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Incest जरूरत है प्यार की

Game888

Hum hai rahi pyar ke
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#1


दूर कही गाव मे एक माँ अपने बेटे को उठा रही है।

माँ: बेटा ओ बेटा उठ जा कितनी देर तक सोयेगा।

बेटा: सोने दो ना माँ।

माँ: बेटा भूल गया क्या आज तेरी शादि है आज के दिन भी भला कोई सोता है । आज के दिन का इंतज़ार सभी लड़को को बेसब्री से होता है, और तो है की सो रहा है चल उठ जल्दी से। टट्टी मैदान जा, मुखारि कर, खूब साबुन लगाके नहा, नये नये कपड़े पहनकर तैयार होजा। तेरे लिए प्यारी सी दुल्हनिया लेके आएँगे आज हम जो तेरे खूब सेवा करेगी, तेरा खूब खयाल रखेगी और तेरे को सुधार देगी अब तो मेरी बात नही मानता है ना।
उठ जा मेरा राजा बेटा।

बेटा: मुझे नही करनी शादी वादी। मुझे सोने दो बस।

माँ: कैसे नही करनी शादी। शादी नही करेगा तो बाल बच्चे नही होंगे और बाल बच्चे नही होंगे तो पीढी आगे कैसे बढ़ेगी।
सब लड़के मरते है शादी करने के लिए और एक तो है जिसे शादी ही नही करनी ।

बेटा: मै जनता हु की सब लड़के किस चीज के लिए शादी करना चाहते है । और शादी भी उस लड़की से जो मेरे से पाच साल बड़ी है । अम्मा दिखती होगी उपर से काली भी है । पिताजी को पुरे देश मे और कोई नही मिली जो इसी को मेरे गले बाँधना था । उस कल्लू को देख लो कितनी सुंदर बीवी मिली है उसे ।

माँ: इस तरह नही कहते बेटा, लड़की का चरित्र और उसके संस्कार देखे जाते है उसकी सुंदरता नही । बहुत सुंदर लड़की है पर उसके अंदर संस्कार नही है तो क्या फायेदा। शादी तो करलेगा सुंदरता के कारण, पर उसके अंदर ना लाज होगी ना सरम । ना वो तेरी इज्जत करेगी ना तेरे माता पिता की । और मुझे ही देख ले मै भी तो काली हु पर तेरे बाबूजी मुझसे शादी किये ना ।

बेटा: पर माँ एक लड़की के अंदर दोनो तो हो सकते है ना ।

माँ: बेटा हमारी औकात उतनी नही है की अच्छे घर मे तेरी शादी कर सके इसीलिए इतनी दूर कर रहे है । तेरे बाबूजी गाड़ी चलाके हम लोगो का किसी तरह पेट भर ते है । पता नही मै और तेरे बाबूजी कब चल बसस..

बेटा अपनी माँ के मुह के ऊपर हाथ रख कर कहता है की

बेटा: नही माँ ऐसा ना कहो मै आप लोग के बिना मर जाऊंगा आप लोग के बिना नही रह पाऊंगा ।

माँ: इसलिए तो शादी करहि हु जाने तेरी आदत पड़ जाये।
अब मै भी थक गयी हु खाना बनाते बनाते । बहौरीया आयेगी तो वही खाना बनाके देगी ।

बेटा: पर माँ....

एक अजीब सी खामोसी होती है ।
इस अजीब खामोसी को तोड़ते हुए उसकी माँ बोलती है....

माँ: बेटा आज तक मैने कभी भी तेरे से कुछ भी नही माँगा, एक ग्लास पानी तक नही लेकिन आज तेरे से कुछ मांगती हु (एक आस के साथ अपने बेटे को देखते हुए) तू चाहे तो मना भी करदेना मै तुझे कुछ भी नही कहुंगी (अपने हाथों को जोड़ते हुए बोलती है) बेटा ये शादी करले अपने लिये ना सही मेरे लिए करले मेरी ये इच्छा पूरी करदे बेटा ।

कुछ देर सांत रहने के बाद बेटा बोल ता है

बेटा: ठीक है माँ अगर तेरी यही इच्छा है तो मै तेरी ये इच्छा जरूर पूरी करूँगा। मै ये शादी करने के लिए तैयार हु । मै ये शादी करूँगा । अब तो खुश ना, चल जल्दी से हस अब ।

ये सुनते ही माँ की आँखो मे आँसू आगये और उसने अपने बेटे को गले से लगा लिया

माँ: बेटा अब देर ना कर जा जल्दी से मैदान मुखारि करके नहा धो कर तैयार होजा । तेरे बाबूजी आते ही होंगे ।

तभी बाहर से आवाज आती है की अरे वो उठा की नही सो तो नही रहा है अभी तक ।

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आईये आप सभी का परिचाये करवाता हु:

बेटा: राजू हमारे कहानी का मुख्य पात्र। 18 साल का सुंदर लड़का पतला-दुबला लंबाई न जादा न कम। अपने माता पिता के कारण बहुत ही संस्कारी और बहौत ही प्रतिभासाली । अभी अभी जवानी मे कदम रख ने के कारण लंबाई के साथ साथ बहौत कुछ लंबा होगया है इसका। लम्बे काले बाल, चेहरे पर मुछ का नमो निशान नही । कुल मिला कर जवान लड़का पर दिखने ने बच्चा।

