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ये कहानी पूरी तरह से काल्पनिक है.. इस कहानी के सभी पात्र काल्पनिक है तथा इसकी समानता किसी के साथ होती है तो इसे मात्र एक संयोग कहा जायेगा...
ये कहानी है एक शादीसुदा औरत की जो दिन व दिन कामुकता की सीढ़ी चढ़ती जाती है... ये कहानी है कविता शर्मा की...
कविता शर्मा
उम्र- 44
फिगर- 36 28 38
रंग- गोरा
हाइट- 5 फिट 7 इंच
कविता 2 बच्चे की माँ थी... दोंनो के दोनों बेटे थे... उनका पढाई लिखाई उसी सहर में हो रहा था...
कविता के पति का नाम विजय शर्मा है जो कि एक छोटे से कंपनी में job करता है... जिस से घर का गुजारा होता है...
विजय शर्मा
उम्र- 45
कविता और विजय की लव मेर्रिज cum Arrange मेर्रिज हुआ था.... कॉलेज के दिनों से दोनों एक दूसरे को प्यार करते थे, फिर शादी कर ली... एक ही जाती के होने के से दोनों की शादी में कोई रुकावट नहीं आयी...
विजय शर्मा पास के गाँव मदनपुर से ताल्लुक रखता था... वो उस गांव के अमीर परिवार से था लेकिन अपने पिताजी से थोड़े से कहासुनी हो कर वो पास वाले सहर चला आया और काम करने लगा....
विजय शर्मा के पिताजी का नाम रघुवीर शर्मा था, जो कि मदनपुर गाँव के सबसे अमीर और इज्जतदार आदमी थे....
रघुवीर शर्मा
उम्र- 70
ऊंचे लम्बे कद के आदमी, बड़ी बड़ी मूंछे, सर पर पगड़ी, ये सब रघुवीर शर्मा के व्यक्तित्व को और भी मजबूत बनाता था....
रघुवीर के दो बेटे थे, बड़ा बेटा विजय शर्मा और छोटा बेटा राजेश शर्मा..
राजेश शर्मा
उम्र- 38
राजेश की भी शादी हो चुका था.. उसका बीवी का नाम थी मानसी शर्मा...
मानसी शर्मा
उम्र- 30
फिगर- 34 27 34
मानसी और राजेश के एक बेटा था जो कि छोटा था...
राजेश घर का खेती सम्भालता था क्योंकि जमीन जायदाद बहुत था रघुवीर के पास....
रघुवीर और विजय के बीच झगड़ा होने के बाद विजय अपने बीवी कविता को लेकर सहर चला गया था....
लेकिन भले ही विजय अपने पिता रघुवीर से झगड़ा किया हो पर रघुवीर और उसके परिवार कविता से फोन पर बात किया करते थे, लेकिन विजय से नहीं करते थे...
विजय सुबह के 9 बजे ही आफिस के लिए निकल जाता था.. फिर कविता अपने दोनों बच्चों को तैयार करके स्कूटी से स्कूल छोड़ के आ जाती थी.....
कविता दिखने में जैसी आकर्षक और खूबसूरत थी, अंदर से उतनी ही मादक थी.. कविता बहुत ही संस्कारी औरत थी...वो जब भी साड़ी और ब्लाउज में बाहर जाती थी, सारे मर्दो के नजर उसकी मादक भरी जवानी पर टिक जाता था... कोई मर्द दांत दबाता था तो कोई मर्द अपने हाथ को लन्ड तक ले जाने को नहीं रोक पाता था...
कविता 44 साल की उम्र होने के वावजूद अपने जिस्म को ऐसे maintain करके रखी थी देखने वालों का होश उड़ जाता था... गोरा रंग, बड़ी बड़ी चुचियाँ, लचकती कमर, हिलते डुलते गाँड़, ये किसी भी मर्द को आकृष्ठ कर रहा था...
