Yaaaaar khatarnak....Update 18
सुमन दोनों कार पार्क करके नीचे उतर जाते है जहा गेट पर ही उनको संजय की पत्नी कोमल खड़ी दिखाई दे जाती है जो किसी डिलेवरी बॉय से कुछ ले रही होती है सुमन कोमल के पास चली आती है औऱ गौतम गाडी में सामान उतारने लगता है.
कोमल (44) सुमन को देखते ही - अरे सुमन.. तुम अब आ रही हो.. अब भी आने की क्या जरुरत थी? सीधा शादी में ही आ जाती.. कितने फ़ोन करवाए तुम्हारे भईया से, मगर तुम तो जैसे यहां ना आने की कसम खाकर बैठी हो..
सुमन - नहीं भाभी.. घर में काम ही इतना रहता है की कहीं आने जाने की फुर्सत ही नहीं रहती..
कोमल - अरे उस छोटे से पुलिस क्वाटर में कितना काम होता होगा सुमन.. तुम तो बहाने बनाने लगी हो..
सुमन - भाभी ग़ुगु का कॉलेज भी तो था.. औऱ अभी तो एक हफ्ता बच्चा है ना ऋतू की शादी को.. सब काम आराम से हो जाएगा..
कोमल - ग़ुगु आया है तेरे साथ?
सुमन - हाँ वो सामान उतार रहा है..
गौतम हाथ मे अपना औऱ सुमन का बेग लेकर कोमल औऱ सुमन के पास आ जाता है जहा कोमल देखते ही गौतम को अपनी छाती से लगा लेती है औऱ कहती है..
कोमल - ग़ुगु.. कितना बड़ा हो गया है तू.. कब से नहीं देखा तुझे.. बिलकुल चाँद सी शकल हो गई है तेरी.. सुमन क्या खिलाती हो इसे..
गौतम चुपचाप खड़ा रहता है औऱ कुछ देर बाद बोलता है..
गौतम - बॉक्स में क्या है?
कोमल - ये? ये तो मैंने शूज मांगवाए है जॉगिंग के लिए.. वो पुराने वाले एक महीने पुराने हो गए थे ना इसलिए.. (सुमन को देखकर) सिर्फ 15 हज़ार के है..
सुमन - भाभी माँ कहा है..
कोमल - अरे मैं भी ना.. आओ अंदर आओ.. ग़ुगु बेग यही रख दो.. नौकर ले आएगा.. (नौकर को आवाज लगाकर) अब्दुल.. सामान ऊपर पीछे वाले रूम रख दे.. आओ सुमन..
सुमन औऱ गौतम गायत्री से मिलते है औऱ फिर सुमन बाकी लोगों से मिलने लगती है लेकिन गौतम नौकर से कमरा पूछकर कमरे में आ जाता है..
गौतम - दूसरा बेग कहा है?
अब्दुल - भईया वो मैडम के कहने पर बगल वाले रूम में रख दिया है..
गौतम - ठीक है..
अब्दुल - कुछ लाना है?
गौतम - नहीं तुम जाओ..
गौतम रूम देखकर मन में - बहनचोद मामा ने घर नहीं महल बनवाया है.. बिस्तर तो साला ऐसा है दसवी मंज़िल से भी गिरो तो बचा लेगा..
गौतम ये सब सोच ही रहा था कि पीछे से गौतम को गौतम के मामा संजय औऱ मामी कोमल की बेटी ऋतू (24) ने ग़ुगु को आवाज दी..
ऋतू - ग़ुगु..
गौतम ने पीछे मुड़कर ऋतू को देखा औऱ चुपचाप खड़ा रहा.. उसने ऋतू से हेलो हाय करने की कोई कोशिश नहीं की, ऋतू ने कुछ देर ठहर कर आगे बात शुरू की..
ऋतू - अब तक नाराज़ है?
गौतम - मैं क्यों नाराज़ होने लगा?
ऋतू - तो फिर मुझे देखकर इतना रुखा रिएक्शन क्यों दिया? ना हाथ मिलाया ना गले लगा..
गौतम - मेरे जैसे चोर के गले लगने या हाथ मिलाने का शोक आपको कबसे होने लगा?
ऋतू - तू अब भी नाराज़ है ना.. 6 साल हो गए.. अब तक उस बात को नहीं भुला.. मुझसे गलती हो गई थी ग़ुगु.. मुझे तेरा झूठा चोरी ना नाम नहीं लगाना चाहिए था.. माफ़ नहीं करेगा..
गौतम - मैं कौन होता हूँ माफ़ करने वाला आपको.. वैसे बहुत बड़ा घर बनवाया है आप लोगों ने.. इसके एक कमरे की जगह में तो हमारा आधे से ज्यादा घर आ जाएगा..
ऋतू - मैं भाभी के साथ बाहर जा रही हूँ तू चल मेरे साथ.. तूझे शहर घूमाती हूँ..
गौतम - मुझे कहीं नहीं जाना..
ऋतू के पीछे उसकी भाभी औऱ संजय कोमल के बेटे चेतन की बीवी आरती (26) कमरे के अंदर आती हुई - ऋतू चल ना आने में देर हो जायेगी.. तुझे वैसे भी शॉपिंग में बहुत समय लगता है.. (गौतम को देखते हुए) ये सुमन बुआ का बेटा गौतम है ना..
ऋतू उदासी से - हम्म..
आरती गौतम के नजदीक आते हुए - हाय.. कितना सुन्दर चेहरा है.. पहली बार देख रही हूँ.. मेरी औऱ चेतन की शादी में क्यों नहीं आये तुम?
गौतम - मन नहीं था आने का..
आरती - इतने रूखेपन से क्यों बात कर रहे हो.. मैं कोई पराइ तो नहीं हूँ..
ऋतू - भाभी छोडो ना.. ग़ुगु सफर से आया है, थक गया होगा..
आरती - ठीक है.. ग़ुगु तू भी चल.. शादी की शॉपिंग करनी है.. तुझे जो खरीदना हो मैं दिलवा दूंगी..
गौतम - मेरे पास मेरी जरुरत का हर सामान है.. मुझपर अहसान करने की जरुरत नहीं..
आरती को गौतम का बर्ताव समझ नहीं आता कि क्यों गौतम उससे इस तरह रूखेपन औऱ परायेपन से बात कर रहा है मगर ऋतू को सब पता औऱ वो चाहती थी कि आरती गौतम से ज्यादा बात ना करें औऱ वहा से चली जाए..
ऋतू - भाभी चलो ना.. फिर आप ही बोलोगी कितनी देर लगा दी...
आरती का खिला हुआ चेहरा गौतम से बात करके थोड़ा उतर चूका था.. उसे लगा था वो गौतम के साथ हंसी मज़ाक़ औऱ हंसी ठिठोली कर सकती है औऱ देवर भाभी वाला एक मजबूत रिश्ता कायम कर सकती है मगर गौतम ने उसे अपनी दो चार बातों से ही इतनी दूर कर दिया था कि आरती वापस गौतम से बात करने में हिचक महसूस हो रही थी.. आरती ऋतू के कहने पर गौतम को अकेला छोड़कर ऋतू के साथ कमरे से बाहर आ गई औऱ अपनी सास कोमल औऱ सुमन के साथ ऋतू को शॉपिंग करवाने कार लेकर निकल पड़ी..
गौतम थोड़ी देर आराम करने के बाद अपने कमरे से निकल कर नीचे आ गया औऱ अपनी नानी गायत्री के कमरे में आ गया जहा गायत्री टीवी पर किसी सीरियल को देखते हुए उसमें ध्यान लगाए बैठी थी..
गौतम अपनी नानी के करीब आकर उसकी गोद में अपना सर रखकर लेट गया जिससे गायत्री का ध्यान टीवी से टूट गया औऱ वो गौतम के सर को सहलाती हुई गौतम को लाड प्यार करने लगी..
गायत्री - कम से कम अपनी नानी से तो मिलने आ सकता था ना ग़ुगु..
गौतम - आ गया ना नानी...
गायत्री - हाँ पुरे छः साल बाद.. एक दो साल औऱ देर करता तो नानी भगवान को प्यारी हो जाती..
गौतम - कैसी बातें कर रही हो नानी.. आप तो अभी भी जवान हो.. अभी से कहा भगवान् को याद कर रही हो..
गायत्री हसते हुए - 62 बरस की हो गई बेटा..
गौतम प्यार से गायत्री के गाल चूमकर - नानी दिखने में तो आज भी आप 22 साल से एक साल ज्यादा की नहीं लगती.. ऐसे लगता है मामी आपकी बहु नहीं सास है औऱ आप मामी की सास नहीं बहु हो..
गायत्री हस्ते हुए - तू इतनी बातें करना कब से सिख गया ग़ुगु? पहले तो बहुत चुपचाप औऱ अपने आप में रहता था अब देखो.. लग ही नहीं रहा तू मेरा पहले वाला ग़ुगु है..
गौतम - समय के साथ तो सबको बदलना पड़ता है ना नानी.. वैसे आप चाहो तो मैं फिर से वही आपका ग़ुगु बन सकता हूँ..
गायत्री - कोई जरुरत नहीं है बेटा.. सच कहु तो तू ऐसे ही हँसता खेलता ज्यादा अच्छा लगता है..
गौतम - नानी आप नहीं गई शॉपिंग पर?
गायत्री - तू तो जानता है तेरी मामी को, उसके साथ शॉपिंग पर जाने का मेरा बिलकुल मन नहीं था..
गौतम - क्यों?
गायत्री - तू तो जानता है उसका स्वाभाव केसा है.. अपनी अमीरी झाड़ने का कोई मौका नहीं छोड़ती.. ऐसा लगता है हर चीज की कीमत बताने की नौकरी करती हो..
गौतम - तो क्या हुआ? उनके पास पैसे है तो वो अपने पैसो का रोब झाड़ती है.. आप भी ये सब कर सकती हो..
गायत्री - मुझे तो इन सब दिखावे औऱ ढकोसले से दूर रहने दे बेटा.. मैं तो जैसी हूँ ठीक हूँ.. मुझे तो सुमन के लिए बुरा लगता है कोमल कहीं अपनी अमीरी दिखाने के चक्कर उसका दिल ना दुखा दे.. चल छोड़ इन बातों को ये बता.. इतना खूबसूरत औऱ जवाँ हो गया है तू.. कितनी गर्लफ्रेंड बनाई तूने?
गौतम - क्या फ़ायदा नानी इस शकल.. एक भी नहीं बनी..
गायत्री - हट झूठा... सच सच बता किसी को नहीं बताऊंगी..
गौतम - सच में नानी.. मुझे कोई लड़की पटती ही नहीं है.. पता नहीं क्या कमी है मुझमे..
गायत्री - कमी.. कमी तो है ही नहीं मेरे ग़ुगु में.. सब खूबी ही खूबी है.. तू बोल मैं बनवा देती हूँ तेरी गर्लफ्रेंड..
गौतम गायत्री के गले में हाथ डालकर - नानी आप ही बन जाओ ना मेरी गर्लफ्रेंड..
गायत्री प्यार से गौतम के गाल चूमकर - तू तो बहुत चालक हो गया है.. मुझे ही फंसाने के चक्कर में है..
गौतम गायत्री के गले में हाथ डालकर - नानी अब आप हो ही इतनी ब्यूटीफुल.. मैं क्या करू?
