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Incest "टोना टोटका..!"

कहानी मे राजु के सम्बन्ध कहा तक रहे..?

  • बस अकेले रुपा तक ही

  • रुपा व लीला दोनो के साथ

  • रुपा लीला व राजु तीनो के एक साथ


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Chutphar

Mahesh Kumar
417
2,666
139

अभी तक आपने पढा की की अपनी माँ के कहने‌ पर रुपा राहुल के साथ लिँगा बाबा पर टोटके को पुरा करने के लिये
राहुल मुँह से अपनी चुत छुवाकर उसकी गोद मे बैठ तो गयी थी, मगर बुढे वैद की दवा के असर व राजु के लण्ड से निकलती गर्मी को अपनी चुत पर महसूस करके उत्तेजना के मारे उसे अपनी चुत ही पिँघलती हुई सी महसूस होने लगी थी इसलिये एक बार राजु की गोद मे बैठकर वो अब उठकर खङी हो गयी तो साथ ही उसने राजु को भी हाथ पकङकर खङा कर लिया...
अब उसके आगे:-

खङी होकर रुपा ने अब राजु का हाथ पकङकर उसे तो खङा कर दिया व खुद नीचे बैठ गयी। नीचे बैठे बैठे उसने राजु के पैरो को पकङकर उसे अपने पास खीँच लिया और एक हाथ से टटोलकर उसके लण्ड को पकङ लिया। टोटके को पुरा करने के लिये राजु के लण्ड को उसे अब अपने होठो से चुमकर उसे एक बार राजु को अपने उपर लेटाना था मगर राजु के लण्ड से भी पिसाब व लण्ड पर जमे रश की तीखी व तेज गँध आ रही थी जिससे रुपा के पुरे बदन मे अजीब ही सरसराहट की एक लहर सी दौङ गयी...

उसने बहुत सी बार अपने पति के लण्ड को मुँह मे लेकर चुशा था इसलिये लण्ड से निकलने वाली गन्ध से वो भली भांति परिचित थी, क्योंकि लण्ड से निकलने वाली गन्ध उसे भी भाती थी, मगर राजु के बारे मे उसने कभी भी ऐसा कुछ सोचा नही था इसलिये राजु के लण्ड से आ रही गन्ध को महसूस करके रुपा को अब अजीब सा ही अहसास हुवा...

पहली बार राजु के लण्ड को अपने हाथ से पकङने पर व उससे निकल रही इस गन्ध से रुपा को शरम के साथ साथ एक अजीब ही रोमाँच सा भी महसूस हो रहा था, जो की उसे अजीब सी उत्तेजना का अहसास करवा रहा था, रुपा को अब कैसे भी उसे ये टोटका तो पुरा करना ही था इसलिये उसने भी राजु के लण्ड को चुमने के लिये धीरे से अपने होठो को उसके लण्ड के सुपाङे से छुवा दिया...

अब उत्तेजना के मारे राजु का पहले ही बुरा हाल था, उपर से अपने लण्ड पर रुपा के नर्म नाजुक होठो की छुवन से वो और भी पागल हो गया इसलिये जैसे ही रुपा ने उसके लण्ड के सुपाङे को अपने नर्म नाजुक होठो से छुवा, राजु ने तुरन्त दोनो हाथो से उसके सिर को पकङ लिया और...
"ईश्श्. ज्.जी्ज्जी्ह्ह्..!" कहते हुवे अपनी कमर को धकेलकर रुपा के मुँह पर अपने लण्ड को जोरो से दबा दिया...

रुपा ने बस अपने होठो को ही उसके लण्ड से छुवाया था मगर इस तरह रुपा के सिर को पकङकर राजु के अपने लण्ड को उसके मुँह पर दबा देने से उसके लण्ड का सुपाङा रुपा के होठो को खोलकर सीधा अब उसके मुँह मे ही घुस गया जिससे...

"ईईईश्श्श्... ज्.ज्जीज्जीईईह्ह्ह..! कहकर राजु फिर से सुबक सा पङा, तो वही रुपा की आँखे गोल होकर एकदम बङी सी हो गयी..

रुपा को बिल्कुल भी उम्मीद नही थी की राजु ऐसा भी कुछ कर सकता है इसलिये उसे अब कुछ समझ नही आया की वो क्या करे और क्या ना करे..? मगर तब तक राजु उत्तेजना व आनन्द के वश दोनो हाथो से उसके सिर को पकङे पकङे ऐसे ही धीरे धीरे अपने कुल्हो को आगे पीछे कर उसके मुँह पर ही धक्के से मारने लगा जिससे राजु का लण्ड अब रुपा के मुँह को घीसते हुवे अन्दर बाहर होने लगा...

राजु के‌ लण्ड से निकल रही गन्ध से ही रुपा‌ को शरम हया व रोँमाच की एक अजीब सी ही उत्तेजना का अहसास हो रहा था, उपर से राजु के‌ अब अपने लण्ड को ही उसके मुँह मे घुसा देने से लण्ड की गन्ध के साथ साथ उसके लण्ड से निकल रहे चिपचिपा व एकदम चिकने तरल का स्वाद भी रुपा के मुँह मे घुल गया था जिससे उत्तेजना के वश रुपा की साँसे एकदम फुल सी आई तो वही रुपा अभी भी एकदम‌ जङ‌ सा होकर बैठे रही..!

राजु के लण्ड से निकल‌ रहे रश से उसके मुँह का स्वाद भी चिकना व नमकिन सा हो गया जिससे शरम हया के साथ साथ रुपा के मन मे फिर से उत्तेजना की एक अजीब ही लहरे सी उठना शुरु हो गयी,
रुपा को कुछ सुझ नही रहा था की वो क्या करे और क्या ना करे..? मगर उत्तेजना के वश राजु अपने लण्ड का दबाव अब बढाता जा रहा था जिससे उसका आधे से ज्यादा लण्ड अब रुपा के मुँह के अन्दर बाहर होने लगा था...

वैसे तो रुपा भी राजु की हालत समझ पा रही थी की उस पर क्या बीत रही है । राजु क्या.? खुद रुपा का अपने बदन‌ पर अब कोई बस सा नही चल रहा था‌ इसलिये अब एक बार तो उसने सोचा की राजु को वो ऐसे ही शाँत कर दे,
मगर रुपा को भी ऐसे उसे तरसते तङपते देखकर शरम हया के साथ साथ एक अजीब ही रोमाँच सा महसूस हो रहा था, मानो जैसे उसे राजु की ये तङप देखकर मजा आ रहा हो..

वैसे भी टोटके को पुरा करने के लिये उसे अभी राजु को अपने उपर भी सुलाना था इसलिये ना जाने‌ उसके दिल मे अब क्या आया की, उसने पहले तो राजु को अपने से दुर धकेलकर उसके लण्ड को अपने मुँह से बाहर निकाल दिया, फिर दोनो हाथो से उसकी कमर को पकङकर उसे अपने उपर खीँच लिया‌ जिससे रुपा तो अब नीचे लेट गयी और राजु उसके उपर आ गया...
 

Chutphar

Mahesh Kumar
417
2,666
139
राजु के रुपा के उपर आ जाने से दोनो की उत्तेजक गर्म साँसे फिर से एक दुसरे की साँसो मे समाने लगी थी जो की उनके बदन की आग को और भी भङकाने लगी। रुपा के मुकाबले राजु बदन हल्का था मगर फिर भी रुपा की दोनो चुँचियाँ उसकी छाती के भार से दब सी गयी थी। हालांकि उसकी चुँचियो के निप्पल अब भी सुपाङी के जैसे एकदम सख्त तने खङे रहे जो की राजु को भी अपने सीने मे चुभते से महसूस हो रहे थे, मगर अपनी‌ जीज्जी‌ नर्म मुलायम नँगे बदन के स्पर्श से ही उसकी हालत खराब हो गयी थी जिससे उसका लण्ड अब और भी जोरो से झटके से खाने‌ लगा तो‌ वही उसमे से पानी सा रीश रीश कर रुपा की पुरी चुत के उभार पर फैलने लगा...

रुपा को भी अपनी चुत के उभार पर राजु के लण्ड का कम्पन्न व झटके साफ महसूस हो रहे थे तो, उसके लण्ड से निकल‌कर अपनी चुत पर फैल‌ रहे गीलेपन‌ का भी‌ पुरा अहसास था। राजु क्या..? खुद रुपा की चुत भी तो उत्तेजना के मारे टपक रही थी जिससे उसका दिल तो कर रहा था की राजु अपने‌ लण्ड को उसकी चुत मे घुसाकर उसकी जलती सुलगती चुत को एकदम रौँध डाले मगर इसके लिये राजु को‌ कुछ मालुम नही था.. और रुपा की शरम हया के मारे उससे कुछ कहने की या खु्द से ऐसा कुछ करने की हिम्मत नही हो रही थी..

राजु को ये तो मालुम था की इस तरह लङकी या औरत के उपर लेटकर चुदाई की जाती है, मगर ये नही मालुम था की उसके लिये लण्ड को कैसे और कहाँ घुसाना होता है। रुपा के उसे अपने उपर सुला लेने से राजु ने तो अब यही समझा की उसकी जीज्जी उससे चुदाना चाह रही, मगर उसे ये समझ नही आ रहा था की वो अपने लण्ड को घुसाये तो कहाँ घुसाये, इसलिये वो ऐसे ही अपने लण्ड को रुपा की चुत के उभार पर दबाव सा बना रहा था...

उत्तेजना के मारे उसकी साँसे जोरो से चल रही थी जो की सीधे रुपा के चेहरे से टकरा रही थी‌। उसके मुँह से निकलती गर्म गर्म उत्तेजित साँसे व अपनी चुत के उभार पर झटके से खाता राजु का एकदम कङा व कुँवारा लण्ड रुपा को भी पागल सा बना‌ रहा था जिससे रुपा को अपना बदन टुटता सा महसूस हो रहा था। उत्तेजना के मारे दोनो का ही बुरा हाल था मगर रुपा जहाँ लोक लाज की शरम किये पङी थी, तो राजु को कुछ मालुम नही थी की वो अब कैसे क्या करे..?

रुपा ने जो उसके लण्ड को अपने मुँह मे लेकर उसे अधुरे मे ही छोङ दिया था उसकी वजह से पहले ही राजु का बुरा हाल था, उपर से उसे अब अपनी जीज्जी
के नर्म‌ मुलायम रेशमी से बदन की नर्मी व उसकी चुत की गर्मी अपने लण्ड पर महसूस तो हो रही थी मगर उसे ये मालुम नही पङ रहा था की वो अपने लण्ड को आखिर घुसाये तो कहाँ घुसाये, जिससे उत्तेजना व घुस्से के मारे उसका लण्ड किसी साँप के जैसे अपने बिल मे घुसने के लिये जोरो से फुँफकार सा रहा था...

उसे अपने लण्ड की नशे फटती सी महसुस हो रही थी जो की‌ राजु से बर्दाश्त नही हो रहा था। उसे ये तो मालुम नही पङ रहा था की वो अपने‌ लण्ड को कैसे और कहाँ घुसाये, इसलिये उत्तेजना के मारे उसने अपने कूल्हो से जुम्बीस सी करके रुपा की चुत के उभार पर ही अब अपने लण्ड को घीसना शुरु कर दिया, रुपा भी हल्के हल्के मसकने सा लगी। रुपा को भी राजु की हालत का अहसास था, राजु क्या..? उत्तेजना के मारे खुद उसकी हालत भी खराब थी जिससे रुपा भी अब एकदम जङ सी‌ होकर रह गयी...

