- चुदक्कड़ चुड़ैल और राजा का बेटा
अपडेट----1
कहते है एक राजा के उपर उसके पुरी प्रजा का भरोसा होता है....लेकीन जब राजा के उपर ही कीसी चुदक्कड़ चुड़ैल का साया हो तो भला वो राज्य की दशा क्या होगी....मेरी पिछली कहानी बेरहम है तेरा बेटा जो हमारे पाटखो को बहुत पसंद आ रही है।
तो मैने सोचा क्यू ना ऐसी कहानी लीखी जाये जो कहानी हमारे पाटखो का दील जीत ले......तोये एक ऐसी कहानी लीखने की कोशीश है मेरी जो जरुर आप सब को पसंद आयेगी.....क्यूंकी ये कहानी बाकी कहानीयो से हट कर है....
तो शुरु करते है चुदक्कड़ चुड़ैल और राजा का बेटा......
कहानी है एक राज नगरी की जीस नगरी का नाम है सनकपुरी..
घने वनो से घीरा सनकपुरी, फुलो और बेल के पेड़ो के बीच सुशोभीत सनकपुरी राज्य की सुदंरता देखने की लालसा पड़ोस के हर राज्य को होती है...और होगी भी क्यूं नही क्यूकी सनक पुरी के राजा सैन्य जो की एक अच्छे राजा के तौर पर माने जाते है शायद इसलीये क्यूकी वो अपने प्रजा के सुख दुख में हमेशा तत्पर रहते है....
सनक पुरी का राजमहर जीसके अंदर ही बहुत सारे फुलो से सुशोभीत पेड़ और झरने से कल कल करती वो नदी जो शायद ही कीसी राज्य में ऐसा भव्य राजमहल देखने को मीले।
राजमहल में राजा सैन्य अपनी 3 खुबसुरत पत्नीयो के साथ राज पाठ करते थे....।
राजा सैन्य की पहली पत्नी रुपलेखा जीनका नाम ही सीर्फ रुपलेखा नही था बल्की वो खुद कीसी रुप की देवी के समान उज्वलता लीये अपने चेहरे पर कीसी चंद्रमा के समान शीतल सा सुदंर चेहरा और होठ ऐसे जैसे कीसी गुलाब की पंखुड़ी जब अपनी बाहें फैलाये अपनी कलीयो को फुल में परीवर्तीत करती है , उसी तरह जब रानी रुपलेखा अपनी मुस्कान चेहरे पर बीखेरती है तो उनके होठ कीसी गुलाब के प्खुड़ी के जैसे ही फुल मे परीवत्तीत होती हो मानो...।
रानी रुपलेखा के अगं वस्त्रो में कसे उनकी पहाड़ की चोटी के समान बड़ी बड़ी चुचीया उनकी सुदंरता में और चार चादं लगाती है, और रानी रुपलेखा की कीसी सुराही के समान गरदन और कीसी पानी के मटके के समान बड़ी और गोल सुंदर गांड जीसकी तुलना मात्र से ही राज्य के सभी दरबारीयो का लंड खड़ा हो जाता था...
राजा सैन्य की दुसरी पत्नी रानी चंद्रलेखा जो खुबसुरती मे रुपलेखा के समान ही वैद्य थी.......और उनकी तीसरी पत्नी रानी शैल्या जो की काफ़ी बुद्धीमान थी।
राजदरबार में राजा सैन्य अपने दरबारीयो के साथ सभा में बैठे थे...राजदरबार मे बेड़ीयो से जकड़ा एक0शख्श को खड़ा कीया था।
राज सैन्य-- सेनापती कहर ....इस इसानं ने ऐसी क्या गलती की है जो आज ये बंदी बनकर हमारे सामने खड़ाहै।
सेनापती कहर-- महाराज ये इसांन नही हैवान है, ईसने अपने ही बेटे को जीदां मार डाला
हां...हां....मैने अपने ही बेटे के मार डाला क्यूकीं मैं नही चाहता था की उसकी मौत और भयानक हो(इतना क्ह वो बंदी जोर जोर से रोने लगा)
राजा-- और भयानक मौत मैं कुछ समझा नही.।
बंदी-- महाराज....राज्य से दुर करीब 5 कोष एख सजनी नाम का घना जंगल है.....जीसमे एक सजनी नाम की चुड़ैल रहती है...जो हर पुर्ड चंद्रमा की रात में जवान मर्दो को उठा के ले जाती है और फीर वो लोग कभी वापस नही आते आज मेरे बेटे का दीन था...इसलीये मैने अपने ही बेटे का...(और फीर वो बंदी रोनेलगता है)
राजा सैन्य ये सुनकर बहुत क्रोधीत हुए...और वो उचेँ स्वर में बोले
सैन्य--सेनापती कहर हमारे राज्य कीप्रजईतनी तकलीफ में है और आप लोघ क्या कर रहे है।
कहर-- माफ़ करना महाराज हमने कोशीश बहुत की लेकीन वो एक जादुइ चुड़ैल है , जीसे मारना हमइसांनो कीबस की बात नही है।
यये सुन राजा सैन्य अत्यधीक क्रोधीत होते हुए उठे और बोले...
