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Incest टैटू मजा या सजा

Vinita

Member
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Unique bhaiya
आपकी स्टोरी एक फिल्म की तरह चलती है जिसमे
हकीकत की कल्पना का अहसास होता है। जैसे अनोखा करवा चौथ ओर आपकी अन्य कहानियाँ। क्या यह सम्भव है कि शहनाज जँहा इतनी शर्मो हया का प्रदर्शन कर रही है वही वह अपने गीले पजामे से दुबारा मालिश को तैयार हो गई जबकी उसे मालूम है उसका पजामा क्यो गीला हुआ साथ ही साहिल का पजामा भी तो गीला होगा वो भी गीले पजामे से तैयार है, जब इतना सब कुछ होने के बाद भी दोनो राजी है तो इतनी शर्म और झिझक का प्रदर्शन स्टोरी में जरुरत ही खतम हो गई, जो आपकी कहनी में नही होता है, शायद आप इसको जल्द खत्म करने के मूड में हैं।
भैया रोमांच और कामुकता को बनाएं रखने में आप बेमिसाल है फिर भी आपने इतनी जल्दी की, इसी वजह से मुझे निराशा हुई। दूसरा कारन अपडेट देर से देने से भी कहानी का मज़ा खराब होता है। फिर भी आपको बुरा लगा हो तो क्षमा🙏
 

BadBoy117

The Truth Will Set We Free ☺️☺️☺️
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शहनाज का जिस्म पसीने पसीने हो गया था और उसकी सांसे तूफान की तरह चल चल रही थी मानो दिल धड़क धड़क कर उसकी छाती से बाहर निकलना चाहता हो। शहनाज अभी भी अपनी बेटे के नीचे दबी हुई पड़ी थी और दोनो मां बेटे एक दूसरे से बिना कुछ बोले बस अपनी सांसों पर काबू पाने की कोशिश कर रहे थे। साहिल का एक हाथ अभी भी उसकी गर्दन मे लिपटा हुआ था जिस कारण शहनाज का चेहरा ऊपर उठा हुआ था और शर्म से लाल था, बिलकुल सुर्ख,आंखे पूरी तरह से बंद। अपने बेटे के वजन तले दबी पड़ी शहनाज डर और शर्म के मारे चाह कर भी अपना मुंह नही खोल पा रही थी।

कुछ देर के बाद लंड के झटके शांत हो गए और साहिल की गिरफ्त शहनाज की गर्दन पर अपने आप ढीली पड़ गई और गर्दन छूटते ही शहनाज ने अपने दोनो हाथों से अपना चेहरा छुपा लिया। तभी कमरे में लगा बज उठा और साहिल को एहसास हुआ कि वो अपनी मां के उपर लेटा हुआ है तो धीरे से उठा और फोन उठाया

साहिल:" हान बोलो राहुल क्या हुआ ?

राहुल( साहिल के ऑफिस में कर्मचारी):" सर मिसेज मेहता आई है। वो मेहता इंडस्ट्री की मालकिन है।

साहिल:" वो किसलिए आई है ?

राहुल:" सर वो अपने टैटू मिटवाना चाहती है और नए बनवाना चाहती है।

साहिल:" ठीक है। एक काम करो उन्हे दो दिन बाद की तारीख दे दो उनका काम हो जायेगा

राहुल:" सर मैने बोला लेकिन वो मान हीं नहीं रही है। उन्हे आज ही ये सब करवाना है। ज्यादा पैसे देने के लिए भी तैयार है।

साहिल:" नही आज नही, आज मैं पूरे दिन फ्री नही हु। उन्हे मना कर दो आप।

राहुल:" सर वो मान नही रही है। एक बार आपसे मिलने के लिए बोल रही है।

साहिल:" ठीक है। तुम उन्हे बैठाओ मैं आता हु।

इतना कहकर साहिल ने फोन रख दिया और बोला:"

" अम्मी आप थोड़ी देर आराम कीजिए। मैं अभी आता हु।

शहनाज:" वो बेटा मैं बोल रही थी कि पहले उसे ही देख लो। तुम्हे काफी पैसा मिल जायेगा।

साहिल हल्का सा मुस्कुराया और बोला:" अम्मी आप भी ना बस, मेरे लिए आपसे बढ़कर कुछ भी नही है। मैं आता हु।

इतना कहकर साहिल कमरे से बाहर निकल गया और शहनाज ने सुकून की सांस ली। अभी थोड़ी देर पहले जो हुआ था उस पर शहनाज यकीन नही कर पा रही थी। शहनाज के पिछवाड़े में हल्की हल्की दर्द भरी टीस भी उठ रही थी तो उसने हाथ से अपनी गांड़ के उभार को छुआ तो उसे गीलेपन का एहसास हुआ और शहनाज ने अपने पूरे हाथ को अपनी गांड़ पर सूट के उपर से फिराया तो उसका पूरा हाथ चिपचिपा सा होकर भीग गया और शहनाज शर्म से पानी पानी हो गई।

शहनाज बेड से उठी और सामने शीशे में देखने लगी तो उसे एहसास हुआ कि उसकी सलवार वीर्य से इतनी ज्यादा भीग गई थी मानो उसने सूसू कर दिया हो। शहनाज को यकीन नहीं हो रहा था कि उसके बेटे के लंड से इतना सारा वीर्य बाहर निकला है।

शहनाज ने टेबल पर पड़ा हुआ टिश्यू पेपर उठाया और अपनी सलवार को साफ करने लगी। शहनाज ने अपनी सलवार के नाडे को खोल दिया ताकि अच्छे से साफ कर सके। चिकनी सलवार उसके हाथ से फिसल गई और शहनाज धीरे धीरे अपनी गांड़ को साफ करने लगी। सूट के पल्लू के कारण उसे दिक्कत हो रही थीं इसलिए उसने सूट के पल्लू को उपर उठाया और शहनाज ने आज पहली बार अपनी पेंटी में बंद चौड़ी गांड़ को अच्छे से देखा और उसे यकीन हो गया कि उसकी गांड़ सिर्फ बड़ी ही नही बल्कि बहुत ज्यादा बड़ी है और शहनाज को अपने आप पर गर्व महसूस हुआ। अपनी गांड़ पर गर्व करती हुई शहनाज उत्सुकतावश शीशे के थोड़ा और पास हो गई और उसकी आंखे अपने आप को, अपने बदन के कामुक उभार को निहार रही थी। शहनाज ने देखा कि उसकी खूबसूरत गांड़ पर जगह जगह लाल निशान पड़ गए थे और उसे याद आया कि ये तो उसके बेटे के लंड के कारण निशान बने हैं तो शहनाज का पूरा बदन कांप उठा और शहनाज घूम घूम कर अपनी गांड़ को देखने लगी। सच में उसकी गांड़ लाल सुर्ख हो गई थी क्योंकि साहिल ने उसकी गांड़ पर तेजी से धक्के मारे थे। उसे एहसास हो रहा था कि उसके बेटे का लंड सच में कितना सख्त था।


शहनाज अपनी गांड़ को ठीक से साफ करने लगी और थोड़ी देर की मेहनत के बाद उसकी सलवार अच्छे से साफ हो गई। शहनाज ने अपने कपड़े ठीक किए और बेड पर लेट गई।

करीब 15 मिनट के बाद साहिल अंदर आया और उसके हाथ में खाने का सामान था। शहनाज उसे देखते ही बैठ गई तो साहिल बोला:"

" अम्मी दोपहर हो गई, आओ कुछ खा लो आपको भूख लग गई होगी।

शहनाज:" अरे बेटा इतनी ज्यादा भी नही लगी है अभी। घर जाकर ही खा लूंगी, तुम जल्दी से सब करो मुझे जाने दो।

साहिल:" अम्मी पहले आप खाना खा लो। इलाज में अभी काफी समय लगेगा।

शहनाज बिना कुछ बोले खाना खाने में जुट गई और खाते हुए बोली:"

" साहिल वो मेहता का क्या हुआ ?