लेकिन कविता बहुत ही संस्कारी औरत थी.. पूजा पाठ बहुत किया करती थी... मादक जिस्म होने के वावजूद वो पराये मर्द को देखती भी नहीं थी... उसके लिए पति और बच्चे ही सबकुछ थे...
कविता के जिस्म को पाने के लिए मोहल्ले के सारे मर्द तेडप रहे थे... लेकिन कविता थी संस्कारी औरत...
रोज की तरह उस दिन भी कविता अपने दोंनो बच्चों को स्कूल छोड़ने गयी थी....लेकिन आते वक्त उसकी स्कूटी रास्ते मे पंक्चर हो गया... कविता ने देखा आसपास में कोई garrage भी नहीं है तो वो परेशान हो गयी... और स्कूटी को धकेलते हुए पैदल चल रही थी...
तभी पीछे से एक काले रंग की बाइक आके कविता के पास रुक गया... कविता चौंक के उस शख्श को देखने लगी पर पहचान नहीं पाई क्योंकि वो हेलमेट पहना हुआ था....
शख्श- हेलो डार्लिंग, कैसे हो ?
कविता चौंक गई और बोली- बड़े बदतमीज हो आप... क्या कोई शरीफ महिला से इस तरह बातें की जाती है ?
शख्श- वो तो मुझे पता नहीं लेकिन इतना बोल सकता हूँ "आप इस लाल साड़ी में हेरोइन लग रही हो भगवान कसम...
कविता- देखिये आप को में फिर से बोल देती हूँ "आप की व्यवहार ठीक नहीं है, में एक शादीसुदा औरत और माँ भी हूं... आपके घर में माँ बहन तो होंगे ही ना !!!
इतना कह के कविता आगे बढ़ने लगी तो पीछे से आवाज आया- ओ भाभी सुनो तो !!
कविता पीछे मुड़ के देखी और बोली- अरे राजेश तुम !!
वो शख्श हंसता हुआ बोला- हाँ भाभी... पहले मेरा प्रणाम लीजिये... केसा लगा मेरा मजाक ? डर गए ना...
कविता थोड़ी सी मुस्कुराती हुई बोली- भला इस तरह कोई डराता है क्या ?
राजेश- वैसे भाभी वो तो मजाक था पर सच कहूँ तो आप Bomb लग रही हो....
कविता सर को थोड़ी सी नीचे करती हुई बोली- बस रहने भी दो राजेश.. में तुम्हारे बड़े भाई की बीवी हूँ...
राजेश बाइक से उतरते हुए बोला- यही तो जलन होता है मुझको की आप जैसी खूबसूरत माल भैया को कैसे मिल गया ?
कविता शर्माती हुई बोली- हटो तुम भी ना !!
राजेश हंसते हुए कविता के हाथ को पकड़ते हुए बोला- सच में भाभी, बहुत दिन के बाद तुम्हारे चाँद जैसी चेहरा देखने को मिला...
कविता दूसरी तरफ मुंह करके शर्माती हुई बोली- अब सिर्फ तारीफ ही करते रहोगे या मेरी मदद भी करोगे ?
राजेश उसकी हाथ को छोड़ते हुए बोला- बोलिये में क्या करूँ भाभी जी ?
कविता- ये कमबख्त गाड़ी पंक्चर हो गयी...
राजेश- इसलिए तो बोलता हूँ भाभी, आप और भैया गांव लौट चलो.... यहां पर क्या है बोलो ?
कविता- हूँ पर तुम्हारे भैया को समझा सकते हो तो देखो... वो तो बहुत नाराज है बाबूजी से...
राजेश- नाराजगी थोड़ी ना उम्र भर रखना चाहिए..
कविता- बात तो सही है...
.
राजेश- आप लोग गाँव चलोगे तो हमारा परिवार फिर से खिल उठेगा... और फिर मुझे रोज चाँद के दर्शन होंगे...
कविता शर्माती हुई- बड़े बदमाश हो गए आजकल...
