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Erotica जवानी जानेमन (Completed)

blinkit

I don't step aside. I step up.
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नमस्कार दोस्तों।
मैं बहुत टाइम से एक्सबी या और दूसरे पोर्टल पर सेक्स कहानियों का पाठक रहा हूँ
ढेरों के सांख्य में इन कहानियों का आनंद लिया है और लेखकों की इमेजिनेशन और सेक्स सिचुएशन को रीयलिस्टिक तरीके से लिखने की कला का कायल रहा हूँ।

आप महान लेखकों से बहुत ज़्यादा प्रेरित हो कर एक संछेप कहानी आप के समक्ष लिखने की हिम्मत कर रहा हूँ लिखने में हुई किसी भी प्रकार की त्रुटि केलिए क्षमा, ये किसी भी प्रकार की कहानी लिखने का मेरा प्रथम प्रयास है।

बात २०१९ के आसपास की है। मेरे जीवन में उस से पहले 2-३ सुंदरियों का प्रवेश गिर्ल्फ्रेंड्स के रूप में हुआ था लेकिन उस दिनों मेरे जीवन में तन्हाइयों के सिवा कुछ नहीं था

उन दिनों मेरा जीवन बहुत अकेला और उदास था, मेरी लास्ट गर्लफ्रेंड से ब्रेकअप हुए ज़यादा समय नहीं हुआ था इसलिए मैं कुछ ज़ायदा ही उदास और दुखी था, मैं थोड़ा निराश भी था जीवन से क्यंकि मैंने अपनी प्रेमिका नीलू से सच्चा प्रेम किया था और मैं उस से सच में शादी करना चाहता था लेकिन वो भी बाकि दूसरी लड़कियों तरह निकली और उसने भी प्रेम के ऊपर सुरक्षित भविष्य को चुना और एक आर्मी अफसर के साथ एंगेज हो गयी। दिल टूट गया लेकिन कर भी क्या सकता था, जो कलतक मेरी बाँहों में बाहें डाल के कहती थी की बस तुम्हारी हूँ वह आज किसी और के सपनो में खोयी थी।

खैर एक दिन मैं ऐसे ही किसी काम में बिजी था की मेरे फ़ोन पर कॉल आयी , मैंने कॉल पिक किया, पता लगा मार्केटिंग कॉल है और कॉल करने वाली लड़की मुझे क्रेडिट कार्ड बनवाने के लिए कॉल कर रही थी , मैंने मना कर दिया की मुझे ज़रूरत नहीं है उसने कॉल कट करते हुए कहा::

कॉलर : सर मेरा नाम चन्द्रमा और कभी भी आपको क्रेडिट कार्ड की नीड हो तो मुझे कॉल कीजियेगा।

बात यही ख़तम हो गयी और मैं इस घटना को भूल गया, कुछ दिन बाद फिर मेरे फ़ोन पर कॉल आयी और वही क्रेडिट कार्ड के लिए कहा, मुझे याद आगया

मैं : आप चन्द्रमा है ना? आपने पहले भी कॉल किया था लेकिन मुझे क्रेडिट कार्ड की नीड नहीं है।

चन्द्रमा : सर आपको मेरा नाम याद रहा ?

मैं : हाँ क्यों नहीं, तुम्हारा नाम बहुत यूनिक है।

चन्द्रमा : हाहाहा, इतना भी अच्छा नहीं है, सब मुझे चंदू बोलते है और मुझे बुढ़िया जैसी फीलिंग्स आती है

मैं थोड़ा हैरान था उसके इतनी जल्दी फ्रीली बात करते हुए देखके लेकिन मुझे क्या दिक्कत हो सकती थी।

मैं : नहीं तुम्हारा नाम बहुत सूंदर और इसीलिए याद भी रहा ।

चन्द्रमा : सर आप बहुत अच्छे इंसान है नहीं तो लोग कॉल गर्ल से ठीक से बात भी नहीं करते।

बेचारी जोश जोश में खुद को कॉल गर्ल बोल गयी, उसकी बात सुन के मैं हंस पड़ा। लेकिन अपनी हंसी कण्ट्रोल करके कहा