साहिल:" होना क्या था, मैने मना कर दिया उसे। पैसे का लालच दे रही थी मुझे। बोल रही थी कि 20 लाख तक से दूंगी।

शहनाज;" ओह, फिर तो तुम्हे उसे ही देखना चाहिए। मेरा क्या हैं मैं तो कल फिर आ जाऊंगी।

साहिल:" आप चुप ही रहो अम्मी। पैसा आपसे बढ़कर नही है। 20 लाख तो क्या 20 करोड़ भी होते तब भी मैं आपका ही दर्द दूर करता अम्मी। चलो जल्दी से खाना खाओ, फिर मुझे इलाज शुरू करना है।

शहनाज अब कुछ नहीं बोली और खाना खाती रही। शहनाज को आज एहसास हुआ कि उसका बेटा उससे कितना ज्यादा प्यार करता है और उसके लिए 20 लाख भी ठुकरा दिए ताकि मेरा दुख दूर कर सके। शहनाज ने मन ही मन फैसला किया कि वो आगे इलाज में अपने बेटे को पूरा सहयोग देने की कोशिश करेगी ताकि इलाज अच्छे से हो सके। जल्दी से दोनो ने खाना खत्म किया और खाना खाकर साहिल बोला:"

" अम्मी क्या आगे का इलाज शुरू करे ?

शहनाज का बदन में अपने बेटे की बात सुनकर कंपकपी सी दौड़ गई और उसने गर्दन हिला कर अपनी सहमति को दे दिया। शहनाज बेड पर बैठ गई और साहिल भी बेड पर चढ़ गया तो शहनाज की सांसे तेज होने लगी। साहिल ने शहनाज को पेट के बल लेटने का इशारा किया और शहनाज धीरे धीरे लेटती चली गई और सामने देखा। उफ्फ उसके ठीक सामने एक शीशा लगा हुआ था और शहनाज की नजरे जैसे ही खुद से टकराई तो वो शरमा गई। साहिल ने अपने दोनो हाथो से ट्यूब से सारी क्रीम को निकाल लिया और अपने हाथो को पूरा चिकना किया और बोला

" अम्मी आप अपने सूट को थोड़ा सा ऊपर उठा लीजिए।

मरती क्या न करती शहनाज ने हिम्मत करके अपने सूट को उपर उठा लिया और उसकी कमर नंगी होती चली गई और शहनाज फिर से उत्तेजना महसूस करने लगी। शहनाज ने खुद की शीशे में देखा और शर्मा गई। साहिल इस बार पहले की तरह उसकी दोनो टांगो के बीच बैठ सा गया और हाथ आगे बढ़ा कर फिर से उसकी कमर की मालिश करने लगा। हाथ आगे जाने से उसकी उंगलियां शहनाज की ब्रा के हुक से टकराने लगी और शहनाज के रोम रोम में रोमांच सा भर गया। साहिल की बिलकुल चिकनी उंगलियां शहनाज की चिकनी कमर पर सरपट दौड़ रही थी और शहनाज के बदन मे चिंगारी सी दौड़ रही थीं।

साहिल की उंगलियां बार बार हुक से टकरा रही थी तो साहिल बोला:"

" अम्मी क्रीम से आपकी ब्रा खराब हो जायेगी, एक काम कीजिए आप इसे उतार ही दीजिए।

उफ्फ शहनाज के लिए ये अजीब मुसीबत थी। पहले तो उसके बेटे ने खुद ही उसकी ब्रा को खोल दिया था लेकिन अब वो खुद कैसे खोले ये उसे समझ नही आ रहा था तो साहिल उसकी कमर को जोर से मसल दिया तो शहनाज के मुंह से आह निकल पड़ी और साहिल बोला:"

" अम्मी, खोल दीजिए न अपनी ब्रा, मालिश में दिक्कत हो रही है मुझे।

शहनाज हिम्मत करके अपने हाथो को अपनी पीठ पर लाई लेकिन उसके हाथो की उंगलियों कांप रही थी। शहनाज ने बड़ी मुश्किल से हुक को पकड़ा और धीरे धीरे खोलने लगी। जैसे ही उसकी ब्रा के हुक खोले तो शहनाज के बदन ने एक जोरदार झटका खाया और शहनाज सिहर उठी। ब्रा खुलते ही साइड में झूलकर लटक गई और साहिल ने सूट को बिलकुल उपर करने लगा तो पेट पर सूट पर खिंचाव आने लगा जिससे शहनाज न चाहते हुए भी अपने पेट और छाती को उपर उठाने के लिए मजबूर हो गई और साहिल ने जोर लगाते हुए सूट को एक झटके से उपर तक सरका दिया बिलकुल शहनाज के गोरे चिकने कंधो को नंगा करते हुए। खुली हुई ब्रा अपने आप सूट के साथ उपर सरक गई और शहनाज की पूरी गोल गोल नंगी चूचियां आजाद होकर बेडशीट से टकराई और शहनाज के मुंह से आह निकल पड़ी। अब शहनाज की गर्दन में फंसा हुआ था बस नाम मात्र के लिए। शहनाज की चूचियां नंगी होने से शहनाज पहले से ज्यादा उत्तेजना महसूस कर रही थी

साहिल ने अपने हाथो को शहनाज की कमर से लेकर कंधो तक फिराया और सहलाने लगा। शहनाज एक बार फिर से न चाहते हुए अपने जिस्म में उत्तजेना महसूस कर रही थी क्योंकि इस बार कमर पर साहिल के हाथो के दबाव से उसकी चूचियां हिल रही थी । साहिल के हाथ जैसे ही इस बार शहनाज के कंधो तक पहुंचे तो उसने कंधो को जोर से मसल दिया और शहनाज सिसक उठी। शहनाज को समझ में नही आ रहा था कि उसका बेटा उसके कंधो को इतनी जोर से क्यों मसल रहा हैं जबकि उसके कंधो पर तो कोई टैटू भी नही बना हुआ था, लेकिन अपने बेटे से पूछने की हिम्मत उसके अंदर नही थी।

साहिल थोड़ी देर तक ऐसे ही मालिश करता रहा और अब उसने अपने दोनो हाथो का दबाव उसकी कमर के बीचोबीच दिया तो शहनाज की चूचियां बेड में घुसती हुई सी चली गई और शहनाज ने बड़ी मुश्किल से अपनी सिसकी को रोका। शहनाज को समझ नही आ रहा था वो किस तरह खुद को काबू में रखे क्योंकि इतनी उत्तेजना उससे बर्दाश्त करना मुश्किल हो रहा था।

साहिल के हाथ अब धीरे धीरे नीचे की तरफ बढ़ने तो शहनाज ने राहत की सांस ली क्योंकि उसकी चूचियां कम हिल रही थी लेकिन शहनाज को क्या पता था कि असली मुसीबत तो अब उसके सामने आयेगी।

दो तीन बार कमर की मालिश करने के बाद साहिल के साथ जैसे ही उसकी गांड़ के उभार पर पहुंचे तो शहनाज चिहुंक सी उठी और गांड़ मचल गई। साहिल ने धीरे से अपने हाथो को उसकी गांड़ पर सलवार के उपर से ही फिराया और बोला:"

" अम्मी देखो ना आपके यहां कैसे कैसे लाल निशान पड़ गए हैं। एक बार मुझे ये टैटू को दिखाओ आप।

उफ्फ शहनाज को मानो लकवा सा मार गया, उसका बेटा उसकी गांड़ की दोनो गोलाईयों के बीच बने टैटू को देखने की बात कर रहा था। हाय ये मैं नहीं कर सकती। मैं मर क्यों नही जाती, उफ्फ कहां फंस गई।

शहनाज ने कोई जवाब नही दिया तो साहिल ने फिर से उसकी गांड़ को सहला दिया और बोला:"