राजेश- बदमाशी करना मेरा शौक है भाभी..
कविता- वैसे सहर क्यों आये थे तुम ?
राजेश- आप को देखने (मुस्कुराते हुए)
कविता- ओह फो मजाक नहीं, बोलो ना !!
राजेश- खेती के लिए कुछ सामान लेने आया था...
कविता- ओह तो सामान मिल गया ?
राजेश- गाड़ी में गाँव भेज दिया..
कविता- तो फिर यहां आए तो हमारे घर चलो...
राजेश- नहीं नहीं मुझे देर हो जाएगा...
कविता- तुम्हारे भैया को पता चला तो वो बुरा मानेंगे... चलो घर चलो...
राजेश- एक ही शर्त पर जाऊंगा..
कविता- शर्त ?? कौनसी ?
राजेश- आपके कोमल हाथों से बनी गरम गरम चाय पीने को मिलेगा तो !!!
कविता मुस्कुराती हुई बोली- ये भी कोई पूछने वाली बात है क्या ?
फिर राजेश कविता की स्कूटी पकड़ लिया और पास वाले गेराज में दे दिया और बोला कल लेने आएंगे... फिर अपने बाइक पर कविता को बिठा के घर आने लगे..
बाइक जैसे ही मोहल्ले के अंदर घुसा, सबकी नजरें कविता और राजेश पर गया...
पास के किराना दुकान के मालिक लोकनाथ ध्यान से कविता और राजेश को देख रहा था...
वो मन ही मन सोचने लगा- ये कौन है बहनचोद, जो कविता मेडम के साथ आया है.. कुछ तो चक्कर है, सीधा घर में घुस गया... साला हम लोग कई दिनों से प्यासे हैं और बाहर से आया कोई ऐरा गैरा कविता मेडम की रस चूस रहा है... बहनचोद पता लगाना पड़ेगा....
48 साल का लोकनाथ उस मोहल्ले में General स्टोर चलाता था पर उसका हवस भरी नजर कविता पर थी... कविता को हर हाल में चोदना चाहता था... पर हिम्मत नहीं जुटा पा रहा था... कविता से सिर्फ बात ही कर पाता था जब वो दुकान आती थी....








कविता- और बोलो घर में सब कैसे हैं, बाबूजी कैसे हैं ?
राजेश- बाबूजी का तो पता है आपको, जबसे मम्मी गुजर गई है तब से शराब रोज पीते हैं....
कविता- ओह !!! और मानसी केसी है और तुम्हारे बच्चे केसे हैं ?
राजेश- सब बढ़िया हैं भाभी.. बच्चा भी बोलता है "बड़ी माँ को यहां बुला लो (कविता को देख के)
कविता- सच में (हंसते हुए)
राजेश- और में भी यही कहता हूँ आप और भैया जल्दी गाँव आ जाओ और बाबूजी भी यही चाहते हैं...
कविता- बात तो ठीक है पर तुम्हारे भैया को कौन समझाए ?
राजेश- आप समझाओ और कौन ?
कविता- में ? में कैसे समझाऊ ?
राजेश- अरे भाभी, औरतों की बातों से शेर भी घायल हो जाता है ये भैया क्या चीज़ है और वैसे भी आप तो स्वर्ग की अप्सरा जैसी खूबसूरत हैं, आपकी बात को टाल नहीं पाएंगे...
कविता शर्माती हुई बोली- बस बस बहुत तारीफ हो गया देवर जी...
राजेश- हीरे को हीरे कहूँ तो क्या गलत है (कविता की मादक जिस्म को देखते हुए)
कविता शर्म से नजरें नीची करके बोली- तुम्हे तो बस एक ही काम आता है तारीफ करना...
राजेश- आप हो ही बला की खूबसूरत, तारीफ मुंह से यूं ही निकल जाता है...
कविता बात को घुमाते हुए बोली- और बोलो ?
