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जोरू का गुलाम भाग २४५ , गीता और गाजर वाला, पृष्ठ १५२४
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मान गए कोमलजी. क्या स्क्रिप्ट है. गाजर वाला भी जासूस ही है. जो कभी गार्डन मे तो कभी सब्जियाँ बेचते दिखाई देता है. और वो भी आधी कीमत पर गाजर बेच रहा है. आनंद बाबू ने कोमलिया को समझाया तो कोमलिया भी तेज़ हो गई. वो तुरंत समझ गई.गुड्डी, गीता और गाजर वाला,
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और गीता और गुड्डी गाजर वाले के ठेले पर।
गुड्डी अकेले ही काफी थी उस गाज़र के ठेले वाली की पैंट ढीली करवाने के लिए पर साथ में गीता भी, सहेली भी, गुड्डी की गुरु भी, ननद भाभी का रिश्ता भी,... दोनों टीनेजर,
" आइये बहनजी, एकदम ताज़े गाजर हैं, रस से भरे, साइज देखिये " ठेले वाला बोला।
" भैया, साइज तो मैं पकड़ के देखूंगी, अगर आपको बुरा न लगे, लम्बाई भी मोटाई भी" डबल मीनिंग डायलॉग में तो गुड्डी अब बड़ो बड़ों के कान काटती थी
" अरे बहन जी आप पकड़ के देखिये, दबा के देखिये, आपके लिए ही हैं, जैसी मर्जी बहन जी"
ठेले वाले की निगाह कभी गुड्डी के टॉप फाड़ते निप्स पर जाती तो कभी गीता के एकदम ही लो कट चोली से झांकते गोरे गोरे निप्स पर, गीता खेली खायी, उसे ठेले वाले को छेड़ती बोली, ...
" इनको बहन जी सम्हल के बोलियेगा, "
अब वो एक मिनट के लिए घबड़ाया, उसे लगा कुछ डबल मीनिंग ज्यादा हो गया,
" क्यों " उसने पूछा।
" इस लिए की जिस जिस को ये भैया बोलती हैं, उसको सैंया बनाये बिना छोड़ती नहीं है, तो आपकी गाज़र गयी समझिये "
हँसते खिलखिलाते गीता बोली, और गुड्डी के गाल में कस के चिकोटी काट ली.
" भैया, ये हमारी भौजी हैं, इसलिए आप इनसे रिश्ता खुद तय कर लीजिये" गुड्डी क्यों गीता को छोड़ती, और दाम कितना लगाइएगा, आपकी गाजर तो मुझे पसंद है। " गुड्डी बोली
" वैसे तो बाजार में ५० है लेकिन आप के लिए दस रुपये छूट। " वो बोला।
" क्या भैया, मुझे तो लगा आपने बहन बोला है तो बहन से कोई पैसा लेता है लेकिन चलिए बोहनी का टाइम है तो हमारे पास तो पच्चीस ही हैं " गुड्डी मुंह बना के थोड़ा और झुक के बोली,
और क्या अपनी बहन के पास देने के लिए बहुत चीजे हैं, पैसे तो हर कोई दे देता हैं तो बस मांग लीजिये, और आपकी बहन और मेरी ननद किसी को मना नहीं करतीं, बहुत सीधी हैं " ,ऐसा मौका गीता क्यों छोड़ती, बिना गुड्डी को रगड़े।
क्लीवेज देख के ठेले वाला भी, और उसने २५ रुपये लगा दिया, लेकिन गुड्डी इतने आसानी से नहीं छोड़ने वाली थी बोली, " भैया टेस्ट करने के लिए तो दो दे दीजिये, अपने हाथ से जो आपको पंसद हो, सबसे लम्बी हो बस,... "
दूकान वाले ने सच में चुन के एक खूब लम्बी मोटी निकाली और बोला, लीजिये बहन जी ये मेरी ओर से खा के देखिये, कितना रस है,
' अरे बहन जी के भैया जी, ... ये मेरी ननद, इनके भैया आज कल नहीं है न , इसलिए ऊपर वाले मुंह में नहीं नीचे वाले मुंह के लिए मांग रही हैं " गीता छेड़ते हुए बोली।
" भैया दो मेरी भौजी को भी दे दीजिये वरना वो नजर लगा देंगी " गुड्डी हंस के बोली।
तो आधे रेट पर और उसके अलावा चार बड़ी मोटी गाजर लेकर दोनों दुष्ट आ गयीं हंसती खिलखिलाती,
लेकिन शक मुझे तभी हो गया.
