Update 56
काल ,नेत्रा मुझे बहुत ही ज्यादा प्यास लगी है ,थोड़ा सा पानी पीले क्या हम
नेत्रा ,काल के मन मे ,यहा की हर चीजमे जहर है खाना पीना यहा तक कि यह हवा भी जहर से भरी हुवीं है ,यहा पर आपने कुछ भी खाया या पिया तो तुम बेहोश हो सकते हो ,भले ही मेने आपका हाथ पकड़ा हो यह जहर आप पर असर करेगा ,आप जो सास ले रहे हो ना यह भी बहुत ज्यादा जहरीली है ,में लगातार आपके शरीर से जहर सोख रही हु अगर में 1 मिनीट के लिये भी आपसे दूर हुवीं ,तो ये आपके लिये बहुत घातक हो सकता है ,इसीलिये कुछ देर के लिये अपनी भूख प्यास पर काबू रखें,आप सिर्फ अपने मन मे बोलते जाइये में आपको जवाब दुंगी ,यहा पर कोई भी हमारी बाते सुन सकता है ,
दोनो को ही सेवको ने हिमानी के कमरे में छोड़ा, एक पूरी नीले बदन की नागिन पलँग पर बेहोश लेटी थी ,वो सर्पमानव के रूप में लेटी थी ,नेत्रा काल के मन मे ,यह एक निलनागिन है जो हजारो साल में एक ही पैदा होती है ,इनमें बहुत सी खास चमत्कारी शक्तिया होती है पर इनकी शक्तिया इनके शादी के बाद इनके पति को मिलती है , दोनो पति पत्नी शादी के बाद अनोखी शक्तियों के मालिक बन जाते है और उसका इस्तेमाल कर सकते है ,यह नागिन की एक खास बात है इसके अन्दर बहुत ही ज्यादा कामशक्ति होती है जो कोई भी नही भुजा सकता सिवाय महानाग के ,आज तक कोई भी निलनागिन और महानाग की जोड़ी देखी नही गयी है ,और मुझे यह सब विशाखा से पता चला है ,
कालनेत्री हिमानी को छुकर देखती है कि उसे क्या हुवा है ,तो वो देखती है कि हिमानी ने अघोरविष को पी लिया था ,आमतौर पर साँप विष पीकर अपनी भूक औफ प्यास मिटाते है ,कुछ विष पीकर उनकी ताकद भी बढ़ जाती है ,पर अगर उन्होंने कोई बहुत ही प्रभावशाली जालिम जहर पी लिया तो वो उनके लिये जानलेवा भी साबित होता है ,हिमानी के पिता उसकी शक्तिया पाने के लिये उसकी शादी अपने ही दोस्त से करवा रहे थे ,जो हिमानी को पसन्द नही था ,इस शादी को टालने के लिए उसने विषलोक का सबसे घातक अघोर विष पी लिया था, ताकि वह अपनी जान दे सके ,पर वो विष पीकर मरी नही पर बेहोश हो गयी थी ,उसके पिता ने पूरी दुनिया से वैद्य बुलाकर उसका इलाज किया पर कोई भी अघोर विष का प्रभाव खत्म नही कर पाया था ,और पूरी दुनिया मे अघोर विष का एक ही तोड़ था कालनेत्री ,
नेत्रा हिमानी को स्पर्श करके सब देख ही रही थी कि हिमानी की आंखे खुल गई ,दो अनजान चेहरो को अपने सामने देखकर हिमानी थोड़ी सी चौक गई ,लेकिन नेत्रा को देख के उसने कहा ,नेत्री बुवा आप आ गई ,आप कहा चली गईं थी ,आप नहीं थी तो देखो क्या हाल कर दिया है आपके भैया और भाभी ने मेरा ,में बहुत अकेली हो गयी थी आपके जाने के बाद , नेत्रा तो आवक सी हो गयी हिमानी की बातों से ,यह आपके साथ कौन है बुवा ,काल के और इशारा करते हुवे ,हिमानी ने फिर पुछा, लेकिन इसका जवाब दोनो ने ही महाराज ने विषदंश ने दिया ,बेटा यह तुम्हारी बुवा का दोस्त है ,जो उनको यहा पर छोड़ने आया था
