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Adultery चूत

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ये कहानी पूरी तरह से काल्पनिक है.. इस कहानी के सभी पात्र काल्पनिक है तथा इसकी समानता किसी के साथ होती है तो इसे मात्र एक संयोग कहा जायेगा...

ये कहानी है एक शादीसुदा औरत की जो दिन व दिन कामुकता की सीढ़ी चढ़ती जाती है... ये कहानी है कविता शर्मा की...

कविता शर्मा
उम्र- 44
फिगर- 36 28 38
रंग- गोरा
हाइट- 5 फिट 7 इंच

कविता 2 बच्चे की माँ थी... दोंनो के दोनों बेटे थे... उनका पढाई लिखाई उसी सहर में हो रहा था...

कविता के पति का नाम विजय शर्मा है जो कि एक छोटे से कंपनी में job करता है... जिस से घर का गुजारा होता है...

विजय शर्मा
उम्र- 45

कविता और विजय की लव मेर्रिज cum Arrange मेर्रिज हुआ था.... कॉलेज के दिनों से दोनों एक दूसरे को प्यार करते थे, फिर शादी कर ली... एक ही जाती के होने के से दोनों की शादी में कोई रुकावट नहीं आयी...

विजय शर्मा पास के गाँव मदनपुर से ताल्लुक रखता था... वो उस गांव के अमीर परिवार से था लेकिन अपने पिताजी से थोड़े से कहासुनी हो कर वो पास वाले सहर चला आया और काम करने लगा....

विजय शर्मा के पिताजी का नाम रघुवीर शर्मा था, जो कि मदनपुर गाँव के सबसे अमीर और इज्जतदार आदमी थे....

रघुवीर शर्मा
उम्र- 70

ऊंचे लम्बे कद के आदमी, बड़ी बड़ी मूंछे, सर पर पगड़ी, ये सब रघुवीर शर्मा के व्यक्तित्व को और भी मजबूत बनाता था....

रघुवीर के दो बेटे थे, बड़ा बेटा विजय शर्मा और छोटा बेटा राजेश शर्मा..

राजेश शर्मा
उम्र- 38

राजेश की भी शादी हो चुका था.. उसका बीवी का नाम थी मानसी शर्मा...

मानसी शर्मा
उम्र- 30
फिगर- 34 27 34

मानसी और राजेश के एक बेटा था जो कि छोटा था...

राजेश घर का खेती सम्भालता था क्योंकि जमीन जायदाद बहुत था रघुवीर के पास....

रघुवीर और विजय के बीच झगड़ा होने के बाद विजय अपने बीवी कविता को लेकर सहर चला गया था....

लेकिन भले ही विजय अपने पिता रघुवीर से झगड़ा किया हो पर रघुवीर और उसके परिवार कविता से फोन पर बात किया करते थे, लेकिन विजय से नहीं करते थे...

विजय सुबह के 9 बजे ही आफिस के लिए निकल जाता था.. फिर कविता अपने दोनों बच्चों को तैयार करके स्कूटी से स्कूल छोड़ के आ जाती थी.....

कविता दिखने में जैसी आकर्षक और खूबसूरत थी, अंदर से उतनी ही मादक थी.. कविता बहुत ही संस्कारी औरत थी...वो जब भी साड़ी और ब्लाउज में बाहर जाती थी, सारे मर्दो के नजर उसकी मादक भरी जवानी पर टिक जाता था... कोई मर्द दांत दबाता था तो कोई मर्द अपने हाथ को लन्ड तक ले जाने को नहीं रोक पाता था...

कविता 44 साल की उम्र होने के वावजूद अपने जिस्म को ऐसे maintain करके रखी थी देखने वालों का होश उड़ जाता था... गोरा रंग, बड़ी बड़ी चुचियाँ, लचकती कमर, हिलते डुलते गाँड़, ये किसी भी मर्द को आकृष्ठ कर रहा था...

लेकिन कविता बहुत ही संस्कारी औरत थी.. पूजा पाठ बहुत किया करती थी... मादक जिस्म होने के वावजूद वो पराये मर्द को देखती भी नहीं थी... उसके लिए पति और बच्चे ही सबकुछ थे...

कविता के जिस्म को पाने के लिए मोहल्ले के सारे मर्द तेडप रहे थे... लेकिन कविता थी संस्कारी औरत...

रोज की तरह उस दिन भी कविता अपने दोंनो बच्चों को स्कूल छोड़ने गयी थी....लेकिन आते वक्त उसकी स्कूटी रास्ते मे पंक्चर हो गया... कविता ने देखा आसपास में कोई garrage भी नहीं है तो वो परेशान हो गयी... और स्कूटी को धकेलते हुए पैदल चल रही थी...

तभी पीछे से एक काले रंग की बाइक आके कविता के पास रुक गया... कविता चौंक के उस शख्श को देखने लगी पर पहचान नहीं पाई क्योंकि वो हेलमेट पहना हुआ था....

शख्श- हेलो डार्लिंग, कैसे हो ?

कविता चौंक गई और बोली- बड़े बदतमीज हो आप... क्या कोई शरीफ महिला से इस तरह बातें की जाती है ?

शख्श- वो तो मुझे पता नहीं लेकिन इतना बोल सकता हूँ "आप इस लाल साड़ी में हेरोइन लग रही हो भगवान कसम...

कविता- देखिये आप को में फिर से बोल देती हूँ "आप की व्यवहार ठीक नहीं है, में एक शादीसुदा औरत और माँ भी हूं... आपके घर में माँ बहन तो होंगे ही ना !!!

इतना कह के कविता आगे बढ़ने लगी तो पीछे से आवाज आया- ओ भाभी सुनो तो !!

कविता पीछे मुड़ के देखी और बोली- अरे राजेश तुम !!

वो शख्श हंसता हुआ बोला- हाँ भाभी... पहले मेरा प्रणाम लीजिये... केसा लगा मेरा मजाक ? डर गए ना...

कविता थोड़ी सी मुस्कुराती हुई बोली- भला इस तरह कोई डराता है क्या ?

राजेश- वैसे भाभी वो तो मजाक था पर सच कहूँ तो आप Bomb लग रही हो....

कविता सर को थोड़ी सी नीचे करती हुई बोली- बस रहने भी दो राजेश.. में तुम्हारे बड़े भाई की बीवी हूँ...

राजेश बाइक से उतरते हुए बोला- यही तो जलन होता है मुझको की आप जैसी खूबसूरत माल भैया को कैसे मिल गया ?

कविता शर्माती हुई बोली- हटो तुम भी ना !!

राजेश हंसते हुए कविता के हाथ को पकड़ते हुए बोला- सच में भाभी, बहुत दिन के बाद तुम्हारे चाँद जैसी चेहरा देखने को मिला...

कविता दूसरी तरफ मुंह करके शर्माती हुई बोली- अब सिर्फ तारीफ ही करते रहोगे या मेरी मदद भी करोगे ?

राजेश उसकी हाथ को छोड़ते हुए बोला- बोलिये में क्या करूँ भाभी जी ?

कविता- ये कमबख्त गाड़ी पंक्चर हो गयी...

राजेश- इसलिए तो बोलता हूँ भाभी, आप और भैया गांव लौट चलो.... यहां पर क्या है बोलो ?

कविता- हूँ पर तुम्हारे भैया को समझा सकते हो तो देखो... वो तो बहुत नाराज है बाबूजी से...

राजेश- नाराजगी थोड़ी ना उम्र भर रखना चाहिए..

कविता- बात तो सही है...
.
राजेश- आप लोग गाँव चलोगे तो हमारा परिवार फिर से खिल उठेगा... और फिर मुझे रोज चाँद के दर्शन होंगे...

कविता शर्माती हुई- बड़े बदमाश हो गए आजकल...

राजेश- बदमाशी करना मेरा शौक है भाभी..

कविता- वैसे सहर क्यों आये थे तुम ?

राजेश- आप को देखने (मुस्कुराते हुए)

कविता- ओह फो मजाक नहीं, बोलो ना !!

राजेश- खेती के लिए कुछ सामान लेने आया था...

कविता- ओह तो सामान मिल गया ?

राजेश- गाड़ी में गाँव भेज दिया..

कविता- तो फिर यहां आए तो हमारे घर चलो...

राजेश- नहीं नहीं मुझे देर हो जाएगा...

कविता- तुम्हारे भैया को पता चला तो वो बुरा मानेंगे... चलो घर चलो...

राजेश- एक ही शर्त पर जाऊंगा..

कविता- शर्त ?? कौनसी ?

राजेश- आपके कोमल हाथों से बनी गरम गरम चाय पीने को मिलेगा तो !!!

कविता मुस्कुराती हुई बोली- ये भी कोई पूछने वाली बात है क्या ?

फिर राजेश कविता की स्कूटी पकड़ लिया और पास वाले गेराज में दे दिया और बोला कल लेने आएंगे... फिर अपने बाइक पर कविता को बिठा के घर आने लगे..

