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Ashu_Chodu007

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Bhai bahut zabardast update tha ..💐
@Ek request agar ho sake to Suman ke insta pr new account banane se lekar wo kis kis se kya kya bate krti thi sara detail me flashback ke roop me pesh kijiye...🙏❤️❤️
 
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Ng21G

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Update 7

गौतम ने बाइक उसी बरगद के नीचे लगा दी औऱ सुमन से बोला..

गौतम - चलो माँ.. चढ़ो वापस सीढ़िया..

सुमन - चलो.. चढ़नी तो मेरे ग़ुगु को भी पड़ेगी..

गौतम ने जैसे ही पहला कदम बढ़ाया उसके बगल से होते हुए करीम का रिक्शा आगे जाकर एक किनारे रुक गया जिसे गौतम ने पहचान लिया था.. रिक्शे से रूपा उतरकर एक नज़र गौतम पर डालती है औऱ फिर उसका हाथ पकडे खड़ी सुमन को देखती है..

रूपा को पहली बार किसी औरत से जलन हो रही थी मगर वो कुछ नहीं कर सकती थी.. रूपा के मन में जलन से ज्यादा इर्षा भरी हुई थी वो बनना चाहती थी उसके सामने था..

गौतम ने रूपा को देखकर भी अनदेखा कर दिया औऱ सुमन का हाथ थामे सीढ़ियों की औऱ बढ़ने लगा तभी रूपा सुमन से बोली..

रूपा - दीदी सुनिए..

सुमन रुककर - ज़ी.. बोलिये..

रूपा - वो आपका पर्स बाइक पर ही रखा हुआ है..

सुमन - अरे मैं भी कितनी भुल्लककड़ हो गई हूँ. जा ग़ुगु पर्स ले आ. आपका शुक्रिया बताने के लिए..

रूपा - शुक्रिया केसा दीदी.. छोटी सी तो बात है.. ये आपका बेटा है..

सुमन - हाँ.. ये मेरा ग़ुगु है..

रूपा - बहुत खूबसूरत है.. बिलकुल आपकी तरह.

सुमन - ज़ी शुक्रिया.. आप भी बाबाजी के पास आई है?

रूपा - हाँ वो कुछ मन्नत थी सोचा शायद यहां आकर पूरी हो जाए..

सुमन - चलिए चलते हुए बात करते है.

रूपा - ज़ी चलिए.. मेरा नाम रूपा है..

सुमन - ज़ी मेरा नाम सुमन..

रूपा - बड़ा ही प्यारा नाम है आपका.. सचमुच में आप सुमन जैसी खिली हुई खुश्बू से भरी हुई हो..

सुमन मुस्कुराते हुए - नाम तो आपका भी आप पर बहुत जचता है.. जैसा रूप वैसा नाम..

रूपा - आप इसी शहर में रहती है?

सुमन - हाँ.. ग़ुगु के पापा पुलिस में तो पुलिस क्वाटर में ही रहते है.. और आप?

रूपा - ज़ी वो मेरा तलाक़ हो चूका है.. कोई बच्चा तो है नहीं, इसलिए अकेली ही शहर के बीच एक फ्लेट में रहती हूँ..

सुमन - तलाक़ क्यों?

रूपा - अब मर्द जात क्या भरोसा दीदी, कोई और मिल गई तो छोड़ गए. मैंने भी नहीं रोका और तलाक़ ले लिया..

सुमन हमदर्दी से - बहुत गलत हुआ है आपके साथ..

रूपा - छोड़िये दीदी ये सब.. आपने ये साडी कहा से ली? बहुत खूबसूरत है..

सुमन - ये तो मुझे तोहफ़े में मिली थी. मेरी ननद ने दी थी..

रूपा - आप के ऊपर बहुत खिल रही है दीदी..

सुमन - शुक्रिया.. वैसे इस सूट में आप का मुक़बला करना भी बहुत मुश्किल है.. साधारण सूट को भी आपके इस रूप ने ख़ास बना दिया..

रूपा हस्ती हुई - क्या दीदी आप भी मज़ाक़ करती हो..


गौतम रूपा औऱ सुमन के बीच खड़ा था औऱ दोनों की बात सुन रहा था. रूपा अनजान बनने का नाटक बखूबी निभा रही थी औऱ गौतम समझ चूका था की रूपा सुमन से दोस्ती करना चाहती है मगर उसने भी अनजाने बनते हुए दोनों के बीच से किनारा ले लिया औऱ चुपचाप सीढ़िया चढने लगा..


रूपा सुमन से कई बातें उगलवा चुकी थी औऱ बहुत सी सही गलत बातें अपने बारे में भी बता चुकी थी.. सीढ़िया चढ़ते चढ़ते दोनों में अच्छी बनने लगी थी औऱ बाबा के दरवाजे पर पहुंचते पहुंचते दोनों आपसमे बात करते हुए खिल खिलाकर हसने लगी थी..

गौतम हमेशा की तरह बाहर ही रुक गया औऱ रूपा को आज साधारण लिबास में देखने लगा आज रूपा उसे बहुत आकर्षक लग रही थी..


रूपा का मकसद सुमन से दोस्ती करने का था औऱ वो उसी के साथ कतार में बैठ गई.. भीड़ ज्यादा थी मगर दोनों की बातचीत से समय का पता ही नहीं लगा.. सुबह ग्यारह बजे कतार में बैठी सुमन औऱ रूपा की बारी आते आते 2 बज गए थे तब तक दोनों पक्की सहेलियों की तरह बात करने लग गई थी..


सुमन की बारी आई तो वो बाबाजी को प्रणाम करके सामने बैठ गयी..

सुमन - बाबाजी आपने काम बताया था वो मैंने शुरु कर दिया है, बस अब जल्दी से अपना घर बनवा दो..

बाबाजी - बिटिया जो कहा था करते जा औऱ बाबा के सामने हाज़िरी लगाते जा.. सब हो जाएगा.. और याद रख तुझे घर से बढ़कर मिलेगा लेकिन उसके लिए तुझे एक कार्य करना होगा..

सुमन - बताइये बाबाजी..

बाबाजी - वक़्त आने पर तुझे पता चल जाएगा.. अभी उचित समय नहीं है..

सुमन - ज़ी बाबा ज़ी.. कहते हुए सुमन सामने से हट गयी औऱ रूपा बाबाजी के सामने बैठ गई..

बाबाजी - बोल बिटिया क्या चाहिए तुझे?

रूपा - मुझे जो चाहिए मैं कहकर नहीं बता सकती बाबाज़ी आप मेरे मन की बात समझो औऱ कोई उपाय बताओ उसे हासिल करने का..

बाबाजी - तुझे जो चाहिए वो तुझे जरूर मिलेगा लेकिन बटाइ में.. मैं पर्चा लिख देता हूँ तू अगर वैसा कर देगी तो जो तू मांग रही है तुझे जरूर मिल जाएगा..

