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Adultery डॉक्टर की कहानी डॉक्टर की जुबानी

mastmast123

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मेरा नाम प्रफुल्ल है मैं पेशे से एक डॉक्टर हूं मेरी उम्र 35 है मैं शादीशुदा हूं पत्नी का नाम श्रद्धा है 31 की है सीधी सादी धार्मिक लेकिन बिस्तर में किसी चुड़क्कड़ औरत से कम नहीं लेकिन सिर्फ चूदाई के समय उसके बाद एक सरल घरेलू औरत, उसे सिर्फ मेरे बारे में ही सेक्सी बातें करना पसंद , और किसी के बारे में नहीं, एक बात उसके बारे में मुझे भी पता नहीं वो है वो बहुत बहुत सेक्सी है लेकिन वो छीनाल नहीं बनना चाहती है जो पति के अलावा किसी और मर्द से चूदे। अपनी प्यास के लिए वो कोई औरत ढूंढ रही है जो घर की हो ओर उसके जितनी ही सेक्सी हो। जब ऐसा होगा तब देखेंगे कि किस के साथ और कैसे रंगरेली मनाएगी।
मैं अपने क्लिनिक रोज सुबह 9 से 2 और शाम 7 से 10 तक रहता हूं और मरीज देखता हूं, मैं जब भी कोई सुंदर और गर्म मरीज को देखता हूं तो अपने काबू में नहीं रहता हूं , लेकिन उसकी सहमति से ही आगे बढ़ता हूं, और दूसरी बात कुंवारी लड़की या औरत को कभी छेड़ने की इच्छा नहीं रखता हूं। मेरे यहां औरतें बेझिझक आती है क्योंकि मेरी रेपुटेशन बहुत अच्छी है मेरी हाईट 5 11फीट है भगवान की दया से एकदम गोरा रंग है और करती बदन है, मेरी भाषा और आवाज बहुत मीठी है अक्सर औरतें मुझ पर न्योछावर हो जाती है मगर मेरी पसंद बहुत अलग है मुझे खूब सुंदर सुशील और शर्मीली औरत पसंद क्योंकि वो शालीन होती है और उनका मन तैयार हो तो पूरा पूरा साथ देती है , और एक सुशील और शर्मीली औरत को खोलने में बहुत मुश्किल लगती है क्योंकि वो शत प्रतिशत पतिव्रता होती हैं लेकिन जब एक बार खुल कर मेरी बांहों में आ जाती हैं तो उससे ज्यादा कोई चुड़क्कड़ कोई औरत हो ही नहीं सकती क्योंकि अभी तक जो बंधन खुद को दे रक्खा था वो टूटने पर पिछला सब वसूल करना उसका मकसद होता है। मेरी पसंद की औरत बहुत कम ही आती है, यहां जो कहानी होगी ऐसी ही कुछ औरतों के बारे में होगी, एक बात मेरी नेकी की सीधे पन की ये इमेज है कि सास अपनी बहु को मां अपनी बेटी को बेझिझक मेरे चेंबर में अकेला भेज देती है या में कहूं आप बाहर बैठिए तो वो बिना किसी ना नुकुर के बाहर चली जाती है।
आगे पहली कथा मेरी शर्मीली पेशेंट की शीघ्र ही।
 

mastmast123

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शाम कोई सात बजे होंगे, जब मैने अगले पेशेंट को बुलाया तो दो औरतें अंदर आई, मैने पूछा किस की तबियत खराब है तब एक औरत बोली ये मेरी बहु रश्मि है मैने देखा रश्मि सिर पर पल्लू लिए एक बेहद खूबसूरत औरत कोई 30या 32 की उम्र की हल्के नीले रंग की साड़ी में शर्माती हुई नीचे देख रही थी, और हाथों को आपस में फंसाए शर्मीली आंखों से मेरी तरफ देखने लगी, क्या खूबसूरत आंखे मैं तो बस देखता ही रह गया अपलक , वो समझ गई मैं उसकी सुंदरता में खो