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Incest जादुई लकड़ी (Completed)

ramumargaya

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Bhai, is story me tommy raj ka sachha dost hai. Isliye ek suggestion hai, ki raj ki maa, beheno ko tommy se bhi chudwana. Us lakdi ke tukde ko tommy chatega to usme bhi kuchh shaktiya aa jayengi.
अध्याय 3

जब नींद आती है तो नरम बिस्तर की परवाह नही रह जाती ,यही मेरे साथ हुआ मुश्किल घड़ी में भी ना जाने कब मैं नींद के आगोश में चला गया था,

मेरी नींद खुली टॉमी की गुर्राने से मैं तुरंत ही सतर्क हो गया ,टॉमी सामने देख कर गुर्रा रहा था,सामने देखा तो मानो मुझे सांप ही सूंघ लिया क्योकि सामने सच में सांप ही था ,फन फैलाये वो भी फुंकार मार रहा था,मैं घर में एक अदन छिपकली को भी देखकर भाग जाता हु और यंहा नागराज स्वयं पधारे थे ..

वही टॉमी लड़ने की पोजिशन ले चुका था वो उसे देख कर गुर्रा रहा था,दोनों की निगाहे एक दूसरे से मिली हुई थी ,मुझे पता नही था की एक पालतू कुत्ता इस तरह शिकारी भी हो सकता है,शायद ये उसके खून में हो ,कुछ चीजे जानवरो को कभी नही सीखनी पड़ी वो उसे जन्म से ही सीखकर पैदा होते है ,जैसे सेक्स करना ..

टॉमी ने अपना एक पंजा सांप की ओर किया और सांप ने उपसर झपट्टा मार दिया ,वही टॉमी ने दूसरे पंजे से सीधे सांप के गले पर वार किया और इससे पहले की सांप कुछ समझ पाए टॉमी ने अपने दांतो से उसके गर्दन को दबोच लिया और रामनाम सत्य….

टॉमी की इस बहादुरी पर मुझे थोड़ा आश्चर्य भी हो रहा था लेकिन आज उसने मेरी जान बचा ली थी …

अभी तो ये शुरुवात थी ना जाने मुझे इस जंगल में और क्या क्या देखना पड़ेगा ……..

रात भारी बारिश हुई थी और पास जिस नदी के साथ मैं चल रहा था उसे देखकर मेरा दिल ही भर आया था,कारण था की उसमें पानी लबालब भरा हुआ था,नदी का वेग तेज हो गया था साथ ही उसका पानी बारिश के कारण गंदा भी हो चुका था,मुझे रोना इसलिए भी आ रहा था क्योकि मैं घर में फिल्टर का पानी पिया करता था ,कल तक नदी का पानी साफ़ था लेकिन आज ,मुझे आग जलानी होगी..

जब पेट में चूहों ने कोहराम मचा दिया तो मेरे दिमाग में एक ही बात आयी की आग जलाओ और कुछ पका कर खाओ लेकिन क्या..??

टॉमी फिर से सूंघता हुआ अपने जुगाड़ में लग गया था मैं उसके पीछे पीछे चलता हुआ ना जाने कहा तक निकल गया बस मैं ध्यान ये रख रहा था की नदी की दिशा में ही चलता जाऊं ,रास्ते में जो खाने के लायक मिल जाता मैं उसे खा लेता था ,दो ही दिन में मैं सिख गया था की कौन सी चीज खाई जा सकती है ,इसे कहते है जीवन का संघर्ष ..

चलते चलते मैं थक कर बैठ चुका था ,कही कोई उम्मीद की किरण नही दिख रही थी लेकिन फिर भी मुझे चलते रहना था,तभी मानो कुछ हुआ मेरे कानो में शंख की गूंज सुनाई पड़ी ,मैं उछाल कर खड़ा हो गया मानो फिर से शरीर में एक नई ऊर्जा का संचार हो गया हो..

“टॉमी तुमने सुना ,ये तो शंख की गूंज है यानी कोई इंसान आस पास ही होगा “

अब बेचारा टॉमी बोलता भी क्या वो बस मुझे ही देखे जा रहा था ..