मैं : नहीं ऐसी कोई बात नहीं है, सब इंसान बराबर है, तुम भी अपना काम कर रही हो और मेहनत करके पैसे कमाने वालो की हमेशा इज़्ज़त करनी चाहिए।

चन्द्रमा : यही तो सर, लेकिन क्या करे हम अच्छी नौकरी ना मिलने पर कालिंग वाली जॉब करते है और लोग हमारी बात सुनते तक नहीं और फ़ोन काट देते है या गन्दी बात करने लगते है लेकिन आप से बात करके अच्छा लगा, आपको कभी भी कार्ड बनवाना हो तो मुझसे ही बनवाना।

मैं : पक्का , तुमसे ही बनवाऊंगा। ये कह के मैंने कॉल कट कर दिया।

बात आयी गयी हो गयी और मैं अपने अपने काम और परिवार में बिजी रहा , कभी कभी दिल में टीस सी उठती थी नीलू को याद करके, टूटे दिल की यही समस्या है , अकेलापन मिलते ही उसी की याद में खून के आंसू रोता है जिसने उसके टुकड़े टुकड़े किये होते है अपने पैरों के नीचे कुचल कर।

फिर कुछ एक डेढ़ महीने गुज़रे होंगे की एक सुहानी शाम को चन्द्रमा का कॉल आगया, क़िस्मत की बात थी की उस दिन मैं फ्री था और मूड भी अच्छा था, मैंने कॉल पिक किया

चन्द्रमा : हेलो सर , मैं चन्द्रमा बोल रही हूँ
मैं : हाँ चन्द्रमा बोलो ? वैसे तुमको बोलना नहीं चमकना चाहिए (मैंने जोक मारा )
चन्द्रमा : हाहाहा सच में।
मैं : हाँ सच , अच्छा बोलो सब ठीक ?
चन्द्रमा : यही बताने के लिए कॉल किया है , कल मैं ये जॉब छोड़ रही हूँ , और ये नंबर भी बदल जायेगा , अब आप इस नंबर पर कॉल मत करना , मैं आपको अपना पर्सनल नो दूंगी उस पर कॉल करना।
मैं: हाँ क्यों नहीं (मैं अब इतना भी चूतिया नहीं था की ना समझता की लड़की के मन में क्या है)
चन्द्रमा : रुको मैं आपको करती हूँ अपने नंबर से कॉल। (इतना बोलके उसने कॉल कट कर दी और अपने पर्सनल नंबर से कॉल की )

मैं : हाँ चन्द्रमा बोलो ?
चन्द्रमा : क्या बोलू आप पूछो ?
मैं : जॉब क्यों छोड़ी ?
चन्द्रमा : बेकार जॉब थी छोर दी।
मैं : अब क्या करोगी फिर।
चन्द्रमा : दूसरी जॉब ढूंढूंगी
मैं : गुड, बुरा मत मानना, तुम कहा रहती हो ?
चन्द्रमा : इसमें बुरा मान ने की क्या बात है , मैं फरीदाबाद में रहती हूँ
मैं : ओह्ह गुड, मैं दिल्ली रहता हूँ।
चन्द्रमा : (इठलाते हुए ) मेको पता है।
मैं : तुमको कैसे पता ?
चन्द्रमा : क्रेडिट कार्ड कंपनी में काम करती हु आपकी डिटेल्स है कंपनी में।
मैं : ओह वाओ , मैं तोह भूल ही गया था , तुम बहुत चालक हो
चन्द्रमा : हीहीही वह तोह मैं हूँ ही

ऐसे ही हमारी काफी देर बात हुई और मुझे पता चलगया की वह फरीदाबाद में अपने मां बाप के साथ रहती है और इकलौती बेटी है और जॉब करती है। बातों से ये भी आईडिया लग गया की उम्र बहुत ज़ायदा नहीं है और निचली मिडिल क्लास से बिलोंग करती है।
फ़ोन कट करते टाइम हम दोनों में से किसी ने भी फिर कॉल के लिए नहीं बोला इसलिए मुझे समझ नही आरहा था की फिर बात होगी की नहीं।

