• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Erotica छाया ( अनचाहे रिश्तों में पनपती कामुकता एव उभरता प्रेम) (completed)

Alok

Well-Known Member
11,135
27,691
258
Atayant Adhbudh Lovely Anand ji.........

Iss kahani ki jitni prashansa ki jaye woh bhi kam hai, bahut samay baad koi aise kahani padh rahe hai jis mein sambhog ka samay bhi pyaar jhalakta hain.........


Aise hi likhte rahiye........ :love3::love3::love3::love3::love3::love3::love3:
 

Luckyloda

Well-Known Member
2,325
7,686
158
Maien ye kahani padhna shuru ki... aur lagbhag 1 hi baar m padh li...


Kya likha hai aapne👌👌👌👌👌


Sach m chaya manas aur seema 👌👌👌


Ab tak ki padhi gyi best kahaniya m se 1 hai ye..



Aapki likhni gajab hai.....
 

Luckyloda

Well-Known Member
2,325
7,686
158
I m sorry ki maine ye kahani us time nahi padhi jab aap ise likh rahe the....



Par sach m kahani hai bhut lajawab
 

Jenifar

New Member
85
222
33
Very entertaining happy ending story. Does this story have any other version or extension, if yes please provide link.. Thank for this wonderful work.. :thankyou:
 

Shamshad Ahmad

Awara Aashiq Deewana
175
228
43
छाया भाग -4
छाया मेंरी प्रेयसी
आप कल्पना कर सकते हैं कि जब आपकी प्रेयसी आपके साथ रह रही हो और आप दोनों के बीच कामुक संबंध हों तो जीवन कितना सुखद हो सकता है. मेरे लिए मेरा घर ही स्वर्ग बन चुका था छाया अब जो मेरी प्रेयसी थी उसे आने वाले समय में मैं उसे पत्नी की तरह स्वीकार करने के लिए मन बना चुका था परंतु इसके लिए अभी छाया की पढ़ाई पूरी होनी बाकी थी. हमारे पास अपने प्रेम संबंधों को जीने के लिए ३-४ वर्ष थे. छाया और माया जी के साथ शुरू से ही मेरा कोई संबंध नहीं था पर पिछले वर्ष छाया मेरी जिंदगी में आयी और उसके कारण ही माया जी से मेरा रिश्ता बना.
परिस्थिति वश छाया मुझे मानस भैया बुलाया करती थी जो अब उसकी आदत में आ गया था मेरे एक दो बार मना करने के बाद अब वह मुझे आप, जी, सुनिए इन्हीं शब्दों से बुलाया करती परंतु मुझे सिर्फ मानस बुलाना उसे पसंद नहीं था. पर जब भी वह स्खलित होती मुझे उसके मुख से मानस भैया ही निकलता. मेरे मना करने पर वह कहती
“ठीक है अगली बार नहीं.” और मुस्कुराने लगती. पर स्खलित होते समय वह भूल जाती और उसके मुख से मानस भैया ही निकलता. मैं उसे स्खलन के समय टोकना नहीं चाहता था. मुझे लगता था वो सीमा से प्रेरित थी वो भी मुझे मानस भैया ही बुलाया करती थी.

