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Incest जिन्दगी ## एक अनाथ की##

Choduraghu

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Update 55
विशाखा से मिलने के बाद जब नेत्रा और काल घर लौट कर दोपहर का खाना सब के साथ मे खाकर अपने कमरे में आ गए ,नेत्रा ने खाना खाते वक्त ही परिवार में यह बता दिया कि काल और वो कुछ दिनों के लिए बाहर घूमने जा रहे है,
काल,नेत्रा एक बार और सोच लो मेरे साथ तुमको आने की जरुरत नही है ,
नेत्रा ,आप मुझे यह तो बताइये की विशाखा को किसने और क्यो इतना जख्मी किया ,आपने विशाखा के मन से जाना ही होगा सब
काल ,हा आज देखा मेने यह ,सर्पिणी और उस नीमोड राक्षस की लड़ाई हुवीं थी ,450 साल पहले ,वह राक्षस के साथ 3 और साथी थे ,उन चारो ने मिलकर नरभेडिये को मारना शुरू किया था मन्दिर के जंगलों में ,वो चारो इतने जहरीले थे कि कोई नरभेड़िया उनके सामने सास तक नही ले पाता था , उन्होंने कितने ही नरभेडिये को मार दिया था और उसके तीनो साथी सैकड़ो नरभेडिये को बंदी बनाकर काली घाटी ले गए उसी वक्त ,सर्पिणी और विशाखा ने मिलकर उन राक्षसो का मुकाबला किया था ,सर्पिणी ने ही नीमोड के साथी और को मार दिया था ,बाकी दोनो जान बचाकर भाग गये थे,नीमोड ने मरने से पहले विशाखा पर बहुत घातक वार किया था वो सर्पिणी ने अपने ऊपर ले लिया था ,सर्पिणी उस वार से बेहोश हो गयी उस के शरीर पर जो जख्म बने हे वो सिर्फ ,अघोर विष से ही ठीक हों सकते है , विशाखा और उसकी बहन को विषलोक में प्रवेश नही है ,उसकी वजह कालनेत्री है ,जब तक विषलोक में कालनेत्री रहती थी उसकी वजह से कोई भी इन्हें वहां टोकता नही था ,पर कालनेत्री के अचानक गायब होने के बाद उसके भाई ने इन दोनों को वहां पर आने पर पाबंदी लगा दी ,उनको यहीं लगता है कि कालनेत्री को गायब करने में इन दोनों को का ही हाथ है ,वो लोग अब इन दोनों को अपना शत्रु मानते है ,विशाखा ने कितनी बार उनसे अघोर विष मांगा था पर वो लोगो ने इसे कभी नही दिया ,
नेत्रा बोली ,काल हमको आज शाम को ही निकलना चाहियें ताकि हम कल सुबह तक प्रयागराज पहोंच सके
काल ,तुम मानोगी नही ,तुमको विशाखा ने आज स्पर्श किया था और तुम सब जान गई होगी उसके बाद ,फिर भी मुझसे पूछ रही हो ,ताकि में तुमको लेकर न जाने की बात छोड़कर बाकी बाते करता रहूं,
नेत्रा ,आप बहुत समझदार है ,मेरी बातों को समझ जाते है ना ,तो यह भी समझ लीजिये की में आपके साथ ही आने वाली हु ,
नेत्रा मानी नही और शाम को दोनो निकल गए अपनी मंजिल के लिये,
नील बोला, विशाखा तुम कहना चाहती हो की नेत्रा ही कालनेत्री है ,लेकिन वो तो हजारो साल से गायब है
विशाखा ,नील में मेरी बड़ी बहन जितनी तो नही पर हमारे वंश की सबसे जहरीली नागकन्या हु,मेरा जहर तो सर्पलोक के लोग भी नही सह सकते ,हम दोनों बहनों की सांस ही इतनी जहरीली है कि कोई भी हमारी जाती का नाग भी इसे बर्दाशत नही कर सकता , और नेत्रा ने बड़ी आसानी से मेरे जहर को हजम कर गई ,ये सिर्फ कालनेत्री ही कर सकती है ,
और हमारे पिता ने कहा था जो कालनेत्री से विवाह करेगा वही तुमसे भी शादी करेगा ,लेकिन कालनेत्री रही नही और हमे भी आजतक कोई वर मिला ही नही,हम दोनों बहनें अभी तक कवारी इसी वजह से है , आज तक कोई नही मिला जो हमारे सांसो के सामने टिक सके ,
नील ,अगर नेत्रा कालनेत्री है तो फिर काल ही तो तुम दोनो का वर नही
विशाखा, नही ऐसा नही होगा नील काल एक मनुष्य है और हमारा वर कोई महानाग ही हो सकता है ,भले ही नेत्रा ही कालनेत्री हो पर काल हमारा वर नही हो सकता
विशाखा और नील दोनो ही अपने अपने विचारोमे खामोश कितनी देर तक बैठकर अपने अपने रास्ते चले गए,
गंगा नदी के तट पर सुबह के वक्त प्रभु भोलेनाथ के दर्शन करके काल और नेत्रा खड़े थे ,काल ने कहा ,नेत्रा तुम को तैरना तो आता है ना ,और क्या तुम पानी मे इतनी देर तक सांस रोक सकती हो ,
नेत्रा ,में तुमको एक बात और बताती हु में जिसको स्पर्श करती हूं शायद उनके ज्ञान और शक्तियों को भी पा सकती हूं ,तुम पहले इंसान हो जिसे मेने स्पर्श किया था जिसमे शक्तिया थी ,आज में सुबह नहाते वक्त में तुम्हारी रूप बदलने की शक्ति को सोचकर अपना रूप बदलने की कोशिश कर रही थी ,तो में भी अपना रूप बदल रही थी ,जो चाहे वो रूप मैंने बदल कर देखा ,अब यह बात पक्की है कि मुझमे भी तुम जैसी शक्तिया आ गयी है , पानी मे जाकर यह बात की भी पुष्टि कर लेते है ,यह कहकर नेत्रा ने पानी मे छलांग लगा दी ,उसके पीछे काल भी कूद पड़ा ,काल ने देखा नेत्रा गहरे पानी मे उसीका इंतजार कर रही है वो आसानी से पानी मे सास ले रही थी ,तभी काल के मन मे नेत्रा की आवाज आयीं ,आप मेरे पीछे आइए ,मुझे विशाखा के स्पर्श करने के बाद विषलोक का रस्ता पता चला चुका था ,में आपको विषलोक ले चलती हु ,फिर नेत्रा के पीछे काल 10 मिनीट तक तेजीसे पानी मे सफर कर रहा था ,नेत्रा की पानी मे तैरने की स्पीड काफी तेज थी ,काल मन में उसकी इस स्पीड के तारीफ करता उसके पीछे ही चल रहा था ,नेत्रा एक जगह रूक गई जहा नदी के तल में बहुत बड़ा गड्ढा था ,नेत्रा ने काल का हाथ पकड़ा और उसके मन मे कहा कि उसका हाथ वो अब यहां से बाहर आने के बाद ही छोड़े और दोनो उस गड्ढे में उतर गए वो काफी गहरा और अंधेरे से भरा था ,पर दोनो उस अंधेरेमे आसानी से देख पा रहे थे ,दोनो ना जाने कितनी देर तक उस गहराई में सफर कर रहे थे पर वो गहराई खत्म होने का नाम ही नहीं ले रही थी ,उनके उस सफर में वो अकेले ही थे ,ना कोई जीव ,ना मछली बस अंधेरे से भरा पानी ,कुछ देर बाद वो एक बहुत बड़ी गुफा के सामने पहुचे ,उस गुफा के नीचे वो अंधेरा गड्ढा गहराई तक फैला था ,नेत्रा ने काल का हाथ पकड़कर उस गुफा में घुस गई ,आप ये गड्ढा देख रहे हो ये नीचे कहा तक गया है कोई नही जानता ,बस ऐसा कहते है कि नीचे कोई महानाग है ,यहा नीचे जाने के लिए विषलोक के सभी लोग भी डरते है ,ऐसा कहा जाता है वो महानाग बहुत ही खतरनाक और विशाल है ,जिसे आजतक किसीने नही देखा है ,पर जो भी नीचे गया था उस कालनाग की तलाश में वो कभी लौटकर नही आया ,हम जिस गड्डे में प्रवेश करके आये थे उसमे का पानी गंगा नदी में कभी नही मिलता ,दोनो पानी हमेशा एक दूसरे से अलग रहते है ,अब हम जिस गुफा में आये है वही हमे विषलोक के दरवाजे तक लेकर जायेगी, तुम अपने आप को सर्पमानव में बदल लो विशाखा की तरह में भी वैसाही रूप लेती हूं ,तुम वहां किसी से कुछ भी बात नही करना ,किसीने कुछ भी पूछा तो उसका जवाब में ही दुंगी ,और यह सोचना बंद करो कि में तुम्हारे मन मे कैसे बात कर रही हु और तुम मुझसे नही कर पा रहे हो ,यह बात का जवाब में भी नही जानती ,
नेत्रा और काल ने सर्प मानव का रूप लेकर एक बहुत बड़े नीले रंग के दरवाजे तक पहुच गये ,उस दरवाजे पर बहुत ही विशाल और भयानक साँप पहरा दे रहे थे ,उनके सामने तो ये दोनों मानो ऐसे लग रहे थे हाथी के सामने कोई बिल्ली का बच्चा हो ,
उन दोनों को देखकर एक साँप आगे आया और पूछा ,कौन हो तुम ,और इस रास्ते से विषलोक में आना मना है यह बात तुमको पता नही है क्या
