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Erotica छाया ( अनचाहे रिश्तों में पनपती कामुकता एव उभरता प्रेम) (completed)

Alok

Well-Known Member
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Atayant Adhbudh Lovely Anand ji.........

Iss kahani ki jitni prashansa ki jaye woh bhi kam hai, bahut samay baad koi aise kahani padh rahe hai jis mein sambhog ka samay bhi pyaar jhalakta hain.........


Aise hi likhte rahiye........ :love3::love3::love3::love3::love3::love3::love3:
 

Lovely Anand

Love is life
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( भाग-7)
हमारी यादगार रात.
[मैं मानस ]

खाना खाने के बाद मैं बिस्तर पर बैठा छाया का इंतजार कर रहा था. आज हमारी नए घर में पहली रात थी. मैं इस रात को यादगार बनाना चाहता था. छाया आने में विलंब कर रही थी. मैं अधीर हो रहा था. तभी मैंने छाया को आते देखा उसने एक सुर्ख लाल रंग की नाइटी पहनी हुई थी. नाइटी बहुत ही खूबसूरत थी तथा हल्की पारदर्शी भी थी. छाया के पीछे पीछे माया आंटी भी हमारे बेडरूम तक आ गई थीं. मैं बिस्तर पर पायजामा कुर्ता पहन कर लेटा हुआ था. मैं उठ कर बैठ गया उन्होंने छाया का हाथ मेरे हाथ में देते हुए बोला मैं तुम दोनों के प्रेम संबंधों को स्वीकार कर चुकी हूं. छाया तुम्हारी प्रेयसी है. पर जिस तरह से तुमने इसका ख्याल रखा है विवाह तक उसी तरीके से इसका ख्याल रखना. तुम्हारा दिया गया वचन मुझे बहुत भरोसा दिलाता है. उन्होंने छाया की तरफ भी देख कर कहा...

“मानस का अच्छे से ख्याल रखना..” कह कर उन्होंने छाया के हाथ में चिकोटी काटी और मुस्कुराते हुयीं वापस चली गयीं.

छाया ने शयन कक्ष का दरवाजा बंद किया और मेरे पास आ गई. मुझे माया आंटी का छाया को इस तरह मुझे सौपना अत्यधिक उत्तेजक लगा. छाया के लिए आज का दिन बहुत विशेष था उसने यह

नाइटी शायद इसी दिन के लिए खरीदी थी. बिस्तर पर आने के बाद वह मुझे बेतहाशा चूमने लगी. हम दोनों एक दूसरे को प्यार करने लगे. कुछ ही देर में हमारे वस्त्र हमारा साथ छोड़ते गए. हमने अपना प्यार अपने पुराने अंदाज में हीं शुरू किया.

वयस्क पुरुषों और स्त्रियों का प्यार हर बार एक जैसा ही होता है परंतु उसमें नयापन और ताज़गी छोटे-छोटे परिवर्तनों से लाई जा सकती पर आज तो बहुत बड़ा दिन था.

छाया मेरे राजकुमार को दोनों हाथों में लेकर बहुत प्यार से उसे

सहला रही थी. उसने मेरी तरफ देखते हुए कहा

“माँ ने इसे मेरी राजकुमारी को रानी बनाने की अनुमति दे दी है. बस उस दिन का इंतजार है”

इतना कहकर छाया ने राजकुमार को चूम लिया. अचानक छाया ने पास पड़ी हुई अपनी नई नाइटी को उठाया और मेरे चेहरे पर डाल दिया. उसने मुझे हिदायत दी “जब तक मैं ना कहूं अपनी आंखें मत खोलिएगा”

मुंह पर उसकी नाइटी पड़े होने की वजह से मुझे कुछ दिखाई नहीं पड़ रहा था मैंने अपनी आंखें बंद कर ली और नाइटी से उसके बदन की खुसबू लेने लगा. उसकी उंगलियां मेरे राजकुमार के ऊपर अपना करतब दिखा रहीं थीं. मैंने छाया को छूना चाहा पर वह पास नहीं थी मेरे लहराते हाथों को देखकर समझ गई कि मैं उसे छूना चाहता हूं. उसने उठकर अपने आपको व्यवस्थित किया. अब उसकी कमर मेरे दाहिने कंधे के पास थी. मैं उसके नितंबों को अपने दाहिने हाथ से आसानी से छु पा रहा था. मेरी उंगलियां खुद ब खुद उसकी राजकुमारी के होंठों के बीच में घूमने लगी. उसकी राजकुमारी गीली हो रही थी. गीले और चिपचिपे होंठों में उंगली फिराने का सुख अप्रतिम होता है. छाया की उंगलियां मेरे राजकुमार को तरह-तरह से छेड़ रहीं थीं और वह पूरे मन से फुदक रहा था.

अचानक मुझे अपने लिंग पर किसी गर्म चीज का एहसास हुआ. मैं समझ नहीं पा रहा था कि यह क्या है? राजकुमार के मुख पर गर्मी धीरे-धीरे बढ़ती जा रही थी. ऐसा लग रहा था जैसे उसका संपर्क राजकुमारी से हो रहा है. परंतु राजकुमारी तो मेरी उंगलियों के साथ खेल रही थी. अचानक मुझे अपने लिंग पर कोई चीज रेंगती हुई महसूस हुई. यह एक अद्भुत अनुभव था. मेरा राजकुमार एक अनजाने गुफा की दहलीज पर खड़ा था. अचानक ऐसा प्रतीत हुआ जैसे लिंग
गुफा की तरफ जा रहा और वह अनजानी चीज उससे रगड़ खा रही हैं. मुझे छाया के दातों की रगड़ अपने लिंग पर महसूस हुयी . मैं समझ गया कि छाया ने आज मेरा मुखमैथुन करने का मन बना लिया है. मैं इस आनंद से अभिभूत हो गया. छाया ने आज तक राजकुमार को अपने मुह में नहीं लिया था सिर्फ चूमा था. पर आज मेरी प्यारी छाया ने मुझे नया सुख देनी की ठान ली थी.

छाया अपने मुख से मेरे लिंग के चारों तरफ घेरा बना ली थी और होंठों को गोल करके वह उसे एक सुरंग का आकार दे रही थी. वह अपना मुंह बार-बार आगे पीछे करती और मेरा लिंग पूरी तरह मचलने लगता.
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उसकी राजकुमारी भी लगातार प्रेम रस बहाए जा रही थी. मुझे अपनी ब्लू फिल्मों की शिक्षा याद आ गई. और मैंने छाया के नितंबों को पकड़कर अपनी ओर खींचा. मैंने उसका एक पैर अपने सीने के दूसरी तरफ ले आया. अब छाया के

नितम्ब मेरी गर्दन के दोनों ओर थे. मेरी आंखें बंद होने के कारण मैं कुछ देख नहीं पा रहा था पर महसूस कर सकता था.

मैंने छाया की अनुमति से कपड़ा हटा दिया . छाया के गोरे-गोरे नितम्ब मेरे सामने थे. अद्भुत दृश्य था. इतने कोमल और बेदाग नितम्ब .... एसा लग रहा था जैसे दो छोटे चन्द्रमा मेरे सामने जुड़े हुए हों. नितंबो के बीच से उसकी दासी स्पष्ट दिखाई पड़ रही थी. दासी से कुछ ही नीचे छाया

की राजकुमारी के होंठ दिखाई पड़ रहे थे. रस में भीगे होने के कारण ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे किसी फल को दो टुकड़ों में काट दिया गया हो और उससे फल का रस रिस रिस कर बाहर आ रहा हो.

मैंने छाया को अपनी तरफ खींचा अब मेरी जीभ आसानी से राजकुमारी के होंठों को छू सकती थी. मैंने राजकुमारी के होंठों में अपनी जीभ फेरनी शुरू कर दी. छाया उछलने लगी. छाया ने अपना मुख वापस मेरे राजकुमार पर रख दिया था. अब हम दोनों इस अप्रतिम सुख को महसूस कर पा रहे थे. मेरे राजकुमार स्खलित होने के लिए पूरी तरह तैयार था.