" अम्मी ये टैटू देखने के लिए आपको अपनी सलवार को खोलना पड़ेगा। खोल दीजिए न आप अपनी सलवार।

शहनाज ने जवाब देने के बजाय अपने हाथो से बेडशीट को दबोच लिया मानो इंकार कर रही हो। लेकिन साहिल फिर से बोला:"

" अम्मी ऐसे तो काम नही चलेगा,मुझे आपकी इस उभरी हुई चौड़ी गांड़ पर बने टैटू को देखना ही होगा। क्या आप इसके लिए तैयार है

इतना कहकर साहिल ने उसकी गांड़ के उभार को जोर से मसल सा दिया तो शहनाज तड़प सी उठी और उसका बदन शर्म से बेड में दबता चला गया और चुचियों पर दबाव पड़ने से वो बिलकुल गोलदार होकर बाहर को आधे से ज्यादा छलक पड़ी और साहिल की नजरे उन पर गड़ती चली गई। शहनाज कुछ नहीं बोली और उसने शीशे में साहिल की तरफ देखा तो एहसास हुआ कि साहिल उसकी चुचियों की गोलाई को देख रहा है तो शहनाज शर्म से पानी पानी हो गई और उत्तेजना से उसकी गर्दन हिल गई और साहिल अपने हाथो को उसकी कमर से सरकाते हुए सीधे उसकी सलवार के नाडे के पास ले गया और शहनाज पड़ी पड़ी मचलने लगी। बार बार उत्तेजना से अपनी गर्दन को इधर उधर पटकने लगी और साहिल ने जैसे की उसके नाडे की गांठ को अपनी उंगलियों में पकड़ा तो शहनाज के मुंह से आह निकल पड़ी और सिसकी

" आह्ह्ह्ह्ह साहिल, मत कर बेटा, मान जाओ ना।

साहिल ने हक्का सा दबाव गांठ पर दिया और बोला:"

" आह्ह्ह अम्मी, खुल जाने दे आज अपनी सलवार, कब तक तड़पती रहोगी आप

शहनाज ने अपनी दोनो जांघो को जोर से भींच लिया और बोली:'


" आह्ह्ह्ह् नही, मत खोल बेटा मैंने नीचे थॉन्ग पहना हैं, मत कर ये जुल्म।

साहिल को मानो यकीन नहीं हुआ , उसकी सीधी साधी सी दिखने वाली घरेलू अम्मी थॉन्ग पहनती होगी उसे नही पता था। थॉन्ग की बात सुनकर साहिल मचल सा गया और बोला:"

" अम्मी ये थॉन्ग क्या होता है?

इतना कहकर वो एक हाथ में शहनाज की सलवार का नाडा पकड़कर दूसरे हाथ से शहनाज की गांड़ को टटोलने लगा मानो थॉन्ग ढूंढने की कोशिश कर रहा हो और शहनाज शर्म से पानी पानी होती चली गई कर जिस्म हल्का हल्का उछलना शुरू हो गया तो शहनाज बोली:"

" आह्ह्ह्ह्ह् मुझे नही पता क्या होती है।

साहिल ने नाडे को खींचना चाहा तो शहनाज ने अपनी जांघो को पूरा कस लिया और गर्दन इधर उधर पटकने लगी तो साहिल शहनाज की टांगो पर बैठ गया और दोनो हाथो से उसकी जांघो को खोलते हुए उसके नाडे को जोर से पकड़ लिया और बोला

" आह्ह्ह्ह् शहनाज अम्मी, बस अब देखने दे ना थॉन्ग क्या होती है!! सलवार खोल रहा हूं

इतना कहकर साहिल ने नाडे को झटका सा दिया तो शहनाज ने दोनों हाथो से चेहरा छुपा लिया और सिसकी

" आह बेटा, बस थोड़ी सी खोलना, तेरी सगी अम्मी की सलवार है।

साहिल ने एक जोरदार झटका दिया और शहनाज की सलवार की नाडा खोल दिया और उत्तेजना से शहनाज के मुंह से मस्ती भरी आह निकल पड़ी और उसका जिस्म एक फूट हवा में उछल पड़ा। कुछ पल के लिए ही सही लेकिन शहनाज की गोल गोल चूचियां नंगी बिलकुल नंगी साहिल की नजरो के सामने आई और साहिल पागल सा हो गया। उसने एक झटके से शहनाज की सलवार को नीचे सरका दिया उसके घुटनो तक और शहनाज बावली सी होकर अपना जिस्म पटकने लगी। शहनाज की गांड़ साहिल की आंखों के सामने थी जो उत्तेजना के कारण फूल और पिचक रही थी।

पेंटी के नाम पर बस एक पतली सी धागे के जैसी बस नाम मात्र के लिए एक लाइन सी थी जिसमे उसकी गांड़ का छेद भी ठीक से नही छिप रहा था। साहिल का सारा धैर्य जवाब दे गया और उसका लंड भी खड़ा होने लगा। साहिल एकटक शाहनाज की गांड़ को देखने लगा और जैसे ही दोनो की नजरे शीशे में टकराई तो शहनाज की नजरे शर्म से झुक गई और साहिल ने अपने चिकने हाथो को शहनाज की गांड़ पर रख दिया और टैटू की हल्की हल्की मालिश करने लगा और धीरे से बोला:"

" अम्मी आपकी थॉन्ग बेहद खूबसूरत हैं, क्या आकर्षक लग रही है आप पर।

शहनाज शर्म से मरी जा रही थी और कुछ नही बोली। साहिल ने अपने चिकने हाथो से उसकी गांड़ के उभार को अच्छे से सहलाया और शहनाज की चूत मे फिर से चीटियां सी चल पड़ी और शहनाज अब पूरी से बेकाबू होती चली गई। साहिल ने इस बार शहनाज की गांड़ के एक उभार को दोनो हाथो में भर लिया और मसलते हुए बोला

" आह्ह्ह्ह्ह अम्मी, आपकी गांड़ सचमुच बेहद बड़ी और ठोस हैं, देखो ना कैसे दोनो हाथो में मुश्किल से एक ही समा पा रही है मेरी अम्मी।

शहनाज ने शीशे में देखा कि किस तरह उसकी बड़ी गांड़ उसके बेटे के हाथो में समाई हुई है और जैसे ही दोनो की नजरे टकराई तो शहनाज पानी पानी हो गई और सिसकते हुए बोली

" उफ्फ बेशर्म, मुझे क्यों दिखा रहा है, जल्दी कर न अब जो भी करना है तुझे। ।।

साहिल ने शहनाज की गांड़ को जोर जोर से मसलना शुरू कर दिया और शहनाज की हालत पल पल ख़राब होती चली गई। सूट गले में फंसे होने के कारण गर्दन में शहनाज को दिक्कत हो रही थी तो साहिल बोला:"

" अम्मी आपकी गर्दन दर्द कर रही होगी, सूट को निकाल ही दीजिए न आप।

दर्द से परेशान शहनाज को अपने बेटे की बात ठीक लगी और शरमाते हुए हिम्मत करके उसने सूट को धीरे धीरे निकाल दिया और शहनाज उपर से बिलकुल नंगी होती चली गई। शहनाज के काले बाल खुलकर उसकी कमर पर फैल गए और सूट के निकलते ही साहिल बोला:"

" हाय मेरी अम्मी, आप तो उपर से पूरी नंगी हो गई। उफ्फ आप सच में बेहद खूबसूरत हैं।

शहनाज अपने बेटे की बात सुनकर शर्मा गई और पहली बार हल्की सी मुस्कान के साथ बोली:"

