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ellysperry

Humko jante ho ya hum bhi de apna introduction
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Update - 2

रजनी 34
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रजनी - कम इन..
रजनी किसी फ़ाइल को देखते हुए बोली और सामने से अंदर आते हुए गौतम को एक नज़र सर उठा के देखा फिर अपनी उंगलियों में सुलगती सिगरेट का एक कश लेकर टेबल पर रखे पोट में बुझा कर बेल का बटन दबा दिया..
गौतम - मेम ये फ़ाइल..
गौतम ने फ़ाइल रजनी को देते हुए कहा और फिर सामने खड़ा हो गया, इतने में एक वर्दी पहना हवलदार
बाहर से अंदर आया और अपने दोनों हाथ बांधकर बोला.
ज़ी मैडम.
रजनी गौतम की तरफ इशारा करके - ये बच्चा कौन है?
हवलदार - ज़ी मैडम वो ये जगमोहन का लड़का है. गौतम सब ग़ुगु बुलाते है.
रजनी - ठीक है मेरे लिए एक चाय ले आओ. और तुम, क्या नाम है तुम्हारा? हां गौतम. तुम घर जाओ.
गौतम - ज़ी मेम.. गौतम पलटकर जाने लगता है मगर उसे रजनी के साथ कुछ अजीब लगता है वो एक पीछे मुड़कर देखता है तो उसे कुछ अहसास होता है और वो रुक जाता है..
रजनी गौतम को देखकर वापस कहती है - क्या हुआ? चाय पीके जाएगा?
गौतम - नहीं मेम, वो आपके गर्दन में दर्द रहता है?
रजनी हैरानी से - तुझे कैसे पता?
गौतम - नहीं वो आपके गले में सूजन है दाई तरफ तो उससे पता लग गया.
रजनी - तू डॉक्टर की पढ़ाई कर रहा है?
गौतम - नहीं पर मैं इसे ठीक कर सकता हूँ.
रजनी - 3 साल हो गए डॉक्टर से कुछ नहीं हुआ तू क्या करेगा?
गौतम - बस थोड़ी गले की मसाज करनी पड़ेगी गीले हाथों से.
रजनी - चल ठीक है तू भी कोशिश कर ले.
गौतम रजनी की चेयर के पीछे जाकर पानी से अपने हाथ गीले करता है और रजनी के कंधे और गले के जोड़ पर अपनी उंगलियां फिराते हुए मसाज करने लगता है रजनी को इस मसाज में बहुत आराम और सुकून मिलता है गौतम कुछ देर मसाज करके फिर रजनी के गले-कंधे के आस पास कुछ जगह को सहलाकर और हड्डियों के जोड़ को दबाकर उसका दर्द कुछ पलो में छूमंतर कर देता है.
गौतम - अब ठीक है मेम. अब गर्दन हिलाने में आपको दर्द नहीं होगा.
रजनी अपनी गर्दन दाए बाए ऊपर नीचे हिलाकर - अरे वाह तूने तो सच में 3 सालों का दर्द 3 मिनटों में ठीक कर दिया? कमाल है तेरे हाथों में. जादूगर है तू तो. कहाँ से सीखा ये सब?
गौतम - वो नाना ज़ी वेद्य थे सबका इलाज़ भी किया करते थे.. बचपन में कुछ साल उनके साथ रहकर ही थोड़ा बहुत हुनर सीखा.
रजनी अपने पर्स से अपना कार्ड निकाल कर - ये लो कोई भी प्रॉब्लम हो या कोई परेशान करें तो सीधा मुझे कॉल करना. ठीक है?
गौतम - ज़ी.. मेम एक बात पुछु?
रजनी - हां बोलो?
गौतम - आपकी मदर नोबल अकेडमी में टीचर थी ना?
रजनी - हां पर तुझे कैसे पता? तू नोबल अकेडमी से है?
गौतम - हां 7th & 8th standard में वही हमारी क्लास टीचर थी उसके बाद उन्होंने पढ़ना छोड़ दिया.
रजनी - हां.. वो मेरे साथ कोटा चली गई थी..
गौतम - मैं चलता हूँ.
रजनी - ठीक है पर कार्ड में घर का एड्रेस भी है कभी अपनी क्लास टीचर से मिलने का मन करें तो घर आ सकते हो.
गौतम - और आपसे मिलने का मन करें तो?
गौतम ने रजनी की बात के जवाब में ये लाइन बोल तो दी थी मगर बोलने के बाद उसे अगले ही पल अहसास हो गया था की उसने ये क्या कह दिया है मगर वो फिर भी चुपचाप खड़ा रहा और अपनी आँखे झुका ली रजनी को भी इस बात का अंदाजा नहीं था की गौतम कुछ ऐसा कह जाएगा, दोनों की हालत लगभग एक सी थी और हालात अलग.
रजनी ने एक पेन उठकर एक कागज़ पर कुछ लिखा और गौतम को देते हुए कहा - मुझसे मिलने का मन करें तो इस नम्बर पर टाइम और जगह व्हाट्सप्प करना.
गौतम नम्बर सेव करके तुरंत व्हाट्सप्प पर रजनी को कुछ लिखकर सेंड करता है जिसे देखकर रजनी मुस्कुराते हुए ok बोल देती है और गौतम शुक्रिया बोलकर चेम्बर से बाहर आ जाता है और वापस अपने घर के लिए निकल जाता है.


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रजनी ने ये बात मुस्कुराते हुए नरमी भरे लहज़े में कही थी और पहले जो उसकी बात में रुखाई और सख़्ती थी वो अब पिघलकर पानी हो चुकी थी रजनी ने पहली बार गौतम के खूबसूरत और चाँद से चेहरे को गौर से देखा और उसकी आँखों में घुली ठंडक को महसूस करने लगी थी उसका मन गौतम को रोककर कुछ देर और उससे बात करने का था मगर फिर भी ना जाने क्यू वो गौतम को जाते हुए रोक ना सकी और ख़ामोशी से अपनी कुर्सी पर बैठकर उसे जाते हुए देखती रही.
रजनी 34 साल की तलाक़शुदा औरत थी जिसे मर्दो कुछ ख़ास लगाव नहीं था अपने पिता और पति की बेशर्मी भरी हरकतो ने उसके मन में मर्द की ऐसी तस्वीर बनाई थी जो कतई अच्छी नहीं कही जा सकती. चेहरे से साधारण दिखने वाली रजनी शारीरिक बनावट और कसावट में किसी हीरोइन से कम ना थी मगर किसी में उसके आगे बोलने की हिम्मत ना थी, जिस तरह का उसका बर्ताव था छोटे तो क्या बड़े अफसर तक उससे कुछ उल्टी बात करने से पहले सोच लेते थे.
आज रजनी को ना जाने क्यू गौतम के चेहरे की खूबसूरती, स्वभाव की सादगी और जुबान में घुली मिश्री सी मीठी बाते मोह गयी थी. गौतम बिलकुल वैसा ही था जैसा रजनी अपने लिए पति माँगा करती थी जब वो नई जवान हुई थी, मगर जिंदगी और हालात ने उस नाजुक लड़की को कब कठोर बना दिया उस नाजुक लड़की को भी पता नहीं चला. आज बहुत सालों बाद उसे ये अहसास हुआ था की वो एक औरत भी है और उसके अंदर करुणा स्नेह और प्रेम का विलक्षण गुण भी मोज़ूद है..


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गौतम घर पंहुचा तो उसने देखा की सुमन बेड पर लेटी हुई सो रही थी और उसने साड़ी खोलकर मैक्सी पहन ली थी..
गौतम चुपचाप जाकर सुमन के पास बेड पर बैठ गया और झुककर सुमन के गाल को चूमते हुए बोला..
गौतम - माँ थक गई?
सुमन गौतम को अपने पास बैठे देखकर - हम्म थोड़ी सी, पैरों में हल्का दर्द है..
गौतम - अच्छा? मैंने कहा था उस पाखंडी के चक्कर में कुछ नहीं रखा.. ढाई ढाई सो सीढ़िया चढ़ोगी और उतरेगी तो दर्द तो होगा ही. मैं पैरों की मालिश कर देता हूँ रुको.
सुमन - ग़ुगु रहने दे, क्यू बेवजह परेशान हो रहा है? कुछ देर आराम कर लुंगी तो ठीक हो जाउंगी.
गौतम - आप बिलकुल चुप रहो और लेटी रहो, मैं अभी मालिश कर देता हूँ..
सुमन - ग़ुगु रहने दे बेटू.. मैं ठीक हूँ.
गौतम - मैंने कहा चुप रहो आप..
गौतम एक बोतल से थोड़ा तेल अपने हाथो पर लेकर अपनी माँ सुमन के पैर की मालिश करने लगता है जिसे देखकर सुमन मुस्कुराते हुए आज ही नए ख़रीदे फ़ोन से जो बगल में पड़ा हुआ था उठाकर गौतम का वीडियो बनाने लगती है..
गौतम सुमन से - किसे दिखाओगी वीडियो बनाकर?
सुमन - पूरी दुनिया को
गौतम - वो कैसे?
सुमन - इंस्टा पर लाइव आके
गौतम - पागल हो क्या माँ? क्या कर रही हो?
सुमन - जो तुमने सिखाया था, तुमने ही तो कहा था इससे लोग फ़ॉलो करते है अकाउंट को. देखो 74 लोगों ने तो फॉलो भी कर लिया.
गौतम - ये सब नहीं दिखाना होता इंस्टा लाइव पर समझी आप? मुझे बिना बात में फेमस कर रही हो. मुझे नहीं होना फेमस.
सुमन - अच्छा अब हो गया, छोड़ दे मेरे पैर वरना मुझे पाप लगेगा..
गौतम - अच्छा जब मेरे पैरो के हाथ लगाती हो तब पाप नहीं लगता?
सुमन - फ़ोन को क्या हो गया?
गौतम - क्या हुआ?
सुमन - देखो चलते चलते रुक गया. पहले वो क्या कहते है उसे वो तुमने बताया था जो रील्स.. वो आ रही थी अब नहीं आ रही..
गौतम - कैसे आएगी 1 घंटे में तो पूरा इंटरनेट डाटा उड़ा दिया आपने..
सुमन - मतलब?
गौतम - मतलब ये की रोज का दो gb इंटरनेट डाटा मिलता है मुझे जो आपने रील्स देख देखकर और ये फ़ालतू की अप्प्स चला चला के ख़त्म कर दिया.. अब रात को बारह बजे के बाद ही अगला 2gb डाटा मिलेगा..
सुमन - अच्छा. मुझे कहा ये सब आता था..
गौतम - ये क्या फालतू की वीडियो बनाके डाली है आपने अकाउंट पर.
सुमन - अच्छी तो है तुमने कहा गाने की डालेंगे तो सब फ़ॉलो करेंगे. देखो 117 लोगों ने फॉलो भी किया है.
गौतम - पर ये बग्राउंड में कितना शोर है आपकी आवाजे ही नहीं आ रही है आप क्या गा रही है..
सुमन - वो सब मुझे नहीं पता..
गौतम - अच्छा ठीक है छोडो, कल से मैं आपकी मदद करूंगा.. आप आराम करो मैं जाता हूँ..
सुमन - ग़ुगु..
गौतम - हां?
सुमन - चाय मिलेगी?
गौतम - 200 रुपए लगेंगे.
सुमन - इतनी महगी? मैं खुदसे बना लुंगी.
गौतम - लेटे रहो मैं बनाता हूँ आप भी पापा की तरह कंजूस हो..
सुमन - अब आये ना लाइन पर, मसाले वाली बनाना एकदम कड़क.
गौतम रसोई में जाकर चाय बनाने लगता है इतने में उसका फ़ोन बजता है..
गौतम फ़ोन उठाकर - मुझे पता था तू जुगाड़ कर लेगा भाई. कुछ भी जुगाड़ने में तेरेसे बड़ा आदमी मैंने आज तक नहीं देखा. जीनियस है तू गांडु जीनियस.
आदिल - भोस्डिके इतने भी मेरे आंड मत चाट वरना शुगर हो जायेगी तुझे, 7 बजे मेरी गली के कोने पर आके मिल और लेट मत करना..
गौतम - 10 मिनट पहले पहुंच जाऊंगा भाई. चल रखता हूँ..
गौतम चाय बनाके सुमन के पास ले जाता है..
गौतम - माँ. चाय
सुमन चाय लेटे हुए - बाबाजी तेरे जैसा बच्चा सबको दे.
गौतम - माँ वो आज पढ़ाई के लिए फ्रेंड के घर जाना है रात को वही सो जाऊंगा..
सुमन - कोनसा फ्रेंड?
गौतम - कॉलेज फ्रेंड है आप नहीं जानती.
सुमन - कहीं जाने की जरुरत नहीं है घर पर ही बुला लो जिसके साथ पढ़ना है.
गौतम - यहां कैसे बुलाऊ माँ? जगह कहाँ है? आप तो जानती हो, आप कहोगी तो नहीं जाऊंगा.
सुमन - ओ ड्रामा क्वीन, तेरे ना ये नाटक अब मेरे सामने नहीं चलने वाले समझा? इमोशनल ब्लैकमेल करके रातभर गायब रहता है आज तो पक्का नहीं जाने दूंगी.
गौतम सुमन के बिलकुल नजदीक आकर उसे गले से लगा लेता है और सुमन के गाल पर 3-4 चुम्मिया करके कहता है - सचमें पढ़ाई करने जा रहा हूँ, आप चाहो तो जिसके पास जा रहा हूँ उसका अड्रेस और नम्बर दे जाता हूँ आपको यक़ीन ना हो तो कभी भी आकर चेक कर लेना.
सुमन - ठीक है पर सिर्फ पढ़ाई करना. फ़ोन में नंगी नंगी लड़कियों की देखकर बिगड़ मत जाना.
गौतम - छी, आप जानती हो मैं सिर्फ आपको देखता हूँ.
सुमन - मुझे सब पता है, मैं खाना बना देती हूँ खाके जाना.
गौतम - माँ वो अभी भूख नहीं लग रही मैं उसीके घर कुछ खा लूंगा. आप अपना ख्याल रखना.