छाया को नग्न देखें कई दिन बीत चुके थे. मेरे मन की बेचैनी बढ़ती जा रही थी. हम दोनों अपनी छोटी छोटी मुलाकातों में अपने राजकुमार और राजकुमारी को स्खलित करा लेते थे पर तन्मयता से प्यार का सुख नहीं मिल पा रहा था. नग्न छाया को अपनी गोद में लेने का सुख अद्भुत था.
अगले दो दिनों तक छुट्टियां थी मैं अपने दिमाग में छाया के साथ एकांत में वक्त बिताने के लिए उपाय सोच रहा था. घर पहुंचने के बाद छाया ने दरवाजा खोला. वह घर पर अकेली थी. मैंने उससे पूछा
“माया जी कहां है?”
“घर का राशन खत्म हो गया था वही लेने वह पड़ोस की एक आंटी के साथ गई है. आप नहा कर तैयार हो जाइए मैं आपके लिए चाय ले आती हूं.”
यह सुनते ही मेरी खुशी का ठिकाना ना रहा मैंने दरवाजे की कुण्डी लगाई और छाया को अपनी गोद में उठा कर अपने कमरे में ले आया वह खिलखिला कर हंस रही थी. मैंने बिना देर किए अपने कपड़े उतारे वह मुझे मंत्रमुग्ध होकर देख कर रही थी. मैंने उसे अपने आलिंगन में ले लिया और उसका टॉप उतार दिया उसने भी अपने दोनों हाथ ऊपर करके उसे उतारने में मेरी मदद की और खुद ही अपनी स्कर्ट को नीचे
कर उससे बाहर आ गई. उसने अंदर ब्रा और पेंटी नहीं पहनी थी मैंने समय व्यर्थ न करते हुए अपने आलिंगन में ले लिया. मैंने उसे थोड़ा ऊपर उठाया और धीरे धीरे चलते हुए बाथरूम में आ गया उसने इसकी उम्मीद नहीं की थी मैंने तुरंत ही शॉवर आन कर दिया. हम दोनों भीग चुके थे. वह मेरा साथ देने लगी मैंने थोड़ा शावर जेल छाया के हाथ में दिया और थोड़ा अपने हाथ में लेकर उसके शरीर पर मलने लगा उसने भी मेरे सीने और पीठ पर साबुन लगाना शुरू कर दिया. कुछ ही देर में उसके हाथ मेरे राजकुमार तक पहुंच गए मैंने भी उसके नितंबों को
अपने हाथों में ले लिया. हम एक दूसरे को सहलाते और स्पर्श करते रहे. मैंने उसकी राजकुमारी को भी साबुन से भिगो दिया. हम दोनी एक दुसरे के अंग प्रत्यंगों को सहलाते हुए शावर के नीचे नहा रहे थे,
छाया ने अपनी पीठ मेरी तरफ कर ली थी अब मेरे हाथ उसके स्तनों और नाभि प्रदेश को बड़े अच्छे से सहला रहे थे मेरी उंगलियां उसकी राजकुमारी को छू रही थी इधर मेरा राजकुमार भी उसके नितंबों के नीचे से होता हुआ सामने की तरफ आ चुका था तथा कभी-कभी मेरी उंगलियों से टकरा था. मैंने अपने राजकुमार को अपनी ही उंगलियों से राजकुमारी के समीप लाया छाया ने मुझे पलट कर देखा और मेरे गालों पर चुंबन जड़ दिया. मेरा यह कृत्य उसे अच्छा लगा था मैंने यही काम दो तीन बार किया. छाया ने अपनी राजकुमारी को राजकुमार के अग्रभाग से रगड़ने के लिए अपने शरीर को थोड़ा आगे झुका लिया था.
अब राजकुमार राजकुमारी के मुहाने पर खड़ा था. मेरे कमर हिलाने पर वह राजकुमारी के मुख पर अपनी दस्तक दे रहा था. इस समय सावधानी हटी और दुर्घटना घटी की स्थिति बन चुकी थी. छाया का कौमार्य एक गलती में ख़त्म हो सकता था. मेरे राजकुमार छाया कि कौमार्य झिल्ली से छू रहा था. उसका शिश्नाग्र लगभग राजकुमारी के मुंह में प्रवेश कर चुका था परंतु उसका धड़ बिना कौमार्य झिल्ली का भेदन किए अंदर प्रवेश नहीं कर सकता था.
हम दोनों लोग पूरी तरह उत्तेजित हो चुके थे. छाया ने अपनी हथेलियों का प्रयोग कर मेरे राजकुमार के लिए तंग और चिपचिपा रास्ता बना दिया इसमें एक तरफ उसकी हथेली थी और दूसरी तरफ राजकुमारी के होंठ. इस रास्ते का मुंह छाया की भग्नासा पर खत्म होता था. मैंने अपनी कमर को तीन चार बार आगे पीछे कर अपने राजकुमार से उसकी भग्नासा पर 3 - 4 कोमल प्रहार किए.
छाया कांप रही थी. मैंने अपने दोनों हाथ उसके नाभि प्रदेश पर रखकर उसे सहारा दिया हुआ था. मेरे अगले प्रहार पर “ मानस भैया .............” की उत्तेजक मुझे सुनाई दे गयी. . छाया स्खलित होने लगी थी. मैंने स्थिति को जानकर उसे कुछ देर यूं ही रहने दिया और अपने राजकुमार को आगे पीछे करता रहा.
कुछ देर बाद वह सामान्य हुई मैं उसके गाल पर मीठी सी चपत लगाईं और बोला
“फिर भैया”
वह पलट कर मेरे सीने से लग गयी. मैंने उसे चूम लिया. मेरा राजकुमार भी लावा उगलने के लिए तैयार खड़ा था. छाया को आलिंगन में लिए हुए मैं अपने राजकुमार को सीमा की नाभि के आसपास रगड़ने लगा जितना ही मैं सीमा के नितंबों को अपनी तरफ खींचता मेरे राजकुमार पर घर्षण उतना ही बढ़ता सीमा भी इस कार्य में मेरा साथ दे रही थी. वह तथा अपने स्तनों को लगातार मेरी छाती से हटाए हुए थी.
अचानक मैंने अपनी कमर को नीचे कर राजकुमार को राजकुमारी के मुख में कर दिया एक बार फिर छाया के कौमार्य ने मेरे राजकुमार को आगे जाने से रोक दिया पर राजकुमार ने उत्तेजित होकर लावा छोड़ दिया.
वीर्य प्रवाह के दौरान राजकुमार का उछलना ऐसा प्रतीत हो रहा ऐसे प्रतीत हो रहा था जैसे हम दोनों की नाभि के नीचे कोई बड़ी मछली आ गई थी जिसे हम दोनों ने बीच में दबाया हुआ हो. राजकुमार उछल उछल कर वीर्य वर्षा कर रहा था पर बीच में दबे होने के कारण उसका वीर्य उसके आस पास ही गिर रहा था. मैं और छाया ने एक दुसरे को पूरी तरह एक दुसरे से चिपकाया हुआ था.
कुछ देर बाद छाया मुझसे अलग हुइ अपने आप को साफ किया और तौलिया लेकर बाहर आ गई.
छाया ने माया जी को बाजार बाजार दिखा कर हमारे मिलन को आसान कर दिया था.

