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Incest जीवन रस की एक - एक घूंट पिए जा पिए जा

Premkumar65

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"आई दीदी। ओफ़ ओ दीदी"

सन्जु का लाल फूला हुआ सुपाड़ा गीलेपन के कारण चमक रहा था। अब रीता की चूत एक दम से गीली हो चुकी थी और चुदाई के लिए तैयार थी।

सन्जु रीता की चुत देखने के लिए आतुर था और उसने अपने एक हाथ को अपनी बहन के मम्मों से हटा कर उसकी चूत तक ले गया।

"ओफ़ सन्जु"

रीता ने मुँह घुमा कर दरवाजे की तरफ देखा, दरवाजा अन्दर से बन्द था पर रीता फ़िर भी एक बार ठीक से देख लेना चाहती थी। फ़िर रीता ने लाईट जला दी और अपनी स्कर्ट सन्जु के हाथ में देती हुई बोली चल देखले इसके नीचे। सन्जु ने नीचे झुक कर अपनी बहन की स्कर्ट उपर उठा दी और नीचे उसकी गरम गोरी जांघो के बीच में देखने लगा।

"ओह दीदी। ये "

"हाँ" सन्जु ले अपने हाथों से मेरी पैण्टी उत्तार कर देख ले, मेरी"

सन्जु रीता की कमर के सामने बैठ गया ओर रीता की पैण्टी को अपने हाथों से पकड़ कर नीचे सरका दिया ।

"दीदी। ओफ़ दीदी"

"अच्छी लगी न । अच्छी है न मेरी सन्जु "हाँ दीदी। ये तो उफ़ दीदी"

सन्जु अब आंखे फाड फाड कर अपनी बहन की नंगी चूत को देख रहा था। रीता ने सन्जु को पकड कर बिस्तर पर खींच लिया और फिर दोनो टांगो को खोल कर बिस्तर पर लेट गई। सन्जु के सामने उसकी बहन की फुली हुई चूत एक दम से खुल रखी थी। चूत का लम्बा सा छेद ऐसे लग रहा था जैसे चूत मुस्करा रही हो। I

सन्जु रीता की दोनो टांगो के बीच में झुक गया ओर चूत को अपने हाथ से मसल कर देखने लगा । रीता उफ़ उफ़ करती सन्जु को चोदने को कहने लगी।

सन्जु :दीदी तुम्हरी चूत बहुत प्यारी है।

रीता : चलो सन्जु पहले मुझे चोद लो फ़िर जी भर कर चूत से खेल लेना ।

सन्जू की आंखे अभी भी रीता की फूली हुई चूत पर जम रखी थी। रीता की मोटी जांघो के बीच में उसकी फूली हुई फुददी ओर फुददी के निचे गहरे भूरे रंग का गाण्ड का छेद, उसने अपने हाथ से चूत की गरम फांको को सहलाया।

"ओह सन्जु । ओह

रीता सन्जु का हाथ अपनी चूत पर लगते ही सीस्कने सी लगी। वो बार बार सन्जु को अपने उपर आ कर चोदने के लिए कह रही थी। "चोद न सन्जु । चल चढ़ जा मेरे उपर सन्जु।"

सन्जु चूत के नशे में सब कुछ भूल गया था और अपने हाथ को चूत की फैली हुई फांको पर दबाता हुआ उपर से नीचे तक रगडता जा रहा था। रीता की चूत सन्जु के हाथ से दब कर बार बार खुल जाती और अन्दर का गुलाबी भाग दिखाई दे जाता। सन्जु रीता के चुत के गुलाबी छेद से आती खुश्बू को सूंघ कर चूमना चाहता था। उसने अपना सर निचे उसकी गोरी मखमली जांघो के बीच घुसाया और चुत को चुम लिया। रीता की गुलाबी फुद्दी तमतमा कर लाल हो गई और मुँह सिसकी निकल गई। समय कम था, उमा और सरोज कभी भी दरवाजा खोलने के लिए बोल सकते थे।
Mast khel ho raha hai Sanju aur Rita ke beech.
 

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कुछ ही देर में रीता की चूत कुछ खुल गई और लण्ड आराम से अन्दर बाहर होने लगा ।

"हाँ सन्जु अब बहुत मजा दे रहा है तेरा लौड़ा, ओफ़ अब जोर जोर से चोद मुझे।"

"आह। हाँ हाँ हाँ। ओह कर हॉ"

रीता ने अपने उपर झुके हुए सन्जु के चेहरे को चुमने हुए सन्जु को अपने मम्मे दबाने को कहा। सन्जू अपनी कमर चलाता हुआ रीता के मम्मों को पकड़ कर मसलने लगा।

रीता और सन्जु एक दुसरे के शरीर का पुरा मजा ले रहे थे। वो एक दुसरे के शरीर में पुरी तरह से डूब चुके थे ।

