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Luckyloda

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Update 16


बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - कौन? कौन है बाहर?

किशोर - बड़े बाबाजी.. मैं किशोर..

बड़े बाबाजी - किशोर.. तुम.. आज दोपहर मैं ही आ गए.. कहो कैसे आना हुआ?

किशोर - बड़े बाबाजी वो बाबाजी पूछ रहे थे कि क्या वो आपसे मिल सकते है?

बड़े बाबाजी - अचानक विरम को मुझसे क्या काम पड़ गया?

किशोर - बड़े बाबाजी सेठ धनीराम भी है बाबाजी के साथ.. आपसे मिलने कि आज्ञा चाहते है.. पूछ रहे थे जब आप उचित समझें तब वो आ जाए..

बड़े बाबाजी - किशोर विरम से बोल कि वो अभी मुझसे मिलने आ सकता है.. मैं मिलने को सज्य हूँ..

किशोर - जैसे आप कहे बड़े बाबाजी..


किशोर - बाबाजी बड़े बाबाजी ने अभी मिलने के लिए कहा है..

बाबाजी उर्फ़ विरम - किशोर तू सच कह रहा है? आज मिल सकते है हम..

किशोर - ज़ी बाबाजी.. बड़े बाबाजी ने अभी ही आपको सेठ धनीराम के साथ उपस्थित होने को कहा है..

बाबाजी उर्फ़ विरम - अच्छा तो फिर हमें बिना देरी किये यहां से गुरुदेव के पास पहुंचना चाहिए..

धनीराम - आज तो नसीब पुरे उफान पर लगता है बाबाजी.. वरना दिन हफ्ते या महीने ना जाने कितना टाइम लगता बड़े बाबाजी के दर्शन करने के लिए..

बाबाजी उर्फ़ विरम, धनिराम औऱ धनिराम के पीछे एक नौकर अपने हाथ में कई डब्बे लिए हुए चल देते है..


बाबाजी - इन डब्बो में क्या ले आये हो धनिराम...

धनिराम - इनमे शहर के सबसे नामी हलवाई के दूकान की ताज़ा बनी मिठाईया है बाबाजी.. आपके लिए जो लाया तो वो नोकर से कहकर आपकी धर्मपत्नी के पास भिजवा दी औऱ ये बड़े बाबा ज़ी के लिए है..

किशोर - मगर बड़े बाबाजी तो ताज़ा मिठाई छोडो ताज़ा दाल रोती तक नहीं खाते.. सन्यासी इतने बड़े है कि क्या बताया जाए? कल जो बना था आज खाते है औऱ आज जो बना है वो कल खाते है.. हमेशा बासी खाना ही खाते है बड़े बाबाजी..


बाबाजी उर्फ़ विरम, धनीराम औऱ किशोर बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह की कुटिया के बाहर आ जाते है..


बाबाजी उर्फ़ वीरम आवाज लगाते हुए - गुरुदेव...

अंदर से बड़े बाबाजी - आजा वीरम.. ले आ धनिराम को..

बाबाजी औऱ धनीराम कुटिया में आते हुए - प्रणाम बाबाजी.. प्रणाम गुरुदेव..

बड़े बाबाजी - कहो धनिराम.. इस बार क्या चाहते हो..

धनीराम नोकर को इशारे से मिठाई के डब्बे बड़े बाबाजी के सामने रखने के लिए कहता है औऱ नौकर धनीराम के कहे अनुसार बड़े बाबाजी के सामने मिठाई के डब्बे रख देता है जिसमे से उठती महक उस मिठाई की गुणवत्ता औऱ किस्म को उजागर कर रही होती है..



बड़े बाबाजी - मैं तो रूखी सुखी खाने का आदि हूँ धनिराम मुझे ये सब लालच क्यों दे रहा है.. तू बता तुझे क्या चाहिए?

धनिराम - बाबाजी.. आप तो जानते ही है सब.. फिर मेरा सवाल भी जानते ही होंगे तो आप ही बता दीजिये.. क्या मैं जो नया काम शुरू करने जारहा हूँ वो मेरे हित में रहेगा या मुझे नुकसान पहुचायेगा?

बड़े बाबाजी - हित तेरे धैर्य पर निर्भर है औऱ नुक्सान तेरी अधीरता पर.. अभी उचित समय की प्रतीक्षा कर धनिराम.. तेरी पुत्रवधु के गर्भ से अगले माह कन्या जन्म लेगी जिसके हाथ से तू जो भी कार्य शुरू करेगा सब फुले फलेगा.. कुछ चाहता है तो बता नहीं तो अब जा यहां से..


बड़े बाबाजी के कहने पर बाबाज़ी औऱ धनीराम कुटिया से बाहर आकर वापस पहाड़ी ओर जाने लगते है औऱ इधर बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह सामने रखी मिठाईया देखकर मुंह से लार टपकाने लगता है औऱ बाबाजी औऱ धनिराम के जाने के बाद डब्बे में से मिठाई निकालकर जल्दी से अपने मुंह में भर लेता है मगर जैसे ही बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह मिठाई अपने ने मुंह में डालता है मिठाई राख़ में बदल जाती है औऱ बड़े बाबाजी जोर जोर से थूकते हुए घड़े से पानी निकाल कर पिने लगता है औऱ अपने बगल में लेटे वैरागी के साये से कहता है..

बड़े बाबाजी - एक टुकड़ा तो खाने दे बैरागी.. कितना समय बीत गया बस बासी खाना ही खा रहा हूँ.. बहुत मन करता है कुछ स्वादिस्ट खाने का..

बैरागी - पर मैंने तो आपको कभी कुछ खाने से रोका ही नहीं हुकुम..

बड़े बाबा उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - याद है बैरागी जब हमने एक साथ भोजन किया था.. तब तूने मुझसे क्या कहा था..

बैरागी - मुझे तो आज भी एक एक पल याद है हुकुम.. मुझे जब आपके पहरेदार उस बैठक से एक आलीशान कश में ले गए थे औऱ मैं वहा टहल रहा रहा.....


फलेशबैक शुरू


पहरेदार बैरागी को वीरेंद्र सिंह की बैठक से अपने पीछे पीछे महल के एक अलीशान कमरे में ले आता है जो काफ़ी बड़ा औऱ सुन्दर था साथ में ही पहरेदार बैरागी के लिए साफ कपडे औऱ नहाने की व्यवस्था भी कर देता औऱ बढ़ेबाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह का संदेसा सुनाते हुए बैरागी से कहता है की जागीरदार ने उसे शाम के भोजन पर आमंत्रित किया है. बैरागी को नहाने औऱ हज़ाम से अपनी हज़ामत करवाने का कहकर पहरेदार उसके कमरे के बाहर आकर दो लोगों को पहरेदारी करने के लिए लगाता है औऱ खुद वापस वीरेंद्र सिंह के बैठक की तरफ चला जाता है..


बैरागी कई हफ्तों से नहीं नहाया था औऱ आज उसके नहाने औऱ अपने बड़े बड़े बाल औऱ दाढ़ी मुछ कटवाने औऱ वीरेंद्र सिंह के भिजवाए वस्त्र पहनकर उसका रूप पहले की तरह खिल उठा था.. उसके चेहरे से उसके दर्द का अंदाजा लगा पाना मुश्किल था औऱ उसकी पीड़ा को भाँपना मुश्किल था..


बैरागी ने दिन में उसके सामने लाया गया भोजन करने से इंकार कर दिया था औऱ स्वच्छन्द भाव से अपने कमरे से बाहर आ गया औऱ महल के बाग़ की तरफ टहलने लगा..

बाग़ में खिले हुए फूल औऱ उन फूलों से उठती हुई महक बाग़ के आस पास का वातावरण को अपनी खुशबु से सराबोर कर रही थी..

बैरागी महल से बाग़ में उतरती सीढ़ियों पर बैठ गया औऱ सामने खिलते हुए फूलों का जोड़ा देखकर अपने औऱ मृदुला के साथ बिताये उन हसीन तरीन पलो को याद करने लगा जिसमे दोनों ने साथ में जीवन के उस सुख को अनुभव किया था जिसे परमात्मा ने मनुष्य को वरदान के रूप में दिया है..


बैरागी बैठा हुआ अपने अतीत के पन्ने बदल रहा था की उसके कानो में मिठास घोल देने वाली मधुर आवाज सुनाई देने लगी औऱ वो अपने अतीत से वर्तमान में आ गया.. किसी औरत के गाने की इस आवाज ने बैरागी को अपनी जगह से उठने पर मजबूर कर दिया औऱ बैरागी आवाज का पीछा करते हुए बाग़ को पार करके एक मंदिर के पास आ गया मगर मंदिर के अंदर जाने की हिम्मत उसकी नहीं हुई औऱ वो मंदिर के बाहर ही खड़ा होकर उस गाने को सुनने लगा..