कौन दुकानदार आधे रेट पर दाम लगाता है और फिर गीता, वो बोली, उसकी आवाज से लग रहा था कहीं बाहर का है. फिर थोड़ी देर बाद एक और आदमी भी आके उसी ठेले पर खड़ा हो गया।
एक ठेले से एक आदमी का खरचा नहीं निकलता दो दो लोग,...
फिर कौन सब्जी वाला सिर्फ गाजर का ठेला लगाता है वो भी ऐसी जगह पे, बड़ी मंडी में ठीक है जहाँ थोक वाले आ रहे हैं, दूकान वाले खरीद रहे हैं , लेकिन टाउनशिप के एक कोने पे, सिर्फ गाजर का ठेला, मुझे लग रहा था की कुछ तो गड़बबड़ है।
मतलब की जब अटैक हुआ तो हर तरीके से हुआ. सुजाता कोमल के जरिये ही घर मे घुसी. बग्स सायद फेलाए. और तो और कोमल का फोन भी हैक किया. गुड्डू को साउथ इंडियन फूड के लालच लगी. एक उस जरिये से. अब देखते है कोमल क्या खुरापात मचाती है.कीड़े -घर के अंदर
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दूसरी बात मुझे और साफ़ हो गयी कीड़े कैसे घर के अंदर घुसे।
जिस दिन वो गुड्डी और गाजर वाली बात हुयी थी,उसी दिन या शायद अगले दिन,में और सुजाता बैठे गप्पे मार रहे थे, गुड्डी कोचिंग में थी।
हम दोनों मिसेज मोइत्रा के चीरहरण और उनकी दोनों बेटियों के साथ साथ शील हरण का प्रोग्राम बना रहे थे, तभी घण्टी बजी और तीन जमूरे जिस कम्पनी की वाशिंग मशीन, ओवन हम लोगो के पास थी,उसी के नाम की टी शर्ट पहने, बेसबाल कैप लगाए सामने खड़े थे और चालू हो गए,
" हमारी कम्पनी पेस्ट कंट्रोल में भी मूव कर रही है तो आप हमारे पुराने कस्टमर है इसलिए आपके यहाँ हम फर्स्ट राउंड फ्री में करेंगे, ६ महीने की गारंटी, साथ में आके सारे एक्विपमनेट्स की क्लिनिंनग और सर्विसिंग भी। "
सुजाता ने मुझसे कान में बोला की इसकी कम्पनी में फोन कर के चेक कर लो, और वहां से भी वही ऑफर और उन्होंने सेफ्टी चेक बताया की उनकी कम्पनी के नाम की टी शर्ट और उनके नेम टैग्स चेक कर लूँ। एकदम मैच कर रहे थे
तबतक दूसरे ने चार तरह के काकरोचों के बारे में ज्ञान देना शुरू कर दिया और घर एक घंटे के लिए उन्हें सौंप कर के मैं और सुजाता बाहर लान में,...
