अपडेट -84
काली पहाड़ी पे साय साय करती हवा,घुप अंधेरा,उल्लू चमकादडो कि चीखे माहौल मे एक भयानकता पैदा कर रही थी.
आम मनुष्य का तो खुन ही जम जाता ऐसे खौफनाक माहौल मे.
यहीं इसी पहाड़ी क किसी हिस्से मे एक गुफा मे मध्यम रौशनी फैली हुई थी.
"आआहहहह.....हरामियों " इंस्पेक्टर काम्या पेट पकड़े जमीन पे कराहा रही थी,मुँह से एक खून कि लकीर निकल जमीन पे निशान बना चुकी थी, आँखों से आँसू बह रहे थे.
रंगा :- बताओ अभी भी हिम्मत नहीं गई इसकी.
बिल्ला : - इसी पिस्तौल क सहारे शेरनी बन रही थी ना? बिल्ला क हाथ मे थमी पिस्तौल काम्या क सामने लहरा दि गई..यहीं पिस्तौल थोड़ी देर पहले काम्या के हाथ मे थी जो कि रंगा बिल्ला कि खोपड़ी पे तनी हुई थी.
रंगा ने काम्या को गुस्से मे बेकाबू कर दिया और मौके का लाभ उठाते हुए मशाल बुझा दि,जब तक मशाल वापस जलती बाजी पलट चुकी थी.
रंगा :- साली तू तो अपनी माँ से भी कही ज्यादा सुन्दर है रे,देख तो बिल्ला कैसा कसा हुआ जिस्म है इसका.
बिल्ला :- हाँ यार सच बोला तू लेकिन क्या ये हमारे लंड झेल पायेगी,इसकी माँ तो खाई खेली घोड़ी थी मजे से हमारे लोड़ो पे उछली थी.
"सालो हरामियों...छोडूंगी नहीं तुम्हे " काम्या ने एक बार फिर से पूरी ताकत समेट रंगा बिल्ला पे झपटना चाहा था कि थापपड़ड़दद्दाकककक....करता हुआ एक झान्नट्टेदार थप्पड़ काम्या के गाल से जा टकराया.
काम्या वापस से जमीन पे लौट गई " साली रस्सी जल गई लेकिन बल नहीं गया "
बिल्ला :- आज तुझे हम समझायेंगे कि रंगा बिल्ला का शिकार छीनने का क्या मतलब होता है.
रंगा :- चाहे तो तुझे एक गोली मार दे लेकिन ये तो नाइंसाफी होंगी ना तेरे साथ इतना कामुक सुन्दर बदन का क्या फायदा.
बिल्ला :- अब तुझे ही हमारे नुकसान कि भरपाई करनी पड़ेगी,आज हम तेरे बदन से तब तक खेलेंगे जब तक कि तेरे ठुल्ले वापस से ठाकुर को हमारे हवाले नहीं कर देते.
काम्या पे इस धमकी का असर साफ दिखाई दिया,एक पल को उसकी आँखों के सामने वो नजारा नाच गया जो अभी होना बाकि था.
हालांकि काम्या भी खूब खेली खाई गद्दाराई लड़की थी लेकिन आजतक जो भी उसने किया अपनी मर्जी से, लगाम हमेशा उसी के हाथ मे रही थी,
लेकिन यहां उल्टा था.
आज काम्या का दिल बेकाबू धड़क रहा था,हालत उसके काबू मे नहीं थे.
बिल्ला :- चल उठ के बैठ जा.
काम्या जैसे तैसे करहाती हुई बैठ गई,शायद उसे अभी यहीं ठीक लगा.
"देखा रंगा मौत का डर कैसे ये खुंखार शेरनी बकरी बन के आदेश मान रही है " बिल्ला ने अपनी शान मे क़सीदे पढ़ दिये.
"कुत्तो मै तुमसे या मौत से नहीं डरती,मौत तो आनी ही है, मुझे जिन्दा रहना है ताकि तुम दोनों कि बोटी बोटी नोच के चील कुत्तो को खिला सकूँ, आआकककम.....थू...." काम्या फिर से दहाड़ उठी उसकी आँखों मे अँगारे थे.
रंगा :- बहुत बोलती है रे तू,अभी देख लेते है सिर्फ तेरे मुँह मे ही जबान है या तेरे जिस्म मे हमें झेलने कि ताकत भी है
काम्या :- तूम जैसे हज़ारो चोर बदमाशों से पाला पड़ता है मेरा,काम्या ने एक उपेक्षित सी मुस्कान दे दि जैसे तो रंगा बिल्ला कि मर्दानगी पे सावल उठा रही हो,
काम्या फिर से गलती कर रही थी वो इन दोनों को कोई मामूली डकैत समझ के चल रही थी
बिल्ला :- हाहाहाहा.....वो तो तुझे अभी मालूम पड़ जायेगा,जब तुझे चोद चोद के अपनी रखैल बनाएंगे
बिल्ला ने बोलते हुए अपनी लुंगी कि गांठ खोल दि,लुंगी सरसराती हुई जमीन पे धाराशाई हो गई.
सामने जो था वो काम्या के जीवन जा सबसे बड़ा अजूबा था.
उसकी आंखे चौड़ी होती चाली गई,गगगग....गड़ब.....गला सुख गया उसने थूक निगलने कि कोशिश कि लेकिन गला तो सुख ही गया था.
बिल्ला :- क्या हुआ शहर कि रंडी इतने मे हवा निकल गई,
"ममममम.....ममम....क्या " काम्या एकपल को मीमया सी गई.उसने लंड तो बहुत देखे थे लेकिन वो सब शहरी थे,मामूली चोर उचक्को के.
जमीन पे बैठी काम्या के सामने पूर्ण नग्न जिस्म का मालिक बिल्ला किसी देत्या के सामान खड़ा था, पुरे जिस्म पे बाल ही बाल थे, एकदम शयाह शरीर..
काम्या कि नजर ना चाहते हुए भी उसकी सीने ले जा लगी जो कि उस जिस्म का मुआयना करती हुई नीचे को आनी लगी,.और जहाँ जा के टिकी वहाँ घने बालो के बीच 9"लम्बा मोटा किसी लोकि के सामान लंड झूल रहा था,उसी के नीचे दो भारी भरकम किसी आलू के सामान टट्टे झूल रहे थे.
इन टट्टो के आकर से ही मालूम होता था कि उसमे कितना वीर्य भरा हुआ है.
काम्या का मुँह खुला का खुला रहा गया,ये सब कल्पना से भी बहार कि बात थी.
अजीब सी सिरहन ने उसके जिस्म पे हमला बोल दिया था,गुस्सा उस नज़ारे को देख कम होने लगा.