" मार खायेगा मुझसे, चुपचाप मालिश कर टैटू की समझा।

साहिल ने अब शहनाज की गांड़ की चौड़ाई को सहलाते हुए उंगलियों को अंदर की तरफ फिराया तो शहनाज तड़प उठी। साहिल ने देखा कि चिकनी खत्म हो रही है तो बड़ी मुश्किल से अपने हाथ को हल्का सा गीला किया और शहनाज की थॉन्ग
पर सहलाया तो शहनाज जोर से सिसक उठी और अपनी गर्दन हिलाने लगी मानो मना कर रही हो लेकिन साहिल ने उसकी एक नही सुनी और उसकी थॉन्ग को उंगलियों से छेड़ने लगा तो शहनाज की चूचियां तनने लगा और निप्पल कड़क होकर बेडशीट को घायल करने लगे। साहिल ने थॉन्ग को शहनाज की गांड़ के छेद पर दबा दिया तो शहनाज के मुंह से एक मस्ती भरी आह निकल पड़ी। साहिल ने धीरे से थॉन्ग को अपनी उंगलियों में पकड़ लिया और शहनाज जोर से सिसकते हुए बोली

"आह्ह्ह्ह्ह अम्मी उफ्फ साहिल, मत कर ये सब, मर जाऊंगी मैं।

साहिल ने थॉन्ग को पूरी तरह से उपर उठा दिया तो शहनाज कांपते हुए कसमसाने लगी और अपनी गांड़ को अंदर की तरफ जोर से भींच लिया। साहिल ने अपने हाथो की ताकत का इस्तेमाल करते हुए उसके दोनो चूतड़ों को अलग अलग कर दिया और शहनाज के मुंह से आह निकल पड़ी। शहनाज की गांड़ का छेद साफ साफ नजर आने लगा। उफ्फ छोटा सा मासपेशियों से बना हुआ खूबसूरत छेद अपने आप में सारी दुनिया की कामुकता समेटे हुए। बिलकुल गुलाबी सा हल्के भूरे रंग का, मानो जीती जागती कयामत। शहनाज का उत्तेजना से बुरा हाल था और उसकी गांड़ की की मांसपेशियां सिकडुने से गांड़ का छेद अंदर की तरफ सिकुड़ सा गया था मानो शहनाज से ज्यादा उसकी गांड़ का छेद शर्मा रहा था। ये कामुक दृश्य देखकर साहिल का लंड आपे से बाहर हो गया और उसके पायजामे को आगे से पूरा उपर हवा में उठा लिया। साहिल की उंगलियां अपने आप शहनाज के गांड़ के छेद की तरफ बढ़ने लगी और शीशे में ये सब देखती शहनाज के जिस्म में आग सी दौड़ गई और जैसे ही गांड़ के छेद को छुआ तो शहनाज ने उत्तेजना से पागल होकर किसी जंगली घोड़ी की तरह उसे दुलत्ती सी मार दी और साहिल ने अपनी ताकत का इस्तेमाल करते हुए शहनाज की दोनो टांगो को घुटनो तक मोड़ दिया और उसकी जांघो पर बैठ गया। अब शहनाज चाहकर भी नही हिल सकती थी और पूरी तरह से अपने बेटे के कब्जे में थी।

साहिल ने फिर से अपने हाथ को गांड़ के छेद पर रखा तो शहनाज ने पागल सी होकर छेद को अंदर की तरफ सिकोड़ सा लिया और सिसक पड़ी। साहिल ने फिर शहनाज की गांड़ के छेद के हल्का सा उंगली से सहलाया तो उत्तेजना से शहनाज की आंखे बंद हो गई और शहनाज आगे से हवा में उठकर मुड़ती सी चली गई और उसकी छाती सीधी तन सी गई। नंगी बिलकुल नंगी, कोरी की कोरी नंगी। शहनाज को मानो इसकी खबर ही नहीं थी। अपनी अम्मी की जानलेवा चूचियां देखकर साहिल के मुंह से लार सी टपक पड़ी और जी भरकर देखा। साहिल ने बेकाबू होते हुए फिर से शहनाज की गांड़ के छेद को जोर से मसल दिया तो एक मादक सिसकी के साथ शहनाज की आंख खुली और अपनी नंगी चुचियों को अपने बेटे को घूरते हुए देखकर शर्म से अपनी दोनो चुचियों को अपने हाथो में भर लिया । साहिल ने गांड़ के छेद पर अपनी उंगली का दबाव दिया तो शहनाज की चूचियां उसके हाथो में ही उछल पड़ी और शहनाज ने उन्हें मसल सा दिया मानो डांट रही हो।

साहिल ने एक हाथ ले जाकर शहनाज के हाथ पर रख दिया और उसकी चूची पर दबाव देते हुए बोला:"


" आआआह्हह अम्मी, आप मत मालिश कीजिए, ये आपकी चुचियों पर बने टैटू तो मेरे हाथो मसले जायेंगे।

इतना कहकर साहिल ने उसकी चूची को जोर से मसल कर छोड़ दिया और उसकी गांड़ के छेद को उंगलियों से सहलाने लगा। साहिल के मुंह से अपनी चूची रगड़े जाने की बात सुनकर शहनाज की चूचियां पूरी तरह से अकड़ गई और अपना सिर ऊपर उठा दिया मानो एलान कर रही हो कि हम रगड़े जाने से नही डरती और शहनाज के लिए अपने हाथो मे थामे रहना मुश्किल होता जा रहा था। साहिल ने देखा कि क्रीम पूरी तरह से खत्म हो गई थी मालिश कैसे होती। साहिल बोला:"

" अम्मी ट्यूब खत्म हो गई है, मालिश कैसे करू अब ?

शहनाज की उत्तेजना को ब्रेक सा लगा और बोली:"

" उफ्फ मैं क्या बताऊं बेटा, कुछ भी करके आज ही खत्म कर से सब कुछ इलाज। रोज रोज मुझसे ये सब नही हो पाएगा।

साहिल ने जोर से दोनो हाथों से उसकी गांड़ को मसला और उसकी कमर चूमकर बोला:"

" अम्मी, आप कहे तो जीभ से चाट कर चिकना कर लू क्या!!!!

शहनाज पूरी तरह से तड़प रही थी और बोली:" उफ्फ नही, पागल हो गए क्या तुम, ऐसा कौन करता है!! उफ्फ मत कर

साहिल ने बिना कुछ बोले शहनाज की गांड़ के उभार को चूम लिया तो शहनाज जोर से सिसक उठी और उसकी गांड़ अपने आप उपर उठती चली गई। साहिल ने आव देखा ना ताव और अपनी जीभ को उसकी गांड़ पर फेर दिया तो अचानक हुए इस हमले से शहनाज का जिस्म मस्ती से उछल पड़ा और शहनाज की कमर कमान की तरह मुड़ती चली गई और चूचियां अपनी पूरी ताकत लगाते हुए अकड़ कर तन गई।

शहनाज ने अपनी गांड़ को पूरी जोर से भींच लिया मानो ताला लगा रही हो लेकिन साहिल ने अपनी ताकत लगाते हुए शहनाज की गांड़ के दोनो उभारों को खोल दिया और शहनाज ने शर्म से अपनी आंखे बंद कर ली। साहिल ने गांड़ के उभार पर बने टैटू को जीभ से सहलाना शुरू कर दिया और शहनाज की मस्ती भरी सिसकारियां निकलने लगी को उसके मुंह में ही घुट रही थी। शहनाज की पेंटी में चिकनापन बढ़ गया और उसकी चूत में चीटियां सी दौड़ने लगी। गांड़ के उभार चाटते हुए जैसे जैसे साहिल की जीभ अंदर की तरफ छूती तो शहनाज की गांड़ में तेज झनझनाहट सी होती। शहनाज अब पूरी तरह से बहकती जा रही थी और शीशे में खुद ही अपनी आंखे में आंखे डाल कर अपनी चुचियों को मसल रही थी। साहिल ने अपनी जीभ को पूरी तरह से गीला करते हुए शहनाज की गांड़ के छेद के बिलकुल पास चाटा तो शहनाज बौखला सा गई और शहनाज की चूत से रस टपकने लगा और शहनाज का मन किया कि अपनी चूत को अपनी मुट्ठी में भर ले लेकिन किसी तरह खुद पर काबू बनाए रखा। साहिल का लंड अब पूरी तरह से अकडकर लोहे की रोड जैसा हो गया था और साहिल ने एक बार फिर से अपनी अम्मी की गांड़ के उभारों को अपने हाथों से चौड़ा किया और शहनाज की गांड़ का छेद एक बार फिर से उसकी आंखो के आगे सम्पूर्ण नंगा हो गया। बड़ी गाड़ी गांड़ की दो चोटियों के बीच में घिरा हुआ लचीला सा कामुक गांड़ का छेद देखते ही अपने होश खोकर उस पर अपनी जीभ को फिरा दिया और शहनाज का सारा धैर्य जवाब दे गया और उसका शरीर उत्तेजना में बीच में से और ज्यादा मूड गया और अपनी एक चूची को नंगी छोड़कर उसका एक हाथ सब लाज शर्म छोड़कर उसकी चूत पर आ लगा और शहनाज जोर जोर से सिसकने लगी