नेत्रा ,जी हम दोनों सैकडो सालो से गंगा नदी में इच्छाधारी बनने के लिये तप कर रहे थे ,हमे यह बात पता नही थी ,हम दोनों इतने सालों से भूखे प्यासे थे ,कुछ ताकत पाने के लिये विषलोक जाकर विषपान करने जा रहे थे ,आप हमें माफ कर दीजिये ,
वो सांप नेत्रा की बातों से प्रसन्न हुवा ,अति उत्तम सर्पि (बेटी) ,तुम जैसे जवान सर्प ही हमारी उम्मीद रहते है जो अपने आप को हमेशा निखारते है ,तुम विषलोक जा सकती हो, पिछले 400 सालों से यह मार्ग बंद कर दिया था ,पर तुम इन बातों से अनजान थी इसलिये में तुम्हे जाने देता हूं ,इस जवान सर्प की कमजोरी कुछ ज्यादा ही बढ़ गई है लगता जो बोल नही पा रहा है तुम दोनो अंदर जा सकते हो ,कुछ दिन यहां के जहरीले फल और जहरीले पानी से तुम बहुत जल्द ठीक हो जाओगी ,
नेत्रा ने काल का हाथ पकड़ कर उस दरवाजे के सामने जाकर खड़ी हो गईं तो उस साँप ने दरवाजे की तरफ अपना एक हाथ को किया जिससे एक नीली रोशनी इन दोनों के बदन के साथ दरवाजे के साथ टकरा गई वो दोनो वहां से गायब होकर दरवाजे की दूसरी तरफ विषलोक में प्रवेश कर गए ,यह तो बहुत बड़ा नगर था ,हर तरफ नीली रोशनी फैली हुवीं थी , छोटे बड़े हर तरह के पक्के मकान बने हुवे थे,वहां पर बहुत बड़े महल भी दिख रहे थे जो अपनी सुंदरता बिखर रहे थे ,बड़ी सड़के ,हर तरफ घने पेड़ ,और बड़ी सी नीली नदी दिख रही थीं जो उस नगर के बीच मे से बह रही थी,सड़को पर काले ,पीले ,हरे रंगों के साँप घूम रहे थे ,उनमे बहुत से सर्पमानव भी थे ,यहा साँप ही नही हर तरह के पक्षी ,जानवर भी दिख रहे थे जो चारो तरफ घूम रहे थे अपने अपने कामो में ,काल यह सब आश्चर्य से देख रहा था ,
आप बस देखते ही रहैंगे क्या ,हमे अघोर विष के बारे में जानकारी लेकर उसे कैसे पाएं ये सोचना चाहिए ,नेत्रा बोली,
काल ,नेत्रा ये काम तुम आसानी से कर सकती हूं मुझसे ज्यादा ,हम किसी ऐसे को ढूंढते है जो राजमहल में काम करता हो ,उसे छुकर तुम आसानी से पता कर लोगी वो अघोर जहर कहा पर रखा है ,
फिर दोनो ने बड़ी मेहनत से एक महल में काम करने वाले राज सेवक को ढूंढ निकाला, उस सेवक को ढूंढने से पहले नेत्रा को 80 से ज्यादा लोगो को स्पर्श करना पड़ा था ,वो राजसेवक को स्पर्श करके उन दोनों को महल में जाने की तरकीब तो मिल गई पर अघोर विष की जानकारी नही मिली ,महल में विषपुर के राजा की बेटी बहुत सालो से बीमार थी ,उसे ना जाने कितने ही जहर पिलाए गये पर वो ठीक ही नही हो रहीं थी ,उसका इलाज करने हमेशा महल में कोई न कोई आता ही था ,तो वो दोनो भी इलाज करने के लिये महल में दाखिल हो गए
विषलोक के राजा का नाम विषदंश था और जो उसकी बेटी थी उसका नाम हिमानी था ,जब काल और नेत्रा ,हिमानी के इलाज के लिये महल में दाखिल हुवे तो उनकी पहले अच्छी तरह से तलाशी और पूछताछ की गई ,फिर सब ठीक लगने पर उन्हें राजा के सामने लेकर गए ,वहा विषदंश नेत्रा को ही देख रहा था एकटक जब वो उसको मिलने आयी थी ,नेत्रा और काल को उसने हिमानी के इलाज की आसानी से इजाजत दे दी थी ,उसकी पत्नी तो हैरान हो गई थी ,जो विषदंश 50 बार सामने वाली की पूरी पूछताछ खुद नही करता तब तक किसी को उसके बेटी का इलाज नही करने देता था, पर आज उसने बिना कुछ सवाल किये उन दोनों को इजाजत दे दी थी ,
जयमाला जो विषदंश की पत्नी थी ,अपने पति से बोली ,आज पहली बार आपने किसी को हिमानी के इलाज के लिये किसिको को बिनपुछे इजाजत कैसे दे दी ,
विषदंश ,जयमाला लगता है तुम यहाँ की रानी रहने के योग्य नही रही अब ,तुमने कुछ देखा नही
जयमाला ,में आपकी तरह इतनी बुद्धिमान नही हु जो सब देख सकू ,आप ही बता दीजिए मुझे
विषदंश ,जयमाला हमने इजाजत किसी और को नही बल्कि हमारी बहन कालनेत्री को दी है ,देखना कुछ पलों में हिमानी बिल्कुल ठीक होकर हम दोनों के सामने खड़ी होगी, हिमानी को ठीक मेरी बहन कालनेत्री के सिवा कोई नही कर सकता ,तुमने राज महल में कालनेत्री के घोड़े की आवाज तो सुनी होगी जो कितने सालो से एक ही जगह खड़ा है हजारो सालो से कालनेत्री की प्रतीक्षा में ,आज वो जिस तरह खुशी में हिनहिना रहा है तभी से हम समझ गए थे कलनेत्री विषलोक में आ गई है , अब हम महानाग को आसानी से मार सकते है ।
Bahut hi badhiya update
 

Svin

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विशाखा से मिलने के बाद जब नेत्रा और काल घर लौट कर दोपहर का खाना सब के साथ मे खाकर अपने कमरे में आ गए ,नेत्रा ने खाना खाते वक्त ही परिवार में यह बता दिया कि काल और वो कुछ दिनों के लिए बाहर घूमने जा रहे है,
काल,नेत्रा एक बार और सोच लो मेरे साथ तुमको आने की जरुरत नही है ,
नेत्रा ,आप मुझे यह तो बताइये की विशाखा को किसने और क्यो इतना जख्मी किया ,आपने विशाखा के मन से जाना ही होगा सब
काल ,हा आज देखा मेने यह ,सर्पिणी और उस नीमोड राक्षस की लड़ाई हुवीं थी ,450 साल पहले ,वह राक्षस के साथ 3 और साथी थे ,उन चारो ने मिलकर नरभेडिये को मारना शुरू किया था मन्दिर के जंगलों में ,वो चारो इतने जहरीले थे कि कोई नरभेड़िया उनके सामने सास तक नही ले पाता था , उन्होंने कितने ही नरभेडिये को मार दिया था और उसके तीनो साथी सैकड़ो नरभेडिये को बंदी बनाकर काली घाटी ले गए उसी वक्त ,सर्पिणी और विशाखा ने मिलकर उन राक्षसो का मुकाबला किया था ,सर्पिणी ने ही नीमोड के साथी और को मार दिया था ,बाकी दोनो जान बचाकर भाग गये थे,नीमोड ने मरने से पहले विशाखा पर बहुत घातक वार किया था वो सर्पिणी ने अपने ऊपर ले लिया था ,सर्पिणी उस वार से बेहोश हो गयी उस के शरीर पर जो जख्म बने हे वो सिर्फ ,अघोर विष से ही ठीक हों सकते है , विशाखा और उसकी बहन को विषलोक में प्रवेश नही है ,उसकी वजह कालनेत्री है ,जब तक विषलोक में कालनेत्री रहती थी उसकी वजह से कोई भी इन्हें वहां टोकता नही था ,पर कालनेत्री के अचानक गायब होने के बाद उसके भाई ने इन दोनों को वहां पर आने पर पाबंदी लगा दी ,उनको यहीं लगता है कि कालनेत्री को गायब करने में इन दोनों को का ही हाथ है ,वो लोग अब इन दोनों को अपना शत्रु मानते है ,विशाखा ने कितनी बार उनसे अघोर विष मांगा था पर वो लोगो ने इसे कभी नही दिया ,
नेत्रा बोली ,काल हमको आज शाम को ही निकलना चाहियें ताकि हम कल सुबह तक प्रयागराज पहोंच सके
काल ,तुम मानोगी नही ,तुमको विशाखा ने आज स्पर्श किया था और तुम सब जान गई होगी उसके बाद ,फिर भी मुझसे पूछ रही हो ,ताकि में तुमको लेकर न जाने की बात छोड़कर बाकी बाते करता रहूं,
नेत्रा ,आप बहुत समझदार है ,मेरी बातों को समझ जाते है ना ,तो यह भी समझ लीजिये की में आपके साथ ही आने वाली हु ,
नेत्रा मानी नही और शाम को दोनो निकल गए अपनी मंजिल के लिये,
नील बोला, विशाखा तुम कहना चाहती हो की नेत्रा ही कालनेत्री है ,लेकिन वो तो हजारो साल से गायब है
विशाखा ,नील में मेरी बड़ी बहन जितनी तो नही पर हमारे वंश की सबसे जहरीली नागकन्या हु,मेरा जहर तो सर्पलोक के लोग भी नही सह सकते ,हम दोनों बहनों की सांस ही इतनी जहरीली है कि कोई भी हमारी जाती का नाग भी इसे बर्दाशत नही कर सकता , और नेत्रा ने बड़ी आसानी से मेरे जहर को हजम कर गई ,ये सिर्फ कालनेत्री ही कर सकती है ,