राजु का इस तरह अपने लण्ड को रुपा की चुत पर घीसना रुपा को भी कही ना कही थोङी बहुत राहत सी पहुँचा रहा था जिससे वो भी राजु से ना तो कुछ बोल पा रही थी और ना ही उसे रोक पा रही थी, ये कुछ तो बुढे वैद की दवा का असर था और कुछ राजु के एकदम कङे कुँवारे लण्ड का, की राजु के नीचे लेटकर रुपा का खुद पर ही अब कोई बस नही चल रहा था, इसलिये उसने भी अब खुद ही धीरे से पैरो को फैलाकर राजु को अपनी जाँघो के बीच ले लिया तो वही अपनी गर्दन को एक ओर घुमाकर आँखे बन्द करके वो एकदम शाँत व ढीला पङ गयी, मानो जैसे अपने आपको राजु के हवाले कर वो भी उससे अब कुछ चाह रही हो...

रुपा के अब राजु को अपनी जाँघो के बीच ले लेने से उसका लण्ड एकदम ठीक रुपा की चुत की फाँको से लग गया था जिससे रुपा की चुत की तपिस राजु को अब सीधे अपने लण्ड पर महसूस हुई, तो उत्तेजना के वश उसने भी जोरो से अपने लण्ड को उसकी चुत की फाँको के बीच घिसना शुरु कर दिया..

उसने पहले तो हल्के हल्के बस अपने कुल्हो से ही जुम्बीस सी करके अपने लण्ड को उसकी चुत की चुत के उभार पर ही घीसना शुरु किया था, मगर रुपा के उसे अब अपनी जाँघो के बीच ले लेने से उसका लण्ड सीधे ही उसकी चुत की फाँके को खोलकर अन्दर के नर्म मुलायम भाग पर घीसने लगा जिससे उसे अब अपनी जीज्जी की चुत की तपिस सीधे अपने लण्ड पर महसूस हुई तो वो भी धीरे से वो अपने हाथ रुपा के कँधो पर ले आया और दोनो हाथो से उसके कन्धो को पकङकर अब जल्दी जल्दी व जोरो से उपर नीचे हो होकर उसकी चुत की फाँको के बीच के वाले नर्म मुलायम भाग पर ही अपने लण्ड को घीसने लग गया जिससे रुपा की हालत अब और भी खराब हो गयी...

इस तरह अपने बदन को आगे पीछे करने से राजु का पुरा शरीर ही रुपा के नँगे बदन से घीसने लगा था जिससे राजु का मझा तो दुगुना हो गया, मगर इससे रुपा की हालत और भी खराब होने लगी, क्योंकि इस तरह उपर नीचे होने से राजु का लण्ड तो नीचे से रुपा की चुत की फाँको के बीच रगङ मार ही रहा था, उपर से उसकी नँगी चुँचियाँ भी अब उसकी छाती से चटनी की तरह पीसने लगी जिससे...
ऊह्ह्..ईईश्श्.. बस्स्...
ऊऊ्ह्ह्ह...बस्स्स्..ईईईश्श्श्...! कहकर रुपा सिसकने सा लगी...

वैसे तो रुपा का दिल भी अब चाह रहा था की कोई उसे ऐसे ही रगङे मसले व अपना लण्ड उसकी चुत मे घुसाकर उसे एकदम रौँध डाले, मगर राजु ऐसे ही अपने लण्ड को उसकी चुत के उभार पर ही घीसे जा रहा था। राजु को ना तो ये मालुम था की चुत मे लण्ड कहाँ और कैसे घुसाते है और ना ही वो अब ये जानने की कोशिश मे था, वो बस कैसे भी करके अपने लण्ड मे उठ रहे इस ज्वार को शाँत करना चाह रहा था, मगर रुपा ये अच्छे से जान रही थी की राजु अपने लण्ड को कहाँ घीस रहा है..?

हालांकि बीच बीच मे उसका लण्ड नीचे रुपा की चुत की फाँको के बीच कभी कभी घुसने की भी कोशिश सी कर रहा था जिससे...
"ईईश्श्श्..बस्स्...!" की सी आवाज निकालकर रुपा सुबक सी पङती, तो राजु को वही के वही पकङकर रोकने की भी कोशिश करती, मगर शरम हया के मारे राजु से कुछ कह नही पा रही थी, क्योंकि उसकी चुत पर राजु के लण्ड से निकलते रश व खुद रुपा की चुत के रश की इतनी चिकनाई फैली हुई थी की राजु का लण्ड उसकी चुत के मुँह मे कभी कभी अटक सा तो रहा था, मगर चिकनाई के कारण वो बार बार फिसल जा रहा था...

आखिर बर्दाश्त की भी एक हद होती है, और रुपा की वो हद पार होती जा रही थी, क्योंकि राजु के साथ ये टोटके करते करते उसका पहले ही उत्तेजना के मारे बुरा हाल था, उपर से उसने फकीर बाबा की भस्म जानकर जो बुढे वैद की दवा खाई थी उसने रुपा की चुत मे एक आग सी भर दी जिसे राजु अब उसकी चुत की फाँको के बीच ठीक उसके प्रवेशद्वार से अपने लण्ड से घिसकर और भी भङका रहा था जिससे रुपा को अपनी चुत एकदम जलती सुलगती सी महसूस हो रही थी जो की वो अब बर्दाश्त नही कर पा रही थी...

अब शरम हया के मारे राजु से सीधे सीधे तो उसकी कुछ कहने की हिम्मत नही हो रही थी इसलिये ऐसे ही...
ईईश्श्श्..बस्स्...
ईईईश्श्श्.. ओह्ह्.य्.य.. बस्स्स्स्...! कहते हुवे राजु को पकङने के बहाने उसे नीचे की तरफ धकेलकर, तो कभी खुद से ही अपनी कमर को उपर नीचे और दाँये बाये करके रुपा अब खुद से ही ये कोशिश सी करने लगी की उसकी चुत की फाँको पर रगङ खाता राजु का लण्ड सीधे अब उसकी चुत मे ही उतर जाये...

वो उपर उपर से तो दिखावे के लिये राजु को रोक सा रही थी, मगर अपनी कमर को उपर नीचे व दाँये बाँये हिलाकर अन्दर ही अन्दर वो खुद ये चाह रहा था की कैसे भी करके वो राजु के लण्ड को अपनी चुत मे निँगल जाये, जिससे अब कुछ तो राजु अपने लण्ड को ठीक रुपा की चुत की फाँको के बीच घीसे जा रहा था और कुछ रुपा ने खुद से ही थोङा बहुत उपर नीचे हो होकर ये कोशिश की, की अबकी बार जैसे ही राजु के लण्ड का सुपाङा उसकी चुत की फाँको के बीच घीसते हुवे उपर की ओर जाने लगा, रुपा ने खुद ही अपनी कमर को उचकाकर उसके लण्ड के सुपाङे के आगे अपनी चुत के मुँह को लगा दिया जिससे राजु के लण्ड का सुपाङा एक बार तो उसकी चुत के प्रवेशद्वार मे थोङा सा अटका मगर गीली चुत होने के कारण...
. .हल्की "फच्च्... की सी आवाज करके एक ही झटके मे उसका आधे से ज्यादा लण्ड रुपा की चुत मे उतर गया जिससे....
....ईश्श्श्श्..अ्.आ्ह्ह्ह्....ओ्ह्.ये्ऐ..रा्जु्उ्ह्ह्ह... की सुबकी सी लेते हुवे अपने हाथ पैरो को समेटकर राजु से एकदम कसकर लिपट सा गयी मानो जैसे जन्मो से भुखी उसकी चुत को आज पहली बार लण्ड मिला हो...

उसके दोनो पैर राजु के पैरो मे फँस गये थे तो उसके हाथ भी राजु की पीठ पर लिपट गये। राजु‌ के‌ लण्ड से मिले इस मीठे से दर्द व आनन्द के वश रुपा के नाखुन राजु की पीठ मे गङ से गये थे तो वही रुपा ने उसे अपनी‌ बाँहो मे भीँचकर उसकी गर्दन व गालो पर चुम्बनो‌ की‌ झङी‌ सी लगा दी जिससे अब एक बार तो राजु कुछ समझ ही नही आया की आखिर ये हुवा क्या..? मगर राजु का लण्ड रुपा की चुत की सँकरी दीवारो को एकदम घीसते हुवे अन्दर घुसा था..

हालांकि चुत से बहते कामरश के कारण रुपा‌ की चुत की दिवारे एकदम चिकनी हो रखी थी, मगर फिर‌ भी‌ उसकी चुत एकदम तँग व इतनी कसी हुई थी की राजु का लण्ड उसकी चुत की दीवारो से एकदम रगङते रगङते अन्दर घुसा था। राजु को नही मालुम था की ये क्या हुवा, क्योंकि उसका लण्ड को को पहली बार गर्म व गीली चुत की नर्मी व गर्मी का मजा मिला था। अभी तक वो इस सुख से अनजान था। उसका ये पहला अवसर था जब उसके लण्ड को चुत की एकदम तँग व मखमली चिकनी गहराई को महसूस कर रहा था।

लण्ड घुसाना तो दुर इससे पहले उसने कभी चुत देखी तक नही थी, मगर रुपा की चुत की दिवारो की इतनी कसी हुई व एकदम चिकनी रगङ को अपने‌ लण्ड पर महसूस करके राजु को भी एक अलग ही सुख‌ मिला था‌ इसलिये इस नये सुख व आनन्द के वश उसे ये तक अहसास नही हुवा की रुपा के नाखुन उसकी पीठ मे भी चुभे है। रुपा की चुत ने भी उसके लण्ड को एकदम‌ जकङ‌ सा‌ लिया था जिससे राजु को ऐसा लग रहा था मानो उसके‌ लण्ड को कसकर मुट्ठी मे भीँच लिया हो...

अन्दर से रुपा की चुत एकदम किसी आग की भट्टी की तरह सुलग सी रही थी तो वो चिकनाई से भी एकदम भरी पङी थी। उत्तेजना के‌ कारण उसकी चुत की‌‌ माँस पेसियो मे भी इतना सँकुचन हो रहा था की अन्दर ही अन्दर वो राजु के लण्ड‌ को चुश सा रही थी जिसने राजु के मझे को दोगुना कर दिया था, जिससे शायद उसे भी समझ आ गया ये सब क्या हुवा और उसका लण्ड कहाँ और किस सँकरी गुफा मे घुसा है, इसलिये वो अब एक बार तो कुछ देर के‌ लिये रुका, फिर वापस उसने धक्के लगाने शुरु कर दिये, मगर इस बार आगे पीछे होने की बजाय, वो सीधे चुदाई की मुद्रा मे अपने कुल्हो‌ को उचका उचकाकर धक्के लगाने लगा जिससे उसका लण्ड रुपा की चुत की सँकरी गुफा को घीसते हुवे अन्दर बाहर होने लगा तो रुपा... ईश्श्.. ओ्ओ्ह्ह... राजुउ्ह्ह्ह...
.......ईश्श्श्.. आ्ह्ह्ह्....
......…..ईश्श्श्श्.. आ्ह्ह्ह्ह्..... करते हुवे जोरो से सिसकने लगी।

वो अभी भी राजु से एकदम‌ कसके लिपटे हुवे थी और उसकी गर्दन व गालो को चुमे जा रही थी। वो राजु के पैरो मे अपने पैरो को फँसाकर उसे कसकर पकङे हुवे थी, तो एक हाथ उसकी गर्दन मे डालकर उसे कसकर अपनी चुँचियो से चिपका रखा था, मगर उसका दुसरा हाथ अब राजु के कुल्हो पर आ गया और उसकी गर्दन व गालो को चुमते हुवे राजु के कुल्हो व कमर को सहलाकर उसका अब जोश सा बढाने लगा...

राजु को पहली बार चुत को भोगने का सुख मिल रहा था इसलिये वो भी जोश मे आ गया। धीरे धीरे कर उसने अपना पुरा ही लण्ड रुपा की चुत मे उतार दिया और..
.....ईश्श्.. जिज्जीईह्ह्ह...
.......ईश्श्श्.. जिज्जीईईह्ह्ह्....
......…..ईश्श्श्श्..जिज्जीईईईह्ह्ह्ह्..... करते हुवे तेजी से धक्के लगाने लगा जिससे रुपा की सिसकीयाँ भी तेज हो गयी। उत्तेजना व आनन्द के वश उसने दोनो हाथो से राजु के मुँह को घुमाकर अपनी ओर कर लिया और उसके होठो को जोरो से चाटना चुशना शुरु कर दिया...

