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moms_bachha

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Update 35

मैंने बुलाया तब नहीं आई.. अब किसकी शादी में आई हो?
मेरे बस में थोड़ी है आना जाना.. इस बार असलम लेके आया है मुझे..
अच्छा बताओ कोनसी जगह हो जयपुर में?
गौतम यहां खतरा है आने की सोचना भी मत..
तुझसे मिलने हर खतरा उठा सकता है तेरा आशिक रेशमा.. तू जगह बता..
बाबा समझो वहां सब लोग है जगह भी नहीं है मिलने की..
वो सब मैं देख लूंगा कुतिया तू अड्रेस सेंड कर.
अच्छा ठीक है पर दूर ही रहना यहां लोग बहुत खराब औऱ पुरानी सोच के है.. तेरे साथ मुझे भी सजा देंगे..
तू अड्रेस सेंड कर ना कुतिया.. औऱ किसीकी शादी में आ रहे हो तुम दोनों.. वो भी बताना..
ठीक है कुत्ते.. करती हूँ.. मुझे भी बहुत तलब है तुझे देखने की.. कल शाम को मिलती हूँ...

**************

सुमन कमरे में आती हुई - ग़ुगु? ग़ुगु?
गौतम बाथरूम से - हां माँ?
सुमन - सुबह तो नहाया था बेटा अब क्यों नहा रहा है फिर से..
गौतम - कहीं जाना है..
सुमन - अब कहा जाना है तुझे? कल पूरा दिन बाहर था घर से... आज वापस जाना है?
गौतम - अरे माँ कल तो सारा टाइम चिंटू भईया के साथ दूकान पर था.. आप उनसे पूछ लो..
सुमन - अच्छा ठीक है.. वैसे जाना कहा है.
गौतम - एक स्कूल फ्रेंड के यहां.. कल अचनाक मिल गया था.. उसने बुलाया है उसकी बहन की शादी है आज..
सुमन - अच्छा.. लड़की की शादी है.. कहा है शादी.. कोनसी जगह है?
गौतम - उनके घर पर है.. हबीबगंज में.. बेचारा गरीब दोस्त है माँ..
सुमन - अपने से भी ज्यादा गरीब है?
गौतम - बहुत ज्यादा..
सुमन - तो फिर लड़की को कुछ अच्छा तोहफा देकर आना.. कंजूसी मत करना..
गौतम बाथरूम का दरवाजा खोलकर सुमन का हाथ पकड़ते हुए उसे अंदर खींचकर - आप भी चलो..
सुमन - मुझे नहीं जाना.. तू ही जा.. औऱ बेशर्म कम से कम चड्डी तो पहन ले..
गौतम सुमन को बाहों में भरके - चड्डी पहन कर कौन नहाता है माँ..
सुमन - अरे छोड़ ग़ुगु.. गिला करेगा क्या मुझे भी?
गौतम - मैं तो कब से कहना चाहता हूँ माँ आप ही मना कर रही हो..
सुमन अपने आप को छुड़ाकर - चाय लेले.. बाहर टेबल पर रखी है.
गौतम - माँ हर बार चाय दोगी क्या? कभी अपनी चुत भी दे दो..
सुमन गौतम के गाल पर हलकी सी चपत लगाकर बाथरूम से बाहर जाते हुए - घर में सबकी चुत मिल तो रही है तुझे.. मेरी मारके क्या करेगा..
गौतम - सबमे औऱ आपमें फर्क है माँ..
सुमन अलमीरा से कपडे निकाल कर - क्या फर्क है? जैसे उन सबकी है वैसी मेरी है..
गौतम तौलिये से सर के गीले बाल पोंछता हुआ - तो फिर दे क्यों नहीं देती? कब से तड़पा रही हो.. औऱ क्या निकाला है? मैं सूट पहन कर नहीं जाऊँगा..
सुमन - अच्छा लगेगा तुझपर ग़ुगु..
गौतम तौलिये से बदन पोंछकर बेड पर ड़ालते हुए - अरे मुझे अजीब लगेगा यार माँ..
सुमन - ठीक ये कोट रहने दे.. अब खुश?
गौतम चड्डी पहनते हुए - ठीक है.. ये बेस्ट है..
सुमन जूते निकाल कर - ग़ुगु.. माधुरी से बात की तूने?
गौतम कपडे पहनते हुए - हाँ कल बात की थी.. हमें अपने घर बुला रही थी छोटी माँ..
सुमन मुंह बनाते हुए - उसका घर कैसे हुआ?
गौतम बेड पर बैठकर - अरे छोडो ना माँ.. घर उनके नाम पर हो या आपके.. क्या फर्क पड़ता है.. छोटी माँ कह रही थी कि वही आकर रहना पड़ेगा आपको औऱ मुझे.. आपसे बात भी करना चाहती थी..
सुमन अलमीरा से परफ्यूम निकालकर गौतम को लगाते हुए - तो क्यों नहीं बात करवाई तूने? औऱ उस कमीनी की तो नज़र है ही तुझपर.. तभी तो मान गई.. उस कमीनी को तो छूने तक नहीं दूंगी तुझे..
गौतम - जलन हो रही है आपको?
सुमन परफ्यूम लगाकर - मुझे क्यों उस चुड़ैल से जलन होगी भला? ऐसा है ही क्या उसके पास?
गौतम - छोटा ग़ुगु है ना..
सुमन गुस्से में - असली कमीना तो तू है.. कितना प्यारा सा है मगर सबको पागल करके रखा हुआ है.. रूपा भी फ़ोन पर सिर्फ तेरी बातें करती रहती है..
गौतम अपनी माँ का हाथ पकड़ कर सुमन को अपनी गोद में लंड पर अच्छे से टिका कर बैठाते हुए - अच्छा क्या क्या बातें करती है रूपा मेरे बारे में..
सुमन - यही कि तू कब सोया कब उठा? क्या पहना? क्या खाया? ठीक है या नहीं.. तुझे पैसे की जरुरत है क्या? फलाना डिमखाना.. मैंने तो कल कह दिया.. अरे मैं माँ हूँ ग़ुगु की.. उसका ख्याल रखना आता है मुझे..
गौतम मुस्कुराते हुए - पापा के बारे तो बात नहीं की ना आप दोनों ने..
सुमन - तेरे पापा में ऐसा है ही क्या जो कोई उसके बारे में बात करेगा? अब जाने दे..
गौतम - इतनी भी क्या जल्दी है माँ बैठी रहो ना कुछ देर..
सुमन - तू मुझे सारी रात भी अपने लंड पर बैठा के रखेगा तो भी चुदने के लिए हाँ नहीं करुँगी.. समझा? (होंठ चूमकर) तू मेरा बेटा है औऱ बेटा ही बनकर रहना पड़ेगा तुझे..
गौतम खड़ा होते हुए - माँ आप ना.. अपनी चुत पर ताला लगवा लो.. किसीको देनी तो है नहीं आपको..
सुमन हसते हुए गौतम को बाहो में भरके चूमती हुई - तू ही ले आ बाजार से एक ताला खरीद कर औऱ लगा दे अपनी माँ की चुत पर..
गौतम सुमन को पीछे करते हुए - छोडो यार माँ.. जाने दो..
सुमन मुस्कुराते हुए अपनी साडी उठाकर चूत दिखाती हुई - गुगु.. सुसु आ रहा है..
गौतम मुस्कुराते हुए सुमन को बेड पर धकेल कर उसकी चुत पर अपने होंठ लगाते हुए चूसने लगता है.. औऱ सुमन गौतम के बाल पकड़ कर उसके मुंह में मूत देती है मगर मूत पीने के बाद भी गौतम सुमन की चुत से अपना मुंह नहीं हटाता औऱ सुमन की चुत चाटने लगता है जिससे सुमन कामुक होती हुई अपनी चुत अपने बेटे को चुसवाने लगती है औऱ कुछ देर की चूसाईं के बाद अपना माल भी गौतम के मुंह में छोड़ देती है..
गौतम माल पीकर मुंह साफ करते हुए - सुबह क्या मूली खाई थी आपने.. कितना अजीब टेस्ट था आज आपकी चुत का..
सुमन गौतम की बात पे हसकर कमरे से जाते हुए - खाई नहीं थी ग़ुगु घुसाईं थी मैंने तो..
गौतम हैरानी से - अच्छा ज़ी.. अब ये सब करने लगी हो आप..
सुमन दरवाजे पर जाकर - क्यों.. नहीं कर सकती मैं?
गौतम पानी पीते हुए - कर सकती हो आपके नसीब में खीरे मूली ही है.. छोटी माँ के नसीब में है छोटा ग़ुगु तो..
सुमन गुस्से में - तेरी छोटी माँ की चिटनी बना दूंगी अगर अब मेरे छोटे ग़ुगु को हाथ भी लगाया तो..
गौतम सुमन की चुची पकड़कर उसको दरवाजे से हटाते हुए - वो तो आप जानो औऱ छोटी माँ जाने.. अभी मुझे जाने दो.. वरना आप इतनी सेक्सी लग रही हो मैं कोई काण्ड ना कर दू आज.. फिर उस न्यूज़ पेपर में हमारी न्यूज़ आ जाएगी..
सुमन प्यार से हसते हुए - ठीक है जा.. अपना ख्याल रखना..
गौतम जाते हुए - ठीक है..