और हमारे पिता ने कहा था जो कालनेत्री से विवाह करेगा वही तुमसे भी शादी करेगा ,लेकिन कालनेत्री रही नही और हमे भी आजतक कोई वर मिला ही नही,हम दोनों बहनें अभी तक कवारी इसी वजह से है , आज तक कोई नही मिला जो हमारे सांसो के सामने टिक सके ,
नील ,अगर नेत्रा कालनेत्री है तो फिर काल ही तो तुम दोनो का वर नही
विशाखा, नही ऐसा नही होगा नील काल एक मनुष्य है और हमारा वर कोई महानाग ही हो सकता है ,भले ही नेत्रा ही कालनेत्री हो पर काल हमारा वर नही हो सकता
विशाखा और नील दोनो ही अपने अपने विचारोमे खामोश कितनी देर तक बैठकर अपने अपने रास्ते चले गए,
गंगा नदी के तट पर सुबह के वक्त प्रभु भोलेनाथ के दर्शन करके काल और नेत्रा खड़े थे ,काल ने कहा ,नेत्रा तुम को तैरना तो आता है ना ,और क्या तुम पानी मे इतनी देर तक सांस रोक सकती हो ,
नेत्रा ,में तुमको एक बात और बताती हु में जिसको स्पर्श करती हूं शायद उनके ज्ञान और शक्तियों को भी पा सकती हूं ,तुम पहले इंसान हो जिसे मेने स्पर्श किया था जिसमे शक्तिया थी ,आज में सुबह नहाते वक्त में तुम्हारी रूप बदलने की शक्ति को सोचकर अपना रूप बदलने की कोशिश कर रही थी ,तो में भी अपना रूप बदल रही थी ,जो चाहे वो रूप मैंने बदल कर देखा ,अब यह बात पक्की है कि मुझमे भी तुम जैसी शक्तिया आ गयी है , पानी मे जाकर यह बात की भी पुष्टि कर लेते है ,यह कहकर नेत्रा ने पानी मे छलांग लगा दी ,उसके पीछे काल भी कूद पड़ा ,काल ने देखा नेत्रा गहरे पानी मे उसीका इंतजार कर रही है वो आसानी से पानी मे सास ले रही थी ,तभी काल के मन मे नेत्रा की आवाज आयीं ,आप मेरे पीछे आइए ,मुझे विशाखा के स्पर्श करने के बाद विषलोक का रस्ता पता चला चुका था ,में आपको विषलोक ले चलती हु ,फिर नेत्रा के पीछे काल 10 मिनीट तक तेजीसे पानी मे सफर कर रहा था ,नेत्रा की पानी मे तैरने की स्पीड काफी तेज थी ,काल मन में उसकी इस स्पीड के तारीफ करता उसके पीछे ही चल रहा था ,नेत्रा एक जगह रूक गई जहा नदी के तल में बहुत बड़ा गड्ढा था ,नेत्रा ने काल का हाथ पकड़ा और उसके मन मे कहा कि उसका हाथ वो अब यहां से बाहर आने के बाद ही छोड़े और दोनो उस गड्ढे में उतर गए वो काफी गहरा और अंधेरे से भरा था ,पर दोनो उस अंधेरेमे आसानी से देख पा रहे थे ,दोनो ना जाने कितनी देर तक उस गहराई में सफर कर रहे थे पर वो गहराई खत्म होने का नाम ही नहीं ले रही थी ,उनके उस सफर में वो अकेले ही थे ,ना कोई जीव ,ना मछली बस अंधेरे से भरा पानी ,कुछ देर बाद वो एक बहुत बड़ी गुफा के सामने पहुचे ,उस गुफा के नीचे वो अंधेरा गड्ढा गहराई तक फैला था ,नेत्रा ने काल का हाथ पकड़कर उस गुफा में घुस गई ,आप ये गड्ढा देख रहे हो ये नीचे कहा तक गया है कोई नही जानता ,बस ऐसा कहते है कि नीचे कोई महानाग है ,यहा नीचे जाने के लिए विषलोक के सभी लोग भी डरते है ,ऐसा कहा जाता है वो महानाग बहुत ही खतरनाक और विशाल है ,जिसे आजतक किसीने नही देखा है ,पर जो भी नीचे गया था उस कालनाग की तलाश में वो कभी लौटकर नही आया ,हम जिस गड्डे में प्रवेश करके आये थे उसमे का पानी गंगा नदी में कभी नही मिलता ,दोनो पानी हमेशा एक दूसरे से अलग रहते है ,अब हम जिस गुफा में आये है वही हमे विषलोक के दरवाजे तक लेकर जायेगी, तुम अपने आप को सर्पमानव में बदल लो विशाखा की तरह में भी वैसाही रूप लेती हूं ,तुम वहां किसी से कुछ भी बात नही करना ,किसीने कुछ भी पूछा तो उसका जवाब में ही दुंगी ,और यह सोचना बंद करो कि में तुम्हारे मन मे कैसे बात कर रही हु और तुम मुझसे नही कर पा रहे हो ,यह बात का जवाब में भी नही जानती ,
नेत्रा और काल ने सर्प मानव का रूप लेकर एक बहुत बड़े नीले रंग के दरवाजे तक पहुच गये ,उस दरवाजे पर बहुत ही विशाल और भयानक साँप पहरा दे रहे थे ,उनके सामने तो ये दोनों मानो ऐसे लग रहे थे हाथी के सामने कोई बिल्ली का बच्चा हो ,
उन दोनों को देखकर एक साँप आगे आया और पूछा ,कौन हो तुम ,और इस रास्ते से विषलोक में आना मना है यह बात तुमको पता नही है क्या
नेत्रा ,जी हम दोनों सैकडो सालो से गंगा नदी में इच्छाधारी बनने के लिये तप कर रहे थे ,हमे यह बात पता नही थी ,हम दोनों इतने सालों से भूखे प्यासे थे ,कुछ ताकत पाने के लिये विषलोक जाकर विषपान करने जा रहे थे ,आप हमें माफ कर दीजिये ,
वो सांप नेत्रा की बातों से प्रसन्न हुवा ,अति उत्तम सर्पि (बेटी) ,तुम जैसे जवान सर्प ही हमारी उम्मीद रहते है जो अपने आप को हमेशा निखारते है ,तुम विषलोक जा सकती हो, पिछले 400 सालों से यह मार्ग बंद कर दिया था ,पर तुम इन बातों से अनजान थी इसलिये में तुम्हे जाने देता हूं ,इस जवान सर्प की कमजोरी कुछ ज्यादा ही बढ़ गई है लगता जो बोल नही पा रहा है तुम दोनो अंदर जा सकते हो ,कुछ दिन यहां के जहरीले फल और जहरीले पानी से तुम बहुत जल्द ठीक हो जाओगी ,
नेत्रा ने काल का हाथ पकड़ कर उस दरवाजे के सामने जाकर खड़ी हो गईं तो उस साँप ने दरवाजे की तरफ अपना एक हाथ को किया जिससे एक नीली रोशनी इन दोनों के बदन के साथ दरवाजे के साथ टकरा गई वो दोनो वहां से गायब होकर दरवाजे की दूसरी तरफ विषलोक में प्रवेश कर गए ,यह तो बहुत बड़ा नगर था ,हर तरफ नीली रोशनी फैली हुवीं थी , छोटे बड़े हर तरह के पक्के मकान बने हुवे थे,वहां पर बहुत बड़े महल भी दिख रहे थे जो अपनी सुंदरता बिखर रहे थे ,बड़ी सड़के ,हर तरफ घने पेड़ ,और बड़ी सी नीली नदी दिख रही थीं जो उस नगर के बीच मे से बह रही थी,सड़को पर काले ,पीले ,हरे रंगों के साँप घूम रहे थे ,उनमे बहुत से सर्पमानव भी थे ,यहा साँप ही नही हर तरह के पक्षी ,जानवर भी दिख रहे थे जो चारो तरफ घूम रहे थे अपने अपने कामो में ,काल यह सब आश्चर्य से देख रहा था ,
आप बस देखते ही रहैंगे क्या ,हमे अघोर विष के बारे में जानकारी लेकर उसे कैसे पाएं ये सोचना चाहिए ,नेत्रा बोली,
काल ,नेत्रा ये काम तुम आसानी से कर सकती हूं मुझसे ज्यादा ,हम किसी ऐसे को ढूंढते है जो राजमहल में काम करता हो ,उसे छुकर तुम आसानी से पता कर लोगी वो अघोर जहर कहा पर रखा है ,
फिर दोनो ने बड़ी मेहनत से एक महल में काम करने वाले राज सेवक को ढूंढ निकाला, उस सेवक को ढूंढने से पहले नेत्रा को 80 से ज्यादा लोगो को स्पर्श करना पड़ा था ,वो राजसेवक को स्पर्श करके उन दोनों को महल में जाने की तरकीब तो मिल गई पर अघोर विष की जानकारी नही मिली ,महल में विषपुर के राजा की बेटी बहुत सालो से बीमार थी ,उसे ना जाने कितने ही जहर पिलाए गये पर वो ठीक ही नही हो रहीं थी ,उसका इलाज करने हमेशा महल में कोई न कोई आता ही था ,तो वो दोनो भी इलाज करने के लिये महल में दाखिल हो गए
विषलोक के राजा का नाम विषदंश था और जो उसकी बेटी थी उसका नाम हिमानी था ,जब काल और नेत्रा ,हिमानी के इलाज के लिये महल में दाखिल हुवे तो उनकी पहले अच्छी तरह से तलाशी और पूछताछ की गई ,फिर सब ठीक लगने पर उन्हें राजा के सामने लेकर गए ,वहा विषदंश नेत्रा को ही देख रहा था एकटक जब वो उसको मिलने आयी थी ,नेत्रा और काल को उसने हिमानी के इलाज की आसानी से इजाजत दे दी थी ,उसकी पत्नी तो हैरान हो गई थी ,जो विषदंश 50 बार सामने वाली की पूरी पूछताछ खुद नही करता तब तक किसी को उसके बेटी का इलाज नही करने देता था, पर आज उसने बिना कुछ सवाल किये उन दोनों को इजाजत दे दी थी ,
