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Incest जिन्दगी ## एक अनाथ की##

Goldybull

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Update 3
शांती मनोज की बाते सुनकर खुद का वजूद ही भूल गई थी ,वो तो बस अपनी आंखों से निरन्तर पानी बहाये जा रही थी उसको यह तक भान नही था कि वह मनोज का लंड दोनो हातो से पकड़ी वैसी ही बैठी हुई है,
मनोज तो नशे में अपने सामने कोंन यह भूल कर उसके हाथों में अपने लंड को सिर्फ पकड़े रहने से चिढ़कर शांति को अपने ऊपर खीच लिया, मनोज अभी सिर्फ 12 वी की क्लास में था उसकी उम्र महज 20 साल की भी नही थी ,लेकिन अभी से वह एकदम मजबूत शरीर का मालिक था , मनोज के घर के सभी मर्द 6 फुट के लम्बे थे ,उसकी वजह थी उनके पिता विजयजी उनकी कदकाठी साढ़े 6 फिट के आसपास थी , उनके जैसा मजबूत और ताक़दवर इंसान पूरे भवानीगढ़ में तो क्या आस पास के 50 गाँव मे भी नही था, विजयजी की तरह उनके बेटे उनकी तरह मजबूत ,लम्बे चौड़े कदकाठी के थे ,मनोज तो तीनो भाइयो में सबसे ऊंचा निकला था और उसका बदन भी किसी पहलवान की तरह ही मजबूत था,
मनोज ने शांति को अपनी बाहों में भरकर उसके होठो को अपने होठों में लेकर चुसने लगा , शांती का तो होश तब आया जब मनोज के हाथ उसके गांड पर महसूस हुवे , मनोज अपने मजबूत पंजो में शांति की गांड निचोड रहा था ,कब उसने शांति के बदन से बाथ गाउन हटा दिया ये शांति को समझ ही नही आया ,वो तो बस मनोज की बाहों में कसमसा रही मनोज कभी उसके होंठ चूसता तो कभी गाल चाटता ,तो गर्दन चुम रहा था , शांति को क्या करे यही समज़ नही आ रहा था ,मनोज ने उसे अपने चूमने से,और उसके हाथोने की हुवी उसकी गांड की और चुत की मालिश से वह बहोत ज्यादा गर्म हो गई थी उसकी चुत तो इतनी गीली हो गई थी कि उसके चुत के पानी से मनोज की कमर और उसका लंड दोनों पर बरस रहा था,
एकाएक उसने शांति को पकड़ कर घुमा दिया और 69 की स्थिति में आ गया , शांति कुछ समझ पाती उससे पहले ही उसकी चुत पर अपने होठों को लगाकर और अपनी जीभ उसके चुत में डालकर मनोज उसकी चुत चुसने लगा ,मनोज की इस हरकत से शांति को ऐसा लग रहा था कि मानो कोई उसकी जान उसके चुत से खींच रहा हो, वो तो पहली बार जिंदगी में अपनी चुत चुसने का सुख ले रही थी, उसकी आंखे बंद हो गई थी, उसको तो पुरे बदन पर रोये खड़े हो गए थे, उसके मुंह मे प्यास के वजह से जुबान सुख गई थी ,कब वो अपने चर्मोत्कर्ष पर पहुंचे ऐसा उसे लग रहा था, और उसका पूरा बदन अकड़ गया और उसकी चुत ने इतना पानी निकाला था जितनो वो दस बार चुदने के बाद निकलता हो,
शांति तो किसी ऐसी दुनिया मे पहोंच गई थी जहा उसे अपना बदन बहोत हल्का और उसकी अंतरात्मा भी एक सुकून में आई थी ,ये सुकून उसे आज पहली बार मिला था, मुकेश ने आज तक शांति की चूत नही चाटता था ,उसको पसन्द नही था चुत चूसना ,और वो अपना लंड शांति को हमेशा चोदने से पहले चूसने को बोलता , शांति ने कभी मुकेश का मन नही दुखाया , मुकेश जो उसे बोलता वो मान जाती उसके लिए मुकेश उसका पति नही भगवान था ।
पर आज होली के दिन अनर्थ हो गया था ,शांति आज उसके पति के बजाय उसके देवर के बाहोंमे विवस्त्र पड़ी थी, वो एक अलग दुनिया मे ही थी लेकिन जब मनोज ने शांति की बड़ी और नरम गांड को दोनो हाथसे पकड़ कर उसके गांड के लाल छेद में जुबान डालने लगा और उसकी गांड चाटने लग गया, शांति तो क्या करे यह समझ नही आ रहा था, पहली से चुत चुसने से जो आनंद उसे मिला था उसकी तरंगे उसके बदन में उठ रही थी कि अचानक अपने अंदर एक और बदन को काटने वाली एक और लहर उठ गई ,इस बार वो इतनी मचल रही थी क्या बोले क्या करे उसे समझ नही आ रहा था और कब उसने मनोज का लंड पकड़ कर अपने मुह में ले लिया और उसे चुसने लगी ये उसको पता ही नही चला ,मनोज के लंड को वह दोनों हाथों से पकड़कर पूरा अपने गले तक उतार के चूस रही हो ,उसके गले की प्यास और बढ़ गई थी ,उसको भुजाने के लिए वो अपनी जीभ मनोज के लंड के टोपे पर बने छेद में डालने और उस छेद को बहोत शिदत से चाटने लगी ,मनोज भी ज्यादा देर इतनी गर्म लंड चूसें जाने से शांति के मुह में झड़ने लगा ,मनोज का वीर्य बहोत गाढ़ा और गर्म था ,शांति तो उसके वीर्य को पूरा गटक गई ,उसे वो इतना पसंद आया था कि वह जब उसके मुह में मनोज अपना वीर्य छोड़ रहा था तो वो भी अपनी चुत से पानी छोड़ रही थी, मनोज का लंड पूरा अपनी जीभ से चाट के साफ करके मनोज के पाव के पास लुढ़क गई,