***********
(रेशमा 23)
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कहाँ तक पहुंची कुतिया?
क्या बताऊ यार रास्ते में बाइक खराब हो गई असलम की.. कब से यहां खड़े है..
असलम क्या कर रहा है?
क्या करेगा साला.. बाइक को देख रहा है औऱ सही करने में लगा हुआ है..
अड्रेस बता कुतिया.. कहा खड़ी है.. मैं निकल चूका हूँ घर से..
अरे ये vip रोड पर मदन स्वीट्स के पास.. पर तू यहाँ आके क्या करेगा?
तेरी चुत में उंगली करूंगा कुतिया..
असलम - फोन में क्या लगी हुई है बहनचोद.. इस वायर को पकड़ एक बार.. लगता है वायर में कुछ प्रॉब्लम है..
रेशमा आगे आकर वायर पकड़ती हुई - मैंने कहा था बस से चलते है पर आप नहीं माने..
असलम झाल्लाते हुए - तेरी माँ को चोदू रंडी.. मुंह बंद रखा कर अपना..
रेशमा बड़बड़ाते हुए - चोदने के लिए खड़ा भी होना चाहिए.. हिजरे..
असलम - क्या बोली?
रेशमा - कुछ नहीं.. ज्यादा बिगड़ गई है बाइक? अब क्या करें?
असलम - क्या करें क्या.. तू यही खड़ी रह.. मैं मैकनीक लेके आता हूँ..
रेशमा - मुझे अकेला छोड़ के जाओगे?
असलम - साली कोनसी सुनसान जगह है जो तू इतना डर ही है? खड़ी रह.. चुपचाप..
असलम इधर उधर घूमके वापस आ जाता है उसे कोई मकेनिक की शॉप नहीं मिलती..
रेशमा - क्या हुआ?
असलम गुस्से - होना क्या है.. आज साली तेरी शकल देख ली सुबह सुबह.. दिन तो खराब जाना ही था.. अब इसे हाथों से ले जाना पड़ेगा जब तक कोई मकेनिक नहीं मिल जाता..
असलम बाइक खींचकर ले जाते हुए औऱ रेशमा बैग हाथ में पकड़कर साथ चलते हुए..
रेशमा - अब्बू से बोलके इतनी अच्छी औऱ महंगी बाइक दिलवाई थी दहेज़ में मगर आपने 3-4 साल में ही बाइक की हालात ऐसी कर दी जैसे 20 साल पुरानी हो.. अपनी दारु औऱ ऐयाशी का पूरा ख्याल रहता है मगर कब बाइक की सर्विस करवानी है कब तेल बदलवाना है वो याद नहीं रहता...
असलम - बहन की लोड़ी.. मुंह बंद रख अपना.. वरना सडक पर ही पिटेगी तू..
रेशमा - औऱ कर भी क्या सकते हो आप.. औऱ कुछ तो होता नहीं है..
असलम गुस्से में बाइक गिराते हुए - साली रंडी जब से तू मिली तब से जिंदगी दोज़ख हो गई है.. एक लफ्ज़ औऱ बोला तो यही तलाक़ दे दूंगा..
रेशमा इस बार कुछ नहीं बोलती औऱ असलम वापस बाइक उठाने लगता है की साइड में एक कार आकर उनके पास रूकती है..
गौतम कार का शीशा नीचे करके असलम से - भाईजान ये हबीबगंज कहा पड़ेगा..
असलम गौतम को देखकर - यहां से एक घंटा दूर है.. आगे टूटी पुलिया से लेफ्ट हो जाना..
गौतम मुस्कुराते हुए - बाइक बिगड़ गई है?
असलम - हाँ.. लगता है वायर टूट गया है.. स्टार्ट नहीं हो रही..
गौतम कार से उतरकर - तो कोई मकेनिक क्यों नहीं बुला लेते..
असलम - आस पास कोई मकेनिक नहीं है.. मैं देख चूका हूँ..
गौतम - अरे यार कहा तुम बाबा आदम के जमाने में ज़ी रहे हो.. ये अप्प है ना.. इसमें आप अपनी लोकेशन डाल कर मकेनिक को यही बुला लो.. इस तरह कहा तक इस बाइक को खींच कर ले जाओगे..
असलम - भाईजान मेरा पुराना फ़ोन है आप ही मकेनिक को बुला दीजिये..
गौतम - पर भाईजान मुझे शादी में जाना है..
असलम - भाईजान.. हमें भी हबीबगंज ही जाना है.. मकेनिक आते ही आप चले जाना..
रेशमा मुस्कुराते हुए - कर दीजिये ना मदद.. आपको सबाब मिलेगा..
गौतम असलम से - अब भाभी ज़ी कह रही तो मैं बुला देता हूँ मकेनिक को..
असलम - वैसे आप हबीबगंज में किसके यहां जा रहे है..
गौतम - वो रहमत मिया है ना..
असलम - हाँ अलीगढ वाले..
गौतम - हां वही.. उनकी लड़की से मेरे दूर के भाई का निकाह है आज.. वैसे तो बाराती हूँ पर बारात से अलग ही जा रहा हूँ..
असलम हसते हुए - अरे भाईजान.. क्या इत्तेफाक है.. हम भी वही जा रहे है.. रहमत मिया मेरे खालू के भाई है.. उनकी लड़की के निकाह में शरीक होने के लिए ही हम जा रहे थे.. वो भी क्या इत्तेफाक करता है..
गौतम - सच में भाईजान.. अच्छा आओ.. कब तक यहां खड़े रहोगे.. गाडी में बैठ जाओ.. लाओ भाभी ज़ी बेग मैं रख देता हूँ..
रेशमा - सुक्रिया..
असलम गौतम के साथ कार में आगे बैठ जाता है औऱ रेशमा पीछे..
गौतम गाडी का ac बढ़ा देता है..
गौतम गाडी में गाने चलाते हुए..
असलम - आप ये अंग्रेजी गाने समने के शौकीन है?
गौतम - नहीं ये तो fm चल गया.. मैं गज़ले सुनने का शौकीन हूँ.. आप अपनी तरफ से उस रेक को ओपन कीजिये उनमे पेन ड्राइव पड़ी होगी..
असलम रेक ओपन करते हुए पेन ड्राइव निकालकर गौतम को दे देता है औऱ रेक में रखी हुई एक शराब की खाली बोतल देखकर कहता है - कमाल है भाईजान सब भरी हुई शराब की बोतल गाडी में रखते है आप खाली रखते है..
गौतम कोई ग़ज़ल लगाकर - अरे ये तो पहले की है फेंकना भूल गया शायद.. फेंक दीजिये..
असलम बोतल फेंककर - वैसे आपने नाम तो बताया ही नहीं अपना?
गौतम एक दम से सोचकर - ग़ालिब..
असलम हसते हुए - तालिब सुना है भाईजान पर ग़ालिब?
गौतम मुस्कुराते हुए बैक मीरर में रेशमा का चेहरा देखकर - अब क्या करे साहेब.. अपनों मेरा नाम मिर्ज़ा रखा औऱ दुनिया वालों ने ग़ालिब.. तो बन गया मैं मिर्ज़ा ग़ालिब..
असलम - शेरो शायरी के भी शौकीन लगते है..
गौतम - बेशक़.. लिखते भी औऱ सुनते भी है.. आपका नाम?
असलम - असलम..
गौतम - अच्छा शायद आपका मकेनिक आ गया..
गौतम औऱ असलम गाडी से उतरकर - हां यही बाइक है..
मकेनिक गाडी चेक करके - इसका तो इंजन बैठा हुआ है भाईजान? पूरा खोलना पड़ेगा..
असलम - अरे ऐसे कैसे इंजन बैठ गया..
मकेनिक - लास्ट बार सर्विस कब करवाई थी?
असलम - यही कुछ 2-3 महीने पहले..
मकेनिक - औऱ ओइल चेंज?
असलम - उसका पता नहीं वो भी शायद 4-5 महीने पहले करवाया था..
मकेनिक - महीने में कितना चलती है बाइक?
असलम - पता नहीं.. चलती होगी 3-4 हज़ार किलोमीटर..
मकेनिक हसते हुए - तो क्या टायर बैठेगा? भाईजान किस्मत अच्छी है आपकी.. बाइक अभी तक चल रही थी.. वरना जैसे आप बता रहे हो ये तो कब का हो जाना चाहिए था. हर चीज का ख्याल भी रखना जरुरी है..

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रेशमा - अपने अलावा किसी औऱ का ख्याल हो तो ना..
असलम रेशमा को घूरते हुए - अच्छा छोड़ दो.. हम देख लेंगे..
गौतम - क्या देखोगे असलम मिया? मकेनिक ठीक कह रहा है.. अब इंजन बैठ गया तो बैठ गया.. ले जाने दो बाइक कल बनाके दे देगा..
असलम - अरे नहीं.. मैं अच्छे से जानता हूँ इन लोगों को.. लम्बा चौड़ा बिल बना के दे देंगे..
गौतम - अरे उसकी चिंता आप क्यों करते है.. आप औऱ हम तो सम्बधी है.. भाई तुम ले जाओ बाइक औऱ पूरी नई करके दो.. जो खर्चा होगा मुझसे लेना..
असलम - पर ग़ालिब भाई..
गौतम - अरे छोडो ना.. बिगड़ी हुई बाइक कहा कहा लिए फिरोगे मिया.. निकाह है.. चलकर एन्जॉय करते है.. देखो आपके चक्कर में बेचारी भाभी कब से ऐसे ही खड़ी है.. चलो साथ में चलते है..
गौतम औऱ असलम वापस गाडी मैं बैठ जाते है औऱ रेशमा भी बैठ जाती है..
असलम - ग़ालिब भाई अब रुखा सफर न कटने पायेगा.. कुछ गला गिला किया जाए..
गौतम असलम को देखकर - पर भाभी..
असलम - अरे रेशमा क्या बोलेगी... औऱ अब नहीं लेंगे तो कब लेंगे..
गौतम आगे ठेके पर गाडी रोककर - बताओ असलम मिया क्या पीना पसंद करोगे?
असलम - तुम ही कुछ पीला दो ग़ालिब भाई.. हम तो देसी से विलायेति सब पी जाते है..
गौतम - ठीक है..
गौतम गाडी से उतर जाता है औऱ ठेके पर जाकर एक ब्लैक डॉग की बोतल औऱ पानी ले आता है औऱ असलम को बोतल देकर कहता है..
गौतम वापस धीरे धीरे गाडी चलता हुआ - लो असलम मिया करो शुरुआत..
असलम दो पेग बनाकर - लो ग़ालिब भाई..
असलम औऱ गौतम पेग को चिर्स करके पिने लगते है..
असलम - भाई आज तो मज़ा आ गया आपसे मिलके..
गौतम रेशमा को मीरर से देखकर - मुझे भी..
असलम - अच्छा आप बता रहे थे कुछ लिखते हो.. हमें भी सुनाओ कुछ..
गौतम पेग ख़त्म करके - अजी बस थोड़ा बहुत कोशिश करके है..
असलम द्वारा पेग बनाकर देते हुए - थोड़ा बहुत ही सुना दो यार..
गौतम गाडी सडक के किनारे लगाकर - हम्म्म... तो लिखा है..
कोई हसीन दिलरुबा आँखों में घर कर गई..
असलम - वाह.. क्या लिखा है ग़ालिब भाई..
गौतम - शुक्रिया मिया..
कोई हसीन दिलरुबा आँखों में घर कर गई..
इश्क़ की मिठास वो दिल में उतरकर भर गई
असलम - वाह्ह.. क्या मिसरा कहा है ग़ालिब भाई..
गौतम - बहुत शुक्रिया भाई..
असलम - आगे सुनाइए..
गौतम - सुनिये..
कोई हसीन दिलरुबा आँखों में घर कर गई..
इश्क़ की मिठास वो दिल में उतरकर भर गई
सोचा कि उसको चुम लूँगा अगली मुलाक़ात में
वो पारियों की शहजादी चूमके होंठ ही कुतर गई
असलम - अरे वाह ग़ालिब भाई.. मान गए आपको..
गौतम रेशमा को देखकर -शुक्रिया.. आपको केसा लगा भाभी..
रेशमा मुस्कुराते हुए - अभी कहा कुतरा है.. कुतरना तो अभी बाकी है..
असलम - लो ग़ालिब भाई..
गौतम - भाई अब रहने दो.. वरना सब कहने लगेंगे.. शराबी आ गए..
असलम हसते हुए - ये आखिरी है ग़ालिब मिया लो..
एक शेर मेरा भी सुनो..
गौतम पेग लेते हुए - इरशाद..
असलम - तो शेर कुछ ऐसा है..
मैं नहीं हूँ वो जिसकी तुम्हे तलाश है
कुछ नहीं है मेरे पास सिर्फ ये गिलास है
इस गिलास में घुले हुए है मेरे दर्द औऱ ग़म
औऱ पीछे बैठी हुई ये गले में चुबती फांस है
गौतम हसते हुए - लगता है भाभी प्यार नहीं करती आपसे..
रेशमा - प्यार करने लायक़ हो भी तो..
असलम नशे में - सिगरेट है आपके आप?
गौतम - रेक में देखो..
असलम सिगरेट जलाते हुए - एक औऱ सुनो..
ऊगा लूंगा मैं भी फसल जमीन को खोद कर
बना दूंगा तस्वीर इस कागज पे कलम गोद कर
(रेशमा को देखकर)
मेरी जान की दुश्मन बस इतनी बात बता मुझे
तेरे बाप को क्या मिला मेरी अम्मी चोद कर..

गौतम हसते हुए - अरे असलम मिया.. ये क्या था..
असलम - किसी से सवाल था ग़ालिब मिया..
रेशमा - मुझे गाना चलाना है..
गौतम - भाभी फ़ोन कनेक्टेड है आप इसमें चला लो.. चल जाएगा..
असलम नशे में - गाना क्यों चलाना है तुझे..
रेशमा - सवाल का जवाब नहीं चाहिए?
रेशमा गाना चला देती है.. मेरा बुढ़ा बलम करें छेड़खानी.. मेरी चढ़ती जवानी मांगे पानी पानी..
गाना सुनकर असलम का मुंह उतर जाता है..
गौतम हसते हुए - अच्छा बहुत हो गया असलम मिया.. चलो अब चलते है..
असलम गाना बंद करके - ठीक है ग़ालिब भाई..
गौतम गाडी चलाकर शादी वाली जगह ले आता है..

गौतम - लगता है बारात आ चुकी है..
असलम नशे में - हाँ.. आ गई है.. चलिए..
गौतम असलम औऱ रेशमा के साथ गाडी से उतारकर बाहर आ जाता है औऱ शादी वाले घर में आ जाता है जहा बहुत भीड़ थी औऱ घर छोटा था.. पीछे खाली प्लाट पर तम्बू खड़ा करके बारात का स्वागत चल रहा था..
असलम गौतम से - अरे ग़ालिब भाई आप कहा जारहे हो.. चलो ऊपर चलते है.. असलम गौतम को छत पर ले आता है..
गौतम - अरे असलम मिया आप तो इसे भी साथ ले आये..
असलम - इसके बिना कैसे काम चलेगा.. अभी तो आधी भी खाली नहीं हुई.. एक एक पेग औऱ पीते है फिर नीचे जाके dj पर तहलका मचाते है..
गौतम - ठीक है मिया बनाओ पर मेरा वाला पेग बिलकुल लाइट रखना..
गौतम पीछे नीचे की तरफ तम्बू में स्टेज के पास किसी को देखकर फ़ोन करता है..
गौतम - गांडु ऊपर देख..
आदिल ऊपर गौतम को देखता हुआ - अबे साली रंडी तू यहां क्या कर रहा है..
गौतम थोड़ा दूर जाकर - असलम के साथ आया हूँ.. मेरा नाम मिर्जा ग़ालिब बताया है असली नाम मत बताइयो उसे.. आजा ऊपर जल्दी..
आदिल - आता हूँ रंडी..
गौतम - पानी की ठंडी बीतल भी ले आइओ..
असलम - क्या हुआ भाई किस्से बात कर रहे थे..
गौतम - अरे एक दोस्त था.. पानी की बोतल मगवाई है ठंडी.. आ रह है.. आप तो नीट ही बनाने लगे..
असलम - अरे क्या फर्क पड़ता है ग़ालिब भाई..
गौतम - पक्के शराबी हो मिया..
आदिल पानी की बोतल रखकर - क्या हाल है जीजा ज़ी..
असलम - तू भी आया है..
आदिल - हाँ अकेला आया था.. सब घर पर ही है.. आपा कहा है..
असलम नशे में - नीचे होगी कहीं, मुझे क्या मालूम..
गौतम - अच्छा आप लोग बैठो आता हूँ.. आदिल के कान में - पीला पीलाके भंड कर दे मादरचोद को..
आदिल इशारे से - ठीक है..
गौतम नीचे चला जाता है औऱ आदिल बड़े बड़े पेग बनाकर असलम को पिलाने लगता है...