इधर छाया की राजकुमारी भी व्याकुल थी. लग रहा था कि वह कभी भी अप्रत्याशित तरीके से अपने कंपन चालू कर देगी. हम दोनों का चरमसुख लगभग साथ ही आने वाला था.

अंततः राजकुमारी ने कांपना शुरू कर दिया. पर मैंने अपना मुख वहां से हटाया नहीं अपितु उसकी कमर पकड़ कर अपने ऊपर और तेजी से खींच लिया. मेरी नाक भी सीमा के दरारों के बीच आ गइ. जब तक छाया के कंपन होते रहे उसकी राजकुमारी मेरे मुह के अन्दर ही रही. कंपन होते समय ही छाया ने अपनी जीभ और मुख का घर्षण राज्कुम्मार पर पर तेज कर दिया और राजकुमार से यह बर्दाश्त ना हुआ

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और उसमें अपना लावा उड़ेल दिया. छाया इस अप्रत्याशित हमले के लिए तैयार नहीं थी. वीर्य की पहली धार उसके मुंह में ही गिरी. वो अपना मुंह हटा पाती तब तक वीर्य की कई धार उसके गालों स्तनों पर आ गयी. वीर्य का स्वाद छाया ने पहले भी चखा था पर एक साथ इतना सारा वीर्य ये उसके लिए पहली बार था. वह इसे संभाल नहीं पायी. उसने अपना मुंह खोल दिया. मुह में एकत्रित लावा उसके होठों से गिरता हुआ उसके गर्दन तक पहुंच गया. उसने मेरी तरफ चेहरा किया. यह दृश्य देखकर मैं मुझे ब्लू फिल्मों की याद आ गई. इतना कामुक कर देने वाला दृश्य था. मेरी कोमल और मासूम छाया वीर्य से भीगी हुई अपने होंठों से वीर्य बहाती मेरे पास थी. मैंने उसे अपनी बाहों में खींच लिया. उसके स्तन अब मेरे स्तनों से टकराने लगे. उसकी राजकुमारी मेरे राजकुमार के पास आ चुकी थी. थका हुआ राजकुमार राजकुमारी के संसर्ग में आकर एक दूसरे को चूम रहे थे. छाया ने अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिए. अपने वीर्य को उसके होठों से चूसते हुए मैं उसे प्यार करने लगा.

छाया ने आज जो मुझे सुख दिया था यह किसी प्रेयसी का उसके प्रियतम को दिया गया अप्रतिम उपहार था.

हम दोनों इसी अवस्था में सो गए.

छाया मेरी मंगेतर..
[मैं छाया]

नए घर में मेरा पहला दिन भी बहुत यादगार था मैंने आज मानस को वह दिया था जिसका शायद वह हमेशा से इंतजार करते थे. पहले मुझे मुखमैथुन के बारे में बिल्कुल भी जानकारी नहीं थी. मेरे लिए यह कल्पना से परे था कि कोई किसी के गुप्तांगों को किस तरह अपने मुंह से छू सकता है. मेरे लिए राजकुमार और राजकुमारी का आपस में मिलन ही पर्याप्त था पर कामुकता की सीमा किस हद तक जा सकती

हैं यह मुझे समय के साथ-साथ मालूम चल रहा था. मेरी सहेलियों ने मुझे इस बारे में बताया तो मुझे इसका पता चला. वैसे तो राजकुमारी दर्शन के दिन मानस ने मेरी राजकुमारी को अपने होठों से छुआ था और मुझे इस स्खलित भी किया था तथा मेरे प्रेम रस को उन्होंने अपने होठों से छुआ था और मुझे भी चुंबन दिया था पर वह दिन मेरे लिए एक ही दिन में कई सारी नई चीजें लेकर आया था. मैं यह नहीं समझ पा रही थी कि मानस ने कैसे उस दिन मेरी राजकुमारी को छुआ और भी अपने मुख से चूमा.

उसके बाद भी मानस ने कई बार मेरी राजकुमारी को चुमने की कोशिश की पर मैंने उन्हें रोक लिया था. जिस कार्य को मैं नहीं कर सकती थी उन्हें उसके लिए प्रेरित करना मेरे लिए उचित नहीं था. पर अब अपनी सहेलियों से इस बारे में इतनी सारी बातें सुनकर मैंने अपना मन बना लिया था. और नए घर में मानस के साथ पहली बार मैंने मुखमैथुन कर लिया था.

मानस ने जब मेरे नितम्बों को अपनी तरफ खींचा तो मैं समझ गई कि उन्हें मेरा मुखमैथुन करने में भी आनंद आता है. शुरू में तो यह कार्य थोड़ा अजीब लगा पर धीरे-धीरे मुझे अच्छा लगाने लगा. राजकुमार के वीर्य का स्वाद मैं पहले भी ले चुकी थी पर सीधा उसे मुंह में लेने का यह पहला अनुभव था. मेरी इस कार्य से घृणा तो लगभग समाप्त हो चुकी थी. अगले कुछ दिनों में मानस को मैंने इसका भरपूर सुख दिया.

पहले दिन जब माँ ने मानस के हाथ में मेरा हाथ देते हुए कहा था कि मानस का ख्याल रखना तभी से मैंने तय कर लिया था कि मानस को हर स्थिति में खुश रखूंगी और उन्हें उनकी सारी इच्छाएं पूरी करुँगी. मेरे लिए वो सब कुछ थे.

अगली सुबह जब मैं अपनी मां से मिली तो मुझे उनके चेहरे पर एक अलग सी चमक दिखाई पड़ी मुझे आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास हो गया की आज शर्मा जी के साथ उनकी रात्रि अच्छी बीती है. मुझे उनके लिए अच्छा लग रहा था. आज 10 वर्षों बाद यदि उन्हें यह सुख मिला था तो वह इसकी हकदार थीं. उन्होंने मेरे लिए बहुत त्याग किया था.

अगले कुछ दिनों में मैंने अपनी और मानस की कई इच्छाएं पूरी की. हम दोनों पति पत्नी के जैसे अपने कमरे में रहने लगे थे. मां की पूर्ण सहमति मिलने के बाद मैं भी थोड़ी उच्छृंखल हो गई थी. बगल में शर्मा जी की उपस्थिति जरूर थी पर वह अक्सर अपने कमरे में ही बंद रहते हैं मां रात को उनके कमरे में सोने जाया करती थी बाकी समय वह किचन और घरेलू कार्यों में लगाती.

मैं मानस का इंतजार करती जैसे ही मानस घर में आते मां मुझे उनके पास जाने के लिए बोलती ठीक उसी प्रकार जिस तरह घर की नई बहू को लोग अपने पति के साथ छोड़ देते हैं.

एक अजीब किस्म का रिश्ता बन गया था. विवाह ना होने की वजह से हम दोनों संभोग सुख से वंचित रहे बाकी हमारे बीच में कोई दूरियां नहीं बची थी. मेरे साथ नग्न रहने की उनकी इच्छा भी पूर्ण हो रही थी . रात में हम दोनों एक दूसरे के आगोश में नग्न ही सोया करते. राजकुमार भी मेरा भक्त हो चला था. वह मेरे हाथों में आते ही मचलने लगता. मेरा मुंह उसे चूमने की लिए आगे बढ़ता और वह मेरे मुह में अपनी जगह बना लेता. मानस मेरे बालों को सहलाते रहते और कुछ ही डेरे में मेरा मुह भर जाता. जब मैं नग्न होती मैं अपना मुह खोल देती और सारा वीर्य मेरे होंठो से बहता हुआ मेरे गर्दन और स्तनों पर आ जाता मानस मुझे उठाते और मेरे स्तनों पर लगे वीर्य की अच्छी तरह मल देते.

