• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Incest "टोना टोटका..!"

कहानी मे राजु के सम्बन्ध कहा तक रहे..?

  • बस अकेले रुपा तक ही

  • रुपा व लीला दोनो के साथ

  • रुपा लीला व राजु तीनो के एक साथ


Results are only viewable after voting.

rajpoot01

Well-Known Member
2,114
3,233
158
good update
 
  • Like
Reactions: Napster

Napster

Well-Known Member
5,223
14,270
188
अभी तक आपने पढा की अपनी माँ के समझाने पर रुपा भी राजु को साथ मे लेकर लिँगा बाबा पर दिया जलाकर टोटके करने निकल आई थी जिससे रास्ते मे राजु ने पिशाब किया तो रुपा को जोरो की शरम महसुस हुई और आगे जाकर उसे राजु के साथ ऐसा ही बहुत कुछ करना है ये सोच सोचकर वो घबरा सी रही थी...

अब उसके आगे:-

ऐसे ही करीब अब डेढ दो घण्टे चलने के बाद रुपा फिर से थक गयी थी। वैसे भी दोपहर हो गयी थी इसलिये...

"चल अब यही रुक कर आराम कर लेते है..!" रुपा ने राजु को रोकते हुवे कहा‌।

"हाँ..हाँ"जीज्जी कुछ खा भी लेते है बहुत भुख लगी है..! चलो उस पेङ की छाँव मे चलकर बैठते है..!" राजु ने पास के ही एक बङे से पेङ की ओर इशारा करते हुवे कहा जिससे रुपा भी राजु का हाथ पकङे पकङे उसे पेङ की छाव मे ले आई ।

लीला ने खाने मे आचार व रोटी बाँधकर दी थी। दोनो भाई बहन ने पेङ की छाव मे बैठकर पहले तो रोटी खाई फिर...

"चल अब दोपहर दोपहर यही आराम कर लेते है फिर चलते है..!" ये कहते हुवे रुपा ने अब थैले से चद्दर निकालकर जमीन पर बिछा ली जिससे...

"जीज्जी... व्. वो मुझे पिशाब करके आना है..!" राजु ने अब रुपा से नजरे चुराते हुवे कहा जिससे एक बार तो रुपा ने राजु के चेहरे की तरफ देखा फिर...

राजु क्या खुद रुपा को भी जोरो की पिशाब लगी थी वो बस थोङा राजु से शरम कर रही थी जिससे चुप थी मगर अब राजु के कहते ही..

"चल कर ले..!" ये कहते हुवे वो उसे अब जहाँ उसने चद्दर बिछाई थी उससे थोङा दुर लेकर आ गयी और उसके कन्धे पर हाथ रखकर दुसरी ओर मुँह करके खङी हो गयी।

राजु ने भी अपने पजामे का नाङा खोलकर अब जल्दी से अपना लण्ड बाहर निकाला और सीधे मुतना शुरु कर दिया जिससे एक बार फिर रुपा के कानो मे... "तङ्..तङ्.ङ्ङ्...." मुत की धार के नीचे जमीन पर गिरने की आवाज गुँज सा गयी। इस बार राजु इतना शरमा नही रहा था इसलिये उसके मुतने की आवाज भी थोङा जोरो से आ रही थी जिसे सुनकर रुपा को अजीब सा ही अहसास होने लगा और अनायास ही उसकी गर्दन पीछे की ओर घुमकर नजरे अपने ठीक पीछे मुत की धार छोङते राजु पर जा टिकी...

राजु का पजामा पीछे से तो उसके कुल्हो मे ही फँसा था मगर आगे से थोङा नीचे उतरा हुवा था और एक हाथ से वो अपने लण्ड को पकङे जोरो से मुत रहा था। उसके लण्ड से निकलकर मुत की धार जमीन पर दुर तक जाकर गीर रही थी। रुपा को अब राजु का लण्ड तो नजर नही आया, मगर उसके लण्ड से निकलती हल्के सुनहैरे रँग की मुत की धार अलग ही नजर आ रही थी।