अभी ये कम ही था कि रंगा ने भी काम्या कि हालत को भपते हुए अपनी लुंगी सरका दि.
एक काला राक्षस और काम्या के सामने उजागर हो गया,
काम्या को काटो तो खून नहीं ऐसी हालत थी,पेट मे होता दर्द अचानक से गुदगुदी मे तब्दील हो चला,गांड का छेद खुद से खुला और सिकुड़ गया इसका अहसास काम्या को हुआ,अब कहना मुश्किल था कि ये डर से हुआ या उस अजीब से अनुभव से जो कि अभी काम्या महसूस कर रही थी.
रंगा का काला लंड लटका हुआ था बिल्ला के बराबर तो नहीं था लेकिन हद से ज्यादा मोटा था,शायद काम्या दोनों हाथ से भी ना पकड़ पाती,मध्यम रौशनी मे रंगा के लंड पे उभरी हुई नसे उसकी मजबूती का प्रमाण दे रही थी.
रंगा :- तेरी माँ कि भी यहीं हालत थी जब उसने पहली बार हमारे लंड देखे थे,
रंगा बिल्ला बार बार उसे जलील कर रहे थे.
बिल्ला ::-तूने आज तक जो भी देखा था उसे लुल्ली कहते है इंस्पेक्टर, आज तुझे असली मर्द मिले है.
रंगा :- यदि तू आज रात हमसे चुदने के बाद भी जिन्दा रही तो बेशक़ यहाँ से चली जाना,तू भी क्या याद रखेगी कि रंगा बिल्ला ने किसी लड़की कि जान बक्श दि.
बिल्ला :- लेकिन पहले बचे तो सही हाहाहाःहाहा.....
दोनों बुरी तरह हॅस पड़े,अपनी मर्दानगी के गुरुर मे हॅस पड़े.
दोनों कि हसीं सुन काम्या का जिस्म सिहर गया,उसका अंग अंग काँप उठा वाकई आजतक उसने ऐसा नजारा नहीं देखा था,
ना जाने कैसे वो इन्हे झेल पायेगी " नहीं नहीं.....मुझे जिन्दा रहना ही है इनकी मौत आने तक मुझे जिन्दा रहना है " काम्या निश्चय कर चुकी थी उसे क्या करना है अब.
काम्या एकाएक मुस्कुरा दि,जैसे वो उसका रोज़ का काम हो ना जाने कितने लंड देखे हो, काम्या ने बड़ी चालाकी से अपने डर पे काबू पाया था.
रंगा बिल्ला दोनों ही अपने अपने लंड को थामे काम्या के नजदीक जा पहुचे,जैसे लंड रूपी पिस्तौल उसके सर पे तान दि हो.
एक कैसेली से गन्दी लेकिन कामुक गंध से काम्या घिर गई,उसके नाथूनो से होती हुई हे कामुक गंध उसके जिस्म मे सामने लगी.
काम्या वैसे भी बहुत कामुक लड़की थी ये कामुकता उसे अपनी माँ से विरासत मे मिली थी
बिल्ला ने अपने लंड को उसके गाल पे खिंच के दे मारा चटाकेककककक......साली देखती ही रहेगी या चूसेगी भी, चूसना तो आता ही होगा ना? तेरी माँ ने तो जम के चूसा था.
काम्या को ये कथन अपनी तोहिन लगी, आखिर अब उसकी तुलना अपनी माँ से होने लगी थी.
"इन्हे तो ऐसे ही निपटा दूंगी " काम्या के मन मे ख्याल तो यहीं था लेकिन उस भयानक लंड को हाथ लगाते भी डर रही थी परन्तु ये खौफ उसने अपने चेहरे पे नहीं आने दिया.
काम्या के एक हाथ ने कंपते हुए बिल्ला के लंड को जा दबोचा,जो कि उसकी मुट्ठी मे समाने को ही तैयार नहीं था.
मुँह मे कैसे जाता,लेकिन ये तो करना ही था, जीत के लिए,बदले के लिए ये करना ही था.
काम्या का तन और मन एक विश्वास से भर उठा, उसका मन खुद इस भयानक लंड को चखने के लिए चहक उठा,
ऐसा मौका भला कोई कामुक स्त्री कैसे छोड़ सकती है,ऊपर से काम्या का काम करने का तरीका ही यहीं था वो पहले शिकार को कमजोर करती थी उसके बाद ही कही जा के मारती थी.
काम्या का हाथ बिल्ला के लंड ले रेंगने लगा,बिल्ला अपने लंड पे कोमल सुखद अहसास पा के आहहहह...कर उठा,.वाकई उसने आज से पहले इतने कोमलता का अहसास नहीं लिया था.
बिल्ला :- वाह री दरोगाईन तू तो बड़ी नाजुक सी है,कोमल है लेकिन तेरी बाते तो ऐसी है जैसे किसी को फाड़ खाये.
काम्या को इनसब बातो का कोई फर्क नहीं पड़ता था अब.
उसके हाथ मजबूती से बिल्ला के लंड पे कसते चले और धीरे धीरे पीछे जाने लगे नतीजा काले लंड से चमड़ी पीछे को जाने लगी, एक गुलाबी लाल आकर कि बड़ी गैंद नुमा चीज बहार को आने लगी जैसे जैसे सूपड़ा बहार आता वो कैसेली कामुक गंध का अधिकार भी बढ़ता जाता,
काम्या कि सांसे उत्तेजना से तेज़ होती जा रही थी जितनी तेज़ सांस लेती उतनी ही लंड कि गंध उसके बदन मे समा जाती.
अजीब सा अहसास था नाक से होती गंध सीधा उसकी जांघो के बीच हमला कर रही थी.
उसकी चुत पनिया गई,चिपचिपा सा कुछ उसकी चुत कि दरार मे रेंगने लगा
रंगा पास मे खड़ा काम्या के करतब देख रहा था किसी मांझी हुई खिलाडी कि तरह उसके हाथ बिल्ला के लंड पे चल रहे थे.
काम्या ने एक नजर रंगा को देखा,रंगा उसे ही देख रहा था
काम्या का दूसरे हाथ ने रंगा के लंड पे कब्ज़ा जमा लिया जैसे तो वो रंगा के मन कि बात जान गई हो
"आआहहहहह......." रंगा भी उस कोमल अहसास से करहा उठा.
रंगा का लंड तो काम्या कि हथेली मे समा ही नहीं रहा था,आधे हिस्से को ही पकड़ के आगे पीछे करने लगी,अब आलम ये था कि पुलिस वर्दी मे एक स्त्री,एक दरोगा,जिसने अच्छे अच्छे चोर उचक्को के छक्के छुड़ाए थे वो दो राक्षस रूपी डकैतो के लंड सहला रही थी,वो भी बराबर उनकी आँखों मे झाकते हुए,ना कोई झिझक ना कोई डर.
