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Incest जिन्दगी ## एक अनाथ की##

Goldybull

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Update1

मुम्बई का एक नामी बिजनेसमैन अपनी बीवी और उसके ** साल के बच्चे के साथ गर्मियों की छुट्टी बिताने के लिए हिमाचल घूमने आया था , मनोज देसाई और उसकी बीवी नीता दोनो बहोत खुश थे , इसकी वजह यह थी कि बेटा होने के बाद और काम की वजह से वो 4 सालो से कहि घूमने गए नही थे , लेकिन आज वो अपने बेटे के साथ अपनी मनपंसद जगह पर आये थे, मनोज एक स्टील के बड़ी कंपनी का मालिक था ,पैसा बहोत था उसके पास लेकिन वो दिल का भी उतना ही अमीर था और उसकी बीबी निता भी उसके जैसी ही थी, देखा जाए तो एक दूजे के लिए दोनों बने थे, उनको छोटे बच्चों से बहोत लगाव था और उसकी वजह थी उनके शादी के 5 साल तक कोई संतान न होना
लेकिन उनको इस बात का कोई गम नही था , उन्हें भगवान पर पूरा भरोसा था कि उन्हें मा बाप बनने की खुशी जरूर मिलेगी , ना तो मनोज में कोई कमी थी ना नीता में कमी थी तो बस किस्मत की , और ऐसी बातों को भूलकर मनोज और नीता ने मुम्बई में एक अनाथ आश्रम खोल दिया था दोनो अपना खाली वक्त वही बिताते और वहां के छोटे बच्चो में अपना प्यार देते रहते, उन्ही नन्हे भगवान की दुवा कहिए कि नीता को एक बेटा हो गया , पर बेटा होने के बाद भी मनोज और नीता ने अनाथ आश्रम को और ज्यादा प्यार देते थे
मनोज और नीता आज अपने तीन साल के बेटे के साथ जिसका नाम मनोज ने अपने पिता के नाम पर रखा था विजय,( कहानी का हीरो या बदनसीब)
अपने कुलदेवता के पास दर्शन करने आये थे , माता के मंदिर में दर्शन करके ,वहां के गरीबो को अपने बेटे के नाम से बहोत बड़ा भंडारा करवाया ,भोजन के साथ कपड़े भी बाट दिए और मन्दिर के पुजारी के कहने पर वहां के लोगो लिए एक अस्पताल ,स्कूल और अनाथ आश्रम भी खोलने का वचन दिया , वचन देके वो वहां से गये नही बल्कि जबतक वह बन नही जाते तबतक वही रुक कर वह 3 महीने में पूरा कर दिया ,और उसका खर्च के लिए एक बडी रकम बैंक में जमा करके उसके ब्याज पर सारा खर्चा हो इसका इंतजाम भी कर दिया,
औऱ उसका सारा भार मन्दिर के पुजारी के हवाले कर दिया
उस गांव का नाम था भवानि गढ़ और मंदिर के पुजारी थे जगत राम जी जो कि एक बहोत ही बड़े पंडित के साथ भले आदमी थे ,मनोज का एक बहोत बड़ा पुश्तेनी घर भी उसी गांव में था, वह तो बस अपने काम की वजह से ही मुम्बई रहता था नही तो उसको अपने गाँव से बहोत लगाव था , नीता को वह मुंबई में ही मिला था कॉलेज पढ़ते समय और दोनो में प्यार और शादी मुम्बई में ही कर ली,निता भी एक बड़े घर की बेटी थी उसका भी एक बड़ा परिवार था 3 भाई , 2 बहने ,नीता सबसे बड़ी थी ,उसके पिता का कपड़े के कारखानों के मालिक थे, उनका बिजनेस पूरे हिन्दुस्तान में फैला हुवा था ,मनोज के पिताजी भी बहोत बड़े जमींदार थे, और उनका भी स्टिल का कारोबार था, और मनोज के 2 बड़े भाई थे वो सारा काम देखते थे
सबसे बड़े भाई का नाम मुकेश वो दिल्ली में रहता था ,उससे छोटा मिलिंद भी दिल्ली में रहकर अपने बड़े भाई के साथ कम्पनी में काम देखता था, तीनो भाई एक दुसरे से बहोत प्यार करते थे, और मनोज तो सबका बचपन से लाडला था ,उसको मुम्बई पढ़ने उसके कहने पर ही भेजा था क्योंकि मनोज को मुंबई में रहकर देखना था ,और उसके पिताजी भी मुंबई से ही पढे थे तो उसका बचपन से एक ख्वाब था कि अपने पिताजी की तरह वो भी वही से कॉलेज करे
अब आते ही कहानी की तरफ आज भवानीगढ़ में स्कूल अस्पताल और अनाथालय का काम पुरा हुवा था और उसका उद्धाटन के समय मनोज और नीता के दोनों के सब घर के लोग वही आये थे
मुकेश ,मुकेश की बीवी शांति उनकी 3 बच्चे थे
पूनम **साल
मोना ** साल
पायल ** साल
मिलिंद ,और उसकी बीवी सिमा उनके 2 लड़कियां थी
रीमा **साल
नेहा ** साल
निता के पिताजी और माँ
नीता के भाई
रोहित उसकी बीवी मनीषा उसकी एक बेटी थी
रिना ** साल
रितेश और उसकी बीवी हेमा उनकी भी एक बेटी थी
मधु **साल
सबसे छोटा भाई राजन उसकी अभीतक शादी नही की गई थी
छोटी बहन नीलम उसका पति अशोक उनके 2 बच्चे थे
रोमा * *साल
दिया **साल
सबसे छोटी बहन नन्दिनी उसकी पति शुभम ,और एक बेटी जूही **साल की
वहां पर सिर्फ मनोज के पिताजी और माँ नही थी , आज से 10 साल पहले एक कार दुर्घटना में दोनों नही रहे थे
आज बहोत दिनों बाद सब एक साथ थे ,सब बहोत खुश थे और सब लोगो के कहने पर विजय के हाथो से ही रिबन काट कर अस्पताल, स्कूल और अनाथ आश्रम का उद्घाटन किया गया !
