अभी तक आपने पढा की चौराहे वाले टोटके के बाद लीला की रुपा को राजु के साथ नँगे बदन सुलाने की योजना विफल हो गयी थी, क्योंकि इन सब कामो मे राजु तो एकदम अनाङी था ही, रुपा भी लाज शर्म का संकोच करके अलग से सो गयी थी इसलिये लीला अब अपने गाँव के ही पास के एक वैद के पास जाकर स्त्री पुरुष के सम्बन्धो को बढावा देने वाली दवा के साथ साथ शहर से कुछ टोने टोटके करने के जैसे सामान को भी खरीद लाई थी अब उसके आगे:-
वैध जी के पास ही लीला को दोपहर हो गयी थी, उपर से शहर से भी सामान खरीदने के बाद, उसे वापस अपने घर पहुँचते पहुँचते ही अन्धेरा हो गया। घर पर रुपा उसका बेसब्री से इन्तजार कर रही थी इसलिये...
"आ गयी माँ तुम.. आज तो बहुत देर लगा दी...! क्या बताया फकीर बाबा ने...?" रुपा ने अब लीला को देखते ही बङी ही उत्सुकता से पुछा, मगर लीला ने देखा की उस समय राजु घर पर ही है, इसलिये एक नजर उसने पहले तो राजु की ओर देखा फिर...
"कल शनिवार था ना, बहुत से लोगो ने टोटका किया होगा इसलिये उनके टोटके का असर हुवा की नही हुवा, बाबा से ये पुछने वाले लोगो की बहुत भीङ थी, इसलिये देर हो गयी...! चल भीतर चल फिर बैठकर बात करते है..." ये कहते हुवे लीला कमरे मे घुस गयी और पलँग पर जाकर बैठ गयी।
लीला आज भी किसी फकीर बाबा के पास नही गयी थी।उसने ये एकदम सफेद झुठ बोला था, उसने फकीर बाबा के पास भीङ होने की बात भी झुठ ही कही थी। जब वो किसी बाबा के पास गयी ही नही तो फिर भीङ होने का मतलब ही क्या था, मगर उसने जो देरी होने के लिये फकीर बाबा के पास टोटके वाले लोगो की बहुत भीङ होने की छुठी बात कही उससे रुपा का लीला के साथ साथ फकीर बाबा पर भी विश्वास बढ सा गया। रुपा अपनी माँ के पीछे पीछे ही थी इसलिये वो भी अब कमरे मे आ गयी और...
"बता ना.. क्या बताया बाबा ने...?" पुछते हुवे रुपा भी पलँग पर ही लीला की बगल मे आकर बैठ गयी जिससे..
लीला: होना क्या था, मैने बोला था तुझसे टोटके के बाद दोनो को साथ मे रहना है, पर तुने मानी कहा मेरी बात..! वैसे भी बाबा बता रहे थे की ये बहुत ही जिद्दी जीन्न है, और काफी सालो से तेरे पीछा पङा हुवा है इसलिये इतनी आसानी तेरा पीछा नही छोङेगा..! और तो और कल रात के टोटके से वो अब चीढ भी गया है..!
रुपा: फिर..........!, अब क्या होगा माँ..?
लीला: होना क्या है..? अब तुम्हे जल्दी से जल्दी, मै तो बोल रही हुँ कल ही राजु के साथ जाकर पहाङी वाले लिँगा बाबा पर दीया जलाकर आना होगा, और उसके लिये तुम्हें यहाँ घर से ही जोङे के साथ एक दुसरे का हाथ पकङे पकङे जाना है, नही तो वो जीन्न अब तुम्हे नुकसान भी पहुँचा सकता है। वहाँ दीया जलाने के बाद कुछ और भी टोटके है जो तुम्हे साथ मे करने है..!
रुपा: पर माँ..., राजु के साथ मै लिँगा बाबा पर कैसे दीया जलाने जा सकती हुँ, और गाँव मे मुझे कोई राजु के साथ दीया जलाने के लिये जाते देखेगा तो क्या सोचेगा...?
रुपा ये जानती थी की लिँगा बाबा पर औरते अपने पति के साथ ही दीया जलाने के लिये जाती है, क्योकि गाँव के लोगो का मानता रही है की जिस किसी औरत को बच्चे नही होते, अगर वो औरत मासिक धर्म (पीरियड) के बाद अपने पति के साथ लिँगा बाबा पर दीया जलाकर आये, तो उसे जल्दी ही माँ बनने का सुख मिल जाता है इसलिये राजु के साथ लिँगा बाबा पर दीया जलाकर आना रुपा को बङा ही अजीब लग रहा था।
लीला: किसी को कुछ नही पता चलेगा..!, तुम सुबह अन्धेरे अन्धेरे ही निकल जाना, रात मे वहाँ सारे टोटके करके अगले दिन अन्धेरा होने के बाद ही घर वापस आना..!