राजु का ये पहला अवसर था, उसे इन सब‌ बातो का ज्यादा कोई ज्ञान नही था, मगर रुपा के उसके होठो को चुशने चाटने से रुपा के मुँह के थुक व लार उसके मुँह मे घुलने लगे तो उसे एक अलग ही अहसास होने लगा, क्योंकि रुपा के उसके होठो को चुशने चाटने से राजु के सुखे सूखे होठ व मुँह का स्वाद भी एकदम चिकनाई भरा होने लगा था इसलिये वो भी अब नीचे से धक्के लगाते हुवे कभी कभी रुपा के होठो को अपने होठो से दबाने की कोशिश करने लगा, हालांकि रुपा उसे ये मौका नही दे रही थी, वो खुद ही उसके होठो को चुसे चाटे जा रही थी..

राजु हाथ से घीसकर तो अपने लण्ड को काफी बार पानी निकाला था मगर चुत की इतनी तँग सँकरी व एकदम चिकनाई भरी घीसाई का उसे पहली बार सुख मिल रहा था इसलिये वो अब कुछ ही देर बाद ही वो पुरे जोश मे आ गया‌ और अपनी पुरी तेजी व ताकत से धक्के लगाकर जल्दी जल्दी अपने लण्ड को रुपा की एकदम तँग चुत की सँकरी दिवारो से घीसने लगा। उसका चर्म करीब आ गया था इसलिये आठ दस धक्के तो उसने ऐसे ही अपनी पुरी ताकत व तेजी से लगाये और फिर...
.....ईश्श्.. जिज्जीईह्ह्ह...
.......ईश्श्श्.. जिज्जीईईह्ह्ह्....
......…..ईश्श्श्श्..जिज्जीईईईह्ह्ह्ह्.....!"कहकर‌ उसने रुपा‌ के कन्धो को‌ कस कर पकङ लिया और झटके से खा खाकर उसके लण्ड ने रुपा की चुत को वीर्य से भरना शुरु‌कर दिया...

रुपा का चर्म भी‌ करीब ही था, मगर राजु उससे थोङा जल्दी चर्म पहुँच गया था। रुपा का पति कभी भी उसे चर्म तक पहुँचाने का सुख‌ नही दे‌ पाया था। वो बस आठ दस धक्को मे ही ढेर होकर सो जाता था। राजु का ये पहला अवसर था इसलिये वो रुपा को उसकी मँजिल के करीब तो ले आया था मगर रुपा से पहले‌ ही ढेर होने लगा था। रुपा ने अब अपनी चुत मे झटके खा खा कर उसके लण्ड से निकलते गर्म गर्म वीर्य को महसूस किया तो उसे‌ लगा कही राजु भी उसे बीच मे ही अधूरी ना छोङ दे इसलिये...
....ओ्.ओ्य्.ह्...
.........ईश्श्..आ्ह्ह्ह्..
...........ईश्श्श्.. आ्ह्ह्ह्....
........…..ईश्श्श्श्.. आ्ह्ह्ह्ह्..... जोर जोर की सिसकीयाँ सी लेते हुवे रुपा ने अब खुद ही अपने हाथ पैरो के सहारे राजु को हिला हिलाकर चार पाँच बार तो अपनी चुत की दिवारो को उसके लण्ड से घीसवाया, फिर थरथराकर वो भी झङना शुरु हो गयी...

उत्तेजना के जोश मे रुपा ने अब उपर से राजु को एकदम कसकर अपनी बाँहो मे भीँच लिया तो नीचे उसकी चुत की मांसपेशियों ने भी राजु के लण्ड को एकदम जकङ सा लिया और राजु के होठो को जोरो से चुमते चाटते वो गले से..
ईश्श्..ऊऊह्ह्..
..ईश्श्श्.. ऊऊऊह्ह्....
....ईश्श्श्श्.. ऊऊऊह्ह्ह्...की गर्राहट सी निकालते हुवे अपनी चुत से राजु के लण्ड को अन्दर ही अन्दर निचौङने सा लग गयी...

राजु का तो ये पहला अवसर था ही रुपा भी पहले कभी भी इस तरह लण्ड से रसखलित नही थी। उसका पति रसखलन तो दुर, उसे कभी उसकी मंजिल के करीब भी नही पहुँचा पाया था मगर आज वो अपने जीवन मे पहली बार राजु के लण्ड से रसखलित हो रही थी, इसलिये उसका ये रसखलन इतना उग्र था की जब उसने अपनी चुत से राजु के लण्ड से वीर्य का आखरी कतरा तक नही नीचौङ लिया। वो ऐसे ही सिसकियाँ लेते हुवे राजु से लिपटे रही और उसके लण्ड को अपनी चुत से निचौङती रही...
 
Last edited:

Chutphar

Mahesh Kumar
417
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139
रसखलन बाद रुपा कुछ शाँत हुई तो अपने आप‌ ही राजु पर भी उसकी पकङ ढीली पङ गयी, मगर रुपा के छोङ देने के बाद भी वो उस पर से नीचे नही उतरा, वो ऐसे ही उसकी चुत मे अपना लण्ड घुसाये हल्के हल्के धक्के से लगाते रहा जिससे अब कुछ देर बाद रुपा की साँसे उसके कुछ काबु मे आई और उसे अपनी हालत का अहसास हुवा तो उसे अपने आप पर जोरो की शरम आई, क्योंकि राजु को अपनी बाँहो मे लिये वो एकदम नँगी उसके नीचे पङी थी तो राजु भी एकदम नँगा उस पर लदा पङा था‌‌।

राजु व रुपा दोनो का ही रसखलन हो गया था मगर वो अभी भी हल्के हल्के धक्के लगाकर उसकी चुत मे अपने लण्ड को अन्दर बाहर किये जा रहा था‌ जिससे की हल्की फच्च्..फच्च.. की सी आवाज निकल रही थी। रसखलन के बाद भी राजु ने अपना लण्ड रुपा की चुत से बाहर नही निकाला था इसलिये रुपा की चुत राजु के वीर्य व खुद उसके चुतरश से भरी पङी थी। रुपा के चुतरश ने राजु के वीर्य मे मिलकर उसकी चुत मे एक नया ही तरल बना लिया था जो की एकदम गाढा व इतना लिसलिसा था, की उसमे अब राजु के लण्ड के अन्दर बाहर होने से अपने आप ही रुपा की चुत से ये फच्च्.. फच्च्.. की आवाज निकल रही जिससे रुपा को‌ जोरो‌ की शरम सी आई इसलिये...
"...ईश्श्.बस्स्स्.हो गया... " शरम के मारे रुपा ने ब धीरे से कहा, मगर राजु को रोकने या अपने उपर से हटाने की उसने भी कोशिश नही की, उसकी गर्म‌गर्म साँसे रुपा के चरहरे पर पङ रही थी इसलिये उसने बस अब गर्दन को घुमाकर अपना मुँह दुसरी ओर कर लिये और चुपचाप वैसे ही लेटी रही।

राजु के लण्ड को अपनी चुत मे महसूस करके रुपा के भी पुरे बदन मे एक सनसनी सी दौङ रही थी, क्योंकि रसखलन के बाद भी उसका लण्ड ढीला नही पङा था। उसकी बस हल्की सी थोङी कठोरता मे ही कमी आई थी, नही तो अभी भी वो अपने बल पर एकदम तने खङे रुपा की चुत मे घुसा हुवा था। कहाँ तो रुपा के पति का लण्ड था जो एक बार रसखलित होने के बाद हफ्ते भर तक होश मे नही आ पाता था, और कहाँ राजु का एकदम जवना लण्ड जो की रसखलन के बाद भी तना हुवा था।


अपनी चुत मे घुसे राजु के लण्ड के अन्दर बाहर होने से रुपा की साँसे भी अब फिर से तेज होने लगी थी जिससे अन्दर ही अन्दर उसकी चुत मे भी गर्मी सी बढने लगी। उसे अपनी चुत की मांसपेशियों मे भी सँकुचन सा महसूस हो रहा था क्योंकि उसकी उपर नीचे होती साँसो के साथ साथ रुपा की चुत की दीवारे भी अन्दर ही अन्दर फैलने और सिकुङने सा लगी थी, मानो जैसे वो अपनी चुत से ही राजु के लण्ड को भीँचकर देखने की कोशिश कर रही हो, की सही मे ही उसका लण्ड अभी भी तना हुवा है या ये उसका वहम है..?

ये राजु पर कुछ तो बुढे वैद की दवा का असर था, और कुछ पहली बार मिली अपनी जीज्जी की चुत का नशा की, रसखलन के बाद भी उसका लण्ड निढाल नही हुवा था और उसके हर एक धक्के के साथ रुपा की चुत मे अन्दर बाहर हो रहा था। ऐसा ही हाल कुछ रुपा का भी था। उसने भी जो बुढे वैद की दवा खाई थी ये कुछ तो उसका असर था और कुछ राजु के जवान और एकदम कङे व कुँवारे लण्ड का‌ की रसखलन के बाद भी उसकी चुत की आग बुझी नही थी। उसकी चुत अभी भी राजु के लण्ड के धक्के खाने की भुखी थी, इसलिये राजु के लण्ड के अन्दर बाहर होने से उसकी चुत मे अब फिर से गर्मी सी बढने लगी थी...

राजु के कठोर लण्ड ने उसे पहली बार रसखलन का सुख दिया था, इसलिये उसे अब फिर से अपनी चुत मे महसूस कर रुपा की चुत मे फिर से जैसे कोई आग सी भर आई थी, जो की राजु को भी अपने लण्ड के सुपाङे पर अब साफ महसूस हो रही थी। रुपा की चुत मे बढती गर्मी व सकुँचन को अपने लण्ड पर महसूस कर राजु की साँसे भी अब फिर से गर्म हो गयी और अपने आप ही उसका लण्ड धीरे धीरे कर अपने पहले वाले स्वरूप मे आने लगा...

रुपा को भी अपनी चुत की दीवारो को फैलाकर फुलता हुवा राजु का लण्ड अब साफ महसूस हुवा, जिससे उसकी चुत मे भी सनसनी बढ सी गयी और अपने आप ही नीचे से उसके कुल्हे हल्की हल्की जुम्बीस सी करने लगे। राजु ने अब पहले तो हल्के हल्के ही धक्के लगा रहा था, मगर उसे भी अब जोश चढने लगा तो उसने तेजी से अपने‌ कुल्हो को उचका उचकाकर पुरे धक्के लगाने शुरु कर दिये जिससे रुपा अब हल्के हल्के हल्के..
".. ईश्श्.ऊह्ह्...
.....ईश्श.ऊह्ह्....
........ईश्श.ऊ्ऊ्ह्ह्...." करके सिसकने सा लगी तो वही उसकी चुत से निकल रही फच्च्...फच्च्.. की सी आवाज भी अब तेज हो गयी।

राजु के हर एक धक्के के साथ रुपा की चुत से निकल रही ये फच्च्..फच्च्.. की अवाज जैसे अब उसके लिये एक प्रेरणा का स्रोत सी बन गयी थी इसलिये धीरे धीरे अपने आप की उसके धक्को का माप बढने लगा तो वही उसकी गति भी बढ गयी जिससे रुपा की सिसकीयाँ भी अब तेज हो गयी और उसके हाथ राजु की नँगी पीठ पर रेँगने सा लगे।

रुपा की चुत मे भरा हुवा राजु का वीर्य व खुद का चुतरश राजु के हर एक धक्के के साथ अब रुपा की चुत से रीश रीश कर बाहर आ रहा था। वो रश गाढा लीसलिसा व इतना चिपचिपा था की राजु का लण्ड उसकी चुत की दीवार से चिपक सा रहा मानो जैसे रुपा की चुत खुद ही उसके लण्ड को अन्दर खीँच रही हो, जिसने राजु के मझे को और भी बढा दिया...