पनपती कामुकता
छाया को बैंगलोर आये एक वर्ष बीत चुका था. छाया में आशातीत परिवर्तन आ चुका था. गांव की भोली भाली और कमसिन छाया अब नवयौवना बन चुकी थी. उसकी त्वचा और स्वाभाविक सुंदरता भगवान द्वारा दिया गया एक अद्भुत उपहार था. उसके केश चमकीले थे इन सबके वावजूद शहर की टिप टॉप लड़कियों की तुलना में कभी कभी वह अपने को पीछे समझती. पिछले कुछ महीनों में छाया ने सजना सवारना शुरू कर दिया था. मुझे यह बहुत अच्छा लगता. वह जब भी तैयार होकर मेरे पास आती और पूछती..
“मैं कैसी लग रही हूँ.”
मैं कहता
“जैसे भगवान् ने तुम्हे इस धरती पर भेजा था तुम वैसे ही अच्छी लगती हो.” वो समझ गयी और मुस्कुराने लगी.
छाया को अपने बालों को सवारने थे. उसने मुझसे ब्यूटी पार्लर ले जाने के लिए कहा. मैं उसकी बात तुरंत मान गया उसके केस ब्यूटी पार्लर वालों ने बहुत खूबसूरती से सजाएं.
उसके सीधे बाल अब थोड़े घुंघराले हो गए थे. उसकी छरहरी काया पर भी अब कुछ वजन भी आ गया था. सुख के दिनों में यह स्वाभाविक होता है. उसे शारीरिक और मानसिक दोनों ही सुख प्राप्त थे. मेरे साथ चल रहे प्रेम संबंधों और कामुक गतिविधियों ने उसके चहरे पर नव वधु वाली लालिमा भी ला दी थी. अब वह अत्यंत मादक दिखाई देने लगी थी. मेरे बार बार स्तन मर्दन से उसे स्तन भी आकर में बड़े हो गए थे.
मेरी अबोध सिनेमा की माधुरी दीक्षित अब धीरे-धीरे मनीषा कोइराला के रूप में परिवर्तित हो रही थी..
जब भी मैं उसे अपने साथ लेकर बाहर जाता वह लोगों के आकर्षण का केंद्र बनती. कई बार तो मुझे इस बात को लेकर गुस्सा भी आता पर मन ही मन मैं उन्हें माफ कर देता अप्सरा के दर्शन लाभ से यदि उन्हें खुशी मिलती है तो इसमें छाया या मेरा कोई नुकसान नहीं था. मैं खुश होता कि यह अप्सरा मेरी है.
समय के साथ सीमा कामुक हो चली थी. वह अक्सर माया जी को काम में तल्लीन देखकर मेरे कमरे में आ जाती और दरवाजे की ओट लेकर मुझे अपने पास बुलाती. हम दोनों आलिंगन में बंध जाते मैं छाया को किस करता और वह मेरे चुम्बनो का आनंद उठाते हुए मेरे राजकुमार को अपने दोनों हाथों में लेकर अत्यंत उत्तेजित कर जाती और कुछ ही देर में बिना मुझे इस स्खलित किये मेरे कमरे से चली जाती. मैं भी उसके नितम्बों और स्तनों को सहला कर उसे भी उत्तेजित कर देता. हम दोनों अक्सर इसी अवस्था में रहा करते.
छाया या तो पढ़ रही होती या मेरे साथ यही खेल खेल रही होती. उसमें एक अच्छी बात थी. अक्सर शाम को आफिस से आने के बाद हम दोनों एक दुसरे को उत्तेजित करते. वह अपनी राजकुमारी की प्यास शांत करें या ना करें मेरे राजकुमार को अवश्य स्खलित करा देती थी और मैं खुशी-खुशी निद्रा के आगोश में चला जाता था. वह देर रात तक पढाई करती थी. मुझे उसकी यह आदत बहुत पसंद थी.
मुझे उसके कोमल अंगों को छूने में बहुत आनंद आता था पर मैं कभी उसे कष्ट नहीं देना चाहता था. . मैंने छाया का मुखमैथुन तो राजकुमारी दर्शन के समय किया था. परंतु उसने आज तक मेरे राजकुमार को मुख मैथुन का सुख नहीं दिया था. शायद उसे इस बात का अंदाजा भी नहीं था. मैंने भी कभी इस बात के लिए उसे प्रेरित नहीं किया था. मैं उससे बहुत प्यार करता था और उसमें स्वाभाविक रूप से पनप रही कामुकता का ही आनंद लेता था. मैंने उसका मुख मैथुन करने का प्रयास एक दो बार और किया था पर उसने रोक दिया था.
वह जैसा चाहती मैं उसके साथ वैसा ही करता था.
यह छाया को ही निर्धारित करना था कि उसे अपनी कामुकता को किस हद तक ले जाना है मैं सिर्फ उसका साथ दे रहा था.

