - ये बात आप भाभी को क्यों नहीं समझाते.. वो खुद बच्चा पैदा नहीं कर सकती इसमें मेरी गलती थोड़ी है.. पहले माँ से चेतन को छिना.. फिर मुझसे ऋतू को.. फिर ग़ुगु को छीनने की कोशिश की औऱ अब मुझे ही हर दम ताने मारती रहती है.. बता दूँ चेतन को कि वो आपका बेटा नहीं छोटा भाई है? माँ ने कभी कोई शिकायत नहीं कि पर मैं अब बर्दास्त नहीं करुँगी भईया.. अब अगर भाभी ने कुछ औऱ कहा तो मैं भी चुप नहीं रहूंगी.. वो बाँझ है इसमें हमारा क्या दोष?
संजय - सुमन.. पागलपन छोड़.. मैं कोमल से बात करुँगा.. उसने जो कहा गलत था पर तू भी समझती है वो कैसी है फिर उसकी बात को दिल पर क्यों लगाती है..
सुमन गुस्से में चिल्लाकर - क्यों ना लगाऊ दिल से.. ग़ुगु मेरा बच्चा है.. मेरे जीने मरने का सहारा.. भाभी उसे अब मुझसे छीनना चाहती है.. बचपन में उसका मंसूबा कामयाद नहीं हुआ तो अब वापस से उन्होंने कोशिश शुरू कर दीं.. मुझे पैसो का लालच देती है.. मेरे ग़ुगु के लिए मैं सारे जहान कि दौलत छोड़ सकती हूँ..
संजय - क्या फर्क पड़ता है सुमन.. ग़ुगु यहां रहे या वहा.. तू तो जानती है मैंने जो कुछ कमाया है उसे चेतन अकेले नहीं संभाल पायेगा..
सुमन - भईया ग़ुगु को मैंने जन्म दिया है मैंने पाला है.. मैं उसे यहां नहीं छोड़ने वाली. आप भाभी को समझा दीजिये कि वो मेरे ग़ुगु से दूर रहे औऱ उसका ख्याल छोड़ दे..
ये कहकर सुमन नीचे चली जाती है औऱ उसके पीछे पीछे संजय भी नीचे चला जाता है..
सुमन औऱ संजय के नीचे जाने के बाद ऋतू अपने फ़ोन की फलेशलाइट ऑन करके गौतम का चेहरा देखती है औऱ उससे गुस्से में कहती है..
ऋतू - वो वीडियो कहा से आया तेरे पास?
गौतम फ्लशलाइट अपने चेहरे की तरफ से हटाकर - आपके उस आशिक विक्रम ने फ़ोन में दिखाया था..
ऋतू - तू उसे कैसे जानता है?
गौतम - शादी में मिला था आपके बारे में अनाप शनाप बक रहा था.. उसने आपका वीडियो दिखाया औऱ बाथरूम के पीछे जो आपके साथ किया वो बताया..
ऋतू - तो अब तू भी मुझे ब्लैकमेल करने लगा उसके साथ मिलकर? शर्म नहीं आई तुझे ये सब करते हुए?
गौतम ऋतू की चुत से लंड निकालकर - नहीं दीदी.. मैंने तो उसके फ़ोन से आपके सारे वीडियो डिलीट कर दिए.. औऱ नशे में उसका वीडियो बना लिया.. ये देखो.. मैं आपको सेंड करता हूँ.. अगली बार वो आपको ब्लैकमेल नहीं कर पायेगा.. आप चाहो तो उसे कर सकती हो.. उसका वीडियो भी वायरल कर सकती हो.. मैं तो बस आपको ये बताने के लिए छत पर बुलाया था..
ऋतू फ़ोन साइड में रख कर - बताने के छत पर बुलाया था तो मेरी लेने क्यों लगा?
गौतम सर झुकाकर - आपने ही कंडोम देकर कहा था मैं क्या करता? आप सेक्सी भी लग रही थी..
ऋतू मुस्कुराते हुए - सर ऊपर कर बुद्धू.. तूने विक्रम के साथ ये सब मेरे लिए किया?
गौतम - आप बड़ी बहन हो मेरी.. कोई आपको तंग करें मैं कैसे सहन कर सकता हूँ..
ऋतू हसते हुए - अच्छा तो फिर तुमने क्यों तंग किया अभी मुझे?