घण्टे भर बाद जब हम दोनों अंदर गए तो हर चीज एकदम चमक रही थी और किचेन में सैकड़ों छोटे छोटे काकरोच, वीरगति को प्राप्त पड़े थे।
उन लोगो ने बोला की चार घंटे बाद मैं किचेन इस्तेमाल कर सकती हूँ और तीन हफते बाद आ कर रिपीट करेंगे। ६ महीने की गारंटी, और मैंने जिस नंबर पर बात की थी वहीँ बता करके सर्विस रेट कर दूँ और एक ऐप डाउनलोड कर लूँ जिससे ६ महीने में कोई काम होगा, बस सर्विस रिक्वेसट डालनी होगी।
सब फ्री।
अब मुझे लगता है की उन्होंने काल डाइवरसन से उस कम्पनी की काल को अपने किसी आदमी के पास डाइवर्ट किया होगा, घर में सारे बग फिट किये होंगे और ऐप और दो बार उस कम्पनी से बात करने के चक्कर में मेरा फोन हैक कर लिया होगा।
हाँ एक बात और,
गाजर वाली बात के दूसरे दिन, गुड्डी की कोचिंग दोपहर को ही ख़तम हो गयी थी, और आते ही वो मार डोसा इडली करने लगी। दस पांच गाली सुनने के बाद बोली, की यहीं पास में एक फ़ूड ट्रक लगी है, चार दिन के लिए कोई साउथ इंडियन फ़ूड फेस्टिवल चला रही है बहुत कम रेट पे।
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गुड्डी की जिद, ये थे भी नहीं।
थोड़ी देर में हम दोनों ननद भौजाई उस फ़ूड ट्रक पे, डोसा तो ठीक ठाक था , लें इडली साम्भर गज़ब का टेस्टी थी। सबसे अच्छी बात ये थी की इनके बचपन के माल की सूरत उन्हें भा गयी थी, उस का फोन नंबर उन्होंने माँगा और गुड्डी ने झट्ट दे दिया। फिर एड्रेस, और बोला की वो लोग होम डिलीवरी भी कर सकते हैं। हमारा घर एक किलोमीटर के अंदर था , मुश्किल से ५०० -६०० मीटर,बल्कि उससे भी कम। गुड्डी ने अपने फोन से लोकेष्ण दिया और उन्होंने जोड़ के बता दिया, सिर्फ ४८३ मीटर। और पहली होम डिलवरी फ्री।
और वो फ़ूड ट्रक भी उन्ही का पार्ट होगा जो हमारा हाल चाल जान रहे थे पल पल की।
गाजर वाले ठेले से वो फ़ूड ट्रक दिखती थी जब की हमारे घर से नहीं दिखती थी।
मैंने भी बहुत जासूसी किताबें पढ़ी थी, सीरियल देखे थे। अब थोड़ा थोड़ा मैं भी समझ रही थी , गाजर के ठेले वाला फिजकल सर्वेलन्स कर रहा था और क्या पता बग्स की फीड उसके पास भी। और फ़ूड ट्रक वाले को जो उसके विजुअल लाइन में था उसे मेसेज कर रहा होगा।
फ़ूड ट्रक में कम्युनिकेशन इक्विपमनेट्स होंगे, एक छोटा मोटा कमांड कंट्रोल सिस्टम, और बग्स को वो वहीँ से रिकार्ड कर रहे होंगे और उन्हें अपने मालिक के पास कम्ययूनिकेट कर रहे होंगे।
ये सब बातें मैं इनको बताना चाहती थी लेकिन कैसे, किस जगह।
हर जगह तो दीवारों में बिजली की स्विच में कान उग आये थे। मैंने कहीं पढ़ा था की शावर बेस्ट जगहहोती है , शावर की आवाज में अपनी आवाज दब जाती है. और बाथरूम में कोई बग भी नहीं लगाता।
मान गए. बग्स से बचने के लिए बाथरूम का क्या जबरदस्त इरोटिक सीन क्रिएट किया है. और उनकी सली के नाम से क्या मस्त अलर्ट किया. वो भी समझ गए. सबसे ज्यादा मस्त बहार वही ठेले वाले का सीन लिखा. कोमलिया मौका ढूढ़ रही थी. उन्हें बताने के लिए. लेकिन वो भी तेज़ है. वो खुद समझ गए की माजरा क्या है. अपनी महतारी की गाली पर भी मस्त मुश्कुराए.शावर
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तो मैंने इन्हे हड़काया, " यार पार्क में मजा तो बहुत आया लेकिन मिट्टी लग गयी है बहुत, चल पहले शावर कर ले।
मैं इन्हे खींच के शावर में ले गयी और कीड़ा पकड़क यंत्र ने वहां भी दो बग ढूंढ लिए। एक तो फ्लश की हैंडल पे थी, दूसरा शावर के पास, आडियो वीडियो दोनों,
अब वहां बात तो कर नहीं सकते थे , फिर जो करना था वो किया,... मस्ती। देखना हो तो देखें आँख फाड़ के।
और अब जब हम दोनों को पता था की कीड़े कहाँ हैं उनकी आँखे कहा है, तो बस मैं और आग लगा रही थी,...
और सच्ची बात थी आग तो लगी ही थी, तीन दिन कोई अपनी वाली को छोड़ के जाता है,...