शांति तो अपने आप को काबू में करने की कोशिश कर रही थी, अभीतक जो हुवा था मनोज और उसके बीच ,वो यही सोच रही थी क्या कर बैठी वो , लेकिन वो और कुछ बोल पाती या पलँग से उठ पाती उससे पहले मनोज के लंड का स्पर्श उसे अपनी चुत पर होने लगा ,उसको मनोज ने घोड़ी बनाके अपना लंड उसकी चुत में ठोक दिया मनोज के तगड़े लंड ने शांति की चुत की गहराई तक खुदाई कर डाली मनोज के मोटे लंड की वजह से उसके चुत का छल्ला ऐसे फैल गया था कि बस , शांति तो लैंड जब चुत में घुस रहा था ,तभी अपना मुह अपने दोनो हाथो से दबाली थी नही तो उसकी आवाज सूनकर पूरा गांव उनके घर पर जमा हो जाता, अपना मुह दबाकर वो मनोज के लंड को अपनी चुत में झेलती रही ,मनोज लगातर किसी घोड़े की तरह शांति के चुत में कोहराम मचा रहा था, वो शांति की नरम चुत और उसकी गर्मी और एकदम टाइट चूत जितनी उसको अलग अहसास दिला रही थी ,उसके लंड को शांति की चुत इतना सुकून दे रही थी , की उसका लंड भी शांति की चुत को कुछ देना चाहता था और वही देने के लिए वो दनदनाता वो शन्ति की चुत में गर्म गर्म पिचकारी छोड़ने लगा ,और शांति की चुत भरने लगा , शांति भी अपने चुत में मनोज के पानी को पाकर गनगना गई ,मनोज तो एक बार ही झडा था लेकिन शांति कितने बार अपने चुत का पानी इस चुदाई में निकाली थी ये उसको ही नही पता था ।
मनोज का नशा अभी तक उतरा नही था वो शांति को अपने पास खिचके वापस उसके ओठ चुसने लगा और बोलने लगा मामी आज आप को चोदने में बहोत मजा आया ,पता नही ये भांग पीने से हुवा लेकिन आज आप की चुत का पानी पीकर मेरा मन भरा ही नही आपके गांड का रस तो जैसे में पहली बार पिया हु ऐसा लग रहा था ,आपकी चुत ने आज मेरे लंड को भी पिघला दिया ,आपकी चुत के सामने में पहली बार हार गया ,नही तो में हमेशा आप की गांड में ही झडता था , आज आप की चुत तो मेरे लंड का पानी निकाल ही ली, आप जो बोलेगी वो में करने को तैयार हूं लेकिन आप वादा कीजिये कि मुकेश भैया कभी बाप नही बन सकते यह बात आप भैया और भाभी को कभी नही बतायेगी , अगर भैया को मालूम हुवा तो वो जान दे देंगे और मेरी भाबी भी जिंदा नही रहेगी ,में दोनों को बहोत चाहता हु ,उनको अगर कुछ हुवा तो हमारा परिवार बर्बाद हो जाएगा , आपको मालूम है मेरी भाबी को बच्चे कितने पसन्द है, आज हमारे पास इतना पैसा है लेकिन वो पैसा क्या काम का जो हमारे भाई की बीमारी ठीक नही कर सकता , आपने तो विदशों में भी उनकी फाइल दिखाई थी वहा के डॉक्टरों ने भी बता दिया है कि ,कितना भी पैसा खर्च करो ,कोई फायदा नही होगा, आप बस अपना मुह बन्द रखे बाकी में देख लूंगा क्या करना है, आप अपनी बेटी को बहोत प्यार करती है यह बात में जानता हूं और आप जो मुझे करने को बोल रही है वो गलत बात है, में भाबी को कभी धोखा नही दूंगा , में उनको नीद की गोलियाँ खिलाकर चोद कर मा बना दु , यह काम मे कभी नही करूँगा , भाभी मुझे इतना प्यार करती है ,मेरी माँ भी मेरा नही करती इतना मेरी भाभी करते रहती है में उन्हें कैसे धोका दे सकता हु , मुकेश भैया के साथ मेने मिलिंद भैया और मेरा भी रिपोर्ट लैब से चेक करवाए , उसमे बस मेरा ही रिपोर्ट में कोई प्रॉब्लम नही थी और मेरे दोनो भाई कभी बाप नही बन सकेंगे यह बात मुझे बहोत दुख देती है
मेरे मा बाप को जब यह मालूम गिरेगा तो क्या होगा यह सोचकर ही मेरी रूह कांप उठती है , अगले महीने मिलिद भैया की शादी भी पक्की होने वाली है ,उनके होने वाली बीवी की जिंदगी भी बर्बाद होने वाली है, में चाहके भी सिमा भाभी को सच नही बोल पाऊंगा, सिमा भाबी तो मेरे ही उम्र की है, सीमा भाबी तो मुझे अपना देवर नही एक भाई मानती है, शांति भाभी ,सिमा भाबी को अपनी बहन ही मानती है,
में क्या करूँ यह सोचके मेरा दिमाग काम करना बंद हो गया है, 3 महीनों से में अपने सारे गम छुपा कर जी रहा हु, और कभी लगता है आप की बात मान कर भाबी को उनके नींद में चोद कर गर्भवती बना दु ,
शांति चुपचाप मनोज की बाते सुनती रही उसने सब बातें सोचकर अपने मन मे एक फैसला किया और मनोज को अपनी बाहों में जकड़ कर उसके लन्ड को अपनी मुठी में पकड़कर अपने चुत पे लगा के खुद एक झटका मारकर अपने अंदर ले ली ,मनोज के साथ उस रात भर वो अपनी चुत मरवाती रही ,मनोज ने 3 बार और शांति की चुत में अपना पानी भर दिया ,जो उसकी चुत में जाके शांति के तनबदन के साथ उसकी आत्मा को सुकून दे रहा था ,यह रात शांति के जीवन मे मनोज को वो स्थान दिया था जो किसी का नही था उसके पति मुकेश का भी नही