रूपा - अगर ऐसा है तो बाबाजी.. मैं अपना सबकुछ आपको देने के लिए त्यार हूँ..

बाबाजी - मुझे तो खाने के लिए अन्न चाहिए बिटिया बाकी सब तू अपने पास रख.. ले पढ़कर आग में जला दे बाहर ये पर्चा.. जा..

रूपा ने पर्चा पढ़ा तो उसमें लिखा था की गौतम को अपने बेटे के रूप में हासिल करने के लिए उसे महीने में सिर्फ बार ही उसके साथ सम्भोग करना होगा उससे ज्यादा नही. रूपा ने पर्चा पढ़कर जला दिया..




गौतम हमेशा की तरह वही पेड़ के नीचे जाकर बैठ गया औऱ वापस उसे नज़ारे को देखने लगा जिसे वो बहुत बार देख चूका था.. आज फिरसे उसे नीचे कोई आता हुआ दिखा औऱ वो समझा गया की ये वही पागल है जिसे उसने पिछली बार जामुन तोड़कर दिए थे औऱ जिसे वो आदमी बड़े बाबा कहकर बुला रहा था..


बूढ़ा ऊपर आकर वापस गौतम से पानी माँगने लगा औऱ गौतम ने उसपर तरस खाकर वापस पानी दे दिया, बूढ़े ने उसी तरह कुछ बून्द हथेली में लेकर अपने सर पर दाल दी औऱ पानी पीकर बोतल वापस गौतम के पास रख दी..

बड़े बाबाज़ी - वापस आ गया तू?

गौतम - देख बुड्ढे मैं तेरे साथ बकचोदी करने के मूंड में नहीं हूँ.. तुझे चाहिए तो जामुन तोड़कर ला देता हूँ तू चला जा लेकर वापस नीचे चुपचाप..

बड़े बाबाज़ी - गुस्सा क्यू करता है बेटा.. मैं कुछ देने ही आया था तुझे पिछली बार की तरह..

गौतम - अबे ओ ढोंगी.. क्या लिया था मैंने तुझसे पिछली बार?

बड़े बाबाज़ी- अरे तूने ही तो बोला था ऐसा लिंग चाहिए जिसकी दीवानी हर औरत बन जाए.. भूल गया? वो तवयाफ जो अभी मठ के अंदर तेरी माँ के साथ बैठी है तेरी दीवानी बनी या नहीं.. बता? कहता है तो वापस ले लेता हूँ जो तुझे दिया है..


इस बार बाबाज़ी की बात सुनकर गौतम का सर चकरा गया औऱ वो बड़ी बड़ी आँखों से बाबाजी को देखने लगा, उसे अपने कानो पर यक़ीन नहीं आ रहा था..

बड़े बाबाजी - ऐसे क्या देख रहा है?

गौतम सकपका कर - आप कौन हो और ये सब कैसे जानते हो?

बड़े बाबाजी - मैं वीरेंद्र सिंह हूँ, और तेरे बारे में सब जानता हूँ.. बता कुछ चाहिए तो वरना मैं नीचे जाऊ?

इस गौतम हाथ जोड़कर - मुझे माफ़ कर दो..

बड़े बाबाजी - मैं तो तुझसे नाराज़ ही नहीं हूँ बेटा.. माफ़ क्यू मांगता है.. मुझे तो ये भी पता है वो तवायफ अभी तेरी माँ के साथ अंदर बैठी हुई तुझे होने बेटे के रूम में मांग रही है..

गौतम - मैं अपने किये पर शर्मिंदा हूँ बाबाजी.. आप सच में बहुत अन्तर्यामी हो.. मैं अगर आपके कोई काम आ सकता हूँ तो बता दो मैं जरूर काम आऊंगा..

बड़े बाबाजी - काम तो बहुत बड़ा है और बहुत मुश्किल है क्या तू कर पायेगा?

गौतम - आप कहकर देखिये बाबाजी मैं कुछ भी कर जाऊँगा..

बड़े बाबाजी - अभी तू मेरा काम करने को त्यार नहीं है.. जब होगा तब कह दूंगा.. अब तू अपनी जवानी का सुख भोग.. कुछ चाहिए तो मुझे बता.. मैं दे देता हूँ तुझे..

गौतम - मुझे कुछ नहीं चाहिए बाबाजी..

बड़े बाबाजी - अच्छा ठीक है फिर में चलता हूँ.. जब तू काम करने लायक़ हो जाएगा तब जरूर बताऊंगा..

ले धागा कलाई पर पहन ले जब ये काले से सफ़ेद हो जाए तब यहां आ जाना.. तब बताऊंगा मुझे क्या चाहिए.. औऱ हाँ जिस औरत का भी तेरे साथ सम्भोग करने का मन होगा, उसके सामने आते ही ये धागा लाल रंग का हो जाएगा..

गौतम - ठीक है बाबाजी..


बाबाजी ज़ी ये कहते हुए वापस नीचे चले गए औऱ गौतम उठकर वापस वही आ गया जहा से उसने रूपा औऱ सुमन को छोड़ा था.. उसने देखा कि रूपा सुमन के साथ खड़ी हुई आपस में हाथ पकडे हंसकर बातें कर रही थी..

गौतम - माँ चलना नहीं है?

सुमन - हाँ ग़ुगु.. चलते है, पर तू पहले आंटी का नम्बर फ़ोन में सेव कर ले.. बहुत पटेगी हमारी..

गौतम - ठीक है करता हूँ अब चलो.. आपके लिए एक सरप्राइज भी है..

सुमन - क्या?

गौतम - वो तो घर चलकर पता चलेगा..

रूपा - बुरा ना मानो नीचे साथ में एक एक कप चाय पीकर चले?

सुमन - हाँ हाँ क्यू नहीं..

सीढ़िया उतर कर सब वही पास में बनी एक चाय कि स्टाल पर आ गए.. औऱ चाय पिने लगे..

रूपा - कल आप क्या कर रही है?

सुमन - कुछ नहीं क्यू?

रूपा - तो फिर दीदी घर आइये ना ग़ुगु के साथ.. हम मिलकर खूब सारी बात करेंगे, एक साथ डिनर भी करेंगे और कोई अच्छी सी मूवी भी साथ बैठकर देखेंगे..

सुमन - ठीक है रूपा.. जैसा तुम कहो.. क्यू ग़ुगु.. चलोगे आंटी के घर मेरे साथ?

गौतम - हाँ हाँ क्यू नहीं.. ये भी तो घर की ही है..

सुमन - अच्छा अब इज़ाज़त दीजिये.. घर पर बहुत सा काम पड़ा है..

रूपा - हाँ बिलकुल.. पर याद रहे दीदी संडे को ग़ुगु के साथ घर आना होगा.. मैं कोई बहाना नहीं सुनूंगी..

सुमन - ज़ी पक्का..


