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मेरी प्यारी बहन |
भाग – 6 [प्रथम मिलन] |
विवाह, शायद इस संसार का सबसे पवित्र बंधन जिसमें बांधकर दो इंसान ही नही बल्कि दो आत्माएं भी सदा सदा के लिए एक हो जाती हैं। कुछ वक्त का नही बल्कि सात जन्मों का बंधन है ये जिसमें आज मैं और आरोही भी बंध गए थे। आज मैं कितना खुश था सिर्फ मैं ही जानता था। आज आरोही पूरी तरह से सिर्फ मेरी हो चुकी थी और मैं उसका। कहीं न कहीं मेरे दिल में एक अंजानी सी खुशी थी, के अब हम दोनो को कभी भी अलग नही होना होगा, हमेशा हम दोनो साथ रहेंगे। खैर, हम अपने घर वापिस आ चुके थे और इस वक्त दरवाजे पर खड़े थे। सारे रास्ते आरोही एक टक मुझे ही देखे जा रही थी और अब भी वो बस मुझमें ही खोई हुई थी। उसकी आंखों में एक अलग सा भाव था, आज शायद वो भी पूर्ण हो गई थी, उसका दिल आज शायद पूरा हो चुका था, उसका एक हिस्सा हमेशा के लिए उस से जुड़ चुका था।
मैने उसे वहीं रुकने को कहा और अंदर की तरफ तेज़ी से गया। फिर मैं एक पूजा की थाली और एक कलश लेकर बाहर आया। मैने पहले ही सारी तैयारी कर ली थी। आरोही की खुशी इस सबके कारण देखते ही बनती थी। फिर मैने उसका गृह प्रवेश कराया और आज वो एक नए रिश्ते से इस घर में आई। जब हम दोनो कमरे में पहुंचे तो आरोही के कदम दरवाजे पर ही थम गए। वो ठिठक सी गई और सामने के नजारे को देखने लगी। सामने कमरा पूरा सजा हुआ था, बिस्तर पर गुलाब की पन्खुड़िया बिखरी थी, कमरे में हर तरफ मोम बतियों की रोशनी जगमगा रही थी। आरोही ये सब देख कर सब समझ गई थी। उसने मेरी तरफ देखा तो मुझे मुस्कुराता पाया। उसके होंठों पर एक शर्मीली मुस्कान तैर गई और उसने अपनी नजरें झुका सी ली।
मैं उसके सामने आकर खड़ा हो गया और उसे देखने लगा, उसके चेहरे पर शर्म साफ़ दिख रही थी और वो नीचे देखते हुए अपनी उंगलियों को मोड़ रही थी। मैने उसकी ठुड्डी के नीचे उंगली रख कर उसका चेहरा ऊपर उठाया। पर अभी वो अपनी नज़रें झुकाए हुए थी।
मैं : आरोही...
मैने बहुत ही प्रेम भरी आवाज़ में उसे पुकारा तो उसने अपनी नज़रें उठाकर मुझे देखा। मेरी आंखों में वो अपने लिए बेइंतहान मोहब्बत साफ देख पा रही थी। जिसके जादू में बंधकर उसकी आंखें मेरे चेहरे से हट नही पाई। मैने अपने एक हाथ को उसके गाल पर रखा तो उसने अपनी आंखें बंद कर ली। मैने अपने दोनो हाथों में उसके चेहरे को थामा और बारी बारी से उसकी दोनो आंखों को चूम लिया,
मैं : आंखें खोलो आरोही...
उसने बस ना में सर हिला दिया,
मैं : आंखें खोलो आरोही, अपने पति की बात नही मानोगी।
मेरी बात सुनकर एक झटके में उसने अपनी आंखें खोल दी। शायद उसे एहसास हुआ के अब हमारा रिश्ता बदल चुका था। वो कुछ देर मुझे देखती रही और फिर उसके लब हिले,
आरोही : मैं आपको हमेशा भईयू ही बुलाना चाहती हूं। आप मेरे लिए हमेशा मेरे वही भाई रहोगे जिसने हमेशा मुझे एक छोटी बच्ची की तरह पाला। मुझे मां – बाप, भाई – बहन, दोस्त सबका प्यार दिया। मेरे सभी रिश्ते आपसे ही जुड़े है और आज ये नया रिश्ता भी। पर आप मेरे लिए हमेशा मेरे वही भईयू रहोगे।
उसकी आंखों में एक तड़प थी के मैं उस से उसका भाई ना छीन लूं। मैने उसे मुस्कुराकर कहा,
मैं : बाहर वालों के लिए तू मेरी पत्नी रहेगी पर अकेले में हम पहले की ही तरह रहेंगे। पर मेरी एक शर्त है...
मेरी पहली बात सुनकर उसके चेहरे पर खुशी की लकीरें दिखने लगी पर शर्त की बात सुनते ही उसकी बौंहे सिकुड़ गई।
आरोही : शर्त??
मैं : तू मुझे अभी मेरे नाम से पुकारेगी।
आरोही : नही... मैं आपको, नाम से... नही।
मैं : सोच ले फिर मैं भी तेरी बात नही मानूंगा।
वो मेरी तरफ बहुत ही मासूम सा चेहरा बनाकर देख रही थी जबकि मैं बस मुस्कुरा रहा था। वो थोड़ी उलझन में फसी थी, आखिर कैसे वो मुझे मेरे नाम से पुकारे। मैने उसे गले लगा लिया और उसके कान में बोला,
मैं : प्लीज़ आरोही, मेरा बहुत मन है तेरे मुंह से अपना नाम सुन ने का।
उसकी बाजुएं भी मेरी पीठ पर कस चुकी थी। उसने अपने होंठ मेरे कान के करीब किए और बोली,
आरोही : अ... अ... अर... अरमान!!
