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Adultery जय हो लॉकडाउन!!

Strange Love

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Sexcellent update. Aage dekhte hai kya hota hai. Aise hi double meaning wale kamuk dialogues include karo bhai...
 
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Rajizexy

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हम उत्तर प्रदेश के एक छोटे से शहर बस्ती के रहने वाले है, हमारा शहर एक आम छोटे शहर की तरह था न बहुत उन्नत न बहुत पिछड़ा। और हां एक और बात ये जो ऊपर उम्र लिखी है न वो इसलिए है क्योंकि गांव वगैरह में काफी कम उम्र में ही शादी हो जाती थी। जब मेरी मां की शादी हुई वो 18 साल की थी और पापा 20 के, मां 19 की थी जब मैं पैदा हुई। पापा और चाचा मिल कर एक कपड़ो की दुकान चलाते थे जो काफी अच्छी चलती थी। हमारी खेती भी थी जो सब लोग मिल कर देख लेते थे। खेती में इसलिए और भी आसानी होती थी क्योंकि मां और चाची दोनो का संबंध गांव से था सो वो लोग काफी हद तक खेती के विषय में सब कुछ जानती थी।
मेरी शादी को कुछ ४ साल हो चुके है खैर ये कहानी या यूं कहे की ये घटना मेरे भाई के साथ हुई थी सो आगे की कहानी रवि की जबानी जो की उसने मुझे बताई थी और फिर मैं भी हो गई उसमें शामिल।
Dear writer , please tell about you, whether you are a girl or boy, story se to aap girl lagti hain.Please don't mind,a question from your story reader
 