गौतम औऱ सुमन रूपा से विदा लेकर घर की तरफ आ गए औऱ रूपा करीम की रिक्शा में बैठके वापस कोठे के लिए निकल पड़ी..

करीम - क्या हुआ बाजी.. पहली बार में ही मिल गया क्या जो चाहिए था?

रूपा - नहीं करीम.. पर लगता है मिल जाएगा.. अच्छा वो शहर वाला फ्लेट कब से बंद है जो कांति सेठ ने मेरे नाम किया था?

करीम - बाजी.. पहले तो किसी को किराए पर दिया था पर 3 साल से कोई औऱ आया नहीं वहा रहने.. तभी से बंद है..

रूपा पैसे देते हुए - अभी वहा की सारी साफ सफाई करवा दे.. मैं कल से अब वही रहूंगी..

करीम - जैसा आप बोले बाजी..

रूपा अपना फ़ोन देखती है तो गौतम का massage आया होता है..

गौतम - सूट में तुम बहुत प्यारी लग थी मम्मी.. अगर साथ में माँ नहीं होती तो इतना प्यार करता की याद रखती..

रूपा मुस्कुराते हुए मैसेज पढ़कर रिक्शा से बाहर देखने लगी.. और एक सिगरेट सुलगा कर गौतम को याद करते हुए मंद मंद मुस्कान अपने चेहरे पर सजा कर गौतम को याद करने लगती है..

Nice 👍👍👍👍
 

moms_bachha

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Update 49


घर पहुंचते पहुंचते दोनों को रात के 10 बज गए.. गौतम सुमन को गोद में उठा कर घर के अंदर ले गया और दरवाजा बंद कर दिया.. सुमन ने खुदको गौतम की गोद से नीचे उतरवाकर दिवार का सहारा लेती हुई बाथरूम की अंदर जा घुसी.. गौतम भी दूसरे बाथरूम में नहाने चला गया..

काफी देर तक गौतम शावर के ठन्डे पानी की नीचे खड़ा रहा और धीरे धीरे ब्रश करके नहा कर बाहर निकला उसके होंठों पर मुस्कान शाम से ही सजी हुई थी जो अब भी थी.. वो मुस्कुराते हुए ख्यालो में खोया हुआ प्रेम गीत गुन गुना रहा था और जब वो नहा कर बाथरूम से निकला और अपने बाल तौलिये से पोछ कर एक टीशर्ट और लोअर में कमरे से बाहर निकला तो उसने देखा की सुमन रसोई में चाय बना रही थी..

गौतम अपनी माँ को पीछे से बाहों में जकड़ लिया और पीछे से सुमन की गर्दन और गाल चूमता हुआ बोला..
गौतम - चाय की साथ चुत भी चाहिए माँ..
सुमन अपने आप को छुड़वाते हुआ - पेट नहीं भरा क्या तेरा अबतक? दर्द हो रहा है.. लाल होके सुजी पड़ी है पूरी.. अब तो कुछ दिन भूल ही जा मेरी चुत को..
गौतम चुत पर हाथ रखकर प्यार से सहलाते हुए - ज्यादा दर्द हो रहा है?
सुमन - मेरे दर्द से तुझे क्या? केसा जालिम बना हुआ था.. मैं चीख रही थी और तू बस मुझे चोदे जा रहा था.. जरा भी तरस नहीं आया तुझे अपनी माँ पर..
गौतम सुमन को अपनी तरफ पलटकर - गलती हो गई माँ.. माफ़ नहीं करेंगी तू अपने बेटे को?
सुमन - माफ़? खंडर की छत पर खुले आसमान के नीचे मुझे ऐसे लंड पर उछाल उछाल के चोद रहा था जैसे मैं तेरी माँ नहीं कोई रखैल हूँ.. मेरे ऊपर शराब गिरा दी मेरे ऊपर मूत दिया जैसे मैं कोई टके पर चुदाने वाली छिनाल हूँ.. बेशर्मी की सारी हद पार कर दी.. चुत और गांड में दर्द के साथ जलन हो रही है और अब वापस चोदना है शहजादे को..
गौतम सुमन के बंधे हुए बाल खोलकर - अच्छा ठीक है माँ.. पर तू ऐसे मुंह फुला के नाराज़ तो मत हो मुझसे..
गौतम जिस तरह से सुमन को देख रहा था उससे सुमन का दिल अब वापस जोरो से धड़कने लगा था और चुत में दर्द होने के बावजूद उसकी चुत में सरसरी मचने लगी थी और चुत गीली होने लगी थी.. मगर सुमन के लिए गौतम से ऐसी हालात में चुदना मतलब असहनीय दर्द को सहन करना था..

सुमन चाय छन्नी करती हुई - कैसे ना होउ नाराज़.. मेरे ही बेटे ने मेरी इज़्ज़त जो लूटी है आज..
गौतम - अब माँ भी तेरे जैसी पतली कमर और मोटी गांड वाली हो तो बेटा भी क्या करें? लंड तो उसके पास भी होता है..
सुमन चाय देते हुए - माँ सुन्दर हो तो क्या बेटे को चोद देना चाहिए?
गौतम पीते हुए - मैंने तो चोद दी मेरी माँ.. बाकियों का मुझे पता नहीं.
सुमन - चोद दी तो अब सो जा सुकून से.. अब क्यों पीछे पड़ा है.. मुझे तो चैन लेने दे अब..
गौतम सुमन की कमर में हाथ डालकर उसे अपने सीने से लगाते हुए - मैं तभी सोऊंगा जब मेरी बीवी मेरे साथ बिस्तर होगी..
सुमन गैस के पास पड़ा हुआ चाक़ू उठाके गौतम को दिखाते हुए - बीवी से पहले माँ हूँ तेरी.. अगर जबरदस्ती करने की कोशिश की तो ऐसा सबक सिखाउंगी कि याद रखेगा तू..
गौतम - पहले तो कभी ऊँगली तक नहीं दिखाई अब सीधा चाक़ू दिखाने लगी.. ले चुम लिया तेरे होंठों को अब कहो.. क्या सबक सिखाऊगी मुझे..

सुमन चाकू रखते हुए - होंठों को चूमने से कब रोका मैंने? कुछ और किया तब देखना क्या करती हूँ..
गौतम सुमन को गोद में उठाकर अंदर कमरे में बिस्तर पर ले जाता है..
सुमन - क्या कर रहा है.. छोड़ वरना मारूंगी तुझे.. आज बहुत बदतमीजी कर ली तूने मेरे साथ अब और नहीं..
गौतम सुमन के पास बैठकर - एक कविता लिखी है माँ.. तेरे लिए.. सुना दू..
सुमन - अच्छा तू लेखक भी बन गया? सुना क्या लिखा है तूने..
गौतम कमरे की लाइट्स ऑफ करके बेड पर आ जाता है और सुमन के बगल में बैठ जाता है..
सुमन एक सिगरेट जलाकर कश लेती हुई गौतम को देखने लगती है जो एक नोटबुक और पेन लेकर उसके बगल में आ बैठा था और फोन के टोर्च की रौशनी में नोटबुक पर लिखा हुआ पढ़ने लगा था...
गौतम - सुनो...
सुमन सिगरेट का एक कश लेकर - सुना..
गौतम - लिखा है कि...