छाया और उसकी सहेलियां
छाया के साथ मैं अब अक्सर बाहर जाने लगा था. हमारे पास घर से बाहर जाने के कई बहाने थे. छाया के वस्त्र भी अब समय के अनुसार बदल चुके थे. अब वह जींस और टीशर्ट में आ चुकी थी. पतली टाइट फिट जींस और ढीला टॉप उसे बहुत पसंद था. वह जानबूझकर अपने टॉप को अपने कूल्हों तक रखती थी ताकि वह एक संस्कारी युवती लगे.
छाया पर बीसवां साल लग चूका था. मन ही मन वह कामुक थी पर बाहर से एक दम सौम्य थी. जब भी मैं उसे बाजार या किसी शॉपिंग मॉल में ले जाता अक्सर लोगों की निगाहें हम पर ही रहती वह अत्यंत खूबसूरत थी.
एक बार हम मॉल में घूम रहे थे तभी छाया की कॉलेज की कुछ सहेलियां वहां आ गई. उसे मेरे साथ देख कर उन्होंने छाया को छेड़ा..
‘अरे वाह हमारी परी को उसका राजकुमार मिल गया “ छाया शर्मा गई (विशेषकर राजकुमार शब्द पर) परंतु मुस्कुरा कर उनकी बात टालने की कोशिश की पर वह सब मुझसे मिलने को आतुर थीं. छाया ने मजबूरी बस उनका परिचय मेरे से कराया. छाया ने कहा..
“यह मानस जी हैं” इसके आगे वह कुछ बोलती उसकी एक सहेली बोली
“और यह छाया के बॉयफ्रेंड हैं” यह कहकर बाकी सहेलियों के साथ हंसने लगी. मैं भी मुस्कुरा दिया. उन्होंने स्वयं ही हमारा और छाया का रिश्ता अपने विवेक के हिसाब से चुन लिया था. मुझे इसमें कोई आपत्ति नहीं थी. उन्होंने मुझे छेड़ा..
“मानस जी छाया इतनी कोमल है और आप इतने हष्ट पुष्ट
हैं अपनी शक्ति वहां कम ही लगाइएगा वरना हमारी छाया आनंद लेने की बजाय घायल हो जाएगी” वो सब फिर से हंसने लगीं.
छाया ने आज तक अपनी किसी सहेली को घर पर नहीं बुलाया था. यह उसकी समझदारी ही थी अन्यथा किसी अन्य व्यक्ति को हमारे रिश्ते को समझा पाना थोड़ा कठिन होता.
ऐसे खुशकिस्मत लोग बहुत कम मिलेंगे जिनकी प्रेमिका उनके साथ एक ही छत के नीचे रह रही हो और प्रेम लीला में पूरी तरह संलग्न हो.
मैं भी अब ज्यादा खुल चुका था. मैं छाया को लेकर उसकी सहेलियों की पार्टियों में जाने लगा. पार्टियों में हमने तरह- तरह के दृश्य देखे लड़कियों का अर्धनग्न पहनावा और मदिरा पीकर पार्टियों में बिंदास थिरकना छाया के लिए बिल्कुल नयी चीज थी. वह कभी उन लड़कियों की ओर देखती कभी मेरी ओर जैसे जानना चाहती हो कि मुझे क्या अच्छा लगता है.
अगले शनिवार छाया की प्रिय सहेली पल्लवी की जन्मदिन पार्टी थी. उसने अपने कुछ चुनिंदा दोस्तों को बुलाया था. मैं और छाया भी उस पार्टी के लिए अपना मन बना चुके थे. दरअसल इस पार्टी में आने वाले सभी लड़के लड़कियां जोड़े में थे. पार्टी बेंगलुरु शहर से दूर एक खूबसूरत फार्म हाउस में थी. मैंने वह फार्म हाउस पहले भी देखा था. पल्लवी ने छाया को पहले ही बता दिया था की पार्टी के बाद रात में वहीं
रुकना है तथा अगली सुबह वापस आना है.
मुझे लगता था छाया इसी बात से उत्साहित थी. मैं छाया को लेकर बाजार गया और उसके लिए एक बहुत ही खूबसूरत स्कर्ट और टॉप लिया. मैंने अपने लिए भी अच्छे कपड़े ले लिए थे. अब माया जी की अनुमति की जरूरत थी. आखिरकार छाया को पूरी रात घर से बाहर रहना था. छाया ने माया जी को समझाने की कोशिश की “वहां सिर्फ मेरी सहेलियां है हम लोग रात भर बातें करेंगे और सुबह वापस आ जाएंगे”
माया जी छाया को अकेले भेजने में घबरा रही थी. मैं उनकी घबराहट देखकर बोला...
“ आप चिंता मत करिए मैं छाया को वहां पहुंचा भी दूंगा और सुबह लेते हुए आऊंगा. मेरा एक दोस्त वहीं पास में रहता है. मैं रात को वहीं रुक जाऊंगा.”
मेरे इस आश्वासन पर वह खुश हो गई . शनिवार को हम लोगों की छुट्टियां थी. छाया को कॉलेज नहीं जाना था और मुझे ऑफिस. माया जी जैसे ही पूजा करने के लिए हमारी सोसाइटी के मंदिर की तरफ निकलीं छाया ने दरवाजा अंदर से बंद कर लिया और मुझसे आकर लिपट गई वह बहुत खुश लग रही थी. उसने मुझे बताया….
“पार्टी में आने वाली कुल 8 - 10 सहेलियों में से अधिकतर का कौमार्य भेदन हो चुका है. पर पल्लवी ने भी अपना कौमार्य अभी तक सुरक्षित रखा है.”
मुझे लगा छाया से पल्लवी की गहरी दोस्ती मैं यही राज होगा. मैंने छाया से मजाक किया “ यदि कभी प्रेम के अतिरेक में राजकुमार ने तुम्हारा
कौमार्य भेदन कर दिया तब?”
उसने प्रेम पूर्वक कहां “राजकुमार स्वयं यह कार्य नहीं करेगा इसका मुझे पूरा विश्वास है पर यह दुष्ट राजकुमारी ही बेचैन रहती है यही खुद अपना भेदन न करा ले मुझे इसी बात का डर रहता है”
उसने अपनी राजकुमारी को एक प्यारी ही चपत लगायी और हँस पड़ी. इन बातों के दौरान ही मेरा राजकुमार उसके हाथों में आ चुका था उसने राजकुमार को पायजामे से बाहर निकाल लिया और उसे सहलाने लगी. उसने उसके आकार को नापने की कोशिश की वह उसके पंजे से बड़ा था. उसकी मोटाइ नापने की कोशिश में उसने अपनी तर्जनी और अंगूठे को मिलाकर राजकुमार को उसके अन्दर लेना चाहा पर सफल नहीं हुइ. उसने मुझे मुस्कुराते हुए बताया मेरी सहेलियां इस बारे में बात करती हैं इसलिए ही मैं अपने राजकुमार का नाप ले रही थी. इस नापतोल में राजकुमार स्खलित होने के लिए मन ही मन तैयार हो गया था. छाया को शायद राजकुमार की इस मंशा का अंदाजा नहीं था उसने उत्तेजित अवस्था में ही उसे पायजामा में डालने की कोशिश की पर वह टस से मस ना हुआ..
जैसे जिद्दी बालक ठान लेने पर खिलौने की दुकान से नहीं हटता है.