" आह्ह्ह्ह्ह, हाय्य मत कर, गंदा बेटा, उफ्फ दोजख में जाएगा तू साहिल नही जाहिल हो गया।

साहिल ने उसकी एक नही सुनी और उसकी गांड़ के छेद पर फिर से अपनी जीभ को पूरी लंबाई में रगड़ दिया और उसकी तरफ देखते हुए बोला:"

" आह्ह्ह्ह्ह अम्मी, जो मर्जी कहो, उफ्फ ऐसी गांड़ के लिए सब कुबूल है।

शहनाज की नजरे जैसे ही अपने बेटे की आंखों से टकराई तो उसका चेहरा शर्म से झुक गया और अपनी गांड़ के अनछुए छेद पर जीभ की रगड़ से बेकाबू होती चली गई और जोर जोर से सिसकियां भरने लगी। शहनाज की जीभ अपने आप बाहर निकल आई और उसके होंठो को चूसने लगी। मस्ती से बेहाल शहनाज की गांड़ के दोनो उभार अब अपने आप ही पूरी तरह खुल रहे थे तो साहिल ने एक हाथ से गांड़ को छोड़कर अपने लंड को पकड़ लिया और बोला:"

" आह्ह्ह् अम्मी, बस ऐसे ही खोले रखिए अपनी गांड़, चूस चूस कर सब ठीक कर दूंगा।

साहिल की बात सुनकर शहनाज ने शर्म के मारे फिर से अपनी गांड़ के उभारों को जोर से भींच कर बंद कर दिया और साहिल ने एक बार फिर से ताकत लगाते हुए उन्हे खोल दिया और जीभ को गोलाई में गांड़ के छेद पर घुमाने लगा तो शहनाज की उंगलियां उसकी ढीली पड़ी हुई पेंटी में घुस गई और साहिल ने एक बार शहनाज की तरफ देखा जिसकी आंखे मस्ती से बंद और नंगी चूची जिसे देखकर फिर से पागल सा हो गया और शहनाज की गांड़ के छेद पर अपनी जीभ का दबाव बनाया तो शहनाज ने अपने बेटे की परवाह न करते हुए जोर से सिसक पर अपनी चूत को मुट्ठी मे कस लिया जिससे उसकी गांड़ अपने आप पूरी की पूरी खुलती चली गई और साहिल ने पायजामें में हाथ डालते हुए लंड को नंगा पकड़ लिया और अपनी जीभ को आगे से नुकीला करके उसकी गांड़ के छेद पर और दबाव बनाया तो शहनाज की चूत से रस की बूंदे छलक उठी और उसका एक हाथ अपने दूसरी चूची को भी नंगा छोड़ते हुए साहिल के सिर पर आ लगा और साहिल ने इसे शहनाज की खुली सहमति समझते हुए अपने एक हाथ को शहनाज के दूसरे हाथ पर रख दिया जिसमे शहनाज की चूत कसी हुई थी। शहनाज की रही सही शर्म भी चली गई और शहनाज ने अपनी पूरी सामर्थ्य से अपनी गान्ड को चौड़ा करते हुए साहिल के सिर को जोर से अपनी गांड़ पर दबा दिया मानो खुद ही उसकी जीभ को अपनी गांड़ में घुसा लेना चाहती हो। शहनाज की चूत रस पर रस बहा रही थी जिससे साहिल की उंगलियां भी भीग कर चिप चिप कर रही थी और साहिल धीरे से बोला:"

" आआह्ह्ह्ह्ह्ह अम्मी, कितनी चिप चिप कर हैं, उफ्फ लगता हैं सालो बाद चिकनी हुई है।

अपने बेटे की बात सुनकर शहनाज की चूत से रस की एक धार की छूट पड़ी और साहिल ने अपने मुंह में से ढेर सारा थूक अपनी जीभ पर लिया और शहनाज की चूत को मुट्ठी मे कस कर अपनी जीभ का पूरा दबाव उसकी गांड़ के छेद पर दिया और शहनाज की गांड़ का छेद खुला और जीभ अंदर घुस गई।

जैसे ही साहिल की गर्म लप लप करती हुई जीभ गांड़ के छेद में घुसी तो शहनाज के मुंह से एक जोरदार मस्ती भरी सिसकी निकल पड़ी और उसने पूरी बेशर्मी दिखाते हुए अपने हाथो की उंगलियों को चौड़ा किया और साहिल की उंगलियां उसकी उंगलियों के बीच से घुसकर उसकी चूत छू गई और दोनो एक साथ मस्ती से सिसक पड़े। उत्तेजना में डूबे साहिल ने कब अपना पायजामा नीचे किया उसे एहसास ही नहीं हुआ और अब उसके दूसरे हाथ में उसका नंगा लंड था जिसे वो जोर जोर से मसल रहा था। शहनाज खुद को शीशे मे देख कर बेहद उत्तेजित हो रही थी और उसकी गांड़ की दीवारों से टकराती हुई साहिल की जीभ से मदहोश शहनाज ने एक बार शीशे से अपने बेटे पर नजर डाली जिसका मुंह उसकी गांड़ में घुसा हुआ था। साहिल का एक हाथ लगातार हिल रहा था और शहनाज की नजर सीधे उसके हाथ में थमे हुए लंड पर पड़ी तो शहनाज की आंखे और चूत दोनो एक साथ चौड़ी होती चली गई। साहिल के पूरे हाथ में भरे होने के बाद भी उसका लंड आधे से ज्यादा बाहर था। शहनाज लंड की लंबाई और मोटाई देखकर बावली सी हो गई और उसकी चूत में कम्पन होने लगा और शहनाज अपनी चूत अपने बेटे से रगड़वाते हुए जोर जोर से सिसक रही थी। शहनाज के हाथ की स्पीड बढ़ती गई और अब साहिल ने भी अपने हाथ का जोर लगाया तो शहनाज से इतनी मस्ती बर्दाश्त नहीं हुई और उसकी चूत जवाब दे गई और शहनाज जोर से सिसक उठी और इसके साथ ही उसकी चूत से बांध सा टूट पड़ा और साहिल के हाथ में गर्म गर्म रस की बौछार होने लगी तो उसके लंड का भी धैर्य खत्म हो गया और उसने अपनी जीभ को पूरी लंबाई में शाहनाज की गांड़ में घुसा दिया और एक जोरदार झटके के साथ उसके लंड ने भी वीर्य की बारिश करनी शुरू कर दी और दोनो मां बेटे फिर से एक साथ जोर से सिसक पड़े।
Are bhai Pagal Kr diya yrr tumne to Zabardastt
 