माँ: गुलाब कली अपने नाम के तरह ही सुंदर और संस्कारी। अपने लड़के को अपनी जान से जादा प्यार करती है। ये कुछ 60 वर्ष की होंगी और बुड्ढ़ापे के कारण दिनों दिन बीमार होती चली जा रही है।

आवाज़: ये आवाज़ राजू के पिताजी कमलेश की थी जो 62 वर्ष के होंगे। ये भी बुड्ढापे मे कदम रख चुके है और इनकी दिली इच्छा है की बेटे की शादी करके उसको ज़िमेदरिया देके घर बार छोड़ के सन्यास लेले और भगवान की सेवा मे प्राण गवा दे ।

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कहानी चालू:

राजू अपने दीन दायिक कामो को करके आ चुका था और मुह मे मुखारि भर कर आंगन मे लगे हैंडपंप को चला रहा था । राजू के पिता जी उसी हैंडपम्प से निकल रहे पानी से नहा रहे थे। पिताजी के नहाने के बाद राजू भी जल्दी से नहा लिया। राजू के नहा लेने के बाद उसकी माँ गुलाब काली उसके लिये नये कपड़े (कुर्ता पायजामा) राजू को पहनने के लिये दिये। राजू जो की पतला दुबला था उसके हिसाब से कुर्ता बहुत डिला दिख रहा था पर सुंदर लग रहा था। कुर्ता पायजामा पहन लेने के बाद राजू ने जब पैर मे अपनी नई चप्पल डाली तो उसकी माँ गुलाब कली ने उसे रोकते हुए कहा

गुलाब कली : रुक जा बेटा पहले रंगना लगा ले फिर चप्पल पहन। रंगना लगाना शुभ होता है ।

गुलाब कली ने बहौत प्यार से राजू के पैरो मे रंगना लगाया और रंगना के सूख जाने के बाद राजू ने अपनी चप्पल पहनी और तैयार होगया। गुलाब कली के आँखो मे ख़ुशी के आशु आगये और उसने राजू को गले लगाते हुए बोली

गुलाब कली : न जाने तु कब बड़ा हो गया। कितना सुंदर लग रहा है किसी की नज़र ना लगे।

इतना कहते ही अपने आँखो के काजल को निकालते हुए राजू के कान के नीचे टिका लगा दिया। तैयार होजाने के बाद राजू और राजू के पिता जी शादी के लिए रवाना हुए।

राजू और राजू का परिवार छोटे से बिलास जिले के छोटे से गरीब गाव बिलासपुर के रहने वाले थे । राजू के पिता जी गाड़ी (टांगा) चला कर अपना और अपने परिवार का पेट भरते थे । एसा नही था की राजू के पिताजी के पास जमीन नही थी, हा जादा नही पर एक बीघा जमीन थी। जोकि राजू के पिता जी का किसानी मे मन नही लगता था तो उन्होंने गाड़ी चलना सुरु करदिया। राजू के पिता ये नही चाहते थे की राजू भी गाड़ी चलाये बल्कि वो तो ये चाहते थे की राजू किसानी करे। वो ये अच्छी तरह से जानते थे की किसानी मे जादा मुनाफा है।

राजू की शादी 40 km दुर लाहाति नामक गाव मे तय की गयी थी । इस गाव का नाम लाहाति ही क्यु पड़ा इसे पीछे एक कारण है हर बार इस गाव की नदी यहा के किशानो के खेती को लहा देती है। लहा देने से मतलब है की पानी की कमी नही होने देती। इसी कारण इस गाव का नाम लाहाति पड़ा ।

इसी छोटे से गरीब गाव मे एक छोटा गरीब परिवार रहता था जिसमे एक औरत, एक आदमी और दो लड़किया रहती थी।

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आईये आप का परीचेये करवाता हु:

रतन लाल: एक 50 वर्ष का ठरकी बुड्ढा। जो ना तो दिखने मे सुंदर था और ना ही चरित्र मे। 50 वर्ष की आयु मे ही बुड्ढापआ इतना ज्यादा था की क्या कहना। लेकिन जोश कम नही था ठरक एसी की हर कुवारी और जवान लड़की को चोदना चाहते थे। हर दूसरी औरत को देख के अपना लन्ड मसल देते थे। एसी बात नही थी की इनके पास बीवी नही थी पर ये उसको चोदते चोदते थक गये थे और नही चोदना चाहते थे। और चोदते भी कैसे लन्ड ने जो जवाब देदिया था। लन्ड खड़ा होते ही झर जाता था।