गायत्री हसते हुए गौतम का हाथ पकड़ कर चूमते हुए - लगता है अभी से लड़की ढूंढ़नी पड़ेगी तेरे लिए..
गौतम गायत्री को अपनी तरफ खींचकर गले लगाते हुए - ढूंढने की क्या जरुरत है नानी.. आप हो ना..
औऱ फिर से गायत्री के गाल पर चुम्बन कर देता है..
गायत्री को विधवा हुए 15 साल से ऊपर का समय बीत चूका था औऱ उसके बाद से उसे कभी किसी पुरुष का स्पर्श नहीं मिला था आज गौतम ने जैसे गायत्री से बात की थी औऱ उसे छुआ था उससे गायत्री
के मन में हलचल होने लगी थी औऱ उसके अंदर सालों से छुपी हुई औरत का वापस उदय होने लगा था गायत्री के साथ जिस तरह से मीठी बातें गौतम कर रहा था उससे गायत्री को अजीब सुख मिलने लगा था औऱ वो चाहने लगी थी गौतम उससे इसी तरह औऱ बातें करें..
गायत्री प्यार से - चल पीछे हट.. बदमाश कहीं का.. कुछ भी बोलता है.. बहुत बेशर्म हो गया है तू..
गौतम गायत्री को अपनी बाहों में औऱ कस लेता है - मैं तो आगे बढ़ना चाहता हूँ नानी, आप तो पीछे हटाने लगी..
गायत्री हसते हुए - न जाने तुझे मुझ बुढ़िया मैं क्या नज़र आ गया.. चल अब छोड़ मुझे कोई देख लेगा तो बात बनायेगा..
गौतम गायत्री को बिस्तर पर धकेल देता है औऱ उसके साथ खुद भी गिर जाता है औऱ कहता है - सब तो शॉपिंग गए है नानी.. हम कुछ भी करें.. हमें देखने वाला यहाँ बचा ही कौन है?
गायत्री - छी.. कैसी गन्दी बात कर रहा है तू.. छोड़ मुझे..
गौतम ने आगे कुछ भी ना बोलकर गायत्री के होंठों को अपने होंठों में भर लिया औऱ चूमने लगा.. गायत्री हैरान होकर बेसुध लेटी रही औऱ गौतम गायत्री को चूमता रहा साथ ही उसने अपना रखा हाथ गायत्री के साडी के अंदर डाल कर उसकी चुत को अपने हाथों के पंजे से पकड़ लिया औऱ मसलते हुए गायत्री की चुत में उंगलियां करने लगा जिससे गायत्री की काम इच्छा सुलग उठी.. औऱ वो भी धीरे धीरे गौतम के चुम्बन का प्रतिउतर चूमकर देने लगी..
गौतम ने पहले ही अपनी कलाई का धागा लाल होते देखकर गायत्री को अपने जाल में ले लिया था औऱ उसे भोगने की नियत से अपने आप को गायत्री के अनुरूप ढालते हुए उसके बदन को छेड़ने औऱ उससे खेलने लगा..
गायत्री की 62 साल पुरानी चुत गौतम के हाथ लगने पर 62 सेकंड में ही सुलगने लगी औऱ उसमे भारी गर्मी गौतम को अपने हाथ पर महसूस होने लगी.. गौतम ने कुछ मिनट में ही गायत्री चुत से नदी बहा दी जिससे गायत्री गौतम से लिपटकर गौतम को चूमने औऱ चाटने लगी उसे मालूम नहीं रहा की वो अपनी बेटी के बेटे के साथ ऐसा कर रही थी..
गौतम ने गायत्री के हाथ में अपना लंड रख दिया औऱ अपने हाथ से गायत्री का हाथ पकड़कर गायत्री के हाथ से अपना लंड हिलवाने लगा.. गायत्री के हाथ में जैसे ही गौतम का लंड आया वो चूमना छोड़कर एक नज़र गौतम के लंड पर डालकर उसे देखने लगी लेकिन अगले ही पल गौतम ने गायत्री के बाल पकड़ कर वापस अपने होंठों से उसे लगा लिया.. गायत्री को चूमकर उसने गायत्री को बेड पर बैठा दिया औऱ खुद फर्श पर खड़ा हो गया..
गायत्री कुछ समझ पाती इससे पहले ही गौतम ने उसके पककर सफ़ेद हो चुके बाल पकड़ कर उसके मुंह में अपने लंड का प्रवेश करवा दिया औऱ अपनी नानी गायत्री को अपना लोडा चूसाने लगा..
गायत्री के मन में उथल पुथल मची हुई थी औऱ उसके चेहरे पर रोमांच, डर, कामुकता, बेबसी, बेसब्री औऱ रिश्तो के मेले होने का दुख एक साथ झलक रहा था..
गायत्री ने गौतम के लंड को मुंह से नहीं निकाला औऱ धीरे धोरे चूसने लगी. गौतम ने भी कोई जल्दी नहीं की औऱ गायत्री को आराम आराम से लोडा चूसाने का सुख भोगने लगा..
गायत्री औऱ गौतम के बीच ये सब चल ही रहा था की उन दोनों को ऊपर से किसी के नीचे आने की आहट सुनाई दी.. औऱ गायत्री ने फ़ौरन गौतम का लंड अपने मुंह से बाहर निकाल दिया औऱ अपनेआप को ठीक करने लगी गौतम ने भी परिस्थिति समझते हुए अपना लंड पेंट में डाल लिया औऱ कमरे से बाहर आ गया जहा उसे घर का नोकर अब्दुल दिखाई दिया जो सीधा गायत्री के कमरे की तरफ चला गया औऱ उससे बोला..
अब्दुल - चाय बना दू बड़ी मालकिन...
गायत्री - नहीं.. तू रहने.. आज मैं खुद चाय बना लुंगी..
गायत्री ये कहते हुए बेड से उठ जाती है औऱ रसोई की तरफ चली जाती है..
गायत्री की मनोदशा को बयाँ करना मुश्किल था उसे अभी अभी जो सुख गौतम ने दिया था गायत्री उसे वो भूल ही चुकी थी.. सालों से बंजर होकर पड़ी जमीन पर अकाल के बाद जैसे बारिश के पानी से पौधे खिल उठते है उसी तरह सालों से गायत्री की वीरान औऱ अकेली जिंदगी में भी आज गौतम के कारण मादकता औऱ कामुकता ने अपने बीज को बोकर पौधे में बदल दिया था..
गायत्री का एक मन उसे कोस रहा था औऱ ये समझा रहा था की वो अपने नाती के साथ कैसे इस तरह की जलील हरकत कर सकती है औऱ उसके साथ जिस्मानी सम्भन्ध बनाने का प्रयास कर सकती है.. गायत्री चाय बनाते हुए अपनेआप को बुरा भला कहे जा रही थी.. मगर गायत्री का दूसरा मन चोरी छिपे गायत्री को बहका रहा था औऱ अब्दुल को गालिया देते हुए कोस रहा था कि क्यों वो बीच में आ गया.. क्या उसे आने में देर नहीं हो सकती थी? गायत्री की काम इच्छा ने तो उसके मन में दूसरा जन्म ले लिया था औऱ उसके दिमाग में चल रही बातों ने पहले मन को हरा दिया था.. गायत्री अब गौतम के करीब जाना चाहती थी औऱ सालों से सुखी पड़ी जिंदगी को थोड़ा काम के रस से गिला कर लेना चाहती थी..
गायत्री की चाय उसकी बची हुई जवानी के साथ उबाल मार चुकी थी औऱ उसने फैसला कर लिया था.. गायत्री ने चाई एक कप में छन्नी की औऱ कप लेकर गौतम के कमरे की तरह आने लगी..
दरवाजे पर पहुंचकर एक बार गायत्री रुकी जैसे कुछ सोच रही हो फिर गायत्री आगे बढकर दरवाजे के अंदर आ गई जहा गौतम बेड पर ऐसे बैठा हुए था जैसे गायत्री का ही इंतजार कर रहा हो.. आगे कुछ पहल करने की हिम्मत गायत्री में नहीं थी इसलिए उसने चाय को बेड की साइड टेबल पर रख दिया औऱ एक नज़र गौतम से मिलाकर वापस नज़र चुराते हुए उसे चाय पिने का बोलकर वापस जाने लगी..
गायत्री ने मुश्किल से दो कदम बढ़ाये होंगे की गौतम ने बेड से उठकर गायत्री की तरफ बढ़ते हुए अपना सीधा हाथ गायत्री की कमर में डालकर उसे अपने गले से लगा लिया औऱ दूसरे हाथ से दरवाजे को कुंदी मारकर गायत्री के साथ बिस्तर में कूद गया औऱ फिर से गायत्री औऱ गौतम का चुम्बन शुरू हो गया..
इस बार गायत्री अपने पुरे मन के साथ गौतम को ऐसे चुम रही थी जैसे गौतम उसका नाती नहीं पति हो..
गौतम ने थोड़ी देर चूमने के बाद वापस गायत्री की ड्यूटी अपने लंड पर लगा दी औऱ उसे बिस्तर पर झुकाते हुए अपना लंड चूसाने लगा..
गौतम - आहहह... नानी.. दाँत मत लगाओ यार.. आहहह... बहनचोद क्या मस्त मज़े देती हो नानी अभी भी.. (गायत्री के चुचे दबाते हुए) उफ्फ्फ नानी कितनी बड़ी औऱ मस्त है आपकी चूचियाँ.. ढीली पड़ने के बाद भी कहर ढा रही है..
गायत्री गौतम की बातें सुनती हुई उसके लोडा चूसे जा रही थी औऱ गौतम की वासना अपने चरम पर आने लगी थी वो लोडा चुस्ती गायत्री को देखकर बहकने लग गया था औऱ जल्दी ही झड़ने की कगार पर भी आ पंहुचा था..
गौतम - नानी.. आने वाला है चुसो जोर से थोड़ा.. आहहह... ऐसे ही नानी... हाय... आहहह...
गौतम गायत्री के मुंह में झड़ जाता है औऱ गायत्री बिना संकोच किये उसका वीर्यपान कर लेती है फिर गौतम का लंड साफ करके जाने लगती है मगर गौतम गायत्री को वापस बिस्तर पर गिरा देता है औऱ गायत्री की चुत के दर्शन करने के इरादे से उसकी साडी पकड़ के ऊपर कमर तक उठा देता है.. वो देखता है की गायत्री ने चड्डी नहीं पहनी थी.. औऱ उसके बालों से भरी चुत साफ सामने थी जो अब हलकी काली पड़ गई थी.. गौतम ने बिना किसी झिझक के गायत्री की चुत को अपने मुंह में भर लिया औऱ चूसने औऱ चाटने लगा.. जिस तरह से गौतम गायत्री की चाट रह था गायत्री को परम सुख की प्राप्ति होने लगी थी..
गायत्री गौतम के बाल पकड़ के जोर जोर उसे अपनी चुत चटवा रही थी औऱ अब उसने भी शर्म की चादर हटाते हुए बात करना शुरू कर दिया था..
गायत्री - चाट ग़ुगु.. जोर से चाट अपनी नानी की चुत को.. 16 साल हो गए किसी ने मेरी इस चुत की चिंता नहीं की.. तू ही पहला है ग़ुगु.. चाट बेटा.. आहहह... उम्म्म्म.. अह्ह्ह्ह..