काल और नेत्रा महाराज के और देखने लगे ,उसकी मन की बाते सुनकर काल भड़क गया था पर उसके मन मे नेत्रा की आवाज आयी ,आप शांत रहिये हमे सबसे पहले अघोर विष को पाना है ,उसके बाद देखेंगे क्या करना है ,तबतक आप शांत रहिये ,
नेत्रा ,मेने आपकी बेटी को ठीक किया इसका मतलब यह नही के में आपकी बहन कालनेत्री हु ,भले ही में आपके बहन जैसी दिखती हु पर में उतनी शक्तिशाली नही हु ,और इस बात का सबसे बड़ा प्रमाण यही है कि अगर में आपकी बहन होती तो हिमानी की हालत देखने के बाद आप का सिर मेरे कदमो में होता
विषदंश ,मे भी छुपकर यही देख रहा था कि तुम हिमानी की हालात जानकर तुम एक पल में मुझे मार देती पर तुमको कबसे यही शांत बैठा देखकर ही में आगे आया , भले ही तुम कालनेत्री नहीं हो पर तुम में बहुत सी शक्तिया है जो उसकी तरह ही है ,तुम अब यही रहकर मेरी मदद करोगी ,मुझे उस महानाग को मारना है ,उसके लिये अब हिमानी की शक्तियों के साथ तुम्हारी भी हमे बहुत मदद होगी ,जाने कितने ही महायोद्धा मारे गए है उस महानाग के खोज में हमारे ,लेकिन अब हम तुम्हारी दोनो की शक्तियों की मदद से अब इस खतरे को मिटाना ही होगा ,में वो भविष्यवाणी झूठी कर दूंगा की महानाग विषलोक तबाह करने वाला है ,मौत के साये में हम डर के अब नही रहने वाले ,
मेने कालनेत्री को भी कितनी बार कहा था कि वो महानाग को मार दे ,पर उसे हमारे पिता ने कहा था कि वो महानाग ही उसका पति है और तुम कभी विषलोक के लिये उसके साथ युद्ध नहीं करना ,विषलोक को खत्म होना ही सबके लिये अच्छा रहेगा ,विषलोक की मदद से अब तक ना जाने कितनी ही बुरी ताकते असीम बलशाली हो गई है ,और ऐसे विषलोक का नष्ट होना ही अच्छा है जिसकी वजह से किसी बुराई के बल मिले ,और वो उनकी बातों को मानती रही ,और इसमें उसका साथ उसकी खास सहेलियां देती रही सर्पिणी और विशाखा, में तो अपने पिता के वजह से उन्हें यहा पर आने देता था ,कालनेत्री उन्हें बताये बिना कहि नही जा सकती थी ,मेने कितनी बार उन दोनों को पूछा पर उन्होंने कभी कुछ नहीं बताया ,हमेशा मुझसे झूठ ही बोलती रही ,मेने उनका यहा आना ही बन्द कर दिया ,कुछ सालों से सर्पिणी भी घायल है ,विशाखा ने कितनी बार मुझसे अघोर विष माँगा लेकिन मेने नही दिया ,अगर वो मेरी बहन कहा है यह बात मुझे बता देती तो में उसको अघोर विष जरूर देता पर तब भी उसने मुझे कुछ नही बताया ,लेकिन अब तुम खुद यहा आ गई हो ,अब मुझे किसी की जरुरत नही है ,विषदंश ने काल की तरफ देखकर कहा की ,तुम कौन हो ,क्या हो मुझे इससे कोई मतलब नही है ,अगर तुम जीना चाहते हो ,तो इसको यही छोड़ो और वापिस लौट जाओ ,फिर कभी तुम यहाँ पर आए तो में तुम्हे जान से मार दूँगा,