माफ करना दोस्तो ग़लती से यह पोस्ट वापस पोस्ट हो गया था
 
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Goldybull

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bahut kuchh ghatit hua.... manoj ne bhaang ke nashe mein shanti ko uski maa samajh kar puri raat daba kar pela... bechari shanti jis bachhe keee aas agaye apne pati ko illaj ke liye bheja tha wahee aas nahin rahi... apne pyare devar ke saath hi majboori mein sambandh bana liye... Akhir honi ko yahee manjoor tha... na wo nashe mein hota aur na hi yeh kalai khulti... kahir manoj aur shanti ne mil ke ek beti ko janm diya....

Aur sabse bara tyag toh seema ne kya... apne pati ka sach jante hue bhi usse apnaya ... wo jaan chuki thee ke wo maaa na ban shakti phir bhi usne yahee manjoor kar liya tha... ya phir manoj ka khoonta ke sapne wo bhi dekhne lagi... :D .

lekin iss shabme vijay aur kamini kee maut ho gayee.... lekin sala yeh toh jangal mein mangal chal raha hain..:sex:.... beta wahan maa baap ke gum mein villap kar raha hain... aur yehan maa kee choot aur baap ka lund aansoo baha raha hain....:loser2:

abhi tak toh lagta hain kee manoj ka beta hi wo shaksh banega jisse wo shaktiyan saunpee jayegi.... lekin wo aurat kaun thee jisse manoj ne thukra diya... jahan tak andaja hain manoj hi ghar kee saari aurato ko garbhwati karega.... khas kar dono bhabhi ko...

toh kya wo uski bewi ke ghar se sambandhit rakhti hain... kahir dekhte hain aage kya hota hain...
आपका बहुत शुक्रिया दोस्त ,
 

