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Adultery छुटकी - होली दीदी की ससुराल में

motaalund

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सोलहवां सावन वाली कहानी में ढेर सारे सोहर हैं

इसी नेग को लेकर

भाभी अपने भाई, देवर सब को देने को तैयार हो जाती है नेग में ननद को।
सोलहवां सावन भी उत्कृष्ट रचना है...
लेकिन अंत कुछ आकस्मिक और अप्रत्याशित सा लगा...
रविंद्र की बात चलते-चलते अचानक अंत ... थम सा गया प्रतीत हुआ...
अगर संभव हो तो रविंद्र-गुड्डी का प्रसंग एकाध एपिसोड में... भले हीं चंदा की इच्छा रविंद्र से करने की पूरी न हो पाए...
 
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motaalund

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धन्यवाद

और इस पोस्ट का एक कारण यही भी था की कई मित्र यह चाहते थे की ' इन्सेस्ट की भावना ' के अनुरूप होने के लिए दोनों के पिता एक ही होने चाहिए और इसलिए मुझे लगा पितृत्व बनाम मातृत्व के विषय पर भी मैं जो सोचती हूँ वह कह दूँ , बिना कहानी की धारा मोड़े, उसे कहानी का हिस्सा बनाकर

मैं मानती हूँ की अगर कुछ कहने के लिए नहीं हैं तो कहानी कहना बेकार है लिखने वाले और पढ़ने वाले दोनों के श्रम का अपव्यय,

इसलिए गाँव के माहौल में मुझे भिखारी ठाकुर जी के नाटक से ही उधार लेना ठीक लगा,...

और वैसे यही बात मुझे बड़ी शिद्दत के साथ ब्रेख्त के मशहूर नाटक काकेशियन चॉक सर्किल में भी मिलती है,...

एक बार फिर आभार कमेंट्स को भी पढ़ने के लिए और उसपर कमेंट्स करने के लिए
आपका क्षेत्रिय भाषा पर अधिकार और उनके पुराधाओं का सम्मान .. दिल को छू जाता है...
और कहानी को चार चाँद लगा देता है...
लेकिन साथ हीं आंग्ल भाषा पर भी आपकी जबरदस्त पकड़ है...
आपको शत-शत नमन...
 

motaalund

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एकंदम मेरी दोनों कहानियों के आप नियमित पाठक रहे हैं और कमेंट में भी उदार और सदाशय,

आपकी कमी मैं बड़ी शिद्द्त से महसूस कर रही थी, क्योंकि ऐसी कहानियों के पाठक भी कम होते हैं और रसज्ञ, कमेंट में कृपण न हों ऐसे पाठक भी न्यून हैं।

एक बार फिर से आपका स्वागत,...

बात आपकी एकदम सही है,... और यह कहानी इन्सेस्ट कैटगरी वाले थ्रेड में भी भी नहीं है,...

एडल्ट्री वाले डिब्बे में फोरम के मालिकों ने डाल रखी है, ( शुरू में ही यात्रा के आपको तय कर लेना होता है किस डब्बे में सफर करेंगे और बीच बीच में टीटी रुपी मॉडरेटर आकर चेक भी करते हैं आप जिंदगी भर जनरल सेकेण्ड क्लास वाले कहीं फर्स्ट एसी में तो नहीं घुस गए )

लेकिन पाठको का आग्रह था, और यह कहानी उस कहानी का सीक्वेल थी जिसके शुरू में ही मैंने घोषणा की थी इस बार कुछ भी वर्जित नहीं रहेगा, कुछ भी का मतलब कुछ भी,... और सास बहू, सास दामाद,... सब कुछ,...

पर इन्सेस्ट संम्भव नहीं था , कुछ ढांचागत कारणों से इन्सेस्ट की मान्य वैधिक परिभाषा है ' उन दोनों लोगों में दैहिक संबंध जिनके बीच विवाह वर्जित हो "

और या क़ानून, कस्टम्स रिवाजों से परिभाषित होते हैं जिनमे सगे भाई बहन , माँ बेटा इत्यादि कुछ श्रेणियाँ आती है और ये मात्र धर्मों पर नहीं बल्कि क्षेत्रों पर भी निर्भर करता है , जैसे देश के कई हिस्सों में ममेरी बहन से विवाह की अनुमति है तो वो संबंध इन्सेस्ट नहीं होगा, ...