शावर में हम दोनों एक दूसरे की देह से देह रगड़ रहे थे, कस के चिपकाए हुए, मैं पागलों की तरह उन्हें चूम रही थी. जिस तरह का सर्वेलंस उनके न रहने पर भी शुरू होगया तो उनके पीछे कितने पड़े रहे होंगे , क्या क्या खतरे उठाये होंगे मेरे बाबू ने, और बस मैं अपने ३४ सी उनके सीने पर बार बार रगड़ रही थी,.. नतीजा वही हुआ जो होना था
बाबू का बाबू खड़ा हो गया, ...
' वो ' खड़ा हो गया और मैं बैठ गयी,... शावर का कैमरा ठीक ऊपर कीड़े के पेट में लगा, ... देख ले जिसे देखना हो, गाजर की दूकान वाला, फ़ूड ट्रक वाला, सात समुन्दर पार वाला,...
और बैठ कर मैंने मुंह खोल दिया, चाहती तो थी उन से मुंह भर बतियाना, लेकिन इतनी आँखे और कान इस बाथरूम में भी थे और जब मुंह से बोल नहीं सकती थी अपने साजन से तो वही किया जो खुले मुंह से कर सकती थी,
मुंह में ले लिया, और आज उन्हें तड़पाया नहीं, न जीभ से पेशाब के छेद पर सुरसुरी की बस सीधे गप्प से वो फूला सुपाड़ा मेरे मुंह में, और हलके हलके चुभलाने लगी, पार्क में नीचे वाले मुंह की भूख उनके आने के बाद कुछ तो शांत हुयी थी पर बेचारा ऊपर वाला मुंह इन्तजार ही कर रहा था, और अब उसे मौका मिला।
गड़प
सुपाड़ा उनका इतना मोटा, उसी से मुंह भर गया,... कभी जीभ से नीचे चाटती तो कभी होंठों को गोल कर के मस्त चूसती, कोई डर नहीं था उसके पानी छोड़ने का इतनी जल्दी, ... लेकिन अब उनसे भी नहीं रहा गया, उन्होंने कस के मेरा सर पकड़ा और पूरी ताकत से खूंटा अंदर पेल दिया, .... आधे से ज्यादा मेरे मुंह में था, मैं प्यार से चूस रही थी कभी हलके कभी जोर लगा के,
लेकिन बदमाशी पर मेरी सास के बेटे का ही हक थोड़े था मैं भी तो अपनी सास की छोटी बहू थी, कुछ गुन उनका मेरे अंदर भी,... मेरी उँगलियाँ तो खाली थीं। तो बस कभी वो उनके दोनों रसगुल्लों पर, तो कभी पिछवाड़े के छेद पर,
लेकिन थोड़ी देर में ही मैंने भी अपने दोनों हाथों से उनके दोनों चूतड़ पकड़ लिए और कस के उन्हें पकड़ के अपनी ओर खींचने लगी, छेद चाहे जो भी हो मुझे तो पूरा चाहिए था अपने बालम का,... बस दोनों ओर से धक्कम धुक्का, सुपाड़ा मेरे हलक में रगड़ रहा था लेकिन चोक वाली फीलिंग तो मेरी बहुत पहले खतम हो चुकी थी अब तो सिर्फ मजा मिलता था,
पर अब मेरी चुनमुनिया पानी बहा रही थी, और अपने मन की बात वो मुझसे पहले इनसे कहती थी, और थोड़ी देर में हम दोनों लता की तरह गुथे हुए शावर के नीचे,
बड़ी ताकत थी इस लड़के में, मेरी एक टांग उठा के अपनी कमर में जैसे इस लड़के ने बांध लिया, और क्या धक्का मारा। अब हम दोनों कीड़े और कैमरे को भूल चुके थे, बस रगड़ा रगड़ी, अंदर बाहर, मस्ती। मैंने इन्हे कस के पकड़ रखा था, धक्के मारने का काम इनका, धक्के खाने का काम मेरा, लेकिन थोड़ी देर में मैं भी जवाब दे रहे थी होने साजन को चूतड़ उछाल उछाल कर, इनकी माँ बहन गरिया रही थी, चूम रही थी, इनके होंठ चूस रही थी,...
जो नहाने का काम दस मिनट में होता वो आधे घंटे में पूरा हुआ.