गौतम अपनी बाइक लेकर आदिल के घर के कोने पर आ जाता है और अपनी बाइक का हॉर्न बजाकर जोर जोर से चिल्लाने लगता है..
गौतम - कबाड़ी वाले.. कबाड़ी वाले.. कबाड़ी वाले..
गौतम की आवाज सुनकर आदिल की बहन रेशमा घर की बालकनी से गौतम को देखती और खा जाने वाली नज़रो से उसे घूरती है इतने में पीछे से आदिल एक टपली मारते हुए गौतम से कहता है..
आदिल - अपने बाप की मैयत का रोना रो रहा है साले इतनी जोर से चिल्ला चिल्लाकर. और पीछे बैठ जाता है..
गौतम बाइक स्टार्ट करके - भाई कसम से तू मेरी जिंदगी में नहीं होता ना तो मैं वर्जिन ही रह जाता.
आदिल - हां तू वर्जिन रह जाता और मैं बेवा..
गौतम - अच्छा गाडी में तेल तो डलवा दे भाई.
आदिल - मूत देता हूँ भोस्डिके भर जाएगा टेंक. अब तेल भी मैं डलवाऊ तेरी गाडी में?
गौतम - छोटी छोटी बातों में तेरा मेरा कर रहा है भड़वे, मैंने आज तक तेरा मेरा किया है दोस्ती में? मत डलवा बहनचोद रिजर्व में भी चल जायेगी घर तक तो..
आदिल - रोये मत रंडी.. रोक ले पंप पर डलवा ले मूत इसमें..
गौतम पेट्रोल पंप पर बाइक रोककर - भईया 1000 का डाल दो..
आदिल - तूने एक साथ देखे है कभी 1000 रुपए? भोस्डिके. भाई तू 200 का डाल.
तेल डलवाकर गौतम और आदिल दोनों नवाब खान की दूकान के आगे बाइक रोकते है और ऊपर जाकर एक टेबल पर बैठते है..
आदिल वेटर से - भाई दो प्लेट बिरयानी लगा दे..
गौतम - और एक प्लेट पैक भी कर देना.
आदिल - घर लेके जाएगा क्या?
गौतम - नहीं बे चोदने के बाद भी भूख लगती है मुझे.
आदिल - साले चोदू पिछली बार तो तू भी ढीला पड़ गया था..
गौतम - अबे तो वो लड़की थोड़ी थी पक्की छिनाल थी, साली ने अपना हाथ अंदर डाल लिया मेरे लोडे से क्या फर्क पड़ता उसको?
वेटर बिरयानी रखकर जाने लगा तो गौतम वेटर से..
गौतम - भाई रायता भी ला दे.
आदिल - उफ्फ्फ यार बहनचोद हैदराबाद और लखनऊ तो फालतू फैमस है बिरयानी हो तो अजमेर जैसी.. इसकी माँ को चोदू खाते ही करंट आ जाता है नस नस में.
गौतम - सही बोल रहा है मेरे दोस्त, वैसे पैसो का जुगाड़ कहा से किया?
आदिल - मम्मू का गल्ला और क्या कहा से?
गौतम - भोस्डिके जिस दिन उसे पता लगा ना तू गल्ले पर बैठकर क्या करता है वो तेरी गांड मार मारके वसूलेगा..
आदिल - अबे तो क्या वो अपनी छाती पे धरके ले जाएगा पैसा? मोटा ग़ल्ला है रोज़ का, 2-3 हज़ार इधर उधर करने से उसे घंटा नहीं पता चलने वाला..
गौतम - सही कह रहा है वैसे भी तू होने वाला दामाद है.. तुझे क्या बोलेगा.
आदिल - भाई बोलने की तो बात मत कर, साला अपने बेटे तक को ना छोड़े कमीना.. मुझे तो नरगिस पसंद है इसलिए निकाह कर रहा हूँ. पहले भी अम्मी से कहकर बहुत कोशिश की पर उससे निकाह नहीं हो पाया. मामू ने टांग अड़ा दी और उस सऊदी अरब वाले हसन के साथ निकाह करवा दिया लेकिन हुआ क्या? साले ने 2 महीने के बाद ही तलाक़ देकर वापस भेज दिया.
गौतम - बस भाई अब आगे की कहानी मत सुना वरना आंसू आ जाएंगे. इससे पहले की बिरयानी ठंडी हो खाने में फ़ायदा है..
आदिल वेटर से - बियर कोनसी पड़ी है?
वेटर - सर यहां सिर्फ खाना मिलता है अल्कोहल नहीं मिलती..
आदिल - नया काम पर आया है क्या?
वेटर - हां इसी हफ्ते से..
गौतम - सुन.. अनवर के पास जा और उसको बोल वो दे देगा तुझे..
वेटर जाता है कुछ देर बाद किंगफ़िशर के दो कैन लेकर टेबल पर रख देता है..
आदिल और गौतम बिरयानी के साथ बियर पीते हुए बातें करने लगते है और आखिर में बियर और बिरयानी दोनों ख़त्म कर के टेबल से उठ जाते है..
आदिल - कितना हुआ अनवर?
अनवर - 920
गौतम बिल देखकर - अबे सब पर रेट बढ़ा दी क्या दस दिन में? परमानेंट लोगों के लिए डिस्काउंट रखा कर. बहनचोद लोग गल्लों में पैसे चुरा चुरा के बिरयानी खाने आते है तुम्हारे..
आदिल - चूतिये एक बियर में फेल हो गया क्या? क्या बकवास कर रहा है?
अनवर - यार तुम पुरानी रेट पर दे दो.. लाओ 750 हो गए..
आदिल - ये लो पैसे..
गौतम - मेरे अफीम का पैकेट कहा है?
अनवर - ले तेरी अफीम.. चम्मच भी है अंदर.. वापस मत आना चम्मच माँगने..
आदिल - भोस्डिका एक बियर में बिरयानी को अफीम बोल रहा है दूसरी पिला दी तो स्प्लेंडर को हवाई जहाज समझके उड़ा ना दे..
गौतम - चल भाई i can't wait to fuck bhabhi ji.. bhabhi ji i am coming for you..
आदिल - भोस्डिके ये तेरी नोबल अकेडमी नहीं है समझा? चल पीछे होजा मुझे चलाने दे..
गौतम - आजा मेरी घोड़ी जल्दी बैठ.. क्या गांड है तेरी.
आदिल - माँ के लोडे चिपका चिपकी मत कर.
गौतम - भाई तेरी गांड मारने का मन कर रहा है.
आदिल - पीछे हो जा भड़वे, क्यू अपनी माँ चुदा रहा है चूतिये..
गौतम - ये गांड मुझे दे दे आदिल.. ये गांड मुझे देदे..
आदिल - मादरचोद गाडी गिरा दूंगा, ढंग से बैठ जा.
गौतम - भाई तेरा बाप ऐसे ही आवाजे लगता है ना.. कबाड़ी वाले.. कबाड़ी वाले..
आदिल - चुदाईखाने चुपचाप बैठ जा वरना तेरी अफीम फेंक दूंगा. ठुल्ले की औलाद..
गौतम - नहीं नहीं ओ गांडू, मज़ाक़ कर रहा था गिरा मत देना उसको..
आदिल - बहन के लोडे एक बियर नहीं झीलती तुमसे.
गौतम - भाई और कितना दूर है यार एक घंटे से चलाये जा रहा है कार को..
आदिल - साले फालतू मज़ाक़ मत कर, दस मिनट भी नहीं हुई नवाबवाले के से निकले.. जगताल जाना है अभी टाइम लगेगा..
गौतम - जगताल? कबाड़ी की औलाद अब तू मुझे रंडीखाने में ले जाएगा.. साले दलाल..
आदिल - ज्यादा नाटक करेगा ना रंडी यही से वापस भेज दूंगा..
गौतम - अच्छा ठीक है यार, तू बुरा मान जाता है बात बात में लड़कियों की तरह, तू तो मेरा भाई है. ला एक पप्पी दे दे..
आदिल - सूअर तू मीठा बन गया क्या? कभी गांड के हाथ लगा रहा है कभी पप्पी ले रहा है..
गौतम - भाई दारू पिने के बाद तेरी गांड भी मिया खलीफा जैसी लगती है..
आदिल - भोस्डिके झांटभर की दारु पीकर ये हाल है कभी ढंग से पी लिया तो क्या होगा?
गौतम - भाई एक और बियर पीनी है.
आदिल - मेरा मूत पिले लोडे.
गौतम - रोक बहनचोद रोक बाइक, मुझे उतार दे.. एक बियर पर औकात दिखा रहा है झाँटु, जाने दे वापस मुझे. जा तू अकेला नहीं करना मुझे कुछ भी रोक..
आदिल - दिला दूंगा भड़वे चुप बैठ जा अब.
गौतम - वो ठेका आ गया सामने..
आदिल - भाई बंद है.
गौतम - नीचे से सब खुला है लोडे देख..
आदिल ठेके के सामने गाडी रोक कर - पिने के बाद परेशान नहीं करेगा..
गौतम - बोलूगा भी नहीं भाई..
आदिल - ठीक है रुक मैं लाता हूँ
गौतम - ठंडी लाना..
आदिल - चिल्ला मत रंडी..
गौतम - नमकीन हो तो वो भी..
आदिल ठेके के नीचे एक छोटे से खाने में नॉक करता है अंदर से आदमी की आवाज आती है..
आदमी - क्या चाहिए?
आदिल - एक बियर
आदमी - कोनसी?
आदिल - कोई सी भी सस्ती
आदमी - 170 रुपए
आदिल - लो.
आदमी अंदर से एक किंगफ़िशर की बोतल बाहर सरका देता है जिसे आदिल लेकर गौतम के पास आ जाता है..
आदिल - ले पीछे जाके पिले
गौतम बोतल लेकर खोलते हुए - पीछे क्यू बहनचोद सामने पिएंगे सबके. तू कार चला.
आदिल - चल ठीक है मगर कोई बकचोदी मत करियो.
गौतम बियर पीते हुए - भाई एक बात बोलू?
आदिल - बोल
गौतम - भाई तेरा बाप कबाड़ी वाले मस्त बोलता है..
आदिल - अबे ठुल्ले की औलाद वापस शुरु हो गया तू?
गौतम बियर पीते हुए - अच्छा सॉरी सॉरी. भाई अब नहीं बोलूंगा.
आदिल - भाई यार बकचोदी मत कर वैसे भी गांड फट रही है रंडीखाने जाने में..
गौतम - भाभी केसे बुक की तूने गंडमरे?
आदिल - अरे सोनू ने फोटो भेजी थी देखते ही पसंद आ गई साली..
गौतम - तो बुलवा लेता उसे..
आदिल - रूम पर आने के 10 हज़ार मांग रही थी, तेरी माँ के घेहने बेचने पड़ जाते..
गौतम - कबाड़ी वाले की औलाद साले भिखारी ऐसी गन्दी जगाह ले जा रहा है मुझे.. हाय किसी ने मेरी इज़्ज़त लूट ली तो? मेरा क्या होगा? मैं तो मुंह दिखाने लायक ही नहीं रहूँगा..
आदिल - रंडी पहुंचने वाले है अगर यहा तूने नाटक किया ना बहुत मारुंगा तुझे..
गौतम - भाई नहीं कुंगा बस एक बियर और पीला दे..
आदिल - भड़वे आँख चढ़ रही है तेरी इससे ज्यादा में यही सो जाएगा.. कभी कभार वाले के लिए इतनी बियर बहुत है.. अब चल.. वो साला सोनू कहा मर गया..
गौतम नशे में - भाई तू है तो दल्ला..
आदिल - अबे तेरे पैर छूता हूँ भाई तू अब कोई हरकते मत कर मेरी पहले फट रही है अंदर जाने में..
गौतम - क्यू डर रहा है भाई? बाप पुलिस में है मेरा इन सबकी माँ चोद देगा हवा में उछाल के..
आदिल - चूतिये उसको पता चल गया ना की तू यहां है तो सबसे पहले तेरी चोदेगा, वो भी हवा में उछाल के. अब मुंह बंद रख..
गौतम - अरे वो रहा तेरा सोनू.. ओ सोनू दल्ले.. सोनू दलाल..
आदिल - बहन के लोडे मुंह बंद रख अपना..
सोनू गौतम की आवाज सुन लेता है और उनके पास आ जाता है..
सोनू आदिल से - ये तेरा दोस्त ग़ुगु है ना..
गौतम - हां सोनू भाई मैं आदिल का दोस्त हूँ और आप चाहो तो मुझे अपना बाप बना सकते हो..
सोनू - क्या बकचोदी कर रहा है ये..
आदिल - अरे थोड़ा नशे में है बस तू वो बात कर जो अपने बीच हुई थी..
सोनू - भाई वो बिहारन तो किसी के साथ चली गई यार..
आदिल - भाई दिमाग अम्मी मत चोद, फटी गांड हाथ में लेके आया हूँ यहांपर..
सोनू - तो भाई मैं क्या करू अगली को वहा डबल पैसा मिला तो चली गई.. वैसे एक-दो भाभी ज़ी और है अगर मिले तो बता उसी रेट में.
गौतम - मिलेंगे मिलेंगे सोनू बेटा सबसे मिलेंगे..
आदिल - अबे चुप कर चूतिये.. अफीम गिरा दूंगा तेरी वरना.. सोनू भाई कोई फोटो कुछ है उनका..
सोनू फ़ोन निकाल कर भाई ये दो है लाल सूट वाली हरयाना की देसी है एकदम कड़क माल और दूसरी उप्र की है मज़ा ये भी पूरा देती है..
आदिल - भाई थोड़ी ज्यादा बड़ी नहीं लग रही?
सोनू - अबे तो तुमको कोनसी शादी करनी है? पेलना है और खेलना है रातभर बस.. पहले जों बुक की थी वो 32 की थी ये दोनों 34-35 के आस पास है बताओ करना है तो वरना मैं जाऊ?
आदिल - भाई सर्विस?
सोनू - फुल सर्विस नो एक्स्ट्रा चार्ज दोनों का.. बोलो करना है?
आदिल - अब आये है करके ही जाएंगे और क्या?
सोनू - कोनसी?
आदिल - हरयाना वाली.. पर कोई फालतू बसड नहीं चाहिए..
सोनू - बसड़ किस बात की? चलो आ जाओ मेरे पीछे पीछे..
सोनू आदिल और गौतम अपने पीछे पीछे जगताल की उन बदनाम गलियों से घूमता हुआ एक पुराने से दिखने वाले मकान के सामने ले आया और दोनों को दरवाजे पर रोक कर खुद अंदर चला गया..
गौतम नशे के सुरूर में अपने दोस्त आदिल की फटी हुई गांड को और फाड़ने का काम किये जा रहा था और आदिल मज़बूरी में उसे झेले जा रहा था गौतम को अपने साथ रखना उसकी मज़बूरी थी गौतम के अलावा उसका एक भी पक्का दोएत नहीं था जो उसके लिए खड़ा हो सकता था और वो जानता था की गौतम दिल का बुरा नहीं है यही कारण था की गौतम की इन हरकतो के बावजूद आदिल उसे भाई की तरह मानता था..
सोनू बाहर आकर - अंदर आ जाओ..
आदिल गौतम के साथ अंदर चला गया और सोनू के पीछे चलते हुए मकान की तीसरी मंज़िल पर पहुंचकर एक बड़े कमरे में पहुंच गये जहाँ 4-5 औरते एक साथ बेड पर बैठी थी और उनमे से एक औरत जो करीब 50-52 साल की थी दूसरी औरत से अपने पैर दबवा रही थी..
सोनू और उसके पीछे पीछे गौतम और आदिल भी कमरे के अंदर आ गए थे..
सोनू - रेखा काकी.. ये दोनों लड़के है. पैसे एडवांस ले लिए..
रेखा काकी आदिल और गौतम को देखकर - क्या रे नाबालिक तो नहीं हो दोनों? तू चिकने..
सोनू ने गौतम की तरफ इशारा किया..
रेखा ने बात आगे बढ़ाते हुए कहा - ये तेरे हाथ में क्या है? क्या है इस थैली में?
गौतम - इसमें अफीम है खानी है?
आदिल ने अपनी फटी हुई गांड सँभालते हुए गौतम को देखा और इशारे से चुप रहने को कहा..
रेखा काकी - बेटा यहां मसखारी नहीं.. वरना इज़्ज़त लेने की जगह देनी पड़ सकती है.. समझा?
गौतम - मैं तो लेने और देने दोनों के लिए त्यार हूँ बताओ किसको देनी है और किसकी लेनी है?
कमरे में बैठे सभी लोग जोर से खिलखिलाकर हंसने लगे और रेखा भी हस्ते हुए गौतम को देखने लगी.
रेखा काकी - क्यू रे नाम क्या है इसका?
सोनू - काकी ग़ुगु..
रेखा काकी हस्ते हुए - क्या चिकने? ज्यादा जवानी चढ़ी है? कहे तो पुलिस के आदमी बुलाके उतरवा दू? जेल में जाएगा तो सारी उतर जायेगी.. ऐ नीतू जरा लगा तो फ़ोन उस ठुल्ले को..
आदिल - नहीं नहीं हमे कुछ नहीं करना पुलिस को मत बुलाओ.. हम जाते है यहां से.. ये तो बस थोड़ी दारू पी रखा है इसलिए ऐसा बोल रहा है..
गौतम - अबे क्या छोरियो की तरह रो रहा है गांडु बुलाने दे पुलिस को.. मेरा बाप पुलिस वाला है हम तो एक दो घंटे में छूट जाएंगे मगर तुम्हारे ऊपर इतने फ़र्ज़ी केस लगेंगे की गिनती भूल जाओगे..
रेखा काकी - अरे ये देखो, मुझे लगा की मेरे थोड़ा डराने से रोने लगेगा मगर ये मुझे ही धमकाता है.. बेटा तेरे बाप जैसे बहुत सारे ठुल्ले रेखा काकी के ब्लाउज में बंद है समझा? नादान बच्चा समझके माफ़ किये देती हूँ वरना तेरी ये चाँद सी सूरत अमावस जैसी करवा डालती मैं आज.. सोनू लेजा इस लाल शर्ट को और मिला दे काजल से..
सोनू - काकी ग़ुगु को
रेखा काकी - इस ग़ुगु को रूपा के कमरे में भेज, बहुत दिनों से उदास है बेचारी शायद इस ताज़ा खिले फूल का मीठा रस पीकर खुश हो जाए.. कहना काकी ने बर्थडे गिफ्ट भिजवाया है
आदिल - हमारे पास और पैसे नहीं है देने के लिए..
रेखा काकी - तुमसे मागे मैंने और पैसे? diwali ऑफर है एक के साथ एक फ्री.. चलो अब जाओ..
सोनू - चलो
सोनू गौतम और आदिल को नोचे दूसरी मंज़िल पर ले आता है और चुनी हुई लड़की के पास आदिल को छोड़कर कोने वाले कमरे में गौतम को ले जाता है जहाँ खिड़की के सामने खड़ी हुई औरत जो अपनी उंगलियों में सुलगती हुई सिगरेट लगाए कश लेकर धुआँ बाहर छोड़ रही थी को पुकारता है..
सोनू - रूपा मौसी..