पर समस्या ढांचागत ये थी की कहानी की नायिका तो तीन बहने थी उनका कोई सगा भाई नहीं था ,... इसलिए छुटकी के साथ इन्सेस्ट का कोई जुगाड़ नहीं हो सकता था,...

और मेरी कहानियों में नैरेटर महिला/लड़की ही रहती है तो,...


फिर कथासरित्सागर वाली ट्रिक, कहानी के अंदर कहानी,... गीता और अरविन्द की इन्सेस्ट स्टोरी,...

तो बस अपने पाठकों का आग्रह सर माथे पर रख के मैं इस दिशा में मुड़ी ये देखने के लिए की मैं इस विधा में भी ट्राई मार सकती हूँ की नहीं,... फिर मेरी कहानी में अगर गाँव हो सावन न हो ये हो नहीं सकता तो बस उसी पृष्ठभूमि में

एक बार फिर से आभार आपका
आपका कहानी की मूल भावना को बरकरार रखते हुए..
पाठकों के विविध आग्रहों का समायोजन और अनुकूल परिस्थितियों का विवरण..
वो भी सटीक संवाद के साथ...
जिसमें हास्य-व्यंग्य के साथ ठिठोली भी हो...
पढ़ने का मजा कई गुना बढ़ा देता है...
धन्यवाद... शुक्रिया... सलाम...
 

motaalund

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डा मैडम जी मैं आपका हृदय से आभार प्रकट करता हु 🙏🙏🙏
जैसे नौ रस होते है उसी प्रकार रोमांस मे INCEST के रस का एक बहुत ही महत्वपूर्ण रोल है जब कोई जोड़ा सेक्स करता हैं और वो अपने साथी को मा या बहन अथवा भाई या पिता के बारे मे गंदी बात कर अपने साथी को उत्तेजित करते है तो सोचिये कहीं ना कही उसमे INCEST का रस होता है
कृपया अन्यथा ना ले मैंने आपकी कहानी रिश्तों मे***** के कुछ उपडेट पढ़े है बहुत ही शानदार रहे है मगर ये मेरा दुर्भाग्य है की लगातार पढ़ नही पाया
अंत मे फिर आपकी सलाह के लिए दिल से आभार 🙏🙏🙏🙏
इंसेस्ट के तरह-तरह के रूप होते हैं....
और हाँ.. रिश्तों में हसीन बदलाव ... मधुर.. सुंदर.. आनंददायी है...
 
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motaalund

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भाग ४४

रिश्तों में हसीन बदलाव


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उर्फ़ मेरे पास माँ है




अब माँ ने थोड़ा सा ब्रेक लिया और बोलीं इस लिए मैं कह रही थी की ननदों के लिए सबसे बड़ा खतरा भौजियां होती हैं ,..देवर , जीजू नन्दोई क्या करेंगे अगवाड़े पिछवाड़े का मजा ले के ,... और मैं तुझसे अभी से बोल रही हूँ अबकी इस होली में तेरी,... तेरी भौजाइयां तो मेरी गाँव वालियों से १०० गुना ज्यादा कमीनी हैं क्या करेंगी पता नहीं।




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और जोड़ा, 'और खाली मेरे जीजू थोड़े ही थे मेरी सहेलियों के भी, जिनकी शादी हो गए थे उनके भी मर्द, तेरी नानी ने सब को बोल रखा था फिर भौजाइयां भी तो थीं आग लगाने वाली रात को खड़े होने की हालत नहीं थी , याद भी नहीं आ रहा था कितने मर्दों ने ,..आधी बाल्टी से कम बीर्य नहीं घोंटा होगा मेरे तीनों छेदो ने। '

गीता छुटकी को माँ की मायके की होली का किस्सा बता रही थी

लेकिन छुटकी तो कुछ और जानना चाहती थी, वो गीता के पीछे पड़ गयी,

" गीता दीदी, आप असली बात गोल कर रही हैं ये बताइए, भैया का माँ ने कब कैसे घोंटा,... और ये मत कहियेगा की भैया माँ के ऊपर नहीं चढ़ा। सीधे उसी बात पे आइये। "