गया हूं ऐसा मुझे बहुत समय बाद हुआ था ऐसी कयामत महीनों बाद आई थी मुझे लगा मेरी रानी आई है, लेकिन ये मान जाए तो ही किस्मत खुलेगी अन्यथा मैं तो आगे बढ़ने से रहा। वो शरमा रही थी और सोच रही थी उसके हुस्न का जादू डॉक्टर साहब पर चल गया है। तभी उसकी सास बोली सर इसके पेट में सुबह से दर्द हो रहा है, देख लीजिए, मैने जनरल सवालात किए हिस्ट्री ली और सासू को बोला आप बैठिए मैं चेकअप कर के बताता हूं, सास ने कहा बहु जाओ और मैं रश्मि को लेकर अपने एग्जामिनेशन रूम में आ गया , मेरी नर्स आशा ने दरवाजा और पर्दा लगा दिया और रश्मि को बोली आप इधर खड़े ही जाइए टेबल के पास डॉक्टर साहब आते हैं और वो अंदर के दूसरे दरवाजे से बाहर चली गई उसको बंद करते हुए, बाहर उसकी सास को मालूम था अंदर नर्स है, मैने नर्स को समझा रखा था यदि किसी पेशेंट को मुझे अकेले में देखना होगा तो मैं उसे इशारा करूंगा तो चुपचाप अंदर के दरवाजे से बाहर चली जाए और उसे बंद कर दे। आज कई महीनों बाद आशा को बाहर जाने का इशारा किया था वो समझ गई मेरा इरादा, उसने रश्मि को देखा और समझ गई , हां वाकई ये तो सर के लायक ही है।
मैं क्या नाम बताया आपने अपना
रश्मि सकुचाते हुए बोली जी रश्मि,,
मैं आप तो बहुत शर्मीली हो रश्मि ऐसा कैसे चलेगा और आप यहां खुलकर बात कीजिए यहां की बात बिल्कुल भी बाहर नहीं जा सकती है और मैं आपकी सास को उतनी ही बात बताऊंगा जितनी बतानी चाहिए, आपकी कोई पर्सनल डिटेल बिल्कुल भी नहीं आप निश्चिंत रहिए,
मेरी बात करने के तरीके से वो आश्वस्त हुई पर पूरी नहीं। आप यहां टेबल पर लेटिए, वो शर्माती हुई वहां लेट गई , मैने उसके दोनों हाथों को साइड में किया और उसकी आंखों में देखता हुआ बोला देखिए रश्मि जी आपके जैसी सुंदर औरत आज पहली बार मेरी क्लिनिक पर आई है जानता हूं में एक डॉक्टर हूं मुझे ये शोभा नहीं देता है मगर पहले मैं एक मर्द हूं, मेरे साथ ये पहली बार हुआ है कि किसी की सुंदरता में खो गया हूं
रश्मि दबी जबान से मैं जान गई थी, और दूसरी तरफ देखने लगी।
मैने कहा क्या कहा आपने रश्मि जी , में आपका आदर करता हूं आपकी मर्जी के बिना आपको कुछ भी करने का नही बोलूंगा और तो और आपकी इजाजत के बिना आपको हाथ भी नहीं लगाऊंगा।
रश्मि मेरी ओर देखती हुई बोली फिर आप इलाज कैसे करेंगें डॉक्टर साहब,

वो भी आपकी इजाजत से यदि आप मेरा हाथ लगाना उचित समझें तो। और एक बात आप मुझ पर पूरा विश्वास कर सकती हो अपने मन की सारी बात बेझिझक, मुझसे कर सकती हो चाहे जैसी भी हो, आपको मुझसे शर्माने की कतई जरूरत नहीं है, आप मेरे लिए बहुत स्पेशल हो, क्या मैं ऐसा कुछ कह रहा हूं जो आपको ठीक नहीं लग रहा हो।
रश्मि जी कुछ नहीं।
मैं अच्छा ऐसा है तो आप बताइए आप ने दबी जबान से क्या कहा था अगर मुझ पर विश्वास है तो।
रश्मि मैं जान गई थी आपकी हालत और शर्म से गढ़ी जा रही थी कि मेरी सास समझ गई तो क्या होगा, मगर आप पहले ही समझ गई थे।