गौतम - मैंने कहा किया दीं.. अपने ही बोला था चोदने के लिए.. देखो मेरा तो आपकी चुदाई में कंडोम भी फट गया..
ऋतू हसते हुए घुटनो पर बैठकर गौतम के लंड से कंडोम उतारते हुए - भला कोई कंडोम पहन के भी अपनी बहन चोदता है? ग़ुगु तेरा ये लंड.. कितना बड़ा औऱ मजबूत है.. मुझे तो दर्द हो रहा था इससे चुदवाते हुए..
गौतम - दीदी यार आपकी चुत तो भाभी से भी ज्यादा चौड़ी है.. मेरा लंड तो आसानी से अंदर चला गया.. विक्रम सही कह रहा था पक्की रांड हो आप तो..
ऋतू धीरे धीरे गौतम का लंड हिलाती हुई - सगी बहन को रांड बोलता है.. तुझे तो सबक सीखना पड़ेगा ग़ुगु..
गौतम - अब रांड को रांड ही बोला जाता है दीदी.. यहां बिस्तर नहीं है मुझे सबक सिखाने के चक्कर में आपके गोड़े छील जाएंगे..
ऋतू सिगरेट सुलगाते हुए - छील जाए तो छील जाने दे ग़ुगु.. सुहागरात तो आज तेरी बहन तेरे साथ ही मनाएगी.. पहली बार कोई टक्कर का मर्द मिला है..
गौतम - फिर जीजाजी क्या करेंगे? वो क्या सारी रात हिलाएंगे अपना?
ऋतू - उसकी चिंता तू मत कर ग़ुगु.. वो साला ढीला है.. 2-4 मिनट में थक्के झड़ जाता है.. मैं 5-10 मिनट में उसको निपटा के तेरे पास आ जाउंगी..
गौतम हसते हुए - औऱ वो?
ऋतू - उसे नींद की गोली दे दूंगी.. पक्की खिलाड़ी हूँ मैं भी.. आज तो मेरी रात औऱ मेरी जवानी अपने भाई के नाम है..
गौतम - मत हिलाओ दीदी अब इसे खड़े होने में थोड़ा वक़्त लगेगा.. आज बहुत सारी चुते चोदी है इसने..
ऋतू सिगरेट के कश लेती हुई खड़ी होकर - इसे तो आज पूरी रात खड़ा रहना है..
गौतम - अब नीचे चलते है दीदी.. वरना कोई फिर से ऊपर आ जाएगा.. यहां किसी को चैन नहीं है..
ऋतू कश लेती हुई - सिगरेट तो ख़त्म हो जाए ग़ुगु.. फिर चलते है.. वैसे एक बात बता तुझे कैसे पता आरती भाभी की चुत का.. मुझसे ज्यादा टाइट है उनकी? सच सच बताना तूने कब चोदा भाभी को?
गौतम - कल दोपहर में दीदी.. औऱ आज भी भाभी लहंगा उठा के पीछे ही पड़ गई इसलिए अभी आपके फेरे होने से जस्ट पहले भी चोदना पड़ा..
ऋतू - भाभी तो बहुत चालु निकली.. देवर के साथ ही रासलीला शुरू कर दी..
गौतम - दीदी अब भाभी है.. देवर पर हक़ तो उनका भी है..
ऋतू सिगरेट का कश लेकर - दीदी नहीं ग़ुगु.. नाम से बुलाया कर.. 3-4 साल ही तो बड़ी हूँ तुझसे..
गौतम - जैसा आप कहो ऋतू ज़ी..
ऋतू - आप नहीं तूम.. अब से कोई फॉर्मेलिटी नहीं समझा.. औऱ अब नाराज़ हुआ तो बहुत मारूंगी..
गौतम ऋतू से सिगरेट लेकर फेंकता हुआ - ठीक है ऋतू.. अब चल नीचे..
ऋतू मुस्कुराते हुए - तू अपने कमरे में जा मैं राहुल को सेट करके आती हूँ..
गौतम - मेरे कमरे में तो तेरा पुराना यार लेता हुआ है नशे में धुत होकर.. सारे रूम्स भी फूल है.. अब क्या करें?
ऋतू - एक काम करते है गौतम.. मैं राहुल को सुलाने के बाद तुझे बुलाऊंगी तू मेरे रूम में आ जाना..