राजेश- और क्या बोलूँ, मेरे दो बेटे कहाँ गए हैं ?
कविता- दोनो स्कूल गए हैं, अभी जाऊंगी लेने के लिए...
राजेश- हूँ भाभी आपके साथ बात करूंगा तो पता ही नहीं चलेगा कि कब शाम हो जाएगाऔर रात भी हो जाएगा, तो फिर मुझे अभी जाना चाहिए...
कविता- ऐसे ही बीच बीच घर आते रहना...
राजेश- क्या करूँ भाभी, खेती से फुर्सत कहां मिलता है ? कभी कभी खुद भी मेहनत कर लेता हूँ खेत पे...
कविता राजेश की कसरती बदन को एक बार ध्यान से देखने लगी तो उसकी जिस्म में झुरझुरी सी दौड़ने लगी... पर वो खुद को संभाल ली, क्योंकि वो एक संस्कारी औरत थी....
राजेश- वैसे भाभी आप गांव आ जाएंगे तो मुझे यहां आना ही नहीं पड़ेगा...
कविता- देखेंगे, में तुम्हारे भैया से बात करती हूँ...
फिर कुछ देर के बाद दोनों घर से बाहर निकले.. राजेश बाइक पर बैठ गया तो कविता हाथ से Bye bye बोलके इशारा करने लगी...
ये सब दुकान के अंदर से लोकनाथ देख रहा था.. वो मन ही मन बोला- लो 2 घण्टे तक कविता मेडम की ठुकाई करने के बाद आराम से जा रहा है बहनचोद... और कविता मेडम भी bye bye कर रही है, कुछ ज्यादा ही चक्कर है लगता है... लेकिन ये बहनचोद कविता मेडम तो ज्यादा संस्कारी है, इतने जल्दी इसको चूत कैसे दे दी ? कुछ भी हो सकता है, काहे का संस्कारी ? बड़ा लन्ड देखते ही संस्कार कहाँ गायब हो जाता है रंडियों की ? बहनचोद अब तो में कविता मेडम को ठोक के ही रहूंगा...
To be Continued......
ये कहानी है एक शादीसुदा औरत की जो दिन व दिन कामुकता की सीढ़ी चढ़ती जाती है... ये कहानी है कविता शर्मा की...
कविता शर्मा
उम्र- 44
फिगर- 36 28 38
रंग- गोरा
हाइट- 5 फिट 7 इंच
कविता 2 बच्चे की माँ थी... दोंनो के दोनों बेटे थे... उनका पढाई लिखाई उसी सहर में हो रहा था...
कविता के पति का नाम विजय शर्मा है जो कि एक छोटे से कंपनी में job करता है... जिस से घर का गुजारा होता है...
विजय शर्मा
उम्र- 45
कविता और विजय की लव मेर्रिज cum Arrange मेर्रिज हुआ था.... कॉलेज के दिनों से दोनों एक दूसरे को प्यार करते थे, फिर शादी कर ली... एक ही जाती के होने के से दोनों की शादी में कोई रुकावट नहीं आयी...
विजय शर्मा पास के गाँव मदनपुर से ताल्लुक रखता था... वो उस गांव के अमीर परिवार से था लेकिन अपने पिताजी से थोड़े से कहासुनी हो कर वो पास वाले सहर चला आया और काम करने लगा....
विजय शर्मा के पिताजी का नाम रघुवीर शर्मा था, जो कि मदनपुर गाँव के सबसे अमीर और इज्जतदार आदमी थे....
रघुवीर शर्मा
उम्र- 70
ऊंचे लम्बे कद के आदमी, बड़ी बड़ी मूंछे, सर पर पगड़ी, ये सब रघुवीर शर्मा के व्यक्तित्व को और भी मजबूत बनाता था....
रघुवीर के दो बेटे थे, बड़ा बेटा विजय शर्मा और छोटा बेटा राजेश शर्मा..
