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Adultery जुए की वासना

arshiya7172

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UPDATE 8

रवि (झिझकते हुए) : "और अंदर....''

उसकी आवाज़ बड़ी ही मुश्किल से निकली उसके मुँह से....नज़रें ज़मीन पर थी उसकी.

पायल : "अंदर...? मतलब ....''

पर अगले ही पल उसका मतलब समझ कर वो झेंप सी गयी...रवि उसके अंडरगारमेंट्स के बारे मे पूछ रहा था..

पायल ने अपने दिमाग़ पर ज़ोर दिया , उसने अभी ब्लेक कलर की ब्रा और पेंटी पहनी हुई थी ...पर कल....कल तो रवि के साथ खेलते हुए उसने अंदर कुछ भी नही पहना था..

अब ये बात वो रवि को कैसे बोलती..पर शायद ये वजह भी हो सकती है उसके हारने की..शायद कल वो बिना अंडरगारमेंट्स के थी, इसलिए जीत रही थी...

पायल : "तुम्हारे टोटके के हिसाब से क्या कल वाले कपड़े सेम तो सेम वही होने चाहिए...तभी मैं जीतूँगी क्या ??''

रवि ने हाँ में सिर हिला दिया.

पायल : "चलो...वो भी देख लेते हैं ....तुम यही बैठो...मैं अभी आई...''

और इतना कहकर वो भागकर उपर अपने कमरे मे चली गयी..

अब रवि उसे क्या बोलता, वो तो अच्छी तरह जानता था की कल पायल ने अंदर कुछ भी नहीं पहना हुआ था...उसके खड़े हुए निप्पल उसे अभी तक याद थे...आज तो उसने ब्रा पहनी हुई थी...उसकी बगल मे बैठकर वो ये तो अच्छी तरह से देख चुका था...पर उस वक़्त उसके मन मे ये बात नही आई थी..पर लास्ट गेम जो उसने जीती थी, उसके बाद उसके दिमाग़ मे वो बात कोंधी थी..पर उनके सामने ये कैसे बोलता, इसलिए आज के लिए अपने दोस्तों को भगा दिया था उसने...और उनके जाने के बाद बड़ी ही मुश्किल से उसने पायल को ये बोला...अपनी बड़ी बहन को उसके अंडरगारमेंट्स के लिए बोलना आज रवि के लिए बड़ा मुश्किल था...पर अपनी तसल्ली के लिए वो ये देख लेना चाहता था की जो वो सोच रहा है वो सही है तो शायद कल वाली गेम में वो जीत जाएँ.

तभी उपर से पायल वापिस नीचे आती हुई दिखाई दी रवि को...और उसकी नज़रें सीधा उसकी ब्रेस्ट वाली जगह पर जा चिपकी...और उसकी आशा के अनुरूप वहाँ ब्रा का नामोनिशान नही था ...उसकी गोल मटोल छातियाँ उस छोटी सी टी शर्ट मे अठखेलियाँ करती हुई उछल कूद मचा रही थी..

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और साथ ही साथ उसके खड़े हुए निप्पल उनकी सुंदरता मे चार चाँद लगा रहे थे..

पायल आकर रवि के सामने बैठ गयी,




और बोली : "चलो...अब एक बार फिर से पत्ते बाँटो ...मैं भी देखना चाहती हू की तुम्हारी बात मे कितनी सच्चाई है..''

रवि ने बड़ी ही मुश्किल से अपना ध्यान उसकी छातियों और खड़े हुए निप्पल्स से हटाया..और पत्ते बाँटने लगा...पत्ते बाँटने के बाद उसने पहले अपने पत्ते उठा कर देखे, उसके पास 5 का पेयर आया था..यानी चाल चलने लायक थे वो..और फिर उसने पायल के पत्ते पलट कर देखे...

पायल के पास बादशाह का पेयर आया था.

रवि की आँखो मे चमक आ गयी, वो बोला : "देखा....मैने कहा था ना...''

पायल : "ये भी शायद इत्तेफ़ाक से आ गये हो...एक बार और बाँटो..''

रवि : "अब तो मुझे पूरा विश्वास है, जितनी बार भी बँटवा लो ये पत्ते, हर बार तुम ही जीतोगी कल की तरह..''

उसने फिर से पत्ते बाँटे...और इस बार भी पायल ही जीती...उसके पास चिड़ी का कलर आया था..

रवि ने गड्डी पायल को दी और उसे पत्ते बाँटने के लिए कहा...पायल ने पत्ते बाँटे और इस बार भी वही जीती...रवि के पास सबसे बड़ा पत्ता इक्का था...और पायल के पास इकके का पेयर..

