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ayush01111

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हेमा - सुमन नीचे ही सोजा मेरे पास तेरे पैरों में मोच है ना..
सुमन - ठीक माँ जी..
मानसी - ग़ुगु ऊपर वाले कमरे में चल मैं बिछोना लगा देती हूँ तेरा..
हेमा - जग्गू.. तू भी यही सोजा..
जगमोहन - हाँ माँ... बहुत सालों बाद मौका मिला है.. बहुत बात करनी है आज..
हेमा - कुसुम.. बृजमोहन कहा चला गया?
मानसी ऊपर जाते हुए - कहा जाएंगे माँ जी.. खेत कि तरफ गए है.. या अपनी मंडली की बैठक में होंगे शराब पिने..

गौतम - चाची.. आराम से.. मैं उठा लेता हूँ गद्दा..
मानसी मुस्कुराते हुए - तू मेरा जमाई राजा है ग़ुगु.. तुझसे काम थोड़ी करवाउंगी.. हट मैं खाट पर गद्दा डाल देती हूँ..
गौतम - चाची.. कितना काम करती हो थकती नहीं हो..
मानसी - इसमें थकावट कैसी बेटा.. शहर की औरत थोड़े हूँ जो थोड़ी सी मेहनत में थक जाऊ.. काम करने की आदत है मुझे तो..
गौतम - चाचा ऐसे ही देर तक बाहर रहते है आपको घर में अकेला छोड़कर?
मानसी हसते हुए - वो तो अपनी मर्ज़ी के मालिक है.. उसने कुछ कहना यानी दिवार में सर देना.. ले तेरा बिस्तर तैयार हो गया.. तू आराम कर..
गौतम मानसी का हाथ पकड़ते हुए - चाची आप कहा जा रही हो? थोड़ी देर बैठो ना मेरे साथ..
मानसी गौतम के साथ बैठते हुए - लगता है अकेले सोने में डर लगता है मेरे जमाई को..
गौतम - अब इतना अंधेरा है.. लाइट नहीं है ऊपर से बाहर का बिगड़ा हुआ मौसम.. डर तो लगेगा ही चाची..
मानसी गौतम के गाल चूमते हुए - डरने की क्या बात है बगल वाले कमरे में ही तो हूँ मैं.. कुछ चाहिए हो तो बता देना.. चाची के साथ साथ अब सासु माँ भी तो तू तेरी.. तेरा ख्याल रखना तो मेरा पहला काम है.. वैसे तू खुश तो है ना.. कुसुम के साथ तीन महीने बाद पति पत्नी की तरह रहेगा.. वो बहुत खुश रखेगी तुझे.. कल से तेरे बारे में ही सोच रही थी.. रित निभाने के बाद छत पर क्या बात की तुमने? कहीं कुछ ऐसा वैसा तो नहीं हुआ ना..

गौतम मानसी की गोद में सर रखकर सोते हुए - कहाँ चाची.. वो तो बंधन में आने से पहले कुछ करने को ही तैयार नहीं है.. पहले मेरे ऊपर रोब जमाया फिर मैंने हाथ पकड़ा तो छुड़ा के भाग गई..

मानसी गौतम के सर पर हाथ फेरती हुई - तो ले ले बंधन में.. फिर जो करना हो कर लेना अपनी घरवाली के साथ.. कोई रोकने थोड़ी आएगा तुम दोनों को..
गौतम - वैसे चाची आप बहुत खूबसूरत हो..
मानसी मुस्कुराते हुए - लगता मेरे जमाई की मुझपर नियत खराब है..
गौतम - आप तो दिल की बात जान जाती हो चाची..
मानसी हसते हुए - अपनी नियत सही कर ले मेरे जमाई राजा.. मेरे साथ तेरा कुछ नहीं होने वाला.. और ये बात कुसुम को पता चली तो तेरा हाल बुरा कर देगी.. उसका गुस्सा ऐसा है की दहकती आग.. अब मैं भी सो जाती हूँ जाकर.. इनका पता नहीं कब आएंगे..

गौतम - इतना अधेरा है रात को डर लगा तो?
मानसी - डर लगा तो मेरे पास आकर मुझे बता देना.. अब सो जाओ जमाई राजा..
मानसी अपने कमरे में चली जाती है और गौतम सोने लगता है... करीब दो घंटे बाद गौतम की नींद किसी आहट से खुलती है तो वो देखता है की अँधेरे में कोई आदमी कमरे के दरवाजे पर आ चूका है और उसके कदम बहुत लड़खड़ा रहे है.. गौतम समझ गया था कि ये और कोई नहीं बल्कि उसके चाचा या कहे सगा बाप बृजमोहन था जो नशे में धुत कमरे के दरवाजे पर दिवार का सहारा लेकर खड़ा था और उसके पास आ रहा था..

गौतम समझ चूका था कि बृजमोहन इतना नशे में है कि उससे चला भी नहीं जा रहा.. बृजमोहन लड़खड़ाते हुए अँधेरे में गौतम के बिस्तर तक आ गया और गौतम उठकर एक तरफ खड़ा होकर बृजमोहन को देखने लगा जो अँधेरे में बिस्तर पर लेटते ही बेहद नशे के करण नींद के हवाले हो गया.. बृजमोहन गौतम की जगह अब शराब के नशे ने धुत होकर सो गया था और गौतम अंधरे में उसे देखता ही रह गया था..

नीचे एक लालटेन जल रही थी मगर उसकी रौशनी ऊपर तक नहीं आ सकती थी.. बारिश ने भी आज बिगड़े हुए मौसम का साथ निभाना शुरु कर दिया था और गाँव को भीगाने लगी थी..

गौतम कमरे से बाहर निकल गया और बगल के कमरे जहा मानसी सो रही थी वहा आ गया.. अंधरे में कुछ भी देख पाना मुश्किल था.. गौतम को मुश्किल से कुछ दिखाई दे रहा था उसने आगे बढ़ते हुए इधर उधर संभल के कदम बढ़ाना शुरु कर दिया उसके कदम जब बेड से टकराये वो बेड के ऊपर सो रही मानसी पर गिर गया और मानसी नींद से जागते हुए गुस्से से बोली - आज भी नशे में धुत होकर आये हो.. चला भी नहीं जा रहा क्या तुमसे? कमसे कम आज तो शराब नहीं पीनी चाहिए थी तुमको..
मानसी को भी गौतम कि शकल दिखना मुश्किल था..
गौतम मानसी पर से हट कर बगल में आ गया और मानसी कि बात का कोई जवाब नहीं दिया..

मानसी करवट लेकर वापस सोते हुए बड़बड़ाने लगी - अजीब मुसीबत है.. दिनभर नोकर कि तरह घर में काम करो और रात को बिना देह का सुख भोगे यूँ ही सो जाओ.. तुमसे शादी करना सबसे बड़ी भूल थी..

गौतम मानसी कि बड़बड़ाहट सुन रहा था और सब समझ भी रहा था गौतम जानता था कि ऐसे मौसम में मानसी के बदन कि आग और भड़क रही होगी..

उसने मानसी को आज देह का सुख देने का सोचा मगर उसे सुमन से किया वादा याद आने लगा मगर मानसी की कमर चिकनाहट ने उसका दिल बदल दिया और वो सोचने लगा की सुमन को वो अपने इस काम की भनक नहीं लगने देगा..
गौतम ने अपनी टीशर्ट उतार दी और हलके से मानसी के पीछे उसके करीब आकर अँधेरे में उसकी पीठ फिर कमर पर हाथ रख दिया.. मानसी ने पहले तो दो चार कड़वी बातें कहकर गौतम को बृजमोहन समझते हुए उसका हाथ हटा अपनी कमर से हटा दिया मगर फिर गौतम के करीब आकर उसे पीछे से गले लगाकर अपना हाथ उसके कमर से होते हुए आगे लेजाकर मानसी की चुत पर रखकर धीरे धीरे सहलाने पर मानसी भी गर्म होने लगी और कड़वी बातें बोलना बंद करके गौतम का मोन समर्थन करने लगी..

गौतम ने पहले मानसी की चुत को सहलाया और फिर उसकी साड़ी के अंदर हाथ डालकर उसकी चुत में ऊँगली डालके मानसी की गर्मी महसूस की फिर उसकी गर्दन चूमते हुए अपना दूसरा हाथ उसकी छाती पर ले आया और उसके चुचे मसलने लगा.. मानसी गर्म होते हुए आँख बंद करके गौतम की हरकतो का आनद उठाने लगी.. गौतम ने महसूस किया की मानसी के चुचो पर चुचक तनकर खड़े होगये है और उसकी हिम्मत अब पूरी बुलंदी पर पहुंच गई.. गौतम पीछे से मानसी के कमर और कंधे को चुम और चाट रहा था.. जिससे मानसी अब अपने मुंह से हलकी हलकी काममई आवाजे निकलने लगी थी..

गौतम ने मानसी की शाडी को धीरे धीरे खींचकर उसकी कमर से ऊपर तक उठा दिया और अपनी जीन्स को भी खोल दिया..
मानसी करवट लेकर - आज शराब नहीं पी आपने? और ये आपके बदन को क्या हुआ? ऐसा लग रहा जैसे आपने सीने के सारे बाल कटवा लिए हो..
मानसी कुछ और बोलती इससे पहले गौतम मानसी के ऊपर आ गया और उसके लबों को अपने लबों में भरके चूमने लगा और अपने लंड को पकड़कर मानसी की चुत टटोलते हुए छेद पर रखकर मानसी की गीली फिसलन भरी चुत पर लगाने लगा..

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मानसी पुरे काम के प्रभाव में गौतम के चेहरे को अपने दोनों हाथों से थाम कर इस तरह चूमने लगी जैसे उसे आखिरी बार किसी को चूमना हो.. गौतम अपनी चाची मानसी की मुंह के गीलेपन से रूबरू हो रहा था और मानसी भी इस चुम्बन से काम के दरिया में बही चली जा रही थी.. गौतम ने जब चुम्बन तोड़कर मानसी के गाल और गर्दन पर चुम्बन देना शुरु किया तो मानसी आँख बंद किये हुए ही बोली - आज आपके बदन से खुशबु क्यों आ रही है.. और इतने नाजुक और मुलायम होंठ कैसे हो गए आपके..
गौतम को चुत का छेद मिल गया था और वो अब अपने लंड को मानसी की चुत पर सेट करके अंदर घुसाने लगा था मानसी अपने दोनों हाथों से गौतम को पकडे हुए अपनी टांग फैला कर अपनी चुत में लंड लेने को आतुर हो रही थी उसने ये तक महसूस नहीं किया की उसके पति और गौतम में कितना अंतर है और अब लंड में कितना अंतर है.. मानसी बिगड़े हुए मौसम की बारिश जैसे काम की भावना के साथ बरस रही थी..