रुपा पहली बार किसी को इतने करीब से पिशाब करते देख रही थी। पिछली रात शरम हया के कारण व अन्धेरे मे वो कुछ देख नही पाई थी मगर राजु को अब दिन के उजाले मे मुतते देख उसकी चुत मे एक अजीब ही शुरशुरी सी होने लगी। उसे समझ नही आ रहा था की उसे ये क्या हो रहा है मगर राजु को मुतते देख उसके दिल मे गुदगुदी सी होने लगी थी। राजु भी कुछ देर तो ऐसे ही अपने लण्ड को पकङे मूत्तता रहा, फिर उसने मूत्त की तीन चार छोटी छोटी पिचकारिया सी तो छोङी और अपने लण्ड को झाङकर वापस पजामे के अन्दर करके नाङा बाँधने लगा जिससे रुपा तुरन्त अपनी गर्दन घुमाकर दुसरी ओर देखने लगी।

तब तक राजु ने भी वापस रुपा की ओर मुँह कर लिया और...
"चले जीज्जी हो गया..!" राजु ने पजामे के नाङे को अन्दर करते हुवे कहा।

रुपा ने भी सुबह शौच जाने के बाद से पिशाब नही किया था उपर से दो बार उसने पानी भी पी लिया था इसलिये उसे भी जोरो की पिशाब लगी हुई थी मगर राजु के साथ रहते उसे पिशाब करने मे शरम आ रही थी। राजु के लण्ड से निकलकर नीचे गीरती मूत की धार की आवाज से रुपा की चुत मे एक अजीब ही शुरशुरी सी होने लगी थी उपर से बीना पिशाब किये भी वो अब कब तक रहती इसलिये...

"व्.वो्. मुझे भी करना है..!" रुपा ने अब शरम हया के मारे राजु से नजरे चुराते हुवे कहा जिससे..

"क्.क्.क्या्आ्..!" राजु ने हैरानी के मारे रुपा की ओर देखते हुवे कहा।

" व्.वो्. मुझे भी पिशाब करना है..! त्.तु उधर मुँह करके खङा हो, मै भी कर लेती हुँ..!" रुपा ने शरम से मुस्कुराते हुवे अब एक बार तो राजु की ओर देखा फिर गर्दन घुमाकर दुसरी ओर देखने लगी।

रुपा के पिशाब करने बात सुनकर राजु को अब झटका सा लगा.. क्योंकि जिस तरह से वो और रुपा सब कुछ एक दुसरे का हाथ पकङे पकङे ही कर रहे थे तो ये बात उसके दिमाग मे ही नही आई थी की उसकी जीज्जी को पिशाब लगेगी तो वो उसके पास बैठकर ही पिशाब करेगी, पिछली रात को जब रुपा ने उसके लण्ड को अपने पिशाब धोया था उस समय से ही अपनी जीज्जी की चुत व चुत से निकलते मूत की एक छवि उसके दिमाग मे छप सी गयी थी, तो अपने लण्ड पर गीरने वाले उसके गर्म गर्म पिशाब के अहसास को भी वो अभी तक भुला नही पाया था इसलिये अपनी जीज्जी के पिशाब करने की बात सुनकर उससे ना तो अब कुछ बोलते बना और ना ही कुछ करते वो चुपचाप सुन्न सा होकर रुपा की ओर देखते का देखता ही रह गया जिससे...

‌‌‌‌ "अरे.. ऐसे क्यो खङा है, कहा ना तु उधर मुँह कर, मै भी कर लेती हुँ..!" रुपा ने अब राजु का हाथ अपने कन्धे पर रखवाते हुवे फिर से कहा तो...

"ज्.ज्.ह्.ह.हाँ.हाँ..ज्.जी्ज्जी्...!" ये कहते हुवे राजु भी दुसरी ओर मुँह करके खङा हो गया।

राजु के घुमते ही रुपा ने पहले तो अपनी शलवार का नाङा खोला जो की एक झटके मे खुल गया, फिर एक हाथ से धीरे धीरे अपनी शलवार व अपनी पेन्टी को घुटनो तक उतारकर वो तुरन्त मुतने नीचे बैठ गयी। रुपा काफी देर से पिशाब रोके हुवे थी इसलिये नीचे बैठकर उसने अब जैसे ही अपनी चुत की माँसपेसियो पर जोर दिया... "श्शशू्शू.र्र्.र्र.र्र.र्र.र्र.श्श्..." की, सीटी की सी आवाज के साथ उसकी चुत से भी मुत की धार फुट पङी।

रुपा की चुत से पिशाब के साथ निकल रही सीटी की आवाज राजु के कानो मे भी गुँजने लगी थी। वो अपनी जीज्जी के इस तरह इतने पास मे बैठकर मूतने से पहले ही सदमे मे था, उपर से रुपा की चुत से मूत की धार के साथ निकलने वाली सीटी की सी आवाज को सुनकर उसके लण्ड मे हवा सी भरना शुरु हो गयी...