अगली 4 गेम्स भी पायल ही जीती...रवि ने जगह बदल कर भी देखि..गड्डी को अच्छी तरह से फेंटकर भी पत्ते बांटे ..हर तरह से बदलाव करके देख लिया, पर वो पायल से हर बार हार ही रहा था...उसने चार जगह पत्ते बांटकर भी देखे,पर उसमे भी सिर्फ पायल के पत्ते बड़े निकले और हर बार हारने के बाद उसके चेहरे पर एक अलग ही खुशी आ जाती..

अंत मे रवि बोला : "देखा लिया ना दीदी...मेरी बात बिल्कुल सही निकली...आज जब आप कपड़े बदल कर आई तो उसी वक़्त अगर ब्रा -पेंटी उतार कर आ जाती तो शायद आज हम बहुत पैसे जीत जाते...''

यानी उसका भाई ये अच्छी तरह से नोट कर रहा था की कल उसने अंदर कुछ नही पहना हुआ था..अपने भाई के मुँह से सीधा अपनी ब्रा पेंटी का शब्द सुनकर उसका चेहरा शर्म से लाल सुर्ख हो उठा...



और उसके चेहरे पर एक अलग ही तरह की मुस्कान आ गयी..पर वो कुछ बोली नही..

रवि समझ गया की शायद उसने कुछ ज़्यादा ही बोल दिया है

रवि : "सॉरी दीदी....वो मुझे शायद ऐसे नही बोलना चाहिए था..''

और इतना कहकर वो अपनी जगह से उठा और लगभग भागता हुआ सा उपर अपने कमरे की तरफ चल दिया.ऐसे भागकर जाने की एक वजह और भी थी , पायल से इस तरह बात करते हुए वो बुरी तरह से उत्तेजित हो चुका था और उसका लंड टेंट बना चुका था उसके पायजामे में.
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वो सीधा अपने कमरे में गया और अपने बेड पर बैठकर पायजामे को नीचे किया और . लंड हाथ मे पकड़ कर ज़ोर से मसलने लगा...

''ओह....... दीदी .................क्या करते हो आप................अहह ....... क्या चीज़ हो यार..............''

और उसकी बंद आँखो के सामने उसकी बहन की नंगी छातियाँ घूम रही थी..

और वो ज़ोर-2 से अपने लंड को मसलते हुए मूठ मारने लगा.
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पायल कुछ देर तक वहीं बैठी रही और फिर उपर की तरफ चल दी...उसने अपनी माँ को देखा तो वो गहरी नींद में सो रही थी...वो निश्चिंत हो गयी...उसने अपना मोबाइल उठाया...आज वो कुछ ज़्यादा ही उत्तेजित थी...और अपने वी चेट और ऍफ़ बी फ्रेंड्स के साथ कुछ ख़ास करने के मूड में थी...वो अपनी माँ की बगल मे लेटने ही वाली थी की उसे रवि के कमरे से कोई आवाज़ आई..

उसने देखा की उसके कमरे की लाइट जल रही है..और शायद दरवाजा भी खुला है..

उसने गोर से सुना तो वो आवाज़ फिर से आई....और इस बार की आवाज़ सुनकर वो समझ गयी की वो क्या है...और अगले ही पल उसके होंठों पर एक शरारत भरी मुस्कान आ गयी...और वो बिल्ली की तरह दबे पाँव से अपने भाई के कमरे की तरफ चल दी



एक अलग ही तरह का रोमांच महसूस कर रही थी काजल...उसके दिल की धड़कने उसे अपने कानों तक सुनाई दे रही थी..अंदर से तो वो पूरी नंगी पहले से ही थी..इसलिए उसके खड़े हुए निप्पल टी शर्ट से रगड़ खाकर उसमे ड्रिल करने लायक पैने हो चुके थे..

वो रवि के कमरे के बाहर जाकर खड़ी हो गयी...और उसने खुले हुए दरवाजे की झिर्री में से झाँककर अंदर देखा..

उसका भाई रवि नीचे से नंगा होकर लेटा था और अपनी आँखे बंद करके बड़ी ही तेज़ी से अपने लंड को रगड़ रहा था..
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ऐसा सेक्सी सीन तो उसने आज तक नही देखा था...और ना ही सोचा था..उसकी आँखे तो रवि के लंड के उपर जम कर रह गयी..वो आज सुबह भी उसके लंड को देख चुकी थी..जब वो सारिका की चुदाई करने जा रहा था..पर अभी वो सारिका को सोचकर मूठ मार रहा है या उसे सोचकर ये जानने की उत्सुकतता थी पायल के मन मे..