रूपा - 40
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सोनू की आवाज से रूपा का सारा ध्यान खिड़की के बाहर से अंदर की ओर मुड़ जाता है रूपा दरवाजे पर खड़े सोनू को देखती है ओर सोनू आगे कहता है..
सोनू - मौसी वो काकी ने इस लड़के को भिजवाया था आपके आप, काकी बोली आपका बर्थडे गिफ्ट है.
गौतम अपने बहकते हुए कदमो पर खड़ा होकर नशीली आँखों से कमरे की सजावट देखे जा रहा था उसने इतना सजा हुआ कमरा कभी नहीं देखा था उसका ध्यान ना रूपा पर था ना सोनू पर ना ही उन दोनों की बातों पर..
रूपा - और क्या कहा दीदी ने?
सोनू - कुछ नहीं. बस यही कहा..
रूपा - नाम क्या है इसका?
सोनू - ग़ुगु..
रूपा - ठीक है तू जा..

सोनू रूपा के कहने पर वहा से चला गया और रूपा ने सोनू के जाने के बाद अपनी उंगलियों में सुलगती हुई सिगरेट का एक लम्बा कश खींचा और दरवाजा अंदर से बंद कर लिया..
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Humko jante ho ya hum bhi de apna introduction
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रूपा एक 40 साल की औरत थी जो बहुत लम्बे समय से वैशावृति का काम कर रही थी लगभर 20-25 साल उसने यही इसी वैशालय में बिता दिए थे और अब बहुत कम ही किसी से मिलती थी.. देखने में रंग साफ था और बदन लचकदार चेहरा सुन्दर था और बाल नीचे कुल्हो तक लम्बे.. रूपा के देखने से लगता था किसी कुलीन घर की विवाहिता होगी मगर भाग्य के फेर ने नसीब को ऐसा बदला की तक़दीर में किसी घर की आबरू बनाने की जगह इस वैशालय में वैश्या बना दिया, धीरे धीरे रूपा ने इसे अपनी नियति समझ ली और स्वीकार करते हुए किस्मत से लड़ने लगी इस काम से उसने पैसा तो बहुत कमाया पर उसके शादी और परिवार के सपने चकना चूर हो गए, रूपा उम्र के इस पड़ाव पर बस इस वैशालय की रूपा मौसी बनकर रह गई..

