अद्यतन-३ (अपडेट-3)
... अब यह निश्चित हो गया था कि बबीता और नागेंद्र का मिलन में दोनो में से कोई पीछे नहीं हटेगा । मै कॉलेज के बारे में बताना भूल गया कॉलेज हाईवे से सटा हुआ था दो आमने सामने बड़ी बिल्डिंग थीं एक पुरानी थी एक नई ।नई वाली में टॉप फ्लोर पर लाइब्रेरी थी ग्राउंड फ्लोर पर एक तरफ एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग की लैब दूसरी तरफ खाली स्पेस था क्योंकि इस कोर्स को हाल ही में मान्यता मिली थी, फर्स्ट फ्लोर पर एक तरफ डायरेक्टर और कुछ अन्य स्टॉफ के रूम तथा दूसरी तरफ Placement cell थी बीच के फ्लोर और टॉप फ्लोर का दाहिना पक्ष शैक्षणिक कार्य के लिए यूज होता था। इसी तरह सामने वाली पुरानी बिल्डिंग शैक्षणिक कार्य और सारी प्रयोगशालाएं थी जैसे इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन, कंप्यूटर साइंस, MATLAB, इंजीनियरिंग ड्राइंग आदि। और हां पुरानी बिल्डिंग में ही अकाउंट शाखा थी जो फीस वगैरह का मैटर देखती थी, दूसरे फ्लोर पर परीक्षा प्रकोष्ठ (एग्जामिनेशन सेल) भी था और CCTV जो कि यूनिवर्सिटी ने एग्जाम में अनिवार्य कर दिया था और स्टूडेंट और कॉलेज की सेफ्टी के लिए भी CCTV लगाया गया था की मॉनिटरिंग करने के लिए एक बाबू मोहित नियुक्त था ।
पुरानी बिल्डिंग के बाएं तरफ गर्ल्स हॉस्टल और नई बिल्डिंग के बाएं तरफ बॉयज हॉस्टल था। गर्ल्स हॉस्टल के दाएं साइड कुछ दूर चलने पर बड़ा प्ले ग्राउंड क्रिकेट या कोई आयोजन के लिए था। जबकि बैडमिंटन वगैरह के लिए तो बॉयज हॉस्टल के सामने ही प्लेइंग प्लेस था।
26 सितंबर की शाम चार बजे दोनो काम में लगे हुए थे कि अचानक घने काले बादल छाने लगे ऐसा लग रहा था ये जाते हुए मानसून की घनघोर बारिश करेंगे। पूरा स्टॉफ तो पौने पांच बजे तक ही निकल गया अब तक बूंदा बांदी हो रही थी स्टूडेंट भी अपने हॉस्टल और जो दिवा छात्र थे वे पांच बजे से पहले ही अपने घर के लिए चल दिए। जब पांच बजे नागेंद्र बाहर लाइब्रेरी से बाहर निकला आवाज लगाई मोहन ! वो मोहन! कोई आवाज नही आई मोहन भी लाइब्रेरी के सामने वाली साइड और बीच में लगी लाइटों को बुझाकर घर चला गया था । गेट पर गार्ड के लिए जो केबिन बना था वह इस बिल्डिंग से थोड़ा सा पीछे लेकिन इसी दिशा में बना था यानी अगर गार्ड पुरानी बिल्डिंग के बरामदों को तो देख सकता था। लेकिन नई बिल्डिंग के बरामदे वो झांक कर भी नहीं देख सकता था बशर्ते वह निकलकर दूसरी तरफ न आ जाए। नागेंद्र ने देखा तेज मूसलाधार बारिश शुरू हो गई थी हाईवे पर तेज वाहन बारिश में रोड के साथ आवाज करते हुए निकल रहे थे ।
नागेंद्र: बबिता! हमे बीस मिनट पहले निकल जाना चाहिए था।
बबिता: क्या हुआ? क्यों निकल जाना चाहिए था?