भले ही वो उसका सगा भाई था...पर अगर वो उसके बारे मे सोचकर मूठ मार रहा है तो उसे अंदर से अलग ही खुशी का एहसास होना था..शायद पायल को भी अपने भाई मे अब इंटरस्ट आने लगा था...भाई होने से पहले वो एक मर्द था...और वो भी लंड वाला..ऐसे लंड को देखकर ही पायल की टाँगो के बीच कुछ-2 हो रहा था..जब वो वहाँ जायेगा तो पता नही क्या होगा..

पायल ने अपनी जांघे भींच ली और अंदर देखने लगी...उसका एक हाथ उपर रेंगता हुआ आया और अपनी ब्रेस्ट को पकड़ कर धीरे-2 भींचने लगा.
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वो लगातार ये भी सोच रही थी की ऐसे कब तक चलता रहेगा...उसके और रवि के बीच के बीच जो शर्म का परदा था वो तो गिर ही चुका है...कुछ और परदे गिराने बाकी हैं,पर वो छोटा है इसलिए अपनी तरफ से पहल करने मे शायद शरमा रहा है...और उसने खुद भी अपनी तरफ से कुछ ज़्यादा नही किया..एक लड़की होने के नाते इतनी अकल तो थी उसको...और उपर से दोनो का रिश्ता भी तो ऐसा था की कुछ भी करने से पहले सब कुछ सोचना पड़ रहा था..पर यहाँ कौन है उन्हे देखने वाला..सारी दुनिया सो रही है...उनकी माँ भी दूसरे कमरे मे खर्राटे मार रही है..ऐसे मे अगर थोड़ी बहुत मस्ती कर भी ले तो क्या बिगड़ेगा..
और ये सब सोचते-2 उसने अचानक से ही दरवाजे को एक ही झटके मे खोल दिया..

और दरवाजा खुलने की आवाज़ से रवि ने अपनी आँखे एकदम से खोली और पायल को सामने खड़ा पाकर एकदम से उसने पास ही पड़ा तकिया उठाकर अपने लंड के ऊपर लगा लिया..

रवि : "दी ...दीदी ...आप .....ये दरवाजा ......शिट .....मैं समझा मैने बंद कर दिया ...



वो नज़रें भी नही मिला पा रहा था पायल से..पर पायल तो जैसे सोच ही चुकी थी की अब ये बेकार की ड्रामेबाजी को बीच मे से निकाल देना चाहिए.

वो आगे आई और सीधा आकर रवि के साथ ही पलंग पर एक टाँग रखकर बैठ गयी..


पायल : "अरे कोई बात नही...ये तो सब करते हैं...मैं भी करती हू अपने कमरे मे...जब माँ सो जाती है...वो तो अभी जाग रही थी..इसलिए मैने सोचा कुछ देर इंतजार कर लेती हू...और फिर तुम्हारा दरवाजा खुला हुआ देखा तो यहाँ चली आई...पर तुम तो यहाँ पहले से ही.. ..''

और वो शरारत भरी हँसी हँसने लगी..
और उसके व्यवहार से साफ़ पता चल रहा हा की रवि को ऐसी अवस्था मे देखने के बाद उसे कोई फ़र्क ही नही पड़ता...वो बिल्कुल नॉर्मल सा बिहेव कर रही थी.

एक टाँग मोड़कर बैठने की वजह से उसका घुटना रवि की नंगी जाँघ से टच कर रहा था..पायल का तो पता नही पर रवि के जिस्म मे जैसे कोई करंट प्रवाह कर रहा था.

उसे तो पहले लगा की एक ही दिन मे लगातार दूसरी बार अपनी बहन के हाथो ऐसे पकड़े जाने के बाद वो पता नही उससे कभी नज़रें भी मिला पाएगा या नही...पर पायल का दोस्ताना व्यवहार देखकर उसमे भी थोड़ी बहुत हिम्मत आ गयी.

रवि : "आई एम सॉरी दीदी...मुझे ये सब ...ऐसे नही करना चाहिए था...आज सुबह भी आपके सामने...''

पायल : "अरे मुझे बिल्कुल भी बुरा नही लगा तेरी इन बातों का...तेरी उम्र ही ऐसी है...हो जाता है ये सब...और सुबह वाली और अब वाली बात पर तो मुझे सॉरी बोलना चाहिए तुझे...दोनो बार ही मेरी वजह से तू बीच मे लटका रह गया..''