Sanju@

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अब आप लोग मेरी हालत का अंदाजा लगाइए मेरे सामने घर में तीन तीन मस्त गदराई हुई औरतें थी जिनके बारे में मुझे पता था की उन्होंने साड़ी के नीचे पेटीकोट नही पहना है और चड्डी और ब्रा पहनने का तो कोई रिवाज ही नही था। मेरी हालत ऐसी थी की लन्ड फटने को उतारू था और मैं कुछ कर भी नही सकता था। मैने सोचा की ठंडे पानी से नहा लूं शायद मेरी ठरक कुछ काम हो जाए सो मैं गया अपने कमरे में अपने बैग से अपना एक लोअर टी शर्ट निकाली और पोछने वाला गमछा लेकर चला आया कुएं पर, मां को आवाज दी की में जा रहा हु नहाने। मैने अपने कपड़े उतारे और चड्डी पहन कर नहाने लगा। नहाने के बाद मैने अपने कपड़े पहने और पुराने कपड़े धुल कर फैला दिए। जब मैं कपड़े फैला रहा था तो मां ने पूछा की क्या रे रवि तू अपने कपड़े लाया है क्या ? मैने बोला हां मां तीन जोड़ी लोअर और टी शर्ट लेकर आया हु, वो अच्छा बोलकर चली गई। मैं नहाकर बाहर आंगन मे ही बैठकर अपने मोबाइल पर खेलने लगा तब तीनो औरतें बाहर आ गई और वही जमीन पर चटाई बिछाकर बात करने लगी। मां - पता नही कैसे कटेंगे ये २१ दिन, अगर पता होता तो हम आते ही नही और तो और हम बेवकूफ अपने कपड़े तक लेकर नही आए। चाची - हां भाभी, मेरी तो साड़ी और ब्लाउज बदबू मार रही है लगता है। बड़ी परेशानी वाली बात है, अगर एक बार को हम औरतें ही होती तो कोई बात नही थी मगर ये रवि भी है साथ क्या बताए ( गांव देहात के लोग आपस में शहर वालो से ज्यादा खुले होते है सो इस तरह की बातें एक दम नॉर्मल थी) मामी - अरे तो क्या हुआ दीदी ये रवि कोई पराया तो है नही हमारा ही बच्चा है इससे क्या फालतू की शर्म करना अगर हम लोग थोड़ा ऐसे वैसे कपड़ो में भी रहे तो कौन सी दिक्कत है। मां - उर्मिला, बोल तो तुम ठीक रही हो, लेकिन फिर भी अब हम लोग नंगे तो रह नही सकते इसके सामने। ये बात सुन सुन कर मेरा कान गरम होता जा रहा था और लन्ड खड़ा, मैं लगा कल्पना करने की मामी, चाची और मां एक साथ नंगी कैसी लगेगी। लेकिन मेरे अंदर का कीड़ा जो था मेरी तरह तरह की इच्छाओं का जो मैं सेक्स कहानियों में पढ़ता आया था लगा वो मुझे काटने मेरा दिमाग ओवरटाइम पर काम करने लगा और इनकी बातों के बीच में मैं बोल पड़ा मैं - आप लोग ऐसा क्यों नहीं करती की मैं जो कपड़े लाया हूं आप लोग भी वही पहन लिया करो !! मेरे ये बोलते ही तीनो चुप हो गई और मेरी तरफ देखने लगी मैंने सोचा यार क्या बोल दिया कही तीनो मिल के पेल ना दे। मामी - अच्छा क्या लाया है तू औरतों के कपड़े लेकर चलता है क्या तू अब? मैं - नही मामी, मेरा मतलब था की मेरे बैग में मैं अपना लोअर वगैरह लाया हूं अगर आप लोगो को ठीक लगे तो आप लोग वो पहन सकती है। बोल तो मैं ऐसे रहा था की जैसे में इनके ऊपर एहसान कर रहा हु मगर सच तो ये था की मैं दिमाग से नही अपने लन्ड से सोच रहा था और इन तीनों की अपने कपड़े में कल्पना कर रहा था। चाची - आज तक हम लोगो ने कभी साड़ी के अलावा कुछ पहना नही है यहां तक की सलवार कुर्ता भी नही अब अचानक कैसे तेरे कपड़े पहन लें? मां - और एक बार के लिए मान लो हम पहनना भी चाहे तो तेरे कपड़े हमें अटेंगे नही हमारा शरीर भारी है तुमसे बेटा, कुछ और सोचना पड़ेगा। मुझे मेरे खड़े लन्ड पे धोखा मिलता दिख रहा था, लेकिन तभी मामी - वैसे भाभी एक बात है कोई आने वाला है नही यहां और न हम लोग कही जाने वाले है तो एक बार पहन के देख तो सकते ही है अगर सही लगा तो सही है वरना करेंगे कोई और उपाय, क्या बोलती हो ? मैं - मां, साइज की बात नही है क्योंकि एक बात तो ये की मेरे लोअर वगैरह वैसे भी ढीले होते है दूसरा वो जरूरत के हिसाब से खींच भी जाते है। कुछ देर तो किसी ने कुछ नही बोला, फिर चाची बोली चाची - जा रवि लेकर आ जरा अपना बैग देखे क्या क्या कपड़े लाया है तू। मैं - चाची एक लोअर टी शर्ट सामने सूख रहा है एक मैने पहना हुआ है, बचे होंगे दो जोड़ी और बैग में कहो तो ले आऊं। चाची - जा ले आ देखे क्या है। मैं चला गया अपने बैग से कपड़े लाने जब मैने बैग खोला और कपड़े निकाले तो उसमे मेरी दो कॉटन की हाफ टी शर्ट थी एक सफेद और एक हल्की पीली और दो कॉटन वाले पजामे थे। मैं ले गया उसे उन लोगो के पास । तीनों ने देखा और बोला की चलो कल देखते है नहाने के बाद। उसके बाद मैं निकल गया वही झील की तरफ और वही पेड़ के नीचे लेट कर ये सोचते हुए की मेरी तीनो गदरायी माल कैसी लगेगी कपड़ो में मैने चपक के मुठ मारी और सो गया वही पेड़ के नीचे। शाम को चाची के आकर हिलाने पर मेरी नींद खुली और थोड़ी देर वो भी वही बैठ कर मुझसे बतियाने लगी फिर चल दिए हम लोग घर की तरफ। मेरे आगे आगे चाची चल रही थी उनकी साड़ी से झांकती हुई गाड़ देखकर मेरा लन्ड बौराया जा रहा था, किसी तरह