मैं क्या कोई इतनी सुंदर भी हो सकती है, वो शरमा गई और हाथों में मुंह छुपा कर बोली, बस कीजिए ,और अपना काम कीजिए ना डॉक्टर साहब,
मैने उसके दोनों हाथों को पकड़ कर अलग किया और साइड में रक्खा और बोला ठीक है, अब मेरी तरफ देखिए और बताइए क्या हो रहा है
वो बोली पेट में दुख रहा है कल रात से, रात को कम था दोपहर के बाद बढ़ गया है, में बोला कहां ,उसने नाभि पर हाथ रखा बोली इसके आस पास और हाथ हटा लिया,
मैने फिर उसकी आंखों में देखा और पूछा हाथ लगा सकता हूं रश्मि जी,
अब वो थोड़ी सहज हो गई थी बोली पहले तो जी जी बंद कीजिए मैं छोटी हूं आपसे और आप पर भरोसा है आप कुछ भी गलत नहीं करोगे मेरे साथ मैने सुना भी है सास से और आज देख भी लिया, आप बूरे और गंदे इंसान नहीं है आपके साथ कोई भी औरत safe महसूस करेगी, आप जो चाहे एग्जामिन कीजिए।
मैने धीरे से पेट पर हाथ रखा और पूछा यहां? थोड़ा नीचे वो बोली। मैंने नीचे हाथ सरकाया साड़ी के अंदर और दबाया आह कितना नाजुक पेट यहां ? वो बोली हां यहां भी और थोड़ा नीचे भी, मैने थोड़ा और नीचे सरकाया उसकी चूत के बाल शायद ऊपर की और आ गए होंगे मेरी उंगली की कोर से टकराए मैने तुरंत हाथ बाहर खींच लिया उसे कुछ मालूम नही पड़ा , में बोला रात को क्या खाया था वो बोली कल शाम एक शादी में गए थे वहां खाना खाया जो भी बना था, में समझ गया कुछ contaminated food खाने में आ गया होगा इन्फेक्शन हो गया है, फिर उसको बैठने को बोला और पूछा उसके अलावा और कुछ रात में बिस्तर मैं खाया हो,
वो समझ गई बोली जी हसबैंड बाहर गए हुए हैं इसलिए पिछले आठ दिन से उपवास पर हूं।
मैं बोला तब तो उपवास मे फलाहार जरूर से लगता है ककड़ी लौकी गाजर या कोई कोई औरते तो बैगन को भी फलाहारी मान कर रात को खा लेती है।
वो मुझे देखकर बुरी तरह शरमा गई साड़ी को मुंह में दबाकर धीरे धीरे हंसती हुई बोली कुछ भी,,,, और लाल सुर्ख गालों पर हाथ फेरती हुई शर्मीली आंखों से मेरी ओर देखने लगी।
मैने भी शरारत से उसके उन्नत उरोजों को देखा फिर आंखों में देखा और बोला, सच बताओ रश्मि जी
उसने आंखों में तनिक गुस्सा लाते हुए बोला फिर जी,
मैं तुरंत कानों को पकड़ते हुए बोला सॉरी, रश्मि सच सच बताओ क्या आपने बिस्तर में फलाहार किया है कल क्योंकि कभी कभी वो भी दर्द का कारण होता है।
वो बहुत धीरे से नीचे देखती हुई बोली हां किया है
मैं किसका फलाहार
वो फिर बोली ककड़ी का , छिली हुई वो नाजुक होती है और छीलने के बाद पानी भी छोड़ती है तो खाने में सूखापन नहीं लगता है।
मैं मुझे बहुत गर्व है आप पर, आपने मेरी बात मानी और शर्म छोड़कर मुझसे सब बात खुलकर कर रही हैं, आगे भी आप ऐसे ही विश्वास रखिए , आपको कभी मुझसे धोखा और शर्मिंदगी नहीं उठानी पड़ेगी
वो हां मैं जान गई हूं मुझे भी जिंदगी मे पहली बार कोई मिला है,।
अच्छा ये बताओ ककड़ी ताजी थी या पुरानी।
वो बोली ताजी ही थी, में ध्यान से ताजी का ही फलाहार करती हूं एक दिन बासी भी नहीं।
मैं गुड, अच्छा कितनी देर तक खिलाई।
वो क्या खिलाई?