Goldybull

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Update 7
कामिनी ने जल्दी से खाना बना दिया ,भीमा के साथ विजय जी को मिलकर बाते करते हुए तीनो ने मिलकर खा लिया ,विजयजी भीमा को लेकर निकल गए कामिनी किचन में सब काम समेटकर अपने कमरे में बिस्तर पर आकर टेक लगाकर बैठ गई ,उसे नींद तो आने वाली नही जबतक विजयजी घर पर सहीसलामत नही आ जाते उसे चैन नही आने वाला था
कामिनी को अपने बेटों से बहोत प्यार करती ,तीनो को बडे लाड़ प्यार से उसने बड़ा किया था,उसके और विजयजी ने मिलके उन्हें अच्छे संस्कार दिए थे,उनके बेटे भी अपने माँ बाप की तरह निकले थे, ना उन्हें अपने पैसे का घमंड था ना कोई बुरी आदत, तीनों बेटे की एक दूसरे में जान बस्ती थी, मुकेश की शादी शान्ति से उन्हीने ने ही करवाई थी जो उनके सहेली शोभा की बेटी थी, शांति भी एक भली लड़की थी उसे किसी बहु की तरह न समजकर अपनी बेटी की तरह ही प्यार करती थी कामिनी , शादी के कुछ दिनों में ही शान्ती परिवार का एक अटूट हिस्सा बन गई थी ,मिलिंद और मनु को अपने छोटे भाइयो की तरह प्यार देती थी ,जब उसने पूनम को जन्म दिया था तो कामिनी को को लगा जैसे वही मा बन गयी हो, पूनम को तो अपने पास ही लगा के रखती थी, लेकिन जब विजयजी ने बताया कि उन्हे अपनी मौत का नाटक करके परिवार से दुर रहना होगा तो उन्हें बहोत बुरा लगा था, लेकिन विजय जी का फैसला उन्हे मानना ही पड़ा था
आजतक विजयजी ने बहुत से बाते अपने बेटों से छिपा के रखी थी, उनके परिवार पर बहुत बार हमले करने की कोशश हुवी थी पर विजयजी ने सबको मार दिया था ,उनके परिवार पर पहोचने वाले हर खतरे को उन्होंने पहले ही भापकर मिटा दिया था, उनके बेटे भी कोई डरपोक नही थे वो भी एकसे बढ़कर एक थे,अपने बाप की तरह वो भी किसीसे डरते नही थे, उनके खून में ही बाप की तरह उबाल था , एक बार दस आदमियों को एक साथ मारने की काबिलियत उनमे रहती थी, बचपनसे उन्हें विजयजी ने मेहनत कर के इस काबिल बनाया था कि वह किसी भी खतरे का सामना आसानी से कर सके, लड़ाई का हर तरीके को उन्हें सीखकर किसी फौलाद की तरह ही बनाया था,उनके अंदर के दमखम को परखने के लिए हर साल गाव में होनेवाले माता के मंदिर कुश्ती का दंगल होता था,उनमे हिस्सा लेके वो बड़े से बड़े पहलवानों को धूल चखाते थे, पिछले 100 सालों से गाव में मेला होता था और उस मेले पूरे हिमाचल से लोग आते थे माता के मंदिर के पास नवरात्रि की बहोत पड़ी पूजा होती थी, उस पूजा में भाग लेने और माता का आशीर्वाद लेने हजारों लोग वहा आते थे ,भवानी माता का मंदिर तो बहुत पुराना था ,वो कब बना ये किसी को मालूम नही था, कहते है कि कमसे कम 400 साल पुराना यह मंदिर है लेकिन यह बात भी एक अफवा ही थी,
पिछले दस पीढ़ी से विजयजी का परिवार ही मन्दिर के सुरक्षा का जिम्मा था ,उनकी हर पीढ़ी ने मंदिर में कुछ बदलाव करके उसमें सुधार करते थे, मंदिर का खर्चा सब उनका ही परिवार करता था, माता के आशीर्वाद से उनके पास भी धनदौलत की कमी नही थी , उनका परिवार हिमाचल के सबसे अमीर परिवार था,
माता के मंदिर में लगने वाले मेले का खर्चा भी विजयी ही करते थे उन्होंने हर सुविधा वहा मंदिर में श्रद्धालुओं के लिए बनावकर रखी थी खाने पीने से लेकर रहने लिए भी वहां बड़ी इमारत बनाई गई थी, जिससे वहां पर आने वाले लोगों को कोई तकलीफ ना हो ,वहां दस दिन तक खाना बनाने की लिये बड़ी रसोई लगाई जाती थी ,जिसमे दिन रात हजोरो लोगो को भोजन बनाया जाता था, यह सब काम विजयजी के साथ उनके बेटे भी देते थे और साथ मे पूरा गांव भी मदत करता था ,उस दस दिन पूरा गांव ही मंदिर की सेवा में लगा रहता
कामनी अपनी यादों में गम थी उसे मेले का वो दिन याद आ रहा था जिस दिन मेले में अपने पूरे परिवार के साथ खुश रह करती और आज वो एक जंगल मे सुनसान बने मकान में अकेली बैठी है सबसे दूर, उनके परिवार ने तो उनको मरा समझ लिया था, अपने जिंदगी में यह कैसे दिन आ गए ये उसने कभी सोचा भी नही था, ऐसी क्या गलती हो गई जो भगवान ने उनको यह सजा दी ,अपनी सारी जिंदगी में उन्होंने कभी किसी का दिल को दुख हो ऐसा कोई काम भी नही किया था ना किसीका नुकसान किया था ,बस वो तो अपने पतिधर्म का पालन कर रही थी जो अपने पति नो बोला उन्होंने वही किया आजतक बिना बोले, विजयजी जैसा इंसान उनका पति बना था जो किसी किस्मत वालो की ही मिलता था ,उनमे बुराई ढूंढने पर भी कोई मिलती ही नही थी ,अपने आप को कोई भी तकलीफ को वो बिना किसी को दिखाई दिए अपने अंदर समेट लेते थे,लेकिन किसी दुसरो को कोई भी परेशानी हो तो वो उनको हर सम्भव मद्त करते थे,पैसा हो और कोई मद्त कोई उनके पास मद्त मागने आये और उन्होंने मद्त ना कि हो ऐसा कभी नहीं हुवा था,कितने ही लोगो मद्त वो बिनबोले किया करते थे,उनके इसी आदत की वजह से हर कोई उनका मुरीद हो जाता था, अपने गाँव को तो वह एक परिवार ही मानते थे और हमेशा उन्हें मद्त करते थे, उनके लिये कोई भी आदमी बुरा सोच ही नही पाता था, हरकोई उनके लिये अपनी जान तक देने से पीछे नही हट सकेगा इस कदर लोग उन्हें चाहते थे ,
