Alok
Well-Known Member
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Bahut hi garma garam update Unique star bhai....
Ek request hai pls thoda si gaaliya bhi dalo....
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Bahot behtareenअपडेट नंबर 12
अगले दिन सुबह मधुलिका की आंखे खुली और खुद को अपने बेटे की बांहों में नंगा पाकर उसकी चूत फिर से सुलगने लगी वो अपने बेटे के उपर चढकर उसके होंठो पर किस करने लगी।
मोहित अपनी मां के होंठो की गर्मी पाकर जाग गया और उसने एक झटके के साथ मधुलिका को फिर से बेड पर पटक दिया और उसके ऊपर चढ़ गया तो मधुलिका ने अपने जांघो को खोलते हुए अपनी सहमति जताई और मोहित ने एक बार फिर से अपना घोड़ा उसकी गुफा में धकेल दिया और मधुलिका दर्द से कराह उठी। बेड पर एक बार फिर से जंग छिड़ गई। मोहित जितनी तेज धक्का लगाता मधुलिका भी अपनी चूत उतनी ही जोर से उपर करती। किसी को कोई जल्दी नहीं, बिलकुल सुकून की चुदाई, अंदर बाहर होते लंड का मधुर एहसास, मधुलिका आज पहली अपनी चूत से इतना अलौकिक आनंद महसूस कर रही थी। अंततः एक लंबी चुदाई के बाद चुदाई एक अपनी तूफानी रफ्तार पकड़ने लगी और दोनो ही एक दूसरे से ज्यादा दम लगा रहे थे और प्यासी चूत ने एक बार फिर से लंड का सारा रस लूट लिया और धन्य हो गई। दोनो मां बेटे अपनी उखड़ी हुई सांसों को काबू कर ही रहे थे कि डोरबेल बज उठी और दोनो ही ने घबरा कर एक दूसरे की तरफ देखा। मोहित ने जल्दी से अपना टैटू बनाने का सारा सामान उठाया और अपने कपड़े लेकर अपने कमरे में चला गया और जल्दबाजी में मधुलिका ने अपने नंगे बदन पर सिर्फ एक चादर डाली और रात भर चुदने के कारण दरवाजा खोलने लंगड़ाती हुई चल पड़ी।
उम्मीद के मुताबिक दरवाजे पर राकेश ही खड़ा हुआ था और दरवाजा खुलते ही वो अंदर आ गया। उसने मधुलिका को जोर से दांत दिया और बोला:"
" इतनी लेट दरवाजा क्यों खोला तुमने ?
मधुलिका उसके आने से पहले से ही दुखी थी और उसके व्यवहार से रहा सहा मूड भी खराब हो गया लेकिन वो सुबह सुबह कोई हंगामा नही चाहती थी इसलिए बोली:"
" आंख लग गई थी तो मुझे पता ही नहीं चला। देर रात तक आपका इंतजार करती रही थी।
राकेश:" सुबह से 9 बज गए हैं और तुम्हे कुछ होश ही नहीं है। बात करती हो सो रही थी अब। दुनिया चांद पर पहुंच गई और तुम्हे सोने से फुर्सत नहीं।
मधुलिका मन ही मन सोचने लगीं कि रात मैं भी तो चांद पर ही थी। मधुलिका ने कोई जवाब नही दिया और उसके लिए पानी लेने किचन में चली गई। सच में उसे समय का बिलकुल अंदाजा नहीं रहा था और मोहित भी तो लेट हो गया। उसे भी ऑफिस जाना था।
उधर राकेश अपना बैग रखने के लिए सीधे बेडरूम में घुस गया तो बेडरूम की हालत देख कर उसकी आंखे फटी की फटी रह गईं। मधुलिका के उधर इधर बिखरे पड़े हुए कपड़े, बेड पर पड़ी हुई चादर में अनगिनत सलवटे चींख चीख कर कह रही थी कि यहां रात क्या हुआ है। चादर पर पड़े हुए बुरी तरह से मसले हुए गुलाब के फूल, कमरे में रखा हुआ दूध का ग्लास।
ये सब देख कर राकेश को जैसे यकीन ही नहीं हुआ और गुस्से से इसके हाथ से बैग छूट गया और जोर से चिल्लाया
" मधुलिका, कहां मर गई तुम? इधर आओ जल्दी।
मधुलिका तेजी से चलती हुई बेडरूम में घुस गई और उसे अपनी गलती का एहसास हुआ। राकेश खा जाने वाली नजरो से उसे घूरते हुए बोला
" क्या हैं ये सब ? मेरी पीठ पीछे अपने यारो के साथ गुलछर्रे उड़ाती हो तुम।
मधुलिका पहले तो सकपका सी गई और फिर गुस्से से बोली:"
" जुबान संभाल कर बात करो राकेश, ये क्या बेहूदा इल्जाम लगा रहें हो तुम ?