वापिस से फिर वही अकेलापन और उदासी थी, फिर वही प्यार भरे पलों की यादें थी और उन यादों को कुचले जाने का दुःख, कभी ना मिटने वाला दर्द और उसकी हौले हौले उठती टीसें। लेकिन कहते है ना की ऊपर वाले के खेल निराले है, तो हुआ ये की मेरा एकदोस्त मिलने आया और बातों बातों में पता चला की किसी ने उसके नाम से फ़र्ज़ी लोन ले लिया था जिसके कारण उसका सिबिल ख़राब है और उसका क्रेडिट कार्ड नहीं बन पा रहा है , मैं उसको बताया की कोई जानकार है मेरा और मैं कोशिश करता हूँ कुछ। मैंने उसको चन्द्रमा का नंबर जान बुझ के नहीं दिया, पता था की एक नंबर का हरामी है अपनी खुद की सेटिंग में लग जायेगा।
मैंने अगले दिन चन्द्रमा को कॉल किया, उसने चहकते हुए कॉल पिक किया।

चन्द्रमा : हेलो सर !
मैं : हेलो चन्द्रमा , मैं समीर बोल रहा हूँ
चन्द्रमा : पहचान लिया सर, आपको बताने की ज़रूरत नहीं है
मैं : हाहाहा थैंक यू , मुझे लगा भूल गयी होगी
चन्द्रमा : अरे नहीं सर आपको कैसे भूल सकती हूँ, वैसे एक बात बोलू ? हर बार सोचती हूँ पर बोलनाही पाती
मैं : हाँ हाँ बोलो क्या बात है ?
चन्द्रमा : समीर जी आपकी आवाज़ बहुत सुन्दर है, आप जब बोलते है तो लगता है किसी फिल्म एक्टर से बात कर रही हु।
मैं : वाकई ? मुझे तो बोला नहीं किसी ने , वैसे तुम्हारी आवाज़ भी बहुत सूंदर है बहुत स्वीटनेस है बिलकुल बच्चो वाली।
चन्द्रमा : हुहूँ।।। मैं एक छोटा बेबी हूँ (इठलाते हुए छोटे बच्चे की तोतली भाषा में )
मैं : हाँ बिलकुल छोटू सा बेबी। अच्छा सुनो मैंने एक काम के लिए कॉल किया था ( मैंने गंभीरता से कहा)
चन्द्रमा : हाँ बोलिये

फिर मैंने उसकोअपने दोस्त का इशू डिटेल में बताया और सलूशन पूछा , उसने जॉब छोर दी थी लेकिन उसके कॉन्टेक्ट्स थे और उसने उन को यूज़ करके मेरे फ्रैंड का काम करा दिया, क्रेडिट कार्ड बन गया, मेरा दोस्त भी खुश और चन्द्रमा भी, और मैं थो खुश था ही, उम्मीद जो हो गयी चन्द्रमा की चांदनी के दिल में उतरने की, दिल भी साला बड़ा कुत्ती चीज़ है, जब अकेला हो तो बिछड़े प्यार को याद करके रोता हैलेकिन जहा कोई नयी लड़की नज़र आयी तो उसका प्यार पाने के तमन्ना करने लगता है। इसी तमन्ना में मेरा दिल खुश था की चलो कोई तो है जिससे बात करके अच्छा फील होगा और अकेलापन कम फील होगा, लेकिन हाय री क़िस्मत बात आगे बढ़ती की उस से पहले ही ड्रमा हो गया।

मैं एक सुबह सो रहा था की मेरे फ़ोन पर चन्द्रमा का कॉल आया लगभग ५ बजे मॉर्निंग में, मुझे लगा गलती से है क्योंकि अब इतनी भी बात आगे नहीं बढ़ी की वो मुझे इतनी सुबह कॉल करे। लेकिन आधे घंटे बाद फिर कॉल आयी तो मैंने कॉल उठाया

चन्द्रमा : हेलो सर (बौखलाए हुए )
मैं : हाँ बोलो क्या बात है
चन्द्रमा : सर आपसे एक काम था
मैं : हाँ बोलो क्या काम है (मैं समझ गया की अब ये पैसे मांगेगी)
चन्द्रमा : सर मुझे कुछ पैसे चाहिए अर्जेंट, मेरी ट्रैन है एक घंटे में
मैं : कितने ? और कहा जा रही हो अचानक ?
चन्द्रमा : ३००० हज़ार रूपये, आके बताउंगी
मैं : ठीक है अकाउंट नो भेजो (मैंने मान लिया था की लड़की ४ दिन मीठी मीठी बात करके चूतिया काट गयी)