गौतम - ठीक है पर मुझे मेरी बहन दुल्हन की तरह सजी हुई चाहिए.. ऐसे सादा सलवार सूट में नहीं..
ऋतू - जैसा तू चाहे ग़ुगु..
ऋतू गौतम से ये कहकर अपने रूम में आ जाती है जहा कुछ देर बाद राहुल भी आ जाता है जो अपने दोस्तों के साथ शराब पिने के करण नशे में था.. राहुल को ऋतू पानी में नींद की दवा देकर जल्दी ही सुला देती है.. इधर गौतम जब अपने कमरे में पहूचता है तो देखता है कि विक्रम उसी तरह नधे में सो रहा है गौतम नहाने चला जाता है औऱ नहाने के बाद जैसे बाथरूम से बाहर आता है उसके कुछ देर बाद ऋतू का फ़ोन आ जाता है औऱ ऋतू गौतम को अपने रूम में आने के लिए कहती है..
गौतम ऋतू के कमरे में आकर - बहुत खूबसूरत लग रही हो ऋतू.. (राहुल को देखकर) बेड पर क्यों सुलाया है इसे?
ऋतू - खुद सो गया..
गौतम राहुल को बेड से उठाकर सोफे पर पटक देता है औऱ ऋतू को बाहों में भरके फूलो से सजी सेज पर आ ऋतू के साथ गिरता है..
ऋतू एक गोली गौतम के मुंह में डाल कर - इसे खा लो गौतम..
गौतम - मुझे इसकी जरुरत नहीं है ऋतू..
ऋतू - खा लो ना ग़ुगु मेरे लिए.. अपनी बहन कि बात नहीं मानोगे?
गौतम - थोड़ी देर बाद तुम ही पछताओगी...
ऋतू - अब बातें ही करते रहोगे क्या कुछ करोगे भी? मेरी चुत में बहुत जोरो से खुजली मचने लगी है ऊपर से तुम्हारा लंड भी ऐसा है कि चुत में लेने कि तलब हो रही है..
गौतम - ऋतू अगर मुझे पहले पता होता कि मेरी बहन इतनी चुदक्कड़ है तो कब का तुझे चोद चूका होता..
ऋतू - गौतम अगर मुझे भी मुझे पहले पता होता कि मेरे भाई के पास इतना बड़ा लंड है तुझे पहले ही अपनी चुत में घुसा लेती.. कितने प्यारे होंठ है तेरे.. बच्चों जैसे..
गौतम - चूमो ना ऋतू.. मेरे ये होंठ कब से तुम्हारे होंठों से मुलाक़ात करना चाहते थे..
ऋतू गौतम को चूमती हुई - आई लव यू गौतम..
गौतम और रितु एक दूसरे के साथ बिस्तर पर लिपटे हुए थे और एक दूसरे को चूम रहे थे जिससे दोनों के मुंह की लार एक दूसरे में घुल रही थी और दोनों को इसमें बहुत ही स्वाद और मजा आ रहा था रितु आज किसी भी कीमत पर गौतम को पा लेना चाहती थी और यही हाल गौतम का था गौतम भी किसी भी कीमत पर आज अपनी बहन ऋतु के साथ वह सब कर लेना चाहता था जो वह सोच चुका था..
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कुछ देर इसी तरह एक दूसरे को चूमने के बाद गौतम और रितु एक दूसरे के गले पर और चेहरे पर अपने अपने प्यार की अपनी-अपनी चुम्मिया बरसने लगे और एक दूसरे को इस बात का एहसास दिलाने लगी कि वह एक दूसरे से कितना आकर्षित है और कितना वह एक दूसरे को पढ़ने की ख्वाहिश रखते हैं..
गौतम और रितु ने एक दूसरे के बदन से एक-एक करके सारे कपड़े उतार कर बिस्तर के एक तरफ फेंक दिए और फिर दोनों लगभग एक सी अवस्था में नंगे होकर एक दूसरे के बदन को चूमने और चाटने लगे..
