Bilkul isliye to mama ke yaha gayi thi taki baache bina dar ke jawani ka maza lena sikhe , is upkar ke badle mama ne bhi to maje diye hainmaan ka kaam hai bachcho ka khyal rkahe , cchae bahcpan men chhae chadhti jawani men![]()
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Bilkul isliye to mama ke yaha gayi thi taki baache bina dar ke jawani ka maza lena sikhe , is upkar ke badle mama ne bhi to maje diye hainmaan ka kaam hai bachcho ka khyal rkahe , cchae bahcpan men chhae chadhti jawani men![]()
" माँ के पेटीकोट का नाड़ा खोलने का हक़ वैसे तो बेटे का पहले है,लेकिन तू कौन बेटे से कम है, चल खोल दे,... "भाग ३८
मेरे पास माँ है- इनसेस्ट् कथा गीता और अरविंद की
भैया और मुझे भी लग रहा था , माँ को भी लगने लगा, बहुत चोर सिपाही हो गया , अब असली खेल घुस्सम घुसाई वाला होना चाहिए ,... मैं माँ का इशारा समझ के पलंग पे पीठ के बल लेट गयी, और टाँगे उठाने लगी,... लेकिन तभी माँ की डांट पड़ी,...
"ऐसे नहीं, चल पेट के बल लेट, टाँगे नीची,..."
और मैं पेट के बल, ...
मेरी दोनों टाँगे फर्श पे बस छू रहीं थी,... माँ ने पलंग पे जितनी तकिया रखी थीं, सब मेर पेट के नीचे लगा के मेरा पिछवाड़ा ऊंचा कर दिया था, जिससे मेरे पैर फर्श पे बस,... मान गयी मैं माँ को,अब जो भैया धक्के मारेगा, सब तकिये पे जोर पडेगा, ... वो मारता भी था कस कस के बहुत, बस जान नहीं निकलती थी,...
माँ सिरहाने आके मेरे सर के पास बैठ गयी, दोनों अपनी टाँगे फैला के, वो अब बस पेटीकोट पहनी थी वो भी घुटने के बहुत ऊपर सरका, समझो कमर के पास सरका, सिमटा, हम दोनों के कपडे तो पहले से ही उतरे,... माँ बहुत दुलार से मेरा सर सहला रही थी, ऊँगली मेरे बालों में घुमा रही थी, और मेरे मुंह को अपनी गोद में दुबका के,... फिर झुक के हलके से बोली,...
" माँ के पेटीकोट का नाड़ा खोलने का हक़ वैसे तो बेटे का पहले है,लेकिन तू कौन बेटे से कम है, चल खोल दे,... "
और खुद मेरा हाथ पकड़ के माँ ने अपने नाड़े पर,... मुझे मालूम था,...वो नाड़ा डबल गाँठ बांध के उसे एकदम अंदर खोस लेती थी, और उस की देखादेखी मैं भी शलवार और चड्ढी का नाड़ा वैसे ही बाँधने लगी थी की कभी मज़ाक मजाक में कोई भौजाई या सहेली न,...
थोड़ी देर में उसका पेटीकोट भी सरक के फर्श पे,...
और माँ ने मेरा मुंह खिंच के सीधे अपनी जाँघों के बीच,
कितनी बार मैं अपनी सहेलियों या गाँव की भौजाइयों के साथ , .... मैं समझ गयी,.. माँ ने जाँघे पूरी फैला ली थी और खुद उन्होंने खींच सीधे वहीँ, खूब मोटी मोटी फांके थी, झांटे थीं लेकिन हलकी,
कस के उन्होंने मेरे सर को अपने दोनों हाथों से पकड़ के अपनी बुर पे मेरे होंठों को दबा रखा था,...
मैं चुसूर चुसूर चूस रही थी।
बहुत अच्छा लग रहा था,...
तभी भैया ने मेरी दोनों टांगो को फैला के सटाने की कोशिश ही की की माँ की आवाज गरजी,
" मैं तो सोच रही थी ये मेरी दुलारी बेटी ही बेवकूफ है, लेकिन तुम भी कम घोंचू नहीं हो,... अबे, स्साले, रंडी के,... तेरी बहन की बुर तेरी मलाई से बजबजा रही है , ऐसे में इसकी मारेगा तो न तो इसको मजा आएगा , न तुझे, कुछ भी नहीं समझ में आता क्या,... "
बचपन से जब भी माँ मेरे सामने भैया को डांटती थी, मुझे बहुत मजा आता था, और आज भी मारे खुसी के मैं कस कस के माँ की चूसने लगी,..
