अरे छुटकी तो इस कहानी की जान है...Bahot tadpa diya aapne to. Par maza bhi bahot aaya. Kash esa seen chhutki ke lie bhi likhte.
उसके तो इससे बढ़कर कारनामे देखने सुनने को मिलेंगे....
अरे छुटकी तो इस कहानी की जान है...Bahot tadpa diya aapne to. Par maza bhi bahot aaya. Kash esa seen chhutki ke lie bhi likhte.
और जिगर वाली भी...Badi himat vali he nandiya
सच में बार बार पढ़ने को जी चाहता है....Dono bhai bahen ke pure kisse dusri bar padhe he. Maza aa gaya.
पहली बार की हिचक टूट गई है.... अब तो....Devarji bhi pahele to ghabrate rahe or ab lage rahe
मुंडे-मुंडे मति भिन्ना...Me bhi kuchh photos le rahi hu. Kitna ajib he. Ham dono ka ek hi tashwir ko dekhne ka najriya alag alag he.
बारिश तो ऐसे हीं सेक्सी मौसम है...Batish me sex bahot jabardast erotic. Maza aa gaya
क्या यथार्थ विशलेषण किया है....Vo to padha he. Mayke me or train me. Kafi sharat bhara seen tha. Bahot maza aaya. Lekin shangita ko to barish me bhig kar pyar karne ko mila. Shangita ke bhi share seen bahot jabardast diye. Kya wards us kiye aapne. Vo dar vo ajib si halchal vo romanch sab mahesus karaya. Dono ki nath utrai me alag alag prakar ka maza diya. Jaha chhutki me sharat or masti dikhi. Vaha shangita me pahela pahela dar or romanch dikha.
Bahot gor se padha he komalji.
ऐसा लग रहा है कि कहानी के इस प्रसंग में पहला पैराग्राफ छूट गया है...भाग ३३ अरविन्द और गीता की इन्सेस्ट गाथा
सांझ भई घर आये
गीता ने कुछ बोलने की कोशिश की पर माँ ने अनसुनी कर दी और सिर्फ ये बताया की वो आज नहीं आ रहीं है,... और ये सुन के मारे ख़ुशी के भाई ने गीता की चूँचियाँ कस के दबा दी , ... और गालों पर के मीठी सी चुम्मी ले ली, ... वैसे तो गीता भी कुछ जवाब देती पर माँ का फोन ऑन था और वो समझदार थी उसने साफ़ साफ़ पूछ लिया,...
" माँ , मामा के यहाँ सब ठीक है , मामी लौट आयीं क्या ,... "
" नहीं नहीं , वही तो , इत्ती बारिश हो गयी है यहाँ भी बहुत हालत खराब है,... और तेरी मामी के घर का तो रस्ता बंद हो गया है , उनका फोन आया था की उनके आने में दस बारह दिन लग सकते हैं,... और जिस काम के लिए मायके गयी थीं वो तेज बारिश के चलते हुआ भी नहीं , यहाँ कोई है नहीं तेरे मामा अकेले हैं , इस लिए देख ,... दस दिन तो लग जाएंगे मुझे, हो सकता है दो चार दिन ज्यादा ही लग जाएंगे , तुम लोग सम्हाल लोगे न , कोई परेशानी तो नहीं होगी तुम दोनों को,.... "
उधर से जवाब मिला।
ऊँगली में गीता के निपल पकड़ के मस्ती से घुमाते हुए भाई ने बोला , ...
" नहीं माँ , तू चिंता न कर मैं हूँ न घर का बाहर का सब मैं देख रहा हूँ , आज दिन में खेत पे भी गया था , बाग़ में भी,... "
" अरे मेरा बेटा बड़ा हो गया , " दुलराते हुए माँ की आवाज आयी उधर से ,...
लेकिन पीछे से शायद उनके मामा की आवाज आ रही थी,...' आओ न "
गीता क्यों पीछे रहती,वो भी बोली,...
" माँ आपकी भी बेटी भी बड़ी हो गयी है , आप आराम से आइये हम लोगों की चिंता को कोई जर्रूरत नहीं ,... बस एक बात है,... "
माँ फोन रखने वाली थीं की गीता की बात सुनने के लिए रुक गयीं , और गीता ने अपनी बात पूरी कर दी,...
" भैया को बोल दे न ,... मुझे मारेगा नहीं ,... "
और अब उधर से खिलखिलाने की आवाज आयी और उन्होंने अपने बेटे से कहा,...