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गौतम की नज़र दिवार पर लटकी कई तस्वीरों में से एक तस्वीर पर टिक गई जिसे देखकर गौतम उसमे खो सा गया, ये तस्वीर हिटलर के नरसंहार में तड़पकर मेरी उस छोटी यहूदी लड़की की थी जिसके बारे में गौतम ने इतिहास में पढ़ रखा था गौतम आधा नशा उस तस्वीर ने उतार दिया था एना फ्रेंक की उस तस्वीर ने गौतम की आँखों के सामने वापस उसी मंज़र और ताबही को लाकर खड़ा कर दिया था जिसको उसने किताबो पढ़ते हुए महसूस किया था.. गौतम उस तस्वीर में खोया हुआ था की पीछे से रूपा ने उसे बाहों में भरते हुए कहा.
रूपा - तस्वीरे पसंद है तुन्हे?
गौतम ने खुदको रूपा की बाहों में कस्ते देखा तो वो तस्वीर के फितूर से बाहर आ गया और बचे हुए हलके नशे में खुदको इखट्टा करने लगा..
रूपा को जब गौतम से कोई जवाब नहीं मिला तो वो वापस बोली..
रूपा - ध्यान कहा है मेरे नन्हे मेहमान का? तस्वीरों ने चुरा लिया लगता है. मुझसे बात भी नहीं करोगे तुम?
गौतम - अच्छी सजावट है कमरे की. लगता है बहुत पैसा खर्चा किया है तुमने इसे सजाने में.
रूपा - हां थोड़ा सा खर्चा हुआ तो था पर आज वसूल हो गया, तुम्हे सजावट पसंद जो आ गई. ये हाथ में क्या है?
गौतम - बिरयानी है तुम्हे खानी है तुम्हे?
रूपा - अपने हाथ से खिलाओगे तो जहर भी कबूल है मेरे नन्हे मेहमान.
गौतम - पर ठंडी हो गई है..
रूपा - लाओ मेरे लिए लाये हो तो मुझे दे दो.. मैं गर्म करवा देती हूँ..
गौतम के हाथ से बिरयानी का पैकेट लेटे हुए रूपा ने कहा औऱ थैले से बॉक्स निकालकर कमरे का दरवाजा खोलदिया फिर आवाज लगाती हुई बोली - कम्मो. कम्मो.
कम्मो - हां मौसी?
रूपा - लो इसे गर्म करके ले आओ.
कम्मो - अभी लाई मौसी.
रूपा ने दरवाजा लगा दिया और गौतम को देखने लगी रूपा गौतम जैसे लड़के को यहां इस कोठे पर देखकर किसी अचरज में थी मानो सोच रही हो की ये भले घर का दिखने वाला चाँद सा लड़का यह इस कोठे पर क्या कर रहा है?
गौतम - पानी है?
रूपा बेड के कोने में रखे छोटे से फ्रिज से पानी बोतल निकाल कर गौतम को देती है और गौतम एक बार में आधी बोतल खाली करके बोतल बेड के ऊपर बनी पट्टी पर रख देता है..
रूपा - शराब पी है तुमने?
गौतम - हां दो बियर पी थी मगर अब सब उतर गई..
रूपा - और पीनी है?
गौतम - है तुम्हारे पास?
रूपा उसी फ्रिज में से एक बियर की बोतल निकालकर खोलते हुए गौतम को दे देती है..
गौतम - मेरे पास पैसे नहीं है देने को इसके..
रूपा हसते हुए - पैसे देने की जरुरत नहीं है. तुम्हे चाहिए तो मुझसे ले जाना..
गौतम बियर पीते हुए - अच्छा?
दरवाजे पर कम्मो एक प्लेट में बिरयानी गर्म करवाकर ले आती है..
कम्मो -मौसी.. रूपा मौसी..
रूपा दरवाजा खोलकर कम्मो से प्लेट ले लेती है और वापस दरवाजा लगा देती है..
रूपा - लो नन्हे मेहमान आ गई बिरयानी गर्म होकर, अब खिलाओ मुझे अपने इन खूबसूरत हाथों से..
गौतम प्लेट लेकर चम्मच से रूपा को बिरयानी खिलाने लगता है और पहली ही बाईट से रूपा को बिरयानी का स्वाद दिल छू जाता है.. बिना कुछ बोले दोनों बिरयानी खाने और एकदूसरे को खिलाने लगते है..
गौतम - कैसी लगी?
रूपा - तुम्हारे जैसी..
गौतम - मतलब?
रूपा उठकर गौतम के बिलकुल नजदीक आ जाती और उसके होंठों को अपने होंठों में भरके चूम लेती है, कुछ देर यूँही गौतम के होंठ चूमकर रूपा कहती है..
रूपा - मतलब बहुत स्वादिस्ट.. अगली बार जरा ज्यादा लाना..
गौतम - जैसे तुम बोलो..
रूपा - वैसे मेरे साथ सोने में तुझे शर्म तो नहीं आएगी ना?
गौतम बची हुई बियर के आखिर 2-3 घूंट पीके बोतल बेड के नीचे रखता हुआ कहता है..
गौतम - शर्म और मुझे? मैं तो उस रेखा काकी के साथ भी सो सकता हूँ..

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रूपा - अरे इतनी सी उम्र में इतनी बेशर्मी? तुम्हे तो सबक सीखना पड़ेगा आज..
ये कहते हुए रूपा ने गौतम को अपनी बाहों में वापस जकड लिया और उसके होंठों पर दर्जनों चुम्मो की बरसात करती हुई टूट पड़ी और गौतम को बेतहाशा चूमने लगी जिससे गौतम पर कामुकता का असर छाने लगा, गौतम रूपा के इस काममय रूप से आकर्षित होने लगा और उसका पूरा साथ देने लगा.. एक लम्बा और गहरा चुम्बन दोनों के बीच हुआ जिसे टूटने में कई मिनटों का समय लग गया और टूटने पर गौतम ने रूपा से कहा..
गौतम - तुम्हारे होंठ बहुत रसीले है रूपा मौसी..

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रूपा - तो किसने रोका है तुझे इनका रस पिने से मेरे नन्हे मेहमान. जितनी मर्ज़ी है उतना पिले..
गौतम ने बिना किसी लाज-शर्म के रूपा को बिस्तर पर धकेलते हुए लेटा दिया और उसके ऊपर चढ़कर रूपा के होंठो की लाली चूमने लगा. रूपा भी प्यार से गौतम का पूरा साथ निभा रही थी और उसे चूमे जा रही थी. गौतम का हाथ ना जने कब अपने आप रूपा की कमर से होते हुए उसके मस्त मोटे चुचो पर आ गया उसे भी नहीं पता लगा लेकिन रूपा को इसका सब पता था फिर भी उसने गौतम को नहीं रोका और खुदसे अपने ब्लाउज के बटन खोल दिए जिससे गौतम अंदर तक रूपा की उभारदार छतियों के पुरे मज़े ले सके.
गौतम ने कुछ देर बाद चुम्बन तोड़कर रूपा की ब्रा ऊपर सरका दी और उसके बूब्स चूसने लगा.

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रूपा भी मुस्कुराते हुए गौतम को देकर उसके सर पर हाथ फिराते हुए उसे अपने बूब्स चूसने में मदद करने लगी और बूब्स चूसते हुए गौतम का प्यारा सा मुखड़ा देखकर वो सोचने लगी की अगर उसका भी ब्याह हुआ होता तो गौतम की तरह उसकी औलाद भी उसका दूध इसी तरह पीती.. रूपा कुछ भावनात्मक रूप से बहके जा रही थी उसे गौतम में अपना ना हो सका बच्चा दिखने लगा और वो गौतम के मुंह में अपने निप्पल्स घुसा घुसा के अपना चुचा चुसवाने लगी जिसमे उसे कामरस के साथ एक माँ होने का अहसास दोनों मिल रहे थे.. रूपा ने बूब्स चूसते हुए गौतम का एक हाथ पकड़कर अपने पेट पर रख दिया और धीरे धीरे नीचे लेजाकर अपनी साडी के अंदर डालकर अपनी नंगी चुत के ऊपर रख दिया और उसकी हथेली अपनी चुत पर दबाने लगी. गौतम ने चुचा चूसते हुए ही रूपा की चुत अपनी मुठी में जोर से पकड़ ली और उसे मसलने लगा जिससे रूपा के काम की पिपासा जागने लगी. गौतम ने अपने हाथ से चुत का पूरा जायजा लेकर अपनी मिडिल फिंगर रूपा की चुत में घुसा दी और चुत में ऊँगली करने लगा जिससे रूपा की सिस्कारिया निकलने लगी और वो गौतम के बाल सहलाते हुए उसके सर को चूमने लगी..

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गौतम ने कई बार रूपा के चुचो पर अपने दाँत लगाकर निशान बना दिए और उसे लव बाईट दी मगर रूपा ने एक बार भी गौतम को ऐसा करने से नहीं रोका और उल्टा प्यार से अपना चुचा और उसके मुंह में देकर चुसवाने लगी मानो ऐसा करने में उसे परम आनंद की उपलब्धि हो रही हो..
गौतम ने धीरे धीरे रूपा की साड़ी और साया साथ में ऊपर उठा दिया और कमर तक लाकर रूपा की चुचा चूसना छोड़ दिया फिर नीचे आकर रूपा की पेंटी नीचे सरका दी और एक दम से अपना मुंह रूपा की चुत पर लगा दिया और अपनी जीब से उसकी 40 साल पुरानी हज़ारो आदमियों से चुद चुकी चुत चाटने लगा..
रूपा ने जब गौतम को ऐसा करते देखा तो उसे अपनी आँखों पर यकीन ही नहीं हुआ की उसकी उम्र से आधा ये 20 बरस का नोसीखिया लड़का उस जैसी खेली खाई औरत को इतना मज़ा दे सकता है.. रूपा ने अपनी दोनों टांग अच्छी तरह से चौड़ी के ली ताकि गौतम को चुद चाटने में कोई तकलीफ ना हो और बेड के ऊपर दाई तरफ वाले खाने से सिगरेट निकालकर लाइटर से सुलगाते हुए कश लेकर गोतम को प्यारभरी नज़रो से देखती हुई अपनी चुत चूसाईं का आनंद भोगने लगी..

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रूपा को गौतम में अपना बेटा नज़र आ रहा था जो कभी हुआ ही नहीं था अब रूपा गौतम की कुछ ज्यादा परवाह कर रही थी की गौतम को उसके साथ कोई तकलीफ ना हो. रूपा सिगरेट के कश लेती हुई गौतम से बात करने पर मजबूर हो गई और उससे बोली..
रूपा - ग़ुगु..
गौतम ने चुत चाटते हुए बिना रूपा को देखे ही जवाब दिया - हम्म्म?
रूपा- थोड़ा बीच में इस दाने को लीक करो ना..
गौतम ने बिना कुछ बोले रूपा की बताई जगह पर जीभ लगाकर चूसाईं वापस शुरुआत कर दी..
रूपा - हाय.. इतने सालों बाद ये सुकून मिला भी तो एक बच्चे से.. इतना कहकर रूपा ने फिर से सिगरेट का कश लिया और अपने हाथ से गौतम का सर सहलाती हुई बोली.. ग़ुगु मुझे सुसु आ रहा है मैं करके आउ?
गौतम चुत चाटना छोड़कर बोला - बाथरूम तो मुझे भी लगा है..
रूपा - ठीक है चल पहले तुझे ही सुसु करवा देती हूँ..
रूपा गौतम को कमरे में ही बने दूसरे दरवाजे के अंदर ले गई और बाथरूम पोट के पास घुटनो पर बैठकर गौतम की जीन्स का बेल्ट खोलने लगी..
गौतम - तुम्हे यहां सब मौसी क्यू बुलाते है?
रूपा - मुझे पता नहीं ग़ुगु..
गौतम - मैं तुम्हे क्या कह कर बुलाऊ?
रूपा - जो तुम्हारा दिल करें.. तुम अगर प्यार से रंडी भी बुलाओगे तो मुझे कोई ऐतराज़ नहीं है मेरे नन्हे मेहमान.
गौतम - ठीक है फिर मैं भी मौसी ही कहकर बुलाता हूँ..
रूपा किसी सोच में डूबे जा रही थी और इसी सोच में डूबे हुए उसने गौतम की जीन्स का बेल्ट और जीन्स का हुक खोलकर ज़िप नीचे कर दी थी और जीन्स नीचे करके गौतम की वी शेप अंदरवियर के अंदर फूफाकरता हुआ उसका लंड देखकर उसके साइज का अंदाजा लगाने की कोशिश में थी मगर गौतम की बात सुनकर उसके टूटे हुए अरमान जाग गए और उसने गौतम को देखते हुए उसकी बात का जवाब दिया..
रूपा - एक बार मम्मी कहकर बुलाओ ना..
गौतम हैरानी से - क्या?
रूपा - क्या नहीं ग़ुगु मम्मी. मुझे मम्मी कहकर बुलाओ ना..
गौतम रूपा की बात सुनकर पहले मुस्कुरा दिया और फिर रूपा के गालो को प्यार से सहलाके बोला - मम्मी अब सुसु करवा दो वरना चड्डी में ही निकल जायेगी..
गौतम के मुंह से मम्मी सुनकर रूपा का दिल गौतम के लिए और भी ममता के भाव से ओत प्रोत हो गया और रूपा ने जवाब देते हुए कहा..
रूपा - ठीक है मेरे नन्हे मेहमान और गौतम की अंदरवियर नीचे सरका दी जिससे गौतम का लंड रूपा के सामने हवा में झूल गया और रूपा के साथ जब गौतम की नज़र भी अपने लंड पर पड़ी वो रूपा के साथ चौंक कर अपने लंड को देखने लगा.. गौतम के 6 इंच का लंड अचानक से 10 इंच का लगने लगा था
आधी खड़ी हालात में लंड को रूपा ने अपने हाथ से पकड़ लिया और बाथरूम पोट की तरफ कर्रे हुए लंड की लम्बाई और मोटाइ का जायजा लेने लगी.. उसने आज से पहले कभी इतना बड़ा लंड हक़ीक़त में नहीं देखा था हज़ार से ज्यादातर लोडे जो सब 3-5 इंच के ही थे रूपा ने ले रखे थे मगर इतना बड़ा तो उसने भी अपने वैश्या के धंधे में नहीं लिया था.. उसने बस फ़ोन पर ही ऐसे अफ्रीकन लंड देखे थे मगर आज उसके सामने गौतम का अफ्रीकन गोरा लंड था जिसे देखकर रूपा के मन में पानी आने लगा..
गौतम भी हैरानी से अपने लंड की तरफ देखता हुआ सोचने लगा की कैसे अचानक उसका लंड इतना बड़ा हो गया और वो कंफ्यूज सा होकर बाथरूम पोट में मूत रहा था रूपा भी मूतते हुए गौतम का लंड पकड़ कर बैठी थी और जब गौतम मूत कर फ्री हुआ तब रूपा ने बिनाकुछ बोले या सोचे समझें गौतम के लंड का टोपा अपने मुंह में भर लिया और मूत की आखिर की कुछ बुँदे अपने मुंह में गिरवाते हुए लंड को चूसकर साफ कर दिया जिससे गौतम की आह्ह निकल गई और फिर रूपा ने गौतम से बाहर जाने को कहा और खुद मूतने लगी.