कमलावती : अपने नाम की ही तरह कलाकार। 45 वर्ष की ये औरत बहौत ही सुंदर और बहौत ही चुदासी महिला है। बड़ी चूची भरा बदन और मस्त बड़ी गोल गांड। अपनी जवानी की दहेलिस् को पार कर चुकी पर अपनी चूत की आग को सांत नही कर पायी। और करती भी कैसे इसका पति रतन लाल था बड़ा माधरचोद साले का लन्ड खड़ा ही नही होता अब। पर कमलावती को हमेसा से ही लंबा और मोटा लन्ड पसंद था लेकिन किस्मत एसी की 5 इंच का छोटा लन्ड मिला। हर रात को अपने पति को चोदने के लिये विवस तो करती है पर आख़िर मे खुद अपनी चूत मे उँगली करके सो जाती है।

रानी: 23 वर्ष की एक बहौत ही सुशील और चरित्र वान लड़की। लंबाई न जादा न कम पर बदन मानो कयामत। बहौत ज्यादा ना मोटी न पतली हर जगह से बिल्कुल सही। काले लम्बे घने बल, बड़ी बडी आँखे, लाल गुलाब की तरह होठ, प्यारी सी कमर। सीने के उभार की बात करे तो क्या कहने। इतनी बड़ी और प्यारी चुचियाँ सायद ही पुरे गाव मे किसी के पास हो। माफ करियेगा इतने बड़ी और मस्त चुचियो को चुचे कहना सही होगा। अगर इनको घोड़ी बना दिया जाये तो इनके चुचे इस तरह लटकते होंगे मानो कोई दुधारू गाय का बड़ा थन लटक रहा हो। इससे भी ज्यादा कयामत इनके पीछे वाले हिस्से से होती है। दो बड़े बड़े मस्त एकदम गोल चूतर आह्ह् मजा आगया। इतने बड़ी गांड की मानो तरबुज रखा हो। कोई भी इनको देख के ये नही कह सकता था की ये कुवारी है यानी इस 23 साल की गदराइ होने के बावजूद चुदी नही है। इस की शरीर की बनावट के कारण सब यही सोचते होंगे की ये न जाने कितनो से चुदी होगी। इतना ही कहना होगा की भगवान ने बड़ी फुर्सत से बनाया होगा इनको। दुख इस बात का है की सब कुछ इतना प्यारा मिला पर भगवान ने रंग काला (सवला) देदिया जोकि इनकी शादी होने मे रोड़ा बन रही थी। पर अब किस्मत खुलने वाली थी ।

छोटी: दूसरी लड़की रानी की छोटी बहन । ये अपनी बहन से कुछ आठ साल छोटी होगी लेकिन बहुत ही चंचल और बहौत तेज पर बहुत प्यारी। इसके बारे मे आगे जानेंगे ।

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आप लोग ये समझ रहे होंगे की ये दोनो लड़किया रानी और छोटी रतन लाल और कमलावती की बेटिया है। नही नही बिल्कुल भी नही ये दोनो इनकी भतीजीया है। हा अपने सही समझा ये दोनो लड़किया रानी और छोटी इनके पास इनके घर मे रहती है। परंतु सवाल ये उठ ता है की इनके माता पिता कहा है? ये दोनो लड़किया रानी और छोटी बिन माँ बाप की है यानी अनाथ है।

रतन लाल और कमलावती की कोई संतान नहीं थी। लेकिन उनके घर मे दो लड़किया जोकि उनकी बेटी की उमर की थी।

माँ बाप के न रहने का दुःख तो होता ही है पर ये दुख दूर हो जाता है जब परिवार वाले अपना समझ कर अपनी बेटी अपना बेटा समझ कर पालन पोसन् करे तो । परंतु ये दुख और भी ज्यादा हो जाता है जब परिवार वाले उनको अपने घर मे अपने पास तो रखते है पर सिर्फ और सिर्फ नौकर की तरह। उनको खाने के लिए खाना तो देते है पर उससे ज्यादा घर का काम करवाते है ।

जी हा आप सही समझ रहे है रानी और छोटी का भी वही हाल है। उनके लिए वो घर नही बल्कि एक जेल है जहा उनके काका और काकी (रतन लाल और कमलावती) जेलर है जो सारा दिन उनसे काम करवाते है और गलती या बहस करने पर उनको पिटते है। कमलावती घर का एक भी काम नही करती थी सारा का सारा काम इन्ही दोनो लड़कियो (रानी और छोटी) को करना पड़ता था। अगर कमलावती का बस चलता तो हगने के बाद उन्ही दोनो से अपनी गांड धुलवाती । जैसे जैसे दोनो लड़किया बड़ी हो रही थी इधर कमलावती मन ही मन बहुत चिड़ती थी उनसे क्युकी वो ज्यादा सुंदर होती जा रही थी। कमलावती अपना गुस्सा निकालने के लिए रानी को ताना मारती थी की वो काली है और उससे कोई शादी नही करेगा ।

शादी ही एक उपाय था उस जेल जैसे घर से बहार आने का। परंतु जब कमलावती रानी को ताना मारती थी की वो काली है और उससे कोई शादी नही करेगा तो रानी बहुत ज्यादा दुखी हो जाती थी और रोने लगती थी। उसे इस जेल से बस निकालना था।