हर बार, जब भी रीता की चूत में सन्जु का लण्ड जाता तो रीता अपनी जांघो को उपर की तरफ़ उठा कर अपनी चूत को लण्ड पर दबा देती। ऐसा करने से लण्ड पुरी तरह चूत की तह तक जा कर टकराता और फ़िर रीता मजे से कांप उठती। "हाय हाय सन्जु । मजा आ गया सन्जु । हाँ ऐसे ही कर"

कुछ ही देर बाद सन्जु को लगा की उसका सुपाडा एक दम से चूत में कस गया है। रीता की चूत की फांके लौड़े के चारो तरफ़ टाईट हो कर कस गई थी और रीता अपनी चूत को लण्ड पर दबाती हुई। चोद, चोद शब्द अलापती जा रही थी।

"चोद चोद चोद चोद चोद। सन्जु चोद"

फ़िर अचान्क ही रीता की चूत में पानी का उबाल सा उठा और वो झड़ने लगी ।

"आअह सईस्स्स्स्स्स्स। आओफ़्फ़फ़्फ़्फ़ सस्स्स्स"

सन्जु का अपना लण्ड एक दम से झडने के कगार पर था। वो रीता के झडने से अन्जान अपने शरीर की प्यास बुझाने में लगा था।

सन्जु ने अपनी कमर उठा उठा कर दो जोरदार धक्के लगाए और फ़िर उसका लण्ड भी झटके लेता हुआ अपना गरम विर्य रीता की चूत में उडेलने लगा ।

"ओफ़ दीदी। ओफ़ दीदी

सन्जु हांफ रहा था, उसने अपना सर रीता के गरम मम्मो पर रख दिया था और उसका लण्ड अभी भी रीता की गीली चूत में हल्के-हल्के झटके ले रहा था।

रीता ने सन्जु को चुम लीया ।

"आ गाया न मजा सन्जु । मजा आया"

'हा' दीदी। बहुत मजा आया। ओफ़"

सन्जु ने रीता के एक मम्मे की घुण्डी को पक्ड कर मसलते हुए कहा और फिर अपने मुह में ले कर चुसने लगा।

रीता ओर सन्जु जब कमरे से बाहर निकले तो दोनों के चेहरे खिले हुए थे वो दोनो न जाने कितनी देर धूप में बैठे एक दूसरे से बातें करते रहे। उमा ने कभी दोनों को इतने प्यार से बरताव करते नही देख था। हमेशा से दोनो लड़ते ज्यादा थे और बात कम करते थे पर आज सब कुछ बदल गया था।
Rita chud gai bhai se.
 

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सर्दीयों की शाम में अंधेरा जल्दी हो जाता है और ढलते सूर्य की लाल रोशनी आकाश में बिखरी हुई थी।

रीता सन्जु के पास आकर बैठ गई।

"सन्जु क्या सोच रहे हो तुम" रीता ने सन्जू की आंखों में आंखे डाल कर देखते हुए पुछा ।

"कुछ नही दीदी बस तुम्हारे बारे में सोच रहा था।"

रीता हंस दी "मेरे बारे में। अच्छा तो तुम मेरे बारे में भी सोचते हो"

सन्जु ने रीता का हाथ पकड़ अपने हाथ में ले लिया और फ़िर दबाते हुए कहा। "दीदी और कितनी देर तक इन्तज़ार करना पडेगा मुझे"

रीता : "देख सन्जु मैं भी उसी तरह से इन्त‌ज़ार कर रही हूं, जैसे कि तु और अब रात को तो कुछ भी होना मुश्किल है।"

सन्जु : "नहीं दीदी देखो मेरा अभी से एक दम खड़ा है।"

रीता : "ओह ये तो एकदम से खड़ा है। तु हाथ से क्यु नहीं कर लेता। "

सन्जु : "नही दीदी। चूत दो न"

रीत्ता : "नही सन्जु माँ के घर पर होते हुए तुझे चूत नहीं मिल सकती"

सन्जु : "नही दीदी। तुम्हरो कमरे में फिर से कर सकते हैं।"

रीता: "हट, माँ बिल्कुल दरवाजे के बाहर बैठी है। जब तक वो नही हिलती कैसे कर सकते हैं।

सन्जु : "प्लीज़ दीदी, प्लीज़"

रीता : एक काम हो सकता है। पर तेरे बस की बात नहीं लगती"

सन्जु : "वो क्या दीदी ?" सन्जु ने खुश होते हुए पुछा।

अभी आई कहती हुई रीता कमर मटकाती हुई कमरे में चली गई ओर जब वो वापिस आई तो उसके हाथ में किताव और एक शाल थी।

रीता ने सन्जु के पास बैठ कर अपनी शाल को सन्जु की जांघो पर फिर से फैला दिया और अपनी किताब को खोल सन्जु के साथ ऐसे बैठ गई जैसे उसे पढ़ा रही हो।