भैया कोई कपड़ा ढूंढ रहा था, माँ का ब्लाउज ही उसके हाथ लगा, माँ ने हामी भरा ठीक है, चल साफ़ कर,...
भैया ने ऊँगली में लपेट के मेरी बिल में धीरे धीरे डाल के दाएं बांये रगड़ रगड़ के, फिर बाहर निकाल के माँ को दिखाया, उसके ब्लाउज में भैया की मलाई, ...
अच्छी तरह से,...
" अरे चार पांच बार और कर,... फिर इसके दुसरे ओर से, एक बूँद भी अंदर बचना नहीं चाहिए, चाहे तेरी मलाई हो या इसकी चासनी एकदम सूखा कर दो,...
दो चार मिनट के बाद माँ ने हामी में सर हिलाया,
पर साथ ही अपनी दोनों टाँगे माँ ने मेरी पीठ के ऊपर कर के कस के जकड़ लिया, दोनों हाथों से मेरे सर को एक बार फिर कस के अपनी जाँघों के बीच में सटा लिया,... और उसी समय भैया ने कस के धक्का मारा, और एक झटके में वो मोटा सुपाड़ा मेरे अंदर,...
जैसे कोई मोटा लोहे का रॉड घुस गया हो, मैंने और माँ ने उसे जितना गरम किया था वो एकदम स्टील ऐसा कड़ा,...
और मुझे लगा जैसे मेरा चमड़ा छील गया हो , पहली बार जब भैया ने पेला था तो अच्छी तरह से सीधे बोतल से मेरी बिल में सरसों का तेल पिलाया था , आधी बोतल, और खुद भी उसके बाद हर बार उसकी मलाई भी रहती थी , आज सुबह से दो बार मैं खुद तेल अंदर तक लगा चुकी थी और तीन बार की मलाई भी थी ,
लेकिन कपडा अंदर डाल के सुखाने से चूत एकदम सूखी हो गयी,
लग रहा था मेरी चमड़ी छिल गयी हो,...
दूसरा टाइम होता तो मैं जोर से चीखती, पलंग पे उछल पड़ती , पर आज माँ की मोटी मोटी जाँघों के बीच मेरा सर फंसा था चीखें घुट के रह गयी, और माँ के पैरों की पकड़ इतनी कस के मेरी पीठ पे थी,...
माँ सूखा करके... असली रगड़ाई का मजा दिलवाना चाहती है...भैया चढ़ा बहिनिया पे
पहली बार जब भैया ने पेला था तो अच्छी तरह से सीधे बोतल से मेरी बिल में सरसों का तेल पिलाया था , आधी बोतल, और खुद भी उसके बाद हर बार उसकी मलाई भी रहती थी , आज सुबह से दो बार मैं खुद तेल अंदर तक लगा चुकी थी और तीन बार की मलाई भी थी , लेकिन कपडा अंदर डाल के सुखाने से चूत एकदम सूखी हो गयी,
लग रहा था मेरी चमड़ी छिल गयी हो,...
दूसरा टाइम होता तो मैं जोर से चीखती, पलंग पे उछल पड़ती , पर आज माँ की मोटी मोटी जाँघों के बीच मेरा सर फंसा था चीखें घुट के रह गयी, और माँ के पैरों की पकड़ इतनी कस के मेरी पीठ पे थी,...
भैया एक पल के लिए रुका,
असल में मेरे ऊपर चढ़ाई करने का मन तो उसका बहुत दिनों से था, जब से चाची ने उसे उकसाया था, पर उसको यही लगता था की मुझे दर्द बहुत होगा यही सोच के, ...
और जब फुलवा की उसने अमराई में झिल्ली फाड़ी,... फुलवा उसके मन का डर समझती थी, इसलिए अपने सामने ही अपनी छोटकी बहिनिया चमेलिया की उसी अमराई में फड़वाई,... फिर खुद पटा के , लड़कियों के पटने का चक्कर नहीं था , भैया के मन का डर था, इसलिए दिन दहाड़े कभी गन्ने के खेत में तो कभी बँसवाड़ी में तो कभी नदी के किनारे,.. अपनी बहिनिया के अलावा चार पांच कुँवारी कच्ची कोरी लड़कियों को भैया के नीचे लिटा दिया था और उस के बाद तो,... दर्जन भर से ऊपर, कोई रोपनी वाली कोई कटनी वाली, दो चार हम लोगों के पुरवा की भी एकदम पहली बार वाली,... अब उसे खून खच्चर में खूब मजा आता था,...