" सुन, अपनी बहन को कस के मारना , हलके से इसके ऊपर असर नहीं होता,... "
और बिटिया को बोला, ... \
" भैया की सब बात मानना , और मारेगा तो क्या हुआ तेरा सगा भाई है , हाँ चल मैं बोल देती हूँ सुन मारना तो प्यार से और ज्यादा दर्द हो तो बाद में सहला भी देना,... "
ये कह के उन्होंने हँसते हुए फोन काट दिया
और यहाँ तो ख़ुशी की लहर, ... कस कस के बहन की चूँची मसलते हुए भाई बोला,...
" अब तो दस दिन तक तेरी,... "
" तो डरती हूँ क्या तेरे से कर लेना जो तेरी मर्जी हो ,... "नीचे दबी खिलखिलाती बहन बोली ,...
लेकिन फिर अगले ही पल निकल गयी और बोली , अब बाकी की मस्ती रात को,.. अभी मैं खाना चढ़ा देती हूँ , अभी ग्वालिन भौजी भी आती होंगी, भैंस को दूह के ,... "
भाई भी बाहर निकल गया , बारिश अभी रुकी थी , खेत के काम बहुत होते हैं , ....
गाँव में रात बहुत जल्दी होती है और बारिश के दिन में तो और ,..आठ बजे तक खाना बना के खा खिला के , बर्तन वर्त्तन कर के गीता निपट गयी और भैया के बिस्तर में
लेकिन भैया ने आज कुछ और सोच रखा था, बस सीधे उसने प्रेम गली में मुंह लगा दिया,...
पिछले २४ घंटे में बहन के ऊपर छह बार से ज्यादा चढ़ चुका था, इसलिए न उसे अब जल्दी थी चोदने की न बहना को चुदवाने की, आज तो खूब रस ले लेकर इस कच्ची कली का मज़ा लेना चाहती था , और इसलिए आराम से पहले सीधे जाँघों को फैला के मुंह लगा दिया कभी जीभ से चाटता, कभी दोनों फांको को फैला के जीभ से चोदता , कभी क्लिट को होंठों के बीच दबा के चूसता ,
वो छटपटा रही थी , तड़प रही थी , पर यही तो वो चाहता था , उसे पागल कर देना इतना पागल कर देना की खुद आये और उसका लंड मुंह में ले कर चूसे, उसके ऊपर चढ़ के चोदे, एकदम बेशर्म होके उसके लंड की दीवानी हो जाए,...
बहन की चाशनी ऐसी मलाईदार हो तो कोई भी भाई चटोरा होना चाहेगा....चटोरा भाई
आज तो खूब रस ले लेकर इस कच्ची कली का मज़ा लेनाचाहता था ,
और इसलिए आराम से पहले सीधे जाँघों को फैला के मुंह लगा दिया कभी जीभ से चाटता, कभी दोनों फांको को फैला के जीभ से चोदता ,
कभी क्लिट को होंठों के बीच दबा के चूसता ,
वो छटपटा रही थी , तड़प रही थी , पर यही तो वो चाहता था , उसे पागल कर देना इतना पागल कर देना की खुद आये और उसका लंड मुंह में ले कर चूसे, उसके ऊपर चढ़ के चोदे, एकदम बेशर्म होके उसके लंड की दीवानी हो जाए,...
कस के उसने अपने दोनों मजबूत हाथों से बहन की कोमल कलाइयों को कस के दबोच रखा था, इंच भर भी नहीं हिल सकती थी , छटपटाये चाहे जितना तड़पे चीखे,...
चूस चूस के वो उसे झाड़ने के कगार पे ले आता , फिर छोड़ देता,....
और थोड़ी देर बाद फिर जीभ उसी तरह कभी फांकों पे, कभी अंदर
और थोड़ी देर में गीता फिर बिस्तर पे अपने चूतड़ रगड़ती, गहरी गहरी साँसे लेती लेकिन वो बस बार बार उसे झड़ने के कगार पे ला के रुक जाता , जब तक गीता ने खुद चीखना शुरू कर दिया,...
"भैया, भैया प्लीज हो जाने दे न ,... दुष्ट बदमाश,... मेरे अच्छे वाले भैया प्लीज बस एक बार झड़ जाने दे न,"
बार बार गीता बोल रही थी
"क्यों तड़पाते हो , तेरी हर बात मानूंगी , प्लीज भैया ,"
चार पांच मिनट इसी तरह तड़पाने के बाद , उसने स्ट्रेटजी चेंज कर दी,...