जयमाला जो विषदंश की पत्नी थी ,अपने पति से बोली ,आज पहली बार आपने किसी को हिमानी के इलाज के लिये किसिको को बिनपुछे इजाजत कैसे दे दी ,
विषदंश ,जयमाला लगता है तुम यहाँ की रानी रहने के योग्य नही रही अब ,तुमने कुछ देखा नही
जयमाला ,में आपकी तरह इतनी बुद्धिमान नही हु जो सब देख सकू ,आप ही बता दीजिए मुझे
विषदंश ,जयमाला हमने इजाजत किसी और को नही बल्कि हमारी बहन कालनेत्री को दी है ,देखना कुछ पलों में हिमानी बिल्कुल ठीक होकर हम दोनों के सामने खड़ी होगी, हिमानी को ठीक मेरी बहन कालनेत्री के सिवा कोई नही कर सकता ,तुमने राज महल में कालनेत्री के घोड़े की आवाज तो सुनी होगी जो कितने सालो से एक ही जगह खड़ा है हजारो सालो से कालनेत्री की प्रतीक्षा में ,आज वो जिस तरह खुशी में हिनहिना रहा है तभी से हम समझ गए थे कलनेत्री विषलोक में आ गई है , अब हम महानाग को आसानी से मार सकते है ।
Lagtahai ki ek our add huvi abhi
Mahanetri , vishakha , sarpini our hemani
Jodi asi to nahi
Mahanetri+ hemani
Vishakha+ sarphini
 
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Killerpanditji(pandit)

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विशाखा से मिलने के बाद जब नेत्रा और काल घर लौट कर दोपहर का खाना सब के साथ मे खाकर अपने कमरे में आ गए ,नेत्रा ने खाना खाते वक्त ही परिवार में यह बता दिया कि काल और वो कुछ दिनों के लिए बाहर घूमने जा रहे है,
काल,नेत्रा एक बार और सोच लो मेरे साथ तुमको आने की जरुरत नही है ,
नेत्रा ,आप मुझे यह तो बताइये की विशाखा को किसने और क्यो इतना जख्मी किया ,आपने विशाखा के मन से जाना ही होगा सब
काल ,हा आज देखा मेने यह ,सर्पिणी और उस नीमोड राक्षस की लड़ाई हुवीं थी ,450 साल पहले ,वह राक्षस के साथ 3 और साथी थे ,उन चारो ने मिलकर नरभेडिये को मारना शुरू किया था मन्दिर के जंगलों में ,वो चारो इतने जहरीले थे कि कोई नरभेड़िया उनके सामने सास तक नही ले पाता था , उन्होंने कितने ही नरभेडिये को मार दिया था और उसके तीनो साथी सैकड़ो नरभेडिये को बंदी बनाकर काली घाटी ले गए उसी वक्त ,सर्पिणी और विशाखा ने मिलकर उन राक्षसो का मुकाबला किया था ,सर्पिणी ने ही नीमोड के साथी और को मार दिया था ,बाकी दोनो जान बचाकर भाग गये थे,नीमोड ने मरने से पहले विशाखा पर बहुत घातक वार किया था वो सर्पिणी ने अपने ऊपर ले लिया था ,सर्पिणी उस वार से बेहोश हो गयी उस के शरीर पर जो जख्म बने हे वो सिर्फ ,अघोर विष से ही ठीक हों सकते है , विशाखा और उसकी बहन को विषलोक में प्रवेश नही है ,उसकी वजह कालनेत्री है ,जब तक विषलोक में कालनेत्री रहती थी उसकी वजह से कोई भी इन्हें वहां टोकता नही था ,पर कालनेत्री के अचानक गायब होने के बाद उसके भाई ने इन दोनों को वहां पर आने पर पाबंदी लगा दी ,उनको यहीं लगता है कि कालनेत्री को गायब करने में इन दोनों को का ही हाथ है ,वो लोग अब इन दोनों को अपना शत्रु मानते है ,विशाखा ने कितनी बार उनसे अघोर विष मांगा था पर वो लोगो ने इसे कभी नही दिया ,
नेत्रा बोली ,काल हमको आज शाम को ही निकलना चाहियें ताकि हम कल सुबह तक प्रयागराज पहोंच सके
काल ,तुम मानोगी नही ,तुमको विशाखा ने आज स्पर्श किया था और तुम सब जान गई होगी उसके बाद ,फिर भी मुझसे पूछ रही हो ,ताकि में तुमको लेकर न जाने की बात छोड़कर बाकी बाते करता रहूं,
नेत्रा ,आप बहुत समझदार है ,मेरी बातों को समझ जाते है ना ,तो यह भी समझ लीजिये की में आपके साथ ही आने वाली हु ,
नेत्रा मानी नही और शाम को दोनो निकल गए अपनी मंजिल के लिये,
नील बोला, विशाखा तुम कहना चाहती हो की नेत्रा ही कालनेत्री है ,लेकिन वो तो हजारो साल से गायब है
विशाखा ,नील में मेरी बड़ी बहन जितनी तो नही पर हमारे वंश की सबसे जहरीली नागकन्या हु,मेरा जहर तो सर्पलोक के लोग भी नही सह सकते ,हम दोनों बहनों की सांस ही इतनी जहरीली है कि कोई भी हमारी जाती का नाग भी इसे बर्दाशत नही कर सकता , और नेत्रा ने बड़ी आसानी से मेरे जहर को हजम कर गई ,ये सिर्फ कालनेत्री ही कर सकती है ,
और हमारे पिता ने कहा था जो कालनेत्री से विवाह करेगा वही तुमसे भी शादी करेगा ,लेकिन कालनेत्री रही नही और हमे भी आजतक कोई वर मिला ही नही,हम दोनों बहनें अभी तक कवारी इसी वजह से है , आज तक कोई नही मिला जो हमारे सांसो के सामने टिक सके ,
नील ,अगर नेत्रा कालनेत्री है तो फिर काल ही तो तुम दोनो का वर नही
विशाखा, नही ऐसा नही होगा नील काल एक मनुष्य है और हमारा वर कोई महानाग ही हो सकता है ,भले ही नेत्रा ही कालनेत्री हो पर काल हमारा वर नही हो सकता
विशाखा और नील दोनो ही अपने अपने विचारोमे खामोश कितनी देर तक बैठकर अपने अपने रास्ते चले गए,
गंगा नदी के तट पर सुबह के वक्त प्रभु भोलेनाथ के दर्शन करके काल और नेत्रा खड़े थे ,काल ने कहा ,नेत्रा तुम को तैरना तो आता है ना ,और क्या तुम पानी मे इतनी देर तक सांस रोक सकती हो ,
नेत्रा ,में तुमको एक बात और बताती हु में जिसको स्पर्श करती हूं शायद उनके ज्ञान और शक्तियों को भी पा सकती हूं ,तुम पहले इंसान हो जिसे मेने स्पर्श किया था जिसमे शक्तिया थी ,आज में सुबह नहाते वक्त में तुम्हारी रूप बदलने की शक्ति को सोचकर अपना रूप बदलने की कोशिश कर रही थी ,तो में भी अपना रूप बदल रही थी ,जो चाहे वो रूप मैंने बदल कर देखा ,अब यह बात पक्की है कि मुझमे भी तुम जैसी शक्तिया आ गयी है , पानी मे जाकर यह बात की भी पुष्टि कर लेते है ,यह कहकर नेत्रा ने पानी मे छलांग लगा दी ,उसके पीछे काल भी कूद पड़ा ,काल ने देखा नेत्रा गहरे पानी मे उसीका इंतजार कर रही है वो आसानी से पानी मे सास ले रही थी ,तभी काल के मन मे नेत्रा की आवाज आयीं ,आप मेरे पीछे आइए ,मुझे विशाखा के स्पर्श करने के बाद विषलोक का रस्ता पता चला चुका था ,में आपको विषलोक ले चलती हु ,फिर नेत्रा के पीछे काल 10 मिनीट तक तेजीसे पानी मे सफर कर रहा था ,नेत्रा की पानी मे तैरने की स्पीड काफी तेज थी ,काल मन में उसकी इस स्पीड के तारीफ करता उसके पीछे ही चल रहा था ,नेत्रा एक जगह रूक गई जहा नदी के तल में बहुत बड़ा गड्ढा था ,नेत्रा ने काल का हाथ पकड़ा और उसके मन मे कहा कि उसका हाथ वो अब यहां से बाहर आने के बाद ही छोड़े और दोनो उस गड्ढे में उतर गए वो काफी गहरा और अंधेरे से भरा था ,पर दोनो उस अंधेरेमे आसानी से देख पा रहे थे ,दोनो ना जाने कितनी देर तक उस गहराई में सफर कर रहे थे पर वो गहराई खत्म होने का नाम ही नहीं ले रही थी ,उनके उस सफर में वो अकेले ही थे ,ना कोई जीव ,ना मछली बस अंधेरे से भरा पानी ,कुछ देर बाद वो एक बहुत बड़ी गुफा के सामने पहुचे ,उस गुफा के नीचे वो अंधेरा गड्ढा गहराई तक फैला था ,नेत्रा ने काल का हाथ पकड़कर उस गुफा में घुस गई ,आप ये गड्ढा देख रहे हो ये नीचे कहा तक गया है कोई नही जानता ,बस ऐसा कहते है कि नीचे कोई महानाग है ,यहा नीचे जाने के लिए विषलोक के सभी लोग भी डरते है ,ऐसा कहा जाता है वो महानाग बहुत ही खतरनाक और विशाल है ,जिसे आजतक किसीने नही देखा है ,पर जो भी नीचे गया था उस कालनाग की तलाश में वो कभी लौटकर नही आया ,हम जिस गड्डे में प्रवेश करके आये थे उसमे का पानी गंगा नदी में कभी नही मिलता ,दोनो पानी हमेशा एक दूसरे से अलग रहते है ,अब हम जिस गुफा में आये है वही हमे विषलोक के दरवाजे तक लेकर जायेगी, तुम अपने आप को सर्पमानव में बदल लो विशाखा की तरह में भी वैसाही रूप लेती हूं ,तुम वहां किसी से कुछ भी बात नही करना ,किसीने कुछ भी पूछा तो उसका जवाब में ही दुंगी ,और यह सोचना बंद करो कि में तुम्हारे मन मे कैसे बात कर रही हु और तुम मुझसे नही कर पा रहे हो ,यह बात का जवाब में भी नही जानती ,