मैं अरे छिली हुई ककड़ी फलाहार में आपने खिलाई है न, आप अपने ऊपर के मुंह से तो शादी में पेट भर कर खा ही आई थी, मैं शरारत से बोला आपने बिस्तर में तो अपनी उसको खिलाई होगी।
धत्त, कुछ भी बोलते हो , कितनी देर तक, ओर हंसती हुई टेबल से उतर गई।
मैं बोला रुको सुनो, मैं दवाई लिख के देता हूं खा लेना अभी और सुबह और दोपहर में कल उससे आराम आ जायेगा, कल शाम को, यदि मन करे तो सास से बोलकर कल शाम इसी वक्त फिर आ जाना यदि आज आपको अच्छा लगा हो तो कल तक मुझे भी थोड़ी हिम्मत आ जायेगी आगे एक्जामिनेट करने की,
वो ध्यान से सुन रही थी
मैं आगे बोला अकेली भी आ सकती हो यदि मुझ पर ऐसा ही विश्वास कल तक रहे, और हां आओ तो साड़ी में नहीं
वो बोली क्यों
मैं इसमें बहुत दिक्कत है एग्जामिनेशन करने में, बहुत सारी , जैसे साड़ी ब्लाउज फिर अंदर और कुछ , और मैं शरारत से मुस्कराया वो समझ गई ब्रा का बोल रहा हूं, और पेटीकोट और उसके अंदर भी कुछ और।
वो बोली बस बस ज्यादा डिटेल न दीजिए ना, आप बोलो फिर क्या पहनावा हो।
मैं मतलब कल आओगी गुड
वो बोली कोई पक्का नहीं है ज्यादा खुश होने की जरूरत नहीं है आप बताओ क्या पहनना चाहिए आपकी पेशेंट को डॉक्टर साहब जिससे हमारे साहब को झंझट और तकलीफ न हो ओर वो भी शरारत से मुस्कराने लगी।
मैं बोला देखो इवनिंग गाउन जैसा कुछ भी हेवी कि अंदर कुछ न दिखे और अंदर कुछ भी न,,,,
उसने बीच में ही रोक दिया समझ गए साहब आपकी पसंद अब बाहर भी चलें या सारी शाम भाषण ही देगें इस बिचारी को, और जोर से खुलकर पहली बार हंसी , उसकी सुंदरता में चार चांद लग गए थे, एकदम सफेद दांत रोशनी में चमक गए थे और चेहरा भी पहली बार दमकने लगा था, मुझे लगा उसको मुझे मिल कर खुशी मिली है।
दोनों बाहर आए मैं सीरियस हो गया था और वो भी सिर पर पल्लू रख कर सहमी सहमी सी बाहर आई हमारे पीछे पीछे आशा भी बाहर आई तुरंत, मैने उसको दरवाजा बजा कर इशारा कर दिया था, रश्मि ने आशा को देखा और फिर मेरी और देखकर आंखों ही आंखों में कहा ब्रिलियंट डॉक्टर साहब, उसकी सास मुझे देख रही थी उसको कुछ पता नहीं चला।
मैने pescription लिख के सास को दिया कुछ थोड़ा सा इन्फेक्शन है, ये दवाई खिला दीजिएगा, आराम आजाएगा न आए तो कल इनको भेज दीजिएगा अगर आप साथ न आ सके तो, में पहले इनको देख लूंगा, और नर्स आशा को बोला देखो आशा ये रश्मि जी हैं, मेरी स्पेशल पेशेंट यदि मां जी न आ सके तो तुरंत इनको अंदर ले लेना इनको सब पेशेंट से पहले देख कर फारिग कर देंगे, फारिग का मतलब आशा ने चूत का झड़ना निकाला और शरारत से मुस्कराती हुई रश्मि को देखते हुए बोली जी सर , अब मैं भी इनका खास ध्यान रखूंगी और इनको जल्दी फारिग होने में हेल्प करूंगी, रश्मि कुछ कुछ समझी कुछ नहीं, और उठ कर जाने लगी सास के पीछे पीछे और मुड़कर मेरी तरफ थोड़े गुस्से से देखती हुई हाथ उठा कर मारने का इशारा किया फिर बहुत हल्की सी हंसी हंसते हुए चेंबर से बाहर निकल गई। मैने उसकी हंसी देख ली थी वरना टेंशन में आ जाता
मैं आशा से थोड़ी सख्ती से बोला आशा ये क्या था तुम मुझे मरवाओगी किसी दिन।