मैं उस शंख की ध्वनि के सहारे आगे बड़ा और मैंने जो देखा उसे देखकर मेरा दिल बाग बाग हो गया था ,दूर पहाड़ पे मुझे एक मंदिर दिखाई दिया,मैंने अब देर नही की और उसी ओर बढ़ने लगा,मैं ठीक उस पहाड़ के नीचे था जिसके ऊपर मंदिर था,दोपहर से शाम होने को आई थी और मैं थक कर चूर था लेकिन फिर भी जब बात जीने मारने की हो तो कौन देखता है ,मैंने गहरी सांसे ली ..

“बस वंहा तक पहुच जा कोई ना कोई तो मिल ही जाएगा “

मैंने खुद से कहा और चलने ही वाला था की टॉमी की हरकत से मैं थोड़ा ठिठका …

वो पीछे किसी को देख रहा था ,जब मैं पीछे मुड़ा तो ……

तो लगा जैसे अब हार्ट अटैक आने वाला हो ..

एक बिल्कुल ही शार्प चीता मुझे लालची निगाहों से देख रहा था ,वो हमशे कुछ ही दूरी पर था ,मेरे हाथ पैर मानो शून्य पड़ गए थे,दिल ने धड़कना ही बंद कर दिया था,आज तक लोगो ने मुझे डरपोक कहा था लेकिन डर होता क्या है ये शायद आज मुझे पता चला,वो बड़े ही प्यार से मुझे निहार रहा था जैसे कोई भूखा व्यक्ति अपने खाने को निहारता है ..

कुछ पल के लिए लगा मानो सब कुछ थम सा गया हो ,मरे हाथो में वो भाला था जो मैंने जोड़ तोड़ कर बनाया था लेकिन उसपर भी मेरी पकड़ धीमी पड़ने लगी थी …

वो बहुत ही धीरे धीरे मेरी ओर बढ़ रहा था ,वही टॉमी की भी सिट्टी पिट्टी गुम थी ,वो भी बस उसे ही देख रहा था शायद मेरे जैसी स्तिथि उसकी भी थी ..

“है भगवान बचा ले ...माँ “

मेरे दिल से ये फरियाद निकली ,मानो मेरा पूरा प्राण बस उसे ही पुकार रहा हो ,अचानक मेरे अंदर ये भावना आयी की जब मरना ही है तो लड़ कर मारूंगा ..

मेरे चहरे का भाव बदलने लगा , ना जाने कहा से एक ऊर्जा सी मेरे भीतर उमड़ गई ,डर रोमांच में बदल गया ,हाथो में रखे भाले पर मेरी मुठ्ठी कसने लगी ,मैं पहली बार मेरे पैरों में मुझे जान आने की अनुभूति हुई ,मैं वैसे ही पोजिशन में आ गया जैसे की टॉमी आज सुबह सांप के सामने था ,शिकारी वाली पोजिशन में मैं उसके तरफ थोड़ा सा झुक गया था और भाले को अपने एक हाथ में पकड़ा हुआ अपने से पैरलर रखे हुए था,मुझे याद आया हॉलीवुड मूवी 300 का वो सीन जब स्पार्टा का युवराज लियोनार्डस एक अदमखोर जानवर का शिकार करता है……

मैं खुद को उसके ही जगह में पा रहा था,मेरे हाथो में भी भाला था,मैं भी अकेले था,बस वंहा बर्फ पड़ रही थी और यंहा धूप निकली हुई थी ,मुझे देखकर मानो चीता भी शिकारी मूड में आ गया था वो झपट्टा मारने को पूरी तरह से तैयार था ,और मैं भी उससे भिड़ने को तैयार हो गया था ..

तभी ..

शंख की ध्वनि फिर से पूरे माहौल में गूंज गई ,इस बार वो बहुत पास सी आती हुई प्रतीत हुई ,उसे सुनकर चीते को ना जाने क्या हुआ वो तुरंत ही सामान्य हुआ और वंहा से खिसक लिया ,मैं बड़े ही आश्चर्य से ध्वनि की ओर देखने लगा, सामने कुछ ही दूर पर पहाड़ के एक बड़े पत्थर पर खड़ा हुआ सन्यासी मुझे देख रहा था ,उसके हाथो में शंख था और हाथो में त्रिशूल ,पूर्ण नग्न था लेकिन पूरे शरीर में राख मले हुआ था ,बड़ी बड़ी जटाएं फैली हुई थी ,दुबला पतला ही था लेकिन मानो चहरे और शरीर से एक तेज सा निकल रहा हो,वो बस मुझे देखने लगा ,और मैं …….