और ये कहकर वो अपने मुँह पर हाथ रखकर हँसने लगी..



रवि भी उसे शरारत मे हंसते देखकर बोला : "हाँ , ये बात तो सही कही आपने...अब आप क्या जानो, हम लड़कों की ये कितनी बड़ी प्राब्लम है...जब तक अंदर से वो निकलता नही ,बड़ी टेंशन् सी फील होती है..''

पायल : "क्या नही निकलता ??"

रवि एकदम से झेंप सा गया...उसने बोल तो दिया था,पर पायल के सवाल का जवाब देने मे उसका चेहरा लाल हो उठा.
पायल ये देखकर फिर से हँसने लगी, और बोली : "तू तो एकदम लड़कियो की तरह से शरमाता है...सीधा बोल ना, माल जब तक अंदर से बाहर नही निकलता, परेशानी होती है.
अपनी बहन को ऐसे बेशार्मों की तरहा बोलता देखकर रवि का मुँह खुला रह गया

पायल : "ऐसे क्या देख रहा है तू...तुझे क्या लगा, मुझे ये सब नही पता...लगता है तुझे सोनिया


ने कुछ भी नही बताया...की हम दोनो के बीच कैसी-2 बातें होती थी पहले..''
रवि : "नही...उसके साथ ऐसी बातें करने का टाइम ही नही मिला कभी...
पायल (आँखे घुमाते हुए) : "हाँ , उसके साथ तो तुझे बस एक ही काम करने का टाइम मिलता होगा...और उसमे भी मैं बीच मे टपक पड़ती हू .. ही ही''

रवि भी हंस दिया..

पायल : "अच्छा एक बात तो बता...अभी भी तू उसके बारे मे सोचकर ही ये कर रहा था ना..''

अब मज़ा लेने की बारी रवि की थी.

रवि : "मैं ...मैं क्या कर रहा था अभी ?''

पायल : "अच्छा ...अब मुझसे छुपाने का क्या फायदा ...अभी मेरे आने से पहले तू वो कर रहा था ना...''

रवि : "नही दीदी...मैं तो बस कपड़े चेंज कर रहा था..मैने पायज़ामा नीचे उतारा ही था की आप आ गयी...''

पायल : "झूठ मत बोल...मैं सब देख रही थी दरवाजे के पीछे से...तू अपना वो रगड़ रहा था...माल निकालने के लिए...बोल ...''

रवि : "क्या रगड़ रहा था दीदी...खुल कर बोलो ना...''

अब पायल भी समझ चुकी थी की उनके बीच का एक और परदा गिर चुका है...अब खुलकर वो सब बोल सकते हैं..

पायल : "अपना लंड रगड़ रहा था तू...यही सुनना चाहता था ना ...बोल, रगड़ रहा था या नही...''

अपनी सेक्सी बहन के मुँह से लंड शब्द सुनकर तकिया थोड़ा सा और उपर हो गया...उसके लंड ने अंदर ही अंदर झटके मारने शुरू कर दिए थे.
रवि कुछ नही बोला...बस मुस्कुराता रहा...

उसकी नज़रें फिर से उसकी टी शर्ट मे उभरे निप्पल्स को घूरने लगी.....



रवि की जलती हुई आँखे उसके जिस्म मे जहाँ-2 पड़ रही थी, उसे ऐसे लग रहा था की वो हिस्सा जल रहा है..उसकी छातियाँ...उसकी नाभि...उसके होंठ...उसके कान...आँखे..और चूत भी बुरी तरह से सुलग रही थी उसकी.

पायल : "बोल ना....उसके बारे मे ही सोच रहा था ना तू...''

वो पूछ तो अपनी सहेली के बारे मे रही थी...पर रवि के मुँह से अपना नाम सुनना चाहती थी.

रवि : "नही...उसके बारे मे सोचकर नही...किसी और के बारे मे सोचकर..''

इतना सुनते ही पायल का मन हुआ की रवि से लिपट जाए...उसके होंठों को चूस ले...और एकदम से नंगी होकर उसके लंड पर सवार हो जाए.




उसके दिल ने फिर से धाड़-2 धड़कना शुरू कर दिया.

पायल : "तो फिर किस …… किसके...बारे मे....सोचकर....ये ...कर रहा था..''

उसके होंठ काँप से रहे थे...उसके कान लाल हो उठे...जैसे अपना नाम सुनने की तैयारी कर रहे हो..

रवि भी अब गेम में आ चुका था...वो भी पायल को तड़पाना चाहता था, जैसे वो अभी उसको तडपा रही थी..