नेत्रा और काल ने सर्प मानव का रूप लेकर एक बहुत बड़े नीले रंग के दरवाजे तक पहुच गये ,उस दरवाजे पर बहुत ही विशाल और भयानक साँप पहरा दे रहे थे ,उनके सामने तो ये दोनों मानो ऐसे लग रहे थे हाथी के सामने कोई बिल्ली का बच्चा हो ,
उन दोनों को देखकर एक साँप आगे आया और पूछा ,कौन हो तुम ,और इस रास्ते से विषलोक में आना मना है यह बात तुमको पता नही है क्या
नेत्रा ,जी हम दोनों सैकडो सालो से गंगा नदी में इच्छाधारी बनने के लिये तप कर रहे थे ,हमे यह बात पता नही थी ,हम दोनों इतने सालों से भूखे प्यासे थे ,कुछ ताकत पाने के लिये विषलोक जाकर विषपान करने जा रहे थे ,आप हमें माफ कर दीजिये ,
वो सांप नेत्रा की बातों से प्रसन्न हुवा ,अति उत्तम सर्पि (बेटी) ,तुम जैसे जवान सर्प ही हमारी उम्मीद रहते है जो अपने आप को हमेशा निखारते है ,तुम विषलोक जा सकती हो, पिछले 400 सालों से यह मार्ग बंद कर दिया था ,पर तुम इन बातों से अनजान थी इसलिये में तुम्हे जाने देता हूं ,इस जवान सर्प की कमजोरी कुछ ज्यादा ही बढ़ गई है लगता जो बोल नही पा रहा है तुम दोनो अंदर जा सकते हो ,कुछ दिन यहां के जहरीले फल और जहरीले पानी से तुम बहुत जल्द ठीक हो जाओगी ,
नेत्रा ने काल का हाथ पकड़ कर उस दरवाजे के सामने जाकर खड़ी हो गईं तो उस साँप ने दरवाजे की तरफ अपना एक हाथ को किया जिससे एक नीली रोशनी इन दोनों के बदन के साथ दरवाजे के साथ टकरा गई वो दोनो वहां से गायब होकर दरवाजे की दूसरी तरफ विषलोक में प्रवेश कर गए ,यह तो बहुत बड़ा नगर था ,हर तरफ नीली रोशनी फैली हुवीं थी , छोटे बड़े हर तरह के पक्के मकान बने हुवे थे,वहां पर बहुत बड़े महल भी दिख रहे थे जो अपनी सुंदरता बिखर रहे थे ,बड़ी सड़के ,हर तरफ घने पेड़ ,और बड़ी सी नीली नदी दिख रही थीं जो उस नगर के बीच मे से बह रही थी,सड़को पर काले ,पीले ,हरे रंगों के साँप घूम रहे थे ,उनमे बहुत से सर्पमानव भी थे ,यहा साँप ही नही हर तरह के पक्षी ,जानवर भी दिख रहे थे जो चारो तरफ घूम रहे थे अपने अपने कामो में ,काल यह सब आश्चर्य से देख रहा था ,
आप बस देखते ही रहैंगे क्या ,हमे अघोर विष के बारे में जानकारी लेकर उसे कैसे पाएं ये सोचना चाहिए ,नेत्रा बोली,
काल ,नेत्रा ये काम तुम आसानी से कर सकती हूं मुझसे ज्यादा ,हम किसी ऐसे को ढूंढते है जो राजमहल में काम करता हो ,उसे छुकर तुम आसानी से पता कर लोगी वो अघोर जहर कहा पर रखा है ,
फिर दोनो ने बड़ी मेहनत से एक महल में काम करने वाले राज सेवक को ढूंढ निकाला, उस सेवक को ढूंढने से पहले नेत्रा को 80 से ज्यादा लोगो को स्पर्श करना पड़ा था ,वो राजसेवक को स्पर्श करके उन दोनों को महल में जाने की तरकीब तो मिल गई पर अघोर विष की जानकारी नही मिली ,महल में विषपुर के राजा की बेटी बहुत सालो से बीमार थी ,उसे ना जाने कितने ही जहर पिलाए गये पर वो ठीक ही नही हो रहीं थी ,उसका इलाज करने हमेशा महल में कोई न कोई आता ही था ,तो वो दोनो भी इलाज करने के लिये महल में दाखिल हो गए
विषलोक के राजा का नाम विषदंश था और जो उसकी बेटी थी उसका नाम हिमानी था ,जब काल और नेत्रा ,हिमानी के इलाज के लिये महल में दाखिल हुवे तो उनकी पहले अच्छी तरह से तलाशी और पूछताछ की गई ,फिर सब ठीक लगने पर उन्हें राजा के सामने लेकर गए ,वहा विषदंश नेत्रा को ही देख रहा था एकटक जब वो उसको मिलने आयी थी ,नेत्रा और काल को उसने हिमानी के इलाज की आसानी से इजाजत दे दी थी ,उसकी पत्नी तो हैरान हो गई थी ,जो विषदंश 50 बार सामने वाली की पूरी पूछताछ खुद नही करता तब तक किसी को उसके बेटी का इलाज नही करने देता था, पर आज उसने बिना कुछ सवाल किये उन दोनों को इजाजत दे दी थी ,
जयमाला जो विषदंश की पत्नी थी ,अपने पति से बोली ,आज पहली बार आपने किसी को हिमानी के इलाज के लिये किसिको को बिनपुछे इजाजत कैसे दे दी ,
विषदंश ,जयमाला लगता है तुम यहाँ की रानी रहने के योग्य नही रही अब ,तुमने कुछ देखा नही
जयमाला ,में आपकी तरह इतनी बुद्धिमान नही हु जो सब देख सकू ,आप ही बता दीजिए मुझे
विषदंश ,जयमाला हमने इजाजत किसी और को नही बल्कि हमारी बहन कालनेत्री को दी है ,देखना कुछ पलों में हिमानी बिल्कुल ठीक होकर हम दोनों के सामने खड़ी होगी, हिमानी को ठीक मेरी बहन कालनेत्री के सिवा कोई नही कर सकता ,तुमने राज महल में कालनेत्री के घोड़े की आवाज तो सुनी होगी जो कितने सालो से एक ही जगह खड़ा है हजारो सालो से कालनेत्री की प्रतीक्षा में ,आज वो जिस तरह खुशी में हिनहिना रहा है तभी से हम समझ गए थे कलनेत्री विषलोक में आ गई है , अब हम महानाग को आसानी से मार सकते है ।
Nice update bro 🤠🤠🤠
 

Goldybull

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Update 56
काल ,नेत्रा मुझे बहुत ही ज्यादा प्यास लगी है ,थोड़ा सा पानी पीले क्या हम
नेत्रा ,काल के मन मे ,यहा की हर चीजमे जहर है खाना पीना यहा तक कि यह हवा भी जहर से भरी हुवीं है ,यहा पर आपने कुछ भी खाया या पिया तो तुम बेहोश हो सकते हो ,भले ही मेने आपका हाथ पकड़ा हो यह जहर आप पर असर करेगा ,आप जो सास ले रहे हो ना यह भी बहुत ज्यादा जहरीली है ,में लगातार आपके शरीर से जहर सोख रही हु अगर में 1 मिनीट के लिये भी आपसे दूर हुवीं ,तो ये आपके लिये बहुत घातक हो सकता है ,इसीलिये कुछ देर के लिये अपनी भूख प्यास पर काबू रखें,आप सिर्फ अपने मन मे बोलते जाइये में आपको जवाब दुंगी ,यहा पर कोई भी हमारी बाते सुन सकता है ,
दोनो को ही सेवको ने हिमानी के कमरे में छोड़ा, एक पूरी नीले बदन की नागिन पलँग पर बेहोश लेटी थी ,वो सर्पमानव के रूप में लेटी थी ,नेत्रा काल के मन मे ,यह एक निलनागिन है जो हजारो साल में एक ही पैदा होती है ,इनमें बहुत सी खास चमत्कारी शक्तिया होती है पर इनकी शक्तिया इनके शादी के बाद इनके पति को मिलती है , दोनो पति पत्नी शादी के बाद अनोखी शक्तियों के मालिक बन जाते है और उसका इस्तेमाल कर सकते है ,यह नागिन की एक खास बात है इसके अन्दर बहुत ही ज्यादा कामशक्ति होती है जो कोई भी नही भुजा सकता सिवाय महानाग के ,आज तक कोई भी निलनागिन और महानाग की जोड़ी देखी नही गयी है ,और मुझे यह सब विशाखा से पता चला है ,