जगत, सुल्तान तो उनके दोनों हाथ ही थे विजय जी उनके लिये अपने एक भाई से कम नही थे और जंगल मे रहने वाले रोही के आदिवासी कबीले वाले तो उनके अंगरक्षक ही थे ,लम्बे तगड़े और किसी शेर से हाथो से लड़ने वाले वो लोग बरसो से मन्दिर के साथ विजय जी के परिवार की गुप्त रक्षा करते थे, किसी साये की तरह वह हर परिवार वाले की हिफाजत करते ते, किसी के नजर में आये बिना अपना काम करते थे ,विजयजी ने अपने मौत के दिखावे के बाद अपने परिवार की सुरक्षा और ज्यादा बढ़ा दी थी, वो अब पर्दे के पीछे रहकर अपने परिवार को कौन दुश्मन है उसे ढूंढ रहे थे,और इसका बखूबी साथ कामिनी दे रही थी
कामिनी को विजयी ने बताया था कि उनके दुश्मन को यह बात पता है कि मंदिर के राज के बारे में सिर्फ कामिनी और उनके अलावा उनको बेटों को भी मालूम नही है, और जिस दिन पूनम का नामकरण का कार्यक्रम था उस दिन उनके बेटे या किसी परिवार वालों को अगवा करके वो विजयजी से वो राज जानना उगलवाने वाले थे, लेकिन उन सब आदमियों को रोही के सरदार सोमा ने पकड़ कर तड़पाकर मार दिया था ,उन आदमियों को मुखिया ने ही अपने आदमियों को इतने बुरी तरह टुकड़ो में कटते देखकर डर से सब बता दिया था , लेकिन वो यह काम उसको करने वाले के बारे कुछ नही जानता था ,उसके मुताबिक उसको काम देने वाले कि शक्ल उसने नही देखी थी ,लेकिन वो आदमी बहोत ही लंबा तगड़ा और किसी राक्षस की तरह था,उसने तो पहले विजयजी का नाम सुनकर काम करने से मना किया था लेकिन उस आदमी और उसके साथ उसके दो बेटे थे उन्होंने उसके दो सबसे तगड़े आदमियों को एक एक हाथ से बस गर्दन तोड़ के मार दिया था मानो वो कोई आदमी ना होकर खेलने वाले गुड्डे हो, और उसे यह भी बताया था कि वह पकड़ा जाएगा यह काम करने से पहले ,उसे तो विजयजी को यह सन्देश देंना था कि मंदिर का राज अगर उसने नही बताया तो वो विजयजी के पूरे परिवार को मार देगा
एक महीने की मोहलत उस आदमी ने विजयजी को दी थी राज बताने के लिए, विजयजी तो उसकी बाते सोचकर चिन्ता में पड़ गये थे, की मन्दिर का राज के बारे में यह बात बाहर कैसे गयी , उनके बीवी और जगत के अलावा यह बात किसी को मालूम नही थी ,सुल्तान को भी यह बात मालूम नही थी,तो इतने सालो बाद यह कौन पैदा हो गया राज के बारे में जानने वाला ,और अगर उसे यह राज के बारे में पता था तो अबतक वो चुप किस वजह से रहा, इतने दिनों तक उनके परिवार पर हमले होते रहे वो यही तो नही कर रहा था ,अबतक विजयजी को लगता था उनके परिवार होने वाले हमले कोई पैसे या दौलत के लिए कर रहा था , लेकिन यह बात पता चलने से वो अब परेशान हो गए थे, उन्हें खुद इस बात का पता नही था कि मंदिर में कहा पर चमत्कारी वस्तु है , अगर उन्हें पता भी होता तो अपने परिवार को भी वह कुर्बान कर देते उसे बचाने के लिये , लेकिन ना तो उन्हें उस चीज का पता था ,ना इस दुश्मन का ,अगर उनका दुश्मन उनके परिवार को अगवा करने में कामयाब हो गया तो बेवजह वो मारे जाते, दस दिनों तक उन्होंने बहुत तलाश की अपने दुश्मन को ढूंढने कि लेकिन वो उसे नही मिला, फिर काफी सोचने के बात उन्होंने अपने मौत का दिखावा करके ,अपने दुश्मन को चकमा देंना ही बेहतर समजा ,उनके मरने से उनका राज भी ख़त्म उनके साथ खत्म हो जाएगा और वो अपने दुश्मन को भी आसानी से ढूंढ लेंगे, कामिनी को सब समाजाकर वो दुश्मन को चकमा देने में कामयाब हो गए थे, उनका दुश्मन भी उनकी मौत की खबर से अब सोच में पड़ गया था कि अब वह क्या करे, उनके परिवार के आसपास जो अनजान लोग दिखाई देते थे वो भी विजयजी के मौत के बाद दिखने बन्द हो गए थे, तीन महीने तक विजयजी जंगल मे बने उस घर मे रहकर हर बारीक चीज पर नजर रख रहे थे, जब उनको इस बात की पुष्टि हो गई थी तो आज वो जगत से मिलने गये थे औऱ आगे क्या करना है इसके बारे में बताने गए थे ।
 

