123aaliahai
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अध्याय 47
डॉ के पास से मैं और भी बहुत दुविधा लेकर वापस आया ,एक दुविधा तो ये थी की चन्दू का असली बाप आखिर कौन था..??
और मेरे पिता ने भी शैतान की साधना की थी तो क्या उनके ही खून का असर है की शैतानी वाला पेय पीने के बाद से मेरी पास कुछ अलग तरह की शक्तियां आ गई जैसे आंखों से देखकर किसी लड़की के अंदर के हवस को जगा देना ,और फिर जैसा की समीरा ने कहा मैं अपने पिता से भी शक्तिशाली हु इस मामले में ..वाह ..
लेकिन फिर भी नेहा दीदी पर इसका कोई असर क्यो नही हुआ
मैं सोचता हुआ गाड़ी चला रहा था ,और मैं घर जाने की बजाय सीधे हॉस्पिटल पहुचा ..
मैं डॉ ले सामने बैठा था ..
“चंदानी साहब कैसे आना हुआ आपका “
मैं राज से चंदानी साहब कब बन गया था मुझे खुद को ही पता नही चला ..
“डॉ साहब मैं एक पेशेंट के बारे में पूछने आया हु ,कान्ता ..अभी वो कैसी है “
“ओह वो आपके घर की नॉकरानी..जी शायद मानसिक आघात बहुत ही ज्यादा है कोमा से अभी भी बाहर नही आयी है वो ..”
मैंने एक गहरी सांस छोड़ी
“कब तक बाहर आएगी ??”
“कुछ कहा नही जा सकता ..”
“ओके..”
मैं वंहा से निकल कर सीधे sp के पास पहुच गया वो भी मुझसे बड़े ही प्यार से मिला
“sp साहब मुझे आपसे एक काम है ,मुझे विवेक अग्निहोत्री के केस की पूरी जानकारी चाहिए ,साथ ही आप DNA मैच करवाइए विवेक के घर से उसके पर्सनल चीजो से जो भी सेमल मिलता है उसका और उस लाश का जिसे विवेक का कहा गया था “
“सर लाश का चहरा पूरी तरह से खराब था तो हमने DNA मैच पहले ही करवा लिया था उसी से कन्फर्म हुआ था की ये विवेक की लाश है “
मैं सर पकड़ कर बैठ गया था की अचानक मेरे दिमाग में एक और बात आयी
“क्या विवेक की बीवी का डीएनए मैच हुआ था ..”
“नही लेकिन उसका चहरा तो ठीक था जरूरत ही नही पड़ी पहचानने के लिए “
“ओके एक काम करिए अतुल के घर से उसके कुछ पर्सनल चीजो को कलेक्ट करे और उसका डीएनए विवेक वाले डीएनए से मैच करवाये ,हो न हो मुझे शक है की जिसे हम विवेक की लाश समझ रहे है वो अतुल है और अतुल नही बल्कि विवेक गायब है “
“वाट..”
sp उछाल पड़ा
“ये आप क्यो कह रहे हो ??”
“बस दिमाग में एक बात आयी ,क्योकि ऐसा भी तो हो सकता है ना ..”
“हा बिल्कुल हो सकता है क्यो नही “
“तो बस इतना काम मेरा कर दीजिये,और साथ ही विवेक के बॉडी,या कपड़ो में कुछ और मिला हो तो उसका भी जांच करवा लीजिए और एक बार विवेक के घर और जाकर तलाश कीजिये कोई सेम्पल मिल जाए बाल या कुछ भी ..”
SP ने एक गहरी सांस ली
“सर ये सब ..”
“देखिए सर मेरे लिए ये इम्पोर्टेन्ट है आप बोलो तो ऊपर से परमिशन दिलवा दूंगा या अगर पैसों का कोई मेटर हो तो “
“अरे सर ऐसा कुछ नही है “
लेकिन उसकी बात से मुझे समझ आ गया की वो आनाकानी क्यो कर रहा है ..