मानस मेरे लिए कई प्रकार की ब्रा, पैंटी तथा नाइटी लाया करते. कई बार मेरी मां भी मेरे लिए ऐसे आकर्षक वस्त्र लाया करती जो मानस को रिझाने में मुझे काम आते थे. मैंने और मानस ने इस बीच कई बार नग्न होकर एक दुसरे की मालिश भी की. हमने जितना कुछ सीखा था सब कुछ एक दूसरे पर प्रयोग किया और एक दूसरे को खुश करते रहे.

समय तेजी से बीत रहा था हमारी खुशियाँ परवान चढ़ रही थीं.
ब्लू फ़िल्म और छाया
छाया को फिल्में देखना बहुत पसंद था. वह अपने कॉलेज की पढ़ाई में से कुछ समय निकालकर फिल्में जरूर देखती. शायद इससे उसकी कल्पना को उड़ान मिलती थी. एक दिन बातों ही बातों में उसने मुझसे बताया कि कॉलेज की लड़कियां किसी ब्लू फिल्म के बारे में बात करती है.

“ वह क्या होता है” मैं हंस पड़ा मैंने उसे बताया..

“यह फिल्म नायक और नायिका के संभोग के विषय में होती हैं और इसमें बहुत सारी अश्लीलता होती है”. वह इसके लिए अति उत्सुक हो गई वह बार-बार कहती...

“मुझे कम से कम एक बार देखना है” मैंने उसे समझाया यह ठीक नहीं होगा. परंतु वह मेरी बात नहीं मान रही थी...

“ मेरी सारी सहेलियां इन सब चीजों के बारे में बात करती हैं परंतु मैं कुछ नही बोल पाती और सिर झुका कर वहां से हट जाती हूँ.”

मुझे लगा हॉस्टल में रहने वाली उसकी सहेलियां ये सब फिल्में देखती होंगी. मैंने उससे कहा अच्छा ठीक है..

“मैं तुम्हें ऐसी फिल्म दिखाऊंगा.”


वह मुझसे जिद करने लगी . मुझे नहीं पता था की छाया को ऐसी फिल्में दिखाना उचित होगा या नहीं. वह एक मासूम लड़की थी उसमें कामुकता जरूर थी परंतु अभी भी उसमें नवयौवना सी लज्जा और चेहरे पर मासूमियत वैसे ही कायम थी. कोई दूसरा आदमी उसको देखता तो वह कभी नहीं सोच सकता था कि यह सीधी साधी लड़की इतनी कामुक हो सकती है. एसा प्रतीत होता था जैसे मुझे देखकर उसमे कामुकता भर जाती थी. मैंने इस बात को कुछ दिनों के लिए टालना ही उचित समझा.

परंतु एक दिन वह नग्न अवस्था में मेरे साथ प्रेमालाप कर रही थी. उसने मुझसे फिर पूछा “यह डॉगी स्टाइल क्या होता है” मैं निरूत्तर था. उसने

मुझसे कहा...

“अब आपको मुझे ब्लू फिल्म दिखा ही देनी चाहिए मैं अपनी सहेलियों के सामने शर्मिंदा नहीं होना चाहती मैं अभी २२ वर्ष की होने वाली हूं मुझे भी यह सब जानने का हक है. आप मुझे नहीं दिखाओगे तो मैं अपनी सहेलीयों के साथ हॉस्टल में देखूँगी”

मैं मजबूर हो गया था अंततः मैं एक दिन छाया के लिए एक ब्लू फिल्म की सीडी ले आया. वह बहुत उत्साहित थी. उसने शाम को जल्दी-जल्दी माया आंटी के साथ मिलकर खाना पकाया और खाना खाने के बाद माया आंटी को कहा...

“मुझे बहुत तेजी से नींद आ रही है” कहकर फटाफट मेरे कमरे में चली आई अंदर आते ही कहने लगी...

“जल्दी से लगाइए ना”

उसकी बेचैनी देखते ही बनती थी. मैंने कहा...

“कुछ देर और रुक जाओ उन लोगों को सो जाने दो .वरना यदि कहीं पता चल गया तो हम लोग मुसीबत में पड़ जाएंगे.”

ब्लू फिल्म का इस तरह घर में देखना एक अलग अनुभव था. वह मेरी बात मान गई. कुछ समय बाद हुम बिस्तर पर आ चुके थे. मैंने सीडी लगाकर फिल्म चालू कर दी.

छाया बिस्तर पर नंगी लेटी हुई थी मैं भी सीडी प्लेयर पर सीडी लगाकर कूदते हुए बिस्तर पर आ गया. मैंने भी अपने कपड़े पहले ही उतार दिए थे. मैं छाया को बाहों में लिए हुए फिल्म के शुरू होने का इंतजार करने लगा. कुछ ही समय में टीवी में नायक और नायिका

अवतरित हो चुके थे. छाया की मानसिक स्थिति के अनुरूप वह दोनों नग्न ही अवतरित हुए थे. कुछ ही देर में उनकी रासलीला शुरू हो गयी. छाया टकटकी लगाकर उन दोनों को देख रही थी. इस बीच मैंने छाया

को छूने की कोशिश की पर उसने मेरा हाथ हटा दिया. वह पूरी तन्मयता के साथ देख रही थी. नायक और नायिका का संपर्क बढ़ता ही जा रहा था कुछ ही देर में नायक और नायिका मुखमैथुन करने लगे. ब्लू फिल्म की हीरोइन द्वारा नायक का लिंग अपने मुंह में लेने को अति उत्साहित होकर ध्यान से देख रही थी. कुछ ही देर में नायक ने अपना लिंग नायिका की योनी के बजाय उसके गुदाद्वार में प्रविष्ट करा दिया. संभोग के बारे में वह जानती थी परंतु राजकुमार का दासी से मिलन उसने नहीं सोचा था, उसने मुझसे पूछा...

“ऐसा भी होता है क्या?”

मैंने उससे कहा...

“वह देखो सामने हो तो रहा है”

वह हंसने लगी.

दुर्भाग्य से हमारे हाथ गलत सीडी लग गई थी.

उस समय इस प्रकार की फिल्मों की उपलब्धता तो थी परंतु आप अपने पसंद की सीडी नहीं प्राप्त कर सकते थे. यह विक्रेता पर ही निर्भर था कि वह आपके हिस्से में क्या लगता है.

फिल्म का दूसरा दृश्य प्रारंभ हो चुका था. विदेशी मूल के दो नव युवक और युवती रासलीला शुरू कर रहे थे फिल्म के शुरुआती दृश्य में ही नायक और नायिका नग्न थे सर्वप्रथम दोनों नायकों ने नायिका के यौन अंगों को चूसना शुरू कर दिया. एक नायक स्तन तो दूसरा योनि को चूस रहा था. नायिका तरह-तरह की उत्तेजक आवाजें निकाल रही थी. कुछ समय पश्चात नायिका ने दोनों नायकों के लिंग को अपने मुंह में ले लिया और बरी बारी से चूसने लगी जैसे हम लोग कुल्फी चूसते हैं. छाया यह दृश्य अपनी आखें बड़ी करके देख रही थी. वह सोच रही थी क्या ऐसा भी होता है. कुछ ही देर में नायक और नायिका संभोग करने लगे. नायक का लिंग नायिका में प्रवेश करते हैं छाया की आंखें लाल हो गयीं .

छाया पूरी तरह उत्तेजित हो चुकी थी. वह मुझसे लिपट चुकी थी पर उसकी आंखें टीवी पर अटकी थी. कुछ ही देर में नायक और नायिका ने तरह-तरह के करतब दिखाने शुरू कर दिए. वह तरह-तरह के आसन बनाते हुए नायिका की योनि में अपने लिंग को प्रवेश कराता नायिका

उत्तेजित होकर आवाजें निकालती. नायिका दुसरे नायक के लिंग को अपने मुख में लेकर उसे भी उत्तेजित रख रही थी. उन्होंने एसी विभिन्न अवस्थाओं में संभोग किया जो आम इंसानों के बस की बात नहीं थी. मैं यह दृश्य पहले भी देख चुका था इसलिए मेरी उत्सुकता कम थी. मैं यह भली-भांति जानता था कि आम जीवन में ऐसा कर पाना असंभव था.