काल अब नेत्रा का हाथ छोड़कर विषदंश को मारने जा ही रहा था तो उसके मन मे ,आप को मेरी कसम आप चुप रहेंगे और मेरी बात को मानिए ,हमे दिमाग से काम लेना होगा ,आप यहां एक पल भी नही टिक सकते ,धीरज रखिए ऐसे गर्म दिमाग से कोई भी लड़ाई नही जीती जाती ,में बात करती हूं इस पापी से ,
नेत्रा, में यहाँ पर रुकने को तैयार हूं ,लेकिन आप हमें अघोर विष दे दीजिए, यह यहाँ से अघोर विष लेकर चले जाएगा और में यहीं रुक जाऊंगी,
विषदंश सोच में पड़ गया ,इतनी आसानी से यह बात मान रही है वो भी सिर्फ अघोर विष लेकर ,उसने अपने एक सेवक से अघोर विष की एक छोटी शीशी मंगवाई और कहा में अघोर विष दे रहा हु ,पर इस बात का क्या प्रमाण की तुम इसके यहा के जाने के बाद खुद भी ना रहो ,में तुमको एक बेड़ी देता हूं तुम पहले इसे अपने दोनो हाथो में पहन लो उसके बाद ही में तुमको अघोर विष दूँगा ,
नेत्रा ने कुछ सोचकर उसके हाथ मे विषदंश ने दी हुवीं बेड़ी पहन ली पर काल का हाथ नही छोड़ा ,विषदंश ने भी काल के हाथ मे अघोर विष की शीशी दे दी ,काल के कान में नेत्रा की आवाज आयी ,आप पहले यहाँ से सीधा विशाखा के पास चले जाइये ,में इसको चकमा देकर वही आती हु ,
काल भी नेत्रा की बात मानकर सीधा गायब होकर विशाखा के गुफा में पहुचा, उसने वो अघोर विष की शीशी विशाखा को दे दी ,विशाखा भी वो शीशी लेकर बहुत खुश हो गई ,उसने अपने बहन को जाकर वो शीशी का जहर पूरा पिला दिया ,कुछ ही पल में सर्पिणी के जख्म भरने लगे और वो होश में आने लगि 10 मिनीट में ही वो पूरी तरह स्वस्थ हो गई ,दोनो बहने एक दूसरे के गले लग गई, 450 सालो से जो विशाखा की आंखों में गम था ,वो उसने आज निकाल दिया था ,दोनो जी भरकर रोयी ,विशाखा ने उसे सब बता दिया उसके बेहोश होने के बाद क्या हुवा था और कैसे काल ने यह अघोर विष लाकर उसकी जान बचाई ,सर्पिणी ने भी हाथ जोड़कर काल का धन्यवाद किया ,उसने नेत्रा के बारे में पुछने पर बताया की वह विषदंश को चकमा देकर आने वाली है ,जब उसने उन दोनों को विषलोक की सब घटना बताई तो दोनो उस जादुई बेड़ी की बात सुनकर घबरा गई ,काल ने भी उनका डर देखकर उनके मन किं बात जान ली ,तो उसे भी थोड़ा डर लगने लगा ,जो जादुई बेड़ी नेत्रा ने पहनी थी वो कालनेत्री की बेड़ी थी जो उसे खुद महाकाल ने दी थी ,उस बेड़ी को अगर किसी देवता को भी पहना दिया तो उसकी सारी शक्तिया वो बेड़ी खिंच लेती है ,उस बेड़ी को पहनने के बाद कोई भी शक्ति काम करना बंद कर देती है ,यह बेड़ी कालनेत्री को भी बंदी कर सकती थी ,