Mah1983

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आपकी स्टोरी एक फिल्म की तरह चलती है जिसमे
हकीकत की कल्पना का अहसास होता है। जैसे अनोखा करवा चौथ ओर आपकी अन्य कहानियाँ। क्या यह सम्भव है कि शहनाज जँहा इतनी शर्मो हया का प्रदर्शन कर रही है वही वह अपने गीले पजामे से दुबारा मालिश को तैयार हो गई जबकी उसे मालूम है उसका पजामा क्यो गीला हुआ साथ ही साहिल का पजामा भी तो गीला होगा वो भी गीले पजामे से तैयार है, जब इतना सब कुछ होने के बाद भी दोनो राजी है तो इतनी शर्म और झिझक का प्रदर्शन स्टोरी में जरुरत ही खतम हो गई, जो आपकी कहनी में नही होता है, शायद आप इसको जल्द खत्म करने के मूड में हैं।
भैया रोमांच और कामुकता को बनाएं रखने में आप बेमिसाल है फिर भी आपने इतनी जल्दी की, इसी वजह से मुझे निराशा हुई। दूसरा कारन अपडेट देर से देने से भी कहानी का मज़ा खराब होता है। फिर भी आपको बुरा लगा हो तो क्षमा🙏
ये बात तो सही है
 
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शहनाज आज बेहद खुश थी क्योंकि एक साल की ट्रेनिंग के बाद उसका बेटा साहिल फिर से घर वापिस आ रहा था। शहनाज की शादी शहर के नवाब गुलाम अली खान से हुई थी जिनका पूरे शहर में नाम था। शहर के बीच में उनके जैसा घर जो बिलकुल महल जैसा दिखता था किसी के पास नही था। आजादी के बाद देश का माहौल बदल गया और रियासते और राज्य खत्म होते चले गए लेकिन कुछ राजा और नवाब ऐसे थे जिनकी हुकूमत तो चली गई लेकिन अकड़ अभी तक बाकी थी और गुलाम अली खान भी कुछ उसी सोच के इंसान थे।


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साहिल ने जैसे ही घर के सामने वाली गली मे आया तो उसका भव्य स्वागत किया गया और सड़क पर दोनो और खड़ी औरते उस पर फूल बरसा रही थी। हालाकि साहिल को ये सब पसंद नही था लेकिन फिर भी शांति से स्माइल करता हुए आगे बढ़ रहा था। जैसे ही ने घर के अंदर कदम रखा तो शहनाज ने अपने बेटे का मुस्कान के साथ स्वागत किया और उसके गले मे फूलो की माला पहना दी और दौड़कर उसके गले लग गई और अपने बेटे को अपनी बांहों में भर लिया। साहिल भी अपनी मां से बेहद प्यार करता था और उसने भी अपनी मां को गले लगा लिया।

प्रेमपूर्वक अपने बेटे का गाल चूम कर शहनाज बोली:"

" कैसी रही बेटे तेरी पढ़ाई ?

साहिल:" पढ़ाई तो अल्लाह का शुक्र हैं बेहद ही अच्छी रही अम्मी। लेकिन आज कल लोग पढ़ाई से ज्यादा अपने खुद के काम पर ज्यादा ध्यान देते हैं लंदन में। जिसको देखो सबकी अपनी मार्केट और काम है।

शहनाज:" अच्छा जी, फिर तुमने क्या क्या किया वहां पर ?

साहिल:" अम्मी बस मैने पढ़ाई के साथ टैटू बनाने का काम भी सीख लिया है। बस कुछ थोड़ी नई तकनीक आई थी बस वही सीख कर आया कि टैटू अगर हटाना हो तो कैसे हटाते हैं क्योंकि थोड़े समय के बाद ही लोगो को टैटू बुरे लगने लगते हैं क्योंकि कुछ लोगो को स्किन में दिक्कत आने लगती हैं और बाद में गंभीर हो सकती है।

शहनाज उसकी बात सुनकर चौंक सी गई लेकिन कुछ जाहिर नही होने दिया और बोली:"

" वहा विदेश में तुझे कुछ खाने को नहीं मिलता था क्या !! एक ही सप्ताह में कितना कमजोर हो गया है तू ?

साहिल:" नही ऐसा तो कुछ नही, आप भारतीय माए भी न अगर बस चले तो सारी दुनिया का खाना अपने बेटे को खिला दे।

शहनाज उसकी बात सुनकर बोली:" हान तो इसमें गलत क्या है भला!! हर मां चाहती है कि उसका बेटा खा पीकर सबसे ज्यादा ताकतवर बने। चल अच्छा जल्दी से नहा धो ले, और तू तो भूल ही गया रे कि आज तेरी अम्मी का जन्मदिन है।

साहिल:" ओह मम्मी, मैं भुला नहीं हू, भला अपनी मां का जन्मदिन। ही कोई भूलता हैं क्या ? याद हैं तभी तो आज ही वापिस आया हु मै आपके जन्मदिन पर।

शहनाज ने एक बार फिर से साहिल को गले लगा लिया और उसका माथा चूम कर बोली:"

" वाह बेटा हो तो ऐसा, अल्लाह तेरा जैसा बेटा सबको दे। एक तेरा अब्बा हैं जिसे दारू और नाच गाने के अलावा कुछ याद ही नहीं रहता।

साहिल ने भी अपनी मां को गले लगा लिया और बोला:"

" क्या अम्मी, अभी तक उनकी दारू की आदत नही छूटी क्या ?

शहनाज:" दारू की आदत भला किसी की कभी छूटी हैं क्या तो जब उन्हें काम से फुरसत हो। बस मुजरा देखन और दारू दो ही तो काम आते हैं उन्हें आखिर पैदायशी नवाब जो ठहरे।


इतना कहकर शहनाज थोड़ा गंभीर हो गई तो साहिल समझ गया कि अपने शौहर की दारू की आदत उसकी अम्मी पूरी दुखी हो गई है तो बोला:"

" अम्मी आप परेशान मत होइए। मैं उन्हे फिर से समझा दूंगा और वो जल्दी ही सब बंद कर देंगे।

शहनाज:" कुछ फायदा नहीं बेटा,आज तक नही छूटी तो अब क्या खाक छूटने वाली है। सच कहूं तो जैसे मेरी खुशियों में दारू ग्रहण बन गई है।

साहिल को लगा कि मामला ज्यादा गंभीर हो रहा है तो धीरे से बोला:"

" आप इतनी दुखी मत हो। वो तो सुधर ही जाएंगे कभी न कभी। कुछ दिक्कत हो तो आप मुझसे भी कह सकती हो।

शहनाज ने गहरी लंबी आह भरी और बोली:" बेटा दुनिया की हर समस्या अगर बेटा सुलझा देता तो पति की क्या जरूरत होती। छोड़ जाने दो तुम ये सब।

साहिल को एहसास हो गया था कि मामला उसकी सोच से कहीं ज्यादा गंभीर हैं तो बात को संभालते हुए बोला:

" चलिए आप जल्दी से खाना बना लीजिए फिर। फिर अब्बा भी आने ही वाले है।

शहनाज के चेहरे के भाव पल पल बदल रहे थे और बीच बीच में मौका देखकर साहिल की नजरें बचा कर अपनी जांघो को रगड़ सा रही थी। साहिल की बात सुनकर चेहरे पर मुस्कान आई और बोली:"

" वो तो रोज रात को देर से ही आते हैं, पहले जायेंगे दारू पिएंगे और फिर मुजरा देखेंगे।