शाम को सब लोग आराम करने अपने पुराने घर पर आ गए ,रात के खाने के साथ सब लोग अपनी बातों में लगे रहे ,फिर सब लोग अपने कमरो में सोने चल दिए ,वो घर इतना बड़ा था कि उसके अंदर 30 से ज्यादा कमरे थे, दो मंजिल वो मकान मनोज के दादा ने बनाया था , आज भी वह इतना पुराना होकर भी ,किसी राजमहल जैसा था, और वह हमेशा वैसा ही रह इस लिए उस घर मे काम करने के लिए बीस से ज्यादा नौकर काम करते थे,वो घर के काम के साथ मनोज और उनके भाई लोगो की खेती का काम भी देखते थे,जब तक मनोज के माता पिता जिंदा थे वही सब काम नोकरो से करा लेते थे, लेकिन उनके मरने के बाद सब काम उनका सबसे पुराना नोकर भीमा ही देखता था,उसकी 3 पीढयों से वह मनोज के परिवार के पास काम करतें थे, और आज भी भीमा पूरी ईमानदारी से सब काम करता था,मनोज और उसके भाई कभी भीमा को नोकर नही बल्कि अपना एक भाई ही मानते थे, भीमा उसकी बीवी कांता के साथ वही बने एक घर मे रहता था ,
रात के पहर में सब अपने कमरे में सो रहे थे पर एक कमरे में जोरदार चुदाई चालू थी
एक आदमी औरत के ऊपर चढ़कर उसके 7 इंच के लंड से उसकी चूत में किसी कुते की तरह उसको चोद रहा था और वह औरत भी अपनी टाँगे उठाकर उसको और जोर से चोदने को उकसा रही थी, करीब 5 मिनिट में ही वह अपना पानी उसकी चूत में छोड़ दिया और वह औरत बस अपनी चुत की की आग ठंडी नही होने से चिढ़ गयी और उसने उस आदमी को एक छाती में लात मार कर पलँग से नीचे गिर दी,
साले हरामी तू मुझे ठीक से ठंडा नही कर पाता है ,5 मिनिट नही टिक पाता तु मेरी चुत के आगे ,
तू क्या नीता को चोदेगा
में अपने पति को नींद की गोली देकर तुज़से अपनी चुत की आग ठंडी करने आयी थी ,लेकिन तू कुछ काम का नही है
चल और जबतक मेरी आग ठण्डी नही होती तब तक मेरी चुत चाट ,वो आदमी बिना कुछ बोले उसकी चुत चाटने लगा ,और वह औरत अपनी चुत में चाटते देख कर खुश हो गई ,जब तक वह उसकी चुत ने अपना पानी नही छोड़ा तबतक वह उसके सर को अपनी टांगो में दबा के रखी और पूरा चुत का पानी उसको चाटकर साफ करने को बोली ,पूरा काम होने के बाद वो बोली सुन भड़वे अगर कल तूने कोई अपने काम मे गलती की में तुझे जिंदा नही छोडूंगी , में तेरा लन्ड काट कर तुझे हिजडा बना दूंगी और जबतक तू जिंदा रहेगा तब तक मेरे भाई के आदमी तेरी गांड मारते रहेंगे
कल किसी भी कीमत पर मनोज ,नीता और वह हरामी का पिला विजय मरने चाहिए, अगर उन तीनों में से कोई भी जिंदा बचा तो तू भी नही बचेगा, चल जा अब अपनी बीवी के पास
वह आदमी सब बात सूनकर वहा से अपने कमरे में चला गया, और वह औरत अपने मन मे बोली मनोज काश तुम मेरी बात मान जाते ,मैंने तो तुम्हे बस कभी कभी मेरी तन की प्यास पूरी करने को कहा था पर तुम ने मुझे ठुकरा कर बहोत बड़ी गलती कर दी ,अब इसकी सजा तुम को मरकर चुकानी होगी
 
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Goldybull

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Update 2
होली का दिन था और भवानीगढ़ में आज सब तरफ धूम मची थी ,बच्चे बूढे जवान हर कोई होली के रंगों में भीगा हुवा था और एक दूसरे को भी रंगों में भीगा रहा था, मनोज अभी बारवीं में था और वो नया नया जवान हुवा था उसको तो होली में बस सबके साथ खेलते हुए बहोत मजा आ रहा था ,आज उसकी होली सबसे अलग होने वाली थी उसको अगले साल से पढ़ाई करने मुम्बई जाने की इजाजत उसके पिताजी दे चुके थे, तो बस मनोज ये होली में अपने सभी दोस्तों के साथ मजे कर रहा था ,