Goldybull

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Update 8
गाव के बाहर बने एक घर मे चारों तरफ अंधेरा था ,ऐसा लगता था कि सब घर कोई रहता ही नही है, एक अजीब सी खामोशी उस घर मे थी, आवाज आ रही तो बस घर के पास लगे पेड़ो के जो हवा से झूल रहे थे ,एक पेड़ के पीछे एक कार खड़ी थी वो उस अंधेरे का हिस्सा बन कर लगाई गई थी ,उसमे बैठा शख्स अपने मालिक की राह देख रहा था कि कब वो आये और वह उनको जल्दी यहा से लेकर निकल जाए ,
उसी घर मे एक खूफिया कमरे दो लोग किसी बातो पर सहमत नही हो रहे थे और एक दूसरे को अपनी ही बात कैसे सही यह समजाने में लगे थे
जगत में यह गाव छोड़के नही जा सकता, में अपनी जान बचाने के लिये तुम सबको मौत के सामने खड़ा करके नही जा पाऊंगा ,में मरने से नही डरता
विजय में तुम्हे जानता हूं तुम डरपोक नही हो ,लेकिन तुम यही रहे तो एक न एक दिन यह बात सब को मालूम होगी तुम दोनों जिंदा हो,तब बात और बिगड़ सकती है
जगत लेकिन मुझे उस आदमी का पता करना जरूरी है ,वो कोंन अपनी पहचान छिपाकर हमारा दुश्मन बना बैठा है,
अगर में चला गया और उसने किसी दिन मेरे बच्चो को नुकसान पहुँचा दिया तो में कभी अपने आप को माफ नही कर पाऊंगा ,
नही विजय अगर उसे करना होता तो वो यह तीन महीनों में कब का कर चुका होता वो अब ऐसा नही करेगा ,वो अब मेरे खयाल से जब तक उस चीज का वारिस आकर उसको यह से हासिल नही करता तबतक वो कुछ नही करेगा ,वो अब बस अपना पूरा ध्यान मन्दिर पर ही रखेगा ,उसको यह बात पता होगी कि तुम्हारे तीनो बेटे वारिस नही है ,वह अब वारिस कौन होगा यही तलाश करेगा
लेकिन मेरे पिताजी ने कहा था कि इसका वारिस कौन होगा ये बात उनको भी मालूम नही है ,उसकी पहचान खुद वही पत्थर कर लेगा और यह भी हो सकता है कि वह हमारे खानदान से भी नही होगा
विजय यह बात हम भी जानते है ,लेकिन हमारे दुश्मन को यह पता तो नही है ना कि हम पूरी बात नही जानते ,तुमको तो बस उसके निकलने वाले पानी को पिलाया था ,ताकि तुम उसकी रक्षा कर सको ,यह ताकद तुम्हे उसे गलत हाथो में जाने से बचाने के लिये दी गई थी, तुम्हे तो बस अब खुद को सबकी नजरों से दूर रहना होगा ताकि वो तुमतक कभी पोहच नही पाए
में कब तक दूर रहूंगा अपने परिवार से मेरे भाई, जाने कब वो वारिस आएगा ,बस माता से यही दुवा करता हु मेरे मरने से पहले वो आकर अपनी अमानत मन्दिर से ले जाये ,ताकि अपने पिता की दी हुवी जिम्मेदारी पूरी कर सकू
विजय मेरी बात मानो तुम कुल यहां से विदेश चले जावो , यहा पर हम सब है तुम्हारे परिवार के रक्षा हम अपनी जान देकर भी करेंगे ,भाभी को भी समझाना अब तुम्हारा ही काम है,
आखिर विजयजी को जगत की बात माननी ही पड़ी ,जगत जी ने यह भी बता दिया कि सुल्तान की पहचान से उन्हें दूसरे नाम से विदेश जानी की सब तैयारी वह पहले ही कर चुके है
जगत से एक बार गले मिलकर वह बाहर खड़ी गाड़ी में बैठ गए, भीमा ने भी गाड़ी वह से निकाल ली और जंगल वाले घर की तरफ मोड़ दी, एक घण्टे में वह जंगल वाले घर मे पहोच गए ,
कामिनी अभी तक सोई नहीं थी वो विजयजी की राह देख रही थी ,जब वह घर मे आये तो अपने कपड़े उतारकर सिर्फ एक नाइट पेंट में ही कामिनी के पास बिस्तर पर लेट गये
कामिनी ने भी एक नाइट गाउन पहन के लेटी हुवी थी,वो विजयजी के पास सरक कर उनके मजबूत बाहों में चिपक गई,
विजय जी ने फिर धीरे धीरे जगत की साथ हुवी सब बातें बता दी ,कामिनी भी सोच में पड़ गयी थी सब बातों को जानकर ,और थोड़ी देर में वो बोली
मुझे भी जगतभाई की बाते सही लग रही है ,हमे यहा से दूर जाना ही ठीक रहेगा सब के लिये ,आप भी मान जाइए इसमे हम सबकी भलाई ही है
विजयजी को कामिनी की बात सुनकर बहुत बुरा लग गया ,उस बेचारी को अपने बच्चों से दूर रहना कभी पसन्द नही था,लेकिन अपनी ममता का गला घोंटकर सिर्फ वह अपना पतिधर्म निभा रही थी
उन्होंने अपनी बीवी को अपने बाहों में भरकर उसको ओठो को चूमकर कहा ,तुम चिंता मत करो कामिनी में तुमसे वादा करता हु हम बहोत जल्द अपने परिवार के पास होंगे
विजयजी औऱ कामिनी को जो पानी उनके पिता ने पिलाया था ऊसकी वजह से दोनों हमेशा जवान ही रहने वाले थे,उन दोनों में आम आदमी के मुकाबले दस गुना ताक़द आयी थी
विजय जी के शरीर के साथ उनके लिंग में भी विकास हुवा था ,जो पहले 6 इंच लम्बा और 2 इंच मोटा था वो 9 इंच बड़ा और 3 इंच मोटा हो गया था , कामिनी के हर अंग में भी जबरदस्त भराव आया था जहा पहले वो 34 26 36 की थी उस पानी के पीने से कुछ दिनों में ही वह 38 28 40 की हो गई थी, उसकी चुत भी फूलकर पावरोटी की तरह बन गई थी
शादी होने के 1 महीने बाद उनको वो पानी उनके पिता ने पिलाया था , शादी के बाद ही कामिनी की चुत की सील विजय ने खोल दी थी लेकिन जब पानी पीकर विजयजी के शरीर का विकास हुवा था तब पहली बार विजयजी के मूसल ने कामिनी की हालत खराब कर दी थी 3 दिन तक वो ठीक से चल नही पाई थी, उन दोनों की कामवासना भी अब औरो के मुक़ाबले कही ज्यादा बढ़ गई थी, दोनो को जब तक दिन में 3 या चार बार चुदने के बाद ही शांति मिलती थी
उन्हें लगा था कि बच्चे होने के बाद कम होगा लेकिन 3 बच्चे होने बाद भी वह वैसी ही रही , कामिनी का बदन तो बच्चे होने के बाद भी बदला नही था ,वो एकदम गदराई घोड़ी बन गई थी ,जो अपने पति का मूसल ऊसकी चुत और गांड को अंदर तक जाकर उसकी जमकर ठुकाई करता था तभी उसको चैन मिलता था
उस रात भी विजयजी ने कामिनी को सुबह होने तक अपने लंड से उसकी चुत और कि गांड में अपना गर्म पानी से उसको भरते रहे ,औऱ दोनो नंगे ही एक दूसरे की बाहों में चैन की नींद सो गये ।
 