गीता बड़ी जोर से हंसी और छुटकी को गोद में दबोचती चूम के बोली,

"तू सच में मेरी असली छोटी बहन है कभी मेर्ले में बिछुड़ गयी होगी। अरे भैया कैसे छोड़ता माँ को और फिर मैं छोड़ने देती उसे,... लेकिन माँ ने बहुत नखड़ा किया, पर हम भाई बहन के , अरे अगर बेटे बेटी मिल जाएँ तो माँ कभी भी नहीं जीत सकती। थोड़ा छल कपट, थोड़ी जबरदस्ती , पहले तो बस थोड़ा सा , लेकिन दो तीन दिन में वो एकदम हम भाई बहन के रंग में रंग गयी , एकदम मिल के मजे लेने लगी,... "



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गीता थोड़ी देर सुस्ताई फिर बोली,

" उसी रात, हम भाई बहन ने पहले गंठजोड़ कर लिया था, आज कुछ भी हो भैया का मूसल माँ की बिल में जाना ही है। "

लेकिन छुटकी उकता रही थी, गीता से सीधे मुद्दे पे जाने के लिए जिद्द कर रही थी,
" दीदी, बोल न भैया बने मादरचोद की नहीं,... "



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गीता खिलखिलाने लगी, हंस के बोली,

" स्साली, तेरा गांडू भैया मादरचोद नहीं पैदायशी मादरचोद है,वो स्साला पैदा ही अपनी माँ को चोदने के लिए हुआ था, और फिर लंड भी उसका इतना कड़क है एक बार गलती से भी, रस्ता भूलके भी किसी की बुर में घुस जाए न, तो वो स्साली कित्ती भी छिनारपने के लिए मशहूर हो, अपनी टांग नहीं सिकोड़ सकती। बस एक बार माँ के भोंसडे में लंड घुस जायेगा न तो माँ खुद ही भैया का लंड मांगेगी। और मेरी ये सोच काम कर गयी। "


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छुटकी खूब खुश, हंस के बोली,

" वह दीदी, तो भैया और माँ के रिश्तों में,.. क्या कहते हैं , वो,... हाँ
'रिश्तों में हसीन बदलाव' आ गया।

गीता ने प्यार से छुटकी को गले लगा लिया बोली, तू तो कच्ची उमर में ही सब सीख गयी. एक दम सही बोल रही है,... रिश्तो में हसीन बदलाव, ..एकदम यही हुआ. ये सोच न माँ बेटे से हसींन रिश्ता क्या होगा है न। लेकिन बेटे की नूनी कौन सबसे पहले पकड़ती है ?

छुटकी समझदार थी , झट से बोली,

' और कौन माँ पकड़ के सू सू कराने के लिए, चमड़ी खोल के तेल लगाने के लिए जसी आगे चल के मस्त सुपाड़ा बने , कुंवारियों की चूत फाड़ने के लिए, मस्त मस्त गाँड़ मारने के लिए,... "


"और मुंह कौन लगाता है सबसे पहले " छुटकी का इम्तहान जारी था , उसकी मुंहबोली बहन अपनी छोटी बहन का टेस्ट ले रही थी


" माँ,और कौन। " छुटकी ने न सिर्फ झट से जवाब दिया बल्कि आगे एक्सपेलनेशन भी दे दिया

" अरे चमड़ी सुपाड़े की चिपक न जाए इसलिए फूंक के खोलती है , मुंह भी, और खोल के तेल भी "



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" तो सोच न माँ जब पकड़ती होगी तो ये न सोचती होगी की जब ये बड़ा और मोटा होगा तो एक बार मैं भी,... आखिर घर की खेती है... तो बस, और असली हसींन रिश्ता है लंड और बुर का, मजा दोनों को उसी में आता है , लंड बना है चोदने के लिए,...

" एकदम दी ,... "

अब छुटकी और गीता में परफेक्ट बहनापा हो गया था। और गीता की बात को उसने आगे बढ़ाया,

"लंड बना है चोदने के लिए बेवकूफ समझते हैं मूतने के लिए। और बुर बनी है चुदवाने के लिए और कमीनी लड़कियां टाँगे सिकोड़ के रखती हैं। "

" एकदम छुटकी,... तो सबसे हसीन रिश्ता तो वही हुआ जिसमें मजे आएं तो माँ और के बेटे, मेरे भैया के रिश्तों में भी हसीन बदलाव आ गया। बन गया वो पक्का मादरचोद ,... "