पर अब उसकी किस्मत खुल गयी थी क्युकी राजू का रिश्ता आगया था। न जाने कैसे काका और काकी दोनो लोग इस शादी के लिए मान गये थे l लेकिन काका ने ये बात साफ तोऔर पर राजू के पिताजी ( कमलेश) से कह दी थी की ये शादी बहुत ही सांति से मंदिर मे होगी और वो एक भुटि-कोडडी नही देंगे दहेज मे। जोकि राजू का परिवार भी गरीब था उनके पास पैसे नही थे की राजू की शादी धूम धाम से करसके इसलिए राजू के पिता जी काका (रतन लाल) की कही बातो को आसानी से मान लिए।
ये बात तो तैय थी की काकी( कमलावती) राजू को नही देखी थी नही तो इतने सुंदर लड़के से रानी की शादी कभी नही होने देती। वो तो हमेसा से चाहती थी की इन लड़कियो को बेकर से बेकर घर मिले। सिर्फ काकी ही नही काका भी राजू को नही देखे थे वो तो यही सोचे थे की कोई आवारा, लफंगा और सरबी होगा जो उनके हिसाब से बहुत ज्यादा अच्छा था रानी के लिए।
किस्मत से राजू के पिताजी (कमलेश) रानी से मिल चुके थे हुआ यू था की राजू के पिताजी जब शादी की बात करने रतन लाल के घर पहुँचे तो रतन लाल घर पर थे नही। गाव मे जब कोई घर मे आता है तो पानी पिलाने का रिवाज होता है। और किस्मत से पानी लेकर रानी ही राजू के पिताजी के पास आई थी। राजू के पिताजी रानी के संस्कार और चरित्र देख कर मन मे ही ये ठान लिए की अपने बेटे की शादी इसी लड़की से करेगे। और हुआ भी यही की राजू की शादी रानी से तय हो गयी।

घर मे दोनो लड़कियो रानी और छोटी को बड़ी मुश्किल से खाने को मिलता था, रहने और पहनने की तो बात छोड़ो। उसी घर मे रहने को एक छोटी सी गंदी अटारी थी जिसमे ये दोनो बहने जमीन पे चादर डाल के सोती थी। कमलावती जितनी ही सुंदर और चुदासी औरत थी उससे ज्यादा हरामी कुतिया औरत भी थी। उसने दोनो बहनो से ये साफ तोऔर पर कह दिया था की मेरे सोने के बाद सोगी और मेरे जागने से पहले जगोगी और जिस दिन एसा नही होता था उस दिन दोनो बहनो की जम कर पिटाई होती थी। दोनो बहनो को अपनी काकी कमलावती के फटे पुराने कपड़े पहनने पड़ते थे। छोटी जो अभी उमर मे छोटी थी उसे उतना दिक्कत नही होती थी पुराने कपड़े पहनने मे परंतु रानी जिसका बदन जवानी से ज्यादा भर गया था उसको बहुत परेसानी होती थी। अपने बड़ी चुचियो को अपने सीने पर संभलना कोई छोटी बात थोड़ी थी उपर से जब हर जगह से फटा ब्लाउस हो। ब्लाउस भी एसा की कही पर कखाउरी के बाल दिखते थे तो कही पर चूची की लकीर आराम से देखने को मिलजाति। चुकी कमलावती की चुचियाँ रानी के अंतर मे कम थी तो उसको ब्लाउस भी छोटा लगता था पर रानी को कमलावती के छोटे फटे ब्लाउस मे ही किसी तरह अपनी चुचियो को कैद करना पड़ता था जो की ना मुमकिन सा लगता था। बेचारी रानी को बहुत दिक्कत होती थी अपनी चूची को उस छोटे से ब्लाउस मे बंद करने मे मानो चूची उस ब्लाउस के अंदर बंद नही होना चाहती हो। चूची तो मानो खुले सीने पर मस्त लहराना चाहती हो और अपना सुंदर बड़ा आकर दिखाना चाहती हो। मगर रानी को ये मंजूर नही था वो इन बड़ी और गोल चुचियो को अपने पति के सिवा किसी और को दिखती फिरे इसलिए वो चुचियो को ब्लाउस के अंदर ही रखती थी ।

रानी की जवानी कमलावती के ही नजरो मे बस नही चढ़ी थी बल्कि कमलावती के पति रतन लाल के आँखो मे खूब चढ़ी थी। बुड्ढे की ठरक एसी की मानो आँखो से ही मा चोदेंगे। रतन लाल की आँखो से रानी की चुचियाँ भी नही बच पाई, बुड्ढा रानी को चुदासी नजरो से देखता था हमेसा रानी की चूची की लकीर को देखने के फिराक मे रहता था मानो चूची को मुह मे भर कर बस चूसने लगेगा। रानी ये बात भालीभति जानती थी की उसका बुड्ढा काका उसकी जवानी को चखने के फिराक मे है इसीलिए रानी अपने आप को बहुत बचाती फिरती थी। मगर बुड्ढा कुछ न कुछ तरकीब निकाल ही लेता था अपनी आँखो को सेकने के लिए। जब कभी रानी घर मे झाड़ू-पोछा करहि होती थी तो बुड्ढा काका जवान रानी को ही देख रहा होता रानी के बड़े बड़े चूतरो को पेटिकोट् भी न संभाल पाता और अपना जलवा दिखाते हुए रतन लाल को अपनी ओर खिचता। ये हाल सिर्फ रतन लाल का ही नही था बल्कि पुरे लाहाती गाव के आदमियो का था। गाव के बच्चे, जवान और बुड्ढे रानी के गांड के दीवाने थे रानी के चूतरो के दर्शन करने केलिए लोग उसके घर के आस पास मंडरते रहते थे जिस कारण कमलावती रानी को और नही पसंद करती थी।