सन्जु भी रीता की शाल देखते ही समझ गया कि क्या हो सकता है और उसने पल भर में ही अपना लण्ड बाहर निकाल दिया ।

रीता : सन्जु अब आराम से मजा लेना ज्यादा हिलना नहीं और कोई आ जाए तो घबराना नहीं।

सन्जु : ओह दीदी। हाँ तुम जैसा कहोगी वैसा ही करूंगा ।

रीता ने अपने नरम हाथ से सन्जु का लण्ड पकड कर फ़िर से मसलना शुरु कर दिया।

रीता : सॉरी सन्जू तुझे मैं अपनी चूत नही दे पाई। अब हाथ से ही काम चला ले ।"

सन्जु :दीदी मैं भी तो तुम्हें अपना लण्ड नहीं दे पाया ओर मैं तो तुम्हरी चूत को मसल भी नहीं सकता।"
Clever Rita ready to satisfy her brother.
 

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सन्जु ने हाथ बढा कर रीता के एक मम्मे को पकड़ कर दबा दिया।

रीता: हाँ सन्जु बारी बारी से दोनो मम्मों को दबा दे। मेरे तो दोनो निप्प्ल खड़े हो गए हैं। सन्जु रीता के मम्मों को दबाता हुआ रीता से बातें किये जा रहा था।

रीता ने सन्जू के सुपाडे को पकड कर अपनी हथेली में दबा दिया और फिर आगे पीछे हिलाने लगी ।

रीता : सन्जु एक बात बोलू तु बुरा तो नहीं मानेगा न ।

सन्जू : नही दीदी। क्या है।

रीना: तु माँ को पटा ले सन्जू। अगर तु माँ को पटा लेगा तो सारा रास्ता साफ़ हो जाएगा।

सन्जु : दीदी पर। ओह तुम्हारा मतलब है कि माँ के साथ। नहीं दीदी।

रीता : हाँ सन्जु । माँ तुझे बहुत प्यार करती है और कितने सालो से किसी मर्द के साथ भी नही सोइ है।

अगर तू एक बार उसे ऐसा मजा दे देगा जैसा मुझे दिया था तो बस सब कुछ ठीक हो जाएगा।

सन्जु : पर दीदी ।

रीता : तुने अपनी बहन को भी तो चोदा है अगर माँ से कर लोगे तो क्या हो जाएगा। और तुझे तो घर में ही दो चूते मिल जाएगी मारने को।

सन्जु : दीदी पर मैं कैसे करूंगा, माँ से।

रीता : सोच सन्जु फ़िर तुम कभी भी मेरे साथ या माँ के साथ कैसे भी कर सकते हो। कभी चूत में डाल दो तो कभी गाण्ड में या मुँह में। सारे छेद हमेशा तैयार मिलेंगे । सन्जु का लण्ड उसकी माँ के बारे में बांते करते हुए कुछ ढीला हो गया था पर अब रीता की बातो से उसके लण्ड में फिर से अकड़ाव आने लगा ।

रीता ने सन्जु के लण्ड को हिलाते हुए पूछा "तुने कभी सोचा तो होगा माँ के बारे में"

“हाय, अभी तक तो नहीं।“

“सोच कर देख मजा आएगा, मम्मी बहुत सुंदर है और उसकी गोरी गोरी जाँघे मुझसे भी ज्यादा गोल और मोटी है। तूने मम्मी का गांड और चूतड़ देखा है, हाय…..भाई ध्यान से देखना बहुत गदराये और मोटे मोटे है।

सन्जु मुस्करा दिया। "सोचने से क्या होता है। पर मुझे पता है माँ कभी नही देगी।"

रीता : नहीं देगी तो न सही पर कोशिश तो करो न।

सन्जु ने रीता के मम्मे के उपर उठी हुई कड़ी निप्प्ल को मसलते हुए पुछा । "तुम बाताओ मुझे क्या करना होगा"

रीता: उसे प्यार से मनाओ। अगर फ़िर भी न माने तो थोड़ी जबरदस्ती कर लेना, तु तो लडका है, कुछ भी कर सकता है। कुछ तो करना ही पड़ेगा न ।

रीता ने अपने एक हाथ से किताब को खोल कर सन्जु को दिखाया। किताब में एक पतली सी छोटी किताब थी जिस पर एक बिल्कुल नंगी औरत लण्ड चुस रही थी ।

"ओह दीदी ये क्या है।

"मैं तुझे दिखा नहीं पाई थी ये ले मैं दिखाती हूँ, कैसे मजा लेते है लोग ।"

"दीदी ईस में तो चूत तक दिखा रखी है"

रीता पन्ने पलट पलट कर सन्जु को लण्ड चुसती हुई औरतो और चूत चाटते हुए मर्दो को दिखा रही थी।

"दीदी ये देखो दो आदमी एक औरत को चोद रहे है एक साथ"

रीता : हाँ ऐसे ही तो मजा लेते है सब। ये देख यहाँ दो लडकीयाँ और एक लडका है। जैसे कि तुम और मैं और माँ। रीता ने लण्ड को जोर से झटका दिया । सन्जू हल्का सा हंस दिया ।

"सन्जु दीदी क्या सच में वे लोग मुँह में लेते है क्या सन्जु ने पुछा ।"​
Rita is very clever. she wants mother also to join their game.
 