तो
रिश्तों में ये हसीन बदलाव कैसे हुआ, गीता ने हाल खुलासा सुनाया।


फिर गीता ने रात का किस्सा सुनाया, उसने और उसके भाई ने मिल के, ... भाई ने क्या पिलानिंग सब गीता की ही थी,

गीता ने भैया को सिखा दिया था और भैया ने वही बातें माँ से कहा, ... और कबड्डी शुरू होते ही माँ ने कहा,

" गीता सुन, बड़ी चुदवासी है न तू छिनार, तेरी बुर में आग लगी है तो तुझे मेरे बेटे के खूंटे पे चढ़ना होगा , "




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" नहीं माँ , " गीता ने नखड़ा किया "रोज तो चोदता है, एक दिन खेत में काम करने गया तो क्या घुटने टूट गए, ... मुझसे नहीं होगा। आप भी न बचपन से इसी का साथ देती हैं "
माँ ने फुसफुसा के गीता को सारी ट्रिक समझायी,...

" अरे स्साली कुछ नहीं करना है , टाँगे फैला के जैसे झूले पे चढ़ते हैं, बस उसी तरह, चढ़ जा, और अपनी बुरिया में दोनों ऊँगली से पहले फैला दे , फिर सटा दे, .. एक बार ज़रा सा फंस जाए,... फिर मैं हूँ न , मैं तेरे कंधे पकड़ के दबा दूंगी,सट्ट से चला जाएगा, अरे बहुत मज़ा आएगा,... "

लेकिन गीता ने जिद्द पकड़ ली नहीं उससे नहीं होगा,... सटक के कही इधर उधर हो गया तो कैसे फैलाएगी , कैसे सटायेगी , .. बहुत जिद्द करने पे बोली,

" माँ, एक बार आप चढ़ जाओ न फिर आप को देख के मैं भी सीख जाउंगी,... "

लेकिन माँ उसके पीछे पड़ी रही आखिर तय ये हुआ की गीता पहले एक बार ट्राई करेगी , अगर उससे नहीं हुआ तो माँ खुद चढ़ के , अंदर ले के उसे दिखाएगी, लेकिन सिर्फ अंदर लेगी चुदवायेगी नहीं,

गीता जानती थी की भैया का मस्त लंड सिर्फ एक बार घुसने की देर है कौन लौंडिया फिर टांग सिकोड़ सकती है, माँ तो खूब खेली खायी, घाट घाट की पानी पी , अपने भैया को नहीं मना की तो मेरे भैया को क्यों मना करेगी। '

वो चढ़ी तो पांच मिनट कोशिश भी हुयी,... पर भाई बहन की लगी सधी, आज तो असली शिकार माँ का होना था,.. कभी वो ठीक से सटाती नहीं, खुद छेद चिपका लेती, तो कभी भाई खुद उसका अपनी कमर हिला के सरका देता,...



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और

माँ चढ़ी,

और गीता को समझाती रही देख ऐसी अपनी बुरिया को फैलाना चाहिए , ऐसे सटाओ और कमर के जोर से , दोनों हाथ से कंधे को पकड़ के कस के धक्का लगाओ ,

अबकी उनके बेटे ने माँ की कमर कस के पकड़ लिया था और उनके धक्के के साथ उसने जोर का ऊपर पुश किया,

गप्पाक से सुपाड़ा पूरा अंदर चला गया,... और
क्या गुरु ज्ञान दिया है माँ ने गीता को.. खतरा नंदोई , देवर से नहीं... भौजाईयों से है...
और छुटकी तो जैसे पाठकों के मन की बात को जानते हुए.. एक-एक प्रश्न वही पूछ रही है...
जो पाठक कहानी पढ़ते हुए पूछना चाहते हैं...
और भईया बहिनी का प्लान .. माँ के हिचक को तोड़ने के लिए एकदम लाजवाब है...
भईया बहिनी को सारे आसनों का ज्ञान .. साथ में प्रैक्टिकल करके सारे अंगों के मर्दन का समझ-बूझ...
बेजोड़.... अनुपम...
 

motaalund

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चढ़ गयी माँ बेटे पर



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" माँ, एक बार आप चढ़ जाओ न फिर आप को देख के मैं भी सीख जाउंगी,... " लेकिन माँ उसके पीछे पड़ी रही आखिर तय ये हुआ की गीता पहले एक बार ट्राई करेगी , अगर उससे नहीं हुआ तो माँ खुद चढ़ के , अंदर ले के उसे दिखाएगी, लेकिन सिर्फ अंदर लेगी चुदवायेगी नहीं,