रवि : " है कोई...उससे भी सुंदर...उससे भी हसीन...उसकी आँखे तो कमाल की हैं...और उसके बूब्स...वो तो जैसे नाप तोलकर बनाए हुए हैं...और उसके निप्पल्स,वो तो कहर भरपा दे,उन्हे चूसने भर से ही शायद सारी प्यास बुझ जाए मेरी..''

रवि का हर शब्द पायल की चूत से रिस रहे पानी को और तेज़ी से बाहर धकेल रहा था...जो शायद रवि के बिस्तर पर आज की रात धब्बे के रूप मे रहने वाला था.

पायल : "नाम तो बता मुझे....ऐसे नही समझ आ रहा ....''
उसकी आँखों मे लाल डोरे तैरने लगे थे..हल्का पानी भी आने लगा था उनमे...

रवि : "उसका नाम तुम मेरे दोस्त से पूछ लो...''

और रवि ने ग़जब की हिम्मत दिखाते हुए अपना तकिया नीचे गिरा दिया...और अपना लंड अपनी सग़ी बहन पायल की आँखो के सामने लहरा दिया

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पायल की आँखे फैल गयी उसके लंड को इतने करीब से देखकर.... पास से देखने से वो और भी बड़ा लग रहा था
(6 inches )...उसके सिरे पर प्रिकम की बूँद उभर कर चिपकी पड़ी थी...

पायल तो सम्मोहित सी होकर उसे देखे जा रही थी...जैसे आँखो ही आँखो मे उसे निगल रही हो..




रवि ने अपने लंड को हिलाते हुए उपर नीचे किया और उसे पायल की तरफ करते हुए बोला : "लो दीदी...पूछ लो मेरे दोस्त से...मैं किसके बारे मे सोचकर इसे रगड़ रहा था...''
पायल का दाँया हाथ कांपता हुआ सा आगे की तरफ बड़ा...उसके मुँह से साँसे तेज़ी से बाहर निकलने लगी...छातियाँ उपर नीचे होने लगी...और उसने अपने ठंडे हाथों से रवि के गरमा गर्म लंड को पकड़ लिया..



और जैसे ही पायल के ठंडे और नर्म हाथ उसके लंड से टकराए, उसने ज़ोर से सिसकारी मारते हुए कहा : "ओह.......पायल ............''

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रवि के दोस्त ने तो नही,पर उसने वो नाम खुद ही बता दिया अपनी बहन को ...

और अपना नाम सुनते ही पायल का पूरा बदन झनझना उठा...और उसने अपने प्यासे होंठ तेज़ी से अपने भाई की तरफ बड़ा दिए..

तभी बाहर से उनकी माँ की आवाज़ आई : "पायल ......केशव....कहाँ हो तुम दोनो....''


पायल का तो चेहरा ही पीला पड़ गया अपनी माँ की आवाज़ सुनकर...उनके रूम का तो दरवाजा भी खुला हुआ था..पायल ने भी आते हुए रवि के रूम का दरवाजा बंद नही किया था..अभी तो उनकी तबीयत खराब है , इसलिए वो बेड से उठ नही सकती...वरना अगर वो ऐसे वक़्त पर उस कमरे मे आ जाती तो उन दोनो को रंगे हाथों पकड़ लेती..

पायल ने एक ही झटके मे रवि के लंड को छोड़ दिया और भागती हुई सी अपने कमरे की तरफ गयी

''आईईईई माँ ...''

और वहाँ पहुँचकर देखा तो वो बेड से उठने की कोशिश कर रही है..

पायल : "रूको माँ ...अभी उठो मत...बोलो क्या चाहिए..''

माँ : "तू इतनी रात को कहाँ थी...मैं कितनी देर से तुझे आवाज़ें लगा रही थी..''

पायल : "वो ....रवि अभी-2 आया था...उसके लिए खाना गर्म कर रही थी..''

उसने बड़ी ही सफाई से झूठ बोलकर खुद को और रवि को बचा लिया..

कुछ ही देर मे उसकी माँ के खर्राटे गूंजने लगे कमरे में..पर उसके बाद पायल की हिम्मत नही हुई की वापिस रवि के कमरे मे जाए..बस अपनी चूत को मसल कर वो वहीं सो गयी..

रवि ने भी अपने लंड को रगड़ -2 कर अपने माल से दीवार पर पायल लिख दिया..
 
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बड़ी मस्त कहानी चल रही है । ताश के खेल से शुरू होकर सेक्स के खेल तक पहुंच चुकी है
 
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