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रीता : हाँ और नहीं तो क्या। ईस में बुराई क्या है। में तो आराम से लौड़ा मुँह में ले सकती हूँ। तु बता तुने तो मेरी चूत देखी है। क्या तु अपने मुह से उसे चाट नहीं सकता।

"हाँ दीदी मैं तुम्हारी चुत सूंघने और चूमने की सोच रहा था, बहुत अच्छी सुगंध आती है वहाँ से, है न"

"ओर ये देख सन्जु वे दो लड़कीयाँ एक दूसरे की चूत चाट रही हैं।"

"ओह दीदी। ओह ये । मेरा निकल जाए‌गा दीदी।"

रीता ने एक बार मुँह को घुमा कर घर की तरफ देखा ओर सन्तु की गोद पर झुकती चली गई। सन्जू का लण्ड एक पल में ही रीता के होंठो में था। रीता ने अपने गरम मुँह से लण्ड को जोर से चुसा

"ऊम्म्म्म्म्म सन्जु का लण्ड रीता के गरम मुँह में एक पल भी ठहर नही पाया ओर उसने विर्य उगलना शुरु कर दिया ।

आधे मिनट तक सन्जु और रीता ईसी तरह रहे। रीता के मुँह में सन्जु का लण्ड विर्य के लच्छे छोडता रहा और रीता विर्य को अपने गले से नीचे उतारती रही।

फिर रीता ने अपना मुँह सन्जु के लण्ड से अलग कर लिया और अपने होंठ चाटती हुई बोली ।

"आया न मजा"

सन्जु को इतना मजा अपने जीवन में पहली बार आया था। उसे रीता का गरम मुँह और उसका इतनी जोर से चुसना सब सपना सा लग रहा था।

रीता : "सन्जु तुझे पता है। ये किताब मुझे कहा से मिली ।"

सन्जु : "नहीं दीदी। तुम बताओ ।"

रीता : माँ ने अल्मारी में छुपा रखी थी पर मैने निकाल ली अब में देखने के बाद वही रख देती हूं। माँ के पास और भी बहुत सी हैं। बलु फ़िल्मे भी हैं।

सन्जु : अच्छा दीदी। तो माँ भी।

रीता : तभी तो कहती हूँ । तुम कर सकते हो। कुछ ही देर बाद सन्जु और रीता वापिस घर में आ गए।

उस रात सन्जु, उमा को अजीब तरह से देख रहा था। उसकी आंखे अपनी माँ की छातीयों को नाप रही थी। जब भी उमा चलती तो सन्जु की आंखे उमा की मटकती हुई गाण्ड पर जम जाती । रीता ने जब सन्जु को उमा की गाण्ड को देखते पाया तो मुसकरा दी और फ़िर सन्जु के कान में फुस्फ़सा दी "मज़ेदार है न" ।​
Sanju is ready to get after Mom.
 

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रात सन्जु सोया हुआ था और उमा भी उसके बगल में जाकर लेट जाती है। सरोज दूसरी तरफ लेटी हुई थी। थोड़ी देर में ही उमा के खर्राटे लेने के आवाज़ आने लगती है। सन्जु अंगड़ाई लेकर अपने एक पैर को अपनी मम्मी की कमर में डाल कर उससे चिपक जाता है। उसका मोटा लंड आज सपने में अपनी मम्मी को चोद रहा था जिसकी वजह थी उसका लंड पूरी तरह पैंट में खड़ा होकर उसकी मम्मी की मोटी गांड में ठोकर मार रहा था।

उसका लण्ड बराबर तना हुआ उसकी मम्मी की मोटी गदराई गांड में चुभ रहा था। उमा को इस चुभन का अहसास हुआ और नींद खुल गई। उसका दिल धड़कने लगा । वह ना चाहते हुए भी चुपचप अपनी मोटी गांड को अपने बेटे के साथ मोटे लण्ड से सटाये हुई पड़ी थी। कुछ देर बाद सन्जू का हाथ अपने ऊपर से हटा कर अपना मुंह उसकी ओर कर लिया और जब उसकी नजर अपने बेटे के मोटे लण्ड पर पड़ी तो उसका दिल धक्क करके रह गया, उसके बेटे का लंड उसके मस्त भोसड़े को चोदने के लायक था।