छाया मुस्कुराई और राजकुमार को अपने दोनों हाथों में लेकर हिलाना शुरु कर दिया. वह इस कला में पारंगत हो गई थी कुछ ही देर में
राजकुमार ने वीर्य दान कर दिया उसकी सारी अकड़ ठंडी हो चुकी थी. छाया ने राजकुमार को प्यार से एक चपत लगाई और वापस उसे पायजामें में बंद कर दिया. छाया के हाथ वीर्य से सुने हुए थे. उसने अपने हाथों को देखा और सोचा अब इसका क्या करूं. मेरी आंखों में देखते हुए वह अपना हाथ अपने टॉप के नीचे से अपने स्तनों पर ले गई और सारा वीर्य वहीं पोछ दिया. उसे पता था मुझे यह बहुत पसंद है.
मैंने छाया को किस किया वह मुस्कुराती हुई नहाने चली गई. मैंने रात के खाने के लिए माया जी की पसंद का खाना मंगवा दिया था. छाया तैयार हो रही थी माया जी, छाया की मदद कर रही थी. कुछ ही देर में हम दोनों टैक्सी की पीछे वाली सीट पर थे. मेरी कद काठी और हष्ट पुष्ट शरीर छाया के सौंदर्य को टक्कर देता था. हम दोनों किसी नायक नायिका से काम नहीं थे.
छाया आज चमकदार वस्त्रों में बहुत खूबसूरत लग रही थी. उसकी त्वचा अब भी उतनी ही कोमल थी बल्कि उसमे और निखार आ गया था. उसके साथ छेडछाड करते समय कई बार उसके शरीर पर मेरी उंगलियों के निशान पड़ जाते जिन्हें देखकर मैं दुखी हो जाता. मुझे अफसोस होता कहीं मैंने उसके साथ ज्यादती तो नहीं कर दी. वह तुरंत ही मुझे चुंबन देकर प्यार से बोलती अरे ठीक हो जाएगा. मैंने छाया की तरफ देखा वह खिड़की से बेंगलुरु शहर को निहार रही थी.
उसके जीवन में पिछले तीन-चार सालों में इतना परिवर्तन आया था जिसकी उसने कल्पना भी नहीं की थी. हमारी टैक्सी एक बड़ी सी हवेलीनुमा घर के दरवाजे पर रुकी. दरबान हमारी तरफ आया. छाया ने
खिड़की खोल कर पल्लवी का नाम लिया. उसने अपने साथी को इशारा कर बड़ा सा गेट खोल दिया. अंदर पहुंचकर टैक्सी रुक गई.
पल्लवी हम दोनों का इंतजार कर रही थी. हम सब एक बड़े से हॉल में आकर अपने लिए निर्धारित सोफे पर बैठ गए. बाकी सारी लड़कियां भी अपने दोस्तों के साथ आ चुकी थी. मैंने एक सरसरी निगाह से हॉल में उपस्थित छाया की सहेलियों और उनके पुरुष मित्रों को देखा. छाया की अधिकतर सहेलियों के पुरुष मित्र मेरे हम उम्र ही थे शायद उस समय तक लड़के और लड़की में उम्र का अंतर लड़कियों को भी उतना ही स्वीकार्य था.
पुरुष तो स्वभाव से ही अपने से कम उम्र की लड़की ही पसंद करता है.
पल्लवी ने हम सबका परिचय करवाना चाहा इसके लिए उसने बड़ा ही अजीब तरीका अपनाया. हम सभी अपनी अपनी प्रेमिकाओं के साथ सोफे पर बैठे हुए थे. सोफा गोल घेरे में लगा हुआ था. बीच में एक लाल रंग का कारपेट रखा था. पल्लवी के नियमानुसार प्रत्येक पुरुष को अपनी प्रेमिका को अपनी गोद में उठाकर लाना था तथा अपना और
अपनी प्रेमिका का नाम बताना था. साथ में यह भी बताना था कि उन्होंने पहली बार संभोग कब किया था. और उस समय उनकी उम्र कितनी थी. सभी खिलखिला कर हंस पड़े.
बारी बारी से लड़के अपनी अपनी प्रेमिकाओं को गोद में उठाकर लाते और अपना परिचय देते. पहले संभोग के बारे में बताते हुए लड़कियों का चेहरा लाल हो जाता. उनके विवरणों से एक बात तो स्पष्ट हो गई थी कि शहरों में कौमार्य भेदन के लिए सुहागरात की प्रतीक्षा न थी. शहर की लड़कियों ने अपना कौमार्य पहले ही खो दिया था. और अब वह खुलकर सम्भोग सुख ले रहीं थीं .
अंततः हमारी बारी भी आ गई मैंने छाया को अपनी गोद में उठाया और लाल कारपेट पर लेकर जाने लगा. स्कर्ट का कपड़ा इतना मुलायम था मुझे लगा जैसे मैंने छाया को बिना स्कर्ट के ही पकड़ लिया हो. उसकी जांघें मेरे दाहिने हाथ में थी तथा बाया हाथ उसकी पीठ पर को सहारा दिया हुआ था मेरी हथेली उसके बाए स्तन की पास थीं. छाया का
चेहरा मेरे चहरे के समीप था. चलते समय हमारे गाल कभी कभी एक दूसरे में छू रहे थे. सभी लड़कियां तालियां बजा रहीं थी. मैंने पहुंचकर अपना परिचय दिया. छाया की बारी आने पर वह शरमाते हुए बोली हमने आज तक संभोग नहीं किया है. कहकर मेरे गालों पर चुंबन जड़ दिया और मुस्कुराने लगी. सभी लड़कियां जोर-जोर से “क्यों क्यों” कह कर चिल्लाने लगी. छाया ने जी बड़ी चतुराई से कहा.
“मेरी राजकुमारी अभी इनके हष्ट पुष्ट राजकुमार के लिए तैयार हो रही है” इतना कहकर वह मेरे गोद से उतर गयी.
हम दोनों सब का अभिवादन करते हुए वापस अपनी सीट पर बैठ गए. पल्लवी भी अपने पुरुष मित्र के साथ आई और अपना परिचय दिया. पल्लवी ने एक अनोखी बात बताई..
“ दोस्तों मैंने आज तक संभोग नहीं किया पर आज जरूर करूंगी यह पार्टी मैंने इसी उपलक्ष्य में दी है. सभी लोग उठकर खड़े हो गए और पल्लवी का जोरदार अभिवादन किया.”
कुछ ही देर में हम सब आपस में घुलने मिलने लगे. हम लोगों ने थोड़ी-थोड़ी वाइन पी और तरह तरह की बातें करने लगे. छाया अपनी सहेलियों के पास चली गई थी. वो सभी वहां हंसी मजाक कर रही थी. कुछ ही देर में हम वापस हाल में आ चुके थे और अपनी अपनी प्रेमिकाओं के साथ डांस कर रहे थे. छाया ने मुझे बताया कि सारी लड़कियों ने थोड़ी-थोड़ी वाइन पी थी पर मैंने नहीं ली. मैंने उसका
उत्साहवर्धन किया यदि तुम्हें इच्छा हो तो मैं तुम्हारा साथ दे सकता हूं.
वह मुस्कुराइ और हम दोनों बार काउंटर की तरफ चल पड़े हमने वाइन ली और पास लगे टेबल पर बैठकर एक दूसरे के हाथों में हाथ डाले वाइन पीने लगे सीमा को उसका स्वाद कुछ अटपटा सा लगा पर उसकी परवाह किये बिना उसने धीरे धीरे अपना ग्लास ख़त्म कर लिया.