लीला ने बङा ही स्टीक जवाब दिया।
रुपा: फिर भी माँ... और ऐसे दिनभर एक दुसरे का हाथ पकङे राजु के साथ रहना कैसे होगा, रास्ते मे पानी पिशाब के लिये भी तो जाना होगा ना..?
लीला: पानी पिशाब ही नही... दोनो को वहाँ रात भर बिना कपङो के रहना भी होगा, बाबा ने कुछ और भी ऐसे टोटके बताये है जो तुम्हें एकदम नँगे होकर ही करने है।
रुपा: फिर ये सब राजु के साथ कैसे होगा...? उसके साथ ये सब करते शरम नही आयेगी..? और वो क्या सोचेगा मेरे बारे मे..?
लीला: ये सब टोने टोटके है जो ऐसे ही करने पङते है..!
कल रात मे भी तो तुने उसके साथ नँगे होकर टोटका किया तो था, अब एक बार और कर लेगी तो क्या हो जायेगा..?
रुपा: कल रात भी तो उसके साथ ये सब करते कितनी शरम आर ही थी..!
लीला: तभी तो वो जीन्न चीढ गया है। अब तुम्हे ये टोटके पुरे करने ही होँगे नही तो वो जीन्न तुम्हे नुकसान भी पहुँचा सकता है..!
लीला ने जीन्न के नुकसान करने का डर दिखाकर रुपा पर अब दबाव बनाते हुवे कहा जिससे...
रुपा: फिर भी माँ राजु के साथ..., मै अब क्या कहुँ..?
लीला: इसमे अब कहना क्या..! बस एक दिन की तो बात है, जैसे कल रात को हुवा था वैसे ही अब ये टोटके भी हो जायेँगे, देखना अगर ये टोटके सही से हो गयी तो इसी महीने तु उम्मीद से हो जायेगी जिससे तेरी सास भी खुश हो जायेगी और दामाद जी भी तेरी हर बात मानँगे...
जीन्न के डर के साथ साथ लीला ने अब उसकी सास व पति के खुश होने का भी लालच सा दिया जिससे रुपा का दिल तो नही कह रहा था राजु के साथ ये सब करते मगर फिर भी...
रुपा: ठीक है बताओ..! कैसे क्या करना है..?
रुपा ने अब मायुस सी होते हुवे बेमन से कहा, जिससे...
लीला: इसमे इतना मायुस होने की क्या बात नही है..? करने है तो सारे टोटके तुझे पुरा मन लगाकर और खुश होकर करने होँगे, नही तो कल के जैसे सारी मेहन बेकार हो जायेगी.. इतनी दुर पैदल चलकर भी जायेगी और ऐसे ही दुखी होकर आधे अधुरे टोटके करेगी तो कोई फायदा नही होगा..!
रुपा: ठीक है मन से करुँगी..! अब बताओ तो कैसे क्या करना है..?
रुपा ने अब थोङा सामान्य होते हुवे कहा जिससे लीला ने थैले से सारा सामान निकालकर पलँग पर रख लिया और...
लीला: ये ले... ये सारा सामान तेरे टोटके के लिये है इस सामान को वहाँ रखकर तुझे इसके आगे दिया जलाना है और इसके लिए तुम्हे यहाँ से एक दुसरे का हाथ पकङकर जोङे से वहाँ जाना होगा, फिर दोनो को नहाने के बाद ऐसे ही एकदम नँगे होकर साथ मे दीया जलाना है..!
"पर माँ राजु के साथ ये मै कैसे करूँगी...और वो क्या सोचेगा मेरे बारे मे..?" रुपा ने दुखी सा होते हुवे कहा जिससे....
लीला: इसमे क्या सोचेगा.. ? और सोचता है तो सोचने दे, रात के अन्धेरे मे सब हो जायेगा, उसकी चिँता तु मत कर..! और मैने कहा ना तुझे ये टोटके खुश होकर मन से करने है। ऐसे दुखी होकर करेगी तो कोई फायदा नही निकलेगा..
रुपा अब गर्दन झुकाकर बैठ गयी जिससे..