उमा काफी देर तक अपने बेटे के मोटे लंड को देखती रही और फिर जब उसने देखा कि सन्जू गहरी नींद में है तो उसने धीरे से उसके मोटे लण्ड को पकड़ कर सहलाया। उसकी चूत का दाना कूदने लगा और उसकी चूत से खूब चिपचिपा पानी बहने लगा, उमा को जरा भी एहसास नहीं था कि उसके हाथ का दबाव उसके बेटे के लण्ड पर बढ़ता जा रहा था और एक वक्त ऐसा आया कि उमा ने अपने बेटे के लण्ड को अपने हाथो में भर कर खूब कस कर भींच दिया और सन्जू एक दम से कसमसा कर दूसरी ओर करवट ले कर सो गया।

उमा अपनी फूली हुई चुत सहलती लेटी रही लेकिन उसकी आंखो से नींद कोसो दूर थी।

करीब 1 घंटे बाद सन्जू उठा तो उसने देखा उसकी मम्मी उसके बगल में लेटी हुई है। अपनी मम्मी के गदराए भारी भरकम चुतड़ो को अपनी तरफ उठा देख कर सन्जू का लण्ड फनफना कर खड़ा हो गया और उसने अपनी मम्मी के मोटे-मोटे चुत्तड़ो पर धीरे से हाथ फेरते हुए एक धीमी आवाज लगाई लेकिन उमा जगते हुई भी सोती बनी रही।

सन्जू ने जब अपनी मम्मी के गदराए चूतडो को धीरे से सहलाया तो ऐसा मजा कभी नहीं आया और वह वही बैठा बैठा अपनी मम्मी की मोटी गांड के ऊपर अपना हाथ फेरते हुए अपनी मम्मी की मदमस्त उठी गुदाज गांड के एहसास का मजा लेने लगा। जब उसका हाथ अपनी मम्मी की गांड की गहरी दरार में गया तो उसका मन करने लगा कि अपना पूरा हाथ वह अपनी मम्मी की गांड में भर दे।

उसने धीरे से अपनी मम्मी के मोटे-मोटे गांड पर अपना मुँह रख कर हल्के से दबाया तो वह अंदर तक गनगना गया। रीता दीदी से बहुत ज्यादा मोटी और चौड़ी गांड थी मम्मी की। सन्जू यह सोच कर और भी पागल होने लगा कि जब वह अपनी मम्मी की मोटी गांड को पूरी नंगी करके अपने मुँह को उसकी गांड में भरेगा तब उसे कितना मजा आएगा। वह अभी कुछ सोच ही रहा था कि उमा कसमसाने का नाटक करती हुई उठ बैठी और सन्जू ने जल्दी से अपना हाथ हटा लिया और सोने का नाटक करने लगा। उमा ने एक नज़र सन्जू पर डाली "बड़ा हो गया है देखते देखते" ।

बिस्तर से निचे उतर वह बाथरूम जा अपनी साडी उठा कर कमोड पर बैठ गई। उसकी चुत से छरछरा कर आवाज़ के साथ पेशाब निकलने लगी। अपनी गुलाबी चुत को देखते हुए सोचने लगी कितने दिन हो गए उसे लण्ड लिए हुए। उसके भोसड़े में अगर सन्जू का मोटा लौड़ा घुसेगा तो कितना मजा आएगा। ऐसा सोचने से उसकी बुर पनिया उठी। सन्जू उसकी गांड से मुंह सटा कर उसके चुत्तड़ो के साथ खेलना चाह रहा है। गांड देखना चाहता है। उमा का पूरा बदन सनसना गया। पेशाब करके वापस कमरे में आई देखा सन्जू आंखे बंद किये सो रहा था। वो भी बिस्तर पर चढ़ गई और अपनी साड़ी को घुटनो के ऊपर तक सरका सो गई।

कुछ ही देर बीते होंगे की उमा ने आँखों की झुरमुट से देखा कि संजू उठ कर बैठा उसके पैर को हलके हलके हिला कर चेक कर रहा है कि वो जगी है या सोइ है। संजू ने एक दो बार आवाज भी लगाई-मम्मी मम्मी। उमा की के पुरे बदन में कोई हलचल न देख संजू उसकी ब्लाउज के मुम्मो को घूर घूर कर देखने लगा। उसकी सांसो के साथ उसकी चूचियाँ ऊपर निचे हो रही थी।
Woww aisi hi feeling aati hai teenage me. Mere sath bhi aisa hi hua tha.
 

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रीता और सन्जु ने बालकोनी की दो सीटे चुन ली जो सब से अलग हट कर थीं।

आज फ़िल्म देखने वाले भी बहुत कम थे ओर ईसलिये उन्हें टिकट भी आसानी से मिल गई थी।

फ़िल्म शुरु हुए अभी आधा घण्टा ही हुआ था की रीता ने सन्जु के हाथ को पकड़ कर अपनी तरफ खींचा और फ़िर सन्जु के कान में बोली। "देख सन्जु ये लड़की क्या मस्त है। अच्छी है न।"

सन्जु पहले तो थोड़ा शर्माया और फिर उसने हाँ में सर हिला दिया "बहुत अच्छी है दीदी ।"