नागेंद्र: बाहर चल के देखो ।
आगे आगे बबिता निकली पीछे पीछे नागेंद्र बबिता जाकर रेलिंग से सटकर खड़ी हो गई , जिससे उसकी चूंचियों का निचला भाग ठंडी रेलिंग से छूकर सिहरन पैदा कर दिया । ठंडी हवा के थपेड़े और हल्की बौछार ने नागेंद्र के खड़े होते लंड को अचानक मुरझा दिया और बबिता की भी चूत एकदम से ठंड लगने से सिकुड़कर रबड़ हो गई । लेकिन जब लंड में दोबारा प्रसार शुरू तो वो बेकाबू था इसी तरह बबीता की चूत सिकुड़ने के बात जब गरम हुई तो मानने को तैयार ही नहीं थी । मौसम ही ऐसा था पांच बजे ही घना अंधेरा तेज बारिश खाली बिल्डिंग ।
बबीता: मुझे ठंड लग रही है दोनो साथ खड़े हो जाते हैं।
दोनो एक दूसरे से सटकर खड़े हो गए बातचीत करते करते कब नागेंद्र बबीता के पीछे खड़ा हो गया पता ही नही चला। वास्तव में नागेंद्र तो थोड़ा ही शिफ्ट हुआ था लेकिन बबीता भी दूसरी तरफ शिफ्ट हुई थी ।
अब नागेंद्र का लंड बबीता की चूत में और हाथ बबीता की चूंची पकड़ने के लिए उतारू थे। नागेंद्र का नाग पैंट में फन फुलाकर खड़ा था जिससे पैंट बंद होने के कारण दर्द होने लगा सो नागेंद्र ने पैंट की जिप खोल दी । अब नागेंद्र का लंड बीच बीच में बबीता की गांड़ में छू रहा था जिससे बबिता की भी चूत सीटी मार रही थी। उसे मजा आ रहा था । तभी हवा के झोंके के साथ एक बौछार आई जिससे बबिता थोड़ा पीछे हटी और नागेंद्र वहीं खड़ा रहा। उसका लंड चढ्ढी सहित बबीता की गांड़ में फंस गया । नागेंद्र उसे निकालने की बजाय जब बबिता फिर अपनी पोजीशन पर आई तो उसके साथ ही थोड़ा आगे बढ़ गया । अब उसका नाग गांड़ के पास था और बिल खोजने लगा यानी झटके देने लगा। बबिता भी काबू को बैठी और चुपके से एक हाथ अपनी चूत में डाल दिया और सहलाने लगी। इस चक्कर में उसका नाड़ा खुल गया और सलवार नीचे गिर गई। अब क्या करती कैसे उठाती चूत से हाथ हटाया और पावभाजी जैसी चूत को दीवार पर दबाने लगी। इधर नागेंद्र ने नाग को अंडर वियर से निकालकर आजाद कर दिया था अब उसके स्पर्श मात्र से बबीता की चूत से आंसू निकलने लगे। और नाग तो फिलहाल बिल ही ढूंढता रहा जिसे काली बिल यानी गांड़ ही दिख रही थी। एक बार नागेंद्र पीछे हट गया तो बबिता के हाथ ने खुद ही उसके लंड को पकड़कर फिर उसी स्थिति में खड़ा कर दिया। इस बार सब्र का बांध टूट गया और नागेंद्र ने बबिता की दोनो चूंचियां पकड़कर कसकर भींच दी। पैंटी उसने पहनी नहीं थी।
बबीता: अब मत तड़पाओ। डाल दो प्लीज।
लेकिन नागेंद्र दस मिनट तक उसकी चूंचियों को अंदर से हाथ डालकर मसलता रहा। बबीता भीख मांगने लगी प्लीज़ डाल दो।
नागेंद्र ने बबिता की रीढ़ पर हाथ रख कर दबाया, बबिता थोड़ा झुकी जिससे उसकी चूत जो बिल्कुल नीचे की ओर थी पीछे आई आते ही नागराज ने पहचान लिया और बुर से बह रह दूध को पिया और फिर उसी में डुबकी लगा दी। नागेंद्र ने साढ़े आठ इंच लंबे और तीन इंच मोटे लंड को नीचे चूत में लगाकर कसकर ऊपर उठाया।