कितनी प्यारी प्यारी है..
माँ तू सबसे न्यारी है..
तुझे देखकर सब कहते है..
कि तू बहुत ही संस्कारी है..

सुमन - वाह.. मेरा गौतम तो बहुत अच्छा लिखता है..
गौतम सिगरेट छीनकर बुझाते हुए - आगे सुनो.. और ये सिगरेट रहने दो.. आजकल बहुत सिगरेट पिने लगी हो तुम.. अब बोलना मत बीच में..

तेरे रेशम जैसे बाल है माँ..
सूरत भी क्या कमाल है माँ..
गर्दन सुराहीदार है तेरी..
और होंठ भी लाल लाल है माँ..

तेरी छाती पर चुचक खड़े हुए..
चुचे से चुचे अड़े हुए..
कोहिनूर से ज्यादा कीमती है..
तेरे चुचो पर तिल माँ जड़े हुए..

तेरी चिकनी चिकनी कमर है माँ..
और चालिस के पार उमर है माँ..
जो कहती है दुनिया कहने दे..
तेरा और मेरा प्यार अमर है माँ..

अगर कमर से नीचे आउ मैं..
फिर क्या माँ तुझे बताऊ मैं..
तेरी जांघे पनघट के पत्थर सी..
जिनपे फिसलके गिर जाऊ मैं..

तेरी जांघो के जोड़ पर जंगल है..
तूने साफ किया है मंगल है..
अब हर दिन होगा माँ युद्ध यहां..
जमकर होगा अब दंगल है..

तेरी सुर्ख गुलाबी चुत है माँ..
इससे निकला तेरा सपूत है माँ..
कुछ पवित्र है तो इस दुनिया में..
तेरी चुत से निकला मूत है माँ..

माँ मैं तुझको पाना चाहता हूँ..
दिल से अपनाना चाहता हूँ..
तेरे साथ यहाँ इस बिस्तर में..
माँ मैं उम्र बिताना चाहता हूँ..

गौतम - केसा लिखा है?
सुमन गौतम के हाथ से नोटबुक और पेन लेकर साइड में रख देती है फिर गौतम को पीछे धकेल कर उसकी टीशर्ट उतारते हुए अपना ब्लाउज खोलकर अपनी नंगी छाती गौतम के नंगे सीने से चिपका देती है और कहती है - अगर तू कभी छोड़कर गया तो जान से मार दूंगी तुझे.. समझा? इतना कहकर गौतम के होंठ चूमने लगती है...
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गौतम सुमन के होंठों को चूमते हुए अपने मुंह कि लार सुमन के मुंह कि लार से मिला कर चुम्बन को प्रगाड़ करके चुम्बन का आंनद लूटने लगता है..
सुमन चुम्बन तोड़कर - फ़ोन आ रहा है ना..
गौतम - हां.. तेरा है मेरी जान..
सुमन फ़ोन उठाकर - हेलो..
जगमोहन - सुमन.. कल गाँव जाना है रीत निभाने.. सुबह मैं जल्दी आ जाऊंगा.. गौतम को फिर से कहीं मत भेज देना..
सुमन गुस्से से - मुझे सिखाने कि जरुरत नहीं है.. तुम आये तो ठीक है वरना मैं और मेरा ग़ुगु दोनों कल सुबह 9 बजे गाँव चले जायेंगे..
जगमोहन - मैं आ जाऊंगा.. हर वक़्त गुस्से में रहती हो.. फ़ोन कट जाता है..
गौतम - मैं कुसुम से शादी नहीं करूँगा..
सुमन अपनी साडी कमर तक उठाकर चड्डी नीचे सरका देती है और गौतम के लोअर को भी नीचे सरका कर उसका लंड पकड़कर अपनी सूजी हुई चुत के छेद पर टिका कर धीरे से अंदर करती हुई कहती है - शादी तो करनी पड़ेगी मेरे शहजादे...
गौतम सुमन का हाथ पकड़कर - क्या कर रही है दर्द होगा तुझे..
सुमन हाथ छुड़वा कर गौतम का लंड धीरे से अपनी चुत में घुसा लेती है और कहती है - चोदने के लिए मना किया है.. घुसाने के लिए नहीं.. और कुसुम से तो तुझे शादी करनी ही पड़ेगी.. समझा..
गौतम - मैं तेरे अलावा और किसी से शादी नहीं करूँगा..
सुमन मज़ाकिया अंदाज़ में - क्यों? तेरा ये लंड दो बीविया नहीं संभाल सकता?
गौतम - दो नहीं चार संभाल सकता है.. पर मैं नहीं करूंगा शादी..
सुमन गौतम को अपने नीचे पूरी तरह खींचकर करवट लेते हुए - मुझे नींद आ रही है..
गौतम सुमन को अपने ऊपर सुलाते हुए - मैंने कह दिया तो कह दिया.. समझी.. और कल मैं जाऊँगा भी नहीं गाँव..

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सुमन - हम्म..
गौतम - क्या हम्म..
सुमन - सो जा मेरे पतिदेव.. कल मेरी सौतन से भी मिलना है तुझे...
गौतम - तू सुन रही है मैं क्या कह रहा हूँ?
सुमन आँख बंद किये हुए - हम्म..
गौतम - फिर हम्म..
सुमन - सो जा ना ग़ुगु..
गौतम सुमन को थोड़ा ठीक से अपने ऊपर करते हुए चादर ओढ़कर सुलाते हुए - ऐसे चुत में लंड डाल के सोउ?
सुमन उसी तरह आँख बंद किये हुए - हम्म..
गौतम आगे कुछ नहीं कहता और सुमन के सर पर प्यार से हाथ फेरता हुआ उसे सुला देता है और कुछ देर बाद खुद भी सो जाता है..

सुबह जब उसकी आँख खुलती है तो वो देखता है उसका लंड अभी भी उसकी माँ सुमन कि चुत में घुसा हुआ था और वो उसी तरह गौतम के साथ स्टी हुई सो रही थी.. उसके हाथ का धागा सफ़ेद हो चूका था.. और गौतम समझ जाता है कि बाबाजी के कार्य का वक़्त आ चूका है..

सुमन की जब आंख खुली तो उसने देखा कि गौतम उसके बाल संवारते हुए उसे ही देखे जा रहा था.. सुमन ने भी मुस्कुराते हुए गौतम को देखा और गौतम के ऊपर से अपनी चुत से उसका लंड निकालती हुई उठकर बेड पर एक तरफ बैठ गई और पास पड़े ब्लाउज को पहनने लगी...