गौतम ने वापस मानसी को मुंह से लगा लिया और बिलकुल धीरे धीरे मानसी की गहराई में उतरने लगा... मानसी की चुत पहले ही गाजर मूली घुसाने से बड़ी हो चुकी थी सो लंड को चुत में जाने में ज्यादा दर्द नहीं हुआ मगर फिर भी हल्का दर्द हो ही रहा था.. मानसी को लंड चुत में उतरने हो रहे दर्द से इस बात का शक हुआ की उसके साथ बृजमोहन की जगह कोई और तो नहीं.. मगर अबतक गौतम के लंड का मानसी की चुत से मिलन हो चूका था..

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लंड चुत की गहराई में उतर चूका था..
मानसी ने चुम्बन तोड़कर बड़ी हुई आवाज में सिसकियाँ लेते हुए एक हाथ से बेड के ऊपर अपना फ़ोन तलाशते हुये उठा लिया और उसकी स्क्रीन लाइट से अपने ऊपर लेटे हुए गौतम का चेहरा देखा तो वो हैरानी परेशानी और शर्म से लाल होकर उसी दबी हुई आवाज में बोली..
मानसी - ग़ुगु बेटा तू..
गौतम मानसी के हाथ से फ़ोन लेकर साइड में रखते हुए उसे धीरे धीरे चोदना शुरू करते हुए - ग़ुगु नहीं चाची.. आपका जमाई राजा.. चाचा तो नशे में तेरे बिस्तर पर आकर सो गए.. इसलिए मैं यहां आपके पास आ गया.. आपकी बातों से लगा आप प्यासी हो तो मैंने सोचा मैं ही आज रात आपकी प्यास मिटा देता हूँ..
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मानसी सिसकते हुए - बेटा हट ऊपर से.. ये अनर्थ मत कर.. किसीने देख लिया तो घर में कोहराम मच जाएगा..

गौतम धीरे धीरे चुत में लंड अंदर बाहर करता हुआ - आपने ही कहा था चाची रात के अंधरे में ऊपर कोई नहीं आता.. फिर इतनी फ़िक्र किस बात की.. कुछ देर की बात है.. और इस बरसात में तो किसीके आने का कोई चांस ही नहीं है..
मानसी अपने दोनों हाथ गौतम के कंधो पर रखकर उसके साथ चुदाई के सुख को भोगते हुए - बेटा तू ये बहुत गलत कर रहा है.. अगर किसीको भनक तक लग गई तो न जाने क्या होगा.. तू छोड़ मुझे..
गौतम मानसी की कमर में हाथ डालकर उसकी कमर थाम लेता है और मानसी को नीचे से अपने ऊपर खींचता हुआ खुद बेड पर पीठ के बल लेते जाता है और मानसी को अपने ऊपर ले लेता है.. चुत में लंड अपनी भी पूरी औकात में घुसकर खड़ा था..
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गौतम मानसी के बाल पीछे करके उसके चेहरे को थामते हुए मानसी को होंठ अपने होंठों के करीब लाकर प्यार से - अपने जमाई राजा को मना करोगी चाची.. ये तो गलत बात है.. और वैसे भी हमारे बिच जो हो रहा है ना मैं किसीको बताने वाला ना आप बताओगी..
मानसी काम की अग्नि में अंधी होकर - मुझे तेरे मुलायम बदन और नाजुक होंठ के छूने से ही समझ जाना चाहिए था की तू कौन है.. तू जो करना चाहता है कर ले.. मैं अब मना नहीं करुँगी जमाइराजा.. पर इसके बारे में किसी को कुछ भी ना पता लगे..
ये कहते हुए मानसी गौतम के होंठों पर टूट पडती है और चुदवाते हुए अपना ब्लाउज खोलकर किनारे रखती हुई खुलकर सम्भोग के रास्ते पर अग्रसर हो जाती है..

गौतम नीचे से झटके पर झटके मार रहा था और मानसी झटके खाते हुए गौतम के लब चूमती हुई सिस्कारी भरी जा रही थी बाहर बरसात ने भी बिकराल रूप धारण कर रखा था जो बरसते हुए दोनों के सम्भोग में उठती आवाजो को दबा रही थी..

गौतम के झटको ने मानसी को झड़ने पर मजबूर कर दिया और वो झड़कर गौतम के ऊपर गिर गई मगर गौतम ने चुदाई नहीं रोकी और लगातार ताबड़तोड़ झटके मारते हुए बरसात की छप छप के साथ चुत में लंड की थप थप भी जारी रखी..

मानसी कुछ ही देर में वापस मूंड में आ गई और गौतम के झटके को रोककर खुद उसके लंड पर उछलने लगी..
उछलने के दौरान मानसी ने गौतम के हाथ पकड़ कर अपने चुचो पर रख दिया और उछलते हुए दबवाने लगी.. मानसी के बदन की आग उसकी चुत से पानी बनकर बहाने लगी थी और गौतम को भी नई चुत मिल चुकी थी.. मानसी उछलते उछलते दूसरी बार भी झड़ गई थी और अब ढीली पड़कर गौतम से लिपटकर उसे अपने होंठों की चुम्बन वर्षा से अभीभुत कर रही थी..

गौतम का लंड अभी भी खड़ा का खड़ा था और दूर दूर तक झड़ने का अंदेशा नहीं था गौतम ने अपना चेहरा चुम रही मानसी का बोबा पकड़ के उसे अपने नीचे पेट के बल लिटा लिया और दोनों हाथ से कमर पकड़कर गांड उठाते हुए घोड़ी बनाकर चुत में वापस लंड पेल दिया और मानसी की रेल बनाना शुरु कर दिया..
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गौतम मानसी को घोड़ी बनाके चोदने लगा और उसकी चुत को लंड से और खोदने लगा..
मानसी की कामुक सिसकियाँ कमरे की हवा में काम और सम्भोग की मिठास घोल रही थी..

गाँव के इस घर में गौतम और मानसी के अलावा भी कोई जाग रहा था जो मानसी और गौतम की चुदाई से बेखबर नीचे कमरे में अपने बिस्तर पर टांग फैला के लेटी हुई गौतम की तस्वीर देखते हुए सपनो में उसके साथ सम्भोग करने की कल्पना करती हुई गौतम की तस्वीर को बार बार अपने होंठों से चूमती हुई अपनी बीच वाली को ऊँगली चुत में घुसाये चुत में ऊँगली कर रही थी..
कुसुम ने पिछली रात भी इसी तरह चुत में ऊँगली करते हुए जागकर निकाली थी.. और अब भी वही कर रही थी वो अनजान थी इस बात से की गौतम ऊपर उसकी माँ चोद रहा है..

पिछले एक घंटे में मैं तीन बार झड़ चुकी हूँ तू कब झडेगा बेटा..
गौतम - जब निकलेगा बता दूंगा चाची अभी चुसती रहो..
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मानसी बैड पर बैठी हुई गौतम का लंड मुंह में लिए चूसे जा रही थी और गौतम मानसी के बाल मुट्ठी में पकड़कर उसे लोडा चुसवा रहा था जैसे मानसी उसकी चाची नहीं कोई छिनाल थी..
गौतम लंड चूसाने के बाद वापस मिशनरी में आते हुए मानसी की चुत चोदी और फिर पूरा माल उसकी चुत में झाड़ दिया..
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गौतम रात के 1 बजे मानसी के कमरे में आया था और अब सुबह के 4 बज रहे थे मानसी अभी भी टांग खोलकर गौतम के नीचे लेटी हुई थी.. उसकी आँखों में आंसू थे और दोनों हाथ गौतम के सामने जुड़े हुए थे.. गौतम का लंड अब भी मानसी की चुत में घुसा हुआ था और मानसी हाथ जोड़कर गौतम से अब और नहीं चोदने की विनती कर रही थी..
मानसी - बस कर बेटा.. और कितना चोदेगा.. पता नहीं आज कितनी बार झड़ चुकी हूँ मैं.. अब और नहीं झेल पाउंगी तेरे जैसे मर्द को.. मेरे अंग अंग में दर्द होने लगा है बेटा.. अब सोने दे.. तुझे मेरी कसम..
गौतम - चाची आप तो कई बार झड़ गई मेरा तो अभी तक सिर्फ एक बार हुआ है.. अब मैं क्या करू? कम से कम एक बार और झड़ने दो..
मानसी - बेटा.. तू लेट जा मैं तेरे लंड को मुंह से शांत कर देती हूँ..
गौतम मानसी के ऊपर से हटकर लेटते हुए - ठीक है चाची..

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मानसी गौतम के लंड को चूसने लगती है और जोर जोर से लंड के साथ टट्टे भी चुस्ती हुई गौतम के लंड से माल निकालने की कोशिश करती है..

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काफी मेहनत मसक्कत के बाद गौतम झड़ने वाला होता है तो वो मानसी को लेटा कर उसकी चुत में लंड ड़ालकर चोदते हुए झड़ जाता है और पहले की तरफ इस बार भी मानसी की गहराईयो में काम के अमृत की वर्षा कर देता है और फ़ोन का टोर्च जला कर एक तरफ रख देता है ..
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गौतम - शुक्रिया चाची.. अपने जमाई राजा को इतना सुख देने के लिए..
मानसी गौतम का लंड साफ करते हुए - शकल से तो इतना मासूम और प्यारा दीखता है मगर बिस्तर इतना जालिम है की क्या कहु.. देख मेरी चुत को एक रात में कितनी सुज्जा दी..
गौतम - मानसून सीजन है चाची.. बेटी के साथ माँ तो चाहिए ही मुझे.. अच्छा मैं बाथरूम होके आता हूँ आप सो जाओ कपड़े पहनकर..
मानसी गौतम का मुंह वापस मुंह में लेकर - बाहर बरसात से खीचड़ बन गया है ग़ुगु.. कहा जाएगा.. ला मूत दे मेरे मुंह में..
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गौतम मानसी के मुंह में मूतते हुए - अह्ह्ह चाची.. आप तो दीवाना बना दोगी आज मुझे अपना.. मेरा मूत पानी जैसे पी रही हो..
मानसी मूत पीकर मुंह साफ करते हुए - चल बेटा अब अपनी जीन्स शर्ट पहन और सोजा मैं साडी बाँध लेती हूँ..
जैसा आप कहो चाची.. अब तो मुझे भी नींद आने लगी है... ये कहते हुए गौतम कपड़े पहनकर लेट गया..