राजेश शर्मा
उम्र- 38
राजेश की भी शादी हो चुका था.. उसका बीवी का नाम थी मानसी शर्मा...
मानसी शर्मा
उम्र- 30
फिगर- 34 27 34
मानसी और राजेश के एक बेटा था जो कि छोटा था...
राजेश घर का खेती सम्भालता था क्योंकि जमीन जायदाद बहुत था रघुवीर के पास....
रघुवीर और विजय के बीच झगड़ा होने के बाद विजय अपने बीवी कविता को लेकर सहर चला गया था....
लेकिन भले ही विजय अपने पिता रघुवीर से झगड़ा किया हो पर रघुवीर और उसके परिवार कविता से फोन पर बात किया करते थे, लेकिन विजय से नहीं करते थे...
विजय सुबह के 9 बजे ही आफिस के लिए निकल जाता था.. फिर कविता अपने दोनों बच्चों को तैयार करके स्कूटी से स्कूल छोड़ के आ जाती थी.....
कविता दिखने में जैसी आकर्षक और खूबसूरत थी, अंदर से उतनी ही मादक थी.. कविता बहुत ही संस्कारी औरत थी...वो जब भी साड़ी और ब्लाउज में बाहर जाती थी, सारे मर्दो के नजर उसकी मादक भरी जवानी पर टिक जाता था... कोई मर्द दांत दबाता था तो कोई मर्द अपने हाथ को लन्ड तक ले जाने को नहीं रोक पाता था...
कविता 44 साल की उम्र होने के वावजूद अपने जिस्म को ऐसे maintain करके रखी थी देखने वालों का होश उड़ जाता था... गोरा रंग, बड़ी बड़ी चुचियाँ, लचकती कमर, हिलते डुलते गाँड़, ये किसी भी मर्द को आकृष्ठ कर रहा था...
लेकिन कविता बहुत ही संस्कारी औरत थी.. पूजा पाठ बहुत किया करती थी... मादक जिस्म होने के वावजूद वो पराये मर्द को देखती भी नहीं थी... उसके लिए पति और बच्चे ही सबकुछ थे...
कविता के जिस्म को पाने के लिए मोहल्ले के सारे मर्द तेडप रहे थे... लेकिन कविता थी संस्कारी औरत...
रोज की तरह उस दिन भी कविता अपने दोंनो बच्चों को स्कूल छोड़ने गयी थी....लेकिन आते वक्त उसकी स्कूटी रास्ते मे पंक्चर हो गया... कविता ने देखा आसपास में कोई garrage भी नहीं है तो वो परेशान हो गयी... और स्कूटी को धकेलते हुए पैदल चल रही थी...
तभी पीछे से एक काले रंग की बाइक आके कविता के पास रुक गया... कविता चौंक के उस शख्श को देखने लगी पर पहचान नहीं पाई क्योंकि वो हेलमेट पहना हुआ था....
शख्श- हेलो डार्लिंग, कैसे हो ?
कविता चौंक गई और बोली- बड़े बदतमीज हो आप... क्या कोई शरीफ महिला से इस तरह बातें की जाती है ?
शख्श- वो तो मुझे पता नहीं लेकिन इतना बोल सकता हूँ "आप इस लाल साड़ी में हेरोइन लग रही हो भगवान कसम...
कविता- देखिये आप को में फिर से बोल देती हूँ "आप की व्यवहार ठीक नहीं है, में एक शादीसुदा औरत और माँ भी हूं... आपके घर में माँ बहन तो होंगे ही ना !!!
इतना कह के कविता आगे बढ़ने लगी तो पीछे से आवाज आया- ओ भाभी सुनो तो !!
कविता पीछे मुड़ के देखी और बोली- अरे राजेश तुम !!
वो शख्श हंसता हुआ बोला- हाँ भाभी... पहले मेरा प्रणाम लीजिये... केसा लगा मेरा मजाक ? डर गए ना...