औरत ने बैरागी के मंदिर तक आने के कुछ देर बाद गाना बंद कर दिया. औरत के हाथ में थाली थी जिसमे पूजा का सामान रखा हुआ था औऱ साथ में प्रसाद.. औरत ने मंदिर में खड़े लोगों को प्रसाद बाँटा औऱ अपनी सेविकाओं को साथ लेकर मंदिर से बाहर आ गई..


औरत का नाम सुजाता था जो जागीरदार वीरेंद्र सिंह

की पत्नी थी.. सुजाता ने मंदिर से बाहर आने के बाद बैरागी को बाहर खड़े देखा तो सुजाता की सेविका ने सुजाता को बैरागी के बारे मे बताते हुए कहा कि बैरागी वीरेंद्र सिंह के मेहमान है औऱ आज ही महल में अतिथि बनकर आये है..

सुजाता अपनी सेविका से ये जानकार बैरागी की औऱ बढ़ी औऱ अपने साथ से प्रसाद देने लगी औऱ बोली..

सुजाता - मंदिर के बाहर खड़े होकर क्या कर रहे हो? मंदिर के अंदर क्यों नहीं आये? सब लोगों ने भगवान के दर्शन किये एक तुम ही उनके दर्शन से वंचित रह गए..

बैरागी ने सुजाता के पहनावे औऱ भाषा की शालीनता औऱ मुख पर तेज़ देखते हुए पहचान लिया कि ये इस जागीर के मालिक वीरेंद्र सिंह की पत्नी है..

बैरागी प्रसाद लेने से मना करते हुए - माफ़ करना रानी माँ.. मैं ईश्वर की परिकल्पना में विश्वास नहीं करता इसलिए ये प्रसाद मेरे लिए केवल मिठाई मात्र ही है.. मैं इसे प्रसाद के रूप में स्वीकार नहीं कर सकता.. औऱ रही बात मेरे मंदिर के अंदर आने की है तो मैं पहले ही आपको अपने कुल गौत्र से अवगत करवा देता हूँ.. मैं एक नीच जाती मैं पैदा हुआ हूँ जिसका छुआ आप खाना भी पसंद नहीं करते..

सुजाता मुस्कुराते हुए अपने हाथों से बैरागी को प्रसाद खिला देती है औऱ कहती है - जात पात औऱ उच नीच तो समाज में रहने वाले लोगों के बनाये जाल है बेटा.. ईश्वर के सामने तो क्या राजा क्या रंक सभी सामान है.. मैंने प्रसाद समझकर दिया है तू मिठाई समझकर खा ले..

बैरागी हाथ फैलाते हुए - अगर ऐसी बात है तो एक औऱ लड्डू खिला दो रानी माँ.. कई दिन हो गए पेट में अन्न डाले.. अब तो जैसे बदन में खून सूखने लगा है..

सुजाता बैरागी के हाथ में लड्डू देते हुए - इतनी सी उम्र में ये मायूसी? कोई बात है जो दिल में चुबती है? बता दे.. बताने से मन हल्का हो जाएगा..

बैरागी लड्डू खाते हुए - अपनी पीड़ा औऱ दुख मनुष्य अगर अकेला भोग ले तो अच्छा है.. बताने से व्यथा बन जाती है जिसे सुन पाना सबके बस में नहीं होता..

सुजाता - तेरी आँखों में विराह का दुख नज़र आता है.. कोई ऐसा छोड़कर चला गया है जिसका वापस पाना संभव है.. सही कहा ना मैंने?

बैरागी - छोड़कर जाने वाले की विराह में जलना तो बहुत साधारण बात है रानी माँ.. मेरी प्रीत तो गंगा के पानी की तरह पवित्र है जो मेरे प्रियतम को हमेशा मेरे साथ रखती है.. मैं जब चाहु उससे बात करता हूँ.. उससे रूठता हूँ उसे मनाता हूँ..

सुजाता की सेविका - आपको अब महल में वापस चलना चाहिए.. हुकुम ने आपसे शीघ्र आने का आग्रह किया था..

सुजाता बैरागी से - प्रेम अंधे की आँख है बेटा.. प्रेम तो वासना को जानता भी नहीं.. प्रेम से वासना लाखों कोस दूर ही रहती है.. मैं तेरे अंदर झांककर देख सकती हूँ कि तू अपने प्रेमी से अब भी कितना प्रेम करता है..

बैरागी - प्रेम तो अविरल चलने वाली हवा का नाम है रानी माँ.. वक़्त के साथ कम ज्यादा होना प्रेम नहीं.. मेरा प्रेम मेरी मृदुला के लिए मेरे अंत तक ऐसे ही बना रहेगा.. इसे कोई भी मेरे ह्रदय से नहीं निकाल सकता..

सुजाता मुस्कुराते हुए - मृदुला.. जिसके स्वभाव में शालीनता हो.. हम्म्म.. मैं तेरी पीड़ा तो नहीं मिटा सकती.. ना ही तेरी मृदुला को ये बता सकती हूँ कि तू उससे कितना प्रेम करता है.. पर इतना जरूर कर सकती हूँ कि आज रात रात्रिभोज पर अपने हाथ से खाना पका कर खिलाऊ.. रात्रिभोज पर प्रतीक्षा रहेगी..

बैरागी - रानी माँ..

बैरागी सुजाता के रास्ते से परे हट जाता है औऱ सुजाता महल की औऱ चली जाती है उसके पीछे पीछे सुजाता की सेविकाऐ भी चली जाती है औऱ बैरागी मंदिर से वापस बाग़ की तरफ आकर बाग़ पार करते हुए महल में घूमने लगता है जहा गलती से वह कोषागार की तरफ आ जाता है औऱ उसमे प्रवेश करने वाला होता है की तभी पीछे से एक लड़का उसके कंधे पर हाथ रखकर बैरागी को पीछे खींच केता है औऱ दिवार से सटा के अपनी तलवार बैरागी के गले पर रख देता है..


लड़का - कौन है तू? और यहा क्या कर है?

बैरागी लड़के की सूरत देखकर हैरान हो गया था उसे जैसे अपनी आँखों पर यक़ीन ही नहीं हो रहा था कि वो क्या देख रहा है.. औऱ जो वो देख रहा है, वो सच है भी कि नहीं..

लड़का- बता.. वरना अभी तेरे कांधे से सर उतार लूंगा..

बैरागी मुस्कुराते हुए - साधारण सा आदमी हूँ.. दिखाई नहीं देता?

लड़का - मसखरी बंद कर नहीं तो तेरी जीवन लीला यही समाप्त हो जायेगी..

एक पहरेदार आते हुए - समर छोड़ उसे.. समर.. ये तो हमारे हुकुम के मेहमान है आज ही पधारे है.. छोड़ समर...


पहरेदार समर के हाथों की तलवार से बैरागी को बचा लेता है मगर पहरेदार के समर को पीछे धकेलने पर समर की तलवार की हलकी सी खरोच बैरागी के गले पर लग जाती है जिससे बैरागी के गले से खून की एक बून्द निकल पडती है.. पहरेदार बैरागी को वहा से बाहर ले जाता है मगर समर जैसे वही जम जाता है.. समर चाहकर भी अपनी जगह से नहीं हिल पाता औऱ अचरज से इधर उधर देखने लगता है, उसके आस पास कोई नहीं था मगर उसे महसूस हो रहा था जैसे कोई उसके सर पर मंडरा रहा है.. समर ने फिर से अपनी तलवार मजबूत पकड़ ली औऱ अपनी पूरी ताकत से अपनी जगह से हिलते हुए पीछे घूम गया जहा उसे एक परछाई दिखी.. समर ने आगे बढ़कर परछाई के पास जाने की कोशिश की मगर समर ने जैसे ही उस परछाई के पास जाने के लिए पहला कदम बढ़ाया एक हवा का झोंखा समर को पीछे उड़ा के ले गया औऱ समर दिवार से टकरा गया जिससे उसके सर से हल्का सा खून निकलने लगा..