बाइक जैसे ही मोहल्ले के अंदर घुसा, सबकी नजरें कविता और राजेश पर गया...

पास के किराना दुकान के मालिक लोकनाथ ध्यान से कविता और राजेश को देख रहा था...

वो मन ही मन सोचने लगा- ये कौन है बहनचोद, जो कविता मेडम के साथ आया है.. कुछ तो चक्कर है, सीधा घर में घुस गया... साला हम लोग कई दिनों से प्यासे हैं और बाहर से आया कोई ऐरा गैरा कविता मेडम की रस चूस रहा है... बहनचोद पता लगाना पड़ेगा....

48 साल का लोकनाथ उस मोहल्ले में General स्टोर चलाता था पर उसका हवस भरी नजर कविता पर थी... कविता को हर हाल में चोदना चाहता था... पर हिम्मत नहीं जुटा पा रहा था... कविता से सिर्फ बात ही कर पाता था जब वो दुकान आती थी....

🎈🎈🎈🎈🎈🎈🎈🎈

कविता- और बोलो घर में सब कैसे हैं, बाबूजी कैसे हैं ?

राजेश- बाबूजी का तो पता है आपको, जबसे मम्मी गुजर गई है तब से शराब रोज पीते हैं....

कविता- ओह !!! और मानसी केसी है और तुम्हारे बच्चे केसे हैं ?

राजेश- सब बढ़िया हैं भाभी.. बच्चा भी बोलता है "बड़ी माँ को यहां बुला लो (कविता को देख के)

कविता- सच में (हंसते हुए)

राजेश- और में भी यही कहता हूँ आप और भैया जल्दी गाँव आ जाओ और बाबूजी भी यही चाहते हैं...

कविता- बात तो ठीक है पर तुम्हारे भैया को कौन समझाए ?

राजेश- आप समझाओ और कौन ?

कविता- में ? में कैसे समझाऊ ?

राजेश- अरे भाभी, औरतों की बातों से शेर भी घायल हो जाता है ये भैया क्या चीज़ है और वैसे भी आप तो स्वर्ग की अप्सरा जैसी खूबसूरत हैं, आपकी बात को टाल नहीं पाएंगे...

कविता शर्माती हुई बोली- बस बस बहुत तारीफ हो गया देवर जी...

राजेश- हीरे को हीरे कहूँ तो क्या गलत है (कविता की मादक जिस्म को देखते हुए)

कविता शर्म से नजरें नीची करके बोली- तुम्हे तो बस एक ही काम आता है तारीफ करना...

राजेश- आप हो ही बला की खूबसूरत, तारीफ मुंह से यूं ही निकल जाता है...

कविता बात को घुमाते हुए बोली- और बोलो ?

राजेश- और क्या बोलूँ, मेरे दो बेटे कहाँ गए हैं ?

कविता- दोनो स्कूल गए हैं, अभी जाऊंगी लेने के लिए...

राजेश- हूँ भाभी आपके साथ बात करूंगा तो पता ही नहीं चलेगा कि कब शाम हो जाएगाऔर रात भी हो जाएगा, तो फिर मुझे अभी जाना चाहिए...

कविता- ऐसे ही बीच बीच घर आते रहना...

राजेश- क्या करूँ भाभी, खेती से फुर्सत कहां मिलता है ? कभी कभी खुद भी मेहनत कर लेता हूँ खेत पे...

कविता राजेश की कसरती बदन को एक बार ध्यान से देखने लगी तो उसकी जिस्म में झुरझुरी सी दौड़ने लगी... पर वो खुद को संभाल ली, क्योंकि वो एक संस्कारी औरत थी....

राजेश- वैसे भाभी आप गांव आ जाएंगे तो मुझे यहां आना ही नहीं पड़ेगा...

कविता- देखेंगे, में तुम्हारे भैया से बात करती हूँ...

फिर कुछ देर के बाद दोनों घर से बाहर निकले.. राजेश बाइक पर बैठ गया तो कविता हाथ से Bye bye बोलके इशारा करने लगी...

ये सब दुकान के अंदर से लोकनाथ देख रहा था.. वो मन ही मन बोला- लो 2 घण्टे तक कविता मेडम की ठुकाई करने के बाद आराम से जा रहा है बहनचोद... और कविता मेडम भी bye bye कर रही है, कुछ ज्यादा ही चक्कर है लगता है... लेकिन ये बहनचोद कविता मेडम तो ज्यादा संस्कारी है, इतने जल्दी इसको चूत कैसे दे दी ? कुछ भी हो सकता है, काहे का संस्कारी ? बड़ा लन्ड देखते ही संस्कार कहाँ गायब हो जाता है रंडियों की ? बहनचोद अब तो में कविता मेडम को ठोक के ही रहूंगा...

To be Continued......
 

Rahul sood

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Tarak mehta wali pe kab update dogi
 

Raj_Singh

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ये कहानी पूरी तरह से काल्पनिक है.. इस कहानी के सभी पात्र काल्पनिक है तथा इसकी समानता किसी के साथ होती है तो इसे मात्र एक संयोग कहा जायेगा...

ये कहानी है एक शादीसुदा औरत की जो दिन व दिन कामुकता की सीढ़ी चढ़ती जाती है... ये कहानी है कविता शर्मा की...

कविता शर्मा
उम्र- 44
फिगर- 36 28 38
रंग- गोरा
हाइट- 5 फिट 7 इंच

कविता 2 बच्चे की माँ थी... दोंनो के दोनों बेटे थे... उनका पढाई लिखाई उसी सहर में हो रहा था...

कविता के पति का नाम विजय शर्मा है जो कि एक छोटे से कंपनी में job करता है... जिस से घर का गुजारा होता है...

विजय शर्मा
उम्र- 45

कविता और विजय की लव मेर्रिज cum Arrange मेर्रिज हुआ था.... कॉलेज के दिनों से दोनों एक दूसरे को प्यार करते थे, फिर शादी कर ली... एक ही जाती के होने के से दोनों की शादी में कोई रुकावट नहीं आयी...

विजय शर्मा पास के गाँव मदनपुर से ताल्लुक रखता था... वो उस गांव के अमीर परिवार से था लेकिन अपने पिताजी से थोड़े से कहासुनी हो कर वो पास वाले सहर चला आया और काम करने लगा....

विजय शर्मा के पिताजी का नाम रघुवीर शर्मा था, जो कि मदनपुर गाँव के सबसे अमीर और इज्जतदार आदमी थे....

रघुवीर शर्मा
उम्र- 70

ऊंचे लम्बे कद के आदमी, बड़ी बड़ी मूंछे, सर पर पगड़ी, ये सब रघुवीर शर्मा के व्यक्तित्व को और भी मजबूत बनाता था....

रघुवीर के दो बेटे थे, बड़ा बेटा विजय शर्मा और छोटा बेटा राजेश शर्मा..

राजेश शर्मा
उम्र- 38

राजेश की भी शादी हो चुका था.. उसका बीवी का नाम थी मानसी शर्मा...

मानसी शर्मा
उम्र- 30
फिगर- 34 27 34

मानसी और राजेश के एक बेटा था जो कि छोटा था...

राजेश घर का खेती सम्भालता था क्योंकि जमीन जायदाद बहुत था रघुवीर के पास....

रघुवीर और विजय के बीच झगड़ा होने के बाद विजय अपने बीवी कविता को लेकर सहर चला गया था....

लेकिन भले ही विजय अपने पिता रघुवीर से झगड़ा किया हो पर रघुवीर और उसके परिवार कविता से फोन पर बात किया करते थे, लेकिन विजय से नहीं करते थे...

विजय सुबह के 9 बजे ही आफिस के लिए निकल जाता था.. फिर कविता अपने दोनों बच्चों को तैयार करके स्कूटी से स्कूल छोड़ के आ जाती थी.....

कविता दिखने में जैसी आकर्षक और खूबसूरत थी, अंदर से उतनी ही मादक थी.. कविता बहुत ही संस्कारी औरत थी...वो जब भी साड़ी और ब्लाउज में बाहर जाती थी, सारे मर्दो के नजर उसकी मादक भरी जवानी पर टिक जाता था... कोई मर्द दांत दबाता था तो कोई मर्द अपने हाथ को लन्ड तक ले जाने को नहीं रोक पाता था...

कविता 44 साल की उम्र होने के वावजूद अपने जिस्म को ऐसे maintain करके रखी थी देखने वालों का होश उड़ जाता था... गोरा रंग, बड़ी बड़ी चुचियाँ, लचकती कमर, हिलते डुलते गाँड़, ये किसी भी मर्द को आकृष्ठ कर रहा था...

लेकिन कविता बहुत ही संस्कारी औरत थी.. पूजा पाठ बहुत किया करती थी... मादक जिस्म होने के वावजूद वो पराये मर्द को देखती भी नहीं थी... उसके लिए पति और बच्चे ही सबकुछ थे...