मुझे ऐसे लगा जैसे मानो मेरा नाम दिलकश सा हो गया हो। मैने अपनी आंखें बंद कर ली और आरोही को और अधिक अपनी बांहों में कसकर कहा,
मैं : एक बार और आरोही प्लीज़।
आरोही : I Love You अरमान।
मैं उस से अलग हुआ और उसे देखने लगा। उसके चेहरे पर खुशी और शर्म के मिले जुले भाव थे। मैं हल्का सा झुका और उसे अपनी गोद में उठा लिया। पहले तो वो हड़बड़ा सी गई पर फिर उसने भी मेरे गले में बाहें डाल दी। मैं उसे लेकर बिस्तर तक पहुंचा और उसे वहां बैठा दिया। वो शर्माई सी बेड पर सिकुड़ गई और अपने घुटनों को मोड़ कर बैठ गई। मैं उसके पास बैठा और उसे एक टक निहारने लगा।
आरोही : अ... आप ऐसे क्यों देख रहे हो।
उसकी आवाज बेहद धीमी और घबराई सी थी। जिसे सुनकर मुझे उसपर और भी प्यार आ रहा था। मैने उसके हाथों को पकड़ा और,
मैं : आरोही, मैं तुमसे वादा करता हूं के हमेशा तुम्हे खुश रखूंगा। दुनिया की हर खुशी तुम्हारे लिए ला दूंगा। कभी भी कोई भी दुख तुम्हारे आस पास भी नही भटकेगा। आज तक मैने तुम्हे बहन की तरह प्यार किया है पर अब से तुम मेरी बहन, मेरी बीवी, मेरी सारी जिंदगी हो। I Love You आरोही, I Love You More than anything...
आरोही भी मेरे शब्दों से भाव विभोर सी हो गई और मुझसे लिपट गई। मैने भी उसे अपने में समा लिया। मैं उसकी पीठ पर हाथ फेरने लगा। उसने लहंगा पहना हुआ था तो ऊपर एक चोली थी। और उसकी पीठ पर केवल उसकी एक पट्टी। मैं उसकी पीठ पर हाथ फेरने लगा। उसकी त्वचा मुझे बेहद आकर्षक सी लग रही थी। उसकी सांसें तेज़ हो चुकी थी और वो मुझसे और ज्यादा लिपट रही थी। तभी मैं उठा और उसके पीछे जाकर बैठ गया। मैं आगे क्या करूंगा ये सोचकर उसका पूरा बदन सिहर सा गया।
मैं कुछ पल बस उसे निहारता रहा और फिर अपना हाथ उठा कर उसकी पीठ पर रख दिया। वो हल्का सा आगे को खिसक गई पर तभी मैने अपने होंठ उसकी गर्दन पर टिका दिए। मैने अपने हाथों से उसके कंधों को पकड़ा और बेतहाशा उसकी पीठ के ऊपरी हिस्से को चूमने लगा। आरोही एक दम से उठने को हुई के तभी मैंने उसकी चोली की डोरी को पकड़ लिया। ये एहसास होते ही वो रुक गई और अपना सर पीछे करके मुझे टुकुर टुकुर देखने लगी। तभी मैंने उसे एक कुटिल मुस्कान से देखते हुए डोरी को खींच दिया। अब उसकी पीठ पर मात्र एक ब्रा की पट्टी बची थी। उसने अपना मुंह दूसरी तरफ कर लिया और आंखें बंद करके बैठ गई। मैने अपनी उंगलियों को एक लज़राते से अंदाज में उसकी पीठ पर फेरा तो उसकी सांसों का बढ़ता शोर मुझे सुनाई देने लगा।
मैं हल्का सा झुका और जहां ब्रा की पट्टी थी वहां चूमने लगा। मैने अगले कुछ पलों में उसकी पूरी पीठ पर अपने होंठों की छाप छोड़ दी थी। वो बस बैठी कसमसा रही थी। वो उठना चाहती थी और कहीं जाकर छुप जाना चाहती थी पर मैंने उसके कंधों को थामा हुआ था। मैने उसे अपनी तरफ घुमाया तो उसने अपनी नजरें नीची कर ली पर उसके चेहरे पर खुशी साफ दिख रही थी। मैने हाथ बढ़ाकर उसके सीने पर लटक रही चोली को उसके शरीर से अलग करके फेंक दिया। उसे देख कर जैसे मेरी आंखें चौंधियां सी गईं। आरोही के ऊपरी शरीर पर मात्र एक लाल रंग की ब्रा थी। मैं पहचान गया था के ये वही ब्रा थी जो कल खरीदी थी। मैं आरोही के कंधे पर झुका और कंधे से लेकर कान तक एक बार अपनी जीभ फिरा दी और उसके कान की लौ को होंठों में भरकर चूसने लगा। मैने उसकी नग्न पीठ पर हाथ लपेट दिए और उसे सहलाते हुए उसके कान में कहा,
मैं : आरोही ये वही ब्रा है ना जो कल मैंने पसंद की थी।
उसने कोई जवाब नही दिया तो मैंने उसे अपने साथ कस लिया और उसकी गर्दन पर चूमकर बोला,
मैं : बता ना आरोही ये वही है ना।
आरोही : ह... हां भईयू।
मैने उसकी ब्रा की तनियों को उसके कंधों पर से खींच दिया तो वो लटक सी गई और मेरी आंखों के सामने उसके नग्न कंधे उजागर हो गए। बिना देर किए मैं उन्हें चूमने लगा और उन्हें मुंह में भरके चूस भी रहा था।
आरोही : आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह... भईयूयूयूयू।
मैं : हां बोल ना मेरी जान।
आरोही : भईयू मुझे कुछ हो रहा है।
मैं : क्या हो रहा है आरोही।
वो कुछ नहीं बोली बस तेज़ तेज़ सांसें लेती रही। तभी मैंने पहली बार उसके स्तनों पर हाथ रख दिया। उसने एक दम से मेरी तरफ देखा जैसे कह रही हो के बस रुक जाओ। मैं उसकी आंखों में देखता हुआ बोला,
मैं : तूने बताया नही आरोही के क्या हो रहा है?