गौतम नीचे आ जाता है औऱ रेशमा को ढूंढने लगता है मगर उसे रेशमा कहीं नहीं नज़र आती.. गौतम जब रेशमा को कॉल करता है तो रेशमा कॉल नहीं उठती औऱ व्हाट्सप्प पर massage करती है.. अभी नहीं उठा सकती..
गौतम बदले में कहता है - औऱ कितना तड़पायेगी.. कुतिया..
रेशमा इस बार अपनी लाइव लोकेशन भेज देती है औऱ massage करती है आजा मेरे कुत्ते मेरे पास..
गौतम लाइव लोकेशन देखकर चल पड़ता है..
गौतम शादी के घर से थोड़ा दूर एक सुनसान मकान के पीछे उस लाइव लोकेशन को देखता हुआ आ जाता है औऱ उस खाली मकान में आकर इधर उधर देखने लगता है.. अंदर में उसे कुछ नहीं दीखता मगर कोई उसका हाथ पकड़ कर खाली मकान के एक कोने में ले जाता है औऱ गौतम हाथ की छुअन की कोमलता से समझ जाता है ये औऱ कोई नहीं बल्कि रेशमा ही है..
रेशमा सीधा गौतम के होठो पर टूट पडती है औऱ उसके होंठों से अपने होंठ से मिलाकर उसे बेतहाशा चूमने लगती है..
गौतम भी अँधेरे में रेशमा को होंठों को पूरी शिद्दत औऱ मोहब्बत के साथ चूमने लगता है..

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रेशमा चूमते हुए गौतम के लबों को दांतो से कुतरने लगती है औऱ गौतम को दर्द देती हुई उसके होंठों को खींच खींच कर गौतम को बेबाकी से अपने मुंह की मिठास औऱ लार के स्वाद से रूबरू करवा देती है..
गौतम आँख बंद करके रेशमा को अपनी बाहों में भरे हुए चूमता हुआ उसके पतले औऱ गुलाबी होंठों को अपने होंठों में भर भरके चूमता हुआ अपने हाथों से उसके बदन की उतार चढाव भरी नकाशी टटोलता है..
10-12 मिनट एकदूसरे को जमकर चूमने के बाद दोनों का चुम्बन किसी की आहट सुनकर टूट जाता है..
औऱ उनको ऐसा लगता है जैसे कोई आया है.. दोनों चुपचाप बाहर की तरफ देखते है जहा एक लड़का एक लड़की के साथ अभी अभी अंदर घुसा था.. गौतम औऱ रेशमा बिना किसी शोर के उनकी तरफ देखते है...

लड़का - मैं तुम्हारे बिना मर जाऊँगा शमा..
शमा - तू समझता क्यों नहीं नीरज.. मैं अगर तेरे साथ यहां से चली गई तो बबाल हो जाएगा.. मेरे अब्बू हमें जान से मार देंगे.
नीरज - बिछड़कर जीने से तो मर जाना अच्छा है शमा.. क्या हमने कसमे वादे इसीलिए खाये थे की एक दिन तू मुझे यूँ छोड़कर चली जाए? तू मुझे प्यार करती है ना.. तो क्यों किसी औऱ के साथ शादी कर रही है.. चल शमा में तुझे लेने आया हूँ..
शमा - तू समझता क्यों नहीं निरज.. आज मेरी शादी है कितनी बदनामी होगी हर जगह..
नीरज - तू बदनामी से डरती है.. मगर मुझसे बिछड़ने से नहीं.. क्या वो आदमी तुझे मुझसे ज्यादा खुश रख पायेगा? बोल जवाब दे..
शमा नीरज को चूमती है औऱ कहती है - मैं तुझे दिल औऱ जान से प्यार करती हूँ.. मगर तू ही बता ऐसे सब कुछ छोड़छाड़ कर भागना सही है? अब्बू अम्मी भाई सबकी नज़र शर्म से झुक जायेगी..
नीरज - उनकी नज़र शर्म से तब नहीं झुकी जब उन्होंने तुझसे 18 साल बड़े आदमी के साथ शादी तय कर दी.. बोल शमा? देख मैं तुझे लेने आया हूँ.. अगर तू मेरे साथ नहीं चली तो मैं यही अपनी जान दे दूंगा..
शमा रोते हुए - ज़िद मत कर नीरज.. जा यहां से.. मुझमे भागने की हिम्मत नहीं है.. मैं बहुत कमजोर हूँ..

इसबार रेशमा की चुडी की आवाज आ जाती है औऱ नीरज औऱ शमा को किसी के यहां होने की आहट मिल जाती है..
नीरज - कौन? कौन है वहा?
गौतम फ़ोन की फलेश लाइट सामने on करके - डरो मत.. हम दोनों शादी में आये..
रेशमा - शमा.. तू ये शादी नहीं करना चाहती?
शमा - मेरे चाहने से क्या होता है रेशमा आपा.. आज तक मेरी पसंद नापसंद घर में किसने सुनी है?
गौतम - देखो अगर तुम दोनों प्यार करते हो औऱ शादी करना चाहते हो तो मैं तुम्हारी मदद कर सकता हूँ..
शमा - पर अब्बू?
रेशमा - शमा मैं तेरे अब्बू को अच्छे से जानती हूँ.. वो अपने मतलब के लिए तेरा निकाल उस 38 साल के आदमी से करवाना चाहते है.. अभी भी मौका है..
नीरज - मैं कब से कह रहा हूँ शमा.. तुझे बहुत प्यार से रखूँगा.. चल मेरे साथ.. औऱ नहीं चलना तो ले इस पिस्तौल से मुझे गोली मार दे..
गौतम पिस्तौल छीनते हुए - अबे ये पिस्तौल कहा से खरीद लाया तू..
रेशमा - शमा पागल मत बन तेरी लाइफ का सवाल है..
शमा - ठीक है चलो.. मैं त्यार हूँ.. मगर तुम्हारे घरवाले क्या मुझे अपनाएंगे?
नीरज - नहीं अपनाएंगे तो मैं घर छोड़ दूंगा.. पर तुझे हमेशा अपने साथ रखूँगा.. चल रेशमा..
गौतम - अबे ओ मजनू.. घर छोड़ देगा तो रखेगा कहा लड़की को सडक पर? घरवालों से लड़ झगड़ मर घर में ही रखना.. रहता कहा है तू..
नीरज - अजमेर..
गौतम - अजमेर में कहा?
नीरज - पुराना चौखट.. गली नम्बर 22.. उलटे हाथ पर तीसरा मकान..
गौतम - विधयाक मालिराम है ना वहा का?
निरज - हां मालीराम खत्री है..
गौतम - नम्बर दे तेरे..
नीरज नम्बर देकर - अब चल शमा चलते है..
गौतम - मेरी बात सुन.. लड़की का ख्याल रखना.. पुलिस में है मेरा बाप.. इसपर जरा सी खरोच आई तो खानदान चोद के पटक दूंगा तेरा..
नीरज - प्यार करता हूँ अपनी जान से ज्यादा.. उम्र भर साथ रखूँगा..
गौतम - शमा अपनी सारी id औऱ डॉक्यूमेंट साथ लेकर जाना.. कोर्ट मैरिज में जरुरत पड़ेगी..
रेशमा - हाँ शमा..
शमा - नीरज मैं अभी घर जाती हूँ.. थोड़ी देर बाद तुझे बस स्टेण्ड पर मिलूंगी..
नीरज - मैं तेरा इंतजार करूंगा शमा.. शुक्रिया तुम्हारा..
दोनों चले जाते है..

 

ayush01111

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मैंने बुलाया तब नहीं आई.. अब किसकी शादी में आई हो?
मेरे बस में थोड़ी है आना जाना.. इस बार असलम लेके आया है मुझे..
अच्छा बताओ कोनसी जगह हो जयपुर में?
गौतम यहां खतरा है आने की सोचना भी मत..
तुझसे मिलने हर खतरा उठा सकता है तेरा आशिक रेशमा.. तू जगह बता..
बाबा समझो वहां सब लोग है जगह भी नहीं है मिलने की..
वो सब मैं देख लूंगा कुतिया तू अड्रेस सेंड कर.
अच्छा ठीक है पर दूर ही रहना यहां लोग बहुत खराब औऱ पुरानी सोच के है.. तेरे साथ मुझे भी सजा देंगे..
तू अड्रेस सेंड कर ना कुतिया.. औऱ किसीकी शादी में आ रहे हो तुम दोनों.. वो भी बताना..
ठीक है कुत्ते.. करती हूँ.. मुझे भी बहुत तलब है तुझे देखने की.. कल शाम को मिलती हूँ...