लेकिन जहाँ मेरे बारे में सोचता था बस वही दर्द सोच के,...
और आज भी उसे लग गया की शायद दर्द हुआ होगा, इसलिए बस वो पल भर के लिए रुका था की माँ की डांट और गालियां एक साथ,
"अबे साले, तेरी बहन को कुत्तों से चुदवाऊ,... गांडू कहीं के अगर चोदने की ताकत नहीं है तो इतना बड़ा घोड़े का लंड लेकर काहें टहलता है, रुक क्यों गया,... '
फिर एक पल के लिए रुक के माँ को शायद बात समझ में आगयी पर न तो उनकी डांट की रफ्तार रुकी,... न गालियां कम हुईं , हाँ उनका विषय जरूर बदल गया,
" अबे अगर तेरी माँ को चोदने वाला उसके दर्द की परवाह करता न तो तू आज पैदा न होता। स्साले धक्के पे धक्का मार , ऐसे लौंडिया कोई चोदता है,... मैं तो समझती थी मेरी बेटी ही बेवकूफ है , लेकिन तू तो उससे भी बड़ा,... सुन ले कान खोल के, अगले तीन धक्के में ये बांस पूरा मेरी बेटी के अंदर, सीधे बच्चेदानी पे ठोकर लगनी चाहिए,... और अगर तीन की जगह चौथा धक्का लगा तो मैं अभी आउंगी , और उलटे तेरी गाँड़ मारूंगी,... कोई गांव की चार बच्चे वाली तेरी भौजाई नहीं है मेरी एकलौती बेटी है, मार कस कस के ,... "
मारे डर के मैंने कस के माँ की बुर को कस के चूसना शुरू कर दिया, ... माँ मेरा सर सहलाने लगी,...
और उस के बाद भाई ने क्या कस के धक्के मारे, पांच दिन से दिन रात वो मुझे पेल रहा था लेकिन ऐसी भयानक चुदाई, ... चूल चूल हिल गयी थी मेरी,... दर्द के मारे जान निकल रही थी, लेकिन पांच छह मिनट के बाद,...
वो पल भर के लिए रुक गया , शायद माँ ने इशारा किया था,...
अभी तक मेरी कमर को दोनों हाथों से पकड़ के वो कस कस के धक्के मार रहा था , लेकिन अब उसने मेरे नीचे हाथ डाल के,...
मेरी छोटी छोटी चूँची,...
माँ बेटे ने मेरी दोनों जुबना आपस में बाँट लिए थे ,बाएं वाला माँ के पास और दाएं वाला बेटा के पास,... और जैसे दोनों के बीच कोई मुकाबला चल रहा था , कौन कितनी कस के दबाता है , कौन निपल ज्यादा जोर से खींचता है, मस्ती से मेरी हालत खराब हो रही थी,...
मैं जो कर सकती थी मैंने किया,
मैंने जीभ माँ के भोंसडे में घुसेड़ दी थी और अब माँ की दोनों फांके मेरे दोनों होंठ के बीच मैं कस कस के चूस रही थी ,
और अब माँ की हालत भी खराब हो रही थी ,
लेकिन स्साले माँ के उस बहनचोद बेटे ने मेरी,... एक हाथ मेरी चूँची निचोड़ रहा था, दूसरा मेरी जाँघों के बीच मेरी जादू वाली बटन पे हलके हलके हलके सहलाते और धक्के अब फिर पूरी तेजी से चालू हो गए थे,...
हम दोनों साथ साथ झड़े,...ऑलमोस्ट,... मैं और माँ, पहले मैं फिर माँ,... माँ की सब चासनी मेरे मुंह में और मैं चुसूर चुसूर पी रही थी,
भाई और दस बारह मिनट तक चढ़ा रहा , एकदम पागल हो गया था , जब मैं तीसरी बार झड़ी तो वो साथ साथ ,... और फिर बहुत देर तक कटे पेड़ तक मेरे ऊपर गिर के पड़ा रहा,...
माँ ने खुश हो के हम दोनों को अपनी गोद में खींच के समेट लिया और खूब दुलार से चिपका लिया और बारी बारी से चूमती रहीं,...