आशा और मेरे बीच truely प्रोफेशनल रिलेशन है डॉक्टर और नर्स का, लेकिन वो मेरी पसंद जानती है और उसकी रिस्पेक्ट करती है और वो जानती है कि मैं बिना परमिशन आगे नही बढ़ता हूं। वो मुंह से कुछ नहीं कहती है पर इन बातों में मेरा पूरा पूरा ध्यान रखती है, ये हम दोनों के बीच अनकहा एग्रीमेंट है।
आशा बोली सॉरी सर आगे से ऐसा कुछ नही होगा I am really sorry,
मैं थोड़ा हंस कर चलो ठीक है, अगला पेशेंट भेजो।
 
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karan77

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मेरा नाम प्रफुल्ल है मैं पेशे से एक डॉक्टर हूं मेरी उम्र 35 है मैं शादीशुदा हूं पत्नी का नाम श्रद्धा है 31 की है सीधी सादी धार्मिक लेकिन बिस्तर में किसी चुड़क्कड़ औरत से कम नहीं लेकिन सिर्फ चूदाई के समय उसके बाद एक सरल घरेलू औरत, उसे सिर्फ मेरे बारे में ही सेक्सी बातें करना पसंद , और किसी के बारे में नहीं, एक बात उसके बारे में मुझे भी पता नहीं वो है वो बहुत बहुत सेक्सी है लेकिन वो छीनाल नहीं बनना चाहती है जो पति के अलावा किसी और मर्द से चूदे। अपनी प्यास के लिए वो कोई औरत ढूंढ रही है जो घर की हो ओर उसके जितनी ही सेक्सी हो। जब ऐसा होगा तब देखेंगे कि किस के साथ और कैसे रंगरेली मनाएगी।
मैं अपने क्लिनिक रोज सुबह 9 से 2 और शाम 7 से 10 तक रहता हूं और मरीज देखता हूं, मैं जब भी कोई सुंदर और गर्म मरीज को देखता हूं तो अपने काबू में नहीं रहता हूं , लेकिन उसकी सहमति से ही आगे बढ़ता हूं, और दूसरी बात कुंवारी लड़की या औरत को कभी छेड़ने की इच्छा नहीं रखता हूं। मेरे यहां औरतें बेझिझक आती है क्योंकि मेरी रेपुटेशन बहुत अच्छी है मेरी हाईट 5 11फीट है भगवान की दया से एकदम गोरा रंग है और करती बदन है, मेरी भाषा और आवाज बहुत मीठी है अक्सर औरतें मुझ पर न्योछावर हो जाती है मगर मेरी पसंद बहुत अलग है मुझे खूब सुंदर सुशील और शर्मीली औरत पसंद क्योंकि वो शालीन होती है और उनका मन तैयार हो तो पूरा पूरा साथ देती है , और एक सुशील और शर्मीली औरत को खोलने में बहुत मुश्किल लगती है क्योंकि वो शत प्रतिशत पतिव्रता होती हैं लेकिन जब एक बार खुल कर मेरी बांहों में आ जाती हैं तो उससे ज्यादा कोई चुड़क्कड़ कोई औरत हो ही नहीं सकती क्योंकि अभी तक जो बंधन खुद को दे रक्खा था वो टूटने पर पिछला सब वसूल करना उसका मकसद होता है। मेरी पसंद की औरत बहुत कम ही आती है, यहां जो कहानी होगी ऐसी ही कुछ औरतों के बारे में होगी, एक बात मेरी नेकी की सीधे पन की ये इमेज है कि सास अपनी बहु को मां अपनी बेटी को बेझिझक मेरे चेंबर में अकेला भेज देती है या में कहूं आप बाहर बैठिए तो वो बिना किसी ना नुकुर के बाहर चली जाती है।
आगे पहली कथा मेरी शर्मीली पेशेंट की शीघ्र ही।
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Bittoo