गौतम ने बेड से खड़े होते हुए अपनी मां को गुड मॉर्निंग बोला और पूछा..
गौतम - चाय बना दू?
सुमन ब्लाउज के बटन बंद करती हुई मुस्कुराकर - हम्म..
गौतम रसोई की तरफ जाते हुए - अब भी हम्म..
गौतम रसोई में जाकर चाय बनाने और सुमन लंगड़ती हुई बाथरूम में नहाने चली जाती है..
बाथरूम से नहा कर वापस आती है तो देखती है कि गौतम उसके सामने हाथों में चाय लिए खड़ा है और उसी को बाथरूम से बाहर आते हुए देख रहा है..
सुमन का बदन गिला था और उसने अपने गीले बालों को भी ऐसे ही बंधा हुआ था.. सुमन ने अपने बदन पर काले कलर का ब्लाउज और पेटीकोट पहना था मगर उसने ब्रा नहीं पहनी थी जिससे उसका कमर से ऊपर बदन साफ साफ नज़र आ रहा था.. ब्लाउज की पारदर्शिता बहुत ज्यादा थी सुमन के खड़े हुए चुचक गौतम को ही देख रहे थे..

सुमन में चाय लेते हुए गौतम से कहा - तू भी नहा ले. जगमोहन आता होगा.. और लंगड़ती हुई अलमीरा की तरफ चली गई.. उसकी चाल देखकर गौतम हसता हुआ बोला..
गौतम - लंगड़ी घोड़ी..
सुमन गौतम की बात सुनकर - लंगड़ी भी तूने ही किया है मुझे.. बिगड़ैल शहजादे..
गौतम बाथरूम में जाते हुए - अच्छा सुन ना सुमन.. मेरे कपड़े निकल देना.. मैं नहाके आता हूँ..
सुमन मुस्कुराते हुए - जैसा आप कहो मेरे पतिदेव...
गौतम नहाने घुस जाता है और सुमन गौतम के कपड़े निकाल कर एक बैग पैक कर लेती जिसमे उसका और गौतम का सामान भरा होता है..
गौतम नहाने के बाद कपड़े पहनकर तैयार हो जाता है और सुमन रसोई में नास्ता बनाने लगती है उसने एक आसमानी शाडी पहनी थी और अब उसके बदन पर पुरे कपड़े थे जिसमे ब्रा ब्लाउज और बाकी चीज़े भी शमील थी..

गौतम कमरे से रसोई में आता हुआ - क्या बना रही हो?
सुमन अंडा फोड़ते हुए - ऑमलेट बना रही हूँ..
गौतम अपने फ़ोन पर किसी का फ़ोन आता देखकर - ब्रेड भी सेक देना माँ..
सुमन बिना पीछे देखे - ठीक है मेरे शहजादे..
गौतम फोन उठाकर बात करता हुआ छत ओर चला जाता है वही नीचे जगमोहन आ जाता है..

जगमोहन - लो.. तुमने नो बजे कहा था मैं आठ पर ही आ गया..
सुमन चाय का कप देते हुए - बहुत बड़ा बहादुरी का काम कर दिया.. 26 जनवरी को सरकार से कहकर मैडल दिलवा दूंगी..
जगमोहन - अरे सुबह सुबह तो मूंड सही रखो.. अब तो घर भी मिल गया तुम्हे.. और पैरों में क्या हुआ?
सुमन - सीढ़ियों से गिर गई.. और घर तुमने तो नहीं दिलवाया.. बात करते हो..
जगमोहन - अंडे? तुम अंडे बना रही हो?
सुमन - तो? ऐसे चौंक क्यों रहे हो.. गौतम को छुप छुप के बाहर खाना पड़ता था तो अब उसकी पसंद का खाना यही घर ही बना रही हूँ.. तुम्हे कोई परेशानी तो कहो..
जगमोहन - हम शाकाहारी लोग है.. और तुम ये सब बना रही हो..
सुमन - तुम्हारे लिए नहीं है.. मैने और मेरे बेटे ने खाना शुरु कर दिया.. अब तुम मना करो या ना करो.. तुम्हरी कोई नहीं सुनने वाला..
जगमोहन - सुमन.. तुम्हारे कारण हुआ है ये.. गौतम पर ध्यान देती तो वो ये सब ना करता.. इतना ना बिगड़ता..
सुमन जगमोहन की बात अनसुनी करते हुए - खुद तीन तीन शादी करके बैठो हो और गौतम के बिगड़ने की बात कर रहे हो..

यहां ये सब चल रहा था कि छत पर गौतम फ़ोन उठाते हुए बोला - गुडमॉर्निंग बुआ..
पिंकी - गुडमॉर्निंग बाबू.. क्या कर रहा है?
गौतम - बस आपको याद कर रहा था..
पिंकी - हाय.. मुझे भी तेरी याद आ रही थी बाबू.. एक खुशखबरी सुननी है तुझे..
गौतम - कैसी खुसखबरी बुआ? माँ बनने वाली हो क्या?
पिंकी - हाँ मेरे बाबू.. तेरी बुआ के पेट में तेरा बच्चा लग गया है.. तू बाप बनने वाला है..
गौतम - क्या जबरदस्त खुशखबरी दी है बुआ सुबह सुबह.. मन कर रहा है आपके पास उड़ के आ जाऊ और गले से लगा के इतना चूमु की होंठ दर्द करने लग जाए..
पिंकी - तो आजा ना बाबू.. मैं सर से पैर तक तेरी ही तो हूँ.. जो करना है वो कर लेना..
गौतम - गाँव जा रहा हूँ बुआ माँ के साथ.. वरना पक्का आ जाता आज आपके पास..
पिंकी - अच्छा मैं ही आ जाउंगी तेरे पास जल्दी..
गौतम - बुआ कुसुम कैसी लड़की है?
पिंकी - अच्छा तो ये बात है.. तेरी माँ मान गई रीत निभाने के लिए.. तभी गाँव की सैर पर निकले हो तुम सब...
गौतम - बताओ ना बुआ.. मैंने कभी देखा तक नहीं उसे.. और अब शादी करने वाला हूँ...
पिंकी - बहुत अच्छी लड़की है बाबू.. तोड़ी सी गुस्सैल है पर तुझे बिस्तर में पूरा खुश रखेगी.. हर सुख देगी..
गौतम - कोई और तो नहीं है उसकी लाइफ में?..
पिंकी - अरे तू जाके खुद ही पता कर लेना अपनी होने वाली दुल्हन के बारे में..
गौतम - मैं शादी भी नहीं करना चाहता बुआ.. मेरे साथ तो माँ जबरदस्ती कर रही है.. अगर उनकी बात ना मानु तो मुझसे रूठ जाएंगी...
पिंकी हसते हुए - अरे भाभी से इतना प्यार है मेरे बाबू को.. उनके रूठने के डर से शादी कर रहा है..
गौतम - छोडो यार बुआ.. इतनी सी उम्र में शादी हो रही है..
पिंकी - बाबू अभी शादी नहीं करनी तो रीत निभा ले बंधन में दो साल बाद ले लेना.. तब तक मगेतर बनाकर रख कुसुम को..
गौतम - ऐसा हो सकता है..
पिंकी हसते हुए - हाँ तू कुसुम को मना ले.. जो कुसुम कहेगी वही होगा.. और कुसुम को शादी से पहले पेट से मत मर देना..
गौतम - मैं तो छूने भी नहीं वाला उसे बुआ..
पिंकी - वो छू लेगी तुझे.. जो उसका होता है उसे वो दिल से लगा के रखती है..
गौतम - इतनी गले पड़ने वाली है लड़की है?
पिंकी - अब तू कुछ समझ.. एक बात तय है वो प्यार बहुत करेगी तुझे.. पलकों पर सजा कर रखेगी तुझे.. तेरी हर बात मानेगी.. 4 साल पहले आखिरी बार जब मैंने उसे देखा तब उसका जोबन फूल सा खिलने लगा था.. अब अठरा की हो गई.. जोबन को तेरे लिए सजा के रखी होगी..
गौतम - मुझे क्या करना है बुआ उसके जोबन से.. मुझे तो आप पसंद हो..
पिंकी - कुसुम होने वाली पत्नी है तेरी बाबू.. तुझे भी उसे खुश रखना होगा समझा.. नहीं तो वो बहुत परेशान करेगी तुझे..
गौतम - देखा जाएगा बुआ.. छोडो.. वैसे आपके पति फ़कीर चंद को पता है आप माँ बनने वाली हो..
पिंकी - वो तो ये खबर सुनते ही ख़ुशी से उछल पड़े थे.. अब भी ख़ुशी से इधर उधर घूम रहे होंगे.. उनको लगता है ये उनका बच्चा है..
गौतम - सही है बुआ.. अच्छा माँ बुला रही है.. बाद में बात करता हूँ..
पिंकी - चल बाय मेरा बाबू...
गौतम - बाय बुआ.. Love you..
पिंकी - love you too बाबू...