**************

सुमन कमरे में आती हुई - ग़ुगु? ग़ुगु?
गौतम बाथरूम से - हां माँ?
सुमन - सुबह तो नहाया था बेटा अब क्यों नहा रहा है फिर से..
गौतम - कहीं जाना है..
सुमन - अब कहा जाना है तुझे? कल पूरा दिन बाहर था घर से... आज वापस जाना है?
गौतम - अरे माँ कल तो सारा टाइम चिंटू भईया के साथ दूकान पर था.. आप उनसे पूछ लो..
सुमन - अच्छा ठीक है.. वैसे जाना कहा है.
गौतम - एक स्कूल फ्रेंड के यहां.. कल अचनाक मिल गया था.. उसने बुलाया है उसकी बहन की शादी है आज..
सुमन - अच्छा.. लड़की की शादी है.. कहा है शादी.. कोनसी जगह है?
गौतम - उनके घर पर है.. हबीबगंज में.. बेचारा गरीब दोस्त है माँ..
सुमन - अपने से भी ज्यादा गरीब है?
गौतम - बहुत ज्यादा..
सुमन - तो फिर लड़की को कुछ अच्छा तोहफा देकर आना.. कंजूसी मत करना..
गौतम बाथरूम का दरवाजा खोलकर सुमन का हाथ पकड़ते हुए उसे अंदर खींचकर - आप भी चलो..
सुमन - मुझे नहीं जाना.. तू ही जा.. औऱ बेशर्म कम से कम चड्डी तो पहन ले..
गौतम सुमन को बाहों में भरके - चड्डी पहन कर कौन नहाता है माँ..
सुमन - अरे छोड़ ग़ुगु.. गिला करेगा क्या मुझे भी?
गौतम - मैं तो कब से कहना चाहता हूँ माँ आप ही मना कर रही हो..
सुमन अपने आप को छुड़ाकर - चाय लेले.. बाहर टेबल पर रखी है.
गौतम - माँ हर बार चाय दोगी क्या? कभी अपनी चुत भी दे दो..
सुमन गौतम के गाल पर हलकी सी चपत लगाकर बाथरूम से बाहर जाते हुए - घर में सबकी चुत मिल तो रही है तुझे.. मेरी मारके क्या करेगा..
गौतम - सबमे औऱ आपमें फर्क है माँ..
सुमन अलमीरा से कपडे निकाल कर - क्या फर्क है? जैसे उन सबकी है वैसी मेरी है..
गौतम तौलिये से सर के गीले बाल पोंछता हुआ - तो फिर दे क्यों नहीं देती? कब से तड़पा रही हो.. औऱ क्या निकाला है? मैं सूट पहन कर नहीं जाऊँगा..
सुमन - अच्छा लगेगा तुझपर ग़ुगु..
गौतम तौलिये से बदन पोंछकर बेड पर ड़ालते हुए - अरे मुझे अजीब लगेगा यार माँ..
सुमन - ठीक ये कोट रहने दे.. अब खुश?
गौतम चड्डी पहनते हुए - ठीक है.. ये बेस्ट है..
सुमन जूते निकाल कर - ग़ुगु.. माधुरी से बात की तूने?
गौतम कपडे पहनते हुए - हाँ कल बात की थी.. हमें अपने घर बुला रही थी छोटी माँ..
सुमन मुंह बनाते हुए - उसका घर कैसे हुआ?
गौतम बेड पर बैठकर - अरे छोडो ना माँ.. घर उनके नाम पर हो या आपके.. क्या फर्क पड़ता है.. छोटी माँ कह रही थी कि वही आकर रहना पड़ेगा आपको औऱ मुझे.. आपसे बात भी करना चाहती थी..
सुमन अलमीरा से परफ्यूम निकालकर गौतम को लगाते हुए - तो क्यों नहीं बात करवाई तूने? औऱ उस कमीनी की तो नज़र है ही तुझपर.. तभी तो मान गई.. उस कमीनी को तो छूने तक नहीं दूंगी तुझे..
गौतम - जलन हो रही है आपको?
सुमन परफ्यूम लगाकर - मुझे क्यों उस चुड़ैल से जलन होगी भला? ऐसा है ही क्या उसके पास?
गौतम - छोटा ग़ुगु है ना..
सुमन गुस्से में - असली कमीना तो तू है.. कितना प्यारा सा है मगर सबको पागल करके रखा हुआ है.. रूपा भी फ़ोन पर सिर्फ तेरी बातें करती रहती है..
गौतम अपनी माँ का हाथ पकड़ कर सुमन को अपनी गोद में लंड पर अच्छे से टिका कर बैठाते हुए - अच्छा क्या क्या बातें करती है रूपा मेरे बारे में..
सुमन - यही कि तू कब सोया कब उठा? क्या पहना? क्या खाया? ठीक है या नहीं.. तुझे पैसे की जरुरत है क्या? फलाना डिमखाना.. मैंने तो कल कह दिया.. अरे मैं माँ हूँ ग़ुगु की.. उसका ख्याल रखना आता है मुझे..
गौतम मुस्कुराते हुए - पापा के बारे तो बात नहीं की ना आप दोनों ने..
सुमन - तेरे पापा में ऐसा है ही क्या जो कोई उसके बारे में बात करेगा? अब जाने दे..
गौतम - इतनी भी क्या जल्दी है माँ बैठी रहो ना कुछ देर..
सुमन - तू मुझे सारी रात भी अपने लंड पर बैठा के रखेगा तो भी चुदने के लिए हाँ नहीं करुँगी.. समझा? (होंठ चूमकर) तू मेरा बेटा है औऱ बेटा ही बनकर रहना पड़ेगा तुझे..
गौतम खड़ा होते हुए - माँ आप ना.. अपनी चुत पर ताला लगवा लो.. किसीको देनी तो है नहीं आपको..
सुमन हसते हुए गौतम को बाहो में भरके चूमती हुई - तू ही ले आ बाजार से एक ताला खरीद कर औऱ लगा दे अपनी माँ की चुत पर..
गौतम सुमन को पीछे करते हुए - छोडो यार माँ.. जाने दो..
सुमन मुस्कुराते हुए अपनी साडी उठाकर चूत दिखाती हुई - गुगु.. सुसु आ रहा है..
गौतम मुस्कुराते हुए सुमन को बेड पर धकेल कर उसकी चुत पर अपने होंठ लगाते हुए चूसने लगता है.. औऱ सुमन गौतम के बाल पकड़ कर उसके मुंह में मूत देती है मगर मूत पीने के बाद भी गौतम सुमन की चुत से अपना मुंह नहीं हटाता औऱ सुमन की चुत चाटने लगता है जिससे सुमन कामुक होती हुई अपनी चुत अपने बेटे को चुसवाने लगती है औऱ कुछ देर की चूसाईं के बाद अपना माल भी गौतम के मुंह में छोड़ देती है..
गौतम माल पीकर मुंह साफ करते हुए - सुबह क्या मूली खाई थी आपने.. कितना अजीब टेस्ट था आज आपकी चुत का..
सुमन गौतम की बात पे हसकर कमरे से जाते हुए - खाई नहीं थी ग़ुगु घुसाईं थी मैंने तो..
गौतम हैरानी से - अच्छा ज़ी.. अब ये सब करने लगी हो आप..
सुमन दरवाजे पर जाकर - क्यों.. नहीं कर सकती मैं?
गौतम पानी पीते हुए - कर सकती हो आपके नसीब में खीरे मूली ही है.. छोटी माँ के नसीब में है छोटा ग़ुगु तो..
सुमन गुस्से में - तेरी छोटी माँ की चिटनी बना दूंगी अगर अब मेरे छोटे ग़ुगु को हाथ भी लगाया तो..
गौतम सुमन की चुची पकड़कर उसको दरवाजे से हटाते हुए - वो तो आप जानो औऱ छोटी माँ जाने.. अभी मुझे जाने दो.. वरना आप इतनी सेक्सी लग रही हो मैं कोई काण्ड ना कर दू आज.. फिर उस न्यूज़ पेपर में हमारी न्यूज़ आ जाएगी..
सुमन प्यार से हसते हुए - ठीक है जा.. अपना ख्याल रखना..
गौतम जाते हुए - ठीक है..

***********
(रेशमा 23)
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कहाँ तक पहुंची कुतिया?
क्या बताऊ यार रास्ते में बाइक खराब हो गई असलम की.. कब से यहां खड़े है..
असलम क्या कर रहा है?
क्या करेगा साला.. बाइक को देख रहा है औऱ सही करने में लगा हुआ है..
अड्रेस बता कुतिया.. कहा खड़ी है.. मैं निकल चूका हूँ घर से..
अरे ये vip रोड पर मदन स्वीट्स के पास.. पर तू यहाँ आके क्या करेगा?
तेरी चुत में उंगली करूंगा कुतिया..
असलम - फोन में क्या लगी हुई है बहनचोद.. इस वायर को पकड़ एक बार.. लगता है वायर में कुछ प्रॉब्लम है..
रेशमा आगे आकर वायर पकड़ती हुई - मैंने कहा था बस से चलते है पर आप नहीं माने..
असलम झाल्लाते हुए - तेरी माँ को चोदू रंडी.. मुंह बंद रखा कर अपना..
रेशमा बड़बड़ाते हुए - चोदने के लिए खड़ा भी होना चाहिए.. हिजरे..
असलम - क्या बोली?
रेशमा - कुछ नहीं.. ज्यादा बिगड़ गई है बाइक? अब क्या करें?
असलम - क्या करें क्या.. तू यही खड़ी रह.. मैं मैकनीक लेके आता हूँ..
रेशमा - मुझे अकेला छोड़ के जाओगे?
असलम - साली कोनसी सुनसान जगह है जो तू इतना डर ही है? खड़ी रह.. चुपचाप..
असलम इधर उधर घूमके वापस आ जाता है उसे कोई मकेनिक की शॉप नहीं मिलती..
रेशमा - क्या हुआ?
असलम गुस्से - होना क्या है.. आज साली तेरी शकल देख ली सुबह सुबह.. दिन तो खराब जाना ही था.. अब इसे हाथों से ले जाना पड़ेगा जब तक कोई मकेनिक नहीं मिल जाता..
असलम बाइक खींचकर ले जाते हुए औऱ रेशमा बैग हाथ में पकड़कर साथ चलते हुए..
रेशमा - अब्बू से बोलके इतनी अच्छी औऱ महंगी बाइक दिलवाई थी दहेज़ में मगर आपने 3-4 साल में ही बाइक की हालात ऐसी कर दी जैसे 20 साल पुरानी हो.. अपनी दारु औऱ ऐयाशी का पूरा ख्याल रहता है मगर कब बाइक की सर्विस करवानी है कब तेल बदलवाना है वो याद नहीं रहता...
असलम - बहन की लोड़ी.. मुंह बंद रख अपना.. वरना सडक पर ही पिटेगी तू..
रेशमा - औऱ कर भी क्या सकते हो आप.. औऱ कुछ तो होता नहीं है..
असलम गुस्से में बाइक गिराते हुए - साली रंडी जब से तू मिली तब से जिंदगी दोज़ख हो गई है.. एक लफ्ज़ औऱ बोला तो यही तलाक़ दे दूंगा..
रेशमा इस बार कुछ नहीं बोलती औऱ असलम वापस बाइक उठाने लगता है की साइड में एक कार आकर उनके पास रूकती है..
गौतम कार का शीशा नीचे करके असलम से - भाईजान ये हबीबगंज कहा पड़ेगा..
असलम गौतम को देखकर - यहां से एक घंटा दूर है.. आगे टूटी पुलिया से लेफ्ट हो जाना..
गौतम मुस्कुराते हुए - बाइक बिगड़ गई है?
असलम - हाँ.. लगता है वायर टूट गया है.. स्टार्ट नहीं हो रही..
गौतम कार से उतरकर - तो कोई मकेनिक क्यों नहीं बुला लेते..
असलम - आस पास कोई मकेनिक नहीं है.. मैं देख चूका हूँ..
गौतम - अरे यार कहा तुम बाबा आदम के जमाने में ज़ी रहे हो.. ये अप्प है ना.. इसमें आप अपनी लोकेशन डाल कर मकेनिक को यही बुला लो.. इस तरह कहा तक इस बाइक को खींच कर ले जाओगे..
असलम - भाईजान मेरा पुराना फ़ोन है आप ही मकेनिक को बुला दीजिये..
गौतम - पर भाईजान मुझे शादी में जाना है..
असलम - भाईजान.. हमें भी हबीबगंज ही जाना है.. मकेनिक आते ही आप चले जाना..
रेशमा मुस्कुराते हुए - कर दीजिये ना मदद.. आपको सबाब मिलेगा..
गौतम असलम से - अब भाभी ज़ी कह रही तो मैं बुला देता हूँ मकेनिक को..
असलम - वैसे आप हबीबगंज में किसके यहां जा रहे है..
गौतम - वो रहमत मिया है ना..
असलम - हाँ अलीगढ वाले..
गौतम - हां वही.. उनकी लड़की से मेरे दूर के भाई का निकाह है आज.. वैसे तो बाराती हूँ पर बारात से अलग ही जा रहा हूँ..
असलम हसते हुए - अरे भाईजान.. क्या इत्तेफाक है.. हम भी वही जा रहे है.. रहमत मिया मेरे खालू के भाई है.. उनकी लड़की के निकाह में शरीक होने के लिए ही हम जा रहे थे.. वो भी क्या इत्तेफाक करता है..
गौतम - सच में भाईजान.. अच्छा आओ.. कब तक यहां खड़े रहोगे.. गाडी में बैठ जाओ.. लाओ भाभी ज़ी बेग मैं रख देता हूँ..
रेशमा - सुक्रिया..
असलम गौतम के साथ कार में आगे बैठ जाता है औऱ रेशमा पीछे..
गौतम गाडी का ac बढ़ा देता है..
गौतम गाडी में गाने चलाते हुए..
असलम - आप ये अंग्रेजी गाने समने के शौकीन है?
गौतम - नहीं ये तो fm चल गया.. मैं गज़ले सुनने का शौकीन हूँ.. आप अपनी तरफ से उस रेक को ओपन कीजिये उनमे पेन ड्राइव पड़ी होगी..
असलम रेक ओपन करते हुए पेन ड्राइव निकालकर गौतम को दे देता है औऱ रेक में रखी हुई एक शराब की खाली बोतल देखकर कहता है - कमाल है भाईजान सब भरी हुई शराब की बोतल गाडी में रखते है आप खाली रखते है..
गौतम कोई ग़ज़ल लगाकर - अरे ये तो पहले की है फेंकना भूल गया शायद.. फेंक दीजिये..
असलम बोतल फेंककर - वैसे आपने नाम तो बताया ही नहीं अपना?
गौतम एक दम से सोचकर - ग़ालिब..
असलम हसते हुए - तालिब सुना है भाईजान पर ग़ालिब?
गौतम मुस्कुराते हुए बैक मीरर में रेशमा का चेहरा देखकर - अब क्या करे साहेब.. अपनों मेरा नाम मिर्ज़ा रखा औऱ दुनिया वालों ने ग़ालिब.. तो बन गया मैं मिर्ज़ा ग़ालिब..
असलम - शेरो शायरी के भी शौकीन लगते है..
गौतम - बेशक़.. लिखते भी औऱ सुनते भी है.. आपका नाम?
असलम - असलम..
गौतम - अच्छा शायद आपका मकेनिक आ गया..
गौतम औऱ असलम गाडी से उतरकर - हां यही बाइक है..
मकेनिक गाडी चेक करके - इसका तो इंजन बैठा हुआ है भाईजान? पूरा खोलना पड़ेगा..
असलम - अरे ऐसे कैसे इंजन बैठ गया..
मकेनिक - लास्ट बार सर्विस कब करवाई थी?
असलम - यही कुछ 2-3 महीने पहले..
मकेनिक - औऱ ओइल चेंज?
असलम - उसका पता नहीं वो भी शायद 4-5 महीने पहले करवाया था..
मकेनिक - महीने में कितना चलती है बाइक?
असलम - पता नहीं.. चलती होगी 3-4 हज़ार किलोमीटर..
मकेनिक हसते हुए - तो क्या टायर बैठेगा? भाईजान किस्मत अच्छी है आपकी.. बाइक अभी तक चल रही थी.. वरना जैसे आप बता रहे हो ये तो कब का हो जाना चाहिए था. हर चीज का ख्याल भी रखना जरुरी है..