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शाम कोई सात बजे होंगे, जब मैने अगले पेशेंट को बुलाया तो दो औरतें अंदर आई, मैने पूछा किस की तबियत खराब है तब एक औरत बोली ये मेरी बहु रश्मि है मैने देखा रश्मि सिर पर पल्लू लिए एक बेहद खूबसूरत औरत कोई 30या 32 की उम्र की हल्के नीले रंग की साड़ी में शर्माती हुई नीचे देख रही थी, और हाथों को आपस में फंसाए शर्मीली आंखों से मेरी तरफ देखने लगी, क्या खूबसूरत आंखे मैं तो बस देखता ही रह गया अपलक , वो समझ गई मैं उसकी सुंदरता में खो गया हूं ऐसा मुझे बहुत समय बाद हुआ था ऐसी कयामत महीनों बाद आई थी मुझे लगा मेरी रानी आई है, लेकिन ये मान जाए तो ही किस्मत खुलेगी अन्यथा मैं तो आगे बढ़ने से रहा। वो शरमा रही थी और सोच रही थी उसके हुस्न का जादू डॉक्टर साहब पर चल गया है। तभी उसकी सास बोली सर इसके पेट में सुबह से दर्द हो रहा है, देख लीजिए, मैने जनरल सवालात किए हिस्ट्री ली और सासू को बोला आप बैठिए मैं चेकअप कर के बताता हूं, सास ने कहा बहु जाओ और मैं रश्मि को लेकर अपने एग्जामिनेशन रूम में आ गया , मेरी नर्स आशा ने दरवाजा और पर्दा लगा दिया और रश्मि को बोली आप इधर खड़े ही जाइए टेबल के पास डॉक्टर साहब आते हैं और वो अंदर के दूसरे दरवाजे से बाहर चली गई उसको बंद करते हुए, बाहर उसकी सास को मालूम था अंदर नर्स है, मैने नर्स को समझा रखा था यदि किसी पेशेंट को मुझे अकेले में देखना होगा तो मैं उसे इशारा करूंगा तो चुपचाप अंदर के दरवाजे से बाहर चली जाए और उसे बंद कर दे। आज कई महीनों बाद आशा को बाहर जाने का इशारा किया था वो समझ गई मेरा इरादा, उसने रश्मि को देखा और समझ गई , हां वाकई ये तो सर के लायक ही है।
मैं क्या नाम बताया आपने अपना
रश्मि सकुचाते हुए बोली जी रश्मि,,
मैं आप तो बहुत शर्मीली हो रश्मि ऐसा कैसे चलेगा और आप यहां खुलकर बात कीजिए यहां की बात बिल्कुल भी बाहर नहीं जा सकती है और मैं आपकी सास को उतनी ही बात बताऊंगा जितनी बतानी चाहिए, आपकी कोई पर्सनल डिटेल बिल्कुल भी नहीं आप निश्चिंत रहिए,
मेरी बात करने के तरीके से वो आश्वस्त हुई पर पूरी नहीं। आप यहां टेबल पर लेटिए, वो शर्माती हुई वहां लेट गई , मैने उसके दोनों हाथों को साइड में किया और उसकी आंखों में देखता हुआ बोला देखिए रश्मि जी आपके जैसी सुंदर औरत आज पहली बार मेरी क्लिनिक पर आई है जानता हूं में एक डॉक्टर हूं मुझे ये शोभा नहीं देता है मगर पहले मैं एक मर्द हूं, मेरे साथ ये पहली बार हुआ है कि किसी की सुंदरता में खो गया हूं
रश्मि दबी जबान से मैं जान गई थी, और दूसरी तरफ देखने लगी।
मैने कहा क्या कहा आपने रश्मि जी , में आपका आदर करता हूं आपकी मर्जी के बिना आपको कुछ भी करने का नही बोलूंगा और तो और आपकी इजाजत के बिना आपको हाथ भी नहीं लगाऊंगा।
रश्मि मेरी ओर देखती हुई बोली फिर आप इलाज कैसे करेंगें डॉक्टर साहब,

वो भी आपकी इजाजत से यदि आप मेरा हाथ लगाना उचित समझें तो। और एक बात आप मुझ पर पूरा विश्वास कर सकती हो अपने मन की सारी बात बेझिझक, मुझसे कर सकती हो चाहे जैसी भी हो, आपको मुझसे शर्माने की कतई जरूरत नहीं है, आप मेरे लिए बहुत स्पेशल हो, क्या मैं ऐसा कुछ कह रहा हूं जो आपको ठीक नहीं लग रहा हो।
रश्मि जी कुछ नहीं।
मैं अच्छा ऐसा है तो आप बताइए आप ने दबी जबान से क्या कहा था अगर मुझ पर विश्वास है तो।