मैं वही दंडवत हो गया…

******************

हम पहाड़ी के चोटी पर बने उस मंदिर में थे,मंदिर छोटा सा ही था लेकिन पहाड़ की चोटी पर होने के कारण दूर से दिखता था,शिव के उस मंदिर में एक शिव लिंग की स्थापना की गई थी ,वो मंदिर कम और इस बाबा जी का आश्रम ज्यादा थी …

पास की कुटिया में उन्होंने हमे बिठाया जो केवल एक झोपड़ी सा था ,मैं उनके सामने बैठा था मेरे बाजू में टॉमी बैठा हुआ था,

मेरे सामने एक अग्निकुंड था जो की अभी ठंडा था ..

“यंहा क्या कर रहे हो बच्चे ..”

उनकी बात सुनकर पता नही मुझे क्या हुआ मानो इतना सारा दुख जो मैं दो दिनों से अपने अंदर ही दबा कर रखा था वो बाहर फुट पड़ा मैं जोरो से रोया …

रोते रोते मैंने उन्हें पूरी बात बतला दी की कैसे मैं यंहा तक आया ,साथ ही मैंने ये भी बता दिया की कैसे निशा और चंदू ने मिलकर मेरा माजक उड़ाया और वो ऐसा क्यो करते है,सभी चीजे जो मेरे दिल में सालो से था……

वो काफी देर तक मुझे बिना टोके ही मेरी बात को सुनते रहे …..

जब मैं शांत हुआ तो उन्होंने मुझसे बस ये कहा

“भूख लगी है “

मैंने हा में सर हिलाया ,उनके होठो में एक मुस्कान आ गई

वो मेरे साथ झोपड़ी से बाहर आये और पहाड़ी से नीचे की ओर इशारा किया ,

“वंहा तुम्हे कुछ फल और कंदमूल मिल जाएंगे ,अपने लिए और मेरे लिए ले आओ “

मेरा तो चहरा ही उतर गया ,मुझे फिर से नीचे जाना था और इनके लिए भी फल लाने थे …

“लेकिन महाराज अगर कोई जानवर फिर से मुझपर आक्रमण कर दिया तो “

मेरी बात सुनकर वो जोरो से हंसे

“रुको ..”

वो झोपड़ी के अंदर गए और जब वो बाहर आये तो उनके हाथो में एक छोटी सी त्रिशूल थी उसे उन्होंने मुझे थमा दिया,साथ ही दूसरे हाथो में एक छोटा सा लकड़ी का टुकड़ा था कुछ एक उंगल जितना लंबा ,बेलनाकार ...उसे उन्होंने मुझे दिया

“ये कोई आम लड़की का टुकड़ा नही है ये जादुई लकड़ी का टुकड़ा है,अगर कोई मुसीबत आये तो इसे चाट लेना ,तुम्हारे अंदर इतनी ताकत आ जाएगी की तुम चीता ,शेर ,हाथी ,आदमी सभी तरह के जानवरो को पछाड़ दोगे…”

मैंने उन्हें आश्चर्य से देखा लेकिन वो मेरी बात सुनकर बस मुस्कुराए

“ये चंदन का एक छोटा सा टुकड़ा ही है जिसे मैंने अपने मंत्रों से सिद्ध किया है ,अब ये कोई सामान्य चीज नही है,मानो ये कोई मनी है,जिसे मिल जाए उसकी जिंदगी बना दे,वो हर चीज दिला दे जो वो चाहता है ,ताकत,हिम्मत ,हौशला,और जिसकी तुम्हारे अंदर बहुत कमी है आत्मविस्वास और आकर्षण ये जब तुम्हे सब कुछ देगा …….”

उनकी बात सुनकर मुझे माँ की बात याद आ गई मुझे लगा जैसे भगवान ने मेरी सुन ली और ये फरिश्ता मेरे पास भेज दिया ,मैं खुसी खुशी टॉमी को लेकर नीचे चला गया ….