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रेशमा - अपने अलावा किसी औऱ का ख्याल हो तो ना..
असलम रेशमा को घूरते हुए - अच्छा छोड़ दो.. हम देख लेंगे..
गौतम - क्या देखोगे असलम मिया? मकेनिक ठीक कह रहा है.. अब इंजन बैठ गया तो बैठ गया.. ले जाने दो बाइक कल बनाके दे देगा..
असलम - अरे नहीं.. मैं अच्छे से जानता हूँ इन लोगों को.. लम्बा चौड़ा बिल बना के दे देंगे..
गौतम - अरे उसकी चिंता आप क्यों करते है.. आप औऱ हम तो सम्बधी है.. भाई तुम ले जाओ बाइक औऱ पूरी नई करके दो.. जो खर्चा होगा मुझसे लेना..
असलम - पर ग़ालिब भाई..
गौतम - अरे छोडो ना.. बिगड़ी हुई बाइक कहा कहा लिए फिरोगे मिया.. निकाह है.. चलकर एन्जॉय करते है.. देखो आपके चक्कर में बेचारी भाभी कब से ऐसे ही खड़ी है.. चलो साथ में चलते है..
गौतम औऱ असलम वापस गाडी मैं बैठ जाते है औऱ रेशमा भी बैठ जाती है..
असलम - ग़ालिब भाई अब रुखा सफर न कटने पायेगा.. कुछ गला गिला किया जाए..
गौतम असलम को देखकर - पर भाभी..
असलम - अरे रेशमा क्या बोलेगी... औऱ अब नहीं लेंगे तो कब लेंगे..
गौतम आगे ठेके पर गाडी रोककर - बताओ असलम मिया क्या पीना पसंद करोगे?
असलम - तुम ही कुछ पीला दो ग़ालिब भाई.. हम तो देसी से विलायेति सब पी जाते है..
गौतम - ठीक है..
गौतम गाडी से उतर जाता है औऱ ठेके पर जाकर एक ब्लैक डॉग की बोतल औऱ पानी ले आता है औऱ असलम को बोतल देकर कहता है..
गौतम वापस धीरे धीरे गाडी चलता हुआ - लो असलम मिया करो शुरुआत..
असलम दो पेग बनाकर - लो ग़ालिब भाई..
असलम औऱ गौतम पेग को चिर्स करके पिने लगते है..
असलम - भाई आज तो मज़ा आ गया आपसे मिलके..
गौतम रेशमा को मीरर से देखकर - मुझे भी..
असलम - अच्छा आप बता रहे थे कुछ लिखते हो.. हमें भी सुनाओ कुछ..
गौतम पेग ख़त्म करके - अजी बस थोड़ा बहुत कोशिश करके है..
असलम द्वारा पेग बनाकर देते हुए - थोड़ा बहुत ही सुना दो यार..
गौतम गाडी सडक के किनारे लगाकर - हम्म्म... तो लिखा है..
कोई हसीन दिलरुबा आँखों में घर कर गई..
असलम - वाह.. क्या लिखा है ग़ालिब भाई..
गौतम - शुक्रिया मिया..
कोई हसीन दिलरुबा आँखों में घर कर गई..
इश्क़ की मिठास वो दिल में उतरकर भर गई
असलम - वाह्ह.. क्या मिसरा कहा है ग़ालिब भाई..
गौतम - बहुत शुक्रिया भाई..
असलम - आगे सुनाइए..
गौतम - सुनिये..
कोई हसीन दिलरुबा आँखों में घर कर गई..
इश्क़ की मिठास वो दिल में उतरकर भर गई
सोचा कि उसको चुम लूँगा अगली मुलाक़ात में
वो पारियों की शहजादी चूमके होंठ ही कुतर गई
असलम - अरे वाह ग़ालिब भाई.. मान गए आपको..
गौतम रेशमा को देखकर -शुक्रिया.. आपको केसा लगा भाभी..
रेशमा मुस्कुराते हुए - अभी कहा कुतरा है.. कुतरना तो अभी बाकी है..
असलम - लो ग़ालिब भाई..
गौतम - भाई अब रहने दो.. वरना सब कहने लगेंगे.. शराबी आ गए..
असलम हसते हुए - ये आखिरी है ग़ालिब मिया लो..
एक शेर मेरा भी सुनो..
गौतम पेग लेते हुए - इरशाद..
असलम - तो शेर कुछ ऐसा है..
मैं नहीं हूँ वो जिसकी तुम्हे तलाश है
कुछ नहीं है मेरे पास सिर्फ ये गिलास है
इस गिलास में घुले हुए है मेरे दर्द औऱ ग़म
औऱ पीछे बैठी हुई ये गले में चुबती फांस है
गौतम हसते हुए - लगता है भाभी प्यार नहीं करती आपसे..
रेशमा - प्यार करने लायक़ हो भी तो..
असलम नशे में - सिगरेट है आपके आप?
गौतम - रेक में देखो..
असलम सिगरेट जलाते हुए - एक औऱ सुनो..
ऊगा लूंगा मैं भी फसल जमीन को खोद कर
बना दूंगा तस्वीर इस कागज पे कलम गोद कर
(रेशमा को देखकर)
मेरी जान की दुश्मन बस इतनी बात बता मुझे
तेरे बाप को क्या मिला मेरी अम्मी चोद कर..

गौतम हसते हुए - अरे असलम मिया.. ये क्या था..
असलम - किसी से सवाल था ग़ालिब मिया..
रेशमा - मुझे गाना चलाना है..
गौतम - भाभी फ़ोन कनेक्टेड है आप इसमें चला लो.. चल जाएगा..
असलम नशे में - गाना क्यों चलाना है तुझे..
रेशमा - सवाल का जवाब नहीं चाहिए?
रेशमा गाना चला देती है.. मेरा बुढ़ा बलम करें छेड़खानी.. मेरी चढ़ती जवानी मांगे पानी पानी..
गाना सुनकर असलम का मुंह उतर जाता है..
गौतम हसते हुए - अच्छा बहुत हो गया असलम मिया.. चलो अब चलते है..
असलम गाना बंद करके - ठीक है ग़ालिब भाई..
गौतम गाडी चलाकर शादी वाली जगह ले आता है..

गौतम - लगता है बारात आ चुकी है..
असलम नशे में - हाँ.. आ गई है.. चलिए..
गौतम असलम औऱ रेशमा के साथ गाडी से उतारकर बाहर आ जाता है औऱ शादी वाले घर में आ जाता है जहा बहुत भीड़ थी औऱ घर छोटा था.. पीछे खाली प्लाट पर तम्बू खड़ा करके बारात का स्वागत चल रहा था..
असलम गौतम से - अरे ग़ालिब भाई आप कहा जारहे हो.. चलो ऊपर चलते है.. असलम गौतम को छत पर ले आता है..
गौतम - अरे असलम मिया आप तो इसे भी साथ ले आये..
असलम - इसके बिना कैसे काम चलेगा.. अभी तो आधी भी खाली नहीं हुई.. एक एक पेग औऱ पीते है फिर नीचे जाके dj पर तहलका मचाते है..
गौतम - ठीक है मिया बनाओ पर मेरा वाला पेग बिलकुल लाइट रखना..
गौतम पीछे नीचे की तरफ तम्बू में स्टेज के पास किसी को देखकर फ़ोन करता है..
गौतम - गांडु ऊपर देख..
आदिल ऊपर गौतम को देखता हुआ - अबे साली रंडी तू यहां क्या कर रहा है..
गौतम थोड़ा दूर जाकर - असलम के साथ आया हूँ.. मेरा नाम मिर्जा ग़ालिब बताया है असली नाम मत बताइयो उसे.. आजा ऊपर जल्दी..
आदिल - आता हूँ रंडी..
गौतम - पानी की ठंडी बीतल भी ले आइओ..
असलम - क्या हुआ भाई किस्से बात कर रहे थे..
गौतम - अरे एक दोस्त था.. पानी की बोतल मगवाई है ठंडी.. आ रह है.. आप तो नीट ही बनाने लगे..
असलम - अरे क्या फर्क पड़ता है ग़ालिब भाई..
गौतम - पक्के शराबी हो मिया..
आदिल पानी की बोतल रखकर - क्या हाल है जीजा ज़ी..
असलम - तू भी आया है..
आदिल - हाँ अकेला आया था.. सब घर पर ही है.. आपा कहा है..
असलम नशे में - नीचे होगी कहीं, मुझे क्या मालूम..
गौतम - अच्छा आप लोग बैठो आता हूँ.. आदिल के कान में - पीला पीलाके भंड कर दे मादरचोद को..
आदिल इशारे से - ठीक है..
गौतम नीचे चला जाता है औऱ आदिल बड़े बड़े पेग बनाकर असलम को पिलाने लगता है...

गौतम नीचे आ जाता है औऱ रेशमा को ढूंढने लगता है मगर उसे रेशमा कहीं नहीं नज़र आती.. गौतम जब रेशमा को कॉल करता है तो रेशमा कॉल नहीं उठती औऱ व्हाट्सप्प पर massage करती है.. अभी नहीं उठा सकती..
गौतम बदले में कहता है - औऱ कितना तड़पायेगी.. कुतिया..
रेशमा इस बार अपनी लाइव लोकेशन भेज देती है औऱ massage करती है आजा मेरे कुत्ते मेरे पास..
गौतम लाइव लोकेशन देखकर चल पड़ता है..
गौतम शादी के घर से थोड़ा दूर एक सुनसान मकान के पीछे उस लाइव लोकेशन को देखता हुआ आ जाता है औऱ उस खाली मकान में आकर इधर उधर देखने लगता है.. अंदर में उसे कुछ नहीं दीखता मगर कोई उसका हाथ पकड़ कर खाली मकान के एक कोने में ले जाता है औऱ गौतम हाथ की छुअन की कोमलता से समझ जाता है ये औऱ कोई नहीं बल्कि रेशमा ही है..
रेशमा सीधा गौतम के होठो पर टूट पडती है औऱ उसके होंठों से अपने होंठ से मिलाकर उसे बेतहाशा चूमने लगती है..
गौतम भी अँधेरे में रेशमा को होंठों को पूरी शिद्दत औऱ मोहब्बत के साथ चूमने लगता है..

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रेशमा चूमते हुए गौतम के लबों को दांतो से कुतरने लगती है औऱ गौतम को दर्द देती हुई उसके होंठों को खींच खींच कर गौतम को बेबाकी से अपने मुंह की मिठास औऱ लार के स्वाद से रूबरू करवा देती है..
गौतम आँख बंद करके रेशमा को अपनी बाहों में भरे हुए चूमता हुआ उसके पतले औऱ गुलाबी होंठों को अपने होंठों में भर भरके चूमता हुआ अपने हाथों से उसके बदन की उतार चढाव भरी नकाशी टटोलता है..
10-12 मिनट एकदूसरे को जमकर चूमने के बाद दोनों का चुम्बन किसी की आहट सुनकर टूट जाता है..
औऱ उनको ऐसा लगता है जैसे कोई आया है.. दोनों चुपचाप बाहर की तरफ देखते है जहा एक लड़का एक लड़की के साथ अभी अभी अंदर घुसा था.. गौतम औऱ रेशमा बिना किसी शोर के उनकी तरफ देखते है...

