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रीता और सन्जु ने बालकोनी की दो सीटे चुन ली जो सब से अलग हट कर थीं।
आज फ़िल्म देखने वाले भी बहुत कम थे ओर ईसलिये उन्हें टिकट भी आसानी से मिल गई थी।
फ़िल्म शुरु हुए अभी आधा घण्टा ही हुआ था की रीता ने सन्जु के हाथ को पकड़ कर अपनी तरफ खींचा और फ़िर सन्जु के कान में बोली। "देख सन्जु ये लड़की क्या मस्त है। अच्छी है न।"
सन्जु पहले तो थोड़ा शर्माया और फिर उसने हाँ में सर हिला दिया "बहुत अच्छी है दीदी ।"
रीता: देख इसकी ब्लाउज फटने को हो रखी है। है न।
सन्जु रीता के हाथ को पकड कर धीरे से दबाता हुए बोला ।
"हाय दीदी बहुत मोटे हैं न इसके"
रीता : तुने वो देखी थी जो अभी अभी गाने में नाच रही थी निले रंग की साडी वाली।
सन्जु : कौन सी वाली दीदी।
रीता : अभी आएगी तो तुझे दिखा दूंगी वो भी बहुत मस्त थी। रीता सन्जु का हाथ अपने हाथ में पकड़ कर धीरे धीरे सहलाती हुई बोली ।
रीता के कोमल हाथ के स्पर्श से सन्जु की पैण्ट के अन्दर उसका अंग तन कर खड़ा हो गया था। जब भी रीता सन्जु के कान में बोलती सन्जु के गाल को रीता के होंठ छू जाते और सन्जु का जी चाहता की रीता उसे चुम ले।
संजू भी रीता के मुँह पर अपने गालो को रगड देता ।
रीता ने अपना हाथ सन्जु की जांघो पर रख दिया और चुपचाप फ़िल्म देखने लगी।
कुछ ही देर में नीले रंग की साड़ी वाली लडकी फ़िर से दिखाई दी। रीता ने सन्जु को दिखाते हुए कहा "देख सन्जु वो देख। इसने अपनी साड़ी कितनी नीचे बाँध रखी है। दोनो कूल्हे कैसे बाहर निकाल आए हैं।
सन्जू लड़की के कुल्हो को देख रहा था। "दीदी देखो जब वे चलती है तो कैसे हिलते हैं।"
रीता वही तो चिज है। अगर इसकी साड़ी थोड़ी सी और नीचे आ जाए तो इसके बाल दिखने लगेंगे।
सन्जुः हैरान हो कर रीता का हाथ दबाते हुए बोला। दीदी क्या लडकीयों के भी यहाँ नीचे बाल होती हैं।
रीता: हाँ होते क्यु नहीं। बहुत सारे होते हैं। तुमने मुझे देखा नही था क्या ?
सन्जु : नहीं दीदी। मैं ठीक से देख नहीं पाया ।
रीता : अरे कई औरतो के नीचे तो पुरा जंगल उगा होता है। रीता ने हँसते हुए कहा।
रीता : सन्जु तुमने कभी लडकी की नीचे वाली जगह नहीं देखी क्या ।
सन्जु : नही दीदी।
रीता: किसी किताब में भी नहीं।
सन्जु : नहीं दीदी कहीं भी नहीं।
रीता: ठिक है। मैं तुम्हें एक किताब दूंगी जिस में लडको और लड़कियों को सब कुछ करते हुए पुरा दिखाया गया है और उसमे कहानियाँ भी बहुत अच्छी हैं। तुम पहले इस से शुरुआत करो फिर मैं तुझे विडिओ भी दिखा दूंगी आजकल तो मोबाइल पर सब कुछ दिख जाता है।
रीता ने सन्जु का हाथ फिर से दबाते हुए पूछा 'सन्जु तेरे नीचे के बाल तो उग आए है न । सन्जु ने शर्माते हुए कहा हाँ दीदी मेरे तो बहुत से बाल हैं।
रीता : सन्जु तेरा मोटा भी बहुत है। मैंने आज देखा था तेरी पैन्ट में फूल कर खड़ा हो रखा था।
सन्जु ने रीता का हाथ अपने हाथ में लेते हुए कहा "हा दीदी आज तुम्हें देख कर मेरा बार बार फूल रहा था। दीदी मेरा अभी भी फूल रखा है।"
रीता हँसते हुए। "ऐसा क्यु ?"