देखते ही देखते दोनों के लंड और भी ज्यादा फूलने लगे, काम्या के आश्चर्य का ठिकाना नहीं था उसे तो लगा था कि हे इतने ही होंगे लेकिन ये तो बड़े होते ही जा रहे थे.
बिल्ला से अब सहन नहीं ही रहा था उसने अपनी कमर को जरा आगे धकेल दिया,उसका लंड झटके से काम्या के हाथ से फिसलता हुआ सीधा काम्या के होंठ से जा टकराया,एक चिपचिपे रंगहिन से पानी ने काम्या के होंठ को भिगो दिया,जिसकी गंध ने काम्या को विवश कर दिया कि वो अपनी जीभ बाहर निकलती,हुआ भी ऐसा ही काम्या के ना चाहते हुए भी उसकी जबान अपने होंठो पे फिर गई,एक अजीब से स्वाद से उसका जिस्म नहा गया. लंड से निकली एक पतली सी धार उसके होंठो से जा लगी
काम्या का बदन अब उसका साथ छोड़ता महसूस हो रहा था,वो क्या करने आई थी इस काम नशे के सामने वो सब बाते,उसकी प्रतिज्ञा सब धवस्त हुई जा रही थी.
बिल्ला अभी सकते मे ही था कि काम्या कि जीभ बाहर को लपलपा गई,और उस गुलाबी टोपे के पुरे भाग को नीचे से ऊपर कि तरफ चटती चली गई सडडडप्पप्प्प.......लप..लप.....
"आअह्ह्हह्ह्ह्ह......दसरोगाईन तू को किसी पहुंची हुई रंडी को भी मात दे रही है.
ना जाने क्यों काम्या मुस्कुरा के रह गई,या फिर काम मे डूबी स्त्री को ऐसी ही तारीफ पसंद आति हो.
काम्या का रुकना अब मुस्किन था उसकी जीभ ये क्रिया दोहराने लगी,बार बार बिल्ला के लंड को चाट लेती जैसे कोई अमृत टपक रहा हो.
सुड़प सुड़प करती काम्या किसी कुतिया कि तरह उस भयानक लंड को चाट रही थी और दूसरा हाथ रंगा के लंड कि मोटाई को नाप रहा था.
बिल्ला तो इसी मे मस्त हुआ जा रहा था कि घुप्पप्प.....से उसके सुपाडे के ऊपर कोई गरम कोमल सी चीज कसती चली गई,बिल्ला हैरान था जैसे ही नजर नीचे गई उसने पाया कि काम्या के मुँह मे उसके लंड का टोपा समा गया था जिसे काम्या बड़े ही यत्न से चुभला रही थी,जैसे कोई मनपसंद लॉलीपॉप हो.
काम्या के होंठ उतने ही हिस्से पे आगे पीछे हो रहे थे, पच पच पच....करती काम्या का थूक लंड को भिगो रहा था,
लेकिन ना जाने क्यों इस से ज्यादा आगे बढ़ने कि हिम्मत नहीं कर पा रही थी.
बिल्ला ने मौके को भुनाते हुए,अपनी कमर को आगे सरका दिया,नतीजा उसके लंड का आधा हिस्सा काम्या के मुँह मे जा धसा.
गुगुगुगुग......औकककककक......गुगुग.ऑफफ.....ऊऊऊकककक.....कि आवाज़ के साथ काम्या का मुँह चोड़ा होता चला गया,मुँह मे जमा थूक नाक के रास्ते बाहर आ गया था मुँह मे तो जगह ही नहीं थी.
काम्या का जिस्म जो अभी तक हवस से तपने लगा था पलभर मे ही ठंडा पड़ने लगा,उसे समझ आ गया था जिस काम वो चुटकीयों का खेल समझ रही थी वो आसन नहीं है.
काम्या अभी कुछ और सोचती ही कि एक झटका और पड़ा,ये झटका बिल्ला कि बेरहमी का एक छोटा सा नजारा था.बिल्ला का लंड सरसराता हुआ काम्या के गले मे पेवास्त हो गया.
ओकककककक......उउउउउकककककम.....काम्या कि आंखे बाहर को आ गई,आँखों से पानी निकल पड़ा.
काम्या के हाथ बिल्ला कि जांघो पे कसते चले गए जैसे तो दया कि भीख मांग रही हो,लेकिन उन दो रक्षासो मे दया ही तो नहीं थी,
काम्या कि आंखे पीछे को उलटने लगी कि तभी बिल्ला ने एक दम से अपने लंड को पीछे खिंच लिया,
ढेर सारा थूक लंड के साथ साथ बाहर को आ गया, आआहहहहह.....खो...खोम....खोऊ......खाऊ......
काम्या ढेर सारा थूक उगले जा रही थी,जैसे तो सांस मे सांस आई थी कि बिल्ला ने वापस से उसके खुले मुँह मे थूक से सने लंड को ठेल दिया.
काम्या को घिघी बंध गई.....ये दौर अब ऐसे ही शुरू हो गया था काम्या को जितनी तकलीफ होती उन दोनों का मजा दुगना हो जाता..
कुछ ही देर मे सरासर बिल्ला का लंड काम्या के मुँह को रोन्द रहा था, काम्या का गोरा मुँह लाल पड़ गया, थूक से भर गया था,धचा धच बिल्ला बेरहमों कि तह काम्या के मुँह को चोदे जा रहा था कभी गले तक डाल देता तो कभी एक दम से पूरा बाहर खिंच देता.
काम्या कि हालत ख़राब होती जा रही थी,लेकिन ना जाने किस मिट्टी कि बनी थी एकाएक उसके हाथो ने वापस से रंगा बिल्ला के लंड पे कब्ज़ा जमा लिया.
या फिर शायद उसका मुँह उनके लंड के मुताबिक पूरा खुल गया था.
अब आलम ये था कि काम्या खुद से अपने मुँह को बिल्ला के लंड के जड़ मे दे मारती,जांघो के बीच घने बाल उसकी नाक से टकरा जाते, पसीने और थूक से सने बाल उसकी नाक मे घुसते तो जी भार के सांस खींचती और लंड को बाहर निकल फिर से मुँह मे ठेल लेती.
बिल्ला हैरानी से रंगा को देख रहा था.
"अरे कब तक चूसवयेगा,इस रंडी को मेरा भी स्वाद लेने दे " शायद रंगा समझ गया था कि ये दौर ऐसे ही चलता रहा तो बिल्ला यहीं वीर्य त्याग देगा..
बिल्ला पीछे को हटने लगा,परन्तु काम्या भी उसकी के साथ अपना मुँह आगे बढ़ा देती जैसे तो वो इसे ख़त्म कर के ही माननी थी..