मानसी भी पूरी संतुष्ट होकर मुस्कुराते हुए गौतम का सर अपनी छाती से लगाती हुई लेट गई.. और गौतम मानसी के चुचे चूसते हुए सो गया.. और मानसी भी मुस्कुराते हुए गौतम के बाल सहलाती हुई उसका सर चूमकर सो गई...
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सुबह 6 बजे का समय हो चूका था और जैसा कि गांव में अक्सर होता है लोग सुबह सवेरे ही उठकर अपने-अपने काम पर लगा चुके थे आसपास का वातावरण ऐसा था कि मनोरन् दृश्य देखने से ही बनता था गांव की ताजी हवा और रात को हुई बारिश से उठती हुई ठंडी महक सुबह के मौसम को और सुहाना बना रही थी.. गौतम उठ चुका था और उसने देखा कि उसके पास सब उसकी चाची नहीं सो रही.. गौतम उठकर अपना मुंह धोकर छत पर आ गया और काफी देर तक वहीं बैठ रहा.. सुबह के 7:00 बजे उसने देखा कोई ऊपर आ रहा है और जब उसने पीछे मुड़कर देखा तो पाया कि कुसुम हाथों में चाय का प्याला लिए उसी की तरफ बढ़ती हुई चली आ रही है..
कुसुम शरमाते हुए - चाय..
गौतम चाय लेकर साइड में रख देता है और कुसुम का हाथ पकड़ के अपनी बाहों में भरता हुआ कहता है - तूने बताया नहीं कल.. कोनसे होंठो कि बात कर रही थी..
कुसुम अपने लबों पर ऊँगली रखते हुए - इनकी..
गौतम कुसुम के होंठों के करीब अपने होंठो लाते हुए - चुम लु?
कुसुम शरामते हुए - हम्म..
गौतम - देखोगी नहीं मुझे?
कुसुम शर्म से - नहीं...
गौतम - जब तक नहीं देखोगी मैं नहीं चूमने वाला.
कुसुम - मत चूमो.. मुझे लाज आती है..
गौतम गाल पर चूमते हुए - सुहागरात को भी लाज आयेगी तो कैसे काम चलेगा?
कुसुम आँखे उठाते हुए - मेरा पहला चुम्बन है..
गौतम हल्का सा चूमकर - कितने नाजुक लब है तुम्हारे..
कुसुम मुस्कुराते हुए - बिलकुल तुम्हारे जैसे..
गौतम कुसुम कि कमर में हाथ डालकर उसके सीने से लगाता हुआ छत पर बने छज्जर के अंदर लेजाकर उसके होंठों पर अपने होंठो रखकर चूमता हुआ - कुसुम बहुत नाजुक हो तुम.. बिलकुल फूल सी..
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कुसुम अपने लब को गौतम कि गिरफ्त से आजाद करवाते हुए - चाय ठंडी हो जायेगी..
गौतम कुसुम कि जुल्फ पीछे करके गर्दन चूमते हुए - होने दे...
कुसुम गौतम के पेंट में बनते तम्बू को महसूस करने लगती है और समझा जाती है कि गौतम मूंड में आ रहा है..
गौतम गर्दन चूमता हुआ कंधे पर एक निशान देखकर - ये निशान..
कुसुम - बचपन से है.. इतने हैरान क्यों हो.. किसी और के भी कंधे ओर ये निशान है..
गौतम - नहीं.. कुछ नहीं..
कुसुम गौतम को धकेलते हुए - और नहीं.. मैं और कुछ देर रुकी तो तुम आज ही सब कुछ कर डालोगे मेरे साथ..
गौतम मज़ाक़ में - पति को नाराज़ कर रही हो तुम... चला जाऊँगा कहीं दूर छोड़कर..
कुसुम गौतम का गिरेबान पकड़ते हुए - चुपचाप चाय पी लो.. और मुझे ऐसा मज़ाक़ बिलकुल पसंद नहीं है.. इतनी प्यारी सूरत है कहीं मैं इसे बिगाड़ ना दूँ..
गौतम वापस कुसुम के लबों को चूमते हुए - उफ्फ्फ तेरा ये गुस्सा मेरी जान... तब भी वैसा था अब भी वैसा ही है..
कुसुम - तब कब?
गौतम - छोड़.. कुछ नहीं..
कुसुम प्यार और उदासी दोनों के मिले हुए भाव से -कल आये और आज चले भी जाओगे..
गौतम - जाना तो पड़ेगा फिर वापस कैसे आऊंगा..
कुसुम - 3 महीने कैसे रहूंगी मैं..
गौतम - हाय इतना प्यार.. ऐसे प्यार से मत बोल वरना मैं कहीं सारी हद ना पार कर दूँ...
कुसुम मुस्कुराते हुए गौतम को धक्का देकर जाती हुई - पहले अपने साथ ले जाओ मुझे.. फिर जो चाहो कर लेना मेरे पतिदेव...
गौतम छज्जर से बाहर आकर चाय उठता है तो एक आवाज आती है - इसे मत पीना मैं गर्म चाय लाती हूँ..
और कुछ पल बाद कुसुम एक गर्म चाय का कप दूर से छत पर रखकर गौतम को देखते हुए मुस्कुराकर वापस चली गई और गौतम चाय का कप लेकर चाय पीते हुए कुसुम कि मासूमियत भोलेपन और सादगी के बारे में सोचने लगा..

सुबह के 11 बजे गौतम सुमन और जगमोहन के साथ गाँव से वापस घर आने के लिए निकल गया जहा अजमेर रेलवे स्टेशन पर जगमोहन उतर गया और जयपुर जाने के लिए निकल गया.. गौतम जगमोहन को स्टेशन पर छोड़कर सुमन के साथ घर के लिए निकल पड़ा..


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सुमन घर दरवाजा खोलकर - जी?
डिलीवेरी एजेंट - मैडम आपका प्रोडक्ट रिसीव कर लीजिये..
सुमन - मैंने कुछ नहीं मंगवाया.. ग़ुगु.. ग़ुगु.. कुछ मंगवाया था क्या तूने?
गौतम आते हुए - हाँ टीवी आया होगा माँ.. भईया इसे इनस्टॉल भी करना था ना..
डिलीवेरी एजेंट - जी ये लड़का आया है कहा इनस्टॉल करवाना है बता दो..
गौतम - अंदर ले आओ भईया.. इस तरफ..
गौतम लड़के को घर के मुख्य रूम जो सुमन और गौतम का बैडरूम था वहा ले आता है और बेड के ठीक सामने वाली दिवार पर टीवी इनस्टॉल करने को कहता है..
सुमन - इतना बड़ा टीवी क्यों मंगवाया है ग़ुगु?
गौतम - मूवी देखने के लिए..
लड़का - भईया थोड़ा मदद करना..
गौतम - हां..
गौतम - टीवी को बेड के ठीक सामने दिवार ओर लगवा लेता है और लड़का टीवी on करके चला जाता है..
सुमन बाहर दरवाजा बंद करके आती है और कहती है - कितना बड़ा है...
गौतम - 65 इंच का है 4के क्लियर..
सुमन - कितने का है?
गौतम - 80 हज़ार...
सुमन - क्या.. इतना महंगा? तूने बुआ का एटीएम इस्तेमाल किया ना?
गौतम - क्या फर्क पड़ता है माँ.. एटीएम में इतने पैसे पड़े है.. बुआ फिर कहती और चाहिए तो बताना.. और शिकायत करती है तू कुछ खर्च ही नहीं करता..
सुमन - पर ग़ुगु इतने बड़े टीवी का क्या करेंगे?
गौतम टीवी से फ़ोन और 2 इयरबड्स कनेक्ट करके एक सुमन के कानो में लगाता है और दूसरे इयरबड्स को अपने दोनों कानो में लगा लेता है और कहता है - मूवी देखेंगे सुमन.. लाइट ऑफ कर दे..
सुमन कमरे की लाइट्स ऑफ करके बेड पर आ जाती है जहा से टीवी अँधेरे में किसी सिनेमा हॉल के बड़े परदे की तरह दीखता है..
सुमन - ये किसी सिनेमा हॉल जैसा लगता है गौतम..
गौतम सुमन की साड़ी का पल्लू पकड़कर खींचते हुए सुमन की साडी उतारता हुआ - माँ यार घर में साड़ी मत पहना करो..
सुमन - साड़ी क्यों उतार रहा है तू.. मैं अभी नहीं देने वाली समझा.. अभी भी दर्द है मेरी चुत में.. परसो इतना कस कस के किया था तूने अब जब तक वापस पहले जैसी नहीं होती मैं नहीं देने वाली..
गौतम साड़ी उतार कर कमरे में रखे सोफे ओर फेंकते हुए - यार सुमन तू भी नखरे करने लगी..
सुमन - अब नखरे समझ या कुछ और.. मेरे दर्द होता है.. 1-2 दिन और सब्र कर...
गौतम टीवी पर mom son पोर्न मूवी प्ले कर देता है...
सुमन - ये क्या है?
गौतम - मूवी है..
सुमन - इंग्लिश मूवी है?
गौतम सुमन को बाहों में लेकर - हाँ..
सुमन गौतम के साथ मूवी देखने लगती है...
गौतम - आगे देखना बहुत कुछ होगा..
सुमन - ये कौन है?
गौतम - वो माँ है ये बेटा.. बेटा माँ के birthday पर घर आया है और पापा बाहर है..
सुमन - छी... ये तो वो वाली मूवी है...
गौतम - छी तो ऐसे कर रही हो जैसे बड़ी सती सावित्री हो..
सुमन - ये सब देखने के लिए टीवी लिया ना तूने.. बेशर्म..
गौतम लंड निकाल कर - अच्छा... संस्कारी दुनिया के सामने बनना माँ.. मेरे सामने नाटक मत करो.. चलो चुत में नहीं लेना तो मुंह में लेकर खुश करो अपने पतिदेव को..
सुमन गुस्से से लंड पर मुंह लगाती हुई - कमीने तुझे हाँ करनी ही नहीं चाहिए थी मुझे..
गौतम सुमन के बाल पकड़ कर मुंह में लंड घुसते हुए - उसको देखो कैसे चूस रही है तू भी चूस अच्छे से.. Blowjob में मज़ा आना चाहिए..
सुमन लंड चुस्ती हुई - कुसुम पसंद आई तुझे?
गौतम - हाँ.. शादी के लिए परफेक्ट है.. अच्छा है अपनी बहन मिल गई.. वरना कब से दुसरो की माँ बहन चोद रहा था..
सुमन - कमीने होने वाली बीवी है तेरी.. और चचेरी बहन..
गौतम - माँ अलग है तो क्या हुआ.. बाप तो एक ही है... और सास तो गज़ब ही है.. मानसी चाची भी मस्त माल है..
सुमन - दूर रहना.. समझा.. मेरे साथ रहना तो सबसे दूर रहना पड़ेगा.. बोला था याद है ना..
गौतम कल रात का सोचकर हसते हुए - हाँ याद है मेरी माँ.. चूस अब अच्छे से...
सुमन - गले तक तो ले रही हूँ और क्या करू.. तू भी ना..
गौतम पोर्न देखते हुए सुमन से blowjob ले रहा था की उसे बाबाजी की बात याद आ गई..
गौतम - माँ..
सुमन लंड चुस्ती हुई - हम्म...
गौतम - कल मेरे दोस्त टूर पर जा रहे है.. मैं भी चला जाऊ अगर बोलो तो?
सुमन - मुझे अकेला छोड़कर जाएगा ग़ुगु?
गौतम - अरे आप कुछ दिन मामा के यहां चले जाओ ना.. तीन महीने बाद कुसुम आ जायेगी और वो तो ऐसी है की गले में पट्टा डालके रखेगी मेरे.. ना कहीं जाने देगी ना किसी से मिलने बस गले लगा के रखेगी.. आप समझो ना.. मैं कभी गया भी कहीं.. कुछ दिनों की बात है.. इंडिया के कुछ शहर ही है.. 20-25 दिन में आ जाएंगे..
सुमन - और मेरा क्या होगा? मैं कैसे इतने दिन रह पाउंगी तेरे बिना?
गौतम - देखो पति भी हूँ तुम्हारा.. मान जाओ वरना आज चुत से जाओगी..
सुमन जुल्फे कान के पीछे करके मुंह में लंड लेती हुई - ठीक है शहजादे.. चले जाना कल...
गौतम सुमन के मुंह में झड़ते हुए - thanks माँ...