तीन हज़ार रूपये मेरे लिए कोई बहुत बड़ी बात नहीं थी लेकिन चूतिया बनने का मलाल था, मैंने पैसे दे दिए और सब भूलभाल के काम में व्यस्त हो गया।
 
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मैं सब भूल भाल कर काम में व्यस्त हो गया फिर लगभग एक सप्ताह बाद चन्द्रमा का कॉल आया, मैंने कॉल पिक नहीं किया, एक बार चूतिया बनना काफी था दोबारा चुतियापा नहीं करना चाहता था, उसका कॉल 2-३ बार आया लेकिन मैंने पिक नहीं किया, रात में उसका व्हाट्सप्प मैसेज आया की प्लीज मेरी कॉल पिक करो आपसे बात करनी और आपके पैसे लौटने है. मैंने फिर भी कॉल नहीं की और ज़यादा धयान भी नहीं दिया।
2-४ दिन बाद एक अनजान नंबर से कॉल आयी, फ़ोन पिक किया तो पता चला काजल नाम की लड़की है
मैं : हाँ काजल बोलो
काजल : भैय्या, मैं चन्द्रमा की छोटी सिस्टर हूँ , भैय्या दीदी की तबियत ठीक नही है और उन्होंने आपका अकाउंट नंबर माँगा है
मैं : मैं थोड़ा बिजी था इसलिए बात नहीं कर पाया मेरा इसी नंबर पर UPI है यू कैन पेटम अगर चाहो तो .
काजल : जी भैया, मैं दीदी को बोलती हूँ

कुछ देर में ही मेरे पास पैसे आगये, मुझे हैरत हुई , कहा तो मैं सोंच रहा था चूतिया कट गया, कहा लड़की ने पैसे वापिस दे दिए . मुझे खुद की सोंच पर बुरा लगा।

मैंने एक दो दिन बाद हिम्मत करके चन्द्रमा को व्हाट्सप्प पर टेक्स्ट किया, हेल्थ का पूछा, फिर पूछा की कहा गयी थी इतनी जल्दी में. उसने कहा कॉल करो फ़ोन में बताउंगी, मैंने कॉल किया उसने जो बताया सुन के मेरा दिल फिर से टूट गया.

उसकी कहानी ये थी की उसके एक बॉयफ्रैंड है दीपक, दीपक से इसका रिलेशन 1-२ ईयर से है, दीपक की सिस्टर काजल चन्द्रमा की बेस्ट फ्रैंड है, दीपक ने एक दिन चन्द्रमा को बोला की वो किसी काम से लखनऊ जा रहा है और एक दिन में आजायेगा, लेकिन नेक्स्ट डे चन्द्रमा को सोनी से पता चला की उसका भाई पटना गया है, ये सुन के चन्द्रमा का माथा ठनका, दीपक का चक्कर किसी और लड़की से भी था, ये सुन के चन्द्रमा का दिल टूट गया, लेकिन फिर उसने फैसला किया दीपक को रंगे हाथ पकड़ने का और जा पहुंची पटना (इसीलिए उसने मुझे पैसे उधार लिए थे)

दीपक पटना में मिल गया लेकिन वो भी पक्का खिलाडी था किसीतरह से चन्द्रमा को चकमा दे दिया और चन्द्रमा बिना किसी साबुत के घर वापिस आगयी, चन्द्रमा मन से जानती थी की वो झूट बोल रहा है लेकिन उसके होटल में लड़की नहीं मिली थी तोह चन्द्रमा के पास कोई पक्का सबूत नहीं था .

मैं चुपचाप पूरी कहानी सुनता रहा, मेरे पास कुछ था नहीं बोलने के लिए, फिर भी मैंने हिम्मत करके पूछा

मैं : तुम्हारा जब बॉयफ्रेंड था तो तुमने मुझे बताय क्यों नहीं?
चन्द्रमा : बस ऐसे ही .
मैं : उसके साथ खुश हो
चन्द्रमा : हाँ

अब क्या बोलता फिर, इधर उधर के बात करके फ़ोन रख दिया.