काल और वो दोनो बहने बहुत देर तक नेत्रा की राह देखते रहे पर वो नही आयीं ,काल ने बहुत बार अपने मन मे उसको देखने और बात करने की कोशिश की वो कामयाब नही हो पाया ,उसने फौरन विषलोक जाने की सोच कर वहां जाने की कोशिश करने लगा पर वो विषलोक में नही जा पा रहा था अपनी शक्तियों की मदद से ,उस सर्पिणी ने ऐसे परेशान देखकर कहा ,अगर तुम यहाँ से सीधा विषलोक जाना चाहते हो तो नही जा सकोगे ,कालनेत्री ने विषलोक में एक कवच लगाया है ,वहां पर जाना हो तो दरवाजे से ही जा सकते है ,विषलोक से तुम सीधा कही भी जा सकते हो ,यह सब कालनेत्री ने पापी लोग विषलोक में ताकद पाने नही आ पाए इसीलिये किया है ,विषलोक के हर दरवाजे पर कालनेत्री की शक्ति है जो सिर्फ़ अच्छे लोगो को ही अंदर आने देती है, कोई भी पापी उन दरवाजे को पार नहीं कर सकता है ,
काल अब सोच में पड़ गया उसे किसी भी हाल में उसे नेत्रा को बचाना ही था विशाखा और सर्पिणी को अंदर आने की अनुमति नही थी ,और काल मे कोई विष नहीं था जो उसे वहां सीधा वहां पर प्रवेश मिल सके ,विषलोक में सिर्फ जिनके अंदर विष हो वही जा सकते है ,नेत्रा के वजह से वो विषलोक में प्रवेश कर पाया था ,
सर्पिणी ,क्या महानाग हमारी मदद नही कर सकता ,काल ने पूछा ,
काल ,आज तक महानाग से कोई मिला ही नही है तो यह में तुम्हे कैसे बता सकती हूं, महानाग के तलाश में आजतक कितने है सर्प योद्धा गये उसके ठिकाने तक पर कोई जिंदा तो क्या उसका शरीर भी नही लौटा ,सर्पिणी
काल ने कुछ सोचा और वह सीधा गायब होकर उस गुफा के सामने पहुचा जहा से अंदर जाने पर विषलोक का दरवाजा मिलता है और उस गुफा में न जाकर गड्ढे में नीचे महानाग का ठिकाना है ,
दीदी ,यह काल कहा गया होगा ,विशाखा बोली
मेरे खयाल से वो विषलोक में ही जायेगा चलो हम भी चलते है उसके पीछे ,हमे उन दोनों की मदद करनी होगी ,विषदंश बहुत ही ताक़दवर है, पर वो मेरे सामना नही कर सकता, चलो हम भी चलते है ,सर्पिणी बोली ,
दोनो जब उस गुफा के बाहर जाकर काल को देखने लगी तो दोनो की आंखे बड़ी हो गयी ,काल नीचे महानाग के ठिकाने की तरफ तेजी से जा रहा था ,वो दोनो तो नीचे जाने के बारे में सोच भी नहीं सकती थी ,नीचे ऐसा जहर था कि कोई सर्प योद्धा पल भर में वहां गल जाता था ,और काल अपनी मौत के पास जा रहा था ,
नेत्रा हिमानी के पास बैठी थी ,दोनो को एक कमरे में बंद कर दिया था विषदंश ने और बाहर अपने खास सिपाही रखे थे ,
हिमानी ,तो आप मेरी बुवा नही हो ,आप का नाम नेत्रा है ,और वो आपके पति थे ,क्या वो अब तुम्हे बचाने नही आयेंगे,
नेत्रा,हिमानी ,उनकी मौत जहर से होगी ,उनके लिये कोई सामान्य जहर भी जानलेवा है ,में नही चाहतीं थीं उन्हें यहा नुकसान हो ,इसलिये मेने बेड़ी पहनने के फौरन बाद उन्हें वापिस भेज दिया ,मुझे पता था यह बेडी मेरी ताकद खत्म कर देगी ,पर में हैरान हूं कि अगर यह बेड़ी मेरी सब ताकद सोख ली है ,तो में विषलोक में जिंदा कैसे हु ,और मेरे पति की एक बात में जानती हु ,भले ही उनको जहर से खतरा हो
पर वो विषलोक में आकर ही दम लेंगें ,तुम्हारे पिता को मारकर मुझे यहां से लेकर जाएंगे ,भले उसके लिये उनको कुछ भी करना पड़े पर वो चूकेंगे नही ।