कालनेत्री हिमानी को छुकर देखती है कि उसे क्या हुवा है ,तो वो देखती है कि हिमानी ने अघोरविष को पी लिया था ,आमतौर पर साँप विष पीकर अपनी भूक औफ प्यास मिटाते है ,कुछ विष पीकर उनकी ताकद भी बढ़ जाती है ,पर अगर उन्होंने कोई बहुत ही प्रभावशाली जालिम जहर पी लिया तो वो उनके लिये जानलेवा भी साबित होता है ,हिमानी के पिता उसकी शक्तिया पाने के लिये उसकी शादी अपने ही दोस्त से करवा रहे थे ,जो हिमानी को पसन्द नही था ,इस शादी को टालने के लिए उसने विषलोक का सबसे घातक अघोर विष पी लिया था, ताकि वह अपनी जान दे सके ,पर वो विष पीकर मरी नही पर बेहोश हो गयी थी ,उसके पिता ने पूरी दुनिया से वैद्य बुलाकर उसका इलाज किया पर कोई भी अघोर विष का प्रभाव खत्म नही कर पाया था ,और पूरी दुनिया मे अघोर विष का एक ही तोड़ था कालनेत्री ,
नेत्रा हिमानी को स्पर्श करके सब देख ही रही थी कि हिमानी की आंखे खुल गई ,दो अनजान चेहरो को अपने सामने देखकर हिमानी थोड़ी सी चौक गई ,लेकिन नेत्रा को देख के उसने कहा ,नेत्री बुवा आप आ गई ,आप कहा चली गईं थी ,आप नहीं थी तो देखो क्या हाल कर दिया है आपके भैया और भाभी ने मेरा ,में बहुत अकेली हो गयी थी आपके जाने के बाद , नेत्रा तो आवक सी हो गयी हिमानी की बातों से ,यह आपके साथ कौन है बुवा ,काल के और इशारा करते हुवे ,हिमानी ने फिर पुछा, लेकिन इसका जवाब दोनो ने ही महाराज ने विषदंश ने दिया ,बेटा यह तुम्हारी बुवा का दोस्त है ,जो उनको यहा पर छोड़ने आया था
काल और नेत्रा महाराज के और देखने लगे ,उसकी मन की बाते सुनकर काल भड़क गया था पर उसके मन मे नेत्रा की आवाज आयी ,आप शांत रहिये हमे सबसे पहले अघोर विष को पाना है ,उसके बाद देखेंगे क्या करना है ,तबतक आप शांत रहिये ,
नेत्रा ,मेने आपकी बेटी को ठीक किया इसका मतलब यह नही के में आपकी बहन कालनेत्री हु ,भले ही में आपके बहन जैसी दिखती हु पर में उतनी शक्तिशाली नही हु ,और इस बात का सबसे बड़ा प्रमाण यही है कि अगर में आपकी बहन होती तो हिमानी की हालत देखने के बाद आप का सिर मेरे कदमो में होता
विषदंश ,मे भी छुपकर यही देख रहा था कि तुम हिमानी की हालात जानकर तुम एक पल में मुझे मार देती पर तुमको कबसे यही शांत बैठा देखकर ही में आगे आया , भले ही तुम कालनेत्री नहीं हो पर तुम में बहुत सी शक्तिया है जो उसकी तरह ही है ,तुम अब यही रहकर मेरी मदद करोगी ,मुझे उस महानाग को मारना है ,उसके लिये अब हिमानी की शक्तियों के साथ तुम्हारी भी हमे बहुत मदद होगी ,जाने कितने ही महायोद्धा मारे गए है उस महानाग के खोज में हमारे ,लेकिन अब हम तुम्हारी दोनो की शक्तियों की मदद से अब इस खतरे को मिटाना ही होगा ,में वो भविष्यवाणी झूठी कर दूंगा की महानाग विषलोक तबाह करने वाला है ,मौत के साये में हम डर के अब नही रहने वाले ,
मेने कालनेत्री को भी कितनी बार कहा था कि वो महानाग को मार दे ,पर उसे हमारे पिता ने कहा था कि वो महानाग ही उसका पति है और तुम कभी विषलोक के लिये उसके साथ युद्ध नहीं करना ,विषलोक को खत्म होना ही सबके लिये अच्छा रहेगा ,विषलोक की मदद से अब तक ना जाने कितनी ही बुरी ताकते असीम बलशाली हो गई है ,और ऐसे विषलोक का नष्ट होना ही अच्छा है जिसकी वजह से किसी बुराई के बल मिले ,और वो उनकी बातों को मानती रही ,और इसमें उसका साथ उसकी खास सहेलियां देती रही सर्पिणी और विशाखा, में तो अपने पिता के वजह से उन्हें यहा पर आने देता था ,कालनेत्री उन्हें बताये बिना कहि नही जा सकती थी ,मेने कितनी बार उन दोनों को पूछा पर उन्होंने कभी कुछ नहीं बताया ,हमेशा मुझसे झूठ ही बोलती रही ,मेने उनका यहा आना ही बन्द कर दिया ,कुछ सालों से सर्पिणी भी घायल है ,विशाखा ने कितनी बार मुझसे अघोर विष माँगा लेकिन मेने नही दिया ,अगर वो मेरी बहन कहा है यह बात मुझे बता देती तो में उसको अघोर विष जरूर देता पर तब भी उसने मुझे कुछ नही बताया ,लेकिन अब तुम खुद यहा आ गई हो ,अब मुझे किसी की जरुरत नही है ,विषदंश ने काल की तरफ देखकर कहा की ,तुम कौन हो ,क्या हो मुझे इससे कोई मतलब नही है ,अगर तुम जीना चाहते हो ,तो इसको यही छोड़ो और वापिस लौट जाओ ,फिर कभी तुम यहाँ पर आए तो में तुम्हे जान से मार दूँगा,
काल अब नेत्रा का हाथ छोड़कर विषदंश को मारने जा ही रहा था तो उसके मन मे ,आप को मेरी कसम आप चुप रहेंगे और मेरी बात को मानिए ,हमे दिमाग से काम लेना होगा ,आप यहां एक पल भी नही टिक सकते ,धीरज रखिए ऐसे गर्म दिमाग से कोई भी लड़ाई नही जीती जाती ,में बात करती हूं इस पापी से ,
नेत्रा, में यहाँ पर रुकने को तैयार हूं ,लेकिन आप हमें अघोर विष दे दीजिए, यह यहाँ से अघोर विष लेकर चले जाएगा और में यहीं रुक जाऊंगी,
विषदंश सोच में पड़ गया ,इतनी आसानी से यह बात मान रही है वो भी सिर्फ अघोर विष लेकर ,उसने अपने एक सेवक से अघोर विष की एक छोटी शीशी मंगवाई और कहा में अघोर विष दे रहा हु ,पर इस बात का क्या प्रमाण की तुम इसके यहा के जाने के बाद खुद भी ना रहो ,में तुमको एक बेड़ी देता हूं तुम पहले इसे अपने दोनो हाथो में पहन लो उसके बाद ही में तुमको अघोर विष दूँगा ,
नेत्रा ने कुछ सोचकर उसके हाथ मे विषदंश ने दी हुवीं बेड़ी पहन ली पर काल का हाथ नही छोड़ा ,विषदंश ने भी काल के हाथ मे अघोर विष की शीशी दे दी ,काल के कान में नेत्रा की आवाज आयी ,आप पहले यहाँ से सीधा विशाखा के पास चले जाइये ,में इसको चकमा देकर वही आती हु ,
काल भी नेत्रा की बात मानकर सीधा गायब होकर विशाखा के गुफा में पहुचा, उसने वो अघोर विष की शीशी विशाखा को दे दी ,विशाखा भी वो शीशी लेकर बहुत खुश हो गई ,उसने अपने बहन को जाकर वो शीशी का जहर पूरा पिला दिया ,कुछ ही पल में सर्पिणी के जख्म भरने लगे और वो होश में आने लगि 10 मिनीट में ही वो पूरी तरह स्वस्थ हो गई ,दोनो बहने एक दूसरे के गले लग गई, 450 सालो से जो विशाखा की आंखों में गम था ,वो उसने आज निकाल दिया था ,दोनो जी भरकर रोयी ,विशाखा ने उसे सब बता दिया उसके बेहोश होने के बाद क्या हुवा था और कैसे काल ने यह अघोर विष लाकर उसकी जान बचाई ,सर्पिणी ने भी हाथ जोड़कर काल का धन्यवाद किया ,उसने नेत्रा के बारे में पुछने पर बताया की वह विषदंश को चकमा देकर आने वाली है ,जब उसने उन दोनों को विषलोक की सब घटना बताई तो दोनो उस जादुई बेड़ी की बात सुनकर घबरा गई ,काल ने भी उनका डर देखकर उनके मन किं बात जान ली ,तो उसे भी थोड़ा डर लगने लगा ,जो जादुई बेड़ी नेत्रा ने पहनी थी वो कालनेत्री की बेड़ी थी जो उसे खुद महाकाल ने दी थी ,उस बेड़ी को अगर किसी देवता को भी पहना दिया तो उसकी सारी शक्तिया वो बेड़ी खिंच लेती है ,उस बेड़ी को पहनने के बाद कोई भी शक्ति काम करना बंद कर देती है ,यह बेड़ी कालनेत्री को भी बंदी कर सकती थी ,
काल और वो दोनो बहने बहुत देर तक नेत्रा की राह देखते रहे पर वो नही आयीं ,काल ने बहुत बार अपने मन मे उसको देखने और बात करने की कोशिश की वो कामयाब नही हो पाया ,उसने फौरन विषलोक जाने की सोच कर वहां जाने की कोशिश करने लगा पर वो विषलोक में नही जा पा रहा था अपनी शक्तियों की मदद से ,उस सर्पिणी ने ऐसे परेशान देखकर कहा ,अगर तुम यहाँ से सीधा विषलोक जाना चाहते हो तो नही जा सकोगे ,कालनेत्री ने विषलोक में एक कवच लगाया है ,वहां पर जाना हो तो दरवाजे से ही जा सकते है ,विषलोक से तुम सीधा कही भी जा सकते हो ,यह सब कालनेत्री ने पापी लोग विषलोक में ताकद पाने नही आ पाए इसीलिये किया है ,विषलोक के हर दरवाजे पर कालनेत्री की शक्ति है जो सिर्फ़ अच्छे लोगो को ही अंदर आने देती है, कोई भी पापी उन दरवाजे को पार नहीं कर सकता है ,
