लौंडा बदनाम हुआ...गाना.... पहली बार वहीँ देखा था...कब्बो चित्त कब्बो पट्ट, सैयां मारे सटासट,
कब्बो चित कबो पट्ट, कब्बो चित कब्बो पट्ट,
और जिस तरह से वो कमर से धक्के मार रही थी, कभी अपने चूतड़ सबकी ओर पीठ कर दिखा रही थी, साफ़ लग रहा था कभी चित्त कभी पट्ट क्या हो रहा है, जबरदस्त चक्कर मार के कमल जीजू को दिखाते हुए गाने की पहली लाइन के साथ ही उसने अपने जोबन उचका दिए
मिलल सजनवा गजब खलीफा, मिलल सजनवा गजब खलीफा, कब्बो चित्त कबो पट्ट
अरे साफ़ साफ़ बोल न गुड्डी बाई, मेरे साजन की गोद में बैठी मेरी कमीनी बहन बोली,
गांड़ मारे सटासट, तेरे एक नहीं यहाँ तीन तीन साजन हैं और म्यूजिक से यही लग रहा था
गांड़ मारे सटासट सटासट,
अजय गुड्डी के ही मोबाइल से वीडियों रिकार्ड कर रहे थे जिसकी रील, शार्ट और न जाने क्या क्या बना के मेरी बहन कहाँ कहाँ पोस्ट करती
बस अजय के सामने आके पहले झुक के गुड्डी ने अपना क्लीवेज दिखाया और एक झटके में चोली उठा के दोनों जोबना के भी दर्दन करा दिए
सारे मर्दों की हालत खराब, गाना जारी था और नाच भी,
कब्बो चित्त कब्बो पट्ट सैयां मारे सटासट, कब्बो चित्त कब्बो पट्ट सैयां मारे सटासट,
आधी आधी रतिया उठे दरदिया, देहिया करे चटाचट, आधी आधी रतिया उठे दरदिया, देहिया करे चटाचट,
कब्बो चित्त कब्बो पट्ट सैयां मारे सटासट, कब्बो चित्त कब्बो पट्ट सैयां मारे सटासट,
मैं कमल जीजू की गोद में, और उनके दोनों हाथ और कहाँ, जीजू के हाथ कहाँ होंगे साली के जोबन पर, गुड्डी डांस करते हुए हम दोनों के पास आयी और अबकी एक बार फिर उसने चोली सरका के अपने उभार कमल जीजू को ललचाते हुए दिखाए बल्कि अपने हाथों से गुड्डी अपने जुबना मसल रगड़ रही थी,
गाना बज रहा था,
कभी चित्त कभी पट्ट सैंया मारे सटासट,
सट्ट, सट्ट, सट्ट, सट्ट, सट्ट, सट्ट
झुकत झुकत मोर पीठ दुखायी, निहुरे निहुरे मोर पीठ दुखायी,
ऊपर चढ़े तो दबे मोरा पेट हो, ओह दबे मोरा पेट हो,
रात भर जगावे, अरे हमका सतावे, का बतायीं का करे अरे दियवा बुता के
और गुड्डी बाई अपने उभार दिखा के दबा के कमल जीजू को उकसा रही थीं, और मेरे जोबन की ऐसी की तैसी हो रही थी, कमल जीजू पूरी ताकत से मेरे दोनों उभार रगड़ मसल रहे थे, और उससे ज्यादा खराब हालत थी पिछवाड़े की,
कमल जीजू ने एक मिनट के लिए अपनी गोदी में से मुझे उचकाया, और जैसे मैं उचकी मेरे दोनों भारी भारी बड़े बड़े चूतड़ कस के फैला के , मेरे पिछवाड़े की दरार पूरी तरह खुल गयी थी, फ़ैल गयी थी, और जब मैं बैठी तो उनका मोटा काल नाग उस दरार में एकदम से सेट जो गया ,
लेकिन मैं कौन कम थी, गाने में जब गुड्डी म्यूजिक पे अपनी कमर एकदम चुदाई वाले एक्शन की तरह आगे पीछे करती, जैसे मरद के धक्के का जवाब धक्के से दे रही हो मैं भी अपनी कमर आगे पीछे, आगे पीछे और मेरी पीछे की नीचे की दरार में कमल जीजू का बम्बू रगड़ घिसकरता और फूल रहा था।
मुझे मालूम था की मेरी शरारत का खामियाजा मुझे ही भुगतना पडेगा, उस पिछवाड़े की दरार को जिसके बीच में फंसे मोटे मूसल को मैं रगड़ रही थी, उसी गाने की म्यूजिक पे,
मरद के सामने जीजा की जांघ पर बैठने का मजा ही कुछ और है, ये मजा कुँवारी साली नहीं उठा सकती।
" स्साली चूँची खोल, पूरी "
ये मेरी बहन की आवाज थी , गुड्डी की नयी नयी दोस्ती जिससे हुयी मीठी भाभी की, और गुड्डी ने चोली उतार के उछाल दिया और अब तो और आग लग गयी,
कभी वो अपने निपलपुल करती, कभी बस हलके हलके सहलाती तो कभी एकदम मरद की तरह रगड़ती और कमल जीजू एकदम उसी तरह कभी मेरे निपल खींचते कभी पूरी ताकत से चूँची मसल देते,
और मुझे कोहबर याद आरहा था कमल जीजू की शादी का, हम सब बहने , हमारी भाभियाँ कोहबर छेंके खड़े थे, और नेग वेग के बाद जब कमल जीजू कोहबर के अंदर घुस रहे थे, अपनी सालियों को दरेरते, रगड़ते, एक हाथ से मेरे टाइट कुर्ते को फाड़ते एक उभार को पकड़ लिया , मेरे जोबन हैं भी जबरदंग, मेरी दोनों बहनों से ज्यादा गद्दर, और कुर्ता भी मैंने खूब टाइट पहन रखा था
एक तो होता है बस छू लिया, सहला दिया, वो तो शादी ब्याह में चलता है, लेकिन उन्होंने पूरी ताकत से, साली सहलज के उस झुरमुट में कौन देख रहा था उनकी बदमाशी, लेकिन मैं भी कम नहीं थी, मैंने उनकी पेंट के ऊपर से ' उसे ' हलके से पकड़ लिया। बस इतना काफी था, कमल जीजू ने मेरे शैतान उभार को जो उन्हें ललचा उकसा रहा था, कस के दबाना मसलना शुरू कर दिया पचासो लड़कियां औरते रही होंगी, लेकिन कमल जीजू तो कमल जीजू,
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सैंया मारे सटासट सैंया मारे सटासट
और अब गुड्डी अपने बचपन के यार को उकसा रही थी,