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Adultery जब तक है जान

HalfbludPrince

मैं बादल हूं आवारा
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Behad umda update he HalfbludPrince Fauji Bhai,

Dev aur pista ne Raju ki lash dekh li...........dono ki hi fat ke chaar ho gayi...........

Lekin sawal ye he ki use mara kisne??? Jogan ne? Bua ya fir dev ki Maa ne??

Jogan ka kirdar bahi bhi mysterious hhi he............uska koi bhi past nahi he, na jane kaha se aayi he

Ab chaubare me kya dekh liya Dev ne???

Agli update ki pratiksha rahegi Bhai
Jogan ki life jaldi hi explore ki jayegi
 

Sagar sahab

New Member
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जैसा मैंने हमेशा से कहा है भाई कुछ रिश्ते हमेशा खास होते है. दुनिया चाहे उन रिश्तों को अच्छा माने या बुरे पर जिनके वो रिश्ते होते है जिनसे वो रिश्ते होते है वो लोग ही जानते हैं कि वो क्या जी गए. बेशक बरसो दूर रहे पर उनकी वो एक झलक ग़ज़ब कर जाती है. बेशक आपकी और मेरी कहानी एक सी है अक्सर मैंने कहा है की हम भाई है.
प्रीतम ने हमेशा मुझसे कहा है कि मैंने सिर्फ उससे ही प्यार किया है बाकी तो सब मेरा मोह है
सच कहा है उसने, प्यार तो केवल एक से ही होता है, बाकी सब मोह-माया है!
 

Ajju Landwalia

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#३३
मेरी निगाह बुआ पर बुआ की निगाह मुझ पर पड़ी, पर नजरो से जायदा मेरा ध्यान उस नजारे पर था .अफरातफरी में बुआ को समझ नहीं आया की वो क्या करे, सलवार को ऊपर करे तो चूची ढकने से रह जाये और ऊपर संभाले तो निचे का नजारा सामने आ जाये. बड़ी ही अजीब सी उलझन हो गयी थी हम दोनों के लिए. कायदे से मुझे नजरे नीची करके वहां से चले जाना चाहिए था पर मेरे मन के चोर ने ऐसा हरगिज नहीं किया. बुआ के हुस्न का नजारा लेते हुए मैं आगे बढ़ा और बुआ को अपने आगोश में भर लिया. वो कुछ नहीं कह पायी और मैंने बुआ के प्यासे होंठो को अपने तपते लबो से जोड़ लिया.


बेशक ये नीचता पूर्ण कार्य था पर फिर भी मुझे मजा बहुत आ रहा था बुआ के लबो को चूसने में . मेरे हाथ निचे गए और बुआ की नंगी गांड को मैंने कस कर दबाया. तड़पती जवानी की उफनती हसरते लिए बुआ का गर्म बदन मेरे आगोश में मचलने लगा था . नितम्बो के कपाट को हाथो से फैलाते हुए मैंने बुआ की गांड के छेद पर ऊँगली फिराई तो बुआ के मादक बदन ने झुरझुरी ली और वो भी लाज छोड़ कर मुझे चूमने लगी. पर इस से पहले की मामला कुछ आगे बढ़ पाता मेरे हाथ बुआ की चूत के बालो पर पहुंचे ही थे की तभी बाहर से कुछ आवाजे आने लगी तो हमारे उड़ते पर एक झटके में कतर कर धरती पर आ गिरे. मैंने आँगन में नजर मारी तो पाया लहू लुहान मुनीम बहनचोद पिताजी को पुकार रहा था .

दौड़ते हुए मैंने सीढिया उतरी और आँगन में पंहुचा .

“भाई जी, भाई जी ” कमजोर आवाज में बोला मुनीम

मैं- क्या हुआ मुनीम जी

“हमला ” इतना कहते ही मुनीम मेरी बाँहों में झूल गया . बहनचोद क्या ही चुतिया किस्मत थी कुछ देर पहले इन बाँहों में बुआ का गर्म बदन झूल रहा था और अब ये चुतिया मुनीम पर सोचने वाली बात थी की इसकी ये हालत कैसे हुई तभी पिताजी भी अपने कमरे से बाहर आ गए और मामले को तुरंत ही समझते हुए बोले - देव, गाडी निकाल