मनोज के दोस्तों ने आज भांग पीने के मन बना लिया था और भांग पीकर वो देखना चाहते थे कि भांग का नशा कैसा होता है, भांग तो आज बड़े लोग पीते थे पर बच्चों को पीना गाव में मना था और ये मनाई मनोज की पिता एव गाव के मुखिया विजय जी ने की थी, पूरा गांव उनकी बात कभी टालता नही था, और कुछ थे जो बस मजे के लिए चोरी छुपे पीते थे ,लेकिन पीकर गाव में नही आते थे ,गाव के बाहर एक तालाब था वही पीते ,और मजे करते ,आज मनोज भी तालाब पर आया था उसे मालूम था कि यहां भांग पीते है ,वो तो बस सबके साथ आज मिलने और बाते करने आया था
मनोज के दोस्तों ने भांग का एक एक गिलास पी कर देखा तो उन्हें कुछ नशा हुवा नही और भांग का नशा तो धीरे धीरे होता है ये बात उनको कहा पता थी ,तो कुछ ने दो तो कुछ लोगोने दो से ज्यादा पी ली , मनोज को सब ने मनाया की आज तू भी पीकर देख ले ,इसमे कुछ ज्यादा नशा नही है , देख हमने पी हमे देखकर लगता है हमने नशा किया है , सबने उसे मनाकर एक गिलास पिला दिया, मनोज भी पी गया उसे भी लगा ज्यादा नशा होगा नही ,सबके साथ वही तालाब पर रंग खेलते दो घण्टे हो गए अब शाम होने को आई थी ,सब लोग तालाब पर नहा धोकर अपने अपने घर वापिस निकल रहे थे,निकलते समय भी कुछ बची हुवी भांग सबके साथ मनोज ने भी पी ली, और वो अपने घर लौट आ रहे थे, मनोज को घर जाते समय हल्का सा नशा होने लगा था इसीलिए वो जल्दी घर पहोच गया, आज घर पर बहोत से मेहमान आये थे, उसके बडे भाई की शादी होकर 2 साल हुवे थे और शांति भाभी के मायके से भी कुछ लोग आए थे ,
मनोज सधे कदमो से और चुपचाप घर दाखिल होकर सबसे मिलकर ज्यादा बातचीत नही किया और थकावट का बहाना बनाकर अपने कमर में जाने लगा, तभी उसे पीछे से उसकी माँ ने पुकारा
मनु रुक जा, कहा जा रहा है, ये देख तेरी पसन्द बंगाली मिठाई बनाइ है ,वो तो खा ले सुबह से घर पर नही था पता नही कुछ खाया या नही
नही मा दोपहर में मैने सुल्तान चाचा के यहा खाना खाया था आज उन्होंने मुझे ख़ास दावत दी थी, लगे तो आप उनसे पुछ ले
सुल्तान चाचा घर पर पिताजी से बातचीत कर रहे थे ,वो भी तुरंत बोले ,हा भाबीजी मनु को आज मेने ही बुलाया था खाने पे, सुल्तान की बात पर पिताजी हस दिए ,अरे भई उसने उसकी पसंद की मिठाई तो खाई नही ना ,जो हमारे साले साहब लाए है ,उसे वो दो , और रात में जी भरकर के खाना खिला दो
माँ ने भी मनु को एक प्लेट में थोड़ी ज्यादा ही मिठाई दी ,खाने के को उसकी सबसे छोटी सन्तान जो थी वो ,मिठाई तो मनु को बहोत पसन्द थी ,वो पूरी प्लेट डकार गया ,और अपने कपड़े बदलने और नहाने अपने कमरे में आ गया , नहाते समय उस कुछ ज्यादा ही नशा होने लगा था ,अब उसे क्या मालुम भांग पीकर मिठा खाया तो नशा दुगने तेजीसे बढ़ता है ,कैसे तैसे नहा कर वो सिर्फ़ टॉवेल कमर पर लपेटकर अपने बिस्तर पर आया औऱ वही पसर गया
रात को सब लोग खानों को थे ,बस मनोज नही था ,माँ ने सब को यही बोला की थकावट से वह सो रहा है ,उसे थोड़ी देर के बाद उठाके खाना खिला देगी
सबने खाना खाकर बाहर बगीचे में बैठे थे, तब मनोज की माँ
ने अपनी बहू को मनोज को खाना खिलाने भेज दिया