गीता जानती थी की भैया का मस्त लंड सिर्फ एक बार घुसने की देर है कौन लौंडिया फिर टांग सिकोड़ सकती है, माँ तो खूब खेली खायी, घाट घाट की पानी पी , अपने भैया को नहीं मना की तो मेरे भैया को क्यों मना करेगी। '

वो चढ़ी तो पांच मिनट कोशिश भी हुयी,... पर भाई बहन की लगी सधी, आज तो असली शिकार माँ का होना था,.. कभी वो ठीक से सटाती नहीं, खुद छेद चिपका लेती, तो कभी भाई खुद उसका अपनी कमर हिला के सरका देता,... और

माँ चढ़ी,


और गीता को समझाती रही देख ऐसी अपनी बुरिया को फैलाना चाहिए , ऐसे सटाओ और कमर के जोर से , दोनों हाथ से कंधे को पकड़ के कस के धक्का लगाओ ,



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अबकी उनके बेटे ने माँ की कमर कस के पकड़ लिया था और उनके धक्के के साथ उसने जोर का ऊपर पुश किया,

गप्पाक से सुपाड़ा पूरा अंदर चला गया,... और


अब गीता ने भी खेल ज्वाइन कर लिया,... उसने माँ के दोनों कंधे कस के दबोच लिए , बेटी ने कंधे पकडे थे, बेटे ने कमर, जबतक माँ समझती लंड आधे से ज्यादा अंदर,...

और गीता माँ के कान में बुदबुदा रही थी , "माँ बस थोड़ी देर पांच मिनट मैं अच्छी तरह सीख जाऊं ने देख देख के , प्लीज माँ , "

अच्छा तो उन्हें भी लग रहा था, इत्ते दिन बाद ऐसा मस्त जवान लंड भोंसडे में घुसा था, भोंसडे से एक दम चूत बना दिया था,... और दो टीनेजर्स की ताकत वो चाह के भी नहीं उठ सकती थीं , और सच बोलिये तो चाह भी नहीं रही थीं,

थोड़ी देर में चुदाई फुल स्पीड में हो गयी और वो भूल गयीं की उनके नीचे कौन लेटा है और जैसे वो गीता के फूफा और मौसा से गरिया गरिया के चुदवाती थीं बस उसी तरह से,...

" अबे स्साले लगा जांगर, का कुल ताकत अपनी बहिनी के बिलिया में डाल आये हो या रोपनी वालों की ताल पोखरिया में



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बस इतना कहना काफी थी, जैसे अरबी घोड़े को कोई ऐड लगा दे और वो चेतक बन जाए, क्या जबरदस्त धक्के नीचे से कमर उछाल उछाल के मारना उसने शुरू कर दिया, लेकिन उसके ऊपर चढ़ी कोई नहीं बछेड़ी नहीं, उसके मामा से चुदी, खुद उसकी,... वो हर धक्के का जवाब धक्के से,... कभी झुक के बड़ी बड़ी चूँचियाँ उसके चौड़ी छाती से रगड़ देतीं और वो किशोर सिहर जाता,...

लेकिन साथ में वो सिखा भी रही थी, ...


हाँ ठीक है मान गयी बहुत ताकत है , अब थोड़ा धीरे,.. अरे पागल सबसे पहले जिसको चोद रहे उससे बाकी मज़ा भी लो , बाकी मज़ा भी दो , चल पहले एक हाथ से चूँची पकड़ के दबा, अरे कस, कउनो टिकोरे वाली नहीं है ऊपर तोहार, ... अरे दो दो हाथ है न ,..

और खुद उसका हाथ पकड़ के अपने क्लिट पे , चल एक साथ निपल और यहाँ एक साथ रगड़ पहले धीरे धीरे फिर कस कस के , कउनो औरत पागल हो जायेगी,...