गौतम की तुलना में ऋतु का हाल और भी ज्यादा बुरा था मुझे तो बिल्कुल पागलों की तरह गौतम को अपनी बाहों में भरे हुए झूम रही थी और उसे अपने मुंह का सारा रस पिलाना चाहती थी.. गौतम रितु के इस व्यवहार से बहुत उत्तेजित हो चुका था और वह भी भर भर के अपने मुंह से ऋतु के मुंह का रस पी रहा था और अपनी बहन की हर इच्छा पूरी कर रहा था.. गौतम पर धीरे-धीरे गोली का नाश होने लगा था मगर उसे अब लगने लगा था कि कहीं ना कहीं जो ऋतू ने भी एक गोली खा ली है और यह उसी का असर है कि कामोतेजना से भरकर उसे चुम औऱ चाट रही है..
ऋतू ने काम उत्तेजना के वशीभूत होकर गौतम के होंठों को इतना जोर से अपने दांतों से काटा की गौतम की चीख निकल गई और वह ऋतु के दांतों से अपने होठों को छुड़वाकर रितु से बोला..
गौतम - पागल हो गई है क्या तू?
ऋतू वापस चूमती हुई - सॉरी छोटे भाई पर आज रात अपनी बहन को माफ़ कर देना..
गौतम रितु की हालत देखकर समझ गया था कि अब रितु काम के शिखर पर पहुंच चुकी है और जब तक उसकी उत्तेजना शांत नहीं हो जाती और उसकी चुत से बरसात का पानी निकाल कर बह नहीं जाता तब तक वह किसी भी बात को समझने और सोचने की हालत में नहीं आएगी इसीलिए गौतम ने अब रितु की काम उत्तेजना को ठंडा करने के लिए उसे अपने नीचे ले लिया..
गौतम ने रितु की टांग चोडी करते हुए उसकी चुत पर अपना लंड सेट करके की झटके में अंदर घुसा दिया अगर ऋतू पर गोली का असर ना होता तो वो चिल्ला पडती मगर इस वक़्त वो मज़े से चुदवाने लगी थी.. गौतम धीरे-धीरे चोदते हुए ऋतु के भारी भरकम चुचे पड़ककर मसलने लगा..
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ऋतू किसी रंडी की तरह सिसकियाँ लेते हुए चुदवाने लगी और उसकी सिस्कारिया पूरे कमरे में गूंजने लगी..
गौतम चोदते हुए ऋतु के चुचो को चूसने और चाटने लगा, मसलते हुए ऋतु के तनकर खड़े हुए चुचक को चूसने लगा..
गौतम की चोदने की रफ्तार के साथ रितु की सिसकारियां और चीख भी तेज होने लगी थी उसकी आवाज और कमरे से बाहर जाने लगी थी और कोई अगर कमरे के आसपास से गुजरता तो ऋतू की आवाज उसके कान में पढ़ जाती..
ऋतू की चुदी हुई चुत में गौतम इतनी जोर जोर से झटके मार रहा था कि अब रितु को भी चुदवाने में दर्द होने लगा था और रितु दर्द और सुख के मिश्रित अनुभव को अनुभव करते हुए गौतम से लिपट गई थी..
दोनों जवान थे और दोनों में सेक्स की गोली खाई थी जिससे दोनों की चुदाई को चलते हुए अब तक एक घंटा हो गया था जिसमें कई बार रितु की नदी बह चुकी थी मगर गौतम अब तक उसी तरह ऋतु की नदी में बाढ़ पर बाढ़ लाये जा रहा था
गौतम ऋतु को पोजीशन बदल बदल कर चोद रहा था कभी वह रितु को अपनी गोद में उठता
तो कभी बिस्तर पर लेटाता
कभी घोड़ी बनता
तो कभी दीवार से चिपकाकर चोदता..
रितु गौतम की हर बात मानते हुए उसके बताए गए हर पोज़ में चुदवा रही थी और गौतम अपनी बहन ऋतू को पिछले एक घंटे से चोदे जा रहा था..
ऋतू की चुत में दर्द अब ख़त्म हो चूका था औऱ जलन शुरू हो चुकी थी.. गौतम का लंड लेने का सुख उस जलन के मुक़ाबले में अतुलनीय था.. ऋतू बिलकुल रांड की तरह गौतम की हर बात मानकर चुदवा रही थी.. गौतम ने लगभग सवा घंटे चोदकर ऋतू की चुत में अपना माल भर दिया फुल ac ने भी दोनों पसीने से तर होकर पानी पानी थे..
ऋतू पेट बल बिस्तर पर लेटी हुई थी औऱ गौतम ऋतू के ऊपर उसकी चुत में लंड गुसाये हुए झड़ने के बाद भी ऋतू को चोद रहा था..