शांति 20 साल की थी, गाँव मे रहने से और अच्छे खान पान से वह एक तन्दुरुस्त बदन की थी और शादी के बाद तो उसकी उरोज और नितम्ब में भराव आ गया था ,शादी से पहले वो 32 28 34 की थी और अब उसकी फीगर 36 30 38 हो गई थी ,वह अभी तक मा नही बनी थी लेकिन अपने पति के लंड से निकलने वाला पानी उसकी चुत और नितम्ब को बहोत अच्छे से बढ़ा रहा था , मुकेश ने अपने 6 इंच लंड से दोनों तरफ चोद चोद कर हरा भरा कर दिया था , शांति बहोत दिखने में पहले से बहोत सुंदर थी और शादी के बाद तो वो कयामत बन गई थी ,उसके मायके वाली सहेलिया उसे हमेशा कहती शांति ,तू बिना बच्चों के पैदा करके भी तू दो दो बच्चों की माँ लगती है, पता नही जब बच्चे पैदा करने पर कहा तक बढेंगी तू, शांति भी हँसी मजाक में सब बातों को लेती रहतीं, शांति मनोज के सबसे करीब थी घर मे ,क्योंकि शादी के बाद मनोज ही ऐसा था ,जो उसको हमेशा हँसता, उसके सब काम कर देता था ,ऐसा नही था कि घर मे शांति को बहोत काम था उसे तो बस 2 वक्त का खाना ही बनना पडता था ,और वो बनाने में भी दो नोकरानी मद्त करती थी ,काम तो ज्यादा नही था ,तो खाली वक्त वो मनोज को पढ़ाती थी ,उसे बस एक ही शौक था किताबे पढना , और मनोज उसे हमेशा शहर से नई किताबे ला देता था, कुछ सेक्स की किताबें मुकेश के पास भी ,जो शांति मुकेश के चोरी छुपे देख लेती थी ,उन किताबो मा बहन भाभी की गंदी कहानियॉ के साथ ,बहुत सारी चोदने की गंदी तस्वीरों वाली किताबे भी थी, उसमे आदमी यो के इतने मोटे और बड़े लंड देखके तो पहले उसे बडी हैरानी हुवी, उसने आजतक सिर्फ मुकेश का ही लंड देखा था ,उसे तो वही बड़ा लगता था लेकिन जब विदेशियों के लंड देखकर उसे पता चल गया था कि ऐसे भी कुछ लोगो के रहते है, उसकी सहेलियों से भाबियों से भी उसे पता चला कि भारत के लोगो के लंड 6 से 7 इंच तक ही होते है ,कुछ खास लोगो के ही पास उनसे बड़े रहते थे , शांति को भी शादी के बाद लन्ड का चस्का लग गया था , मुकेश ने शादी के बाद उसे दिन रात चोद कर उसकी प्यास ठंडी कर देता था, पर उसे 2 सालो में वो माँ नही बना पाया था , मुकेश ने शहर जाकर चुपचाप दोनो मियां बीबी का एक बड़े डाक्टर से चेकअप भी कराया था ,लेकिन दोनों तन्दुरुस्त थे,और बच्चे पैदा करने के काबिल थे ,कमी दोनो में नही थी, बस बच्चे न होनेके वजहसे डॉक्टर ने उन्हें कुछ दवाई दी थी ,जो दोनो रोज लेते थे, दवाई लेकर भी 2 महीनों में कुछ फरक नही पड़ने से ,आज मुकेश रात के खाने बाद शांति के मा बाप के साथ काम के बहाने से दिल्ली चला आया था ,और अगले दिन डॉक्टर से मिलकर बात करने वाला था उसने शांति को भी यह बात बताई थी आनेसे पहले ,
शांति खाने की थाली लेकर मनोज के कमरे में दाखिल हो गई ,उसने देखा कि मनोज पानी में ज्यादा भीगने की वजह से अपने आप को पूरा गर्म रजाई में घुसकर सोया था, शांति ने खाने की थाली पलँग के बाजू रखे टेबल पर रखी और मनोज को उठाने लगी ,लेकिन मनोज तो नशे में चूर सोया था, बहोत बार जगाने पर भी नही उठने पर शांति को लगा कि हमेशा की तरह सोने का नाटक कर रहा है, तो शांति ने उसकी रजाई जोरसे खीच ली ,लेकिन रजाई खींचकर उसे यह अहसास हो गया कि उसने गलती करदी है ,मनोज पूरा नंगे बदन सोया था ,और उसका लंड किसी रॉड की तरह खड़ा था ,मनोज का लंड उसके बड़े भाई के मुकाबले दुगना मोटा और लंबा भी था ,शांति कुछ पल तो क्या करें ये समज ही नही पा रही थी , फिर बाद में उसने सब वैसा ही छोड़कर वापिस आ गयी और मनोज का कमरा बाहर से बंद करके अपने कमरे की और जाने लगी तभी उसे उसकी सासु मा ने आवाज देकर बुलाया , शांती तुमने मनोज को खाना दीया की नही ,वो बिना खाने के सो तो नही गया
नही मा जी मनु भैया ने खाना खा लिया है ,और वह फिरसे सो गए
उसके बाद शांति और ऊसकी सास ने मिलकर खाना खाया ,उसकी सास ने हमेशा की तरह शांति को अपने साथ किसी बेटी की तरह खाना खिलाया और खुद शांति को सोने के लिए भेजकर ,किचन का बाकी काम करके सोने को गई