****†***†******


गौतम बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह कहे मुताबिक पहाड़ी के पीछे उसकी कुटीया के करीब आ गया..

बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - आ गए बेटा..
गौतम - जी बाबाजी.. आपका जैसे ही फ़ोन आया मैं तुरंत दौड़ा चला आया..
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - इतना बड़ा बेग?
गौतम - हाँ आपने कहा था ना कुछ दिनों के लिए कही जाना है जरुरी सामान लेकर आउ.. तो इसमें सब है.. मेरे कपडे जूते टूथपेस्ट ब्रश शैम्पू इत्र कुछ दवाइया लाइटर सिगरेट दो शराब की बोतल भी है..
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह एक पिस्तौल देते हुए - उस सबसे ज्यादा तुझे इसकी जरुरत पड़ेगी.. 18 राउंड फायर करती है इसके दो और मैगज़ीन है.. लो..
गौतम - इसकी क्या जरुरत? जंग पर थोड़ी भेज रहे हो आप मुझे..
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - नहीं.. जंग पर नहीं.. तुम्हारे पिछले जन्म में...
गौतम चौंकते हुए फिर हंसकर - क्या? पिछला जन्म? बाबाजी आपने बहुत मदद की है पर ऐसा मज़ाक़ तो ना करो..
बैरागी जो वीरेंद्र सिंह के पास खड़ा था मगर गौतम को नहीं दिख रहा था वो अपना रूप और अस्तित्व गौतम को दिखाते हुए गौतम के सामने प्रकट होकर कहता है - ये मज़ाक़ लग रहा है तुम्हे?
गौतम इस बार हैरानी अचरज से - बैरागी...
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - हाँ गौतम.. ये वही बैरागी है जिसे तूने सपने में देखा था..
गौतम गौर से बड़े बाबाजी को देखकर - वीरेंद्र सिंह?
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - हाँ सही पहचाना..
गौतम - मतलब जो भी मैंने देखा वो सही और सत्य था.. ऐसा असल में हो चूका है...
बैरागी - सही कहा हाक़िम..
गौतम - हाक़िम?
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - पिछले जन्म में यही नाम था तुम्हारा बेटा.. तुम एक बंजारा काबिले के सरदार लाखा की बेटी मुन्नी के बेटे थे.. डाकी ने तुम्हारे नाना लाखा की जान लेकर तुम्हारी माँ मुन्नी और मौसी शीला को अपनी रखैल बना लिया था.. और तुम्हे काबिले से बाहर निकाल फेंका था..
गौतम जिज्ञासा से - और मैंने कुछ नहीं किया?
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - नहीं..
गौतम गुस्से से - इतना चुतिया था मैं पिछले जन्म में?
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - तुम डरपोक और कमजोर थे गौतम..
बैरागी - हाक़िम..जब तुम पिछले जन्म में जाओगे तो मुझसे मिलने महल आ जाना.. और मुझे ये ताबीज़ दिखाकर मुझसे वो जदिबूटी लेकर वापस इस जन्म में आ जाना.. इसके अतिरिक्त और कुछ करोगे तो मुसीबत में पड़ जाओगे..
गौतम - ये क्या ताबीज़ है?
बैरागी - ये वही ताबिज़ है जो मृदुला ने मेरे गले में बाँधा था.. ये तुम्हारे गले में होगा तो तुम्हे चोट पहुंचाने वाला सुरक्षित नहीं रह पायेगा..
गौतम - अच्छा बाबाजी.. एक सवाल है.. पिछले जन्म में जाने के बाद मेरा वापस छोटा तो नहीं होगा ना..
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह हसते हुए - पिछले जन्म में तेरा शरीर जैसा था जैसा ही रहेगा.. मगर तू फ़िक्र मत कर.. उसी पेड़ से कुछ जामुन तोड़ कर इस बैग में रखकर साथ लेजा..
गौतम जामुन तोड़कर ले आता है और बेग में रख लेता है..
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - अब चल..
गौतम चलता हुआ - कहा.. पैदल चलाकर जाना है पिछले जन्म में?
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह हसते हुए - नहीं
गौतम - तो कैसे जाऊंगा?
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - आगे उस झील को देख रहा है..
गौतम - बहुत बार देख चूका हूँ.. ऊपर बैठकर यही तो देखता था..
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - एक ऐसी झील वहा भी होगी.. और एक ऐसा बड़ का पेड़ भी.. तू इस बेग को इस पेड़ के नीचे गाड दे.. ये सामान अपने आप वहा पहुंच जाएगा...
गौतम - और मैं कैसे पहुँचूँगा? मुझे मत गाड देना बाबाजी..
बैरागी - तुमको गड़ना नहीं पड़ेगा हाक़िम.. डूबना पड़ेगा..
गौतम - कहा?
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - उस झील में.. जैसे तुम वहा जा रहे हो वैसे ही तुम वापस भी आओगे..
गौतम - झील में डुबकी लगाने से पिछले जन्म में पहुंच जाएगा मेरा शरीर?
बैरागी - शरीर नहीं केवल आत्मा.. इस जन्म की आत्मा पिछले जन्म के शरीर में पहुंच जायेगी और पिछले जन्म के शरीर की आत्मा तुम्हारे इस शरीर में..
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - हाँ गौतम..
गौतम - तो मेरे इस शरीर में पुराने जन्म की आत्मा आ जायेगी और पुराने जन्म के शरीर में इस जन्म की आत्मा चली जायेगी... अच्छा है.. अगर ऐसा हो तो आप पिछले जन्म की आत्मा आने पर मेरे गाल पर दो थप्पड़ मार दीजियेगा.. बोलना मैंने ही कहा था मारने को..
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - तू चिंता मत मैं उसे कमजोर से ताकतवर और डरपोक से निडर बना दूंगा..
गौतम - थप्पड़ जरुरत मारना.. साला इसी लायक है..
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - ठीक है अब तुम इस पेड़ के नीचे खड्डा खोद दो और ये सारा सामान उसमे रखकर दफ़न कर दो..
गौतम - ठीक है अभी रख देता हूँ.. पर मैं सबको पहचानुगा कैसे?
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - तुमने सबको देखा है सिवाये अपने कबीले के.. वो लोग तुझे अपने आप पहचान लेंगे..
गौतम - और वो जदिबूटी कैसे लानी है?
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - जिस तरह ये सामान जारहा है वैसे ही जड़ी बूटी भी यहां आ जायेगी.
गौतम - मतलब पेड़ के नीचे खड्डा खोद कर.
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - हाँ बेटा... तुम जो भी पेड़ के नीचे गाड दोगे वो यहां आ जाएगा.. मगर एक से ज्यादा कुछ नहीं गाड़ना वरना सब बर्बाद हो जाएगा.. और सिर्फ जाडीबूती आना कुछ और मत ले आना..
गौतम - एक आखिरी बात..
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - जो कुछ है पूछ..
गौतम - क्या मैं समर और लीलावती को बचा सकता हूँ आपसे?
बैरागी - मैंने कहा ना हाक़िम.. तुम सिर्फ मुझसे वो जड़ी बूटी लेकर वापस आओगे और कुछ करने की आवश्यकता नहीं है.. वरना सब ख़त्म हो जाएगा.. जल्दी ही मेरे पास आना वरना सब ख़त्म हो जाएगा..
गौतम - ठीक है.. बेचारे के लिए बुरा लगा.. इसलिए पूछ लिया..
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - याद रखना गौतम.. यहां तुम्हारा वापस आना कितना जरुरी है और तुम्हारा इंतजार कौन कर रहा है..
गौतम - मैं भी जल्दी से वापस आ जाऊंगा जदिबूटी लेकर.. वहा मुझे मिलेगा ही क्या?
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - बेटा.. हर कदम सोचकर उठाना..
गौतम - मतलब?
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - मतलब.. मोह बंधन है..
गौतम - तो? मुझे क्यों बता रहे हो बाबाजी.. मैं जानता हूँ ये बात..
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - कहीं भूल मत जाना गौतम..
गौतम - मैं नहीं भूलूंगा बाबाजी..
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - प्रेम और मोह से दूर रहना..
गौतम - मैं जिनसे प्रेम करता हूँ वो इस जन्म है.. वहा मैं किससे प्रेम करूँगा?
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - मन चंचल होता है.. प्रेम अविरल..
गौतम - हिंदी में बताओगे? आप क्या बोल रहे हो?
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - मैं ये कहना चाहता हूँ गौतम कि वहा तुम्हे किसी से प्रेम या मोह हो सकता है.. इसलिए तुम्हे अपने मन पर काबू रखना जरुरी है...
गौतम - जैसा आप कहो.. अगर मिलेगी तो घोड़ी बनाऊंगा.. दिल नहीं लगाउँगा..
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - यही तुम्हारे और तुम से सम्बंधित लोगों के लिए सही होगा..
गौतम - वैसे तो मैंने खासी, जुखाम, बुखार, सरदर्द, बदन दर्द, और नींद की गोली रख ली है फर्स्ट ऐड किट भी है और तो कोई और दवा रखने की जरुरत तो नहीं है ना
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - अचेत करने की दवा भी रख लेते..
गौतम - अचेत मतलब बेहोश ना? अरे वो भी है.. मेडिकल से सारी दवा लेके आया था.. साला दे नहीं रहा था.. एक्स्ट्रा पैसे देने पड़े..
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह हड़ते हुए - मेरी कही एक एक बात याद रखना गौतम.. तुम्हे जदिबूती लेकर शीघ्र से शीघ्र वापस आना होगा..
गौतम - शाम तक आ जाऊंगा बाबाजी.. आप टेंशन मत लो..
बैरागी - कौन से दिन की शाम हाक़िम?
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - गौतम ये एक दिन में होने वाला कार्य नहीं है.. तुम्हे महल में घुसना पड़ेगा.. और आसानी से तुम महल में नहीं घुस सकते ना ही बैरागी से मिल सकते हो..
गौतम - अरे मैं कोई ना कोई उपाए ढूंढ़ लूंगा बाबाजी.. बेफिक्र रहो.
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - आज अमावस है और तुम अगली अमावस को ही लौट पाओगे.. सिर्फ उस दिन ही आया जा सकता है जब आसमान पर चाँद नहीं हो.. अब तुम झील में उतर जाओ गौतम..
गौतम - बहुत बार ऊपर से देखा है मैंने इस झील को.. और सोचा था की कभी इसे नजदीक से देखूंगा.
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - आज देख लो..
गौतम - हां बाबाजी.. देखने के बाद उतरना भी है..
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - बिना कपड़े पहनें उतरना होगा गौतम..
गौतम हैरानी से - नंगा जाऊंगा? कोई देख लिया तो..
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - यही नियम है गौतम.. ये झील आम नहीं है.. उल्काओ के विस्फोट से उसका निर्माण हुआ है और आयामों के बीच का मार्ग बनाती है.. वस्त्र पुरे शरीर को बांधता है..
गौतम - ठीक है.. नंगा जाता हूँ..
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - अब जाओ..
गौतम - एक मिनट.. मेरा फ़ोन...
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - वहा तुम्हारे इस फ़ोन का क्या काम बेटा?
गौतम - समझा करो बाबाजी.. बहुत काम है... मैं इसे उस खड्डे में गाड के आता हूँ..
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - जैसा तुम चाहो..
गौतम फ़ोन गाड़ के आ जाता है..
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - अब जाओ..
गौतम - जा रहा हूँ..
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - क्या सोच रहे हो..
गौतम - कुछ नहीं बाबाजी.. बस भूक लग रही है.. वहा खाने को क्या क्या मिलेगा?
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - कुछ नहीं.. जो तुम यहां खाते हुए वो सब वहा नहीं मिलेगा..
गौतम - फिर?
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - जो पहले खाया जाता था वही मिलेगा.. उसके अतिरिक्त फल खाने को मिलेंगे..
गौतम - फिर तो वापस जाना पड़ेगा बाबाजी.. बेग में खाने का सामान भी लाना पड़ेगा..
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - सूर्यास्त होने से पहले तुमको पिछले जन्म में जाना पड़ेगा गौतम.. आज अमावस है इसके बाद एक माह तक और प्रतीक्षा करनी होगी..
गौतम - अभी सूर्यास्त होने में बहुत टाइम है बाबाजी.. मैं यूँ जाके यूँ आ जाऊंगा.. पेट का सवाल है समझा करो..
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - ठीक है शीघ्र करो...
गौतम वापस चला जाता है और 2 घंटे बाद वापस आता है तो एक बड़ी बोरी में सामान भरके लाता है और कहता है - बाबाजी रेडी..
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - इसे ले जाना है तो खड्डा खोदकर गाड़ना पड़ेगा..
गौतम - इतना बड़ा खड्डा खोदना पड़ेगा?
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - हाँ..
गौतम खड्डा खोदने लगता है - बाबाजी थोड़ी हेलप करदो..
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - तुम्हे जाना है तुमको खोदना पड़ेगा..
गौतम खड्डा खोदते हुए - ठीक है..
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - जल्दी... सूर्यास्त होने वाला है..
गौतम - हो गया बस.. लो गाड दिया.
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - अब जाओ.. और जदिबूती लेकर ही आना.. यदि तुम विफल हुए तो तुम जानते हो क्या होगा...
गौतम झील में जाते हुए - हाँ.. आप और बैरागी की मुक्ति नहीं हो पाएगी और आप बाकी बचे 500 सालों तक यूँ ही रहोगे..
ये कहकर गौतम झील में उतर जाता है...