लेकिन जिस काम के लिए मैं इन्हे शावर में ले गयी थी वो नहीं हो पाया, जो मैंने उन्हें गाज़र के ठेले वाले की बात, फ़ूड ट्रक और मेरे अंदाज से कीड़े कैसे लगे, ये सब बताना चाहती थी, नहीं बता पायी। मुझे दूसरा उपाय सूझा।
साली, वो भी छोटी,... कौन जीजा होगा जिसके मुंह में पानी न आ जाए, और ये तो वैसे ही लिबरहे,...
" आपकी छोटी साली ने बुलाया था खाने को मैंने हां कर दिया " मैं बोली।
चेहरे पर बल्ब जल गया उनका, खूब खुश होके बोले,
" सुजाता, चलो चलते हैं बस झट्ट से मैं तैयार हो गया " ... और थोड़ी देर में हम दोनों घर से बाहर थे, पहला फायदा तो ये हुआ की मुझे खाना नहीं बढ़ाया, आज ये लड़का इतना भूखा था, किचेन में भी मुझे खाने के लिए उतावला रहता और असली बात मैंने सोची, वो गाजर के ठेले, फ़ूड कोर्ट और कीड़े कैसे आये ये सब उन्हें रास्ते में बता दूंगी,
निकलते ही मैंने उन्हें बोला , " यार एक पास में ही एक बहुत अच्छी फ़ूड ट्रक लगी है, मस्त डोसा बनाता है, दो दिन पहले ही लगी, तुम्हारी उस अनारकली ने ही देखा था पहले। हम दोनों ने टेस्ट कर लिया है। "
" अब आज तो तेरी छोटी बहन के हाथ का खाना है, हाँ कल परसों ट्राई करेंगे " मन तो उनका सुजाता पर लगा था. और साथ ही वो कीड़ा पकडक यंत्र अब निचली जेब से निकल कर उनके हाथ में आ गया। वो एकदम उनके पुराने धुराने क्लियरेंस सेल वाले आई फोन का डुप्लीकेट थे, लेकिन सबसे अच्छी बात ये थी की वो फोन ऐसा दीखता तो था ही फोन ऐसा काम भी कर सकता था,
दो दिन पहले से उन्हें अंदाज लग गया की ऐसी जगह पे जहाँ कोई दूकान भी नहीं चल सकती, फ़ूड ट्रक किसने लगाई होगी।
जैसे बहुत से लोग पेन वाला कैमरा लेकर चलते हैं जेब में खोंस कर लेकिन कोई कहे भाई साहब जरा पेन दीजिये या सिग्नेचर ही करना हो तो बगले झाँकने लगते थे, लेकिन ये फोन नुमा कीड़ा पकडक यंत्र, फोन का काम तो करता ही था, उसके अलावा भी बहुत सा काम कर सकता था, जैसे जब उन्होंने हाथ से निकाल कर जब फोन अपनी ऊपर वाली जेब में रख लिया तो वो चुप चाप अँधेरे में भी सब कुछ रिकार्ड करने लगा. इन्होने कान में गाना सुनने के लिए जो दो खोंसते हैं उस तरह का खोंस लिया था लेकिन वो दूसरा काम कर रहा था, फोन में आस पास के डाटा रिकार्डिंग डिवाइस, उन की लोकेशन सब न सिर्फ रिकार्ड हो रही थी बल्कि वॉयस में कन्वर्ट होकर उनके कान में भी।
हम दोनों हाथ में हाथ थामे कोई रोमांटिक गाना गुनगुनाते चल रहे थे, तभी उन्होंने अपने हाथ से मेरे हाथ की मंझली ऊँगली दबा दी ,
ये इशारे हम लोगों ने 'ऑपरेशन जेठानी ' के समय ये कोड डेवलप किया था अगर जेठानी जी कहीं परदे के पीछे से हम लोगों की बात सुन रही है या ' गलती से अपना मोबाइल टेबल पर रिकार्डिंग मोड में ' रख कर चली गयी हैं तो इसी इशारे से हम लोग उनके कोप से बचते थे।
बगल से एक साइकिल वाला गुजरा धीमी रफ्तार के समाचार की तरह,... उनके कीड़ा नाशक यंत्र ने वार्न ने किया था १०० मीटर दूर से कोई डाटा रिकार्डिंग मशीन लेकर चल रहा है.