"अरे जरा सब्र कर मेरा भी तो चूस ले " रंगा ने बिल्ला को झटके से हटा दिया और खुद उसके जगह आ खड़ा हुआ
काम्या ने उन्हें खा जाने वाली नजरों से घुरा जैसे तो उस से उसकी जान ही छीन ली हो.
रंगा ने देर ना करते हुए एक बार मे ही अपने लंड को काम्या के खुले मुँह मे ठेल दिया.
"उउउउउउम.....गुगुगुगु...........ोकककक....रंगा का लंड ओर भी ज्यादा मोटा था जैसे तैसे तो बिल्ला के लंड के लिए जगह बनाई थी.
परन्तु वो स्त्री ही क्या जो लंड के डर से पीछे हट जाये.
काम्या भी नहु हटी कुछ ही देर मे सटासट रंगा का लंड भी काम्या के मुहबकि सेर कर रहा था.
आआहहहहह.....उफ्फ्फ्फ़.....क्या चूसती है रे तू.
गुफा मे काम्या कि वर्दी उसके ही थूक से सनी हुई थी.
बिल्ला :- ओह बेचारी कि वर्दी गन्दी हो गई, बिल्ला काम्या के पीछे था उसका हाथ उसकी पीठ पे जा लगा और चररररर.......फररररर......करती वर्दी फटती चली गई
मध्यम रौशनी मे काम्या दो हैवानो के सामने कमर से ऊपर नंगी थी.
एकदम से गुफा मे सन्नाटा छा गया,रंगा बिल्ला एकटक उस सुन्दर काया को निहारने लगे,काम्या कि छाती एकदम तनी हुई थी,उसके स्तन कड़क सामने को खड़े थे ना कोई झुकाओ ना कोई लचक,
एक दम गोरे बेदाग,
रंगा बिल्ला के मुँह खुले के खुले रह गए ऐसा कामुक बदन ऐसी जवानी तो कभी देखी ही नहीं थी.
रंगा से राहा नहीं गया उसे अब इस खजाने को पूरा देखना था, रंगा ने आगे बढ़ तुरंत ही काम्या कि पैंट पकड़ उसके बदन को आजाद कर दिया,
काम्या ने जरा भी प्रतिरोध नहीं किया शायद वो भी यहीं चाहती थी,कावासना मे भरे उसके टाइट निप्पल इसी बात कि गवाही दे रहे थे..
आलम ये था कि काम्या इंस्पेक्टर खूंखार काम्या किसी बकरी कि तरह पूर्ण नग्न दो राक्षसों के सामने पड़ी हुई थी.
एक सुडोल कामुक काया,स्तन के नीचे गोरा सपाट पेट जाँघे मोटी मोटी किसी ताने के सामान चिकनी,जांघो के बीच एक उभरी हुई लकीर,जहाँ बाल का कोई नामोनिशान नहीं था,.
उसी लकीर को काम्या आजतक चुत कहती आई थी,इसी के भरोसे उसने ना जाने कितने चोर उचक्को को धूल चटाई थी.
रंगा बिल्ला का भी वही हाल था,उन्हें ये बदन बेकाबू कर रहा था नतीजा तुरंत सने आया रंगा उसके स्तन पे टूट पड़ा तो बिल्ला ने उसकी जांघो के बीच सर घुसा दिया.
"वाह बिल्ला वाह....क्या किस्मत पाई है हम लोगो ने " रंगा ने काम्या के उभरे हुए स्तन को मुँह मे भर लिया.
बिल्ला :- क्या खुसबू है इसकी चुत कि, आज तक किसी शहर कि रंडी मे भी ये स्वाद नहीं था.
काम्या तो जैसे ये आक्रमण झेलने को तेयर ही नहीं थी" आआहहहहहहह......हरामियों.....हाआआआआहहहहह.....धीरे " काम्या सिसक उठी उसका बदन ऊपर को उठने लगा.
उसके हाथ रंगा बिल्ला के सर पर कसने लगे,वो उन्हें और अंदर धकेल रही थी.
काम्या कि कामवासना जोर पकड़ने लगी थी,आखिर ऐसे मर्द मिलते कहाँ है.
रंगा बिल्ला उसके बदन से खेल रहे थे.
काम्या कि चुत से टपकता एक एक शहद कि बून्द बिल्ला चटकारे ले के चाट रहा था,ये अभी कम कम ही था कि बिल्ला ने काम्या कि टांगो को फैला दिया उसकी चुत और गांड उभर के बाहर को आ गए, "वाह क्या बारीक़ छेद है तेरे " बिल्ला ने अपनी जबान गांड के छेद पे लगा दि और वहाँ कुरेदने लगा
"आआहहहह.....नहीं...वहाँ नहीं.....उगगगफ्फफ्फ्फ़.....मार दिया "
काम्या कि सिसकारी से मालूम पड़ चूका था कि वही उसकी कमजोरी है.
रंगा भी ये बात भाँप के नीचे उतर आया,
अब रंगा बिल्ला दोनों कि जबान काम्या कि चुत और गांड पे एक साथ रेंग रही थी.
काम्या का बुरा हाल था वो बिन पानी कि मछली कि तरह तड़प उठी,मुट्ठीया आपस मे भींच गई.
दोनों कि वहशी खुर्दरी जबान,उसके कोमल नाजुक छेदो को घिस रही थी,
काम्या का बदन किसी भट्टी कि तरह सुलगने लगा था उसका सब्र कभी भी जवाब दे सकता था,
उसकी चुत पर पेशाब कि कुछ बुँदे छलछला आई जिसे रंगा ने शरबत समझ के पी गया क्या आनंद था
इस रस मे,एक जवान स्त्री का कामुक रस.
"आअभब......आअह्ह्ह......नहीं...उफ्फफ्फ्फ़.....wwwoooo.... Aaahhhh" इन्ही सिसकारियों से वो गुफा गूंज रही थी.
रंगा वक़्त आ गया है इस शहरी इंस्पेक्टर को दिखाया जाये कि डाकुओ मे क्या ताकत होती है..
रंगा बिल्ला का इशारा समझ के पीछे को हट गया,.
बिल्ला ने काम्या को पकड़ के पीछे को घुमा दिया,काम्या कि गांड उभर के बाहर आ गई थूक से सना गांड का छेद चमक रहा था,
आनन फानन मे ही बिल्ला का लंड उसकी गांड पे दस्तख देने लगा. उसके दोनों छेदो पे अपना हक़ ज़माने लगा.