शाम से रात हो गई थी जब मैं वापस आ रहा था ,लेकिन रात के उस अंधियारे में भी डर की कोई छोटी सी लकीर मेरे जेहन में नही थी ,जबकि ये रात का अंधियारा और ये अकेलापन भी मुझे बड़ा ही सुहा रहा था क्योकि मन में कोई डर नही था,मुझे हमेशा लग रहा था की कोई अदम्य शक्ति मेरे साथ है जो की वक्त पड़ने पर मुझे किसी भी मुसीबत से निकाल देगा,मैंने बहुत से फल टोकरी में भर लिए थे ,टॉमी तो अपना जुगाड़ खुद ही कर रहा था ,जीवन में पहली बात मुझे पता चला की बिना डर के जीना क्या होता है,निर्भीकता क्या होती है ,साहस और शांति क्या होती है……

मैं झूमता हुआ गुनगुनाता हुआ मस्ती में टॉमी के साथ बड़े ही मजे से पहाड़ी चढ़ कर फिर से आश्रम तक पहुच गया ,बाबा जी ध्यान में बैठे थे ,तब तक मैं ऊपर रखे एक पत्थर पर बैठा दूर देखने लगा ,दूर दूर तक बस जंगल ही जंगल था ,रात होने के साथ चांद की रोशनी में वो जगह किसी जन्नत से कम ना थी ,इसीलिए साधु सन्यासी जंगलों की ओर चले आते है,हवाओ में थोड़ी सी ठंड होने लगी थी ,कभी कभी थोड़ी कपकपी सी लग जाती ..

थोड़ी देर बाद ही बाबा जी बाहर आये और मुझे देखकर अपने पास बुला लिया,मैंने अपने साथ लाये हुए फल और कुछ कंदमूल उन्हें धो कर दिए ,और पास ही बैठकर मैं भी खाने लगा ….

“तुम मंदिर के अंदर ही सो जाना ,बाहर रात होने के साथ साथ ठंड और भी बढ़ेगी “

मैंने हा में सर हिलाया …….

सुबह होते ही मैं उनके साथ पास की नदी में नहाने और पानी लेने चला गया,आते आते उनके साथ कुछ लकड़ियां भी बीनते हुए ले आये,साथ ही कुछ फल और पत्ते और कंदमूल भी ,उन्होंने मुझे बताया की क्या खाते है क्या नही खाते,किस पेड़ की जड़ को खाया जाता है,और कुछ ऐसे पेड़ और पौधों के बारे में उन्होंने बताया की मैं सुनकर दंग ही रह गया,सच में प्रकृति हमे कितना कुछ देती है ……

ऊपर आते ही उन्होंने कहा की इतना पानी मेरे लिए ही काफी होता है तुम और पानी ले आओ ,नदी कुछ किलोमीटर दूर थी लेकिन मेरे पास समय ही समय था ..मैं खुसी खुसी फिर से नीचे चला गया मैं अपने पर खुद ही हैरान था की मेरे अंदर इतनी ऊर्जा कहा से आ रही है,मैं थक ही नही रहा था,वो लड़की अब भी मेरे पास थी,पानी लाकर मैं फिर से नीचे फल और कंदमूल की तलाश में निकल पड़ा और शाम होने से पहले तक लकड़ियो के साथ वापस भी आ गया …

हम शाम का भोजन कर रहे थे ..

“तो वो लकड़ी तुमने सम्हाल कर तो रखी है ना “

“जी महाराज ,ये तो कमाल है ,मुझे अपने जीवन में कभी इतनी ऊर्जा और शांति का अनुभव नही हुआ था,ना ही इतनी निडरता मेरे अंदर कभी भी थी ..”

वो मुस्कुराए

“अभी तो ये बस शुरवात है तुम सोच भी नही सकते की ये तुम्हारे लिए क्या कुछ नही कर देगी ,तुम जिसे चाहो अपना गुलाम बना लोगे तुम्हारी वाणी में वो तेज आ जाएगा ,जो चाहोगे वो पा लोगे तुम्हारे अंदर उतनी ऊर्जा और ताकत आ जाएगी ,शाररिक क्षमता मानसिक क्षमता जो भी तुम बढ़ाना चाहो सब इसके उपयोग से बढ़ा सकते हो ,बस तुम्हे शुरवात करनी होगी बाकी मदद ये कर देगा ,तुम इसे एक ताबीज की तरह बनाकर रख लो मैं तुम्हे रेशम का एक धागा दे देता हु,मेरी तरफ से ये तुम्हारे लिए उपहार है ...अभी तुम्हे कुछ दिन यही रहना होगा,जब गांव से कोई इधर आएगा या फारेस्ट वाले लोग इधर आएंगे तो तुम उनके साथ चले जाना “

उनकी बात सुनकर मुझे कैसा लगा ये तो मैं बता भी नही सकता,मैं उमंग से भर गया था ,मैं इतना खुश था की मेरे आंखों से कुछ आंसू गिर पड़े…