कुछ ही देर में जीप शहर की तरफ दौड़ी जा रही थी . मैंने जिन्दगी में पहली बार पिताजी के चेहरे पर चिंता की लकीरों को साफ़ साफ देखा. हॉस्पिटल पहुँचते ही मुनीम को भरती करवाया और मैं कुर्सी पर बैठ गया . पिताजी डॉक्टर लोगो से गहन चर्चा में दुबे थे . मालूम हुआ की मुनीम पर कई गहरे वार किये गए थे. हाल काफी ख़राब था मुनीम का . कुछ बोतल खून की चढ़ाई गयी , इलाज के लिए पिताजी ने आसमान एक कर दिया बहुत परेशां हो गए थे वो उस रात में , और साली रात भी बहुत लम्बी हो गयी . सुबह न जाने कितने बजे थे मेरी आँखों में नींद चढ़ी थी की डॉक्टर ने आकर बताया की जान तो बच गयी है पर हालात सुधरने में समय लगेगा.

“किसने किया हमला ” मैंने पिताजी से पुछा

पिताजी- तुझे फ़िक्र करने की जरुरत नहीं हम देख लेंगे इस मामले को

मैं आगे कुछ नहीं कह सका. पिताजी ने हमेशा के जैसे इस बार भी बात टाल दी पर ये साफ़ था की कोई तो दुश्मन पीछे पड़ा था . दोपहर होते होते मैं घर के लिए चल पड़ा जीप मैंने पिताजी के लिए छोड़ दी और अपने गाँव की बस पकड़ने के लिए चौराहे की तरफ चल दिया. पर आज शायद किस्मत को कुछ और मंजूर था. मुझे मेरी आँखों पर यकीन नहीं हो रहा था सामने से पिस्ता चली आ रही थी , इस समय पिस्ता शहर में .कहीं मेरी आँखों का धोखा तो नहीं था पर नहीं वो ही थी . मैंने उसे आवाज दी , वो भी मुझे देख कर हैरान हो गयी .

“तू यहाँ क्या कर रहा है ” आँखे चढाते हुए वो बोली

मैं- तू बता तू यहाँ क्या कर रही है वो

वो- मैं तो मुसाफिर हु यारा, कभी इधर कभी उधर . खैर, मूझे न कुछ सूट लेने थे थे तो आज शहर का रुख कर लिया. तू बता

मैं- आया था किसी काम से अब तू मिल गयी करार आ गया.

पिस्ता- उफ़ तेरी ये नशीली बाते, रुक जा खसम कही यही नाडा न खोल दू मैं

मैं- कमीनी कहीं की

पिस्ता - सोमसे खायेगा

मैं- नहीं तुझे खाऊंगा

पिस्ता- मैं तो तेरी ही हु राजा , आ समोसे खाते है

उसने मेरा हाथ पकड़ा और हम सामने दूकान की तरफ बढ़ गए. समोसा खाते हुए मैंने देखा की पिस्ता की नजर सामने दिवार पर लगे पोस्टर पर पड़ी सलमान और रवीना की फिल्म लगी थी मोहिनी थिएटर में .

“देखेगी क्या फिल्म छोरी ” मैंने छेड़ा उसे

पिस्ता- रहने दे यारा, वैसे ही बदनाम हु, किसी को मालूम हुआ तो गाँव में और हवा बनेगी.

मैं- बदनाम जिसके लिए हुई उसके साथ थोड़ी और बदनाम हो ले फिर

पिस्ता- सच में

मैं- और नहीं तो क्या

पिस्ता- चल फिर , ढाई वाला शो ही देखेंगे .

मैं- जो हुकुम मेरी सरकार .

जिन्दगी में पहला अनुभव था ये सिनेमा देखने का इस से पहले गाँव में विडिओ ही देखा था पर इतने बड़े परदे पर फिलम देखने का जो मजा आया और उस मजे से जायदा मजे की बात ये की पिस्ता का हाथ थामे हुए बैठा था , मेरी नजरे रवीना की तरफ कम था और पिस्ता की तरफ जायदा

“अब यूँ भी न देख मुझे यार, की तेरे सिवा और कुछ दिखे ही न मुझे फिर ” उसने मुझे कहा
मैं बस मुस्कुरा दिया. पर हम कहाँ जानते थे की ये ख़ुशी ठोड़ी देर की ही थी . सिनेमाहाल से निकल कर हम दोनों बस पकड़ने के लिए चलते जा रहे थे की तभी मेरी नजर सामने से आती जीप पर पड़ी और सारी ख़ुशी, सारी मस्ती गांड में घुस गयी ..............