अभी काम्या कुछ समझती कि ही एक गगनभेदी चीख माहौल मे गूंज उठी "आआआहहहहहह.......मर गईं..उफ़...म.निकाल बाहर हरामी "
बिल्ला का लंड एक बार ने ही काम्या कि गांड के चीथड़े उडाता हुआ अंदर जड़ तक जा घुसा था.
बिल्ला ने कोई रहम नहीं दिखाया,
काम्या कि गर्दन ऊपर को उठ गई,उसकी सांसे जैसे थम गई थी,आंखे बंद होने के कगार पे थी,
अभी काम्या सांस अंदर खिंचती ही कि बिल्ला का लंड बाहर को खींचने लगा, काम्या को ऐसा लगा जैसे पेट के अंदर से आंते भी गांड के रास्ते बाहर को खींचती चली जा रही है...काम्या का पूरा बदन ही पीछे को सरकने लगा.
बिल्ला ने आव देखा ना ताव वापस धक्के के साथ अपने काले मोटे लंड को जड़ तक घुसेड़ दिया.
"आआआहहहहहह.....नहीं..." काम्या फिर चीख उठी
अब तो ये जैसे दस्तूर हो चला बिल्ला लंड खींचता फिर दुगने जोश के साथ वापस ठेल देता,काम्या के गांड फ़ैल के पूरी तरह से बिल्ला के लंड पे कसी हुई थी गांड के किनारो से लाल लाल रक्त रुपी लकीर उभर आई थी जो सबूत थी कि काम्या कि गांड फट के गुफा बन चुकी है.
रंगा से भी रहा नहीं गया काम्या के खुले चीखते मुँह मे उसने वापस से अपना लंड जा धसाया.
गुगुगुग़म.....ओकककककक......कि आवाज़ के साथ काम्या अपना दर्द बयान कर रही थी,
लेकिन हार मानने को तैयार नहीं थी,
कुछ ही पलो मे काम्या का दर्द छू मंतर हो चला, अब वो भी बिल्ला के लंड पे अपनी गांड को मारे जा रही थी.
तभी रंगा ने एक इशारा किया,और नीचे जमीन मे जा लेता,
बिल्ला उसका इशारा समझ गया,वैसे ही काम्या के बदन को उठा रंगा के ऊपर डाल दिया.
"आआआआहहहहहहह........उफ्फ्फ्फफ्फ्फ़फ......नाहीई....." काम्या जो अभी वासना मे सिसक रही थी वापस से उसकी सिसकारी दर्दभारी चीख मे तब्दील हो गई.
रंगा मा खड़ा लंड सीधा काम्या कि चुत मे पेवास्त हो गया.
गांड मे बिल्ला के लंड घुसे होने से वैसे ही चुत सिकुड़ी हुई थी ऊपर से ये जानलेवा प्रहार काम्या के होश छीनने के लिए काफ़ी था उसका दिमाग़ बेहोशी के सागर मे गोते लगाने ही वाला था कि नीचे से रंगा ने लंड को पीछे खिंच के वापस से ठेल दिया.
"आआआहहहहब्बब......उफ्फफ्फ्फ़....." क्या का बुरा हाल था दोनों छेद खून कि उल्टी कर रहे थे लेकिन इन राक्षसों को कोई भी दया नहीं थी.
एक प्रतियोगिता शुरू हो गई जिसमे मैदान काम्या का जिस्म था और खिलाडी रंगा बिल्ला.
धचा....धच....धचा...धच.... पच...पच...मुफ्फ्फ्फफ्फ्फ़....आआहहहह....उफ्फ्फ....कि आवाज से वो सुनसान गुफा चहक रही थी.
काम्या के दोनों छेदो मे दो भयानक मोटे काले लंड धसे हुए थे,जो एक साथ अंदर जाते एक साथ बाहर आते ना जाने अंदर दोनों लंडो मे क्या बात चल रही थी.
गांड और चुत के बीच मात्र एक पतली सी चमड़ी ही तो थी जो उन दोनों को अलग करती थी लेकिन दोनों के धक्क्ओ से ऐसा लगता था जैसे ये परत भी आज हट जानी है गांड और चुत एक हो जाने है आज.
काम्या इन वहशी धक्को को कब तक झेलती आखिर उसे भी इसी कामसागर मे उतरना पड़ा,दर्द ना जाने कहाँ चला गया था अब वो भी इस खेल कि प्रतियोगी थी, अब खेल भी उसका हूँ था और मैदान भी उसका ही
"आआहहहहह.......तेज़ ...तेज़....और अंदर....मारो....फाड़ो.....बस इतनी ही ताकत है " काम्या अब सीधा मुकाबले मे थी दोनों को उकसा रही थी.
रंगा बिल्ला भी जोश मे आ के धचा धाच पैले जा रहे थे.
"आआहहहह......उफ्फ्फग्ग.....इस्स्स्स.....मै गई " काम्या और ज्यादा झेल ना सकी उसकी चुत ने गर्म पानी बाहर को फेंक दिया
सांसे फूल गई बदन बेजान हो चला.
रंगा बिल्ला का भी यहीं हाल था.
पच पच फच.....फचम....फाचक......ककककक.....के साथ दोनों ने एक साथ काम्या के जिस्म के अंदर ही वीर्य त्याग दिया.
"हहहह.....फ़फ़फ़ग्ग.....हहहहफ्फ्फ्फफ्फ्फ़.......उफ्फ्फ्फ़...क्या औरत है रे तू दोनों राक्षस धाराशाई हो गए.
तीनो के जिस्म वही जमीन पे गिरे पड़े थे.
रंगा बिल्ला आंखे बंद किये हाँफ....रहे थे लेकिन काम्या ने अभी भी जान बाकि थी
पेट के बल लेती काम्या के सने ही उसकी पिस्तौल पड़ी थी.
काम्या ने हिम्मत बटोर उसकी तरफ हाथ बढ़ा दिया.
यहाँ काम्या वासना पे विजय पा के आखरी लड़ाई के लिए हाथ बढ़ा दिया था,
वही विषरूप चौकी मे बैठा बहादुर खुद से लड़ रहा था.
"हिजड़े कि तरह यहीं बैठ तू " बार बार उसके जहन ने यहीं शब्द मचल रहे थे
"क्या मै वाकई नामर्द हूँ? मै डरपोक हूँ?" बहादुर आज अपने ही अस्तित्व से लड़ रहा था
"नहीं नहीं नहीं.....मै हिजड़ा नहीं हूँ,मै नपुंसक नहीं हूँ मेरा नाम बहादुर है मै हूँ ही बहादुर " बहदुर कुर्सी से उठ खड़ा हुआ उसकी आँखों मे आज अँगारे थे,उसके वजूद को ललकारे जाने के अँगारे, शोले थे उसके जिस्म मे इन शोलो से वो अपने ऊपर नपुंसक नामर्द होने का खीचड़ धूल देना चाहता था
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ना जाने ये हिम्मत ये साहस कहाँ से आ गया था उसमे,वो जल्दी से कुछ सामान उठा दौड़ पड़ा काली पहाड़ी कि ओर जहाँ उसका लक्ष्य था रंगा बिल्ला का अड्डा.