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रूपा जब मूत कर वापस आई तो रात के 12 बज चुके थे और अब रूपा के मन में चुदने की तलब होने लगी थी. उसने देखा की गौतम खिड़की से बाहर देख रहा है तो उसने वही पर नीचे बैठकर वापस से गौतम का लंड मुंह में ले लिया और इस बार पूरे अनुभव से गौतम को लंड चूसाईं का मज़ा देने लगी..

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गौतम - अह्ह्ह्ह क्या चुस्ती हो तुम? इतना कहकर गौतम रूपा के बाल पकड़कर अपना लंड उसके मुंह में जोर जोर से अंदर बाहर करने लगा और रूपा गौतम को खुश करने की हर मुमकिन कोशिश करने लगी.. कुछ देर बाद ही गौतम ने अपने सारा माल रूपा के मुंह में भर दिया जिसे रूपा ने गले से नीचे उतार लिया और गौतम का हाथ पकड़कर बिस्तर पर ले गई..
रूपा ने एक जगाह से कंडोम का पैकेट निकाला और उसमे से एक कंडोम निकालकर फाड़ते हुए गौतम के सामने बैठ गई और गौतम के लंड को वापस हाथ में लेकर हिलाते हुए खड़ा करने लगी फिर वापस मुंह में भरके चुस्ती हुई गौतम को देखने लगी, गौतम भी रूपा को ही देखे जा रहा था..
थोड़ी सी चूसाईं से ही लोडा वापस पूरा टाइट हो गया और रूपा ने उसपर कंडोम चढ़ा दिया फिर खुद बिस्तर पर अपनी साड़ी उठाके लेट गयी और पेंटी निकाल कर अलग कर दी..
रूपा - चलो नन्हे मेहमान.. कहो अपने अजगर से मेरे बिल में घुसकर अपना ज़हर उगल दे..
गौतम रूपा की बात सुनकर रूपा के ऊपर चढ़ गया और रूपा के होंठों को चूमकर बोला - मेरे अजगर के लिए तुम्हारा बिल छोटा लग रहा है मम्मी.. अगर घुसते टाइम कुछ टूट फुट हो जाए तो मुझसे मत कहना बाद में..
रूपा मुस्कुराते हुए - मम्मी की चिंता मत करो, अपने अजगर से कहो जितना अंदर जा सकता है चला जाए मैं नहीं रोकूंगी..
गौतम चुत के मुहाने पर लंड रगड़कर - लो फिर सम्भालो मेरे अजगर को.. कहते हुए गौतम ने अपना लंड चुत के छेद में घुसा दिया और एकजोरदार झटका देते हुए एक बार में दो-तिहाई लंड चुत में उतार दिया जिससे रूपा की आह्ह निकल गई और उसने गौतम को कसके पकड़ लिया और अपने गले से लगाते हुए चूमने लगी..
गौतम ने अब एक के बाद एक जोरदार झटके मारना शुरु कर दिया और रूपा को किसी नवविवाहित स्त्री की तरह सिसकने पर मजबूर कर दिया..

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रूपा आहे भरते हुए गौतम के होंठों को चूमे जा रही थी जिसमे उनकी जीभ आपस में कुस्ती कर रही थी और नीचे गौतम अपने लंड से रूपा की हज़ार से ज्यादा बार चुदी हुई चुत को पहली बार वाला मीठा दर्द दे रहा था..
पुरे कमरे में चुदाई की आवाज गूंज रही थी और पूरा माहौल चुदाईमय हो चूका था..
करीब 15 मिनट मिशनरी में रूपा की चुत पेलने के बाद गौतम ने रूपा को पलटकर घोड़ी बना लिया और उसके कमर तक लम्बे बालों को अपने दोनों हाथों में पकड़ते हुए उसकी चुत में वापस अपना लंड डालकर चोदने लगा.. इस बार उसे ऐसा महसूस हो रहा जैसे वो घुड़सवारी कर रहा हो. घोड़ी बनकर भी रूपा के मुंह से कुतिया वाली आवाजे ही आ रही थी. पीछे से झटके खाती रूपा का बदन ऊपर से नीचे तक पूरा तूफ़ान में हिलते पेड़ की तरह हिल रहा था..
गौतम ने कुछ देर घोड़ी बनाने के बाद रूपा को काऊ गर्ल और फिर अपने ऊपर गिरा कर चोदने लगा.. रूपा को चुत में हल्का दर्द और मीठा मज़ा दोनों एक साथ महसूस हो रहा था.. रूपा को वही मज़ा आ रहा था जो अपनी शुरुआती चुदाईयों में लड़की को आता है. रूपा को अपनी अनगिनत बार चुद चुकी चुत भी गौतम के लंड के आगे कुंवारी सी लगने लगी थी..
लगभग एक घंटे अलग अलग पोज़ में चोदने के बाद गौतम ने वापस रूपा को मिशनरी वाले पोज़ में चोदना शुरुआत कर दिया और उसे चोदते हुए बोला..
गौतम - मज़ा आ रहा है मम्मी?
रूपा आँखे बंद किये सिस्कारी लेती हुई बोली - आ रहा है ग़ुगु.. पर बहुत दर्द भी हो रहा है.. थोड़ा सा आहिस्ता चोद अपनी मम्मी को बेटा..
गौतम रूपा के मुंह से बेटा सुनकर सकपका गया और एक पल को उसे रूपा में उसकी असली माँ सुमन का चेहरा नज़र आने लगा और वो बिना रूपा से कहे उसी वक़्त उसकी चुत में झड़ गया..
रूपा भी अब तक 2 बाद झड़ चुकी थी और गौतम के झड़ते हुए उसने गौतम को अपने बाहों में कस लिया और पूरा डीप चूमने लगी.. गौतम के मन की हालात अजीब थी जो उसके साथ अभी हुआ वो क्या था? इस बात को समझने की कोशिश करते हुए वो रूपा के ऊपर से हटने लगा और जब उसने रूपा की चुत से लंड निकालकर देखा तो रूपा के साथ वो भी मुस्कुराने लगा.. कंडोम पूरा फट चूका था और गौतम ने सारा माल रूपा की चुत में गिरा दिया था मगर रूपा खुश थी उसे जो ख़ुशी मिली उसके आगे वो आज गौतम को कुछ भी दे सकती थी..
गौतम अपना लंड रूपा के बेड पर एक तरफ पड़े ब्लाउज से साफ करके उसके बदल में लेट गया और उसकी नज़र घड़ी की तरफ गई जो रात के डेढ़ बजा रही थी..
रूपा भी अपनी चुत साफ करके गौतम के सीने पर आ गई और अपना सर उसके सीने पर टिकाटे हुए बोली - क्यू नन्हे मेहमान? केसा लगा मम्मी की चुत मारके?
गौतम - मज़ा आ गया..
रूपा - पर तुम्हारे मज़े के लिए मेरी जो चुत सूज गई उसका क्या?
गौतम - बर्फ लगा देता हूँ ठीक हो जायेगी..
रूपा - कहा कहा बर्फ लगाओगे नन्हे मेहमान? ऊपर नीचे तक हर जगह घायल कर दिया तुमने तो एक ही बार में..
गौतम - गांड भी चाहिए मुझे दोगी ?
रूपा - तुम्हारे लिए तो अब मैं अपनी जान दे सकती हूँ तूने बस ये गांड मांगी है.. कर लो जो तुम्हे करना मेरे साथ..
गौतम रूपा को वापस घोड़ी बनाकर अपने लोहे जैसे सख्त हो चुके लंड को थूक लगा कर रूपा की गांड में घुसाने लगता है..

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रूपा चुत जे दर्द से अभी उभर ना पाई थी की गौतम ने उसे गांड का दर्द देना भी शुरू कर दिया औऱ धीरे धीरे बहुत से जतन करने के बाद आखिर अपना आधा लोडा रूपा की गांड के छेद में घुसेड़ ही दिया.. रूपा की हालात कुछ वैसे थी की वो ना तो गौतम को मना कर सकती थी औऱ ना उसका लंड पूरा गांड में ले सकती थी.. गौतम भी अब रूपा की हालात समझ रहा था उसने उतने ही लोडे को गांड में डाले रखा औऱ फिर धीरे धीरे रूपा की गांड मारने लगा.. रूपा को पहले से थोड़ा आराम आने लगा तब गौतम ने लंड को औऱ अंदर डालने की कोशिश में तेज़ झटके लगाए जिससे रूपा की चिंखे निकल गई औऱ आँख से दर्द के मारे आंसू भी.. गौतम ने इस बार रूपा की हालात देखकर अपना लोडा उसकी गांड से बाहर निकाल लिया औऱ रूपा को अपनी बाहों में कसकर उसके आंसू पोंछता हुआ बोला..
गौतम - तुम ठीक तो हो? मुझे माफ़ कर दो. मैं तुम्हे रुलाना नहीं चाहता था.. सॉरी..
रूपा ने बहुत लोगों को देखा था जिन्हे उसके दर्द में मज़ा आता था किसीको उसपर तरस नहीं आया जब भी उसकी हालात खराब हुई थी वो बस इतना जानती थी की मर्द कभी औरत पर तरस नहीं खाता मगर जिस तरह गौतम ने उसे अपनी बाहों में भरके उसके आंसू पोंछते हुए अपने चेहरे पर चिंता के भाव लाकर माफ़ी मांगी थी उससे रूपा को गौतम पर औऱ भी ज्यादा प्यार आने लगा था औऱ वो समझ चुकी थी की गौतम नरम दिल का लड़का है जो किसी औरत को दर्द में नहीं देख सकता..
रूपा अपनी गांड के छेड़ को सहलाती हुई गौतम से बोली - माफ़ी तो मुझे मांगनी चाहिए तुमसे मेरे नन्हे मेहमान.. मैं तुम्हे खुश नहीं कर पाई.. एक चीज मांगी थी तुमने मैं वो भी तुम्हे नहीं दे पाई..
गौतम रूपा की बात सुनकर उसकी चुत सहलाकर मुस्कुराते हुए बोला - कोई बात नहीं.. मैं तुम्हारी इस चुत से ही काम चला लूंगा..

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रूपा गौतम की बात सुनकर मुस्कराती हुई उसे पीछे धकेल देती है जिससे गौतम बिस्तर पर पीठ के बल लेट जाता है औऱ फिर रूपा उसका लंड अपनी चुत में घुसा कर उसके ऊपर बैठ जाती है औऱ धीरे धीरे ऊपर नीचे होने लगती है..
रूपा - गर्लफ्रेंड नहीं है तुम्हारी?
गौतम - नहीं.. मुझे लड़कियों के नखरे नहीं पसंद. औऱ वैसे भी मुझे भाभियाँ औऱ आंटीया पसंद है.
रूपा जोर से हसते हुए - मैं पसंद आई तुम्हे?
गौतम रूपा का बोबा मसलते हुए - तुम पसंद नहीं आई होती तो अपने लंड पर थोड़ी बैठने देता..
रूपा हँसते हुए - कितने बेशर्म हो तुम.. अब तो मुझे शर्म आने लगी है..
गौतम - शरमाते हुये बिलकुल हीरोइन लगती हो तुम..