परछाई समर के करीब आने लगी औऱ समर भी अपने आप को सँभालते हुए फिर से खड़ा होने लगा मगर इस बार परछाई में समर को एक लड़की की छवि दिखी औऱ उसके हाथों की तलवार उठने की जगह अपनेआप नीचे झुक गई.. समर ने गौर से उस छवि को देखा तो उसे उस छवि में अपना ही अक्स दिखाई दिया.. बिलकुल उसीके जैसे नयन नक्श औऱ चेहरा परछाई की छवि में समर को दिखा.. परछाई ने आगे बढ़कर जैसे समर को जान से मारने की नियत से प्रहार करना चाहा बैरागी वापस आते हुए समर का हाथ पकड़ कर समर को उसकी जगह से खींच लेता है औऱ परछाई का वार बेकार हो जाता है..

इससे पहले की परछाई अपना दूसरा वार करती बैरागी परछाई के पास जाता है औऱ उसे अपने गले से लगाकर अपने आप में समाहित कर लेता है औऱ वो परछाई लुप्त हो जाती है..


समर अभी तक उस परछाई की सूरत में ही अटका हुआ था उसे अपने सामने हो रही किसी भी चीज का कोई होश नहीं था.. उसने अभी अभी कुछ ऐसा देखा था जो देखना किसी भी आम इंसान के लिए संभव नहीं था उसके सामने एक परछाई थी जिसने लगभग उसके प्राण ले ही लिए थे. मगर एन मोके पर बैरागी ने आकर उसके प्राण बचा लिए..


बैरागी परछाई को अपने आप में समाकर वापस समर के करीब आ जाता है औऱ उसे सहारा देते हुए उठा कर वहा से बाहर ले आता है जहा दूसरे पहरेदार समर को देखते ही उसे एक जगह बैठा देते है.. बैरागी समर के सर पर गली चोट को देखते हुए उसका उपचार करने लगता है तभी उसे समर की गर्दन पर वैसा ही तिल नज़र आता है जैसा उसने प्रेम प्रसंग के समय मृदुला की गर्दन पर देखा था.. बैरागी कै मन में उसी तरह कई प्रश्न घूम रहे थे जैसे समर के मन में घूम रहे थे दोनों को ही अपने सवाल के जवाब नहीं मिले.. बैरागी सोच रहा था क्यों समर की शकल सूरत मृदुला से इतनी मेल खाती है औऱ उसके गर्दन पर वो तिल के निशान जो मृदुला के भी थे कैसे बने हुए है? बैरागी ने समर का उपचार कर दिया औऱ वहां से चला गया समर भी अपनी जगह बैठा रहा औऱ बैरागी कब वहा से गया उसे पता ही नहीं चला..


बैरागी अपने कमरे में था की एक पहरेदार ने उसके कमरे के दरवाजे पर दस्तक देते हुए रात्रिभोज के लिए साथ आने का कहा.. जिसपर बैरागी उस पहरेदार के साथ साथ होकर चल दिया.. पहरेदार उसे लेकर जागीरदार के निवास स्थान पर ले आया जहा एक बड़े से कमरे में जागीरदार वीरेंद्र सिंह सामने की तरफ एक बड़े से आसान पर बैठा हुआ था..

वीरेंद्र सिंह - आओ बैरागी बैठो..

वीरेंद्र सिंह ने वैरागी को अपने सामने कुछ दूर नीचे जमीन पर बिछी चटाई पर बैठने को कहा जहा चौकी पर खाली खाने की थाली रखी हुई थी..

बैरागी उस थाली के सामने बैठ जाता है तभी वीरेंद्र सिंह पहरेदार को कुछ इशारा करता है औऱ पहरेदार समर को उस बड़े से कमरे में ले आता है.. समर के हाथ में बेड़िया थी औऱ उससे उसकी तलवार भी छीन ली गई थी..

वीरेंद्र सिंह - कोषागार में इस पहरेदार ने तुम्हारे साथ जो किया उसकी सुचना हमे मिल चुकी है.. तुम्हारा दोषी तुम्हारे सामने है बैरागी जो सजा इसे देना चाहो दे सकते हो.. चाहो तो इसकी तलवार से इसका सर अलग कर दो..

बैरागी अपनी जगह से खड़ा हो कर समर के करीब जाता है औऱ वीरेंद्र सिंह से कहता है..

बैरागी - मेरे साथ जो हुआ वो मेरी भूल का परिणाम था हुकुम.. मगर ये तो अपना कर्तव्य का निर्वाहन कर रहा था.. इसे इस तरह बाँध कर लाना तो आपका न्याय नहीं हो सकता..

सुजाता कमरे में प्रवेश करते हुए - बिलकुल सही कहा तुमने.. जिसका सम्मान होना चाहिए उसका अपमान करना उचित नहीं..

समर औऱ बैरागी झुककर प्रणाम करते हुए - रानी माँ..

वीरेंद्र सिंह - मगर इसने हमारे अतिथि के गले पर अपनी तलवार रखी है.. सजा तो इसे मिलनी ही चाहिए..

सुजाता समर के हाथों की बेड़िया खोलती हुई - अतिथि अगर वर्जित जगह पर प्रवेश करें तो पहरेदार का कर्तव्य है उस अतिथि को सही रास्ता दिखाए.. इससे जो कुछ हुआ वो भूलवश हुआ अगर इसे पता होता की ये आपका अतिथि है तो कभी ऐसी भूल नहीं करता..

बैरागी - रानी माँ.. सत्य कहती है हुकुम.. समर से जो कुछ हुआ वो उसके अज्ञान औऱ मेरी भूल के कारण हुआ.. जिसका फल हम दोनों को मिल चूका है.. इस तरह इसे सजा देना न्यायसंगत कैसे हो सकता है?

वीरेंद्र सिंह - अज्ञान में ही सही मगर इस लड़के ने हमारे अतिथि पर तलवार उठाई है कुछ तो सजा इसे मिलनी ही चाहिए..

सुजाता - आपके अतिथि के अपमान की सजा, हम इस लड़के को देते है.. आज ये लड़का कोषागार की पहरेदारी से हटाकर महल के उस हिस्से की पहरेदारी करेगा जहा हम निवास करते है.. अब से ये हमारी रक्षा करेगा..

वीरेंद्र सिंह - ये तो कोई सजा नहीं हुई..

सुजाता अपने साथ आई सेविकाओ को खाना परोसने का इशारा करते हुए - एक योद्धा से उसकी जगह छीन लेना उसकी जान लेने से ज्यादा कहीं बड़ी सजा है.. आप तो अच्छे से जानते है.. अब भोजन करिये..

वीरेंद्र सिंह आगे कोई औऱ बात नहीं करता औऱ सेविकाओं के द्वारा परोसा गया भोजन बैरागी को खाने के लिए बोलकर स्वम भी खाने लगता है..


सुजाता समर को उसकी तलवार लोटा देती है औऱ समर सुजाता के पीछे पीछे उस कमरे से बाहर आ जाता है औऱ थोड़ा दूर सुजाता के पीछे चल कर सुजाता से कहता है..

समर - मेरी जान बचाने के लिए धन्यवाद रानी माँ...

सुजाता मुस्कुराते हुए - इसमें धन्यवाद केसा? तू अपना कर्तव्य का पालन कर रहा था.. तेरी जान लेना जागीरदार का पाप होता औऱ मैं कैसे ये पाप होने दे सकती थी..


वीरेंद्र सिंह - तुम्हारे सामने खाने की कितनी ही स्वादिस्ट वस्तुए पड़ी है बैरागी.. मगर तुम हो की बस ये साधारण सी चीज खाये जा रहे हो..

बैरागी - मेरा भोजन तो मेरे प्रियतम के बिना अधूरा है हुकुम.. मेरे भोजन करने का उद्देश्य मात्र इतना की मैं अपने शारीर को तब तक जिन्दा रख सकूँ जब तक मुझे वो नहीं मिल जाता जिसे में खोज रहा हूँ.. मेरे लिए इन सब व्यंजनो का कोई महत्त्व नहीं..

वीरेंद्र सिंह - जैसा तुम चाहो बैरागी.. कल मैं तुम्हे कुछ ऐसा दिखाऊंगा जिसकी तुम्हे तलाश है.. मगर अभी मुझे भोजन का स्वाद लेने की इच्छा है.. इस तरह का स्वादिस्ट भोजन सबके भाग्य में नहीं...

बैरागी - सही कहा आपने हुकुम ऐसा भोजन सबके भाग्य में कहा.. आप आराम से भोजन करिये.. आगे भविष्य के घर्भ में क्या छीपा है किसको पता?


फ़्लैशबैक ख़त्म


भविष्य के गर्भ में क्या छीपा है किसीको क्या पता...