सन्जु : दीदी जब भी तुम मेरे पास होती हो तो मेरा खड़ा हो जाता है।
आज फ़िल्म देखने वाले भी बहुत कम थे ओर ईसलिये उन्हें टिकट भी आसानी से मिल गई थी।
फ़िल्म शुरु हुए अभी आधा घण्टा ही हुआ था की रीता ने सन्जु के हाथ को पकड़ कर अपनी तरफ खींचा और फ़िर सन्जु के कान में बोली। "देख सन्जु ये लड़की क्या मस्त है। अच्छी है न।"
सन्जु पहले तो थोड़ा शर्माया और फिर उसने हाँ में सर हिला दिया "बहुत अच्छी है दीदी ।"
रीता: देख इसकी ब्लाउज फटने को हो रखी है। है न।
सन्जु रीता के हाथ को पकड कर धीरे से दबाता हुए बोला ।
"हाय दीदी बहुत मोटे हैं न इसके"
रीता : तुने वो देखी थी जो अभी अभी गाने में नाच रही थी निले रंग की साडी वाली।
सन्जु : कौन सी वाली दीदी।
रीता : अभी आएगी तो तुझे दिखा दूंगी वो भी बहुत मस्त थी। रीता सन्जु का हाथ अपने हाथ में पकड़ कर धीरे धीरे सहलाती हुई बोली ।
रीता के कोमल हाथ के स्पर्श से सन्जु की पैण्ट के अन्दर उसका अंग तन कर खड़ा हो गया था। जब भी रीता सन्जु के कान में बोलती सन्जु के गाल को रीता के होंठ छू जाते और सन्जु का जी चाहता की रीता उसे चुम ले।
संजू भी रीता के मुँह पर अपने गालो को रगड देता ।
रीता ने अपना हाथ सन्जु की जांघो पर रख दिया और चुपचाप फ़िल्म देखने लगी।
कुछ ही देर में नीले रंग की साड़ी वाली लडकी फ़िर से दिखाई दी। रीता ने सन्जु को दिखाते हुए कहा "देख सन्जु वो देख। इसने अपनी साड़ी कितनी नीचे बाँध रखी है। दोनो कूल्हे कैसे बाहर निकाल आए हैं।
सन्जू लड़की के कुल्हो को देख रहा था। "दीदी देखो जब वे चलती है तो कैसे हिलते हैं।"
रीता वही तो चिज है। अगर इसकी साड़ी थोड़ी सी और नीचे आ जाए तो इसके बाल दिखने लगेंगे।
सन्जुः हैरान हो कर रीता का हाथ दबाते हुए बोला। दीदी क्या लडकीयों के भी यहाँ नीचे बाल होती हैं।
रीता: हाँ होते क्यु नहीं। बहुत सारे होते हैं। तुमने मुझे देखा नही था क्या ?
सन्जु : नहीं दीदी। मैं ठीक से देख नहीं पाया ।
रीता : अरे कई औरतो के नीचे तो पुरा जंगल उगा होता है। रीता ने हँसते हुए कहा।
रीता : सन्जु तुमने कभी लडकी की नीचे वाली जगह नहीं देखी क्या ।
सन्जु : नही दीदी।
रीता: किसी किताब में भी नहीं।
सन्जु : नहीं दीदी कहीं भी नहीं।
रीता: ठिक है। मैं तुम्हें एक किताब दूंगी जिस में लडको और लड़कियों को सब कुछ करते हुए पुरा दिखाया गया है और उसमे कहानियाँ भी बहुत अच्छी हैं। तुम पहले इस से शुरुआत करो फिर मैं तुझे विडिओ भी दिखा दूंगी आजकल तो मोबाइल पर सब कुछ दिख जाता है।
रीता ने सन्जु का हाथ फिर से दबाते हुए पूछा 'सन्जु तेरे नीचे के बाल तो उग आए है न । सन्जु ने शर्माते हुए कहा हाँ दीदी मेरे तो बहुत से बाल हैं।
रीता : सन्जु तेरा मोटा भी बहुत है। मैंने आज देखा था तेरी पैन्ट में फूल कर खड़ा हो रखा था।
सन्जु ने रीता का हाथ अपने हाथ में लेते हुए कहा "हा दीदी आज तुम्हें देख कर मेरा बार बार फूल रहा था। दीदी मेरा अभी भी फूल रखा है।"
रीता हँसते हुए। "ऐसा क्यु ?"
सन्जु : दीदी जब भी तुम मेरे पास होती हो तो मेरा खड़ा हो जाता है।