धक्को के साथ साथ राजु की गर्म गर्म साँसे अभी भी रुपा के गाल पर पङ रही थी, मगर उत्तेजना का जोश बढने लगा तो रुपा ने गर्दन को घुमाकर अपना मुँह वापस राजु की ओर कर लिया जिससे दोनो की साँसे एक दुसरे की साँसो मे समाने लगी। राजु की ओर मुँह किये रुपा अब कुछ देर तो सिसकीया लेते पङी रही मगर फिर उससे जैसे रहा नही गया, इसलिये उसने एक बार तो थोङी जोर से सिसकारी सी भरी और राजु के होठो से अपने होठो को जोङ दिया और इसी के साथ नीच से उसकी कमर भी अब हरकत मे आ गयी...

राजु के होठो को चुशते चाटते वो अब खुद ही नीचे से अपनी कमर को उचका उचकाकर धक्के से लगाने लगी। राजु के धक्को से उसका आधे से ज्यादा लण्ड रुपा की चुत को घीसते हुवे अन्दर बाहर हो रहा था जिसे वो मानो अब नीचे से अपनी कमर को उचका उचकाकर पुरा ही अपनी चुत मे उतार लेने की कोशश करने लगी थी। उसकी चुत से "फच्च्..फच्च्..." की सी आवाज तो पहले ही निकल ही रही थी, अब राजु के साथ साथ रुपा के भी नीचे से अपने कुल्हो को उचका उचकार धक्के लगाने से दोनो की जाँघे व पेट के नीचे का भाग एक दुसरे से आपस मे टकराने लगे तो "फच्च्...फच्च..." के साथ ही "पट्..पट्..." की सी आवाज भी निकलना शुरु हो गयी।

रुपा व राजु दोनो ही एक बार रसखलित हो गये थे, इसलिये अब जल्दी से कोई भी हार मानने को तैयार नही हुवा। बाहर मौसम थोङा सर्द सा हो गया था मगर आपस मे रुपा व राजु जो धक्कमपेल कर रहे थे उससे दोनो की साँसे उखङ आई, तो माथे पर पसिने की बुन्दे भी ऊभर आई , मगर ना तो रुपा की चुत हार मानने को तैयार थी और ना ही राजु का लण्ड..! जितनी तेजी से राजु धक्के लगा रहा था, उतनी ही तेजी से रुपा भी नीचे से अपनी कमर को उचका रही थी थी जिससे वो पुरा कमरा रुपा व राजु की सिसकीयो के साथ साथ.... "फच्च्.पट्.ट्..फच्च्.पट्.ट्..." की आवाज से गुँजने सा लगा, मगर दोनो‌ की इस धक्कमपेल कि आवाजे उस बियाँबान मे ही कही खो जा रही थी, उन्हे दुर दुर तक कोई भी सुनने वाला नही था।

राजु भी कभी कभी रुपा के होठो को अपने मुँह मे लेने की कोशिश कर रहा था, मगर रुपा उसे ये मौका नही दे रही थी। अब रुपा के होठो को चुशने की फिराक मे उसकी जीभ रुपा के होठो बीच आ गयी जिसे रुपा ने तुरन्त अपने मुँह मे खीँच लिया और उसे जोरो से चुसने लगी। नीचे से रुपा की चुत राजु के लण्ड को चुश रही थी तो वही उपर से वो उसकी जुबान को भी चुशने लगी थी जिसका परिणाम अब ये निकला की कुछ ही देरे मे रुपा अपने चर्म पर पहुँच गयी...

अपने हाथ पैरो को समेटकर वो राजु से लिपट सी गयी और नीचे से अपने कुल्हो को उपर की ओर उचका उचकाकर खुद ही अपनी चुत राजु के लण्ड से घीसने लग गयी। उसने...
..ओ्ह्ह्ह .ईश्श्श्श्....
ओ्.ओ्ओ्ह्ह्ह् .ओ्ईश्श्श्श्....
ओ्.ओ्.ओ्.ओ्ओ्ह्ह्ह् .ओ्ईश्श्श्श्....!" कहते हुवे नीचे से जल्दी‌ जल्दी पाँच सात धक्के तो इसी तरह तेजी से लगाये, मगर फिर मानो जैसे उसके गर्भ की गहराई मे कोई विस्फोट सा हुवा और अपने हाथ पैरो को समेटकर उसने राजु को कसकर बाँहो मे भीँच लिया, तो वही नीचे से उसकी चुत की मांसपेशियों ने भी राजु के लण्ड को एकदम जकङ सा लिया...

राजु अपनी मँजिल के करीब तो था मगर मँजिल तक पहुँचा नही था इसलिये उसके लण्ड से अभी वीर्य तो नही निकल रहा था मगर फिर भी...
...ईश्श्श्श्श्..ओ्ह्ह्ह्ह्ह्ह्....
..ईश्श्श्..ओ्ह्ह्ह्ह्....
...ईश्श्..ओ्ह्ह्ह्ह्....
कि सिसकारीयाँ सी भरते हुवे रुपा ने अब रह रह कर छोटे छोटे धक्को के साथ अपनी चुत की मांसपेशियों से भीँच भीँचकर उसके लण्ड को निचौङने सा शुरु कर दिया...

राजु का ये पहला अवसर था मगर रुपा की हालत देख वो समझ गया था की उसकी जीज्जी को ये क्या हो रहा है इसलिये वो अब एकदम शाँत होकर रह गया, वैसे भी बदन से रुपा के मुकाबले वो आधा था जिससे रुपा ने अपने हाथ पैरो से जकङ कर उसे इतनी जोरो से भीँच लिया था की धक्के लगाना तो दुर, वो बिचारा तो हिल तक नही पा रहा था।

राजु भी शिखर के करीब ही था मगर जब तक रुपा शाँत नही हो गयी तब तक तो वो अब बीना कुछ किये संयत सा होकर रहा, मगर जैसे ही रुपा ने निढाल होकर राजु पर अपनी पकङ को ढीला किया उसने फिर से धक्के लगाने शुरु कर दिये‌ जिससे रुपा अपने बदन को कङा करके...
..ईश्श्श्..ओ्ओह्..बस्स्स्...
.ओ्ओ्ईश्श्श्श्श्..बस्स्स्...ओ्ओ्ह्...!" कहकर कराह उठी। लगातार दो बार चुदाई से रुपा की चुत की दीवारे घीस घीसकर एकदम गर्म हो गयी थी, अब रशखलन के बाद राजु के लण्ड के घीसने से रुपा को अपनी चुत मे जलन सी होने लगी जिससे वो कराहने सा लगी, मगर राजु अपनी मँजिल के करीब ही था इसलिये वो वैसे ही जल्दी जल्दी धक्के लगाते रहा....

राजु के धक्को के धक्को से अपनी चुत मे जलन होने से रुपा को जैसे अब होश सा आया की ये सब क्या हो रहा है। बुढे वैद की दवा का असर कम हो गया था जिससे उसका उत्तेजना का खुमार भी अब धीरे धीरे उतरने लगा था। हालांकि अभी अभी हुई इस लम्बी चुदाई की वजह से रुपा अभी भी रुपा की साँसे जोरो से चल रही थी, मगर फिर भी उसे ऐसा लग रहा था, मानो की जैसे वो नीँद से जागी हो, उत्तेजना के वश ये सब क्यो और कैसे हो गया उसे‌ कुछ समझ नही आ रहा था मगर अपनी चुत मे अन्दर बाहर होते राजु के लण्ड को महसूस कर उसे अपने आप पर ही जोरो की शरम आ रही थी।

उत्तेजना के वश पिछले कुछ घण्टे मे जो कुछ भी उसके व राजु के बीच हुवा था वो अब किसी फिल्म की तरह रुपा की नजरो के समाने घुमने लगा था। रुपा अपने इन्ही विचारों मे खोई थी की तभी राजु उसके नँगे बदन से एकदम चिपक सा गया और...

..ईश्श्.. जिज्जीईह्ह्ह...
.....ईश्श्श्.. जिज्जीईईह्ह्ह्....
.......ईश्श्श्श्..जिज्जीईईईह्ह्ह्ह्....!"की सिसकारीया सी भरते हुवे रह रहकर उसकी चुत को अपने वीर्य से भरना शुरु कर दिया..

रुपा भी अपनी चुत मे राजु के लण्ड से निकलते गर्म गर्म वीर्य को अब साफ महसूस कर रही थी, मगर शरम के मारे रुपा‌ से उसे ना तो कुछ कहते बन रहा था और ना ही कुछ करते..! राजु के लण्ड से निकलता गर्म गर्म वीर्य रुपा को अपनी चुत मे अब दहकते गर्म लावे महसूस हो रहा था। रुपा को खुद पर ही जोरो का गुस्सा आ रहा था और राजु के लण्ड से निकलता वीर्य तो ऐसा महसुस हो रहा था मानो राजु लोहे को पिँघला कर उसकी चुत मे भर रहा था।

वो अब कुछ देर तो ऐसे ही पङी रही, मगर ये सब रुपा से अब बर्दाश्त नही हो रहा था इसलिये राजु के ठण्डा पङते ही उसने करवट बदलकर तुरन्त राजु को अपने उपर से उतार दिया और दुसरी ओर मुँह करके लेट गयी। राजु के उतरते ही रुपा की चुत मे भरा उसका वीर्य व खुद रुपा का चुतरश किसी बाँध के टुटने के जैसे एकदम रुपा की चुत से बाहर बह निकला था... वो रश उसकी चुत से निकलकर कुछ तो रुपा के कुल्हो की दरार मे घुस गया और बाकी का रुपा के अब करवट बदल लेने की वजह से उसकी नीचे वाली जाँघ पर फैलने लगा...

रुपा को अब अपनी चुत व कुल्हो की दरार मे जोरो की गुदगुदी से महसूस होने लगी थी, इसलिये उसने अपना एक हाथ नीचे अपनी चुत के पास ले जाकर देखा तो‌ उसकी चुत व जाँघो के जोङ के पास एकदम गीला व चिपचिपापन फैला था तो चुत के प्रवेशद्वार से अभी भी राजु का वीर्य व उसका खुद का चुतरश रीश रीशकर बाहर आ रहा था जिससे उसका हाथ भी भर गया और जो कुछ भी अभी उसके व राजु के बीच हुवा वो किसी फिल्म की तरह उसकी नजरो के आगे घुम गया...

पिछले कुछ घण्टों मे उसके व राजु के बीच जो कुछ भी हुवा था उसको ध्यान कर रुपा का दिल अब शरम व गुस्से के साथ साथ एक अनजाने से भय से दहल सा गया था। उसने धीरे से अपनी गर्दन को घुमाकर राजु की ओर देखा तो वो सीधे पीठ के बल लेटा था तो अभी भी लम्बी लम्बी व गहरी साँसे ले रहा था। रुपा को कुछ समझ नही आ रहा था की उसके व राजु के बीच ये इतना सब कुछ कैसे और क्यो हो गया, क्योंकि उसे ऐसा लग रहा था मानो जैसे वो अभी आभी बेहोशी से जागी हो..!

अब शरम के मारे राजु से तो उसकी कुछ पुछने की या कहने की हिम्मत नही हुई इसलिये अपने हाथ पर लगे गीलेपन को उसने अपनी जाँघ पर ही मलकर साफ कर लिया और गर्दन घुमाकर दुसरी ओर मुँह करके लेट गयी...बुढे वैद की दवा से रुपा व राजु पर जो उत्तेजना का खुमार चढा था वो तो उतर गया था मगर उसका एक नशा सा दोनो पर अभी चढा हुवा था‌। वैसे भी दोनो दिनभर यहाँ तक पैदल चलकर आये उपर से दो बार की इस लम्बी चुदाई से दोनो थक भी गये थे इसलिये कुछ देर बाद ही दोनो को अब नीँद आ गयी...
 