सैन्य-- हमारी राज्य की प्रजा तकलीफ में रहे और हम कुछ ना कर पाये तो मै इस राज सींहासन पर बैठने के लायक नही...मैं खुद उस जादुइ चुड़ैल को मारने उस वन में जाउगां
राजा सैन्य की ये प्रतीक्षा सुन तीनो रानीया घबरा गयी...लेकीन उनको ये पता था की राजा सैन्य जो भी प्रतीग्या करते है उसे वो जरुर करते है।
सभा समाप्त हो चुकी थी....सेनापती कहर अपने घर में बैठा शांत था...जीसे देख उसकी मां चंद्रमुखी बोली
चंद्मुखी-- क्या हुआ बेटा...इतना परेशिन क्यूं हो?
सेनापती कहर ने राजदरबार में हुइ घटना के बारे मेँ अपनी मां चंद्रमुखी को बताया जीसे सुनकर चंद्रमुखी भी भयभीत हो गयी...भोजन की थाली सेनापती कहर के सामने करते हुए चंद्रमुखी अपने ब्लाउज का बटन जो की दो खुले हुए थे उसे बंद करने लगी...जहां अनायास ही उसके बेटे कहर की नज़र पड़ी...जीसे देख कर कहर के लंड में मर्दाना तनाव होने लगा।
सेनापती कहर की उम्र अभी मात्र 25 साल की थी, और वही चंद्रमुखी की उम्र करीब 42 की थी..
इस उम्र में गजब का तनाव लीये चंद्रमुखी की चुचींया उसके ब्लाउज में समा नही पा रही थी।
आज से पहले ऐसा कभी नही हुआ था जब कहर ने अपनी मां को बड़े गौर से देखा हो और खास कर उस अंग को जीस अंग को देखने का हक एक बेटे को शायद नही है।
कहर लगातार अपनि मां चंद्मुखी की चुचीयों को नीहारे जा रहा था...और उसके लंड का तनाव भी होते जा रहा था ....कहर के अंदर एक तुफान सा उठने लगा उसके पजामे में उसका लंड एकदम पुरे तनाव पर था...
कहर खाना खाते हुए भी अपनी मां चंद्रमुखी की चुचींयो को बड़े गौर से देखे जा रहा था...और उसकी मां पंखे डुलारही थी।
कहर ने मन में सोचा की घर में ही मस्तानी पड़ी है और एक मैं हू जो बाहर मुह मारता रहता हूं, अगर मेरी मां की चुचीया मात्र देखने से मेरे लंड में ये तनाव है तो जब मै अपना मुसल लंड इसके बुर में डालुगा तो कीतना आनंद आयेगा।
वाह....रे कहर अपने लंड से अपनी मां की बुर में घर्षण पैदा करना की पुरे कमरे में सीर्फ तेरी मां की चीखे गुंजे...और तब भी तू अपनी मां की बुर को कीसी कुत्ते के भाती चोदता रहना...वाह आनंद ही आनंद,
ये सोचते सोचते कहर का भोजन समाप्त हो चुका था....लेकीनवो अभी भी उसी मुद्रा में बैठा अपनी मां चंद्रमुखी की चुचीयो को देखे जा रहा था....॥
चंद्रमुखी-- बेटा खाना खत्म हो चुका है.।
लेकीन कहर को तनीक भी सुनाइ नही दीया , वो तो अपनी मा के दुध से भरे उस कटोरे को निहारे जा रहा था.....चंद्रमुखी अब तक क इ बार आवाज दे चुकी थी लेकीन जब उसे अपने बेटे के तरफ से कोइ प्रतीक्रीया नही मीला तो उसका ध्यान सीधा अपने बेटे के ध्यान से जुड़ा तो चंद्रमुखी ने पाया की उसके बेटे का ध्यान उसखी ब्लाउज में कसी चुचीयों पर है।
चंद्रमुखी तुरतं वहां से उठ भोजन की थाली ले कर रसोइ घर में चली जाती है...जाते हुए उसकी मस्तानी गांड कभी इधर झुलती तो कभी उधर।
ये देख कहर के मुह से उफ़...की एक मादक आवाज़ नीकली जो चंद्रमुखी के कानो तक पहुचीं॥
तो उसने पीछे मुड़ कर देखा तो पाया कहर उसकी बड़ी पड़ी गांड को देख रहा था....उसखे बाद चंद्रमुखी रसोइ घर में चली जाती है।