वो कुछ नहीं बोली तो मैंने हल्के से अपने हाथों पर जोर डाला, उसके रूई के गोलों की नरमी मैं महसूस कर पा रहा था। उसने एक दम से बोला,
आरोही : वो भईयू, मुझे, मुझे बहुत गर्मी लग रही है।
ये सुनकर मेरे चहरे पर एक कुटिल मुस्कान तैर गई। मैने उसे देख कर कहा,
मैं : अरे, पहले क्यों नहीं बताया। इतने कपड़े ऐसे ही लाद रखें हैं।
वो मेरी बात समझ पाती उस से पहले ही मैने उसे अपनी बाहों में खींच लिया और पीछे हाथ लेजाकर उसकी ब्रा के हुक खोल दिए। कंधों से तो उसकी तनियां मैं हटा ही चुका था। नतीजतन उसकी ब्रा उसके सीने का साथ छोड़कर नीचे गिर गई। वो एक दम से हड़बड़ाती हुई सिमट सी गई और अपने स्तनों को छिपाने लगी। असल में वो भी मेरे साथ इस प्रेम क्रीड़ा में शामिल होना चाहती थी पर आखिर वो शुरू से ही इतनी शर्मीली जो थी। मैं समझ गया के पहले मुझे उसे थोड़ा अपने साथ खोलना होगा। मैने उसकी आंखों में झांकते हुए बेड पर गिरी उसकी ब्रा को उठाया और उसे अपनी नाक के पास लाकर एक तेज़ सांस भरी।
आरोही : आह्ह्ह्ह... क्या कर रहे हो भईयू।
मैने कोई जवाब नही दिया बस उस ब्रा के एक कप को बार चूम लिया। आरोही ने ये देख कर अपनी आंखें मूंद ली और वो अब भी अपने स्तनों को छिपाए हुए थी। मैं आरोही के चेहरे पर झुका और उसके कान में बोला,
मैं : तेरी खुशबू कमाल की है आरोही, प्लीज़ अब मुझे और मत तड़पा। क्यों छुपा रही है मुझसे खुद को जब तू अपने आप भी मेरी हो जाना चाहती है।
वो मेरी बात पर आंखें खोलकर मुझे देखने लगी और फिर कुछ पलों बाद उसके चेहरे पर लाली बढ़ गई, कारण, वो धीरे धीरे अपने हाथ अपनी उन गोलाईयों से हटा रही थी। आरोही ने जैसे ही अपने दोनो हाथ हटाए मेरी तो आंखें जैसे उसपर जम सी गई। उसके वो दोनो कबूतर सर उठाए खड़े थे। उनमें बिल्कुल भी ढीलापन नहीं था और उनपर बने वो गुलाबी रंग के निप्पल उनकी खूबसूरती पर चार चांद लगा रहे थे। मैं मदहोश सा होकर उसे देख रहा था और तभी मैंने अपना एक हाथ उसके दाएं स्तन पर रख दिया।
आरोही : सस्स्स्स्स्स्स...
मैने अपने दोनो हाथों को उसके उन दूधों पर रख दिया और रूक कर आरोही को देखने लगा। उसकी आंखों में तड़प मैं साफ देख सकता था। वो एक टक मुझे ही देखे जा रही थी। तभी मुझे एक शरारत सूझी और मैं उस से अलग होकर बैठ गया। वो एक दम से हैरान होकर मुझे देखने लगी।
आरोही : क्या हुआ भईयू?
मैं : कुछ नही, कुछ भी नही।
आरोही : फिर आप रूक क्यों गए, करिए ना...
एक दम से उसने ये बात बोल दी पर फिर खुद ही अपनी बात पर शर्मा गई। पर मुझे तो मौका मिल गया था। मैं उसके चेहरे पर झुका और उसे देख कर बोला,
मैं : क्या करूं आरोही? बता मुझे क्या करूं?