लड़का - मैं तुम्हारे बिना मर जाऊँगा शमा..
शमा - तू समझता क्यों नहीं नीरज.. मैं अगर तेरे साथ यहां से चली गई तो बबाल हो जाएगा.. मेरे अब्बू हमें जान से मार देंगे.
नीरज - बिछड़कर जीने से तो मर जाना अच्छा है शमा.. क्या हमने कसमे वादे इसीलिए खाये थे की एक दिन तू मुझे यूँ छोड़कर चली जाए? तू मुझे प्यार करती है ना.. तो क्यों किसी औऱ के साथ शादी कर रही है.. चल शमा में तुझे लेने आया हूँ..
शमा - तू समझता क्यों नहीं निरज.. आज मेरी शादी है कितनी बदनामी होगी हर जगह..
नीरज - तू बदनामी से डरती है.. मगर मुझसे बिछड़ने से नहीं.. क्या वो आदमी तुझे मुझसे ज्यादा खुश रख पायेगा? बोल जवाब दे..
शमा नीरज को चूमती है औऱ कहती है - मैं तुझे दिल औऱ जान से प्यार करती हूँ.. मगर तू ही बता ऐसे सब कुछ छोड़छाड़ कर भागना सही है? अब्बू अम्मी भाई सबकी नज़र शर्म से झुक जायेगी..
नीरज - उनकी नज़र शर्म से तब नहीं झुकी जब उन्होंने तुझसे 18 साल बड़े आदमी के साथ शादी तय कर दी.. बोल शमा? देख मैं तुझे लेने आया हूँ.. अगर तू मेरे साथ नहीं चली तो मैं यही अपनी जान दे दूंगा..
शमा रोते हुए - ज़िद मत कर नीरज.. जा यहां से.. मुझमे भागने की हिम्मत नहीं है.. मैं बहुत कमजोर हूँ..

इसबार रेशमा की चुडी की आवाज आ जाती है औऱ नीरज औऱ शमा को किसी के यहां होने की आहट मिल जाती है..
नीरज - कौन? कौन है वहा?
गौतम फ़ोन की फलेश लाइट सामने on करके - डरो मत.. हम दोनों शादी में आये..
रेशमा - शमा.. तू ये शादी नहीं करना चाहती?
शमा - मेरे चाहने से क्या होता है रेशमा आपा.. आज तक मेरी पसंद नापसंद घर में किसने सुनी है?
गौतम - देखो अगर तुम दोनों प्यार करते हो औऱ शादी करना चाहते हो तो मैं तुम्हारी मदद कर सकता हूँ..
शमा - पर अब्बू?
रेशमा - शमा मैं तेरे अब्बू को अच्छे से जानती हूँ.. वो अपने मतलब के लिए तेरा निकाल उस 38 साल के आदमी से करवाना चाहते है.. अभी भी मौका है..
नीरज - मैं कब से कह रहा हूँ शमा.. तुझे बहुत प्यार से रखूँगा.. चल मेरे साथ.. औऱ नहीं चलना तो ले इस पिस्तौल से मुझे गोली मार दे..
गौतम पिस्तौल छीनते हुए - अबे ये पिस्तौल कहा से खरीद लाया तू..
रेशमा - शमा पागल मत बन तेरी लाइफ का सवाल है..
शमा - ठीक है चलो.. मैं त्यार हूँ.. मगर तुम्हारे घरवाले क्या मुझे अपनाएंगे?
नीरज - नहीं अपनाएंगे तो मैं घर छोड़ दूंगा.. पर तुझे हमेशा अपने साथ रखूँगा.. चल रेशमा..
गौतम - अबे ओ मजनू.. घर छोड़ देगा तो रखेगा कहा लड़की को सडक पर? घरवालों से लड़ झगड़ मर घर में ही रखना.. रहता कहा है तू..
नीरज - अजमेर..
गौतम - अजमेर में कहा?
नीरज - पुराना चौखट.. गली नम्बर 22.. उलटे हाथ पर तीसरा मकान..
गौतम - विधयाक मालिराम है ना वहा का?
निरज - हां मालीराम खत्री है..
गौतम - नम्बर दे तेरे..
नीरज नम्बर देकर - अब चल शमा चलते है..
गौतम - मेरी बात सुन.. लड़की का ख्याल रखना.. पुलिस में है मेरा बाप.. इसपर जरा सी खरोच आई तो खानदान चोद के पटक दूंगा तेरा..
नीरज - प्यार करता हूँ अपनी जान से ज्यादा.. उम्र भर साथ रखूँगा..
गौतम - शमा अपनी सारी id औऱ डॉक्यूमेंट साथ लेकर जाना.. कोर्ट मैरिज में जरुरत पड़ेगी..
रेशमा - हाँ शमा..
शमा - नीरज मैं अभी घर जाती हूँ.. थोड़ी देर बाद तुझे बस स्टेण्ड पर मिलूंगी..
नीरज - मैं तेरा इंतजार करूंगा शमा.. शुक्रिया तुम्हारा..
दोनों चले जाते है..

Nic one nic update
 

moms_bachha

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Update 36

रेशमा गौतम को बाहों में भरके - खानदान चोदेगा? इतना बड़ा है तेरा?

गौतम - फ़ोन में देखा नहीं था क्या तूने? चल अब सामने से देख ले.. गौतम पेंट नीचे करके लंड निकाल लेता है..

रेशमा फलेश लाइट में लंड हाथ में पकड़कर देखती हुई - क्या खाया था कुत्ते जो इतना बड़ा हो गया?

गौतम रेशमा के मुंह में लोडा देते हुए - काले जामुन मेरी कुतिया.. चल अब चूस बहन की लोड़ी.. कब से तरसा रही थी..

रेशमा मुंह में लेती हुई - आज तो पूरा निचोड़ लुंगी तुझे..

रेशमा मुंह में लंड भरके जोर जोर से चूसने लगती है औऱ गौतम सिगरेट सुलगाते हुए रेशमा को लोडा चूसाने लगता है..

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गौतम सिगरेट के कश लेता हुआ - उफ्फ्फ कुत्तिया क्या चुस्ती है तू.. लगता है मुंह से निकलवा देगी मेरा पानी..
रेशमा मुंह से लंड निकाल कर गौतम से सिगरेट लेकर एक लम्बा कश खींचती है औऱ वापस सिगरेट देकर लंड चूसने लग जाती है..
गौतम - पहले कितने नखरे दिखाती थी कितना लड़ती झगड़ती थी ताने मारती थी.. कबाड़ी की औलाद.. साली कबाड़न मुझे.. अब देखो कैसे रंडी की तरह लंड चूस रही है.. साली कबाड़न...
रेशमा - कबाड़न बोला तो तेरी अम्मी चोद दूंगी..
गौतम हसते हुए - लंड है तेरे पास? साली कबाड़न..
रेशमा लंड पर दाँत लगाते हुए काटने लगती है..
गौतम दर्द से - अबे ओ.. क्या कर रही है पागल हो गई है क्या.. बहनचोद दर्द हो रहा है..
रेशमा - बोलेगा कबाड़न वापस? साले ठुल्ले की औलाद..
गोतम लंड सहलाते हुए - साले तुम दोनों बहम भाई एक जैसे हो.. कितना जोर से काटा है..
रेशमा वापस लंड पकड़कर काटी हुई जगह को चूमते हुए - प्यार करोगे तो प्यार मिलेगा.. उल्टा बोलोगे तो सुनना भी पड़ेगा.. मुझे इतनी सीधी मत समझना.. बहुत बड़ी खिलाड़ी हूँ मैं..
गौतम सिगरेट का कश लेकर सिगरेट फेंक देता है औऱ रेशमा को खड़ा करके बाहों में भरते हुए कहता है - सच में कुत्तिया है तू.. बहुत काटती है.. औऱ कितनी बड़ी खिलाड़ी है ये तो अभी पता चल जाएगा मेरी जान..
रेशमा मुस्कुराते हुए - गौतम.. एक सच बताऊ?
गौतम होंठ चूमकर - बोल ना..
रेशमा - जब तुझे पहली बार देखा था ना.. मन में आया था कच्चा खा जाऊ.. इतना पसंद आया था तू.. मैं तुझसे सिर्फ इसलिए लड़ती थी ताकि तू मुझसे बात कर सके.. तेरी पसंद - नपसंद सब पता है मुझे.. तेरे लिए बड़े प्यार खाना बनाती थी.. जो आदिल लेजाकर तेरे साथ खाता था.. बस तू ये जो बेज्जतीया करता रहता था ना मेरी.. उसपर बहुत गुस्सा आता है..
गौतम मुस्कुराते हुए - मतलब मेरी कबाड़न भी मुझसे प्यार करती है.. ये औऱ भी अच्छा है..
रेशमा - तू फिर से शुरु हो गया ना.. एक बार औऱ कबाड़न बोला तो खा जाउंगी तुझे कच्चा...
गौतम प्यार से गाल चूमते हुए - अच्छा अब सलवार खोल दे.. बहुत मन कर रहा है..
रेशमा - पहले कुछ गिफ्ट दो..
गौतम - क्या गिफ्ट चाहिए?
रेशमा - कुछ भी.. इतनी आसानी थोड़ी खज़ाना दे दूंगी.. पहले तुम्हे भी कुछ देना पड़ेगा..
गौतम - अबे मैं तेरे भाई को लुटता हूँ तू मुझे लूट रही है...
रेशमा - रेशमा की सलवार का नाड़ा तो तभी खुलेगा जब तुम कुछ दोगे.. वरना मेरे लिए यहां तक आये हो इसलिए ऊपर ऊपर से कुछ भी कर सकते हो..
गौतम जेब एक चॉक्लेट कैंडी निकालकर - ये चलेगी?
रेशमा चॉकलेट कैन्डी लेकर सलवार का नाड़ा खोलते हुए - एक टॉफी के बदले चुत दे रही हूँ.. अहसान याद रखना मेरा.. औऱ कभी मिलने से मना किया तो तेरा क्या हाल करुँगी वो अंजाम भी याद रखना..
गौतम नीचे बैठकर चुत सूंघता है औऱ उसपर चुम्मा करके कहता है - बहुत कमीनी हो रेशमा.. पूरी चिकनी करके आई हो..
रेशमा - पहली बार पसंद के आदमी से चुद रही हूँ.. कोई शिकायत का मौका नहीं देना चाहती थी ..
गौतम चुत पर होंठ लगा देता है औऱ धीरे धीरे जीभ से चुत को अगल बगल से सहलाते हुए चाटने लगता है. रेशमा प्यार से अपनी टाँगे चौड़ी करके अपनी चुत के दाने को गौतम के मुंह में देकर जबरदस्ती गौतम को चूसाने लगती है औऱ काम भावना से भरकर कामुक सिसकियाँ भरने लगती है..

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जिस तरह से गौतम रेशमा की चुत का चटकारा ले रहा था उससे रेशमा का ज्यादा देर तक अपनेआप को काम की बारिश में भीगने से रोके रखना मुश्किल था.. कुछ ही मिनटों में रेशमा गौतम के मुंह में अपने जवानी का पानी छोड़कर फारीक हो गई..
गौतम रेशमा का पानी निकालकर खडा हो गया औऱ रेशमा की कुर्ती के ऊपर से ही उसके मदमस्त सुडोल औऱ सुगठित उरोजो का मर्दन करते हुए रेशमा के गले औऱ गले से नीचे अपने चुम्बन औऱ छूअन से उसे फिर वासना औऱ प्रेम की मिली हुई आंधी में उड़ा के ले गया..

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रेशमा ने गौतम के शर्ट को उतारकर उसके सीने औऱ गर्दन को अपने होंठों की अनगिनत छुअन औऱ चुम्बन से सजा दिया औऱ जगह जगह प्यार से दाँत चुभो कर काटने लगी.. रेशमा ने गौतम के निप्पल्स के मुंह में ले कर इस तरह चूसा जैसा गौतम के निप्पल्स से दूध निकल आएगा औऱ गौतम भी रेशमा के इस तरह से करने पर काम से भरते हुए कामदेव की शरण में बैठ गया था..
गौतम ने रेशमा की कुर्ती उतार दी औऱ इस बार रेशमा के चुचो का स्वाद लेने लगा..

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रेशमा के बदन से उठती महक गौतम की नाक में चढ़ रही थी वो रेशमा के बोबे जितना मुंह में भर सकता था भरकर चूस रहा था.. औऱ रेशमा तो जैसे आज गौतम के प्रति अपनेआप को समर्पित कर देना चाहती थी.. रेशमा ने बारी बारी से अपने दोनों चुचो को गौतम को चूसाया औऱ गौतम के चूसने औऱ दबाने के लिए खुला छोड़ दिया.. गौतम बूब्स पर lovebite छोड़ रहा था जिसमे रेशमा को होते मीठे दर्द औऱ गौतम को खुश करने की लालसा साफ झलक रही थी..