गौतम गायत्री की बात सुनकर मन ही मन मुस्काता हुआ उसकी चुत को अपने मुंह से ठंडी करने लगा.. गायत्री तो जैसे हक़ीक़त औऱ ख़्वाब के बीच कहीं आँख बंद किये प्रकृति से मिले इस अदभुद सुख को भोग रही थी..
गौतम ने गायत्री की गांड में उंगलि करते हुए चुत को चाटना जारी रखा औऱ अपनी जीभ उसकी चुत में डाल उसे चाटने लगा.. गौतम चाहता था की वो गायत्री को शर्म लिहाज़ औऱ रिश्तो के बंधन से बाहर ले आये जिसमे वो सफल भी हो चूका था..
गायत्री अब वापस झड़ने वाली थी औऱ इस बार उसने बिना किसी झिझक के गौतम के मुंह में अपना पानी निकाल दिया औऱ उसके बालों को जोर से खींच कर गौतम को अपने ऊपर लेटा लिया औऱ फिर से गौतम औऱ गायत्री चुम्बन के मीठे अहसास को महसूस करने लगे..
कुछ देर बाद गौतम चुम्बन तोड़कर गायत्री से - मज़ा आया नानी..
गायत्री - तू तो जादूगर है ग़ुगु.. मैंने आज तक ऐसा कुछ महसूस नहीं किया..
गौतम अपना लंड गायत्री की चुत पर रगढ़ते हुए - असली मज़ाक़ तो आपको चुदाई में आएगा नानी.. आप बोलो तो डाल दू अंदर..
गायत्री - नहीं नहीं ग़ुगु.. तेरा बहुत बड़ा है औऱ मेरी चुत बहुत छोटी.. मैं झेल नहीं पाउंगी बेटा..
गौतम - मैं धीरे धीरे डालूंगा नानी.. सब आपकी मर्ज़ी से होगा.. आपको पसंद नहीं आये तो मैं कुछ नहीं करूँगा..
गायत्री - ठीक है बेटा.. पर बहुत ध्यान से मेरी चुत बिलकुल सिकुड़ चुकी है..
गौतम - ठीक है नानी..
गौतम अपने लंड पर थोड़ा सा थूक लगाकर गायत्री की चुत में उठेल देता है औऱ हल्का सा दबाब बनाता जिससे उसके लंड का टोपा गायत्री की चुत में घुस जाता है औऱ गायत्री की चिंख निकल जाती है औऱ वो जल बिन मछली जैसे तड़पने लगती है.. गौतम लंड का टोपा वापस बाहर निकाल लेता है औऱ गायत्री से कहता है..
गौतम - नानी सॉरी.. आप ठीक हो ना..
गायत्री - हाय मेरी माँ.. ग़ुगु मैं नहीं झेल पाउंगी बेटा.. माफ़ कर मुझे..
गौतम - कोई बात नहीं नानी.. मेरी गलती है आपके साथ ज़िद कर बैठा..
गायत्री उठकर अपने कपडे सही करते हुए - चाय ठंडी हो गई ग़ुगु.. मैं अभी दूसरी बना लाती हूँ..
गौतम पूरी बेशर्मी से गायत्री को देखकर अपना नंगा लोडा मसलते हुए - रहने दो नानी.. वैसे भी मेरा चाय पिने का नहीं सुट्टा फुकने का है..
गायत्री मुस्कुराते हुए गौतम को देखकर - तेरा मन नहीं भरा ना बेशर्म..
गौतम बेड से उठकर अपने सामान से भरे बेग की तरफ जाता है औऱ उसमे से सिगरेट का पैकेट औऱ लाइटर निकालकर एक सिगरेट जलाते हुए गायत्री से कहता है..
गौतम - मेरा मन तो तभी भरेगा नानी जब मेरे इस लंड से आपकी चुत पिटेगी..
गायत्री मुस्कुराते हुए गौतम के नज़दीक आकर - ग़ुगु मैं अगर तेरी ये इच्छा पूरी कर पाती तो मुझे बहुत ख़ुशी होती.. पर तू समझ ना..
गौतम सिगरेट का कश लेकर धुआँ गायत्री के मुंह पर छोड़ते हुए - आज नहीं तो कल मेरी इच्छा पूरी जरूर हो जायगी नानी.. आप उदास मत हो.. बस अब आप चुत में गाजर मूली डालना शुरू कर दो.. थोड़ा बड़ा हो जाएगा आपका छेद तो मेरे लंड को घुसने में आसानी होगी..
ये कहते हुए गौतम गायत्री के कंधे पर हाथ रखकर उसे नीचे बैठा लेता है औऱ उसके मुंह में अपना लंड वापस डाल देता है औऱ गायत्री के बाल पकड़ कर सिगरेट के कश लेटे हुए उसे लोडा फिर से चूसाने लगता है..
गौतम अपनी नानी गायत्री को अपने सामने घुटनो पर बैठाकर सिगरेट के कश मारते हुए अपना लंड चुसवा ही रहा था की उसका फ़ोन बजने लगा..
गौतम फ़ोन उठाकर - हेलो माँ...
सुमन - क्या कर रहा है ग़ुगु..
गौतम - कुछ नहीं माँ नानी के साथ थोड़ी सी मस्ती कर रहा था..
सुमन - अपनी नानी को परेशान तो नहीं कर रहा ना ग़ुगु तू?
गौतम - परेशान क्यों करूँगा माँ.. नानी तो अपने आप से ही मेरी हर बात मान लेती है..
सुमन - क्या कर रही है नानी..
गौतम - कुल्फी चूस रही है माँ...
सुमन - कुल्फी?
गौतम - हाँ माँ.. बाहर कुल्फी वाला आया था तो मैंने लेकर नानी को दे दी वो मेरे सामने चूस रही है बैठके...
सुमन - बेटा नानी को ज्यादा कुल्फी मत चूसाना वरना उनको ठंड लग जायेगी..
गौतम - उसकी चिंता आप मत करो ना.. मैं हूँ ना..
सुमन - अच्छा तुझे पिंक ज्यादा पसंद है या येल्लो?
गौतम - पहले बताओ क्यों पूछ रही हो? कुछ खरीद रही हो ना मेरे लिए?
सुमन - क्यों शादी में मेरा ग़ुगु जीन्स शर्ट ही पहनेगा क्या? एक सूट पसंद आया है.. जल्दी से कलर बता कोनसा लूँ?
गौतम सिगरेट का कश लेकर गायत्री के मुंह में लोडा आगे पीछे करते हुए - रहने दो माँ क्यों किसी औऱ का अहसान ले रही हो..
सुमन - अरे अहसान की क्या बात है इसमें? मैं अपने पैसो से ले रही हूँ.. तू बस कलर बता औऱ ज्यादा बात मत कर..
गौतम - ब्लैक.. पर साइज कैसे पता चलेगा आपको, सही है या नहीं?
सुमन - रोज़ अपनी छाती से लगा के सोती हूँ तुझे.. तेरी ऊपर से नीचे तक की नाप मुझे मुंह जबानी याद है..
गौतम सिगरेट का आखिरी कश लेकर - अपने लिए क्या ले रही हो?
सुमन - मेरे लिए क्या? मेरे पास तो पहले से इतना कुछ है..
गौतम - अगर अपने लिए कुछ नहीं ले रही हो तो मेरे लिए भी मत लेना.. मैं नहीं पहनूंगा समझी?
सुमन - अच्छा ठीक है मेरे शहजादे.. ले लुंगी अपने लिए भी कुछ..
गौतम - कुछ नहीं.. कुछ अच्छा लेना.. वरना मुझे जानती हो आप..
सुमन हस्ते हुए - अच्छा मेरे छोटे से ग़ुगु ज़ी.. ले लुंगी कुछ अच्छा सा.. तेरे लिए भी औऱ मेरे लिए भी..
गौतम - ठीक है आई लव यू माँ..
सुमन - लव यू मेरा बच्चा..
फ़ोन कट हो जाता है औऱ फिर गौतम दोनों हाथों से गायत्री के सफ़ेद बाल पकड़ कर उसके मुंह में लोडा जोर जोर से आगे पीछे करने लगता है जिससे थोड़ी देर बाद गायत्री के मुंह में गौतम झड़कर हल्का हो जाता है औऱ इस बार भी गायत्री बिना झिझक सारा वीर्य पी कर खड़ी हो जाती है..
गौतम - मज़ा आ गया नानी.. मुंह के साथ अलगी बात चुत भी चाहिए आपकी..
Lagta ha har ched ma Lund dala ga Gugu...
Nani ko pata liya....
Bara Punya ka kam kiya....
Akhir Mummy ki Mummy ha....
Unki vi dil sa seva karni cahiya.....
Jo itni acchi Hot Gadrai Gaay ki Mummy ha, tab oh kitni Gadrai hogi.....
Jabardas....
❤❤❤❤❤❤
Kiya kahu yaaaar....Update 20
सुबह नहाने के बाद जब सुमन नीचे गायत्री के पास गई तो घर औऱ शादी के काम में ऐसी उलझी की उसे गौतम से मिलने की फुर्सत ही नहीं मिली..
घर के नोकर अब्दुल की बीवी शबनम ने पहले सुमन का कमरा साफ किया औऱ फिर गौतम के कमरे में आ गई.. सफाई के दौरान जब शबनम को वीर्य से भरा हुआ रात में सुमन का गाँठ मारके रखा हुआ कंडोम मिला तो वो हैरानी से सो रहे गौतम को देखने लगी.. शबनम को लगा कि गौतम ने कंडोम में मुठ मारके गाँठ लगा कर यहां रख दिया है.. फिर उस कंडोम को कचरे में डालकर गौतम के कमरे की सफाई करके बाहर आ गई..
चाय बनते बनते सुबह के नो बज चुके थे औऱ सभी लोग नीचे बैठके शादी की तैयारियों को लेकर बातें कर रहे थे.. शबनम ने एक कप चाय का हाथ में लेकर सीढ़ियों से ऊपर जाने लगी तो पीछे से ऋतू ने उससे कहा..
ऋतू - शबनम तू कहा जा रही है..
शबनम पलटकर - ग़ुगु भईया को चाय देने..
ऋतू - मुझे दे, मैं दे आती हूँ ग़ुगु को चाय.. तू सबके लिए नास्ता बना दे..
शबनम - ठीक है दीदी..
ऋतू चाय का कप लेके ऊपर गौतम के रूम में आ जाती है जहा गौतम अब भी बेसुध सो रहा था.. ऋतू चाय बेड के ऊपर टेबल पर रख कर..
ऋतू गौतम को जगाते हुए - ग़ुगु.. ग़ुगु.. उठ जाओ.. सोते रहोगे क्या? ग़ुगु.. उठो ना..
गौतम आँखे खोल कर ऋतू को देखते हुए बेरुखी से - क्या है?
ऋतू गौतम की बेरुखी नज़रअंदाज़ करके - कब तक सोते रहोगे.. उठो ना.. चाय पिलो..
गौतम आँख बंद किये हुए ही जवाब देता है - मैं पी लूंगा, जाओ आप..
ऋतू - ग़ुगु चाय ठंडी हो जायेगी.. उठो ना..
गौतम उठते हुए बैठ जाता है..
ऋतू - कितनी देर तक सोता है.. पापा औऱ भईया से नहीं मिला ना तू.. वो कल रात औऱ अभी सुबह भी तुझे याद कर रहे थे..
गौतम चाय की एक चुस्की लेकर - मुझसे मिलकर क्या भला हो जाएगा उनका?