वो कुछ नही बोली तो मैने उसे खड़ा किया और अपनी गोद में बैठा लिया। उसका चेहरा मेरी बाईं ओर था और उसके स्तन अपनी पूरी ताकत दिखाते हुए अकड़े हुए थे। साफ पता लग रहा था के वो अनछुए दूध थे जिन्हे दुहना अभी बाकी था। मैं उसकी कमर को सहलाते हुए बोला,
मैं : आरोही जब तक तू खुद नही बोलेगी मैं कुछ नहीं करुंगा।
वो मेरी तरफ गुस्से से देखने लगी पर मेरी आंखों में दिख रहे निश्चय को देख कर एक दम धीमी आवाज में बोली,
आरोही : आप क्यों तंग कर रहे हो मुझे। आप मेरे पति हो और मैं आपकी पत्नी। मेरे साथ आप वही करो जो पति पत्नी करते हैं।
मैं : क्या करते हैं पति पत्नी, बता ज़रा मुझे।
वो एक दम से मुझे गुस्से से देखने लगी और अगले ही पल मुझे बेड पर धक्का दे दिया और मेरे पेट पर बैठ गई।
आरोही : अब बताती हूं आपको।
वो एक दम से मुझपर झुकी और मेरे होंठों से अपने होंठों को जोड़ दिया। वो पूरी शिद्दत से मुझे किस कर रही थी। मैं भी उसके उन लबों की कशिश में खोया उसका निचला होंठ चूस जा रहा था। तभी उसने अपनी जीभ मेरे मुंह में डाल दी और मैं भी उसे मगन होकर चूसने लगा।
मैने उसे अपने ऊपर से उतारा और एक बार फिर से अपनी गोद में बैठा लिया। पर इस बार बिना एक भी पल ज़ाया किया मैने उसके दोनों स्तनों को अपने हाथों में भर लिया और उन्हें मसलने लगा।
आरोही : धीरेरेरेरे भईयू...
मैं अगले ही पल उसके अमृत कलशों पर झुका और उसके दाएं स्तन को मुंह में भर लिया। मैं एक छोटे बच्चे की तरह उसके दूध को पी रहा था और दूसरे हाथ से उसके बाएं स्तन के निप्पल को मरोड़ रहा था। उसके दोनो निप्पल गुलाबी रंग के थे और अब तक बेहद सख्त हो चुके थे। आरोही की सिसकियां बहुत तेज़ हो चुकी थी और वो मेरे बालों में अपने हाथ घुमा रही थी। मैं दस पंद्रह मिनट तक बदल बदल कर उसका स्तनपान करता रहा और जब उनपर से मुंह उठाया तो देखा के उसके दोनो दूध मेरे थूक से सन चुके थे और ट्यूबलाइट की रोशनी में चमक रहे थे।
मैने उसके दोनो स्तनों को थमा और बोला,
मैं : जब इनमें दूध आएगा तो मुझे पिलाएगी ना मेरी गुड़िया।
उसने सर नीचे करके कहा,
आरोही : हम्म्म...
मैं : इनमें दूध कब आएगा आरोही।
वो कुछ पल मेरी आंखों में देखकर बोली,
आरोही : जब मैं मां बन जाऊंगी।
मैं : हां फिर एक तरफ से हमारा बच्चा दूध पिए और दूसरी तरफ से सिर्फ तुम्हारा बच्चा।
आरोही मेरी तरफ सवालिया निगाहों से देखने लगी पर तभी उसे मेरी बात समझ में आई और वो सर नीचे झुकाए मुस्कुराने लगी।
मैं : वैसे मैं पहले ही बता देता हूं मुझे तेरी तरह एक प्यारी सी लड़की चाहिए।
आरोही : ऊंऊंऊं क्यों तंग कर रहे हो आप।
मैं : तंग कहा कर रहा हूं मेरी जान, मैं तो फैमिली प्लानिंग कर रहा हूं अपनी प्यारी सी बीवी के साथ। वैसे मैने नाम भी सोच लिया है। हम उसका नाम “माही” रखेंगे।
वो मुझे टुकुर टुकुर देखने लगी और फिर अपने आप ही एक शर्मीली सी मुस्कान उसके होंठों पर आ गई।
मैं : कितना अच्छा होगा ना आरोही जब हमारी गोद में हमारा बच्चा होगा। मेरा और मेरी गुड़िया का।
तभी आरोही खड़ी हुई और मेरे दोनो हाथ पकड़कर मुझे भी उठा दिया। उसने हाथ बढ़ाकर मेरे कुर्ते को ऊपर उठाया तो मैने भी उसे निकालने में उसका सहयोग किया। अगले ही पल उसने मेरी बनियान भी निकाल दी। मेरा शरीर काफी कसा हुआ था क्योंकि मुझे कसरत करने की आदत थी। सिक्स पैक्स तो नही कहूंगा पर उसके आस पास ही था। आरोही शोखी भरे अंदाज में मुझे देख रही थी। तभी वो अपने दोनो हाथ मेरे सीने पर फेरने लगी। उसने एक बार मेरे होंठों पर चूमा और फिर बिना देर किए मेरे सीने से लेकर पेट तक अपने प्यार की मुहर लगाने लगी। अब मेरा सब्र खत्म हो चुका था। मैने उसे बेड पर धक्का दिया और उसके लहंगे की डोरी खोल दी।