और बिना बोले , पहले धीमे धीमे हलके हलके चाटता चूसता रहा , चूत चटोरा तो वो गज़ब का था , भोसड़े वालियों का भोंसड़ा चूस के पागल कर देता था, और ये तो नयी बछेड़ी थी,... फिर धीरे धीरे उसने चूसने की रफ्तार बढ़ाई, कभी जीभ से हचक के चूत चोदता तो कभी दोनों होंठों के बीच बहन की दोनों फांको को पकड़ के कस कस के चूसता ,
जल्द ही एक तार की चाशनी बहन की रसमलाई ने छोड़नी शुरू कर दी, रस बह के गोरी गोरी मखमली जाँघों पर बहना शुरू हो गया, बहना के ,.. लेकिन वो रुका नहीं सीधे चौथे गियर में ,... और वो जब झड़ी तो भी नहीं ,
एक दो बार , चार बार , पांच बार ,
झड़ झड़ के वो थेथर हो गयी। हिला नहीं जा रहा था , सिसक भी नहीं पा रही थी , अब वो जीभ से छू भी दे रहा था क्लिट तो देह कांपना शुरू कर देती थी, एक बार झड़ना रुकता नहीं था की ,...
और उसके बाद भी चूसता था , सीधे क्लिट को , ... दस मिनट
और अब बस जैसे वो संज्ञा शून्य हो गयी तो फिर धीमे धीमे उसने चूसने की रफ्तार कम की सारी चाशनी चाट गया और उसी चासनी को हथेली में लिपेट के बहन के मुंह में पोत दिया , होंठों पर गाल पे।
बहुत देर तक दोनों एक दूसरे की बांह में , तब कहीं जा के गीता बोलीं ,.. बोली क्या भाई के मुंह को चूम लिया। और जो सवाल कब से उसके मन में उमड़ घुमड़ रहा था पूछ लिया,...
" भैया, तूने सबसे पहले किसके साथ, कब,... "
भैया कुछ देर तक उसकी संतरे की फांक सी रसीली, होंठों को चूसता रहा, ... फिर बोला, ..
" चाची के साथ,... करीब दो साल पहले,.. तू मौसी की यहाँ गयी थी , छुट्टी में. "
तो चलिए अब चाची की हाल चाल,...
चाची तो जबरदस्त सेक्सी और गदर माल हैं...चाची-
खूब गोरी, मक्खन, उमर में माँ की ही समौरिया होंगी, एकाध साल इधर उधर, ... लेकिन रिश्ते की देवरानी होने से चाची हो गयीं। चौड़ा माथा, सुतवा होंठ, हरदम पान से रचे होंठ, नाक में एक छोटी सी हीरे की लौंग, हँसतीं तो गोरे गालों में गढ्ढे पड़ते, लेकिन जोबन के मामले में माँ की टक्कर क्या शायद २० ही होंगी , पक्का ३८, लेकिन एकदम कड़क,
और चोली हरदम कसी और खूब लो कट, गहराई, कटाव, कड़क सब कुछ साफ़ साफ़ ,... और आँचल तो सरकता ही रहता था, देह मांसल तो थी , खूब भरी भरी, लेकिन स्थूल एकदम नहीं।
एक लड़की थी, मेडिकल की कोचिंग कहीं शहर में अपने ननिहाल में रह के कर रही थी, साल में एकाध बार कभी आयी तो आयी,..
और चाची की नजर जवान होते लौंडो पर घूमती रहती , जिनकी कमर में ताकत हो, देह गठी हो,... और उनकी निगाह पड़ गयी ,
और एक दिन अपनी मन की बात उन्होंने अपनी जेठानी से कह दी,...
"इसके चाचा दो तीन दिन के शहर जा रहें हैं, इसकी भी छुट्टी चल रही है , मैं आजकल अकेले हूँ ,... तो ले जाऊं इसको अपने साथ , इसके चच्चा जैसे ही आएंगे,..."
माँ कुछ बोलतीं , वैसे ही उनकी मुंहलगी ग्वालिन भौजी बोल पड़ीं,
" अरे काहें नहीं , फिर कौन गाँव से बाहर जा रहा है,... और मैं हूँ ना , आ जाउंगी रात में , बल्कि सांझ से ही गाय भैस का काम निपटा के , दो चार दिन ,... रात में ,... "
और माँ ने हामी भर दी,
ग्वालिन भौजी और माँ दोनों एक दूसरे को देख के मीठा मीठा मुस्करा दीं.