जब हम लोग फ़ूड ट्रक के पास से गुजर रहे थे, एक आदमी कोई आर्डर दे रहा था, सांभर की बहुत अच्छी महक आ रही थी और उनका जूते का फीता खुल गया, और मैंने चार गालियां अपनी सास को सुनायी,
" तेरी महतारी की तरह तुझे भी नाड़ा खोलने में तो बहुत तेज हो, लेकिन बांधने में हरदम गड़बड़ करते हो. तेरी महतारी का तो यार लोग नाड़ा नहीं बाँधने देते होंगे, लेकिन तेरे जूते का फीता,... "
वो मुस्कराते रहे, फीता बांधते रहे। और वो कीड़ा नाशक यंत्र भी अपना काम कर रहा था।
एक बात तो मैं समझ गयी, दो बातें मैं सुजाता के घर पहुंच के जान पायी इन्होने समझायी।
इनका जूते का फीता इसलिए खुला की ये उस फ़ूड ट्रक का हाल चाल जानना चाहते थे. असल में उन्होने उस कीड़ा मारक यंत्र से उस फ़ूड ट्रक की लोकेशन रिकार्ड की थी.
सुजाता के यहाँ पहुँच के उन्होंने बताया की उस फ़ूड ट्रक में जो चिमनी थी, वो चिमनी के साथ साथ सेटेलाइट डिश का भी काम कर रही थी। यानी अभी थोड़ी देर पहले जो शावर में हम लोगों ने जल क्रीड़ा और काम क्रीड़ा की थी, वो सब इसी चिमनी के धुंए के साथ कितने लोगों के मन को खराब करने के लिए सेटलाइट से होकर गया होगा,
और दूसरी बात, जिस कीड़ा मारक यंत्र में उन्होएँ रिकार्ड किया था उससे वो ट्रांसमिट भी कर सकते थे, आखिर हम डाऊनलोड और अपलोड दोनों ही करते हैं। पर ट्रांसमिट करने में वेव्स के साथ सोर्स और डेसिनेशन दोनों ही पकड़े जा सकते हैं। इसलिए सुजाता के यहाँ पहुंच के सब चेक कर के ही उन्होंने फ़ूड ट्रक, साइकल वाले का और बाकी सब डाटा अपलोड किया।
Waise komal ko mai ek baar full sex karta dekhna chahta hu abhi tak komal ne kiya nahi kisi aur ke sath oral wala nahi waisa
arre aap bhi kis chakar men pad gayin agar kisi ko koyi cheez hajam nahi ho rahi hai to unse boliye ki Hajamola Khayen ya Bhavanagar vala Kayam churn khaayen, sb hajam ho jaayega. ab aap kiske kiske Hajame ka ilaj karengi aur vaise bhi ye kaam hamaari guru aur saheli Dr sahiba ka hai, forum ke logon ka vo free men ilaz karti hain
आप ने तो फिर एक नया किस्सा निकल दिया. मै अब भी नहीं समझ पाई की यह तीनो कौन है. और इस स्टोरी मे कैसे जुड़ेंगे. बाकि X की स्टोरी जान ने मे दिलचस्प जरूर है.जोरू का गुलाम भाग २४३ -
मिस एक्स और उनकी रिपोर्ट्स
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तीन कैरेक्टर्स और उनके कुछ साथी सहयोगी आएंगे कहानी में, नाम बताना अभी ठीक नहीं होगा, हाँ कुछ इशारा तो करना ही पड़ेगा, कहानी को आगे चलाने के लिए.
तीन लोगों में दो महिलायें और एक पुरुष
महिलाओं में एक फ्रेंच अमेरिकन और एक शुद्ध देसी देहाती हिन्दुस्तानी पूरब की लेकिन अब मिडल ईस्ट में और पुरुष मिक्स्ड नेशनलिटी के,...
