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रीता दीदी कहते हुए सन्जु ने दरवाजा खोल दिया।
"आई। सन्जु तुम” सन्जु को देखते ही रीता घबरा गई और अपनी सलवार को अपनी जांघो पर चढाती हुई उठ कर बैठ गई। रीता की दोनो टांगो के बीच में से फिसल कर एक लम्बा सा बैंगन रीता की खुली टांगो के सामने गिर गया ।
"सन्जु तु। ऐसे कैसे अन्दर आ गया।"
रीता ने जल्दी से खींच कर अपनी सलवार अपनी जांघो पर चढा दी और अपने कपडे ठिक करने लगी।
सन्जु घूर घूर कर रीता की खुली टांगों के बीच में पड़े बैंगन को देख रहा था। रीता ने सन्जु को डान्ट कर कमरे से बाहर निकाल दिया और अपना बैंगन उठा कर अपनी कितबो के पीछे छुपा दिया। फ़िर अपनी आंखे बन्द कर के लेट गई "न जाने कैसे वो दरवाजा बन्द करना भूल गई थी आज।
रीता अब सन्जु से डर रही थी। अगर सन्जु ने माँ को बता दिया तो माँ तो उसे खा जाएगी। रीता ने दरवाजा खोल कर बाहर देखा तो सन्जु कमरे में नहीं था। रीता डर गई कहीं सन्जु माँ को बत्ताने तो नहीं गया। सोचती हुए रीता कमरे से निकल कर सरोज के कमरे में चली गई। सरोज रीता की छोटी बहन थी ओर स्कूल से आकर अपना होमवर्क कर रही थी। रीता की माँ उमा सरोज के साथ बैठ कर सरोज की मदद कर रही थी। रीता को अपनी माँ को देख कर कुछ चैन आया। तो सन्जु यहाँ नहीं आया तो कहा गया होगा । रीता ने बाथरूम का दरवाजा देखा तो समझ गई । सन्जु जरुर बाथरूम में होगा।
रीता बाथरुम के दरवाजे के आगे काफी देर तक चक्कर लगाती रही पर सन्जु बाहर निकलने का नाम ही नही ले रहा था। रीता ने नीचे झुक कर बाथरूम के दरवाजे के नीचे से अन्दर झाँकने की कोशिश की पर सन्जु की टांगों के अलावा कुछ नहीं देख पायी। रीता समझ गई थी की सन्जु बाथरूम में क्या कर रहा है। वो अपने कमरे में आकर बैठ गई और सन्जु से बात करने के बारे में सोचने लगी।
रीता अभी १२वी में पढ़ रही थी।
रीता ने जब बाथरूम खुलने की आवाज सुनी तो वो फिर से अपने कमरे से बाहर आ गई। सन्जु सोफे पर आधा लेटा हुआ था। रीता ने सन्जू की कमर पर हाथ रख कर सन्जु को बुलाया।
"आई। सन्जु तुम” सन्जु को देखते ही रीता घबरा गई और अपनी सलवार को अपनी जांघो पर चढाती हुई उठ कर बैठ गई। रीता की दोनो टांगो के बीच में से फिसल कर एक लम्बा सा बैंगन रीता की खुली टांगो के सामने गिर गया ।
"सन्जु तु। ऐसे कैसे अन्दर आ गया।"
रीता ने जल्दी से खींच कर अपनी सलवार अपनी जांघो पर चढा दी और अपने कपडे ठिक करने लगी।
सन्जु घूर घूर कर रीता की खुली टांगों के बीच में पड़े बैंगन को देख रहा था। रीता ने सन्जु को डान्ट कर कमरे से बाहर निकाल दिया और अपना बैंगन उठा कर अपनी कितबो के पीछे छुपा दिया। फ़िर अपनी आंखे बन्द कर के लेट गई "न जाने कैसे वो दरवाजा बन्द करना भूल गई थी आज।
रीता अब सन्जु से डर रही थी। अगर सन्जु ने माँ को बता दिया तो माँ तो उसे खा जाएगी। रीता ने दरवाजा खोल कर बाहर देखा तो सन्जु कमरे में नहीं था। रीता डर गई कहीं सन्जु माँ को बत्ताने तो नहीं गया। सोचती हुए रीता कमरे से निकल कर सरोज के कमरे में चली गई। सरोज रीता की छोटी बहन थी ओर स्कूल से आकर अपना होमवर्क कर रही थी। रीता की माँ उमा सरोज के साथ बैठ कर सरोज की मदद कर रही थी। रीता को अपनी माँ को देख कर कुछ चैन आया। तो सन्जु यहाँ नहीं आया तो कहा गया होगा । रीता ने बाथरूम का दरवाजा देखा तो समझ गई । सन्जु जरुर बाथरूम में होगा।
रीता बाथरुम के दरवाजे के आगे काफी देर तक चक्कर लगाती रही पर सन्जु बाहर निकलने का नाम ही नही ले रहा था। रीता ने नीचे झुक कर बाथरूम के दरवाजे के नीचे से अन्दर झाँकने की कोशिश की पर सन्जु की टांगों के अलावा कुछ नहीं देख पायी। रीता समझ गई थी की सन्जु बाथरूम में क्या कर रहा है। वो अपने कमरे में आकर बैठ गई और सन्जु से बात करने के बारे में सोचने लगी।
रीता अभी १२वी में पढ़ रही थी।
रीता ने जब बाथरूम खुलने की आवाज सुनी तो वो फिर से अपने कमरे से बाहर आ गई। सन्जु सोफे पर आधा लेटा हुआ था। रीता ने सन्जू की कमर पर हाथ रख कर सन्जु को बुलाया।
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