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👉 आगे क्या होगा पता नही। क्या राजू रानी को पसंद करेगा? क्या उसे अपनी पत्नी मनेगा? या सिर्फ और सिर्फ अपने माँ के लिए रानी से शादी करेगा।

आगे जानने के लिए मेरे साथ जुड़े रहे और पढ़ते रहे इस कहानी को।

मुझे स्पोर्ट करिये कहानी को like👍 , comments करिये और मजे लेकर कहानी को पढ़ते रहिये😘😘

आप सभी का बहुत बहुत ध्यनवाद मेरी इस कहानी को पढ़ने और प्यार देने के लिए ❤
Behtareen shuruwat hai kahani ka funtastic :triumph::applause::applause::applause:
 

Game888

Hum hai rahi pyar ke
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#4

अभी तक:

रानी अपनी फटी साड़ी जो उसने पहन रखी थी उसको उतारी और वही जमीन पर रख दिया और अपने फटे ब्लाउस को खोलने लगी। अपनी दीदी को कपड़े उतारते हुए छोटी बड़े ध्यान से देख रही थी। रानी ने अभी फटे ब्लाउस के दी बटन ही खोले थे की तभी उसकी बड़ी चुचियाँ अपने आप बाहर उछल पड़ी मानो कैद से आजाद होगयी हो। फिर भी रानी फटे ब्लाउस को अपने शरीर से अलग करके जमीन पे रख देती है। मगर तभी छोटी जोकि इस दृश्य को बड़े ध्यान से देख रही थी आगे चलकर रानी के पास पहुँच कर बोलती है..

छोटी: (सीने पर लटकती चुचियों को देखते हुए) दीदी

रानी: हा बोल?

छोटी: (दीदी की आँखो मे बड़ी आस से देखते हुए कहती है) दीदी क्या मै आपकी इन चुचियों को एक आखरी बार मन भर कर चूस सकती हु?

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अब आगे:

रानी अपनी फटी साड़ी जो उसने पहन रखी थी उसको उतारी और वही जमीन पर रख दिया और अपने फटे ब्लाउस को खोलने लगी। अपनी दीदी को कपड़े उतारते हुए छोटी बड़े ध्यान से देख रही थी। रानी ने अभी फटे ब्लाउस के दो बटन ही खोले थे की तभी उसकी बड़ी चुचियाँ अपने आप बाहर उछल पड़ी मानो कैद से आजाद होगयी हो। फिर भी रानी फटे ब्लाउस को अपने शरीर से अलग करके जमीन पे रख देती है। मगर तभी छोटी जोकि इस दृश्य को बड़े ध्यान से देख रही थी आगे चलकर रानी के पास पहुँच कर बोलती है..

छोटी: (सीने पर लटकती चुचियों को देखते हुए) दीदी

रानी: हा बोल?

छोटी: (दीदी की आँखो मे बड़ी आस से देखते हुए कहती है) दीदी क्या मै आपकी इन चुचियों को एक आखरी बार मन भर कर चूस सकती हु?

छोटी की इस मासूम भरी बात को रानी मना न कर पाई और खुद छोटी के मुह को अपनी बड़ी चुचियों पे रख दिया। और छोटी अपनी दीदी की बड़ी चुचियों को बड़े मजे लेकर पीने लगी। रानी की आँखे अपने आप बंद हो गयी और उसके मुह से धीमी धीमी सिक्सिकारिया निकलने लगी। छोटी अपनी दीदी की बड़ी चुचियों को बड़े मजे से चूस रही थी उसका मुह रानी की एक चूची को चूस रहा था तो उसका हाथ दूसरी चूची को तेजी तेजी मसल रहा था चूचे इतनी बड़ी थी की हाथो मे आ ही नही पा रही थी। छोटी रानी की चुचियों को कभी पुरा मुह मे भर के चूसती तो कभी सिर्फ निप्पल को, कभी हाथो से चुचियों को तबाती तो कभी दातों के निप्पल को काट लेती। रानी को छोटी के इस क्रिया दे दर्द तो होता मगर इस से ज्यादा उसे मजा आता। खैर मन भर कर चुचियों को चूस लेने के बाद छोटी अपना मुह अपनी दीदी की चुचियों से अलग करते हुए बोलती है

छोटी: (मस्त होकर) मजा आगया दीदी कसम से इतनी मस्त चुचियाँ है आपकी मन करता है बस मुह मे डाल कर चूसती रहु ।

रानी: मन भर गया तेरा मेरी चुचियों को पी कर और पीना होतो पी ले फिर जल्दी ना मिलेंगी ये। अगर और भी कुछ देखना हो या चूसना हो तो बता दे?

