सरिता आधे घंटे तक सोती रही फिर उसकी नींद खुली उसने देखा श्रद्धा पास ही सो रही है ,अब तक सरिता का ज्वार उतर चुका था और अब वो श्रद्धा को निचोड़ना चाह रही थी, औरत कभी कभी ऐसी औरत के संपर्क में आती है कि उसे उस औरत का साथ अच्छा लगता है और वो उससे शारीरिक रूप से जुड़ने की चाह रखती है, सारिका श्रद्धा के साथ भी वही जुड़ाव महसूस करती रही है और आज उसकी इच्छा पूरी हुई है, वो आगे बढ़ कर श्रद्धा के होठों को अपने होठों में भर लेती है श्रद्धा आधी जागी आधी सोई हालत में थी, चूत तो शांत हुई नहीं थी इसलिए तुरंत चुदासी हो गई और सरिता को जोरों से चूमने लगी, श्रद्धा के चुम्बन में सरिता से ज्यादा कामुकता और तीव्रता थी, श्रद्धा ज्यादा कामुक थी लेकिन अपनी प्यास दबाए रखती थी।
सरिता ने धीरे धीरे श्रद्धा के सारे कपड़े खोल दिए और उसे अपनी तरह नंगा कर दिया और उसकी चूत पर हाथ फेरने लगी, श्रद्धा की हालत बुरी हो गई वो जोरों से चीखें मार रही थी और हाथ पैर पटक रही थी चूत की चुदास के मारे , उसे एक मोटे ताजे सख्त लंड की जरूरत थी उसका उंगली से काम नहीं चल सकता था, उसने सरिता का हाथ चूत से हटा दिया और बोली आप हटा दीजिए मम्मी मेरा ऐसे काम नहीं चल सकता है।
सरिता बैठ गए और श्रद्धा का सिर अपनी गोद में रखा और उसके सिर पर हाथ फेरती हुई बोली बहु अब तो बता सकती है ना क्या बात है जो दिन ब दिन मुरझाए जा रही है।
श्रद्धा बताऊंगी पर मुझे पहले आपके बारे में जानना है कि मैं आप पर विश्वास कर सकती हूं या नहीं।
सरिता समझ गई कि किसी भी औरत के लिए अपनी पर्सनल लाइफ किसी के साथ शेयर करना मुश्किल होता है, अभी इसको और विश्वास में लेने की जरूरत है।
सरिता बोली ठीक है,
श्रद्धा उठकर सरिता के गले लग गई सॉरी मम्मी मैं थोड़ा ज्यादा बोल गई सॉरी, सरिता बोली तेरी मां हूं तू ऐसा मत बोल।
अब श्रद्धा थोड़ा नॉर्मल हुई और सरिता के पपीतों को घूरने लगी, सरिता उसकी नज़र देख रही थी श्रद्धा से सरिता की आंखों में देखा और इशारे से पूछा ये क्या,
सरिता बोली क्या पूछ रही है
श्रद्धा के हाथों में अभी भी तेल था उसने दोनो निप्पल दबाते हुए पूछा मम्मी ये पपीते कितने मर्दों के हाथ लगने से पके हैं सच सच बताना।
सरिता बोली तुझासे कुछ भी नहीं छुपाऊंगी चाहे तू अपनी मत बताना, मुझे तुझ पर पूरा विश्वास है।
सुन मैं अपनी जवानी में बहुत चुड़ककड़ थी या बन गई थी अपने सब रिश्तेदार औरतों के बीच सबसे चुदासी औरत के रूप में फेमस थी, हम औरतें आपस में सब कुछ शेयर करती थी कुछ छुपाती नहीं थी लेकिन हमारी कोई बात बाहर आज तक नहीं आई।
तुझे बताऊं मुझे चुड़ककड़ किसने बनाया।
हां मम्मी,
पता है मैं मेरी सुहागरात के तीसरे दिन ही दूसरे लंड से चुद गई थी
श्रद्धा हाय मम्मी सच।
हां बेटी सच, वो तेरे ससुर का बहुत दूर का कजिन था और शादी में आया था, मेरी ही उम्र का था कुंवारा, एक दम लाल और बहुत गोरा, शादी के दिन से ही मेरे पीछे पड़ा था, मुझे लगातार देखे जा रहा था, शादी की सारी विधियों में मेरे सामने ही बैठा रहा, और घूरे जा रहा था, सिर्फ हम दोनों को ही पता था, इस तरह वो देखता था, मेरे मन में भी कुछ कुछ होने लगा था, तुझे तो पता है तेरे ससुर कैसे दिखते थे सांवले और दुबले पतले, और वो स्मार्ट कट्टर जवान, उसको समझ आ गया था, मैं उस से imprest हो रही हूं, जब मांग में सिंदूर भरने की रस्म मेरे साइड में खड़े होकर तेरे ससुर कर रहे थे सब मुझे ही देख रहे थे वो एकदम मेरे सामने बहुत करीब बैठ कर मुझे बहुत गौर से देख रहा था, में भी उसे देख रही थी सोचो सब से important रस्म मेरे जीवन की और मेरा ध्यान उसने पूरा अपने पर कर लिया था मैं मुग्ध होकर उसे ही देखे जा रही थी उसने मुझे आंख मारी और किस फेंका होठों से , में शर्म से दोहरी हो गई हल्की हंसी से उसे देखती रही, लोग समझ रहे थे मांग भराई की रस्म से मैं खुश हो रही हूं, मगर मेरी खुशी तो मेरे सामने बैठा था, उसने दूसरी बार आंख मारी और किस fly किया, उसकी हिम्मत देख के मैं हैरान थी और खुश भी, मैने उस पर से अपनी नज़र नहीं हटाई और उसका हौसला देखो लगातार तीसरी बार उसने आंख मारी और