लीला: दीया जलाकर तुम दोनो एक दुसरे के सामने ऐसे ही नँगे बैठना है, और तुझे दीये की रोशनी मे अपने यहाँ (चुत) पर राजु की आँखो की सेक तब तक लेनी है जब तक की दीये का तेल खत्म होकर वो अपने ना बुझ जाये.....
बाकी... अगर....दामाद जी पर असर नही होता तो तुझे वहाँ..... तुझे उनके साआ्आ्थ.... वो सब भी करना....!
"ये क्या बोल रही हो माँ...? राजु के साथ ये सब... नही... नही... इस्से अच्छा तो मै बाँझ ही ना रह लुँगी..!" लीला अपनी बात पुरी करती उससे पहले ही रुपा अब फिर से बीच मे बोल पङी।
लीला बस रुपा के मन की लेना चाह रही थी की वो इस बात पर क्या कहती है इसलिये उसने ये बात जान बुझकर थोङी लम्बी कर दी थी, मगर अब रुपा के उसे टोकते ही...
लीला: मुझे पुरी बात बताने तो दे... मै तुझे कौन सा उसके साथ कुछ करने को बोल रही हुँ..? मै तो बस बता रही हुँ की दामाद जी के साथ तुम्हे वो सब भी करना था। इसके लिये मैने पुछा था बाबा से..! बोल रहे थे उसके लिये राजु के साथ ये सब करने का तुझे वहाँ बस दिखावा करना है।
रुपा: दिखावा मतलब..?
लीला: मतलब ये की बस तुम्हे ये सब करने का दिखावा सा करना है, इसके लिये पहले उसे तेरे यहाँ नीचे इस पर (चुत पर) होठ लगाने है, फिर तुझे उसकी गोद मे बैठ जाना है। ऐसे ही तुझे भी उसके वहाँ नीचे उस पर(लण्ड पर) अपने होठ लगाने है फिर उसे अपने उपर सुलाना है ताकी वो जिन्न हमेशा हमेशा के लिये तेरा पीछा छोङकर भाग जाये..!
"अब ये क्या है माँ..? ऐसे राजु के साथ ये सब करते मै अच्छी लगुँगी और फिर इससे होगा क्या..?" लीला आगे कुछ कहती तब तक रुपा फिर से बोल पङी।
लीला: अरे..! तभी तो वो जीन्न तेरा पीछा छोङेगा...!
"तुझे पहले भी तो बताया था की दमाद जी अब उस जीन्न के ही वश मे है उनके साथ तो तु चाहे जो कर, मगर जब तु किसी दुसरे मर्द के सामने ऐसे नँगी रहेगी और उसके साथ ये सब करेगी तभी तो वो जिन्न चीढकर तेरा पीछा छोङकर जायेगा..!
"...और हाँ इस कपङे मे बाबा जी की खास भस्म है... वहाँ जाकर अपने कपङे उतारने से पहले इसकी एक एक चुटकी दोनो को खा लेनी है ताकी वो जीन्न तुम्हारा कोई नुकसान ना कर सके...! और ये भस्म खाने के बाद चाहे तो तुम हाथ भी छोङ देना..! मगर तब तक तुम्हे एक दुसरे का हाथ पकङे जोङे के साथ ही रहना होगा नही तो वो जीन्न तुम्हे नुकसान भी पहुँचा सकता है..!" लीला ने जीन्न का डर बताकर जिस काले कपङे मे वैध जी की दवाई बाँधकर रखी थी उसे अब बाबा जी की भस्म बताकर रुपा को दिखाते हुवे कहा।
रुपा: पर माँ ये सब मै राजु को करने के लिये मै कैसे कहुँगी...?
लीला: उसकी चिँता तु मत कर, उसे मै अपने आप समझा दुँगी, तु जैसा कहेगी वो बिना कुछ पुछे चुपचाप कर लेगा।
"ले इस सारे सामान को इसी थैले मे रख ले...बाकी वहाँ जरुरत का सामन मै सुबह बाँध दुँगी... जा अब तु रोटी बना ले तब तक मै थोङी देर कमर सीधी कर लेती हुँ दिन भर भाग भाग कर थक गयी हुँ..." ये कहते हुवे लीला ने थैला रुपा को थमा दिया और पलँग पर लेट गयी।
रुपा को फकीर बाबा व जीन्न की बात पर तो पुरा विश्वास था मगर राजु के साथ ये सब करने मे उसे अभी भी अजीब सा लग रहा था इसलिये उसने बिना कुछ कहे सारे सामान को वापस थैले मे रख दिया और चुपचाप खाना बनाने के लिये रशोई मे आ गयी।