Bahut hi badhiya update he HalfbludPrince Fauji Bhai,


Fir se ek baar aur apne Dev ki KLPD ho gayi............aag dono hi taraf barabar lagi huyi he..........fire brigade wala kaam bhi shuru ho gaya tha.........lekin munim aa gaya

Ab munim par hamla kisne kiya ???

Khasam.......Haryana, Rajastha aur UP ke kuch ilako me biwi apne pati ko kehti he.........lekin pista ke munh se sunkar swad aa gaya...........

Pista ke sath ghumte huye........ab baap ne pakad liya.............kismat me lode hi lage huye he apne dev ke...........

Keep rocking Bro
 

Tiger 786

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#३३
मेरी निगाह बुआ पर बुआ की निगाह मुझ पर पड़ी, पर नजरो से जायदा मेरा ध्यान उस नजारे पर था .अफरातफरी में बुआ को समझ नहीं आया की वो क्या करे, सलवार को ऊपर करे तो चूची ढकने से रह जाये और ऊपर संभाले तो निचे का नजारा सामने आ जाये. बड़ी ही अजीब सी उलझन हो गयी थी हम दोनों के लिए. कायदे से मुझे नजरे नीची करके वहां से चले जाना चाहिए था पर मेरे मन के चोर ने ऐसा हरगिज नहीं किया. बुआ के हुस्न का नजारा लेते हुए मैं आगे बढ़ा और बुआ को अपने आगोश में भर लिया. वो कुछ नहीं कह पायी और मैंने बुआ के प्यासे होंठो को अपने तपते लबो से जोड़ लिया.


बेशक ये नीचता पूर्ण कार्य था पर फिर भी मुझे मजा बहुत आ रहा था बुआ के लबो को चूसने में . मेरे हाथ निचे गए और बुआ की नंगी गांड को मैंने कस कर दबाया. तड़पती जवानी की उफनती हसरते लिए बुआ का गर्म बदन मेरे आगोश में मचलने लगा था . नितम्बो के कपाट को हाथो से फैलाते हुए मैंने बुआ की गांड के छेद पर ऊँगली फिराई तो बुआ के मादक बदन ने झुरझुरी ली और वो भी लाज छोड़ कर मुझे चूमने लगी. पर इस से पहले की मामला कुछ आगे बढ़ पाता मेरे हाथ बुआ की चूत के बालो पर पहुंचे ही थे की तभी बाहर से कुछ आवाजे आने लगी तो हमारे उड़ते पर एक झटके में कतर कर धरती पर आ गिरे. मैंने आँगन में नजर मारी तो पाया लहू लुहान मुनीम बहनचोद पिताजी को पुकार रहा था .

दौड़ते हुए मैंने सीढिया उतरी और आँगन में पंहुचा .

“भाई जी, भाई जी ” कमजोर आवाज में बोला मुनीम

मैं- क्या हुआ मुनीम जी

“हमला ” इतना कहते ही मुनीम मेरी बाँहों में झूल गया . बहनचोद क्या ही चुतिया किस्मत थी कुछ देर पहले इन बाँहों में बुआ का गर्म बदन झूल रहा था और अब ये चुतिया मुनीम पर सोचने वाली बात थी की इसकी ये हालत कैसे हुई तभी पिताजी भी अपने कमरे से बाहर आ गए और मामले को तुरंत ही समझते हुए बोले - देव, गाडी निकाल


कुछ ही देर में जीप शहर की तरफ दौड़ी जा रही थी . मैंने जिन्दगी में पहली बार पिताजी के चेहरे पर चिंता की लकीरों को साफ़ साफ देखा. हॉस्पिटल पहुँचते ही मुनीम को भरती करवाया और मैं कुर्सी पर बैठ गया . पिताजी डॉक्टर लोगो से गहन चर्चा में दुबे थे . मालूम हुआ की मुनीम पर कई गहरे वार किये गए थे. हाल काफी ख़राब था मुनीम का . कुछ बोतल खून की चढ़ाई गयी , इलाज के लिए पिताजी ने आसमान एक कर दिया बहुत परेशां हो गए थे वो उस रात में , और साली रात भी बहुत लम्बी हो गयी . सुबह न जाने कितने बजे थे मेरी आँखों में नींद चढ़ी थी की डॉक्टर ने आकर बताया की जान तो बच गयी है पर हालात सुधरने में समय लगेगा.