बड़े बाबाजी उफ़ वीरेंद्र सिंह - सही कहा था तूने बैरागी.. मुझे कहा पता था कि भविष्य ने मेरे लिए अपने गर्भ में क्या छीपा रखा था.. रोज़ पचासो तरह के व्यंजन खाने का अभ्यास मैं साधारण खाने के एक निवाले को भी तरस जाऊँगा.. रोज़ बासी खाना खाते हुए सैकड़ो साल बीत गए मगर मेरी ये सजा है की ख़त्म होने का नाम ही नहीं लेती.. मृत्यु मोक्ष लगने लगी है वैरागी..

बैरागी - अगर आपने वो जदिबूती नहीं खाई होती तो मैं ही आपको मुक्ति दे देता हुकुम.. मुझसे भी आपकी ये दशा नहीं देखी जाती.. आपके साथ ही मेरी मुक्ति भी जुडी हुई है.. मैं भी कब से आपके साथ आपकी परछाई बनकर रहता आया हूँ..

बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - एक बात सच बताऊ बैरागी.. उस दिन जब तू मेरे सामने चटाई पर बैठकर सारा भोजन छोड़कर सिर्फ सादा खाना खाने लगा था तब मैंने सोचा था कि तू बस कुछ दिन ही अपनी पत्नी का शोक मनायेगा औऱ आनंद से जीवन बिताएगा.. मगर तु तो आज साढ़े तीन सो साल बीत जाने के बाद भी अपनी पत्नी को ऐसे याद करता है जैसे तेरी विराह अभी शुरू हुई हो.. तेरे गीत सुनकर तो मुझे भी सुजाता की याद आने लगती है.. कितना उज्वल प्रकाश से भरा हुआ चेहरा था उसका..

बैरागी - सही कहा आपने हुकुम.. रानी माँ की करुणा सब पर बनी हुई थी.. आपके लिए उन्होंने अपने प्राण तक दे दिए..

बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - उसी बात का तो मुझे अब भी दुख है बैरागी.. काश उसदिन मेरे ही प्राण चले गए होते..


बैरागी - बार बार उस पाल को याद करके क्यों उदास हो रहे हो हुकुम.. चलिए जंगल में चलते है.. खुली हवा में सांस लोगे तो अच्छा लगेगा..
ईश्वर के नियम हैं जो आया है उसको जाना पड़ेगा




इसके खिलाफ जाने की सजा 350 साल से भुगत रहा हैं बड़े बाबा




बहुत ही सुंदर updates
 

Sksk67863

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Update 15

गौतम - माँ.. माँ..
सुमन - क्या हुआ ग़ुगु?
गौतम - मेरा फ़ोन देखा आपने? मिल नहीं रहा..
सुमन - हाँ.. पर अगर मैंने बता दिया तो मुझे क्या मिलेगा?
गौतम - मैं क्या दे सकता हूँ आपको? मेरे पास तो कुछ भी नहीं है आपको देने के लिए..
सुमन - मुझे कुछ चाहिए भी नहीं.. बस तू मेरे साथ तुम नानी के चल.. मैं तुझे अकेला छोड़कर नहीं जा सकती..
गौतम - यार माँ.. मैं नहीं जाऊ वहा.. आप जानती हो ना मामी केसा बर्ताव करती है हमारे साथ?
सुमन - पर नानी तो तुझे बहुत प्यार करती है.. अभी फ़ोन आया तब भी कह रही थी ऋतू की शादी में ग़ुगु को लेके ही आना..
गौतम - मैं नहीं जाऊ.. आप मत बताओ फ़ोन कहा है..
सुमन - अपनी माँ की बात नहीं मानेगा? मेरे लिए भी नहीं जाएगा?
गौतम - आप ना ये इमोशनल ब्लैकमेल करना बंद कर दो मुझपे कोई असर नहीं होने वाला इसका.. समझें?
सुमन - ठीक है.. वैसे भी इस घर में मेरा है ही कोन जो मेरी बात सुने और मुझसे प्यार करें? सबको अपने मन की करनी है तो करो सब.. मुझे क्या?
गौतम सुमन की बात सुनकर उसके पास आता है और उसे अपने बाहों में भरके गाल पर चूमता हुआ कहता है - अब ये ड्रामा बंद करो मेरी ड्रामा क्वीन माँ.. मैं नहीं जाने वाला मतलब नहीं जाने वाला..
सुमन मुस्कुराते हुए - बिना ड्रामा के तू मानता कहा है?
गौतम - अच्छा फ़ोन पता है कहाँ है मेरा?
सुमन - बाथरूम में तो नहीं भूल गया?
गौतम - अरे यार माँ.. आप ना सच में जीनियस हो.. वही रखकर भूल गया शायद..
सुमन - पर तू बाथरूम में फ़ोन क्यू लेके जाता है?
गौतम हस्ते हुए - ये राज़ की बातें है बताई नहीं जाती.. नज़र लग जाती है..
सुमन - सब पता है मुझे तेरी राज़ की बातें.. क्यू इतनी देर बाथरूम में लगती है तुझे? थोड़ा कण्ट्रोल.. समझा
गौतम - शर्म नहीं आती बच्चे से ऐसी बात करते हुए..
सुमन - तुझसे और शर्म? बिलकुल भी नहीं.. अच्छा चाय बना दूँ?
गौतम - गर्मी देख रही हो आप? चाय पिलाओगी..
सुमन - ठीक है फिर जूस बना देती हूँ मेरे ग़ुगु के लिए..

गौतम फ़ोन लेने बाथरूम की तरफ चल देता है और जब वो फ़ोन देखता है तो उसमे रजनी के 6 मिस्ड कॉल आये हुए थे.. गौतम कॉल बैक करता है..
गौतम - हेलो.. दीदी..
रजनी - काहे की दीदी? तुम दीदी का फ़ोन उठाते नहीं हो..
गौतम - वो फ़ोन कहीं रखा हुआ था दी और साइलेंट पर था तो पता नहीं चला.. वैसे आपने उस क्रिमिनल को पकड़ लिया?
रजनी - हम्म.. पकड़ भी लिया और जेल में भी डाल दिया.. तुमने जो बताया था सब सही था.. सब बहुत खुश है उसके पकडे जाने से..
गौतम - और मेरा इनाम?
रजनी - तुम्हारा इनाम?
गौतम - हाँ.. क्या तय हुआ था भूल गई आप?
रजनी - सब याद है छोटे भाई.. व्हाट्सप्प चेक करो औऱ समय पर आ जाना..
गौतम - बाए दी..
रजनी - बाए छोटे भाई..

सुमन - लो जूस..
गौतम - आपका ग्लास कहाँ है?
सुमन - मैं बाद में बना के पी लुंगी.. तु पिले..
गौतम - बाद वाद कुछ नहीं.. इसीमे से आधा ख़त्म करो.. चलो..
सुमन - कितनी ज़िद करता है ग़ुगु तू?
गौतम - ज़िद है तो ज़िद है.. लो पीओ..
सुमन - बस बस.. अब तुम पिलो..
गौतम - माँ..
सुमन - बोलो..
गौतम - वो आज एक फ़्रेंड के घर फंक्शन है इसने बुलाया है..
सुमन - ठीक है तो जाओ.. मगर रात को जल्दी आ जाना..
गौतम - माँ थोड़ा दूर है उसका घर.. रात को देर हो सकती है..
सुमन - ये वही फ़्रेंड तो नहीं है जिसने तेरे होंठ लाल किये थे अपनी लिपस्टिक से? और जिसके कारण तू बाथरूम में इतना वक़्त लगता है?
गौतम - माँ.. क्या कुछ भी बोल रही हो? नार्मल फ़्रेंड है बस सब दोस्त आ रहे तो बस मुझे भी जाना है..
सुमन - ठीक है पर याद रखना.. वापस वैसा कुछ हो तो कंडोम जरूर पहन लेना.. और अपने दोस्त से कहाना कभी घर भी आये..
गौतम - आप भी ना, कुछ भी बोल रही हो.. चलो.. मैं चलता हूँ..

गौतम रजनी के दिए एड्रेस पर जाता है औऱ बहुत देर तक उसका वेट करके रजनी से मिलने पुलिस स्टेशन पहुंच जाता है..