रूपा और गौतम के बीच ये सब हो रहा था वही दूसरे कमरे में काजल आदिल के लंड पर उछल रही थी दोनों के बीच ये दूसरा राउंड था और दोनों मस्ती से चुदाई कर रहे थे.. काजल हरयाना की हट्टी कट्टी जाटणी थी जो अपनी झांटे कटवाकर इस कोठे पर रंडी बन चुकी थी..
37 साल की काजल 21 साल के आदिल के लंड पर ऐसे उछल रही थी जैसे बच्चे रस्सी कूदते समय उछलते है..
देखने से लगता था की काजल को भी आदिल के साथ मज़ा आ रहा था आदिल के 6 इंच का लंड काजल की चुत में ऐसे आ जा रहा था जैसे उन दोनों की बहुत पुरानी जान पहचान हो..
आदिल ने काजल को ऊपर से नीचे ले लिया और उस हरयाणवी जाटनी के झटके मारते हुए उससे बात करनी शुरू कर दी..
आदिल - कहा से हो भाभी ज़ी?
काजल - हरयाणा से.
आदिल - हरयाना में कहा से?
काजल - रोहतक से
आदिल - यहां कब से?
काजल - 1 महीना हो गया
आदिल - भाभी ज़ी नीचे का मामला काफी टाइट है आपका नई नई भर्ती हुई हो क्या कोठे पर?
काजल - मज़बूरी ले आई भईया, वरना मर्ज़ी थोड़ी रांड बनती.
आदिल - पति शराब पिता है?
काजल - शराबी होता तो चल जाता जुआरी भी था हरामी ने रोड पर लाकर छोड़ दिया..
आदिल - बहुत दर्द भरी कहानी है भाभी ज़ी आपकी, सुनकर बहुत दुख हुआ.
काजल - तुम्हरा क्या कसूर इसमें? जब किस्मत में ही रांड बनना लिखा था..
आदिल - भाभी ज़ी एक बात पुछु?
काजल - हां..
आदिल - इतनी टाइट है आपकी बच्चा तो नहीं हुआ होगा अभी तक?
काजल - एक लड़का है.. मगर वो भी बाप की तरह नसेड़ी निकला..
आदिल - अच्छा.. कितना बड़ा है?
काजल - है 19 साल का..
आदिल - क्या? और आपकी उम्र कितनी है?
काजल - इस साल के आखिर में 38 की हो जाउंगी..
आदिल - लड़का कहा रोहतक में ही है?
काजल - हां..
आदिल - अच्छा मेरे साथ मज़ा आ रहा है?
काजल - हम्म..
आदिल - चलो भाभी अब देवर को घोड़ी बनकर दिखाओ..
काजल - लो देवर ज़ी..
आदिल - कसम से भाभी ज़ी.. आप जैसे देसी झोंटो को पेलने में जो मज़ा आता है ना वो नई लड़कियों को पेलने में भी नहीं है..
आदिल काजल को घोड़ी बनाके चोदने लगता है और उसकी आवाजे कमरे में गुजने लगती है.. काजल भी अपनी चुदाई का मज़ा ले रही थी.. ढीली बेजान लुल्लीयो के बाद आज उसे एक मस्त मजबूत जवान लंड मिला था और काजल उसका भरपूर मज़ा लेने में लगी हुई थी शर्म और लिहाज़ का पर्दा उसने यहां पहले ही उतारकर रख दिया और 21 साल के आदिल के साथ सम्भोग का मज़ा ले और दे रही थी..
रात के तीन बजे तक रूपा और गौतम के साथ साथ आदिल और काजल ने चुदाई को दो दो राउंड ख़त्म कर लिए थे अब गौतम रूपा को बाहों में भरके चोद रहा था वही आदिल अभी भी काजल को अपना लंड चुसवाये जा रहा था जो धीरे धीरे वापस खड़ा हो रहा था..
काजल फिर भी पूरी शिद्दत से आदिल का पूरा लंड मुंह में लेकर चूसे जा रही थी..
आदिल - भाभी ज़ी मन तो नहीं कर रहा आपको अपना लोडा चुसवाने का मगर क्या करू? बिना लंड मुंह में गए खड़ा भी नहीं होता..
तीसरा राउंड भी जल्दी ही ख़त्म हो गया और फिर रूपा गौतम को अपनी बाहों में गिरफत करके. गहरी नींद में सो गई और आदिल भी काजल के साथ आराम करने लगा..

गौतम - क्या देख रही हो?
रूपा - देख रही हूँ की कैसे एक 20 साल का बच्चा मेरी जैसी 20-25 चुदी हुई 40 साल की रांड को एक रात में अपने लंड के दीवाना बनाके जा रहा है..
गौतम - मैं बच्चा नहीं बाप हूँ बाप समझी?
रूपा खड़े होकर गौतम को गले लगा लेती है और उसके होंठों को खा जने की नियत से अपने होंठो में भर लेती है मगर गौतम उसके चुम्बन का जवाब उसके खुले हुए चुचे पर खड़े निप्पल्स को मसलकर देता है..
रूपा - वापस कब आओगे?
गौतम - पता नहीं..
रूपा - क्यू? मैं पसंद नहीं आई मेरे नन्हे मेहमान को?
गौतम - पसंद तो बहुत हो पर मेरे पास पैसे नहीं है ना.. मुझे तो रात को मेरा दोस्त लेके आया था यहां..
रूपा - अच्छा ज़ी तो ये बात है.. रूपा कहते हुए अपने गले में से सोने की चैन निकालकर गौतम को के गले में पहना देती है और पर्स में से कुछ पैसे निकालकर उसकी जेब में रख देती है.. और आगे कहती है.. और तो कोई बात नहीं है ना..
गौतम - पर मैं तुमसे ये सब नहीं ले सकता..
रूपा - चुप करो.. रातभर जो तुमने मुझसे प्यार किया है उसका इनाम है ये.. अब बताओ अगली दफा कब आओगे?
गौतम - इस हफ्ते मुमकिन नहीं है अगले हफ्ते ट्राय करुंगा आने की..
रूपा - तब तक क्या मैं इंतज़ार करती रहूंगी मेरे नन्हे मेहमान का?
गौतम - तो तुम आ जाना.. सिटी में काफी जगह है मेरे पास मिलने की..
रूपा - तो कल मैं तुम्हे सिटी आकर फ़ोन करुँगी..
गौतम - ठीक है..अब मैं चलू?..
रूपा - जाने देने का मन तो नहीं है.. पर जाओगे तभी तो लौटकर आओगे..
गौतम - बाए... कहते हुए गौतम रूपा के रूम से बाहर आ गया और काजल के रूम की तरफ चला गया जहा आदिल गहरी नींद में सो रहा था..
गौतम - ये कब से सो रहा है?
काजल - दो घंटे हो गए.. काजल ने बालों में कंघी करते हुए कहा.. उसे देखकर लग रहा था वो अभी नहाकर आई है..
गौतम - अबे ओ कबाड़ी की औलाद.. उठ साले..
आदिल - कौन है बे..
गौतम - तेरा असली बाप.. चल यहां से..
काजल - सो लेने दो सुबह आठ बजे तक कोई कुछ नहीं बोलेगा..
आदिल वापस मुंह तकिये में घुसाके सो गया और गौतम आदिल को एक नज़र देखकर काजल को देखने लगा.. अभी सुबह के साढ़े छः बजे थे..
काजल - क्या हुआ? ऐसे क्या देख रहे हो? वैसे तुम दोनों स्कूल में हो या कॉलेज में? इतनी सी उम्र में यहा आने में डर नहीं लगता?
गौतम ऊपर से नीचे तक काजल के बदन को घूरता है और उसकी छाती से लेकर गांड का मुआईना करने के बाद उसका हाथ पकड़कर बाथरूम में ले जाता है और आधे घंटे बाद निकलता है पीछे काजल लगड़ती हुई दिवार के सहारे बाहर आती है..
काजल - बेटा थोड़ा प्यार से नहीं कर सकता था फाड़ के रख दी मेरी चुत तूने.. गधे का लंड लेके घूम रहा है..
गौतम - ज्यादा मत बोल वरना वापस घोड़ी बना लूंगा.
काजल - बना ले लल्ला.. मैं कोनसी घिसके आधी हो जाउंगी..
गौतम - अबे दल्ले उठ ना..
आदिल - क्या हुआ?
गौतम - तेरे अब्बू का फ़ोन आया था रात को तेरी अम्मी चुद गई कबाड़ी की दूकान में गांडु.. चल यहां से अब.

गौतम आदिल को लेकर कोठे से बाहर आ जाता है और घर चल देता है.. आदिल को घर छोड़कर गौतम अपने घर के लिए निकल जाता है..
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पहाड़ी पर बने उस मन्दिरनुमा हाल के भीतर लोगों की समस्याओ को सुनकर उसका निवारण करने के उपाय बटाने वाले बाबाजी एक कोने में चटाई बिछकार अपनी पत्नी कजरी के साथ भोग में लिप्त थे की तभी एक सेवक ने आकर दरवाजे पर दस्तक दी जिससे बाबाजी के भोग में विघ्न पड़ गया औऱ वो भोग से उठकर बैठ गए औऱ कजरी भी अपने नंगे बदन को चादर से ढककर बैठ गई. बाबाजी ने बाहर जाकर उस सेवक से इस विघ्न की वजह पूछने लगे..
बाबाजी - क्या हुआ किशोर? इस तरह आधी रात को यहां आने का क्या कारण है?
किशोर अपने घुटनो पर बैठ गया औऱ दंडवत प्रणाम कर बोला - बाबाजी बात ही कुछ ऐसी है कि मुझे जंगल छोड़कर यहां इस वक़्त आपके पास आना ही पड़ा..
बाबाजी - ऐसा क्या हो गया किशोर कि सुबह तक का इंतजार करना भी तेरे लिए मुश्किल हो गया?
किशोर - माफ़ी चाहता हूँ बाबाजी पर बड़े बाबाजी ने अविलम्ब आपको उनके समक्ष उपस्थित होने का आदेश दिया है..
बाबाजी हैरानी से किशोर को देखते है एक शॉल को कंधे पर लपेटकर - अचानक उनका मुझे बुलाना.. जरूर कोई बात है.. चल किशोर..
बाबाजी किशोर के साथ हॉल से निकल जाते है औऱ कच्चे रास्ते से होते हुए पहाड़ी के पीछे जंगल की ओर नीचे उतरने लगते है.. वही कजरी अपने वस्त्रो को वापस बहन लेती है और असमंजस में अचानक बाबाजी के जाने का कारण सोचने लगती है..
बाबाजी - कुछ ओर भी कहाँ था उन्होंने?
किशोर - नहीं बस साधना से निकले तो तुरंत आपको बुलाने का हुक्म दे दिया..
बाबाजी - किसी सेवक से कोई चूक तो नहीं हुई उनकी सेवा में?
किशोर - चूक कैसी बाबाजी? सब जानते है चूक का परिणाम क्या हो सकता है. हर दिन जैसा ही सब कुछ आज भी हुआ, पर साधना से उठते ही उनके चेहरे पर अजीब भाव थे.
बाबाजी - अच्छा चल..

बाबाजी ओर किशोर पहाड़ी से नीचे उतरकर जंगल में आ गए जहाँ आने से कोई भी डर सकता था.. और किसी का आना वहा सामान्य भी नहीं था. जंगल के अंदर कुछ दूर जाकर एक कुटिया दिखाई पड़ी जिसके बाहर दो लोग पहरा दे रहे थे. बाबाजी किशोर के साथ उस कुटिया तक आ पहुचे फिर बाबाजी ने किशोर को रुकने का कहा और कुटिया के अंदर जाने के लिए दरवाजे पर दस्तक देते हुए बोले - गुरुदेव..
बड़े बाबाज़ी - अंदर आजा विरम..

बाबाजी कुटिया में प्रवेश करते हुए कुटिया में एक तरफ बैठकर चिल्लम पीते बड़े बाबाज़ी के चरणों में अपना मस्तक रखकर सामने अपने दोनों पैरों पर उसी तरह बैठ गए जिस तरह सुबह सुबह खेतो में गाँव के लोग अपना मल त्यागने के लिए पानी का लोटा लेकर बैठते है..