“आप फिक्र मत कीजिये ,आपकी मेहनत का पूरा इनाम आपको और आपकी टीम को मिलेगा ,कल ही मैं आपका पहला इनाम आपके पास भेजवाता हु “
“अरे सर आप ये “
वो कुछ बोलता उससे पहले मैं खड़ा हो गया
“आप फिक्र मत कीजिये बात लीक नही होगी ..”
मैं मुस्कुराते हुए वंहा से निकल गया और समीर को फोन लगा दिया ..
“समीरा 3 लाख कल सुबह तक sp के पास पहुचा दो “
“ओके बॉस “
समीरा ने मुझे ये भी नही पूछा की किसलिए ,ये बात भी मुझे उसकी अच्छी लगी ….
**********
मैं अपने कमरे में बैठा हुआ छत को ही निहार रहा था ,अगर विवेक जिंदा हुआ तो ..???
तो का जवाब अभी तो एक ही शख्स दे सकता था वो थी माँ ,लेकिन उन्होंने तो पहले ही सब कुछ बता दिया है ,अगर ये विवेक की एक तरफा मोहोब्बत रही हो जैसा की माँ ने बताया था तो मुझे उनके चरित्र पर शक करने का अपराध करना होगा और उसके लिए माँ मुझे कभी माफ नही कर पाएगी ..
दूसरी चीज अगर वो जिंदा हुआ तो कहि ना कहि से तो ऑपरेट कर रहा होगा लेकिन उसतक आखिर पहुँचूँगा कैसे ??
मैं सोच ही रहा था की नेहा दीदी कमरे में आ गई ,मेरे दिमाग का तार फिर से झकार मारने लगा ,आखिर वो ही तो थी जिसपर मेरा जादू बेकार हो गया था …
वो मुस्कुराते हुए मेरे बिस्तर में आकर बैठ गई ..
“कहा खोया है तू ,सभी माँ के साथ बैठे हुए है और तू यंहा अकेले क्या सोच रहा है “
मैंने दीदी को एक बार नजर भर देखा
“अब ऐसे क्या देख रहा है ??”
“देख रहा था की आखिर आपके अंदर क्या है?? “
“मतलब ??”
“मतलब की एक तरफ तो आप मुझे भाई बहन के प्यार का वास्ता दे कर रोकती है वही दूसरी तरफ निकिता दीदी निशा और सना के साथ किये कामो को सपोर्ट भी करती है ..”
मेरे सवाल से उनका चहरा गंभीर हो गया था …
“भाई...तूने कभी भाई बहन के प्यार को समझा ही नही ,हमने कभी तुझे बहनो वाला प्यार किया ही नही इसलिए तेरे लिए उनके कोई मायने नही है ..”
उनका चहरा उतर सा गया था ..
“ऐसी बात नही है दीदी ,मेरे लिए आज भी निशा और निकिता दी मेरी बहने है “
उसके चहरे में एक व्यंगात्मक सी मुस्कान आ गई
“इसमे प्यार काम और हवस ज्यादा है “
“मुझे तो बस प्यार ही लगता है “
“क्योकि तुझे प्यार की समझ ही नही है “
मैं एकटक उन्हें ही देख रहा था हमारी नजर मिली और मैंने वही किया जिसका मैं आदि हो गया था ..
लेकिन उन्होंने तुरंत ही अपनी नजरे मुझसे हटा ली ..
“तू मेरे साथ वो नही कर सकता जो बाकियों के साथ करता है “
उनके आवाज में दुख था साथ ही आंखों में पानी ,मुझे अपनी गलती का अहसास हुआ ..