शांति ने अपने कमरे में साड़ी उतारकर एक नाइट गाउन पहन लिया , जो वो सिर्फ अपने कमरे में ही पहना करती थी, क्योंकि वह गाउन मुकेश ने ही लाके दिया था, उसमे उसके बड़ी बड़ी चुचिया और उसकी नितम्ब की गोलाई कहर ढाती थी, शांति अपने बिस्तर पर लेटी यह सोच रही थी कि उसने गलत किया या सही लेकिन वो फैसला नही कर पा रही थी , उसने कुछ देर आँख बंद कर के सोने की कोशिश की लेकिन वो सो नही पा रही थी, उसके मन मे यही खयाल आ रहा था कि कैसे मनोज उसे जब वो नाराज होती अपने माँ बाप की याद से, या कभी मुकेश के साथ कुछ अनबन होने से वो दुखी रहती और खाना नही खाती तो ,मनोज उसे मनाकर अपनी कसम देकर या खुद खाना ना खाने की धमकी देकर खाना खिला देता था, और आज वह बिचारा भूका ही सो गया ये बात शांति को दिल मे खाये जा रही थी इसलिए वो मनोज के कमरे जाने को निकल गयी ,उसे यह भी याद नही रहा की उसके बदन पर जो कपड़े है वह सिर्फ अपने पति के सामने ही पहने जाते है
शांति जब मनोज के कमरे में दाखिल हुवी तो उसने देखा मनोज अभी भी नंगा ही सो रहा है, वो एक बार शरमाई फिर मनोज के बदन पर वापिस रजाई डाल कर उसे ढक दिया और मनोज के कमरे का दरवाजा अंदर से बंद कर दिया ,दरवाजा बन्द करने की वजह यह थीं कोई अचानक मनोज के कमरे में दाखिल हो गया और उसने मनोज को शांति के साथ नंगा पाता तो दोनों की बहुत बदनामी होनी थी, शांती मनोज के पलंग पर बैठकर उसे उठाने लगी मनु भैया उठ जाइए और खाना खा लीजिये ,लेकिन मनोज तो उठने के नाम नही ले रहा था ,शांति थोड़ी डर गई इसलिए वो जल्दी से पानी लेकर मनोज के मुँह पर मारने लगी, पानी मारने की वजह से मनोज नींद भी खुल गई लेकिन उसका नशा कम नही हुवा था ,वो तो नशे में यही देख रहा था कि वह कहा पे है और कौन उसे आवाज दे रहा है उसे पहचानने की कोशिश कर रहा था, उसको सिर्फ कोई लडक़ी का चेहरा ही दिख रहा था पर धुंधला दिख रहा था, मनोज अपने ही धुन में था वो बोला सालो को अच्छा बोल रहा था मुझे भांग मत पिलाओ लेकिन नही माने ,ऐसा कैसा नशा चढ़ गया मुझे की पेशाब लगा है ,और मेरा लंड मुझे मिल नही रहा और यह कोंन मेरी बहन पैदा हो गईं एक दिन में मुझे मनु भैया तो सिर्फ मेरी भाभी बोलती है ,लेकिन यह लड़की है कौन, मनोज की बाते शांति भी सुन रही थी ,उसे सब बात समझ आयी क्या हुवा है मनोज के साथ ,उसे मनोज की बातों से हँसी आ रही थी, वो मनोज को पलँग से उतारकर बाथरूम में ले गई और बोली करो यहां पेशाब लेकिन मनोज को खड़े होने में मुश्किल हों रही थी तो शांति उसे पकड़कर खड़ी रही लेकिन मनोज पेशाब नही कर पा रहा था उसको अपने हाथ मे लैंड पकडकार शांति ने उसे पेशाब करवाई ,लेकिन नशे में मनोज आधा अपने पाव पर मुत दिया, यह देखकर शांति ने उसे शावर के नीचे खड़ा करके पानी चालू कर दिया ,लेकिन मनोज को पकड़े रहने से वो भी पूरी भीग गई
मनोज को बाथरूम से बाहर लाकर शांति ने पहले टॉवेल से उसको अच्छे से साफ करके कमर पर टॉवेल लपेटकर पलंग पर बिठा दिया ,उसके बाद शांति को अपने गीले कपड़े के बारे में ख्याल आया ,उसके सब कपड़े गीले हो गए थे ,इसीलिए उसने बाथरूम में जाकर सब कपड़े उतार के सूखने डाल दिया और वहां पर रखा हुवा बाथ गाउन पहन के बाहर आ गयी , फिर उसने मनोज को अपने हाथसे खाना खिलाया ,पानी पिलाकर सब खाने का सामान बाजू में रख दिया, बादमे उसने मनोज के कपाट से एक हाफ पैंट और टी शर्ट मनोज को पहनाने के लिए निकाल लिए, मनोज को टी शर्ट तो आराम से उसने पहना दी ,लेकिन जब मनोज को वो हाफ पैंट पहना रही थी तो उसके हाथ उसके लन्ड से टकरा गया था ,मनोज के लंड को जैसे शांति ने छुवा फिर अकड़कर कड़ा हो गया ,शांति को उसको पैंट पहनाने में बहोत मुश्किल हो रही थी , मनोज का लैंड बार बार शांति के हाथों में आ रहा था जो वो उसको पैंट पहना रही थी