ऋतू गंभीर होकर - इतना भी क्या है ग़ुगु.. कल भाभी से इतनी बेरुखी से बात की औऱ अब मुझसे भी.. पता है भाभी को कितना बुरा लगा तेरी बातों का?
गौतम चाय पीते हुए - बुरा लगा तो मैं क्या करू? आप भी बुरा मान जाओ उनकी तरह..
ऋतू - तुझे ना बहुत बिगाड़ के रखा है बुआ ने अपने लाड प्यार से.. मैं कितनी प्यार से बात कर रही हूँ औऱ तू कितनी बदतमीजी से जवाब दे रहा है..
गौतम - मैंने कहा है मुझसे बात करने के लिए? मत करो.. चैन से सोने भी नहीं देते..
ऋतू - तू ना बहुत ज्यादा बोल रहा है ग़ुगु.. छोटा भाई है इसलिए तेरी बातें बर्दाश कर रही हूँ..
गौतम चाय का कप रखकर - मत करो बर्दाश्त.. वो तो माँ की ज़िद के कारण यहां आना पड़ा है वरना आता भी नहीं..
ऋतू गौतम की इस बात से उदास हो गई औऱ गौतम से बोली - मुझे लगा तू रूठा हुआ है पर तू तो नफरत करने लगा है हमसे.. तुझे नहीं पसंद तो ठीक है अब कभी बात नहीं करुँगी तुझसे..
गौतम वापस चादर ओढ़के सोते हुए - मैं किसीसे नफरत नहीं करता.. औऱ बात नहीं करोगी तो मेहरबानी होगी आपकी..
ऋतू चाय का कप जो गौतम के पिने से आधा खाली हो चूका था उठाकर कमरे से बाहर आ गई औऱ उसकी आँख से आंसू निकल पड़े जिसे उसने पोंछ लिया औऱ रसोई में कप रखकर अपने कमरे जाकर बैठ गई..
तीन घंटे बाद ऋतू की भाभी आरती ऋतू के पास आ गई औऱ उससे बोली - क्या हुआ दुल्हन? पार्लर नहीं चलना? उठो..
ऋतू - मन नहीं है भाभी आज कहीं जाने का..
आरती ऋतू की शकल देखकर - तू इतनी उदास क्यों है? किसी ने कुछ कहा है क्या? फ़ोन पर अपने दूल्हे से लड़ाई हो गई?
ऋतू - नहीं भाभी..
आरती - तो ऐसे उदास क्यों है..
ऋतू - कुछ नहीं भाभी, बस मन नहीं है बाहर जाने का..
आरती - मन को मना औऱ उठ जा दुल्हन.. पार्लर तो जाना ही पड़ेगा..
ऋतू झूठी मुस्कान होंठों पर लेकर - रुको भाभी मैं चेंज करके आती हूँ..
आरती - जल्दी मैं बाहर हूँ इंतजार कर रही हूँ..
आरती घर के बाहर आकर कार के पास खड़ी हो जाती है औऱ ऋतू का वेट कर रही होती है की गौतम नहाधो के बाहर आ जाता है गौतम ने पिंकी बुआ के गिफ्ट किये कपडे पहने हुए थे जिसमे वो किसी फ़िल्मी हीरो से कहीं ज्यादा आकर्षक औऱ स्मार्ट लग रहा था उसकी मासूम औऱ भोली सूरत उसके हट्टे कट्टे औऱ लम्बे चौड़े शारीर खिल रहा था.. आरती से गौतम को देखकर बिना उससे बात किये नहीं रहा गया औऱ जब गौतम कार की तरफ जाने लगा है तब आरती गौतम से कहने लगी..
आरती - आज किस पर बिजली गिराने का इरादा है गौतम ज़ी.. बड़े तैयार होके निकले हो.. यहां पहले दिन ही गर्लफ्रेंड बना ली क्या?
गौतम आरती औऱ उसकी बात को अनदेखा औऱ अनसुना करके कार मैं बैठ गया औऱ जैसे ही दरवाजा बंद करने के लिए हाथ बढ़ाया आरती कार के गेट पर आ खड़ी हुई औऱ गौतम को देखकर मुस्कुराते हुए बोली..
आरती - बात भी नहीं करोगे आप अपनी भाभी से? इतनी बुरी तो नहीं हूँ मैं?
गौतम - आपके बुरे या भले होने से मुझे क्या मतलब? दरवाजा छोडो जाना है मुझे..
आरती मुस्कुराते हुए - अरे बड़े बदतमीज हो तुम तो देवर ज़ी.. 24 घंटे गुस्सा नाक पर ही रहता हो क्या?
गौतम - आपको समझ नहीं आती क्या? मैं नहीं करना चाहता आपसे बात.. छोड़िये दरवाजा..
आरती गौतम की बात सुनकर - जाओ नहीं छोड़ती दरवाजा... कुछ बिगाड़ लोगे अपनी भाभी का तुम? बोलो? बात करने का ढंग तो ऐसा जैसे किसी रियासत के राजकुमार हो औऱ मैं तुम्हारी दासी.. सीधे मुंह बात भी नहीं करनी आती..
गौतम - मुझे सीधे मुंह बात करनी भी नहीं आप लोगों से.. आपको नज़र नहीं आता क्या, मैं आप लोगों को पसंद नहीं करता? फिर जबरदस्ती क्यों मेरे पीछे को पड़े रहते हो.. अपने काम से काम क्यों नहीं रखते? या फिर खानदानी आदत ही खराब है आपकी?
आरती इस बार गौतम की बात से घायल हो चुकी थी उसको गौतम की बात का उतना ही बुरा लगा था जितना तीन घंटे पहले ऋतू को लगा था.. आरती गुस्से से भर गई औऱ कार का दरवाजा छोड़ते हुए बोली..
आरती - अरे ओ भिखारी.. ज्यादा ना खुदको हीरो मत समझ.. मांगी हुई गाडी में बैठकर कोई मालिक नहीं बनता.. समझा? प्यार से बात कर रही हूँ तो सर चढ़कर नाच रहा है.. खानदान पर जा रहा है.. चल निकल..
गौतम पलटकर कुछ नहीं बोलता औऱ कार का दरवाजा बंद करके वहाँ से चला जाता है जबकि गौतम के जाने के बाद आरती को महसूस होता है कि उसने गौतम से गुस्से में क्या क्या कह दिया था.. आरती को अजीब लग रहा था औऱ अपनी बातों पर पछतावा भी हो रहा था.. मगर जब ऋतू बाहर आई तो उसने इस बारे में उसे कुछ नहीं बताया औऱ उसके साथ पार्लर चली गई..
गौतम के दिल में आरती की बातें तीर की तरह चुभ चुकी थी उसे अब ऋतू के साथ आरती भी आँखों में चुबने लगी थी.. मगर गौतम ने उस बात को वही छोड़कर आगे बढ़ने का फैसला किया औऱ कार को शहर के एक बड़े मॉल की पार्किंग में पार्क करके माल के अंदर आ गया फिर अपने फ़ोन में कुछ देखकर ग्राउंड फ्लोर पर ही बने एक बड़े से मार्ट में घुस गया जहा बहुत सी खाने से लेकर पहनने तक की अलग अलग चीज़े थी..
गौतम इधर उधर घूमने लगा जैसे किसी को तलाश करहा हो.. बहुत देर तक घूमने के बाद उसे एक कोने में कपडे रखती हुई एक लड़की दिखी जिसे देखकर गौतम उसके पास आ गया औऱ उसके पीछे खड़ा होकर बोला..
गौतम - मेरी साइज का कुछ मिलेगा?
लड़की ने कपडे रखना छोड़कर एक नज़र पीछे देखा औऱ बोली - क्या साइज है आपका? इतना कहकर लड़की एक टक गौतम को देखती ही रह गई..
गौतम - ज़ी एक्स्ट्रा लार्ज़..
लड़की कपडे छोड़कर खड़ी हो गई औऱ गौतम के गले लगकर गौतम से बोली - तू यहां क्या कर रहा है?
गौतम - बस आपको तलाशते हुए चले आये.. पुरे दो साल लगे है ढूंढने में..
लड़की मुस्कुराते हुए - दस मिनट में लंच होने वाला तू बाहर वेट कर मैं ये काम ख़त्म करके आती हूँ..
गौतम - पक्का?
लड़की गौतम के गाल चूमकर - पक्का मेरी जान..
गौतम बाहर चला जाता है औऱ लड़की का वेट करने लगता है साथ ही आदिल को फ़ोन करता है..
आदिल - हां रंडी.. मिल गई सलमा?
गौतम - सही एड्रेस है गांडु.. सलमा आपा यही काम करती है.. अच्छा ये बता तेरी औऱ शबाना की बात कहा तक पहुंची?
आदिल - भाई अम्मी के हॉर्न दबाने तक बढ़ गई..
गौतम - सही है मादरचोद.. साले चुचे तक तो आ गया तू.. पर जबरदस्ती तो नहीं की ना तूने?
आदिल - अरे नहीं रंडी.. अम्मी तो आगे से अपने चुचे हिला हिला कर हिंट दे रही थी..
गौतम - लगा रह गांडु फिर तो.. अच्छा बाद में बात करता हूँ.. सलमा आपा आ रही है.. गौतम फ़ोन काटकर जेब में रख लेटा है..
सलमा आकर मुस्कुराते हुए - अच्छा मुझे क्यों ढूंढ़ रहा था तू दो साल से?
गौतम - कुछ पूछना था आपसे..
सलमा - हाँ पूछो..
गौतम - यहां नहीं बाहर..
सलमा - बाहर क्यों?
गौतम सलमा का हाथ पकड़कर - चलो ना बताता हूँ..
गौतम सलमा का हाथ पकड़ कर मॉल से बाहर ले आता है औऱ पार्किंग में लाकर गाडी में बैठा देता है..
सलमा - गौतम कहा ले जा रहा है? औऱ ये कार किसकी है?
गौतम - है किसी की आपा.. आप बैठो ना.. थोड़ा घूमके आ जाएंगे..
सलमा - गौतम सिर्फ आधे घंटे का लंचटाइम है वापस आने में देर हो गई तो बहुत मारूंगी तुझे..
गौतम हसते हुए - नहीं होगी आपा आप परेशान मत हो..
गौतम गाडी को चला के एक आइसक्रीम वाले के पास रोकता है औऱ आइसक्रीम लेकर वापस गाडी चलाते हुए एक सुनसान जगह गाडी लगा देता है..
सलमा मुस्कुराकर आइसक्रीम खाते हुए - इतनी सुनसान जगह क्यों लाया है मुझे? मेरे साथ कोई ऐसी वैसी हरकत की तो तुझे बहुत मारूंगी..
गौतम मुस्कुराते हुए - ऐसी वैसी हरकत तो आप ही करती हो.. याद दिलाउ आपको?
सलमा आइसक्रीम का खाली डब्बा बाहर फेंककर मुस्कुराते हुए - मुझे सब याद है.. अब बता क्या पूछने वाला था तू? औऱ मेरा एड्रेस कैसे मिला तुझे?
गौतम - अड्रेस तो उसी गड़मरे ने लाकर दिया है जो उस दिन आपके औऱ मेरे बीच में आ गया था..
सलमा हँसते हुए - आदिल ने?
गौतम - हाँ.. पर पहले आप ये बताओ आप अचानक बिना बताये कहा चली गई थी? पता है कितना बुरा लगा मुझे?