जगमोहन - मुझे बात ही नहीं करनी तुमसे.. मैं बाहर इंतजार कर रहा हूँ.. जब चलना हो तो बता देना.
जगमोहन बाहर चला जाता है और गौतम नीचे आ जाता है..
गौतम - तुम्हारे पतिदेव कहा है?
सुमन नाश्ता देकर गौतम के गाल चूमती हुई - वो तो यही पर है..
गौतम नास्ता करते हुए - अरे दूसरे वाले..
सुमन - बाहर चले गए.. इतनी बेज्जती की कि अपनेआप उठकर बाहर चले गए..
गौतम - कभी प्यार से बात कर लो उनसे..
सुमन लंगड़ती हुई कमरे में जाकर बेग उठाकर लाती हुई - तू है ना प्यार करने के लिए और किसी कि क्या जरुरत..
गौतम - तुम्हारा नाश्ता?
सुमन मुस्कुराते हुए - वो तो कल ही हो गया था.. आज भूक नहीं है..
गौतम सुमन को खिलाते हुए - थोड़ा तो खा लो.. आओ.. मैं खिला देता हूँ अपने हाथों से..
सुमन खाते हुए - बस बस.. और नहीं..
गौतम - एक और.. बस..
सुमन - बस गौतम.. पेट भरा हुआ है..
गौतम - ठीक है.. हो गया मेरा भी.. चले..
सुमन - तू बेग लेजाकर रख मैं आती हूँ ये सब साफ करके..
गौतम सुमन के गाल चूमता हुआ - ठीक है मेरी लंगड़ी घोड़ी..
गौतम बेग दिग्गी में रखता है.. वही पास खड़ा जगमोहन कहता है..

जगमोहन - पिंकी बड़ा ख्याल रखती है तेरा.. कार भी दिलवा दी तुझे...
गौतम - आपने तो आजतक कुछ नहीं दिलवाया मुझे.. एक बार बुआ से बात कर लो.. आपको नोकरी भी दिलवा देगी.. कब तक हवलदारी करोगे..
जगमोहन - ये घर मेरी कमाई से बना है बेटा.. और क्या चाहिए तुझे?
गौतम हसते हुए - माँ ने लिया आपकी दूसरी पत्नियों से.. सुना है आपसे रिश्ता भी तोड़ दिया उन्होंने..
जगमोहन - छोड़ उन बातों को..
गौतम - मैं सही कह रहा हूँ.. बुआ से बात कर लो.. लोग मुझे ठुल्ले कि औलाद कहते है बहुत शर्म आती है..
जगमोहन - बेटा पुलिस वाला है तेरा बाप..
गौतम - काहे का पुलिस वाला.. इतने सालों से कांस्टेबल के कांस्टेबल हो..
जगमोहन - मेरी ड्यूटी जयपुर में ips के पास लगने वाली है..
गौतम हसते हुए - वो तो फिर कपड़े धुलवायेगा आपसे.. हो सकता है आपको उसके घर में झाडू भी लगानी पड़े.. मैंने जैसा देखा वैसा बता रहा हूँ..
जगमोहन - मत बता.. अपनी माँ को बुला.. चलना भी है..
गौतम - आ रही है..
जगमोहन - तेरा कोई चक्कर तो नहीं है ना किसी के साथ.. कुसुम से ही तेरी शादी होनी है याद रखना..
गौतम - आप चिंता मत करो.. चक्कर चला के मैं शादी नहीं करता आपकी तरह...
जगमोहन - तू भी तेरी माँ का सिखाया हुआ है क्या? बात बात में ताने मार रहा है..
गौतम - माँ आ गई..

गौतम ड्राइविंग सीट पर बैठ जाता है और उसके बगल में जगमोहन बैठ जाता है और पीछे सुमन बैठ जाती है.. गौतम गाड़ी चला कर हाईवे पर ले लेता है और गांव चलने के लिए निकल पड़ता है.. रास्ते में किसीने भी ज्यादा बात नहीं की और अगले तीन घंटे में गौतम सुमन और जगमोहन के साथ गांव पहुंच गया था..