राजु से मुश्किल से कदम भर के फासले पर रुपा मूत रही थी जिससे उसकी चुत से पिसाब के साथ निकलने वाली आवाज राजु के कोनो मे बिल्कुल स्पष्ट गुँज रही थी।
माना की उसके पास मे बैठकर जो मूत रही थी वो उसकी जीज्जी थी, मगर फिर भी किसी औरत या लङकी के इतने पास मे बैठकर मूतना राजु के लिये अदभुत व एक नया ही अनुभव था इसलिये जैसे जैसे रुपा की पिशाब की थैली खाली होती गयी वैसे वैसे ही राजु के लण्ड मे हवा सी भरती चली गयी और उसका लण्ड तनकर एकदम अकङ सा गया...

रुपा ने भी अब तीन चार मुत् की छोटी छोटी पिचकारीयाँ सी छोङी और फिर अपनी पेन्टी व शलवार को उपर खीँचकर खङी हो गयी। वो काफी देर से पिशाब रोके हुवे थे इसलिये पिशाब करके उसे काफी राहत सी महसूस हुई जिससे उठते समय उसने एक बार तो राजु की ओर देखा, जो की दुसरी ओर मुँह किये खङा था, फिर शलवार का नाङा बाँधकर...

"चल हो गया..!" ये कहते हुवे वो अब वापस पलटी तो उसकी नजर सीधे राजु पर गयी जो‌की एकदम गुमसुम सा खङा था।

राजु को ऐसे खङे देख रुपा भी अब थोङा सकते मे आ गयी इसलिये अनायास ही उसकी नजरे उपर से होते नीचे उसके पजामे तक पहुँच गयी और..

"क्या हुवा..? चल च्.अ्.अ्... ले..!" ये कहते कहते ही वो बीच मे ही रुक गयी, क्योंकि राजु के पजामे मे उसके एकदम तने खङे लण्ड का बङा सा उभार साफ नजर आ रहा था जिसे देख रुपा का दिल अब धक्क... सा रह गया था।

रुपा के दोबारा बोलने से राजु जैसे अब होश से मे आया और...

"ह्.हँ.हाँ.हाँ...ज्.ज्जीज्जी...चलो...!" ये कहते हुवे वो रुपा के साथ चुपचाप चल पङा। रुपा को यकिन करना मुश्किल हो रहा था की सही मे ही राजु का लण्ड खङा है या ये उसका ही वहम है इसलिये चलते चलते भी उसकी नजर राजु के पजामे मे बने उभार पर ही बनी रही। जब पिछली रात वो उसे नँगी देखकर उत्तेजित हो गया था तो रुपा को अब समझते देर नही लगी की वो उसके पास मे बैठकर पिशाब करने से उत्तेजित हो गया है इसलिये रुपा को अब खुद पर ही जोरो की शरम सी आई...
बहुत ही सुंदर लाजवाब और जबरदस्त अपडेट हैं भाई मजा आ गया
 

Napster

Well-Known Member
5,223
14,270
188
खैर राजु के साथ वो अब वापस चद्दर पर आकर बैठ गयी जिससे राजु अब एक ओर मुँह करके लेट गया और रुपा उसके बगल मे बैठ गयी। थकान की वजह से राजु को तो अब कुछ देर बाद ही नीँद लग गयी मगर रुपा ऐसे ही उसके पास बैठी रही। वो अभी भी राजु के पजामे मे बने उभार के बारे मे ही सोच रही थी जिससे बार बार उसकी नजर राजु की ओर चली जा रही थी। अब कुछ देर तो वो ऐसे ही बैठी रही फिर वो भी उसके बगल मे ही चद्दर पर लेट गयी जिससे उसे अब अजीब सा ही अहसास होने लगा..