और फिर उठ के फर्श पे गिरा अपना पेटीकोट उठा के पहन लिया, और ब्लाउज उठाया तो जहाँ उनकी बड़ी बड़ी चूँचियों की नोक रहती वहीँ पे भैया की सारी मलाई लगी थी, एक पल देख के मुस्करायीं , फिर उसे भी पहन लिया,...
और मैंने भी स्कर्ट, टॉप,...
मैंने साफ करने की कोशिश की कुछ तो उन्होंने बरज दिया, कस के। और मेरी ऊँगली पकड़ के अपने कमरे में , वहां उनकी साड़ी पड़ी थी, उसे उठा के लपेटते हुए मुझसे बोलीं,
" चल तुझे तेरी चाची के यहाँ टहला लाऊँ, तेरे मामा के यहाँ का भी कुछ सामान उसे देना है,.. और एक झोला उठा के मुझे पकड़ा दिया,.. , फिर अलमारी खोल के कुछ कपडे निकाले अखबार में लपेटे और उस के लेके,... "
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अब बेटी को माँ से असली और पक्की ट्रेनिंग मिल रही है...माँ और मैं
,... मैंने साफ करने की कोशिश की कुछ तो उन्होंने बरज दिया, कस के। और मेरी ऊँगली पकड़ के अपने कमरे में , वहां उनकी साड़ी पड़ी थी, उसे उठा के लपेटते हुए मुझसे बोलीं,
" चल तुझे तेरी चाची के यहाँ टहला लाऊँ, तेरे मामा के यहाँ का भी कुछ सामान उसे देना है,.. और एक झोला उठा के मुझे पकड़ा दिया,.. , फिर अलमारी खोल के कुछ कपडे निकाले अखबार में लपेटे और उस के लेके,... "
मैं अपनी और कभी देखती, कभी उनकी ओर, मेरी दो साल पुरानी स्कर्ट टॉप, एकदम घिसी,... वो तो भैया को गरमाने के लिए मैं घर में,... मेरे उभार मुश्किल से अंटते, निप्स तो एकदम साफ़ साफ़ दीखते और स्कर्ट भी जांघ से बहुत ऊपर.... फिर ब्रा और चड्ढी कुछ नहीं,...
माँ ऐसे ही या चेंज कर लूँ , शलवार कुरता,...
माँ ने जोर घुड़क दिया,... कौन बाजार जा रही है , चाची के यहाँ तो , इसी गाँव में पैदा हुयी खेली बड़ी हुयी , यहाँ कौन शरम,... कौन तेरी ससुराल है,... चल कई काम हैं फिर वापस भी आना है , बादल फिर छा रहें हैं दो तीन घंटे में बारिश जबरदस्त होगी,... तब तक लौट आना है.
और बाहर भैया मिल गया माँ ने उसे भी दर्जन भर काम पकड़ा दिए, ...
" रस्ते में मैंने देखा था खेत में पानी लग गया है, आज भी रात में पानी बरसेगा, रोपनी कल से शुरू करवा दो,... और एक बार रोपनी वाली किसी के खेत में लग गयी न तो पकड़ना मुश्किल होगा। तो अभी चले जाओ,... अरे वहीं , फुलवा क महतारी के यहाँ, उसका घर जैसे उस टोले में घुसोगे, दो छोड़ के तीसरा है, किसी से पूछ लेना, पूरे उसके टोले में आसपास उसका कहा चलता है , ... बोलना मैंने कहा है,दस पन्दरह बीस जितनी मिलें, ... वो सबके घर जाके आज ही पक्का कर ले, और कल सबेरे ले के,... उसको सब मालूम है हर साल वही रोपनी कटनी, वही,... समझा देगी सबको, बड़के घर की बात है, जो सबके यहाँ मिलता है उससे ज्यादा ही आज तक मिला है , ज्यादा ही मिलेगा,...
और हाँ बूढ पुरनिया नहीं जवान करेर, जिनको पानी में घुसने में , साड़ी ऊपर सरकाने में कउनो परेशानी न हो,... और हाँ उसको अलग से,... "
भैया ध्यान से सुन रहा था, फुलवा का नाम सुनते ही मेरे कान खड़े हो गए थे, फुलवा तो गौने चली गयी थी लेकिन अपनी छोटकी बहिनिया चमेलिया क नेवान तो भैया से करा ही गयी थो,...