अच्छे से अपने बूब्स का भोग गौतम को लगाने के बाद रेशमा ने पलट कर अपनी एक टांग उठाकर आगे पड़ी हुई पट्टी पर रख दिया औऱ पीछे देखते हुए अपने दोनों हाथों से अपनी गांड खोल के गौतम से बोली..
रेशमा - आजा मेरे कुत्ते.. तेरी कुत्तिया तैयार है..
गौतम रेशमा की गांड पकड़ते हुए उसकी चुत के मुहाने पर लंड लगाकर बोला..
गौतम - बहुत टाइट है रेशमा..
रेशमा चुत में लंड घुसवाते हुए - तू डाल दे जानू.. मेरी चिंता मत कर..
गौतम धीरे धीरे प्यार से लंड घुसा देता है.. औऱ आधे से थोड़ा ज्यादा जाते जाते रेशमा की कामुक सिस्कारिया दर्द औऱ तकलीफ की आहो में बदल जाती है.. गौतम औऱ अंदर नहीं घुसाता औऱ उतने लंड से ही रेशमा को पेलने लगता है.. गौतम पीछे से रेशमा की चुत ले रहा रहा औऱ उसे बड़े प्यार से चोद रहा था.. रेशमा को इस बात की ख़ुशी थी की गौतम उसकी तकलीफ समझता है औऱ हवस में अंधा होकर उसके साथ जोर जबरदस्ती नहीं कर रहा.. वही अपने आप पर गर्व भी हो रहा था कि उसकी पसंद गलत नहीं है..

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गौतम ने पीछे से थोड़ी देर चोदकर रेशमा को अपने तरफ घुमा लिया औऱ उसकी एक टांग उठाकर उसकी चुत चोदने लगा.. रेशमा से रहा ना गया औऱ वो गौतम के सर को पकड़कर चूमने लगी औऱ खुद अपनी गांड आगे पीछे करती हुई चुदवाने लगी जैसे उसे अब इसमें कोई शर्म लिहाज नहीं रह गई हो.. दोनों के होंठ से होंठ औऱ चुत से लंड आपस में मिले हुए थे.. दोनों का मिलन एक अद्भुत माहौल बना रहा था..

गौतम ने रेशमा को अपनी गोद में उठा लिया औऱ लंड पर उछाल उछाल कर पेलने लगा.. इस बार रेशमा गौतम का पूरा लंड झेल गई औऱ उसे अब तकलीफ भी नहीं हो रही थी उसने चुदते चुदते गौतम को बहुत कुछ बता दिया दिया औऱ अपने मन के हर कोने से रूबरू करवा दिया था रेशमा गौतम के प्यार में अब औऱ गहराई में उतर चुकी थी.. वो गौतम लंडपर उछल रही थी मगर इस वक़्त उसका दिल भी उछल रहा था जो निकल कर गौतम के कदमो में आ गिरना चाहता था.. रेशमा ने पीछले कुछ वक़्त से गौतम के होंठों को जरा भी आराम नहीं करने दिया था.. वो लगतार चुदते हुए गौतम के होंठ कुतर रही थी..

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रेशमा वापस झड़ गई थी औऱ अब भी गौतम उसे चोदे ही जा रहा था.. दोनों को मज़बूरी में खड़े खड़े चुदाई करनी पड़ रही थी औऱ अब गौतम ने रेशमा को गोद से नीचे उतार कर अपने आगे झुका लिया था औऱ पीछे से रेशमा कि चुत पर हमला बोल दिया था जिसमे वो रेशमा के बाल पकड़ कर पीछे से उसकी चुत पर एक के बाद एक जोरदार झटके दे रहा था जिसकी आवाज उस कमरे में गूंजने लगी थी.. इस बार भी रेशमा को झड़ने में वक़्त नहीं लगा वो गौतम के झड़ने के साथ ही झड़ गई.. औऱ दोनों का पहला सम्भोग संपन्न हो गया..

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टप की आवाज के साथ गौतम का लंड रेशमा की चुत से बाहर निकला औऱ रेशमा नीचे बैठकर उसके लंड को मुंह में भरकर चूसते हुए साफ करने लगी.. गौतम औऱ रेशमा पसीने से लथपथ थे.. लंड साफ करने के बाद रेशमा खड़ी हुई तो गौतम ने उसके बदन को अपने रुमाल से पोंछा औऱ दोनों ने कपडे पहनें..

रेशमा अपने आप को आज बहुत हल्का महसूस कर रही थी उसने गौतम को गले लगाते हुए कहा - आई लव यू मेरे कुत्ते..
गौतम - लव टू मेरी कबाड़न..
रेशमा गुस्से से - गौतम..
गौतम - प्यार से बोल रहा हूँ मेरी कुतिया..
रेशमा - कबाड़न मत बोलो ना जानू.. प्लीज..
गौतम - ठीक है मेरी कुतिया.. अब नहीं चिढ़ाता..
रेशमा - तुम खुश हो ना?
गौतम - तुम्हे क्या लगता है?
रेशमा - चिढ़ा नहीं रहे मतलब खुश हो..
गौतम - चल यार भूक लगी है खाना खाते है वैसे भी थोड़ी देर में कोहराम मचने वाला है.. जब शमा की खबर लगेगी सबको.
रेशमा - तुम जाओ.. मुझे किसी ने तुम्हारे साथ देख लिया तो मुसीबत हो जायेगी.. मैं पीछे पीछे आती हूँ..
गौतम - चल ठीक है मेरी जानू.. जैसा तू बोले..
रेशमा चूमते हुए - फ़ोन करुँगी.
गौतम - बाए..
गौतम वहां से शादी वाले घर आ जाता है जहा छत पर असलम पी के टुन होके पड़ा था औऱ आदिल साइड में बैठा हुआ फ़ोन में कुछ कर रहा था.
गौतम - चल गांडू खाना खाते है..
आदिल - बाद में खा लेंगे..
गौतम - बाद में नहीं अभी.. मुझे जाना है वापस..
आदिल - चल यार..
गौतम - आराम से खा लेते यार.. कोनसा ख़त्म हो जाएगा...
गौतम - गांडु.. हंगामा होने वाला है..
आदिल हसते हुए - क्यों दुल्हन भागने वाली है क्या?
गौतम - हाँ..
आदिल - सच?
गौतम - तेरी कसम.. चल खाके निकलता हूँ वरना खामखा नौटंकी देखनी पड़ेगी..
आदिल - तुझे कैसे पता?
गौतम - मैंने ही भगवाया है एक लड़के साथ..
आदिल - बहन के लंड.. तू आदमी है झांट का बाल? लड़की को भगा दिया..
गौतम - अबे जबरदस्ती शादी हो रही थी यार उसकी.. लड़की किसी औऱ को चाहती है इसमें मेरी क्या गलती.. पनीर औऱ ले.. कम पड़ेगा..
आदिल - भोस्डिके तुझे क्या मतलब.. उसकी मर्ज़ी ना मर्ज़ी से.. यहां बैठते है आजा.. साले अच्छी भली शादी की अम्मी चोद दी तूने.
गौतम खाना खाते हुए - अम्मी तो तेरी चोदी है भूल गया.. औऱ छोड़ ना.. तू क्या इतना दुखी हो रहा है.. तेरी दुल्हन थोड़ी भागी है..
आदिल खाना खाते हुए - सलमा से मिला?
गौतम - हाँ.. दो बार.. मन भरके मिला.. उसे बोल दिया है वापस अजमेर आने के लिए. जल्द आ जायेगी..
आदिल - तू अभी रेशमा के साथ था..
गौतम - हाँ यार पसंद आ गई तेरी बहन... पर बहुत अकड़ू है यार तेरी बहन..
आदिल - तूने साले अकड़ तोड़ डी होगी.. मुझे पता है..
गौतम - भाई रेशमा को मैं ही प्यार करूँगा.. तू उसकी लेने का ख्याल छोड़ देना.. याद रखना..
आदिल - चल ठीक है.. चल अब निकल..
गौतम - अच्छा सुन.. तेरी बहन के लिए पायल खरीदी थी.. उसे दे देना यार.. मैं भूल गया देना..
आदिल - मैं क्या बोल के दूंगा साले तू ही दे दे..
गौतम - अब कहा अकेली मिलेगी.. यार.. चल कोई नहीं कुछ करता हूँ.. कल वापस जा रहा हूँ वहा मिलता हूँ तुझसे..
आदिल - ठीक है भाई..
गौतम वापस छत पर जाता है औऱ असलम के शर्ट की जेब में पायल रख देता है औऱ रेशमा को massage करके पायल लेने को कह देता है..
रेशमा असलम की शर्ट की जेब से पायल निकालकर मुस्कुराते हुए गौतम को याद करने लगती है..

गौतम घर पहुंच कर थकान से नींद के आगोश में चला जाता है औऱ फिर से कोई सपना देखने लगता है जिसमे उसके पिछले सपने के आगे की कहानी पता चलती है..

 
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रेशमा गौतम को बाहों में भरके - खानदान चोदेगा? इतना बड़ा है तेरा?

गौतम - फ़ोन में देखा नहीं था क्या तूने? चल अब सामने से देख ले.. गौतम पेंट नीचे करके लंड निकाल लेता है..

रेशमा फलेश लाइट में लंड हाथ में पकड़कर देखती हुई - क्या खाया था कुत्ते जो इतना बड़ा हो गया?

गौतम रेशमा के मुंह में लोडा देते हुए - काले जामुन मेरी कुतिया.. चल अब चूस बहन की लोड़ी.. कब से तरसा रही थी..

रेशमा मुंह में लेती हुई - आज तो पूरा निचोड़ लुंगी तुझे..

रेशमा मुंह में लंड भरके जोर जोर से चूसने लगती है औऱ गौतम सिगरेट सुलगाते हुए रेशमा को लोडा चूसाने लगता है..

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गौतम सिगरेट के कश लेता हुआ - उफ्फ्फ कुत्तिया क्या चुस्ती है तू.. लगता है मुंह से निकलवा देगी मेरा पानी..
रेशमा मुंह से लंड निकाल कर गौतम से सिगरेट लेकर एक लम्बा कश खींचती है औऱ वापस सिगरेट देकर लंड चूसने लग जाती है..
गौतम - पहले कितने नखरे दिखाती थी कितना लड़ती झगड़ती थी ताने मारती थी.. कबाड़ी की औलाद.. साली कबाड़न मुझे.. अब देखो कैसे रंडी की तरह लंड चूस रही है.. साली कबाड़न...
रेशमा - कबाड़न बोला तो तेरी अम्मी चोद दूंगी..
गौतम हसते हुए - लंड है तेरे पास? साली कबाड़न..
रेशमा लंड पर दाँत लगाते हुए काटने लगती है..
गौतम दर्द से - अबे ओ.. क्या कर रही है पागल हो गई है क्या.. बहनचोद दर्द हो रहा है..
रेशमा - बोलेगा कबाड़न वापस? साले ठुल्ले की औलाद..
गोतम लंड सहलाते हुए - साले तुम दोनों बहम भाई एक जैसे हो.. कितना जोर से काटा है..
रेशमा वापस लंड पकड़कर काटी हुई जगह को चूमते हुए - प्यार करोगे तो प्यार मिलेगा.. उल्टा बोलोगे तो सुनना भी पड़ेगा.. मुझे इतनी सीधी मत समझना.. बहुत बड़ी खिलाड़ी हूँ मैं..
गौतम सिगरेट का कश लेकर सिगरेट फेंक देता है औऱ रेशमा को खड़ा करके बाहों में भरते हुए कहता है - सच में कुत्तिया है तू.. बहुत काटती है.. औऱ कितनी बड़ी खिलाड़ी है ये तो अभी पता चल जाएगा मेरी जान..
रेशमा मुस्कुराते हुए - गौतम.. एक सच बताऊ?
गौतम होंठ चूमकर - बोल ना..
रेशमा - जब तुझे पहली बार देखा था ना.. मन में आया था कच्चा खा जाऊ.. इतना पसंद आया था तू.. मैं तुझसे सिर्फ इसलिए लड़ती थी ताकि तू मुझसे बात कर सके.. तेरी पसंद - नपसंद सब पता है मुझे.. तेरे लिए बड़े प्यार खाना बनाती थी.. जो आदिल लेजाकर तेरे साथ खाता था.. बस तू ये जो बेज्जतीया करता रहता था ना मेरी.. उसपर बहुत गुस्सा आता है..
गौतम मुस्कुराते हुए - मतलब मेरी कबाड़न भी मुझसे प्यार करती है.. ये औऱ भी अच्छा है..
रेशमा - तू फिर से शुरु हो गया ना.. एक बार औऱ कबाड़न बोला तो खा जाउंगी तुझे कच्चा...
गौतम प्यार से गाल चूमते हुए - अच्छा अब सलवार खोल दे.. बहुत मन कर रहा है..
रेशमा - पहले कुछ गिफ्ट दो..
गौतम - क्या गिफ्ट चाहिए?
रेशमा - कुछ भी.. इतनी आसानी थोड़ी खज़ाना दे दूंगी.. पहले तुम्हे भी कुछ देना पड़ेगा..
गौतम - अबे मैं तेरे भाई को लुटता हूँ तू मुझे लूट रही है...
रेशमा - रेशमा की सलवार का नाड़ा तो तभी खुलेगा जब तुम कुछ दोगे.. वरना मेरे लिए यहां तक आये हो इसलिए ऊपर ऊपर से कुछ भी कर सकते हो..
गौतम जेब एक चॉक्लेट कैंडी निकालकर - ये चलेगी?
रेशमा चॉकलेट कैन्डी लेकर सलवार का नाड़ा खोलते हुए - एक टॉफी के बदले चुत दे रही हूँ.. अहसान याद रखना मेरा.. औऱ कभी मिलने से मना किया तो तेरा क्या हाल करुँगी वो अंजाम भी याद रखना..
गौतम नीचे बैठकर चुत सूंघता है औऱ उसपर चुम्मा करके कहता है - बहुत कमीनी हो रेशमा.. पूरी चिकनी करके आई हो..
रेशमा - पहली बार पसंद के आदमी से चुद रही हूँ.. कोई शिकायत का मौका नहीं देना चाहती थी ..
गौतम चुत पर होंठ लगा देता है औऱ धीरे धीरे जीभ से चुत को अगल बगल से सहलाते हुए चाटने लगता है. रेशमा प्यार से अपनी टाँगे चौड़ी करके अपनी चुत के दाने को गौतम के मुंह में देकर जबरदस्ती गौतम को चूसाने लगती है औऱ काम भावना से भरकर कामुक सिसकियाँ भरने लगती है..