रीता: देख इसकी ब्लाउज फटने को हो रखी है। है न।

सन्जु रीता के हाथ को पकड कर धीरे से दबाता हुए बोला ।

"हाय दीदी बहुत मोटे हैं न इसके"

रीता : तुने वो देखी थी जो अभी अभी गाने में नाच रही थी निले रंग की साडी वाली।

सन्जु : कौन सी वाली दीदी।

रीता : अभी आएगी तो तुझे दिखा दूंगी वो भी बहुत मस्त थी। रीता सन्जु का हाथ अपने हाथ में पकड़ कर धीरे धीरे सहलाती हुई बोली ।

रीता के कोमल हाथ के स्पर्श से सन्जु की पैण्ट के अन्दर उसका अंग तन कर खड़ा हो गया था। जब भी रीता सन्जु के कान में बोलती सन्जु के गाल को रीता के होंठ छू जाते और सन्जु का जी चाहता की रीता उसे चुम ले।

संजू भी रीता के मुँह पर अपने गालो को रगड देता ।

रीता ने अपना हाथ सन्जु की जांघो पर रख दिया और चुपचाप फ़िल्म देखने लगी।

कुछ ही देर में नीले रंग की साड़ी वाली लडकी फ़िर से दिखाई दी। रीता ने सन्जु को दिखाते हुए कहा "देख सन्जु वो देख। इसने अपनी साड़ी कितनी नीचे बाँध रखी है। दोनो कूल्हे कैसे बाहर निकाल आए हैं।

सन्जू लड़की के कुल्हो को देख रहा था। "दीदी देखो जब वे चलती है तो कैसे हिलते हैं।"

रीता वही तो चिज है। अगर इसकी साड़ी थोड़ी सी और नीचे आ जाए तो इसके बाल दिखने लगेंगे।

सन्जुः हैरान हो कर रीता का हाथ दबाते हुए बोला। दीदी क्या लडकीयों के भी यहाँ नीचे बाल होती हैं।

रीता: हाँ होते क्यु नहीं। बहुत सारे होते हैं। तुमने मुझे देखा नही था क्या ?

सन्जु : नहीं दीदी। मैं ठीक से देख नहीं पाया ।

रीता : अरे कई औरतो के नीचे तो पुरा जंगल उगा होता है। रीता ने हँसते हुए कहा।

रीता : सन्जु तुमने कभी लडकी की नीचे वाली जगह नहीं देखी क्या ।

सन्जु : नही दीदी।

रीता: किसी किताब में भी नहीं।

सन्जु : नहीं दीदी कहीं भी नहीं।

रीता: ठिक है। मैं तुम्हें एक किताब दूंगी जिस में लडको और लड़कियों को सब कुछ करते हुए पुरा दिखाया गया है और उसमे कहानियाँ भी बहुत अच्छी हैं। तुम पहले इस से शुरुआत करो फिर मैं तुझे विडिओ भी दिखा दूंगी आजकल तो मोबाइल पर सब कुछ दिख जाता है।

रीता ने सन्जु का हाथ फिर से दबाते हुए पूछा 'सन्जु तेरे नीचे के बाल तो उग आए है न । सन्जु ने शर्माते हुए कहा हाँ दीदी मेरे तो बहुत से बाल हैं।

रीता : सन्जु तेरा मोटा भी बहुत है। मैंने आज देखा था तेरी पैन्ट में फूल कर खड़ा हो रखा था।

सन्जु ने रीता का हाथ अपने हाथ में लेते हुए कहा "हा दीदी आज तुम्हें देख कर मेरा बार बार फूल रहा था। दीदी मेरा अभी भी फूल रखा है।"

रीता हँसते हुए। "ऐसा क्यु ?"

सन्जु : दीदी जब भी तुम मेरे पास होती हो तो मेरा खड़ा हो जाता है।
Bhout hi kamuk update. Mast kar diya. Sahi bhumika bandh rahe ho bhai. 👍👍
 

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सन्जु ने अपने हाथ से रीता के दूसरे मम्मे को हाथ से पकड़ कर दबाया ।

सन्जु : “दीदी तुम्हारे मम्मे” सन्जू शर्मा कर चुप हो गया।

रीता ने सन्जु का लण्ड पकड़ कर हिलाते हुए कहा "सन्जु बोल न मेरे मम्मे क्या? भैया राजा मुझसे शर्मा क्यु रहे हो ।"

"तुम मुझसे कैसी भी बात कर सकते हो चाहे कितनी भी गंदी हो।"

सन्जु ने संकोच छोड कर कहा। "दीदी तुम्हारे मम्मे मुझे बहुत अच्छे लग रहें हैं। जी चाहता है कि मम्मों को चुस लुं ।

रीता : सन्जु घर जा कर मैं तुम्हे अपने दोनो मम्में दे दूंगी आराम से दबाना और चुसना ।