मैने बिना वक्त गवाए उसके लहंगे को निकाल दिया। अब जो नजारा मेरे सामने था वो मेरी आंखों को असीम सुख दे रहा था। आरोही ने पैंटी नहीं पहनी हुई थी। वो मेरे सामने बिल्कुल नग्न पड़ी थी। तभी उसने मेरी आंखों में देखते हुए अपनी टांगों को फैला दिया। मैं लगातार उसकी हरकतों को देख रहा था। तभी उसने अपनी उंगली के इशारे से मुझे अपनी तरफ बुलाया। जैसे ही मैं बेड पर चढ़ने को हुआ उसने अपना पांव मेरे सीने पर रख दिया। मैं समझ गया था के अब वो बहुत गर्म हो चली थी। मैने मुस्कुराकर उसका पैर थामा और एक लजरते हुए अंदाज में उसके पांव के अंगूठे को मुंह में भर लिया। उसकी आंखें बंद हो गई और उसने अपनी गर्दन ऊपर की तरफ उठा दी। मैने उसके दोनो पैरों को एक साथ पकड़ा और दोनो को चूमने लगा। मैने उसकी पैरों की सभी उंगलियों को बारी बारी से चूसा। उसकी सिसकियां बदस्तूर जारी ही थी।
तभी मैंने उसके दोनों पैरों को पकड़कर उसे अपनी तरफ खींचा तो वो बिस्तर के कोने पर खिसक गई। वो अपनी मदहोशी भरी आंखों से मुझे देख रही थी। मैने उसकी आंखों में देखते हुए उसकी टांगों को फैला दिया। मैं झुका और उसकी जांघों पर चूमने लगा। उसकी सिसकियां लगातार चल ही रही थी। मैने उसकी पूरी टांगों पर अपने होंठो की छाप छोड़ दी थी। तभी मैं रुका और उस जन्नत के दरवाजे को देखने लगा। उसकी चूत काफी फूली हुई थी। उसके दोनो होंठ आपस में चिपके हुए थे और बीच में एक पतली सी लकीर दिख रही थी। उसकी चूत गुलाबी रंगत ओढ़े हुए थी और ऊपर की तरफ उसका भगनासा (क्लिटोरस) भी झलक रहा था।
मैं बेसुध सा होकर उसे देखे जा रहा था। जब मेरी तरफ से कोई हरकत ना होता देख कर आरोही ने मेरी तरफ देखा तो उसके उस हसीन रुखसार पर एक बेहद ही हसीन शर्म आ गई,
आरोही : भ... भईयू...
मैने अपनी आंखों को वहां से हटाकर आरोही पर डाला और उसकी आंखों में देखते हुए उसकी चूत पर हाथ रख दिया।
आरोही : आह्ह्ह्हह्ह...
मैं : आह्ह्ह मेरी गुड़िया तू कितनी हसीन है, मेरी किस्मत कितनी अच्छी है जो तू मुझे मिली।
आरोही : भईयू मुझे कुछ हो रहा है, आह्ह्ह्हह...
उसकी बात के बीच में ही मैने उसकी चूत को सहलाना शुरू कर दिया जिस कारण उसकी एक सिसकी छूट गई।
मैं : हां बता ना मेरी गुड़िया क्या हो रहा है?
आरोही : उह्ह्ह... भईयू अह्ह्ह्ह...
मैं उसकी बात सुने बिना ही नीचे खिसका और करीब से उसकी चूत को देखने लगा। उसपर बालों का नामोनिशान नहीं था शायद उसने आज कल में ही साफ किए होंगे। मैने एक सांस खींची तो एक मादक सुगंध मेरे नथुनों में चली गई। मैने उसी सुगंध के मोह पाश में बंधकर अपनी जीभ उसकी चूत पर नीचे से ऊपर की तरफ फिरा दी।
आरोही : ओह्ह्ह्ह... क्या कर रहे हो भईयू... आह्ह्ह्ह्ह...
मैने एक लंबी सांस खींची और उसकी चूत पर मुंह टिका दिया। मैं उसकी फांकों को होंठों की तरह चूस रहा था और आरोही बिस्तर पर जल बिन मछली की तरह तड़प रही थी। मैने अपनी एक उंगली आरोही की उस कुंवारी चूत में घुसा दी और उसके भगनासे को चूसते हुए उंगली को अंदर बाहर करने लगा।
आरोही : आह्ह्ह्हह्ह... भईयू और तेज़... ओह्ह्ह्ह...
कुछ पलों की चुसाई और उंगली के कमाल से आरोही का बांध टूट गया।
आरोही : आह्ह्हह्ह... मैं गई। उह्ह्ह्ह भईयू गई आपकी आरोहईईईईईई...
एक दम से उसका यौवन रस छूट गया और मैंने पूरी तरह से उसकी चूत की फांकों को अपने होंठों में कैद कर लिया और एक एक बूंद को पी गया। मैने उसकी तरफ देखा तो वो आंखें बंद किए हुए तेज़ तेज़ सांसें ले रही थी और बेहद ही धीमे धीमे मेरे बालों में उंगलियां फिरा रही थी। मैं उठकर आरोही के बगल में लेट गया और बड़े प्यार से उसकी चूत को सहलाने लगा। काफी देर बाद आरोही ने आंखें खोली और मेरी तरफ देखा। उसकी आंखों में खुशी, शर्म और संतुष्टि का मिश्रण दिखाई पड़ रहा था। मैं वैसे ही उसकी चूत को सहलाते हुए बोला,
मैं : मेरी परी का रस तो बहुत टेस्टी है।
वो शरमाई सी मेरे सीने में घुस गई। मैं भी बेड पर सीधा लेट गया और उसे अपने ऊपर ले लिया। हम दोनो के नंगे शरीर एक दूसरे से रगड़ रहे थे और मेरा खूंटा भी तनकर खड़ा हुआ था। शायद आरोही को भी उसका एहसास हो गया। वो मुझे देखते हुए बोली,
आरोही : भईयू कुछ चुभ रहा है।
मैं उसके होंठों पर उंगलियां फेरते हुए बोला,
मैं : क्या चुभ रहा है मेरी गुड़िया?