कविता के जिस्म को पाने के लिए मोहल्ले के सारे मर्द तेडप रहे थे... लेकिन कविता थी संस्कारी औरत...

रोज की तरह उस दिन भी कविता अपने दोंनो बच्चों को स्कूल छोड़ने गयी थी....लेकिन आते वक्त उसकी स्कूटी रास्ते मे पंक्चर हो गया... कविता ने देखा आसपास में कोई garrage भी नहीं है तो वो परेशान हो गयी... और स्कूटी को धकेलते हुए पैदल चल रही थी...

तभी पीछे से एक काले रंग की बाइक आके कविता के पास रुक गया... कविता चौंक के उस शख्श को देखने लगी पर पहचान नहीं पाई क्योंकि वो हेलमेट पहना हुआ था....

शख्श- हेलो डार्लिंग, कैसे हो ?

कविता चौंक गई और बोली- बड़े बदतमीज हो आप... क्या कोई शरीफ महिला से इस तरह बातें की जाती है ?

शख्श- वो तो मुझे पता नहीं लेकिन इतना बोल सकता हूँ "आप इस लाल साड़ी में हेरोइन लग रही हो भगवान कसम...

कविता- देखिये आप को में फिर से बोल देती हूँ "आप की व्यवहार ठीक नहीं है, में एक शादीसुदा औरत और माँ भी हूं... आपके घर में माँ बहन तो होंगे ही ना !!!

इतना कह के कविता आगे बढ़ने लगी तो पीछे से आवाज आया- ओ भाभी सुनो तो !!

कविता पीछे मुड़ के देखी और बोली- अरे राजेश तुम !!

वो शख्श हंसता हुआ बोला- हाँ भाभी... पहले मेरा प्रणाम लीजिये... केसा लगा मेरा मजाक ? डर गए ना...

कविता थोड़ी सी मुस्कुराती हुई बोली- भला इस तरह कोई डराता है क्या ?

राजेश- वैसे भाभी वो तो मजाक था पर सच कहूँ तो आप Bomb लग रही हो....

कविता सर को थोड़ी सी नीचे करती हुई बोली- बस रहने भी दो राजेश.. में तुम्हारे बड़े भाई की बीवी हूँ...

राजेश बाइक से उतरते हुए बोला- यही तो जलन होता है मुझको की आप जैसी खूबसूरत माल भैया को कैसे मिल गया ?

कविता शर्माती हुई बोली- हटो तुम भी ना !!

राजेश हंसते हुए कविता के हाथ को पकड़ते हुए बोला- सच में भाभी, बहुत दिन के बाद तुम्हारे चाँद जैसी चेहरा देखने को मिला...

कविता दूसरी तरफ मुंह करके शर्माती हुई बोली- अब सिर्फ तारीफ ही करते रहोगे या मेरी मदद भी करोगे ?

राजेश उसकी हाथ को छोड़ते हुए बोला- बोलिये में क्या करूँ भाभी जी ?

कविता- ये कमबख्त गाड़ी पंक्चर हो गयी...

राजेश- इसलिए तो बोलता हूँ भाभी, आप और भैया गांव लौट चलो.... यहां पर क्या है बोलो ?

कविता- हूँ पर तुम्हारे भैया को समझा सकते हो तो देखो... वो तो बहुत नाराज है बाबूजी से...

राजेश- नाराजगी थोड़ी ना उम्र भर रखना चाहिए..

कविता- बात तो सही है...
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राजेश- आप लोग गाँव चलोगे तो हमारा परिवार फिर से खिल उठेगा... और फिर मुझे रोज चाँद के दर्शन होंगे...

कविता शर्माती हुई- बड़े बदमाश हो गए आजकल...

राजेश- बदमाशी करना मेरा शौक है भाभी..

कविता- वैसे सहर क्यों आये थे तुम ?

राजेश- आप को देखने (मुस्कुराते हुए)

कविता- ओह फो मजाक नहीं, बोलो ना !!

राजेश- खेती के लिए कुछ सामान लेने आया था...

कविता- ओह तो सामान मिल गया ?

राजेश- गाड़ी में गाँव भेज दिया..

कविता- तो फिर यहां आए तो हमारे घर चलो...

राजेश- नहीं नहीं मुझे देर हो जाएगा...

कविता- तुम्हारे भैया को पता चला तो वो बुरा मानेंगे... चलो घर चलो...

राजेश- एक ही शर्त पर जाऊंगा..

कविता- शर्त ?? कौनसी ?

राजेश- आपके कोमल हाथों से बनी गरम गरम चाय पीने को मिलेगा तो !!!

कविता मुस्कुराती हुई बोली- ये भी कोई पूछने वाली बात है क्या ?

फिर राजेश कविता की स्कूटी पकड़ लिया और पास वाले गेराज में दे दिया और बोला कल लेने आएंगे... फिर अपने बाइक पर कविता को बिठा के घर आने लगे..

बाइक जैसे ही मोहल्ले के अंदर घुसा, सबकी नजरें कविता और राजेश पर गया...

पास के किराना दुकान के मालिक लोकनाथ ध्यान से कविता और राजेश को देख रहा था...

वो मन ही मन सोचने लगा- ये कौन है बहनचोद, जो कविता मेडम के साथ आया है.. कुछ तो चक्कर है, सीधा घर में घुस गया... साला हम लोग कई दिनों से प्यासे हैं और बाहर से आया कोई ऐरा गैरा कविता मेडम की रस चूस रहा है... बहनचोद पता लगाना पड़ेगा....

48 साल का लोकनाथ उस मोहल्ले में General स्टोर चलाता था पर उसका हवस भरी नजर कविता पर थी... कविता को हर हाल में चोदना चाहता था... पर हिम्मत नहीं जुटा पा रहा था... कविता से सिर्फ बात ही कर पाता था जब वो दुकान आती थी....

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कविता- और बोलो घर में सब कैसे हैं, बाबूजी कैसे हैं ?

राजेश- बाबूजी का तो पता है आपको, जबसे मम्मी गुजर गई है तब से शराब रोज पीते हैं....

कविता- ओह !!! और मानसी केसी है और तुम्हारे बच्चे केसे हैं ?

राजेश- सब बढ़िया हैं भाभी.. बच्चा भी बोलता है "बड़ी माँ को यहां बुला लो (कविता को देख के)

कविता- सच में (हंसते हुए)

राजेश- और में भी यही कहता हूँ आप और भैया जल्दी गाँव आ जाओ और बाबूजी भी यही चाहते हैं...

कविता- बात तो ठीक है पर तुम्हारे भैया को कौन समझाए ?

राजेश- आप समझाओ और कौन ?

कविता- में ? में कैसे समझाऊ ?

राजेश- अरे भाभी, औरतों की बातों से शेर भी घायल हो जाता है ये भैया क्या चीज़ है और वैसे भी आप तो स्वर्ग की अप्सरा जैसी खूबसूरत हैं, आपकी बात को टाल नहीं पाएंगे...

कविता शर्माती हुई बोली- बस बस बहुत तारीफ हो गया देवर जी...

राजेश- हीरे को हीरे कहूँ तो क्या गलत है (कविता की मादक जिस्म को देखते हुए)

कविता शर्म से नजरें नीची करके बोली- तुम्हे तो बस एक ही काम आता है तारीफ करना...

राजेश- आप हो ही बला की खूबसूरत, तारीफ मुंह से यूं ही निकल जाता है...

कविता बात को घुमाते हुए बोली- और बोलो ?

राजेश- और क्या बोलूँ, मेरे दो बेटे कहाँ गए हैं ?

कविता- दोनो स्कूल गए हैं, अभी जाऊंगी लेने के लिए...

राजेश- हूँ भाभी आपके साथ बात करूंगा तो पता ही नहीं चलेगा कि कब शाम हो जाएगाऔर रात भी हो जाएगा, तो फिर मुझे अभी जाना चाहिए...

कविता- ऐसे ही बीच बीच घर आते रहना...

राजेश- क्या करूँ भाभी, खेती से फुर्सत कहां मिलता है ? कभी कभी खुद भी मेहनत कर लेता हूँ खेत पे...

कविता राजेश की कसरती बदन को एक बार ध्यान से देखने लगी तो उसकी जिस्म में झुरझुरी सी दौड़ने लगी... पर वो खुद को संभाल ली, क्योंकि वो एक संस्कारी औरत थी....

राजेश- वैसे भाभी आप गांव आ जाएंगे तो मुझे यहां आना ही नहीं पड़ेगा...

कविता- देखेंगे, में तुम्हारे भैया से बात करती हूँ...

फिर कुछ देर के बाद दोनों घर से बाहर निकले.. राजेश बाइक पर बैठ गया तो कविता हाथ से Bye bye बोलके इशारा करने लगी...