Vishalji1

I love lick😋women's @ll body part👅(pee+sweat)
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Super amazing wonderfull update
 

king1969

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Elafanto

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भाई मजा आ गया। रूपा के भाई ने क्या मस्त चुदाई की है रूपा की। बस एक चुदाई वापसी के रस्ते में जरूर करवा देना।
 
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Ek number

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अभी तक आपने पढा की की अपनी माँ के कहने‌ पर रुपा राहुल के साथ लिँगा बाबा पर टोटके को पुरा करने के लिये
राहुल मुँह से अपनी चुत छुवाकर उसकी गोद मे बैठ तो गयी थी, मगर बुढे वैद की दवा के असर व राजु के लण्ड से निकलती गर्मी को अपनी चुत पर महसूस करके उत्तेजना के मारे उसे अपनी चुत ही पिँघलती हुई सी महसूस होने लगी थी इसलिये एक बार राजु की गोद मे बैठकर वो अब उठकर खङी हो गयी तो साथ ही उसने राजु को भी हाथ पकङकर खङा कर लिया...
अब उसके आगे:-

खङी होकर रुपा ने अब राजु का हाथ पकङकर उसे तो खङा कर दिया व खुद नीचे बैठ गयी। नीचे बैठे बैठे उसने राजु के पैरो को पकङकर उसे अपने पास खीँच लिया और एक हाथ से टटोलकर उसके लण्ड को पकङ लिया। टोटके को पुरा करने के लिये राजु के लण्ड को उसे अब अपने होठो से चुमकर उसे एक बार राजु को अपने उपर लेटाना था मगर राजु के लण्ड से भी पिसाब व लण्ड पर जमे रश की तीखी व तेज गँध आ रही थी जिससे रुपा के पुरे बदन मे अजीब ही सरसराहट की एक लहर सी दौङ गयी...

उसने बहुत सी बार अपने पति के लण्ड को मुँह मे लेकर चुशा था इसलिये लण्ड से निकलने वाली गन्ध से वो भली भांति परिचित थी, क्योंकि लण्ड से निकलने वाली गन्ध उसे भी भाती थी, मगर राजु के बारे मे उसने कभी भी ऐसा कुछ सोचा नही था इसलिये राजु के लण्ड से आ रही गन्ध को महसूस करके रुपा को अब अजीब सा ही अहसास हुवा...

पहली बार राजु के लण्ड को अपने हाथ से पकङने पर व उससे निकल रही इस गन्ध से रुपा को शरम के साथ साथ एक अजीब ही रोमाँच सा भी महसूस हो रहा था, जो की उसे अजीब सी उत्तेजना का अहसास करवा रहा था, रुपा को अब कैसे भी उसे ये टोटका तो पुरा करना ही था इसलिये उसने भी राजु के लण्ड को चुमने के लिये धीरे से अपने होठो को उसके लण्ड के सुपाङे से छुवा दिया...

अब उत्तेजना के मारे राजु का पहले ही बुरा हाल था, उपर से अपने लण्ड पर रुपा के नर्म नाजुक होठो की छुवन से वो और भी पागल हो गया इसलिये जैसे ही रुपा ने उसके लण्ड के सुपाङे को अपने नर्म नाजुक होठो से छुवा, राजु ने तुरन्त दोनो हाथो से उसके सिर को पकङ लिया और...
"ईश्श्. ज्.जी्ज्जी्ह्ह्..!" कहते हुवे अपनी कमर को धकेलकर रुपा के मुँह पर अपने लण्ड को जोरो से दबा दिया...

रुपा ने बस अपने होठो को ही उसके लण्ड से छुवाया था मगर इस तरह रुपा के सिर को पकङकर राजु के अपने लण्ड को उसके मुँह पर दबा देने से उसके लण्ड का सुपाङा रुपा के होठो को खोलकर सीधा अब उसके मुँह मे ही घुस गया जिससे...

"ईईईश्श्श्... ज्.ज्जीज्जीईईह्ह्ह..! कहकर राजु फिर से सुबक सा पङा, तो वही रुपा की आँखे गोल होकर एकदम बङी सी हो गयी..

रुपा को बिल्कुल भी उम्मीद नही थी की राजु ऐसा भी कुछ कर सकता है इसलिये उसे अब कुछ समझ नही आया की वो क्या करे और क्या ना करे..? मगर तब तक राजु उत्तेजना व आनन्द के वश दोनो हाथो से उसके सिर को पकङे पकङे ऐसे ही धीरे धीरे अपने कुल्हो को आगे पीछे कर उसके मुँह पर ही धक्के से मारने लगा जिससे राजु का लण्ड अब रुपा के मुँह को घीसते हुवे अन्दर बाहर होने लगा...

राजु के‌ लण्ड से निकल रही गन्ध से ही रुपा‌ को शरम हया व रोँमाच की एक अजीब सी ही उत्तेजना का अहसास हो रहा था, उपर से राजु के‌ अब अपने लण्ड को ही उसके मुँह मे घुसा देने से लण्ड की गन्ध के साथ साथ उसके लण्ड से निकल रहे चिपचिपा व एकदम चिकने तरल का स्वाद भी रुपा के मुँह मे घुल गया था जिससे उत्तेजना के वश रुपा की साँसे एकदम फुल सी आई तो वही रुपा अभी भी एकदम‌ जङ‌ सा होकर बैठे रही..!

राजु के लण्ड से निकल‌ रहे रश से उसके मुँह का स्वाद भी चिकना व नमकिन सा हो गया जिससे शरम हया के साथ साथ रुपा के मन मे फिर से उत्तेजना की एक अजीब ही लहरे सी उठना शुरु हो गयी,
रुपा को कुछ सुझ नही रहा था की वो क्या करे और क्या ना करे..? मगर उत्तेजना के वश राजु अपने लण्ड का दबाव अब बढाता जा रहा था जिससे उसका आधे से ज्यादा लण्ड अब रुपा के मुँह के अन्दर बाहर होने लगा था...

वैसे तो रुपा भी राजु की हालत समझ पा रही थी की उस पर क्या बीत रही है । राजु क्या.? खुद रुपा का अपने बदन‌ पर अब कोई बस सा नही चल रहा था‌ इसलिये अब एक बार तो उसने सोचा की राजु को वो ऐसे ही शाँत कर दे,
मगर रुपा को भी ऐसे उसे तरसते तङपते देखकर शरम हया के साथ साथ एक अजीब ही रोमाँच सा महसूस हो रहा था, मानो जैसे उसे राजु की ये तङप देखकर मजा आ रहा हो..


वैसे भी टोटके को पुरा करने के लिये उसे अभी राजु को अपने उपर भी सुलाना था इसलिये ना जाने‌ उसके दिल मे अब क्या आया की, उसने पहले तो राजु को अपने से दुर धकेलकर उसके लण्ड को अपने मुँह से बाहर निकाल दिया, फिर दोनो हाथो से उसकी कमर को पकङकर उसे अपने उपर खीँच लिया‌ जिससे रुपा तो अब नीचे लेट गयी और राजु उसके उपर आ गया...
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Ek number

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राजु के रुपा के उपर आ जाने से दोनो की उत्तेजक गर्म साँसे फिर से एक दुसरे की साँसो मे समाने लगी थी जो की उनके बदन की आग को और भी भङकाने लगी। रुपा के मुकाबले राजु बदन हल्का था मगर फिर भी रुपा की दोनो चुँचियाँ उसकी छाती के भार से दब सी गयी थी। हालांकि उसकी चुँचियो के निप्पल अब भी सुपाङी के जैसे एकदम सख्त तने खङे रहे जो की राजु को भी अपने सीने मे चुभते से महसूस हो रहे थे, मगर अपनी‌ जीज्जी‌ नर्म मुलायम नँगे बदन के स्पर्श से ही उसकी हालत खराब हो गयी थी जिससे उसका लण्ड अब और भी जोरो से झटके से खाने‌ लगा तो‌ वही उसमे से पानी सा रीश रीश कर रुपा की पुरी चुत के उभार पर फैलने लगा...

रुपा को भी अपनी चुत के उभार पर राजु के लण्ड का कम्पन्न व झटके साफ महसूस हो रहे थे तो, उसके लण्ड से निकल‌कर अपनी चुत पर फैल‌ रहे गीलेपन‌ का भी‌ पुरा अहसास था। राजु क्या..? खुद रुपा की चुत भी तो उत्तेजना के मारे टपक रही थी जिससे उसका दिल तो कर रहा था की राजु अपने‌ लण्ड को उसकी चुत मे घुसाकर उसकी जलती सुलगती चुत को एकदम रौँध डाले मगर इसके लिये राजु को‌ कुछ मालुम नही था.. और रुपा की शरम हया के मारे उससे कुछ कहने की या खु्द से ऐसा कुछ करने की हिम्मत नही हो रही थी..

राजु को ये तो मालुम था की इस तरह लङकी या औरत के उपर लेटकर चुदाई की जाती है, मगर ये नही मालुम था की उसके लिये लण्ड को कैसे और कहाँ घुसाना होता है। रुपा के उसे अपने उपर सुला लेने से राजु ने तो अब यही समझा की उसकी जीज्जी उससे चुदाना चाह रही, मगर उसे ये समझ नही आ रहा था की वो अपने लण्ड को घुसाये तो कहाँ घुसाये, इसलिये वो ऐसे ही अपने लण्ड को रुपा की चुत के उभार पर दबाव सा बना रहा था...

उत्तेजना के मारे उसकी साँसे जोरो से चल रही थी जो की सीधे रुपा के चेहरे से टकरा रही थी‌। उसके मुँह से निकलती गर्म गर्म उत्तेजित साँसे व अपनी चुत के उभार पर झटके से खाता राजु का एकदम कङा व कुँवारा लण्ड रुपा को भी पागल सा बना‌ रहा था जिससे रुपा को अपना बदन टुटता सा महसूस हो रहा था। उत्तेजना के मारे दोनो का ही बुरा हाल था मगर रुपा जहाँ लोक लाज की शरम किये पङी थी, तो राजु को कुछ मालुम नही थी की वो अब कैसे क्या करे..?

रुपा ने जो उसके लण्ड को अपने मुँह मे लेकर उसे अधुरे मे ही छोङ दिया था उसकी वजह से पहले ही राजु का बुरा हाल था, उपर से उसे अब अपनी जीज्जी
के नर्म‌ मुलायम रेशमी से बदन की नर्मी व उसकी चुत की गर्मी अपने लण्ड पर महसूस तो हो रही थी मगर उसे ये मालुम नही पङ रहा था की वो अपने लण्ड को आखिर घुसाये तो कहाँ घुसाये, जिससे उत्तेजना व घुस्से के मारे उसका लण्ड किसी साँप के जैसे अपने बिल मे घुसने के लिये जोरो से फुँफकार सा रहा था...

उसे अपने लण्ड की नशे फटती सी महसुस हो रही थी जो की‌ राजु से बर्दाश्त नही हो रहा था। उसे ये तो मालुम नही पङ रहा था की वो अपने‌ लण्ड को कैसे और कहाँ घुसाये, इसलिये उत्तेजना के मारे उसने अपने कूल्हो से जुम्बीस सी करके रुपा की चुत के उभार पर ही अब अपने लण्ड को घीसना शुरु कर दिया, रुपा भी हल्के हल्के मसकने सा लगी। रुपा को भी राजु की हालत का अहसास था, राजु क्या..? उत्तेजना के मारे खुद उसकी हालत भी खराब थी जिससे रुपा भी अब एकदम जङ सी‌ होकर रह गयी...

