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Erotica जवानी जानेमन (Completed)

Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
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बहुत बढ़िया।

अच्छी राइटिंग स्किल है भाई और लिखो।
 

blinkit

I don't step aside. I step up.
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बहुत बढ़िया।

अच्छी राइटिंग स्किल है भाई और लिखो।
:thank_you:Thank You!
 
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kamdev99008

FoX - Federation of Xossipians
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बहुत बढ़िया एकदम नैचुरल तरीके से लिख रहे हो

अगली अपडेट की प्रतीक्षा है
 

malikarman

Well-Known Member
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Bahut shandar likh rahe ho aap
Agle update ka intezar hai
 
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blinkit

I don't step aside. I step up.
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खैर हम शॉपिंग पूरी करके मार्किट से थोड़ा बहार निकले, मेरी बाइक थोड़ा दूर पार्क थी, मैंने उस से आगे का प्लान पूछा, उसने कहा वो फ्री है और आराम से घर जाएगी, मेरे पास भी कुछ खास काम था नहीं तो मैं उसको बाइक पर बिठा कर पास में ही बने दिल्ली हाट में ले गया, दिल्ली हाट थोड़ी पॉश मार्किट है वह अधिकतर सभ्य लोग ही आते है और ऊपर से कोरोना तो लगभग पूरा खाली था, हमने सामान एक साइड रख के कुछ खाने का आर्डर किया और इधर उधर की बाते करने लगे, खाना ख़तम करके जब उठने लगे तो उसने वेटर को बोला की "भैय्या ये बैग यही रख लो हम थोड़ी देर में मार्किट का राउंड मार के आते है फिर ले लेंगे। भला वेटर को क्या ही समस्या हो सकती थी, पूरी मार्किट सूनसान थी इक्का दुक्का लोग ही या वह बैठे थे, उनके लिए तो हर एक कस्टमर भगवान के समान था ।

हमने सामान वही छोड़ मार्किट में बनी कंकरीट की साफ़ सुथरी पगडंडियों पर चलना शुरू कर दिया, मैं चल थो चन्द्रमा के साथ रहा था लेकिन मेरा दिल बार बार मार्किट में घटित पलों की और जा रहा था, बार बार मन ये जानना चाहता था की क्या चन्द्रमा ने जान भूझ के मेरा हाथ अपनी कच्ची भट्टी जैसी गरम चूत पर रगड़ा था या ये सब संयोग मात्र था ? लेकिन दिमाग कह रहा था की ये संयोग नहीं हो सकता, दुनिया की कोई भी लड़की हो उसे अपने शरीर में होने वाले हर एक स्पर्श का एहसास होता है और ये स्पर्श तो उसके शरीर के सबसे कोमल अंग पर हुआ था तो भला उसको कैसे महसूस नहीं हुआ होगा? क्या चन्द्रमा मेरी परीक्षा ले रही है या वास्तव में ये मुझसे चौदवाना चाह रही है?

मैं और चन्द्रमा किसी प्रेमी जोड़े की तरह एकदूसरे का हाथ थामे हलकी चाल से टहलते हुए मार्किट से थोड़ा दूर बने हुए पार्क के किनारे तक आगये और फिर पार्क की ठंडी नरम घास पर चहलकदमी करते हुए पार्क के दूसरे छोड़ के और आगे बढ रहे थे की तभी फिर से मेरे दिमाग ने झटका खाया और मेरे सोंच की तन्द्रा भांग हुई, इस बार जो तन्द्रा भांग हुई उसका कारण मेरे बाजु पर होने वाला वो अनोखा नरम गुदाज़ एहसास था जो मैंने अभी अभी महसूस किया था, मैंने फील किया था चद्र्मा की नरम नाज़ुक चुचिओ का अपने बाज़ू पर,

हुआ ये था की चन्द्रमा ने चलते चलते न जाने कब अपने दूसरे हाथ से मेरे बाज़ू को ठाम लिया था, जिसके कारन उसका आधा शरीर मेरे शरीर के साथ चिपक गया था और मेरे बाज़ू और कोहनी सीधा उसकी उभरी मस्त नरम नाज़ुक गोलाइयों को रगड़ रहे थे, इस एहसास ने मुझे जैसे नींद से जगा दिया था और अब मेरा पूरा धयान चन्द्रमा की चूचियों और और उसके रगड़ को अपने बाज़ुओ पर फील करने पर था, लण्ड महाराज फिर से टनटना आगये थे और फिर उसमे जवानी का जोश हलकारे मारने लगा था, लण्ड है ही ऐसी चीज़ जहा उसे हलकी सी भी चूत मिलने की सम्भावना दिखी नहीं की मारे ख़ुशी के लार टपकने लग जाता है, वो तो शुक्र है अंडरवियर था नहीं तो अब तक जीन्स पर लण्ड के हरामीपन की निशानी दिखाई दे जाती और इज़्ज़त का कबाड़ा होना तय था।
 
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blinkit

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बहुत बढ़िया एकदम नैचुरल तरीके से लिख रहे हो

अगली अपडेट की प्रतीक्षा है
anek dhanyawad , aap sab ki mahan writing se hi prerna mili hai:thank_you:
 
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कहानी की शुरुआत तो बहुत जबरदस्त ढंग से हुई है । अभी दोनों के बीच रोमांस ही चलने देना । सेक्स कुछ अपडेट के बाद हो तो कहानी मे ओर भी मजा आएगा । बाकी आपके ऊपर है जैसे कहानी लिखोगे
 
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