सलमा गौतम के गाल खींचकर - अब्बू ने जल्दबाज़ी में निकाह करवा दिया था.. इसलिए जाना पड़ा..
गौतम - तो आप अब शादीशुदा हो?
सलमा - नहीं.. पिछले साल तलाक़ भी हो गया..
गौतम - क्यों?
सलमा - जिससे शादी हुई उसने किसी औऱ के चककर में मुझे छोड़ दिया..
गौतम सलमा का हाथ पकड़कर - तब भी आपने मुझसे बात नहीं की..
सलमा गौतम के करीब आकर गौतम के गाल चूमते हुए - कैसे बताती मेरी जान.. नम्बर नहीं थे ना..
गौतम - फ़ोन दो आपका..
गौतम नम्बर एक्सचेंज करके - अब से आपको कुछ भी प्रॉब्लम हो मुझे बताओगी आप.. समझी? वरना मार मार के सुजा दूंगा आपको..
सलमा हस्ते हुए गौतम के ऊपर आ जाती है औऱ उसके होंठों को अपने दांतो से खींचती हुई एक चुम्बन करके - किसे सुजाएगा मार मारके?
गौतम अपना हाथ से सलमा की चुत को सलवार के ऊपर से सहलाने लगता है औऱ कहता है - इसे सुजा दूंगा आपा..
सलमा गौतम की इस बेशर्म से दंग रह जाती है औऱ उससे कहती है - हाथ हटा कमीने.. कितना बेशर्म हो गया है तू..
गौतम - अच्छा ज़ी आप करो कुछ नहीं.. मैं करू तो हंगामा?
सलमा मुस्कुराते हुए - लंच ख़त्म होने वाला है अभी टाइम नहीं इसका.. कल ऑफ ले लुंगी फिर दिनभर जो भी करना है मेरे साथ कर लेना..
गौतम - सोच लो आपा.. मैं कल कोई रहम नहीं करने वाला आपके ऊपर..
सलमा - मैं चाहती भी नहीं हूँ मेरी जान तू मुझपर रहम करें.. चल अब वापस छोड़ दे वरना मैनेजर काम से निकाल देगा..
गौतम - अभी तो दस मिनट है..
सलमा हंसकर - तो?
गौतम - तो की बच्ची.. चुपचाप किस्सी करो मुझे..
सलमा गंभीर होती हुई - शुक्रिया गौतम..
गौतम - किसलीये?
सलमा - मुझसे मिलने आने के लिए..
गौतम सलमा के होंठों को अपने होंठों से लगा देता है औऱ सलमा भी पूरी शिद्दत के साथ गौतम को चूमने लगती है..
दोनों का चुम्बन 3-4 मिनट चलता है जिसमे दोनों एकदूसरे को ऐसे चुम रहे थे जैसे खा जाना चाहते हो..
फिर सलमा चुम्बम तोड़कर कहती है - गौतम अब चल यहाँ से..
गौतम - ठीक है आपा.. पर कल मैं आपकी नहीं सुनूंगा..
सलमा गौतम के ऊपर से उतरकर अपनी सीट पर आ जाती है औऱ गौतम गाडी चलाकर वापस मॉल की तरफ आने लगता है..
सलमा - शबाना चाची का फ़ोन आया था..
गौतम - आपकी लोगों की अब तक बात होती है? वैसे क्या बोल रही थी वो?
सलमा - सब जो तू उनके साथ करके आया है.. वो भी डिटेल में..
गौतम मॉल के सामने गाडी रोककर हैरानी से सलमा को देखता हुआ - क्या..
सलमा हँसते हुए गौतम के लंड पर हाथ रखकर - क्या नहीं मेरी जान.. शबाना.. सब बताया है उन्होंने एक एक बात.. बहुत तारीफ़ कर रही थी तेरी.. बोल रही थी तेरे जैसा मर्द नहीं देखा..
गौतम - शर्म नहीं आती तुम दोनों को.. मेरे बारे ऐसी बातें करते हुए?
सलमा - तुझे शर्म नहीं आती अपने दोस्त की अम्मी को अपनी हवस का शिकार बनाते हुए?
गौतम - औऱ क्या बोला शबाना ने?
सलमा - औऱ ये बोला कि जब तक तू यहां है मैं तेरा अच्छे से ख्याल रखु?
गौतम - मतलब आपको पता था मैं यहां आपके पास आने वाला हूँ?
सलमा मुस्कुराते हुए गौतम के होंठ चूमकर - चल बाय मेरी जान..
इतना कहकर सलमा गाडी से उतर जाती है...
गौतम - अरे जवाब तो दो आपा.. आपा..
सलमा - जवाब कल मिलेगा मेरी जान..
सलमा वापस मॉल में चली जाती है गौतम गाडी स्टार्ट करके शहर घूमने लगता है.. औऱ उसे शहर घूमते घूमते शाम हो जाती है गौतम सडक के किनारे एक चाय वाले के पास बैठा हुआ था तभी उसके फ़ोन पर माधुरी का फ़ोन आता है जिसे वो कुछ दिनों से अनदेखा कर रहा था.. मगर आज गौतम ने फ़ोन उठा लिया औऱ गाडी में बैठकर बात करने लगा..
गौतम - हेलो...
माधुरी - फ़ोन क्यों नहीं उठा रहा तू चार दिन से मेरा? मुझसे मन भर गया है तो साफ साफ बता दे.. साले ऐसा इंतज़ाम करूंगी कि याद रखेगा.. अब कुछ बोलेगा या मुंह बंद करके सुनता ही रहेगा तू..
गौतम - एक फोटो व्हाट्सप्प की है आपको.. देख लो.. इतना कहकर गौतम फ़ोन काट देता है औऱ माधुरी को जगमोहन औऱ सुमन के साथ अपनी फॅमिली फोटो सेंड करता है..
माधुरी जल्दी से अपना व्हाट्सप्प खोलती है औऱ फोटो देखकर चौंक जाती है बहुत देर तक वो चुपचाप उस तस्वीर को देखती रहती है उसे यकीन ही नहीं होता कि गौतम उसके पति जगमोहन की औलाद है माधुरी बिना पालक झपकाये फोटो देखती रहती है मगर फिर फोटो हटा कर गौतम को वापस फ़ोन करती है..
गौतम फ़ोन उठाकर - हेलो..
माधुरी गुस्से से - हेलो के बच्चे.. कहा है तू अभी?
गौतम - नानी के यहां आया हूँ माँ के साथ.. शादी है किसी की..
माधुरी - वापस कब आएगा?
गौतम - एक हफ्ता लग जाएगा माधुरी..
माधुरी - अब तो मुझे मेरे नाम से मत बुला कमीने.. छोटी माँ लगती हूँ तेरी.. उस रात इसीलिए तू इतने सवाल कर रहा था ना मुझसे?
गौतम मुस्कुराते हुए - सॉरी छोटी माँ..
माधुरी - सॉरी के बच्चे.. वापस आ फिर बताती हूँ तुझे तो.. शादी की पार्किंग में मेरे फ़ोन पर जगमोहन की तस्वीर देखकर सब कुछ जान गया था ना तू.. फिर भी मेरे साथ वो सब किया ना तूने..
गौतम हसते हुए - मज़ा ही इतना दे रही थी आप छोटी माँ.. कैसे रोकता अपनेआप को..
माधुरी प्यार से - जो अपनी माँ के साथ चुदाई करता है उसे पता है ना दुनिया क्या कहती है?
गौतम - पता है मादरचोद हूँ मैं.. बस अब खुश आप?
माधुरी हँसते हुए - अब बाप नामर्द हो जाए तो बेटे को ही मर्द बनकर घर की औरत को बाज़ारू बनने से बचाना पड़ता है.. इसके लिए बेटे को मदरचोद भी बनना पड़े तो कैसी शर्म?
गौतम - कोनसी सेक्स स्टोरी का डायलॉग है ये..
माधुरी - ये हमारी सेक्स स्टोरी का डायलॉग है..
गौतम - बहुत अच्छा... अच्छा छोटी माँ मैं फ़ोन रखता हूँ बाद में बात करूंगा.. माँ का फ़ोन आ रहा है..
माधुरी - अपना ख्याल रखना मेरे मादरचोद बेटे..
गौतम - आप भी अपना ख्याल रखना.. मेरी बेटाचोद छोटी माँ..
फ़ोन कट जाता है औऱ गौतम सुमन का फ़ोन उठाकर बात करने लगता है..
गौतम - हेलो..
सुमन - ग़ुगु कहा है बच्चा?
गौतम - माँ शहर घूम रहा था..
सुमन - बाकी का शहर कल घूम लेना अब घर आ जा.. खाने का समय होने वाला है..
गौतम - ठीक है माँ.. आ रहा हूँ..
गौतम फोन काटकर गाडी नानी के घर की तरफ मोड़ लेता है औऱ एक घंटे में नानी के घर पहुंच जाता है जहा गाडी घर के बाहर पार्क करके सीधा अपने कमरे में चला जाता है औऱ नहा कर एक टीशर्ट औऱ लोवर पहन लेता है.. तभी शबनम गौतम के कमरे में आकर कहती है..
शबनम - ग़ुगु भईया.. आपको मालकिन नीचे खाने के लिए बुला रहा है..
गौतम शबनम को देखकर अपनी कलाई पर बंधा धागा देखता है जो लाल हो चूका था फिर शबनम से कहता है - औऱ कौन है नीचे?
शबनम - सब है.. मालिक औऱ छोटे मालिक भी घर आ चुके है..
गौतम शबनम के बिलकुल करीब आकर - नाम क्या है तेरा?
शबनम शरमाते हुए - शबनम..
गौतम शबनम को बाहों में भरते हुए - भईया मत बोला कर मुझे.. समझी? तेरे मुंह अच्छा नहीं लगता..
शबनम शरमाते हुए - ज़ी भईया..
गौतम - फिर भईया बोल तूने?
शबनम शर्माती हुई गौतम की आँखों में देखकर - गलती से मुंह से निकल गया..
गौतम - तेरे मुंह का इलाज करना पड़ेगा..
इतना बोलकर गौतम शबनम के होंठ पर अपने होंठ लगाकर उसे चूमने लगा.. शबनम भी शर्माते हुए गौतम को चुम रही थी औऱ बेसब्री से गौतम के गले लग चुकी थी..
दोनों के बीच चुम्बन कुछ पल चला ही था की नीचे से किसी के ऊपर आने की आहट सुनकर दोनों अलग हो गए औऱ अपने आप को सँभालते हुए खड़े हो गए..
गौतम कमरे से निकलकर नीचे सीढ़ियों की तरफ आ गया जहा से शबनम का शोहर अब्दुल उसे ऊपर छत की तरफ जाता हुआ दिखा.. शबनम भी गौतम के पीछे पीछे नीचे आ गई.. गौतम ने देखा की सभी लोग डाइनिंग टेबल पर बैठे हुए है..
संजय गौतम को देखकर - ग़ुगु.. यहां आ बेटा.. कितने साल हो गए तुझे देखे हुए.. तू तो बिलकुल बदल गया है.. मेरे पास आके बैठ..
चेतन - हाँ पापा.. पहले जब देखा था तो बिलकुल छोटा सा था अब देखो कितना बड़ा हो गया है.. बिलकुल हीरो लगता है..