शादी से पहले..........।, पहले क्या अभी भी वो घर आती थी तो उसके साथ ही पलँग पर सोती थी, मगर उसके दिमाग मे कभी भी कोई ऐसी वैसी बात नही आई थी, मगर आज राजु के पजामे मे बने उभार को देखने‌ के बाद रुपा को अब राजु की बगल मे लेटकर अजीब सा ही महसुस हो रहा था। उसके पजामे मे बने उभार के बारे मे सोच सोचकर उसके दिल मे गुदगुदी सी हो रही थी तो, उसे अपनी चुत मे भी एक सरसराहट सी महसूस हो रही थी जिससे अपने आप ही उसकी चुत मे नमी सी आ गयी थी।

रुपा को जब ये अहसास हुवा की वो खुद भी राजु के बारे मे सोचकर उत्तेजित हो रही है तो एक बार तो उसने अपना माथा ही पिट लिया, क्योंकि उसे खुद अपने आप पर ही अब जोरो की शरम सी आई इसलिये उसने अपने दिमाग से ये सारे विचार निकाल फेँके और चुपचाप आँखे बन्द करके कुछ देर सोने की कोशिश करने लगी..! जिससे उसे भी अब नीँद लग गयी, मगर वो अब घण्टे सवा घण्टे हो सोई होगी की उसे जब अपने पेट व जाँघो पर भार सा महसूस हुवा तो उसकी नीँद खुल गयी...

रुपा को अपने कुल्हे के पास भी कुछ चुभता हुवा सा महसूस हो रहा था इसलिये उसने आँखे खोलकर देखा तो राजु उससे एकदम चिपका हुवा था। उसका हाथ उसके पेट पर पङा था तो उसका एक पैर भी रुपा की जाँघो पर चढा हुवा था। रुपा ने अब ऐसे ही थोङा उपर नीचे होकर देखा तो उसकी साँसे जैसे थम सी गयी, क्योंकि कुल्हे के पास उसे जो चुभता हुवा सा महसूस हो रहा था वो राजु का लण्ड था जो की एकदम सीधा तना खङा था‌। राजु का लण्ड बहुत ज्यादा बङा व मोटा तो नही था, बस उसकी उम्र के हिसाब से ही था मगर रुपा के पति के मुकाबले वो तनकर किसी लोहे की राॅड के जैसे एकदम पत्थर हो रखा था।

रुपा ने अपने पति का लण्ड हाथ से छुकर देखा हुवा था। उसके पति का लण्ड पुरा उत्तेजित होकर भी लचीला सा ही रहता था मगर राजु के लण्ड की‌ कठोरता को महसूस कर वो एकदम जङ सी होकर रह गयी थी। राजु अभी भी सो रहा था मगर रुपा की पुरी तरह नीँद खुल गयी थी, इसलिये कुछ देर तो वो चुपचाप ऐसे ही पङी रही, मगर राजु के साथ इस तरह सोने पर उसे खुद पर शरम सी आई इसलिये राजु को अपने से दुर हटाकर वो उठकर बैठ गयी और...
"ओय् राजु..! चल उठ जा अब, चल अब चलते है..!" ये कहते हुवे रुपा उसे भी उठाने की कोशिश करने लगी, जिससे राजु ने करवट बदलकर अपना मुँह दुसरी ओर कर लिया।

वैसे तो अभी तक वो नीँद मे ही था, मगर अपनी जीज्जी से चिपकर सोने मे उसे जो जो सुख उसके नर्म मुलायम बदन से मिल रहा था, अब करवट बदलने से एक तो उसका वो सुख छिन गया था उपर से वो डेढ दो घण्टे के करीब अच्छे से सो भी लिया था इसलिये राजु की भी नीँद अब खुल गयी। आलस किये किये वो कुछ देर तो ऐसे ही पङा रहा फिर...

"आह्..ओम्..क्याआ्..जीज्जी्... इतना अच्छा सपना आ रहा था आपने बीच मे ही जगा दिया..!" राजु ने जम्हाई सी लेते हुवे कहा और उठकर बैठ गया...

राजु को ये होश नही था की उसका लण्ड खङा होने से उसके पजामे मे उभार बना हुवा है मगर उसके बैठते ही रुपा की नजरे अब सीधे उसके लण्ड पर चली गयी जो की उसके पजामे मे एकदम तना खङा अलग ही नजर आ रहा था। राजु के पजामे की ओर देख रुपा को अब शरम सी आई इसलिये...