 

ayush01111

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सुमन घर दरवाजा खोलकर - जी?
डिलीवेरी एजेंट - मैडम आपका प्रोडक्ट रिसीव कर लीजिये..
सुमन - मैंने कुछ नहीं मंगवाया.. ग़ुगु.. ग़ुगु.. कुछ मंगवाया था क्या तूने?
गौतम आते हुए - हाँ टीवी आया होगा माँ.. भईया इसे इनस्टॉल भी करना था ना..
डिलीवेरी एजेंट - जी ये लड़का आया है कहा इनस्टॉल करवाना है बता दो..
गौतम - अंदर ले आओ भईया.. इस तरफ..
गौतम लड़के को घर के मुख्य रूम जो सुमन और गौतम का बैडरूम था वहा ले आता है और बेड के ठीक सामने वाली दिवार पर टीवी इनस्टॉल करने को कहता है..
सुमन - इतना बड़ा टीवी क्यों मंगवाया है ग़ुगु?
गौतम - मूवी देखने के लिए..
लड़का - भईया थोड़ा मदद करना..
गौतम - हां..
गौतम - टीवी को बेड के ठीक सामने दिवार ओर लगवा लेता है और लड़का टीवी on करके चला जाता है..
सुमन बाहर दरवाजा बंद करके आती है और कहती है - कितना बड़ा है...
गौतम - 65 इंच का है 4के क्लियर..
सुमन - कितने का है?
गौतम - 80 हज़ार...
सुमन - क्या.. इतना महंगा? तूने बुआ का एटीएम इस्तेमाल किया ना?
गौतम - क्या फर्क पड़ता है माँ.. एटीएम में इतने पैसे पड़े है.. बुआ फिर कहती और चाहिए तो बताना.. और शिकायत करती है तू कुछ खर्च ही नहीं करता..
सुमन - पर ग़ुगु इतने बड़े टीवी का क्या करेंगे?
गौतम टीवी से फ़ोन और 2 इयरबड्स कनेक्ट करके एक सुमन के कानो में लगाता है और दूसरे इयरबड्स को अपने दोनों कानो में लगा लेता है और कहता है - मूवी देखेंगे सुमन.. लाइट ऑफ कर दे..
सुमन कमरे की लाइट्स ऑफ करके बेड पर आ जाती है जहा से टीवी अँधेरे में किसी सिनेमा हॉल के बड़े परदे की तरह दीखता है..
सुमन - ये किसी सिनेमा हॉल जैसा लगता है गौतम..
गौतम सुमन की साड़ी का पल्लू पकड़कर खींचते हुए सुमन की साडी उतारता हुआ - माँ यार घर में साड़ी मत पहना करो..
सुमन - साड़ी क्यों उतार रहा है तू.. मैं अभी नहीं देने वाली समझा.. अभी भी दर्द है मेरी चुत में.. परसो इतना कस कस के किया था तूने अब जब तक वापस पहले जैसी नहीं होती मैं नहीं देने वाली..
गौतम साड़ी उतार कर कमरे में रखे सोफे ओर फेंकते हुए - यार सुमन तू भी नखरे करने लगी..
सुमन - अब नखरे समझ या कुछ और.. मेरे दर्द होता है.. 1-2 दिन और सब्र कर...
गौतम टीवी पर mom son पोर्न मूवी प्ले कर देता है...
सुमन - ये क्या है?
गौतम - मूवी है..
सुमन - इंग्लिश मूवी है?
गौतम सुमन को बाहों में लेकर - हाँ..
सुमन गौतम के साथ मूवी देखने लगती है...
गौतम - आगे देखना बहुत कुछ होगा..
सुमन - ये कौन है?
गौतम - वो माँ है ये बेटा.. बेटा माँ के birthday पर घर आया है और पापा बाहर है..
सुमन - छी... ये तो वो वाली मूवी है...
गौतम - छी तो ऐसे कर रही हो जैसे बड़ी सती सावित्री हो..
सुमन - ये सब देखने के लिए टीवी लिया ना तूने.. बेशर्म..
गौतम लंड निकाल कर - अच्छा... संस्कारी दुनिया के सामने बनना माँ.. मेरे सामने नाटक मत करो.. चलो चुत में नहीं लेना तो मुंह में लेकर खुश करो अपने पतिदेव को..
सुमन गुस्से से लंड पर मुंह लगाती हुई - कमीने तुझे हाँ करनी ही नहीं चाहिए थी मुझे..
गौतम सुमन के बाल पकड़ कर मुंह में लंड घुसते हुए - उसको देखो कैसे चूस रही है तू भी चूस अच्छे से.. Blowjob में मज़ा आना चाहिए..
सुमन लंड चुस्ती हुई - कुसुम पसंद आई तुझे?
गौतम - हाँ.. शादी के लिए परफेक्ट है.. अच्छा है अपनी बहन मिल गई.. वरना कब से दुसरो की माँ बहन चोद रहा था..
सुमन - कमीने होने वाली बीवी है तेरी.. और चचेरी बहन..
गौतम - माँ अलग है तो क्या हुआ.. बाप तो एक ही है... और सास तो गज़ब ही है.. मानसी चाची भी मस्त माल है..
सुमन - दूर रहना.. समझा.. मेरे साथ रहना तो सबसे दूर रहना पड़ेगा.. बोला था याद है ना..
गौतम कल रात का सोचकर हसते हुए - हाँ याद है मेरी माँ.. चूस अब अच्छे से...
सुमन - गले तक तो ले रही हूँ और क्या करू.. तू भी ना..
गौतम पोर्न देखते हुए सुमन से blowjob ले रहा था की उसे बाबाजी की बात याद आ गई..
गौतम - माँ..
सुमन लंड चुस्ती हुई - हम्म...
गौतम - कल मेरे दोस्त टूर पर जा रहे है.. मैं भी चला जाऊ अगर बोलो तो?
सुमन - मुझे अकेला छोड़कर जाएगा ग़ुगु?
गौतम - अरे आप कुछ दिन मामा के यहां चले जाओ ना.. तीन महीने बाद कुसुम आ जायेगी और वो तो ऐसी है की गले में पट्टा डालके रखेगी मेरे.. ना कहीं जाने देगी ना किसी से मिलने बस गले लगा के रखेगी.. आप समझो ना.. मैं कभी गया भी कहीं.. कुछ दिनों की बात है.. इंडिया के कुछ शहर ही है.. 20-25 दिन में आ जाएंगे..
सुमन - और मेरा क्या होगा? मैं कैसे इतने दिन रह पाउंगी तेरे बिना?
गौतम - देखो पति भी हूँ तुम्हारा.. मान जाओ वरना आज चुत से जाओगी..
सुमन जुल्फे कान के पीछे करके मुंह में लंड लेती हुई - ठीक है शहजादे.. चले जाना कल...
गौतम सुमन के मुंह में झड़ते हुए - thanks माँ...

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गौतम बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह कहे मुताबिक पहाड़ी के पीछे उसकी कुटीया के करीब आ गया..

बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - आ गए बेटा..
गौतम - जी बाबाजी.. आपका जैसे ही फ़ोन आया मैं तुरंत दौड़ा चला आया..
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - इतना बड़ा बेग?
गौतम - हाँ आपने कहा था ना कुछ दिनों के लिए कही जाना है जरुरी सामान लेकर आउ.. तो इसमें सब है.. मेरे कपडे जूते टूथपेस्ट ब्रश शैम्पू इत्र कुछ दवाइया लाइटर सिगरेट दो शराब की बोतल भी है..
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह एक पिस्तौल देते हुए - उस सबसे ज्यादा तुझे इसकी जरुरत पड़ेगी.. 18 राउंड फायर करती है इसके दो और मैगज़ीन है.. लो..
गौतम - इसकी क्या जरुरत? जंग पर थोड़ी भेज रहे हो आप मुझे..
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - नहीं.. जंग पर नहीं.. तुम्हारे पिछले जन्म में...
गौतम चौंकते हुए फिर हंसकर - क्या? पिछला जन्म? बाबाजी आपने बहुत मदद की है पर ऐसा मज़ाक़ तो ना करो..
बैरागी जो वीरेंद्र सिंह के पास खड़ा था मगर गौतम को नहीं दिख रहा था वो अपना रूप और अस्तित्व गौतम को दिखाते हुए गौतम के सामने प्रकट होकर कहता है - ये मज़ाक़ लग रहा है तुम्हे?
गौतम इस बार हैरानी अचरज से - बैरागी...
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - हाँ गौतम.. ये वही बैरागी है जिसे तूने सपने में देखा था..
गौतम गौर से बड़े बाबाजी को देखकर - वीरेंद्र सिंह?
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - हाँ सही पहचाना..
गौतम - मतलब जो भी मैंने देखा वो सही और सत्य था.. ऐसा असल में हो चूका है...
बैरागी - सही कहा हाक़िम..
गौतम - हाक़िम?
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - पिछले जन्म में यही नाम था तुम्हारा बेटा.. तुम एक बंजारा काबिले के सरदार लाखा की बेटी मुन्नी के बेटे थे.. डाकी ने तुम्हारे नाना लाखा की जान लेकर तुम्हारी माँ मुन्नी और मौसी शीला को अपनी रखैल बना लिया था.. और तुम्हे काबिले से बाहर निकाल फेंका था..
गौतम जिज्ञासा से - और मैंने कुछ नहीं किया?
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - नहीं..
गौतम गुस्से से - इतना चुतिया था मैं पिछले जन्म में?
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - तुम डरपोक और कमजोर थे गौतम..
बैरागी - हाक़िम..जब तुम पिछले जन्म में जाओगे तो मुझसे मिलने महल आ जाना.. और मुझे ये ताबीज़ दिखाकर मुझसे वो जदिबूटी लेकर वापस इस जन्म में आ जाना.. इसके अतिरिक्त और कुछ करोगे तो मुसीबत में पड़ जाओगे..
गौतम - ये क्या ताबीज़ है?
बैरागी - ये वही ताबिज़ है जो मृदुला ने मेरे गले में बाँधा था.. ये तुम्हारे गले में होगा तो तुम्हे चोट पहुंचाने वाला सुरक्षित नहीं रह पायेगा..
गौतम - अच्छा बाबाजी.. एक सवाल है.. पिछले जन्म में जाने के बाद मेरा वापस छोटा तो नहीं होगा ना..
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह हसते हुए - पिछले जन्म में तेरा शरीर जैसा था जैसा ही रहेगा.. मगर तू फ़िक्र मत कर.. उसी पेड़ से कुछ जामुन तोड़ कर इस बैग में रखकर साथ लेजा..
गौतम जामुन तोड़कर ले आता है और बेग में रख लेता है..
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - अब चल..
गौतम चलता हुआ - कहा.. पैदल चलाकर जाना है पिछले जन्म में?
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह हसते हुए - नहीं
गौतम - तो कैसे जाऊंगा?
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - आगे उस झील को देख रहा है..
गौतम - बहुत बार देख चूका हूँ.. ऊपर बैठकर यही तो देखता था..
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - एक ऐसी झील वहा भी होगी.. और एक ऐसा बड़ का पेड़ भी.. तू इस बेग को इस पेड़ के नीचे गाड दे.. ये सामान अपने आप वहा पहुंच जाएगा...
गौतम - और मैं कैसे पहुँचूँगा? मुझे मत गाड देना बाबाजी..
बैरागी - तुमको गड़ना नहीं पड़ेगा हाक़िम.. डूबना पड़ेगा..
गौतम - कहा?
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - उस झील में.. जैसे तुम वहा जा रहे हो वैसे ही तुम वापस भी आओगे..
गौतम - झील में डुबकी लगाने से पिछले जन्म में पहुंच जाएगा मेरा शरीर?
बैरागी - शरीर नहीं केवल आत्मा.. इस जन्म की आत्मा पिछले जन्म के शरीर में पहुंच जायेगी और पिछले जन्म के शरीर की आत्मा तुम्हारे इस शरीर में..
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - हाँ गौतम..
गौतम - तो मेरे इस शरीर में पुराने जन्म की आत्मा आ जायेगी और पुराने जन्म के शरीर में इस जन्म की आत्मा चली जायेगी... अच्छा है.. अगर ऐसा हो तो आप पिछले जन्म की आत्मा आने पर मेरे गाल पर दो थप्पड़ मार दीजियेगा.. बोलना मैंने ही कहा था मारने को..
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - तू चिंता मत मैं उसे कमजोर से ताकतवर और डरपोक से निडर बना दूंगा..
गौतम - थप्पड़ जरुरत मारना.. साला इसी लायक है..
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - ठीक है अब तुम इस पेड़ के नीचे खड्डा खोद दो और ये सारा सामान उसमे रखकर दफ़न कर दो..
गौतम - ठीक है अभी रख देता हूँ.. पर मैं सबको पहचानुगा कैसे?
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - तुमने सबको देखा है सिवाये अपने कबीले के.. वो लोग तुझे अपने आप पहचान लेंगे..
गौतम - और वो जदिबूटी कैसे लानी है?
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - जिस तरह ये सामान जारहा है वैसे ही जड़ी बूटी भी यहां आ जायेगी.
गौतम - मतलब पेड़ के नीचे खड्डा खोद कर.
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - हाँ बेटा... तुम जो भी पेड़ के नीचे गाड दोगे वो यहां आ जाएगा.. मगर एक से ज्यादा कुछ नहीं गाड़ना वरना सब बर्बाद हो जाएगा.. और सिर्फ जाडीबूती आना कुछ और मत ले आना..
गौतम - एक आखिरी बात..
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - जो कुछ है पूछ..
गौतम - क्या मैं समर और लीलावती को बचा सकता हूँ आपसे?
बैरागी - मैंने कहा ना हाक़िम.. तुम सिर्फ मुझसे वो जड़ी बूटी लेकर वापस आओगे और कुछ करने की आवश्यकता नहीं है.. वरना सब ख़त्म हो जाएगा.. जल्दी ही मेरे पास आना वरना सब ख़त्म हो जाएगा..
गौतम - ठीक है.. बेचारे के लिए बुरा लगा.. इसलिए पूछ लिया..
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - याद रखना गौतम.. यहां तुम्हारा वापस आना कितना जरुरी है और तुम्हारा इंतजार कौन कर रहा है..
गौतम - मैं भी जल्दी से वापस आ जाऊंगा जदिबूटी लेकर.. वहा मुझे मिलेगा ही क्या?
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - बेटा.. हर कदम सोचकर उठाना..
गौतम - मतलब?
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - मतलब.. मोह बंधन है..
गौतम - तो? मुझे क्यों बता रहे हो बाबाजी.. मैं जानता हूँ ये बात..
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - कहीं भूल मत जाना गौतम..
गौतम - मैं नहीं भूलूंगा बाबाजी..
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - प्रेम और मोह से दूर रहना..
गौतम - मैं जिनसे प्रेम करता हूँ वो इस जन्म है.. वहा मैं किससे प्रेम करूँगा?
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - मन चंचल होता है.. प्रेम अविरल..
गौतम - हिंदी में बताओगे? आप क्या बोल रहे हो?
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - मैं ये कहना चाहता हूँ गौतम कि वहा तुम्हे किसी से प्रेम या मोह हो सकता है.. इसलिए तुम्हे अपने मन पर काबू रखना जरुरी है...
गौतम - जैसा आप कहो.. अगर मिलेगी तो घोड़ी बनाऊंगा.. दिल नहीं लगाउँगा..
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - यही तुम्हारे और तुम से सम्बंधित लोगों के लिए सही होगा..
गौतम - वैसे तो मैंने खासी, जुखाम, बुखार, सरदर्द, बदन दर्द, और नींद की गोली रख ली है फर्स्ट ऐड किट भी है और तो कोई और दवा रखने की जरुरत तो नहीं है ना
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - अचेत करने की दवा भी रख लेते..
गौतम - अचेत मतलब बेहोश ना? अरे वो भी है.. मेडिकल से सारी दवा लेके आया था.. साला दे नहीं रहा था.. एक्स्ट्रा पैसे देने पड़े..
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह हड़ते हुए - मेरी कही एक एक बात याद रखना गौतम.. तुम्हे जदिबूती लेकर शीघ्र से शीघ्र वापस आना होगा..
गौतम - शाम तक आ जाऊंगा बाबाजी.. आप टेंशन मत लो..
बैरागी - कौन से दिन की शाम हाक़िम?
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - गौतम ये एक दिन में होने वाला कार्य नहीं है.. तुम्हे महल में घुसना पड़ेगा.. और आसानी से तुम महल में नहीं घुस सकते ना ही बैरागी से मिल सकते हो..
गौतम - अरे मैं कोई ना कोई उपाए ढूंढ़ लूंगा बाबाजी.. बेफिक्र रहो.
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - आज अमावस है और तुम अगली अमावस को ही लौट पाओगे.. सिर्फ उस दिन ही आया जा सकता है जब आसमान पर चाँद नहीं हो.. अब तुम झील में उतर जाओ गौतम..
गौतम - बहुत बार ऊपर से देखा है मैंने इस झील को.. और सोचा था की कभी इसे नजदीक से देखूंगा.
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - आज देख लो..
गौतम - हां बाबाजी.. देखने के बाद उतरना भी है..
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - बिना कपड़े पहनें उतरना होगा गौतम..
गौतम हैरानी से - नंगा जाऊंगा? कोई देख लिया तो..
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - यही नियम है गौतम.. ये झील आम नहीं है.. उल्काओ के विस्फोट से उसका निर्माण हुआ है और आयामों के बीच का मार्ग बनाती है.. वस्त्र पुरे शरीर को बांधता है..
गौतम - ठीक है.. नंगा जाता हूँ..
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - अब जाओ..
गौतम - एक मिनट.. मेरा फ़ोन...
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - वहा तुम्हारे इस फ़ोन का क्या काम बेटा?
गौतम - समझा करो बाबाजी.. बहुत काम है... मैं इसे उस खड्डे में गाड के आता हूँ..
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - जैसा तुम चाहो..
गौतम फ़ोन गाड़ के आ जाता है..
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - अब जाओ..
गौतम - जा रहा हूँ..
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - क्या सोच रहे हो..
गौतम - कुछ नहीं बाबाजी.. बस भूक लग रही है.. वहा खाने को क्या क्या मिलेगा?
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - कुछ नहीं.. जो तुम यहां खाते हुए वो सब वहा नहीं मिलेगा..
गौतम - फिर?
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - जो पहले खाया जाता था वही मिलेगा.. उसके अतिरिक्त फल खाने को मिलेंगे..
गौतम - फिर तो वापस जाना पड़ेगा बाबाजी.. बेग में खाने का सामान भी लाना पड़ेगा..
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - सूर्यास्त होने से पहले तुमको पिछले जन्म में जाना पड़ेगा गौतम.. आज अमावस है इसके बाद एक माह तक और प्रतीक्षा करनी होगी..
गौतम - अभी सूर्यास्त होने में बहुत टाइम है बाबाजी.. मैं यूँ जाके यूँ आ जाऊंगा.. पेट का सवाल है समझा करो..
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - ठीक है शीघ्र करो...
गौतम वापस चला जाता है और 2 घंटे बाद वापस आता है तो एक बड़ी बोरी में सामान भरके लाता है और कहता है - बाबाजी रेडी..
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - इसे ले जाना है तो खड्डा खोदकर गाड़ना पड़ेगा..
गौतम - इतना बड़ा खड्डा खोदना पड़ेगा?
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - हाँ..
गौतम खड्डा खोदने लगता है - बाबाजी थोड़ी हेलप करदो..
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - तुम्हे जाना है तुमको खोदना पड़ेगा..
गौतम खड्डा खोदते हुए - ठीक है..
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - जल्दी... सूर्यास्त होने वाला है..
गौतम - हो गया बस.. लो गाड दिया.
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - अब जाओ.. और जदिबूती लेकर ही आना.. यदि तुम विफल हुए तो तुम जानते हो क्या होगा...
गौतम झील में जाते हुए - हाँ.. आप और बैरागी की मुक्ति नहीं हो पाएगी और आप बाकी बचे 500 सालों तक यूँ ही रहोगे..
ये कहकर गौतम झील में उतर जाता है...