तिगाड़ तिगाड़ तिगाड़.....टप टप टप......करता एक घोड़ा इस अँधेरी रात को चिरता चला जा रहा था.
घोड़े पर एक साया बैठा था जिसका लक्ष्य वो जंगल का झरना था जो को विष रूप और घुड़रूप के बीच स्थित था.
"मेरी जानकारी के अनुसार वो रहस्यमयी जीव यहीं मिलेगा " साया बड़बड़ाए जा रहा था.
बहादुर को काली पहाड़ी पहुंचने मे वक़्त लगने वाला था परन्तु ये शख्स उस झरने टक पहुंच भी चूका था.
"या अल्लाह......बड़ा ही भयानक मंजर है " अकस्मात ही उस आदमी के मुँह से बोल फुट पड़े,पूरा बदन डर और रोमांच से झुरझुरा गया.
"मुझे उस गुफा तक पहुंचना ही होगा " वाह शख्स बहते पानी कि परवाह ना करते हुए बहते झरने को चिरता हुआ ऊपर को चढ़ने लगा.
झरने से गिरता पानी उसे रोक रहा था परन्तु कहते है ना मनुष्य का साहस और हिम्मत एक ताकत पैदा कर देता है.
वो आदमी भी उसी ताकत के बदले लक्ष्य के मुहने ले खड़ा था,
सामने ही एक गुफानुमा आकृति थी, जिसने से एक अजीब गंध आ रही थी ऐसी गंध जैसे कोई जहर हो, सांस लेना भी दुभर था.
कि तभी एक सर्द फुसफुसाती आवाज़ से माहौल गूंज उठा "सससससस......फुस्स्स.....किसने गुस्ताखी कि सर्पटा के महल मे बिना इजाजत घुसने कि "
"मै...मै........मै....डॉ.असलम महान नाग सम्राट सर्पटा कि जय हो " डॉ.असलम अंदर को दाखिल होता चला गया,उसकी जान हथेली पे ही थी.
वो खुद मौत के कुएँ मे चल के आया था लेकिन क्यों?
"ससससस.....सससरररर......फुसससस......"कोई मोटी सी चीज सरकती हुई डॉ.असलम के चारों और घूमने लगी,धीरे धीरे वो चीज उसके बदन को कसने लगी,जैसे कोई अजगर कुंडली मार रहा हो.
"ममममम...महान नागसम्राट सर्पटा मै दुश्मन नहीं हूँ " असलम गिड़गिड़ाया
"लेकिन दोस्त भी तो नहीं है " एक भयानक चेहरा लिए हुए मानव आकृति ठीक असलम के चेहरे के सामने आ गई.
आम इंसान तो तुरंत ही ह्रदय घात से मर जाता ये नजारा देख के.
"शनिफ़्फ़्फ़.... शनिफ्फ्फ्फफ्फ्फ़.......झूठ झूठ....मुझसे झूठ बोलता है तेरे जिस्म कि गंध तो कुछ और भी बयान कर रही है" सर्पटा एकाएक फनफना उठा,उसकी कुंडली डॉ.असलम के बदन पे कसती चली गई.
"महान सर्पटा मै असलम ही हूँ ठाकुर ज़ालिम सिंह का घनिष्ठ मित्र" असलम भी वैसे ही पूर्ण विश्वास से चिल्लाया.
"हाहाहाहाहा.......दाई से पेट छुपाते हो ठाकुर जलन सिंह " सर्पटा कि पकड़ ढीली होती चली गई.
तुम्हे कैसे भूल सकता हूँ जलन सिंह हमारी विरासत तो तुमने ही संभाली थी.
"वो...वो......अब आप से क्या छुपा रह सकता है महान सर्पटा" डॉ.असलम ने स्वीकार कर लिया
"लेकिन ये जिस्म तो तुम्हारा नहीं है?" सर्पटा ने आश्चर्य प्रकट किया.
"महान सर्पटा आप से क्या छुपा है,मेरी मृत्यु अकाल ही हो गई थी, वीरा और नागेंद्र के संयुक्त वार से.
लेकिन कामरूपा के प्रयासों से मेरी आत्मा उसी महल मे रह गई शरीर नष्ट हो गया,मै कब से उचित अवसर कि तलाश मे था.
बरसो बाद मुझे डॉ.असलम का शरीर ऐसा लगा जो मेरी शैतान शक्तियों के लिए उपयुक्त था या यूँ कहिए, शुरू से ही मै असलम के अंदर कैद था,परन्तु धीरे धीरे उसके मन मे मैंने अपने विचार भरने शुरू कर दिये,और किस्मत देखो कामवती एक बार फिर से हमारे ही महल कि बहु बन के आई अब आप ही बताये ऐसे सुनहरे अवसर को मै कैसे छोड़ सकता था.
"वाह....जलन सिंह मान गए तुम्हे,परन्तु मुझसे क्या चाहते हो तुम?"
" सर्पटा दुश्मन का दुश्मन दोस्त होता है,मै उसी दोस्ती कि कामना से यहाँ आया हूँ हम दोनों के दुश्मन एक ही है क्यों ना हाथ मिला ले एक से भले दो " असलम उर्फ़ जलनसिंह ने अपने खुनी इरादे साफ साफ उजागर कर दिये.
"आज से दूसरे दिन पूर्ण अमावस्या कि रात है उस रात मेरी शक्ति पूर्णरूप से जाग्रत हो जाएगी, डॉ.असलम के शरीर पे पूर्णरूप अधिकार मेरा ही होगा, उस वक़्त मुझे कोई रोक नहीं सकता वही वक़्त है जब आप और मै अपने सभी दुश्मनों को खत्म कर वापस से राज स्थापित कर ले.
सर्पटा जलनसिंह कि योजना सुन फुला ना समया,वो अभी कमजोर था सीधी टक्कर नहीं ले सकता था परन्तु जलनसिंह के आ जाने से उसका हौसला और ताकत लौट आई थी.
"लेकिन आगे क्या करना है वो नागमणि कहाँ मिलेगी,उसी से मेरी शक्तियां है " सर्पटा ने चिंता व्यक्त कि.
"आप चिंता ना करे महान सर्पटा, अब कामवती मेरी और घुड़वाती नागमणि के साथ आपकी हुई " असलम एक धूर्त मुस्कान के साथ गुफा से बाहर निकल चला,उसे अमावस्या कि रात कि तैयारी करनी थी.