छोटी: बस दीदी मन भर गया अब। चलो जल्दी करो अपना साया उतारो आपको बस एक बार पूरी नंगी देख लू ।

रानी छोटी की इस बात पर हस्ती है और अपने पेटिकोट के नाड़े को खिच कर खोल देती है जिस पल नाडा खूला उसी पल साया सर सराता हुआ नीचे गिर गया। अपने पैरो से साया को बगल करते हुए बोलती है

रानी: ले देख ले जो जो देखना है तेरे सामने पूरी नंगी हू ।

छोटी कुछ नही बोलती बस अपनी नंगी खड़ी दीदी को देखती रहती है और कुछ देर बाद बोलती है

छोटी: कसम से दीदी बहुत गदराइ माल हो आप। जीजा जी बहुत खुशनसीब है जो आप उनको मिल रही हो । मुझे तो पक्का लगता है जीजा जी आपको दिन भर चोदते ही फिरेंगे ( और हसने लगती है) उस घर मे सायद ही आप जैसी कोई औरते होगी। देख लेना उस घर की औरते आप से जलेंगी, आपके इस शरीर से जलेंगी ।

रानी: हट पागल!

छोटी फिर कुछ नही बोलती बस अपनी दीदी के टाँगो के बीच मे देखने लगती है । रानी छोटी को अपने टाँगो के बीच मे देखते हुए बोलती है

रानी: क्या देख रही है?

छोटी: यही की आप की झाँटे कितनी प्यारी है (झांटो मे हाथ फेरते हुए) ।

रानी: ( आह्ह्) इतनी पसंद है तेरे को मेरी झाँटे ।

छोटी: ( कुछ नही बोलती बस अपना हाथ अपनी नंगी दीदी की चूत पे रख कर चूत को सहलाने लगती है)

छोटी के इस हमले से रानी के मुह से आह्ह् निकल जाती है और आँखे बंद करके रानी भी मजे लेने लगती है । कुछ देर चूत को सहलाने के बाद छोटी बोलती है

छोटी: मजा आया दीदी?

रानी: हा रे ।

छोटी: सोचो दीदी इसमे इतना मजा आ रहा है तो जब चुदोगी तो कितना मजा आयेगा । हाये दीदी .. .

रानी: जिन्ता मत कर मेरी बिट्टो तेरी शादी मै बहुत जल्दी करवा दूंगी फिर तू भी खूब मजे लेना।

छोटी: (चिड़ाते हुए) बड़ी आई शादी कराने वाली ।

रानी को बड़ी हसी आती है छोटी की इस बात पे ।

छोटी: दीदी अपनी बड़ी गांड दिखाओ ना ।

रानी छोटी की बात मानते हुए पीछे घूम जाती है। क्या गांड थी रानी की वाह मुह मे पानी आगया। जो भी रानी की बड़ी और भरीभरकम गांड को देखता उसका दीवाना हो जाता और यही हाल रानी की बहन छोटी का भी था हालाँकि वो थी तो लड़की ही मगर अपनी दीदी के बड़ी गांड की दिवानी थी। रानी अपनी दीदी की बड़ी और गोल गांड पे हाथ रख कर उसको सहलाने लगती है

छोटी: वाह्ह दीदी क्या चूतड़ है आपके, क्या गांड मिली है आपको। मन करता है बस इन्हे दबाती रहू ।

रानी: तेरी भी तो गांड बड़ी प्यारी है।

छोटी: पर आप जैसी कहा है ।

कुछ देर गांड को सहलाने और मसलने के बाद छोटी अपनी दीदी से बोलती है

छोटी: दीदी एक आख़िरी बार आपकी गांड को लाल करने दोना ।

रानी: दर्द होता है रे ना कर न ।

छोटी: मान जाओ न दीदी बस एक आखिरी बार ।

रानी: तू बहुत ज़िद्दी होतीं जा रही है।

रानी छोटी को मायूस होते देख बोलती है. .

रानी: अच्छा ठीक है पर ज्यादा नही दर्द होता है ।

छोटी: (खुशी से) बस गीनके पंच बार ।

रानी मिट्टी की दीवाल से टिक कर नीचे झुक जाती है और छोटी अपने हाथों पे अपना थूक गिराती है और उसे अच्छे से पूरे हाथों मे मिलाती है और अपना हाथ पीछे करके तेजी से अपनी दीदी की बड़ी सी गांड पे दे मारती है.

...चट्ट.... .....आह्ह्.....

जिस पल रानी के गांड पे छोटी का हाथ पड़ा उसी पल रानी उछल पड़ी ।

रानी: धीरे मार कुतिया.. दर्द होता है।

छोटी कुछ नही बोलती बस तुरंत अपने नंगी दीदी के गांड पे एक और हाथ दे मारती है और फिर बिना रुक..

...चट्ट.... .....आह्ह्.....

...चट्ट.... .....आह्ह्.....

...चट्ट.... .....आह्ह्.....

...चट्ट.... .....आह्ह्.....