मैडम आपसे कोई मिलने आया है..
रजनी - बैठने को कहो..
ज़ी मैडम..
रजनी किसी मुक़दमे की फ़ाइल में आँखे गड़ाये बैठी थी औऱ बड़ी बारीकी से फ़ाइल को पढ़ रही थी मानो बहुत बड़ा औऱ जरुरी केस हो.. रजनी को बैठे बैठे डेढ़ घंटा हो गया था औऱ उसने फ़ाइल से जुडी हुई सारी डिटेल औऱ कहानी जान ली थी.. वो इस काम को करने में इतनी डूब गई थी की उसके दिमाग से ये भी निकल गया था कि कोई उसका इंतजार कर रहा है.. रजनी का फ़ोन साइलेंट पर था.. फाइलों से जब रजनी का ध्यान हटा तो उसने बेल बजाकर किसी को बुलाया और उससे चाय के लिए.. कुछ देर बाद एक हवलदार चाय का कप लेकर रजनी के चेंबर में टेबल पर रख देता है और रजनी से कहता है..
मैडम काफी देर हो गई उस लड़के को आपका इंतजार करते हुए..
रजनी झट से बोली - कौन लड़का?
हवलदार - मैडम वो बताया था ना आपको कोई आपका वेट कर रहा है.. डेढ़ घंटा हो गया अभी तक आपके बुलाने का वेट कर रहा है..
रजनी चाय का कप लेते हुए - अंदर भेजो.. देखु कौन है..
गौतम चम्बर के गेट पर नॉक करता हुआ - अंदर आ सकता हूँ मैडम?
रजनी चाय का कप रखकर खड़ी होती हुई - छोटू.. आई ऍम सो सॉरी... प्लीज मुझे माफ़ कर दे.
रजनी कि बातों से ऐसा लग रहा जैसे उसे कोई बात याद आ गई हो जिसमे उसकी गलती थी औऱ वो उस गलती कि माफ़ी मांग रही थी..
गौतम - कोई बात नहीं मैडम.. आप लोगों की हिफाज़त का काम करती हो. छोटी मोटी बात आपको कहा याद रहेगी?
रजनी गौतम को गले लगाकर - मुझे ताने मार रहे हो? हम्म? औऱ इतने नाराज़ हो कि अपनी दीदी को वापस मैडम बोलने लगे.. प्लीज माफ़ कर दो..
गौतम एक छोटा सा पेपरबॉक्स देकर - कोई बात नहीं.. लो.. हैप्पी बर्थडे दीदी.. केक लाया था..
रजनी मुस्कुराते हुए बॉक्स लेकर टेबल पर रख देती है औऱ गौतम के होंठों पर अपने होंठ रखकर बड़े प्यार से एक चुम्मा अंकित कर देती है मानो अब तक गौतम के किये इंतज़ार का इनाम उसे दे रही हो.

गौतम रजनी के चुम्बन से स्तब्ध था उसे एकदम से अपने साथ हुई इस प्यार भरी औऱ मज़ेदार घटना का अंदाजा भी नहीं था.. गौतम ने भी प्यार से रजनी के चुम्बन को स्वीकार कर लिया औऱ अपने होंठों को लेकर रजनी के होंठों से लड़ाई करने लगा.. कुछ सेकंड के बाद ही रजनी ने चुम्मा तोड़ लिया औऱ मुस्कुराते हुए गौतम से बोली - किस्सी का वादा था मैंने पूरा किया..
गौतम - बस इतनी सी देर?
रजनी - इससे ज्यादा देर में तुम बहक जाओगे.. मैं अच्छे से जानती हूँ..
गौतम - आपकी मर्ज़ी..
रजनी - चलो आज पार्टी करते है..
रजनी गौतम को लेकर पुलिस स्टेशन बाहर आ जाती है और गौतम को पुलिस की कार में आगे बैठाकर खुद कार को कर ड्राइव करने लगती है दोनों कार में अकेले कहीं जाने के लिए निकल जाते है..

रजनी गौतम को लेकर लॉन्ग ड्राइव पर निकल चुकी थी और पुलिस की गाड़ी को उसने हाईवे पर चढ़ा दिया था हाईवे पर रजनी गाड़ी चलती हुई गौतम से इधर-उधर की बातें करने लगी और गौतम से मजाक मस्ती करने लगी मजाक मजाक में गौतम भी पूरी तरह खुलकर रजनी से अपने मन की बात करने लगा था..

रजनी - मेरे आशिक तू बहुत छोटा है.. मैं तेरे साथ प्यार नहीं कर सकती.. तू समझता क्यों नहीं..
गौतम - दीदी बहाने बनाना बंद करो.. मैं जानता हूँ आप भी मुझे पसंद करती हो..
रजनी - तू है ही इतना प्यारा, पसंद तो करूंगी ही.. तुझे मिलकर मुझे राहत भी मिलती है औऱ सुकून भी.. पर तेरे इस प्यारे से मासूम चेहरे के पीछे जो बुरा दिमाग है ना, जिसमे तू हमेशा मेरी लेने के बहाने ढूंढता है उससे डर लगता है..
गौतम - पुलिसवाली होकर मुझ जैसे कमजोर लड़के से डरती हो दीदी..
रजनी गाडी सडक के किनारे लगाकर - अरे अरे कमजोर औऱ तुम.. शकल दिखाओ जरा अपनी.. कितने भोला बनता है तू..
गौतम - बनने की क्या जरुरत है. मैं कोई आपको चालक लगता हूँ दीदी?
रजनी जेब से सिगरेट निकालकर सुलगाते हुए - लगता नहीं है पर तू है चालक.. कुत्ते की जैसे मेरे पीछे पड़ा हुआ है लेने के लिए..
गौतम - तो दे क्यों नहीं देती आप.. छोटा भाई बोलती हो ना मुझे? अपने छोटे भाई के लिए इतनी सी कुर्बानी नहीं दे सकती..
रजनी गौतम का हाथ पकड़कर अपने चुचो पर रख देती है औऱ उससे कहती है - मेरे चुचो के साथ खेलना है तो खेल सकता है पर मेरी चुत का ख्याल अपने दिमाग से निकाल दे समझा.
गौतम - ऊपर से क्या खेलु दीदी.. थोड़ा खोल के दिखाओ ना..
रजनी सिगरेट का कश लेकर - बहुत बड़ा वाला कमीना है तू.. औऱ सिगरेट गौतम को पकड़ने के लिए दे देती औऱ अपनी वर्दी के बटन खोलकर गौतम से कहती है - ले.. खेले जितना खेलना है तुझे..
गौतम सिगरेट का कश लेकर - ब्रा तो हटाओ दीदी.
रजनी ब्रा खोलकर पीछे रख देती है औऱ गौतम को सिगरेट पिता देखकर कहती है - सिगरेट मत पी मेरी तरह आदत लग जायेगी तुझे?
गौतम रजनी के निप्पल्स पकड़कर मसलते हुए - आदत तो आपके दूदू पिने की भी लग जायेगी दीदी..
गौतम इतना कहकर रजनी के बूब्स पर झुक जाता है औऱ रजनी के निप्पल्स किसी प्यासे की तरह चूसने लगता है.

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रजनी सिगरेट के कश लेती हुई गौतम के बालों में हाथ फेरकर अपने चुचे औऱ चुचक चूसाईं का सुख महसूस करने लगी.. उसे गौतम के इस तरह बूब्स चूसने से अतुलनीय आनंद की अनुभूति हो रही थी औऱ वो गौतम के बाल पकड़ कर सिगरेट पीते हुए बारी बारी से उसे अपने चुचे चुसवा रही थी..

रजनी - इतना तेज़ मत काट छोटू, दर्द होता है..
गौतम अपने मुंह से निप्पल्स निकालकर - दीदी यहां कोई देख लेगा आपको.. कहीं औऱ चले..
रजनी गाडी स्टार्ट करके आगे हाईवे से नीचे ले लेती है औऱ सुनसान पड़ी जगह पर लगा देती है औऱ फिर पुलिस की वर्दी उतारते हुए गौतम से कहती - ले मेरे छोटू से भाई पिले दीदी के दूदू..
गौतम बूब्स मसलते हुए - दीदी साइज क्या है आपका?
रजनी - 34 है क्यों?
गौतम - नीचे का पूछा था दीदी..
रजनी हसते हुए - साइज जानकार क्या करेगा? 38 है.. वैसे भी मैं देने वाली तो हूँ नहीं तुझे..
गौतम प्यार से - देनी तो पड़ेगी दीदी.. औऱ आप खुद दोगी.
रजनी - इतना कॉन्फिडेंस?
गौतम आँख मारके - हाँ.. मैं बाथरूम करके आता हूँ.. ये कहते हुए गोतम कार से नीचे उतर जाता है औऱ रजनी भी बिना वर्दी पहने कार से नीचे उतर आती है. कमर से ऊपर पूरी तरह नंगी हो चुकी रजनी एक औऱ सिगरेट सुलगा लेती है कश लेती हुई गौतम को मूतते देखती है..
गौतम - दीदी..
रजनी - क्या हुआ छोटू..
गौतम लंड की तरफ इशारा करके - हथियार देखोगी मेरा..
रजनी मुस्कुराते हुए सिगरेट का कश लेकर - नहीं देखनी तेरी छोटी सी पिस्तौल मुझे..
गौतम मूतता हुआ रजनी की तरफ मुड़ जाता है औऱ रजनी से कहता है - पिस्तौल नहीं दीदी AK47 है मेरे पास.. अब कहो? दोगी या नहीं.