"सच दीदी" सन्जु ने खुश होते हुए कहा ।

रीता ने सन्जु के लौड़े पर से लन्ड की खाल खींच कर नीचे कर दी और सन्जु के गीले सुपाडे को निकाल कर उसके लौड़े को कस कर पकड लिया ।

"मजा आया न सन्जु ।"

उफ़ हाय दीदी। बहुत टाईट लग रहा है। एसे ही दबा दो।

रीता ने अपनी उन्गली और अन्गुठे से गोल घेरा बना कर सन्जु के लौड़े को उसमे कस रखा था और बार बार वो जोर से लौड़े को कस लेती। सुपाड़े के छेद से गरम गरम लेसदार पानी की बुँदे निकल कर रीता के हाथ को गीला कर रही थी।

सन्जु को अपनी बहन की उन्गली के घेरे से बहुत मजा आ रहा था। वो बार बार रीता को अपना हाथ जोर जोर से चलाने को कहता जा रहा था।

सन्जु का एक हाथ अपनी बहन के मम्मो को जोर जोर से मसल रहा था। रीता की टांगो के बीच वाली जगह फूल कर कड़ी हो गई थी, चूत की फांके फरफरा रही थी। मोटे लण्ड को हाथ में पकड़ने की सनसनी उसके टांगो के बीच अंदर तक उतर चुकी थी। चूत रिसने लगी थी और पानी से एक दम गीली हो चुकी थी और रीता बार बार अपनी मासल जांघो को भीच भीच कर अपनी गरम चूत को दबा रही थी।

रीता को सन्जु से मम्मे दबवाने में बहुत मजा आ रहा था। सन्जु रीता के मम्मो की घुण्डी को अपने हाथों में ले कर जोर जोर से मसल रहा था। रीता के दोनो निप्पल एक दम से खड़े हो गए थे । रीता ने सन्जु को जोर से निप्पल मस्लने को कहा ओर फ़िर सन्जु को लौड़े को जोर जोर से हिलाने लगी। सन्जु को रीता के हाथ से इतना मजा आया की वो अपनी जांघो को उठा उठा कर अपना लण्ड अपनी बड़ी बहन के हाथ में देने लगा ।

सन्जु : हाय दीदी। मेरा निकल जायगा ।

रीता ने जब देखा की सन्जु का लण्ड पानी उगलने को तैयार है तो रीता ने सन्जु के लण्ड से अपना हाथ खींच लिया और सन्जु को रुकने को कहा।

सन्जु ने बडी मुशकिल से अपने आप को झड़ने से रोका। सन्जु ने रीता की चुच्ची को मसलते हुए कहा "दीदी। मुझे बहुत मजा आ रहा था तुमने हाथ क्यु हटा लिया।"

"सन्जु अभी इंटरवल होने वाला है। सारो कपडे गन्दे हो जाते। चल तु अपनी बन्दुक को फ़िर से अपनी पैण्ट में डाल ले बाद में फिर से मजा दूंगी।"

सन्जु ने अपने लण्ड को बडी मुशकिल से अपनी पैण्ट में डाला और फिर चुपचाप फ़िल्म देखने लगा । रीता की चूची अभी भी सन्जु के हाथ में थी पर वो अब उसे आराम से सहला रहा था। तभी रीता ने संजु का हाथ पकड़ा और अपनी दोनों जांघो के बीच ले जाकर रख दिया। सन्जु का पूरा बदन सिहर उठा। रीता उसके कान में फुसफुसाते हुए बोली "सन्जु मेरी निचे की सहेली को धीरे धीरे सहला मैंने अपना जाँघ फैला दिया है।" सन्जु मजे सिहरता हुआ धीरे से रीता जांघो के बीच हाथ ले जा उसकी फूली हुई चुत को मुठ्ठी में भर लेता है, हालाँकि उसे कुछ खास पता नहीं चलता है।

रीता : सन्जु, तूने किसी लड़की का निचे वाला नहीं देखा है न।

सन्जु : नहीं दीदी मैंने किसी का नहीं देखा तुम क्या अपना दिखा………।


रीता : सन्जु के हाथ को अपने जांघो के बीच कसते हुए "दिखाउंगी तुझे अपनी निचे की सहेली को घर चल कर। अभी जरा मेरी चुत को सहला। रीता के मुंह से चुत सुनकर सन्जु सिहर गया और उसकी जांघो के बीच चुत को कस कर दबोचता हुआ धीरे से कान में बोला "दीदी….पर पता नहीं चल रहा।" तभी इंटरवल हो गया।
Oh Oh kya mast updates diye bhai aapne. ❤❤❤
 

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रीता ने जल्दी से अपने बाहर निकले मम्मो को वापीस ब्रा में ठुस दिया और अपनी शाल को सम्हाल कर उठती हुए बोली। सन्जु मुझे बडी जोर से पेशाब आ रही है । तुमने बाहर आना है मेरे साथ।