कुछ ही देर में नायक में अपना लिंग योनि से बाहर निकाल दिया और नायिका की दासी पर अपने लिंग का प्रहार करने लगा. कुछ ही देर में

नायक का लिंग नायिका की दासी के अंदर प्रवेश कर चुका था. तभी दूसरा नायक आया और उसने भी अपना लिंग नायिका को योनी में प्रवेश करा दिया.

छाया की आंखें फटी रह गई. दोनों अपने लिंग को तेजी से आगे पीछे कर रहे थे. नायिका उत्तेजना के साथ साथ दर्द में भी प्रतीत हो रही थी. कुछ देर बाद दोनों ने अपना लिंग बाहर निकाल लिया और नायिका ने उसे अपने दोनों हाथों में ले लिया और तेजी से हिलाने लगी. लगी वीर्य स्खलन प्रारंभ हो गया और दोनों नायकों का सारा वीर्य नायिका के शरीर पर लगा हुआ था. वीर्य का कुछ भाग मुंह में जा चुका था. छाया का शरीर काँप रहा था. वो मुझसे लिपटी हुई थी. मैं उसकी पीठ सहला रहा था.

उसने मेरी और देखा मैंने उसे समझाया यह सब कल्पना लोक है. सब इसकी सिर्फ कल्पना करते है हकीकत में यह सब नहीं होता. इन्हें इस काम के लिए बहुत पैसे दिए जाते हैं. वह मेरी बात सुनी पर समझी या नहीं मैं नहीं जानता लेकिन उसका ध्यान टीवी पर अभी भी लगा हुआ था. कुछ ही देर में हम लोगों ने टीवी बंद कर दी.

उसने मुझे चुम्बन लिया और बोली...

“आपने जरूर पहले ये सब फिल्म देखी थी तभी आपको मुझे अपने वीर्य से भिगोना पसंद है.”

उसने एक बार फिर मेरे होंठों को अपने होंठों के बीच लिया और उन्हें काटते हुए मादक आवाज में कहा

“आपने मेरे सपने पूरे किये हैं मैं आपके करूंगी”

मैंने उसके गाल पर प्यार से चपत लगाई और कहा..

“हट पगली” और उसे नग्न अवस्था में ही अपने आलिंगन में लेकर सो गया.

छाया और जिम
एक दिन छाया मेरे पास आई और बोली मैंने कई लड़कियों को एक्सरसाइज करते हुए देखा है मैं हमेशा नाजुक कली जैसी रहती हूं वह लोग एक्सरसाइज भी करते हैं और उनके शरीर में एक अलग सा कसाव है. मैं भी चाहती हूं कि मैं भी एक्सरसाइज करूं. मैंने उससे कहा तुम बहुत नाजुक हो और मुझे ऐसे ही बहुत पसंद हो. तुम क्यों इन सब चक्करों में पड़ती हो. तुम्हारी मासूमियत थी तुम्हारा सबसे बड़ा गहना है.

वह शुरू से ही कोमल थी परंतु जैसे जैसे वह जवान हो रही थी उसकी कोमलता में दिन पर दिन वृद्धि हो रही थी.

मैंने उसे समझाया की कोमलता लड़कियों का सबसे बड़ा गहना है फिर भी उसने जिद की मुझे थोड़ी बहुत एक्सरसाइज करनी और मेरे पेट पर चिकोटि काटती हुई बोली देखिए आपका भी पेट निकल रहा है आप भी एक्सरसाइज किया करें. और फिर मुस्कुराते हुए इशारा किया कि आप चाहेंगे तो हम लोग बिना कपड़े के भी एक्सरसाइज कर सकते हैं यह कह कर मुस्कुरा दी. मुझे हंसी आ गई. वह पत्नी की तरह मुझे मना रही थी.

मैंने अपने वाले शयनकक्ष के बगल में सटे कमरे को एक छोटा सा जिम बनाने की सोची.

जब आपके पास पैसे होते हैं तो आपकी इच्छा और हकीकत में ज्यादा अंतर नहीं रहता.

अगले ६-७ दिनों में ही मैं जिम से संबंधित कई सारे छोटे-मोटे सामान ले आया. छाया ने जिम करना प्रारम्भ कर दिया. हम दोनों अपने समय पर जिम करते पर छाया के साथ नग्न होकर जिम करने का जो स्वप्न उसने दिखाया था वो पूरा होना बाकी था.

एक दिन हमें मौका मिल ही गया ऑफिस से आने के बाद मैंने देखा छाया मेरे लिए लेमन टी लेकर खड़ी थी मैंने पूछा आज सिर्फ लेमन टी उसने कहा अभी आपको जिम करना है. उसके बाद ही अच्छा नाश्ता करेंगे.

थोड़ी ही देर में हम दोनों जिम में थे मैं शाम को जिम जरूर करता था पर कुछ देर से. आज सीमा के कहने पर मैं जल्दी ही जिम में आ चुका था मैंने पूछा माया आंटी कहां है उसने बताया कि वह दोनों किसी काम से बाहर गए हुए हैं. मैं समझ गई छाया क्या चाहती है. मेरे बिना कहे वह एकदम नंगी हो गई और मुझे भी अपनी अवस्था में ला दिया.

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पिछले 10 15 दिनों की जिम की एक्सरसाइज में उसके शरीर में अवश्य थोड़ा कसाव आया पर फूल तो फूल ही होता है मेरे लिए वह अभी भी उतनी ही कोमल थी . मेरे सामने ही उसने जिम मैं कई तरह के आसन करना शुरू कर दिए उसके हर आसन में उसकी राजकुमारी और दासी की एक अलग झलक मिलती जो मुझे अत्यंत उत्तेजित कर रही थी.

जब वह सामने की तरफ झुकती और अपने पैर छूती मुझे पीछे से उसकी राजकुमारी के दर्शन हो जाते. कभी वह अपनी पीठ पीछे

करती तो उसके स्तन भर कर सामने आ जाते और राजकुमारी का स्पष्ट दृश्य सामने से दिखाई पड़ता. उसने यह बात जान ली और बोला कि..

“खाली मुझे देखते ही रहेंगे या एक्सरसाइज भी करेंगे” मैंने इस तरह नग्न अवस्था में एक्सरसाइज करने का सोचा भी नहीं था मेरा लिंग पूरी तरह खड़ा था. तने हुए राजकुमार के साथ एक्सरसाइज करना मुश्किल था. अचानक वह पास आई और बोली...

“आपको याद है फ़िल्म में नायक और नायिका किस तरह के आसन कर रहे थे”

मैंने कहा..

“हां”

वह बोली .. “ हम वही करते हैं ध्यान रहे कि आसन करते समय मेरा

कौमार्य भंग ना हो जाए” मुझे उसकी बात सुनकर हंसी आ गई.