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सीखने के मामले में बेटा उनका बहुत तेज था, और धीरे धीरे उसने जैसे जैसे कहा जा रहा था,वैसे ही साथ में सांड़ से तगड़े धक्के,.. माँ भूल गयीं की वो सिर्फ अपनी बेटी को विपरीत रति सिखाने के लिए इसके ऊपर चढ़ीं थीं। गीता ने कब का अपना हाथ उनके कंधे पर से हटा लिया था और वो खुद अपने जोर से धक्के लगा रही थीं, दस मिनट से ऊपर हो गया था,

और कुछ देर में ही वो काँप रही थी , देह हिल रही थी। गीता ने पहचान लिया बस उसने भी पीछे से पकड़ के बड़े बड़े जोबन का रस लेना, होंठों को चूमना चूसना शुरू कर दिया, माँ ने खुद अपनी जीभ उसके मुंह में डाल दी और गीता कस कस के चूस रही थी ,



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वो बार बार झड़ रही थीं , नीचे से खूंटा जड़ तक घुसा था , हाँ धक्के रुक गए थे, एक बार झड़ना रुकता तो दूसरी बार. कुछ ही देर में वो थेथर हो गयी थीं फिर गीता ने उन्हें पकड़ के उस लम्बे भाले पर से उतारा,... वो कटे पेड़ की तरह पलंग पर बेटे के बगल में पड़ पर गिर गयी पर तारीफ़ की निगाह से अपने बेटे को देख रहा था , ...

क़ुतुब मीनार पे अब बहन के चढ़ने की बारी थी ,


पर थोड़ी देर में उनका बेटा, उसे तो बहन को निहुरा के पेलने में मजा आता था, तो वहीँ पलंग पे निहुरा के हचक हचक के चोदना शुरू कर दिया।


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और झड़ा बहन की बुर में ही।

बहन को दो बार अच्छी तरह से झाड़ के

लेकिन छुटकी के मन तो कुछ और ही चल रहा था , उसने गीता से पूछ लिया
"तो माँ बेटे की चुदाई फिर तो चालू हो गयी होगी। "
माँ को लगा बुझा के ..
विपरीत रति का प्रायोगिक अभ्यास...
सोने पे सुहागा....
 

motaalund

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माँ बेटे की


लेकिन छुटकी के मन तो कुछ और ही चल रहा था , उसने गीता से पूछ लिया

"तो माँ बेटे की चुदाई फिर तो चालू हो गयी होगी। "

" अरे नहीं यार इत्ता आसान नहीं था, वो खाली भैया से मेरी गाँड़ मरवा मरवा के चौड़ी करवाने के पीछे पड़ी थीं, लेकिन मैंने और भइया ने मिल के , एक बार माँ की भैया से उनकी गाँड़ मरवा दी हचक के उसके बाद तो वो एकदम खुल के , खुद ही चूस कर के चुदवाने,... "गीता बोली

लेकिन छुटकी को इत्ता शार्ट कट पसंद नहीं था,... वो जिदियाते बोली, नहीं दीदी पूरा बताइये भैया ने माँ की गाँड़ कैसी मारी,...




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तू भी न, दुलार से उसे सीने से चिपकाती गीता बोली,... और आगे का हाल सुनाया,


तो हुआ ये था गीता और उसका भाई माँ के पीछे पड़े थे दो तीन दिन की वो भी चुदवा ले , लेकिन वो चूसने, मुठियाने से आगे नहीं बढ़ती थीं

और चूसने में तो माँ नंबरी थीं, पहले भैया का सुपाड़ा मुंह में लेके चुभलाती थीं साथ में उसे छेड़ती भी रहती थीं, कभी पिछवाड़ा सहला देतीं तो कभी उसके रसगुल्ले तो पिछवाड़े वाले छेद में ही सेंध लगा देतीं, और मुझे आँख से इशारे से कहतीं

' चल तू भी सीख कैसे लौंडों को चूस चूस के पागल करते हैं "





भैया का इत्ता लम्बा मोटा है लेकिन माँ धीरे धीरे कर के पूरा घोंट लेतीं एकदम हलक तक, और बिना आगे पीछे किये ऐसा मस्त चुसतीं की भैया की हालत ख़राब, न मुझे कहना पड़ता खुद ही खोल के मुंह में ले लेती और देखते ही देखते टनटना के भैया की हालत खराब,


कभी चूसते चूसते मुंह थक जाए तो बाहर निकाल के , साइड से चूसती चाटतीं,... और मेरी ओर देखतीं की कैसे मैं मुंह से अगर निकाल भी लूँ तो साइड से चाट के



और दो सहेलियों की तरह जैसे लॉलीपॉप मिल के चूसती हैं तो वैसे भी



हाँ जब बेटा गरमा जाता था तो उसे बेटी के ऊपर हर बार चढ़ा देती थी, ...