सन्जु : हाँ दीदी मुझे भी जाना है।

सन्जु : पेशाब करने का बाद औरतो के बाथरूम के सामने खड़ा हो गया और दरवाजे से अन्दर बाहर जाती औरतो को देखने लगा ।

रीता को बाहर आते काफ़ी देर लगी। जब सन्जु ने रीता को बाहर आते देख तो मुसकरा दिया । रीता भी मुसकरा दी और फिर सन्जु के पास आ गई।

सन्जु ने रीता को देखते हीं कहा "दीदी तुमने कितनी देर लगा दी। क्या कर रही थी अन्दर।"

रीता हँसते हुए बोली "मूत रही थी और क्या कर सकती हूँ ।"

सन्जु ने रीता को धीरे से कहा "दीदी तुम यहाँ बैंगन तो नही ले आई न ।"

रीता ने सन्जू के सिर पर चपत लगाते हुए कहा "तु बहुत बोलने लग गया है।"

रीता ने सन्जु को पैप्सी ले कर दी ओर फ़िर दोनो आपस में एक ही ग्लास से पीने लगे। सन्जु रीता के बड़ो बड़ो मम्मो को बार बार घूर रहा था। रीता सन्जु से बांते कर रही थी ओर अपनी शाल नीचे कर के सन्जु को अपने फूले हुए मम्मे भी दिखा रही थी।

फिल्म शुरु हुए अभी कुछ ही देर हुई थी की रीता ने फिर से अपनी शाल खोल कर

सन्जु को देते हुए पूछा "सन्जू तुझे मैं कैसी लगती हूँ।"

"बहुत अच्छी दीदी" सन्जु ने अपनी बहन के मम्मे पर हाथ रखते हुए कहा। रीता ने सन्जु से फिर पूछा "अच्छा जी, तो ये बताओ तुझे मुझ में सबसे अच्छा क्या लगता है।"

सन्जू : सब कुछ।

रीताः नहीं कुछ वो बताओं जिस से तुम को सबसे जयादा मजा आता है।

सन्जु दीदी जब तुम स्कूल की स्कर्ट पहनकर आती हो तो तुम्हारी मोटी गोरी टांगे और बड़ी बडी गोल जांघे देखते ही मेरा झटके लेने लगता है।

रीता : हाय सन्जु तुझे मेरी जांघे इतनी सैक्सी लगती हैं क्या?

सन्तु : हाँ दीदी। मै तो कई बार नीचे झुक कर तुम्हारी जांघो के अन्दर देखने की कोशिश करता हूँ।

रीना: उफ़ तुम्हें एसे चोरी से देखने की क्या जरूरत है। मुझे कहते तो मैं अपनी स्कर्ट उपर उठा कर दिखा देती ।

रीता : सन्जू मैं कल लहंगा पहन लुंगी तुम अपने हाथ से उपर उठा कर देख लेना ।

सन्जु । सच दीदी।

"हाँ" सच" रीता ने सन्जु के कान के पास मुँह ले जा कर सन्जु का गाल चुम लिया । रीता के गरम गरम होंठो का चुम्बन मिलने से सन्जु को नशा सा हो गया और फ़िर उसने भी रीता के गाल को चुम लिया ।

सन्जु : दीदी तुम्हारी दोनो टांगो के बीच वाली जगह को छुना है। रीता हंस दी। अरे बुद्ध तुम तो बिल्कुल लडकी हो। नाम ले कर बताओ उसे क्या कहते हैं। सन्जु ने धीरे से कहा “चूत।“ रीता ने फ़िर से हँस कर कहा। "हा तो एसे कहो न कि दीदी तुम्हारी चुत चाहीए।"

सन्जु : हाय दीदी जब तुम ऐसे बोलती हो तो मेरा झटके लेने लगता है देखो कैसे खडा हो गया है।

रीता : देखो सन्जु मैं तुम्हरी बहन हूँ पर में एक जवान लडकी भी हूँ । तुम अगर मेरे साथ खुल कर बात करोगे तो हम दोनो को मजा आएगा रीता ने सन्जु की पैण्ट के अन्दर तने लण्ड को पक्ड कर चुट्की काट दी।

सन्जू का सारा शरीर डझन्झना गया । सन्जू ने रीता के मम्मे को हाथ में ले कर दबाते हुए कहा दीदी मुझे तुम्हारी चुत देखनी है। मैंने कभी नहीं देखी बस सुना है की बहुत गरम होती है।

रीता: ठिक है तुम्हें चूत मिल जाएगी पर किसी से कहना नहीं। सन्जु ने रीता की शाल के नीचे हाथ घुसा कर मम्मो को पकड़ लिया। रीता ने फ़िर से अपने उपर के बट्न खोल कर अपने मम्मो को ब्रा से बाहर कर दिया और सन्जू से दबवाने लगी ।

रीता : चल अब तु मेरी चुच्ची को जोर जोर से मसल ।
Bhai bhout hi behtareen kahani hai
 
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