राकेश ने खा जाने वाली नजर से उसे देखा और बोला:"
" एक तो चोरी उपर से सीना जोरी ? ये सब क्या हैं ? किसके साथ तुमने मुंह काला किया ?
मधुलिका:" बस राकेश बस, जुबान को लगाम दो अपनी, नही तो मुझसे बुरा कोई नही होगा। कोई नही था मेरे साथ यहां, खुद अकेली सोई सारी रात तड़पकर करवट बदलती हुई। तुम्हे तो मेरी कोई फिक्र है नही। उल्टा मुझे ही डांट रहे हो तुम।
राकेश थोड़ी देर के लिए खामोश रहा और फिर बोला:"
" झूठ बोलना तो को तुमसे सीखे मधुलिका !! बताती हो या मुंह तोड़ दू तुम्हारा ?
मधुलिका:" बस बहुत हो गया, कितनी बार कह चुकी हूं कि मैंने ऐसा कुछ नही किया। सब कुछ तुम्हारे लिए ही सजाया था लेकिन बिना तुम्हारे पूरी रात अकेली तड़पी मैं और सुबह सुबह आते ही लड़ने लगे। तुमसे लड़ने के सिवा और कुछ होता भी हैं नहीं ?
राकेश गुस्से से:" मुझे ताना मारती हो तुम ? क्या नही होता मुझसे ?
मधुलिका भी गुस्से से बिखर पड़ी और बोली:" कुछ नही होता तुमसे, किसी काम के नही हो तुम। मर्द बने फिरते हो बस।
राकेश के लिए ये सीधी सीधी बेइज्जती थी और वो गुस्से से आगे बढ़ा और बोला:
" लगता हैं तुम ऐसे नही मानोगी। बहुत ज्यादा जुबान चलने लगी हैं तुम्हारी। दो थप्पड़ लगते ही सब बोलने लगोगी।
इतना कहकर राकेश आगे बढ़ा और जोर से थप्पड़ मारने के लिए अपना हाथ आगे बढाया तो उसके बेटे ने बीच में आकर उसका हाथ पकड़ लिया और बोला:"
"शर्म कीजिए पापा, आपको मम्मी पर हाथ नही उठाना चाहिए।
राकेश:" तेरी हिम्मत कैसी हुई मेरा हाथ पकड़ने की ? देख इस बेडरूम को और खुद समझ अपनी मम्मी की करतूत। देख सारी रात क्या वासना का खेल खेला हैं इसने ?
मोहित:" पापा अपनी जुबान को लगाम दीजिए। आपको क्लो हक नही है इस तरह मम्मी पर इल्जाम लगाने का। मैं पूरी रात घर में ही था और अपने ऑफिस के काम में लगा रहा। घर में कोई आता तो क्या मुझे पता नहीं चलता।
राकेश एक पल के लिए चुप रहा और तभी उसकी नजर मधुलिका की पूरी तरह से फटी हुई फर्श पर पड़ी हुई पेंटी पर पड़ी और बोला:"
" बस मोहित तुम भी इसकी भोली बातो में आ गए। देखो इसकी फटी हुई पेंटी चींख चींख कर सब बोल रही है। मैं अच्छे से सब समझ सकता हूं कि यहां क्या हुआ हैं ?