ऋतू - गौतम..
गौतम - हाँ.. बहना...
ऋतू - शुक्रिया भाई.. मेरी सुहागरात को याद गार बनाने के लिए.. ऐसा मज़ा तो आज तक कभी नहीं मिला.. एक बार में इतनी बार कभी नहीं झड़ी..
गौतम - शुक्रिया केसा बहन? तेरा सगा भाई हूँ.. जो तु बोलोगी वो तो मुझे करना ही पड़ेगा..
ऋतू - छोटे भाई .. ये सच्चाई माँ पापा ने हम दोनों से छिपाई है.. चेतन भईया औऱ भाभी को भी इसका नहीं पाता.. इसे छिपी ही रहने देना.. हम जैसे ज़ी रहे है वैसे ठीक है.. मेरी असली माँ कौन है ये सच्चाई कई घर तोड़ सकती है.
गौतम ऋतू की चुत से लंड निकालकर - मुझे फर्क नहीं पड़ता ऋतू कौन क्या है.. मैं बस इतना जानता हूँ की मैं अपनी माँ का दिल नहीं दुखा सकता.. औऱ अब जब मुझे आता चल चूका है की तू भी मेरी सगी बहन है.. तु भी मेरे दिल में उतर चुकी हो..
ऋतू - किस्मत भी कितनी अजीब है गौतम.. हम दोनों सगे भाई बहन है औऱ फिर भी एकदूसरे को इतना पसंद है कि साथ सो रहे है..
गौतम बिस्तर से उठता हुआ - इसमें किसका कसूर है ऋतू.. किसे दोष दे..
ऋतू उठती हुई - छोडो ना छोटे भाई.. हमें एक दूसरे कि जरुरत है.. अब कोई भी रिश्ता हमें एक दूसरे के साथ मिलने से नहीं कोई रोक सकता.. अब तक जो हुआ उसे भूल जाते है.. तुम्हारी नाराजगी ने तुमको इतने साल मुझसे दूर रखा.. पता है कितना कोसा है मैंने अपने आपको तुम्हारे लिए?
गौतम ऋतू का बोबा पकड़ कर उसे अपनी तरफ खींचते हुए - ऋतू मैं मर्द हूँ किसी बात को दिल से लगा लू तो आसानी से नहीं मानता..
ऋतू - मर्द के साथ साथ भाई भी तो हो मेरे.. मेरी गलती को माफ़ नहीं कर सकते थे तुम?
गौतम ऋतू को दिवार से चिपका कर उसकी एक टांग उठाते हुए - मुंह से माफ़ी मांगी थी तुमने.. अगर चुत से मांगी होती तो कब का माफ़ कर देती मैं तुम्हे बहना..
ऋतू गौतम का लंड पकड़ कर अपनी चुत में घुसाती हुई - लो अब मांगती हूँ अपने छोटे भाई से चुत खोलकर माफ़ी.. करोगे कबूल अपनी बहन को माफी?
गौतम ऋतू की दोनों टांग उठाकर पहला झटका मारते हुए अपना पूरा लंड घुसाकर - कबूल है ऋतू.. तुम्हारे छोटे भाई को तुम्हारी माफ़ी कबूल है..
ऋतू सिसकियाँ लेती हुई - आराम से ग़ुगु.. ये तुम्हारी बहन की छोटी सी चुत है, चम्बल का मैदान नहीं.. एक बार में पूरा घुसा दिया.. हाय.. वापस से दर्द होने लगा है मुझे तो..
गौतम धीरे धीरे धक्के मारते हुए - छोटी सी कहाँ है बहना? तेरी चुत को तो तेरे आशिक़ो ने चोद चोद के चौडा कर दिया है.. मुझे सच में ऐसा लग रहा है जैसे मैं कोई रांड चोद रहा हूँ.. पता नहीं इस गांडु ने तुझे इस फटी हुई चुत के साथ कैसे पसंद कर लिया औऱ शादी कर ली?
ऋतू चुदवाते हुए - दहेज के लालची चुत की सील नहीं पैसो की डील देखते है छोटे भाई..
गौतम मुस्कुराते - ये तो सही कहा बहना.. चल बचपन की तरह अंतराक्षरी खेले?