मनोज भी अपने लंड पर नरम हाथ के अहसास से खुश हो रहा था, ऊसके मुह से जो बात निकली वह सुनकर शांति एकदम किसी सदमे में पहोच गई थी
मनोज बड़बड़ा रहा था ,कब तक हाथों से काम करोगी शोभा मामी ,जबतक आप मेरे लंड को चूस कर पूरा पानी नही पीती तब तक आप की प्यास नही बुझती और मेरा भी मन खुश नही होता
चलो जल्दी से मेरा लैंड मुह में ले लो आज तुम्हारी इस गांड को भी आज में अपना पानी पिला के रहुँगा ।
शोभा मामी कोई और नही बल्कि शांति के मा का नाम था
और वह अपने बेटे जैसे लड़के से चुद रही है ये सुनकर शांति के दिमाग सुन्न हो गया था ,


{{ दोस्तो में कोई लेखक नही पर एक कोशिश कर रहा हु ,मुझसे गलतिया तो होगी ही ,आप सब मुझे मेरी गलतिया जरूर बताइए ,आप के पढ़ने के लिए ही में कुछ अच्छा लिखू यही में चाहता हु, और आप को पसंद नही आया तो क्या मतलब ,अपनी ख़ुशी के लिए लिखकर क्या फायदा जिसके लिये हम लिखते है उन्हें पसंद आना जरूरी है
जो भी आप का दिल करे अच्छी बात लिखे या कड़वी आप अपने मनसे मुझे बताइये
आपका Goldy }}}
 

Goldybull

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Update 3
शांती मनोज की बाते सुनकर खुद का वजूद ही भूल गई थी ,वो तो बस अपनी आंखों से निरन्तर पानी बहाये जा रही थी उसको यह तक भान नही था कि वह मनोज का लंड दोनो हातो से पकड़ी वैसी ही बैठी हुई है,
मनोज तो नशे में अपने सामने कोंन यह भूल कर उसके हाथों में अपने लंड को सिर्फ पकड़े रहने से चिढ़कर शांति को अपने ऊपर खीच लिया, मनोज अभी सिर्फ 12 वी की क्लास में था उसकी उम्र महज 20 साल की थी ,लेकिन अभी से वह एकदम मजबूत शरीर का मालिक था , मनोज के घर के सभी मर्द 6 फुट के लम्बे थे ,उसकी वजह थी उनके पिता विजयजी उनकी कदकाठी साढ़े 6 फिट के आसपास थी , उनके जैसा मजबूत और ताक़दवर इंसान पूरे भवानीगढ़ में तो क्या आस पास के 50 गाँव मे भी नही था, विजयजी की तरह उनके बेटे उनकी तरह मजबूत ,लम्बे चौड़े कदकाठी के थे ,मनोज तो तीनो भाइयो में सबसे ऊंचा निकला था और उसका बदन भी किसी पहलवान की तरह ही मजबूत था,
मनोज ने शांति को अपनी बाहों में भरकर उसके होठो को अपने होठों में लेकर चुसने लगा , शांती का तो होश तब आया जब मनोज के हाथ उसके गांड पर महसूस हुवे , मनोज अपने मजबूत पंजो में शांति की गांड निचोड रहा था ,कब उसने शांति के बदन से बाथ गाउन हटा दिया ये शांति को समझ ही नही आया ,वो तो बस मनोज की बाहों में कसमसा रही मनोज कभी उसके होंठ चूसता तो कभी गाल चाटता ,तो गर्दन चुम रहा था , शांति को क्या करे यही समज़ नही आ रहा था ,मनोज ने उसे अपने चूमने से,और उसके हाथोने की हुवी उसकी गांड की और चुत की मालिश से वह बहोत ज्यादा गर्म हो गई थी उसकी चुत तो इतनी गीली हो गई थी कि उसके चुत के पानी से मनोज की कमर और उसका लंड दोनों पर बरस रहा था,
एकाएक उसने शांति को पकड़ कर घुमा दिया और 69 की स्थिति में आ गया , शांति कुछ समझ पाती उससे पहले ही उसकी चुत पर अपने होठों को लगाकर और अपनी जीभ उसके चुत में डालकर मनोज उसकी चुत चुसने लगा ,मनोज की इस हरकत से शांति को ऐसा लग रहा था कि मानो कोई उसकी जान उसके चुत से खींच रहा हो, वो तो पहली बार जिंदगी में अपनी चुत चुसने का सुख ले रही थी, उसकी आंखे बंद हो गई थी, उसको तो पुरे बदन पर रोये खड़े हो गए थे, उसके मुंह मे प्यास के वजह से जुबान सुख गई थी ,कब वो अपने चर्मोत्कर्ष पर पहुंचे ऐसा उसे लग रहा था, और उसका पूरा बदन अकड़ गया और उसकी चुत ने इतना पानी निकाला था जितनो वो दस बार चुदने के बाद निकलता हो,