माँ ने आँचल में खोंसे रुपये खोले और दस की दो नोट निकाल के भैया को पकड़ा दिया और बोलीं,...
" और सुन, ये दो दस टकिया उसे अलग से पकड़ा देना , और जितनी रोपनी वालों को ले आएगी उसके लिए उसका अलग से,... और भागने की जल्दी न करना, घंटा भर रुकना भी पड़े,... तो फुलवा क माई जब तक सब घर जा के पक्का न कर दे, और ये भी समझा देना की अबसे ये सब काम तुम्हारे जिम्मे है , तो तुम्ही उन सबों क हिसाब किताब भी करोगे,... थोड़ा तेरा दबाव ज्यादा पडेगा। "
भाई खाली हूँ हां करता था ,.. उसके बाद माँ ने चार पांच काम और भैया को पकड़ा दिए,... और मुझे हाथ पकड़ के घर के बाहर,.
मौसम बहुत बढ़िया था, हवा में अभी भी ठंडक थी, रात भर की बारिश का असर, जगह जगह पानी के गड्ढे, कहीं पेड़ों से झरता टपकता पानी, और खूब घने घिरे बादल,... मैं दोनों झोले पकडे माँ के साथ साथ चल रही थी। कहीं दूर अमराई से झूले पर से कजरी गाने की आवाजें आ रही थीं,...
तभी सामने से एक भौजी आती दिखीं , माँ से तो दुआ सलाम उन्होंने बाद में की, पहले मुझे घेरा और सच में इस पुराने कसे घिसे टॉप में मेरे उभार खूब छलक कर बाहर आ रहे थे. बस वही,
" काहो ननद रानी जोबन लगता है खूब दबवाने मिसवाने लगी हो, कौन देवर हैं हमार,... " और हाथ लगा के हलके से मीज भी दिया,
माँ ने कुछ बोला तो उनका जवाब देते हुए माँ से ही कहा ,
" यह गाँव के कुल लड़के, देवर बाद में है नन्दोई पहले,... क्यों ननद रानी? "
और बात फिर मेरी ओर मोड़ दी,... मैं लजा रही थी तो वो और मेरे पीछे ,
" लागत है मुंह में हमरे कउनो देवर क रबड़ी मलाई भरी है,... अरे तो गटक जाओ न,... और खाली ऊपर वाले मुंह में , की नीचे वाले में भी घोंटना शुरू किया। "
फिर माँ से अपनी सास की शिकायत, ... सावन में भी मायके नहीं जाने दे रही हैं,... गुड़िया भी निकल गयी,...
उनके जाने के बाद माँ ने मुझे तरेर कर देखा, " हे जवाब काहें नहीं दिया भौजाई को, बोलना चाहिए न,... यही तो उमर है "
फिर चुपके से मेरे पिछवाड़े चिकोटी काटते हुए, मुस्करा के बोलीं , अब तो तू बड़ी भी हो गयी है , भौजाइयों को पक्का टक्कर दे सकती है,... "
मैं मुस्करा के रह दी,
लेकिन थोड़ी देर में नउनिया क छोटकी बहू, गाँव क सबसे नयकी भौजाई,... अरे वही कजरी क भौजी,... मिली और वो तो कउनो रतजगा हो केहू क सादी बियाह , पहली गारी हमहीं से शुरू करती थी, और मुंह से ज्यादा उसका हाथ बोलता था., मुझे देख के एकदम खुस , दोस्ती भी मुझसे बहुत थी,
बस चालू हो गयी,
" अरे ननद रानी, अस बारिश में तो कुल ताल पोखर भर गए , तोहार भरा की ना,... "
" अरे भौजी, भौजाई लोगन का अपने कुंआ इनार , गढ़हा पोखर भरवाए से , अगवाड़ा, पिछवाड़ा जब तक दोनों छलक न जाए , किनारे से बहे न लागे,... ननदन क नंबर कैसे लगेगा। "
अबकी मैंने भी खुल के उसी तरह जवाब दिया।
" अरे हमार ननदों घबड़ा जिन,... बस एक दो दिन और सबुर करा, ... परसों हमारे मायके से अनवार आ रहे है,... "
उस की बात काटते हुए मैं बोली ,
"तो ई कहा भौजी साफ साफ़ की सावन में मायके में भैया के साथे झुलवा झूलने जा रही हो, .. लौट के आयी के खुसखबरी सुनाना, ... मायके के यारों की तो चांदी हो गयी आपके बाहर सावन बरसेगा , अंदर वो सब बरसेंगे , हमरी भौजी क पोखरिया,... "
" और का, ... "
वो पीछे नहीं रहने वाली थी लेकिन मुझसे फिर बोली,...