लेकिन भैया ने कबूला गलती उन्ही की थी,...
वो चाची के बड़े बड़े खूब गदराये उभारों के दीवाने थे, ... और उतने ही चाची के पिछवाड़े के भी, जब मचर मचर चलतीं,... अपने तरबूज से बड़े बड़े चूतड़ मटका के, साड़ी इतनी कसी पहनतीं की बीच की दरार साफ़ साफ़ झलकती,...
और वो तो सोचते थे की वो चोरी छुपे, लेकिन चाची की चालाक निगाहें सब ताड़ लेती थीं, और एक दो बार तो उन्होंने टोक भी दिया था , ' बहुत ललचाते हो, लालची " और एक बार तो एकदम साफ़ साफ़, ...
" क्यों खाली मुंह में पानी आता है या कही और भी "
और सीधे उन्होंने भैया के टनटनानाते, पजामा फाड़ते खूंटे की ओर देखा।
और चाची के घर तो पूरी चांदी थी,...
घर में बस वही दोनों और रात में वैसे ही गाँव में आठ बजे के पहले ही सोता पड़ जाता है,... खाना बनाते समय ही चाची ने साड़ी उतार दी थी,... ' गर्मी बहुत है , तू भी हलके हो जाओ "
और ब्लाउज पेटीकोट में ( गाँव में चड्ढी बनियान पहनने पर तो एकदम पाबंदी थी ) , आटा गूंथते समय ही,... उसे सामने बैठा के , झुक के,... अब न सिर्फ पहाड़ों और घाटियों के दर्शन हो रहे थे, बल्कि जब उन्होंने पेटीकोट थोड़ा सा ऊपर सरका लिया घुटनों ज़रा सा नीचे,...
और अब तो भरतपुर के स्टेशन का रास्ता भी दिख रहा था साफ़ ,... बेचारे मुन्ना के मुन्ना की हालत ख़राब हो रही थी, ... बहाना बना के उठने का भी रास्ता नहीं थी , चाची ने खिलाया भी बहुत प्यार से, पूड़ी बखीर, ... लेकिन सोते समय बल्कि पहले से ही खेल चालू हो गया,
वो ब्लाउज पेटीकोट में थी हीं,जिद्द कर के उसे भी सिर्फ जांघिये में,...
' अरे यहाँ कौन देख रहा है , लौंडा मुझसे शरमा रहा है , तुझे कितनी बार नंगे खिलाया है , छोटी सी नूनी थी तेरी, खोल खोल के तेल लगाती थी मैं,... जब तक छटांक भर तेल न पिला देती छोड़ती नहीं थी , और तू भी उस उमर से सीधे ब्लाउज पे हाथ मारता था जब तक खोल के हाथ में न दे दूँ,... "
सुलाया भी अपने पास,... ' अरे वो कमरा साफ़ नहीं, मैं और तेरे चाचा तो इसी बिस्तर पे , बहुत अच्छी नींद आती है यहाँ पे... "
उस रात हलकी सी ठंडक भी थी , तो खींच के उसे अपने चादर में और सीधे अपना हाथ अपने ३८ साइज वाले कड़े कड़े, ब्लाउज तो कब का उतर गया था और ब्लाउज के बिना भी वो दोनों ऐसे ही कड़क, तने, मांसल,...
' लजा मत, देखती नहीं थी क्या, कैसे लिबराता रहता है, अब मिल रहे हैं तो,... अरे पकड़ कस के , हाँ ,... पूरी ताकत से,... मसल रगड़,... "
और जब उसके दोनों हाथ चाची के पहाड़ों पर पर्वतारोहण कर रहे थे, चाची के दाएं हाथ ने उसके जांघिये में सेंध लगा दी और गपुच लिया, खड़ा तो वो था ही चाची के गोरे गोरे मुलायम हाथों की पकड़ में तो और फनफनाने लगा, फिर चाची की तारीफ,...
" अरे ये तो जबरदस्त मस्त लौंड़ा हो गया है , खूब मोटा भी है कड़ा भी,... मेरी मेहनत, बचपन में इसे तेल लगाने की मालिश करने की, ... इत्ता मस्त खूंटा है , अब तक तो बहुतों को चोद के पार लगाया होगा,... "