आरोही : वो... वो भईयू, वो नीचे...
मैं : अरे मेरी गुड़िया वो छोटा अरमान है जो तेरे प्यार के लिए तरस रहा है
मेरी बात सुनकर एक दम से उसके चेहरा गुलाबी हो गया। मैने उसकी चूत पर एक बार फिर हाथ फेरा और कहा,
मैं : आरोही जैसे तेरी परी को प्यार चाहिए वैसे मेरे दोस्त को भी तो चाहिए ना।
वो मेरी तरफ सवालिया निगाहों से देखने लगी पर जब उसे मेरी बात का मतलब समझ आया तो वो मेरे सीने पर मुक्के बरसाने लगी।
आरोही : कोई ऐसे बोलता है अपनी छोटी बहन को। गंदे भईयू।
मैं : तू कहे तो किसी और को बोल दूं?
मैने अपनी आंखें गोल घुमाते हुए कहा तो उसका चेहरा तमतमा सा गया। उसने अपने दोनो हाथों में मेरा चेहरा पकड़ा और बोली,
आरोही : आपने बोला भी कैसे ये। आप पर और आपकी हर चीज़ पर सिर्फ मेरा हक है। अब बताती हूं आपको...
एक दम से वो मेरे होंठ चूसने लगी। वो काफी वाइल्ड हो गई थी। फिर वो मेरे पूरे चेहरे पर अपने होंठों की छाप छोड़ने लगी। धीरे धीरे मेरे सीने और पेट पर चूमते हुए वो मेरे पजामे तक पहुंच गई और उसमें बने उभार को एक टक देखने लगी। मैं भी अपने हाथों के बल थोड़ा उचक कर उसे मुस्कुराते हुए देखने लगा। तभी उसने मुझे हाथ पकड़कर उठाया और जब मैं खड़ा हुआ तो नीचे बैठकर मेरे पजामे का नाड़ा खोल दिया। मैने भी उसे निकालने में सहयोग किया। अब मैं अंडरवियर में था जिसमें वो उभार साफ दिख रहा था। आरोही ने अपने कांपते हुए हाथों की उंगलियों को अंडरवियर के ऊपर फसाया और आंखें बंद करके उसे नीचे खिसका दिया। तभी “टैपप्पप”...
मेरा हथियार कैद से आज़ाद होते ही आरोही की नाक पर टप से लगा। उसने आंखें खोली तो उनमें हैरानी भर गई। मेरे हथियार का साइज करीबन 7–7.5 इंच था और वो लगभग 3 इंच मोटा था। आरोही आंखें फाड़े उसे घूर रही थी। मैंने उसका हाथ पकड़ा और अपने खूंटे पर रख दिया। आरोही के हाथ का स्पर्श पाते ही उसने एक झटका मारा और आरोही कांपते हाथ से उसे पकड़े मुझे देखने लगी।
आरोही : ये... ये क्या है!
मैं : यही तो है वो जो तेरी परी को प्यार करेगा।
आरोही : भ... भईयू ये इतना बड़ा मेरी छोटी सी में... नही जाएगा भईयू।
मैं : अरे सब चला जाएगा मेरी गुड़िया। तू बस एक बार इसे तैयार तो कर।
वो बस बैठी मुझे देखती ही रही तो मैंने उसके गाल को सहलाकर कहा,
मैं : डर लग रहा है तो रहने देते हैं।
एक दम से उसके चेहरे के भाव बदल गए और वो बोली,
आरोही : आपसे कैसा डर भईयू। मैं खुद भी अपना इतना खयाल नहीं रख सकती जितना आप रखते हो। रही बात इसकी तो ये नॉर्मल भले ही नही है पर जैसा भी है मेरा है।
इतना कहकर वो हल्के हाथ से उसे स्ट्रोक करने लगी। कुछ ही पलों में वो अपने विकराल रूप में आ चुका था। उसपर नसें भी उभरने लगी थी। आरोही ने सर उठाकर मेरे तरफ देखा तो मैने बड़े प्यार से उसके सर पर हाथ फेर दिया। उसकी आंखें बंद हो गई। एक दम से मुझे चौंकाते हुए आरोही ने अपना सर मेरे लंड पर झुका दिया। अचानक ही उसने उस उभरे हुए सुपाड़े पर एक चुंबन अंकित कर दिया।
मैं : आह्ह्ह्हह गुड़िया...