ये सब दुकान के अंदर से लोकनाथ देख रहा था.. वो मन ही मन बोला- लो 2 घण्टे तक कविता मेडम की ठुकाई करने के बाद आराम से जा रहा है बहनचोद... और कविता मेडम भी bye bye कर रही है, कुछ ज्यादा ही चक्कर है लगता है... लेकिन ये बहनचोद कविता मेडम तो ज्यादा संस्कारी है, इतने जल्दी इसको चूत कैसे दे दी ? कुछ भी हो सकता है, काहे का संस्कारी ? बड़ा लन्ड देखते ही संस्कार कहाँ गायब हो जाता है रंडियों की ? बहनचोद अब तो में कविता मेडम को ठोक के ही रहूंगा...

To be Continued......

शुरुआत अच्छी है :applause:

देखते है कहानी आगे कैसे बढ़ती है।
 

mgaya

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रात को बेड पर विजय अपने बीवी कविता को दबोचे हुए पड़ा था...

कविता सफेद नाइटी में थी, जिससे उसकी बड़ी बड़ी चुचियाँ साफ नजर आ रही थी क्योंकि उसने अंदर में ब्रा नहीं पहनी थी...

विजय एक हाथ से कविता की चूची को नाइटी के ऊपर से पकड़ लिया..

कविता- उफ्फ छोड़िये ना !! क्या हमेशा इसको पकड़ते रहते हैं ?

विजय- जो चीज़ पकड़ने के लिए हैं उसे तो पकडूँगा ही ना !!!

कविता शर्माती हुई बोली- तो फिर हमेशा पकड़े रहेंगे क्या ?

विजय अब चूची को दबाने लगा..

कविता- मम्ममम्ममम्मममम्म

विजय कविता के होंठ को चूसना सुरु किया...

कविता की एक हाथ विजय के बालों को पकड़ा हुआ था और कविता की मुंह से मादक आहें निकल रही थी...

विजय- सच में कविता, तुम आज भी उतनी ही सेक्सी हो जितनी कॉलेज के दिनों थी..

कविता शर्माती हुई बोली- आप भी वो दिन की तरह रोमांटिक हो अभी तक...

विजय- पास मैं ऐसी रसीली बीवी हो तो कोई रोमांटिक कैसे ना हो ?

इतना कह के विजय नाइटी के ऊपर से कविता की चूची को मुंह से चूसने लगा..

कविता- ममममममममम सससससससस क्या कर रहे हो आप ? नाइटी गीली हो जाएगी मेरी..

विजय अब कविता की होंठ को चूसते हुए बोला- तो फिर तुम्हे नंगी करनी पड़ेगी जल्दी...

कविता- ऐसे ही कर लीजिए ना (विजय के सर के बालों को हाथ से फेरती हुई)

विजय- तुम शर्माती बहुत हो, दो बच्चों की माँ होके भी... चोदने की असली मजा नंगी करके ही आता है...

विजय कविता के होंठ को चूसते हुए कविता की नाइटी को ऊपर उठाने लगा और एक ही पल में कविता की जिस्म से अलग कर दिया...

रोशनी में कविता की दूधिया चुचियाँ चमक रही थी जिसे विजय चूसना सुरु कर दिया था...

कविता पे मदहोशी सवार होने लगी थी....

विजय वारी वारी से कविता की दोनों चूची को चूसने लगा और निप्पल्स को चूसने काटने लगा....

कविता- ममममममममम आआआहहहहहहह हहहहहहहह

कविता अब जकड़ के विजय को पकड़ने लगी तो विजय समझ गया कि कविता ज्यादा गरम हो चुकी है....

विजय ज्यादा देर ना करते हुए कविता की दोनों टांग को फैलाया और अपना अंडरवियर निकाल कर नंगा हो गया...

विजय- कविता डार्लिंग, जरा देखो तो मेरा बाबू तुम्हारे रस भंडार में घुसने के लिए किस तरह बेकरार है ?

कविता थोड़ी सी नजर घुमा कर देखी- विजय का लन्ड तन के खड़ा था...

कविता शर्माती हुई बोली- हटो आप बड़े बदमाश हैं...

कविता की गाल शर्माती हुई लाल हो गयी थी...

विजय- आय हाय मेरे दो बच्चों की माँ, तुम्हारी इसी शर्मीली अदाएं की वजह से तुम्हे चोदने में ज्यादा मजा आता है...

विजय कविता की दोनों टांगो को फैलाया और सीधा अपना लन्ड कविता की चूत में डाल दिया....

कविता- मम्ममम्ममम्ममम्म सससससससससस हहहहहहहह

विजय धीरे धीरे चोदना सुरु किया.. वो कविता की चुचियों को दबा दबा के चोद रहा था...

कविता आंखे बंद करके आहें भर रही थी....

कविता- आआआआआहहहहहहह उहहहहहहहहहहहहह मम्ममम्ममम्मनन

विजय अब कविता की दोनों टांगो को अपने कंधे के ऊपर रख के जोर जोर से चोदने लगा... उसका लन्ड कविता की झांटो से भरी चूत में पूरे जोर जोर से अंदर बाहर हो रहा था...

पूरे कमरे के अंदर "पच पच पच पच पच पच" की आवाजें के साथ साथ कविता की कामुक आवाज़ें गूंजने लगा....

विजय पूरे मजे से कविता की चूत मार रहा था.... उसकी 36 की चूची हिलते हुए बड़े ही मादक लग रही थी.......

कुछ देर की जबरदस्त चुदाई के बाद एक बड़ा शॉट मारते हुए झड़ गया और कविता के ऊपर सो गया.... कविता की चेहरे पर पूर्ण संतुष्टि के भाव थी.... पति की ऐसी चुदाई से वो काफी संतुस्ट थी....

कुछ देर के बाद कविता बोली- सुनो जी आज देवर जी आये थे...

विजय टॉवल पहनते हुए- कौन राजेश आया था ?

कविता- हाँ (नाइटी पहनती हुई)

विजय- किस लिए आया था ?

कविता- ,,वो खेती के कुछ सामान लेने आये थे शहर में तो वो मुझे रास्ते पर मिल गए.... ,बोल रहे थे आपको बाबुजी ने गांव बुलाया है...

विजय- हूँ क्या बाबूजी को ये पता नहीं है कि में अभी तक उनसे नाराज हूँ...

कविता- वो तो मुझे पता नहीं पर राजेश यही बोल रहे थे.. और फिर गांव में हमारे जमीन जायदाद भी तो हैं...

विजय- तो फिर तुम क्या सोचती हो, हमें गांव जाना चाहिए या नहीं ?

कविता- वो में आपके ऊपर छोड़ रही हूँ..

विजय- ठीक है, जब तक बाबूजी मुझे खुद नहीं बोलते में नहीं जाऊंगा...

कविता- आप की मर्ज़ी....

फिर कमरे की लाइट ऑफ हो गयी.....

🎈🎈🎈🎈🎈🎈🎈🎈

खेत में धान पूरे शान से लहरा रहे थे... मदनपुर गांव के सबसे ज्यादा खेत रघुवीर शर्मा के पास था जो कि विजय शर्मा के पिताजी थे... बड़े से एरिया में खेती किया करते थे रघुवीर और उसका सारा काम अपने छोटे बेटा राजेश सम्भालता था... रघुवीर सिर्फ खेत देखने आते थे...

खेत के कोने में एक घर बनाया गया था, वहां पे वहां के मजदूर और खुद रघुवीर और राजेश आराम करते थे....यूं कहें तो फार्म हाउस की बिल्डिंग की तरह...

उस दिन खेत में राजेश कुछ मजदूरों को खेत का काम करवा रहा था और खुद काम की देखभाल कर रहा था...

वहां से सटे खेत के कोने में स्थित मकान में से किसी औरत की चीखने की आवाज आ रही थी...

मकान के अंदर एक औरत दीवार पर दोनों हाथ थाम के झुक के खड़ी थी और पीछे से एक आदमी जो कि दिखने में मजबूत था, उस औरत की चुदाई कर रहा था... उस की हर एक धक्का इतने मजबूत था कि उस औरत की मुंह से दर्द भरी चीखें निकल रही थी...

वो आदमी और कोई नहीं, वल्कि विजय की पिताजी रघुवीर शर्मा थे, जो उस औरत की बेरहमी से चोद रहा था...

वो औरत की आगे से ब्लाउज खुली हुई थी, जिससे उसकी दोनो चूची झूल रहे थे... उसके जिस्म से साड़ी उतर चुकी थी.. वो सिर्फ आधी खुली ब्लाउज और पेटीकोट मैं थी....

रघुवीर एक सफेद बनियान और धोती पहने हुए थे और पीछे से उस औरत की पेटीकोट को ऊपर सरका के खड़े खड़े ठुकाई कर रहे थे.... उनका उम्र 70 साल था पर उनकी चुदाई देख के अच्छे अच्छे जबान शर्म से मर जायेंगे...