मानसी - आओ सुमन.. तुम्हे क्या हुआ?
सुमन - कुछ नहीं हलकी सी मोच आई है पैरों में ठीक हो जायेगी कुछ दिनों में..
हेमा - अरे आ गया मेरा पोता.. हाय किसी की नज़र ना लगे मेरे ग़ुगु को.. कितना प्यारा मुखड़ा है.. बिलकुल राजकुमार लगता है..
जगमोहन - इतना लाड प्यार मत करो माँ.. पहले ही बहुत बिगड़ा हुआ है और बिगड़ जाएगा..
मानसी - भाईसाब अब इसके सिवा कौन है जिसे लाड प्यार करें.. माँ अंदर लेकर चलो हमारे ग़ुगु को.. बाहर किसी की नज़र ना लग जाए..
बृजमोहन - भाईसाब शाम को पंचायत की हाज़िरी में कुसुम और गौतम की रित निभाने की बात है..
जगमोहन - ठीक है बृज.. सब तैयारी तो हो चुकी है ना..
बृजमोहन - हाँ.. रीत निभाने की सारी तैयारी हो चुकी है..
हेमा चाय लेते हुए - कुसुम कहा है? अभी तो इधर उधर घूम रही थी अब नज़र नहीं आ रही..
मानसी - अपने कमरे में होगी माँ.. बाहर आने से शर्मा रही है..
हेमा - और गौतम कहा गया?
सुमन - छत पर गया है.. छत से गाँव दीखता है ना..
मानसी - मैं चाय देके आती हूँ ग़ुगु को..
हेमा - अरे तू क्यों जाती है? कुसुम को भेज.. मिलेंगे तो कुछ बात होगी.. साथ रहना है अब उनको..
मानसी कुसुम के कमरे में जाती हुई - ठीक है माँ जी..
मानसी - कुसुम..
कुसुम - हाँ माँ..
मानसी - ले चाय दे आ तेरे दूल्हे राजा को.. छत पर है..
कुसुम शरमाते हुए - माँ.. आप दे आओ ना..
मानसी - ठीक है तुझे नहीं जाना तो मैं ही दे आती हूँ..
कुसुम - माँ..
मानसी - अब क्या है?
कुसुम चाय लेते हुए - मैं दे आती हूँ..
मानसी मुस्कुराते हुए - अच्छा जी.. सिर्फ चाय देके आना.. समझी..
कुसुम - माँ..

कुसुम चाय लेके छत पर आ जाती है और गौतम को पीछे लहलहाते खेत की और देखते हुए अपनी बढ़ी हुई दिल की धड़कन के साथ उसके पास पीछे की तरफ आ कर खड़ी हो जाती है..

कुसुम नज़र झुका कर - जी चाय...
गौतम जब पीछे मुड़कर देखता है तो फिर देखता ही रह जाता है.. उसके मुंह में जैसे जबान ही नहीं थी उसे कुसुम को देखकर किसी की याद आ गई जिसे वो पहले भी देख चूका था वही चेहरा वही रंग रूप वही आवाज.. गौतम ऐसे खड़ा हुआ कुसुम को देख रहा था जैसे उसने कोई अजूबा देख लिया हो..

कुसुम नज़र झुका कर शरमाते हुए - जी चाय ले लीजिये.. ठंडी हो जायेगी..

गौतम ख्याल से बाहर आता हुआ चाय का कप कुसुम से ले लेता है और कुसुम पहली बार गौतम के चेहरे को देखती है अपनी आँखों में गौतम के सुन्दर चेहरे को बसाने लगती है वही गौतम भी कुसुम के प्यारे से भोले चेहरे को देखे जा रहा था..

गौतम - शुक्रिया..
कुसुम धीमी आवाज में - कुछ और चाहिए?
गौतम - नहीं.. तुम कौन हो?
कुसुम शरमाते हुए - कुसुम..

ये कहते हुए कुसुम नीचे जाने के लिए मुड़ गई और तेज़ कदमो के साथ नीचे अपने कमरे में वापस आ गई.. उसकी होंठों पर मुस्कुराहट, दिल की बढ़ी हुई धड़कन और तेज़ चल रही सांस उसके मन का हाल बयाँ कर रही थी..

गौतम चाय पीते हुए कुछ और सोच रहा था.. कैसे ऐसा मुमकिन है कि एक जैसे दो लोग हो सकते है.. मगर उसने इस बात को छोड़ते हुए गाँव के मनभावन और मनोहर दृश्य को देखते हुए चाय का आंनद लेना ज्यादा जरुरी समझा..

शाम हो चुकी थी और गाँव की चौखट पर पंचायत के सामने अपनी बनाई रीति से कुसुम और गौतम आमने सामने खड़े थे..

पंचायत ने दोनों की रित निभाने का कार्य शुरु कर दिया और सब हंसी ख़ुशी से संपन्न भी हो गया.. आखिर में बंधन जिसमे लड़का लड़की को अपने साथ लेजाकर पति पत्नी की तरह रखता है उसकी तारीख तय करने के लिए दोनों को बात करने के लिए कहा..

गौतम - मुझे थोड़ा समय चाहिए..
कुसुम - मंजूर है..
पंचायत का एक आदमी - कितना समय चाहिए? कोई तारीख कहो..
गौतम - 2-3 साल..
पंच का आदमी - बेटी बोल.. मंजूर है कि नहीं?
कुसुम - नहीं..
पंच का आदमी - तो कितना समय देगी अपने मर्द को बंधन के लिए?
कुसुम - 2-3 हफ्ते दे दूंगी..
गौतम - पागल है क्या? 2-3 हफ्ते? कम से कम दो साल तो चाहिए मुझे.. एक दम से कैसे बंधन में ले लु..
कुसुम - 1 महीना.. बस उससे ज्यादा नहीं..
पंच का आदमी - अरे ये तो पहले से तय करना था ना बृजमोहन और जगमोहन को.. लड़का और लड़की एक मत है ही नहीं..
गौतम - मैं इतना जल्दी ये सब नहीं कर सकता.. मुझे समय चाहिए..
पंच का आदमी - बेटी बोल क्या कहती है.. आखिरी में लड़के को लड़की की ही बात माननी पड़ेगी तू कितना समय देगी अपने दूल्हे को साथ ले जाने के लिए..
कुसुम - उन्हें समय चाहिए तो 2 महीने दे दूंगी...
गौतम - मुझे मंजूर नहीं है..
पंच का आदमी - बेटा तेरे मंजूर करने से कुछ नहीं होता..
गौतम कुसुम से - 6 महीने तो दे कम से कम..
कुसुम गौतम को देखकर - 3 महीने बस.. और नहीं..
पंच का आदमी - तो ठीक है आज से तीन महीने बाद इसी तारीख को यही बंधन होगा और फिर लड़का लड़की को अपने साथ ले जाएगा और पत्नी की तरह रखेगा..