जितनी बार गांड पे हाथ पढ़ते उतनी बार रानी के मुह से सिर्फ और सिर्फ हल्की सी दर्द भरी चीख के साथ आह्ह् निकलती ,मगर छोटी को इससे कोई फर्क नही पड़ता, रानी के मुह से जितनी आह्ह् निकलती छोटी उतना ही तेजी से अपनी नंगी दीदी की बड़ी सी गांड पे मारती। पर कहीं न कहीं रानी को भी इसमें मजा आ रहा था ।रानी के गांड पांच बार मे ही इतनी लाल होगयी थी क्या कहना। जितनी बार छोटी का हाथ रानी के गांड पे पड़ता उतनी बार गांड इस तरह हिलती मानो गांड मे लहर दौड़ रही हो।

इस क्रिया को करने के बाद छोटी मस्त होकर अपनी दीदी से बोलती है

छोटी: (संतुष्टि का भाव लेकर) मजा आगया दीदी ....हाय क्या गांड है आपकी ।

रानी: इतना तेज कौन मरता कुतिया.....साली रंडी ( झूठा गुस्सा और नाराज होते हुए) कितना दर्द हो रहा था....पूरी गांड लाल करदी ।

छोटी: झूठ ना बोलो दीदी मुझे पता है की कितना दर्द हो रहा था और कितना मजा आराहा था ।

रानी: (हल्का का मुस्कुराते हुए) अच्छा तुझे बड़ा पता है ।

दोनो बहनो मे बाते हो रही थी तभी काकी की आवाज़ आती है ।

काकी: अरे लड़कियों तैयार हुई की नही.... की रंडीपना कररही हो?

दोनो बहने इस आवाज़ से डर जाती है उनको लगता है काकी ने उनकी सारी हरकतो और बातों को देख और सून लिया । खैर जिन्ता करने की कोई बात नही थी क्युकी काकी ने न ही तो बात सुनी थी और न ही कुछ भी देखा था । काकी की बात का जवाब देने के लिए छोटी बोलती है..

छोटी: हो रहे है काकी बस दस मिंट और ।

काकी इस बात की कोई पर्तिक्रिया नही देती है। दोनो बहने जो की अपने रासलीला मे वेस्त थी वो अब तैयार होने मे लग जाती है। काकी की दी हुई साड़ी को पहनने लगती है और और कुछ ही देर मे तैयार हो जाती है ।

काकी की दी हुई इस लाल साड़ी को पहनने के बाद रानी और भी सुंदर ,प्यारी और बहुत ही खूबसूरत लगने लगती है। रानी थी तो काली (सावली) मगर उसकी बनावट बहुत ही सुंदर और बहुत ही आकर्षक थी । ये कहना गलत ना होगा की रानी के कपड़े रानी के बदन को बड़ी मुश्किल से ढक पाते थे क्युकी उसका शरीर बहुत भरा और बहुत गद्राया हुआ था । कहीं न कहीं एक कारण ये भी था की उसको कपड़े ही नाप के नही मिलते थे काकी के फटे पुराने कपड़े उसको छोटे और कसे पड़ते थे क्युकी काकी का बदन रानी के अंतर मे कमथा

तैयार होने के बाद रानी बोलती है..

रानी: कैसी लग रही हु मै छोटी?

छोटी: ( अपनी दीदी की नजर उतारते हुए) किसी की भी नजर ना लगे आपको। बहुत सुंदर लग रही हो दीदी बस एक चीज की कमी है और वो ये (रानी के माथे पर बिंदी लगते हुए) पूरी होगयी।

रानी: (अपने माथे पे लगी बिंदी को छुते हुए बोलती है) अरे ये कहा से लाई?

छोटी: अरे दीदी वो कल शाम को जब काकी हगने गई थी न तब उनके कमरे से चुपके से निकाल लाई थी। आपकी शादी होने जा रही है और माथे पे बिंदी न हो तो अच्छा नही लगता न। अब आप पूरी दुल्हन लग रही हो।

रानी छोटी को बड़े प्यार से देख रही थी और सोच रही थी की आज अपनी इस प्यारी बहन को छोड़ कर चली जायेगी। रानी के आँखो मे आँशू आ जाते है और छोटी को कस के गले लगा लेती है। छोटी थी तो बहुत हिम्मती, दुख उसे भी था अपनी दीदी के चले जाने का मगर वो अपनी दीदी को रुलाना नही चाहती थी वो जानती थी की अगर वो रोई तो उसकी दीदी भी जरूर रो देगी। पर न जाने क्यु रानी के गले लगते ही छोटी के आँखो से आँशु फूट पड़े और दोनो बहने एक दूसरे को पकड़के रोने लगी । कुछ देर रोने के बाद छोटी अपनी दीदी से अलग होती है और जल्दी से अपनी आँखो को पोछती हुए बोलती है

छोटी: आप एक नंबर की पागल हो दीदी आज के दिन कोई रोता है भला। कुछ आँशु अपने सुहागरात के लिए बचा कर रखोगी की नही ।