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जिस तरह से गौतम रेशमा की चुत का चटकारा ले रहा था उससे रेशमा का ज्यादा देर तक अपनेआप को काम की बारिश में भीगने से रोके रखना मुश्किल था.. कुछ ही मिनटों में रेशमा गौतम के मुंह में अपने जवानी का पानी छोड़कर फारीक हो गई..
गौतम रेशमा का पानी निकालकर खडा हो गया औऱ रेशमा की कुर्ती के ऊपर से ही उसके मदमस्त सुडोल औऱ सुगठित उरोजो का मर्दन करते हुए रेशमा के गले औऱ गले से नीचे अपने चुम्बन औऱ छूअन से उसे फिर वासना औऱ प्रेम की मिली हुई आंधी में उड़ा के ले गया..

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रेशमा ने गौतम के शर्ट को उतारकर उसके सीने औऱ गर्दन को अपने होंठों की अनगिनत छुअन औऱ चुम्बन से सजा दिया औऱ जगह जगह प्यार से दाँत चुभो कर काटने लगी.. रेशमा ने गौतम के निप्पल्स के मुंह में ले कर इस तरह चूसा जैसा गौतम के निप्पल्स से दूध निकल आएगा औऱ गौतम भी रेशमा के इस तरह से करने पर काम से भरते हुए कामदेव की शरण में बैठ गया था..
गौतम ने रेशमा की कुर्ती उतार दी औऱ इस बार रेशमा के चुचो का स्वाद लेने लगा..

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रेशमा के बदन से उठती महक गौतम की नाक में चढ़ रही थी वो रेशमा के बोबे जितना मुंह में भर सकता था भरकर चूस रहा था.. औऱ रेशमा तो जैसे आज गौतम के प्रति अपनेआप को समर्पित कर देना चाहती थी.. रेशमा ने बारी बारी से अपने दोनों चुचो को गौतम को चूसाया औऱ गौतम के चूसने औऱ दबाने के लिए खुला छोड़ दिया.. गौतम बूब्स पर lovebite छोड़ रहा था जिसमे रेशमा को होते मीठे दर्द औऱ गौतम को खुश करने की लालसा साफ झलक रही थी..

अच्छे से अपने बूब्स का भोग गौतम को लगाने के बाद रेशमा ने पलट कर अपनी एक टांग उठाकर आगे पड़ी हुई पट्टी पर रख दिया औऱ पीछे देखते हुए अपने दोनों हाथों से अपनी गांड खोल के गौतम से बोली..
रेशमा - आजा मेरे कुत्ते.. तेरी कुत्तिया तैयार है..
गौतम रेशमा की गांड पकड़ते हुए उसकी चुत के मुहाने पर लंड लगाकर बोला..
गौतम - बहुत टाइट है रेशमा..
रेशमा चुत में लंड घुसवाते हुए - तू डाल दे जानू.. मेरी चिंता मत कर..
गौतम धीरे धीरे प्यार से लंड घुसा देता है.. औऱ आधे से थोड़ा ज्यादा जाते जाते रेशमा की कामुक सिस्कारिया दर्द औऱ तकलीफ की आहो में बदल जाती है.. गौतम औऱ अंदर नहीं घुसाता औऱ उतने लंड से ही रेशमा को पेलने लगता है.. गौतम पीछे से रेशमा की चुत ले रहा रहा औऱ उसे बड़े प्यार से चोद रहा था.. रेशमा को इस बात की ख़ुशी थी की गौतम उसकी तकलीफ समझता है औऱ हवस में अंधा होकर उसके साथ जोर जबरदस्ती नहीं कर रहा.. वही अपने आप पर गर्व भी हो रहा था कि उसकी पसंद गलत नहीं है..

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गौतम ने पीछे से थोड़ी देर चोदकर रेशमा को अपने तरफ घुमा लिया औऱ उसकी एक टांग उठाकर उसकी चुत चोदने लगा.. रेशमा से रहा ना गया औऱ वो गौतम के सर को पकड़कर चूमने लगी औऱ खुद अपनी गांड आगे पीछे करती हुई चुदवाने लगी जैसे उसे अब इसमें कोई शर्म लिहाज नहीं रह गई हो.. दोनों के होंठ से होंठ औऱ चुत से लंड आपस में मिले हुए थे.. दोनों का मिलन एक अद्भुत माहौल बना रहा था..

गौतम ने रेशमा को अपनी गोद में उठा लिया औऱ लंड पर उछाल उछाल कर पेलने लगा.. इस बार रेशमा गौतम का पूरा लंड झेल गई औऱ उसे अब तकलीफ भी नहीं हो रही थी उसने चुदते चुदते गौतम को बहुत कुछ बता दिया दिया औऱ अपने मन के हर कोने से रूबरू करवा दिया था रेशमा गौतम के प्यार में अब औऱ गहराई में उतर चुकी थी.. वो गौतम लंडपर उछल रही थी मगर इस वक़्त उसका दिल भी उछल रहा था जो निकल कर गौतम के कदमो में आ गिरना चाहता था.. रेशमा ने पीछले कुछ वक़्त से गौतम के होंठों को जरा भी आराम नहीं करने दिया था.. वो लगतार चुदते हुए गौतम के होंठ कुतर रही थी..

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रेशमा वापस झड़ गई थी औऱ अब भी गौतम उसे चोदे ही जा रहा था.. दोनों को मज़बूरी में खड़े खड़े चुदाई करनी पड़ रही थी औऱ अब गौतम ने रेशमा को गोद से नीचे उतार कर अपने आगे झुका लिया था औऱ पीछे से रेशमा कि चुत पर हमला बोल दिया था जिसमे वो रेशमा के बाल पकड़ कर पीछे से उसकी चुत पर एक के बाद एक जोरदार झटके दे रहा था जिसकी आवाज उस कमरे में गूंजने लगी थी.. इस बार भी रेशमा को झड़ने में वक़्त नहीं लगा वो गौतम के झड़ने के साथ ही झड़ गई.. औऱ दोनों का पहला सम्भोग संपन्न हो गया..

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टप की आवाज के साथ गौतम का लंड रेशमा की चुत से बाहर निकला औऱ रेशमा नीचे बैठकर उसके लंड को मुंह में भरकर चूसते हुए साफ करने लगी.. गौतम औऱ रेशमा पसीने से लथपथ थे.. लंड साफ करने के बाद रेशमा खड़ी हुई तो गौतम ने उसके बदन को अपने रुमाल से पोंछा औऱ दोनों ने कपडे पहनें..

रेशमा अपने आप को आज बहुत हल्का महसूस कर रही थी उसने गौतम को गले लगाते हुए कहा - आई लव यू मेरे कुत्ते..
गौतम - लव टू मेरी कबाड़न..
रेशमा गुस्से से - गौतम..
गौतम - प्यार से बोल रहा हूँ मेरी कुतिया..
रेशमा - कबाड़न मत बोलो ना जानू.. प्लीज..
गौतम - ठीक है मेरी कुतिया.. अब नहीं चिढ़ाता..
रेशमा - तुम खुश हो ना?
गौतम - तुम्हे क्या लगता है?
रेशमा - चिढ़ा नहीं रहे मतलब खुश हो..
गौतम - चल यार भूक लगी है खाना खाते है वैसे भी थोड़ी देर में कोहराम मचने वाला है.. जब शमा की खबर लगेगी सबको.
रेशमा - तुम जाओ.. मुझे किसी ने तुम्हारे साथ देख लिया तो मुसीबत हो जायेगी.. मैं पीछे पीछे आती हूँ..
गौतम - चल ठीक है मेरी जानू.. जैसा तू बोले..
रेशमा चूमते हुए - फ़ोन करुँगी.
गौतम - बाए..
गौतम वहां से शादी वाले घर आ जाता है जहा छत पर असलम पी के टुन होके पड़ा था औऱ आदिल साइड में बैठा हुआ फ़ोन में कुछ कर रहा था.
गौतम - चल गांडू खाना खाते है..
आदिल - बाद में खा लेंगे..
गौतम - बाद में नहीं अभी.. मुझे जाना है वापस..
आदिल - चल यार..
गौतम - आराम से खा लेते यार.. कोनसा ख़त्म हो जाएगा...
गौतम - गांडु.. हंगामा होने वाला है..
आदिल हसते हुए - क्यों दुल्हन भागने वाली है क्या?
गौतम - हाँ..
आदिल - सच?
गौतम - तेरी कसम.. चल खाके निकलता हूँ वरना खामखा नौटंकी देखनी पड़ेगी..
आदिल - तुझे कैसे पता?
गौतम - मैंने ही भगवाया है एक लड़के साथ..
आदिल - बहन के लंड.. तू आदमी है झांट का बाल? लड़की को भगा दिया..
गौतम - अबे जबरदस्ती शादी हो रही थी यार उसकी.. लड़की किसी औऱ को चाहती है इसमें मेरी क्या गलती.. पनीर औऱ ले.. कम पड़ेगा..
आदिल - भोस्डिके तुझे क्या मतलब.. उसकी मर्ज़ी ना मर्ज़ी से.. यहां बैठते है आजा.. साले अच्छी भली शादी की अम्मी चोद दी तूने.
गौतम खाना खाते हुए - अम्मी तो तेरी चोदी है भूल गया.. औऱ छोड़ ना.. तू क्या इतना दुखी हो रहा है.. तेरी दुल्हन थोड़ी भागी है..
आदिल खाना खाते हुए - सलमा से मिला?
गौतम - हाँ.. दो बार.. मन भरके मिला.. उसे बोल दिया है वापस अजमेर आने के लिए. जल्द आ जायेगी..
आदिल - तू अभी रेशमा के साथ था..
गौतम - हाँ यार पसंद आ गई तेरी बहन... पर बहुत अकड़ू है यार तेरी बहन..
आदिल - तूने साले अकड़ तोड़ डी होगी.. मुझे पता है..
गौतम - भाई रेशमा को मैं ही प्यार करूँगा.. तू उसकी लेने का ख्याल छोड़ देना.. याद रखना..
आदिल - चल ठीक है.. चल अब निकल..
गौतम - अच्छा सुन.. तेरी बहन के लिए पायल खरीदी थी.. उसे दे देना यार.. मैं भूल गया देना..
आदिल - मैं क्या बोल के दूंगा साले तू ही दे दे..
गौतम - अब कहा अकेली मिलेगी.. यार.. चल कोई नहीं कुछ करता हूँ.. कल वापस जा रहा हूँ वहा मिलता हूँ तुझसे..
आदिल - ठीक है भाई..
गौतम वापस छत पर जाता है औऱ असलम के शर्ट की जेब में पायल रख देता है औऱ रेशमा को massage करके पायल लेने को कह देता है..
रेशमा असलम की शर्ट की जेब से पायल निकालकर मुस्कुराते हुए गौतम को याद करने लगती है..

गौतम घर पहुंच कर थकान से नींद के आगोश में चला जाता है औऱ फिर से कोई सपना देखने लगता है जिसमे उसके पिछले सपने के आगे की कहानी पता चलती है..


Update 35 and 36 pr 50-50 like hone pr agla update aayega ❤️
Nice update bro 👍
 
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