Jldi update 52 do wait nahi hota par kahi kahani to nahi khatam hojaygi ye kaam hote hi
 

Rajadopyaja

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सुमन घर दरवाजा खोलकर - जी?
डिलीवेरी एजेंट - मैडम आपका प्रोडक्ट रिसीव कर लीजिये..
सुमन - मैंने कुछ नहीं मंगवाया.. ग़ुगु.. ग़ुगु.. कुछ मंगवाया था क्या तूने?
गौतम आते हुए - हाँ टीवी आया होगा माँ.. भईया इसे इनस्टॉल भी करना था ना..
डिलीवेरी एजेंट - जी ये लड़का आया है कहा इनस्टॉल करवाना है बता दो..
गौतम - अंदर ले आओ भईया.. इस तरफ..
गौतम लड़के को घर के मुख्य रूम जो सुमन और गौतम का बैडरूम था वहा ले आता है और बेड के ठीक सामने वाली दिवार पर टीवी इनस्टॉल करने को कहता है..
सुमन - इतना बड़ा टीवी क्यों मंगवाया है ग़ुगु?
गौतम - मूवी देखने के लिए..
लड़का - भईया थोड़ा मदद करना..
गौतम - हां..
गौतम - टीवी को बेड के ठीक सामने दिवार ओर लगवा लेता है और लड़का टीवी on करके चला जाता है..
सुमन बाहर दरवाजा बंद करके आती है और कहती है - कितना बड़ा है...
गौतम - 65 इंच का है 4के क्लियर..
सुमन - कितने का है?
गौतम - 80 हज़ार...
सुमन - क्या.. इतना महंगा? तूने बुआ का एटीएम इस्तेमाल किया ना?
गौतम - क्या फर्क पड़ता है माँ.. एटीएम में इतने पैसे पड़े है.. बुआ फिर कहती और चाहिए तो बताना.. और शिकायत करती है तू कुछ खर्च ही नहीं करता..
सुमन - पर ग़ुगु इतने बड़े टीवी का क्या करेंगे?
गौतम टीवी से फ़ोन और 2 इयरबड्स कनेक्ट करके एक सुमन के कानो में लगाता है और दूसरे इयरबड्स को अपने दोनों कानो में लगा लेता है और कहता है - मूवी देखेंगे सुमन.. लाइट ऑफ कर दे..
सुमन कमरे की लाइट्स ऑफ करके बेड पर आ जाती है जहा से टीवी अँधेरे में किसी सिनेमा हॉल के बड़े परदे की तरह दीखता है..
सुमन - ये किसी सिनेमा हॉल जैसा लगता है गौतम..
गौतम सुमन की साड़ी का पल्लू पकड़कर खींचते हुए सुमन की साडी उतारता हुआ - माँ यार घर में साड़ी मत पहना करो..
सुमन - साड़ी क्यों उतार रहा है तू.. मैं अभी नहीं देने वाली समझा.. अभी भी दर्द है मेरी चुत में.. परसो इतना कस कस के किया था तूने अब जब तक वापस पहले जैसी नहीं होती मैं नहीं देने वाली..
गौतम साड़ी उतार कर कमरे में रखे सोफे ओर फेंकते हुए - यार सुमन तू भी नखरे करने लगी..
सुमन - अब नखरे समझ या कुछ और.. मेरे दर्द होता है.. 1-2 दिन और सब्र कर...
गौतम टीवी पर mom son पोर्न मूवी प्ले कर देता है...
सुमन - ये क्या है?
गौतम - मूवी है..
सुमन - इंग्लिश मूवी है?
गौतम सुमन को बाहों में लेकर - हाँ..
सुमन गौतम के साथ मूवी देखने लगती है...
गौतम - आगे देखना बहुत कुछ होगा..
सुमन - ये कौन है?
गौतम - वो माँ है ये बेटा.. बेटा माँ के birthday पर घर आया है और पापा बाहर है..
सुमन - छी... ये तो वो वाली मूवी है...
गौतम - छी तो ऐसे कर रही हो जैसे बड़ी सती सावित्री हो..
सुमन - ये सब देखने के लिए टीवी लिया ना तूने.. बेशर्म..
गौतम लंड निकाल कर - अच्छा... संस्कारी दुनिया के सामने बनना माँ.. मेरे सामने नाटक मत करो.. चलो चुत में नहीं लेना तो मुंह में लेकर खुश करो अपने पतिदेव को..
सुमन गुस्से से लंड पर मुंह लगाती हुई - कमीने तुझे हाँ करनी ही नहीं चाहिए थी मुझे..
गौतम सुमन के बाल पकड़ कर मुंह में लंड घुसते हुए - उसको देखो कैसे चूस रही है तू भी चूस अच्छे से.. Blowjob में मज़ा आना चाहिए..
सुमन लंड चुस्ती हुई - कुसुम पसंद आई तुझे?
गौतम - हाँ.. शादी के लिए परफेक्ट है.. अच्छा है अपनी बहन मिल गई.. वरना कब से दुसरो की माँ बहन चोद रहा था..
सुमन - कमीने होने वाली बीवी है तेरी.. और चचेरी बहन..
गौतम - माँ अलग है तो क्या हुआ.. बाप तो एक ही है... और सास तो गज़ब ही है.. मानसी चाची भी मस्त माल है..
सुमन - दूर रहना.. समझा.. मेरे साथ रहना तो सबसे दूर रहना पड़ेगा.. बोला था याद है ना..
गौतम कल रात का सोचकर हसते हुए - हाँ याद है मेरी माँ.. चूस अब अच्छे से...
सुमन - गले तक तो ले रही हूँ और क्या करू.. तू भी ना..
गौतम पोर्न देखते हुए सुमन से blowjob ले रहा था की उसे बाबाजी की बात याद आ गई..
गौतम - माँ..
सुमन लंड चुस्ती हुई - हम्म...
गौतम - कल मेरे दोस्त टूर पर जा रहे है.. मैं भी चला जाऊ अगर बोलो तो?
सुमन - मुझे अकेला छोड़कर जाएगा ग़ुगु?
गौतम - अरे आप कुछ दिन मामा के यहां चले जाओ ना.. तीन महीने बाद कुसुम आ जायेगी और वो तो ऐसी है की गले में पट्टा डालके रखेगी मेरे.. ना कहीं जाने देगी ना किसी से मिलने बस गले लगा के रखेगी.. आप समझो ना.. मैं कभी गया भी कहीं.. कुछ दिनों की बात है.. इंडिया के कुछ शहर ही है.. 20-25 दिन में आ जाएंगे..
सुमन - और मेरा क्या होगा? मैं कैसे इतने दिन रह पाउंगी तेरे बिना?
गौतम - देखो पति भी हूँ तुम्हारा.. मान जाओ वरना आज चुत से जाओगी..
सुमन जुल्फे कान के पीछे करके मुंह में लंड लेती हुई - ठीक है शहजादे.. चले जाना कल...
गौतम सुमन के मुंह में झड़ते हुए - thanks माँ...

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गौतम बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह कहे मुताबिक पहाड़ी के पीछे उसकी कुटीया के करीब आ गया..

बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - आ गए बेटा..
गौतम - जी बाबाजी.. आपका जैसे ही फ़ोन आया मैं तुरंत दौड़ा चला आया..
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - इतना बड़ा बेग?
गौतम - हाँ आपने कहा था ना कुछ दिनों के लिए कही जाना है जरुरी सामान लेकर आउ.. तो इसमें सब है.. मेरे कपडे जूते टूथपेस्ट ब्रश शैम्पू इत्र कुछ दवाइया लाइटर सिगरेट दो शराब की बोतल भी है..
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह एक पिस्तौल देते हुए - उस सबसे ज्यादा तुझे इसकी जरुरत पड़ेगी.. 18 राउंड फायर करती है इसके दो और मैगज़ीन है.. लो..
गौतम - इसकी क्या जरुरत? जंग पर थोड़ी भेज रहे हो आप मुझे..
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - नहीं.. जंग पर नहीं.. तुम्हारे पिछले जन्म में...
गौतम चौंकते हुए फिर हंसकर - क्या? पिछला जन्म? बाबाजी आपने बहुत मदद की है पर ऐसा मज़ाक़ तो ना करो..
बैरागी जो वीरेंद्र सिंह के पास खड़ा था मगर गौतम को नहीं दिख रहा था वो अपना रूप और अस्तित्व गौतम को दिखाते हुए गौतम के सामने प्रकट होकर कहता है - ये मज़ाक़ लग रहा है तुम्हे?
गौतम इस बार हैरानी अचरज से - बैरागी...
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - हाँ गौतम.. ये वही बैरागी है जिसे तूने सपने में देखा था..
गौतम गौर से बड़े बाबाजी को देखकर - वीरेंद्र सिंह?
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - हाँ सही पहचाना..
गौतम - मतलब जो भी मैंने देखा वो सही और सत्य था.. ऐसा असल में हो चूका है...
बैरागी - सही कहा हाक़िम..
गौतम - हाक़िम?
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - पिछले जन्म में यही नाम था तुम्हारा बेटा.. तुम एक बंजारा काबिले के सरदार लाखा की बेटी मुन्नी के बेटे थे.. डाकी ने तुम्हारे नाना लाखा की जान लेकर तुम्हारी माँ मुन्नी और मौसी शीला को अपनी रखैल बना लिया था.. और तुम्हे काबिले से बाहर निकाल फेंका था..
गौतम जिज्ञासा से - और मैंने कुछ नहीं किया?
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - नहीं..
गौतम गुस्से से - इतना चुतिया था मैं पिछले जन्म में?
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - तुम डरपोक और कमजोर थे गौतम..
बैरागी - हाक़िम..जब तुम पिछले जन्म में जाओगे तो मुझसे मिलने महल आ जाना.. और मुझे ये ताबीज़ दिखाकर मुझसे वो जदिबूटी लेकर वापस इस जन्म में आ जाना.. इसके अतिरिक्त और कुछ करोगे तो मुसीबत में पड़ जाओगे..
गौतम - ये क्या ताबीज़ है?
बैरागी - ये वही ताबिज़ है जो मृदुला ने मेरे गले में बाँधा था.. ये तुम्हारे गले में होगा तो तुम्हे चोट पहुंचाने वाला सुरक्षित नहीं रह पायेगा..
गौतम - अच्छा बाबाजी.. एक सवाल है.. पिछले जन्म में जाने के बाद मेरा वापस छोटा तो नहीं होगा ना..
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह हसते हुए - पिछले जन्म में तेरा शरीर जैसा था जैसा ही रहेगा.. मगर तू फ़िक्र मत कर.. उसी पेड़ से कुछ जामुन तोड़ कर इस बैग में रखकर साथ लेजा..
गौतम जामुन तोड़कर ले आता है और बेग में रख लेता है..
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - अब चल..
गौतम चलता हुआ - कहा.. पैदल चलाकर जाना है पिछले जन्म में?
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह हसते हुए - नहीं
गौतम - तो कैसे जाऊंगा?
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - आगे उस झील को देख रहा है..
गौतम - बहुत बार देख चूका हूँ.. ऊपर बैठकर यही तो देखता था..
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - एक ऐसी झील वहा भी होगी.. और एक ऐसा बड़ का पेड़ भी.. तू इस बेग को इस पेड़ के नीचे गाड दे.. ये सामान अपने आप वहा पहुंच जाएगा...
गौतम - और मैं कैसे पहुँचूँगा? मुझे मत गाड देना बाबाजी..
बैरागी - तुमको गड़ना नहीं पड़ेगा हाक़िम.. डूबना पड़ेगा..
गौतम - कहा?
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - उस झील में.. जैसे तुम वहा जा रहे हो वैसे ही तुम वापस भी आओगे..
गौतम - झील में डुबकी लगाने से पिछले जन्म में पहुंच जाएगा मेरा शरीर?
बैरागी - शरीर नहीं केवल आत्मा.. इस जन्म की आत्मा पिछले जन्म के शरीर में पहुंच जायेगी और पिछले जन्म के शरीर की आत्मा तुम्हारे इस शरीर में..
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - हाँ गौतम..
गौतम - तो मेरे इस शरीर में पुराने जन्म की आत्मा आ जायेगी और पुराने जन्म के शरीर में इस जन्म की आत्मा चली जायेगी... अच्छा है.. अगर ऐसा हो तो आप पिछले जन्म की आत्मा आने पर मेरे गाल पर दो थप्पड़ मार दीजियेगा.. बोलना मैंने ही कहा था मारने को..
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - तू चिंता मत मैं उसे कमजोर से ताकतवर और डरपोक से निडर बना दूंगा..
गौतम - थप्पड़ जरुरत मारना.. साला इसी लायक है..
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - ठीक है अब तुम इस पेड़ के नीचे खड्डा खोद दो और ये सारा सामान उसमे रखकर दफ़न कर दो..
गौतम - ठीक है अभी रख देता हूँ.. पर मैं सबको पहचानुगा कैसे?
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - तुमने सबको देखा है सिवाये अपने कबीले के.. वो लोग तुझे अपने आप पहचान लेंगे..
गौतम - और वो जदिबूटी कैसे लानी है?
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - जिस तरह ये सामान जारहा है वैसे ही जड़ी बूटी भी यहां आ जायेगी.
गौतम - मतलब पेड़ के नीचे खड्डा खोद कर.
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - हाँ बेटा... तुम जो भी पेड़ के नीचे गाड दोगे वो यहां आ जाएगा.. मगर एक से ज्यादा कुछ नहीं गाड़ना वरना सब बर्बाद हो जाएगा.. और सिर्फ जाडीबूती आना कुछ और मत ले आना..
गौतम - एक आखिरी बात..
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - जो कुछ है पूछ..
गौतम - क्या मैं समर और लीलावती को बचा सकता हूँ आपसे?
बैरागी - मैंने कहा ना हाक़िम.. तुम सिर्फ मुझसे वो जड़ी बूटी लेकर वापस आओगे और कुछ करने की आवश्यकता नहीं है.. वरना सब ख़त्म हो जाएगा.. जल्दी ही मेरे पास आना वरना सब ख़त्म हो जाएगा..
गौतम - ठीक है.. बेचारे के लिए बुरा लगा.. इसलिए पूछ लिया..
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - याद रखना गौतम.. यहां तुम्हारा वापस आना कितना जरुरी है और तुम्हारा इंतजार कौन कर रहा है..
गौतम - मैं भी जल्दी से वापस आ जाऊंगा जदिबूटी लेकर.. वहा मुझे मिलेगा ही क्या?
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - बेटा.. हर कदम सोचकर उठाना..
गौतम - मतलब?
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - मतलब.. मोह बंधन है..
गौतम - तो? मुझे क्यों बता रहे हो बाबाजी.. मैं जानता हूँ ये बात..
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - कहीं भूल मत जाना गौतम..
गौतम - मैं नहीं भूलूंगा बाबाजी..
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - प्रेम और मोह से दूर रहना..
गौतम - मैं जिनसे प्रेम करता हूँ वो इस जन्म है.. वहा मैं किससे प्रेम करूँगा?
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - मन चंचल होता है.. प्रेम अविरल..
गौतम - हिंदी में बताओगे? आप क्या बोल रहे हो?
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - मैं ये कहना चाहता हूँ गौतम कि वहा तुम्हे किसी से प्रेम या मोह हो सकता है.. इसलिए तुम्हे अपने मन पर काबू रखना जरुरी है...
गौतम - जैसा आप कहो.. अगर मिलेगी तो घोड़ी बनाऊंगा.. दिल नहीं लगाउँगा..
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - यही तुम्हारे और तुम से सम्बंधित लोगों के लिए सही होगा..
गौतम - वैसे तो मैंने खासी, जुखाम, बुखार, सरदर्द, बदन दर्द, और नींद की गोली रख ली है फर्स्ट ऐड किट भी है और तो कोई और दवा रखने की जरुरत तो नहीं है ना
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - अचेत करने की दवा भी रख लेते..
गौतम - अचेत मतलब बेहोश ना? अरे वो भी है.. मेडिकल से सारी दवा लेके आया था.. साला दे नहीं रहा था.. एक्स्ट्रा पैसे देने पड़े..
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह हड़ते हुए - मेरी कही एक एक बात याद रखना गौतम.. तुम्हे जदिबूती लेकर शीघ्र से शीघ्र वापस आना होगा..
गौतम - शाम तक आ जाऊंगा बाबाजी.. आप टेंशन मत लो..
बैरागी - कौन से दिन की शाम हाक़िम?
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - गौतम ये एक दिन में होने वाला कार्य नहीं है.. तुम्हे महल में घुसना पड़ेगा.. और आसानी से तुम महल में नहीं घुस सकते ना ही बैरागी से मिल सकते हो..
गौतम - अरे मैं कोई ना कोई उपाए ढूंढ़ लूंगा बाबाजी.. बेफिक्र रहो.
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - आज अमावस है और तुम अगली अमावस को ही लौट पाओगे.. सिर्फ उस दिन ही आया जा सकता है जब आसमान पर चाँद नहीं हो.. अब तुम झील में उतर जाओ गौतम..
गौतम - बहुत बार ऊपर से देखा है मैंने इस झील को.. और सोचा था की कभी इसे नजदीक से देखूंगा.
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - आज देख लो..
गौतम - हां बाबाजी.. देखने के बाद उतरना भी है..
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - बिना कपड़े पहनें उतरना होगा गौतम..
गौतम हैरानी से - नंगा जाऊंगा? कोई देख लिया तो..
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - यही नियम है गौतम.. ये झील आम नहीं है.. उल्काओ के विस्फोट से उसका निर्माण हुआ है और आयामों के बीच का मार्ग बनाती है.. वस्त्र पुरे शरीर को बांधता है..
गौतम - ठीक है.. नंगा जाता हूँ..
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - अब जाओ..
गौतम - एक मिनट.. मेरा फ़ोन...
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - वहा तुम्हारे इस फ़ोन का क्या काम बेटा?
गौतम - समझा करो बाबाजी.. बहुत काम है... मैं इसे उस खड्डे में गाड के आता हूँ..
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - जैसा तुम चाहो..
गौतम फ़ोन गाड़ के आ जाता है..
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - अब जाओ..
गौतम - जा रहा हूँ..
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - क्या सोच रहे हो..
गौतम - कुछ नहीं बाबाजी.. बस भूक लग रही है.. वहा खाने को क्या क्या मिलेगा?
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - कुछ नहीं.. जो तुम यहां खाते हुए वो सब वहा नहीं मिलेगा..
गौतम - फिर?
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - जो पहले खाया जाता था वही मिलेगा.. उसके अतिरिक्त फल खाने को मिलेंगे..
गौतम - फिर तो वापस जाना पड़ेगा बाबाजी.. बेग में खाने का सामान भी लाना पड़ेगा..
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - सूर्यास्त होने से पहले तुमको पिछले जन्म में जाना पड़ेगा गौतम.. आज अमावस है इसके बाद एक माह तक और प्रतीक्षा करनी होगी..
गौतम - अभी सूर्यास्त होने में बहुत टाइम है बाबाजी.. मैं यूँ जाके यूँ आ जाऊंगा.. पेट का सवाल है समझा करो..
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - ठीक है शीघ्र करो...
गौतम वापस चला जाता है और 2 घंटे बाद वापस आता है तो एक बड़ी बोरी में सामान भरके लाता है और कहता है - बाबाजी रेडी..
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - इसे ले जाना है तो खड्डा खोदकर गाड़ना पड़ेगा..
गौतम - इतना बड़ा खड्डा खोदना पड़ेगा?
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - हाँ..
गौतम खड्डा खोदने लगता है - बाबाजी थोड़ी हेलप करदो..
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - तुम्हे जाना है तुमको खोदना पड़ेगा..
गौतम खड्डा खोदते हुए - ठीक है..
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - जल्दी... सूर्यास्त होने वाला है..
गौतम - हो गया बस.. लो गाड दिया.
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - अब जाओ.. और जदिबूती लेकर ही आना.. यदि तुम विफल हुए तो तुम जानते हो क्या होगा...
गौतम झील में जाते हुए - हाँ.. आप और बैरागी की मुक्ति नहीं हो पाएगी और आप बाकी बचे 500 सालों तक यूँ ही रहोगे..
ये कहकर गौतम झील में उतर जाता है...




Thanks Bhai.
Suman ki rail nahi banai toh kya, kam se kam muh to meeta kar diya Gautam ne suman ka jaane se pehle.
 
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