"अरे तोहरे लिए इंतजाम कर रही हूँ , तो परसों मायके से हमरे भैया आएंगे,... बस आ जाना , तोहार अगवाड़े पिछवाड़े क गढ़ई अपने सामने भरवाय दूंगी, ... सफ़ेद पानी से,... , तुहुं याद करबू अपने भौजी को,... अरे हमरे देवर सब से , अपने भाइयों के साथ तो रोज झूला झुलबू , एक दिन हमरे भाई के साथ भी , स्वाद बदल जाई,... "
" ठीक है भौजी , अपने भाई से कहिया तैयारी कर के आएंगे , तोहार ननद पीछे नहीं हटने वाली, अरे गाँव के सार हैं , आपन बहिन दिए हैं , का पता कुछ और माल दे दें "
फिर हम सब अपने रास्ते लेकिन माँ अब खुश थीं की मैं जवाब देना सीख गयी थी , लेकिन रस्ते में वो दर्जिन भौजी के यहाँ रुक गयीं। और तब मुझे पता चला वो कपड़ा उनहोने क्यों निकाला था। और दर्जिन भौजी के घर में घुसते ही माँ ने समझा दिया, मुस्कराते हुए,...
" सुन तू अब बड़ी हो गयी है, गाँव में निकलते समय,... "
मुझे लगा की छोटी स्कर्ट से झांकती जाँघों को लेकर,... सच में रास्ते में दर्जनों लौंडे, सब की निगाह वहीँ,... वो तो माँ थी, वरना एक से एक कमेंट सुनने को मिलते, ... मैंने टोका,
" मैं तो कह रही थी आप से शलवार कुरता पहन लेती हूँ,... लेकिन,... "
मेरी बात काटते हुए खिलखिलाते हुए वो बोलीं,
:"अरे पगली, कभी तू बाहर गयी, बाजार, शहर , ननिहाल,... वो सब वहां के लिए सूट वूट,... अरे समझ जायेगी धीरे धीरे, गाँव में साड़ी पहनने के बहुत फायदे हैं , जितना चाहो आसानी से ऊपर उठा सकती हो,... और शलवार,... रास्ते में देख रही थी, जगह जगह कीचड़, पानी,... ये तू तूने स्कर्ट पहन रखी थी इसलिए कोई दिक्क्त नहीं हुयी,... तो मैं कपड़ा ले आयी हूँ,... तोहरे दर्जिन भौजी से तोहरे लिए बिलाउज सिलवा लूंगी, एक दो। साड़ी तो तू मेरी भी पहन सकती है , फिर कभी शहर चलेंगे या भैया के साथ जा के दो तीन ले आना। "
सलवार किस समय और परिस्थिति में पहनना है और साड़ी के क्या फायदे हैं...साड़ी के फ़ायदे और दर्जिन भौजी
मुझे लगा की छोटी स्कर्ट से झांकती जाँघों को लेकर,... सच में रास्ते में दर्जनों लौंडे, सब की निगाह वहीँ,... वो तो माँ थी, वरना एक से एक कमेंट सुनने को मिलते, ... मैंने टोका,
" मैं तो कह रही थी आप से शलवार कुरता पहन लेती हूँ,... लेकिन,... "
मेरी बात काटते हुए खिलखिलाते हुए वो बोलीं,
"अरे पगली, कभी तू बाहर गयी, बाजार, शहर , ननिहाल,... वो सब वहां के लिए सूट वूट,... अरे समझ जायेगी धीरे धीरे, गाँव में साड़ी पहनने के बहुत फायदे हैं , जितना चाहो आसानी से ऊपर उठा सकती हो,... और शलवार,... रास्ते में देख रही थी, जगह जगह कीचड़, पानी,... ये तू तूने स्कर्ट पहन रखी थी इसलिए कोई दिक्क्त नहीं हुयी,... तो मैं कपड़ा ले आयी हूँ,... तोहरे दर्जिन भौजी से तोहरे लिए बिलाउज सिलवा लूंगी, एक दो। साड़ी तो तू मेरी भी पहन सकती है , फिर कभी शहर चलेंगे या भैया के साथ जा के दो तीन ले आना। "
( साडी का असली फायदा मुझे आठ दस दिन बाद पता चला, जब भरी दुपहरिया, बीच बाग़ में , एक बड़े पुराने महुआ के पेड़ के नीचे, बस एक मोटी डाल के सहारे मुझे भैया ने निहुरा के, साड़ी मेरी कमर तक उठा के पेटीकोट के साथ कमर में फंसा के , हचक के चोद दिया,...