रघुवीर- पूर्णिमा क्या तेरा पति तुझे ठीक से चोदता नहीं है क्या ? चूत अभी भी टाइट है..

पूर्णिमा- धीरे से करिए मालिक.. बहुत दर्द हो रही है... आआआआस्सस्सासस्स मालिक में मर जाऊंगी....

रघुवीर बड़े ही बेरहमी से पूर्णिमा की चूत चोद रहे थे... धीरे धीरे पूर्णिमा की चूत से पानी टपकने लगी थी... दोनो के दोनों पसीने से नहा चुके थे...

रघुवीर- अगली बार चूत में तेल लगा के आना, और मजा आएगा चोदने में....

पूर्णिमा दर्द से कराहते हुए बोली- जी मालिक...

अचानक रघुवीर पूर्णिमा को पकड़ के नीचे लिटा दिया जहां पर चटाई था...

और उसकी दोनों टांग पकड़ कर अपनी लोहे जैसी लन्ड उसकी चूत में डाल दिया और चोदने लगा....

पूर्णिमा चिल्लाने लगी- मालिक धीरे करिए मालिक.... माँ.... मर गयी....

रघुवीर झटके पर झटके मार रहा था और कुछ ही मिनट के अंदर झड़ गया और सारा पानी पूर्णिमा की चूत में डाल दिया...

पूर्णिमा 30 साल की हरीभरी औरत थी....

चुदाई खत्म होने के बाद पूर्णिमा उठ के अपनी साड़ी पहनने लगी और बोली- मालिक वो आपसे लिए हुए पैसा अभी माफ हो जाएंगे ना ?

रघुवीर पूर्णिमा को देखते हुए बोला- जब तक तेरी जवानी की रस ना चूस लूँ, तब तक माफ नहीं होगा... वैसे भी तू रकम भी तो ज्यादा ली है 10 हजार रुपये...

पूर्णिमा बेबस खड़ी थी और हाँ मैं सर हिलाते हुए जाने लगी...

पूर्णिमा के वहां से जाने के बाद रघुवीर पास में पड़े कुर्सी पर बैठ गया और अपना मोबाइल उठा के किसीकी फोन करने लगा...

रघुवीर- और कविता केसी हो ?

दूसरी तरफ से कविता की आवाज आ रही थी...

कविता- बाबूजी प्रणाम करते हैं...

रघुवीर- ,प्रणाम... और सब बढ़िया ?

कविता- जी बाबूजी...

रघुवीर- और विजय क्या बोल रहा है गांव आने के लिए ?

कविता- बाबूजी वो तो मना कर रहे हैं गाँव जाने के लिए...

रघुवीर- अब उस कमबख्त को कौन समझाए की मुझे उसका और तुम्हारी बहुत याद आता है...

कविता- जी बाबूजी...

रघुवीर- ,मतलब उसने साफ मना कर दिया यहां आने के लिए ?

कविता- बाबूजी वो बोल रहे थे कि अगर आप उन्हें खुद फोन करके बुलाएंगे तो वो जरूर आएंगे....

रघुवीर की आंखों में चमक सा आ गया...

रघुवीर- में जरूर फोन करूँगा... पर क्या वो मेरा बात मानेगा ?

कविता- आप बोल कर तो देखिए बाबूजी...

रघुवीर- ,जरूर... और बोलो तुम अच्छे हो ना !!!

कविता- ,,जी बाबूजी...

रघुवीर- और बच्चे केसे हैं ?

कविता- सब ठीक हैं बाबूजी...

रघुवीर- चलो अच्छा होगा तुम लोग गांव आ जाओगे.. खास कर तुम आओगी तो घर घर जैसा लगेगा...

कविता शर्माती हुई बोली- जी बाबूजी...

रघुवीर- अच्छा रखता हूँ....

फिर रघुवीर फोन रख के खुस होते हुए मन ही मन बोला- चलो कुछ तो अच्छा होने जा रहा है...

🎈🎈🎈🎈🎈🎈🎈🎈

दूसरे दिन कविता पास के किराना दुकान पे रासन लाने के लिए गयी तो लोकनाथ को मानो मौका मिल गया लाइन मारने का...

लोकनाथ- मेडम कैसे हैं ?

कविता- सब बढ़िया लोकनाथ जी..

लोकनाथ एक ही नजर से कविता की लाल रंग की ब्लाउज को निहार रहा था जो कि low कट ब्लाउज था, जिससे उसकी चुचियों का उभार साफ नजर आ रही थी...

लोकनाथ मन ही मन बोला- ,क्या पटाखा है बहनचोद... विजय का किस्मत है जो ऐसी माल को चोदता है....

कविता- लोकनाथ जी कहाँ खो गए आप ? मुझे इस महीने की रासन भिजवा दीजियेगा मेरे घर..

लोकनाथ होश में आते हुए- हां मेडम, क्यों नहीं ? आप कहें और में ना भिजवा दु... क्या बात करती है आप ?

कविता मुस्कुराती हुई बोली- पता है लोकनाथ जी, आप का काम बिल्कुल सही होता है...

लोकनाथ मन ही मन बोला- एक बार मौका तो दो मेडम, में ठुकाई भी जबरदस्त करता हूँ...

कविता- अच्छा तो लोकनाथ जी, मैं चलती हूँ.. आप थोड़ा जल्दी भेज दीजियेगा..

लोकनाथ कविता की मादक चूची को ब्लाउज के ऊपर से देखते हुए बोला- पक्का मेडम, में खुद जाऊंगा सामान देने के लिए...

कविता वहां से जाने लगी तो लोकनाथ ध्यान से कविता की ऊपर नीचे होती बड़ी बड़ी गाँड़ को देखने लगा और मन ही मन बोला- क्या गाँड़ है, है भगवान तूने मुझे इसकी पति क्यों नहीं बनाया ? गाँड़ देख के ही लन्ड से पानी निकल जायेगा बहनचोद... पता नहीं इसकी चूत कब नसीब होगा मुझे...

🎈🎈🎈🎈🎈🎈🎈🎈

पति राजेश और ससुर रघुवीर खेत में गए हुए थे तो मानसी अकेली बोर हो रही थी.. तभी पीछे से किसीने उसकी दोनो चूची को पकड़ लिया... मानसी चिहुंक गयी... पीछे देखी और बोली- तुम ? जाओ कोई देख लेगा राजू ?

25 साल का राजू उस घर की नौकर था...

राजू- देखने दो ना मेडम... वैसे भी कब तक छुप छुप कर तुमको प्यार करूँ ?

मानसी- ओह अभी मेरी चूची दबाना बन्द करो...

राजू दोनो चूची को ब्लाउज के ऊपर से मसलते हुए बोला- क्यों तुम्हारे चूची पे सिर्फ राजेश साहब का नाम लिखा है क्या ?

मानसी- ओह राजू, ज्यादा मत दबाओ, दर्द हो रहा है...

राजू- क्यों राजेश साहब ने कुछ ज्यादा ही मेहनत की है क्या तुम्हारे चूची पर ?

मानसी अपनी चूची के ऊपर से राजू का हाथ हटाते हुए राजू की मुंह की तरफ घूम गयी और बोली- तुम्हे शर्म नहीं आता, खुद बेरहमी से कल चूची मसल रहे थे याद नहीं है क्या तुम्हें ?

राजू हंसते हुए बोला- और गाँड़ सही सलामत है ना...

मानसी मुस्कुराती हुई बोली- उस को भी थप्पड़ मार मार के लाल कर दिए हो...

राजू- क्या करूँ, चूत मेरा कमजोरी है... जब तक इस तरह से चूत ना चोदू मुझे चैन नहीं मिलता...

मानसी- इसलिए तो तुम्हारे साहब से ज्यादा तुम मेरी चूत मार चुके हो...

राजू दोनो हाथ से मानसी की गाँड़ को दबाते हुए बोला- और आगे भी मारता रहूंगा...

मानसी खिलखिलाकर हंसने लगी...

🎈🎈🎈🎈🎈🎈🎈🎈

राजेश बाइक पे सवार होके गांव की आखरी में बना एक झोपड़े के पास गया और बाइक से उतरके झोपड़े में घुस गया...

राजेश- और आज खेत को काम करने क्यों नहीं आयी सुभद्रा ?

सुभद्रा- आपको तो पता है मालिक, मेरा बेटा राजू आपके घर गया है काम करने तो में सोची थोड़ा आराम कर लूं..

सुभद्रा राजू की माँ थी... उम्र 48 साल..

राजेश- एक ग्लास पानी ला पीने के लिए...

सुभद्रा एक glass पानी लेके आयी और राजेश के आगे खड़ी हो गयी और ग्लास देने लगी..

राजेश झट से सुभद्रा की हाथ को खींच लिया और सुभद्रा को दबोच लिया और बोला- पानी कौन पियेगा बहनचोद... मुझे तेरी चूत चाहिए...

सुभद्रा डरती हुई बोली- छोड़िये मालिक, क्या कर रहे हैं आप ?