"अच्छा...ऐसा क्या सपना देख रहा था..!" जिस तरह से राजु का लण्ड उसके पजामे मे एकदम तना खङा था उससे रुपा ने सोचा की ये कोई ऐसा वैसा सपना देख रहा होगा इसलिये उससे नजरे चुराते हुवे उत्सुकता से पुछा।

"अरे जीज्जी वो सपने मे‌ ना मै और आप शहर घुमने गये थे। वहाँ होटल मे खाने के लिये बहुत सारी चीचे मिल रही थी मगर खाने से पहले ही आपने जगा दिया..!" राजु ने सरलात से कहा जिससे..

रुपा: हट्.भुखङ..सपने मे भी बस तुझे खाना पीना ही सुझता है..!"

राजु: चलो खाना तो नही‌ मिला पर अब प्यास लगी है, आ्ह्ह्..ओम्. जीज्जी, पानी की बोतल दो ना..!"

राजु ने फिर से जम्हाई लेते हुवे कहा और रुपा से पानी की बोतल लेकर पीने लगा। इस बार भी राजु ने पानी की पुरी बोतल खत्म कर दी थी जिस देख...

रुपा: तु फिर से पुरा पानी पी गया..? बाद मे पानी नही मिला तो..

राजु: अब प्यास लगेगी तो पानी तो पीना ही पङेगा ना..
रास्ते मे हैण्ड पम्प से फिर भर लेँगे..!

रुपा: अच्छा..अच्छा ठीक है चल अब चले..!

राजु के साथ रुपा भी उठकर खङी हो गयी और चद्दर को मोङकर उसने उसे वापस थैले मे रखते हुवा कहा मगर बीच बीच मे उसकी नजर राजु के पजामे मे बने उभार पर भी चली जा रही थी जो की धीरे धीरे अब कम होता जा रहा था।
बहुत ही जबरदस्त और लाजवाब अपडेट है भाई मजा आ गया
राजू का खडा लंड देखकर रुपा उत्तेजना महसुस कर रही है तो क्या लिंगा बाबा की पहाडी पर दोनों के बीच कुछ होगा
खैर देखते हैं आगे
अगले धमाकेदार और चुदाईदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
 

Chutphar

Mahesh Kumar
395
2,241
139
दोस्तो वैसे तो मैने कहानी का समापन सोच लिया है जो की कुछ इस तरह से होने वाला है :--

रुपा जब पेट से हो गयी तो बधाईयो के साथ उससे ये पुछने वाली औरतो की भी कमी नही थी की इस बार उसने किसी वैद या हकीम से दवा ली है या कोई जादु टोना करवाया है जो वो पेट से हुइ मगर रुपा कीसी से कुछ बताती नही थी मगर एक रोज:

"वैसे बहु अबकी बार तुने ऐसा क्या किया, या फिर तेरी माँ ने ही तुझे कोई दवा दिलवाई है जो तुने इस घर को इतनी बङी खुशी दी है..!गाँव सब पुछती रहती, मुझे भी तो बता..?" रुपा की सास ने भी उससे पुछ लिया जिससे तुरन्त...

"टोना टोटका...!" राजु भी उस समय वही खङा हुवा था इसलिये रुपा ने अब उसकी ओर देखते हुवे कहा।

राजु भी उसकी ओर ही देख रहा था जिससे दोनो के चेहरे पर ही शरम हया की एक मुस्कान सी तैर गयी तो वही...

"क्या..?" रुपा की सास को कुछ समझ नही आया इसलिये उसने अब रुपा की ओर देखते हुवे कहा जिससे...

"अरे..! कुछ नही माँ जी.. बस कुछ टोने टोटके है जो मेरी माँ ने बताये थे उन्हे मैने व राजु ने मिलकर किया है..!" रुपा ने अब राजु की ओर देखते हुवे ही कहा जिससे अब एक बार तो दोनो की नजरे आपस मे टकराई मगर फिर दोनो के चेहरे पर ही मुस्कान तैर गयी और..