कविता थोड़ी सी मुस्कुराती हुई बोली- भला इस तरह कोई डराता है क्या ?
राजेश- वैसे भाभी वो तो मजाक था पर सच कहूँ तो आप Bomb लग रही हो....
कविता सर को थोड़ी सी नीचे करती हुई बोली- बस रहने भी दो राजेश.. में तुम्हारे बड़े भाई की बीवी हूँ...
राजेश बाइक से उतरते हुए बोला- यही तो जलन होता है मुझको की आप जैसी खूबसूरत माल भैया को कैसे मिल गया ?
कविता शर्माती हुई बोली- हटो तुम भी ना !!
राजेश हंसते हुए कविता के हाथ को पकड़ते हुए बोला- सच में भाभी, बहुत दिन के बाद तुम्हारे चाँद जैसी चेहरा देखने को मिला...
कविता दूसरी तरफ मुंह करके शर्माती हुई बोली- अब सिर्फ तारीफ ही करते रहोगे या मेरी मदद भी करोगे ?
राजेश उसकी हाथ को छोड़ते हुए बोला- बोलिये में क्या करूँ भाभी जी ?
कविता- ये कमबख्त गाड़ी पंक्चर हो गयी...
राजेश- इसलिए तो बोलता हूँ भाभी, आप और भैया गांव लौट चलो.... यहां पर क्या है बोलो ?
कविता- हूँ पर तुम्हारे भैया को समझा सकते हो तो देखो... वो तो बहुत नाराज है बाबूजी से...
राजेश- नाराजगी थोड़ी ना उम्र भर रखना चाहिए..
कविता- बात तो सही है...
.
राजेश- आप लोग गाँव चलोगे तो हमारा परिवार फिर से खिल उठेगा... और फिर मुझे रोज चाँद के दर्शन होंगे...
कविता शर्माती हुई- बड़े बदमाश हो गए आजकल...
राजेश- बदमाशी करना मेरा शौक है भाभी..
कविता- वैसे सहर क्यों आये थे तुम ?
राजेश- आप को देखने (मुस्कुराते हुए)
कविता- ओह फो मजाक नहीं, बोलो ना !!
राजेश- खेती के लिए कुछ सामान लेने आया था...
कविता- ओह तो सामान मिल गया ?
राजेश- गाड़ी में गाँव भेज दिया..
कविता- तो फिर यहां आए तो हमारे घर चलो...
राजेश- नहीं नहीं मुझे देर हो जाएगा...
कविता- तुम्हारे भैया को पता चला तो वो बुरा मानेंगे... चलो घर चलो...
राजेश- एक ही शर्त पर जाऊंगा..
कविता- शर्त ?? कौनसी ?
राजेश- आपके कोमल हाथों से बनी गरम गरम चाय पीने को मिलेगा तो !!!
कविता मुस्कुराती हुई बोली- ये भी कोई पूछने वाली बात है क्या ?
फिर राजेश कविता की स्कूटी पकड़ लिया और पास वाले गेराज में दे दिया और बोला कल लेने आएंगे... फिर अपने बाइक पर कविता को बिठा के घर आने लगे..
बाइक जैसे ही मोहल्ले के अंदर घुसा, सबकी नजरें कविता और राजेश पर गया...
पास के किराना दुकान के मालिक लोकनाथ ध्यान से कविता और राजेश को देख रहा था...
वो मन ही मन सोचने लगा- ये कौन है बहनचोद, जो कविता मेडम के साथ आया है.. कुछ तो चक्कर है, सीधा घर में घुस गया... साला हम लोग कई दिनों से प्यासे हैं और बाहर से आया कोई ऐरा गैरा कविता मेडम की रस चूस रहा है... बहनचोद पता लगाना पड़ेगा....
48 साल का लोकनाथ उस मोहल्ले में General स्टोर चलाता था पर उसका हवस भरी नजर कविता पर थी... कविता को हर हाल में चोदना चाहता था... पर हिम्मत नहीं जुटा पा रहा था... कविता से सिर्फ बात ही कर पाता था जब वो दुकान आती थी....