ऋतू गीतम को चूमती हुई - चुदाई के बीच अंतराक्षरी खेलनी है तुझे?
गौतम - खेलते है ना ऋतू.. चल पहले तू गा..
ऋतू चुदते हुए - मुन्नी बदनाम हुई डार्लिग तेरे लिए.. मैं झंडुबाम हुई डार्लिंग तेरे लिए.. मुन्नी के गाल गुलाबी होंठ शराबी चाल नवावी रे.. मैं आइटम बम हुई डार्लिंग तेरे लिये..
गौतम ऋतू को बेड ओर लेटा कर धीरे धीरे चोदते हुए - ये शाम मास्तानी मदहोश किये जाए.. मुझे चुत तेरी खींचे मेरा लंड लिए जाये.. ये से गा ऋतू..
ऋतू चुदते हुए - ये गलिया ये चोबारा यहां आना ना दोबारा.. अब हम तो भये परदेसी की तेरा यहां कोई नहीं. कि तेरा यहां कोई नहीं.
गौतम ऋतू को बैठा देता है औऱ अपना लोडा उसके मुंह में देकर गाता है - होंठों से छू लो ऋतू, मेरा लंड अमर कर दो.. बन जाओ रांड मेरी, मुझे गांड भी दे दो..
ऋतू मुंह से लंड निकालकर अपने बूब्स के बीच रखकर गौतम को titjob देती हुई - दिल दीवाना ना जाने कब खो गया.. तूने ऐसे चोदा कि कुछ हो गया.. कुछ हो गया.. कुछ हो गया.. कुछ हो गया मेरी जा..
गौतम ऋतू को पीछे धकेल कर उसकी टांग फैलाते हुए उसकी चुत में लंड सेट करके धक्का मरते हुए - जिसका मुझे था इंतजार, जिसके लिए लंड था बेक़रार.. वो घड़ी आ गई आ गई.. आज चुत में तेरी उतर जाना है.. चोद देना है तुझको या चुद जाना है..
ऋतू सिसकियाँ लेते हुए - हर ग़म उठा लूँ तन्हा अकेली.. तेरे लिये भाई लोडा भी झेली.. इतना तुझे प्यार दू.. कपडे उतार दूँ.. चोद लो भईया.. चुत भी वार दूँ..
गौतम चोदने कि रफ़्तार बढ़ाते हुए - तुझको ना चोदू तो दिल घबराता है.. चोदके तुझको बहना मुझको चैन आता है.
ऋतू - आराम से ग़ुगु जलन हो रही है..
गौतम लगातार मिशनरी में चोदता हुआ. - सॉरी ऋतू..
गौतम औऱ ऋतू की चुदाई इस बार भी चलती रही औऱ तब तक नहीं रुकी जब तक गौतम ने ऋतू की चुत को चोद चोद कर सुज्जा नहीं दिया.. ऋतू की चुत लाल हो चुकी थी जलन औऱ सूजन भी चुत पर आ चुकी थी डबल रोती की तरह फूली हुई चुत हो चुकी थी ऋतू की...ऋतू की चाल में औऱ ज्यादा लचक आ गई थी..
सुबह के साढ़े पांच बज चुके थे औऱ ऋतू गौतम की बाहों ने नंगी लेटी हुई मुस्कुराते हुए गौतम को देख रही थी.. जो एक हाथ में ऋतू का बोबा पकड़कर ऋतू को अपनी बाहों में जकड़े हुए था औऱ दूसरे हाथ से सिगरेट के कश लगा रहा था.. राहुल अब भी बेसुध सोफे पर पड़ा था.
गौतम सिगरेट बुझाकार - बहना अब मुझे चलना चाहिए.. सुबह होने वाली भीड़ बढ़ जायेगी.. कोई भी तेरे कमरे से निकलते हुए देख सकता है.
ऋतू गौतम के होंठ चूमकर - दिल औऱ चुत लेकर जा रहे हो छोटे भाई.. ख्याल रखना मेरे दिल का..
गौतम उठकर कपडे पहनते हुए - तु भी मेरे दिल का ख्याल रखना ऋतू.. बहुत नाजुक है जल्दी टूट जाता है..
ऋतू मुस्कुराते हुए - एक बार तोड़ चुकी हूँ अब वो गलती नहीं करुँगी..
गौतम रूम से चला जाता है औऱ ऋतू नहाने चली जाती है..