"चल राजु हम खेते मे चलते है..!" ये कहते हुवे रुपा उसे अपने साथ खेत मे ले आई और रुपा की सास बस उन्हे देखती रह गयी....


अब इस कहानी को यही रुपा तक ही सिमित रखना है या आगे भी बढाना है और आगे कहाँ तक बढाना है, ये अब आपके वोट पर निर्भर है...या फिर आप काॅमेन्टस मे भी लिख सकते हो की राजु के सम्बध कहाँ तक सिमित रखने है..


उसके सम्बन्ध बस रुपा तक ही रखने है या फिर लीला को भी इसमे सामिल करना है, और अगर आप चाहे तो रुपा व लीला दोनो एक साथ मिलकर भी राजु के साथ मजे कर सकती है पर इसके लिये जल्दी से वोट जरुर करे ताकी कहानी को उस हिसाब से आगे बढाया जा सके, नही तो मे कहानी के आगे बढ जाने के बाद उसे बदलना मुश्किल हो जायेगा..!
 
Last edited:

Enjoywuth

Well-Known Member
4,167
4,704
158
रूपा के बाद लीला का नंबर लगना चाहिए । एक बात मजा लेने बाद बिचारा राजू कहां भटकेगा। कुछ toh मिलते रहना चाहिए
 

Ajju Landwalia

Well-Known Member
3,526
13,819
159
खैर राजु के साथ वो अब वापस चद्दर पर आकर बैठ गयी जिससे राजु अब एक ओर मुँह करके लेट गया और रुपा उसके बगल मे बैठ गयी। थकान की वजह से राजु को तो अब कुछ देर बाद ही नीँद लग गयी मगर रुपा ऐसे ही उसके पास बैठी रही। वो अभी भी राजु के पजामे मे बने उभार के बारे मे ही सोच रही थी जिससे बार बार उसकी नजर राजु की ओर चली जा रही थी। अब कुछ देर तो वो ऐसे ही बैठी रही फिर वो भी उसके बगल मे ही चद्दर पर लेट गयी जिससे उसे अब अजीब सा ही अहसास होने लगा..

शादी से पहले..........।, पहले क्या अभी भी वो घर आती थी तो उसके साथ ही पलँग पर सोती थी, मगर उसके दिमाग मे कभी भी कोई ऐसी वैसी बात नही आई थी, मगर आज राजु के पजामे मे बने उभार को देखने‌ के बाद रुपा को अब राजु की बगल मे लेटकर अजीब सा ही महसुस हो रहा था। उसके पजामे मे बने उभार के बारे मे सोच सोचकर उसके दिल मे गुदगुदी सी हो रही थी तो, उसे अपनी चुत मे भी एक सरसराहट सी महसूस हो रही थी जिससे अपने आप ही उसकी चुत मे नमी सी आ गयी थी।

रुपा को जब ये अहसास हुवा की वो खुद भी राजु के बारे मे सोचकर उत्तेजित हो रही है तो एक बार तो उसने अपना माथा ही पिट लिया, क्योंकि उसे खुद अपने आप पर ही अब जोरो की शरम सी आई इसलिये उसने अपने दिमाग से ये सारे विचार निकाल फेँके और चुपचाप आँखे बन्द करके कुछ देर सोने की कोशिश करने लगी..! जिससे उसे भी अब नीँद लग गयी, मगर वो अब घण्टे सवा घण्टे हो सोई होगी की उसे जब अपने पेट व जाँघो पर भार सा महसूस हुवा तो उसकी नीँद खुल गयी...

रुपा को अपने कुल्हे के पास भी कुछ चुभता हुवा सा महसूस हो रहा था इसलिये उसने आँखे खोलकर देखा तो राजु उससे एकदम चिपका हुवा था। उसका हाथ उसके पेट पर पङा था तो उसका एक पैर भी रुपा की जाँघो पर चढा हुवा था। रुपा ने अब ऐसे ही थोङा उपर नीचे होकर देखा तो उसकी साँसे जैसे थम सी गयी, क्योंकि कुल्हे के पास उसे जो चुभता हुवा सा महसूस हो रहा था वो राजु का लण्ड था जो की एकदम सीधा तना खङा था‌। राजु का लण्ड बहुत ज्यादा बङा व मोटा तो नही था, बस उसकी उम्र के हिसाब से ही था मगर रुपा के पति के मुकाबले वो तनकर किसी लोहे की राॅड के जैसे एकदम पत्थर हो रखा था।