और सच में उसने नायिका द्वारा किए गए लगभग हर हर अवस्था को अपने ऊपर आजमाने की कोशिश की वह मुझे कभी इस तरह झुकाती कभी उस तरह. आधे घंटे में उसने मुझे पूरी तरह थका दिया. हर अवस्था में उसकी राजकुमारी मेरे राजकुमार को अपने आगोश में लेती और फिर छोड़ देती. कभी कभी वह अपनी कमर को आगे पीछे करती जैसे प्रयोग कर रही हो की कि जरूरत पड़ने पर वह यह सब कर पाएगी या नहीं. कुछ ही देर में मैं पूरी तरह थक चुका था मैंने उससे कहा

“ तुम तो उस नायिका के जैसी ट्रेंड हो गई हो”

वह हंसी बोली अरे कुछ ही महीनों में हमारा विवाह हो जाएगा तब आपको खुश करने के लिए इस तरह के आसन करना जरूरी होगा मैं उसी की तैयारी कर रही हूं”

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यह सुनकर मैं भी बहुत खुश हो गया और उसे बाहों में भर लिया. वह मेरी तरफ चेहरा करके मेरी गोद में बैठ गयी. मेरा राजकुमार उसकी राजकुमारी से सटा था. हम दोनों ने उनके बीच घर्षण बढ़ा दिया और थोड़ी ही देर में मुझे एक बहुत दिनों बाद “ मानस भैया.......” की कापती आवाज सुनाई दी और हमारे पेट मेरे वीर्य से नहा चुके थे. छाया ने पूझे प्रूरी तरह पकड़ रखा था. छाया के शरीर पर पसीने की बूंदे पहले से थी उसमें मेरा प्रेम रस मिलकर समाहित हो गया था. हम

दोनों पसीने और प्रेम रस से लथपथ बाथरूम की तरफ चल पड़े. भविष्य में हम दोनों के बीच होने वाली संभावित संभोग परिस्थितियों ने मेरी कल्पनाओं को नयी उचाइयां दे दी थीं.
 
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Lovely Anand

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Superb, Fabulous update bro.....
धन्यवाद। मुझे ऐसा प्रतीत होता है की साहित्यिक भाषा में लिखी हुई कहानियां शायद इस फोरम पर इतनी पसंद नहीं की जाती मुझे आप जैसे कुछ पाठकों की ही प्रतिक्रिया मिलती है आगे की कहानी मेरे वेब पेज पर उपलब्ध है
 
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FUNDOCA

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धन्यवाद। मुझे ऐसा प्रतीत होता है की साहित्यिक भाषा में लिखी हुई कहानियां शायद इस फोरम पर इतनी पसंद नहीं की जाती मुझे आप जैसे कुछ पाठकों की ही प्रतिक्रिया मिलती है आगे की कहानी मेरे वेब पेज पर उपलब्ध है

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भाग-8
सीमा और छाया.
[मैं छाया]
कॉलेज का वार्षिक फंक्शन चल रहा था. इसमे कालेज के पुराने विद्यार्थी भी आये थे. मैं इस कार्यक्रम में एक नृत्य प्रस्तुत करने वाली थी. जैसे ही मेरा नृत्य खत्म हुआ एक नवयुवती ने स्टेज के बाहर मुझे रोका...
“मैं सीमा पहचाना मुझे”
“अरे सीमा दीदी आप तो इतनी सुंदर हो गई है मैं तो यकीन
भी नहीं कर पा रही”
“चल झूठी कितनी देर में खाली हो रही हो”
“बस कोई 20 मिनट.”
“ ठीक है”
“मैं तुम्हारा इंतजार करती हूं”
कुछ ही देर में मैं सीमा दीदी के साथ कॉलेज की कैंटीन में बैठी थी. सीमा दीदी गजब की सुंदर हो गई थी. उनके नाक नक्श फिल्मी हीरोइनों की तरह हो गए थे. उनका शरीर ऐसा लगता था सांचे में ढाला गया हो उन्होंने मुझे अपने आलिंगन में ले लिया और बोली..
“अरे मैंने बहुत मेहनत की है इस शरीर को बनाने के लिए तुम तो जानती ही हो पहले में कितनी मोटी और थुलथुली थी”
ऐसा कहकर वह हंस पड़ी फिर हम लोगों ने ढेर सारी बातें की.
उन्होंने मानस भैया के बारे में पूछा . मैंने कहा ..
“ठीक हैं”
“कभी मुझे याद करते हैं”
“हाँ कभी - कभी”
“क्या मानस ने शादी कर ली”
“नहीं अभी तो वह अपनी प्रेयसी के साथ मजे कर रहे हैं “
सीमा ने तुरंत पूछा
“कौन है उनकी प्रेयसी”
“खुद ही मिल लेना एक दिन” कहकर मैंने बात टाल दी. मैंने अपने और मानस के बीच चल रहे संबंधों की उन्हें भनक नहीं लगने दी. आज उनसे मिलकर काफी अच्छा लग रहा था.
सीमा दीदी मेरी मार्गदर्शक रही है वह इंजीनियरिंग कॉलेज में आने से पहले गांव में आई थी. उस साल मानस गांव नहीं आए थे. मैं और सीमा दीदी ही अपना वक्त साथ में गुजारा करते. वह मुझे पढाई के साथ साथ कई बाते बताया करतीं. उनमें सेक्स को लेकर एक विशेष उत्सुकता थी. वह मुझसे भी जिद करती कि मैं अपने अंग उनको दिखाउ और बदले में वह अपने अंग मुझे दिखाएं. मुझे यह सब ज्यादा पसंद नहीं था. पर उनसे संबंध बनाए रखने के लिए कभी कभी उनकी बात मान लेती थी.
मैं और सीमा दीदी अक्सर मिलने लगे वह मुझे कॉलेज से ले लेती मुझे घुमातीं, खाना खिलाती और ढेर सारी बातें कर मुझे घर के लिए रवाना कर देती. उनके साथ मैंने कई शामें बिताई पर मानस से मिलवाने की बात पर मैं उन्हें टाल देती.
लड़कियों के मन में में एक विशेष किस्म का डर होता है मैं सीमा को मानस से शायद मैं इसी डर से नहीं मिलवा रही थी.