राजेश- वहीं कर रहा हूँ जो एक मर्द एक औरत के साथ करता है.. चुपचाप कपड़े उतारेगी या में नंगी करूँ तुझे ?

सुभद्रा अपने बेटे राजू के बारे में सोचने लगी आर बोली- में उतारूंगी मालिक...

राजेश सुभद्रा को छोड़ दिया और बोला- ,बहुत बढ़िया, चल कपड़े उतार... बहुत दिन हो गया कोई भैंस नहीं चोदा...

सुभद्रा साड़ी उतार दी थी.. वो सिर्फ ब्लाउज में थी... उसकी चूची बहुत बड़ी थी 38 साइज की.... सुभद्रा धीरे धीरे ब्लाउज और पेटीकोट भी उतार दी.. अब वो नंगी खड़ी थी राजेश के आगे...

राजेश- बिल्कुल भैंस लग रही है बहनचोद... चोदने में मजा आएगा...

राजेश पास जाते हुए एक जोरदार थप्पड़ सुभद्रा की गाँड़ पे मारा... सुभद्रा की चीख निकल गयी....

राजेश- मस्त गाँड़ है रे तेरा सुभद्रा.. रोज कितनी बार चुदती है तेरे पति से ?

सुभद्रा सर नीचे करके खड़ी थी..

राजेश उसकी 38 की चूची देख कर उसकी निप्पल को दबाते हुए बोला- दूध भी मस्त है... अभी भी लीटर लीटर दूध देती है क्या तू ? कोई बात नहीं आज दूध में पिऊंगा...

नीचे चूत में झांट देख कर बोला- जंगल भरी पड़ी है बहनचोद...इस जंगल में कैसे शिकार किया जाता है में बताऊंगा...

सुभद्रा सर को नीचे करके खड़ी थी....

राजेश नंगा हो गया था...

राजेश अपना लन्ड को हाथ में लेकर बोला- चल मेरा केला चूस पहले...

सुभद्रा घुटनो के बल बैठ गयी और राजेश का लन्ड मुंह में लेकर चूसने लगी..

राजेश- बहुत बढ़िया.... क्या मस्त चूस रही है तू सुभद्रा... पहले रंडी काम करती थी क्या ?

सुभद्रा लन्ड को मुंह के पूरा अंदर ले रही थी, राजेश को मजा आ रहा था...

राजेश- बहुत दिन बाद आज कोई चूत चोदने को मजा आएगा...

थोड़ी देर लन्ड चूसने के बाद राजेश बोला- चल अब कुतिया बन, मुझे तेरा चूत फाड़ना है...

सुभद्रा नीचे घुटनो के बल कुतिया बन गयी...

राजेश पीछे से आके एक ही झटके पर पूरा लन्ड अंदर घुसेड़ दिया...

सुभद्रा की चीख निकल गयी....

सुभद्रा- मालिक आआआहहहहहहह

राजेश- बहनचोद चिल्ला मत, नहीं तो चोद चोद के कुआँ बना दूंगा चूत को...

सुभद्रा की चूत में राजेश का बड़ा लन्ड तेजी से आगे पीछे होने लगा...

सुभद्रा- ,मालिक धीरे धीरे.... मम्ममम्ममम्ममम्म मर जाऊंगी

राजेश एक जोरदार चांटा उसकी गाँड़ पर मारते हुए बोला- मादरचोद चिल्ला मत, नहीं तो ऐसा चोदूंगा की चूत से बच्चा निकलेगा....

कुछ देर बेरहम ठुकाई करने के बाद सुभद्रा कई बार झड़ चुकी थी...

राजेश- चल अब सीधा लेट नीचे..

सुभद्रा नीचे लेट गयी... सुभद्रा की मुंह लाल हो चुके थे और उसकी गाँड़ भी लाल हो चुकी थी..

राजेश अब सुभद्रा की दोनों चूची को बारी बारी से चूसने लगा...

राजेश- ऐसे चूची छुपाने के लिए नहीं, चूसने के लिए होती है...

राजेश दोनो चूची को इस तरह चूसा की दोनों चूची लाल लाल हो गए थे....

बस क्या था राजेश अब सुभद्रा को बेरहमी से ठोकने लगा..... सुभद्रा की चूत से वीर्य की नदी बहने लगी...

सुभद्रा अधमरी हो कर नीचे पड़ी थी....

राजेश अपना कपड़ा पहनते हुए बोला- आज से तू मेरा रंडी है समझी... मे जब चाहे तुझे चोदूगा...

सुभद्रा इशारो से मुंडी हिलाने लगी....

राजेश मन ही मन बोला- बहनचोद राजू, मेरा बीवी को चोद रहा है ना, अब में उसको दिखाऊंगा रंडी चोदना किसे कहते हैं ? उसके सामने उसकी मम्मी को ठोकूँगा रंडी बना के...

To be continued...

🎈🎈🎈🎈🎈🎈🎈🎈
 

Raj_Singh

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रात को बेड पर विजय अपने बीवी कविता को दबोचे हुए पड़ा था...

कविता सफेद नाइटी में थी, जिससे उसकी बड़ी बड़ी चुचियाँ साफ नजर आ रही थी क्योंकि उसने अंदर में ब्रा नहीं पहनी थी...

विजय एक हाथ से कविता की चूची को नाइटी के ऊपर से पकड़ लिया..

कविता- उफ्फ छोड़िये ना !! क्या हमेशा इसको पकड़ते रहते हैं ?

विजय- जो चीज़ पकड़ने के लिए हैं उसे तो पकडूँगा ही ना !!!

कविता शर्माती हुई बोली- तो फिर हमेशा पकड़े रहेंगे क्या ?

विजय अब चूची को दबाने लगा..

कविता- मम्ममम्ममम्मममम्म

विजय कविता के होंठ को चूसना सुरु किया...

कविता की एक हाथ विजय के बालों को पकड़ा हुआ था और कविता की मुंह से मादक आहें निकल रही थी...

विजय- सच में कविता, तुम आज भी उतनी ही सेक्सी हो जितनी कॉलेज के दिनों थी..

कविता शर्माती हुई बोली- आप भी वो दिन की तरह रोमांटिक हो अभी तक...

विजय- पास मैं ऐसी रसीली बीवी हो तो कोई रोमांटिक कैसे ना हो ?

इतना कह के विजय नाइटी के ऊपर से कविता की चूची को मुंह से चूसने लगा..

कविता- ममममममममम सससससससस क्या कर रहे हो आप ? नाइटी गीली हो जाएगी मेरी..

विजय अब कविता की होंठ को चूसते हुए बोला- तो फिर तुम्हे नंगी करनी पड़ेगी जल्दी...

कविता- ऐसे ही कर लीजिए ना (विजय के सर के बालों को हाथ से फेरती हुई)

विजय- तुम शर्माती बहुत हो, दो बच्चों की माँ होके भी... चोदने की असली मजा नंगी करके ही आता है...

विजय कविता के होंठ को चूसते हुए कविता की नाइटी को ऊपर उठाने लगा और एक ही पल में कविता की जिस्म से अलग कर दिया...

रोशनी में कविता की दूधिया चुचियाँ चमक रही थी जिसे विजय चूसना सुरु कर दिया था...

कविता पे मदहोशी सवार होने लगी थी....

विजय वारी वारी से कविता की दोनों चूची को चूसने लगा और निप्पल्स को चूसने काटने लगा....

कविता- ममममममममम आआआहहहहहहह हहहहहहहह

कविता अब जकड़ के विजय को पकड़ने लगी तो विजय समझ गया कि कविता ज्यादा गरम हो चुकी है....

विजय ज्यादा देर ना करते हुए कविता की दोनों टांग को फैलाया और अपना अंडरवियर निकाल कर नंगा हो गया...

विजय- कविता डार्लिंग, जरा देखो तो मेरा बाबू तुम्हारे रस भंडार में घुसने के लिए किस तरह बेकरार है ?

कविता थोड़ी सी नजर घुमा कर देखी- विजय का लन्ड तन के खड़ा था...

कविता शर्माती हुई बोली- हटो आप बड़े बदमाश हैं...

कविता की गाल शर्माती हुई लाल हो गयी थी...

विजय- आय हाय मेरे दो बच्चों की माँ, तुम्हारी इसी शर्मीली अदाएं की वजह से तुम्हे चोदने में ज्यादा मजा आता है...

विजय कविता की दोनों टांगो को फैलाया और सीधा अपना लन्ड कविता की चूत में डाल दिया....

कविता- मम्ममम्ममम्ममम्म सससससससससस हहहहहहहह

विजय धीरे धीरे चोदना सुरु किया.. वो कविता की चुचियों को दबा दबा के चोद रहा था...

कविता आंखे बंद करके आहें भर रही थी....