********************

मैं लगभग 10 दिन तक वही रहा,उस पहाड़ी में चढ़ना उतारना मेरे लिए बच्चों का खेल बन गया था,मैं अपने को बहुत ही ताजा और ताकतवर महसूस कर रहा था,मैं हमेशा ही उमंग में रहता था ,मैं टॉमी के साथ खेलता हुआ जंगल में दूर तक निकल जाता ,कई किलोमीटर यू ही दौड़ जाता जाता था मुझे ये जंगल ही अपना घर लग रहा था ,सच कहु तो मुझे यंहा से वापस जाने का भी मन नही कर रहा था लेकिन …

लेकिन वो दिन आ गया जब मुझे जाना था ,फारेस्ट डिपार्टमेंट के कुछ लोग पेट्रोलिंग करते हुए वंहा पहुच गए थे ,बाबा जी ने उन्हें मेरे बारे में बताया ..

“अच्छा तो ये लड़का है ,हमने इसे बहुत ढूंढने की कोशिस की लेकिन ये कही नही मिला,पुलिस वाले अब भी इसकी तलाश कर रहे है,हम इसे पुलिस के पास ले जाएंगे वंहा से इसे इसके घर पहुचा दिया जाएगा “

जाते वक्त बाबा ने मेरे सर पर हाथ फेरा ,उनके स्पर्श में बहुत ही स्नेह था ,मैं तो फफक कर रो ही पड़ा ऐसे लगा जैसे ये ही मेरा घर था और मुझे किसी अनजान जगह जाना पड़ रहा हो …

उन्होंने मुझे प्यार से समझाया

“अपने पर और मेरी विद्या पर भरोसा रखना तुम जितने के लिए ही पैदा हुए हो “

उन्होंने मेरे कानो में कहा और मैं आंसू पोछता हुआ उनके चरणों में गिर गया ..

“मैं यही रहना चाहता हु बाबा ..’

मैं उनके चरणों में पड़े हुए आखिर अपने दिल की बात कह ही दी

“बेटा के जगह तुम्हारे लिए नही है ,पहले जीवन को जी तो लो फिर सन्यास लेना ,मेरे दरवाजे तुम्हारे लिए हमेशा खुले रहेंगे लेकिन अभी समय नही आया है ,अभी तो तुम्हे इस जीवन को जीना है इससे भागना नही है ..”

उन्होंने क्या कहा मुझे उतना तो पल्ले नही पड़ा बस ये समझ आ गया की मुझे वापस जाना होगा …

***********

फारेस्ट वाले मुझे पुलिस के हवाले कर दिए जिन्होंने मेरे घर में फोन कर उन्हें बता दिया की मैं मिल गया हु और पुलिस के साथ वापस आ रहा हु …

मैं घर जा रहा था कुछ 12-13 दिन बाद ,लेकिन अब मैं वो राज नही था जो गलती से जंगलों में खो गया था ,मैं एक अलग ही इंसान था ,मैं वो था जिसने दो दिन तक अकेले घने जंगल में सरवाइव किया था,मैं वो था जिसने मौत को करीब से देखा था,मैं वो था जो एक ऊंचे झरने से गिरने के बाद भी जिंदा बचा था,मैं वो था जो एक जंगली चीते के सामने उससे लड़ने को तैयार खड़ा था,मैं वो था जो दिन में कई बार ऊंची पहाड़ी पर उतर और चढ़ सकता था वो भी सर में एक पूरी भरी मटकी ले कर ,और मैं वो था जिसके साथ एक तपस्वी ,योगी ,सिद्ध पुरुष का आशीर्वाद था ………

 
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aka3829

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Bhai, is story me tommy raj ka sachha dost hai. Isliye ek suggestion hai, ki raj ki maa, beheno ko tommy se bhi chudwana. Us lakdi ke tukde ko tommy chatega to usme bhi kuchh shaktiya aa jayengi.
Tum ulti baat kyu karte ho. Sayad tumhe lekhak ke bare me kuch nahi pata ki wo kya sochta he aur kaise likta he. Dr. Sahab ki lekhan saili aisi nahi he jaise ki tum ne kaha he. Aur aage se aisi bakwas karne se pehle ye dekh lena ki lekhak kaise likhta he aur usaki kya lekhan shaili he
 
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