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रजनी गौतम का लंड देखकर खड़ी की खड़ी रह जाती है औऱ हैरानी के साथ नज़र फाड़ कर गौतम के लंड को देखती रह जाती है.. जैसे ही कुछ देर रजनी गौतम के लंड को घूरती उसकी चुत में खुजली चलने लगती है औऱ रजनी के दिल में प्यार की सुगबुगाहत उठने लगती है..
गौतम मूतने के बाद बिना लंड को पेंट में वापस किये रजनी के पास आ जाता है औऱ लंड को हाथ में लेकर हिलाता हुआ पूछता है - बोलो ना दीदी.. लोगी अपने छोटू का लंड अपने अंदर?
गौतम की बात सुनकर रजनी का ध्यान उसके लंड से टूट जाता है औऱ गौतम की कलाई के धागे के साथ शर्म से रजनी का चेहरा भी लाल हो जाता है.

गौतम अपने कलाई पर बंधे धागे को लाल देखकर रजनी का मन समझ जाता है औऱ रजनी के हाथ से सिगरेट लेकर उसके बाल पकड़ कर जबरदस्ती नीचे बैठाते हुए रजनी के मुंह पर अपना लंड रगड़ने लगता है..
रजनी - छोटू बाल मत खींच ना..
गौतम - मुंह खोलो दीदी..
रजनी गोतम को देखकर - शकल से लगता है साँप भी नहीं होगा तेरे पास, पर तू कमीना चड्डी में अजगर लिए बैठा है.
गौतम सिगरेट का कश लेकर - अब इसे मुंह में भी गुसा लो दीदी..
रजनी मुस्कुराते हुए - पहले स्वाद तो लेलु..
रजनी गौतम के लंड को चूसने लगती है औऱ गौतम के लंड पर भूखी शेरनी की तरह टूट पडती है.. रजनी के मुंह की गर्माहट औऱ लार से गोतम स्वर्ग के सुख भोगने लगा था.

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गौतम कश लेकर - दीदी बिलकुल रांड लगती हो..
रजनी मुंह से लंड निकाल कर - आज तो तुझे कच्चा खा जाउंगी छोटू.. औऱ फिर से लोडा चूसने लगती है..
गौतम फ़ोन निकाल कर रजनी के लंड चूसने की वीडियो बनाने लगता है औऱ रजनी से कहता है - दीदी कहो तो फेमस कर दू आपको.. FHD में वीडियो बन रही है आपकी..
रजनी मुंह से लंड निकाल कर अपने बूब्स के बीच लंड लेकर बूब्स से लंड रगड़ने लगती है औऱ गौतम से कहती है - लग रही है ना तेरी दीदी पोर्नस्टार छोटू? अच्छे से वीडियो बना अपनी दीदी की..


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गौतम - क़यामत हो दीदी आप तो..
रजनी - कब से हिला रही हूँ कब निकलेगा तेरा?
गौतम - मेरा तो आपकी चुत में ही निकलेगा दी.. आओ.. गौतम रजनी की पेंट खोलकर गाडी के अंदर पटक देता है औऱ अपने भी कपडे उतार देता है. उसके बाद रजनी को कार के बोनट पर बैठाकर टांग खोलते हुए रजनी की चुत में उंगलियां करने लगता है..
रजनी - छोटू अब तू डाल दे मेरे अंदर भाई.. मुझसे रहा नहीं जा रहा..
गौतम - अभी तो आपकी चुत चुसनी बाकी है दीदी..
इतना कहकर गौतम रजनी की चुत चूसाईं के लिए अपना सर उसकी चुत पर लगाने के लिए आगे बढ़ता है औऱ रजनी खुद अपनी गांड उठाकर गौतम के मुंह के आगे अपनी चुत कर देती है.. गौतम के होंठ जैसे ही रजनी की गीली चुत पर लगते है वो काम के आसमान में उड़ने लगती है औऱ सिस्कारी भरने लगती है

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गौतम बड़ी ही ईमानदार औऱ चाव से रजनी की चुत के चटकारे ले रहा था औऱ रजनी तो गौतम के चूसने पर उसके मुंह में दो मिनट के अंदर ही झड़ गई.. गौतम बड़ी बेशर्मी से रजनी की चुत का बहता पानी पिने लगा औऱ रजनी गौतम के सर पर हाथ रखकर अपने साथ घट रही इस अनोखी औऱ काममयी घटना का मज़ा लेने लगी औऱ कुछ पलो में झड़ गई..

गौतम चुत चाट कर मुंह पोछता हुआ रजनी की चुत अपनी मुट्ठी में पकड़कर मसलता हुआ बोला - बोलो थानेदारनी ज़ी.. चोद दिया जाए या छोड़ दिया जाए आपको..
रजनी सिस्कारी लेती हुई - चोद दिया जाए छोटे भाई.. छोड़ दोगे तो उठाके जेल में बंद कर दूंगी..
गौतम - जैसा आपका आदेश थानेदारनी ज़ी..
गौतम रजनी को गाडी के बोनट से नीचे उतार लेता औऱ गाडी के बोनट पर झुका कर पीछे से रजनी की चुत पर अपना लंड सेट करके कहता है..
गौतम - घुसा दू दीदी?
रजनी - घुसा दे छोटू..
गौतम - दर्द होगा..
रजनी - होने दे दर्द..
गौतम - चुत फट जायेगी..
रजनी - फट जाने दे..
गौतम - हफ्ते तक ठीक से चल नहीं पाओगी..
रजनी - कोई बात नहीं..
गौतम - कंडोम लगाऊ?
रजनी - तू कंडोम लाया है?
गौतम - हाँ दीदी..
रजनी - लगा ले पर कुत्ते तू कैसे जानता था मैं मान जाउंगी?
गौतम - क्युकी आप भी मुझसे प्यार करती हो दीदी.. आपके चेहरे पर दीखता है आप मेरे लिए कुछ भी कर सकती हो.
रजनी - इतना सब जानता है तो अब क्यों सता रहा है अपनी दीदी को? घुसा दे ना..
गौतम - कंडोम तो पहन लू दीदी..
रजनी - रहने दे छोटू बस अंदर मत छोड़ना..
गौतम - जैसा आप कहो.. लो सम्भालो अपने छोटू का पहला धक्का..

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गौतम के पहले धक्के से साथ ही रजनी की चुत से चररर की आवाज के साथ रजनी के मुंह से जोर की चिंख बाहर निकल पडती है औऱ पहले धक्के में ही गौतम रजनी के चुत का दरवाजा तोड़कर चुत के अंदर घुस जाता है औऱ अपने लंड से उसकी चुत के साथ जंग छेड़ देता है जिसमे हल्का सा खूनखराबा भी हो जाता है मगर ना रजनी को इसकी परवाह थी ना गौतम को. गौतम रजनी की चुत में ऐसे झटके मार मार के चोद रहा था जैसे अमीर घर की बिगड़ी हुई औलादे सडक से सस्ती रांड उठा कर चोद देते है..

गौतम रजनी को गाड़ी के बोनट पर झुकाकर उसके बाल पकड़ के पीछे से धक्के पर धक्का मार रहा था और उसके झटके खाते हुए रजनी ऐसे हिल रही थी जैसे गाँव में सुहागरात को चुदाई के दौरान खटिया हीलती है.

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गौतम चोदते हुए - उफ्फ्फ यार दीदी कितनी टाइट है आपकी.. ऐसा लग रहा है कोई कच्ची कली चोद रहा हूँ..
रजनी - थोड़ा धीरे भाई.. बहुत दर्द हो रहा है..
गौतम - दो इंच के छेद में दस इंच का लंड घुसेगा तो दर्द होगा ही ना दीदी.. चिंता मत करो इस चुदाई के बाद बड़े से बड़े लंड आसानी से झेल जाओगी.
रजनी - अंदर मत निकालना भाई..
गौतम रजनी को लगातार चोदते हुए उसके बाल खींचकर ऐसे धक्के मार रहा था जैसे वो घुड़सावारी कर रहा हो.