इतना कहकर शहनाज किचन की तरफ बढ़ गई और जैसे ही उसने देखा कि साहिल का ध्यान उसकी तरफ नही हैं तो उसने अपनी जांघो के बीच खुजलाया और किचन में घुस गई खाना तैयार करने लगी। उसके बाद पसीने से भीगी हुई शहनाज नहाने के लिए बाथरूम में घुस गई। नहाने के बाद उसने अपनी एक खूबसूरत सा काले रंग का सूट निकाला और उससे पहन लिया। सौंदर्य प्रसाधन का सहारा हमेशा से ही औरत ने मर्द को लुभाने के लिए लिया हैं इसलिए शहनाज भी आज की रात कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती थी तो अपने आपको सजाने लगी। 38 वर्षीय शहनाज अधेड़ उम्र की जरूर थी लेकिन पूरी तरह से अपने आपको उसने संतुलित रखा हुआ था। बिलकुल सही जगह पर सही उभार उसे कुदरत का तोहफा था और शहनाज ने उसे पूरी तरह से बरकरार रखा था या यूं कहिए कि गुलाम अली खान ने उसे बरकरार रखने में शहनाज की मदद करी थी।

खूबसूरत सा चेहरा और बड़ी बड़ी गोल आंखे उसकी सुंदरता को और बढ़ा रही थी। आंखों में लगा गहरा काला काजल जिससे उसकी आंखे एक जादू सा कर रही थी, बिलकुल लाल सुर्ख लिपिस्टिक से सजे उसके रसीले लिप्स किसी को भी अपनी और आकर्षित करने के लिए लालयित थे। शहनाज जब अपने बेटे के सामने आई तो कुछ पलों के लिए उसका बेटा भी उसकी अदभुत सुंदरता की मन ही मन तारीफ किए बिना न रह सका। शहनाज एक सुलझी हुई धार्मिक और काफी सख्त स्वभाव की महिला थी इसलिए शहनाज के अंदर सीधे शब्दों में अपनी मां की तारीफ करने की भी हिम्मत नही थी। जब शहनाज नहा रही थी तो साहिल ने केक मंगा लिया था। आज तक शहनाज ने कभी केक नही काटा था बस कभी कभी फिल्मों में जरूर देखा था। रात के करीब दस बज रहे थे लेकिन गुलाम साहब का कोई पता नहीं था। दोनो मां बेटे कॉल पर कॉल कर रहे थे लेकिन गुलाम फोन नही उठा रहा था।

शहनाज के खूबसूरत से चेहरे पर गुस्से के भाव उभर रहे थे और वो अपने बेटे से बोली:"

" देखो तुम आज भी साहब को होश नही है, ये इंसान न बस कहा कहूं कुछ समझ नहीं आता।

साहिल:" अम्मी हो सकता है कि किसी काम में फंस गए हो। थोड़ी देर और इंतजार कर लिजिए।

शहनाज के होंठो पर गुस्से में भी स्माइल आ गई और बोली:"

"तुम अपने अब्बा को कभी नही समझ पाओगे। मैं जानती हु कि वो किस जरूरी काम में बिजी होगे। थोड़ी देर रुक जाओ तो तुम्हे भी एहसास हो जायेगा।

तभी गेट पर दस्तक हुई और साहिल ने दरवाजा खोला तो उसका बाप लड़खड़ाते हुए कदमों से अंदर दाखिल हुआ जिसके मुंह से दारू की तेज बदबू आ रही थी। शहनाजके साथ साहिल ने भी अपना माथा पीट लिया और साहिल को देखते ही गुलाम बोला:*

" अरे बेटा तुम कब आए ? कैसे हो तुम ?

साहिल ने अपने झूमते हुए बाप को सहारा दिया और बोला:"

" अभी आया हु बस थोड़ी देर पहले ही। अब्बा आप कहां थे इतनी रात तक ? कभी तक आप दारू पीते रहेंगे ?

गुलाम:" अरे बेटा बस ऐसे ही दोस्तो के साथ था, मन तो नहीं करता लेकिन कमबख्त मेरे दोस्त पीछा ही नही छोड़ते।

साहिल:" आप छोड़ दीजिए ये सब। अम्मी को देखिए आपकी वजह से कितनी परेशान होती है

गुलाम ने एक बार शहनाज की तरफ देखा और बोले:" अरे बेगम आप क्यों अपना खून जला रही हो ? थोड़ा खुश रहा कीजिए। खाने पीने की किसी चीज की दिक्कत हो तो हम बताए आप। सारे शहर की चीज़ों से महल भर देंगे।

साहिल:" अच्छा ये सब बाते बाद में कीजिए। आज अम्मी का जन्मदिन हैं और मैं केक भी लेकर आया हु अम्मी के लिए।

अपने बेटे की बात सुनकर शहनाज की खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहा। लेकिन गुलाम साहब बोले:"

" अरे बेटा ये केक सेक सब अंग्रेजो के ड्रामे है। हम तो अपना देसी ही ठीक है। क्यों बेगम आपका क्या ख्याल है ?

शहनाज कुछ नहीं बोली तो साहिल ने धीरे से गुलाम को सोफे पर बैठा दिया और टेबल पर केक की पैकिंग खोल दी। सच में बेहद खूबसूरत केक था और शहनाज बिना कुछ बोले बस मंद मंद मुस्कुरा रही थी।

तीनो खड़े थे और शहनाज ने हाथ में चाकू लिया और जैसे ही केक काटने के लिए झुकी उससे पहले ही गुलाम साहब का पैर फिसला और सीधे केक पर जा गिरे। साहिल और शहनाज को काटो तो खून नहीं। गुलाम का सारा चेहरा केक से सन गया था और वो धीरे धीरे उठा और बोला:"

" ये क्या गुनाह हो गया मुझसे, माफ करना बेगम थोड़ा पैर फिसल गया। मैं नहाकर आता हु।

इतना कहकर वो लड़खड़ाते हुए बाथरूम की तरफ बढ़ा गया और बीच में काफी बाद दीवार से टकराया लेकिन दोनो मां बेटे से उसे सहारा नही दिया। गिरता पड़ता वो बाथरूम में घुस गया।

साहिल ने देखा कि शहनाज बिलकुल गुमसुम सी हो गई तो बोला:"

" आप इतनी छोटी सी बात के लिए अपना दिल मत दुखाए आप। मैं कल इससे भी अच्छा केक लेकर आऊंगा आपके लिए।

शहनाज कुछ नहीं बोली और बस अपने बेटे के गले लग कर सुबकती रही। साहिल ने जैसे तैसे उसे खाना खिलाया और फिर वो अपनी अम्मी से बात करने लगा। शहनाज उसे अपना दुख बताने लगी कि उसके बाप ने कभी उसका ख्याल नही रखा। हर कदम पर उसने बस दुख ही उठाए हैं।

तभी बाहर जोर से कुछ गिरने की आवाज आई तो साहिल बाहर की जाने लगा और उसने शहनाज की तरफ देखा तो शहनाज ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी तो साहिल खुद ही बाहर आया और देखा कि उसका बाप बिलकुल नंगा बाहर गैलरी में पड़ा हुआ था। शायद नशे के कारण गिर गया होगा, साहिल उसके पास पहुंचा और न चाहते हुए भी उसकी नजर अपने बाप की जांघो के बीच में चली गई और उसे मानो यकीन ही नहीं हुआ, उसे लग रहा था कि मानो वो दुनिया का सबसे बड़ा अजूबा देख रहा हो। उसके बाप का लंड उसके हाथ की छोटी उंगली से भी पतला और उतना की लंबा था।

साहिल ने हैरानी के साथ अपने बाप को सहारा दिया और नशे मे गुलाम पता नही क्या क्या बडबडा रहा था, उसे अपनी हालत का बिलकुल भी अंदाजा नहीं था।

साहिल ने उसे कमरे में ले जाकर बेड पर लिटा दिया और उसके ऊपर एक चादर डालकर बाहर आ गया और देखा कि उसकी अम्मी ने भी अपने कमरे की लाइट बंद कर ली थी तो वो भी अपने कमरे में चला गया और सोने की कोशिश करने लगा। नींद उसकी आंखों से कोसो दूर थी, उसे बार बार अपनी अम्मी की याद आ रही थी कि किस तरह से दुख भरा जीवन वो जी रही हैं।