कविता- आआआआआहहहहहहह उहहहहहहहहहहहहह मम्ममम्ममम्मनन

विजय अब कविता की दोनों टांगो को अपने कंधे के ऊपर रख के जोर जोर से चोदने लगा... उसका लन्ड कविता की झांटो से भरी चूत में पूरे जोर जोर से अंदर बाहर हो रहा था...

पूरे कमरे के अंदर "पच पच पच पच पच पच" की आवाजें के साथ साथ कविता की कामुक आवाज़ें गूंजने लगा....

विजय पूरे मजे से कविता की चूत मार रहा था.... उसकी 36 की चूची हिलते हुए बड़े ही मादक लग रही थी.......

कुछ देर की जबरदस्त चुदाई के बाद एक बड़ा शॉट मारते हुए झड़ गया और कविता के ऊपर सो गया.... कविता की चेहरे पर पूर्ण संतुष्टि के भाव थी.... पति की ऐसी चुदाई से वो काफी संतुस्ट थी....

कुछ देर के बाद कविता बोली- सुनो जी आज देवर जी आये थे...

विजय टॉवल पहनते हुए- कौन राजेश आया था ?

कविता- हाँ (नाइटी पहनती हुई)

विजय- किस लिए आया था ?

कविता- ,,वो खेती के कुछ सामान लेने आये थे शहर में तो वो मुझे रास्ते पर मिल गए.... ,बोल रहे थे आपको बाबुजी ने गांव बुलाया है...

विजय- हूँ क्या बाबूजी को ये पता नहीं है कि में अभी तक उनसे नाराज हूँ...

कविता- वो तो मुझे पता नहीं पर राजेश यही बोल रहे थे.. और फिर गांव में हमारे जमीन जायदाद भी तो हैं...

विजय- तो फिर तुम क्या सोचती हो, हमें गांव जाना चाहिए या नहीं ?

कविता- वो में आपके ऊपर छोड़ रही हूँ..

विजय- ठीक है, जब तक बाबूजी मुझे खुद नहीं बोलते में नहीं जाऊंगा...

कविता- आप की मर्ज़ी....

फिर कमरे की लाइट ऑफ हो गयी.....

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खेत में धान पूरे शान से लहरा रहे थे... मदनपुर गांव के सबसे ज्यादा खेत रघुवीर शर्मा के पास था जो कि विजय शर्मा के पिताजी थे... बड़े से एरिया में खेती किया करते थे रघुवीर और उसका सारा काम अपने छोटे बेटा राजेश सम्भालता था... रघुवीर सिर्फ खेत देखने आते थे...

खेत के कोने में एक घर बनाया गया था, वहां पे वहां के मजदूर और खुद रघुवीर और राजेश आराम करते थे....यूं कहें तो फार्म हाउस की बिल्डिंग की तरह...

उस दिन खेत में राजेश कुछ मजदूरों को खेत का काम करवा रहा था और खुद काम की देखभाल कर रहा था...

वहां से सटे खेत के कोने में स्थित मकान में से किसी औरत की चीखने की आवाज आ रही थी...

मकान के अंदर एक औरत दीवार पर दोनों हाथ थाम के झुक के खड़ी थी और पीछे से एक आदमी जो कि दिखने में मजबूत था, उस औरत की चुदाई कर रहा था... उस की हर एक धक्का इतने मजबूत था कि उस औरत की मुंह से दर्द भरी चीखें निकल रही थी...

वो आदमी और कोई नहीं, वल्कि विजय की पिताजी रघुवीर शर्मा थे, जो उस औरत की बेरहमी से चोद रहा था...

वो औरत की आगे से ब्लाउज खुली हुई थी, जिससे उसकी दोनो चूची झूल रहे थे... उसके जिस्म से साड़ी उतर चुकी थी.. वो सिर्फ आधी खुली ब्लाउज और पेटीकोट मैं थी....

रघुवीर एक सफेद बनियान और धोती पहने हुए थे और पीछे से उस औरत की पेटीकोट को ऊपर सरका के खड़े खड़े ठुकाई कर रहे थे.... उनका उम्र 70 साल था पर उनकी चुदाई देख के अच्छे अच्छे जबान शर्म से मर जायेंगे...

रघुवीर- पूर्णिमा क्या तेरा पति तुझे ठीक से चोदता नहीं है क्या ? चूत अभी भी टाइट है..

पूर्णिमा- धीरे से करिए मालिक.. बहुत दर्द हो रही है... आआआआस्सस्सासस्स मालिक में मर जाऊंगी....

रघुवीर बड़े ही बेरहमी से पूर्णिमा की चूत चोद रहे थे... धीरे धीरे पूर्णिमा की चूत से पानी टपकने लगी थी... दोनो के दोनों पसीने से नहा चुके थे...

रघुवीर- अगली बार चूत में तेल लगा के आना, और मजा आएगा चोदने में....

पूर्णिमा दर्द से कराहते हुए बोली- जी मालिक...

अचानक रघुवीर पूर्णिमा को पकड़ के नीचे लिटा दिया जहां पर चटाई था...

और उसकी दोनों टांग पकड़ कर अपनी लोहे जैसी लन्ड उसकी चूत में डाल दिया और चोदने लगा....

पूर्णिमा चिल्लाने लगी- मालिक धीरे करिए मालिक.... माँ.... मर गयी....

रघुवीर झटके पर झटके मार रहा था और कुछ ही मिनट के अंदर झड़ गया और सारा पानी पूर्णिमा की चूत में डाल दिया...

पूर्णिमा 30 साल की हरीभरी औरत थी....

चुदाई खत्म होने के बाद पूर्णिमा उठ के अपनी साड़ी पहनने लगी और बोली- मालिक वो आपसे लिए हुए पैसा अभी माफ हो जाएंगे ना ?

रघुवीर पूर्णिमा को देखते हुए बोला- जब तक तेरी जवानी की रस ना चूस लूँ, तब तक माफ नहीं होगा... वैसे भी तू रकम भी तो ज्यादा ली है 10 हजार रुपये...

पूर्णिमा बेबस खड़ी थी और हाँ मैं सर हिलाते हुए जाने लगी...

पूर्णिमा के वहां से जाने के बाद रघुवीर पास में पड़े कुर्सी पर बैठ गया और अपना मोबाइल उठा के किसीकी फोन करने लगा...

रघुवीर- और कविता केसी हो ?

दूसरी तरफ से कविता की आवाज आ रही थी...

कविता- बाबूजी प्रणाम करते हैं...

रघुवीर- ,प्रणाम... और सब बढ़िया ?

कविता- जी बाबूजी...

रघुवीर- और विजय क्या बोल रहा है गांव आने के लिए ?

कविता- बाबूजी वो तो मना कर रहे हैं गाँव जाने के लिए...

रघुवीर- अब उस कमबख्त को कौन समझाए की मुझे उसका और तुम्हारी बहुत याद आता है...

कविता- जी बाबूजी...

रघुवीर- ,मतलब उसने साफ मना कर दिया यहां आने के लिए ?

कविता- बाबूजी वो बोल रहे थे कि अगर आप उन्हें खुद फोन करके बुलाएंगे तो वो जरूर आएंगे....

रघुवीर की आंखों में चमक सा आ गया...

रघुवीर- में जरूर फोन करूँगा... पर क्या वो मेरा बात मानेगा ?

कविता- आप बोल कर तो देखिए बाबूजी...

रघुवीर- ,जरूर... और बोलो तुम अच्छे हो ना !!!

कविता- ,,जी बाबूजी...

रघुवीर- और बच्चे केसे हैं ?

कविता- सब ठीक हैं बाबूजी...

रघुवीर- चलो अच्छा होगा तुम लोग गांव आ जाओगे.. खास कर तुम आओगी तो घर घर जैसा लगेगा...

कविता शर्माती हुई बोली- जी बाबूजी...

रघुवीर- अच्छा रखता हूँ....

फिर रघुवीर फोन रख के खुस होते हुए मन ही मन बोला- चलो कुछ तो अच्छा होने जा रहा है...

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दूसरे दिन कविता पास के किराना दुकान पे रासन लाने के लिए गयी तो लोकनाथ को मानो मौका मिल गया लाइन मारने का...

लोकनाथ- मेडम कैसे हैं ?

कविता- सब बढ़िया लोकनाथ जी..

लोकनाथ एक ही नजर से कविता की लाल रंग की ब्लाउज को निहार रहा था जो कि low कट ब्लाउज था, जिससे उसकी चुचियों का उभार साफ नजर आ रही थी...

लोकनाथ मन ही मन बोला- ,क्या पटाखा है बहनचोद... विजय का किस्मत है जो ऐसी माल को चोदता है....

कविता- लोकनाथ जी कहाँ खो गए आप ? मुझे इस महीने की रासन भिजवा दीजियेगा मेरे घर..

लोकनाथ होश में आते हुए- हां मेडम, क्यों नहीं ? आप कहें और में ना भिजवा दु... क्या बात करती है आप ?