मोहित:" घर में मेरे अलावा और कोई नही आया था आपकी कसम। तो फिर तो मैने ही अपनी मम्मी की पेंटी फाड़ दी आप ये कहना चाहते हो क्या ?
मधुलिका:" बस कर मोहित इनका कोई भरोसा आधी बेटा, कहीं तेरे ही नाम न लगा दे सब कुछ।
राकेश के पास कोई जवाब नही था और मधुलिका अपने बेटे का साथ पाकर राकेश पर पूरी तरह से हावी होते हुए बोली:"
" हान तो समझ लो जो तुम्हारा मन करे। तुमसे तो कुछ नही होता नही ठीक से, अंदर घुस तक नही पाते और इल्जाम मुझ पर लगा रहे हो। सिर्फ तुम्हारी कमजोरी की वजह से रात भर तड़पती हु मैं।
ये राकेश के मर्द होने पर सीधी सीधी चोट थी और राकेश का मुंह उतर गया और कमरे से बाहर जाते हुए बोला:"
" मैं तुम्हारे मुंह नही लगना चाहता मधुलिका। मेरे पास बहुत काम हैं और भी अपने।
राकेश बाहर की तरफ जाने लगा तो मधुलिका गुस्से से जोर से बोली:"
" हान करो ना अपने काम, बस अपनी बीवी को जिस्मानी सुख देना तुम्हारा जिम्मेदारी नहीं है। अभी तो कुछ नही किया लेकिन आगे से जरूर कर लूंगी याद रखना। फिर मुझे दोष मत देना पहले ही बता देती हु हान।
राकेश कुछ नही बोला और बाहर नहाने के लिए चला गया। राकेश के जाते ही मधुलिका अपने बेटे से कसकर लिपट गई और मोहित ने अभी उसे अपनी बांहों में भर लिया और मधुलिका धीरे से बोला:"
" थैंक्स बेटा, मेरा साथ देने के लिए।
मोहित ने एक हाथ को चादर के अंदर घुसा कर अपनी मम्मी की गांड़ पर रखा और सहलाते हुए बोला:"
" तुमने तो अच्छी खासी बेइज्जती कर दी पापा की। अब तुम्हारे मुंह नही लगेगे वो।
मधुलिका अपनी गांड़ सहलाए जाने से चिहुंक पड़ी और बोली:"
" यूईईईई क्या करते हो शैतान तुम। तेरा बाप यहीं हैं फिर से आ गया तो तेरे ही नाम लगा देगा सब कुछ।
मोहित ने हाथ नीचे करते हुए मधुलिका की गांड़ की दरार में उंगलियों को घुसा दिया और उसकी गांड़ का छेद अंगूठे से सहलाते हुए बोला
" लगा देगा तो क्या गलत होगा। मैने ही तो किया आपके साथ सारी रात इस बिस्तर पर चोदन पट्टी का खेल।
मधुलिका अपनी गांड़ का छेद सहलाए जाने से पिघल गई और सिसकी लेते हुए बोली:"
" यूईईईईईईई मां क्या करता हैं। हान खेली हमने चोदन पट्टी और आगे भी खेलूंगी। उससे जो होता हो वो कर ले।
मोहित फिर से गर्म गया और उसने अपनी मां के होंठो पर अपने होंठ टिका दिए और दोनो मा बेटे एक दूसरे के होंठ चूसने लगे। देखते ही देखते मधुलिका का मुंह मस्ती से खुल गया और मोहित की जीभ उसके मुंह में घुस गई और दोनो मा बेटे एक साथ की जीभ चूसने लगे।
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मोहित ने मधुलिका की चादर को नीचे सरका दिया और उसकी चुचियों को अपने हाथ में भरकर जोर जोर से मसलने लगा तो मधुलिका फिर से सिसकी उठी और बोली:"
"आआआह्हह्ह्ह बस कर नहीईईईए बेटा, तेरा बाप यहीं हैं अभी मत कर। उईईईईईई