छाया का सपना
एक दिन ऑफिस में देर होने की वजह से मैं घर देर से पहुंचा. घर पर छाया सजी-धजी छाया मेरा इंतजार कर रही थी. वह बहुत खुश लग रही थी उसने खूब अच्छा खाना भी बनाया था. खाना खाने के बाद मुझे नींद आने लगी और मैं अपने बिस्तर पर सोने चला गया जब तक छाया आती तब तक मुझे नींद लग चुकी थी. सुबह लगभग 5:00 बजे मुझे कमरे में आह आह की कामुक आवाजें सुनाई दी. मुझे लगा मैं कोई स्वप्न देख रहा हूं. पर मेरी नींद खुल गई मैंने देखा छाया इस तरह की आवाज निकाल रही है. मैं समझ नहीं पा रहा था यह क्या हो रहा है. कितनी मासूम और प्यारी लड़की इस तरह की आवाज निकाल रही जैसे कोई ब्लू फिल्म की हीरोइन निकालती है. वह अपनी कमर भी हिला रही थी.
मैं बहुत देर तक उसका आनंद लेता रहा अचानक उसकी आंखें खुल गई. मैं हंस पड़ा वह बोली “अरे मैं कहां हूं”
मैंने कहा “तुम घर में हो मेरे पास” वह बार-बार अपनी आंखे मीच रही थी और मुझे छूने की कोशिश कर रही थी.
मैंने उसको पकड़ कर हिलाया. वह अब पूरी तरह जाग चुकी थी. मैंने पूछा..
“क्या हुआ”
वह बहुत ज्यादा शर्मा गई . मैंने उससे फिर कहा
“बताओ ना क्या हुआ”
वह बोली
“मैं आपको नहीं बता सकती”
मैंने उससे जिद की. तो उसने कहा अच्छा बताती हूं दो मिनट बाद वह बाथरूम से आइ और मेरी बाहों में आकर लेट गई उसने कहा
“मैंने एक सपना देखा”
“कौन सा सपना. तुम तो की ब्लू फिल्म तरह आवाजें ही निकाल रही थी.”
“आपने बिल्कुल सही पकड़ा मैं वही सपना देख रही थी.”
मैंने उससे कहा..
“ विस्तार से बताओ ना क्या देखा”
छाया ने कहा...
“एक सुंदर सा होटल में कमरा था उस पर सिर्फ बिस्तर दिखाई दे रहा था अगल-बगल की स्थिति समझ पर बिस्तर बहुत खूबसूरत था. उस बिस्तर पर मैं नंगी थी. वहां पर आप भी थे. हम दोनों पूर्णतयः नग्न अवस्था में थे. मैं आपके लिंग को सहला रही थी तभी वहां पर दूसरा व्यक्ति आ गया. वह भी पूर्णतयः नग्न था. वह बार-बार मेरे शरीर को छूने का प्रयास कर रहा था. वह बार-बार अपने लिंग को मेरे हाथों मैं पकड़ा
रहा था और मेरे नितम्बों को सहला था. पता नहीं क्यों यह सब मुझे उत्तेजित कर रहा था. आप भी उसे रोक नहीं रहे थे. अचानक मैंने महसूस किया की अपरिचित आदमी का राजकुमार मेरी राजकुमारी में प्रवेश कर चुका है. और वह बार-बार अपने राजकुमार को अंदर बाहर कर रहा है. आश्चर्य की बात मुझे उस समय किसी दर्द का एहसास भी नहीं हो रहा था. बल्कि अत्यंत मजा आ रहा था और मैं तरह-तरह की आवाजें निकाल रही थी. मैं आपके लिंग को दोनों हाथों से हिला रही थी और वह अपने राजकुमार को मेरी राजकुमारी में पूरी तरह प्रविष्ट कराया हुआ था वह मेरे नितंबों पर अपनी पकड़ बनाए हुए था जैसे ही मेरी राजकुमारी स्खलित होने वाली थी मेरी नींद खुल गई.”
मेरी हंसी छूट पड़ी मैंने मुस्कुराते हुए कहा…
“ मेरी प्यारी छाया अब बड़ी हो गई है उसके सपने भी बड़े हो गए है लगता है मैं अकेले राजकुमारी की प्यास नहीं बुझा पाऊंगा.”
उसने मेरी छाती पर दो मुक्के मारे और अपना सिर मेरी छाती में छुपा लिया. मैंने अपने हाथ उसके नितंबों की तरफ ले गए और उसकी नाइटी को ऊपर कर दिया. मैंने अपनी हथेली से राजकुमारी को सहलाया तथा उसके होठों के बीच में अपनी उंगलियां रख दी छाया पहले से ही बहुत ज्यादा उत्तेजित थे कुछ ही देर में मैंने उसके राजकुमारी के कंपन महसूस कर लिया वह मुझसे लिपट चुकी थी. मैं उसे गालों पर चुंबन देते हुए उसे वापस हकीकत में लाने की कोशिश कर रहा था.
ब्लू फिल्मों का छाया के मन पर गहरा असर पड़ा था यह बात मुझे अब समझ में आ रही थी.

कुठाराघात
मंजुला चाची का आगमन
मैं, छाया और माया आंटी अपने नए घर में बहुत प्रसन्न थे. शर्मा अंकल और माया आंटी के बीच भी कुछ मधुर रिश्ते पनप चुके थे. वह दोनों भी हमेशा खुश दिखाई पड़ते मैं और छाया दोनों एक ही कमरे में रहते थे. हमारा जीवन पति-पत्नी की भांति हो चला था. पर छाया ने अपनी कामुकता और विविधताओं से हमारे प्रेम संबंधों को रस से सराबोर रखा था.
पर हमारी यह खुशियां ज्यादा दिनों तक नहीं चल पाई. हमारा घर जिस सोसाइटी में था उस सोसाइटी में कई सारे टावर थे. यह बेंगलूर की एक प्रतिष्ठित सोसाइटी इसमें कुल पैतालीस सौ फ्लैट थे. यह सोसायटी एक छोटे शहर जैसी विकसित हो गयी थी. इस नए घर में आए हमें नौ महीने बीत चुके थे. एक दिन सोसाइटी के शॉपिंग मॉल में माया आंटी की मुलाकात मंजुला चाची से हो गइ. दोनों एक दूसरे को देख कर अत्यंत खुश हुयीं.
जब कोई अपना पूर्व परिचित किसी बड़े शहर में मिल जाता है तो उसे देख कर मन प्रसन्न हो उठता है.
माया आंटी उनसे घुल मिल कर बात करने लगी और बातों ही बातों में उन्होंने हमारे घर के बारे में उन्हें बता दिया. उन्होंने हमारे घर की बदली हुई परिस्थितियों को नजरअंदाज कर मंजुला चाची को घर बुला लिया.
मंजुला चाची यहां हमारे गांव के मुखिया मनोहर चाचा के लड़की की सगाई में आई थी. लड़के वालों ने भी इसी सोसाइटी में फ्लैट ले रखे थे. इस सोसाइटी में शादी विवाह के लिए उत्तम व्यवस्था थी. लड़के वाले बेंगलुरु के ही थे. उन्होंने ज़िद की थी कि शादी बेंगलुरु से ही करें. मेरे गांव के कई लोग इस सगाई में सम्मिलित होने बेंगलुरु आए हुए थे.
मनोहर चाचा ने हम लोगों को भी कार्ड भेजा था पर हम अपना घर बदल चुके थे इसलिए उनका निमंत्रण हम तक नहीं पहुंच पाया था.
मैं पिछले वर्ष गांव गया था और सब से मुलाकात कर वापस आया था गांव से थोड़ा बहुत संबंध बना कर रखना आवश्यक था क्योंकि वहां पर हमारी जमीन जायदाद थी. मनोहर चाचा मेरे स्वर्गीय पिता जी के पारिवारिक मित्र थे.
घर आने के बाद माया आंटी ने मुझे मंजुला चाची के बारे में बताया. माया आंटी यह बात भूल चुकी थी की हमारे घर में रिश्ते नए सिरे से परिभाषित हो गए थे. यह बात मंजुला चाची और किसी अन्य गांव वालों को पता नहीं थी. मंजुला चाची का अप्रत्याशित आगमन यदि हमारे घर में होता तो मेरे और छाया के संबंध शक के दायरे में आ जाते. हम उनकी नजरों में अभी भी भाई बहन ही थे चाहे हमारे संबंध
अच्छे हो या खराब. माया आंटी को जब यह बात समझ में आई तो वह बहुत उदास हो गइ.
हम लोगों ने आनन-फानन में घर को नए सिरे से व्यवस्थित किया छाया के कपड़े उसके अलग कमरे में शिफ्ट किए गए. संयोग से शर्मा जी कुछ दिनों के लिए बाहर गए हुए थे. इसलिए एक तरफ से हम निश्चिंत थे. घर को व्यवस्थित करने के बाद हम इसी उधेड़बुन में फंसे थे की मंजुला चाची और गांव वालों का यहां बेंगलुरु में आना और खासकर इसी सोसाइटी में आना एक इत्तेफाक था या कुछ बड़ा होने
वाला था.
अगले दिन मंजुला चाची मनोहर चाचा की पत्नी और एक अन्य महिला के साथ हमारे घर पर आ गई. मैं और छाया भी संयोग से घर पर ही थे. हम दोनों ने उनके पैर छुए उन्होंने हमें आशीर्वाद दिया और कहा..
“दोनों भाई बहन हमेशा खुश रहो”
मंजुला चाची मेरी तारीफ के कसीदे पढ़ने लगीं.
“मानस जैसा लड़का भगवान सबको दे पापा के जाने के बाद इसमें पूरे परिवार को संभाल लिया अपनी बहन छाया को पढ़ा लिखा कर इंजीनियर बना दिया. जब माया और सीमा गांव पर आए थे तो यह उन लोगों से बात भी नहीं करता था परंतु समय के साथ इसने अपनी जिम्मेदारी समझीं और इन दोनों को संभाल लिया.”
उनकी बातें सुनकर मैं खुश होऊ या दुखी यह समझ नहीं पा रहा था. जिस रिश्ते को भूल कर ही हम तीनों खुश थे वही रिश्ते पर मंजुला चाची जोर दे रहीं थी. मैं अपने मन में चीख चीख कर यह कह रहा था की छाया मेरी बहन नहीं है. वह माया जी की लड़की है जिसे मैं प्रेम करता हूँ. पर यह बात मेरे मन के अंदर ही चल रही थी. मंजुला चाची की बातों में बाकी दोनों महिलाएं भी साथ दे रही थी.
उन्होंने छाया का भी हालचाल लिया और बोली बेटा तुम तो बहुत सुंदर हो गइ हो.तुम्हारी पढाई पूरी हो जाए तो मैं तुम्हारे लिए एक सुंदर सा लड़का देखूंगी. तुम तो इतनी सुंदर हो की तुम्हारे पीछे लड़कों की लाइन लग जाएगी कहकर वह तीनों मुस्कुराने लगी.
वह सब आपस में खुलकर बातें कर रही थी. मैं वहां से हट कर बाहर आ गया. मैं उनके आगमन से थोड़ा घबराया हुआ था मुझे इस बात का डर था की मेरे और छाया के बीच वर्तमान संबंधों पर कोई आंच ना आ जाए.
मन में जब आशंकाएं जन्म लेती हैं तो उनके घटने की संभावनाएं कुछ न कुछ अवश्य होती है. बिना कारण ही कोई आशंका स्वयं जन्म नहीं लेती.
जितना ही इस बात पर मैं सोचता उतना ही दुखी होता पर कोई रास्ता नहीं सूझ रहा था. इन तीनों के जाने के बाद छाया और मेरे मन में भूचाल मचा हुआ था. माया आंटी उन लोगों को छोड़ने नीचे गई हुई थी वापस आते ही वह भी हमारे साथ बातों में शामिल हो गई. उनका भी ध्यान मंजुला चाची द्वारा बताए गए भाई बहन के संबंधों पर ही था. मैंने
माया आंटी से कहा
“आखिर एक ना एक दिन लोगों को इस बात का पता चलना ही है तो क्यों ना इसकी शुरुआत मंजुला चाची से ही की जाए “
मेरे और छाया के बीच में बने इस नए संबंध के बारे में जानने के बाद उनकी प्रतिक्रिया ही हमारा आगे का मार्ग प्रशस्त करेगी.