बृजमोहन - पंचो पहले आप लोग खाने की शुरुआत करो..
जगमोहन - हाँ.. रसोई तैयार है..
गौतम वापस घर आ जाता है और उसके पीछे पीछे सुमन भी घर आ जाती है..
मानसी और सुमन घर जाने लगती है तो हेमा उन दोनों को रोक लेती है और कहती है..
हेमा - तुम दोनों कहा चली.. जाने दो उन दोनों को अकेले में बात करेंगे तो अच्छा रहेगा..
सुमन - दोनों झगड़ा ना करें..
मानसी - हां माँ देखा नहीं दोनों कैसे बात कर रहे थे..
हेमा - करते है तो करने दो.. झगडे से प्यार बढ़ता है..
गौतम फिर से छत पर चला जाता है और कुसुम भी उसके पीछे पीछे छत पर आ जाती है..
गौतम गुस्से से - पीछे पीछे क्यों आ रही हो? क्या चाहिए तुम्हे?
कुसुम प्यार से - इतना क्यों बिगड़ते हो..
गौतम - बिगडू नहीं तो क्या करू? तुम्हे बड़ी जल्दी है शादी की.. मैं मना तो नहीं कर रहा शादी से..
कुसुम उसी प्रेम से - हामी भी कहा भर रहे हो.. पहली नज़र में भा गए हो तुम.. कैसे रहूंगी इतना समय दूर मैं?
गौतम पलटकर सिगरेट निकलकर लाइटर से जलाकर कश लेते हुए - अच्छी मुसीबत है..
कुसुम नजदीक आकर गौतम के होंठों से सिगरेट छीनकर फेंक देती है और कहती है - पूरी रात तुम्हारी तस्वीर गले लगाकर तुम्हारे ख्याब देखें है मैंने.. इतना बिगड़ोगे तो अपनी जान दे दूंगी.. फिर तुम्हारी मुसीबत ख़त्म..

गौतम - सिर्फ 21 साल का हूँ मैं.. अभी से शादी कैसे करूंगा? मैं खुद बच्चा हूँ..
कुसुम गले लगते हुए - मैं संभल लुंगी तुम्हे.. शादी कर लेते बच्चा जब तुम कहोगे तब करेंगे..
गौतम - यार कैसी बातें कर रही है शर्म नहीं आती तुझे?
कुसुम मुस्कुराते हुए - आती है ना.. पर तुम्हे देखकर प्यार भी बहुत आता है.. इतने सुन्दर हो मेरी तो नज़र ही नहीं हट रही.. मैं तो चाहती हूँ आज ही हमारा बंधन हो जाए और तुम मुझे ले जाओ अपने साथ.. और खूब सारा प्यार करो..
गौतम कुसुम को देखते हुए - मैंने तो सुना था गाँव की लड़किया बहुत शर्मीली होती है पर तुम तो बहुत अलग हो... तुम्हे तो लड़का होना चाहिए था..
कुसुम - अगर मैं लड़का होती तो तुम लड़की होते.. मेरे साथ में तो तब भी रहना पड़ता तूम्हे.. और मैं तो बहुत बुरा लड़का होती.. रोज़ शराब पीकर तुम्हारे साथ मार पिट करती.. और तुम्हे अपने पैरों में रखती.. और तुम रोज़ मेरे सामने सर झुका कर सुनो जी.. सुनो जी.. करते..
गौतम हसते हुए - अच्छा है तुम लड़का नहीं हो..
कुसुम - हम्म.. माँ भी मेरा गुस्सा देखकर यही कहती है.. तुम्हे भी मुझे झेलना होगा.. मेरे गुस्से को भी संभालना होगा..

गौतम दिवार का सहारा लेकर बैठते हुए - सब मेरे नखरे उठाते है मैं तेरे उठाऊंगा? तू कितनी गलतफहमी में है.. मैं अपनी मर्ज़ी का मालिक हूँ..
कुसुम बगल में बैठती हुई - एक बार मुझे साथ ले जाओ.. फिर देखना मेरी मर्ज़ी से सब करोगे..
गौतम - अच्छा? जादू टोना जानती हो..
कुसुम - हाँ.. दादी कहती है जरुर पिछले जन्म में मैं जादूगरनी थी.. मैं जिसे गुस्से दे देखु वो फूल भी मुरझा जाता है और प्यार से देखु तो मुरझाया हुआ फूल भी खिल उठता है..
गौतम कुछ सोचकर - ऐसी बात है?
कुसुम - हाँ.. कोई शक है तुम्हे?
गौतम कुसुम को घूर कर उसके हाथ पकड़ते हुए - घर में कोई नहीं है..
कुसुम शर्म से नज़र चुराते हुए - बंधन से पहले कुछ करने की सोचना भी नहीं..
गौतम - अगर कुछ कर दू तो...
कुसुम गौतम को देखकर - चूमने की इज़ाज़त है उससे ज्यादा करोगे तो छत से धक्का दे दूंगी..
गौतम - क्या चूमने की..
कुसुम शरमाते हुए - होंठ...
गौतम छेड़ते हुए - कोनसे? ऊपर वाले या नीचे वाले?

कुसुम समझ जाती है गौतम किन होंठों की बात कर रहा है और वो शर्मा कर धत.. कहते हुए गौतम से अपना हाथ छुड़वा कर छत से नीचे चली जाती है और गौतम मुस्कुराते हुए कुसुम के बारे में कुछ सोचने लगता है..

गौतम छत पर खड़ा हुआ ये सब सोच ही रहा था कि उसके फ़ोन पर किसी का फ़ोन आता है..
हेलो..
हेलो गौतम..
हाँ.. तुम कौन?
मैं किशोर.. बड़े बाबाजी बात करना चाहते है तुमसे..
बड़े बाबाजी - गौतम..
गौतम - प्रणाम बाबाजी..
बड़े बाबाजी - मेरे कार्य का समय आ गया है बेटा..
गौतम - बाबाजी मैं कल ही आपके पास आ जाऊंगा..
बड़े बाबाजी - कल नहीं गौतम दो दिन बाद.. अमावस के दिन मेरा कार्य शुरु होगा जो अगली अमावस तक चलेगा..
गौतम - ठीक है बाबाजी मैं आ जाऊंगा..
बड़े बाबाजी - बेटा.. तुम अपने साथ अपनी जरुरत का सारा सामान लेकर आना.. तुम्हे कुछ दिन यही रुकना होगा.. जिसे भी तुम बताना चाहते हो उसे कोई और कारण बताकर आना..
गौतम - टेंशन मत लो बाबाजी मैं कह दूंगा वर्ल्ड टूर पर जा रहा हूँ.. मैं आपके पास आ जाऊंगा..
बड़े बाबाजी - ये मज़ाक नहीं है बेटा.. जैसा कहता हूँ वैसा ही करना..
गौतम - जी बाबाजी.. मैं कोई बहाना बनाकर आपके पास आ जाऊंगा कुछ दिनों के लिए..
बड़े बाबाजी - मैं प्रतीक्षा करूँगा बेटा.. समय से उपस्थित हो जाना वरना तुम्हे जो भी मुझसे मिला है वो तुमसे छीन जाएगा...
गौतम - क्या बात कर रहे हो बाबाजी.. मैं आ जाऊंगा.. आप कुछ भी मत छीनना.. अच्छा अब रखता हूँ..
बड़े बाबाजी - ठीक है बेटा..


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Dhakad boy

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Ekdum jabardast update
To Gautam ki kusum se mangani ho gayi hai or 3 mahine baad sadi hai
Or bade babaji ne bhi Gautam ko apne karya se bula liya hai 1 mahine ke liye
Pratiksha rahegi agle update ki
 
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