राजु का इस तरह अपने लण्ड को रुपा की चुत पर घीसना रुपा को भी कही ना कही थोङी बहुत राहत सी पहुँचा रहा था जिससे वो भी राजु से ना तो कुछ बोल पा रही थी और ना ही उसे रोक पा रही थी, ये कुछ तो बुढे वैद की दवा का असर था और कुछ राजु के एकदम कङे कुँवारे लण्ड का, की राजु के नीचे लेटकर रुपा का खुद पर ही अब कोई बस नही चल रहा था, इसलिये उसने भी अब खुद ही धीरे से पैरो को फैलाकर राजु को अपनी जाँघो के बीच ले लिया तो वही अपनी गर्दन को एक ओर घुमाकर आँखे बन्द करके वो एकदम शाँत व ढीला पङ गयी, मानो जैसे अपने आपको राजु के हवाले कर वो भी उससे अब कुछ चाह रही हो...

रुपा के अब राजु को अपनी जाँघो के बीच ले लेने से उसका लण्ड एकदम ठीक रुपा की चुत की फाँको से लग गया था जिससे रुपा की चुत की तपिस राजु को अब सीधे अपने लण्ड पर महसूस हुई, तो उत्तेजना के वश उसने भी जोरो से अपने लण्ड को उसकी चुत की फाँको के बीच घिसना शुरु कर दिया..

उसने पहले तो हल्के हल्के बस अपने कुल्हो से ही जुम्बीस सी करके अपने लण्ड को उसकी चुत की चुत के उभार पर ही घीसना शुरु किया था, मगर रुपा के उसे अब अपनी जाँघो के बीच ले लेने से उसका लण्ड सीधे ही उसकी चुत की फाँके को खोलकर अन्दर के नर्म मुलायम भाग पर घीसने लगा जिससे उसे अब अपनी जीज्जी की चुत की तपिस सीधे अपने लण्ड पर महसूस हुई तो वो भी धीरे से वो अपने हाथ रुपा के कँधो पर ले आया और दोनो हाथो से उसके कन्धो को पकङकर अब जल्दी जल्दी व जोरो से उपर नीचे हो होकर उसकी चुत की फाँको के बीच के वाले नर्म मुलायम भाग पर ही अपने लण्ड को घीसने लग गया जिससे रुपा की हालत अब और भी खराब हो गयी...

इस तरह अपने बदन को आगे पीछे करने से राजु का पुरा शरीर ही रुपा के नँगे बदन से घीसने लगा था जिससे राजु का मझा तो दुगुना हो गया, मगर इससे रुपा की हालत और भी खराब होने लगी, क्योंकि इस तरह उपर नीचे होने से राजु का लण्ड तो नीचे से रुपा की चुत की फाँको के बीच रगङ मार ही रहा था, उपर से उसकी नँगी चुँचियाँ भी अब उसकी छाती से चटनी की तरह पीसने लगी जिससे...
ऊह्ह्..ईईश्श्.. बस्स्...
ऊऊ्ह्ह्ह...बस्स्स्..ईईईश्श्श्...! कहकर रुपा सिसकने सा लगी...

वैसे तो रुपा का दिल भी अब चाह रहा था की कोई उसे ऐसे ही रगङे मसले व अपना लण्ड उसकी चुत मे घुसाकर उसे एकदम रौँध डाले, मगर राजु ऐसे ही अपने लण्ड को उसकी चुत के उभार पर ही घीसे जा रहा था। राजु को ना तो ये मालुम था की चुत मे लण्ड कहाँ और कैसे घुसाते है और ना ही वो अब ये जानने की कोशिश मे था, वो बस कैसे भी करके अपने लण्ड मे उठ रहे इस ज्वार को शाँत करना चाह रहा था, मगर रुपा ये अच्छे से जान रही थी की राजु अपने लण्ड को कहाँ घीस रहा है..?

हालांकि बीच बीच मे उसका लण्ड नीचे रुपा की चुत की फाँको के बीच कभी कभी घुसने की भी कोशिश सी कर रहा था जिससे...
"ईईश्श्श्..बस्स्...!" की सी आवाज निकालकर रुपा सुबक सी पङती, तो राजु को वही के वही पकङकर रोकने की भी कोशिश करती, मगर शरम हया के मारे राजु से कुछ कह नही पा रही थी, क्योंकि उसकी चुत पर राजु के लण्ड से निकलते रश व खुद रुपा की चुत के रश की इतनी चिकनाई फैली हुई थी की राजु का लण्ड उसकी चुत के मुँह मे कभी कभी अटक सा तो रहा था, मगर चिकनाई के कारण वो बार बार फिसल जा रहा था...

आखिर बर्दाश्त की भी एक हद होती है, और रुपा की वो हद पार होती जा रही थी, क्योंकि राजु के साथ ये टोटके करते करते उसका पहले ही उत्तेजना के मारे बुरा हाल था, उपर से उसने फकीर बाबा की भस्म जानकर जो बुढे वैद की दवा खाई थी उसने रुपा की चुत मे एक आग सी भर दी जिसे राजु अब उसकी चुत की फाँको के बीच ठीक उसके प्रवेशद्वार से अपने लण्ड से घिसकर और भी भङका रहा था जिससे रुपा को अपनी चुत एकदम जलती सुलगती सी महसूस हो रही थी जो की वो अब बर्दाश्त नही कर पा रही थी...

अब शरम हया के मारे राजु से सीधे सीधे तो उसकी कुछ कहने की हिम्मत नही हो रही थी इसलिये ऐसे ही...
ईईश्श्श्..बस्स्...
ईईईश्श्श्.. ओह्ह्.य्.य.. बस्स्स्स्...! कहते हुवे राजु को पकङने के बहाने उसे नीचे की तरफ धकेलकर, तो कभी खुद से ही अपनी कमर को उपर नीचे और दाँये बाये करके रुपा अब खुद से ही ये कोशिश सी करने लगी की उसकी चुत की फाँको पर रगङ खाता राजु का लण्ड सीधे अब उसकी चुत मे ही उतर जाये...

वो उपर उपर से तो दिखावे के लिये राजु को रोक सा रही थी, मगर अपनी कमर को उपर नीचे व दाँये बाँये हिलाकर अन्दर ही अन्दर वो खुद ये चाह रहा था की कैसे भी करके वो राजु के लण्ड को अपनी चुत मे निँगल जाये, जिससे अब कुछ तो राजु अपने लण्ड को ठीक रुपा की चुत की फाँको के बीच घीसे जा रहा था और कुछ रुपा ने खुद से ही थोङा बहुत उपर नीचे हो होकर ये कोशिश की, की अबकी बार जैसे ही राजु के लण्ड का सुपाङा उसकी चुत की फाँको के बीच घीसते हुवे उपर की ओर जाने लगा, रुपा ने खुद ही अपनी कमर को उचकाकर उसके लण्ड के सुपाङे के आगे अपनी चुत के मुँह को लगा दिया जिससे राजु के लण्ड का सुपाङा एक बार तो उसकी चुत के प्रवेशद्वार मे थोङा सा अटका मगर गीली चुत होने के कारण...
. .हल्की "फच्च्... की सी आवाज करके एक ही झटके मे उसका आधे से ज्यादा लण्ड रुपा की चुत मे उतर गया जिससे....
....ईश्श्श्श्..अ्.आ्ह्ह्ह्....ओ्ह्.ये्ऐ..रा्जु्उ्ह्ह्ह... की सुबकी सी लेते हुवे अपने हाथ पैरो को समेटकर राजु से एकदम कसकर लिपट सा गयी मानो जैसे जन्मो से भुखी उसकी चुत को आज पहली बार लण्ड मिला हो...

उसके दोनो पैर राजु के पैरो मे फँस गये थे तो उसके हाथ भी राजु की पीठ पर लिपट गये। राजु‌ के‌ लण्ड से मिले इस मीठे से दर्द व आनन्द के वश रुपा के नाखुन राजु की पीठ मे गङ से गये थे तो वही रुपा ने उसे अपनी‌ बाँहो मे भीँचकर उसकी गर्दन व गालो पर चुम्बनो‌ की‌ झङी‌ सी लगा दी जिससे अब एक बार तो राजु कुछ समझ ही नही आया की आखिर ये हुवा क्या..? मगर राजु का लण्ड रुपा की चुत की सँकरी दीवारो को एकदम घीसते हुवे अन्दर घुसा था..

हालांकि चुत से बहते कामरश के कारण रुपा‌ की चुत की दिवारे एकदम चिकनी हो रखी थी, मगर फिर‌ भी‌ उसकी चुत एकदम तँग व इतनी कसी हुई थी की राजु का लण्ड उसकी चुत की दीवारो से एकदम रगङते रगङते अन्दर घुसा था। राजु को नही मालुम था की ये क्या हुवा, क्योंकि उसका लण्ड को को पहली बार गर्म व गीली चुत की नर्मी व गर्मी का मजा मिला था। अभी तक वो इस सुख से अनजान था। उसका ये पहला अवसर था जब उसके लण्ड को चुत की एकदम तँग व मखमली चिकनी गहराई को महसूस कर रहा था।

लण्ड घुसाना तो दुर इससे पहले उसने कभी चुत देखी तक नही थी, मगर रुपा की चुत की दिवारो की इतनी कसी हुई व एकदम चिकनी रगङ को अपने‌ लण्ड पर महसूस करके राजु को भी एक अलग ही सुख‌ मिला था‌ इसलिये इस नये सुख व आनन्द के वश उसे ये तक अहसास नही हुवा की रुपा के नाखुन उसकी पीठ मे भी चुभे है। रुपा की चुत ने भी उसके लण्ड को एकदम‌ जकङ‌ सा‌ लिया था जिससे राजु को ऐसा लग रहा था मानो उसके‌ लण्ड को कसकर मुट्ठी मे भीँच लिया हो...

अन्दर से रुपा की चुत एकदम किसी आग की भट्टी की तरह सुलग सी रही थी तो वो चिकनाई से भी एकदम भरी पङी थी। उत्तेजना के‌ कारण उसकी चुत की‌‌ माँस पेसियो मे भी इतना सँकुचन हो रहा था की अन्दर ही अन्दर वो राजु के लण्ड‌ को चुश सा रही थी जिसने राजु के मझे को दोगुना कर दिया था, जिससे शायद उसे भी समझ आ गया ये सब क्या हुवा और उसका लण्ड कहाँ और किस सँकरी गुफा मे घुसा है, इसलिये वो अब एक बार तो कुछ देर के‌ लिये रुका, फिर वापस उसने धक्के लगाने शुरु कर दिये, मगर इस बार आगे पीछे होने की बजाय, वो सीधे चुदाई की मुद्रा मे अपने कुल्हो‌ को उचका उचकाकर धक्के लगाने लगा जिससे उसका लण्ड रुपा की चुत की सँकरी गुफा को घीसते हुवे अन्दर बाहर होने लगा तो रुपा... ईश्श्.. ओ्ओ्ह्ह... राजुउ्ह्ह्ह...
.......ईश्श्श्.. आ्ह्ह्ह्....
......…..ईश्श्श्श्.. आ्ह्ह्ह्ह्..... करते हुवे जोरो से सिसकने लगी।

वो अभी भी राजु से एकदम‌ कसके लिपटे हुवे थी और उसकी गर्दन व गालो को चुमे जा रही थी। वो राजु के पैरो मे अपने पैरो को फँसाकर उसे कसकर पकङे हुवे थी, तो एक हाथ उसकी गर्दन मे डालकर उसे कसकर अपनी चुँचियो से चिपका रखा था, मगर उसका दुसरा हाथ अब राजु के कुल्हो पर आ गया और उसकी गर्दन व गालो को चुमते हुवे राजु के कुल्हो व कमर को सहलाकर उसका अब जोश सा बढाने लगा...

राजु को पहली बार चुत को भोगने का सुख मिल रहा था इसलिये वो भी जोश मे आ गया। धीरे धीरे कर उसने अपना पुरा ही लण्ड रुपा की चुत मे उतार दिया और..
.....ईश्श्.. जिज्जीईह्ह्ह...
.......ईश्श्श्.. जिज्जीईईह्ह्ह्....
......…..ईश्श्श्श्..जिज्जीईईईह्ह्ह्ह्..... करते हुवे तेजी से धक्के लगाने लगा जिससे रुपा की सिसकीयाँ भी तेज हो गयी। उत्तेजना व आनन्द के वश उसने दोनो हाथो से राजु के मुँह को घुमाकर अपनी ओर कर लिया और उसके होठो को जोरो से चाटना चुशना शुरु कर दिया...