छोटी की इस बात पर रानी अपनी आँखो को पोछते हुए हसने लगती है और फिर बोलती है

रानी: (छोटी का चेहरा अपने हाथों मे लेकर) तू है न हम सबको हसाने के लिए ।

छोटी इस मौके को कैसे छोड़ सकती थी अपने दीदी के गालों को प्यार से चुम लेती है और बोलती है

छोटी: चलो अब दीदी नही तो काकी अजायेंगी ।

और दोनो बहने रानी के फटे पुराने कपड़ो को एक फटे रुमाल मे बांधती है और काकी के कमरे मे जाती है

काकी चारपाई पर लेती थी और उनकी आँखे बंद थी। रानी आगे जा कर काकी के पैरों को गोडे गिरती है। अपने पैरों पे किसी के हाथ का एहसास पाते ही काकी की आँखे खुल जाती है और अपने चहरे को उठा के देखती है तो रानी को अपने पैरों के पास खडा पति है। काकी जो हमेसा रानी से जलती थी आज रानी के चले जाने का उसे भी दुख है । काकी चरपाई पर उठ कर बैठ जाती है और बोलती है

काकी: खुश रहो । छोटी, गाँव की पुरानी मंदिर मे तेरे काका और वो लोग इंतज़ार कर रहे है ।

काकी इतना बोल कर वापिस चारपाई पे लेट जाती है और दोनो बहने घर से बाहर निकलती है। निकलते ही रानी काका काकी के इस घर को देखने लगती है उसके दिमाक मे बचपन से लेकरके अभी तक की सारी यादें एक पल मे आ जाती है की कैसा उसका बचपन यहा बिता ,कैसे वो अपनी बहनो के साथ यहा रहती थी। रानी को इस घर को छोड़ कर जाने मे बहुत तकलीफ हो रही थी मगर उसे जाना ही था। और दोनो बहने पुराने मंदिर के ओर चल देती है ।

रास्ते मे चलते हुए रानी सोच रही थी की अभी कुछ देर मे वो इस गाव को छोड़ कर दूसरे गाव मे चली जायेगी। रानी को लाहाति गाव बहुत पसंद था वो ये सोच रही थी की उसके ससुराल का गाव भी क्या इतना ही सुंदर होगा की नही। दोनो बहने बात करते हुए गाव के पुराने मंदिर के पास पहुँच जाती है।

मंदिर के पास पहुँचते ही रानी अपने मुह को अपने पल्लू से ढक लेती है। मंदिर मे सिर्फ रानी का होने वाला पति (राजू) , राजू के पिताजी (कमलेश), एक पंडित जी और रानी और छोटी का काका(रतन लाल) थे। राजू के चहरे पर सहरा लगा था जिससे उसका मुह ढका था, हो सकता है इसका कारण राजू के घर का रिवाज हो, की लड़का और लड़की एक दूसरे को शादी के बाद ही देख सकते है। खैर ये तो तै हो गया की अभी तक राजू को रानी के परिवार मे कोई भी नही देखा था।

मंदिर मे पहुँच कर छोटी पंडित जी को प्रणाम करके रानी को राजू के बगल मे बैठा देती है और फिर राजू के पिता (कमलेश) को पैर छु कर प्रणाम करती है और अपनी दीदी और होने वाले जीजा जी के पीछे खड़ी हो जाती है। राजू के पिता जी पंडित जी से बोलते है

कमलेश: पंडित जी अब देरी न करिये। जल्दी से शादी करा दीजिये ।

फिर क्या पंडित जी चालू होगये ।

पूरे मंदिर मे दो लोग इस शादी के होने से उदास थे एक तो था अपना राजू और दूसरे थे रतन लाल। राजू इस शादी को नही करना चाहता था वो ये शादी सिर्फ और सिर्फ अपनी माँ के लिए कर रहा था । और वही रतन लाल इस लिए दुखी था की रानी आज चली जायेगी, रानी ही थी जो रतन लाल की आँखो को ठंडा करती थी कहने का मतलब पूरे गाँव मे एक रानी ही थी जिसे देख कर रतन लाल अपनी आँखे सेक्ता था ।

खैर पंडित जी मंत्रो को जल्दी जल्दी पढ़ कर शादी को पूरी करा दिये और राजू के पिता जी (कमलेश) राजू और रानी को लेकर अपने गाँव बिलासपुर के लिए रवाना हो गये ।

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क्या राजू रानी को अपनी पत्नी मनेगा? क्या उससे प्यार करेगा? क्या उसे पति का सुख देगा या नही?

आगे जानने के लिए मेरे साथ जुड़े रहे और पढ़ते रहे इस कहानी को।

मुझे स्पोर्ट करिये कहानी को like👍 , comments करिये और मजे लेकर कहानी को पढ़ते रहिये😘😘

आप सभी का बहुत बहुत ध्यनवाद मेरी इस कहानी को पढ़ने और प्यार देने के लिए ❤
Superb update
 

bsp45594

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Love the update, This story is one of its kind. Please try to give frequent updates. Eagerly waiting...
 

Smith_15

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Awesome👍👏, ❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤
 

Ajju Landwalia

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Bhai, update please
 
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DB Singh

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