“माफ कर दो दीदी लेकिन ..लेकिन ये मेरी आदत में शामिल हो चुकी है “
“तू हवस की पूजा करने लगा है राज प्रेम की नही “
उनकी बात में एक अजीब सा दर्द था …
“ये आप क्या बोल रही हो दीदी “
“हाँ राज ,निशा तक ठीक था वो तो तुझसे प्यार करती थी ,भाई बहन के रिश्ते से अलग प्यार था उसका ,लेकिन फिर निकिता दीदी के साथ ,जब मुझे ये बात पता चली तो मेरा आपा खो गया मैं सीधे निकिता दीदी के पास पहुच गई और उन्होंने मुझे कहा की तूने उनकी आंखों में देखा और पता नही उसके बाद उन्हें क्या हुआ वो खुद को सम्हाल नही पाई ,और फिर उन्होंने मुझे ये भी बताया की तू सेक्स के मामले में कैसा है ,मतलब की तू एक से संतुष्ट भी नही होता ...मुझे हमारे पापा की याद आ गई ,मैने उनके बारे में ये सुन रखा था की वो किसी लड़की को देख ले तो लड़की कैसी भी हो उनकी ओर आकर्षित हो जाती है ,और वो भी एक से संतुष्ट नही होते थे...मैं नही चाहती की मैं भी तेरी हवस का शिकार हो जाओ इसलिए जब भी तू ऐसा करने लगता है मैं अपनी आंखे हटा लेती हु ,क्योकि मुझे भी कुछ कुछ सा होने लगता है “
उनकी आंखों में पानी आ गया था ,उनके इस बात ने मुझे अंदर तक झंझोर कर रख दिया ,वो मेरे हवस का शिकार नही होना चाहती थी ,मतलब की निशा ,निकिता दीदी और सना मेरी हवस का शिकार है,क्या मैं एक शैतान बन रहा हु …
“तो आप उनका साथ क्यो देती हो उन्हें क्यो नही कहती की वो मुझसे अलग हो जाए “
दीदी हल्के से मुस्कुराई कितना दुख था उस मुस्कुराहट में ..
“क्योकि तू उनकी आदत बन गया है,अब पीछे जाना बहुत मुश्किल है राज ,एक बार जो हवस के गर्त में गिरा वो फिर गिरता ही जाता है ,क्या तू खुद को उनसे दूर रख सकता है ,क्या तुझे नई नई लडकिया नही चाहिए ..तू खुद से पूछ और मुझे जवाब दे .ताकत का इस्तमाल तूने गलत किया अब इसकी सजा भी भुगत “
वो उठकर जाने लगी लेकिन मैंने तुरंत ही उनका हाथ पकड़ लिया ..
इस बार मेरे आंखों में भी आंसू थे ,मेरा दिल टूट सा चुका था ..
“नही दीदी आप इस हालत में मुझे छोड़कर नही जा सकती ..”
मेरे अंदर कुछ मुझे ही अपने किये पर धिक्कार रहा था ,मैंने ये क्या कर दिया था ..शायद कुछ बहुत ही गलत जिसका मुझे आभास भी नही था ..
लेकिन मेरे आंखों का पानी नेहा दीदी को वंहा रुकने पर मजबूर कर गया था ..वो मेरे पास बैठी और मेरे बालो को सहलाने लगी ,
मैं उनके सीने से जा लगा ,ये अलग ही अहसास था ,उनकी छतिया आज मेरे लिए किसी हवस का पर्याय नही थी ,वो आज मेरे लिए ममता की मूरत सी थी ..
मैं उनके छातियों के तकिए को सिहराना बना उन्हें जकड़ा हुआ था ..
वो प्रेम से मेरे बालो को सहला रही थी ,मेरे नयन गीले थे उनके नयन भी गीले थे ..वो सिसक रही थी ना जाने क्यो,मैं सिसक रहा था उनके इस प्रेम को देखकर ..
“भाई ये कोई बीमारी नही जिसका कोई इलाज हो ,ये ताकत है जिसका उपयोग किया जाता है ,लेकिन कहा उपयोग करना है ये इसे सही या गलत बनाता है ,तूने जो भी किया वो कर दिया लेकिन रुक जा भाई ,लड़की का जिस्म सिर्फ हवस के लिए नही होता ,ये प्रेम के लिए भी हो सकता है ,ये ममता में डूबा हुआ भी हो सकता है..ये तेरी बहन का भी हो सकता है भाई “
वो फफक कर रो पड़ी थी ,ना जाने कितना दर्द था जो वो इतने दिनों से दबाये हुए थी ...सब आंसुओ के जरिये बाहर आ रहा था ..
“दीदी लेकिन क्या मैंने पाप किया है ..??”