दे मारा फ्लाइंग सिर्फ होठों ही होठों में, तभी जोर जोर से तालियां बजने लगी मेरा ध्यान टूटा रस्म पूरी हो गई थी मैं होश में आई और नीचे देखने लगी शर्म के मारे और मुझे हंसी भी बहुत आ रही थी जो उसने अच्छे से देख ली थी वो भी खुश था, उसके तुरंत बाद कोई और रस्म चल रही थी बहुत से लोग आते जा रहे थे हम जोड़े को कपड़े देते जा रहे थे बहुत भीड़ हो गई थी किसी का ध्यान मुझ पर नहीं था अब वो धीरे धीरे आकर मेरे बगल में बैठ गया , मैं पालकी मार कर विवाह वेदी के सामने बैठी थी मेरा उसकी तरफ वाला मैं घुटने केनीचे किए बैठी थी अचानक उसने मेरा हाथ पकड़ लिया और मेरी हथेली अपनी हथेली में दबोच ली, मेरी तो सांस ही रुक गई, में कुछ बोल भी नही सकती थी अवाक सी तिरछी नज़र से उसे देखा वो साला मुस्करा रहा था, भिड़ इतनी थी किसी का ध्यान हमारी तरफ नहीं था और इसी का फायदा उसने उठा लिया था और मेरा हाथ करीबन दस पन्द्रह सेकंड तक दबाया और छोड़ कर शरीफ बन कर बैठ गया, अब मैं थोड़ी सेंस में आई, मैं तो घबराहट सनसनी खुशी के मिले जुले भाव में डूब गई थी , जब सेंस आया वो थोड़ा मेरी तरफ मुड़ कर भोला बन कर बैठा था, में उसे रूक रूक कर देखती वो आंखों आंखों में ही मुस्कराकर पूछता कैसा लगा अच्छा लगा, में भी आंखों में ही मुस्करा देती और इशारे में कहती थैंक्स, ऐसा कोई आधे घंटे तक चला, फिर उसके बाद उसको टाइम नहीं मिला, बारात बिदा होकर मेरे सुसराल आ गई, चूंकि मेरी सास का वो लाडला था तो सारे घर में बे रोक टोक इधर उधर सब जगह चला जाता था, मुझे ऊपर ले जा कर एक कमरे में बिठा दिया था शादी के भारी जोड़े में ही, सब अपने अपने काम में लगे थे, शादी के घर में हजारों काम होते हैं, किसी का ध्यान ऊपर नहीं था तेरे ससुर जी भी थक गए होंगे तो वो रिलेक्स करने दोस्तों के साथ बाहर चले गए, अब इन महाशय की हिम्मत देखो ये बेधड़क मेरे कमरे में घुस आया, और अंदर से दरवाजा बंद कर लिया, मैने देखा और घबरा गई और बोली ये क्या बदतमीजी है वो हंसते हुए बोला क्यों अपनी बीबी से मिलना बदतमीजी होती है, मैं बोली आपकी पत्नी कैसे वो बोला फेरों से लेकर सिंदूर की रस्म तक आपके साथ रहा हूं साए की तरह देवी जी एकतरह से आप से शादी हुई है सरिता जी, मैं होठ दबा कर हंसती हुई बोली धत्त कुछ भी बकते हो,
वो बेशर्म मेरे पैरों मैं जमीन पर बैठ गया और एक अंगूठी निकाली और लगभग पूरी शिद्दत से पूरी मोहब्बत से मेरी आंखों में देखता हुआ बोला सरिता पता नहीं आपने क्या जादू किया है मैंने आपको अपनी देवी अपना ईश्वर मान बैठा हूं जब से आपके यहां आपके घर आपकी शादी में आया हूं , आपको एक पल भी नजरों से दूर नहीं कर पा रहा हूं, और तो और मैने आपके साथ फेरे भी लिए है और आंखों ही आंखों आपकी मांग भी भरी है आपने तो पूरे ध्यान से देखा है वो भी एक बार नहीं तीन तीन बार , मैं हंस पड़ी उसकी उस समय की शरारत पर अब मुझे खुलकर हंसी आई थी , वो बोला मेरी अर्द्धांगिनी मेरी सरिता अपने प्रिय अपने पति से ये अंगूठी स्वीकार करो उसकी मासूमियत और सच्चाई में मैं खो गई थी और उसने मेरे सीधे हाथ की बीच वाली उगली में ये अंगूठी पहना दी, मैं हक्कीबक्की सब जानते हुए भी उसके प्यार में बेबस हो कर उसे सब करने देती रही।
अब वो जल्दी से खड़ा हुआ मुझे भी हाथ पकड़ कर खड़ा किया और जोर से अपनी बांहों में भर लिया मेरे होठों के होंठो से चूम लिया कोई दस सेकंड तक मैं ठगी सी और उसमे खोई सुध बुध खो कर उसका साथ देती रही, उसने मेरे दोनों स्तनों को अपने ताकत वर हाथों में पकड़ कर जोर से दबाया और चूचियों को मसलते हुए बोला आपके साथ सुहागरात भी मनाउगा आप देखती रहो और एक हाथ को झुककर मेरे घाघरे में तेजी से डाला और पेंटी के ऊपर से ही मेरी चूत को दबोचा उसे मेरी चूत का रस उसके हाथों में महसूस हुआ, बोला ओह तो ये भी रेडी है, तुरत हाथ निकाला जो थोड़ा भी चूत रस उसकी हथेली पर आया था उसे चाटते हुए फ्लाइंग किस देते हुए bye सरिता डार्लिंग सुहागरात पर मिलूंगा और दरवाजा खोल कर ये जा वो जा।