निराले खेल
हम वापस हाल में आकर डांस करने लगे. धीरे धीरे पार्टी में कामुकता बढ़ती जा रही थी. अमूमन सभी लड़कों ने अपनी प्रेयसीओ के या तो नितंब या स्तन पकड़ रखे थे और उन्हें बेसब्री से सहला रहे थे. कुछ ने उनके होंठ भी अपने होठों में ले रखे थे. कुछ लड़कियों के हाथ अपने पुरुष मित्रों की जांघों पर घूम रहे थे. इस कामुक माहौल में हमारी भी स्थिति कमोबेश यही थी. वाइन का असर छाया पर क्या हुआ था यह अनुत्तरित था पर वह बहुत खुश थी और मुझसे लता की तरह लिपटी हुई मेरे होंठों को चूस रही थी.
म्यूजिक बंद होने पर सब अलग अलग हुए एक लड़की ने माइक पकड़ा और मुस्कुराते हुए बोली…..
“मैं अपनी सहेलियों की स्थिति समझ सकती हूं इतनी देर तक आलिंगन बंद होकर डांस करने से हम सभी के मन में अलग भावनाएं आ रही होंगी. आप सब अपने अपने कमरे में जाकर १५ मिनट में अपनी भावनाएं शांत कर ले.” यह कहकर वह हंसने लगी..
“हॉल में लगी हुई बड़ी घड़ी की तरफ इशारा करके उसने कहा कि जो युगल 11:30 तक इस हाल में वापस नहीं आएगा उसे एक प्यारा सा दंड मिलेगा.
सभी ने कौतूहल से पूछा ..
“ क्या ”
“ उसे पार्टी खत्म होने तक अपने अधोवस्त्रों में ही रहना पड़ेगा और यह लड़का और लड़की दोनों पर लागू होगा सभी खिलखिला कर हंस पड़े”
सभी अपनी अपनी प्रेमिकाओं को लेकर अपने अपने कमरे की तरफ गए. मैं और छाया भी अपने कमरे में आ चुके थे. होटल के कमरे की साज-सज्जा सुहागरात के बेड जैसी ही थी सिर्फ फूलों की सजावट नहीं थी. पलंग के दोनों तरफ दो सुंदर ताजे फूलों के गुलदस्ते रखे हुए थे. पल्लवी ने अपने कौमार्य भेदन को एक उत्सव में बदल दिया था. छाया मेरे पास आई. मैंने उसे अपने आलिंगन में लिया उसकी स्कर्ट
को ऊपर कर मैंने उसकी पैंटी निकाल दी. उसने भी अपने पैर झटक कर उसे बाहर कर दिया. हमारे पास समय बहुत कम था. मैं भी अपने पेंट को ढीला कर घुटने तक ले आया.
छाया अब मेरी गोद में बैठ चुकी थी. उसके दोनों पैर मेरे कमर में लिपटे हुए थे. राजकुमारी राजकुमार से सटी हुई थी. नृत्य के दौरान राजकुमारी में गीलापन आ चुका था जो उसकी दरारों से निकलकर मेरे राजकुमार पर लग रहा था. हम दोनों अपनी कमर को हिलाने लगे. हमारे होंठ एक दूसरे से चिपके हुए थे. मैं एक हाथ से सीमा के नितंब सहला रहा था और दूसरे हाथ से सीमा की पीठ को सहारा दिया हुआ था. हॉल में हुई कामुक बातें और अत्यंत कामुक माहौल ने हम दोनों
को तुरंत ही स्खलित कर दिया.
स्खलित होने से पूर्व छाया ने बेड के पास पड़ा हुआ टावेल उठाकर अपनी नाभि के समीप रख लिया था. वो बहुत समझदार थी. स्खलन के पश्चात उसने जल्दी-जल्दी प्रेम रस को साफ किया. हमने देखा
11:25 हो चुके थे. हम जल्दी-जल्दी हॉल की तरफ भागे . जल्दी में दरवाजा बंद करना भी भूल गए. हम तेजी से भागते हुए हॉल में आ गए और अपने सोफे पर बैठ गए.
घड़ी में 11:30 बजते ही अलार्म बज गया. सभी हॉल में आ चुके थे सिर्फ सलमा और अब्दुल ही सीढ़ियों पर रह गए थे. देर हो चुकी थी. माइक पकड़ी हुई लड़की ने बोला..
“सलमा और अब्दुल आप लोग देर से आए हैं आप रेड कारपेट पर आ जाएं”. वो दोनों सर झुकाए रेड कारपेट पर आ चुके थे.
“शर्तों के अनुसार आपको पार्टी में अपने अधोवस्त्रों में ही रहना होगा. कृपया इसे दंड न समझे आप दोनों ही अत्यंत सुंदर हैं. आपको आपके अधोवस्त्रों में देखकर हमें खुशी होगी” चारों तरफ से आवाजें आने लगी सलमा और अब्दुल ने वस्त्र उतार दिए सलमा ब्रा और पैंटी में आ चुकी थी.
सलमा सुंदर तो थी ही इस अवस्था में सारे लड़कों की निगाह उसके स्तनों की तरफ चली गई. उसके स्तन इस पार्टी में उपस्थित सभी लड़कियों में सबसे बड़े थे. बाकी लड़कियों ने अपने अपने पुरुष मित्रों के गाल पर चपत लगाई और उनका ध्यान सलमा के स्तनों से हटाया.
अचानक मोना ने एक और घोषणा की उसने कहा...
“ जिस लड़की ने अपनी पैंटी न पहनी हो वह रेड कारपेट पर आ जाए. मैंने छाया की तरफ देखा वह घबरा गई थी. छाया ने अपने पैर एक दूसरे पर चढ़ा लिये. उसे अपनी पैंटी वहीं छोड़ आने का बड़ा अफसोस हो रहा था. मोना ने फिर से कहा…” देर करने पर सजा मिलेगी यह
कह कर हंसने लगी.”
छाया अब उठ खड़ी हुई और रेड कार्पेट पर आ गयी. सब लोग जोर जोर से हंसने लगे. मोना ने छाया की लाल पेंटी को दोनों हाथ से सभी को
दिखाते हुए मुझसे पूछा मानस क्या यही छाया की पेंटी है?
मुझे हां कहना पड़ा. उसने कहा “तो आइए और जैसे आपने अपने हाथों से उतरा था उसे वापस पहनाइए. इस तरह पानीअपनी प्रेमिका को नग्न रखना उचित नहीं है”
सभी जोर जोर से हँस रहे थे. छाया सर नीचे किये हुए मुस्कुरा रही थी. मैं कारपेट की तरफ चल पड़ा मेरे पास कोई चारा नहीं था. देर करने का मतलब सब की हूटिंग का पात्र बनना था. मैं छाया के पास पहुंचा उसे प्रपोज करने के अंदाज में नीचे बैठा और उसकी पैंटी को अपने दोनों हाथों से पकड़ा. वह अपना एक पैर ऊपर उठाई और पेंटी से पास करते हुए हुए जमीन पर रख दी. इसी प्रकार उसने दूसरा पैर भी डाल दिया. मैं उसकी पैंटी को उसके टखनों से ऊपर उठाता हुआ उसकी पिंडलियों और जांघों के रास्ते उसे कमर तक ले आया. इस दौरान मेरे लिए सबसे बड़ा कार्य यह था की सीमा के गोरे और कोमल नितम्बों के कोई और दर्शन ना सके. पर सावधानी के बाद भी कुछ लालची पुरुषों ने उसके नितम्ब देख लिए. पीछे से आवाजे आ रही थीं “बधाई हो मानस सच में छाया बहुत सुन्दर हैं” हम दोनों शर्मा गए और वापस अपनी जगह पर आ गए.
पार्टी फिर शुरू हो चुकी थी मैंने और सीमा ने वाइन का एक एक गिलास और ले लिया. मैंने यह अनुभव किया कि अधिकतर लड़कियां लहंगा स्कर्ट मिनी स्कर्ट आदि पहने हुई थी. हो सकता है सभी लड़कियों ने मिलकर यह निर्धारित किया हो. कुछ ही समय में हम सभी डांस फ्लोर पर थे.
अपनी प्रेयसी को आलिंगन में लिए हुए नृत्य करने का सुख हम सभी उठा रहे थे. छाया मेरे होठों को तेजी से चूस रही थी तथा मुझे अपनी और खींच रही थी. उसके हाथ मेरे राजकुमार को बीच-बीच में सहला दे रहे थे. अचानक मोना
की आवाज फिर से गूंजी उसने कहा..
“ दोस्तों आज हमारी पल्लवी अपना कौमार्य खोने जा रही है. आप सब भी बेसब्र हो रहे होंगे इसी उम्मीद के साथ मैं इस पार्टी की समाप्ति की घोषणा करती हूं.”