उसके बाद तो कभी गन्ने के खेत में , कभी बँसवाड़ी में,
बस उठाया सटाया और पेल दिया,... तब मुझे माँ की बात का असल मतलब समझ में आया, साड़ी का असली फायदा )
दर्जिन भौजी से जब माँ ने बताया तो माँ की सारी प्लानिंग उन्होंने एक झटके में फेल कर दी,... कपड़ा जो माँ लायी थीं, ...
बोलीं "
ये तो तोहरे नाप का है, हमरी ननद का काम तो बित्ते भर के कपडे से चल जाएगा, अभिन छोट छोट टिकोरा तो हैं, ... और ये सब कपडा बेकार हो जाएगा , काटने के बाद ,... एहसे मैं आपका बना दूंगी, एकदम नई कट का,.. और इसकी चिंता छोड़ दीजिये मेरे ऊपर,... भौजी हूँ , पहला बिलाउज अपने हिसाब से बनाउंगी,.. "
और उन्होंने एक कपडा निकाला,... और देखते ही में उछल पड़ी,...
" अरे नाहीं भौजी, ये तो एकदम झलकौवा है इससे तो सब कुछ दिखाई देगा, पहनना न पहनना सब बराबर,... "
प्याजी रंग का कपडा था मैंने हाथ में रख कर देखा। हाथ की एक एक लाइन तक साफ़ साफ़ दिख रही थी।
मैंने माँ की ओर देखा तो उन्होंने बीच बचाव करने से इंकार कर दिया सिर्फ बोलीं, ननद भौजाई के बीच में मैं नहीं पड़ती,...
" अरे घबड़ा जिन नीचे अस्तर लगा दूंगी,... लेकिन केतना लगाउंगी, कौन कट, ये सब फैसला बाद में, पहले तेरा नाप ले लूँ,... "
और जब तक मैं समझूं भौजी ने टॉप ऊपर उठा के अलग, और बोलीं, ...
" अरे जोबन तो खूब गदरा रहें, अरे दबवाना मिजवाना शुरू कर दो,... २८ से ३० होते देरी नहीं लगेगी। "
दर्जिन भौजी की ये खास बात थी की नाप आँख से देख के ले लेती थीं किसी की बायीं चूँची बड़ी है , दायीं वाली छोटी, उसका भी उन्हें अंदाज था।
पर मेरा नाप वो पहली बार ले रही थी और फिर रिश्ते की ननद तो , दबाने मसलने का मज़ा कौन भौजाई छोड़ती है, ... निपल खींच के दोनों, उसके बीच की भी दूरी नापी,..
दोनों निपल के ऊपर से भी टेप लगाया, और फिर उभारो के बेस पर भी और फिर दर्जन भर और,... तब मेरा टॉप वापस मिला।
लेकिन उसके पहले भौजी की तेज निगाह से भैया के दांत के निशान दो चार जगह लगे थे जुबना पे , वो न बचे,... वहां सहलाते बोली,
"अच्छी बात है टिकोरे पे कउनो तोता चोंच मार दिया है , लेकिन यह उमर में यही तो अमिया क सोभा है "
कब तक मिलेगा , मैंने पूछ लिया और वो बोलीं , बस घंटे भर में, सब काम छोड़ के ननद का काम,..
माँ ने मुझसे कहा ठीक है जब हम लोग चाची के यहाँ से लौटेंगे तो ले लेंगे।
चाची के यहाँ एक घंटे के लिए हम लोग गए थे, पूरे सवा दो घंटे रुके,... चलते हुए जब हम दर्जिन भौजी के यहाँ पहुंचे तो गाँव के प्रधान वही मिल गए,... बाहर ही. माँ उनसे बतियाने लगीं और मुझसे बोलीं की तू जा के झट से अंदर से ले आ, लगता है बारिश जल्दी आयेगी।
" हे ननद रानी, पहले अपना ये टॉप उतारो, ... "
मैं झिझकी तो उन्होंने खुद और ब्लाउज पकड़ा दिया,...
