एकंदम मेरी दोनों कहानियों के आप नियमित पाठक रहे हैं और कमेंट में भी उदार और सदाशय,
आपकी कमी मैं बड़ी शिद्द्त से महसूस कर रही थी, क्योंकि ऐसी कहानियों के पाठक भी कम होते हैं और रसज्ञ, कमेंट में कृपण न हों ऐसे पाठक भी न्यून हैं।
एक बार फिर से आपका स्वागत,...
बात आपकी एकदम सही है,... और यह कहानी इन्सेस्ट कैटगरी वाले थ्रेड में भी भी नहीं है,...
एडल्ट्री वाले डिब्बे में फोरम के मालिकों ने डाल रखी है, ( शुरू में ही यात्रा के आपको तय कर लेना होता है किस डब्बे में सफर करेंगे और बीच बीच में टीटी रुपी मॉडरेटर आकर चेक भी करते हैं आप जिंदगी भर जनरल सेकेण्ड क्लास वाले कहीं फर्स्ट एसी में तो नहीं घुस गए )
लेकिन पाठको का आग्रह था, और यह कहानी उस कहानी का सीक्वेल थी जिसके शुरू में ही मैंने घोषणा की थी इस बार कुछ भी वर्जित नहीं रहेगा, कुछ भी का मतलब कुछ भी,... और सास बहू, सास दामाद,... सब कुछ,...
पर इन्सेस्ट संम्भव नहीं था , कुछ ढांचागत कारणों से इन्सेस्ट की मान्य वैधिक परिभाषा है ' उन दोनों लोगों में दैहिक संबंध जिनके बीच विवाह वर्जित हो "
और या क़ानून, कस्टम्स रिवाजों से परिभाषित होते हैं जिनमे सगे भाई बहन , माँ बेटा इत्यादि कुछ श्रेणियाँ आती है और ये मात्र धर्मों पर नहीं बल्कि क्षेत्रों पर भी निर्भर करता है , जैसे देश के कई हिस्सों में ममेरी बहन से विवाह की अनुमति है तो वो संबंध इन्सेस्ट नहीं होगा, ...
पर समस्या ढांचागत ये थी की कहानी की नायिका तो तीन बहने थी उनका कोई सगा भाई नहीं था ,... इसलिए छुटकी के साथ इन्सेस्ट का कोई जुगाड़ नहीं हो सकता था,...
और मेरी कहानियों में नैरेटर महिला/लड़की ही रहती है तो,...
फिर कथासरित्सागर वाली ट्रिक, कहानी के अंदर कहानी,... गीता और अरविन्द की इन्सेस्ट स्टोरी,...
तो बस अपने पाठकों का आग्रह सर माथे पर रख के मैं इस दिशा में मुड़ी ये देखने के लिए की मैं इस विधा में भी ट्राई मार सकती हूँ की नहीं,... फिर मेरी कहानी में अगर गाँव हो सावन न हो ये हो नहीं सकता तो बस उसी पृष्ठभूमि में
एक बार फिर से आभार आपका