काल अब सोच में पड़ गया उसे किसी भी हाल में उसे नेत्रा को बचाना ही था विशाखा और सर्पिणी को अंदर आने की अनुमति नही थी ,और काल मे कोई विष नहीं था जो उसे वहां सीधा वहां पर प्रवेश मिल सके ,विषलोक में सिर्फ जिनके अंदर विष हो वही जा सकते है ,नेत्रा के वजह से वो विषलोक में प्रवेश कर पाया था ,
सर्पिणी ,क्या महानाग हमारी मदद नही कर सकता ,काल ने पूछा ,
काल ,आज तक महानाग से कोई मिला ही नही है तो यह में तुम्हे कैसे बता सकती हूं, महानाग के तलाश में आजतक कितने है सर्प योद्धा गये उसके ठिकाने तक पर कोई जिंदा तो क्या उसका शरीर भी नही लौटा ,सर्पिणी
काल ने कुछ सोचा और वह सीधा गायब होकर उस गुफा के सामने पहुचा जहा से अंदर जाने पर विषलोक का दरवाजा मिलता है और उस गुफा में न जाकर गड्ढे में नीचे महानाग का ठिकाना है ,
दीदी ,यह काल कहा गया होगा ,विशाखा बोली
मेरे खयाल से वो विषलोक में ही जायेगा चलो हम भी चलते है उसके पीछे ,हमे उन दोनों की मदद करनी होगी ,विषदंश बहुत ही ताक़दवर है, पर वो मेरे सामना नही कर सकता, चलो हम भी चलते है ,सर्पिणी बोली ,
दोनो जब उस गुफा के बाहर जाकर काल को देखने लगी तो दोनो की आंखे बड़ी हो गयी ,काल नीचे महानाग के ठिकाने की तरफ तेजी से जा रहा था ,वो दोनो तो नीचे जाने के बारे में सोच भी नहीं सकती थी ,नीचे ऐसा जहर था कि कोई सर्प योद्धा पल भर में वहां गल जाता था ,और काल अपनी मौत के पास जा रहा था ,
नेत्रा हिमानी के पास बैठी थी ,दोनो को एक कमरे में बंद कर दिया था विषदंश ने और बाहर अपने खास सिपाही रखे थे ,
हिमानी ,तो आप मेरी बुवा नही हो ,आप का नाम नेत्रा है ,और वो आपके पति थे ,क्या वो अब तुम्हे बचाने नही आयेंगे,
नेत्रा,हिमानी ,उनकी मौत जहर से होगी ,उनके लिये कोई सामान्य जहर भी जानलेवा है ,में नही चाहतीं थीं उन्हें यहा नुकसान हो ,इसलिये मेने बेड़ी पहनने के फौरन बाद उन्हें वापिस भेज दिया ,मुझे पता था यह बेडी मेरी ताकद खत्म कर देगी ,पर में हैरान हूं कि अगर यह बेड़ी मेरी सब ताकद सोख ली है ,तो में विषलोक में जिंदा कैसे हु ,और मेरे पति की एक बात में जानती हु ,भले ही उनको जहर से खतरा हो
पर वो विषलोक में आकर ही दम लेंगें ,तुम्हारे पिता को मारकर मुझे यहां से लेकर जाएंगे ,भले उसके लिये उनको कुछ भी करना पड़े पर वो चूकेंगे नही ।
 

Choduraghu

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काल ,नेत्रा मुझे बहुत ही ज्यादा प्यास लगी है ,थोड़ा सा पानी पीले क्या हम
नेत्रा ,काल के मन मे ,यहा की हर चीजमे जहर है खाना पीना यहा तक कि यह हवा भी जहर से भरी हुवीं है ,यहा पर आपने कुछ भी खाया या पिया तो तुम बेहोश हो सकते हो ,भले ही मेने आपका हाथ पकड़ा हो यह जहर आप पर असर करेगा ,आप जो सास ले रहे हो ना यह भी बहुत ज्यादा जहरीली है ,में लगातार आपके शरीर से जहर सोख रही हु अगर में 1 मिनीट के लिये भी आपसे दूर हुवीं ,तो ये आपके लिये बहुत घातक हो सकता है ,इसीलिये कुछ देर के लिये अपनी भूख प्यास पर काबू रखें,आप सिर्फ अपने मन मे बोलते जाइये में आपको जवाब दुंगी ,यहा पर कोई भी हमारी बाते सुन सकता है ,
दोनो को ही सेवको ने हिमानी के कमरे में छोड़ा, एक पूरी नीले बदन की नागिन पलँग पर बेहोश लेटी थी ,वो सर्पमानव के रूप में लेटी थी ,नेत्रा काल के मन मे ,यह एक निलनागिन है जो हजारो साल में एक ही पैदा होती है ,इनमें बहुत सी खास चमत्कारी शक्तिया होती है पर इनकी शक्तिया इनके शादी के बाद इनके पति को मिलती है , दोनो पति पत्नी शादी के बाद अनोखी शक्तियों के मालिक बन जाते है और उसका इस्तेमाल कर सकते है ,यह नागिन की एक खास बात है इसके अन्दर बहुत ही ज्यादा कामशक्ति होती है जो कोई भी नही भुजा सकता सिवाय महानाग के ,आज तक कोई भी निलनागिन और महानाग की जोड़ी देखी नही गयी है ,और मुझे यह सब विशाखा से पता चला है ,
कालनेत्री हिमानी को छुकर देखती है कि उसे क्या हुवा है ,तो वो देखती है कि हिमानी ने अघोरविष को पी लिया था ,आमतौर पर साँप विष पीकर अपनी भूक औफ प्यास मिटाते है ,कुछ विष पीकर उनकी ताकद भी बढ़ जाती है ,पर अगर उन्होंने कोई बहुत ही प्रभावशाली जालिम जहर पी लिया तो वो उनके लिये जानलेवा भी साबित होता है ,हिमानी के पिता उसकी शक्तिया पाने के लिये उसकी शादी अपने ही दोस्त से करवा रहे थे ,जो हिमानी को पसन्द नही था ,इस शादी को टालने के लिए उसने विषलोक का सबसे घातक अघोर विष पी लिया था, ताकि वह अपनी जान दे सके ,पर वो विष पीकर मरी नही पर बेहोश हो गयी थी ,उसके पिता ने पूरी दुनिया से वैद्य बुलाकर उसका इलाज किया पर कोई भी अघोर विष का प्रभाव खत्म नही कर पाया था ,और पूरी दुनिया मे अघोर विष का एक ही तोड़ था कालनेत्री ,
नेत्रा हिमानी को स्पर्श करके सब देख ही रही थी कि हिमानी की आंखे खुल गई ,दो अनजान चेहरो को अपने सामने देखकर हिमानी थोड़ी सी चौक गई ,लेकिन नेत्रा को देख के उसने कहा ,नेत्री बुवा आप आ गई ,आप कहा चली गईं थी ,आप नहीं थी तो देखो क्या हाल कर दिया है आपके भैया और भाभी ने मेरा ,में बहुत अकेली हो गयी थी आपके जाने के बाद , नेत्रा तो आवक सी हो गयी हिमानी की बातों से ,यह आपके साथ कौन है बुवा ,काल के और इशारा करते हुवे ,हिमानी ने फिर पुछा, लेकिन इसका जवाब दोनो ने ही महाराज ने विषदंश ने दिया ,बेटा यह तुम्हारी बुवा का दोस्त है ,जो उनको यहा पर छोड़ने आया था
काल और नेत्रा महाराज के और देखने लगे ,उसकी मन की बाते सुनकर काल भड़क गया था पर उसके मन मे नेत्रा की आवाज आयी ,आप शांत रहिये हमे सबसे पहले अघोर विष को पाना है ,उसके बाद देखेंगे क्या करना है ,तबतक आप शांत रहिये ,
नेत्रा ,मेने आपकी बेटी को ठीक किया इसका मतलब यह नही के में आपकी बहन कालनेत्री हु ,भले ही में आपके बहन जैसी दिखती हु पर में उतनी शक्तिशाली नही हु ,और इस बात का सबसे बड़ा प्रमाण यही है कि अगर में आपकी बहन होती तो हिमानी की हालत देखने के बाद आप का सिर मेरे कदमो में होता
विषदंश ,मे भी छुपकर यही देख रहा था कि तुम हिमानी की हालात जानकर तुम एक पल में मुझे मार देती पर तुमको कबसे यही शांत बैठा देखकर ही में आगे आया , भले ही तुम कालनेत्री नहीं हो पर तुम में बहुत सी शक्तिया है जो उसकी तरह ही है ,तुम अब यही रहकर मेरी मदद करोगी ,मुझे उस महानाग को मारना है ,उसके लिये अब हिमानी की शक्तियों के साथ तुम्हारी भी हमे बहुत मदद होगी ,जाने कितने ही महायोद्धा मारे गए है उस महानाग के खोज में हमारे ,लेकिन अब हम तुम्हारी दोनो की शक्तियों की मदद से अब इस खतरे को मिटाना ही होगा ,में वो भविष्यवाणी झूठी कर दूंगा की महानाग विषलोक तबाह करने वाला है ,मौत के साये में हम डर के अब नही रहने वाले ,