तो फिर गीता ने वही प्लान बनाया पहली बार की तरह माँ से भैया ने बोला और माँ ने गीता से , अब रोज कम से कम एक बार दिन या रात माँ के सामने ही गीता भैया के खड़े लंड पे खुद चढ़ के उसे चोदती थी, अब उसकी झिझक भी दूर होगयी , ऊपर चढ़ के चोदने के सारे ट्रिक माँ ने उसे सीखा दिया था। बस उसी तरह माँ एक दिन उसके पीछे पड़ीं,

"हे तू मेरे बेटे के ऊपर चढ़ के चोदती है, रोज उस से बिना नागा गाँड़ भी मरवाती है तो ऊपर चढ़ के गाँड़ मरवाने में कौन परेशानी है , हर बार वही काहें सब मेहनत करे,... "



और गीता यही तो चाहती थी बस पिछली बार की तरह , लेकिन इस बार माँ जब ऊपर चढ़ी दिखाने सिखाने के लिए की कैसे लंड के ऊपर चढ़ के गाँड़ मरवाई जाती है,... लेकिन इस बार भैया कुछ ज्यादा ही जोश में था , थोड़ी देर के बाद माँ नीचे , और कुछ देर बाद निहुरी हुयी और वो हचक के गाँड़ मारते हुए ,




साथ में गीता भी मजा ले रही थी और इस बार सब मलाई माँ की गाँड़ में ही छोड़ा। और उसके बाद भी चिपका के,...



और फिर माँ मान भी गयी, गीता ने भी समझाया, माँ मेरी वो पांच दिन वाली छुट्टी होगी तो बेचारा मेरा भाई, तो वो टाइम तो फुल टाइम। तो उस दिन के बाद हम दोनों सहेलियों की तरह साथ साथ , चूसती भी साथ साथ थीं , चुदवाती भी थी साथ साथ, जब भैया मुझे चोदता था तो माँ कभी मेरे मुंह पे तो कभी उसके अपनी बुर चटवाती थी ,

बहुत शहद है , उसमें ,...





और उसने कित्ती ढेर सारे ट्रिक मुझे सिखाये मर्दों को खुश करने के और भैया को मैं समझती थी सब कुछ आता है लेकिन उसको भी, एक साथ दो दो लड़कियों के साथ कैसे करते हैं , चूसने के बीसों ट्रिक,... गाँड़ के मामले में तो माँ एक्सपर्ट थी, ...


कुछ रुक के गीता हंसने लगी फिर बोली माँ मेरे पीछे पड़ी थी की मैं शर्माती काहें हूँ की कहीं मेरी सहेलियों को न मालूम पड़ जाए की भैया मुझे चोदता है , ये तो ख़ुशी की बात ही बजाय तुझे इधर उधर लंड ढूंढने के घर में ही इत्ता मस्त लंड मिल गया तेरी सहेलियां जलेंगी , मालूम पड़ जाने दे ,...



तो छुटकी अपनी उत्सुकता रोक नहीं पायी , तो मालूम पड़गया आपकी सहेलियों को, कैसे, ... पूछ लिया उसने।
पिछले अपडेट्स की तुलना में थोड़ा कम था ...
लेकिन बाकी सब अपडेट्स पर यही अपडेट्स भारी पड़ गए...
मेरी तरफ से सौ तोपों की सलामी...
लेकिन गांड़ मराई का एपिसोड थोड़ा संक्षेप में निबटा दिया...
और छुटकी तो लगता है माइंड रीडर है....
पाठकों के माइंड को रीड करके वही सवाल पूछ रही है... जो पाठकों के मन में उमड़-घुमड़ रहे हैं....
 

motaalund

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और अब पाठकों /पाठिकाओं से अनुरोध है की पढ़ने के साथ अपने मत, मंतव्य और विचारों को भी साझा करें,... कैसी लगी ये पोस्ट,... एडवांस थैंक्स के साथ और अच्छी लगे तो लाइक भी करें
कर दिया... कृपया अपना मत भी कमेंट्स पर व्यक्त करने का कष्ट करें...
 
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motaalund

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Bahut hi badhiya update diya hai

komaalrani ji​

Nice and lovely update....:toohappy::toohappy::toohappy:
As usual... a very marvelous and fabulous update...
 
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