गौतम ने रजनी को अपनी तरफ घुमा लिया औऱ गाड के बोनट पर लेटा के उसकी चुत में वापस लंड डाल दिया औऱ चोदने लगा.. रजनी की कोठे की सस्ती रांड सी आह्ह अह्ह्ह्ह.. कर रही थी औऱ सिस्कारी भरते हुए गौतम की चुदाई का सुख अनुभव मर रही थी. आज रजनी के मन में पुरुषो के लिए मज़ूद नफरत का अंत हो चूका था औऱ उसके मन में छुपी सादगी औऱ नारी ममता का पुनर्उदय हो चूका था..

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गाडी के बोनट पर कुछ देर रजनी को रंडी बनाके चोदने के बाद गौतम ने रजनी को अपनी गोद में उठा लिया औऱ उछाल उछाल के चोदते हुए उसकी चुत का चुबारा बनाना शुरू कर दिया.. रजनी इतनी जोर जोर से चिल्लाते हुए चुद रही थी की उसकी आवाज बहुत दूर से सुनी जा सकती थी मगर वो दोनों ऐसी जगह चुदाई कर रहे थे जहा दूर दूर तक आदमी का नमोनिशान तक ना था.

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गौतम ने थोड़ी देर के बाद रजनी को नीचे उतार दिया औऱ बोनट का सहारा लेकर उसकी एक टांग उठाके रजनी की चुत वापस चोदने लगा..

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रजनी तो जैसे पिछले एक घंटे से अपनी चुदती हुई चुत से पानी पर पानी बहा रही थी औऱ कई बार झड़ चुकी थी एक बार बीच में उसने चुदाई के दौरान मूत भी दिया था..

गौतम ने टांग उठाके चोदने के बाद रजनी को गाडी में बैठा दिया औऱ उसकी चुत जो चुदाई के कारण अब खिलकर फ़ैल चुकी थी में वापस अपना लंड घुसा कर वापस चोदना चालु कर दिया रजनी तो जैसे तृप्त होकर चुदवा रही थी औऱ गौतम के झड़ने का इंतजार कर रही थी उसे मालूम ही नहीं हुआ कब गौतम के साथ चुदाई में पिछला एक घटा बीत चूका था..

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आखिर में रजनी को अपनी गोद में अपनी तरह मुंह करके बैठा लिया औऱ सीट पर बैठे बैठे रजनी को चोदने लगा.. औऱ अपना सारा माल रजनी की चुत में भर दिया.. रजनी निढाल हो कर गौतम पर गिर चुकी थी.. दोनों पसीने से तर बतर थे..

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गौतम - मज़ा आया दीदी?
रजनी लम्बी लम्बी सांस लेते हुए - मैं तो पागल हो गई.. तू बस नाम का छोटू है भाई, मैंने तो सोचा भी नहीं था चुदाई में इतना मज़ाक़ मिलता है..
गौतम - दीदी अब तो ये मज़ाक़ आप कभी भी ले सकती हो.. मैं आपको मना नहीं करूँगा..
रजनी - तूने तो मेरी फाड़ के रख दी गौतम.. लगता है ठीक से चल भी नहीं पाउंगी..
गौतम - मैंने तो पहले ही कहा.. आप ही मुझे बच्चा समझ रही थी..
रजनी गौतम को चूमते हुए - तू बच्चा नहीं जोनी सीन्स का बाप है छोटे भाई..

गौतम औऱ रजनी आपस में ये बातें कर रही रहे थे की किसी ने चोरी छिपे आकर उनके मुंह पर रुमाल रख दिया जिसमे बेहोश करने की दवा मिली हुई थी..
गौतम औऱ रजनी दोनों तुरंत बेहोश हो गया औऱ उनकी जब आँख खुली तो वो दोनों किसी सुनसान जगह पुराने कारखाने में एक कमरेनुमा जगह में थे औऱ एक बड़े से बिस्तर पर अगल बगल दोनों नंगे लेटे हुए थे..

दोनों के हाथ पैर ऊपर नीचे रस्सी से बांधे जा चुके थे औऱ एक लड़की गौतम के पास बैठकर उसका लोडा मुंह में लिए चूस रही थी..

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रजनी लड़की को देखकर - कामिनी कौन है तू? छोड़ दे मेरे भाई के लंड को वरना तुझे जान से मार दूंगी..
लड़की रजनी की बात पर ध्यान नहीं देती औऱ गौतम का लोडा चुस्ती रहती है...
रजनी गुस्से से - बहन की लोड़ी रांड.. छोड़ दे मेरे भाई के लंड को..
लड़की रजनी को अनदेखा करते हुए अपनी चड्डी नीचे सरका कर गौतम के लंड को अपनी चुत में लेटे हुए गौतम के लंड पर बैठ जाती है औऱ चरर की आवाज के साथ गौतम का लंड अपनी चुत में घुसा लेती है औऱ गीतम के लंड पर उछलने हुए जोर से आहे बरने लगती है जिसे देखकर रजनी गुस्से से तिलमिला जाती औऱ उस लड़की को गौतम से दूर करने की नियत से उसकी औऱ उठने की कोशिश करती है मगर रस्सी से बंधे होने के कारण कुछ नहीं कर पाती औऱ पीठ के बल ही लेटे हुए लड़की को गालिया देने लगती है जबकि गौतम लड़की के दिए blowjob औऱ अपने लंड पर उछलने से कामुक हो चूका था औऱ चुपचाप ये सब होता देख रहा था..

रजनी - साली छिनाल रंडी है कौन तू.. औऱ हमें यहां क्यों लेकर आई है? बहन की लोड़ी मेरे हाथ खोल मैं अभी तेरी जान ले लुंगी.. कुतिया साली छोड़ मेरे भाई को.. बता ना रंडी.. कौन है तू..
बिल्लू अंदर आते हुए - ये मेरी बहन है बबली भोसड़ीवाली..
रजनी - कमीने तू.. तू जेल से कब छूटा?
बिल्लू - जेल की संलाखे बिल्लू सांडा को नहीं रोक सकती पुलिसवाली रांडी.. मुझे पकड़ के खुदको बहुत बड़ी तोप समझ रही थी तू.. मैंने बोला था ना मैं तुझे नहीं छोडूंगा.. (पिस्तौल निकालकर) आज तुझे बताऊंगा कि मैं क्या चीज हूँ..
रजनी - भड़वे तेरी बहन तेरे सामने किसी औऱ के लंड पर उछलकर चुद रही है तुझे शर्म नहीं आ रही..
बिल्लू हस्ते हुए - चुदने शर्म कैसी रंडी.. मेरी बहन मेरी रखैल है.. मेरी बहन तो रात में मेरे औऱ मेरे इन दोनों साथियों के लंड पर भी उछलती है.. वैसे साली तू भी कम नहीं, अपने भाई के साथ गाडी में चुदवा रही थी.. अब हम भी तेरी इस चुद का मज़ा लेंगे..

ये कहते हुए बिल्लू ने कंडोम पहन लिया औऱ रजनी पर चढ़ गया औऱ अपना लंड उसकी चुत पर सेट करते हुए अंदर धकेलने लगा..
गौतम - बिल्लू छोड़ दे मेरी बहन को वरना तुझे बहुत बुरी मौत दूंगा..
बिल्लू ने अपनी पिस्तौल बेड पर रख दी औऱ गौतम को एक के बाद एक दो तीन जोरदार थप्पड़ मारके - चुप बहन के लोडे.. वरना एक गोली में यही ढेर कर दूंगा.. तेरी बहन तो आज मुझसे औऱ मेरे साथियो से चुदकर रहेगी..
रजनी - मादरचोद हाथ काट दूंगी अगर मेरे भाई को हाथ लगाया तो..
बिल्लू अपना लंड रजनी कि चुत में ड़ालते हुए - उफ्फ्फ जानेमन.. बोलती है तो कितनी मस्त लगती है तू.. पुलिस वाली को चोदने का मज़ा ही अलग है.. बिल्लू रजनी को चोदने लगा मगर रजनी गौतम के लंड से चुद चुकी थी तो उसे बिल्लू के लंड के अंदर आने वाले पर कोई दर्द तकलीफ महसूस नहीं हुई औऱ वो बिल्लू को गालिया देते हुए चुदवाती रही..

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बबली - बिल्लू भईया देखो ना ये साला चूजा मुझे kiss नहीं कर रहा..
बिल्लू रजनी को चोदते हुए रजनी को एक थप्पड़ मार देता है - साली अपने भाई को बोल चुपचाप मेरी बहन की हर बात माने वरना अच्छा नहीं होगा..
गौतम - साले मेरी बहन पर हाथ उठाया तो हाथ उखाड़ दूंगा तेरा..
बिल्लू रजनी को दूसरा थप्पड़ मारकर - ले साले क्या कर लेगा तू..
रजनी - एक बार मेरे हाथ खोल दे फिर बताती हूँ तुझे मैं क्या चीज हूँ..
बबली गौतम के होंठों को चूमते हुए उसके लंड पर आगे पीछे होने लगती है एक ही बिस्तर पर बिल्लू औऱ उसकी बहन गौतम औऱ रजनी के साथ चुदाई कर रहे थे..