पाठको को याद दिला दू की इतनी सब बात होने के बाद भी अब तक हमदोनो ने एक दुसरे को नहीं देखा था.
खैर, समय बीता और नया साल आगया. हमने अनमने मन से एक दूसरे को विश किया. मुझे अब कुछ खास उम्मीद तो थी नहीं इसलिए मैं अपने काम पर ही फोकस कर रहा था।

नई साल के कुछ दिन बाद एक दिन मुझे किसी काम से फरीदाबाद जाना पड़ा, मैंने जब वहा था तो मुझे चन्द्रमा की याद आयी मैंने उसके मैसेज करने के लिए सोचा और जैसे ही फ़ोन जेब से निकाला तो देखा कुछ घंटे पहले चन्द्रमा का मैसेज आया हुआ था, (हेलो, कहा हो ? फ्री हो तो कॉल करना) मैंने झट से कॉल किया

मैं : हेलो
चन्द्रमा : हेलो ! मिल गयी फुर्सत मुझसे बात करने की
मैं : क्यों क्या हुआ ?
चन्द्रमा : कब से मैसेज किया हुआ है कोईजवाब ही नहीं आता आपका
मैं : क्यंकि मैं रस्ते में था अभी देखा तुम्हारा मैसेज
चन्द्रमा : कहा हो आप ?
मैं : सोंचो कहा हो सकता हूँ ?
चन्द्रमा : दिल्ली ?
मैं : नहीं, सोचा कहा हो सकता हूँ ?
चन्द्रमा : आप फरीदाबाद में हो क्या ?
मैं : सही पकडे है !
चन्द्रमा : आपने बताया क्यों नहीं ?
मैं : क्यों, तुम मिलने आती क्या ?
चन्द्रमा : हाँ जी, और आती नहीं बल्कि मैं आरही हूँ बस आप बताओ कहा हो फरीदाबाद में
मैं : नीलम चौक के पास हूँ
चन्द्रमा : वहाँ से निकलो और मॉल में मिलो मैं आधे घंटे में पहुंच रही हूँ
मैं : ठीक है फिर वही मिलते है।

मैं जनता था की उसका एक बॉयफ्रैंड है लेकिन फिर भी मैं एक बार उसको देखना चाहता था , व्हाट्सप्प पर बहुत बात हुई मैंने एक दो बार उसकी फोटो मांगी थी , बदले में उसने भी मांगी थी लेकिन हम दोनों ने ही नहीं दी थी अभी तक।

खैर मैं एक पास के मॉल में पहुंच के उसका वेट करने लगा, वो टाइम की पक्की निकली और ठीक आधे घंटे में वो माल में आ गयी . मैं ऐसी जगह खड़ा था जहा मैं उसको दूर से आते देख सकता था.

मुश्किल से १८ साल की लड़की, पतली कोमल शरीर, साफ़ रंगत, पतले नयन नख्श, चूचिया ३० की होंगी कमर मुश्किल से २६ की और गांड ३२ की, बिलकुल ताज़ा कमसिन काली जैसी, ऊपर से उसके होंठ बिलकुल जानवी कपूर जैसे, मोठे, रसीले और गुलाबी. माल ऐसा जैसे अब तक किसी ने टच भी न किया हो, लाखो का ना सही सैकड़ो के लण्ड खड़ा कर सकती थी वो लड़की।

लेकिन मेरा लण्ड खड़ा नहीं हुआ, अब पाठक बोलेंगे की भला क्यों, इतनी सुन्दर कन्या को देख के भी खड़ा नहीं हुआ तो क्या अब लड़को को देख कर होगा क्या ?

तो पाठको बात ये है की माल तो बहुत मस्त है लेकिन समस्या ये है की मैं ३५ वर्ष का व्यक्ति हूँ, यहाँ ये नवयौवना मेरे से उम्र आधी लग रही है, माना की लण्ड और चूत की उम्र नहीं देखते लेकिन अब मैं इतना भी हरामी टाइप आदमी नहीं हूँ की अपने से इतनी छोटी लड़की को देख कर लण्ड खड़ा करता फिरूं।
 
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Congratulations 👏🎉 for new story , kahani mast lag rahi hai leak se hat kr ,
:thank_you:aneko dhanyavad, aap jaiso mahan vayaktiyon ka ashirvad bana rahe mujhe anadi par.
 
