माँ अपने बच्चों के हरेक बात को समझ लेती है...“" घुस गया न सुपाड़ा, यही मना कर रही थी न छिनार,.... और यही तेरा मन कर रहा था,...””
गीतवा की माँ को आपने बचों की मन की बात पता थी और ये भी की पहली बार के दर से ये दोनों कर नहीं रहे हैं
और डर के आगे जीत है....