पुरुष को हम लोग एम् ( M), फ्रेंच अमेरिकन लेडी को मिस एक्स ( X) और हिंदुस्तानी महिला को एन (N) के नाम से सम्बोधित करेंगे।
एन तो कहानी में काफी आगे आएँगी लेकिन अभी मिस एक्स का रोल काफी होगा, और बीच बीच में एम् भी
तो चलिए आप सब को मिलवाता हूँ मिस एक्स से, असल में मैं कभी उनसे मिला नहीं था हाँ फोटो देखी थी, उनके बारे में बहुत सुना था और उन लोगों से मिला था जो उनके साथ काम करते थे या कर चुके थे , बस उसी के आधार पर,
उमर उनकी, हर आदमी कहता है महिलाओं से उम्र पूछी नहीं जानी चाहिए पर जानना हर कोई चाहता है। उम्र उनकी देखने में ३५ -३६ के आसपास की यानी इत्ती मेच्योर भी नहीं हुयी थीं की एम् आई एल ऍफ़ वाली कैटगरी में आ जाए और न उस पड़ाव पर थीं की जबरदस्ती यंग लगने की कोशिश करें।
मिस एक्स डायवोर्सी थीं , एक साल भर की शादी के बाद की,... अकेडमिक क्वॉलिफैक्शन जबरदस्त थी और एक्सपीरियंस भी और एक्सपर्टीज भी।
फारवर्ड ट्रेडिंग, डेरिवेटिवस और शार्ट सेलिंग पर उन्होंने डॉक्टरेट प्रिंसटन यूनिवर्सिटी से किया था, फिर हावर्ड से ला,... कम्पनी ला में।
शेल कम्पनीज, हवाला ट्रांजैक्शन को पकड़ने में उनकी महारत के कारण २६ साल की उम्र में वो फाइनेंशियल एक्शन टास्क फ़ोर्स (FATF) की चार साल डिप्टी एक्जीक्यूटिव सेक्रेटरी मिस एक्स बन गयी, उसके पहले वो यू एस ट्रेजरी के फायनेंसियल क्राइम इंफोर्स्मेंट नेटवर्क (FinCEN) में सीनियर एनलिस्ट का काम किया था और मनी लांड्रिंग , टेरर फंडिंग में महारत हासिल की थी।
ऍफ़ टी ऍफ़ में मिस एक्स की पहल से तीन देश ग्रे लिस्ट में चले गए थे।
जैसा मैंने पहले ही कहा था, मैंने मिस एक्स को नहीं देखा था, लेकिन उनके बारे में सुना था, रिपोर्ट्स पढ़ी थीं और उनके वीडियो और टेड पर उनके लेक्चर सुने थे, और मैं इम्प्रेस नहीं बल्कि महा इम्प्रेस था और मैं अकेला नहीं था, हमारे ग्रुप में सभी, जो हमारा ग्लोबल बिजनेस स्ट्रेटजी ग्रुप था,
और मैं दो व्यक्तिगत क्वालिटी और दो प्रोफेशनल क्वालिटी से प्रभावित था। एक तो उनकी इंटिग्रिटी और दूसरी उनकी हिम्मत,
एक से एक बड़ी ट्रिलयन डालर कारपोरेट का वो जबरदस्त विश्लेषण वो करती थीं, और निश्चित रूप से उनकी रिपोर्ट को प्रभावित करने की कोशिश की जाती थी, पर आज तक कोई सफल नहीं रहा। और ऍफ़ ऐ टीएफ ( फाएंसियल एक्शन टास्क फोर्स ) में काम करते हुए कितने देशो, बैंको को जो छद्म तरीके से आतंकी संगठनों को फंडिंग करते हैं, उन्हें मिस एक्स ने पकड़ा था और उन्हें हर तरह की धमकियां मिली थीं।
लेकिन फिर उन्हें लगा की बड़े कारपोरेट भी कम बड़े फ्राड नहीं करते, तो उन्होंने ये रिपोर्ट का काम शुरू किया, हालांकि अब कहा जा रहा है की कई देशो के दबाव के बाद हो सकता है वो टास्क फ़ोर्स में लौट जाएँ।
दो प्रोफेशनल क्वालिटी उनकी थी, की वो कितना भी डाटा का जाल क्यों न हो, बिना उसमें उलझे उसके तह में पहुँच जाती थीं और जैसे कोई जासूस किसी क्राइम सीन को एक बार देख कर अंदाजा लगा ले, उसी तरह सारे निगेटिव प्वाइंट को वो हाइलाइट कर देती थीं