रश्मि मैं जान गई थी आपकी हालत और शर्म से गढ़ी जा रही थी कि मेरी सास समझ गई तो क्या होगा, मगर आप पहले ही समझ गई थे।
मैं क्या कोई इतनी सुंदर भी हो सकती है, वो शरमा गई और हाथों में मुंह छुपा कर बोली, बस कीजिए ,और अपना काम कीजिए ना डॉक्टर साहब,
मैने उसके दोनों हाथों को पकड़ कर अलग किया और साइड में रक्खा और बोला ठीक है, अब मेरी तरफ देखिए और बताइए क्या हो रहा है
वो बोली पेट में दुख रहा है कल रात से, रात को कम था दोपहर के बाद बढ़ गया है, में बोला कहां ,उसने नाभि पर हाथ रखा बोली इसके आस पास और हाथ हटा लिया,
मैने फिर उसकी आंखों में देखा और पूछा हाथ लगा सकता हूं रश्मि जी,
अब वो थोड़ी सहज हो गई थी बोली पहले तो जी जी बंद कीजिए मैं छोटी हूं आपसे और आप पर भरोसा है आप कुछ भी गलत नहीं करोगे मेरे साथ मैने सुना भी है सास से और आज देख भी लिया, आप बूरे और गंदे इंसान नहीं है आपके साथ कोई भी औरत safe महसूस करेगी, आप जो चाहे एग्जामिन कीजिए।
मैने धीरे से पेट पर हाथ रखा और पूछा यहां? थोड़ा नीचे वो बोली। मैंने नीचे हाथ सरकाया साड़ी के अंदर और दबाया आह कितना नाजुक पेट यहां ? वो बोली हां यहां भी और थोड़ा नीचे भी, मैने थोड़ा और नीचे सरकाया उसकी चूत के बाल शायद ऊपर की और आ गए होंगे मेरी उंगली की कोर से टकराए मैने तुरंत हाथ बाहर खींच लिया उसे कुछ मालूम नही पड़ा , में बोला रात को क्या खाया था वो बोली कल शाम एक शादी में गए थे वहां खाना खाया जो भी बना था, में समझ गया कुछ contaminated food खाने में आ गया होगा इन्फेक्शन हो गया है, फिर उसको बैठने को बोला और पूछा उसके अलावा और कुछ रात में बिस्तर मैं खाया हो,
वो समझ गई बोली जी हसबैंड बाहर गए हुए हैं इसलिए पिछले आठ दिन से उपवास पर हूं।
मैं बोला तब तो उपवास मे फलाहार जरूर से लगता है ककड़ी लौकी गाजर या कोई कोई औरते तो बैगन को भी फलाहारी मान कर रात को खा लेती है।
वो मुझे देखकर बुरी तरह शरमा गई साड़ी को मुंह में दबाकर धीरे धीरे हंसती हुई बोली कुछ भी,,,, और लाल सुर्ख गालों पर हाथ फेरती हुई शर्मीली आंखों से मेरी ओर देखने लगी।
मैने भी शरारत से उसके उन्नत उरोजों को देखा फिर आंखों में देखा और बोला, सच बताओ रश्मि जी
उसने आंखों में तनिक गुस्सा लाते हुए बोला फिर जी,
मैं तुरंत कानों को पकड़ते हुए बोला सॉरी, रश्मि सच सच बताओ क्या आपने बिस्तर में फलाहार किया है कल क्योंकि कभी कभी वो भी दर्द का कारण होता है।
वो बहुत धीरे से नीचे देखती हुई बोली हां किया है
मैं किसका फलाहार
वो फिर बोली ककड़ी का , छिली हुई वो नाजुक होती है और छीलने के बाद पानी भी छोड़ती है तो खाने में सूखापन नहीं लगता है।
मैं मुझे बहुत गर्व है आप पर, आपने मेरी बात मानी और शर्म छोड़कर मुझसे सब बात खुलकर कर रही हैं, आगे भी आप ऐसे ही विश्वास रखिए , आपको कभी मुझसे धोखा और शर्मिंदगी नहीं उठानी पड़ेगी
वो हां मैं जान गई हूं मुझे भी जिंदगी मे पहली बार कोई मिला है,।
अच्छा ये बताओ ककड़ी ताजी थी या पुरानी।
वो बोली ताजी ही थी, में ध्यान से ताजी का ही फलाहार करती हूं एक दिन बासी भी नहीं।
मैं गुड, अच्छा कितनी देर तक खिलाई।
वो क्या खिलाई?
