करतबी...
खुले आसमान के नीचे...
कलाकारी के चर्चे दूर-दूर तक...
चप्पा चप्पा बूटा बूटा हाल उसका जाने है....Gav ke har dewaro ka bhouji pura khayal rakhti he. Apni nandiya ko chhinar nandiya banakar. Holi me khula chhodke. Taki unki baheniya unke sath naga saka
Arman baki he. Ye to puri pakki vali ban gai ri komaliya. Sajan ji ke jese. Ye bhi sajan ji ke jese teri seva karna chahti he.भाग १५९
रात बाकी, बात बाकी,
मेरी ननदिया के अरमान अभी बाकी,...
'उनके' हाथ भले ही बंधे हो लेकिन आँखे तो खुल ही गयी थीं इस लिए नयन सुख लेने से कौन रोक सकता था उनको...और मैं चाहती भी तो यही थी...उन्हें तडपाना तरसाना चाहती थी
और हो भी वही रहा था..उनकी आँखे हम दोनों से चिपकी हुयी थीं...फेविकोल से भी ज्यादा क़स के ...मैंने गुड्डी का ध्यान उनकी ओर दिलाया तो उसने उन्हें देख के मुंह चिढा दिया ओर एक फ्लाईंग किस दे दी...
अब तो वे बदहाल
हम दोनों एक दूसरे के जोबन क़स के मसल रहे थे दबा रहे थे कभी वो मेरे निपल पिंच करती कभी मैंने उसके ...
थोड़ी देर में गुड्डी ने धक्का दे के मुझे बिस्तर पे गिरा दिया ओर अब उसके होंठ मेरे रस कूप पे ..लेकिन वो बिचारी थी तो अभी नौसिखिया ..थोड़ी देर तक उसके होंठ स्वर्ग की सुरंग तलाशते रहे...
कभी इधर कभी उधर ...कभी उसके होंठ लग भी जाते तो ..
.मैंने उसे खिंच के नीचे कर दिया...इस तरह की उसका सर एकदम उनके सर के बगल में मुश्किल से एक बित्ते की दूरी होगी दोनों में...पहले आँखे मिली फिर नैना मटक्का चालू हो गया...
' हे बहोत हो गया भाई बहन का प्यार ..चलो अब भाभी के साथ प्यार करो..."
मैंने अपनी किशोर ननद के ऊपर थी...बैठी हुई कुछ इस तरह की मेरी दोनों टांगों के बीच उसका सर था . मेरे प्यार की सुरंग उसके होंठों से बस इंच भर की दूरी पर ..ऊपर...
उसने उचक के अपने होंठों को 'वहां' लगाने की कोशिश की मैंने उसके कंधो को दबा के नीचे झुका दिया ..अब उस बिचारी ने अपनी बाँहों से मेरी पतली कमर को पकड़ के मुझे अपने और खींचने की कोशिश की तो मैंने उसके हाथों को नीचे दबा दिया...
" लोगी क्या.."मैंने उसे चिढ़ाते हुए पूछा,पर कनखियों से मैं उनकी ओर देख रही थी, बेचारे वो, उनकी आँखे बहन के गुलाबी होंठों से चिपकी, ललचाती
" हां भाभी ..दो ना आप तो..." वो बोली.
" अरे मेरी प्यारी ननद रानी क्या लेगी बोल तो एक बार मुंह खोल के ...." मैंने उसे छेड़ा.पहली रात ही मैं उसकी सारी शरम लिहाज , उसके भाई के सामने उसकी गाँड़ में ठेल देना चाहती थी, आयी है चुदवाने और चूत रानी का नाम लेने में, फट रही है पर मैं मक्खन वाली छुरी से धीरे धीरे,... एक बार कल सुबह गीता के हाथ पड़ गयी फिर वो तो इसकी सारी भासा,...
" हाँ वही दे दो ना भाभी ...प्लीज आप ने तो..." वो बिचारी नाम लेने में शरमा रही थी.
" अरी यार सारी रात ऐसे ही गुजर जायेगी खुल के बोल..." मैंने बोला.