कोमल - सच कहा तूने चेतन.. पता नहीं सुमन ऐसा क्या खिलाती है हमारे ग़ुगु को.. आजा ग़ुगु तू मेरे पास आके बैठ..
गायत्री - अरे सब मिलके नज़र लगाओगे क्या मेरे नाती को.. एक तो छः साल बाद आया है..
गौतम सबकी बातें सुनकर अनसुनी कर देता है औऱ सुमन के पास वाली कुर्सी पर आकर बैठ जाता है.. गौतम को सुमन के पास जाकर बैठता देखकर संजय औऱ कोमल दोनों का मुंह उतर जाता है मगर गौतम बिना किसी से कुछ भी बोले सामने रखी उल्टी प्लेट को सीधा करके चपाती औऱ सब्जी लेकर खाना खाने लगता है..
आरती औऱ ऋतू सब कुछ देख औऱ समझ रही थी मगर बोलने की हिम्मत किसी में नहीं थी.. गौतम ने जिस तरह अभी अभी संजय औऱ कोमल के अपने साथ बैठकर खाना खाने के प्रस्ताव को ठोंकर मारते हुए सुमन के पास बैठते हुए संजय औऱ कोमल की बेज्जती की थी उससे माहौल थोड़ा बदल गया था..
संजय गौतम से - क्या हुआ बेटा.. कुछ बोल क्यों नहीं रहे..
गौतम बिना अपने मामा संजय को देखे जवाब देता है - छाले हो रहे है मुंह में.. बोला नहीं जा रहा..
सुमन के साथ साथ ऋतू औऱ आरती गौतम के बनावटी बहाने की वजह अच्छे से जानते थे मगर अब संजय कोमल औऱ चेतन के साथ कोमल को भी गौतम के यहां पर बेमन से आने का पता चलने लगा था..
संजय या किसी औऱ ने वापस गौतम के बारे में कुछ नहीं कहा औऱ बात को किसी औऱ मुद्दे पर घुमाकर बात करने लगे औऱ खाना खाने लगे..
गौतम चुपचाप खाना खाकर बिना किसी को देखे या बात किये वापस अपने कमरे में चला गया औऱ कुछ देर अपने कमरे में रहकर फिर घर की छत पर आ गया औऱ टहलने लगा..
सबका खाना हो चूका था.. कोमल सुमन को अपने साथ लेजाकर शादी के लिए की हुई खरीददारी का सामान दिखाने लगी.. संजय औऱ चेतन बुकिंग होटल का जायजा लेने निकल पड़े था.. ऋतू अपने कमरे में अपने दूल्हे से बात करने में व्यस्त थी औऱ गायत्री टीवी देखने में.
आरती को गौतम पर गुस्सा दिन से ही चढ़ा हुआ था.. हालांकि थोड़ा सा अफ़सोस उसे अपनी बात पर भी था मगर अभी जिस तरह से गौतम ने उसके ससुर संजय औऱ बाकी लोगी के साथ बर्ताव किया था वो गौतम को फिर कुछ कड़वा सुनाना चाहती थी..
आरती गौतम के कमरे में आ गई मगर गौतम उसे वहा नहीं दिखा फिर वो गौतम को घर में इधर उधर देखने लगी.. औऱ जब आरती छत पर पहुंची तो उसे गौतम छत की दिवार पर बैठा हुआ दिख गया.. आरती गौतम की तरफ आ गई औऱ गौतम के पास बैठकर गौतम का दिल दुःखाने की नियत से बोली..
आरती - क्या देख रह है?
गौतम एक नज़र आरती की तरफ देखकर वापस सामने देखने लगता है औऱ आरती की बात का कोई जवाब नहीं देता..
आरती वापस बोलती है - बता ना? सामने इन घरों को देख रहा है क्या?
गौतम बिना आरती को देखे - हाँ..
आरती गौतम का जवाब सुनकर वापस बोलती है - देख ले ज़ी भरके.. क्युकी ऐसे घर खरीदना तो ना तेरे बाप के बस में है ना तेरे..
गौतम समझ गया था की आरती उसका दिल दुखाना चाहती है औऱ उसी के लिए यहां आई है मगर वो उसकी बातों पर ज्यादा ध्यान नहीं देता, ना ही आरती की बातों से अपनेआप को हर्ट होने देता है..
आरती की बात पर जब गौतम कोई जवाब नहीं देता तो आरती फिर गौतम का दिल दुःखाने के लिए बोलती है..
आरती - तेरा बाप पुलिस में चौकीदार है ना..
गौतम सामने देखते हुए - हवलदार..
आरती - जो भी है.. है तो छोटा सा सरकारी नोकर ही.. कितना कमा लेता होगा महीने..
गौतम उसी तरह - 35 हज़ार..
आरती हसते हुए - उससे ज्यादा तो सिर्फ मेरे पार्लर का खर्चा है महीने का.. अच्छा एक बात बता.. तेरे जैसे भिखारी के पास ये लेटेस्ट iphone कैसे आया?
गौतम - बुआ ने गिफ्ट दिया..
आरती इस बार भी हसते हुए - गिफ्ट दिया है या भीख दी है तुझे.. भिखारी?
गौतम - पता नहीं..
आरती गौतम का दिल दुःखाने का भरसक प्रयास कर रही थी मगर गौतम उसकी बात सुनकर अनसुना करते हुए सामने के खूबसूरत नज़ारे को देखे जा रहा था..
आरती को समझ नहीं आ रहा था वो ऐसा क्या बोले जिससे गौतम को बुरा लगे.. आरती ने अपनी तरफ से जो कुछ बोल सकती थी बोल रही थी.. आरती गौतम का दिल दुःखाने का प्रयास कर ही रही थी नीचे से कोमल छत पर आती हुई बोली..
कोमल - क्या बातें चल रही है दोनों देवर भाभी में?
आरती पीछे देखकर - कुछ नहीं मम्मी ज़ी.. मैं तो बस देवर ज़ी से पूछ रही थी कॉलेज में पढ़ाई कैसी चल रही है? है ना देवर ज़ी..
गौतम एक नज़र पीछे कोमल औऱ आरती को देखकर वापस उसी तरह सामने देखने लगता है..
कोमल - अरे इसमें पूछना क्या है.. हर साल अव्वल आता है हमारा ग़ुगु.. सुमन सब बता देती है.. हर चीज में फर्स्ट है..
आरती - वो तो देवर ज़ी को देखने से ही लगता है.. अच्छा मम्मी ज़ी.. कल जो आपने देवर ज़ी के लिए सूट लिया था मुझे पसंद नहीं आया..
कोमल - क्यों? अच्छा तो है पुरे 32 हज़ार का.. सुमन औऱ ऋतू को भी पसंद आया था..
आरती - पर मम्मी ज़ी सिर्फ 32 हज़ार का ही था.. मेरे एकलौते देवर ज़ी के लिए तो लाखों का सूट लेना चाहिए था..
कोमल - तू ही जाके लेले अपने लाडले देवर के लिए जो तुझे लेना है.. किसने रोका है? अच्छा मैं नीचे जाती हूँ.. ये कम्बख्त अब्दुल कहा मर गया..
कोमल के जाने के बाद आरती गोतम से - बता भिखारी कुछ चाहिए तो? कीमत की चिंता मत कर.. तेरे बाप की तरह हवलदार नहीं है यहां कोई.. मैं तो खानदानी अमीर हूँ..
गौतम दिवार से उठकर आरती के बिलकुल सामने खड़ा हो जाता है औऱ मुस्कुराते हुए कहता है..
गौतम - आपके कुछ भी बोलने से मुझे फर्क नहीं पड़ने वाला.. माँ ने अपनी कसम दी थी आने के लिए इसलिए यहां आना पड़ा.. औऱ रही बात उस सूट की तो मैं पहनना तो छोडो.. थूकू भी ना, तुम लोगों की दी हुई किसी चीज पर..
आरती गुस्से से - अबे साले भिखारी.. औकात मत भूल अपनी.. बड़ी बड़ी बातें करने से कोई बड़ा नहीं बन जाता.. हालत भिखारीयों वाली बातें नवाबो की..
गौतम मुस्कुराते हुए - कुछ सालो पहले आपके पति की मुझसे ज्यादा खराब हालत थी पूछना कभी फुर्सत में उनसे.. आपकी प्यारी ननद ने तो मेरा चोरी तक नाम लगा दिया था.. ये तो बताया होगा किसीने आपको..
आरती भी मुस्कुराते हुए - उस बेचारी की क्या गलती.. तू शकल से चोर लगता है ना इसलिए लगाया होगा..
गौतम आगे कुछ नहीं बोलता औऱ नीचे जाने के मुड़ जाता है तभी आरती कहती है..
गौतम - क्या हुआ? बुरा लगा मेरे प्यारे देवर ज़ी को?
गौतम मुड़कर मुस्कुराते हुए एक नज़र आरती को देखता है औऱ फिर नीचे अपने कमरे में आ जाता है..
आरती ने अपनी बातों से हर कोशिश की थी गौतम का दिल दुःखाने की मगर इस वक़्त उसका अपना दिल दुखने लगा था.. उसे लग रहा था जैसे उसके शब्दों से ज्यादा कड़वी औऱ नोकिली गौतम के होंठों की मुस्कान थी.. आरती भी कुछ देर बाद नीचे आ गई..
गायत्री के कमरे में महफिल सजी हुई थी गौतम को छोड़कर सभी लोग वहा मोज़ूद थे औऱ हंसी मज़ाक़ कर रहे थे.. आज सारी रात यही बैठके बिताने का प्लान था कभी फ़िल्मी गानो पर सब झूमते तो कभी क़िस्से कहानियो में खोकर खूब जोर से हँसते..
सुमन भी यहां बैठी हुई ख़ुशी से नाच गा रही थी.. उसने गौतम को आज के इस प्रोग्राम की जानकारी दे दी थी.. औऱ गौतम भी अपने कमरे में रेशमा से बहुत देर तक चैटिंग करके अब सो चूका था..
सुबह 4 बजे तक सबका नाच गाना यूँही चलता रहा औऱ फिर कई लोग थक्कर सो गए जिनकी नींद 9 बजे खुली.. शबनम चाय बना चुकी थी औऱ कुछ लोगों को छोड़कर सब चाय पीते हुए बाते करहे थे.. आने वाले मेहमानो को सीधा वेडिंग होटल के कमरों में पहुंचाया जा रहा था.. आरती एक चाय का कप उठाकर गौतम के रूम में आ गई जहा गौतम नहाकर कपडे पहने के बाद अब अपने जूते पहन रहा था..
आरती रूम में आते हुए गौतम के सामने चाय का कप रखकर - इतना सजधज के कहा जा रहा है?
गौतम - भिखारी के लिए कब से चाय लेकर आने लगी आप.. औऱ रात को पेट नहीं भरा.. सुबह भी आ गई..
आरती - क्या करू? अब तो बिना तुझे बेज्जत किये मेरा मन ही नहीं भरता..
गौतम जूते पहनकर - ठीक है फिर जल्दी मन भर लो.. मुझे जाना है..
इतना कहकर गौतम अपने बाल सही करने लगा औऱ फिर जीन्स पर बेल्ट लगाने लगा..
आरती - तू बताएगा क्या मुझे कब क्या करना है? अपनी मर्ज़ी से तुझे बेज्जत करुँगी तेरे कहने पर नही..
गौतम बेल्ट लगाकर कमरे से बाहर जाने लगता है कि
आरती गेट के सामने आ जाती है..