“कैसे इसे मैं पाप कह दु ..और कैसे कह दु की ये सब सही था ,मैं दोनो ही नही कह सकती ,पाप ये तब होता जब तूने जबरदस्ती की होती ,और सही ये तब होता जब तूने रिश्तो की लाज रखी होती ...तेरे लिए तेरी बहने क्या मात्रा लड़की का जिस्म भर है ??”
“नही दीदी ऐसा मत कहो ,मैं अभी बच्चा हु मुझे इन चीजो की कोई समझ नही है ,मैं तो बस अपने दिल की सुनता रहा पता ही नही चला की ये सब कैसे हो गया …”
मुझे आज पहली बार किसी ने मेरी गलती का अहसास दिलाया था ,मैं फफक रहा था किसी छोटे बच्चे की तरह ,और दीदी मुझे प्यार कर रही थी किसी माँ की तरह ..
“चुप हो जा मुझे पता है की तूने ये जानबूझ कर नही किया,लेकिन जो हुआ उसमे हमारी भी तो गलती थी ,काश हमने तुझे पहले ही समझा देती के बहन और भाई में प्यार कैसा होता है ,ये जिस्म का प्यार नही होता ये रिश्तो का प्यार होता है,हम तुझे कभी प्यार दे ही नही पाए तुझे शायद इसलिए तूने प्यार का मतलब ही गलत समझ लिया “
वो सिसकते हुए बोली
“तो आप समझाओ ना उस प्यार का मतलब “
मैंने अपना सर ऊंचा किया और उनके मासूम से चहरे को देखने लगा जिसमे अभी अभी एक मुस्कान आई थी ..
उन्होने प्यार से मेरे गालो को सहलाया
“ये समझाया नही जाता ,इसे फील किया जाता है ,तू सोच की तू रोया क्यो..?? क्योकि तुझे आज भी अपनी बहनो से प्यार है इसी प्यार को ढूंढ तुझे समझ आ जाएगा की प्रेम का अहसास क्या होता है ,बिना जिस्म को भोगे भी तो प्रेम किया जाता है ना ..उस प्रेम का अहसास समझ भाई ,तेरे अंदर अच्छाई अभी भी है तू समझ जाएगा मेरी बात …”
उनकी मासूम होठो से इतने बड़े शब्द मुझे बड़े ही प्यारे लग रहे थे,मेरा मन हुआ की मैं उनके होठो को चुम लू..
“मुझे अभी आपके होठो को चूमने का मन कर रहा है वो सच में बहुत ही प्यारे लग रहे है “
मैंने मासूमियत से कहा लेकिन मेरी बात सुनकर वो जोरो से हँस पड़ी ,फिर अचानक ही गंभीर भी हो गई
“बिना होठो को चूमे भी तो प्यार जताया जा सकता है ना “
“दिल से ...तुझे कुछ पाने की आश है तू बस अपने बारे में सोच रहा है ,प्यार भी एक एनर्जी की तरह है वो फ्लो हो रही है अब तुझे मेरे होठो को चूमने से शांति मिलेगी ,तू अपना प्यार जाता पायेगा तुझे ऐसा लग रहा है लेकिन वही प्यार तू मेरे माथे को चूमकर भी तो जाता सकता है ..”
मैंने झट से उनके माथे को चुम लिया ..
हा वही अहसास था बिना किसी जिस्मानी तमन्ना के ..
“कुछ समझ आया “
उन्होंने पूछा
“सिख जाऊंगा धीरे धीरे “
मैंने मुस्कराते हुए कहा
“गुड …चलो मैं चलती हु माँ के पास ..”
“लेकिन दीदी निकिता और निशा का क्या “
वो फिर से हंसी
“बेटा खुद तो चुका है अब निभा उसे “उन्होंने प्यार से मेरे सर पर अपना हाथ फेरा और वंहा से निकल गई …
मैंने टॉमी को देखा जिसे देखकर लग रहा था की सला मुझपर हँस रहा हो ..
“यार टॉमी दीदी सही कह रही थी ,अब मुझे तुझसे भी प्यार है इसका मतलब तुझे चोद थोड़े दूंगा “
टॉमी उठ खड़ा हुआ और
“भो भो भो”वो गुस्से में गुर्राया ...जिसे देखकर मैं जोरो से हँस पड़ा ….