मोहित ने उसके होंठ चूसते चूसते ही उसे अपनी गोद में उठा लिया दिया और मधुलिका ने गिरने से बचने के अपने टांगे खोलकर मोहित को कस लिया तो लंड चूत में छेद पर जा लगा तो मधुलिका कांप उठी और बोली
" आह्ह्ह्ह। नही, मोहित, मान जा न, आह्ह्ह्ह..... मत कर।
मधुलिका भले ही मना कर रही थी लेकिन उसकी चूत पूरी भीग गई थी और लंड का सुपाड़ा भी चिकना हो गया था। मोहित ने उसकी कमर को थामकर कचकचा कर जोर से धक्का मारा और आधा लंड चूत के अंदर। मधुलिका दर्द से फिर से कराह रही और अपना हाथ मुंह पर रख लिया और मोहित ने बिना देर किए एक और जोरदार धक्का लगाया और पूरा लंड सीधे अंदर। मधुल्लिका की चूत एक बार फिर से पूरी तरह से भर गई। मोहित ने बिना देर किए उसे गोद में अपने लंड पर उछालना शुरू कर दिया और मधुलिका मस्ती से पागल सी हो गई और अपने बेटे के होठ चूसने लगी। धक्के मारने से मधुलिका की चादर सरक रही थी जिससे उसकी नंगी चूचियां मोहित अपनी हथेली में भर लेता।
मोहित और मधुलिका दोनो फिर से एक जोरदार चुदाई में जुट गए और इस बार मस्ती के साथ पकड़े जाने का डर भी था जिससे दोनो को कहीं ज्यादा उत्तजेना हो रही थी। मधुलिका ने कमरे में पड़ी हुई टेबल देखी और मोहित को इशारा किया तो मोहित ने कमरे में टेबल पर अपनी मां का झुका दिया और पीछे से उसकी चूत में लंड घुसा तो मधुलिका एक बार फिर से सिसक उठी। अब मधुलिका सामने की तरफ देखते हुए चुद रही थी और मोहित ने दोनो हाथ आगे लाकर उसकी चुचियों को पकड़ लिया और मसलते हुए जोर जोर से धक्के मारने लगा
मधुलिका बाहर अपनी नजरे गड़ाए हुए मजे से चुद राही थी और मोहित अब कसकर कर उसकी चूत में धक्के मार रहा था और मधुलिका को स्वर्गीय अनुभूति हो रही थी। मधुलिका बाहर की तरफ देखते हुए जोर जोर से सिसकी
"आआह्ह्ह्ह्ह... देख न राकेश मैं भी चांद पर हु यूईईईईईईईई मम्मीईईईई... फिर से चुद रही.... उफ्फएफफफ.. खुद नही चोद सकता तो चुदने तो दे मुझे... आआह्ह्हह, सीईईईईईईई... उफ्फ सीईईईईईईईई रीईईईईई..... चोद ले अपनी मधुलिका को... आह्ह्ह्ह्ह सीईईईईई
अपनी मम्मी की सिसकियां मोहित उछल उछल कर धक्के लगाने लगा और मधुलिका का पूरा जिस्म हिलने लगा तो वो टेबल पर एक हाथ रख रख कर जोर जोर से आआह्ह्ह यूईईईईईईईए करते हुए चुदने लगी।
मधुलिका और मोहित दोनो ही बेहद जोश में थे और ये चुदाई उन्हें बेहद मस्ती भरी लग रही थी। मोहित के धक्के पूरी तेज हो हुए तो मधुलिका की चूत में भी कंपन शुरू हो गया। मोहित ने अपने पूरे लंड को बाहर निकाला और एक ही झटके में जड़ तक घुसा और मां बेटे दोनो एक साथ सिसकते हुए झड़ने लगे।
तभी बाथरूम से राकेश बाहर निकला जिसे देखते ही मधुलिका ने अपने बेटे को इशारा किया और मधुलिका ने चादर को फिर से अपने जिस्म पर लपेट लिया और मोहित भी अपने कपड़े ठीक करने लगा। राकेश बाहर हॉल में ही बैठ गया और मधुलिका नहाने के लिए घुस गई बाथरूम के अंदर।