सोचते सोचते उसकी आंख लग गई और वो नींद के आगोश मे चला गया। अगले दिन सुबह वो उठा और नाश्ते की टेबल पर पहुंचा तो देखा कि उसके अब्बा पहले से ही वहां मौजूद थे और बिलकुल एक नवाब की तरह अकड़ कर बैठे हुए थे। थोड़ी देर बाद सबने नाश्ता किया और साहिल बोला:"

" अब्बा मैं लंदन से पढ़ाई के साथ साथ टैटू का काम भी सीख कर आया हु। चाहता हूं कि एक दुकान खोल लू, आज कल इसमे बहुत ज्यादा पैसा है।

नवाब ने उसे घूरा और बोले:"

" कमाल करते हो तुम, तुम नवाब गुलाम अली खान के बेटे हो। हमारे पास कौन सा पैसे की कमी है, जाओ और अपनी जिंदगी में ऐश करो हमारी तरह।

शहनाज:" बस आप तो रहने ही दीजिए। अगर साहिल काम करना चाहता हैं तो इसमें बुराई क्या है

नवाब:" तुम चुप रहो बेगम, हमारा शहर में नाम चलता है , लोग झुककर सलाम करते है और हमारा बेटा अपनी दुकान खोलेगा तो लोग क्या कहेंगे ?

शहनाज:" माफ कीजिए नवाब साहब, बस अब थोड़ी सी जमीन और ये महल ही बचा हुआ है। अगर ऐसे ही चलता रहा तो ये महल भी बिकने के कगार पर आ जाएगा।

नवाब:" आप जुबान संभाल कर बात कीजिए। आप होश में तो हो क्या कर रही हो? हमेशा इस तरह से बात करने की हिम्मत कैसे हुई आपकी ?

शहनाज:" माफ कीजिए नवाब साहब लेकिन सच्चाई यही है।

साहिल:" आप दोनो झगड़ा बंद कीजिए। देखिए अब्बा आज कल वो जमाना नही रहा और मुझे दुकान खोलने की इजाजत दीजिए।

गुलाम:" अरे तुम्हे काम ही करना है तो कोई दूसरा कीजिए। टैटू का काम मुझे बेहद बुरा लगता है। इसके लिए मैं कभी इजाजत नहीं दूंगा। अरे अल्लाह ने शरीर को पहले से ही इतना अच्छा बनाया हैं तो फिर क्यों उसे रंग बिरंगा करना जरूरी है।

इतना कहकर उसने शहनाज को घूरकर देखा और चुप हो गए। शहनाज कुछ नहीं बोली और अपना मुंह नीचे कर लिया।

साहिल:" लेकिन अब्बा मैंने अब काम ही टैटू का सीखा हैं तो दूसरा काम शुरू करना इतना आसान नहीं होगा।

नवाब:" हम तुम्हे कभी इसकी इजाजत नही देंगे। बस तुम अपना काम करो अब।

साहिल चुप हो गया और नवाब साहब उठकर नीचे आ गए और सामने कुछ नौकर खड़े थे जिन पर वो हुक्म चला रहे थे

नवाब:" क्यों कालू, तुम्हे कल खेत से फसल काटने को बोला था काटी क्यों नही ?

कालू:* साहब मेरी मां ज्यादा बीमार थी बस इसलिए नहीं काट पाया, आज सब काम खत्म हो जाएगा।

नवाब:" दफा हो जाओ और अपना काम करो नही तो आज तुम्हारी हड्डी तोड़ दूंगा। और तुम अनवर तुम्हे तो कल कलेक्टर के यहां जाना था।

अनवर:" वो कल मेरे भाई की बीवी को बच्चा हुआ था इसलिए नहीं जा पाया। आज जरूर कर दूंगा।

नवाब:" जिसको देखो वही बहाने बनाता है। आज काम हो जाना चाहिए लेकिन तो अंजाम खुद सोच लेना तुम।


सभी लोग हाथ जोड़ कर चले गए और नवाब साहब निकल पड़े अपनी आवारगी करने के लिए। साहिल कमरे में परेशान सा बैठा हुआ था और शहनाज उसे समझाते हुए बोली:*


" तुम दुखी मत हो अपना काम शुरू करो। नवाब साहब की तो आदत है झूठा रौब झाड़ने की, सच कहूं तो अब हमारे पास ज्यादा कुछ नहीं बचा है।

साहिल:" आप फिकर मत कीजिए अम्मी। मैं सब कुछ ठीक कर दूंगा। बस किसी तरह से मेरी दुकान खुल जाए। अब्बा हैं कि मानते हो नही है।

शहनाज:" तुम एक काम करो शहर में दुकान शुरू करो और गुलाम साहब की चिंता मत करो। उन्हें मैं खुद संभाल लूंगी।

साहिल ने खुशी खुशी अपनी मां का गाल चूम लिया और शहनाज का पूरा जिस्म कांप सा उठा और बोली:"

" बस कर पागल, इस उम्र में कोई मां को ऐसे प्यार करता हैं क्या भला

साहिल:* तो मेरे बड़े होने से क्या आप मेरी नही रही क्या।

शहनाज:" अरे वो बात नही है बेटा लेकिन फिर भी तुम्हे थोड़ा कुछ समझना चाहिए।

साहिल:" अरे अम्मी भी बस। अच्छा चलो बताओ तो जरा मुझे क्या समझना चाहिए।

शहनाज ने कुछ नहीं बोला और शर्मा गई और अपने काम में लग गई। कुछ दिन के बाद ही साहिल ने अपने दुकान को खोल लिया और नवाब साहब उससे बड़े नाराज हुए। लेकिन थोड़े ही दिनों के बाद उसकी दुकान ठीक ठाक चल पड़ी और साहिल का जान आप पास दूर दूर तक फैल गया।

टैटू बनवाने के लिए लड़के, लड़किया औरते सब आती थी और सबसे ज्यादा लोग टैटू मिटवाने के लिए आते थे क्योंकि अधिकतर लोगो को इससे स्किन एलर्जी हो रही थी और काफी इलाज के बाद भी कोई फायदा नही हो रहा था। शहर में साहिल की अकेली दुकान थी जहां पर टैटू मिटाए जाते थे इसलिए उसकी मांग बहुत ज्यादा थी।
Awesome update
 
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आपकी स्टोरी एक फिल्म की तरह चलती है जिसमे
हकीकत की कल्पना का अहसास होता है। जैसे अनोखा करवा चौथ ओर आपकी अन्य कहानियाँ। क्या यह सम्भव है कि शहनाज जँहा इतनी शर्मो हया का प्रदर्शन कर रही है वही वह अपने गीले पजामे से दुबारा मालिश को तैयार हो गई जबकी उसे मालूम है उसका पजामा क्यो गीला हुआ साथ ही साहिल का पजामा भी तो गीला होगा वो भी गीले पजामे से तैयार है, जब इतना सब कुछ होने के बाद भी दोनो राजी है तो इतनी शर्म और झिझक का प्रदर्शन स्टोरी में जरुरत ही खतम हो गई, जो आपकी कहनी में नही होता है, शायद आप इसको जल्द खत्म करने के मूड में हैं।
भैया रोमांच और कामुकता को बनाएं रखने में आप बेमिसाल है फिर भी आपने इतनी जल्दी की, इसी वजह से मुझे निराशा हुई। दूसरा कारन अपडेट देर से देने से भी कहानी का मज़ा खराब होता है। फिर भी आपको बुरा लगा हो तो क्षमा🙏

शहनाज मजबूरी में फंसी है और उसके पास कोई दूसरा विकल्प नहीं है। इलाज के लिए उसने हालात से समझौता कर लिया है और अपने आपको किस्मत के हवाले कर दिया। शहनाज भी एक प्यासी नारी हैं और जिस्म की भूख सब पर हावी होती है।

ये सच है कि कहानी जल्दी ही खत्म हो जायेगी।
 
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