बाबाजी - आधी रात को अचानक बुलावाया है गुरुदेव. जरूर कोई बहुत बड़ा कारण होगा. आदेश करें गुरुदेव आपका ये शिष्य आपकी किस तरह सेवा कर सकता है?
बड़े बाबाजी - विरम.. वक़्त आने वाला है.. सेकड़ों सालों पहले मेरे किये गलत निर्णय को बदलने का.. मुझे कोई मिल गया है जो मेरा काम कर सकता है..
बाबाजी - ऐसा कौन है गुरुदेव? मैंने इतने सालों में लाखों लोगों के माथे की लकीरें पढ़ी है.. इसी उम्मीद में की काश कोई आये जो अपने पिछले जन्म में जाकर आपकी मदद कर सके.. पर आज तक ऐसा नहीं हुआ..
बड़े बाबाज़ी - जो मुझे 300 सालों से कहीं नहीं मिला वो मुझे इसी कुटिया मैं बैठे बैठे मिल गया विरम.. बस कुछ दिनों का इंतज़ार और..
बाबाजी - पर क्या वो आपका काम कर पायेगा?
बड़े बाबाजी - अगर कारण हो तो आदमी सब कुछ कर गुजरता है विरम.. बस उसे एक वजह देनी होगी, मैं जल्दी ही उसे सब समझाकर इस काम के लिए सज्य कर लूंगा.. उसके मासूम चेहरे और सादगी भरे स्वाभाव से लगता है वो जरूर आसानी से अपने पिछले जन्म में जाकर मेरी गलती को सुधार सकता है. मेरे लिए बैरागी को ढूंढ़ सकता है. और मेरे हाथों उसका क़त्ल होने से बचा सकता है.
बाबाजी - इस अंधियारे में जो रौशनी आपने दिखाई है गुरुदेव, उससे नई उम्मीद मेरे ह्रदय के अंदर पनपने लगी है.. जिस जड़ीबूटी को अमर होने की लालच में अमृत मानकर आपने ग्रहण किया था अब उसी जड़ीबूटी से आपकी मुक्ति भी होगी..
बड़े बाबाजी - लालच नर्क की यातनाओ के सामान है विराम.. मेरे अमर होने के लालच ने मुझको उसकी सजा दी है.. मैं भूल बैठा था की जीवन और मृत्यु प्रकृति का अद्भुत श्रृंगार है जिसे रोकने पर प्रकृति की मर्यादा भंग होती है..
बाबाजी - आप सही कह रहे है गुरुदेव. जिस तरह पहले आप पर अमर होने का लालच हावी थी अब मृत्यु का लालच हावी है.. लेकिन गुरुदेव? जिसे आपने ढूंढा है वो अपने पिछले जन्म कौन था? उसका कुल गौत्र और लिंग क्या था? वो आपके जागीर की सीमा के भीतर का निवासी था या बाहर का? अपने उसका पिछला जन्म तो देखा होगा?
बड़े बाबाजी - वो मेरी ही जागीर की सीमा के भीतर का निवासी है विरम. मैंने अभी उसका पिछला जन्म देखा है. वो हमारी ही सेना में एक सैनिक धुप सिंह का पुत्र समर है.. मगर एक अड़चन है विरम..
बाबाजी - क्या गुरुदेव? कैसी अड़चन?
बड़े बाबाजी - प्रेम की अड़चन विरम.. मुझे साफ साफ दिखाई दिया है की उसे किसी से प्रेम हो सकता है जो हमारे कार्य के लिए अड़चन बन सकती है.. वो वही का होकर रह सकता है.. और बैरागी को ढूंढने से मना करके जड़ीबूटी लेकर वापस आने से भी इंकार कर सकता है..
बाबाजी - इसका उपाय भी तो हो सकता है गुरुदेव, अगर उसके पास वापस आने की बहुत ठोस वजह हो तो? अगर उसे वापस आना ही पड़े तो?
बड़े बाबाजी - इसीके वास्ते तुझे याद किया है विरम..
बाबाजी - मैं समझा नहीं गुरुदेव..
बड़े बाबाजी - बड़े दुख की बात है विरम की जो तुझे खुद से समझ जाना चाहिए वो तू मुझसे सुनना चाहता है.. मैंने पिछले 40 साल में तुझे इस प्रकर्ति के बहुत से रहस्य बताये है जिनसे तूने हज़ारो लोगों की मदद की. लेकिन तू अपनी मदद नहीं कर पाया. जब तू 16 साल की उम्र में घर से मरने की सोचके निकला था तब से लेकर आज तक मैंने हर बार तेरा मार्गदर्शन किया है. एकलौता तू ही है जिसे मैंने अपना रहस्य भी बताया है. पूरी दुनिया के सामने अपना छोटा भाई बनाकर रखा है.. मैंने अपनी पिछले 350 की जिंदगी में जितने भी रहस्य इस धरती और प्रकर्ति के बारे में जाने है उनमे से जो तेरे जानने लायक थे लगभग सही तुझे बता दिए है.. उनसे तो तुझे मालूम होना चाहिए था की मैं क्या कहा रहा हूँ..
बाबाजी - गुरुदेव. ये सत्य है की आज से 40 साल पहले जब मुझे मेरे घर से निकाल दिया गया था तब से लेकर आज तक आपने मुझे संभाला है. रास्ता दिखाया है. इस बार भी इस नादान को बताये गुरुदेव. मैं क्या कर सकता हूँ आपके लिए?
बड़े बाबाजी - विरम मैं जिस लड़के की बात कर रहा हूँ उसकी माँ तेरे मठ में आती है. तुझे उसे एक काम के लिए मनाना होगा.. क्युकी उसके बिना उस लड़के का वापस आना मुश्किल है..
बाबाजी - आप बताइये गुरुदेव, क्या करने के लिए मनाना होगा मुझे उस औरत को?
बड़े बाबाजी - ठीक है विरम, सुन..
बड़े बाबाज़ी अपनी बात कहना शुरुआत करते है जिसे बाबाजी उर्फ़ विरम ध्यान से सुनता है और समझ जाता है.. उसके बाद बड़े बाबाजी से विदा लेकर वापस मठ की और चला जाता है..

बड़े बाबाज़ी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह 325 साल पहले अजमेर की एक जागीर के जागीरदार थे और उनका अपना एक महल था सैकड़ो नौकरचाकर और इसीके साथ राजासाब की सेना की एक टुकड़ी भी हर दम बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह के महल की सुरक्षा में तनात रहती थी. 1699 में वीरेंद्र सिंह इस महल में एक राजा की तरह ही राज कर रहा था. वीरेंद्र सिंह का रुझान हकीमी और जादू टोने में बहुत ही ज्यादा था.. उसने सबसे छुपकर कई लोगों से इसका ज्ञान भी लेना शुरू कर दिया था और वैध की औषधियों के बारे में भी जानना जारी रखा..

बैरागी नाम के एक मुसाफिर आदमी की मदद से वीरेंद्र ने एक ऐसे पौधे को जमीन से उगवाया जो हज़ार साल में एक बार ही उग सकता है, जिससे आदमी अपनी उम्र के 11 गुना लम्बे समय तक ज़िंदा रह सकता है.. और अमर होने की लालच में आकर वीरेंद्र सिंह ने उस पौधे से मिली जड़ीबूटी का सेवन कर लिया..

बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह ने जड़ीबूटी का सेवन तो कर लिया मगर उसकी उम्र बढ़ना नहीं रुकी. जब उसने जड़ीबूटी खाई थी तब उसकी उम्र 35 साल थी और उसे लगा था की अब वो अमर हो जाएगा मगर.. धीरे धीरे उसकी उम्र बढ़ती गई जिससे वीरेंद्र सिंह को लगा की इस जड़ीबूटी का कोई असर नहीं हुआ और ये उसे अमर नहीं कर पाई.. वीरेंद्र सिंह ने गुस्से में आकर जड़ीबूटी बनाने वाले आदमी जिसे सब बैरागी के नाम से जानते थे को मरवा दिया.

लेकिन जब धीरे धीरे बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह 73 साल का हुआ तो उसकी उम्र बढ़ना रुक गई और फिर उसे समझ आया की उस जड़ीबूटी का असर आदमी के मरने की उम्र गुजरने के बाद शुरू होता है और जितने साल उसकी जिंदगी होती है उसके गयराह गुना साल आगे वो और ज़िंदा रह सकता है.. वीरेंद्र पहले तो ये सोचके बहुत ख़ुशी हुई की अब वो अपनी उम्र 73 साल के 11 गुना मतलब लगभग 800 साल ज़िंदा रहेगा मगर कुछ दिनों बाद ही उसे समझ आ गया की बैरागी को मारवा कर उसने बहुत गलत किया है.. 73 साल इस उम्र में उसका 800 साल ज़िंदा रहना वरदान नहीं अभिश्राप था.. ना तो भोग कर सकता था ना ही जीवन के वो सुख भोग सकता था जो जवानी आदमी को भोगने का अवसर देती है..

बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह अब अपने फैसले पर बहुत दुखी हुआ और फिर उसने अपने जीवन का उद्देश्य बना लिया की उसे वही जड़ी बूटी वापस बनाकर अपनी ये जिंदगी समाप्त करनी है.. इसके लिए सालों साल वीरेंद्र सिंह उर्फ़ बड़े बाबाजी ने बड़े बड़े सिद्ध महात्मा, अघोरी और तांत्रिक की सेवा कर उनसे ज्ञान और रहस्य की जानकारी ली और हमारी धरती के बारे में बहुत सी बातें जानी. यहां जो आयाम है उसके बारे में जाना और बहुत बार भेस बदलकर लोगों से मिलते हुए वीरेंद्र सिंह ने इतनी जानकारी और ताकत हासिल कर ली और इस प्रकृति के कुछ रहस्य जान गया. वह अब ये जान गया था कि अगर कोई आदमी जिसका पिछला जन्म उसी वक़्त हो जब वीरेंद्र वो जड़ी बूटी बनवाने वाला था.. तभी उसका काम हो सकता है.. और वो इस अभिश्राप से बच सकता है..

वीरेंद्र सिंह उर्फ़ बड़े बाबाज़ी ने गौतम को ढूंढ़ लिया था गौतम पिछले जन्म में वीरेंद्र सिंह के सिपाही का लड़का था.. अब वीरेंद्र सिंह उर्फ़ बड़े बाबाजी यह चाहते थे कि गौतम अपने पिछले जन्म में जाकर बैरागी को ढूंढे और उससे वो जड़ीबूटी बनवा कर उसे वर्तमान में लाकर दे दे.. ताकि 350 सालों से इस उम्र में अटके बड़े बाबाजी के प्राण बह जाए और उनकी मुक्ति हो..

********************





सुबह जब गौतम की आँख खुली तो सामने का नज़ारा देखकर उसका लंड रबर के ढीले पाईप से लोहे की टाइट रोड जैसा तन गया जिसे उसने सोने का नाटक करते हुए छीपा लिया..
आज गौतम की आँख औऱ दिनों के बनिस्पत जल्दी खुल गई थी औऱ उसने अभी अभी नहाकर आई अपनी माँ सुमन की टाइट बाहर निकली हुई नंगी गोरी गांड देखी जिसे सुमन ने चड्डी पहनकर अब ढक लिया था औऱ बाकी कपडे पहनने लगी थी.. गौतम सोने का नाटक करते हुए सारा नज़ारा देखने लगा जब सुमन कपडे पहन कर बाहर चली गई तो आपने लंड को मसलते हुए सुमन की गांड याद करने लगा.. करीब आधे घंटे वैसा ही करने के बाद गौतम उठ गया औऱ कमरे में जाकर बाथरूम करके वापस आपने बेड पर सो गया जिसे एक घंटे बाद चाय लेकर आई सुमन ने बड़े लाड प्यार औऱ नाजुकी से उठा दिया..

सुमन - उठ जा मेरी सल्तनत के बिगड़ैल शहजादे.. बाबाजी के भी चलना है.. चाय पीले औऱ नहा ले जाकर..
गौतम अंगड़ाई लेकर उठ खड़ा होता है औऱ चाय पीकर उसी तरह खिड़की से बाहर देखता है.. तभी उसका फोन बजने लगता है..
गौतम - हेलो.. ज़ी? MK ज्वेलर्स से? हां बोल रहा हूँ.. अच्छा अच्छा.. ज़ी रात को बात हुई थी.. मगर.. नहीं वापस बात कर सकते है उस बारे में.. सुनिए.. हेलो..
फ़ोन कट गया था..
गौतम मन में - अरे यार किस्मत में लोडे लिखें है. एक ऑफर आया था वो भी गया नाली में..
गौतम जैसे ही फ़ोन काटता है उसके फ़ोन पर किसी औऱ का फ़ोन आने लगता है..