धीरे धीरे उसने पूरे लंड पर अपने होंठ फेरने शुरू कर दिए। पहली बार मेरे यौन अंग पर स्त्री स्पर्श पाकर मेरी आंखें बंद हो गई। तभी आरोही ने सुपाड़े को अपने होंठों में भर लिया और उसपर जीभ फिराते हुए चूसने लगी। बीच बीच में वो उसपर दांत भी चुभा देती जिसका कारण उसका अनुभव हीन होना था। आखिर उसकी भी ये प्रथम प्रेम क्रीड़ा जो थी। कुछ देर में वो लगभग चार– पांच इंच तक लंड मुंह में भर चुकी थी। मैं स्वर्गीय आनंद की अनुभूति पा रहा था। मैने आरोही की तरफ देखा तो उसकी नजरें मेरे मस्ती से भरे चेहरे पर ही टिकी हुई थी। आरोही की आंखो में मैं अपने लिए प्रेम का सागर साफ देख पा रहा था। मैने एक बार फिर उसके सर पर हाथ फेर दिया मानो वो मेरी प्यारी सी बिल्ली हो। शायद उसे भी कुछ ऐसा ही अनुभव हुआ जिसके चलते उसके हाथ की स्ट्रोक करने की गति बढ़ गई। वो पूरे जोश से मेरे लंड को चूसे जा रही थी।
जब मुझे लगा के मैं छूट सकता हूं तो एक दम से उस से अलग हो गया। आरोही मुझे ऐसे देखने लगी जैसे मैने उस से उसका पसंदीदा खिलौना छीन लिया हो। मैने उसके होंठों पर उंगलियां फिराई और बोला,
मैं : ये तेरा ही है, अभी बहुत वक्त मिलेगा तुझे इस प्यार करने का पर अब मैं और इंतजार नही कर सकता।
मेरी बात का मतलब वो समझ गई और अब उसके चेहरे पर डर की लकीरें भी दिखने लगी। मैने उसे उठाकर बिस्तर पर लेटाया और उसके दूधों को एक बार फिर चूसने लगा। नीचे जाने पर उसकी गहरी नाभी ने मेरा ध्यान आकर्षित किया तो मैं उसमें जीभ डालकर उसका स्वाद लेने लगा। आरोही का शरीर पूरा गरम हो गया था। मैने और देर करना सही नहीं समझा और पास ही पड़ी एक क्रीम की डब्बी उठाई। आरोही बड़े ध्यान से मुझे देख रही थी। मैने अपने लंड पर काफी सारी क्रीम लगाई और फिर आरोही की योनि पर भी क्रीम लगाने लगा। मैने अपनी एक उंगली उसके अंदर घुसाकर अंदर भी क्रीम भर दी। मैने अपना लंड उसकी योनि के मुहाने पर टिकाया और ऊपर से नीचे तक फिराने लगा।
आरोही : आह्ह्ह्ह्ह भईयू... अब और नहीं रुका जाता... आह्ह्ह्हह्ह...
मैं : आरोही दर्द होएगा।
आरोही : आप घुसा दो भईयू... इस दर्द का तो मुझे कबसे इंतज़ार है। ननहीहीहीहीहीही...
उसकी बात के बीच में ही मैने अपने लंड का सुपाड़ा उसकी चूत में खिसका दिया। वो 3 इंच से भी मोटा सुपाड़ा उसकी छोटी सी योनि के नन्हे से छेद में फस गया जिसके चलते उसके मुंह से वो “नहीं” निकल गया। मैं कुछ देर रुका और एक लंबी सांस छोड़कर एक तेज़ धक्का मार दिया। मेरा लंड उसके किले के दीवार यानी झिल्ली को फाड़ता हुआ 4 इंच तक अंदर घुस गया। आरोही की आंखें पूरी फैल गई और उसके मुंह से एक कान फाड़ने वाली चींख निकल गई।
आरोही : आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह...
ननहीहीहीहीहीही...
मेरे लंड का टांका भी खुल गया था अर्थात मेरी वर्जिनिटी भी समाप्त हो गई थी। मुझे भी बहुत दर्द हो रहा था पर मैं जानता था के आरोही के दर्द के सामने ये कुछ नहीं। उसकी चूत से खून बह रहा था और चादर भी लाल होने लगी थी पर मुझे उसे ये बात बताना सही नही लगा। मैं उसके सर को सहलाने लगा और उसे सांत्वना देने लगा। पर तभी मुझे खयाल आया के बार बार उसे दर्द देने की जगह एक ही बार करना बेहतर है। मैने अपनी आंखें बंद कर अपना दिल मजबूत किया और पूरी ताकत से लंड को बाहर खींचकर अंदर ठोक दिया। वो सारी रुकावटों को भेदता हुआ अंदर जा पहुंचा और उसकी बच्चेदानी से टकरा गया। आरोही की आंखें पलट गई और वो बेहोश हो गई। पहले तो मैं घबरा गया पर फिर मुझे लगा के उसका दर्द कम करने का यही तरीका सही होगा।
मैने कुछ धक्के अंदर बाहर मारे और जब मुझे लगा के मेरे लंड ने थोड़ी जगह बना ली है तो मैंने पास रखे ग्लास से कुछ पानी के छींटे आरोही के चेहरे पर मारे। वो धीरे से होश में आई और साथ ही साथ मेरे सीने पर मुक्के बताने लगी।
आरोही : आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह... आप बहुत गंदे हो, हुह्ह्ह... आप बहुत गंदे हो। आपने मुझे रुलाया। मुझे बहुत दर्द हो रहा... हुह्ह्ह... आप गंदे भईयू... मैं आपसे...