“किसने किया हमला ” मैंने पिताजी से पुछा

पिताजी- तुझे फ़िक्र करने की जरुरत नहीं हम देख लेंगे इस मामले को

मैं आगे कुछ नहीं कह सका. पिताजी ने हमेशा के जैसे इस बार भी बात टाल दी पर ये साफ़ था की कोई तो दुश्मन पीछे पड़ा था . दोपहर होते होते मैं घर के लिए चल पड़ा जीप मैंने पिताजी के लिए छोड़ दी और अपने गाँव की बस पकड़ने के लिए चौराहे की तरफ चल दिया. पर आज शायद किस्मत को कुछ और मंजूर था. मुझे मेरी आँखों पर यकीन नहीं हो रहा था सामने से पिस्ता चली आ रही थी , इस समय पिस्ता शहर में .कहीं मेरी आँखों का धोखा तो नहीं था पर नहीं वो ही थी . मैंने उसे आवाज दी , वो भी मुझे देख कर हैरान हो गयी .

“तू यहाँ क्या कर रहा है ” आँखे चढाते हुए वो बोली

मैं- तू बता तू यहाँ क्या कर रही है वो

वो- मैं तो मुसाफिर हु यारा, कभी इधर कभी उधर . खैर, मूझे न कुछ सूट लेने थे थे तो आज शहर का रुख कर लिया. तू बता

मैं- आया था किसी काम से अब तू मिल गयी करार आ गया.

पिस्ता- उफ़ तेरी ये नशीली बाते, रुक जा खसम कही यही नाडा न खोल दू मैं

मैं- कमीनी कहीं की

पिस्ता - सोमसे खायेगा

मैं- नहीं तुझे खाऊंगा

पिस्ता- मैं तो तेरी ही हु राजा , आ समोसे खाते है

उसने मेरा हाथ पकड़ा और हम सामने दूकान की तरफ बढ़ गए. समोसा खाते हुए मैंने देखा की पिस्ता की नजर सामने दिवार पर लगे पोस्टर पर पड़ी सलमान और रवीना की फिल्म लगी थी मोहिनी थिएटर में .

“देखेगी क्या फिल्म छोरी ” मैंने छेड़ा उसे

पिस्ता- रहने दे यारा, वैसे ही बदनाम हु, किसी को मालूम हुआ तो गाँव में और हवा बनेगी.

मैं- बदनाम जिसके लिए हुई उसके साथ थोड़ी और बदनाम हो ले फिर

पिस्ता- सच में

मैं- और नहीं तो क्या

पिस्ता- चल फिर , ढाई वाला शो ही देखेंगे .

मैं- जो हुकुम मेरी सरकार .

जिन्दगी में पहला अनुभव था ये सिनेमा देखने का इस से पहले गाँव में विडिओ ही देखा था पर इतने बड़े परदे पर फिलम देखने का जो मजा आया और उस मजे से जायदा मजे की बात ये की पिस्ता का हाथ थामे हुए बैठा था , मेरी नजरे रवीना की तरफ कम था और पिस्ता की तरफ जायदा

“अब यूँ भी न देख मुझे यार, की तेरे सिवा और कुछ दिखे ही न मुझे फिर ” उसने मुझे कहा
मैं बस मुस्कुरा दिया. पर हम कहाँ जानते थे की ये ख़ुशी ठोड़ी देर की ही थी . सिनेमाहाल से निकल कर हम दोनों बस पकड़ने के लिए चलते जा रहे थे की तभी मेरी नजर सामने से आती जीप पर पड़ी और सारी ख़ुशी, सारी मस्ती गांड में घुस गयी ..............
Awesome update
 

HalfbludPrince

मैं बादल हूं आवारा
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बहुत ही सुंदर लाजवाब और अद्भुत रमणिय अपडेट है भाई मजा आ गया
ये चौधरी का किसी से बहुत बडा पंगा लग रहा हैं
उसके आदमी राजू की किसी ने खाल उधेड कर मार डाला और इल्जाम पिस्ता पर लगे ये इंतजाम करने का पुरा कर दिया
ये जोगन कहा गयी थी ये पुछने पर उसने गोल मोल जवाब दे कर बात को टाल दिया
खैर देखते हैं आगे क्या होता है
अगले रोमांचकारी धमाकेदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
Chaudhary ka dhandha hi aisa hai ki kuch na kuch panga chalta hi rahega
 
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