भाई बहन
[मैं मानस ]
दो दिनों के बाद मनोहर चाचा की लड़की की सगाई का कार्यक्रम था. हम तीनों समय से कार्यक्रम में पहुंच गए. कार्यक्रम शुरू होने में अभी देर थी माया आंटी मंजुला चाची से बात करने के लिए उत्सुक थी. उनकी अधीरता उनके चेहरे पर स्पष्ट दिखाई दे रहे थी. कुछ ही देर में उन्होंने मंजुला चाची को एकांत में पाकर उनसे बात छेड़ दी और कहा
“ मंजुला मुझे तुमसे एक जरूरी बात करनी है”
“ हां बोलिए ना”
“ मानस और छाया के भी संबंध वैसे नहीं है जैसा तुम समझ रही हो”
“ क्या मतलब”
“ वह दोनों एक दूसरे को भाई-बहन नहीं मानते”
“ क्या मतलब यह कैसे हो सकता है”
“ अरे वह दोनों शुरू से ही एक दूसरे से बात नहीं करते थे और एक बार जब बातचीत शुरू हुई तो उन दोनों ने लड़के लड़कियों वाले संबंध बना लिए. मुझे यह कहते हुए शर्म भी आ रही है कि दोनों अभी तक इन संबंधों में लगे हुए हैं. मेरे समझाने के बाद भी वह दोनों एक दूसरे को भाई बहन नहीं मानते. मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा कि मैं क्या करूं”
माया आंटी ने खुद को निर्दोष रखते हुए सारी बातें एक साथ कह दी.
मंजुला चाची समझदार महिला थी उन्होंने कहा..
“ मैं भी समझती हूं की छाया मानस की अपनी बहन तो है नही. और वैसे भी उन दोनों की मुलाकात युवावस्था में हुई है. इस समय लड़का और लड़की में शारीरिक परिवर्तन हो रहे होते हैं जिससे वह दोनों करीब आते हैं . मुझे लगता है छाया इतनी सुंदर थी की मानस उसके करीब आ गया होगा. और दोनों में इस तरह के संबंध बन गए होंगे. पर क्या छाया अब कुंवारी नहीं है?
“नहीं नहीं वह पूरी तरह कुंवारी है”
“तब तो चिंता की कोई बात ही नहीं है. युवावस्था में लड़के लड़कियों के बीच ऐसे संबंध बन ही जाते हैं वैसे भी छाया उसकी सगी बहन तो थी नहीं इसलिए वो दोनों पास आ गये होंगे. तुम इन बातों को दिमाग से निकाल दो वह भी इस बात को समझते होंगे.”
“अरे नहीं वह दोनों तो एक दूसरे से विवाह करना चाहते हैं मुझसे बार-बार इस बात के लिए अनुरोध करते हैं”
“ यह कैसे संभव होगा? तुम यह बात कैसे सोच भी सकती हो. गांव वालों के सामने क्या मुंह दिखाओगी. सब लोग यही कहेंगे की माया ने अपनी बेटी को मानस को फासने के लिए खुला छोड़ रखा होगा. मां-बेटी ने मानस जैसे शरीफ लड़के को अपने जाल में फांस लिया ताकि उनका भविष्य सुरक्षित हो सके. छाया इतनी समझदार लड़की है और काबिल भी, क्या तुम दोनों इस अपमान के साथ जीवन गुजार पाओगी.”

मंजुला आंटी की बातें माया आंटी को निरुत्तर कर गयीं. उन्हें समझ में नहीं आ रहा था कि क्या बोलूं.
मंजुला आंटी फिर बोलीं ..
“ गांव में तुम्हारे परिवार की बड़ी इज्जत है. सभी लोग गर्व से मानस का नाम लेते हैं और कहते हैं कितना अच्छा लड़का है पिता के जाने के बाद अपने परिवार को पूरी तरह संभाल लिया. अपनी बहन छाया को पढ़ाया लिखाया. भगवान ऐसा लड़का सबको दे. तुम इन दोनों के विवाह के बारे में सोच कर अपनी और अपने बच्चों की आने वाली जिंदगी हमेशा के लिए बर्बाद कर दोगी. यह बात अपने दिमाग से बिल्कुल निकाल दो”
इतना कहकर उन्होंने माया आंटी की पीठ पर हाथ रखा और बोला चलो सगाई का कार्यक्रम शुरू हो रहा है.
मेरा मन कार्यक्रम में नहीं लग रहा था. छाया भी कुछ लड़कियों के साथ गुमसुम बैठी थी. कार्यक्रम के बाद हमने गाँव से आए सभी लोगों से मुलाकात की. मनोहर चाचा के पैर छूते समय वह भावुक हो गए और बोले..
“मानस बेटा तुम्हें देख कर बहुत अच्छा लगा. तुमने पापा के जाने के बाद अपनी बहन छाया और इनकी मां को अपना लिया. यह एक बहुत बड़ा कदम है. तुम्हारे इस अच्छे काम की सराहना आस पास के गांवों में भी होती है. सभी लोग अपने बच्चों को तुम से प्रेरणा लेने को बोलते हैं और तुम्हारे जैसा बनने की अपेक्षा रखते हैं. भगवान तुम्हें हमेशा खुश रखे.”
मनोहर चाचा ने यह भी कहा कि “तुम्हें और छाया को साल में एक बार गांव अवश्य आना चाहिए. वहां तुम लोगों की संपत्ति है तुम्हारे पापा ने संपत्ति के कुछ हिस्से छाया के साथ साझा किए हैं. अपनी जमीन को व्यवस्थित और अपने प्रभाव क्षेत्र में रखने के लिए साल में एक दो बार गांव आना उचित होगा. मुझे पता है तुम्हारी नौकरी में व्यस्तता ज्यादा रहती होगी पर दायित्व निर्वहन भी जरूरी है. उन्होंने चलते चलते फिर से आशीर्वाद दिया तुम दोनों भाई बहन हमेशा खुश रहो यही मेरी भगवान से प्रार्थना है.”
कार्यक्रम से वापस आने के बाद मैं और माया आंटी बहुत दुखी थे. माया आंटी के चेहरे पर उदासी यह स्पष्ट कर रही थी कि उन्हें मंजुला चाची का समर्थन नहीं मिला है. सारे गांव वालों द्वारा हम भाई बहन की तारीफों ने और इस सामाजिक ताने बाने ने हमारे मन में चल रहे विचारों पर कुठाराघात किया था.