Goldybull

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Update 9
कामिनी और विजयजी मुम्बई को पहुच गए थे ,भवानीगढ़ से निकलकर मुम्बई तक आने का उनका सफर बहुत ही सावधनी के साथ किया था किसी की नजरों में ना आते हुए अपने भेष बदलकर किया था,वो मुम्बई के हवाई अड्डे के पास बने होटल में रुके वहां नहा धोकर उन्होंने थोड़ा आराम किया सुल्तान भी उनके पास पहुंच गया था ,आज शाम को उनकी अमेरिका के न्यूयॉर्क की टिकट थी ,मिस नरेश गुलाटी और सुनीता गुलाटी के नामसे पासपोर्ट औऱ नकली कागज बनाये गए थे, सुल्तान ने वह कागजात
की फाइल उन्हें दे दी और साथ मे अमेरिकी बैंक के एटीएम भी उन्हें दे दिये थे,
विजयभाई और भाबी आप दोनो वहाँ जाने के बाद मेरे भाई से मिल लेना ,उसका नाम सलीम हैं वह आपके लेने वहा हवाई अड्डे पे पहुच जाएगा ,आपके वहाँ रुकने का इंतजाम उसने वहा पर कर दिया है ,वो वहा पर एक नामचीन डॉक्टर है ,वो आपका वहा पर पूरा साथ देगा
ठीक है सुल्तान लेकिन तुम भी यहां का पुरा ध्यान रखना और कुछ भी बात हो तो तुम मुझे खबर कर देना
विजय भाई आप यहा की चिंता ना करे मेरे होते बच्चों पर कभी कोई आंच नही आयेगी
थोड़ी बहोत उनके बीच और बाते होती रही उसके बाद सुल्तान वापिस गाव लौट गया, शाम को दोनो ( आगे से उनके नाम नरेश और सुनीता से आयेंगे ) हवाई अड्डे पहोच गए,और अमेरिका जाने वाले हवाई जहाज से न्यूयार्क के लिए रवाना हो गये ,
न्यूयॉर्क में उन्हें लेने सलीम आया था ,उन दोनों को वहा से लेके जहा पर उन दोनों को लिए उसने मकान लिया था वहा चल दिया ,नरेश और सुनीता पहले भी कई बार यहां पर आए थे तो उन्हें वहा पर ज्यादा परेशानी नही हुवी ,सलिम ने मकान उसके बाजू वाला ही लिया था, वहा जाकर उन्हें मकान खोल कर दिखा दिया ,और कुछ भी काम हों तो उन्हें अपने घर का फोन नंबर देकर अपने घर चला गया
सुनीता, सलीम को हमारे असली नाम और हम कहा के इसके बारे में कुछ भी पता नही चलना चाहिए ,सुल्तान ने उसे बताया कि हम उसके दोस्त के बेटे ही जिसने तुम्हें भगाकर शादी की है, और तुम्हारे घरवाले हम दोनों को जान से मारना चाहते थे इसलिए हम यहाँ रहने आये है ,
ठीक है ,जैसा आप कहे
में नहा लेती हूं ,बाद में आप भी नहा लीजिए
तभी उनके घर का फ़ोन बजा ,नरेश ने फोन उठाया तो सामने सलीम बात कर रहा था ,उसने नरेश को बताया कि आप नहाकर खाना खाने हमारे यहा पर आ जाईए
नरेश और सुनीता दोनो तयार होकर सलीम के घर खाना खाने पहुँच गये सलीम 40 साल का थे उसके घर मे उसकी बीवी नुसरत 35 साल की थी दोनो मिया बीबी डॉक्टर थे और साथ मे ही काम करते थे ,आजतक दोनो को कोई औलाद नही थी नुसरत एक बेमिसाल खूबसूरत थी उसकी फिगर भी 34 28 38 की थी ,ऊँची गोरी चिट्टी नुसरत हसमुख और बहुत ही मीठी बाते करने वाली थी ,बहुत जल्द उसकी सुनीता के साथ अच्छी दोस्ती हो गई ,
नरेश भाई आप की उम्र कितनी है ,सलीम ने पूछा
जी मेरी 30 साल और मेरी बीवी की 28 साल है, नरेश बोला
नरेश ने उससे अपनी उम्र इसलिए झूठी बोली क्यों कि अगर वो असली उम्र बताता तो उनको यकीन नही होता और फिर उनको सलीम से अपना इतिहास भी छिपाना था
चलो अच्छा है मुझे एक छोटा भाई मिल गया और मेरी बीवि को एक छोटी बहन,
सलीम की बातों से सब के मुह पर हँसी आ गई
सुनीता तुम आज से मुझे दीदी बोला करना मेरी बहुत बड़ी तमन्ना थी कोई मेरी छोटी बहन हो
जी ठीक है दीदी जैसी आपकी मर्जी
नरेश तुम यहा पर काम क्या करने वाले हो,अगर तुम्हें यहा पर कोई जॉब करनी हो तो मुझे बता देंना ,में तुम्हे किसी अच्छे जगह पे काम लगा दूंगा
सलीम भाई में यहा पर अपना कोई बिजनेस करना चाहता हु , मैंने यहा आने से पहले अपनी जमीन और घर बेच दिए थे उन पैसे की मदद से मेरा यहां काम चल जाएगा
ठीक है जैसा तुमको सही लगे और कुछ पैसे कम पड़े तो मुझसे ले लेना ,मुझे अपना पार्ट्नर बना लेने लगे तो
सलीम की बाते सुनकर नरेश को बहोत अच्छा लगा था,वह दिल का नेक इंसान लग रहा था पैसे की मदद भी इस तरह कर रहा था कि सामने वाले का दिल ना दुखे ,अब उसे क्या पता सामने वाला खुद अरबो का मालिक है
ठीक है सलीम भाई अगर कम पड़े तो आप से ही लूंगा पैसे
नुसरत भी उनकी बातें सुन रही थी ,जब से नरेश उनके घर आया था वो उसको ही देख रही थी साडे 6 फिट का कद, चौड़ी छाती ,मजबूत कंधे ,लम्बे हाथ , खूबसूरत चेहरा ,बात करने का अंदाज उसको घायल कर रहा था,वो यही सोच रही थी ,काश सलीम की जगह यह मेरा पति होता ,नुसरत कोई हवसी औरत नही थी लेकिन नरेश को देखकर उसके दिल मे उसके लिये अलग ही कशिश पैदा हो गई थी ,जिसे वो समज नही पा रही थी
नरेश तुम ने यह बात कभीं सोची है अगर तुम्हें पहचान वाले किसी ने तुम्हे यहा देख लिया और सुनीता के घर पर बता दिया ,या वो लोगो ने तुम्हे यहा पे ढूंढ लिया तो क्या करोगे
तुम ने बताया की सुनीता के पिता बहोत अमीर है तो उनके लिये तुम कहा गये थे यह मालूम करना ज्यादा मुश्किल नही होगा ,
नही सलीम भाई मेने यह बात नही सोची, आगे जो होगा उसे देख लेंगे , किस्मत में जो लिखा ही आखिर वही होगा
सलीम उसकी बात सुनकर खमोश रहा और कुछ सोचकर बोला अगर मेरी बात मानो तो तुम दोनों प्लास्टिक सर्जरी से अपनी शक्ल बदल लो, फिर कोई तुम्हे पहचान ही नही पायेगा,और तुम्हारी जान का खतरा भी हमेशा के लिए खत्म हो जाएगा
सलीम की बातों से नरेश की आंखे चमक उठी ,उसने सलीम से पूछा क्या यह सही ऐसा स हो सकता है, और कौन डॉक्टर करेगा यह काम किसी को पता न चले बिना
सलीम हसने लगा अरे भाई तुम्हारे सामने ही दो डॉक्टर बैठे है ,जो तुम्हारा काम कर देंगे ,बोलो करोगे हमारे पास सर्जरी और हम तुमसे कोई फीस भी नही लेंगे
नरेश यह सुनके बहुत खुश हुवा उसने सुनीता की तरफ देखकर उसे पूछा ,की तुम्हारा क्या राय इस बारे में
सुनीता को समझ नही आ रहा था वो क्या जवाब दे, उसे खामोश देखकर सलीम ही बोल पड़ा अरे इतनी जल्दी फैसला मत करो आराम से एक दो दिन सोचकर फैसला करना ,नरेश ने भी सोचा कि घर जाकर सुनीता से बात करना ही ठीक है
बहोत देर तक उनकी बाते चलती रही फिर नरेश और सुनीता अपने घर सोने के लिये आ गए
नरेश देख रहा था सुनीता थोड़ी सी उदास हो गई है सब बातों से, तो उसने पूछा ,क्या हुवा सुनीता तुम उदास लग रही हो
नही ऐसी कोई बात नही
तुम्हे अपनी सर्जरी नही करनी है ना
नही ऐसा कुछ नही
तो फिर तुम इतनी उदास क्यो हो,
में यह सोच रही थी अगर हमारी शक्कल बदल गई तो हमारे बच्चे हमे कैसे पहचान पाएंगे, हम दोनों हमेशा के लिये उनसे दूर हो जाएंगे
नरेश उसकी बात सुनकर हसने लगा, अरे तुम यह बात सोचो कि यह बदली हुई शक्कल ही हमे अपने परिवार के पास लेके जायगी
सुनीता बोली आप की बात मेरे समझ मे नही आ रही है
नरेश बोला अरे हम सर्ज़री करके कुछ दिन यहा रहेंगे और उसके बाद हम अपने परिवार के पास चले जायेंगे ,में किसी भी तरह सुल्तान के जरिये अपने परिवार में शामिल हो लेंगें, फिर जब तक हमारे दुश्मन का पता नही चलता हम उनके पास ही रहेंगे, उनकी हिफाजत भी कर सकेंगे और पूरा परिवार हमारी नजरो के सामने ही रहेगा
नरेश की बातें सुनकर सुनीता बहोत खुश हो गई , वो बोली जी मे तैयार हूं आप सलिम भाई को फोन करके यह बात अभी बता दीजिए हम कल ही कर लेंगे सर्जरी
नरेेश हसने लगा ,और बोला अभी बहोत रात हो गई है में कल सुबह उन्हें फ़ोन करके यह बात बोल दूँगा
नरेश औऱ सिमा दोनों फिर एक दूसरे की बाहों में प्यार भरी बातें करते हुवे चैन की नींद सो गए
 