गौतम - हेलो..
सामने से कोई औरत थी - हेलो ग़ुगु..?
गौतम - हाँ.. पिंकी बुआ बोलो..
पिंकी -35
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पिंकी - ग़ुगु.. पापा कहाँ है?
गौतम - वो तो अभी थाने में है.. आजकल नाईट शिफ्ट है औऱ पोस्टिंग घर से थोडी दूर ग्रामीण इलाके में है तो घर देर से आते है.. 10 बजे तक आ जायेंगे..
पिंकी - ग़ुगु.. भईया से कहना मैं शाम को घर रही हूँ..
गौतम - क्यू मतलब कब? आज शाम की ट्रैन से?
पिंकी - ट्रैन से नहीं मेरे ग़ुगु.. गाडी से.. पर तू खुश नहीं है क्या मेरे आने से? लगता बहुत उल्टी सीधी पट्टी पढ़ा दी तेरी माँ ने तुझे अपनी बुआ के बारे में..
गौतम - अरे बुआ आप क्या बच्चों वाली बात कर रही हो.. मुझसे ज्यादा कोई खुश हो सकता है आपके आने पर? जल्दी से आ जाओ, आपसे ढेर सारी बात करनी है..
पिंकी - ओहो मेरा ग़ुगु इतना याद करता है अपनी बुआ को? पहले पता होता तो पहले आ जाती.. बता तुझे क्या चाहिए? क्या लाऊँ तेरे लिए?
गौतम - मुझे कुछ नहीं चाहिए बुआ? आप जल्दी से आकर मुझे मेरे गाल पर मेरी किस्सीया देदो उतना काफी है मेरे लिए..
पिंकी - ओह... मेरे ग़ुगु को हग भी मिलेगा औऱ किस्सी मिलेगी.. गाल पर भी औऱ लिप्स पर भी. तेरी बुआ कोई पुराने जमाने की थोड़ी है..
गौतम - बुआ माँ से बात करोगी?
पिंकी - अरे नहीं.. रहने दे ग़ुगु.. तेरी माँ पहले ही मुझसे चिढ़ती है.. तेरी माँ को तो मैं खुद आकर सरप्राइज दूंगी..
गौतम - सरप्राइज ही देना बुआ.. अटैक मत दे देना.. चलो मैं रखता हूँ,
पिंकी - ग़ुगु.. तू बस एड्रेस massage कर दे मुझे.. सरप्राइज तो देना है तेरी माँ को..
गौतम - ठीक है बुआ.. अभी करता हूँ..
पिंकी - ग़ुगु.. मन कर रहा है अभी फ़ोन में घुसके तुझे किस्सी कर लू..
गौतम - मैं वेट कर लूंगा शाम तक आपकी किस्सी का.. आप आराम से आ जाओ.. बाय बुआ..
पिंकी - बाये ग़ुगु.. अपना ख्याल रखना..

गौतम फ़ोन काटकर नहाने चला जाता है औऱ नहाकर एक डार्क नवी ब्लू शर्ट एंड लाइट ब्लू जीन्स के साथ वाइट शूज दाल लेटा है जिसमे आज बहुत प्यारा औऱ खूबसूरत लग रहा था.. उसे देखकर कोई भी कह सकता था की ग़ुगु आज भी स्कूल ही जाता होगा.. गौतम इतना मासूम औऱ मनभावन लग रहा था की सुमन ने आज घर से बाहर निकलने से पहले उसे कान के पीछे काला टिका लगा दिया था.. दोनों बाइक पर बैठके बाबाजी के पास चल पड़े थे..

सुमन - आज पेट्रोल नहीं भरवाना?
गौतम - नहीं माँ, है बाइक में तेल..
सुमन - अच्छा ज़ी.. औऱ कुछ खाना नहीं है रास्ते में?
गौतम - भूख नहीं है आपको खाना है?
सुमन - अगर मेरा ग़ुगु खायेगा तो मैं भी खा लुंगी..
गौतम थोड़ा आगे उसी कोटा कचोरी वाले की दूकान ओर बाइक रोक देता है औऱ जाकर कचोरी लेने लगता है तभी उसका फ़ोन बजता है..
गौतम - हेलो..
रूपा - मेरा बच्चा कहा है?
गौतम - अरे यार वो बाबाजी नहीं है *** पहाड़ी वाले? उनके पास जा रहा हूँ माँ को लेकर..
रूपा - अच्छा ज़ी माँ को लेकर जा रहे हो औऱ अपनी इस मम्मी से पूछा तक नहीं चलने के लिए?
गौतम - मैं नहीं मानता किसी बाबा-वाबा को.. माँ मुझे लेकर जा रही है.. वैसे सुबह सुबह कैसे याद कर लिया?
रूपा - अरे ये क्या बात हुई भला? अब मैं अपने बच्चे को याद भी नहीं कर सकती?
गौतम - मम्मी यार रास्ते में हूँ पहुँचके फ़ोन करता हूँ..
रूपा - अरे सुनो तो..
गौतम - जल्दी बोलो..
रूपा - कुछ नहीं रहने दो जाओ..
गौतम - ठीक है बाद में बात करता हूँ..
गौतम फ़ोन काट कर कचोरी ले आता है..
गौतम - माँ लो..
सुमन गौतम से कचोरी लेकर खाने लगती है औऱ कहती है..
सुमन - क्या बात है? कल रात को खाने का बिल औऱ आज गाडी में तेल फुल? कचोरी के पैसे भी नहीं मांगे तुने मुझसे? कोई लाटरी लगी है तेरी?
गौतम - कुछ नहीं माँ वो पुरानी कुछ सेविंग्स थी मेरे पास तो बस..
सुमन - अच्छा ज़ी? पर सेविंग तो आगे के काम के लिए बचा के रखते है ना? तू खर्चा क्यू कर रहा है?
गौतम - अब नहीं करुंगा माँ.. कितने सवाल पूछती हो आप इतनी छोटी बात के लिए?
सुमन - छोटी सी बात? तेरे छोटी बात होगी मेरे लिए नहीं है.. मुझे मेरा वही ग़ुगु चाहिए.. जो पेट्रोल से लेकर कचोरी तक चीज पर कमीशन खाता है..
गौतम - अच्छा ठीक है मेरी माँ.. अब चलो वैसे भी आज ज्यादा भीड़ मिलेगी आपके बाबाजी के.. अंधभगतो की गिनती बढ़ती जा रही है इस देश में..
सुमन - ठीक है मेरे ग़ुगु महाराज.. चलिए..

गौतम सुमन को बाइक पर बैठाकर बाबाजी की तरफ चल पड़ता है वही रूपा के मन में भी गौतम को देखने की तलब मचने लगती है और वो करीम को फ़ोन करती है..
रूपा - हेलो करीम..
करीम - सलाम बाजी..
रूपा - कहा है तू?
करीम - बाजी, सवारी लेने निकला हूँ स्टेशन छोडके आना है..
रूपा - आज तेरी बुक मेरे साथ है.. सबकुछ छोड़ औऱ कोठे पर आ जल्दी.. कहीं जाना है..
करीम - जैसा आप कहो बाजी.. अभी 5 मिनट में हाज़िर होता हूँ..

रूपा करीम से बात करके आईने के सामने खड़ी होकर आपने आपको निहारने लगती है.. सर से पैर तक बदन पर लदे कीमती कपडे औऱ जेबरात उसे ना जाने क्यू बोझ लगने लगे थे. आज उसका दिल कुछ साधारण औऱ आम सा पहनने का था. उसने अपने कमरे की दोनों अलमीराओ का दरवाजा खोल दिया औऱ कपडे देखने लगी, कुछ देर तलाशने के बाद उसे एक पुराना सूट जो कई बरस पहले करीम की इंतेक़ाल हो चुकी अम्मी ने उसे तोहफ़े में दिया था रूपा ने निकाल लिया औऱ अपने कीमती लिबास औऱ गहनो को उतारकर वो सूट पहन लिया.. फिर एक साधारण घरेलु महिलाओ की तरह माथे पर बिंदिया आँखों में काजल औऱ होंठों पर हलकी लाली लगाकर बाल बनाना शुरु कर दिया..
इतने में करीम का फ़ोन आ गया औऱ उसने नीचे खड़े होने की बात कही..

रूपा जब अपने कमरे से निकल कर बाहर जाने लगी तो रेखा काकी ने उसके इस रूप को देखकर अचंभित होते हुए कहा..
रेखा काकी - कहो रूपा रानी.. आज विलासयता त्याग कर ये क्या भेस बनाई हो?
रूपा - दीदी वो आज एक साधु बाबा के यहां जा रही हूँ तो सोचा कुछ साधारण पहन लू.
रेखा काकी - साधारण भी तुझपर महंगा लगता है रूपा रानी.. तेरा रूप तो इस लिबास में औऱ भी खिल कर सामने आ गया.. आज भी याद है, पहले पहल जब तू यहां आई थी तब इसी तरह के लिबास में अपने रूप से लोगों का मन मोह लिया करती थी.. मेरी चमक को कैसे तूने अपने इस हुस्न से फीका कर दिया था.
रूपा - आपकी चमक तो आज भी उसी तरह बरकरार है दीदी, जिस तरह जगताल के कोठो की ये बदनाम गालिया.. मैं तो कुछ दिनों की चांदनी थी अमावस आते आते बुझ गई..
रेखा काकी - ऐसा बोलकर मुझे गाली मत दे रूपा... मैं तेरा मर्ज़ तो जानती थी पर कभी तेरे मर्ज़ का मरहम तुझे नहीं दे पाई.. जो सपना तेरा है वो मैं भी कभी अपनी आँखों से देखा करती थी.. पर तवायफ के नसीब में सिर्फ कोठा ही होता है..
रूपा - मेरा सपना तो बहुत पहले टूट चूका है दीदी, कब रूपा रानी से रूपा मौसी बन गई पता ही नहीं चला.. अच्छा चलती हूँ आते आते शायद शाम हो जाएगी.
रूपा रेखा से विदा लेकर कोठे के बाहर करीम की रिक्शा में आ जाती है यहां करीम सादे लिबाज़ में रूपा को देखकर हैरात में पड़ जाता है मगर कुछ नहीं बोलता..

करीम - कहाँ चलना है बाजी?
रूपा - *** पहाड़ी पर कोई बाबा है उसके यहां..
करीम - पर आप तो मेरी तरह ऐसे बाबाओ औऱ खुदा पर यक़ीन ही नहीं करती थी..
रूपा - यक़ीन तो आज भी नहीं करीम.. पर सोचा मांग के देख लू शायद कोई चमत्कार हो जाए..
करीम - जैसा आप बोलो..
रूपा - करीम.
करीम - हाँ बाजी..
रूपा - तुझे बुरा तो नहीं लगा मैंने अचानक तुझे बुला लिया..
करीम - बुरा किस बात का बाजी, ये ऑटोरिक्शा आपने ही तो दिलवाया है अब आपके ही काम नहीं आएगा तो फिर इसका क्या मतलब? वैसे बाजी ये साधारण सा सूट भी आपके ऊपर बहुत खिल रहा है..
रूपा - हम्म.. कुछ साल पहले मुझे तोहफ़े में मिला था.. पाता है किसने दिया था?
करीम - नहीं.
रूपा - तेरी अम्मी ने. आज भी बहुत याद आती है वो.


करीम औऱ रूपा दोनों करीम की अम्मी खालीदा को याद करके भावुक हो चुके थे.. खालीदा भी उसी कोठे पर तवयाफ थी करीम को बहुत दिल से पाला था उसने. खालिदा की मौत के बाद करीम का ख्याल रूपा ने ही रखा था औऱ उसे ये ऑटोरिक्शा दिलाकर चलाने औऱ कोठे पर रंडियो की दलाली से दूर रहने के लिए कहा था.. थोड़ी सी रंजिश में करीम को उसीके दोस्तों ने नामर्द बना दिया था अब करीम अकेला था मगर खुश था.. उसे किसी चीज की जरुरत होती तो रूपा उसे मदद कर देती बदले में रूपा ने करीम की वफादारी खरीद ली थी..
Shaandar jabardast super hot update 🔥 🔥 🔥
Baba aur jadibuti ka Gautam se connection hai ab story ek naya mod legi 😏
Edhar Pinki buaa aag lagayegi 🔥😊😍
 
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rohi_sharma8816

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Hhhhhhhhhhhhhhhhaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaayyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyyygeeeeeeeeeeeeeeeeeeeee kya update tha kasam se sach mein maa ki Yaad aa gyi mujhe to meine Bhi bhut choda tha maa KO or maa ki gand ki seel bhi mere lode se tooti thi Mother day par tab mein 19 Ka tha .
 
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