फिर तो यह एक्स या तो वही है जो आनंद बाबू वाली कंपनी को बर्बाद करना चाहती है. या तो फिर मदद गार भी हो सकती है. जो भी हो आगे बढ़ते पता चल ही जाएगा.मिस एक्स
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लेकिन वहां से निकलने के बाद उन्होंने पूरा समय शेल कम्पनी, फोरेंसिक अकाउंटिंग और बड़ी कंपनियों की गड़बड़ियों को उजागर करने में लगा दिया। स्टॉक मार्केट के स्कैम, इनसाइडर ट्रेडिंग, सब, और वो उनकी कम्पनी जिसमें मुश्किल से ८-१० लोग थे ३ साल में ११ कंपनियों की उन्होंने रिपोर्ट पब्लिश की जिसमें से चार इन्सॉल्वेंसी बोर्ड के पास चली गयी, तीन के शेयर क्रैश हो गए और दो पर फायनेंसियल इर्रेगुलरिटी के केस चले, वो शेयर ट्रेडिंग से डी बार हो गयीं।
सिर्फ एक कम्पनी थी जिसे टेम्पोरेरी नुक्सान हुआ।
उनके इस काम में दो और लोग थे साथ जो बोर्ड आफ डायरेक्टर में थे, एक औडिटिंग में एक्सपर्ट, कई मल्टीनेशनल के बोर्ड ओर डायरेक्टर्स में और दूसरे ऍफ़ बी आई की फायनेंसियल फ्राड डिवीजन को हेड करने वाले।
पिछले दिनों जो शेयरों की उठापटक हुयी , हम लोगो की कम्पनी डूबते डूबते बाल बाल बची, और जो अमेरिकन पैरेंट कम्पनी थी उसकी भी हालत डांवाडोल थी , तो कई फाइनेंश्यल एनलिस्ट की निगाह हम लोगों के ऊपर पड़ी और विशेष रूप से अमेरिकन पैरेंट कम्पनी के ऊपर।
तभी मुझे ब्रेन वेव आयी,...
असल में ये बात थोड़ी पहले की है, इस क्राइसिस के शुरू होने के पहले की, हम लोगों के ग्लोबल स्ट्रेटजी ग्रुप में यह बार उठी थी, फिर क्राइसिस ग्रुप में।
ये हवा में बात घूम रही थी की कोई कंपनी हम लोगो की कंपनी को कमजोर करने की कोशिश कर रही है, लेकिन वो कौन है, क्यों है उसका एम क्या है, कुछ भी साफ़ नहीं था। और यह भी नहीं की हमला कहाँ होगा,
और तभी यह बात उठी की खुद अपने बारे में रिपोर्ट बनवाने की, और मिस एक्स की कम्पनी की ओर से अगर रिपोर्ट बने तो क्रेडिबिलिटी बहुत होगी। और उस रिपोर्ट के बेसिस पर जो अटैक होगा तो अटैकर को पहचानना आसान होगा।
खतरे भी बहुत थे लेकिन और कोई आसान रास्ता भी तो नहीं था, और उस दिशा में काम शुरू हो गया।
लेकिन मुझे क्या पता था की हमला हम लोगो की कम्पनी पर ही होगा, वैसे तो ये एक तरह अलग सी थी, लेकिन उसकी नाल तो पैरेंट कम्पनी से जुडी ही थी, और दिल्ली और मुम्बई की बैठकों में मुझे पता चल गया था की, कुछ तो था जो कम्पनी के ग्लोबल हेडक्वार्टस और यहाँ के पावर कॉरिडोर में चल रहा है जो इस तरह से, पीछे से ही सही सरकार का और सरकारी आर्थिक संस्थाओं का सहयोग मिला।
और कल वो मुश्किल जंग जीतने के बाद जब मैं अमेरिकन कौंसुलेट में गया और ग्लोबल क्राइसिस ग्रुप के लोगों से मीटिंग हुयी तो पता चला की मिस एक्स की रिपोर्ट को उन्होंने ग्रीन लाइट कर दिया है और थोड़े बहुत और डिटेल भी।
लेकिन सुबह सुबह एयरपोर्ट पर पता चला की मेरा जबरदस्त सर्वेलेंस हो रहा है और मुझे अब सब गतिविधायों से दूर रहना होगा और बहुत हुआ तो एकदम बच बच कर
तो चलिए थोड़ा सा फ्लैशबैक, थोड़ा सा मिस एक्स की कंपनी के बारे में और हमारी कम्पनी ने कैसे उस काम को अंजाम दिया