निर्णायक रात आने वाली थी.
परन्तु इस रात का फैसला नागमणि ही करती परन्तु वो तो अभी भी मंगूस कि पहुंच से बहुत दूर थी.
आधी रात के सन्नाटे को चिरता चोर मंगूस गांव कामगंज का चप्पा चप्पा छान चूका था.
"कहाँ गए वो तीनो ठग, आसमान खा गया या जमीन निगल गई " पुरे गांव मे तीनो लोग कही नहीं थे.
कि तभी धाककककक.......धमममममम......से कोई शख्स मंगूस से आ टकराया.
"अबे अंधा है क्या इतना बड़ा आदमी दिखता नहीं है " मंगूस ने उस व्यक्ति कि गर्दन थाम ली वो वैसे ही गुस्से से भरा था अपनी नाकामियों से.
"मार लो बाबू आप भी मार लो अब बचा ही क्या है जीवन मे वो तीनो तो पहले ही लूट ले गए मुझे " व्यक्ति नशे मे चूर था.
"कौन...कौन....तीनो " मंगूस को उम्मीद कि किरण नजर आई
"उस्ताद और उसके दोस्त रास्ते मे मिले थे, मेरी घोड़ा गाड़ी और पैसा ले भागे,मै पैदल कब तक पीछा करता हिचह्ह्ह्हह्म.....हिचम्म...."
"कहाँ भागे है वो तीनो? किधर गए है? बोल साले " मंगूस का चेहरा तामत्मा रहा था..
"वो...वो...वो.....हीच.....हिचम....."उसकी आंखे बंद होने लगी
"उठ उठ साले....जल्दी बता " मंगूस ने झकझोड़ दिया
वो...वो.....उधर...उस शराबी ने हाथ उठा के जंगल से निकलते रास्ते कि ओर इशारा कर दिया.
हिचहहहह...... होश कायम ना रख सका वो शराबी.
मांगूस तुरंत ही उस दिशा मे दौड़ पड़ा....हे भगवान ये कैसी परीक्षा है,आज तक मैंने कभी इतनी नाकामयाबी नहीं देखी.
लेकिन मै भी उस नागमणि को हासिल कर के ही मानुगा,नहीं कर पाया तो चोर मंगूस का अस्तित्व मिटा दूंगा.
दृढ़ विचार और प्रतिज्ञा के साथ एक बार फिर चोर मंगूस दौड़ पड़ा.
मंगूस अभी कुछ दूर ही निकला था कि...आआआआहहहहहहहह.......wwwooooooo...... खच....एक वहशी दर्दनाक चीख से वातावरण गूंज उठा.
"ये कैसी दर्दनाक चीख किसकी थी,किसी पुरुष कि मालूम पड़ती है " मंगूस चीख कि दिशा ने दौड़ चला.
दौड़ता हुआ चीख के स्थान.... सामने का नजारा रूह फना कर देने वला था.
सामने खून से सनी, क्षत विक्षात् तीन लाश पड़ी थी. पास मे ही एक मशाल गिरी पड़ी थी जिसने आस पास कि घास को भी अपनी चपेट मे ले लिया था.
तीनो का रंगरूप,चेहरा मोहरा वैसा ही था जैसा रतिवती ने बताया था " इसका...इसका.....मतलब ये तीनो वही ठग है, "
इस बात का आभास होते ही मंगूस ने उन लाशो कि तलाश कि, रामनिवास से जीते हुए पैसे,जेवर सब उनके पास बरामद हुआ " लेकिन....लेकिन...वो कहाँ है नागमणि कहाँ है, उफ्फ्फ...अब कहाँ गई वो "
पैसे और जेवर मांगूस ने समेट लिए " साले ठगों का लालच आखिर उनकी मृत्यु का कारण बन गया "
मंगूस ने आस पास देखना शुरू किया,मशाल कि धुंधली रौशनी मे घोड़े के खुर के निशान एक दिशा मे जा रहे थे " ये....ये रास्ता तो विष रूप कि ओर जाता है इसका मतलब जिसने इनसे नागमणि लूटी है वो विष रूप गया है, परन्तु जरूर वो कोई लुटेरा नहीं होगा, होता तो पैसे जेवर क्यों छोड़ जाता, जरूर इन ठगों ने उस शख्स को भी लूटने कि कोशिश कि होंगी परन्तु अपनी जान ही लूटा बैठे "
"वो...वो....वहां क्या है सफ़ेद सी कोई चीज है " मंगूस को उसी रास्ते पे कुछ गिरा हुआ दिखा.
"ये तो....कोई टोपी है मुस्लिम टोपी " मंगूस ने उस टोपी को उठा लिया,और उसका मुयाना करने लगा.
"ये ऐसी टोपी तो मैंने कही देखी है,कहाँ देखी है? कहाँ देखी है " अचानक कि मंगूस के दिमाग़ मे एक बिजली से कोंधी.
डॉ.असलम.सससससस........धीरे से उसके मुँह से वो नाम निकला, जैसे वो सब समझ गया हो,सारा खेल उसकी समझ आ गया और चेहरे पे मुस्कान छा गई.
जहाँ से आया था सफर वही ख़त्म होना था.
मंगूस ठगों द्वारा लूटी घोड़ा गाड़ी पे सवार हो चल पड़ा विषरूप अब उसे पता था उसका लक्ष्य और ठिकाना.
टप....टप....तिगाड़....तिगाड़.......
इधर उस्ताद,करतार,सत्तू तीनो लालच कि अधिकता मे प्राण त्याग चुके थे.
मंगूस अपने लक्ष्य कि ओर बढ़ गया था
वही दूसरी ओर इंस्पेक्टर काम्या नंगी जमीन पे लेटी थी,बस चंद ही दुरी पे उसकी नीट रखी हुई थी,उसकी पिस्तौल जो कुछ देर पहले बिल्ला के हाथ मे थी.
रंगा बिल्ला बेसुध हांफ रहे थे,काम्या का हाथ उस पिस्तौल को थमने के लिए उठ गया था, थाम ही लिया था कि....आआह्हबबबब.....काम्या वापस से चीख उठी एक भारी भरकम पैर उसकी हथेली पे जम गया..
"इतनी भी क्या जल्दी ह दरोगाईन अभी तो आई हो " रंगा का पैर काम्या कि हथेली पे था..
काम्या को यकीन ही नहीं हुआ कि ये लोग इतनी जल्दी संभाल सकते है, काम्या कि सारी योजना पर पानी फिर गया था.
"अभी तो रात बाकि है,अभी तो ढंग से तुझे चोदा ही नहीं देख अभी तो तू जिन्दा है " बिल्ला गरज उठा
उसने काम्या के बाल पकड़ ऊपर को उठा दिया " चल चूस इस लंड को, तू भाग्यशाली है जो लंड ले ले के मारेगी हाहाहाःहाहा......".