आरती - तुझे अपने मामा-मामी से, चेतन से ऋतू से मुझसे हम सबसे जलन होती है ना..
गौतम - हां होती है.. देखो मैं तो झलकर काला पड़ गया.. अब सामने से हटो.. मुझे बाहर जाना है..
आरती गौतम के बिलकुल करीब आती हुई - अगर नहीं हटू तो? कुछ बिगाड़ लोगे मेरा?
गौतम - भाभी दूर हटो..
आरती - अरे वाह.. पहली बार भाभी बोला तूने मुझे.. पहले पता होता तो इतनी दिल दुखने वाली बातें तो ना करती तुझसे..
गौतम - आपसे किसने कहा आपकी बातों से मेरा दिल दुखा है..
आरती गौतम के गले लगकर - मतलब तू जानता था मैं सिर्फ तेरा दिल दुखने के लिए वो सब कड़वी बातें बोल रही थी.. पता है कितना बुरा लग रहा था मुझे तुझसे वो बातें बोलकर.. तूने ऋतू को भी कितना उदास किया है.. बेचारी का कल से मुंह उतरा हुआ है..
गौतम आरती को खुदसे अलग करते हुए - हटो कहीं जाना मुझे..
आरती - कहा जाना है? औऱ इतना तैयार हुआ है पक्का किसी लड़की से ही मिलने जा रहा होगा..
गौतम - आपसे मतलब? आपके पास औऱ कोई काम नहीं है क्या?
आरती फिर से गौतम के गले लगते हुए - नहीं है..
गौतम - इतना क्यों चिपक रही हो भाभी.. छोडो ना..
आरती - पहले बता जा कहा रहा है तू?
गौतम - कहीं नहीं बस शहर घूमने जा रहा था..
आरती - चल मैं घुमाती हूँ तुझे शहर..
गौतम - मैं खुद घूम लूंगा, आप हटो..
आरती - मन नहीं कर रहा हटने का.
गौतम - भाभी अपने पति के जाकर लिपटो.. मुझे छोड़ दो..
आरती गौतम को छेड़कर हस्ते हुए - चेतन में कोई मज़ा नहीं है देवर ज़ी.. मुझे आपके जैसा चिकना खूबसूरत औऱ प्यारा मर्द चाहिए.. जैसे साली आधी घरवाली होती है वैसे देवर भी आधा घर वाला होता है.. थोड़ी बहुत मस्ती तो कर ही सकती हूँ तेरे साथ..
गौतम - सुबह सुबह मैं ही मिला हूँ क्या आपको..
गौतम इतना कहकर आरती को अपने से दूर हटाते हुए कमरे से बाहर आ जाता है और आरती पीछे से मुस्कुराते हुए कहती है.. वापस जब आओगे तब बताऊंगी तुम्हे देवर ज़ी.. मैं नहीं छोड़ने वाली तुम्हे.. गौतम अपनी कर लेकर घर से निकल जाता है..
गौतम ने शहर के एक अच्छे होटल में ओयो रूम बुक किया था जहां वह सलमा को रास्ते से पिकअप करके आ जाता है. आज सलमान ने कम से छुट्टी ले ली थी और वह जानती थी क्या आज गौतम और उसके बीच कोई नहीं आने वाला. सलमा गौतम पर पूरी तरह से लट्टू थी और गौतम भी सलमा को भोगने की नीयत से आज उसे अपनी बाहों में लेकर चूम रहा था.
सलमा गौतम इस तरह से एक दूसरे को चूम रहे थे जैसे उनका मिलन अधूरा रह गया हो वो जल्द से जल्द उसे पूरा कर लेना चाहते हो. आज सुबह बहुत आकर्षक और सुंदर लग रही थी उसने जो सिंगार किया था गौतम उसे देखकर पूरी तरह से काम भावना में डूब चुका था और सलमा को अपनी बाहों में भरकर उसके रसीले होठों का स्वाद ले रहा था. सलमा भी पूरे मन से गौतम को अपनी बाहों में कस्टे हुए उसके होठों से अपने होंठ लगाए हुए उसे चूम रही थी और ऐसे चूम रही थी जैसे उस चूमकर अपना बना लेना चाहती हो.
गौतम चंदन के दौरान सलमा के बाद उनके उतार-चढ़ाव को अपने हाथों से महसूस कर रहा था और उसे अनुभव कर रहा था. सलमा की छाती पर उगे हुए संतरे काफी बड़े आकार के थे जिसे गौतम अपने हाथों से बार-बार दबाते हुए सलमा को काम भावना में डूबा रहा था. सलमा की चुंबन के दौरान गौतम के शरीर को अपने हाथों से तलाश रही थी और तराश रही थी. दोनों का संबंध लगातार चलता जा रहा था और इसमें दोनों कोही काम सुख की प्राप्ति हो रही थी इसी बीच दोनों एक दूसरे के पतन को अपने हाथों से हर जगह छूते हुए एक दूसरे को काम की भावना से ओतप्रोत होकर पाने की इच्छा रखते हुए अपने में समाने की भावना से भरते हुए चूम रहे थे.
गौतम ने चुंबन तोड़ते हुए सलमा की कमर में हाथ डालकर उसे दीवार से चिपका दिया और उसकी छाती पर उगे हुए संतरों को अपने दोनों हाथों से मसलते हुए सलमा से पूछा..
गौतम सलमा की कुर्ती उतारते हुए बूब्स मसलकर - आपा ये तो पहले से दुगुने लग रहे है.. लगता है बहुत मेहनत हुई है इन पर..
सलमा गौतम की शर्ट निकालती हुई - मेहनत तो बहुत हुई है गौतम सिर्फ ऊपर ही नहीं नीचे भी.. पर मेरी मर्ज़ी से पहली बार होगी..
गौतम सलमा की ब्रा खींचते हुए - फ़िक्र मत करो आपा.. आज कोई मादरचोद बीच में नहीं आने वाला.. उस दिन का अधूरा काम मैं आज पूरा कर दूंगा..
सलमा घुटनो पर बैठकर गौतम की जीन्स खोलते हुए - मैं तो कब से इस मोके का इंतजार कर रही थी गौतम.. कल की रात मैंने कैसे निकाली है क्या कहु..
गौतम सलमा के बाल पकड़कर अपनी चड्डी नीचे सरकाते हुए - सब्र का फल नमकीन होता है सलमा आपा.. लो टेस्ट करो.. ये कहते हुए गौतम ने अपना हथियार सलमा के मुंह में डाल दिया और सलमा आंखें फाड़ कर सिर्फ गौतम के हथियार को देखने लगी जो इस वक्त आधा उसके मुंह में घुसा हुआ था.
गौतम ने सलमा को रिएक्ट करने का कोई मौका नहीं दिया और सीधा उसके मुंह में अपना हथियार डालकर अपना हथियार सलमा से चूसाने लगा. सलमा भी हैरानी से चकित होकर सोच में पड़ गई कि गौतम का हथियार इतना बड़ा कैसे हुआ और वह यही सोचते हुए गौतम का हथियार चूस रही थी. गौतम तो बस सलमा की सर को अपने दोनों हाथों से पकड़ कर उसके मुंह में अपना हथियार जोर-जोर से आगे पीछे कर रहा था औऱ इस पल का आनंद उठा रहा था.
गौतम ने कुछ देर बाद अपना सारा वीर्य सलमा के मुंह में छोड़ दिया और सलमा उसे पीती हुई हांफ कर उसी तरह बैठी रही..
गौतम अपने लंड को साफ करता हुआ सलमा से थोड़ा सा दूर हो गया और बेड पर बैठ गया सलमा अपने घुटनो से खड़ी होकर अपने पैरों पर आ गई और मुस्कुराते हुए अपने होंठो को साफ कर गौतम से बोली..
सलमा - तू तो पहले से बड़ा हो गया है गौतम..
गौतम - तेरा भी साइज़ दुगुना हो गया है आपा.. सच बताओ किस किस ने मेरी सलमा पर मेहनत की है.
सलमा गौतम के करीब आकर अपने सलवार का नाड़ा उसके हाथ में देती हुई - छोड़ ना गौतम.. अब किस किस नाम बताऊ तुझे? औऱ ये मुझे आपा मत बोल अब से सिर्फ सलमा..
गौतम नाड़ा खींचकर सलवार नीचे कर देता है औऱ सलमा को अपने ऊपर गिरा लेता है औऱ कहता है - तू मेरी पहली मोहब्बत है सलमा.. औऱ मुझे जानने का पूरा हक़ है कि मेरी पहली मोहब्बत कहा कहा किस किस से चुद चुकी है..
सलमा गौतम के ऊपर से उठ जाती है एक सिगरेट जलाकर कश मारती हुई गौतम से कहती है - गौतम क्या बताऊ तुझे.. मुझे सबसे पहले घर में अब्बू ने ही गन्दा कर दिया था.. जवानी जब अठरा साल पर पहुंची तो अम्मी का इन्तेकाल हो गया औऱ उसके बाद अब्बू ने मुझे कई बार गन्दा किया.. रोज़ नशे में रात रातभर मेरे ऊपर चढ़कर अब्बू अपनी हवस मिटाते थे.. ऐसा लगता था मैं उनकी बेटी नहीं बीवी हूँ..
गौतम सलमा का हाथ पकड़कर अपनी बाहों में जकड़ लेता है, उसे पीठ के बल बिस्तर में लेटा कर उसकी ब्रा उतार देता है औऱ सलमा के गोरे चुचो पर कड़क होकर खड़े हुए सलमा के काले चुचक अपने में लेकर चूसते हुए पूछता है..
गौतम - अब्बू के बाद?
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सलमा सिगरेट का कश लेकर गौतम को अपने चुचे चुसवाते हुए - जब अब्बू का मुझसे मन भर गया तो उन्होंने दूसरी शादी कर ली औऱ मेरा निकाह जावेद से करवा दिया.. सुहागरात को जब जावेद मेरे ऊपर चढ़ा तो उसे पता चल गया की मैं कुंवारी नहीं हूँ.. उसके बाद से वो हर बार मुझसे लड़ाई झगड़ा करता औऱ अलग अलग लड़कियों से बात करता आखिरी में उसने किसी औऱ जे चक्कर में मुझे तलाक दे दिया..
गौतम सलमा की चड्डी में हाथ डालकर उसकी चुत पकड़कर मसलते हुए - जावेद के बाद?
सलमा सिसकि लेकर सिगरेट का अगला कश लगाते हुए - जावेद से तलाक के बाद तो जैसे झड़ी लग गई लोड़ो की मेरी चुत में.. पहले रहने के लिए कमरा दिलाने वाला दलाल क़ासिम फिर कमरा देने वाला सोहन उसके बाद नौकरी दिलाने वाला राकेश औऱ अखिर में मेरा मैनेजर नीलेश.. एक बाद एक सबने मेरी इस चुत को अपनी मनमर्ज़ी से चोदा.. गांड को भी सलामत नहीं छोडा किसीने..
गौतम अपने मुंह से सलमा का चुचक निकालकर - मतलब मेरी मोहब्बत को कोठे की रांड समझकर मेरे अलावा सबने चोदा है.. तलाक़ के बाद वापस अब्बू के पास भी तो जा सकती थी..
सलमा - वहा जा कर कोनसी बच जाती वहा भी जाकर चुदना ही था..