छाया, मैं और वो यादगार रात
पल्लवी के प्रेमी ने उसे बाहों में उठा लिया और सीढ़ियों की तरफ बढ़ चला. हब सब भी अपनी प्रेमिकाओं के साथ अपने कमरों की तरफ चल पड़े. छाया के कदम थोडे डगमगा रहे थे. मैं उसे अपनी गोद में उठा लिया वह मुझे लगातार चूमती जा रही थी.
कमरा खुला हुआ था हम दोनों के अंदर आने के बाद. छाया को बिस्तर पर उतार कर मैं बाथरूम चला गया. बाहर आने के बाद मैंने देखा की छाया बिस्तर पर नग्न लेटी हुई थी. सफेद चादर पर उसकी लाल रंग की पैंटी और ब्रा उसके शरीर के दोनों तरफ अड़हुल के फूल की की तरह दिखाई पड़ रहे थे. अत्यंत मोहक दृश्य था. छाया की आंखें बंद थी. उसके चेहरे पर कोई भाव नहीं थे. उसमें स्वयं अपनी ब्रा और पैंटी उतारी थी यह इस बात का परिचायक थी कि वह कामोत्तेजित थी और मेरा साथ चाहती थी. शायद बाथरूम में हुई देरी की वजह से उसकी आंख लग गई थी. उस पर वाइन का नशा पहले से ही था. मुझे लगा वह सो गई.
मैं सोच नहीं पा रहा था कि क्या करूं. मैंने उसके स्तनों की तरफ देखा उन्होंने अपना तनाव कायम रखा हुआ था परंतु गुरुत्वाकर्षण के कारण थोड़ा चपटे हो गए थे पर उसके निप्पल अभी भी अपना तनाव बनाए हुए थे. स्तनों के बीच मेरा दिया हुआ नीले नग वाला पेंडेंट लटक रहा था. उसके कानों के कुंडल भी पेंडेंट से मिलते जुलते थे. उस लगा हुआ नीला नग अत्यंत खूबसूरत लग रहा था. छाया के चेहरे पर लालिमा अभी भी कायम थी लगता था उसे सोए हुए अभी दो-तीन मिनट ही बीते थे. पिछले कुछ महीनों में छाया “१९४२ एक लव स्टोरी” फ़िल्म की नायिका मनीषा कोइराला के जैसी लगाने लगी थी. .
मेरा ध्यान उसकी राजकुमारी की तरफ गया जिस तरह छोटे बच्चे दूध पीने के बाद अपनी लार बाहर गिरा देते हैं उसी प्रकार राजकुमारी की लार एक पतले धागे की तरह उसके होंठो से गिरते हुए चादर को छू रही थी.
यह एक अत्यंत उत्तेजित करने वाला दृश्य था. मुझे गांव के मवेशी याद आ गए. सम्भोग की आशा में खूंटे से बंधी मादा मवेशी अपनी योनि से लार टपकाती रहती है. समझदार गृहस्थ यह बात समझते हैं और उन्हें तुरंत गर्भधारण के लिए ले जाते हैं. यहां पर भी मेरी प्यारी छाया उसी स्थिति में पड़ी हुई थी. मुझे अपनी सोच पर हंसी भी आई. मैं भी पूर्ण नग्न होकर छाया के बगल में आ गया. कमरे में ठंड होने की वजह से मैंने चादर खींच ली. अब हम दोनों चादर के अंदर थे. मैं छाया के साथ इस अवस्था में कुछ नहीं करना चाहता था. मैं उसके साथ बिताए पलों को याद करने लगा अचानक मेरे राजकुमार पर उसके हाथों का स्पर्श महसूस हुआ और मैं छाया की तरफ पलट गया. वह भी मेरी तरफ पलट चुकी थी. उसने मुझसे मादक अंदाज में कहा “मानस भैया आज मेरा भी कौमार्य भेदन कर दीजिए मुझसे अब बर्दाश्त नहीं होता” इतना कहकर वह मेरे आलिंगन में आ गई. मैंने उसे अपने आगोश में ले लिया. वाइन के हल्के नशे में वह थोड़ी मदमस्त हो गई थी. उसने अपना एक पैर मेरे ऊपर चढ़ा लिया था. मैं उसके नितंबों को सहलाते सहलाते गलती से उसकी दासी को छू लिया.
उसने आँखे खोली, शरारत भरी नजरों से मेरी तरफ देखा और बोली
“ दासी की तरफ नजरें मत बढ़ाइए अभी तो राजकुमारी ही कुंवारी बैठी है” इतना कह कर हंस पड़ी और मेरे होंठ चूसने लगी. मेरा राजकुमार अब राजकुमारी के मुंह पर दस्तक दे रहा था प्रेम रस से भीगी हुई राजकुमारी राजकुमार को अपने आगोश में लेने के लिए पूरी तरह से तैयार थी. राजकुमार भी मुंह से लार टपकाते हुए राजकुमारी के मुख पर ठोकर मार रहा था उसे सिर्फ मेरे एक इशारे की प्रतीक्षा थी.
छाया के हल्के नशे में होने के कारण कौमार्य भेदन का यह उपयुक्त समय था. उसे दर्द की अनुभूति भी शायद कम ही होती. ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे सारी कायनात ने साजिश कर उसका कौमार्य भेदन सुनिश्चित किया था.
पर मुझे मेरे दिए वचन की याद आ गई मैंने भगवान को साक्षी मानकर उसे वचन दिया था जब तक उसका विवाह नहीं हो जाता मैं उसका कौमार्य भेदन नहीं करूंगा.
इस वचन की याद आते ही मेरा राजकुमार थोड़ा शिथिल पड़ गया. मैंने छाया के माथे पर चुंबन जड़ा और बोला…
“ मैं कल ही माया जी से अपनी शादी की बात करता हूं. पर मैं अपने दिए वचन को नहीं तोड़ पाऊंगा.”
“ मैं उस पल के लिए हमेशा इंतजार करुँगी” इतना कहकर वह मुझसे जोर से लिपट गई राजकुमार एक बार फिर राजकुमारी को चूमने लगा. मैं पहली बार छाया के ऊपर आ चुका था छाया ने अपनी जांघें फैला कर मेरे राजकुमार के लिए कार्य आसान कर दिया था. राजकुमार अब
राजकुमारी के होंठों के एक सिरे से दूसरे तक प्रेम रस में भीगते हुए यात्रा करने लगा. जब वो राजकुमारी के मुख तक पहुंचता तो एक उसके मुखमे एक डुबकी मार ही लेता था. उसका सफर राजकुमारी के मुकुट {भग्नासा} पर खत्म होता. यह प्रक्रिया राजकुमार लगातार कर रहा था. मैं छाया के दोनों स्तन अपने हाथों से दबा रहा था. उनके निप्पलों को छूने पर छाया अपनी जीभ अपने ही दांतों से काटने लगाती. स्खलित होने का समय करीब आ चुका था. मैं छाया के ऊपर और झुक गया तथा उसके स्तनों को अपने होठों से छूने लगा. बीच-बीच में मैं उसके निप्पलों को अपने मुंह में लेता. छाया की राजकुमारी राजकुमारी को तंग करने का एक अच्छा उपाय मिल गया था. उसके कठोर निप्पलों को मुंह में लेने पर मेरे राजकुमार में भी हलचल हो रही थी.
अचानक मुझे राजकुमारी में कंपन महसूस होने लगा. छाया मुझसे तेजी से लिपट गइ और एक बार फिर उसकी कोमल आवाज “मानस भैया............” मेरे कानों तक आई.
राजकुमारी अपना प्रेम रस छोड़ने लगी मेरा राजकुमार भी जैसे राजकुमारी के कंपन का इंतजार कर रहा था वह भी ताल में ताल मिलाते हुए वीर्य वर्षा करने लगा.