" भौजी बहुत टाइट हो रहा है, "
सामने शीशे में देखते मैं बोली।
" अरे ननद रानी, चोली टाइट नहीं होगी तो लौंडों का पैंट कैसे टाइट होगा, मेरी ननदिया के बाला जोबनवा को देख के "
ऊपर से चिकोटी काट के बोलीं, और जोड़ा, देख अस्तर भी लगा दिया है,...
बात सही थी , अस्तर था, मोटा भी था लेकिन दो इंच का भी नहीं होगा सिर्फ एक चौड़ी सी पट्टी,... सबसे नीचे जो उभारों को और उभार के सामने लाती, वी टाइप गला, लेकिन एकदम नीचे तक, पूरा की पूरी गहराई दिखती थी. टाइट नीचे से ज्यादा था,...
और एकदम ऊपर थोड़ा सा ढीला, जिससे अंदर का एक तो सब कुछ दिख जाए, और कोई हाथ डालना चाहे तो कोई रोक टोक नहीं, हाँ अस्तर के कारन ब्रा की जरूरत एकदम नहीं थीं, निपल के पास एकदम टाइट था, जिससे चूजे की चोंच साफ साफ़ दिख रही थी, कड़ाव, उभार, सब कुछ. सिर्फ दो बटन वो भी चुटपुटिया, ...
स्लीवलेस,... सिर्फ एक रस्सी सी पतली पट्टी गोटे की, दोनों कन्धों पर और पीछे भी वैसे ही, एलस्टिक वाली, चाहो तो बिना बटन खोले उतार दो, सरका दो,
दूसरा वाला भी, वैसा ही लेकिन गोल गला और बहुत डीप लो कट.
लेकिन छुटकी असली मुद्दे पर आना चाहती थी, बोली,
" दी, रात का हाल बता न , माँ और भैया के साथ। "
और गीता सीधे मुद्दे पे आ आगयी लेकिन उसने रात में खाना बनाते समय, रसोई में वो और माँ थी उस समय का भी हाल बताया की माँ और उस में कैसे सहेलियों से भी बढ़ के पक्की दोस्ती हो गयी,...
उसने अपनी गुलाबो के बारे में कुछ बोला तो माँ ने हड़काया, और बेलन दिखाते मजे ले ले कर बोलीं,...
" स्साली भाईचोद, चूत में भाई का लंड घोंटने में शरम नहीं, माँ के सामने और,... आज से मेरे सामने, इस घर में और बाहर भी कभी तेरे मुंह से चूत, बुर, लंड.गाँड़ और चुदाई के अलावा कुछ इधर उधर का सुना न तो ये बेलन देख रही है,... तेरे भैया के लंड से भी बड़ा है , तेरी गाँड़ में घुसा के फाड़ दूंगी। "
और गीता भी खिलखिलाते बोली, ...
" अरे माँ मेरे भाई को समझती क्या हो, अभी तो बहनचोद ही बना है, जल्द ही मादरचोद बन जाएगा, वो भी बहन के सामने , बोल चुदवायेगी, बेटा चोद "
माँ भी हँसते बोली
,' स्साली रंडी की, पक्की छिनार है। अरे जिसके बाप से चुदवा के उसे पैदा किया, उसके लौंड़े से डरूंगी, उसके बाप से नहीं डरी तो,... बोल देना बहनचोद को,... "
जल्द खाना बना के तीनों खा के,.... माँ ने कहा था,... आज हम तीनो जैसे जब तुम दोनों छोटे थे, मेरे साथ सोते थे , उसी तरह, मेरे कमरे में वहां बिस्तर भी बड़ा है,...
सारे अंग-प्रत्यंग से मजे की लहरें उठती हैं....वाह वाह ...मा तो गजब की मास्टरनी निकली... अरविंद के मुह में चूची और लौड़ा चूत में ...
छुटकी गितवा से सब सुन के... सीख के... आगे के एक्जाम की तैयारी में कोई कमी नहीं होने देना चाहती...Chhutki bhi na. Akhir rahi to komaliya ka hi chhota sa roop. Puri kahani vo na jane use chen kaha. Maza aa gaya. Full erotic
सचमुच ... गजब का तहलका मचा दिया...Wow it's amazing