शांति तो किसी ऐसी दुनिया मे पहोंच गई थी जहा उसे अपना बदन बहोत हल्का और उसकी अंतरात्मा भी एक सुकून में आई थी ,ये सुकून उसे आज पहली बार मिला था, मुकेश ने आज तक शांति की चूत नही चाटता था ,उसको पसन्द नही था चुत चूसना ,और वो अपना लंड शांति को हमेशा चोदने से पहले चूसने को बोलता , शांति ने कभी मुकेश का मन नही दुखाया , मुकेश जो उसे बोलता वो मान जाती उसके लिए मुकेश उसका पति नही भगवान था ।
पर आज होली के दिन अनर्थ हो गया था ,शांति आज उसके पति के बजाय उसके देवर के बाहोंमे विवस्त्र पड़ी थी, वो एक अलग दुनिया मे ही थी लेकिन जब मनोज ने शांति की बड़ी और नरम गांड को दोनो हाथसे पकड़ कर उसके गांड के लाल छेद में जुबान डालने लगा और उसकी गांड चाटने लग गया, शांति तो क्या करे यह समझ नही आ रहा था, पहली से चुत चुसने से जो आनंद उसे मिला था उसकी तरंगे उसके बदन में उठ रही थी कि अचानक अपने अंदर एक और बदन को काटने वाली एक और लहर उठ गई ,इस बार वो इतनी मचल रही थी क्या बोले क्या करे उसे समझ नही आ रहा था और कब उसने मनोज का लंड पकड़ कर अपने मुह में ले लिया और उसे चुसने लगी ये उसको पता ही नही चला ,मनोज के लंड को वह दोनों हाथों से पकड़कर पूरा अपने गले तक उतार के चूस रही हो ,उसके गले की प्यास और बढ़ गई थी ,उसको भुजाने के लिए वो अपनी जीभ मनोज के लंड के टोपे पर बने छेद में डालने और उस छेद को बहोत शिदत से चाटने लगी ,मनोज भी ज्यादा देर इतनी गर्म लंड चूसें जाने से शांति के मुह में झड़ने लगा ,मनोज का वीर्य बहोत गाढ़ा और गर्म था ,शांति तो उसके वीर्य को पूरा गटक गई ,उसे वो इतना पसंद आया था कि वह जब उसके मुह में मनोज अपना वीर्य छोड़ रहा था तो वो भी अपनी चुत से पानी छोड़ रही थी, मनोज का लंड पूरा अपनी जीभ से चाट के साफ करके मनोज के पाव के पास लुढ़क गई,
शांति तो अपने आप को काबू में करने की कोशिश कर रही थी, अभीतक जो हुवा था मनोज और उसके बीच ,वो यही सोच रही थी क्या कर बैठी वो , लेकिन वो और कुछ बोल पाती या पलँग से उठ पाती उससे पहले मनोज के लंड का स्पर्श उसे अपनी चुत पर होने लगा ,उसको मनोज ने घोड़ी बनाके अपना लंड उसकी चुत में ठोक दिया मनोज के तगड़े लंड ने शांति की चुत की गहराई तक खुदाई कर डाली मनोज के मोटे लंड की वजह से उसके चुत का छल्ला ऐसे फैल गया था कि बस , शांति तो लैंड जब चुत में घुस रहा था ,तभी अपना मुह अपने दोनो हाथो से दबाली थी नही तो उसकी आवाज सूनकर पूरा गांव उनके घर पर जमा हो जाता, अपना मुह दबाकर वो मनोज के लंड को अपनी चुत में झेलती रही ,मनोज लगातर किसी घोड़े की तरह शांति के चुत में कोहराम मचा रहा था, वो शांति की नरम चुत और उसकी गर्मी और एकदम टाइट चूत जितनी उसको अलग अहसास दिला रही थी ,उसके लंड को शांति की चुत इतना सुकून दे रही थी , की उसका लंड भी शांति की चुत को कुछ देना चाहता था और वही देने के लिए वो दनदनाता वो शन्ति की चुत में गर्म गर्म पिचकारी छोड़ने लगा ,और शांति की चुत भरने लगा , शांति भी अपने चुत में मनोज के पानी को पाकर गनगना गई ,मनोज तो एक बार ही झडा था लेकिन शांति कितने बार अपने चुत का पानी इस चुदाई में निकाली थी ये उसको ही नही पता था ।