काम्या के जिस्म से तो जैसे प्राण ही निकल गए हो,यहीं तो एकमात्र योजना थी उसकी जो कि बुरी तरह से नाकाम हुई थी.
"तूने अभी तक असली मर्दो के लंड लिए ही कहाँ है,तुझे क्या लगा मामूली चोर उचक्के है जिसे अपनी चुत का रस पीला के काबू मे कर लेगी "इस बार रंगा भी अपने लंड को काम्या के मुँह के पास ले आया.
इस बार काम्या का पहले से भी बुरा हाल था,उसकव जिस्म से ताकत खत्म होती जा रही थी.
रंगा बिल्ला ने एक साथ ही अपने लंड काम्या के मुँह मे घुसेड़ दिये.
उसके बाद तो काम्या कि जो हालत थी कि समझ नहीं आ रहा था कि जिन्दा है या मर गई.
रंगा बिल्ला मनमानी ोे उतर आये थे कभी गांड मे साथ लंड डाल देते तो कभी चुत मे.
मुँह चुत गांड सब कुछ लाल हो चूका था काम्या का.
गांड और चुत तो फाट के गुफा हो गई थी, सूजन से फूल के अंदर का मांस बाहर को आ गया था.
"नहीं....नहीं.....अब नहीं...." काम्या भीख मांग रही थी
अब तक दोनों उसे 3बार रोन्द चुके थे.
बाहर सूरज कि लालिमा छाने लगी थी,अंदर रंगा बिल्ला धचा धच उसकी गांड के छेद मे साथ मे पिले पड़े थे.
पच....ओच....पच.....फच....फच....कि आवाज़ काम्या कि आखिरी सांसे गिन रही थी लगता था अब नहीं बच पायेगी यहीं आखिरी चुदाई थी काम्या कि.उसका बदन निर्जीव हो चला आगे को लटक गया, आंखे बोझिल हो गई थी जो किसी भी वक़्त सदा के लिए बंद हो सकती थी.
फच....द.फच....फच....बस इतना ही दम है तुझने.....पच...पच....
"आअह्ह्हह्....इसससस....नहीं...रंगा बिल्ला झाड़ने के करीब थे और काम्या अपनी मौत के
कि तभी धाआड़ड़ड़ड़ड़आककककक.......फ्फ्फ्फफ्फ्फ़त्तताकककक.....से एक उड़ता हुआ लठ हवा मे सरसराया.
उस लठ कि चोट से बिल्ला के सर भनभना गया,
रंगा कुछ समझता कि फट्टककककम.....धड़ाम्म्म्म....से वो भी जमीन पे धाराशाई हो गया.
"मैडम....मैडम.....उठिये....होश मे आइये....मै आ गया हूँ....उठिये मैडम...."
"बबबबबब......बहा....बहादुर तुम "
"हाँ मैडम मै...ये लीजिये पानी पीजिये " बहादुर ने काम्या के मुँह से पानी लगा दिया.
काम्या का नग्न निचोडा हुआ जिस्म बहादुर के आगोश मे था, उस आगोश मे एक फ़िक्र थी,परवाह थी,असीम दुलार था..कुछ पानी बहादुर ने काम्या के चेहरे पे डाला.
काम्या के होश और हिम्मत वापस से लौटने लगे.
"ये लीजिये मैडम ले लीजिये अपना बदला " बहादुर ने एक पिस्तौल काम्या के हाथ मे थमा दि.
काम्या अब तक संभल गई थी,खड़ी हो गई थी,उसका नंगा जिस्म बाहर से अति सूरज कि किरणों मे चमक रहा था.
"नहीं बहादुर अब मुझे इसकी जरुरत नहीं इतनक आसन मौत इनके नसीब मे कहाँ " काम्या ने पिस्तौल वापस बहादुर को थमा दि और पास पड़े धारदार चौकू को उठा लिया
रंगा बिल्ला अपना सर पकड़े नीचे जमीन पे लौटे पड़े थे.
काम्या को यूँ अपने नजदीक आते देख उनकी रूह फना हो चली,आज पहली बार उनकी आँखों मे मौत का मंजर दिख रहा था,एक दहशत से बदन काँपने लगा,
जिस लंड से उन्होंने अभी अभी काम्या को भोगा था,वो सिकुड़ के जांघो के बीच कही गायब हो गए.
"सालो... इसी को मर्दानगी कहते हो ना तुम " खच.....खचकककक.........काम्या के हाथो ने रंगा बिल्ला के लंड को उनके जिस्म से निकाल फेंका..बहादुर भले ही बहादुरी दिखा के आ गया था लेकिन ये विभत्य नजारा देखना उसके बस कि बात नहीं थी.बहादुर गुफा के बाहर जा खड़ा हुआ.
दर्दभारी......भयानाक चीखो से काली पहाड़ी गूंज उठी.
थोड़ी ही देर बाद...
"चले बहादुर " काम्या का हाथ बहादुर के कंधे पे था.
"ममममम....मैडम....वो.....वो....दोनों " बहादुर कि तो घिघी बँधी हुई थी ऊपर से काम्या उसके सामने सम्पूर्ण नग्न खड़ी थी.
"रंगा बिल्ला का आतंक ख़त्म हूँ हमेशा हमेशा के लिए, ऐसे क्या देख रहा है कभी नंगी लड़की देखी नहीं क्या?
जा अंदर से मेरी वर्दी ले आ "काम्या लड़खड़ाती आगे को बढ़ चली.
बहादुर अंदर को गया एक पल को तो उसे उल्टी ही आ गई ये नजारा देख के.
गुफा मे चारों तरफ मांस के छोटे छोटे टुकड़े फैले पड़े थे, कही आंत तो कही गुर्दे..
"हे भगवान.....क्या औरत है "बहादुर ने जल्दी से वर्दी उठाई और उबकाई लेता बाहर को भागा.
सूरज पूर्णरूप से उग आया था,चिड़िया चहक रही थी.
बहादुर और काम्या लंगडाती हुई चले जा रहे थे विष रूप चौकी कि तरफ.
खूंखार रंगा बिल्ला का अंत बड़ा ही भयानक हुआ..
मंगूस अभी भी लक्ष्य से दूर था.
कामवती को सब याद तो आ गया था लेकिन नागेंद्र बिना नागमणि के बेबस था.
कैसे सामना करेंगे ये लोग सर्पटा और ठाकुर जलन सिंह का?
अमावस आने वाली है.
बने रहिये कथा जारी है.....
अपने अंतिम अध्याय मे.
निर्णायक युद्ध