बबीता: अरे मम्मी रे.... जान ले ली
नागेंद्र: लंड को निकालकर पीछे खड़ा हो गया।
बबीता: प्लीज डाल प्लीज प्लीज भट्टी गरम है जल जाऊंगी।
नागेंद्र ने फिर लंड को सेट किया और ऊपर की ओर उठा दिया ।
बबीता: मार दिया रे, कैसे चोद रहा है रे जानवर की तरह आई ईईई, हट पीछे हट निकाल जल्दी मर जाऊंगी आई सी ईई....।
नागेंद्र मंझा हुआ खिलाड़ी था उसने काबू करके एक बार फिर लंड बाहर निकाल लिया।
बबीता जैसे कच्ची मछली उछलने लगी
बबीता: डाल मादरचोद डाल दे इस हथियार को इस भट्टी में एक साल से तड़प रही है(पहली बार उसके मुंह से गाली निकली थी) ।
नागेंद्र अब समझ गया कि लोहा गरम है। उसने लंड को चूत से सेट किया और सटासट सटासट चोदने लगा।
बबीता: आई ईई ईई मार गई आराम से ..आह आईओ आराम से।
नागेंद्र: चुप गांडचोदी तेरी आज चूत खोल रहा हूं आज के बाद चाहे जिसका लंड ले लेगी तो दर्द नही होगा।
बबीता: आई रे ममऽऽऽऽऽमी हमार बुर फाड़ दिहिस।
नागेंद्र लगातार तेज गति से चोदे जा रहा था और बड़बड़ाए जा रहा था।
नागेंद्र: ले बुरचोदी रण्डी ले ।
अब बबिता को भी मजा आने लगा।
बबीता: आह आह आई आह ऊइ आज सी ईईईई आह और जोर से। आह
नागेंद्र ने जोर लगाकर लंड को पूरा बच्चेदानी तक उतारा तो उसकी फटी हुई चूत और ज्यादा छिल गई किनारों पर जिससे बबिता चिल्लाने छटपटाने लगी लेकिन नागेंद्र लगातार चोदता रहा और बबिता की चूत का भर्ता बना ही दिया।
इस तरह आधे घंटे ताबड़ तोड़ चुदाई के बाद नागेंद्र झड़ गया इस बीच बबीता चार बार झड़ी और नीचे गिरी उसकी सलवार खून से लथपथ हो गई।
दोनो घर के लिए निकले, नागेंद्र बबिता को चौराहे पर छोड़कर अपने रूम चला गया।
सचदेवा अंकल (मकान मालिक): बबिता इतनी देर से क्यों आ रही हो आज रोज तो पौने छः तक आ ही जाती थी।
बबीता: अंकल वो आज तेज बारिश हो रही थी।
सचदेवा अंकल: ठीक है बेटी कोई बात नही, अपने कपड़े बदल लो नही तो बुखार आ जाएगा।
बबीता: ठीक है अंकल।
अंकल: लेकिन ये बेटी तुम्हारे सलवार में खून कैसे लगा हुआ है।
बबीता: कुछ नहीं अंकल ये वो कुछ नही है और अपने रूम की ओर भागी।
अंकल: (कामुक नजरों से मुस्कुराते हुए) कोई बात नहीं बेटी चेंज कर लो जल्दी।
यहां तो कुछ हद तक उसने कंट्रोल कर लिया लेकिन कुछ ही देर में नागेंद्र का फोन आया।
नागेंद्र: बबीता एक गड़बड़ हो गई ।
बबीता: क्या हुआ।
नागेंद्र: जहां हम लोग चुदाई कर रहे थे वहां एक cctv चौबीसों घंटे ऑन रहता है।
बबीता: अब क्या करें?
नागेंद्र : सुबह मोहित नौ बजे ही आ जाता है उसे कोई काम तो होता नहीं इसलिए कभी कभी रैंडम वीडियो देखता रहता है। वीडियो क्लियर तो नहीं होगी लेकिन हम दोनो के फसने के लिए काफी होगी। सुबह नौ बजे से पहले ही चलकर वीडियो डिलीट करनी पड़ेगी।
मोहित: एक नंबर का ठरकी है लंड सात इंच ही मोटा है लेकिन चौड़ाई चार इंच है मगर ये केवल गांड़ मारने का शौकीन है इसे बस गांड़ चाहिए।