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blinkit

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जैसा की आप पाठको ने पढ़ा की उस सुन्दर सुकुमारी को देखके भी मेरे लन्ड में हलचल नहीं मची क्यूंकि वो मुझसे आधी उम्र की रही होगी। वह मुझसे फ़ोन पर बात करती हुई इधर उधर ढूंढ रही थी मैंने हाथ हिला कर अपनी और आकर्षित किया, मुझे लगा था की वह एक बाद मुझे देख के चौंकेगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ, वो चेहरे पर हलकी मुस्कान लिए मेरे बिलकुल क़रीब आगयी, एक पल के हम दोनो कंफ्यूज हुए की हाथ मिलाये या गले मिले फिर उसने हलके से हाथ आगे बढ़ाया मैंने अपना हाथ आगे बढ़ा के हैंडशेक किया, उसक चेहरे पर हलकी शर्म की लाली और एक कोमल सी मुस्कान थी, मैंने उसका हाथ थमा नरम मुलायम हाथ मेरी बड़ी हथेलियों में पूरा समां गया था।

मैंने पूछ कहा चले ?
चन्द्रमा : कही भी ?
मैं : पिज़्ज़ा पसंद है ?
चन्द्रमा : हाँ (नीची नज़रे किये हुए )

मैंने उसको लेकर पास में बने पिज़्ज़ा हट में गया, मैंने पिज़्ज़ा एंड कुछ ड्रिंक्स आर्डर की, फिर इधर उधर की बातें करते हुए पिज़्ज़ा ख़तम किया, बातों ही बातों में उसने बताया की आजकल उसका अपने bf से झगड़ा चल रहा है क्यूंकि वो इसके साथ और किसीको भी घुमा रहा है सुई के टेंशन ले ले के ये बीमार रहने लगी है. मैंने उसको समझया की अगर वो नहीं सुधर रहा तो वो ब्रेकअप करके अपनी जॉब एंड करियर पर ध्यान दे. कुछ और देर इधर उधर के बातें करके हम मॉल के बहार निकले, मैं अपने घर आगया वो भी अपने घर चली गयी.

मुझे लगा की अब वो शायद मुझसे नहीं मिलेगी आखिर हम दोनों की ऐज में इतना डिफरेंस जो था ऊपर से वो सुंदर है एक इशारे में उसे हज़ारो लड़के लण्ड पकडे खड़े मिल जायेंगे। उप्पर एक बॉय फ्रैंड भी है जिस से झगड़ा भी चल रहा है लेकिन मेरा सोचना गलत निकला, नाईट में ही उसका मैसेज आया की आज उसका दिन अच्छा गया और काफी दिनों बाद घर से बहार निकली और पिज़्ज़ा भी खाया। इसके इस मैसेज के बाद मैं थोड़ा कंफ्यूज था आखिर ये लड़की मुझसे क्या चाहती है?

इसका एक सीरियस बॉयफ्रेंड है फिर भी मुझसे बात करती है
मैंने ऐज में बड़ा हूँ और अब तोह मुझे देख भी चुकी फिर भी बात करने की इच्छुक है.

इसी उधेरबुन में कुछ समय और निकल गया, कभी कभी बात होती थी पर ज़्यदा नहीं क्यूंकि उसकी जॉब लग गयी, मैं भी काम में व्यस्त हो गया. लेकिन नियति अपने हिसाब से चलती है फिर यूँ हुआ की देश में कोरोना आगया और LOCKDOWN लग गया, एक दो दिन मस्त निकले, लगा एक दो दिन का है लेकिन रोज़ रोज़ सरकार के नियम बदलने से पता चल गया की सरकार को खुद नहीं पता क्या करना है, अब बोरियत होने लगी, मुझे घर में रहने की आदत नहीं थी तो मैं अब शाम में मोहल्ले के पार्क में योग करने जाने लगा, एक दिन योग के टाइम चन्द्रमा का कॉल आगया की बोर हो रही हूँ वीडियो कॉल करो, मैंने झट से फोन मिलाया देखा वो बेड में लेती हुई है, हरे सूट में एकदम फ्रेश मनो अभी अभी नहा के आयी हो, अधलेटी होने के कारण उसके चूचियों के उभार ने एक सुन्दर गहराई बना दी थी मेरा मन उस गहराई को देख के डोल गया, लेकिन जल्दी से मैंने अपने मन पर काबू कर लिया।