राजु का ये पहला अवसर था, उसे इन सब‌ बातो का ज्यादा कोई ज्ञान नही था, मगर रुपा के उसके होठो को चुशने चाटने से रुपा के मुँह के थुक व लार उसके मुँह मे घुलने लगे तो उसे एक अलग ही अहसास होने लगा, क्योंकि रुपा के उसके होठो को चुशने चाटने से राजु के सुखे सूखे होठ व मुँह का स्वाद भी एकदम चिकनाई भरा होने लगा था इसलिये वो भी अब नीचे से धक्के लगाते हुवे कभी कभी रुपा के होठो को अपने होठो से दबाने की कोशिश करने लगा, हालांकि रुपा उसे ये मौका नही दे रही थी, वो खुद ही उसके होठो को चुसे चाटे जा रही थी..

राजु हाथ से घीसकर तो अपने लण्ड को काफी बार पानी निकाला था मगर चुत की इतनी तँग सँकरी व एकदम चिकनाई भरी घीसाई का उसे पहली बार सुख मिल रहा था इसलिये वो अब कुछ ही देर बाद ही वो पुरे जोश मे आ गया‌ और अपनी पुरी तेजी व ताकत से धक्के लगाकर जल्दी जल्दी अपने लण्ड को रुपा की एकदम तँग चुत की सँकरी दिवारो से घीसने लगा। उसका चर्म करीब आ गया था इसलिये आठ दस धक्के तो उसने ऐसे ही अपनी पुरी ताकत व तेजी से लगाये और फिर...
.....ईश्श्.. जिज्जीईह्ह्ह...
.......ईश्श्श्.. जिज्जीईईह्ह्ह्....
......…..ईश्श्श्श्..जिज्जीईईईह्ह्ह्ह्.....!"कहकर‌ उसने रुपा‌ के कन्धो को‌ कस कर पकङ लिया और झटके से खा खाकर उसके लण्ड ने रुपा की चुत को वीर्य से भरना शुरु‌कर दिया...

रुपा का चर्म भी‌ करीब ही था, मगर राजु उससे थोङा जल्दी चर्म पहुँच गया था। रुपा का पति कभी भी उसे चर्म तक पहुँचाने का सुख‌ नही दे‌ पाया था। वो बस आठ दस धक्को मे ही ढेर होकर सो जाता था। राजु का ये पहला अवसर था इसलिये वो रुपा को उसकी मँजिल के करीब तो ले आया था मगर रुपा से पहले‌ ही ढेर होने लगा था। रुपा ने अब अपनी चुत मे झटके खा खा कर उसके लण्ड से निकलते गर्म गर्म वीर्य को महसूस किया तो उसे‌ लगा कही राजु भी उसे बीच मे ही अधूरी ना छोङ दे इसलिये...
....ओ्.ओ्य्.ह्...
.........ईश्श्..आ्ह्ह्ह्..
...........ईश्श्श्.. आ्ह्ह्ह्....
........…..ईश्श्श्श्.. आ्ह्ह्ह्ह्..... जोर जोर की सिसकीयाँ सी लेते हुवे रुपा ने अब खुद ही अपने हाथ पैरो के सहारे राजु को हिला हिलाकर चार पाँच बार तो अपनी चुत की दिवारो को उसके लण्ड से घीसवाया, फिर थरथराकर वो भी झङना शुरु हो गयी...

उत्तेजना के जोश मे रुपा ने अब उपर से राजु को एकदम कसकर अपनी बाँहो मे भीँच लिया तो नीचे उसकी चुत की मांसपेशियों ने भी राजु के लण्ड को एकदम जकङ सा लिया और राजु के होठो को जोरो से चुमते चाटते वो गले से..

ईश्श्..ऊऊह्ह्..
..ईश्श्श्.. ऊऊऊह्ह्....
....ईश्श्श्श्.. ऊऊऊह्ह्ह्...की गर्राहट सी निकालते हुवे अपनी चुत से राजु के लण्ड को अन्दर ही अन्दर निचौङने सा लग गयी...

राजु का तो ये पहला अवसर था ही रुपा भी पहले कभी भी इस तरह लण्ड से रसखलित नही थी। उसका पति रसखलन तो दुर, उसे कभी उसकी मंजिल के करीब भी नही पहुँचा पाया था मगर आज वो अपने जीवन मे पहली बार राजु के लण्ड से रसखलित हो रही थी, इसलिये उसका ये रसखलन इतना उग्र था की जब उसने अपनी चुत से राजु के लण्ड से वीर्य का आखरी कतरा तक नही नीचौङ लिया। वो ऐसे ही सिसकियाँ लेते हुवे राजु से लिपटे रही और उसके लण्ड को अपनी चुत से निचौङती रही...
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Ek number

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रसखलन बाद रुपा कुछ शाँत हुई तो अपने आप‌ ही राजु पर भी उसकी पकङ ढीली पङ गयी, मगर रुपा के छोङ देने के बाद भी वो उस पर से नीचे नही उतरा, वो ऐसे ही उसकी चुत मे अपना लण्ड घुसाये हल्के हल्के धक्के से लगाते रहा जिससे अब कुछ देर बाद रुपा की साँसे उसके कुछ काबु मे आई और उसे अपनी हालत का अहसास हुवा तो उसे अपने आप पर जोरो की शरम आई, क्योंकि राजु को अपनी बाँहो मे लिये वो एकदम नँगी उसके नीचे पङी थी तो राजु भी एकदम नँगा उस पर लदा पङा था‌‌।

राजु व रुपा दोनो का ही रसखलन हो गया था मगर वो अभी भी हल्के हल्के धक्के लगाकर उसकी चुत मे अपने लण्ड को अन्दर बाहर किये जा रहा था‌ जिससे की हल्की फच्च्..फच्च.. की सी आवाज निकल रही थी। रसखलन के बाद भी राजु ने अपना लण्ड रुपा की चुत से बाहर नही निकाला था इसलिये रुपा की चुत राजु के वीर्य व खुद उसके चुतरश से भरी पङी थी। रुपा के चुतरश ने राजु के वीर्य मे मिलकर उसकी चुत मे एक नया ही तरल बना लिया था जो की एकदम गाढा व इतना लिसलिसा था, की उसमे अब राजु के लण्ड के अन्दर बाहर होने से अपने आप ही रुपा की चुत से ये फच्च्.. फच्च्.. की आवाज निकल रही जिससे रुपा को‌ जोरो‌ की शरम सी आई इसलिये...
"...ईश्श्.बस्स्स्.हो गया... " शरम के मारे रुपा ने ब धीरे से कहा, मगर राजु को रोकने या अपने उपर से हटाने की उसने भी कोशिश नही की, उसकी गर्म‌गर्म साँसे रुपा के चरहरे पर पङ रही थी इसलिये उसने बस अब गर्दन को घुमाकर अपना मुँह दुसरी ओर कर लिये और चुपचाप वैसे ही लेटी रही।

राजु के लण्ड को अपनी चुत मे महसूस करके रुपा के भी पुरे बदन मे एक सनसनी सी दौङ रही थी, क्योंकि रसखलन के बाद भी उसका लण्ड ढीला नही पङा था। उसकी बस हल्की सी थोङी कठोरता मे ही कमी आई थी, नही तो अभी भी वो अपने बल पर एकदम तने खङे रुपा की चुत मे घुसा हुवा था। कहाँ तो रुपा के पति का लण्ड था जो एक बार रसखलित होने के बाद हफ्ते भर तक होश मे नही आ पाता था, और कहाँ राजु का एकदम जवना लण्ड जो की रसखलन के बाद भी तना हुवा था।

अपनी चुत मे घुसे राजु के लण्ड के अन्दर बाहर होने से रुपा की साँसे भी अब फिर से तेज होने लगी थी जिससे अन्दर ही अन्दर उसकी चुत मे भी गर्मी सी बढने लगी। उसे अपनी चुत की मांसपेशियों मे भी सँकुचन सा महसूस हो रहा था क्योंकि उसकी उपर नीचे होती साँसो के साथ साथ रुपा की चुत की दीवारे भी अन्दर ही अन्दर फैलने और सिकुङने सा लगी थी, मानो जैसे वो अपनी चुत से ही राजु के लण्ड को भीँचकर देखने की कोशिश कर रही हो, की सही मे ही उसका लण्ड अभी भी तना हुवा है या ये उसका वहम है..?

ये राजु पर कुछ तो बुढे वैद की दवा का असर था, और कुछ पहली बार मिली अपनी जीज्जी की चुत का नशा की, रसखलन के बाद भी उसका लण्ड निढाल नही हुवा था और उसके हर एक धक्के के साथ रुपा की चुत मे अन्दर बाहर हो रहा था। ऐसा ही हाल कुछ रुपा का भी था। उसने भी जो बुढे वैद की दवा खाई थी ये कुछ तो उसका असर था और कुछ राजु के जवान और एकदम कङे व कुँवारे लण्ड का‌ की रसखलन के बाद भी उसकी चुत की आग बुझी नही थी। उसकी चुत अभी भी राजु के लण्ड के धक्के खाने की भुखी थी, इसलिये राजु के लण्ड के अन्दर बाहर होने से उसकी चुत मे अब फिर से गर्मी सी बढने लगी थी...

राजु के कठोर लण्ड ने उसे पहली बार रसखलन का सुख दिया था, इसलिये उसे अब फिर से अपनी चुत मे महसूस कर रुपा की चुत मे फिर से जैसे कोई आग सी भर आई थी, जो की राजु को भी अपने लण्ड के सुपाङे पर अब साफ महसूस हो रही थी। रुपा की चुत मे बढती गर्मी व सकुँचन को अपने लण्ड पर महसूस कर राजु की साँसे भी अब फिर से गर्म हो गयी और अपने आप ही उसका लण्ड धीरे धीरे कर अपने पहले वाले स्वरूप मे आने लगा...

रुपा को भी अपनी चुत की दीवारो को फैलाकर फुलता हुवा राजु का लण्ड अब साफ महसूस हुवा, जिससे उसकी चुत मे भी सनसनी बढ सी गयी और अपने आप ही नीचे से उसके कुल्हे हल्की हल्की जुम्बीस सी करने लगे। राजु ने अब पहले तो हल्के हल्के ही धक्के लगा रहा था, मगर उसे भी अब जोश चढने लगा तो उसने तेजी से अपने‌ कुल्हो को उचका उचकाकर पुरे धक्के लगाने शुरु कर दिये जिससे रुपा अब हल्के हल्के हल्के..
".. ईश्श्.ऊह्ह्...
.....ईश्श.ऊह्ह्....
........ईश्श.ऊ्ऊ्ह्ह्...." करके सिसकने सा लगी तो वही उसकी चुत से निकल रही फच्च्...फच्च्.. की सी आवाज भी अब तेज हो गयी।

राजु के हर एक धक्के के साथ रुपा की चुत से निकल रही ये फच्च्..फच्च्.. की अवाज जैसे अब उसके लिये एक प्रेरणा का स्रोत सी बन गयी थी इसलिये धीरे धीरे अपने आप की उसके धक्को का माप बढने लगा तो वही उसकी गति भी बढ गयी जिससे रुपा की सिसकीयाँ भी अब तेज हो गयी और उसके हाथ राजु की नँगी पीठ पर रेँगने सा लगे।

रुपा की चुत मे भरा हुवा राजु का वीर्य व खुद का चुतरश राजु के हर एक धक्के के साथ अब रुपा की चुत से रीश रीश कर बाहर आ रहा था। वो रश गाढा लीसलिसा व इतना चिपचिपा था की राजु का लण्ड उसकी चुत की दीवार से चिपक सा रहा मानो जैसे रुपा की चुत खुद ही उसके लण्ड को अन्दर खीँच रही हो, जिसने राजु के मझे को और भी बढा दिया...