मैं अरे छिली हुई ककड़ी फलाहार में आपने खिलाई है न, आप अपने ऊपर के मुंह से तो शादी में पेट भर कर खा ही आई थी, मैं शरारत से बोला आपने बिस्तर में तो अपनी उसको खिलाई होगी।
धत्त, कुछ भी बोलते हो , कितनी देर तक, ओर हंसती हुई टेबल से उतर गई।
मैं बोला रुको सुनो, मैं दवाई लिख के देता हूं खा लेना अभी और सुबह और दोपहर में कल उससे आराम आ जायेगा, कल शाम को, यदि मन करे तो सास से बोलकर कल शाम इसी वक्त फिर आ जाना यदि आज आपको अच्छा लगा हो तो कल तक मुझे भी थोड़ी हिम्मत आ जायेगी आगे एक्जामिनेट करने की,
वो ध्यान से सुन रही थी
मैं आगे बोला अकेली भी आ सकती हो यदि मुझ पर ऐसा ही विश्वास कल तक रहे, और हां आओ तो साड़ी में नहीं
वो बोली क्यों
मैं इसमें बहुत दिक्कत है एग्जामिनेशन करने में, बहुत सारी , जैसे साड़ी ब्लाउज फिर अंदर और कुछ , और मैं शरारत से मुस्कराया वो समझ गई ब्रा का बोल रहा हूं, और पेटीकोट और उसके अंदर भी कुछ और।
वो बोली बस बस ज्यादा डिटेल न दीजिए ना, आप बोलो फिर क्या पहनावा हो।
मैं मतलब कल आओगी गुड
वो बोली कोई पक्का नहीं है ज्यादा खुश होने की जरूरत नहीं है आप बताओ क्या पहनना चाहिए आपकी पेशेंट को डॉक्टर साहब जिससे हमारे साहब को झंझट और तकलीफ न हो ओर वो भी शरारत से मुस्कराने लगी।
मैं बोला देखो इवनिंग गाउन जैसा कुछ भी हेवी कि अंदर कुछ न दिखे और अंदर कुछ भी न,,,,
उसने बीच में ही रोक दिया समझ गए साहब आपकी पसंद अब बाहर भी चलें या सारी शाम भाषण ही देगें इस बिचारी को, और जोर से खुलकर पहली बार हंसी , उसकी सुंदरता में चार चांद लग गए थे, एकदम सफेद दांत रोशनी में चमक गए थे और चेहरा भी पहली बार दमकने लगा था, मुझे लगा उसको मुझे मिल कर खुशी मिली है।
दोनों बाहर आए मैं सीरियस हो गया था और वो भी सिर पर पल्लू रख कर सहमी सहमी सी बाहर आई हमारे पीछे पीछे आशा भी बाहर आई तुरंत, मैने उसको दरवाजा बजा कर इशारा कर दिया था, रश्मि ने आशा को देखा और फिर मेरी और देखकर आंखों ही आंखों में कहा ब्रिलियंट डॉक्टर साहब, उसकी सास मुझे देख रही थी उसको कुछ पता नहीं चला।
मैने pescription लिख के सास को दिया कुछ थोड़ा सा इन्फेक्शन है, ये दवाई खिला दीजिएगा, आराम आजाएगा न आए तो कल इनको भेज दीजिएगा अगर आप साथ न आ सके तो, में पहले इनको देख लूंगा, और नर्स आशा को बोला देखो आशा ये रश्मि जी हैं, मेरी स्पेशल पेशेंट यदि मां जी न आ सके तो तुरंत इनको अंदर ले लेना इनको सब पेशेंट से पहले देख कर फारिग कर देंगे, फारिग का मतलब आशा ने चूत का झड़ना निकाला और शरारत से मुस्कराती हुई रश्मि को देखते हुए बोली जी सर , अब मैं भी इनका खास ध्यान रखूंगी और इनको जल्दी फारिग होने में हेल्प करूंगी, रश्मि कुछ कुछ समझी कुछ नहीं, और उठ कर जाने लगी सास के पीछे पीछे और मुड़कर मेरी तरफ थोड़े गुस्से से देखती हुई हाथ उठा कर मारने का इशारा किया फिर बहुत हल्की सी हंसी हंसते हुए चेंबर से बाहर निकल गई। मैने उसकी हंसी देख ली थी वरना टेंशन में आ जाता
मैं आशा से थोड़ी सख्ती से बोला आशा ये क्या था तुम मुझे मरवाओगी किसी दिन।


आशा और मेरे बीच truely प्रोफेशनल रिलेशन है डॉक्टर और नर्स का, लेकिन वो मेरी पसंद जानती है और उसकी रिस्पेक्ट करती है और वो जानती है कि मैं बिना परमिशन आगे नही बढ़ता हूं। वो मुंह से कुछ नहीं कहती है पर इन बातों में मेरा पूरा पूरा ध्यान रखती है, ये हम दोनों के बीच अनकहा एग्रीमेंट है।
आशा बोली सॉरी सर आगे से ऐसा कुछ नही होगा I am really sorry,
मैं थोड़ा हंस कर चलो ठीक है, अगला पेशेंट भेजो।
बहुत शानदार शुरुआत
कृपया रेगुलर अप्डेट दें
 
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