मैंने छाया के स्तनों से अपना मुंह हटा लिया था. वीर्य की धार छाया के गालों, स्तनों राजकुमारी और उसकी जांघों को भिगोती रही. मैं छाया से लिपट गया. हमारे स्तनों ने मेरे वीर्य को आपस में साझा कर लिया. छाया की गालों पर लगे वीर्य रस को मेरी जीभ छाया के होठों तक ले आई हम दोनों ने फिर से एक दूसरे के होठ चुसे. मैंने मुस्कुराते हुए छाया से कहा...
“ कौमार्य भेदन के दिन भी ‘मानस भैया.........” ही बोलोगी
क्या ?” वो हँस पड़ी मेरे गालों पर चुम्बन दिया और मेरे आलिंगन में आ गयी. हम दोनी इसी अवस्था में सो गए. सुबह मेरी नींद खुलने पर मैंने पाया की छाया मेरे ऊपर लेटी हुई है उसकी दोनों जांघे मेरी कमर के दोनों तरफ है और वह मेरे राजकुमार को अपने राजकुमारी से दबाई हुए थी. वह अपनी कमर की हल्के हल्के आगे पीछे करती हुई मेरे राजकुमार को उत्तेजित कर रही थी. राजकुमारी का रस एक बार फिर से बह रहा था. मेरी नींद खुलते ही मुझ में भी उत्तेजना आ गयी. और हम दोनों एक दुसरे को कुछ देर प्यार करते रहे “ मानस भैया .........” कि आवाज आते ही उसके स्तन भीग रहे थे ... कुछ देर बाद उठकर हम साथ में नहाने चले गए. हमनेरात एक साथ अपनी पहली रात गुजार ली थी.
साथी पर अटूट विश्वास लड़कियों में साहस भर देता है, छाया ने आज वाइन पीने के बाद बिस्तर पर नग्न लेटकर मुझे खुला आमंत्रण दिया था, पर वो मेरी छाया थी. मैं उसे धीरे धीरे जवान होते देख रहा था बल्कि अपने हांथों से जवान कर रहा था.

दोपहर में घर आने के पश्चात हम दोनों काफी थके हुए थे. माया जी ने हमें खाना खिलाया और हम दोनों सोने चले गए छाया गलती से मेरे कमरे में घुस गइ शायद उसे आभास ही नहीं था कि हम घर वापस आ चुके हैं. माया जी थोड़ा आश्चर्यचकित थी. छाया मेरे कमरे के अंदर आकर अपनी एक पुस्तक हाथ में उठाई मेरी तरफ देख कर अपनी इस गलती पर मुस्कुरायी और हंसते हुए वापस अपने कमरे में चली गइ. मेरी छाया अब समझदार हो गयी थी.
Ati uttam Rachna
 
Top