वो सुबकते हुए ये सब बोल रही थी पर तभी वो चुप हो गई। जैसे ही उसने मेरा चेहरा देखा तो उसकी आंखें हैरानी से भर गई क्योंकि मेरी आंखों में भी आंसू भरे हुए थे जो मेरे गालों को भिगाते हुए नीचे टपक रहे थे। मैं उसके चेहरे पर झुका और उसके होंठों पर हल्का सा चूमकर बोला,
मैं : मुझे माफ करदे आरोही। मैं तुझे बार बार दर्द नही देना चाहता था इसीलिए मैंने एक ही बार में... मुझे माफ करदे मेरी गुड़िया।
आरोही को भी महसूस हुआ के उसके दर्द पर उस से ज्यादा तकलीफ मुझे होती थी। वो मेरे आंसू पोंछकर बोली,
आरोही : आपने कभी देखा है अपना। इतना बड़ा सारा मेरी नन्ही सी जगह में डाल दिया ऊपर से खुद ही रो रहे हो।
मैं उसकी नादानी भरी बात सुनकर मुस्कुराए बिना नहीं रह सका और उसके माथे पर चूमकर बोला,
मैं : मैं तुझे बहुत प्यार करता हूं आरोही, बहुत ज्यादा। आज हम दोनो हमेशा के लिए एक हो गए हैं।
वो मुझे देखने लगी और तभी उसने अपनी आंखें मूंदकर मुझे इशारा किया आगे बढ़ने का। मैं बहुत धीरे धीरे से अपने लंड को अंदर ही गोल गोल घुमाने लगा।
आरोही : सीसीसी... आह्ह्ह्हह...
उसे अब शायद थोड़ा मीठा मीठा दर्द हो रहा था। मैने कुछ पलों बाद लंड को अंदर बाहर करना शुरू कर दिया पर मेरी गति बेहद धीमी थी।
आरोही : ओह्ह्ह्ह... आह्ह्ह्ह... भईयू आह्ह्ह्ह... मज़ा आ रहा है...
मैं : ओह्ह्ह्ह मेरी प्यारी गुड़िया... अच्छा लग रहा है ना...
मैने अपने धक्कों को हल्का सा तेज़ कर दिया था और अब आरोही भी बराबर कमर हिलाते हुए मेरा साथ
आरोही : ओह्ह्ह्ह मेरे जानू भाई आप कितने अच्छे हो... आह्ह्ह्ह आप कितना प्यार करते हो अपनी गुड़िया को...
मैं : हाए मेरी रानी कितनी प्यारी चूत है तेरी... आह्ह्ह्ह पूरा फस फस के जा रहा है तेरे भाई का लंड...
आरोही : आह्ह्ह्ह भईयू तेज़ और तेज़... ज़ोर से करो... आह्ह्ह्ह...
मैने उसकी कमर को दोनो हाथों से पकड़ा और राजधानी की स्पीड धक्के लगाने लगा। पूरा बिस्तर हमारी काम क्रीड़ा से हिल रहा था।
आरोही : आह्ह्ह्ह... भईयू और तेज़ फाड़ दो मेरी चूत... फाड़ दो...
मैं : ले मेरी परी और ले... अंदर तक ले अपने पति का लंड...
आरोही : ओह्ह्ह्ह... चोदो भईयू और चोदो अपनी आरोही को।
उसके मुंह से “चोदो” शब्द सुनकर मैं उसे देखने लगा। वो मेरे रुकने से मेरी तरफ देखने लगी तो मैं मुस्कुरा दिया।
मैं : क्या करूं मेरी प्यारी सी बीवी।
आरोही कुछ नहीं बोली तो मैं एक बार फिर धक्के लगाने लगा। मैने झुककर उसके होंठों को मुंह में भर लिया और उसकी चूचियों को दबाते हुए उसे चोदने लगा। तभी,
आरोही : ओह्ह्ह्ह... भईयू मैं गईईईईईई...
मैंने धक्कों की गति बढ़ा दी और उसके दूध चूसने लगा। कुछ ही पलों में वो भलभलाकर झड़ गई और एक दम से ढीली सी पड़ गई। मैंने उसे गले लगाया और पलटा दिया। अब मैं नीचे बेड पर लेटा हुआ था और आरोही मेरे ऊपर थी। अभी भी मेरा लंड उसकी चूत में था। मैं उसकी पीठ को सहलाने लगा। कुछ पलों बाद मुझे उसके शरीर में थोड़ी हरकत महसूस हुई और तभी वो मेरे कान में बोली,
आरोही : I Love You My Sweet Hubby!!
थोड़ी देर बाद मैं उसके दूधो को दबाने लगा और उसके होंठों को पीने लगा तो वो एक बार फिर जोश में आ गई। अब चूंकि वो मेरे ऊपर थी तो मैंने उसके चूतड़ों को पकड़ लिया और नीचे से धक्के लगाने लगा। वो भी मेरे धक्कों से तालमेल बनाकर उछलने लगी।
मैं : तू कितनी गरम है मेरी जान... मैं चोद चोदकर तेरी सारी गर्मी पिघला दूंगा।
आरोही : हां भईयू मैं आपसे सारा दिन चुदूंगी... और तेज़... और तेज़...
हम दोनो 15 मिनट तक इस खेल में डूबे रहे और फिर,
मैं : मैं आ रहा हूं मेरी रानी... बता कहां छोड़ूं... आह्ह्ह्ह...
आरोही : भर दो भईयू अपने प्यार को मेरे अंदर... भर दो... ओह्ह्ह्ह...
मैं अगले ही पल आरोही की चूत की गहराइयों में बह गया और अपना लावा उसके अंदर भरने लगा। आरोही भी झड़ गई और मेरे ऊपर गिर गई। उसका सर मेरे सीने पर था और मेरे हाथ उसके बालों में। मैने उसके गाल को चूमकर उसके कान में बस यही शब्द कहे,
मैं : I Love You Aarohi... I'll Always Love You...
और मैं और आरोही दोनो ही नींद की वादियों में खो गए।