मैने उसे पजामे में ठीक किया और पहुंच गए हम लोग घर। वहा आंगन में बैठकर हम लोगो ने गप-सड़ाका किया फिर उन लोगो ने खाना गरम किया और हम लोग सोने की तैयारी करने लगे। तीनों औरतें एक कमरे में सोने चली गई और मैं एक कमरे में। अब मैं दिन में भी सो चुका था और बाकी टाइम ऐसे ही पड़ा था इसलिए नींद आ नही रही थी तो उठ कर टहलने लगा टहलते हुए जब मैं मां लोगो के कमरे के बाहर पहुंचा तो लाइट तो बंद थी मगर तीनो बातें कर रही थी मां - कम्मो (मां चाची को कम्मो बुलाती थी और मामी को उर्मी) कैसे कटेंगे रि ये २१ दिन? चाची - कट जाएंगे भाभी जैसे तैसे थोड़ी तकलीफ होगी जरूर लेकिन कट जाएंगे क्यों उर्मिला? मामी - हां भाभी तकलीफ तो होगी ही। ये बोलकर मामी खी-खियाने लगी। मां - बड़ी हंसी आ रही है दुष्ट, क्या करोगी तुम दोनो ये २१ दिन? मैने देखा है कैसे चिपकी रहती हो अपने पतियों से तुम दोनो। चाची - हां भाभी, हम ही चिपके रहते है आप तो दूर भागती है ना जैसे। ये सुनकर मां शर्मा कर बोली चुप पगलिया। मामी - हां भाभी, कुछ भी कहो मैं तो कम से कम हफ्ते में ४ बार इनके बिस्तर पर सोती हूं नही तो बड़ी बेचैनी होने लगती है। चाची - मैं भी ३ बार तो जरूर सोती हूं इनके बिस्तर पर । मां - अरे बड़ी बेशरम हो गई हो तुम दोनो कुछ लिहाज है या नही। मामी - काहे दीदी, सीमा और रवि हवा से आ गए क्या? और हम तीनो के अलावा यह और है कौन? सही सही बताओ आप कितनी बार सोती हो जीजा के बिस्तर पर? मैं तो लगा मुठ मारने ये सब सुन कर की क्या गजब रंडापे वाली बातें हो रही है मैं जबरदस्ती गांड़ मराने शहर गया असली जिंदगी तो यहां है। मां - धत्त पगली, ये भी कोई बताने की चीज है क्या? चाची - अब बता भी दो भाभी हमसे क्या शर्माना। मामी - हां दीदी बताओ ना । मां - सच बताऊं तो बात ये है की उनका जब मन होता है तब बुला लेते है कभी कभी तो दिन में दो बार भी हो जाता है। मामी - हाय राम, दीदी मैं तो सोचती थी जीजा बड़े सीधे सादे है लेकिन आप दोनो तो बहुत तेज निकले। चाची - मुझे तो पहले से ही लगता था, मगर आज पक्का हो गया। मामी - मुझे तो अब गर्मी लग रही है रुको जरा अपना ब्लाउज उतार दूं। मामी और चाची ने बोला हां री हम लोग भी उतार दें गर्मी हो ही गई है। अंधेरा होने की वजह से मुझे कुछ दिखा नही लेकिन इतना सुनना काफी था मेरे लिए मैने कायदे से मुठ मारी रात में और सोच कर लेटा की इनके उठने से पहले उठना है एक बार। कमरे में आकर जल्दी से मैने अलार्म लगाया सुबह ५ बजे का और सो गया। सुबह जब जैसे ही मेरी आंख खुली मैं अपने कमरे से धीरे से निकला और उन लोगो के कमरे की तरफ चल पड़ा मेरा दिल इतनी जोर से धड़क रहा था की उसकी आवाज आ रही थी मेरे कान में। जैसा की मैने की मैने पहले ही बताया था की किसी भी कमरे की खिड़की में शीशा नही था सो अंदर झांकना ज्यादा मुश्किल नहीं था मैं बस इंतजार में था की हल्का उजाला हो जाए और वो भी हो ही गया थोड़ी देर में जैसे ही मैंने अंदर झांका क्या बताऊं बाप रे मेरा सारा खून सूख गया एक बार को कुछ सेकंड लगे मुझे वापस होश में आने में तीनो औरतें बेसुध सो रही थी। किसी की भी चूची ढकी नही थी साड़ी सबकी लगभग खुली थी मामी की चिकनी टांगें पूरी की पूरी गांड़ तक खुली हुई थी वो उल्टी पड़ी थी बिस्तर पर पेट के बल चाची की दोनो टांगे एकदम चिकनी दूध जैसी गोरी मोटी मोटी जांघें उसमें झांकते उनके झांटों के बाल, मां लगभग पूरी नंगी पड़ी थी उसकी मोटी चूचियां, केले के तने के जैसी चिकनी गोरी जांघें, उनकी जड़ों पर उगे हुए झांटों के बाल ऐसे लग रहे थे जैसे की नजर न लगने के लिए काला टीका लगा हो। तीनों औरतों के बगल में भी भरपूर बाल उगे हुए थे।

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मैं तो ये देखकर लगभग खो ही गया मेरा लन्ड बस फटा नही मैने तुरंत अपना पजामा उतारा और लगा लन्ड हिलाने । जो मैं महसूस कर रहा था उसे शब्दों में लिख पाना लगभग असम्भव है। मैने मुठ मारी कायदे से फिर अपना पानी वहा जमीन से पोंछा और तभी मुझे हल्की हलचल सी सुनाई दी अंदर कमरे में तो मैं निकल लिया वापस अपने कमरे के अंदर और जा कर बिस्तर पर लेट गया मेरा दिमाग जैसे सुन्न पड़ गया था मुठ मारने के बाद भी लन्ड बैठने का नाम ही नहीं ले रहा था मुझे सिर्फ वो तीनो नंगी ही दिखाई दे रही थी उनको सोचते सोचते मैं फिर पता नही कब सो गया।
Very hot update
 
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Pardhan

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मैं एक शादीशुदा लड़की हूं और ये यहा पर मेरी पहली कहानी या कहे मेरे जीवन का एक अंश है। कृपया आप लोग बताए की स्टोरी के साथ फोटो डालू या नहीं।।
Great writer great story ji
 
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