कुठाराघात
माया आंटी ने मुझे अपने पास बुलाया और सारी बाते बतायीं और बोला..
“ बेटा मानस अब तुम्हें ही छाया को समझाना होगा. तुम दोनों के बीच में चल रहे प्रेम संबंधों को यहीं पर विराम देना होगा. तुम दोनों का विवाह होना असंभव लग रहा है. कोई भी इस बात को स्वीकार करने को राजी नहीं है कि तुम दोनों भाई बहन नहीं हो. बल्कि तुम दोनों को आदर्श भाई बहन की संज्ञा दी जा रही है. गांव में तुम लोगों की इतनी तारीफ होती है यह बात मुझे लगभग हर व्यक्ति ने कही. जब उन्हें यह पता चलेगा की तुम दोनों विवाह कर रहे हो वह इसे बर्दाश्त नहीं कर पाएंगे. और समाज में हमारी बड़ी बेइज्जती होगी. तुम दोनों एक दूसरे को प्रेम करते हो मुझे इस बात से कोई आपत्ति नहीं थी. मैं समझती हूं परंतु विवाह होना यह शायद संभव नहीं हो पाएगा.
तुम छाया को समझा लो अभी तक उसका कौमार्य सुरक्षित है यह एक अच्छी बात है. तुम दोनों ने एक दूसरे के साथ अभी तक जो भी किया है वह उचित है या अनुचित इस बारे में न सोचते हुए इस संबंध को यहीं पर विराम दे दो. कुछ ही महीनों में छाया की पढ़ाई पूरी हो जाएगी. उसके बाद हम लोग उसका विवाह कर देंगे. विवाह के पश्चात वह स्वयं इन सब चीजों को भूल जाएगी.
तुम दोनों के बीच जो प्रेम संबंध बने हैं वह बने रहे. यह आवश्यक नहीं कि उसमें कामुकता ही प्रधान रहे तुम दोनों बिना कामुकता के भी एक दूसरे के प्रति प्रेम भावना रखते हुए आगे का जीवन व्यतीत कर सकते हो. मैं उम्मीद करती हूं तुम दोनों के जीवन साथी भी तुम लोगों की तरह ही खूबसूरत और समझदार होंगे. ताकि तुम दोनों उनके साथ अपनी अपनी इच्छाओं को पूरा कर सको. यही एकमात्र उपाय है”
इतना कहकर माया आंटी उठ गई. इन बातों के दौरान छाया कब हमारे पीछे आ चुकी थी यह मैं नहीं देख पाया था. उसने भी वह सारी बातें सुन ली थी वह पैर पटकती हुई मेरे कमरे में चली गई और बिस्तर पर पेट के बल लेट कर उसके दोनों हांथों से सर पकड़ लिया था. मैं उसे उठाने की चेष्टा करने लगा. उसकी आंखें भीगी हुई थीं
वह मुझसे लिपट कर रोते रोते बोली
“ क्या यह सच में नहीं हो पाएगा”
मैं निरुत्तर था. मैं उसकी पीठ सहलाता रहा और बालों पर उंगलियां फिरता रहा. मेरे पास कुछ कहने को शब्द नहीं थे मैं स्वयं भी रो रहा था.
गांव वालों ने आकर हमें हमारी कल्पना से हमें वापस जमीन पर पटक दिया था.

छाया से वियोग.
अंततः यह सुनिश्चित हो चुका था कि मेरा और छाया का विवाह संभव नहीं है. छाया बहुत दुखी थी, पर वह स्थिति की गंभीरता को समझती थी. माया आंटी ने छाया से उसके सारे कपड़े अपने नए कमरे में लाने के लिए कहा. छाया का नया कमरा माया आंटी के शयन कक्ष के बगल वाल था. छाया जब अपने कपड़े और सामान मेरे कमरे से बाहर ले कर जा रही थी तो मुझे ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे मेरे जीवन से सारी खुशियां एक साथ बाहर जा रहीं है. मेरी आँखे भर आयीं थी. इतना मजबूर मैं कभी नहीं था.
छाया को मैंने आज तक कभी अपनी बहन नहीं माना था और न ही भविष्य में कभी मान सकता था पर परिस्थितियां ऐसी बन गई थी कि मैं उसे अपनी प्रेमिका या प्रेयसी नहीं बना सकता था. हमारे सपने खंडित हो चुके थे.
हम दोनों ने कई दिनों तक एक दुसरे से बात नहीं की. जब भी वह मुझसे मिलती अपना सर झुकाए रखती थी. हम क्या बातें करें यह हमें खुद भी नहीं समझ में आता था. घरेलू बातों के लिए माया आंटी ही मेरा ध्यान रखती. मेरे कमरे में चाय खाना या किसी अन्य तरह की सहायता के लिए वही आती. मुझे छाया से यह सब काम बोलने में शर्म आती थी. जब भी मेरे से उसकी नजरें मिलतीं उसकी नजरों में एक अजीब सी उदासी रहती.
मैंने इतनी प्यारी लड़की से जैसे अन्याय कर दिया हो. इसकी आत्मग्लानि मुझे हमेशा रहती. मुझे लगता जैसे मैं उसकी भावनाओं और शरीर के साथ पिछले तीन वर्षों से खेल रहा था. इस आत्मग्लानि ने मेरा भी सुख चैन छीन लिया था.
नियति में जो लिखा होता है उसे आप बदल नहीं सकते. हमारे प्रेम में हम दोनों की साझेदारी बराबरी की थी पर उम्र में बड़ा होने के कारण मैं इस आत्मग्लानि से ज्यादा व्यथित था.
समय सभी घावों को भर देता है इसी उम्मीद के साथ हम अपनी गतिविधियों में व्यस्त होने का प्रयास कर रहे थे. लगभग दो महीने बीत गए थे. घरेलू कार्यों के लिए की गई बातों को दरकिनार कर दें तो मैंने और छाया ने आपस में कभी भी एक दूसरे से देर तक बात नहीं की थी . अब वह मुझे बिल्कुल पराई लगने लगी थी. माया आंटी मेरी केयरटेकर बन चुकी थी. छाया मुझसे दूर ही रहती और पता नहीं क्यों मैं भी उससे बात करने में कतराता था.
मेरे मन की कामुकता जैसे सूख गयी थी.

[शेष समय के साथ। ]

मेरा विवाह हो चूका था. छाया की अपनी भाभी से बहुत बनती थी. हम तीनों घनिष्ठ दोस्त बन गए थे. अंततः छाया का विवाह भी हुआ पर उसके साथ सुहागरात उसके प्यार ने ही मनायी ….. छाया का देखा हुआ स्वप्न भी साकार हुआ. छाया मेरी बहन तब भी नहीं थी और अब भी नहीं है. जिनके लिए हम भाई बहन थे उनके लिए आज भी हैं. माया आंटी ही हमें समझ पायीं थी की हम दोनों एक दुसरे के लिए ही बने थे. …….वह भी कामदेव ओर रति के रूप में …….
 
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Lovely Anand

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Alok

Well-Known Member
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Bhai update bahut hi Shandaar tha......

Akhari line padke aise lag raha hai ki aapne story end kar di hai...........

Kya story end ho gayi hai?????
 
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