Lovingheart

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Boring ho gayi hai kahani shuruwat thodi theak thi

Flashback mein bohat jyada gehrayi mein chale gaye ho har baat ko bohat badha chadha ke likh rahe ho flahback itna gehra nahi hota sir

Last ke 3 update sar ke upar se gaye hai samjh hi nahi aya kuch kya hua kya nahi hua
 
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Goldybull

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Boring ho gayi hai kahani shuruwat thodi theak thi

Flashback mein bohat jyada gehrayi mein chale gaye ho har baat ko bohat badha chadha ke likh rahe ho flahback itna gehra nahi hota sir

Last ke 3 update sar ke upar se gaye hai samjh hi nahi aya kuch kya hua kya nahi hua
भाई आप ने मेरी कहानी पढ़कर मेरी कहानी की समीक्षा की मेरे लिये यह बहुत बड़ी बात है, मेंरी यह पहली ही कोशिश है लिखने की मुझसे गलतियां तो होंगी ही, मुझे तो बस कहानी के सब किरदारों की भूमिका क्या होगी इसीलिए थोड़ा सा लम्बा फ्लैशबैक हो रहा है ,में बहुत जल्द इसे अपने वर्तमान में लाने वाला हु ,आप को कुछ अपडेट समझ नही आये इसका दोषी में ही हु, इसलिए में आपकी माफी माँगता हु
अच्छे से लिखकर में आपकी शिकायत दूर करने की कोशिश करँगा, आप और थोड़ा समय दीजिए कहानी को आप की नाराजगी जरूर दूर करूँगा ,
 
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