गौतम हसते हुए - आदिल के साथ जब शराब लेने ठेके गया था तब तेरे अब्बू को देखा था मैंने.. उसने जिससे निकाह किया था वो लड़की अपने आशिक के साथ भाग गई.. तेरा अब्बू तो अब अकेला घर में हिलाता होगा अपना.. सुना है तेरे तलाक़ के बाद तेरा पता भी लगाने की कोशिश की थी उसने..
सलमा सिगरेट बुझाते हुए - मुझे ढूंढ़कर क्या मिलेगा अब्बू को..
गौतम - क्या पता तेरी वापस याद आ रही हो उसे.. एक बार जाकर मिल लो..
सलमा - मुझे किसी से नहीं मिलना..
गौतम सलमा की चुत पर आते हुए - तेरी मर्ज़ी..
ये कहते हुए गौतम सलमा की जांघों के जोड़ पर अपना मुंह लगा देता है और उसकी चुत को चाटने लगता है..
सलमा गौतम के बाल पकड़कर उसे अपनी चुत चटाते हुए - अह्ह्ह्ह... गौतम.. उफ्फ्फ.. मेरी जान..
गौतम अपने पूरे अनुभव और प्रयास के साथ सलमा की जांघो के जोड़ पर अपना मुंह लगते हुए उसे चूस और चाट रहा था जिसमें सलमा को कामसुख की प्राप्ति हो रही थी और उसके सिसकी आप कमरे में गूंजने लगी थी.. सलमा से रहा ना गया और उसने थोड़ी सी चुसाई के बाद ही अपना पानी गौतम के मुंह पर छोड़ दिया औऱ अपने हाथ से कपड़ा लेकर गौतम का मुंह साफ करने लगी..
गौतम - बता तो देती यार.. पुरे मुंह को नहला दिया तूने..
सलमा हस्ती हुई - सॉरी मेरी जान.. तूने इतनी प्यार से किया की मुझसे रहा ही नहीं गया.. ला मैं साफ कर देती हूँ..
गौतम का मुंह साफ करने के बाद शर्मा गौतम के ऊपर चढ़ गई और उसपर चढ़ते हुए उसका लंड अपनी चुत में सेट करके घुसा ने लगी मगर वह तुमने उससे ऐसा करने से रोक दिया और उससे कहा..
गौतम - इतनी भी क्या जल्दी है सलमा.. पहले मुझे तेरा वही डांस देखना है जिसके कारण मुझे तुझसे मोहब्बत हुई..
सलमा मुस्कुराते हुए - कोनसा डांस गौतम..
गौतम - वही जो तूने आफरीन के निकाह में किया था.. उसी गाने पर.. मैं सोंग प्ले करता हूँ..
गौतम उठकर सामने लगी हुई होटल की टीवी में अपना फोन कनेक्ट करके एक गाना प्ले करता है और सलमा जो की नंगी बिस्तर पर बैठी थी वह सामने आकर नाचने लगती है..
मेरे हाथों में नौ नौ चूड़ियां हैं
थोडा ठहरो सजन मजबुरियां है
मेरे हाथों में नौ नौ चूड़ियां हैं
थोडा ठहरो सजन मजबुरियां है
मिलन होगा अभी एक रात की दूरियां है
मेरे हाथों में नौ नौ चूड़ियां हैं
थोडा ठहरो सजन मजबुरियां है
गौतम नंगा बिस्तर पर बैठा हुआ अपने लंड को अपने हाथ में लेकर हिलाता हुआ अपने सामने नाच रही नंगी सलमा के हिलते चुत्तड़ औऱ चुचे देखकर कामुक हो रहा था.. सलमा बिना किसी शर्म लिहाज़ के गौतम के सामने नंगी अपने चुचे और अपने चूतड़ हिलाकर गाने की धुन पर ऐसे नाच रही थी जैसे वो कोई हीरोइन हो बॉलीवुड की..
लम्बी लम्बी ते काली काली रातों में
काहे चूड़ियां खनकती है हाथों में
लम्बी लम्बी हो लम्बी ते काली काली रातों में
काहे चूड़ियां खनकती है हाथों में
ना आना तू निगोड़ी चूड़ियों की बातों में
लम्बी लम्बी ते काली काली रातों में
सलमा का नाच देखकर गौतम खड़ा हो जाता है औऱ अपना खड़ा लंड लेकर सलमा के साथ हल्का सा ठुमका लगाते हुए नाचने लगता है..
ले जा वापस तू अपनी बारात मुंडेया
मैं नइ जाना नइ जाना तेरे साथ मुंडेया
ले जा वापस हो ले जा वापस तू अपनी बारात मुंडेया मैं नइ जाना नइ जाना तेरे साथ मुंडेया
सतायेगा जगायेगा तू सारी रात मुंडेया
गौतम सलमा को अपनी बाहों में भरके बिस्तर पर पटक देता है औऱ उसके ऊपर चढ़ता हुआ सलमा के गर्दन औऱ चुचे चूमने लगता है.. मगर सलमा गौतम को पलट देती है, उसके ऊपर चढ़ जाती है औऱ काऊगर्ल पोजीशन में बैठके गाने के हूबहू भाव अपने चेहरे पर लाकर गौतम को देखते हुए गाने की धुन के साथ हल्का नाच दिखाते हुए अपने चुचे पकड़कर गाती है..
मेरे दर्जी से आज मेरी जंग हो गई
कल चोली सिलाई आज तंग हो गई
करे वो क्या तू लड़की थी अब पतंग हो गई
तेरे दर्जी से आज तेरी जंग हो गई
सलमा इसके आगे गौतम के दोनों हाथ पकड़कर अपने बूब्स पर रख लेती औऱ आगे गाने के साथ गाती हुई गौतम के साथ पलटने लगती है..
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मेरे सैयां किया ये बुरा काम तूने
कोरे कागज पर लिख दिया नाम तूने
कहीं का भी नहीं छोड़ा मुझे है राम तूने
मेरे सैयां किया ये बुरा काम तूने
मेरे हाथों में नौ नौ चूड़ियां हैं थोडा ठहरो सजन मजबुरियां है मिलन होगा अभी एक रात की दूरियां है मेरे हाथों में नौ नौ चूड़ियां हैं
थोडा ठहरो सजन मजबुरियां है
गौतम गाना ख़त्म होने के साथ ही सलमा को पलट देता है औऱ मिशनरी में आते हुए एक झटके में अपना लहंद सलमा की चुत में घुसाकर उसके होंठो को अपने होंठों में गिरफ्तार करते हुए सलमा की चुदाई शुरू कर देता है.. सलमा की खुली हुई चुत में गौतम का लंड खलबली मचाता हुआ चला गया था औऱ पहले झटको में ही सलमा इसे समझ गई थी आज उसकी चुत भोसड़ी में बदल जायेगी..
सलमा हर झटके पर आहे भरते हुए गौतम को अपने अंदर खींचने लगी थी औऱ उसके होंठों से होंठ लगाकर मुंह का रसपान करते हुए अपनी चुदाई का वो सुख भोग रही थी जो उसे पहली बार अपनी मर्ज़ी से मिल रहा था.. सलमा को अच्छे से पता था की अब उसकी चुत चुत नहीं भोसड़ा बनने वाली है..
मिशनरी के बाद घोड़ी बनकर सलमा गौतम के आगे झुकी हुई थी औऱ गौतम अपने चुदाई कला से सलमा को जीतने में लगा हुआ था औऱ इसमें उसने सफलता भी पा ली थी..
गौतम सलमा के बाल पकड़ कर उसे ऐसे चोद रहा था जैसे वो कोई दो टके की रंडी हो.. सलमा चुपचाप चुदाई का मज़ा लेटे हुए गौतम की हर बात माने जा रही थी..
गौतम ने सलमा का एक पैर हवा में उठा कर अपने कंधे पर ले लिया औऱ फिर उसका एक हाथ पकड़ के बिस्तर पर आड़ा पटक के चोदने लगा..
सलमा बस आहे भरने औऱ सिसकियाँ लेने के अलावा कुछ नहीं कर रही थी ऐसी चुदाई उसकी आज तक नहीं हुई थी औऱ अब उसे गौतम से इश्क़ हो चूका था.. सलमा गौतम को देखते हुए उससे चुदवा रही थी औऱ उसकी आँखों में गौतम के लिए अब प्यार औऱ परवाह झलकने लगी थी..
गौतम ने थोड़ी देर इसीलिए तरह सलमा को चोदकर उसे अपने ऊपर ले लिया औऱ नीचे से झटके मारते हुए चोदने लगा
सलमा दो बार झड़ चुकी थी मगर अब भी चुदाई चालू थी सलमा की कामुकता उफान पर..
सलमा - गौतम तू तो कमाल है.. उफ्फ्फ... आज तो हलात ही ख़राब कर दी तूने..
गौतम - पहली मोहब्बत है तू सलमा.. मेरा लंड तो बैठने का नाम ही नहीं ले रहा..
सलमा - चोद गौतम.. आहहह..
गौतम ने सलमा को गोद में उठाकर अच्छे से चोदते हुए अपना माल सलमा की चुत में भर दिया औऱ उसे kiss करता हुआ बोला..
गौतम - लोग कहते है किसीको अपनी पहली मोहब्बत नहीं मिलती.. गलत कहते है साले.. मुझे आज मिल गई..
सलमा - अपनी चुदी हुई मोहब्बत पाकर तू इतना खुश है.. काश मैं अपनी पहली चुदाई तेरे साथ कर पाती..
गौतम - पुरानी बातों को भूल जा सलमा औऱ अब से अपना ये खज़ाना किसी औऱ को मत देना..
सलमा - तू जैसा कहेगा वैसा ही करुंगी मेरी जान..
गौतम - मेरी माने तो सलमा तू वापस अपने अब्बू के पास चली जा.. वहा तेरा अपना घर है.. इस तरह रहने की क्या जरुरत?
सलमा - पर गौतम.. अब्बू..
गौतम - अपने अब्बू से बोल घर बेचकर शहर के किसी दूसरे हिस्से में घर ले ले औऱ वहा तुझसे निकाह करके रहे..
सलमा - अब्बू औऱ मेरा निकाह? ये कैसे मुमकिन है?
गौतम - सलमा किसी को कुछ नहीं पता चलेगा.. तू चाहे तो तेरे अब्बू से मैं बात करता हूँ.. मैं तुझे उस तरह हर किसी के आगे रंडी जैसे झुकते हुए नहीं देख सकता..
सलमा - ठीक है लेकिन मैं बच्चे सिर्फ तेरे ही पैदा करुँगी..
गौतम - उसकी चिंता तू मत कर सलमा.. ये कहते हुए गौतम फिर से सलमा को बिस्तर पर पटक देता है औऱ वापस फिर से उसकी चुदाई शुरू कर देता है औऱ वापस अपना सारा माल उसकी चुत में भरके होटल से वापस आ जाता है..
Emotional kar diya......
Kisi ki yad dila diya....
Jaha Raha, Jiska sath raha....
Kush raha oh....
Huma Jinda chor ka, humara Jan la gaya....
Tum ko na bhula payan ga....
Par koshis pura karen ga....
Kisi din agar hui tumsa mulakat....
To nazro ma tumhari....
Khud ko dhunda karen ga....
Bhala hi piyar na mili tumhari....
Par Ashique khudko tumhari mana karen ga...
Tum agar vul vi jow...
To salamati ki tumhari....
Rab sa duwa karen ga ....
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