बहुत देर इधर उधर के बातें हुई, उसने बताया की कुछ काम नहीं बस घर में पड़ी बोर होती रहती है ऊपर से BF से झगड़ा है इसलिए कोई बातचीत नहीं होती, मैंने पूछा मैं भी फ्री हूँ बोर होता रहता हूँ, मुझसे बात करोगी ?
उसने कहा हाँ क्यों नहीं ?

फिर क्या था दोस्तों मैंने लगभग 3 महीने जबतक LOCKDOWN है उस से रेगुलर बात की, धीरे धीरे उसको अपनी एक्स GF और लव लाइव के बारे में बताया, मैंने नोटिस किया की जब मैंने उसको बताया की मैंने अपनी GF के साथ सेक्स किया है तोह उसकोकुछ खास फरक नहीं पड़ा, मुझे अंदाज़ा हो गया की इसके मन भी कुछ ना कुछ है, खैर भगवन का करना LOCKDOWN थोड़ा थोड़ा खुला और मैं अपने काम पर जाने लगा लेकिन उसकी जॉब छूट गयी थी और वो घर में ही रहती थी ।

कोरोना के कारण ऑफिस में भी कुछ खास काम नहीं रहता तो मैं वहा से भी उसको कॉल कर लिया करता था या वो बात कर लिया करती थी, एकदिन उसने मुझसे सरोजनी नगर मार्किट का पूछा, मैंने बताया की थोड़ा ओपन हुआ है तो उसने बोला की वो शॉपिंग करने आएगी, उसको एक रिलेटिव के यहाँ जाना है और कुछ कपडे खरीदने है, मैंने उसको रास्ता समझा दिया सरोजनी का लेकिन जिस दिन वो वह आने वाली थी उसने कॉल किया की वो अकेली आयी है मेरे साथ ही शॉपिंग करेगी, मैंने उसको रस्ते से पिक किया और हम पहुंच गए सरोनी नगर मार्किट में।

थोड़ीदेर इधर उधर घूमने के बाद अचानक मैंने फील किया की उसने मेरा हाथ पकड़ा हुआ है जैसे एक लड़की अपने बॉयफ्रैंड का पकड़ती है, मार्किट कई मंथ के बाद खुली तो भीड़ खूब थी कोई भी कोरोना नियम का पालन नहीं कर रहा था, हम दोनों भी हाथ पकडे पकडे भीड़ में घुस गए कुछ देर बाद एक जगह हम कुछ कपडे देखने के लिए रुके तो मैंने अचानक अपने हाथ जो चन्द्रमा ने पकड़ा हुआ था पर एक गर्मी फील की, धयान दिया तो मेरे होश उड़ गए मेरा हाथ उसके हाथ में फसा हुआ ठीक उसकी चूत के ऊपर था, ये फील करते है अचानक मेरा लण्ड गंगना गया।

ना जाने कितने महीनो बाद ये गर्मी और लण्ड की फुफकार महसूस की थी, मेरा लण्ड जीन्स में तन का खड़ा हो गया था,
हमने कुछ T-SHIRTS एंड टॉप ETC खरीदे लेकिन इन सब के बीच उसने मेरा हाथ नहीं छोड़ा, कुछ लेते टाइम वो ज़रूर हाथ छुड़ा लेती लेकिन फिर मौका मिलते ही वापस हाथ थम लेती थी।

धीरे धीरे मेरी भी झिझक ख़तम होने लगी, अगर खुद लड़की अपने से बड़ी उम्र के व्यक्ति के साथ कम्फर्टेबले है तो फिर मुझे क्यों ना मौके का फ़ायदा उठाना के थोड़ा मजा लेना चाहिए?
 
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