मेने कालनेत्री को भी कितनी बार कहा था कि वो महानाग को मार दे ,पर उसे हमारे पिता ने कहा था कि वो महानाग ही उसका पति है और तुम कभी विषलोक के लिये उसके साथ युद्ध नहीं करना ,विषलोक को खत्म होना ही सबके लिये अच्छा रहेगा ,विषलोक की मदद से अब तक ना जाने कितनी ही बुरी ताकते असीम बलशाली हो गई है ,और ऐसे विषलोक का नष्ट होना ही अच्छा है जिसकी वजह से किसी बुराई के बल मिले ,और वो उनकी बातों को मानती रही ,और इसमें उसका साथ उसकी खास सहेलियां देती रही सर्पिणी और विशाखा, में तो अपने पिता के वजह से उन्हें यहा पर आने देता था ,कालनेत्री उन्हें बताये बिना कहि नही जा सकती थी ,मेने कितनी बार उन दोनों को पूछा पर उन्होंने कभी कुछ नहीं बताया ,हमेशा मुझसे झूठ ही बोलती रही ,मेने उनका यहा आना ही बन्द कर दिया ,कुछ सालों से सर्पिणी भी घायल है ,विशाखा ने कितनी बार मुझसे अघोर विष माँगा लेकिन मेने नही दिया ,अगर वो मेरी बहन कहा है यह बात मुझे बता देती तो में उसको अघोर विष जरूर देता पर तब भी उसने मुझे कुछ नही बताया ,लेकिन अब तुम खुद यहा आ गई हो ,अब मुझे किसी की जरुरत नही है ,विषदंश ने काल की तरफ देखकर कहा की ,तुम कौन हो ,क्या हो मुझे इससे कोई मतलब नही है ,अगर तुम जीना चाहते हो ,तो इसको यही छोड़ो और वापिस लौट जाओ ,फिर कभी तुम यहाँ पर आए तो में तुम्हे जान से मार दूँगा,
काल अब नेत्रा का हाथ छोड़कर विषदंश को मारने जा ही रहा था तो उसके मन मे ,आप को मेरी कसम आप चुप रहेंगे और मेरी बात को मानिए ,हमे दिमाग से काम लेना होगा ,आप यहां एक पल भी नही टिक सकते ,धीरज रखिए ऐसे गर्म दिमाग से कोई भी लड़ाई नही जीती जाती ,में बात करती हूं इस पापी से ,
नेत्रा, में यहाँ पर रुकने को तैयार हूं ,लेकिन आप हमें अघोर विष दे दीजिए, यह यहाँ से अघोर विष लेकर चले जाएगा और में यहीं रुक जाऊंगी,
विषदंश सोच में पड़ गया ,इतनी आसानी से यह बात मान रही है वो भी सिर्फ अघोर विष लेकर ,उसने अपने एक सेवक से अघोर विष की एक छोटी शीशी मंगवाई और कहा में अघोर विष दे रहा हु ,पर इस बात का क्या प्रमाण की तुम इसके यहा के जाने के बाद खुद भी ना रहो ,में तुमको एक बेड़ी देता हूं तुम पहले इसे अपने दोनो हाथो में पहन लो उसके बाद ही में तुमको अघोर विष दूँगा ,
नेत्रा ने कुछ सोचकर उसके हाथ मे विषदंश ने दी हुवीं बेड़ी पहन ली पर काल का हाथ नही छोड़ा ,विषदंश ने भी काल के हाथ मे अघोर विष की शीशी दे दी ,काल के कान में नेत्रा की आवाज आयी ,आप पहले यहाँ से सीधा विशाखा के पास चले जाइये ,में इसको चकमा देकर वही आती हु ,
काल भी नेत्रा की बात मानकर सीधा गायब होकर विशाखा के गुफा में पहुचा, उसने वो अघोर विष की शीशी विशाखा को दे दी ,विशाखा भी वो शीशी लेकर बहुत खुश हो गई ,उसने अपने बहन को जाकर वो शीशी का जहर पूरा पिला दिया ,कुछ ही पल में सर्पिणी के जख्म भरने लगे और वो होश में आने लगि 10 मिनीट में ही वो पूरी तरह स्वस्थ हो गई ,दोनो बहने एक दूसरे के गले लग गई, 450 सालो से जो विशाखा की आंखों में गम था ,वो उसने आज निकाल दिया था ,दोनो जी भरकर रोयी ,विशाखा ने उसे सब बता दिया उसके बेहोश होने के बाद क्या हुवा था और कैसे काल ने यह अघोर विष लाकर उसकी जान बचाई ,सर्पिणी ने भी हाथ जोड़कर काल का धन्यवाद किया ,उसने नेत्रा के बारे में पुछने पर बताया की वह विषदंश को चकमा देकर आने वाली है ,जब उसने उन दोनों को विषलोक की सब घटना बताई तो दोनो उस जादुई बेड़ी की बात सुनकर घबरा गई ,काल ने भी उनका डर देखकर उनके मन किं बात जान ली ,तो उसे भी थोड़ा डर लगने लगा ,जो जादुई बेड़ी नेत्रा ने पहनी थी वो कालनेत्री की बेड़ी थी जो उसे खुद महाकाल ने दी थी ,उस बेड़ी को अगर किसी देवता को भी पहना दिया तो उसकी सारी शक्तिया वो बेड़ी खिंच लेती है ,उस बेड़ी को पहनने के बाद कोई भी शक्ति काम करना बंद कर देती है ,यह बेड़ी कालनेत्री को भी बंदी कर सकती थी ,
काल और वो दोनो बहने बहुत देर तक नेत्रा की राह देखते रहे पर वो नही आयीं ,काल ने बहुत बार अपने मन मे उसको देखने और बात करने की कोशिश की वो कामयाब नही हो पाया ,उसने फौरन विषलोक जाने की सोच कर वहां जाने की कोशिश करने लगा पर वो विषलोक में नही जा पा रहा था अपनी शक्तियों की मदद से ,उस सर्पिणी ने ऐसे परेशान देखकर कहा ,अगर तुम यहाँ से सीधा विषलोक जाना चाहते हो तो नही जा सकोगे ,कालनेत्री ने विषलोक में एक कवच लगाया है ,वहां पर जाना हो तो दरवाजे से ही जा सकते है ,विषलोक से तुम सीधा कही भी जा सकते हो ,यह सब कालनेत्री ने पापी लोग विषलोक में ताकद पाने नही आ पाए इसीलिये किया है ,विषलोक के हर दरवाजे पर कालनेत्री की शक्ति है जो सिर्फ़ अच्छे लोगो को ही अंदर आने देती है, कोई भी पापी उन दरवाजे को पार नहीं कर सकता है ,
काल अब सोच में पड़ गया उसे किसी भी हाल में उसे नेत्रा को बचाना ही था विशाखा और सर्पिणी को अंदर आने की अनुमति नही थी ,और काल मे कोई विष नहीं था जो उसे वहां सीधा वहां पर प्रवेश मिल सके ,विषलोक में सिर्फ जिनके अंदर विष हो वही जा सकते है ,नेत्रा के वजह से वो विषलोक में प्रवेश कर पाया था ,
सर्पिणी ,क्या महानाग हमारी मदद नही कर सकता ,काल ने पूछा ,
काल ,आज तक महानाग से कोई मिला ही नही है तो यह में तुम्हे कैसे बता सकती हूं, महानाग के तलाश में आजतक कितने है सर्प योद्धा गये उसके ठिकाने तक पर कोई जिंदा तो क्या उसका शरीर भी नही लौटा ,सर्पिणी
काल ने कुछ सोचा और वह सीधा गायब होकर उस गुफा के सामने पहुचा जहा से अंदर जाने पर विषलोक का दरवाजा मिलता है और उस गुफा में न जाकर गड्ढे में नीचे महानाग का ठिकाना है ,
दीदी ,यह काल कहा गया होगा ,विशाखा बोली
मेरे खयाल से वो विषलोक में ही जायेगा चलो हम भी चलते है उसके पीछे ,हमे उन दोनों की मदद करनी होगी ,विषदंश बहुत ही ताक़दवर है, पर वो मेरे सामना नही कर सकता, चलो हम भी चलते है ,सर्पिणी बोली ,
दोनो जब उस गुफा के बाहर जाकर काल को देखने लगी तो दोनो की आंखे बड़ी हो गयी ,काल नीचे महानाग के ठिकाने की तरफ तेजी से जा रहा था ,वो दोनो तो नीचे जाने के बारे में सोच भी नहीं सकती थी ,नीचे ऐसा जहर था कि कोई सर्प योद्धा पल भर में वहां गल जाता था ,और काल अपनी मौत के पास जा रहा था ,
नेत्रा हिमानी के पास बैठी थी ,दोनो को एक कमरे में बंद कर दिया था विषदंश ने और बाहर अपने खास सिपाही रखे थे ,
हिमानी ,तो आप मेरी बुवा नही हो ,आप का नाम नेत्रा है ,और वो आपके पति थे ,क्या वो अब तुम्हे बचाने नही आयेंगे,
नेत्रा,हिमानी ,उनकी मौत जहर से होगी ,उनके लिये कोई सामान्य जहर भी जानलेवा है ,में नही चाहतीं थीं उन्हें यहा नुकसान हो ,इसलिये मेने बेड़ी पहनने के फौरन बाद उन्हें वापिस भेज दिया ,मुझे पता था यह बेडी मेरी ताकद खत्म कर देगी ,पर में हैरान हूं कि अगर यह बेड़ी मेरी सब ताकद सोख ली है ,तो में विषलोक में जिंदा कैसे हु ,और मेरे पति की एक बात में जानती हु ,भले ही उनको जहर से खतरा हो
पर वो विषलोक में आकर ही दम लेंगें ,तुम्हारे पिता को मारकर मुझे यहां से लेकर जाएंगे ,भले उसके लिये उनको कुछ भी करना पड़े पर वो चूकेंगे नही ।
Shandar update
 
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