" वही भाभी ...आपकी ..आपकी ..योनी ..कन्ट..." वो बहोत हिम्मत कर के थूक गटक कर के बोली.
" अरे यार ये कोई बायोलाजी की क्लास नहीं हो रही है बोल वरना मैंने चलती हूँ इत्ता सिखाया पढाया...तेरे भैया तो इसे कुछ ओर कहते हैं..." मैं दोनों को देख रही थी साथ में एक उंगली मेरी चूत की दरार में ऊपर नीचे हो रही थी..रस की बूंदे निकल रही थीं..
हार के वो बोली..." भाभी अपनी चूत ..अपनी चूत ..."
"क्या करेगी मेरी चूत का तेरे पास लंड तो है नहीं जो चोदेगी..बोल...ना..."
मैं उसकी आँखों में आँखे डाल के बोल रही थी..
" भाभी चूत किस करुँगी ...चाटूंगी..चुसुंगी..." उस समय मेरी चूत उसके होंठ से बस हलकी सी ही दूरी पे होगी.
मैं यही तो चाहती थी..उसके भाई की आँख के सामने उससे अपनो चूत चटवाऊं ..चूसवाऊ ....
" बड़ी चूत चटोरी है तेरी ये बहना यार तू तो कहता था की बड़ी सीधी है..."
मैंने उनको देखते हुए कहा ओर फिर अपनी ननद के गुलाबी होंठों पे चूत रख के बोली..
ले चाट साली चूत चटोरी...
ओर क्या मस्त चाटा उसने ...
पहले तो अपनी जुबान से चूत की दरार में ...
फिर दोनों होंठो के बीच मेरे कन्ट लिप्स ले लिए क़स क़स के रस चूस रही थी ना जाने कब की प्यासी हो...
अब मैंने भी अपनी चूत उसके होंठों पे टिका दी ओर क़स क़स के रगड़ना शुरू कर दिया जैसे मैं उससे चूत चटवा ना रही होऊं बल्कि चूत चोद रही होऊं...
और मैं कभी कभी कनखियों से उनकी ओर देख रही थी, किस तरह लिबराते हुए अपनी बहन को मेरी चूत चाटते हुए देख रहे थे, मैंने बड़ी मुश्किल से अपनी मुस्कान रोकी। उसी बहन को जिसे वो बड़ी सीधी है, अभी छोटी है कहते नहीं अघाते थे उनसे सटी चिपकी, ठीक बगल में लेट के, ... जैसे लड़कियां चाट का पत्ता चाटती हैं, मेरी चूत खुद सर उठा उठा के चाट रही थी,...
साथ साथ में मैं उसकी ३२ सी साइज की चून्चिया भी दबा रही थी...
मैं जल्दी झड़ती नहीं थी...लेकिन इत्ते देर के खेल तमाशे ने ...
ओर अब उस साल्ली को मेरे क्लिट का भी पता चल गया था ..कभी जुबान से उसे भी लिक कर लेती...
वो अपलक देख रहे थे.
कभी रस बरसाती मेरी चूत को कभी उसे चाटती मेरी ननद को....
हे मैंने झुक के उसके कान में बोला ...
" जरा इनको भी मजा दे दें ना बहोत देर से ये देख के ललचा रहे हैं..."
" एकदम भाभी ..." वो बोली ओर मैं उसके ऊपर से हट गयी.
"लेकिन हाथ नहीं खोलेंगे इनके" मैं बोली...
"एकदम ..." वो शरारती बोली और उनको देख के खिस्स से मुस्करा दी.
मैंने उसके कान में कुछ समझाया...और वो उनके पास जा के बैठ गयी.
एक बार गोबर से भी होली का अनुभव मिला...aapko HOLI pasand aayi bahoot achaa laga HOLI men maine itta likha lekin Gaon ki holi shaayd itti HOT kahin aur nahi likhi ekaadh story ko chhod ke aur ek request aap ek Pic thread jaroor kholiye ho sake to do tin,... aap ka itana pics ka khazana hai aapka pic thread bhi top pe hoga Glamour vaali category men non adult . sacchi meri request