मनोज का नशा अभी तक उतरा नही था वो शांति को अपने पास खिचके वापस उसके ओठ चुसने लगा और बोलने लगा मामी आज आप को चोदने में बहोत मजा आया ,पता नही ये भांग पीने से हुवा लेकिन आज आप की चुत का पानी पीकर मेरा मन भरा ही नही आपके गांड का रस तो जैसे में पहली बार पिया हु ऐसा लग रहा था ,आपकी चुत ने आज मेरे लंड को भी पिघला दिया ,आपकी चुत के सामने में पहली बार हार गया ,नही तो में हमेशा आप की गांड में ही झडता था , आज आप की चुत तो मेरे लंड का पानी निकाल ही ली, आप जो बोलेगी वो में करने को तैयार हूं लेकिन आप वादा कीजिये कि मुकेश भैया कभी बाप नही बन सकते यह बात आप भैया और भाभी को कभी नही बतायेगी , अगर भैया को मालूम हुवा तो वो जान दे देंगे और मेरी भाबी भी जिंदा नही रहेगी ,में दोनों को बहोत चाहता हु ,उनको अगर कुछ हुवा तो हमारा परिवार बर्बाद हो जाएगा , आपको मालूम है मेरी भाबी को बच्चे कितने पसन्द है, आज हमारे पास इतना पैसा है लेकिन वो पैसा क्या काम का जो हमारे भाई की बीमारी ठीक नही कर सकता , आपने तो विदशों में भी उनकी फाइल दिखाई थी वहा के डॉक्टरों ने भी बता दिया है कि ,कितना भी पैसा खर्च करो ,कोई फायदा नही होगा, आप बस अपना मुह बन्द रखे बाकी में देख लूंगा क्या करना है, आप अपनी बेटी को बहोत प्यार करती है यह बात में जानता हूं और आप जो मुझे करने को बोल रही है वो गलत बात है, में भाबी को कभी धोखा नही दूंगा , में उनको नीद की गोलियाँ खिलाकर चोद कर मा बना दु , यह काम मे कभी नही करूँगा , भाभी मुझे इतना प्यार करती है ,मेरी माँ भी मेरा नही करती इतना मेरी भाभी करते रहती है में उन्हें कैसे धोका दे सकता हु , मुकेश भैया के साथ मेने मिलिंद भैया और मेरा भी रिपोर्ट लैब से चेक करवाए , उसमे बस मेरा ही रिपोर्ट में कोई प्रॉब्लम नही थी और मेरे दोनो भाई कभी बाप नही बन सकेंगे यह बात मुझे बहोत दुख देती है
मेरे मा बाप को जब यह मालूम गिरेगा तो क्या होगा यह सोचकर ही मेरी रूह कांप उठती है , अगले महीने मिलिद भैया की शादी भी पक्की होने वाली है ,उनके होने वाली बीवी की जिंदगी भी बर्बाद होने वाली है, में चाहके भी सिमा भाभी को सच नही बोल पाऊंगा, सिमा भाबी तो मेरे ही उम्र की है, सीमा भाबी तो मुझे अपना देवर नही एक भाई मानती है, शांति भाभी ,सिमा भाबी को अपनी बहन ही मानती है,
में क्या करूँ यह सोचके मेरा दिमाग काम करना बंद हो गया है, 3 महीनों से में अपने सारे गम छुपा कर जी रहा हु, और कभी लगता है आप की बात मान कर भाबी को उनके नींद में चोद कर गर्भवती बना दु ,
शांति चुपचाप मनोज की बाते सुनती रही उसने सब बातें सोचकर अपने मन मे एक फैसला किया और मनोज को अपनी बाहों में जकड़ कर उसके लन्ड को अपनी मुठी में पकड़कर अपने चुत पे लगा के खुद एक झटका मारकर अपने अंदर ले ली ,मनोज के साथ उस रात भर वो अपनी चुत मरवाती रही ,मनोज ने 3 बार और शांति की चुत में अपना पानी भर दिया ,जो उसकी चुत में जाके शांति के तनबदन के साथ उसकी आत्मा को सुकून दे रहा था ,यह रात शांति के जीवन मे मनोज को वो स्थान दिया था जो किसी का नही था उसके पति मुकेश का भी नही
 
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prkin

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आपको नई कहानी की बहुत शुभकामनायें।

आपकी कहानी अच्छी चल रही है और आशा है कि इसी प्रकार से और आगे बढ़ेगी और ऊंचाई तक पहुंचेगी।
 
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