कविता- और बोलो घर में सब कैसे हैं, बाबूजी कैसे हैं ?
राजेश- बाबूजी का तो पता है आपको, जबसे मम्मी गुजर गई है तब से शराब रोज पीते हैं....
कविता- ओह !!! और मानसी केसी है और तुम्हारे बच्चे केसे हैं ?
राजेश- सब बढ़िया हैं भाभी.. बच्चा भी बोलता है "बड़ी माँ को यहां बुला लो (कविता को देख के)
कविता- सच में (हंसते हुए)
राजेश- और में भी यही कहता हूँ आप और भैया जल्दी गाँव आ जाओ और बाबूजी भी यही चाहते हैं...
कविता- बात तो ठीक है पर तुम्हारे भैया को कौन समझाए ?
राजेश- आप समझाओ और कौन ?
कविता- में ? में कैसे समझाऊ ?
राजेश- अरे भाभी, औरतों की बातों से शेर भी घायल हो जाता है ये भैया क्या चीज़ है और वैसे भी आप तो स्वर्ग की अप्सरा जैसी खूबसूरत हैं, आपकी बात को टाल नहीं पाएंगे...
कविता शर्माती हुई बोली- बस बस बहुत तारीफ हो गया देवर जी...
राजेश- हीरे को हीरे कहूँ तो क्या गलत है (कविता की मादक जिस्म को देखते हुए)
कविता शर्म से नजरें नीची करके बोली- तुम्हे तो बस एक ही काम आता है तारीफ करना...
राजेश- आप हो ही बला की खूबसूरत, तारीफ मुंह से यूं ही निकल जाता है...
कविता बात को घुमाते हुए बोली- और बोलो ?
राजेश- और क्या बोलूँ, मेरे दो बेटे कहाँ गए हैं ?
कविता- दोनो स्कूल गए हैं, अभी जाऊंगी लेने के लिए...
राजेश- हूँ भाभी आपके साथ बात करूंगा तो पता ही नहीं चलेगा कि कब शाम हो जाएगाऔर रात भी हो जाएगा, तो फिर मुझे अभी जाना चाहिए...
कविता- ऐसे ही बीच बीच घर आते रहना...
राजेश- क्या करूँ भाभी, खेती से फुर्सत कहां मिलता है ? कभी कभी खुद भी मेहनत कर लेता हूँ खेत पे...
कविता राजेश की कसरती बदन को एक बार ध्यान से देखने लगी तो उसकी जिस्म में झुरझुरी सी दौड़ने लगी... पर वो खुद को संभाल ली, क्योंकि वो एक संस्कारी औरत थी....
राजेश- वैसे भाभी आप गांव आ जाएंगे तो मुझे यहां आना ही नहीं पड़ेगा...
कविता- देखेंगे, में तुम्हारे भैया से बात करती हूँ...
फिर कुछ देर के बाद दोनों घर से बाहर निकले.. राजेश बाइक पर बैठ गया तो कविता हाथ से Bye bye बोलके इशारा करने लगी...
ये सब दुकान के अंदर से लोकनाथ देख रहा था.. वो मन ही मन बोला- लो 2 घण्टे तक कविता मेडम की ठुकाई करने के बाद आराम से जा रहा है बहनचोद... और कविता मेडम भी bye bye कर रही है, कुछ ज्यादा ही चक्कर है लगता है... लेकिन ये बहनचोद कविता मेडम तो ज्यादा संस्कारी है, इतने जल्दी इसको चूत कैसे दे दी ? कुछ भी हो सकता है, काहे का संस्कारी ? बड़ा लन्ड देखते ही संस्कार कहाँ गायब हो जाता है रंडियों की ? बहनचोद अब तो में कविता मेडम को ठोक के ही रहूंगा...
To be Continued......