रुपा ने अपने पति का लण्ड हाथ से छुकर देखा हुवा था। उसके पति का लण्ड पुरा उत्तेजित होकर भी लचीला सा ही रहता था मगर राजु के लण्ड की‌ कठोरता को महसूस कर वो एकदम जङ सी होकर रह गयी थी। राजु अभी भी सो रहा था मगर रुपा की पुरी तरह नीँद खुल गयी थी, इसलिये कुछ देर तो वो चुपचाप ऐसे ही पङी रही, मगर राजु के साथ इस तरह सोने पर उसे खुद पर शरम सी आई इसलिये राजु को अपने से दुर हटाकर वो उठकर बैठ गयी और...
"ओय् राजु..! चल उठ जा अब, चल अब चलते है..!" ये कहते हुवे रुपा उसे भी उठाने की कोशिश करने लगी, जिससे राजु ने करवट बदलकर अपना मुँह दुसरी ओर कर लिया।

वैसे तो अभी तक वो नीँद मे ही था, मगर अपनी जीज्जी से चिपकर सोने मे उसे जो जो सुख उसके नर्म मुलायम बदन से मिल रहा था, अब करवट बदलने से एक तो उसका वो सुख छिन गया था उपर से वो डेढ दो घण्टे के करीब अच्छे से सो भी लिया था इसलिये राजु की भी नीँद अब खुल गयी। आलस किये किये वो कुछ देर तो ऐसे ही पङा रहा फिर...

"आह्..ओम्..क्याआ्..जीज्जी्... इतना अच्छा सपना आ रहा था आपने बीच मे ही जगा दिया..!" राजु ने जम्हाई सी लेते हुवे कहा और उठकर बैठ गया...

राजु को ये होश नही था की उसका लण्ड खङा होने से उसके पजामे मे उभार बना हुवा है मगर उसके बैठते ही रुपा की नजरे अब सीधे उसके लण्ड पर चली गयी जो की उसके पजामे मे एकदम तना खङा अलग ही नजर आ रहा था। राजु के पजामे की ओर देख रुपा को अब शरम सी आई इसलिये...

"अच्छा...ऐसा क्या सपना देख रहा था..!" जिस तरह से राजु का लण्ड उसके पजामे मे एकदम तना खङा था उससे रुपा ने सोचा की ये कोई ऐसा वैसा सपना देख रहा होगा इसलिये उससे नजरे चुराते हुवे उत्सुकता से पुछा।

"अरे जीज्जी वो सपने मे‌ ना मै और आप शहर घुमने गये थे। वहाँ होटल मे खाने के लिये बहुत सारी चीचे मिल रही थी मगर खाने से पहले ही आपने जगा दिया..!" राजु ने सरलात से कहा जिससे..


रुपा: हट्.भुखङ..सपने मे भी बस तुझे खाना पीना ही सुझता है..!"

राजु: चलो खाना तो नही‌ मिला पर अब प्यास लगी है, आ्ह्ह्..ओम्. जीज्जी, पानी की बोतल दो ना..!"

राजु ने फिर से जम्हाई लेते हुवे कहा और रुपा से पानी की बोतल लेकर पीने लगा। इस बार भी राजु ने पानी की पुरी बोतल खत्म कर दी थी जिस देख...

रुपा: तु फिर से पुरा पानी पी गया..? बाद मे पानी नही मिला तो..

राजु: अब प्यास लगेगी तो पानी तो पीना ही पङेगा ना..
रास्ते मे हैण्ड पम्प से फिर भर लेँगे..!

रुपा: अच्छा..अच्छा ठीक है चल अब चले..!


राजु के साथ रुपा भी उठकर खङी हो गयी और चद्दर को मोङकर उसने उसे वापस थैले मे रखते हुवा कहा मगर बीच बीच मे उसकी नजर राजु के पजामे मे बने उभार पर भी चली जा रही थी जो की धीरे धीरे अब कम होता जा रहा था।

Bahut hi umda update he Chutphar Bro..........

Rupa ke bhi arman jagne lage he............

Jald hi vo Raju ke neeche hogi........

Keep rocking Bro
 
Top