बिल्लू थोड़ी देर में ही झड़कर रजनी के ऊपर से हट जाता है.. बिल्लू के बाद बारी बारी उसके साथी कंडोम लगा कर रजनी की चुदाई करते है औऱ आधा घंटा बीत जाता है जबकि गौतम रजनी की चुदाई होते हुए देखकर गाली देने औऱ चिल्लाने के अलावा कुछ नहीं कर पाता.. गौतम का मन बबली को अच्छे से चोदने का भी था मगर वो सिर्फ लेटे हुए अपने लंड के ऊपर बैठी बबली को धीरे धीरे आगे पीछे होता देखकर चुप ही पड़ा था..

रजनी को बिल्लू औऱ उसके साथियो के सामान्य लंड से चुदकर कोई फर्क ही नहीं पड़ा वो वैसे ही लेती रही जैसे पहले थी.. बबली को आज परम सुख मिल रहा था एक तो इतना बड़ा लंड ऊपर से इनता स्टेमिना की आधे घंटे से ज्यादा का समय बीत जाने पर भी गौतम का नहीं झड़ना..
बबली - भईया ये लड़का तो कमाल है.. कब से उछल रही हूँ मगर इसका निकलता ही नहीं..
बिल्लू - जल्दी कर बबली अब इन दोनों को निपटा के यहां से जाना भी है..
रजनी - तू हमारी जान लेगा कमीने.. तुझे पुलिस नहीं छोड़ेगी..
बिल्लू हस्ते हुए - छोड़ेगी तब जब पकड़ेगी.. औऱ तुम दोनों की तो लाश भी किसीको नहीं मिलेगी..

गौतम बबली से चुम्बन तोड़कर धीरे से कान में - मुझे औऱ मेरी बहन को बचा ले बबली.. तुझे ऐसा मज़ा दूंगा तू खुश हो जायेगी..
बबली भी धीरे से - वादा करता है?
गौतम - कसम खाता हूँ..
बबली नज़र बचा कर गौतम के दोनों हाथ खोल देती है औऱ बेड पर पड़ी बिल्लू की पिस्तौल उठाकर बिल्लू औऱ उसके पास बैठकर शराब पीते दोनों साथियों को एक के बाद एक गोली मार देती औऱ मौत के घात उतार देती है..

गौतम बबली को अपने लंड पर से हटा कर रजनी की औऱ अपने पैरों की रस्सी खोल दोनों को पूरी तरह आजाद कर देता है.. रजनी गौतम से लिपट जाती है औऱ दोनों एक दूसरे से नंगे बदन चिपक जाते है..


बबली पिस्तौल फेंककर गौतम से - बहन का मिलन ख़तम हो गया हो तो अब मेरी चुत की खुजली मिटा दे..
रजनी गुस्से से बबली की तरफ बढ़ती हुई - साली कामिनी मैं बताती हूँ तुझे तो.. ये कहते हुए रजनी बबली के गाल ओर एक थप्पड़ जड़ देती है औऱ फिर बबली भी गुस्सा होकर रजनी को थप्पड़ जड़ देती है औऱ दोनों एक दूसरे से लड़ने लग जाते है..

रजनी औऱ बबली दोनों गौतम के लिए नंगी बिस्तर पर लड़ाई करते हुए एक दूसरे को नाखुनो से नोच रही थी जबकि गौतम बिस्तर से खड़ा होकर थोड़ी दूर टेबल रखी पानी की बोतल से पानी पिता हुआ दोनों को लड़ते हुए देख रहा था..

रजनी बबली दोनों थक्कर चूर हो चुकी थी औऱ जोर जोर से हांफ रही थी दोनों की हालात ख़राब थी.. दोनों जैसे लड़ाई के बीच में दो मिनट का बीच में गेप लिया हो ऐसा लग रहा था दोनों थोड़ी शांत होकर एक दूसरे को देख रही थी फिर गौतम की आवाज सुनकर उसे देखने लगी..
गौतम दूर खड़ा हुआ - लड़ना क्यों बंद कर दिया?
बबली औऱ रजनी ने एक नज़र गौतम को फिर एकदूसरे को देखा.. फिर जैसे इशारे से कुछ फैसला करके दोनों बिस्तर उतर कर गौतम के करीब आ गई औऱ गौतम को बिस्तर पर गिरा कर एक साथ उसके लंड पर टूट पड़ी..

गौतम - अह्ह्ह्ह.. आराम से यार...
रजनी औऱ बबली दोनों गौतम के लंड औऱ गोटे मुंह में लेकर चूस रही थी औऱ गौतम को खुश करने की पूरी कोशिश कर रही थी..


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गौतम ने रजनी औऱ बबली दोनों के बाल पकड कर दोनों के मुंह आपस में भिड़ा दिए औऱ दोनों के होंठों में से अपने लंड को गुज़ारने लगा..

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गौतम थोड़ी देर बाद दोनों को घोड़ी बना लेता औऱ कभी रजनी तो कभी बबली की चुत मारता है...

रजनी औऱ बबली गौतम के साथ थ्रीसम कर रही थी औऱ उसका मज़ा ले रही थी.. गौतम ने बबली औऱ रजनी दोनों को ही रगड़ के चोदा औऱ दोनों के मुंह पर अपना वीर्य छोड़कर उनका फेसियल कर दिया..

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रजनी की तो चाल में लंगड़ा पन आ चूका था मगर बबली तो बहूत चुदी हुई थी उसे ज्यादा तकलीफ नहीं हुई औऱ वो अपनी चुत को शांत करवा कर हलकी सी लचक औऱ दर्द के साथ उठ गयी..

गौतम - तूमने तो अपने भाई को गोली मार दी?
बबली - साले ने रखैल बनाके रखा था.. जब देखो किसी से भी चुदवा देता था.. मैं कब से उसे मारना चाहती थी..
रजनी - अच्छा किया बबली.. कपडे कहा है हमारे?
बबली - बाहर रस्सी पर..
रजनी - इन लाशों का क्या करें?
बबली - करना क्या है. केरोसिन डालके आग लगा देती हूँ कमीनो की लाश के..
रजनी - इस बारे में किसी से कोई बात नहीं करेगा.. वैसे अब तक तू अपने भाई की रखैल बनकर रह रही थी अब कहा जायेगी?
बबली - पता नहीं.. जहा किस्मत ले जाए.. वही चली जाउंगी..
रजनी - ऐसा कर मेरे साथ चल.. मेरे घर में काम कर लेना..
बबली - मैं वहा क्या करुँगी?
रजनी बबली के बूब्स पकड़के मसलते हुए - देख ये मेरा मुंह बोला भाई है मेरे साथ नहीं रहता.. तू साथ रहेगी तो इसकी कमी मुझे कम खलेगी.. औऱ तुझे भी भी रहने को छत मिल जायेगी..
बबली रजनी की चुत पर हाथ लगा कर सहलाते हुए - ठीक है रजनी..
गौतम - क्या बात है दीदी.. आपको तो एक औऱ मिल गई..
रजनी हसते हुए - कपडे पहन अब चलते है यहां से..

रजनी बबली औऱ गौतम तीनो वहा से गाडी लेकर निकल गए और रजनी से गौतम को उसके घर छोड़कर बबली को अपने साथ अपने घर ले गई..

गौतम घर आ कर सुमन से बिना बात किये ही खाना खा कर उसजे साथ सो गया जो सुमन को अजीब लगा.. लेकिन सुमन ने गौतम से कुछ नहीं पूछा औऱ सोने दिया मगर उसके फ़ोन को अपने हाथ में लेकर उसका फ़ोन खोलते हुए चेक करने लगी.. गीतम ने व्हाट्सप्प से लेकर इंस्टा तक सब अप्प पर लॉक लगाया हुआ था मगर गैलरी में उसने लॉक नहीं लगाया था औऱ सुमन ने गैलरी में आज का बनाया हुआ उसकी औऱ रजनी की चुदाई का वीडियो देख लिया औऱ सुमन गौतम को गुस्से औऱ काम की निगाहो से देखने लगी...

सुमन सोच रही थी की गौतम कितना बिगड़ चूका है की अपने इतनी बड़ी बड़ी औरतों के साथ ये सब बिना शर्म के ही करने लगता है...
बेहतरीन 👍
 
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