धक्को के साथ साथ राजु की गर्म गर्म साँसे अभी भी रुपा के गाल पर पङ रही थी, मगर उत्तेजना का जोश बढने लगा तो रुपा ने गर्दन को घुमाकर अपना मुँह वापस राजु की ओर कर लिया जिससे दोनो की साँसे एक दुसरे की साँसो मे समाने लगी। राजु की ओर मुँह किये रुपा अब कुछ देर तो सिसकीया लेते पङी रही मगर फिर उससे जैसे रहा नही गया, इसलिये उसने एक बार तो थोङी जोर से सिसकारी सी भरी और राजु के होठो से अपने होठो को जोङ दिया और इसी के साथ नीच से उसकी कमर भी अब हरकत मे आ गयी...

राजु के होठो को चुशते चाटते वो अब खुद ही नीचे से अपनी कमर को उचका उचकाकर धक्के से लगाने लगी। राजु के धक्को से उसका आधे से ज्यादा लण्ड रुपा की चुत को घीसते हुवे अन्दर बाहर हो रहा था जिसे वो मानो अब नीचे से अपनी कमर को उचका उचकाकर पुरा ही अपनी चुत मे उतार लेने की कोशश करने लगी थी। उसकी चुत से "फच्च्..फच्च्..." की सी आवाज तो पहले ही निकल ही रही थी, अब राजु के साथ साथ रुपा के भी नीचे से अपने कुल्हो को उचका उचकार धक्के लगाने से दोनो की जाँघे व पेट के नीचे का भाग एक दुसरे से आपस मे टकराने लगे तो "फच्च्...फच्च..." के साथ ही "पट्..पट्..." की सी आवाज भी निकलना शुरु हो गयी।

रुपा व राजु दोनो ही एक बार रसखलित हो गये थे, इसलिये अब जल्दी से कोई भी हार मानने को तैयार नही हुवा। बाहर मौसम थोङा सर्द सा हो गया था मगर आपस मे रुपा व राजु जो धक्कमपेल कर रहे थे उससे दोनो की साँसे उखङ आई, तो माथे पर पसिने की बुन्दे भी ऊभर आई , मगर ना तो रुपा की चुत हार मानने को तैयार थी और ना ही राजु का लण्ड..! जितनी तेजी से राजु धक्के लगा रहा था, उतनी ही तेजी से रुपा भी नीचे से अपनी कमर को उचका रही थी थी जिससे वो पुरा कमरा रुपा व राजु की सिसकीयो के साथ साथ.... "फच्च्.पट्.ट्..फच्च्.पट्.ट्..." की आवाज से गुँजने सा लगा, मगर दोनो‌ की इस धक्कमपेल कि आवाजे उस बियाँबान मे ही कही खो जा रही थी, उन्हे दुर दुर तक कोई भी सुनने वाला नही था।

राजु भी कभी कभी रुपा के होठो को अपने मुँह मे लेने की कोशिश कर रहा था, मगर रुपा उसे ये मौका नही दे रही थी। अब रुपा के होठो को चुशने की फिराक मे उसकी जीभ रुपा के होठो बीच आ गयी जिसे रुपा ने तुरन्त अपने मुँह मे खीँच लिया और उसे जोरो से चुसने लगी। नीचे से रुपा की चुत राजु के लण्ड को चुश रही थी तो वही उपर से वो उसकी जुबान को भी चुशने लगी थी जिसका परिणाम अब ये निकला की कुछ ही देरे मे रुपा अपने चर्म पर पहुँच गयी...

अपने हाथ पैरो को समेटकर वो राजु से लिपट सी गयी और नीचे से अपने कुल्हो को उपर की ओर उचका उचकाकर खुद ही अपनी चुत राजु के लण्ड से घीसने लग गयी। उसने...
..ओ्ह्ह्ह .ईश्श्श्श्....
ओ्.ओ्ओ्ह्ह्ह् .ओ्ईश्श्श्श्....
ओ्.ओ्.ओ्.ओ्ओ्ह्ह्ह् .ओ्ईश्श्श्श्....!" कहते हुवे नीचे से जल्दी‌ जल्दी पाँच सात धक्के तो इसी तरह तेजी से लगाये, मगर फिर मानो जैसे उसके गर्भ की गहराई मे कोई विस्फोट सा हुवा और अपने हाथ पैरो को समेटकर उसने राजु को कसकर बाँहो मे भीँच लिया, तो वही नीचे से उसकी चुत की मांसपेशियों ने भी राजु के लण्ड को एकदम जकङ सा लिया...

राजु अपनी मँजिल के करीब तो था मगर मँजिल तक पहुँचा नही था इसलिये उसके लण्ड से अभी वीर्य तो नही निकल रहा था मगर फिर भी...
...ईश्श्श्श्श्..ओ्ह्ह्ह्ह्ह्ह्....

..ईश्श्श्..ओ्ह्ह्ह्ह्....
...ईश्श्..ओ्ह्ह्ह्ह्....
कि सिसकारीयाँ सी भरते हुवे रुपा ने अब रह रह कर छोटे छोटे धक्को के साथ अपनी चुत की मांसपेशियों से भीँच भीँचकर उसके लण्ड को निचौङने सा शुरु कर दिया...

राजु का ये पहला अवसर था मगर रुपा की हालत देख वो समझ गया था की उसकी जीज्जी को ये क्या हो रहा है इसलिये वो अब एकदम शाँत होकर रह गया, वैसे भी बदन से रुपा के मुकाबले वो आधा था जिससे रुपा ने अपने हाथ पैरो से जकङ कर उसे इतनी जोरो से भीँच लिया था की धक्के लगाना तो दुर, वो बिचारा तो हिल तक नही पा रहा था।

राजु भी शिखर के करीब ही था मगर जब तक रुपा शाँत नही हो गयी तब तक तो वो अब बीना कुछ किये संयत सा होकर रहा, मगर जैसे ही रुपा ने निढाल होकर राजु पर अपनी पकङ को ढीला किया उसने फिर से धक्के लगाने शुरु कर दिये‌ जिससे रुपा अपने बदन को कङा करके...
..ईश्श्श्..ओ्ओह्..बस्स्स्...
.ओ्ओ्ईश्श्श्श्श्..बस्स्स्...ओ्ओ्ह्...!" कहकर कराह उठी। लगातार दो बार चुदाई से रुपा की चुत की दीवारे घीस घीसकर एकदम गर्म हो गयी थी, अब रशखलन के बाद राजु के लण्ड के घीसने से रुपा को अपनी चुत मे जलन सी होने लगी जिससे वो कराहने सा लगी, मगर राजु अपनी मँजिल के करीब ही था इसलिये वो वैसे ही जल्दी जल्दी धक्के लगाते रहा....

राजु के धक्को के धक्को से अपनी चुत मे जलन होने से रुपा को जैसे अब होश सा आया की ये सब क्या हो रहा है। बुढे वैद की दवा का असर कम हो गया था जिससे उसका उत्तेजना का खुमार भी अब धीरे धीरे उतरने लगा था। हालांकि अभी अभी हुई इस लम्बी चुदाई की वजह से रुपा अभी भी रुपा की साँसे जोरो से चल रही थी, मगर फिर भी उसे ऐसा लग रहा था, मानो की जैसे वो नीँद से जागी हो, उत्तेजना के वश ये सब क्यो और कैसे हो गया उसे‌ कुछ समझ नही आ रहा था मगर अपनी चुत मे अन्दर बाहर होते राजु के लण्ड को महसूस कर उसे अपने आप पर ही जोरो की शरम आ रही थी।

उत्तेजना के वश पिछले कुछ घण्टे मे जो कुछ भी उसके व राजु के बीच हुवा था वो अब किसी फिल्म की तरह रुपा की नजरो के समाने घुमने लगा था। रुपा अपने इन्ही विचारों मे खोई थी की तभी राजु उसके नँगे बदन से एकदम चिपक सा गया और...

..ईश्श्.. जिज्जीईह्ह्ह...
.....ईश्श्श्.. जिज्जीईईह्ह्ह्....
.......ईश्श्श्श्..जिज्जीईईईह्ह्ह्ह्....!"की सिसकारीया सी भरते हुवे रह रहकर उसकी चुत को अपने वीर्य से भरना शुरु कर दिया..

रुपा भी अपनी चुत मे राजु के लण्ड से निकलते गर्म गर्म वीर्य को अब साफ महसूस कर रही थी, मगर शरम के मारे रुपा‌ से उसे ना तो कुछ कहते बन रहा था और ना ही कुछ करते..! राजु के लण्ड से निकलता गर्म गर्म वीर्य रुपा को अपनी चुत मे अब दहकते गर्म लावे महसूस हो रहा था। रुपा को खुद पर ही जोरो का गुस्सा आ रहा था और राजु के लण्ड से निकलता वीर्य तो ऐसा महसुस हो रहा था मानो राजु लोहे को पिँघला कर उसकी चुत मे भर रहा था।

वो अब कुछ देर तो ऐसे ही पङी रही, मगर ये सब रुपा से अब बर्दाश्त नही हो रहा था इसलिये राजु के ठण्डा पङते ही उसने करवट बदलकर तुरन्त राजु को अपने उपर से उतार दिया और दुसरी ओर मुँह करके लेट गयी। राजु के उतरते ही रुपा की चुत मे भरा उसका वीर्य व खुद रुपा का चुतरश किसी बाँध के टुटने के जैसे एकदम रुपा की चुत से बाहर बह निकला था... वो रश उसकी चुत से निकलकर कुछ तो रुपा के कुल्हो की दरार मे घुस गया और बाकी का रुपा के अब करवट बदल लेने की वजह से उसकी नीचे वाली जाँघ पर फैलने लगा...

रुपा को अब अपनी चुत व कुल्हो की दरार मे जोरो की गुदगुदी से महसूस होने लगी थी, इसलिये उसने अपना एक हाथ नीचे अपनी चुत के पास ले जाकर देखा तो‌ उसकी चुत व जाँघो के जोङ के पास एकदम गीला व चिपचिपापन फैला था तो चुत के प्रवेशद्वार से अभी भी राजु का वीर्य व उसका खुद का चुतरश रीश रीशकर बाहर आ रहा था जिससे उसका हाथ भी भर गया और जो कुछ भी अभी उसके व राजु के बीच हुवा वो किसी फिल्म की तरह उसकी नजरो के आगे घुम गया...

पिछले कुछ घण्टों मे उसके व राजु के बीच जो कुछ भी हुवा था उसको ध्यान कर रुपा का दिल अब शरम व गुस्से के साथ साथ एक अनजाने से भय से दहल सा गया था। उसने धीरे से अपनी गर्दन को घुमाकर राजु की ओर देखा तो वो सीधे पीठ के बल लेटा था तो अभी भी लम्बी लम्बी व गहरी साँसे ले रहा था। रुपा को कुछ समझ नही आ रहा था की उसके व राजु के बीच ये इतना सब कुछ कैसे और क्यो हो गया, क्योंकि उसे ऐसा लग रहा था मानो जैसे वो अभी आभी बेहोशी से जागी हो..!

अब शरम के मारे राजु से तो उसकी कुछ पुछने की या कहने की हिम्मत नही हुई इसलिये अपने हाथ पर लगे गीलेपन को उसने अपनी जाँघ पर ही मलकर साफ कर लिया और गर्दन घुमाकर दुसरी ओर मुँह करके लेट गयी...बुढे वैद की दवा से रुपा व राजु पर जो उत्तेजना का खुमार चढा था वो तो उतर गया था मगर उसका एक नशा सा दोनो पर अभी चढा हुवा था‌। वैसे भी दोनो दिनभर यहाँ तक पैदल चलकर आये उपर से दो बार की इस लम्बी चुदाई से दोनो थक भी गये थे इसलिये कुछ देर बाद ही दोनो को अब नीँद आ गयी...
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