कविता मुस्कुराती हुई बोली- पता है लोकनाथ जी, आप का काम बिल्कुल सही होता है...

लोकनाथ मन ही मन बोला- एक बार मौका तो दो मेडम, में ठुकाई भी जबरदस्त करता हूँ...

कविता- अच्छा तो लोकनाथ जी, मैं चलती हूँ.. आप थोड़ा जल्दी भेज दीजियेगा..

लोकनाथ कविता की मादक चूची को ब्लाउज के ऊपर से देखते हुए बोला- पक्का मेडम, में खुद जाऊंगा सामान देने के लिए...

कविता वहां से जाने लगी तो लोकनाथ ध्यान से कविता की ऊपर नीचे होती बड़ी बड़ी गाँड़ को देखने लगा और मन ही मन बोला- क्या गाँड़ है, है भगवान तूने मुझे इसकी पति क्यों नहीं बनाया ? गाँड़ देख के ही लन्ड से पानी निकल जायेगा बहनचोद... पता नहीं इसकी चूत कब नसीब होगा मुझे...

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पति राजेश और ससुर रघुवीर खेत में गए हुए थे तो मानसी अकेली बोर हो रही थी.. तभी पीछे से किसीने उसकी दोनो चूची को पकड़ लिया... मानसी चिहुंक गयी... पीछे देखी और बोली- तुम ? जाओ कोई देख लेगा राजू ?

25 साल का राजू उस घर की नौकर था...

राजू- देखने दो ना मेडम... वैसे भी कब तक छुप छुप कर तुमको प्यार करूँ ?

मानसी- ओह अभी मेरी चूची दबाना बन्द करो...

राजू दोनो चूची को ब्लाउज के ऊपर से मसलते हुए बोला- क्यों तुम्हारे चूची पे सिर्फ राजेश साहब का नाम लिखा है क्या ?

मानसी- ओह राजू, ज्यादा मत दबाओ, दर्द हो रहा है...

राजू- क्यों राजेश साहब ने कुछ ज्यादा ही मेहनत की है क्या तुम्हारे चूची पर ?

मानसी अपनी चूची के ऊपर से राजू का हाथ हटाते हुए राजू की मुंह की तरफ घूम गयी और बोली- तुम्हे शर्म नहीं आता, खुद बेरहमी से कल चूची मसल रहे थे याद नहीं है क्या तुम्हें ?

राजू हंसते हुए बोला- और गाँड़ सही सलामत है ना...

मानसी मुस्कुराती हुई बोली- उस को भी थप्पड़ मार मार के लाल कर दिए हो...

राजू- क्या करूँ, चूत मेरा कमजोरी है... जब तक इस तरह से चूत ना चोदू मुझे चैन नहीं मिलता...

मानसी- इसलिए तो तुम्हारे साहब से ज्यादा तुम मेरी चूत मार चुके हो...

राजू दोनो हाथ से मानसी की गाँड़ को दबाते हुए बोला- और आगे भी मारता रहूंगा...

मानसी खिलखिलाकर हंसने लगी...

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राजेश बाइक पे सवार होके गांव की आखरी में बना एक झोपड़े के पास गया और बाइक से उतरके झोपड़े में घुस गया...

राजेश- और आज खेत को काम करने क्यों नहीं आयी सुभद्रा ?

सुभद्रा- आपको तो पता है मालिक, मेरा बेटा राजू आपके घर गया है काम करने तो में सोची थोड़ा आराम कर लूं..

सुभद्रा राजू की माँ थी... उम्र 48 साल..

राजेश- एक ग्लास पानी ला पीने के लिए...

सुभद्रा एक glass पानी लेके आयी और राजेश के आगे खड़ी हो गयी और ग्लास देने लगी..

राजेश झट से सुभद्रा की हाथ को खींच लिया और सुभद्रा को दबोच लिया और बोला- पानी कौन पियेगा बहनचोद... मुझे तेरी चूत चाहिए...

सुभद्रा डरती हुई बोली- छोड़िये मालिक, क्या कर रहे हैं आप ?

राजेश- वहीं कर रहा हूँ जो एक मर्द एक औरत के साथ करता है.. चुपचाप कपड़े उतारेगी या में नंगी करूँ तुझे ?

सुभद्रा अपने बेटे राजू के बारे में सोचने लगी आर बोली- में उतारूंगी मालिक...

राजेश सुभद्रा को छोड़ दिया और बोला- ,बहुत बढ़िया, चल कपड़े उतार... बहुत दिन हो गया कोई भैंस नहीं चोदा...

सुभद्रा साड़ी उतार दी थी.. वो सिर्फ ब्लाउज में थी... उसकी चूची बहुत बड़ी थी 38 साइज की.... सुभद्रा धीरे धीरे ब्लाउज और पेटीकोट भी उतार दी.. अब वो नंगी खड़ी थी राजेश के आगे...

राजेश- बिल्कुल भैंस लग रही है बहनचोद... चोदने में मजा आएगा...

राजेश पास जाते हुए एक जोरदार थप्पड़ सुभद्रा की गाँड़ पे मारा... सुभद्रा की चीख निकल गयी....

राजेश- मस्त गाँड़ है रे तेरा सुभद्रा.. रोज कितनी बार चुदती है तेरे पति से ?

सुभद्रा सर नीचे करके खड़ी थी..

राजेश उसकी 38 की चूची देख कर उसकी निप्पल को दबाते हुए बोला- दूध भी मस्त है... अभी भी लीटर लीटर दूध देती है क्या तू ? कोई बात नहीं आज दूध में पिऊंगा...

नीचे चूत में झांट देख कर बोला- जंगल भरी पड़ी है बहनचोद...इस जंगल में कैसे शिकार किया जाता है में बताऊंगा...

सुभद्रा सर को नीचे करके खड़ी थी....

राजेश नंगा हो गया था...

राजेश अपना लन्ड को हाथ में लेकर बोला- चल मेरा केला चूस पहले...

सुभद्रा घुटनो के बल बैठ गयी और राजेश का लन्ड मुंह में लेकर चूसने लगी..

राजेश- बहुत बढ़िया.... क्या मस्त चूस रही है तू सुभद्रा... पहले रंडी काम करती थी क्या ?

सुभद्रा लन्ड को मुंह के पूरा अंदर ले रही थी, राजेश को मजा आ रहा था...

राजेश- बहुत दिन बाद आज कोई चूत चोदने को मजा आएगा...

थोड़ी देर लन्ड चूसने के बाद राजेश बोला- चल अब कुतिया बन, मुझे तेरा चूत फाड़ना है...

सुभद्रा नीचे घुटनो के बल कुतिया बन गयी...

राजेश पीछे से आके एक ही झटके पर पूरा लन्ड अंदर घुसेड़ दिया...

सुभद्रा की चीख निकल गयी....

सुभद्रा- मालिक आआआहहहहहहह

राजेश- बहनचोद चिल्ला मत, नहीं तो चोद चोद के कुआँ बना दूंगा चूत को...

सुभद्रा की चूत में राजेश का बड़ा लन्ड तेजी से आगे पीछे होने लगा...

सुभद्रा- ,मालिक धीरे धीरे.... मम्ममम्ममम्ममम्म मर जाऊंगी

राजेश एक जोरदार चांटा उसकी गाँड़ पर मारते हुए बोला- मादरचोद चिल्ला मत, नहीं तो ऐसा चोदूंगा की चूत से बच्चा निकलेगा....

कुछ देर बेरहम ठुकाई करने के बाद सुभद्रा कई बार झड़ चुकी थी...

राजेश- चल अब सीधा लेट नीचे..

सुभद्रा नीचे लेट गयी... सुभद्रा की मुंह लाल हो चुके थे और उसकी गाँड़ भी लाल हो चुकी थी..

राजेश अब सुभद्रा की दोनों चूची को बारी बारी से चूसने लगा...

राजेश- ऐसे चूची छुपाने के लिए नहीं, चूसने के लिए होती है...

राजेश दोनो चूची को इस तरह चूसा की दोनों चूची लाल लाल हो गए थे....

बस क्या था राजेश अब सुभद्रा को बेरहमी से ठोकने लगा..... सुभद्रा की चूत से वीर्य की नदी बहने लगी...

सुभद्रा अधमरी हो कर नीचे पड़ी थी....

राजेश अपना कपड़ा पहनते हुए बोला- आज से तू मेरा रंडी है समझी... मे जब चाहे तुझे चोदूगा...

सुभद्रा इशारो से मुंडी हिलाने लगी....

राजेश मन ही मन बोला- बहनचोद राजू, मेरा बीवी को चोद रहा है ना, अब में उसको दिखाऊंगा रंडी चोदना किसे कहते हैं ? उसके सामने उसकी मम्मी को ठोकूँगा रंडी बना के...

To be continued...

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यहाँ तो सभी हरामी चुदक्कड ही है कोई भी शरीफ नही है । :lotpot:
 
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